गांड की फटफटी पार्ट 5 – Gand Ki Hindi Sex Story

Gand Ki Fatfati Part 5 – Gand ki Hindi Sex Story

Gand Ki Hindi Sex Story

चाची थी की ठहाके मार मार कर हँसे ही जा रही थी.

शर्ट के ऊपर के दो बटन खुले होने से उनके मम्मे भी उभर उभर के अपनी गोलाईयां बता रहे था.

बाबुराव के हुँकार के साथ अपने सर उठाना शुरू कर दिया.

मेरी नज़रे चाची के मम्मो और उनकी जांघों के बीच इकठठी शर्ट पर ही ऊपर निचे हो रही थी और उसके साथ की बाबुराव भी ऊँचा निचा हो रहा था.

चाची ने हँसना बंद किया और ऑंखें तरेर के बोली, “नहाता क्यों नहीं रे…..बेशरम….क्या देख रहा है….?”

भेन्चोद क्या औरत है……मुझे पक्का यकीन था की मेरी नंगी गांड पर ठंडा पानी चाची ने जानबूझकर डाला था.

साली मादरचोद की मुनिया भी कुलबुलाती है मगर चूहा बिल्ली खेले बिना इसकी खुजाल नहीं मिटती.

मन मसोस कर मैं फिर से मुडा और नहाने के लिए शावर चालू करने लगा.

तभी झपाक के साथ खूब सारा ठंडा ठंडा पानी मेरी नंगी गांड और मेरी जांघ के पिछवाड़े पर पड़ा. ठंडा ठंडा पानी रिस रिस कर मेरे गोटों तक चला गया और मेरे बदन के एक एक नस सनसना गयी.

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ठन्डे पानी और बाबूराव का कुछ कनेक्शन तो है बॉस…..

बाबूराव ने गुस्सैल सांड कि तरह फनफना का अपना सर उठाया और मेरा सुपाड़ा एक दम भक्क लाल होकर चमड़ी की चुनर उतार कर खुल्ली हवा में सांस लेने लगा.

गोटों से चूता ठंडा पानी मेरे बाबूराव की जड़ तक को सनसना रहा था, बाबूराव सावन महीने के पतंग के तरह ठुनकी मारने लगा.

मेरी पीठ अभी तक चाची की और थी इस लिए चाची बाबूराव का विकराल रूप नहीं देख पायी थी.

चाची तो अपनी हरकत पर खुश होकर ठहाके पर ठहाके लगा लगा कर हंस रही थी.

तभी मेरी नज़र मेरे पैरों के पास पड़ी बाल्टी पर गयी, बाल्टी आधी भरी थी मैंने आव देखा न ताव बाल्टी उठाई और मुड़कर एक झटके में चाची के ऊपर खाली कर दी,

“हाय….राम…….”, इसके आगे चाची की आवाज़ घुट के रह गयी.

चाची एक दम से खड़ी हो गयी. पानी उनके पुरे बदन से टिप टिप कर के गिर रहा था. जो शर्ट उन्होंने से पहना था वो पूरी तरह से उनके बदन से चिपक गया था.

चाची ने पहले ही शर्ट के ऊपर वाले दो बटन लगाये नहीं थे पानी के जोर से एक बटन और खुल गया.

शर्ट अब चाची की गोल गोल नाभि तक खुला था और उनका दांया मम्मा उसमे से बाहर झांक रहा था.

चाची कुछ बोलने को हुयी मगर मैं थोडा आगे बड़ा तो चुप हो गयी.

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मैं चाची के ठीक सामने सिर्फ कुछ इंच की दुरी पर खड़ा था.

मेरे बदन पर एक भी कपडा नहीं था और मैं चाची से सिर्फ कुछ इंच दूर.

चाची बोलते बोलते रुक गयी और मेरी आँखों में देखने लगी.

समय एक दम रुक गया था…..उत्तेजना से मेरा दिल धपाक धपाक धड़क रहा था….मनो मेरे कानो में हथोड़े पड़ रहे हो. मेरी नज़र चाची के चेहरे से फिसल कर नीचे जाने लगी…..शर्ट से निकल आये मम्मे की घुंडी मतलब निप्पल एकदम कड़क हो चुकी थी. चाची की एकदम नींद टूटी और उन्होंने अपने मम्मे को शर्ट के अंदर करने के लिया अपना हाथ उठाया.

मैंने उनका हाथ पहले ही पकड़ लिया और नीचे कर दिया. चाची ने अपना हाथ छुड़ा कर फिर से अपने बदन को ढकना चाहा मगर मैंने फिर से उनका हाथ पकड़ कर नीचे कर दिया.

अबकी बार उन्होंने हाथ छुड़ाने की कोशिश नहीं की….चाची बस एक टक मेरी आँखों में देखे जा रही थी.

उनकी साँसें तेज़ होने लगी…..और मेरे नंगे सीने पर टकराने लगी……उनका मुंह उत्तेजना और आश्चर्य से

खुला था……मैंने चाची का हाथ जो अपने हाथ में पकड़ा हुआ था उसे अपने फनफनाते ठुनकी मारते बाबूराव पर रख दिया.

चाची ने एक तेज़ सांस अंदर खींची.

चाची की नज़रें अभी तक मेरी नज़रों से मिली हुयी थी……चाची का हाथ मेरे बाबूराव पर बस ऐसे ही रखा था……मैंने अपना हाथ उठाया और चाची की ऑंखें मेरे हाथ का पीछा करने लगी……मेरा हाथ उनके शर्ट से बाहर झांकते मम्मे की और जाने लगा…..

चाची एकटक मेरे हाथ का सफ़र देख रही थी और मैं उनकी आँखों की चाल को.

जैसे ही मेरा हाथ उनके मम्मे को छूने वाला था उनकी आँखे बंद हो गयी और उन्होंने से अपने सर थोडा पीछे की और कर लिया और एक मदमाती आवाज़ गले से निकली…..”म्म्म्म्म्म्म्म….”

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मैंने उनके मम्मे को छुआ नहीं सिर्फ एक सेंटीमीटर पहले रुक गया….चाची के चेहरे पर हैरानी के भाव आये और उन्होंने ऑंखें खोल के मेरी आँखों में देखा और धीरे से अपने निचला होंट दांतो से काट कर आँखों आँखों में ही याचना की…मानो अपनी नशीली आँखों से कह रही हो की लल्ला मसल दे मेरे मम्मो को…….

मैंने कुछ नहीं किया बस चाची की आँखों में उमड़ते हवस और वासना के तूफान को देखता रहा…..

चाची का हाथ जो मेरे बाबूराव पर था……वो एकदम से मेरे बाबूराव पर कस गया और चाची ने बड़ी बेशर्मी से मेरी आँखों में देखते देखते ही मेरे पप्पू को उमेठना शुरू कर दिया……मेरे पप्पू की सारी नसे तो पहले ही ठन्डे पानी से सनसना रही थी….चाची की इस हरकत और अदा ने मेरे बाबूराव की टोपी उछाल दी….

मैंने चाची के मम्मे को अपनी हथेली में पूरा पकड़ कर मसल दिया…..चाची के गले से घुटी घुटी कराह निकली और उन्होंने अपना सर पीछे कर लिया और अपने बदन को मेरे बदन पर दबा दिया.

मेरा बाबूराव चाची की फौलादी पकड़ में था और मैं बेरहमी से उनके मम्मे को मसल रहा था.

मेरा दूसरा हाथ चाची के पीछे गया और उनकी गोल गोल गदराई गांड को सहलाने लगा……चाची अपनी गांड को मेरे हाथ पर दबा दिया…..ऊपर तो वो अपने मम्मे मेरी और दबा रही थी और निचे अपनी गांड मेरे हाथों पे घुमा रही थी.

चाची के होटों पर पानी की कुछ बुँदे बाथरूम की लाइट में ओस की बूंदों जैसी चमक रही थी…..मैंने अपने उत्तेजना से सूखे होंटों पर जुबान फेरी और चाची के लरजते होंटों पर झुक गया.

चाची ने तुरंत अपना मुंह खोल लिया और अपनी जीभ मेरे मुंह में डालने लगी…..मैंने चाची की गांड को कस कर मसल दिया……चाची किस करते करते ही सिसियाने लगी……उनका हाथ और ज़ोर से मेरे लंड को मुठियाने लगा.

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मैंने चाची की शर्ट के बटन खोलने की कोशिश की ताकि दूसरा मम्मा भी आजाद हो सके…..भीग जाने से कपडा चिपक गया था ….बटन खुल ही नहीं पा रहे थे…..चाची ने मेरे होंटों पर से अपने होंट हटाये बिना अपने दोनों हाथों से शर्ट को को कॉलर के पास से पकड़ा और एक जोर से झटका दिया……..

एक दो बटन तो टूट गए और बाकि शर्ट का नाज़ुक कपडा चाची की हवस के आगे क्या करता……

शर्ट चरररररर की आवाज़ के साथ फट गया. चाची ने दूसरे ही झटके में शर्ट को अपने बदन से अलग कर दिया….शर्ट का बचा हिस्सा निकलने के लिए वो थोडा अलग हुयी…..और मेरी ऑंखें अपने सामने का नज़ारा देख कर पपोटों में से बाहर आ गयी…..

चाची के भीगे बाल…..उनके कंधे और गर्दन पर चिपक गए थे…….दोनों मम्मे अपनी पूरी गोलाई के साथ अपना सर तान कर खड़े थे…..दोनों निप्पल ठन्डे पानी और उत्तेजना के मारे फूल कर अंगूर के दाने हो गए थे…….चाची की कमर तो और भी पतली थी….मगर उसे निचे आते आते कमर का कटाव खतरनाक अंधे मोड़ जैसे घुमाव खा रहा था…….कमर इतनी पतली और गांड इतनी बड़ी………मेरा बाबूराव रूप के इस नज़ारे को ठुनकी मार कर सलामी देने लगा.

चाची की नाभि पर पानी की बूंदें चमक रही थी……चाची के पेट हल्का सा मांसल था……बस मोटा होने के पहले वाली हालत…….नाभि तो ऐसी नरम और गद्देदार लग रही थी की इसमें ही बाबूराव पेल दूँ…..

मेरी नज़ारे चाची की नज़रो से मिली….और न जाने क्यों मुझे शर्म सी आ गयी…..

चाची के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ गयी और वो बोली,

“हाय राम……हरामी ……अब तुझे शर्म आ रही है…….मेरी ऐसी हालत कर दी कमीने….हट परे….और मेरा टॉवेल दे…..बेशरम……..लल्ला…….तू बहुत बदमाश हो गया है रे……..चल ला टॉवेल दे……”

मैं हक्का बक्का अपना खड़ा बाबूराव लिए अपने सामने खड़ी मादर जात नंगी चाची की बात सुन रहा था.

चाची फिर से मुस्कुराते हुए बोली, ” राम….लल्ला…..दे…ना …..”

“क…क…..क्या दूँ चाची आपको ??????”

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चाची ने निचे इशारा किया…..भेनचोद इशारा लंड की तरफ था की टॉवेल की तरफ ????

माँ की चूत…..हाथ तो आया पर मुंह को…मेरा मतलब है लंड को न लगा……..

मैंने हिम्मत बटोरी, ” च….च…..चाची……आप बाहर जा रहे हो क्या ?? ”

चाची ने ऑंखें तरेरी, ” और क्या राम……क्या यहीं पर ऐसे खड़ी रहू बेशरम……”

मेरे सामने इतनी कामुक और चुदैल औरत नंगी खड़ी और मैं उसे जाने दू……..?

मैं टर्राया, ” च….च…..च……वो…….म…म…मेरा मतलब……की……ये……अ…अ…मेरा…….

मेरा….यह दुखने लगा है……”

मैंने अपने बाबूराव की तरह इशारा किया जो इस परेशानी की घडी में भी अपने सर उठा कर खड़ा था.

चाची ने नज़रों से ही बाबूराव को सहलाते हुए कहा, ” हाय……राम….इसका क्या……?…लल्ला….इसका ख्याल तो तेरी बीवी रखेगी……आज मैंने रख लिया तो मेरी बहु शिकायत न करेगी….की चाची अपने हमारी मलाई खा ली……..”

“मलाई खा ली”,……..सुनते ही बाबूराव ने एक ठुनकी मार दी.

मलाई खाने के मतलब सोच सोच कर ही बाबूराव के आंसू निकल आये…..एक छोटी सी प्रीकम की बूंद बाबूराव के छेद से निकली और बाथरूम की लाइट में चमकने लगी…..

चमक तो चाची की आँखों में भी आ गयी थी……..

किसी ने सच ही कहा है की औरत इमोशनल होती है आंसू नहीं देख सकती…..बाबूराव के आंसू देख कर चाची का मन या शायद उनका तन पिघल गया और वो बोली, “हाय……रामजी…….कहाँ फँस गयी….?”

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“क….क…..क्या हुआ चाची….”

“कुछ नहीं से लल्ला…….तू कहता है न की ये ऐसी हालत में रहता तो तुझे दर्द होने लगता है…..? ”

“हुंह….?……हाँ…हाँ…..अरे चाची……बहुत दुखता है………”

“तो तू एक कम कर…..हाथ से इसको हिला कर………निकाल ले.”

लो बहनचोद……….हाथ से हिला कर निकालना होता तो वो तो दिन में चार बार करता ही हूँ…मगर आज तो चाची की मुनिया चाहिए …… अब क्या करू…..

“च….चाची……हाथ से नहीं होता………”

“हाय राम…..कैसे नहीं होता……..कर तो सही……”

बताओ….साली मादरचोद मेरे सामने नंगी खड़ी है……..और मुझसे बोल रही है की मैं हाथ से हिला कर निकाल कर दिखाऊ.

हम लोंडे तो टीवी पर नाचती छोरियों को देख कर इतने टन्ना जाते है मत पूछो……अगर सामने चाची जैसे हवस की देवी नंगी खड़ी हो तो भाई….हिलाने की भी क्या जरुरत है……..

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मैंने ना में सर हिलाया तो चाची मस्कुराते हुए बोली, ” हाय राम…..फिर दुखेगा तो……?”

मैंने सोचा चलो आखरी दांव मारते है……

“कोई बात नहीं चाची…….आप रहने दो….”

चाची को एक सेकण्ड कुछ समझ नहीं आया…..” हैं…….?…….मतलब ……..”

साली खुजाल तो उसकी मुनिया में भी थी. एक पल रुक के वो बोली

“राम…लल्ला…..तुझे दुखेगा रे………..”

लंड दुखेगा भेन की लोड़ी….

“न…न…..न…नहीं चाची….आ…हाँ….हाँ…..दुखेगा तो सही…..पर…..?

चाची ने ऐसे दिखाया मानो सोच रही हो….फिर बोली, ” ला…..इधर आ मैं निकाल दूँ…….”

फटफटी चल पड़ी

सचिन को २०० शतक लगा के भी इतनी ख़ुशी नहीं मिलेगी…..जितनी चाची की एक लाइन ने मुझे दे दी.

मैं चाची की और लपका, चाची ने हँसते हुए कहा,

” आराम से लल्ला जी…….हाथ से निकालने दो…..और कोई गलत हरकत मत करना…..और यह अपने दोनों हाथ पीछे कर लो ज़रा……”

मैंने अपने दोनों हाथ अपने सर के पीछे बांध लिए और खेल के मज़े लेने के लिए तैयार हो गया.

चाची ने अपनी ऊँगली बाबूराव के छेद पर फिराई …मेरा पूरा बदन गनगना गया.

चाची ने अपनी ऊँगली को बाबूराव के आंसू, मतलब की प्रीकम से लथेड़ लिया……और अपनी ऊँगली बाबूराव के ऊपर चलाने लगी…….धीरे से उन्होंने बाबूराव के छेद पर अपने नाख़ून को गड़ा दिया.

मेरे मुंह से सिसकारी निकल गयी….चाची ने नकली शर्म भरी मुस्कान से मेरी और देखा और बाबूराव को अपने हाथ में जकड कर अपने हाथ को एक बार ऊपर निचे किया…….

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इतने में ही मेरे गोटों में भरा वीर्य उबाल खाने लगा.

चाची ने अपनी ऊँगली को बाबूराव के प्रीकम में लपेटा,

मेरी ऑंखें फटी की फटी रह गयी……जब चाची ने वो ऊँगली अपने मुंह में डाल कर उसे चूस लिया और म्म्म्म्म्म्म कहा.

माँ का भोसड़ा…….. ऐसा तो आज तक सनी लेओनी की नंगी पिक्चर में भी नहीं देखा था.

मैंने अपने दोनों हाथ से चाची के मम्मो को थामा और पागलों की तरह उन्हें मसलने लगा….

चाची कभी हंसती कभी खिलखिलाती कभी सिसकारी मारने लगती.

उनका हाथ फिर से मेरे बाबूराव पर था. और मैं तो पागल हो रहा था.

मैंने अपने हाथ उनकी चूत पर डाला. बिच वाली लम्बी ऊँगली जैसे उनकी मुनिया के मुंह पर टिकाई….

लबालब पानी छोड़ती मुनिया इतनी चिकनी हो गयी थी की मेरी ऊँगली सीधी उनकी मुनिया के अंदर चली गयी थी.

चाची ने दूसरे हाथ से मेरे बल पकडे और मेरे मुंह को निचे खिंच कर अपने मम्मो पर कर दिया.

मैंने अपने मुंह खोला और एक ही बार पुरे मम्मे को मुंह में ले लिया. एक पल मैं उनके मम्मे को जोर से चूसता दूसरे ही पल अपनी जीभ की नोक से उनके कड़क निप्पल को छेड देता.

चाची ने मेरे लंड को छोड़ा और मेरे बालों में हाथ फेरने लगी. उन्होंने अपने मुंह से एक मादक गुर्राहट निकली और मेरे बालों को खिंच कर मेरे मुंह को अपने होंटों पर रख लिया.

हमारे मुंह एकदूसरे से चिपक से गए……कभी जीभ लड़ाते कभी होंटों को चूसते…..कभी दोनों जीभ बाहर निकाल कर नोक से नोक टकराते……और फिर ज़ोर ज़ोर से होंटों को चूसने लगते…

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वासना का चुम्बन इतना गरम था की उत्तेजना से चाची का पूरा बदन कांपने लगा था.

अब तो मुझ से रुकते ही नहीं बन रहा था. मैंने चाची की गांड के दोनों गोलों को पकड़ा और चाची को ऊपर उठाने लगा…..पहले तो चाची को समझ नहीं आया फिर वो समझ गयी…..और ऊपर उठ गयी और अपने पैरों को मोड़ लिया.

मैंने चाची की टांगों के नीच से हाथ डाल कर उन्हें पूरा हवा में उठा लिया. चाची ने अपनी बांहे मेरे गले माँ डाल दी….और अपनी टंगे चौड़ी कर के अपने बदन को मेरे बदन से चिपका लिया…..अब उनकी वासना के रस से सरोबोर मुनिया ठीक मेरे ठुनकी मारते बाबूराव के ऊपर थी….

चाची ने अपने हाथ को निचे डाल कर बाबूराव को पकड़ा और सीधे बाबूराव के सुपाड़े तो अपनी तमतमाती मुनिया के मुंह पर रख दिया……और धीरे से निचे हो गयी….बाकि का काम मैंने एक जबर्दस्त धक्का मारकर कर दिया.

बाबूराव और मुनिया का मिलन हो चूका था.

चाची ने अपने दोनों हाथों को मेरी गर्दन पर डाल रखा था….और जब भी उछाल कर मेरे लंड पर अपनी चूत गिराती मुझे तारे चाँद सूरज ग्रह उपग्रह सब दिख जाते…

चाची हुंकार मार मार कर अपनी मुनिया से बाबूराव को पीस रही थी मानो चटनी बना रही हो……चाची की मुनिया का अमृत बाबूराव की रगड़ाई से मलाई बन बन कर मेरी जांघों पर गिर रहा था और मुझे महसूस हो रहा था की मेरी पूरी जांघ उससे सन गई है.

चाची ने मुझे ज़ोर से जकड दिया और अपने मम्मे मेरी छाती पर दबा दी दिए ….और सिसकारी मारते मारते अपने पूरा बदन को कड़क कर लिया और सिर्फ अपनी गांड को गोल गोल घुमाने लगी.

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क्या नज़ारा था…..बाथरूम की दीवार पर लगा शीशा मुझे लाइव शो दिखा रहा था…….चोदने का मज़ा लंड को और देखने का मज़ा आँखों को…..और क्या चाहिए बॉस ??

चाची कि सांसों कि रफ़्तार बढ़ती जा रही थी….और मेरे भी गोटें सनसनाने लगे थे.

चाची ने अपनी गांड को और ज़ोर ज़ोर से हिलना शुरू कर दिया…..अब तो कभी तो अपनी कमर को पूरा ऊपर तक उठा कर धपाक से साथ मेरे लंड पर गिरती और कभी गांड को सिकोड़ कर मेरे लंड का मख्खन निकलने लगती…..तभी चाची से ज़ोर से आह भरी और सिककते हुए बोली.

” हाय……हाय……हरामी……..हाँ……हाँ…….और ज़ोर से………आह……लल्ला……रे………आह…….

हाँ रे…….लगा……लगा…….आह…….चोद दे….रे……….आआह…….चोद ….मादरचोद………आआअ

चाची का पूरा बदन कड़क हो गया…….और वो पागलों कि तरह मेरे लंड पर उछलने लगी…….मम्मे को मेर छाती पर दबा दिया……और मेरे होंटों को अपने मुंह में ले लिया……

मैंने भी अपने गोटों कि सुरसुरी महसूस कि और चाची कि गांड पर अपनी पकड़ मज़बूत करते धपाधप धक्के देना शुरू कर दिए….

चाची तो चिल्ला चिल्ला कर उछलने लगी……”हाय……हाँ मेरे लल्ला……निकाल…..निकाल दे रे……”

और मेरे अरमानों का दरिया बह निकला………मेरे गोटों एक दम कड़क हो गए और मेरा तो बैलेंस ही बिगड़ गया मगर मैंने चाची कि पीठ को दिवार पर टिका दिया और उनकी गांड को सामान रखने वाले आले पर टिका दिया.

मैं कुत्ते जैसा हांफ रहा था और बेचारी चाची तो अभी भी मेरी कमर पर अपने टंगे लपेटे बस ऑंखें बंद किये मिमिया रही थी…

चाची ने अपनी आँखे खोली और बोली, “लल्ला…….तू बहुत कमीना हो गया रे…….”

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तभी बाहर से कुछ आवाज़ आयी.

चाची ने मुझे धक्का देकर दूर किया और तुरंत धोने के कपड़ों में से एक गाउन उठाया
और बाथरूम से बाहर भागी.

“हाय राम तेरे चाचा आ गए लगता है…..तू अंदर से बंद कर ले……..”

हम मेरे कमरे के बाथरूम में थे….मेरी तो गांड फटी की चाचा ने चाची से कुछ पूछ ताछ करली तो ??

गांड की फटफटी में गेयर लगने लगे…….

बाहर से कुछ आवाज़ नहीं आ रही थी….मैंने कुछ देर तो सब्र किया फिर फटफटी के मरे धीरे से दरवाजा खोला और सुनने की कोशिशि करने लगा….कुछ बात करने की आवाज़ तो आ रही थी मगर समझ नहीं आ रहा था. मैंने टॉवल लपेटा और पंजो के बल बगैर आवाज़ किये रूम के डोर की आड़ में से सुनने की कोशिश करने लगा.

ये तो पड़ोस वाली कोमल भाभी थी……वो बोल रही थी….

“क्या सच्ची चाची……..??”

चाची की आवाज़ आयी, “हाँ रे……सच्ची कोमल…,,,”

कोमल भाभी आश्चर्य से बोली, “अरे,…..बाथरूम में इतनी जगह कहाँ होती है……..की वो सब….कर सके…..मतलब…..की…..”

चाची की आवाज़ में खनक थी, ” हाय राम….कोमल…..उसने तो मुझे गोदी में उठा कर………खड़े खड़े ही..”

मैं देख तो नहीं पा रहा था मगर कोमल भाभी की आवाज़ एकदम से कामुक और गहरी हो गयी

” खड़े खड़े…..?…….गोदी में……लेकर…….ही……कर…….दिया………हाय ऐसा तो सिर्फ फिल्मो में……
मेरा मतलब…….हाय राम चाची…….”

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और ये बोल कर कोमल भाभी बेशर्मी वाली हंसी में हंसने लगी. चाची भी उनकी हंसी में उनका साथ देने लगी.

कोमल भाभी बोली, ” उस दिन छत पार मुझे लगा की चाची और चाचा का मौसम बना हुआ है……..सच्ची बोलू तो आपको देखकर मुझे भी इनकी इतनी याद आयी की काश वो भी यहाँ होते तो हम भी…..मस्ती कर लेते…..मगर आप तो लल्ला जी के साथ……हाय राम चाची आप तो बहुत ख़राब हो सच्ची………’

चाची हँसते हुए बोली, “हाँ…हाँ….मैं ख़राब हूँ और तू तो दूध की धुली है……? जब घर में पति है तो फिर प्लास्टिक का खिलौना क्या लाई…….हैं ?? “”

कोमल भाभी की कोई आवाज़ नहीं आयी….

भेनचोद……प्लास्टिक का खिलौना… ????

तभी कोमल भाभी कि लरजती हुयी आवाज़ आयी, ” अरे चची प्लास्टिक नहीं,,,,रबर का खिलौना…..और उसे खिलौना नहीं डिल्डो कहते है……आप को तो कोई बात बतानी ही नहीं चाहिए सच्ची……….”

चाची बोली, ” वाह बेटा….तो उसका नाम भी रख दिया……डिडो…..”

“डिडो नहीं चाची…..डिल्डो……उसका नाम ही डिल्डो है……”

चाची बोली, “हाय राम…कोमल…..बिलकुल मर्द के उसके जैसा है…..नसे तक बनी हुयी है….सच बता मज़ा आ जाता होगा……. ..हैं.?

कोमल भाभी ठंडी सांस लेकर बोली, “अरे चाची…..नकली कितना भी अच्छा हो….होता तो नकली है है ना ?
उनके टूर पे जाने के बाद अकेले रातें नहीं कटती……और कभी जब वो मेरा साथ नहीं दे पाते तो नकली से काम चला लेते है….”

चाची आश्चर्य से बोली, ” हाय…..रिषभ जी को पता है इस डिडो …के बारे में…..????”

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“हाँ तो……उन्होंने ही तो लाके दिया है…..”

चाची बोली, “वाह रे कलयुग…..पति अपनी बीवियों के लिए नकली लौड़े भी लाने लगे.”

और फिर अपने मुंह से लौड़ा शब्द निकल जाने पर बेशर्मों कि तरह हंसने लगी.

कोमल भाभी बोली, “तो क्या…..अरे चाची आजकल तो सब चलता है……हम तो साथ में वो फिल्मे भी देखते है….सची मूड बन जाता है……..उन फिल्मों में तो काले हब्शी होते हैं ना उनके……वो तो बहुत भी बड़े और मोटे होते हैं……..बेचारी वो कमसिन लड़किया कैसे लेती है……भगवान जाने…..मैं तो यह डिल्डो डालती हूँ तो भी ऐसा लगता है कि मेरी अब फटी….अब फटी…”

दो चुदासी औरतों कि बातें सुन सुन कर मेरी तो हालत उस कुत्ते जैसे हो गयी जो सुखी हड्डी ढूंढ रहा हो और उसे मलाई मिल जाये….

बाबूराव लपेटे हुए टॉवल में तम्बू बना रहा था….मैंने निचे देखा और सोचा कि पैसा और चूत कितनी भी मिल जाये साली कम ही लगती है…..अभी अभी गेम खेल और महाराज फिर से तैयार….

कीड़ा कुलबुलाने लगा…….

तभी मेरे मोबाइल कि घंटी बजी….मैं डर के मारे उछल गया….चाची बहार से चिल्लाई,

“अरे….लल्ला…..??……नहा लिया क्या…..??”

मैंने बिस्तर पर पड़ी अपनी जींस कि जेब में से मोबाइल निकला…

पिया का फ़ोन था…….

लल्ला की फटफटी चल पड़ी…

मैं अंदर से गांड फटी में चिल्लाया, ” न…न…नहीं…..म..म..म…मेरा मतलब हैं हाँ चाची….नहा लिया…”

मैंने रूम का दरवाजा बंद किया और फोन उठाया..

“…..हेलो…….”

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“तुम अपने आप को समझते क्या हो……..अरे जब मैंने कहा था कि कैंटीन के
बाहर मिलना तो आये क्यों नहीं.,….पता है मैं २ घंटे बेवकूफ की तरह वहीँ पर खड़ी रही…….अरे कुछ बोलो तो सही…..हेलो…..ऐ क्या हुआ तुमको…….??”

भेनचोद…..लंड बोलू…..मादरचोद राजधानी एक्सप्रेस की तरह चले जा रही है……रुके तो मुझे बोलने का मोका मिले…

मैंने मुंह खोला, ” अरे पिया……वो….मैं……हाँ…..अरे मैं बस से गिर गया था……इसीलिए घर आ गया.”

“क्या.?….गिर गए थे..?…..बस से….?……तुम्हारा ध्यान कहाँ रहता हैं यार….??”

बंगाली मैडम की गदराई गांड में……

“अरे नहीं….मेरा बैलेंस बिगड़ गया था….यार…..”

“पर …..तुम्हे कहीं लगी तो नहीं……? ओ गॉड शील…..तुम ध्यान रखो प्लीज”

पहले तो पिया की पकर पकर से मेरा सर दुःख गया था मगर उसकी मीठी डांट से मन खुश हो गया.

मैंने कहा, “चलो कोई नी…… अब तो ठीक हूँ…कुछ खास नहीं लगी……तुम बताओ कहाँ हो….?”

पिया इतरा कर बोली, ” मैं कहाँ हूँ…..इससे तुमको क्या मिस्टर……? तुम आराम करो.

उधर उसका इतराना और इधर मेरा कीड़ा कुलबुलाया….

“ऐसी कोनसी जगह हो…..जो बता नहीं सकती……”, मैंने पूछा.

“है एक जगह…….बता तो नहीं सकती मगर काश तुम यहाँ मेरे साथ होते…….हम्म्म्म”, और उसने एक ठंडी सांस ली.

उसने तो ठंडी सांस ली मगर मेरी नसे गरम होने लगी…..

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मैंने पूछा, “ऐसी कोनसी जगह हो यार…………….ब…..ब…..ब…..बता दो…….”

“हाय…..क्या बताऊ तुम्हे……”, पिया से फिर से ठंडी सांस भरी.

भेनचोद अभी चाची कि चिड़िया मारे एक घंटा भी नहीं हुआ था और मेरा घंटा फिर से टन टन बजने लगा.

मैंने बात खिंची “अच्छा…. त…त……तुम कर क्या रही हो……?”

पिया ने इठलाते हुए कहा, ” तुम बताओ मैं क्या कर रही हूँ…..”

मैं सोचने लगा…….तभी……पिया की चोंकने की आवाज़ आयी,,,

“आउ…..गॉड…….यह तो बहुत गरम और थिक (मोटा) है……..”

मेरे भेजे में गियर लगने लगे की ये भेन की लोड़ी है कहाँ……….और इसे क्या गरम और थिक (मोटा) लगा……..

तभी मेरा दिमाग का लट्टू जला……ये साली बाथरूम में बैठी है और डिल्डो से अपनी पारो की खुजाल मिटा रही है……यह सोचते ही मेरे दिमाग में बाथरूम में बैठी पिया की नंगी तस्वीर आ गयी और वो कमोड पर टांगे चौड़ी कर के अपनी गुलाबी अनछुई मुनिया में डिल्डो डालती दिखने लगी.

मेरे कानों में हथोड़े से पड़ने लगी और एक दम से मुझे नशा सा छा गया.

मैंने थरथराती आवाज़ में कहा, “हाँ ….हाँ…..म….म….मुझे पता है तुम कहा हो और क्या क़र रही हो..”

पिया ने इठलाते हुए पूछा, “अच्छा जी…..तो बताओ……”

मैंने मस्ती में आकर कह ही दिया, “तुम ब…ब…..ब….बाथरूम में बैठी हो और ड…ड….ड…डिल्डो से खेल रही हो….”

मैं मन ही मन मुस्कुराने लगा की बॉस…..आज तो छोरी को रंगे हाथों पकड़ लिया है और इसके बाद क्या होगा यह सोच सोच कर मेरे पुरे बदन में सुरसुरी होने लगी…..

“व्हाट……….क्या कहा तुमने………हाउ….डेयर……..यु………..ओ….गॉड……यु बास्टर्ड……मैं पार्लर में हूँ और वेक्सिंग करा रही हूँ……यु…. .चीप …….शिट……..और वो वेक्सिंग क्रीम थी जो गरम और थिक थी न की………ड…….छोड़ो यार……डोंट…..एवर…..कॉल…..मी……अगेन…….यु बास्टर्ड”, पिया ने चीखते हुए फोन काट दिया.

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भेन चुद गयी फटफटी की….
मुझे अपने आप पर इतना गुस्सा आ रहा था की बता नही सकता…..

इसकी मा की आँख…..साला लोंडो को लोंड़िया मिलती नही और अपने को मिली तो अपनी डेढ़ अकल के चक्कर मे काम लग गये. भेन्चोद इंसान कभी कभी चुप रह ले तो जाने कितने बिगड़े कम यूँही बन जाए.

मेरा मुँह और बाबूराव दोनो लटक गये. मैं बिस्तर पर पड़ा पड़ा सोचने लगा की अबकी बार तो पिया को मनाना मुश्किल है. जाने कब मुझे नींद लग गयी.

मेरे हाथ पिया के कंधों पर थे और धीरे धीरे मैं उनको नीचे सरकता हुया उसके जोबन के उभारों के पास लाता जा रहा था…..उसकी आँखें मारे ठरक के बंद हुई जा रही थी……मेरे हाथ उसके यौवन के उभारों को संभालने लगे उसके मुँह से एक मदमाती कराह निकली…..मेरे हाथ उसके नरम नरम मम्मो को पूरी तरह से अपने आगोश मे ले चुके थे. मैने उसके कबूतरों को मसकाना शुरू कर दिया

तभी पिया चीखी, “छोड़ हरामी क्या कर रहा है…….”

मुझे समझ नही आया की ये क्या हुआ ? पिया चाची की आवाज़ मैं क्यो बोल रही है ?

पिया फिर से चिल्ला पड़ी, “हाय राम हरामी छोड़ कोई देख लेगा……”

आवाज़ चाची की चेहरा पिया का ……भेन्चोद यह हो क्या रहा है ?

किसी ने मुझे ज़ोर से हिलाया…..हड़बड़ा कर मेरी आँख खुली तो देखा की मैं तो बिस्तर पर लेता हूँ और चाची मेरे उपर झुकी हुई है और मेरे हाथ उनके स्तनो के उपर है साला मैं जिन्हे पिया के बोबे समझ के मसले जा रहा था वो तो चाची के पप्लू थे.

चाची ने मेरे हाथों को झटका और चिल्ला पड़ी, “हाय राम बेशरम दिन भर इसके सिवा कुछ सूझता भी है की नही…..और यह पिया कौन है रे लल्ला……??”

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मेरी गान्ड के सारे टाँके एक झटके मे खुल गये……पहले तो मेरी आवाज़ ही नही निकली फिर जैसे तेसे मैं बड़बड़ाया,
“क..क…क…कोई भी तो नही….च…च..चाची…….”

चाची ने आँखें सिकोड कर मुझे देखा और बोली, “वाह बेटा चाची को नापते हुए तो बड़े प्यार से नाम लिए जा रहा था”

“न…न….नही चाची…..ऐसा कुछ भी नही……”

“देख लल्ला….दिन भर फालतू बातों मे दिमाग़ लगाएगा तो अपने चाचा जैसा दुकान पर ही बैठा रह जाएगा……”

चाची इसके बाद भी जाने क्या लेक्चर दिए जा रही थी मगर मेरी नज़र तो उनके छोटे से ब्लाउस मे कसमसा रहे मम्मो पर ही थी……

चाची ने मेरी नज़रे देखी और नीचे अपने गिरे हुए पल्लू को देखा. अदा से पल्लू संभालते हुए बोली, “हाय राम…..इस छोरे को तो समझना ही मुश्किल है”

अब इसमे क्या मुश्किल है ……लल्ला के बाबूराव को मुनिया चाहिए और क्या ?

मुझे चाची का पल पल रूप बदलना समझ नही आता था. कभी बात बात मे ज्ञान देना और कभी बाबूराव को चूस चूस के चुस्की बना देना…….

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पिया के नाराज़ होने के बाद मेरा मन नही लग रहा था….मैं छत पर चला गया…..शाम होने लगी थी….ठंडी ठंडी हवा चल रही थी और मैं सोच रहा था की कोमल भाभी जैसी कड़क जवानी को प्लास्टिक के लॅंड की ज़रूरत क्यो पढ़ती होगी भला….उनके पति ऋषभ भैया तो अच्छे हट्टे कट्टे दीखते थे. तभी मेरी नज़र कोमल भाभी कि छत पर गयी…
उनकी छत हमारी छत ने एक मंज़िल निचे थी. इसलिए उनकी छत का पूरा नज़ारा दीखता था.

वो छत पर सुख रहे कपडे उठाने आयी थी. धीरे धीरे वो कपडे रस्सी से उतारने लगी…..
मैं उनको देखते देखते दूसरी सोच में पड़ गया तभी उन्होंने इधर उधर देखा और मेरे दिमाग का कीड़ा कुलबुलाया….मैं ध्यान से देखने लगा कि वो क्या कर रही है……उन्होंने एक काली साड़ी सूखने के लिए रस्सी पर डाली थी….कोमल भाभी ने धीरे से उस साड़ी को खिंचा और उसके निचे से एक पिंक रंग कि पारदर्शी नाईटी निकल आयी……उस नाईटी के साथ वेसे ही पारदर्शी कपडे के ब्रा और पेंटी भी थे…..जो कि इतने छोटे छोटे थे कि उनसे क्या ढकता और क्या उभरता ?

भाभी ने नाईटी को उतारा और उसके ऊपर हाथ फेर कर उस नरम कपडे से स्पर्श का आनंद लेने लगी. ….तभी उन्होंने झटके से ऊपर देखा और मुझे निचे झांकता देख वो एक दम से सकपका गयी

“ओ…गॉड…..क्या शील भैया डरा ही दिया अपने…….क्या कर रहे हो…..इस वक़्त छत पर…..?”

मैं क्या बोलता…..मेरी आवाज़ गले में ही रह गयी.

तभी कोमल भाभी मुस्कुराते हुए बोली, “चाची के साथ हो क्या…..?”

मेरे तो कान तो गरम हो गए….भेनचोद साली मज़े ले रही थी.

मैंने कहा, ” न …न….न…नहीं मैं तो अकेला ही खड़ा हूँ……”

फिर मैंने थोड़ी हिम्मत कि और कहा, ” अ….अ….अकेला ही हूँ भाभी…….चाहो तो आप आ जाओ……”

मैंने आज तक कोमल भाभी से कभी डबल मीनिंग तो क्या……सीधा साधा मज़ाक भी नहीं किया था……मेरी गांड तो फट रही थी मगर खड़े बाबूराव का दिमाग अलग ही चलता है….

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भाभी ने मेरी बात पर चोंक कर मुझे देखा और फिर शरारत भरी आवाज़ में बोली, ” ओ…हो…..तो लल्ला जी बड़े हो गए है……हुम्म्म……क्या इरादे है……भाभी को छत पर बुला रहे हो……सुबह से कोई मिली नहीं क्या ”

मैंने मन ही मन कहा, “हाँ भाभी मिली तो सही मगर उसकी ली नहीं….”

“न….न…..नहीं भाभी……वो….वो…म..म…मैं तो मज़ाक कर रहा था.”

भाभी ने मुझे एक नज़र देखा तो कपडे समेटते हुए बोली, “क्यों आपको बिजली का काम आता है क्या ”

“हाँ…..भाभी…..क्या हुआ…..कुछ बिजली का काम हे क्या ?”

“हाँ भैया…..वो प्रेस का प्लग जल गया है……बदलना था……आप कर दोगे क्या…..?”

लंड अपने को यह तक पता नहीं कि WATT और वोल्ट में क्या फर्क है मगर खड़े लंड का सवाल था. काला तार, हरा तार, पीला तार…सब एक जेसे दीखते थे…मगर भाभी को मना केसे करता.

“आप सामने वाली दुकान से प्लग ले आओ और लगा दो न प्लीज”

मैंने सोचा, “आ रहा हूँ आपकी लगाने ……मेरा मतलब है प्लग लगाने”

नीचे आया और मैंने सामने वाली दुकान से प्लग लिया और तुरंत भाभी के दरवाजे पर…..

भाभी ने दरवाजा खोला और पल्लू से चेहरा पोंछते हुए बोली, “आ गए…..आओ….”

मेरी नज़ारे तो पल्लू के निचे छुपे मम्मो पर पड़ी जा रही थी. भाभी घूमी और मेरे आगे चलने लगी.

कसम उड़न छल्ले की………इन गुजरातनो की बात ही कुछ और होती है…….भाभी के सुडोल बदन की सुडौलता उनके फुटबाल नितम्बो पर आ कर फ़िदा हो गयी थी…….सच्ची में ऐसा लग रहा था की उनकी साड़ी के नीच नितम्ब नहीं दो फुटबाल है. हर कदम पर एक ऊपर एक निचे.

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अचानक कोमल भाभी रुक गयी और अपन तो झोंक में थे…..मैं ऐसा का ऐसा उनसे जा टकराया…….भाभी इतनी जोर चिहुंकी की मैं भी डर गया.

“क्या भैया आप भी……ध्यान कहा है आपका….?”

आपकी गांड में ……

“अरे सो…सो…..सॉरी भाभी…”

“यह रही प्रेस……..और ये रहा पेंचकस…..”

मैं चूतिये जेसे अपने हाथ में प्लग लेकर खड़ा था……घंटा नही पता था की करना क्या है मगर ……

भाभी मुझे देखते हुए बोली, “तो……”

मैंने देखा की प्रेस का प्लग जल कर काला हो चूका था…….मैंने पूछा, ” भाभी ये जला कैसे…..?”

भाभी ने ऑंखें नचाई और कहा, “अरे होना क्या था…….यह प्लग मुआ ढीला है……यह बिजली का खांचा है न…..इसमें टाइट नहीं जाता…..इतना पतला प्लग है और बिजली का खांचा इतना बड़ा…..दोनों में से एक तो जलना ही था…….आखिर प्लग ही जलेगा खांचा तो हाई पॉवर है……”

इसकी माँ की आँख …..

क्या आप भी वोही समझ रहे जो मैं समझ रहा हूँ….. ???

साला जब भी मुझे ठरक चढ़ती है मेरे कान गरम होने लगते है…..

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कोमल भाभी क्या समझा रही थी मेरे समझ में तो आ रहा था मगर हमेशा कि तरह गांड की फटफटी चल निकली……..और मैं चुप चाप प्लग बदलने की कोशिश करने लगा…..क्या पता भाई……यह गुजरातन सच्ची में प्लग और खांचे के बारे में बोल रही हो और अपुन अपने चोदु दिमाग में १ और १ ग्यारह कर रहे हो.

मैंने जला हुआ प्लग तो पेंचकस से खोल कर उससे तार अलग कर दिए…..अब मेरे एक हाथ में तीन टार थे और एक हाथ में नया प्लग…..मादरचोद घंटा समझ नहीं आ रहा था की कोनसा तार कोनसे पिन में कसना है.

मैंने सकपका कर कोमल भाभी को देखा, वो बड़े ही गौर से मेरी हरकते देख रही थी,…..मुझे अपनी और देखते हुए बोली, ” अरे भैया……लगाओ न……” ( क्या लगाउ भेनचोद ???? )

मैं हकलाया, ” हैं…..हा….मैं…….वो…….यह तार छीलना है….कुछ है क्या….? ”

जवाब में कोमल भाभी ने मेरे पास आकर मेरे हाथो से तार लिया और दांतों में दबा कर खिंच दिया…….

तार छिल गया था और इधर मेरे बाबूराव के तार भी खींचने लगे…..क्या अदा थी……अपना बाबूराव तो पहले से ही पारखी नज़र वाला था…..मैं दिवार की और मुंह कर के अपने बाबूराव की चूल छुपाने में लगा था…….साला मादरचोद यह कॉटन के शॉर्ट्स भोसड़ी के, लंड और हंडवे के दर्शन ऊपर से ही करा देते है और अपना बाबूराव तो कुत्ते का पिल्ला…..खड़ा होकर ठरकी कुत्ते के जैसे हांफ रहा था .

कोमल भाभी मेरे पीछे खड़े होकर मेरी कारगुजारिश देखने लगी……भाभी की साँसे मेरे कंधे पर और मेरे कान के पिछले हिस्से पर पड़ रही थी……..लोग औरत को गरम करने के लिए उसके कानो को छेड़ते है और यहां भेनचोद मेरे पहले से ही खड़े बाबूराव पर यह सितम और हो रहा था.

साला बिजली के प्लग में तीन तार होते ही क्यों है मादरचोद……..लंड समझ नहीं आ रहा था की क्या करू……फिर सोचा की चलो……ट्राय करते है…….मैंने लाल तार बिच में …..काला और हरा निचे लगा दिया…..प्लग तो खांचे में लगाया…….यह वाला प्लग खांचे में आसानी से नहीं जा रहा था ……मैंने ज़ोर लगाया और धीरे धीरे खांचे में प्लग को पूरा फसा दिया.

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भाभी मेरे पीछे खड़े खड़े ही धीरे से बोली, ” हुम्म्म…….अब इस खांचे को सही प्लग मिला है…..इतना मोटा है तो कस कस के जायेगा अंदर और अब जलेगा भी नहीं,,,,,”

भाभी क्या बोल रही थी और क्या बोलना चाह रही थी अपने भेजे में समझ आ नहीं रहा था…..अब स्थिति ये थी की मेरा बाबूराव फुल अटेंशन में मेरे शॉर्ट्स में तम्बू बना चूका था और मैं ऐसी हालत में पलट नहीं सकता था……मैंने एक ठंडी सांस ली और प्लग को अंदर दबाते हुए बिजली का स्विच ऑन कर दिया…..

मुझे ऐसा लगा मानो मेरे हाथ पर हजारो मधुमखियों से एक साथ डंक मार दिया….जैसे मेरा पूरा हाथ सेकण्ड के सौवे हिस्से में हज़ार बार हिल गया….मैंने चिल्लाने की कोशिश की मगर मेरे मुंह से आवाज़ ही नहीं निकली……मेरी आँखों पर अँधेरा सा छा गया.

लल्ला की फटफटी में शॉर्ट सर्किट हो गया था.

मेरी आँख खुली तो मैं जमीं पर पड़ा था और कोमल भाभी मेरे चेहरे पर झुकी हुयी थी……वो धीरे धीरे मेरे गालों को थपथपा रही थी……और मुझे पुकार रही थी……मेरे मुंह से एक कराह निकली और मैं उठने की कोशिश करने लगा……कोमल भाभी ने मेरे सीने पर हाथ रखकर मुझे फिर से लेता दिया और बोली,

“हे भगवन…….भैया……मेरी तो जान ही निकल गयी थी……हाय….हाय…..अगर बिजली का काम नहीं आता तो हां क्यों किया जी…..?……..देखो अब लगता है पुरे घर का फ्यूज उड़ गया है…….”

मैंने नज़रे घुमाई तो सची में घर अँधेरे में डूबा था…..मगर बाहर से ढलते सूरज को कुछ किरणे अभी भी घर के अंदर तक आ रही थी…….और वो साली सब की सब मादरचोद किरणे…….कोमल भाभी की गोरे गोरे गले और उसके निचे लगे तोतापरी आमो पर पड़ रही थी. भाभी का अंचल तो कब का गिर चूका था.

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ढलते सूरज की सोने जेसे किरणे भाभी के दूधिया मम्मो पर पढ़ रही थी……उनका लाल रंग का रुबिया ब्लाउस जेसे पारदर्शी हो गया था और उसके निचे काली नेट वाली ब्रा भी दिख रही थी….

और दिख रहे थे उस ब्रा में कैद….भाभी के नरम नरम निप्पल…..मादरचोद दोनों मम्मो के निप्पल साफ़ दिख रहे थे……क्योकि निप्पल किसी कारण से कड़क हो गए थे.

बिजली के झटके कि माँ की चूत…बाबूराव तोप से निकले गोले जैसी तेज़ी में तुरंत खड़ा हो गया.

कीड़ा सारी टांगे ऊपर कर के पूरी तेज़ी में कुलबुलाने लगा.

मुझे लगा कि भाभी शायद कुछ बोल रही है…..

लगता है जब भी लंड खड़ा होता है तो दिमाग का सारा खून लौड़े में ही चला जाता है. न कुछ सुनाई देता है और न ही कुछ समझ में आता है.

मैं हड़बड़ाया, ” हाँ,…..क..क..क..क्या …भाभी…..?”

“अरे क्या क्या…क्या लगा रखा है…..यह फ्यूज भी ना…..अब तुम कर लोंगे ? हाय…मगर तुमको तो बिजली का काम ही नहीं आता है ……चलो मैं ही देखती हूँ………”

मैंने सर हिलाया और खड़ा होने लगा…..मुझे ऐसा लगा कि भाभी ने कनखियों से उनको सलामी दे रहे बाबूराव को भी देख लिया था…मगर उन का चेहरा अँधेरे में था….सारी की सारी किरणे जो उनके सीने पर पद रही थी..उनके खड़े होने के बाद उनके पेट पर पड़ने लगी……और मेरी साँसे रुकने लगी….

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झुकने उठने में भाभी के पेट पर से साड़ी हट गयी थी और सूर्य देव अपनी किरणे सीधे उनकी………

नाभि पर गिरा रहे था…….लोगो से सुना है की नाभि में नाभि….सबसे सेक्सी नाभि दो ही हिरोइनो की है.

या तो शिल्पा शेट्टी की या फिर उर्मिला मार्तोंडकर की……

बाबा जी के भुट्टे……..

कोमल भाभी जैसी नाभि तो भेनचोद सनी लेओनी की भी नहीं होगी.,..

मैं बार बार नज़रे हटता और मेरी नज़रे कुत्ते की पूँछ जैसे बार बार वही पर आ कर टिक जाती.

मुझे लग रहा था की भाभी मेरी नज़रो का डायरेक्शन कभी भी पकड़ लेगी….

पकड़ ले तो पकड़ ले……माँ की चूत……भाभी की नाभि की बनावट तो अंडाकार थी मगर शादी के बाद बेचारी थोड़ी सी मांसल हो गयी थी…और नाभि के चारो और सॉफ्ट सॉफ्ट पेट निकल थोडा निकल आया था…..और इसी नरम नरम पेट में जड़ी नाभि ने मेरे बाबूराव को कड़क कड़क कर डाला.

“अरे,……शॉक में हो क्या भैया……हल्लो…..?”, भाभी ने थोडा ज़ोर से बोला….

“हैं……नहीं…..न…न….नहीं……म….म…..मैं……वो……”

यह हकलाने की माँ का भोसड़ा यार…….

मैंने तुरंत नज़रे इधर उधर कर ली…..शायद भाभी को भी लग गया था की मैं नज़रों से उनकी नाभि का अमृतपान कर रहा था….उन्होंने साड़ी का पल्लू सामने से फैला लिया….

लो लंड मेरा…..गिर गया पर्दा.

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मेरी तो इच्छा हुयी की भाभी की साड़ी ही……नहीं नहीं……कंट्रोल……

मैं चूतिये जैसे इधर उधर देखने लगा…..तभी भाभी बोली, “अरे लल्ला भैया……चलो भी…..फ्यूज बदलना है ना…..फिर मुझे खाना भी बनाना है…..आज यह भी टूर से लोट कर आ रहे है…..इतने दिनों बाद….”

हाँ भेनचोद …..वो तो आएगा थकाहारा और तू साली तेरी खुजाल के चक्कर में उस गरीब लंड को रात भर नहीं सोने देगी……

मैंने सोचने लगा….पहली ट्रिप तो भैया लगा लेता होगा….मगर उसके बाद की २-३ ट्रिप तो भाभी ही उसको उकसा उकसा कर लगवाती होगी…..ऐसा गद्दर माल है…..एक ट्रिप में तो इस भेनचोद का इंजन गरम होता होगा……

“अरे तुम्हारे सर का कोई तार वार हिल गया है क्या…..ऐसे कैसे खड़े हो……चुपचाप…..

मेरी ख्यालों कि ट्रेन ने ब्रेक मारा……”हैं….हाँ….हाँ……म…म…मेरा मतलब है कि नहीं मुझे नहीं आता……”

“चलो…..हर बार जब ये फ्यूज बदलते है तो मैं टॉर्च पकड़ के रखती हूँ ……..अब तुम पकड़ लेना…..”

क्या पकड़ लेना जानेमन…..मेरी इच्छा तो तुझे पकड़ने कि हो रही है…..मेरे दिमाग में तो भाभी के कड़क निप्पल और जानलेवा नाभि ही घूम रही थी….मन में तो ऐसा आ रहा था कि इस साली हरामन को यही पटक के रगेद दूँ….मगर फटफटी …….चल पड़ती है यार…..

भाभी मुझे वहीँ छोड़ कर अंदर गयी और टॉर्च ढूंढ कर ले आयी……और उसे ऑन करके फ्यूज बॉक्स कि और चल पड़ी……

किरणे अब भाभी की लाल साड़ी में कसी हुयी गांड पर पड़ रही थी…

मेरे कमज़ोर दिल पर ऐसा इमोशनल अत्याचार……

भाभी की चाल में ही कुछ ऐसी बात थी यार……गप….गप……एक ऊँचा एक निचा…..ओये होये.

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भाभी अचानक रुकी और सिर्फ अपनी गर्दन को थोडा सा मोड़ कर मुझसे कहा,

“अब आओगे भी या….ऐसा ही बुत बने देखते रहोगे…..?”

इसकी माँ की…..इसको कैसे पता चला की मैं इसको टाप रहा था…..तभी मेरी नज़र सामने लगे शीशे पर पड़ी और शीशे में ही हमारी ऑंखें चार हो गयी

आके सीधी लगी दिल पे मेरे नजरिया……ओ गुजरिया….

भाभी ने हलकी सी स्माइल दी और आगे चलने लगी…..और मैं उनके पीछे चाल पड़ा जैसे भूखा कुत्ता हड्डी की पीछे.

भाभी एक छोटी सी कोठरी में घुस गयी और मैं उनके पीछे दरवाजे पर ही खड़ा हो गया, उन्होंने टॉर्च की रोशनी में फ्यूज बॉक्स देखा और उसका ढक्कन खोला……फिर मेन स्विच गिराया…..और फ्यूज को बाहर खींचने की कोशिश करने लगी.

फ्यूज भोसड़ी का जाम था……टस से मस नहीं हो रहा था…

भाभी एक हाथ से टॉर्च पकडे दूसरे हाथ से उसको खींचने लगी…..पर वो तो ठान के बैठा था की बॉस आज तो लंड नहीं निकलूंगा……

भाभी ज़ोर लगते हुए बोली, “ऊओह…..यह तो बहुत टाइट फंसा है……हिल भी नहीं रहा….”

“हाँ भाभी लगता है गरम होने से दोनों चिपक गए है….”, मैं टर्राया.

“हाँ …….हैं……क्या…….??”

मेरी गांड फटी. “न…न….नहीं……आप खींचो इसको……”

“आहन…..हाँ…..पर…..ये…..तो……बहुत…….ही……टाइट……है…….ऊओह…..”

मादरचोद फ्यूज निकाल रही है या मोटे लंड से चुदवा रही है ? ?

“आह…..नहीं……निकलता……..उह……अरे आप क्या खड़े हो वहाँ पर……लो यह टॉर्च पकड़ो और इधर लाइट मारो………मैंने दोनों हाथ से हिलाती हूँ”

मेरा ही हिला दो भाभी…….

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मैंने टॉर्च पकड़ ली…..और फ्यूज बॉक्स पर लाइट मारने लगा…..भाभी पूरी जान लगा कर फ्यूज पर पिली हुयी थी और वो भड़वा तो निकलना दूर हिल भी नहीं रहा था.

इस जोराजोरी में कोमल भाभी पूरी हिल रही थी…..और उनकी हर हरकत पर उनकी विकराल गांड थर्रा रही थी……माँ की भोसड़ी फ्यूज की…….भाभी की गांड में तो जैसे भूकम्प आया हुआ था.

मेरी नज़रे भाभी की थर्राती थिरकती गांड पर शहद पर मख्खी चिपके ऐसी चिपक गयी……

बेचारी पसीना पसीना हो रही थी……और पसीना ऑन हसीना हमेशा ही बड़ा खतरनाक कॉम्बिनेशन होता है

बाबूराव ने तुरंत अपना सर उठाया और मेरे पजामे में अपने तम्बू तन लिया.

कोमल भाभी अपने नाज़ुक नाज़ुक हाथों से फ्यूज पर लटके जा रही थी और वो भड़वा तो मज़े ले रहा था.

मज़े तो अपुन का बाबूराव भी ले रहा था …..भाभी के हिलती गांड को देख कर बाबूराव ने भी ठुनकी मार कर

सिग्नल देना शुरू कर दिया.

मैं पजामे में हाथ डालकर अण्डरवियर एडजस्ट करने लगा, टॉर्च वाला हाथ मुड़ कर पजामे पर ही फोकस मारने लगा…..साला लंड लटका रहता है तो गरीब आदमी जेसे २ इंच की जगह में भी एडजस्ट हो जाता है और जो कहीं भेनचोद चूत की खुशबु मिल गए तो भोसड़ी का सवा सात इंच का नाग बन कर अपना फन लहराने लगता है…..बाबूराव ने उत्तेजना और ख़ुशी के मारे अपना मुंह ( सुपाड़ा……भाई) अण्डरवियर के इलास्टिक से बाहर निकाल लिया था……और मैं उसको जैसे तेसे अण्डरवियर के अण्डर करने के कोशिश कर रहा था..

“अरे…..लाइट इधर करो…….कहाँ……कर रहे हो……हाआआआय राआआआम”

भाभी घूम गयी और इधर मैं खड़ा…. अपने लंड पकडे टॉर्च का फुल फोकस बाबूराव की चमकीले टोपे पर.

एक छोटी सी प्रीकम की बूंद सुपाड़े के छेद पर थी……टॉर्च की रोशनी में वो बूंद मोती जेसे चमक रही थी.

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भाभी फिर चिल्लाई…..”हाय राम…..”

अब छोटी से चड्डी में इतने बड़े लौड़े को कहा छुपायूं…..मैंने पजामे का इलास्टिक छोड़ दिया…..

सटाक की आवाज़ के साथ इलास्टिक सुपाड़े पर जा टकराया.

“आआह………”, मैं चिल्लाया…..

“हाय…….राम……”, भाभी चिल्लाई….

मेरे और बाबूराव…..दोनों के खेल लग गए थे.

फटफटी का इंजन सीज़.

सुपाड़ा यानि कि लंड का टोपा लंड का सबसे नाज़ुक स्थान होता है…पजामे के इलास्टिक ने वो चोट मारी थी कि बस……मेरी तो बैंड बज गयी थी..

“ऊओह…..शिट……..आउ….आह…….आह…..”, मेरी तो आवाज़ ही बैंड नहीं हो रही थी….

मैं सहारा लेकर वही फर्श पर बैठ गया. और अपने बाबूराव को हाथों से दबा लिया….

कोमल भाभी एक दो सेकंड मुझे देखती रही और फिर तीखी आवाज़ में बोली,

” बेशरम कहीं के……क्या कर रहे….थे….हाँ ?……अपने हाथ हटाओ……वहाँ से…..”

माँ की चूत……यहाँ मेरे लंड में भूचाल आया हुआ था…..बेचारा दर्द के मारे दोहरा हो रहा था….

मैंने हाथ हटाया तभी मेरे बाबूराव में एक टीस उठी और मैं उसे हाथों से दबाकर फिर दोहरा हो गया.

अब कोमल भाभी ने चिंता जताई, “हाय.,..हाय……ज़ोर से लग गयी क्या…….दबाओ मत…..और दुखेगा……”

मैंने तो उनकी परवाह ही छोड़ दी थी….लंड की परवाह करना ज्यादा जरुरी था भाई.

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मैंने कराहते हुए उठने की कोशिश करने लगा……थोडा दर्द हुआ तो मैं फिर बैठ गया…..

हुआ यूँ था की इलास्टिक सुपाड़े को रगड़ता हुआ गया था…..और इसी लिए दर्द हुआ….अब धीरे धीरे दर्द तो कम हो रहा था…मगर मेरी गांड की फटफटी ये सोच सोच कर रेस मार रही थी की यह साली बहनचोद भाभी सबको बता देगी और मेरा जालिम बाप मेरी गांड में सरिया डाल कर मुंह से निकाल देगा.

दिमाग के घोड़े तो सरपट दौड़ ही रहे थे……अब मैंने नाटक करना शुरू कर दिया…….

मैं और ज़ोर ज़ोर से हाय हाय आह आह करने लगा.

अब गांड फटने की बारी कोमल भाभी की थी….

“हाय…..हाय…..अरे क्या हुआ जी………अरे हुआ क्या…..ज्यादा दुःख रहा है क्या…….?”

मैं ना में सर हिलाता रहा और अपने बाबूराव को मसलता भी रहा……

मैं बैठा था निचे……जब पजामा छूटा तो टॉर्च भी मेरे हाथ से छुट गयी थी…टॉर्च अभी तक ऑन थी…..कमरे में रोशनी दे रही थी मगर मेरी तरफ अँधेरा था..

फोकस तो कहीं और बन रहा

भाभी की टांगों के बीच भाभी ठिक टॉर्च के उपर खड़ी थी। कमरा अंधेरा था और थोड़ा टॉर्च की रोशनी तेज़.

कोमल भाभी की जाँघों का पूरा शेप दिख रहा था ….

साड़ी की ये खासियत होती है की साड़ी के अंदर आए औरत की कमर और गांड़ का शेप तो दिख जाता है मगर उसकी जाँघों को साड़ी पूरि तरह से छुपा लेती है.

टॉर्च की रोशनी मे कोमल भाभी की जांघे तो एकदम मस्त चौड़ी और मांसल दिख रही थी ….मेरी नज़रें जा कर उन पर ही टिक गयी ….तभी कोमल भाभी फिर से चिल्ला.

“ अरे लल्ला भैया …..बोलो ना ….डरा क्यू रहे हो …….ज़ोर से लग गयी क्या …..हाय हाय आपकी तो आवाज़ भी नहीं निकल रही …….”

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ये सुनते ही मैने फिर से कराहना शुरू कर दिया ….

भाभी ने तुरंत टॉर्च उठाई और बोली,

“ भैया प्लीज़ उठो ….देखो धीरे से …..चलो बाहर ….आपको तो ज्यादा लग गयी है,….”

मैं अपने बाबूराव को दोनो हाथों से थामे धीरे से उठने लगा ….तभी मेरा बॅलेन्स बिगड़ा और भाभी ने बला की फुर्ती दिखते हुये मेरे हाथ को पकड़ लिया ….उनके मम्मे मेरे हाथों से सट गये …

भाभी धीरे धीरे सहारा देकर मुझे बाहर ले आई और मुझे सोफे पर बिठा दिया और सोफे पर ही मेरे पास बैठ गयी ….

बॉस अब मेरी गांड़ फटी …….कोमल भाभी ने अगर हंगामा कर दिया तो ….ये साली भेनचोद पूछेगी की मैं अपने पाजामा को खींच कर अपना लॅंड पकड़े क्या कर रहा था तो मैं क्या जवाब दूंगा …

यह बोलू की भाभी आपके मम्मे देखकर लॅंड खड़ा हो गया था और पाजामा मे हाथ डाल कर मे मेरे खड़े लॅंड को सेट कर रहा था ….अपने तो काम लग गये बॉस.

भाभी अलग बडबडा रही थी, “ अरे राम ….अब मैं क्या करू ….आप नीलू चाची या किसी को भी मत बताना की ऐसा हुआ ….आप ठीक तो हो …..”

ये लो … यहाँ अपनी गांड़ फट रही थी और इस बेचारी की उल्टा अपने से फट रही है ….. मगर देखो भाई……. नाटक करो तो पूरा करो ….. मैने तुरंत ना मे सर हिलाया और अपने वफादार को दबाते हुये फिर से हाय हाय मचाने लगा.

भाभी की गांड़ फटी और वो कभी मुझे देखती और कभी मेरे हाथों मे दबे मेरे बाबुराओ को …

भाभी बोली, “ राम राम ….लल्ला भैया इतना ज्यादा दुख रहा है क्या ….. कहीं …….खून…. तो…. नहीं …..आया.….”

भेनचोद कही ये खून तो नहीं आया के चक्कर मे लॅंड का चेकप ना कर डाले … इस फनफनाते सपोले का मैं क्या जवाब दूंगा …

मैं तुरंत टर्राया, “ अरे भाभी …..म.म.म … मेरा मतलब है की …..अब इतना नहीं दुख रहा ….अब तो ठीक है …. मसलने पर अचछा लग रहा है ”

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भाभी जल्दी से बोली, “ हाँ हाँ तो थोड़ा मसल लो ….. मसलने से दर्द कम होता है …”

सोचो भाई लोग ….मैं टी-शर्ट पाजामा मे..भाभी के सोफे पर अपना खड़ा लॅंड पकड़ के बैठा हूँ और ये गेलचोदी कह रही है की मसल लो ….

साली तेरे मम्मे ना मसल लूँ…

डूबता सूरज भाभी के चेहरे और ब्लाउस पर अपनी किरणे डाल रहा था. भाभी के गोरे रंग पर किरणो का ऑरेंज रंग……ब़स.

मैं अभी तक तो पजामे के उपर से ही अपने पालतू तो सहला रहा था……कभी कभी सच्ची मे भी दुख जाता था। आखिर चोट तो लगी थी।

भाभी कभी मुझे देखती कभी लॅंड को सहलाते हुये मेरे हाथ को।

तभी मेरे हाथ से बाबुराओ की स्किन खींच गयी। और मेरे मुंह से दर्द भरी सिसकारी और फिर हल्की चीख निकल गयी।..

भाभी की बची खुची हिम्मत भी जवाब दे गयी।

वो घबरा कर बोली, “हाय…..हाय…..इतना दुख रहा है…………म…म….मैं क्या करू राम…… ”

मैने एक सिसकारी और मार दी….

मेरी सिसकारिया असली थी भाई….

दर्द की नहीं…….मस्ती की

भाभी बोली, ” हाय………ज्यादा चोट लग गयी है लगता है………अब क्या करू…..डॉक्टर…..”

मैं चिल्लाया, “नहीं ….डॉक्टर नहीं…….”

बेचारी मेरी आवाज से और डर गयी

“हाय……तो अब क्या करू……….”, भाभी ने बेबसी से कहा

मुझे क्या पता…..मुझे तो भाभी के ब्लाउस से दिखते मम्मे और चिकनी गर्दन से फिसलते पसीने की बूंदें देख देख कर मज़ा आ रहा था।

तभी एक पसीने की बूंद भाभी की गर्दन से चली और सीधे उनके मम्मो के बीच बनी खाई मे समाने लगी।

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मेरी ठरक ने मेरे मुंह से एक सिसकारी और निकलवा दी।

मेरी सिसकारी सुन कर भाभी मानो किसी निर्णय पर पहुंच गयी….

“हटाओ हाथ…..”

” क क क क्या ?????”

“राम भइया आप को इतना दुख रहा है……म म मुझे…देखने तो दो….. कहीं चोट …..ज्यादा तो नहीं लगी”

भेनचोद् पागल तो नहीं हो गयी

साला मस्ती मस्ती मे…… मैं केरेक्टर मे ज्यादा ही घुस गया…इस गेलचोदी को लग रहा है की मुझे सच मुच बहुत दर्द हो रहा है।

अब क्या करू ये साली तो पजमा उतरवाने पे तुली है

भाभी बोली, “भइया आप डॉक्टर के पास जाओगे नहीं और मुझे देखने दोगे नहीं तो कैसे चलेगा….आप को पता है ना मेन रेड क्रॉस से फर्स्ट एड का कोर्स किया है।”

कोर्स तो तुने खाना पकाने का भी किया है तो क्या मेरे लंड का भूर्ता बनायेगी।

” अरे न न न नहीं अब ठीक है…..सच्ची भाभी अब नहीं दुख रहा……”, मैने बात सम्भाली।

“नहीं…..नहीं भइया।…..मुझे देखने दो….आप झूट बोल रहे है…….सच्ची बोलो दुख रहा है ना……? ”

मेरी नज़र भाभी के हिलते हुये मम्मो पर थी…..उनको उपर निचे हिलते देख शायद मेरी गर्दन भी उपर निचे हो गयी। भाभी को लगा मैने हाँ बोल दिया।…….भेनचोद् तुरन्त फोर्म मे आ गयी।

“हाँ।…तो ठीक है।…..पिचे टिक कर बैठ जाओ सोफे पर……हाँ..ऐसे”

अरे भेनचोद् ये क्या चुतियई हो गयी रे……

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मैने थूक निगला……और कहा, ” भाभी रहने दो…..अच्छा….. नहीं …….लगता…..म म म म मुझे….थोडा…..शरम……..”

भाभी ने आँखें नचाई, ” वाह जी……अरे…..मैं तो डॉक्टर जैसे ही तो हु…….डिप्लोमा किया है मैने….”

मैने भी हथियार डाल दिये…..बस एक चुतियई थी…….मसलने ने भाइ बाबूराव तन कर खडे थे.

भाभी को किस मुंह से अपना खडा लौडा दिखाउ……

भाभी ने ही समस्या हल कर दी।

“अच्छा मैं आँखें बंद कर लेती हु”

भाभी घुटनो के बल मेरे सामने बैठ गयी और आँखें बंद कर ली।

मैने धीरे से पजमा और अंडरवियर निचे खिस्काया और भाइ बाबूराव लपक के खडे हो गए।

भाभी फसफुसाई, ” निकल लिया….”

भाभी की आँखें बंद थी और उनकी सांसे थोडी तेज़ चल रही थी। भाभी का जोबन हर सांस पर उठता और गिरता और येही असर मेरे पालतु पर हो रहा था।

मैं भाभी ने बदन का मुआयना करने लगा।

भाभी की शादी को कुछ साल हो चुके थे….बच्चा था नहीं……जैन परिवार की थी…….पहले तो दुब्ली पतली थी मगर कुछ दीनों से गदराने लगी थी।….मेरी नज़र भाभी के बदन पर पानी की बूंद की फिसल रही थी।

सोचो….मैं भाभी के सामने सोफे पर अपना पजमा सरकाये नंगा बैठा था। लंड हवा मे झंडे के डंडे के जैसा खडा था।

शायद चोट का असर था या सीचुआशन का…..महाराज पुरे लाल सुर्ख हो रहे थे।

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भाभी ने पूछा, ” ख ख ख खोल लिया ? ”

मैं हुनकारा भरा, ” हम्म्म्म ”

भाभी ने कुछ नहीं किया, बैठी रही……घुटनो के बल……मेरे सामने।

अचानक से मुझे जोश सा चड आया…..मैने कोमल भाभी को नज़रे बचा कर बहुत टापा था।

आज ऐसे बैठे देख कर मेरे कान गरम हो गए…..पहले से ही कडक लंड और तन गया।

मुझसे बरदाश्त नहीं हुआ। मैने अपने पप्पू को हाथ मे लिया और ज़ोर ज़ोर से मुठ मारने लगा.

पहले से ही बाबूराव थोडा गीला था।……कुछ प्रीकम की बूँदे और उभर आई और मेरे तेज़ी से मुठ मारने की वजह से मेरे बाबूराव पर एक क्रीम सी बन गयी…..मैं मस्ती मे आ गया था…..कोमल भाभी की उठते गिरते सीने पर नज़र गढाये मैं गपागप मुठ मारे जा रहा था।.

मेरी हरकतो से फच फच की आवाज़ आ रही थी।

तभी भाभी बोली, ” क्या कर रहे हो जी…..”

मुझे जैसे किसी ने नींद मे से जगाया।….अगर भाभी नहीं टोक ती तो मैं तो अपना फव्वारा उडाने ही वाला था।

मैने अपना हाथ बाबूराव पर से हटा लिया।

भाभी बोली, ” ओके…….मैं…….करू……चेक…..”

मैने फिर से हुनकारा भरा, ” हम्म्म्म्म ”

कसम उडान छल्ले की……….भाभी एक पल के लिये मुस्कुरायी थी……

उन्होने अपने सुखे होंटों पर जीभ फिराई और अपनी आँखें खोल दी।

” हा आ आ आ य ……..राम…….”

कोमल भाभी की हाय से मेरी गांड की फटफटी ने दुड़की लगा दी….

यह साली ने सीन बना दिया तो मेरी तो ज़िन्दगी शुरू होने के पहले ही ख़त्म हो जाएगी…..

इधर कोमल भाभी बाबुराव को बड़े ध्यान से देख रही थी….

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“अरे…..य…य…..ये…..तो…..ख….मेरा मतलब है की…….ब…..ब……ये…..तो……कितना ल…..लाल…..हो गया है……”, भाभी ने कहा.

भइये…..असली मज़ा तो शादीशुदा औरत के साथ ही आता है.

अभी कोई कन्या के सामने अपने बाबुराव को पेश कर दू तो जाने कितने तरह के नाटक नौटंकी करती, मगर कोमल भाभी तो सीधे मुद्दे पर आ गयी थी….

और सच तो यह है की इस तरह के माहोल में बाबुराव तो फुल फार्म में आ गया था…

कुछ ठरक थी…..कुछ चोट……कुछ मेरा मसलना और फिर भाभी का उफनता जोबन, अपना पहलवान सलमान खान के बॉडीगार्ड शेरा की तरह बिलकुल मुस्तैद खड़ा था.

असल में मैंने खुद अपने लंड को इतनी उत्तेजित हालत में नहीं देखा था.

सुपाड़ा फूल कर टमाटर हो गया था.

और कोमल भाभी तो एकटक मेरे लंड को देख रही थी जैसे बिल्ली चूहे को देखती है.

मैंने तुरंत दर्द भरी सिसकारी मार दी.

भाभी की जैसे तन्द्रा टूटी……”हाय …..हाय …..ये तो सुज़ गया लल्ला जी…..”

मैंने जवाब न देने में ही अपनी भलाई समझी और कराहने लगा….

“अरे…..दुःख रहा है क्या……”

मैंने जवाब में अपनी मुंडी हिलाई और कराहना जारी रखा. मैं अपने हाथ तो बाबुराव के सर हे हटा चूका था इसलिए तो मुठ मारने से क्रीम और प्रीकम उस पर इकठ्ठी हो गयी वो सूरज बाबा की रौशनी में चिलके मार रही थी.

भेन्चोद अगर इस ने पूछ लिया की यह सब कैसे हुआ तो ????

मैंने तुरंत ज़ोर ज़ोर से आहें भरना और कराहना शुरू कर दिया….

भाभी तुरंत चौंकी और बोली, ” लाला भैया….मुझे तो लगे है की चोट ज़ोर की लग गयी है…….देखो कैसे लाल लाल हो गया है……सूजन भी आ गयी है…….और इस पर तो आयोडेक्स भी नहीं लगा सकते…..”

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माँ की चूत……..लंड पर आयोडेक्स…..????? मारेगी क्या ??

मैंने कहा, ” भाभी …बहुत जलन हो रही है…..”

“हाय हाय……लाओ देखू तो……”, ये कहकर भाभी आगे झुक आई.

उनके खुले हुए बाल मेरे बाबुराव पर झूल आये और लंड के मुंह पर लगी क्रीम पर चिपक गए.

भाभी इस सब से बेखबर थी…..वो 6 इंच की दुरी से बड़े ध्यान से मेरे बाबुराव का मुआयना कर रही थी.

“इ…इ…..इसको ज….ज….जरा ऊपर करो तो भैया…..जरा देखू कहा लगी है “, भाभी बोली,

भाभी को गेलचोदी थी नहीं…..और अब तक मैं भी इस मामले में डेढ़ सयाना हो चूका था.

वो और मैं….वो खेल खेल रहे थे जिसका अन्त………आपको पता है.

मैंने बाबुराव का टेंटुआ पकड़ा और उसे पूरा खड़ा कर दिया.

मैंने बाबुराव का टेंटुआ पकड़ा और उसे पूरा खड़ा कर दिया.

कुछ दिन से मुठ मरी नहीं थी इसलिए गोटों की थैली माल से पूरी भरी थी….

विकराल खड़ा लंड और उसके निचे झूलती बड़ी बड़ी गोटियां देख कर कोमल भाभी की सांसें तेज़ हो गयी.

उनकी गरम गरम साँसें मेरे लंड की जड़ और गोटों पर टकरा रही थी और कसम मिथुन चक्रवर्ती के ठुमके की…मैं अंदर तक गनगना रहा था.

भाभी झुक कर लंड का पूरा निरिक्षण कर रही थी मानो उसपर बारीक़ बारीक़ अक्षर में कोई खजाने का राज़ लिखा हो. उनके झुक जाने से उनके मम्मे मेरे घुटनो से चिपक गए थे मगर उनको या तो कोई अहसास नहीं था या कोई परवाह नहीं थी….

कोमल भाभी का अंचल एक पिन के सहारे उनके कंधे पर किसी तरह टिका था मगर झीने कपडे में सूरज महाराज की फोकस लाइट के कारन उनके गदराये जोबन अच्छी तरह से दिख रहे थे. भाभी नए ज़माने की थी…..ब्लावूस का गला बहुत गहरा था और डिज़ाइन में कटा था…..साले टेलर ने भी क्या नाप लिया होगा.

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भाभी बोली, ” यहाँ तो….कुछ नहीं दीखता……इनको जरा सा हटाओ……”

मैं टर्राया, “जी….क….क…..क……किनको……..?”

भाभी ने अपनी कजरी आँखों से मेरे गोटों को देखा और फिर कहा, ” अजी…..इनको….थोड़ा….सा ..हटाओ..”

मैंने चुतिया मारा…..” क….क…..किसको भाभी…….आह……..दुःख रहा है……..”

भाभी ने आँखे तरेरी और कहा, ” इसीलिए तो कह रही हूँ की इनको थोड़ा हटाओ……मुझे यहाँ पर सूजन लग रही है……..”

मैंने भाभी को देखा. बेचारी घुटनो के बल ज़मीं पर बैठी थी, मेरी खुली टांगों के बीच झुकी हुयी और मैं सोफे पर…..

कोई देखता तो यही सोचता की कोमल भाभी लोल्लिपोप चूस रही है.

आईडिया……

शैतानी कीड़ा कुलबुलाने लगा

चाचा चौधरी का दिमाग कम्प्यूटर से भी तेज़ चलता है

और

चोदने पर तुले इंसान का दिमाग भी सुपर कम्प्यूटर जैसा चलता है.

मैंने कहा, ” ज….ज….जी…भाभी…..क्या हटाउ….मेरे पैर…..”

भाभी ने फिर से मेरे गोटों पर ऑंखें तरेरी और हार कर कहा , ” इनको…..जी……आपके….के….बॉल्स……को”

जो मजा हिंदी में है वो अंगेरजी में कहाँ……..

“बॉल्स…….म……म……मतलब………”

भाभी तुनक कर बोली , “अरे……राम…….अपने……. हंड्वो……को …..”

भाई…..भाभी के मुंह से हंडवे सुनते ही मुझसे पहले बाबुराव ने रिएक्शन दे दी….

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ऐसी ज़ोरदार ठुनकी मारी की बस….

भाभी की नज़रे अभी भी मौका-ए-वारदात पर ही थी.

मैंने अपने हाथ बड़ा कर अपने हंड्वो को छुआ ही था की…..

मैं ज़ोर से सिसियाया.

भाभी बोली, ” अरे….क्या…..हुआ……”

मैंने कहा, ” अरे…..भ…भ….भाभी दुःख रहा है……आओह……..”

भाभी ने तुरंत चैनल चेंज किया और कड़क आवाज़ में बोली, ” देखो जी……अगर ढंग से चेक नहीं कराओगे तो जाना डॉक्टर के पास……”

मैंने तुरंत कहा, ” अरे…न….न…..नहीं…..डॉक्टर नहीं….पर…भाभी बहुत दुःख रहा है…..आप ऐसे ही देख लो न ….”

भाभी ने झल्लाते हुए कहा, ” हैं…..यूँ ही दिख जाता तो देख ही लेती…..इतने बड़े है की…….”

भाभी एक दम चुप हो गयी.

दिल गार्डन गार्डन हो गया……अपने सामान की तारीफ किसको पसंद नहीं. और इसको बड़ा कह दिया मतलब भाई साहब का तो इस से छोटा ….ही……होगा.

मैंने फिर चुतिया मारा, ” जी…..भाभी……क्या ?? ”

कोमल भाभी ने ठंडी सांस ली और बोली, ” कुछ नहीं……तुम तो बहुत ही कमज़ोर दिल हो लल्ला जी…..मैं ही देखती हूँ…..थोड़ा पैर चौड़े करो……”

भाभी आगे खिसक आई और उनके मम्मे मेरे घुटनो पर टिक गए….

कसम उड़ान छल्ले की ऐसा मज़ा आ रहा था की क्या बताऊ…….

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तभी भाभी ने हाथ आगे बढ़ाया और मेरे गोटों को साइड दबा दिया और मुआयना करने लगी.

हल्का दर्द और बहुत सी सुरसुरी होने से मेरे मुंह से फिर से सिसकारी निकल गयी, भाभी ने सर उठा कर मुझ पर ऑंखें तरेरी और बोली , ” चुप चाप बैठे रहो……आवाज़ नहीं आनी चाहिए…..”

भाभी मेरे गोटों को सहला कर चेक कर रही थी और मेरी सांसें बंद हुयी जा रही थी तभी भाभी के लम्बे लम्बे नाख़ून मेरे गोटे से रगड़ खा गए…..भाई ऐसा मज़ा आया की फिर से सिसकारी निकल गयी.

भाभी ने फिर से मुझे देखा और कहा, ” श्श्श्शश्श्श्श………….”

भाभी ने गोटों को थोड़ा और इधर उधर किया और ऊपर निचे तक देखा, मेरी तो सांसें ही बंद हुयी जा रही थी .

भाभी ने कहा, ” हम्म्म्म……सूजन तो नहीं लगती……क्यों लल्ला जी…….सुन्न तो नहीं हुए है ना ? ”

मैंने हकलाते हुए पूछा, ” ज….ज…जी…भाभी…..क….क…..क्या ?”

कोमल भाभी बिलकुल गंभीर चेहरा बनाकर फिर बोली, :” अरे सुन्न…तो नहीं हुए न आपके….ये….??”

जब मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो भाभी ने अपने लम्बे नाखुनो को मेरे गोटों पर ऊपर ने निचे तक फेर दिया.

मैं सर से पाँव तक गनगना उठा…..बाप रे……

ऐसा मज़ा आया की एक पल लिए मेरा पूरा शरीर एक दम लुल्ल हुई गवा.

साली बिल्ली के जैसे मेरे नाज़ुक नाज़ुक गोटों पर नाख़ून फेर रही थी और मेरे बदन में एक के बाद एक मस्ती की लहरें चली जा रही थी.

मैंने बहुत रोका मगर मेरे मुंह से सिसकारी निकल ही गयी….

( अब किस पप्पू के मुंह से नहीं निकलेगी….सोचो कोमल भाभी जैसा कड़क आइटम आपके गोटों पर नाख़ून फेर रहा हो तो आप क्या करोगे मियां ?? )

भाभी ने मुझे देखा

मैंने भाभी को…

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कसम खा के बोल रिया हूँ……..भाभी की आँखों में मस्ती के डोरे तैर रहे थे…..तुरंत बाबुराव ने ठुनकी मर कर भाभी को अपनी मौजूदगी का एहसास करा दिया.

मेरा मुंह पानी से निकली मछली की तरह खुल बंद हो रहा था…..भेन्चोद आवाज़ गले में फंस गयी थी.

भाभी ने फिर से गोटों पर नाख़ून फेरा और मैं फिर सिसिया गया…

भाभी ने सीरियल की वैम्प वाली मुस्कान मारी और बोली, ” अच्छा तो यहाँ दुःख रहा है…….”

मैंने हाँ में सर हिला दिया…..

भाभी बोली, ” क्या…..करू……इसका…….अच्छा थोड़ा तेल लगा दूँ ……”

भाभी तुरंत उठी और उनके बैडरूम में जाने लगी….

मेरी नज़रें भाभी की गद्देदार गांड पर टिक गयी.

क्या चुत्तड थे………

या तो कोमल भाभी जान बूझकर ऐसे चल रही थी या उनकी चाल ही गजगामिनी वाली थी.

हर कदम पर उनकी नरम गांड थरथरा जाती और थरथरा जाता मेरा बाबुराव……हाय क्या होगा मेरा.

मैंने भाभी को गांड को नज़रों से ही सहला दिया……और उनकी गांड का यह डिस्को देखकर मेरा हाथ अपने आप को बाबुराव को दिलासा देने के लिए उस पर कस गया. मैंने अपनी हथेली में बंद बाबुराव को धीरे से पुचकारा और हाथ चलाया…..ऊओह….भाभी की थिरकती गांड को देखकर मैं तेज़ी से मुठ मारने लगा

मेरी नज़रे भाभी की गांड पर ऐसे टिकी थी की मानो नज़रों से ही मैं उनकी गांड में …..

अपनी गांड पर फिसलती नज़रों को शायद भाभी ने भी महसूस कर लिया और अपने रूम के दरवाजे पर कड़ी हो कर अचानक घूम गयी.

“हाय…..यह क्या…..कर रहे हो……..तुम्हे दुःख रहा हे न…….”

मैंने अपने हाथ तुरंत हटा लिया.

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हड़बड़ाते हुए मैंने कहा, ” न….न…..हाँ…..हाँ……वो दुःख रहा था इसीलिए म…म….मसल रहा था…..”

भाभी ने वो मादक मुस्कान मारी की मेरे तो तोते उड़ गए….

“मैं….आ रही हूँ न……मैं कर दूंगी ….मालिश…….”

हैं…??

…..भाई…..मेरी तो बगैर टिकट ख़रीदे लाटरी लग गयी.

भाभी रूम से तेल की बाटल लिए आई और तुरंत मेरी टांगों के बीच बैठ गयी…..मैंने अपने पैरों को और खोला…..भाभी की नज़रें सिर्फ और सिर्फ बाबुराव और मेरे गोटों पर थी.

“लल्ला जी……ये……सुज़ गया है या……ऐसा ही रहता है…….”, भाभी ने भोलेपन से पूछा.

“जी…..ज…..म…..मैं…….वो……नहीं……हाँ……म…….म…..मेरा मतलब है की…..नहीं…..हाँ…..ये….”

भाभी मेरी नादानी पर हंसी और थोड़ा सा तेज़ हाथ में लिया…..

अरे मादरचोद……..यह तो नवरत्न तेल है……अरे……ख़ोपड़िया पर लगाते है तो ही इतना ठंडा ठंडा हो जाता है…..बाबुराव और गोटों पर लगा दिया तो……

मैंने बोलने के लिए मुंह खोला ही था की भाभी ने मेरे गोटों पर अपनी हथेली फेर दी.

मेरे गोटों का एक एक बाल……सनसना उठा……नाज़ुक चमड़ी पर तेल ने अपने कमाल तुरंत दिखाया और मुझे ऐसा लगने लगा मानो मेरे गोटों को बर्फ के ठन्डे पानी में डाल दिया.

मेरी सिस्कारियां निकल गयी….

भाभी ने तिरछी मुस्कान मरते हुए मुझे देखा और कहा, “अच्छा लगा……?”

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बाबा जी के सवा मन भुट्टे…….

अच्छा क्या गांड लगा…..ऐसा लग रिया था की भेन्चोद पूरी दुनिया मेरे गोटों में समां गयी हो….

मज़ा ज्यादा था की जलन…भगवान जाने.

मेरी तो ऑंखें ही नहीं खुल पा रही थी.

भाभी बड़े प्यार से मेरे गोटों को अपने दोनों हाथों से दुलार रही थी.

मैंने पहले भी कहा है की शादीशुदा औरत की बात ही कुछ और होती है.

उसे यह तो पता होता ही है की क्या करना है पर यह भी पता होता है की कब और कहाँ करना है.

भाभी ने पूछा, “अब…ठीक लगा. ???”

मैं तो हांफ रहा था, ” हाँ……हाँ…..सी…….”

भाभी ने अपनी नज़रें मेरे लपलपते प्रीकम से भीगे लंड पर टिकाई और बोली, ” और कहाँ दर्द है ? ”

मैं कुछ नहीं बोल पाया….मेरी नज़रें भाभी की नज़रों से मिली हुयी थी…..

हमारी नज़रें आपसे में लॉक हो गयी थी…..

भाभी ने धीरे से अपने हाथ बढ़ाया और बाबुराव को दबोच लिया.

उत्तेजना और मस्ती से मेरी ऑंखें कुछ बंद हो गयी मगर मेरी नज़रें अभी भी भाभी से मिली हुयी थी.

भाभी ने बाबुराव को अपनी मुठी में ले लिया था….उन्होंने अपनी मुठ्ठी से बाबुराव को भींच दिया. मेरी एक एक नस सनसना रही थी. मेरा मुंह खुल गया और भाभी के चेहरे पर शैतानी मुस्कान आ गयी….

उन्होंने फिर से अपनी मुठी को दबाया और मैं मस्ती से दोहरा हो गया. भाभी धीरे धीरे मेरा लंड हिलाने लगी. वो अपने हाथ को पूरा निचे ले जाती जिस से मेरे लंड की चमड़ी पूरी निचे हो जाती और विकराल सुपाड़ा नंगा हो कर सामने आ जाता. प्रीकम से भीगे सुपाड़े पर रौशनी से चमक सी आ जाती.

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भाभी फिर अपने हाथ को पूरा ऊपर तक लाती जिस से लंड में भरा प्रीकम बहार आ कर सुपाड़े पर फ़ैल जाता. अब मैं सिस्कारियां नहीं मार रहा था बल्कि आँहें भर रहा था.

भाभी के स्तन मेरे जांघों पर ठीके थे….न जाने उन्होंने कब अपने अंचल की पिन हटा ली थी….उनका अंचल कब से गिर चूका था….गहरे गले से झांकते मम्मे मुझे मानो चिड़ा रहे थे. मैं कचकचा कर आगे पड़ा की उन्हें दबोच लूँ….मगर भाभी ने मुझे धक्का दे कर फिर सोफे पर टिका दिया.

मैंने सवाल भरी नज़रों से उन्हें देखा…….

वो अब भी वही सीरियल की नेगेटिव शेड वाली हेरोइन की मुस्कान मार रही थी.

मैंने फिर से उनके मम्मो पर हाथ डालने की कोशिश की…उन्होंने फिर से मुझे पीछे कर दिया…

भाभी ने मुस्कुराते हुए कहाँ…

“क्यों…..जी……उस दिन छत पर क्या कर रहे थे नीलू चाची के साथ……”

मेरी गांड फटी…….अब यह क्या है……?

“क….क…..कब……क्या…….म….म….मैं समझा नहीं……”

भाभी मुस्कुराते हुए बोली,

” हाँ जी……समझ तो गए हो…..क्या कर रहे थे नीलू चाची के साथ……फिर मेरी छत पर कूद आये थे…….बोलो…..?”

भेन्चोद यह कहाँ फंसा….

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