रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

Rangeele Malik Ki Rangilli Part 4 – Servant Hindi Sex Kahani

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

उसे अब अपनी माँ को अपना लिंग दिखाने में शर्म महसूस होने लगी थी, सो बोला – रहने दे माँ, एक दो दिन में अपने आप ठीक हो जाएगा…!

रंगीली – बेकार की बहस मत किया कर मुझसे, चल उतार इसे, अपनी माँ को अंग दिखाने में शर्म नही करते.., ये कहकर उसने ज़बरदस्ती उसके पाजामे को उतरवा दिया…!

यहाँ पीठ जितना घाव तो नही था, लेकिन था तो सही, वो भी उसके लौडे के एकदम नज़दीक, हालाँकि अभी उसका लिंग सोया हुआ था,

अपनी माँ के लिए उसके मन में केवल और केवल श्रद्धा के भाव थे, सो बस एक थोड़ी सी झिझक के अलावा और कोई भावना नही थी जिसके कारण वो उत्तेजित होता..

शंकरा का मुरझाया हुआ लिंग भी रामू के खड़े लंड की बराबर लंबा था, रंगीली ने उसे अपनी टाँगें चौड़ी करके बैठने को कहा, फिर वो उसकी टाँगों के बीच अपने घुटने मोड़ कर बैठ गयी…

एक हाथ से उसने उसके लिंग और गोटियों को साइड में किया और दूसरे हाथ की उगलियों से उसके घाव पर तेल लगाने लगी,

ना जाने क्यों रंगीली जब भी अपने बेटे के लिंग को छूति थी, उसका शरीर उत्तेजित होने लगता था, और वो अपनी चूत में गीलापन महसूस करने लगती थी…!

अब भी जब उसने उसके लिंग और वाकी समान से हाथ लगाया, तो वो फिर से उत्तेजित होने लगी, जैसे तैसे करके उसके तेल लगाकर हल्दी लगाई, और उसे एक कपड़े की पट्टी से बाँध दिया…!

लेकिन इतनी देर वो अपने हाथ से उसके लिंग को सहलाती रही, जिससे शंकर का लिंग धीरे-धीरे अपना आकार बढ़ने लगा था, जिसे देख कर रंगीली की उत्तेजना और बढ़ गयी,

मलम पट्टी तो हो गयी, लेकिन रंगीली का मन उसके लिंग की सुंदरता को देखने से नही भरा, सो वो उसे प्यार से सहलाते हुए बोली – बेटा, तेरा ये इतना बड़ा कैसे हो जाता है…!

शंकर शरमाते हुए बोला – छोड़ ना माँ, ला अब मुझे पाजामा पहनने दे…!

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

रंगीली – नही थोड़ी देर हवा लगने दे घाव को…!

शंकर – लेकिन माँ, तूने तो पट्टी बाँध दी, फिर हवा कैसे लगेगी, शंकर के जबाब से वो लाजबाब हो गयी, लेकिन फिर अपनी बात को संभालते हुए बोली –

वही तो, एक तो ये मुई पट्टी, उपर से तू पाजामा और पहन लेगा तो और ज़्यादा गर्मी रहेगी और घाव सही नही हो पाएगा…!

शंकर – माँ ! पाजामा के अंदर पहनने को अंडरवेर दिला दे ना, बड़ा अजीब सा लगता है, स्कूल में सब लड़के-लड़कियाँ मेरी हिलती हुई सू सू देखकर हँसते हैं…!

रंगीली – अच्छा ठीक है, कल स्कूल से लौटते वखत ले आना, कितने के आते हैं..? पैसे ले जाना मेरे से…!

फिर जैसे उसे कुछ याद आया हो, सो वो बोली – अरे हां बेटा, मे तो भूल ही गयी थी, तू सुवह कुछ अपने सपने के बारे में कह रहा था…!

वो क्या सपना था, जिसकी वजह से तेरा पाजामा इतना ज़्यादा गीला हो गया था…?

अपनी माँ की बात सुनकर शंकर को एकदम से झटका सा लगा, वो जिस बात को लेकर स्कूल में अच्छे से पढ़ भी नही पाया था, उसी बात को छेड़कर माँ ने एक तरह सोए हुए नाग को फिर से जगा दिया…!

सपने में आई उस युवती के कामुक संगेमरमरी किसी अप्सरा जैसे बदन के एहसास से ही उसका लंड ठुमकने लगा, उपर से रंगीली ने उसे पाजामा भी नही पहनने दिया था….

उसके लंड को ठूमकते देख, रंगीली ने उसे फिर से उकसाया, बता ना.. क्या देखा था सपने में…?

शंकर – ऐसा कुछ नही था माँ, मुझे ठीक से याद भी नही रहा कि मेने क्या देखा था…, तू जा अब मुझे थोड़ा पढ़ाई करनी है…!

रंगीली उसके लिंग को हाथ में लेकर बोली – देख बेटा, सुवह तेरे इसके रस से तेरा इतना ज़्यादा पाजामा गीला हुआ ना, उसे देख कर मुझे बड़ी चिंता होने लगी है,

मे जो तेरी इतनी परवाह करके अच्छा-अच्छा खिलाती पिलाती हूँ, वो सब ऐसे ही बरवाद ना हो जाए, इसलिए जानना चाहती थी कि आख़िर ऐसा क्या देखा मेरे बेटे ने सपने में जिससे इतना सारा रस छोड़ दिया…!

लेकिन तुझे अगर मेरी चिंता की कोई परवाह नही है तो ठीक है, आज से तू खुद अपना ख़याल रखना, जो मिले खा लेना, पीना हो पी लेना, मे क्यों खम्खा अपना खून सुखाऊ तेरी चिंता में…

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

इतना कहकर वो उसके पास से उठ खड़ी हुई, और वहाँ से जाने के लिए जैसे ही पलटी, की शंकर ने उसकी कलाई थाम ली…………..!

शंकर ने अपनी माँ की कलाई थामकर उसे जाने से रोका.., जो उसे उलाहना देकर जाने लगी थी…, रंगीली ने प्रश्नसूचक निगाह उस पर डाली….

शंकर कहने लगा.. माँ तू तो जानती है, मेने आज तक तेरी किसी बात को नही टाला है, और मे ये भी जानता हूँ, कि मेरी माँ सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे भले के लिए ही सोचती और करती है,

पर माँ, … ना जाने क्यों मुझे ये सपने वाली बात तुझे बताने में शर्म सी महसूस हो रही है, जो मेने सपने में देखा था उसे अपनी माँ के सामने कैसे बयान करूँ…?

रंगीली – अच्छा ठीक है तू अपनी माँ को नही बताना चाहता है तो मत बता, लेकिन ये तो बता सकता है कि इस बात का जिकर अपनी माँ के अलावा ऐसा कोई तो होगा जिसके सामने तू कर सकता है…?

शंकर कुछ देर चुप रहा फिर कुछ सोचकर बोला – हां अगर मेरा कोई दोस्त होता तो ये बात मे उसके साथ सांझा कर सकता था, लेकिन मेने अभी तक ऐसा कोई दोस्त बनाया ही नही जिसके साथ साझा कर सकूँ…!

रंगीली – तो क्या तू कभी भी कोई दोस्त बनाएगा ही नही…?

शंकर – अगर कोई मुझे समझने वाला मिल गया तो ज़रूर बनाउन्गा…!

रंगीली उसकी आँखों की भाषा पढ़ने की कोशिश करते हुए बोली – मे तुझे थोड़ा बहुत समझती हूँ…?

शंकर – हां माँ, तेरे अलावा और कॉन है जो मुझे समझता है…!

रंगीली – तो समझ ले आज से मे तेरी वो दोस्त हूँ,

शंकर अपनी माँ की तरफ देखता ही रह गया, उसे कोई जबाब देते नही बन रहा था, उसे चुप देख वो फिर से बोली – क्यों माँ एक दोस्त नही हो सकती…?

शंकर – क्यों नही, तू तो मेरी सबसे अच्छी और सच्ची दोस्त है माँ…!

रंगीली – तो फिर अपने सुख-दुख, ख्वाब, सपने अपने दोस्त के साथ भी सांझा नही कर सकता…?

अपनी माँ के तर्क सुनकर शंकर लाजबाब हो गया, उसके मुँह पर जैसे ताला लटक गया हो.. रंगीली खड़ी-खड़ी सिर्फ़ उसके चेहरे पर नज़र गढ़ाए देखती रही…!

शंकर उसका हाथ पकड़कर बोला – चल बैठ, अब जब हम दोनो दोस्त ही हैं तो मे बताता हूँ अपने सपने की बात की मेने क्या देखा था…

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वो उसके बगल में पालती मारकर बैठ गयी, शंकर नज़र नीची करके अपने रात वाले सपने के बारे में बताने लगा…

वो जैसे-जैसे अपने सपने के बारे में बताता जा रहा था, रंगीली पर उत्तेजना का भूत सवार होता जा रहा था, उसकी चूत में चींटियाँ सी रेंगने लगी,

रस गागर छलक्ने लगी, उधर शंकर भी बताते बताते सपने में मानो खो ही गया, उत्तेजना में उसका लंड कड़क होकर सीधा भेलचा की तोप की तरह तन गया,भले ही उसने अपनी कमीज़ से उसे ढँक रखा था, लेकिन उसने उसकी कमीज़ को छप्पर की तरह अपने सिर पर उठा रखा था,

रंगीली की नज़र जैसे ही उसके कमीज़ के बाहर मुँह चम्काते खड़े लंड पर पड़ी, उसकी चूत की सुरसूराहट और तेज हो गयी, और उसकी सुरंग के स्रोत अपने आप खुलने लगे…!

उसने चुपके से अपने लहंगे से अपनी चूत के रस को बाहर बहने से पहले ही सोख लिया, ना जाने क्यों वो सपने में उस युवती की जगह अपने को रख कर सोच रही थी….

जब शंकर ने अपनी कहानी को विराम दिया, और अपनी माँ की तरफ देखा, वो तो जैसे अभी भी सपने में ही खोई हुई, शंकर की बाहों में अपने को महसूस कर रही थी…!

जब कुछ देर उसने कोई रिक्षन नही दिया, तो शंकर ने उसके कंधे को पकड़ कर हिलाया…माँ… क्या हुआ, कहाँ खो गयी…?

वो मानो नींद से जागी हो, हड़बड़ा कर बोली –आअंन्न…हां, कुछ नही, बस तेरे सपने के बारे में सोच रही थी,

फिर कुछ सोचकर बोली – वो सपने वाली युवती कॉन थी..? क्या तू उसे जानता है..?

शंकर ने अपनी नज़रें नीचे कर ली, लेकिन कुछ जबाब नही दे पा रहा था…

रंगीली ने उसके कंधे पर हाथ रख कर कहा – बता ना शंकर.. क्या तू उस युवती को पहचानता है..? कैसी थी वो…?

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शंकरा – वो कहानियों में बताई हुई किसी इन्द्रलोक की अप्सरा जैसी थी, मे ठीक से उसे पहचान तो नही पाया था कि वो कॉन थी, लेकिन वो..वऊू..उूओ…,

इसके आगे वो कुछ बोल ना सका तो रंगीली बोली – बता ना वो..वो..क्या कर रहा है..

वो..वऊू.. बहुत सुंदर थी माँ, बिल्कुल तेरे जैसी………….!

अपने बेटे के मुँह से ये शब्द सुनते ही रंगीली सन्न रह गयी, कितनी ही देर वो अपने मुँह पर हाथ रखे हुए उसके चेहरे को ताक्ति रही, जबकि वो अपना मुँह नीचे किए हुए उसके सामने बैठा रहा…!

रंगीली ने उसके चेहरे के नीचे हाथ लगाकर उसे उपर किया, फिर उसकी आँखों में झाँकते हुए बोली – तू अपनी माँ के लिए ऐसी गंदी सोच रखता है नालयक, शर्म नही आई तुझे…!

शंकर झट से अपनी मा के पैरों में लोट गया, उसके पैर पकड़कर बोला – मुझे ग़लत मत समझ माँ, तेरा दर्जा मेरे जीवन में भगवान से भी उपर है…!

मेने तो तुझे पहले ही कहा था, कि मुझे उस युवती की धुंधली सी पहचान है, अब जब तूने पुछा की वो कैसी थी, तो उसकी सुंदरता की तुलना करने के लिए मुझे तुझसे सुंदर और कोई स्त्री नही दिखी आज तक…!

अपने बेटे के मुँह से अपने लिए भगवान से उपर का दर्जा, और सुंदरता में उसके लिए उससे बढ़कर कोई और नही है, ये सुनकर रंगीली का दिल मों की तरह पिघल गया,

वो उसे लेकर चारपाई पर बैठ गयी, और उसके सिर को अपनी गोद में रख कर उसके घुंघराले काले बालों में अपनी उंगलियों को पिरोते हुए बोली…

तुझे मे इतनी सुंदर लगती हूँ शंकर, कि कोई और औरत तुलना करने के लायक दिखी ही नही तुझे आज तक…? इतना कहकर उसने झुक कर अपने बेटे के माथे पर किस कर दिया…!

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शंकर ने अपनी माँ की पतली सी लेकिन मांसल कमर में अपनी बाहें लपेट ली, और अपना मुँह उसके वक्षों में घुसाकर बोला – मेरी माँ किसी अप्सरा से कम नही है, तो किसी और की उपमा कैसे दे सकता था…!

लेकिन जैसे ही उसे अपने चेहरे पर दबे अपनी माँ के सुडौल और मक्खन जैसे मुलायम वक्षों का स्पर्श हुआ, उसे सपने में आई युवती के उभारों की याद आ गई,

उसपर उत्तेजना हावी होने लगी, और उसका लंड फिर से सिर उठाने लगा…! उसने उसकी कमीज़ को फिर उठा लिया जिसकी वजह से रंगीली की नज़र उसपर फिर पड़ गयी…!

वो सोचने लगी कि अगर इसके मान में अपनी माँ के लिए ग़लत भावना नही है, तो फिर इसका हथियार यूँ बार-बार खड़ा क्यों हो रहा है ?

उसकी सोचों पर विराम तब लगा, जब शंकर ने अपने मुँह का दबाब उसके उभारों पर बढ़ा दिया, वो भी उत्तेजना से भरने लगी, और धीरे-धीरे उसका हाथ अपने बेटे के फुल खड़े लंड पर पहुँच गया…

आहह…माआ…उसे मत छेड़… मुझे कुछ कुछ होने लगता है…वो एक साथ उन्माद में भरते हुए बोला..

रंगीली – लेकिन पहले तो तुझे कुछ नही होता था, फिर अब क्या हुआ ? और कैसा लगता है तुझे, उसके लंड को सहला कर पुछा उसने…

शंकर – आहह… बहुत अच्छा…स्ाआहह…थोडा ज़ोर्से मसल माँ इसको… हां.. जल्दी जल्दी.. प्लीज़ माँ, कुछ कर ना.. थोड़ा जल्दी जल्दी उपर नीचे कर…!

रंगीली बेकाबू होने लगी थी, शंकर के मूसल को हाथ में लेते ही वो उन्माद से भरने लगी, उसकी चूत को बहने पर मजबूर कर दिया उसके स्पर्श ने, वो सब कुछ भूल कर उसके लंड को मुत्ठियाने लगी…

वो ज़ोर-ज़ोर्से उसके लंड को हिलाकर एक तरह से उसकी मूठ ही मारने लगी…

जब उसका हाथ थक गया, तो उसने शंकर को चारपाई पर लिटा दिया, और बोली – ठहर, तुझे हाथ से भी ज़्यादा मज़ा देती हूँ, ये कहकर उसने उसके लंड को अपनी जीभ से चाट लिया…

शंकरा कराहते हुए बोला – हाए.. माँ ये क्या किया तूने… मेरी सू सू से जीभ लगा दी… च्चिि…च्चीी… बहुत गंदी है तू…

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वो आगे कुछ और कहने ही जा रहा था कि तभी उसने उसके लंड को अपने होंठों में क़ैद कर लिया…, शंकर ये देख कर बुरी तरह से हैरान रह गया, कि मूतने वाले लंड को उसकी माँ ने अपने मुँह में ले लिया है…

लेकिन उसे एक तेज झटका तब लगा, जब उसके मुँह में जाते ही उसका लंड बुरी तरह से सख़्त होने लगा, उसे इतना ज़्यादा मज़ा आया कि वो सब कुछ भूलकर अपनी आँखें बंद करके माँ के सिर पर हाथ रखकर उसे अपने लंड पर दबाने लगा…!रंगीली अपने होंठों का दबाब उसके लंड के चारों तरफ बढ़ाती जा रही थी, इसी से उसने अनुमान लगा लिया, कि उसके बेटे के लंड के आगे लाला का लंड भी लुल्ली ही है…!

चूस्ते चूस्ते काफ़ी देर हो गयी, वो एक हाथ से उसके पेलरे भी सहलाती जा रही थी…लेकिन फिर भी शंकर का मक्खन निकलने का नाम ही नही ले रहा था,

लंड चूस्ते चूस्ते उसका मुँह भी दुखने लगा, लेकिन ना जाने उसपर क्या धुन सवार थी, आज अपने बेटे की क्रीम खाकर ही रहेगी…

वो आधे लंड को मुँह में लेकर आधे को मुट्ठी में कस कर मूठ भी मारती जा रही थी…

आख़िरकार उसकी मेहनत रंग लाई, और शंकर ने अपनी कमर हवा में उठाकर दे दनादन पिचकारियाँ अपनी माँ के मुँह में छ्चोड़ दी…

बाप रे इतना मक्खन, उसके मुँह में समा भी नही पाया, और उसके होंठों के किनारों से निकल कर बाहर बहने लगा…!

अच्छे से चाट-चुट कर उसने उसके लंड को सॉफ किया, और पूरी मलाई अपने पेट में पहुँचा दी…

फिर अपनी गीली हो चुकी चूत को लहँगे से रगड़ कर पोन्छा, और बिना कुछ बोले ही वो अपना मुँह चुनरी से पौछती हुई वहाँ से तेज कदमों से चली गयी…!

शंकर ताज्जुब भरी नज़रों से अपनी माँ को बिना कुछ कहे जाते हुए देखता ही रह गया………….!

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आज उसे अपनी माँ के इस नये रूप को देख कर हैरत हो रही थी.., लेकिन जैसे ही उसे कुछ देर पहले की घटना का ध्यान आया, वो रोमांच से भर उठा.

अपनी माँ के द्वारा प्राप्त हुए इस अलौकिक आनंद के बारे में वो सोचने लगा, इससे बड़ा आनंद का क्षण आज तक उसकी अबतक की उम्र में कभी नही मिला था…,

लेकिन वो जानता था कि ये एक अनैतिक कार्य है, जिसे केवल वो स्त्री पुरुष ही कर सकते हैं जो सार्वजनिक जीवन में पति-पत्नी होते हैं, पर ये तो उसकी माँ के द्वारा…???

लेकिन जो भी हो, आज उसकी माँ ने एक नये और अलौकिक आनंद से उसका परिचय करा दिया था, इसके लिए उसके दिल में अपनी माँ के प्रति और ज़्यादा प्रेम और समर्पण के भाव पैदा हो गये…!

उधर अपनी हवस के हाथों बेवस रंगीली ये दुष्कर्म अपने बेटे के ही साथ कर बैठी थी, लेकिन उसके लंड की मलाई पीने के बाद जब उसे होश आया, तो बहुत देर हो चुकी थी…

पर थी तो वो भी एक भरपूर जवान नारी ही, उसकी वासना की आग अभी शांत कहाँ हुई थी, वो तो और बुरी तरह से भड़क चुकी थी, जिसे जल्दी ही शांत नही किया गया, तो ना जाने वो क्या कर बैठे…

कुछ और अनर्थ ना हो जाए इसलिए वो अपने बेटे के पास से तो चली गयी थी, लेकिन तन बदन में भड़की आग को बुझाने का तो कोई उपाय करना ही था, सो वो उसी को बुझाने का इंतज़ाम करने लाला जी की बैठक की तरफ बढ़ गयी…

आज उसकी रस गागर हद से ज़्यादा ही छलक रही थी, उसका लगातार छल्कना उसे परेशान किए दे रहा था, बार बार वो उसे अपने लहंगे में दबाकर सुखाने की कोशिश करती, लेकिन कुछ पलों बाद ही वो फिर से गीली होने लगती…

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शायद ये उसके अपने बेटे के ताक़तवर लंड के एहसास और उसकी भर पेट मलाई का असर था…!

भाग्यवस लाला जी उसे बैठक में अकेले ही मिल गये, जो उसी का इंतेज़ार कर रहे थे, उसे देखते ही लपक कर उन्होने उसे बाहों में भर लिया…!

दो प्यासे जिस्म इस कदर लिपट गये मानो बरसों के बिच्छड़े प्रेमी मिले हों…!

ना जाने क्यों आज लाला भी बहुत उत्तेजित दिखाई दे रहे थे, वक़्त बर्बाद ना करते हुए उन्होने रंगीली को गद्दी पर पटक दिया,

और बिना सारे कपड़े निकाले ही उन्होने उसका लहंगा कमर तक चढ़ाया, और अपना गरमा-गरम लंड उसकी पहले से ही गीली चूत में पेल दिया…!

आआहह….धरमजी, धीरे पेलो रजाअ….सस्सिईइ….माआ….इतने उतावले क्यों हो रहे हो आज…?

लाला जी ने पूरा लंड चेन्प्ते हुए कहा – अरे क्या बतायें रंगीली रानी, कुछ देर पहले ही हमने किसी को अपनी चूत में उंगली करते हुए देख लिया, बस तभी से हमारा लॉडा बैठने का नाम ही नही ले रहा…!

रंगीली सिसकते हुए बोली – सस्स्सिईइ…तो चोदो.. और ज़ोर्से, बुझालो अपने लंड की प्यास…आअहह…और तेज..हाईए… बड़ी चुदास चढ़ि है आपको…पर वो थी कॉन..?

हुउन्ण..हुउंम…मत पुछो…कॉन थी… हम बता नही पाएँगे… लाला धक्कों की रफ़्तार बढ़ाते हुए बोले…

रंगीली अपनी कमर को उचका-उचका कर पूरा लंड जड़ तक लेने की भरसक कोशिश कर रही थी, उसकी चूत में आज भयंकर आग लगी हुई थी…,

सो एक बार झड़ने के बाद भी उसके जोश में कोई अंतर नही आया…, फिर खुद ही उसने लाला को अपने नीचे ले लिया, और उनके लंड की सवारी करते हुए बोली –

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

कोई घर की ही औरत थी क्या..? लाला के मुँह से बस हुउऊन्ण..ही निकला, और वो नीचे से धक्कों का साथ देते हुए रंगीली की चूत में झड़ने लगे…!

उनके साथ ही वो भी अपना पानी फेंक कर उनके उपर पसर गयी…!

उपर लेटे लेटे ही, उसने लाला जी के खुरदुरे गाल से अपना मक्खन जैसा मुलायम गाल रगड़ दिया फिर अपने होंठ उनके होंठों पर रख कर बुद बुदाई, बहू थी कोई…?

लाला ये बात चलाकर फँस गये थे, लेकिन बंदूक से निकली गोली, और ज़ुबान से निकला शब्द कभी वापस नही आ सकते, इसलिए वो उसकी गान्ड सहलाते हुए बोले-

किसी से भूल कर भी इस बात का जिकर मत करना, कि हमारी छोटी बहू खुद ही अपनी चूत में उंगली डालकर अपनी गर्मी शांत कर रही थी…!

रंगीली – मुझ पर विश्वास रखिए आप, ये समझिए ये शब्द अब ताले में बंद हो गये हैं, अब तभी निकलेंगे जब आप खुद निकलवाना चाहेंगे…!

फिर हँसते हुए बोली – पर आपकी नज़र कैसे पड़ गयी उसपर…?

लाला – अरे कल्लू को देखने गये थे, आते में उसके कमरे से सिसकने की आवाज़ सुनाई दी, इतनी बेसहूर औरत गेट भी बंद नही किया और लगी थी टाँगें चौड़ी करके दो-दो उंगली करने…

रंगीली – धरमजी एक बात बोलूं..? कल्लू की दूसरी शादी करने में शायद आपने जल्दबाज़ी करदी, अब बेचारी जवान लड़की, लंड तो उसे भी चाहिए ना, आप अपने उपर से ही देखलो…!

लाला जी – हमें लगता है, कल्लू उसे ठीक से चोद नही पाता है, या शायद बड़ी बहू ज़्यादा सुंदर है, इसलिए वो उसी को ज़्यादा तबज्जो देता होगा…!

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

रंगीली मन ही मन मुस्कराते हुए सोच रही थी, कि वो नामर्द किसी को भी संतुष्ट नही कर पाता लाला, वे दोनो ही प्यासी हैं, कहीं ऐसा ना हो, किसी दिन बीच रास्ते पर बैठकर गाओं के लोगों से चुदवाने लगें…!

लाला ने उसे मौन देख कर कहा – क्या सोच रही हो, हमारी बात का कोई जबाब नही दिया तुमने..?

रंगीली अपनी सोचों को विराम देते हुए बोली – अब मे क्या जबाब दूं, आप खुद ही समझ दार हो, दोनो ही जवान हैं, एक को तबज्ज़ो दें तो दूसरी प्यासी रह ही जाएगी…!

लाला – शायद तुमने सही कहा – हमें कल्लू की दूसरी शादी नही करनी चाहिए थी, अब देखो ना इस बहू को भी आए 6 महीने से उपर हो गये, अभी तक तो कोई खुश खबरी नही है…

कहीं ऐसा तो नही कि कल्लू में ही कोई कमी हो…?

रंगीली – ऐसा क्यों सोचते हैं, कल्लू में कमी होती तो बड़ी बहू के एक बेटी कैसे हो गयी…?

लाला – तो फिर और क्या वजह है, जो अभी तक किसी को कोई बच्चा नही हो पाया…?

रंगीली – कभी कभी बच्चे दानी अपनी जगह छोड़ कर और गहरी चली जाती है, शायद कल्लू का हथियार छोटा पड़ जाता हो, और वो वहाँ तक नही पहुँच पाता हो…!

लाला – तो फिर इसका उपाय क्या है…?

रंगीली थोड़ा झिझकते हुए बोली – जाने दीजिए लाला जी… अब मे कुछ कहूँगी तो शायद आपको बुरा लग जाए, आख़िर में हूँ तो एक नौकर ही इस हवेली की…!

लाला जी ने उसके चेहरे को अपने हाथों के बीच लिया, और उसकी आँखों में देखते हुए बोले – तुम अपने आपको इस हवेली की सिर्फ़ नौकर ही समझती हो..?

तुम्हें पता है, जो बातें हम तुम्हारे साथ कर लेते हैं, वैसी बातें कभी हम सेठानी से भी नही करते.., अगर तुम्हारे पास कोई उपाय है तो निसंकोच कहो..

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

रंगीली ने उनके होंठों को चूम लिया, और बड़ी सोखि से लाला के हथियार को अपने पंजे में कसते हुए बोली –

ऐसा हथियार अगर किसी चूत में जाए, तो साली बच्चे दानी भले ही पटल में क्यों ना छुपि हो, खोज ही लेगा, और वहीं जाकर अपना बीज़ उडेल देगा…!

लाला जी उसकी बात का मतलब समझते हुए बोले – तुम कहना क्या चाहती हो..? क्या हम अपने बेटे की जगह… नही नही…ये कदापि नही हो सकता…!

रंगीली – अपने वंश की खातिर भी नही…!

रंगीली ने सही जगह चोट करदी थी…, लाला सोच में पड़ गये, धर्म संकट में फँसे लाला धरम दास को और कोई रास्ता दिखाई भी नही दे रहा था…तभी रंगीली ने फिर एक हथौड़ा मार दिया…

इसमें कुछ ग़लत भी तो नही, अपने घर की ही तो बात है, घर में ही रहेगी… और फिर आप पहले ऐसे ससुर तो नही हो जो अपने वंश के लिए अपनी बहू को वीर्यादान दे रहे हो,

भूतकाल में बहुत सी ऐसी कथायें हैं जहाँ संतान प्राप्ति के लिए बड़ी बड़ी महारानियों ने पर पुरुष से गर्भ धारण किया है…

इसका सबसे प्रसिद्ध उदाहरण तो महाभारत में ही है, महारानी शत्यवति ने अपनी बहुओं का अपने ही बड़े बेटे वेद व्यास से गर्भाधान कराया था…

लाला – लेकिन वो तो उन्होने अपने तप के तेज से नज़रों द्वारा ही गर्भाधान कर दिया था…!

रंगीली – आपने देखा था कि उन्होने नज़रों से किया था या अपने लंड से ? जो चीज़ जिस काम के लिए ईश्वर ने बनाई है, वो उसी के द्वारा संभव होता है…!

ये सब कहने की बातें हैं लाला जी, इतिहास में उनका नाम बदनाम ना हो इसलिए ये सब कथायें गढ़ दी गयी हैं…!

रंगीली के तर्क ने लाला को सोचने पर विवश कर दिया…, अब उन्हें भी यही एक मात्र रास्ता दिखाई दे रहा था अपनी वंशबेल को आगे बढ़ाने का…!

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

लाला ने रंगीली की बात से सहमत होते हुए कहा – लेकिन क्या कोई बहू इस बात के लिए सहमत होगी, हमारा मतलब है, कैसे हम उनको कहेंगे कि तुम हमसे संबंध बना लो…!

रंगीली – बड़ी बहू तो शायद इस बात के लिए कभी राज़ी होगी भी नही, हां छोटी बहू को पटाया जा सकता है, अगर आप कहें तो इसके लिए मे कुछ कोशिश कर सकती हूँ…

सीधे तौर पर तो उसको नही बोल सकते, लेकिन मौका देखकर उसे अपने इस हथियार के दर्शन कराते रहे तो शायद वो जल्दी ही आपके नीचे होगी…!

लाला को भी बात जमने लगी थी, और कहीं ना कहीं वो भी अब नयी चुत की चाहत में बोले – ठीक है, तुम कोशिश शुरू करो, हम तैयार हैं.., ये कहकर उन्होने उसकी मस्त मदमाती गान्ड को मसल दिया…!

नयी चूत मिलने की कल्पना मात्र से ही लाला का सोया हुआ सिपाही फिर से जंग लड़ने को उठ खड़ा हुआ…!

रंगीली ने कामुक कराह भरते हुए कहा – आआहह…लाला जी, देखा, बहू की चूत के नाम से ही आपका शेर गुर्राने लगा…!

लाला अपनी खीँसें निपोर्ते हुए बोले – हहहे..ऐसा नही है, वो तो तुम्हारी मुनिया की गर्मी पाकर खड़ा हो गया है…!

फिर उन्होने उसे नीचे पलट दिया, उसकी टाँगों को अपने कंधों पर रखकर उसकी चूत को उपर उठा लिया, और एक जोश से भरा धक्का रंगीली की चूत में जड़ दिया…

लाला का लंड एक ही झटके में सरसराता हुआ जड़ तक उसकी चूत में खो गया…!

उनके इस जोश को देख कर रंगीली मन ही मन मुस्करा उठी…, और कराह कर बोली –
आअहह…. राजाजी, लगता है बहू की चूत समझकर एक ही झटके में पूरा पेल दिए हो…,

आहह….सस्सिईईई….उउफ़फ्फ़ ….जो भी हो पर मज़ा आ गया.., अब पेलो मेरे राजाजीी… ज़ोर-ज़ोर से, फाड़ दो मेरी चूत.

दिखा दो अपने लंड की ताक़त निगोडी इस चूत को, कि आज भी इसमें दस बच्चे पैदा करने की ताक़त है…

रंगीली की कामुक बातों का इतना असर हुआ कि लाला अपना पूरी दम-खम लगाकर उसे चोदने लगे, ऐसे सुलेमानी धक्कों से रंगीली की मुनिया खुशी के आँसू बहाने लगी,

वो किसी जोंक की तरह लाला की गान्ड को अपने पैरों में कस कर जबरदस्त तरीक़े से झड़ने लगी….

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

लाला भी दो-चार तगड़े धक्के मार कर अपनी पिचकारी छोड़ते हुए हाँफने लगे और उसके उपर पड़े रह गये….!

कुछ देर बहू को पटाने का प्लान तय करके वो अपने काम काज में जुट गयी, और लाला अपनी नयी कमसिन बहू को चोदने के ख्वाबों में खो गये……………!

आज सनडे का दिन था, रंगीली चौक में बैठकर सील पर लाला जी के लिए ठंडाइ बना रही थी, बादाम, पिसता, काजू, किस्मीस, सौंफ, इलायची मिक्स ठंडाइ वो लाला के लिए रोज़ सुवह ही सुवह घोंटति थी…!

नज़र बचाकर उसी में से वो शंकर को भर ग्लास दूध मिक्स ठंडाइ का पिला देती थी, उसकी कसरत के बाद…!

तभी उसे छोटी बहू लाजो रसोई घर में घुसती हुई दिखाई दी,

उसने शंकर को आवाज़ दी, वो अपनी माँ की एक आवाज़ पर दौड़ा चला आया,

उसने उँची आवाज़ में उससे कहा जिससे लाजो भी सुन ले..- बेटा देख तो रसोई घर में ठंडाइ का समान रखा है, थोड़ा सा छोटी बहू से पुछ्कर ला तो, साथ में कल्लू भैया के लिए भी बना दूं…

अपनी माँ का आदेश सुनकर वो रसोई की तरफ चल दिया, पीछे से रंगीली के होंठों पर मुस्कान तैर गयी…!

रसोई में जाकर शंकर ने लाजो से कहा – छोटी भाभी माँ ने ठंडाइ का समान मँगाया है, कहाँ रखा है…!

अपने सामने शंकर को देख कर उसके बदन के रोंगटे खड़े हो गये, वो उसके एकदम पास जाकर धीमी आवाज़ में बोली –

एक बार मेरी ठंडाइ चख कर देखो राजा, बहुत स्वादिष्ट है…, बार बार चाटने का मन करेगा…

ये कहकर उसने उसकी कमर में अपनी बाहें लपेट दी, और उसके बदन से चिपक गयी,

वो एकदम से हड़बड़ा गया, और अपने बदन को हिलाते हुए बोला – ये क्या कर रही हो आप, छोड़ो मुझे वरना माँ आ गई तो बहुत मारेगी मुझे…!

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

वो – इतना क्यों डरते हो अपनी मा से, उसे मे संभाल लूँगी, तुम बोलो पीओगे मेरी ठंडाइ…, बहुत ज़ायकेदार है..!

ये कहकर उसने उसके चौड़े सीने को चूम लिया, और अपने आमों को उसके बदन से रगड़ने लगी,

शंकर की हालत खराब होने लगी, उसे ये डर सताने लगा कि अगर कहीं फिर से उसका लंड खड़ा हो गया, तो उसकी माँ खम्खा उसे डान्टेगी..

सो उसने उसके बाजू पकड़कर अपने से अलग किया, कि तभी उसकी नज़र दरवाजे पर खड़ी अपनी माँ पर गयी,

उसने फ़ौरन अपने आपको लाजो से अलग किया और अपनी माँ से बोला – तू ही देख ले माँ, मुझे कहीं नही मिला समान, ये कहकर वो तेज़ी से बाहर निकल गया…!

उधर जैसे ही लाजो ने सुना जो शंकर ने कहा था, वो फ़ौरन से पलटी, और सामने रंगीली को खड़े देखकर उसकी गान्ड फट गयी…!

वो हकलाते हुए बोली – अरे रंगीली काकी तूमम…वऊू मे…समान ढूँढ ही रही थी, मेने शंकर भैया को बोला कि रूको अभी देखती हूँ..पर वू…

रंगीली अपने चेहरे पर गुस्से वाले भाव लाकर बोली – वो तो मे देख ही रही हूँ छोटी बहू, तुम कॉन्सा समान ढूँढ रही थी…, भले ही आप इस हवेली की बहू हो, लेकिन मेरे बेटे से दूर रहो वरना….!

लाजो अपने अधिकार जताते हुए बोली – वरना… वरना क्या..? दो टके की नौकर ज़ुबान चलाती है, दो मिनिट नही लगेंगे हवेली से बाहर करवा दूँगी, बड़ी आई बेटे वाली…,

ऐसे क्या तेरे बेटे में सुरखाब के पर लगे हैं, जो मे उसके पास जाउन्गि, अरे वो ही मुझे पकड़ रहा था…!

रंगीली – अच्छा, वो पकड़ रहा था, कि आप उससे चिपकी हुई थी, और ये पहली बार नही है, पहले भी तुम्हारी वजह से उस बेचारे पर मार पड़ चुकी है,

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

सुनो छोटी बहू, तुम क्या मुझे इस हवेली से बाहर करवाओगी, अगर मेने तुम्हारी ये हरकतें मालिक और मालकिन को बता दी ना, तो जानती हो

क्या होगा…?

धक्के मारकर कल्लू भैया खुद तुम्हें इस हवेली से बाहर कर देंगे, फिर जाकर रहना अपने उसी राजमहल में जहाँ से आई हो…

हमारा क्या है, हम तो पहले भी ग़रीब थे आज भी ग़रीब हैं…, मेहनत मज़दूरी करके हवेली के बाहर भी पेट भर ही लेंगे…!

पासा पलटे देख, लाजो फ़ौरन गिरगिट की तरह रंग बदलकर उसके सामने हाथ जोड़कर बोली – मुझे माफ़ करदो काकी, मे अपने आप पर काबू नही कर पाई,

पर मे भी क्या करूँ, मुझे जिस काम के लिए ब्याहकर इस हवेली में लाया गया है, वो काम मे कैसे करूँ..?

रंगीली – तुम कहना क्या चाहती हो छोटी बहू..? क्या कल्लू भैया आपको खुश नही रख पाते…?

लाजो – जाने भी दो काकी, मे कह नही पाउन्गि, और आप सुन नही पाओगि, बस गीली लकड़ी की तरह सुलग रही हूँ यहाँ, ये कहकर उसकी आँखें भीग गयी…!

रंगीली ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा – खुलकर कहो क्या दुख है आपको यहाँ, सारी सुख सूबिधायें तो हैं, और क्या चाहिए…?

लाजो – आप एक औरत होकर इस तरह की बात कर रही हो, क्या एक औरत को सिर्फ़ धन-दौलत या महल तिबारे से ही खुशी मिलती है, और फिर धन दौलत से ही वारिस पैदा हो जाता तो इनकी दूसरी शादी क्यों की…?

रंगीली – मे आपकी बात समझ नही पा रही, आप कहना क्या चाहती हो…! साफ-साफ बताओ बात क्या है…?

लाजो – साफ-साफ सुनना चाहती हो तो सुनो, आपके मालिक के बेटे में बच्चे पैदा करने की क्षमता ही नही है………,

लाजो भभक्ते स्वर में आगे बोली – अरे जो मर्द किसी औरत को गरम तक ना कर पाए, वो बच्चे क्या खाक पैदा कर सकता है…

इसलिए मेने सोचा कि अगर इस घर को वारिस देना है, तो दूसरा रास्ता ही देखना पड़ेगा, इसलिए में शंकर भैया के साथ…..

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

अपनी बात अधूरी छ्चोड़कर लाजो चुप हो गयी…!

उसकी बात पर रंगीली चोन्कने की जबरदस्त आक्टिंग करते हुए बोली – हाए राम, ये आप क्या कह रही हैं छोटी बहू, नही..नही… ऐसा नही हो सकता,

अगर ऐसा होता, तो बड़ी बहू को एक बिटिया कैसे हो गयी..?

लाजो – यही सोचकर तो मे हैरान हूँ, लेकिन सच मानो काकी, पहली रात से ही वो मुझे आज तक वो सुख नही दे पाए जो एक औरत को मिलना चाहिए…!

रंगीली कुछ देर खड़ी उसके चेहरे को देखती रही, फिर उसने लाजो के कंधे पकड़ कर कहा – मे सब समझ गयी छोटी बहू…!

और ये भी जानती हूँ, कि अगर इस हवेली में आपको मान-सम्मान चाहिए तो वारिस पैदा करना ही पड़ेगा… लेकिन इसके लिए मे अपने बेटे की बलि नही दे सकती…

वो अभी बहुत मासूम है, अरे उसे तो अभी तक स्त्री-पुरुष के संबंधों के बारे में भी ज्ञान नही होगा, फिर वो भला आपको वो सब कैसे दे सकता है, जिसकी आपको ज़रूरत है…!

लाजो – मे आपके आयेज हाथ जोड़ती हूँ काकी, शंकर भैया को मे सब कुछ सिखा दूँगी, बस आप एक बार हां करदो…!

रंगीली – कैसे हां कर दूं छोटी बहू, वो अभी नादान है, भूल से भी ये बात किसी को पता चल गयी, तो…ना..ना…कल्लू भैया मेरे बेटे की जान ही ले लेंगे…, उसे तो आप माफ़ ही कर दो…!

लाजो – तो फिर मे क्या करूँ ? आप ही कुछ रास्ता दिखाइए मुझे,

कहीं ऐसा ना हो कि नादान सासुमा, पोते की चाह में इनकी एक और शादी करदें, और फिर एक और बेचारी बेबस नारी हवेली में आकर तड़पति रहे…!

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रंगीली सोचने लगी, कि यही सही समय है इसे वो रास्ता सुझाने का जिसपर इसे ले जाने का मेने सोचा है, वो मन ही मन अपनी कामयाबी पर खुश होते हुए बोली –

रास्ते बनाने पड़ते हैं बहू रानी, चलना चाहो तो तुम्हारे तो बिल्कुल सामने ही एक शानदार सड़क है, अगर चल सको तो…

लाजो तपाक से रंगीली के हाथों को अपने हाथों में लेकर बोली – बताओ ना काकी किस सड़क की बात कर रही हो, मे हर वो रास्ता अख्तियार करने को राज़ी हूँ, जिससे इस हवेली को वारिस दे सकूँ…!

रंगीली उसका उतावला पन देख कर मंद-मंद मुस्कराते हुए बोली – मालिक के बारे में क्या ख़याल है आपका…?

लाजो विश्मय से उसके चेहरे की तरफ देखते हुए बोली – आपका मतलब ससुरजी से है..?

रंगीली – हां ! क्यों क्या कमी है उनमें ? देखा नही आज भी उनके चेहरे का तेज, किसी जवान मर्द से ज़्यादा चमकता है उनका ललाट…,

अरे अभी उनकी उमर ही क्या है, मर्द तो 60 साल में भी बच्चे पैदा कर देते हैं…, वो तो अभी इससे बहुत कम हैं…!

लाजो – ऐसा आपने सोच भी कैसे लिया, कि मे अपने पिता समान ससुर से संबंध बना लूँगी,

रंगीली – क्यों ? अपने पिता समान ससुर से संबंध नही बना सकती और मेरा बेटा तो एक नौकरानी का बेटा है उससे संबंध बना सकती हो…!

सोच लो, मेने रास्ता बता दिया है, चलना ना चलना आपके उपर है, वैसे आप पहली औरत नही हो जो ऐसा कर रही हो, बहुत से उदाहरण मे दे सकती हूँ,

महाभारत में महारानी कुंती के पाँचों पुत्रों में से एक भी राजा पांडु के अंश से पैदा नही था… सबके सब पिता तुल्य देवो से ही पैदा हुए थे…

लाजो – वो तो उनके आशीर्वाद मात्र से ही पैदा हो गये थे…!

रंगीली – सब कहने की बातें हैं, किसी ने देखा था क्या…, जो काम जिस तरीक़े सो होता है उसी से होगा ना…!

अगर ऐसा ही संभव होता, तो परमात्मा ये चीज़ें बनाता ही क्यों..?

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लाजो उसके तर्क सुनकर सोच में पड़ गयी, उसे सोचते देख कर रंगीली बोली – आप सोचो, मे चली बहुत काम पड़े हैं मेरे लिए…!

फिर वो जैसे ही चलने को मूडी, लाजो ने फ़ौरन उसका हाथ पकड़ लिया और बोली – लेकिन काकी, मे ससुरजी के सामने तक नही पड़ी अभीतक, फिर ये कैसे संभव होगा…!

रंगीली – तो सामने पड़ना शुरू करो, नयी-नयी जवान लड़की हो, थोड़ा बहुत अपनी जवानी के जलवे बिखेरो उनके सामने…

औरत अगर अपनी पे आजाए तो अच्छे-अच्छों का ताप भंग कर देती है, मालिक तो फिर भी आम इंसान ही हैं, आओ मेरे साथ, उनकी ठंडाइ तैयार है, लेके जाओ उनके पास…

पुच्छे तो कह देना, रंगीली काकी उनके लिए (कल्लू) ठंडाइ बना रही हैं, इसलिए मे ही ले आई , कुछ देर उनके साथ समय बिताओगी तो अपने आप झिझक कम होगी..

लाजो को ठंडाइ का ग्लास थामकर उसका कंधा दबाते हुए रंगीली ने उसे हौसला देकर बैठक की तरफ भेज दिया..

उसे जाते हुए देखकर वो कुछ देर वहीं खड़ी खड़ी अपनी कामयाबी पर मुस्कुराती रही…., और फिर कुछ देर बाद खुद भी उसी तरफ चल दी…!

सेठ धरमदास इस वखत अपने बही खातों में उलझे थे, अभी कुछ देर पहले ही मुनीम जी, सारा हिसाब किताब समझाकर गये थे…, जिसे वो फिर से चेक कर रहे थे…!

तभी उन्हें बैठक में पायल की झणकार सुनाई दी, उन्होने अपना सिर उठाकर दरवाजे की तरफ देखा, सिर पर पल्लू डाले, उनकी छोटी बहू हाथ में ठंडाइ का ग्लास पकड़े उनकी तरफ आ रही थी…

थोड़े से घूँघट जो कि उसकी नाक तक ही था, उसमें से उसके लाल-लाल लिपीसटिक से पुते मोटे-मोटे होंठ और उसकी गोरी गोरी थोड़ी दिखाई दे रही थी…!

धीरे – धीरे अपनी पायल छन्काति हुई वो उनके पास आकर खड़ी हो गयी, और ग्लास उनकी तरफ बढ़ाती हुई बड़ी मधुर आवाज़ में बोली – पिताजी आपकी ठंडाइ…!

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

लाला जी ने कुछ देर उसके घूँघट में छुपे चेहरे पर नज़र डाली, फिर उसके हाथ से ठंडाइ का ग्लास लेते हुए उन्होने अपनी नज़र घूमकर अपने खातों पर कर ली,

ग्लास पकड़ने के बहाने उनकी उंगलियाँ लाजो के हाथ से छू गयी…

लाला के गरम-गरम हाथ का स्पर्श पाकर लाजो अंदर तक सिहर गयी, ग्लास को उसके हाथ से लेते हुए वो बोले – अरे बहू तुमने क्यों कष्ट किया, रंगीली कहाँ गयी…?

लाजो – वो पिताजी रंगीली काकी उनके लिए भी ठंडाइ बना रही हैं, इसलिए मे ही ले आई, अगर आपको अच्छा ना लगा हो तो आइन्दा नही लाउन्गि…!

लाला – अरे..अरे.. नही बेटा ऐसी कोई बात नही है, हम तो बस ऐसे ही बोले, की तुमने आने की तक़लीफ़ क्यों कि किसी और नौकर के हाथ भिजवा देती,

अगर तुम्हारा मन करता है यहाँ हमारे पास आने का तो ज़रूर आओ, तुम्हारा अपना घर है, कहीं भी आने जाने के लिए तुम्हें किसी की इज़ाज़त की ज़रूरत नही है…!

आओ थोड़ी देर बैठो हमारे पास, हम अभी ग्लास खाली करके देते हैं…, लाजो घुटने टेक कर उनके सामने बैठ गयी, और उन्हें अपने पैर आगे करने को कहा –

पिताजी अपने पैर दीजिए, हमें आपके पैर पड़ना है,

लाला ने अपने पैर आगे करते हुए कहा – अरे बहू इसकी क्या ज़रूरत है, हमारा आशीर्वाद तो वैसे ही हमेशा तुम्हारे साथ है…!

लाजो ने अपने ससुर के पैर छुने के लिए जैसे ही अपने हाथ आगे किए, उसका आँचल धलक गया, चौड़े गले से उसके 34” की गोरी-गोरी मोटी चुचियाँ कसे हुए ब्लाउस से बाहर को छलक पड़ी…

दोनो आमों के बीच की खाई पर नज़र पड़ते ही, लाला का लंड धोती में सिर उठाने लगा, उन्होने अपनी टाँगें जान बूझकर फैला रखी थी, लाजो ने अपने ससुर के पैर छुने के लिए जैसे ही अपने हाथ आगे किए, उसका आँचल धलक गया, चौड़े गले से उसके 34” की गोरी-गोरी मोटी चुचियाँ कसे हुए ब्लाउस से बाहर को छलक पड़ी…

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

दोनो आमों के बीच की खाई पर नज़र पड़ते ही, लाला का लंड धोती में सिर उठाने लगा, उन्होने अपनी टाँगें जान बूझकर फैला रखी थी,

लाजो हिल-हिलकर उनकी पिंदलियों तक अपने मुलायम हाथों से पैर अच्छे से दबाते हुए छू रही थी…, जिससे उसकी भारी-भरकम छातियों का उपरी भाग भी हिलोरे लेने लगा…!

लाला के लंड को ज़्यादा सबर नही हुआ, और वो जल्दी ही खड़ा होकर उनकी धोती से मुँह चमकाने लगा,

अपने ससुर के शानदार लंड के दर्शन मात्र से ही लाजो की चूत गीली होने लगी, वो मन ही मन सोचने लगी, रंगीली काकी ठीक ही कहती थी, इनका हथियार मुझे ज़रूर ग्याभन कर देगा…!

वो जान बूझ कर ज़्यादा देर तक उनके पैर दबाती रही…, फिर लाला ने उसके सिर पर आशीर्वाद स्वरूप हाथ फेरा, और उसकी पीठ सहलाते हुए उसके कंधे पकड़ कर बोले…

बस करो बेटा, अब बहुत हुआ, खुश रहो, भगवान करे चाँद सा टुकड़ा जल्दी ही तुम्हारी गोद में खेले…!

ससुर के ये शब्द सुनते ही उसने जानबूझकर एक लंबी सी हिचकी ली,

उसके होंठ इस तरह काँपने लगे, मानो वो किसी गम में हो और अपनी रुलाई को रोकने की कोशिश कर रही हो……!

लाला ने उसके कंधे सहलाते हुए कहा – अरे बहू क्या हुआ, तुम रो क्यों रही हो ?…, हमने कुछ ग़लत कह दिया क्या…?

लाजो बिना कोई जबाब दिए ज़ोर ज़ोर्से सुबकने लगी…, लाला ने उसी पोज़िशन में उसके कंधे पकड़ कर अपनी ओर खींचा, और उसे अपने सीने से सटाते हुए बोले –

क्या पार्वती ने कुछ कहा तुमसे, हमें बताओ बहू, क्या बात है…?

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

लाला के अपनी ओर खींचने से उसके मोटे-मोटे मुलायम दशहरी आम उनकी छाती से जा लगे, और उनका आधा खड़ा जंग बहादुर उसकी रामप्यारी के नीचे सेट हो गया…!

लाजो ने अपनी रुलाई को और तेज करते हुए अपने ससुर की पीठ पर अपनी बाहें कस दी…और उनके गले से लग कर रोने लगी…!

लाला का लंड उसकी गान्ड और चूत के बीच वाले रिस्ट्रिक्टेड एरिया में अपने जलवे बिखेर रहा था, बहू की चूत की गर्मी पाकर वो अपने पूरे शबाब में आने लगा था..

लाजो ऐसे कड़क लंड को अपनी चूत और गान्ड के बीच महसूस करके गन्गना उठी, उसकी प्यासी चूत में मानो ज्वालामुखी फट पड़ा हो, वो किसी भट्टी के मानिंद दहक उठी…

उसकी प्यासी चूत गीली हो उठी और जल्दी ही उसमें से टप-तप रस टपक कर उसकी पैंटी को गीला करने लगी…

लाला के हाथ उसकी पीठ को सहला रहे थे, जब उनकी उंगलिया उसकी ब्रा की स्ट्रीप से टकराई, तो वो उनसे और ज़ोर्से चिपक गयी…!

एक हाथ से पीठ सहलाते हुए, दूसरे हाथ को उसकी नंगी कमर पर रखकर लाला बोले – कुछ बताओगी भी बहू बात क्या है, ऐसे क्यों रो रही हो…!

लाजो सुबक्ते हुए बोली – व.वो..वो…आपने चाँद से टुकड़े को गोद में खेलने वाली बात कही ना…

लाला – हां.. हां.. तो क्या तुम नही चाहती, कि इस घर में एक नन्हा मुन्ना वारिस आए, और वो तुम्हारी गोद में खेले…!

लाजो – हम तो बहुत चाहते हैं पिताजी…पर…, उसने अपनी बात अधूरी छोड़ दी..

लाला – पर..! पर क्या बहू.., क्या कल्लू तुमसे प्यार नही करता..? क्या वो तुम्हारे पास नही आता..?

लाजो – वो बात नही है… वो तो आते भी हैं, और प्यार भी करते हैं.., पर…

लाला जी – तो फिर क्या बात है बहू, साफ-साफ कहो बेटा, देखो हम तुम्हारे पिता समान हैं, हमसे कुछ मत छिपाओ, बोलो फिर क्या बात है…!

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

लाजो – कैसे कहें, हमें बहुत शर्म आरहि है, बोलते हुए…!

लाला – शरमाओ नही बहू, खुल कर कहो…

लाजो – वो..वो..कुछ कर नही पाते हैं…!

लाला – क्या..???? क्या कहा तुमने..? कल्लू तुम्हें चो… मतलब बिस्तर पर खुश नही कर पाता…?
अपने सुसर के मुँह से आधा अधूरा शब्द सुनकर उसके कान गरम हो गये…

वो वासना में नहाई हुई आवाज़ में उनके बालों भरे चौड़े सीने को सहलाते हुए बोली –

हां पिताजी, हम सारी रात अपने बदन की आग में जलते रहते हैं, और वो शराब के नसे में दो मिनिट में अपना ….. छोड़ कर.. हाँफने लगते हैं, और सो जाते हैं…

अब बताइए, हम कैसे आपकी इच्छा पूरी करें…?

अपनी बहू के खुले शब्दों में स्वीकार करने के बाद, कि उनका बेटा किसी काम का नही है, वो उसके कूल्हे पर अपना हाथ ले जाकर उसे सहलाते हुए बोले – तो अब तुम क्या चाहती हो बहू..?

हमें माफ़ करदो, बिना अपने बेटे की कमज़ोरी जाने हम तुम्हें ब्याहकर इस घर में ले आए, इस आस में कि शायद तुम वो खुशी दे सको जो बड़ी बहू नही दे पाई…

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

खैर अब तुम बोलो, क्या चाहती हो, चाहो तो इस घर से जा सकती हो, हम तुम्हारी दूसरी शादी किसी अच्छे घर में करवा देंगे…!

लाजो – हम तो इसी घर में रहना चाहते हैं, पर किसी तरह इस घर को वारिस दे पायें, बस यही इच्छा है…!

लाला अब अपना हाथ उसकी गान्ड की दरार तक ले आए थे, उसमें अपनी उंगली से सहलाते हुए बोले – तुम चाहो तो हम कोशिश कर सकते हैं, बोलो लोगि हमारा बीज़…

वो उनके चौड़े सीने में अपनी मोटी-मोटी चुचियों को दबाते हुए बोली – इस घर की खुशी के लिए हम कुछ भी करने को तैयार हैं पिताजी…!

उसके मुँह से ये सुनते ही लाला की बान्छे खिल उठी, वो सोचने लगे, कि रंगीली की तरक़ीब तो बड़ा जल्दी काम कर गयी, लगता है उसने पहले से ही इसको भी ऐसा ही कुछ पाठ पढ़ाकर भेजा है…

वो मन ही मन उसे दाद देते हुए बुद्बुदाये… वाह.. मेरी जान, मान गये तुम्हें, क्या चाल चली है…!

उन्होने उसके कंधे पकड़कर उसे अपने सीने से अलग किया, और अपने हाथों को उसकी चुचियों पर ले जाकर उसकी आँखों में देखते हुए बोले – हमसे संबंध बनाने में तुम्हें कोई एतराज तो नही बेटा…?

लाजो ने अपने मुँह से जबाब देने की वजाय, अपने लाल-लाल लिपीसटिक से पुते होंठों को ससुर के होंठों से जोड़ दिया, लाला के हाथ उसकी चुचियों पर कसते चले गये…

दरवाजे से आँख और कान सटाये खड़ी रंगीली ये देख कर मन ही मन मुस्करा उठी, वो तो सोच रही थी, कि एक-दो दिन में वो इन दोनो को पास ले आएगी,

पर यहाँ तो कुछ मिनटों में ही 20-20 मॅच शुरू होने लगा था…! लगता है साली नंबरी छिनाल औरत है ये…!

लाला ने अपनी बहू को वहीं गद्दी पर लिटा दिया, उसके ब्लाउस के बटन खोलते हुए बोले –

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

एक बार और सोचलो बहू, अगर तुम्हारा दिल गवाही ना दे रहा हो तो, जा सकती हो…
वो अपने ससुर के लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर बोली – आअहह… ससुरजी, अब इस हथियार को छोड़ कर कहाँ जाउ, हो सकता है यही मेरी कोख हरी कर्दे,

लाला उसकी चुचियों को नंगा करके उन्हें मसल्ते हुए बोले – तुम बहुत समझदार हो बहू, बस अब तुम देखती जाओ, कितनी जल्दी तुम्हारी गोद हरी-भरी करते हैं हम..

ये कहकर उन्होने उसकी साड़ी को कमर तक चढ़ा दिया, पैंटी के उपर से से उसकी गीली चूत को सहलाते हुए बोले…

आअहह…बहू तुम तो पूरी गीली हो रही हो..,

लाजो ने अपने ससुर ले लौडे को मुठियाते हुए कहा – ससिईइ…ससुरजी, आपका ये मतवाला हथियार देखते ही ये आँसू बहाने लगी…, अब डाल दो इसे इसमें…

लाला ने उसकी पैंटी भी निकाल दी और अपने लौडे पर थूक लगाकर बहू की रसीली सुरंग में अपना गरम लॉडा सरका दिया…

चुदैल बहू, अपनी आँखें बंद करके सिसकारी लेती हुई पूरा लॉडा बड़े आराम से अपनी सुरंग में ले गयी…!

लाला अपनी बहू की गरम चूत मारकर खुशी से फूले नही समाए.., उसके आमों को चूस्ते हुए वो उसे हुमच-हुमच कर चोदने लगे….!

चुदाई की मास्टरनि लाजो अपनी कमर उच्छाल-उच्छाल कर ससुर का लंड जड़ तक अपनी चूत में लेने लगी..,

आज मुद्दतो बाद उसकी चूत की मन मुताविक कुटाइ हो रही थी.., अपने ससुर का मतवाला लंड लेकर वो मन ही मन खुश होकर चुदाई का आनंद लूटने लगी…

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

जब दोनो का ज्वालामुखी शांत हो गया, तो वो अपने कपड़े पहनकर ससुर के मतवाले लंड को चूमकर अपनी गान्ड मटकाती हुई बैठक से बाहर जाने लगी…

पीछे लाला अपने लंड को शाबासी देते हुए बोले – वाह मेरे शेर, अब जल्दी से अपना कमाल दिखा, और बहू को ग्यभन कर्दे…,

उधर जब रंगीली को लगा कि अब इनकी रासलीला ख़तम हो गयी, और ये पायल छन्काति हुई बाहर आ रही है, वो लपक कर वहाँ से हट गयी, और अपने काम में लग गयी….!

उसने जैसा सोचा था वैसा ही हो रहा था, छोटी बहू को अपने ससुर से चुदवा कर वो बड़ी खुश थी, अब लाला उससे कभी ऊँची आवाज़ में बात नही कर सकता था…

बाहर आकर जैसे ही उसका सामना रंगीली से हुआ, उसने छेड़ते हुए कहा – क्या बात है छोटी बहू, बहुत देर लगा दी ससुरजी को ठंडाइ पिलाने में…!

लाजो ने शरमा कर अपनी नज़रें झुका ली और उसके नज़दीक आकर बोली – थॅंक यू काकी, आपने रास्ता बताकर मेरी समस्या का समाधान करवा दिया…!

रंगीली अपने मुँह पर हाथ रख कर बोली – हाए दैया…इसका मतलब पहली मुलाकात में ही सब काम हो गयी..?

तुम तो बड़ी तेज निकली बहू रानी.., जाते ही ससुरजी के हथियार पर धाबा बोल दिया क्या..?

लाजो ने शर्म से अपना सिर झुका लिया और मुस्कराते हुए उसने रंगीली को सारी बातें कह सुनाई, जिन्हें वो पहले से ही जानती थी…..!

रंगीली को पूरा विश्वास था, कि अब लाला के बीज़ में वो बात नही रही कि वो किसी के बच्चा पैदा कर सके, किसी को ग्याभन कर सके.., और ये हक़ीक़त जल्दी ही उनके सामने आने वाली थी…,

लेकिन अब बहू और ससुर उसके इशारों पर नाचने वाले ज़रूर थे…!

वो इन दोनो के संबंध की चश्मदीद गवाह ही नही, इस नाटक की पटकथा भी खुद उसी ने लिखी थी……!

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

लाला और छोटी बहू एक बार शुरू क्या हुए, अब तो वो हर संभव अपने ससुर के लंड पर चढ़ि रहना चाहती थी, इस वजह से अब रगीली और लाला की चुदाई में ब्रेक सा लग गया…!

इसकी भरपाई वो अपने पति रामू से करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन वो उतना मज़ा नही ले पा रही थी, जो उसे अब तक लाला के साथ मिलता था…!

दिन महीनो में और महीने साल में बदल गये, लेकिन लाला को लाजो की तरफ से अभी तक कोई खुश खबरी सुनने को नही मिली, वो दोनो अब हताश होने लगे थे !

लाला को अपनी औकात जल्दी ही पता चल गयी, अब उन्हें समझ में आ गया था, कि वो अब इस काबिल नही रहे कि किसी को ग्याभन कर सकें,

लेकिन लाजो को इस बात का कोई टेन्षन नही था, उसे कम से कम एक भरपूर लंड से चुदाई का साधन तो मिल गया था, जिसे अब वो किसी कीमत पे छोड़ना नही चाहती थी…,

लाला ने एक दो बार उसे मना भी किया, बहू अब कोशिश करना बेकार है तुम अब हमारे पास मत आया करो…,

लेकिन वो कहाँ मानने वाली थी, ज़बरदस्ती उनके लंड को पकड़ कर बोल देती, ससुर जी अब आप ही बताओ मे अब कहाँ जाउ अपनी प्यास बुझाने…?

इस डर से की जवान बहू कहीं बाहर जाकर हर किसी से ना चुदवाने लगे, वो बेचारे उसकी प्यास बुझाने की कोशिश करते रहते………….!

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

उधर शंकर को जबसे उसकी माँ ने उस अलौकिक आनंद से उसका परिचय कराया था, वो उसे फिर से पाने के लिए ललायत रहने लगा…,

गाहे बगाहे वो अपनी माँ के बदन से लिपट जाता, पीछे से लिपटकर उसके गले को चूम लेता…उसे ये एहसास दिलाने की कोशिश करता कि वो फिर से ऐसा कोई चमत्कार करे जैसा उस दिन किया था उसका लंड चुस्कर…,

लेकिन रंगीली तो कुछ और ही सोच रही थी, जिसका अंदाज़ा शंकर जैसे नादान नव-युवक को कभी नही हो सकता था…!
कई बार वो ऐसा दिखाती कि वो भी उसे लिफ्ट दे रही है, लेकिन वो जैसे ही कुछ आगे बढ़ने की कोशिश करता कि वो उसे झिड़क कर अपने से दूर कर देती…!

इसके पीछे रंगीली का एक ही मक़सद था, कि शंकर अपने आप पर काबू करना सीखे, और दूसरा कारण उसकी कम उम्र, वो नही चाहती थी इस कच्ची उम्र में ही वो अपने वीर्य को यौंही बेकार जाया करता रहे………………..!

आज दोपहर से ही हल्की-हल्की बूँदा-बाँदी हो रही थी, स्कूल से छूटने के बाद शंकर ने अपना और सलौनी का स्कूल बॅग एक बरसाती बॅग में पॅक करके साइकल के कॅरियर पर कसा जिससे उनकी किताबें गीली ना हो और छोटी बेहन को आगे बिठाकर वो घर की तरफ चल दिया…!

थोड़ी ही देर में उनके कपड़े गीले होकर बदन से चिपक गये, सलौनी ने अपना सिर भाई की चौड़ी छाती से सटा लिया, और आँखें बंद करके चेहरे पर पड़ रही ठंडी-ठंडी बूँदों का मज़ा लेने लगी…!

भाई के शरीर की गर्मी पाकर उसके बदन में हलचल शुरू हो गयी, वो अपने भाई के स्पर्श को महसूस करके उत्तेजित होने लगी…!

सफेद स्कूल शर्ट भीगने से उसके बदन से चिपक गयी थी, जिसमें से उसकी हरे रंग की समीज़ साफ-साफ दिखाई दे रही थी, ब्रा अभी तक उसे पहनने को नही मिली थी..

गीली समीज़ में उत्तेजना के कारण उसके नन्हे-मुन्ने किस्मिस के दाने जैसे निपल कड़क होकर सामने से अपना इंप्रेशन दिखाने लगे, जिन्हें उपर से शंकर साफ देख पा रहा था…!

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

माँ के साथ हुए उस दिन के घटनाक्रम के बाद से अब उसके मन में भी नारी शरीर के प्रति उत्सुकता बढ़ती जा रही थी,

वो उसके नुकीले निप्प्लो को देख-देखकर उत्तेजना से भरने लगा.., इसी वजह से अंडरवेर में उसका नाग अपना फन फैलने लगा…!

उसके लंड के उभार को सलौनी ने अपनी पीठ पर महसूस किया, वो मन ही मंन खुश होने लगी, उसे पूरा विश्वास था, कि उसकी तरह उसका भाई भी उत्तेजित हो रहा है..

उसने अपने कच्चे अमरूदो की झलक अपने भाई को दिखाने का निश्चय कर लिया,

सलौनी ने थोड़ा सा अपना सिर हॅंडल की तरफ झुकाया, अपने एक हाथ की उंगलियों से अपनी शर्ट के उपर के दो बटन खोल दिए और समीज़ को थोड़ा नीचे की तरफ खींचकर खिसका दिया…!

फिर खुद ने ही झाँक कर अपने बदले हुए सीन का जायज़ा लिया, अब उसकी छोटी-छोटी चुचियों का उपरी हिस्सा दिखने लगा, ये सीन बनाकर उसने अपना सिर पीछे को फिर से अपने भाई के सीने से सटा दिया…!

जैसे ही शंकर की नज़र सलौनी के सीने पर पड़ी, दो बटन खुले होने की वजह से उसके नन्हे मुन्ने गेंदों के बीच बने छोटे से ढलान और उपर के उभारों को देखकर जिनके उपर बारिश के पानी की बूँदें मोतियों की तरह चमक रही थी…

शंकर का नाग बेलगाम घोड़े की तरह थुनक उठा, जिसकी हलचल महसूस करते ही सलौनी ने अपनी पीठ को और पीछे खिसक कर उसके उपर दबा दिया..,

साथ ही वो 20-30 डिग्री और साइड को घूम गयी और उसने एक हाथ को शंकर के बाजू पर रखकर अपने एक नीबू को उसकी बाजू पर दबा दिया…!

अपने गाल को उसकी थोड़ी से सटाते हुए बोली – भैया.. साइकल उस जामुन के पेड़ के पास रोक देना, मुझे जामुन खानी है…!

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शंकर ने भी मौके का फ़ायदा लेकर अपने उसी बाजू को उसके सीने के दोनो उभारों पर दबाकर भींचते हुए कहा – ऐसी बारिश में जामुन कैसे तोड़ेंगे…

शंकर ने उत्तेजना में आकर उसे कुछ ज़्यादा ही ज़ोर्से भींच दिया था, उसकी दोनो नन्ही मुन्नी गेंदें बुरी तरह से दब गयी,

हल्के से दर्द की अनुभूति में वो कराह कर बोली – आअहह…भैया…इतनी ज़ोर्से मत भींच मुझे…दर्द होता है…

शंकर को अपनी ग़लती का एहसास होते ही उसने अपने बाजू को हटाना चाहा, तभी सलौनी ने उसके बाजू को वहीं थामकर वो उससे और ज़ोर्से चिपट गयी..

फिर उसने भाई के हाथ को अपने हाथ में लेकर अपने एक अमरूद पर रखकर उसे दबाते हुए बोली..

हमें कॉन्सा उपर चढ़कर जामुन तोड़ना है, देख वो पेड़ आ गया रोक साइकल,

वाअहह…क्या काले-काले, मोटे-मोटे जामुन लगे हैं, थोड़ी कोशिश करेंगे तो नीचे से भी हमारे लायक मिल जाएँगे…

पेड़ रास्ते से थोड़ा सा ही हटकर था, सच में ही बहुत मस्त जामुन लदे हुए थे, बारिस में कोई रोकने वाला भी नही था,

शंकर ने उसके दूसरे अमरूद को भी धीरे से सहला कर अपनी साइकल पेड़ के नीचे ले जाकर खड़ी कर दी…!

शंकर की हाइट चूँकि अच्छी थी, सबसे नीचे की डाली के अंतिम छोर तक उसका हाथ आसानी से पहुँच गया, लेकिन जैसे ही उसने उसे पकड़कर झुकाने की कोशिश की,

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

वो पडाक से टूट गयी, हाथ में रह गये कुछ पत्तों समेत एक छोटा सा डाली का टुकड़ा, जिसमें दो-चार कच्चे-पके जामुन थे…!

ओह्ह्ह…भैया, ये तूने क्या किया, इससे क्या होगा..? चल वो डाली नीची है, उसपे कोशिश करते हैं.

शंकर ने दूसरी डाली को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन हाथ नही आई, अपनी जगह उच्छल कर डाली को पकड़ा, लेकिन कुछ पत्तों के अलावा कुछ हाथ नही लगा…!

शंकर ने सलौनी के कच्चे अमरूद जो उसके शर्ट के उपर से झाँक रहे थे, उनपर नज़र डालते हुए कहा – जामुन खाने हैं तो चल घोड़ी बन जा…!

सलौनी ने चोन्क्ते हुए कहा – क्या..? लेकिन क्यों..?

शंकर ने मुस्कराते हुए कहा – अरे तेरी पीठ पर खड़ा होकर जामुन तोड़ूँगा और क्या..? वैसे तू क्या समझी थी..?

सलौनी – पागल हो गया है तू, वजन देखा है अपना, सांड़ जैसा है, तेरा वजन झेल पाउन्गि में..? मेरी पीठ ही चटक जाएगी…!

शंकर – तो फिर रहने दे, चल चलते हैं घर, खा ली जामुन…!

सलौनी ज़मीन पर पैर पटकते हुए थुनक कर बोली – हुन्न्ह..हुन्न्ह…मुझे जामुन खाने हैं…, फिर अपना दिमाग़ चलाते हुए बोली –

भैया तू एक काम कर मुझे उपर उठा ले, मे तोड़ लूँगी खूब सारी, चल उठा मुझे, ये कहकर वो उसके सामने मुँह करके खड़ी हो गयी…

शंकर – तो घूम तो जा, पीछे से ही तो उठाउंगा तुझे…

सलौनी – नही ऐसे ही आगे से उठा, तुझे पता तो रहेगा और कितना उठाना है..

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शंकर ने थोड़ा झुक कर उसके छोटे-छोटे चुतड़ों के नीचे अपनी बाजू मोड़ कर उसे अपने बाजुओं पर बिठा लिया और खड़ा हो गया..!

अब सलौनी के कच्चे अमरूद उसकी आँखों के ठीक सामने थे, जो गीली समीज़ में होते हुए बेआवरण जैसे ही लग रहे थे,

शंकर का मन किया की वो उन्हें अपने मुँह में लेकर चूसे, उधर सलौनी अपने अमरुदो पर शंकर के मुँह की भाप महसूस करके गन्गना उठी..

बारिश के ठंडे पानी की वजह से उसके कड़क हो चुके निपल शंकर के मुँह की गरम भाप से मचल उठे, उनमें सुर-सुराहट और तेज होने लगी…

सलौनी का मन कर रहा था की कोई उन्हें काट खाए, या फिर मसल दे जिससे उनमें हो रही चुन-चुनाहट कम हो सके…

वो सोचने लगी कि काश भैया मेरे अमरुदो को खा जाए, उन्हें चूसे.., ये विचार आते ही उसकी कुँवारी मुनिया में चींतियाँ सी रेंगने लगी…!

इधर शंकर के दिल में भी ऐसा ही कुछ चल रहा था, उसका मन काबू से बाहर होने लगा, और उसने अपनी छोटी बेहन के कच्चे अमरुदो के बीच की खाई पर अपने तपते होंठ रख दिए…!

सलौनी की मस्ती में आँखें बंद हो गयी, वो मन ही मन प्रार्थना करने लगी, हे भगवान भाई का मुँह थोड़ा इधर-उधर को करदो…,

लेकिन भगवान ने ऐसी बातों का कोई ठेका थोड़ी नही ले रखा था…, जब कुछ देर शंकर ने आगे और कोई हरकत नही की , तो सलौनी बोली –

भैया, यहाँ तक की जामुन तो मेने तोड़ ली, इसके थोड़ा उपर एक बड़ा सा गुच्छा लगा है, थोड़ा और उपर कर ना…!

शंकर ने उसे ताक़त से किसी गुड़िया की तरह उसे उपर उच्छाल दिया, फूल जैसी सलौनी उसके सिर के उपर तक उच्छल गयी, उसी पल उसने एक हाथ से अपनी स्कर्ट को उपर उठा लिया,
और जैसे ही नीचे आने लगी, तभी उसने अपने दोनो पैर शंकर के कंधों से होकर पीछे की तरफ कर दिए…

अब सलौनी आगे से शंकर की पीठ की तरफ पैर लटकाए उसके मुँह के सामने आराम से बैठी थी, उसकी स्कर्ट शंकर के सिर पर थी, छोटी सी सफेद कच्छी में क़ैद उसकी मुनिया ठीक शंकर की आँखों के सामने थी…!

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स्कर्ट के अंदर मुँह डाले शंकर की नज़र जैसे ही उसकी कच्छी में क़ैद छोटी सी मुनिया के उपर पड़ी, जिसकी पतली-पतली फांकों के बीच शंकर की नाक सटी हुई थी…!

पेशाब मिश्रित सलौनी के कामरस से भीगी कच्छी की खुसबु उसकी नाक में घुसने लगी जिसे सूँघकर वो मदहोश होने लगा,

आँख बंद करके लंबी-लंबी साँस लेकर उसकी चूत की खुसबु की मदहोशी में स्वतः ही उसके होंठ उसकी मुनिया के उपर पहुँच गये और उसने उसे कच्छी के उपर से ही चूम लिया…!

शंकर अपने होंठों को उसकी मुनिया के उपर ले जाने के लिए जैसे ही उसने अपने मुँह को थोड़ा उपर किया, उसकी नाक की नोक सलौनी की फांकों के बीच दबाब डालती चली गयी…

फिर जैसे ही शंकर ने उसकी मुनिया के होंठों को चूमा, सलौनी का पूरा शरीर, बिजली के झटके की तरह झन-झना उठा.., उसकी टाँगें शंकर के गले से लिपट गयी…,

शंकर ने अपने होंठों का दबाव कच्छी के उपर से ही उसकी मुनिया पर बढ़ा दिया और उसे एक बार ज़ोर्से चूस लिया…!

ना चाहते हुए सलौनी के मुँह से एक मादक सिसकी निकल पड़ी…सस्स्सिईईई…
आअहह….भैयाअ… साथ ही उसने अपने हाथ से उसका सिर और दबा दिया…

शंकर भी सब कुछ भूलकर उसकी पैंटी को अपनी जीभ से चाटने लगा, जो उसके कामरस से भीगति जा रही थी…

वो कहते हैं ना कि, आदमी को जितना मिलता है, उसे उससे आगे और ज़्यादा पाने की इच्छा होने लगती है..,

ऐसा ही कुछ शंकर के साथ हो रहा था, अब उसे अपनी बेहन की प्यारी मुनिया के दीदार करने की इच्छा होने लगी…, लेकिन उसके दोनो हाथ तो उसकी पीठ पर सहारा दे रहे थे…,

तभी उसके दिमाग़ में एक विचार आया, और उसने अपनी नाक उसकी कच्छी के किनारे फसाई, और उसे एक तरफ को कर दिया…!

टाँगें चौड़ी होने के कारण सलौनी की मुनिया के पतले-पतले होंठ, थोड़े से खुले हुए थे…, बालों के नाम पर तो अभी उसके रोंगटे ही थे,

चिकनी मुनिया के पतले होंठों के बीच की लालमी देखकर शंकर बौरा उठा, और उसने अपनी जीभ की नोक से उसकी मुनिया की अंदरूनी लालमी को कुरेद दिया…

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

अपनी बेहन के कुंवारे रस का स्वाद उसकी जीभ को भा गया, और वो उसे उपर से नीचे अच्छी तरह से जीभ से रगड़कर चाटने लगा…!
जैसे ही सलौनी को अपनी मुनिया के अंदर तक अपने भाई की जीभ का एहसास हुआ…उसकी गान्ड बुरी तरह से थिरकने लगी,

वो सिसकते हुए पीछे को दोहरी होगयि, और अपनी चूत को उसके मुँह पर चिपका दिया.. वो ज़ोर-ज़ोर्से साँस लेती हुई अपने भाई के मुँह पर झड़ने लगी…,

शंकर उसके सारे रस को चाट गया..,

जब वो पूरी तरह झड गयी, कुछ देर तक उसका शरीर झन-झनाता रहा, फिर कुछ सामान्य होते हुए बोली – भैया, अब मुझे नीचे उतार ले…

शंकर भी होश में आ चुका था, सो लंबी-लंबी साँस लेकर अपने आपको संयत करते हुए बोला – सारी जामुन तोड़ ली…

सलौनी के मुँह से बस हूंम्म..ही निकला…

उसने सलौनी को आराम से नीचे सरकाया, शंकर के कठोर बदन से रगड़ पाकर उसके अनार फिर से फड़कने लगे…,

शंकर ने उसे ज़मीन पर खड़ा किया और आवेश में उसने अपनी बेहन को अपने बदन से चिपका लिया…!

कुछ देर वो उसी सुखद एहसास में एक दूसरे से चिपके खड़े रहे, शंकर का लंड सलौनी की नाभि में घुसने लगा…!

सलौनी मन ही मन अपने भाई के लंड को अपनी नाभि की जगह अपनी मुनिया में फील करने लगी, ये सोचकर उसकी मुनिया फिर एकबार गीली हो उठी.. और वो गुदगुदी से भर उठी…!

उसने अपने भाई को कस कर अपनी बाहों में जकड लिया, और उसकी छाती पर अपने दहक्ते होंठ रखकर बोली – मेरा प्यारा भैया…!

सलौनी के मुँह से ये शब्द सुनते ही मानो शंकर होश में आ गया, उसने फ़ौरन सलौनी को अपने से अलग किया और बोला – ला कहाँ हैं जामुन…!

लेकिन जो जामुन उसने तोड़ी थी, वो भी इस खेल में ज़मीन पर गिर पड़ी थी, वो अपनी खाली झोली टटोलकर बोली –

सॉरी भैया, वो तो गिर पड़ी…, उसकी बात सुनकर शंकर को हसी आ गई, सलौनी झेंप गयी, और फिर वो भी मुस्करा उठी…!

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मन में भाई – बेहन का भाव आते ही दोनो की नज़रें स्वतः ही झुक गयी, उन्होने मिलकर नीचे पड़े जामुन उठाए, और बिना कुछ बोले चुप-चाप साइकल उठाकर घर की तरफ चल दिए…..,

शंकर अब एकदम शांत गुम-सूम साइकल चला रहा था, उसके मन में कुछ देर पहले अपनी छोटी बेहन के अंगों के साथ खेलने और छेड़-छाड़ करने से उसका मन ग्लानि से भर उठा…

उधर सलौनी के मन में आनंद की तरंगें उठ रही थी, आज उसे अपने भाई के द्वारा अपने कोमलांगों के साथ हुई छेड़-छाड ख़ासकर उसकी मुनिया पर हुए भाई की जीभ के स्पर्श सुख से वो अभी भी गुद-गुदि से भरी हुई थी…,

दोनो ही अपनी-अपनी अलग-अलग सोच में डूबे खामोशी से घर आ गये…!
शंकर अब 12वी क्लास में आ चुका था, वो अपनी पढ़ाई के प्रति पूरी तरह सजग था…

उसे पता था कि इस बार के बोर्ड एग्ज़ॅम के रिज़ल्ट पर ही उसका आगे का भविष्य आधारित है…

एक दिन खाना पीना खाकर दोनो माँ बेटे ज़मीन पर बिस्तर लगाकर सोने की तैयारी में थे,

लेटे हुए शंकर ने अपना एक हाथ अपनी माँ के पेट पर रखा और उसके ठंडे, मुलायम पेट पर हाथ से सहलाते हुए बोला –

माँ, मेरे क्लास टीचर कह रहे थे, कि तुम इस बार भी अच्छे नंबरों से पास कर जाओगे, थोड़ी और मेहनत करो, जिससे तुम्हें शहर के किसी भी अच्छे कॉलेज में बिना किसी खर्चे के दाखिला मिल जाएगा…!

ऐसे ही मेहनत करते रहे तो तुम अपने जीवन में बहुत आगे बढ़ सकते हो…!

शंकर के गरम हाथ का स्पर्श अपने ठंडे पेट पर महसूस कर रंगीली को गुदगुदी सी हो रही थी, उसकी बात सुनकर उसने उसका हाथ अपने पेट से उठाकर उसकी तरफ करवट बदली और फिर उसी हाथ को अपनी कमर पर रख लिया…!

अपने बेटे को बाहों में जकड कर उसका माथा चूमकर बोली – मेरा बेटा लाखों में एक है, मुझे पता है तू बहुत बड़ा आदमी बन सकता है…,

लेकिन बेटा क्या तू हम लोगों को छोड़कर शहर में अकेला रह पाएगा..?

शंकर ने अपना मुँह अपनी माँ के वक्षों के बीच दबाकर उसके बदन की खुश्बू सूंघते हुए बोला – अपने परिवार के भले के लिए अकेला रह लूँगा माँ, कॉलेज की फीस तो माफ़ ही हो जाएगी…

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

अपने रहने खाने के खर्चे लायक कोई काम कर लूँगा, तू मेरी चिंता मत कर..,

बातों के दौरान शंकर ने अपनी एक टाँग रंगीली की टाँग पर चढ़ा दी, दोनो के बदन इतने नज़दीक होने से गर्मी बढ़ना स्वाभिवीक ही था,

शंकर का लंड धीरे-धीरे गर्मी पाकर अपना सिर उठाने लगा था, और वो रंगीली की जाँघ से टच हो गया…!

अपनी चुचियों के बीच बेटे के सिर को दबाकर वो उसकी पीठ सहला रही थी, जैसे ही उसे उसका लंड अपनी जाँघ पर महसूस हुआ, उसके बदन में हलचल शुरू हो गयी…!

उसके एक मन ने उसे अलग होने को कहा, ये तू क्या कर रही है रंगीली, अपने ही बेटे के लिए मन में ऐसे गंदे भाव लाना ठीक नही है, ये सोच कर उसने उसकी टाँग को नीचे रख कर दूसरी तरफ करवट लेने की सोची…

तभी शंकर ने अपनी कमर आगे करते हुए कहा – तूने कोई जबाब नही दिया माँ, अब तो मे 18 साल का हो गया हूँ, अपनी देखभाल खुद कर सकता हूँ…!

कमर आगे करने से शंकर का लंड उसकी जांघों के बीच रगड़ता हुआ और अंदर उपर को चला गया, अब वो उसकी चूत से कुछ सेंटीमीटर की दूरी पर था…!

अपनी जांघों के बीच बेटे बेटे के मस्त कड़क लंड को महसूस करके रंगीली के दिमाग़ में उसकी छवि घूम गयी,
उसने उसकी जाँघ के पीछे हाथ लगाकर उसे और अपनी ओर करते हुए कहा – देखेंगे, अभी तो समय है तेरे इम्तिहान में…!

थोड़ा सा आगे सरकते ही शंकर का लंड उसकी चूत की फांकों पर जा टिका,
लंड का दबाब अपनी चूत के मोटे-मोटे होंठों पर महसूस करते ही उसकी चूत फडक उठी,

कपड़ों के उपर से ही वो लंड की गर्मी सहन नही कर पाई और गीली होने लगी…!

उधर शंकर धीरे-धीरे अपनी माँ के कूल्हे को सहला रहा था, उसका हाथ थोड़ा सा नीचे होते ही, उसके मुलायम गद्दे जैसे चूतड़ पर पहुँच गया, वो उसे दबाने लगा…!

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

आहह.. माँ, एक बात पुच्छू…?

रंगीली – हूंम्म…, क्या है..?

शंकर – तेरे चूतड़ इतने मुलायम क्यों हैं ? जबकि देख मेरे कितने कठोर हैं, दब्ते ही नही, और तेरे तो किसी स्पूंज की तरह दब जाते हैं, ये कहकर उसने उसके एक चूतड़ को ज़ोर्से दबा दिया…!

आअहह…बदमाश ज़ोर्से नही, दर्द होता है… रंगीली मीठी सी कराह लेकर बोली..

सॉरी माँ, मुझे अंदाज़ा नही था, ये कहकर उसने उसके कूल्हे को सहला दिया…!

अंजाने में ही उसके बेटे ने उसके बदन में आग पैदा करदी थी, वैसे भी लाला के लंड पर तो लाजो का कब्जा हो चुका था, पति रामू उसकी मनमर्ज़ी प्यास नही बुझा पा रहा था,

सो महीनों से अधूरी प्यास लिए रंगीली माँ बेटे के संबंध को भूलती जा रही थी, अब उसमें उसे एक जवान मर्द नज़र आ रहा था, जिसके पास एक ऐसा हथियार था, जैसा उसने आजतक कभी इस्तेमाल नही किया था…!

शंकर का लंड उसकी दोनो मोटी-मोटी जांघों के बीच फँसा था, उसके लंड को वहाँ गर्मी का एहसास हुआ जिससे वो और ज़्यादा फूलने लगा…

उत्तेजना में वो अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा, रंगीली उसकी हरकत देख कर मन ही मन मुस्करा उठी,

वो उसे छेड़ते हुए बोली – क्यों रे बदमाश ये तू क्या कर रहा है…?

शंकर – माँ, मेरी एक इच्छा पूरी करोगी..?

रंगीली – क्या..?

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

शंकर – वो उस दिन जैसे आपने मेरे साथ किया था मेरा सू सू मुँह में लेकर, वैसे ही एक बार और करदो ना माँ, प्लीज़ माँ, उस दिन मुझे बहुत मज़ा आया था…!

रंगीली ने उसके सिर को उपर उठाया, कुछ देर अपनी वासना से भरी नशीली आँखों से उसे देखती रही, फिर एक झटके से उसने अपने बेटे के होंठों पर अपने तपते होंठ रख दिए…!

अपनी जीभ निकाल कर वो शंकर के होंठों को चाटने लगी..,

शंकर के लिए ये पहला अवसर था, जब किसी की जीभ उसके होंठों को इस तरह से चाट रही थी, उसने अपने बंद होंठों को खोल दिया और रंगीली की जीभ उसके मुँह में पेवस्त हो गयी…

वो उसके होंठों को चूसने लगी, कुछ देर तो शंकर को कुछ अंदाज़ा नही लगा कि वो उसके होंठों को चूस क्यों रही है, लेकिन जल्दी ही उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी, और वो भी अपनी माँ के होंठों को चूसने लगा…!

अपनी माँ की लिजलीज़ी जीभ अपने मुँह में पाकर वो अपनी जीभ से उसके साथ खेलने लगा, दोनो को इस खेल में असीम आनद आ रहा था…!

कुछ देर बाद रंगीली ने अपना मुँह हटा लिया, और अपनी नशीली आँखों से शंकर की तरफ देख कर मुस्कराते हुए बोली – आज तुझे उस दिन से भी ज़्यादा मज़ा दूँगी मेरे लाल…

आज तुझे स्त्री और पुरुष के असल संबंधों के बारे में सब कुछ बताउन्गी,

अब मेरा बेटा भी जवान हो गया है, इसलिए अब तुझे वो सब बातें पता होनी चाहिए जो एक जवान मर्द को होती हैं…!

इतना कहकर उसने अपना हाथ उसकी कमीज़ के अंदर डाल दिया, और वो उसके कशरति बदन को सहलाने लगी…!

कुछ देर बाद उसने शंकर को अपनी कमीज़ निकालने को कहा, जिसे उसने फ़ौरन अपने बदन से अलग कर दिया…!

अपने बेट एके गोरे चिट्टे कशरति बदन को देखकर रंगीली की वासना में इज़ाफा होता जा रहा था…
वैसे तो वो उसे रोज़ ही देखती थी, लेकिन इस समय उसकी नज़र में वो मजबूत नौजवान था, जो आज उसकी काफ़ी दिनो दबी प्यास को बुझाने वाला था…!

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

बेटे की चौड़ी छाती पर अपने तपते होंठों से एक चुंबन लेकर उसने उसके पाजामा के नाडे को भी खींच दिया,

पाजामे को टाँगों से निकाल कर उसके मस्ती में झूम रहे घोड़ा पछाड़ नाग को अपनी हथेली में लेकर सहलाया, फिर मुट्ठी को कसते हुए उसकी सख्ती को परखने के लिए उसने उसे ज़ोर्से मरोड़ दिया…

शंकर के मुँह से आअहह… निकल गयी, जिसे सुनकर वो कामुकता से मुस्करा उठी, और उसके लौडे को चूमकर खड़ी हो गयी…!

बेटे के पैरों में खड़ी होकर उसने अपनी चुनरी हटा कर एक तरफ को फैंक दी, इसी के साथ वो एकदम से पलट गयी, और चार कदम उससे दूर जाकर उसकी तरफ पीठ करके उसने अपनी चोली के सारे बटन खोल डाले…

शंकर ये बिस्तर पर नंगा पड़ा अपनी माँ को देख रहा था, उसने जैसे ही अपनी चोली अपने बदन से अलग की, अपनी माँ की गोरी-गोरी पीठ जो उसने आज तक नही देखी थी उसके सामने थी…

ना जाने कैसा आकर्षण था जो अपनी माँ के उपरी भाग को पीछे से नंगा होते देख कर उसका लंड झटके लगाने लगा…

अब रंगीली के हाथ उसके लहंगे के नाडे पर थे, शंकर को पीछे से कुछ दिखा तो नही पर वो उसके हाथों से अनुमान लगा रहा था कि उसकी माँ अपना लहनगा भी उतारने जा रही है…!

कैसा होगा माँ का नीचे का बदन, इसी कल्पना मात्र से ही उसका बदन कमोवेश में आकर तपने लगा…!

नाडे की गाँठ खुलते ही उसका लहनगा सर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर… से नीचे उसके कदमों में जा गिरा जिसे उसने अपने पैर से दूर उछाल दिया…,
कमरे में जल रही लालटेन की पीली सी रोशनी में शंकर अपनी माँ के नंगे पिच्छवाड़े को देखकर उत्तेजना से भर उठा..

उसका घोड़ा पछड वास्तव में ही किसी फन फैलाए विषधर की तरह आगे पीछे लहराने लगा…!

आअहह…क्या मस्त नितंब थे रंगीली के.., मोटापा तो कहीं छू भी नही पाया था उसे अभी तक, संतुलित 30 की कमर के बाद उसकी गान्ड के दोनो उभार ऐसे प्रतीत हो रहे थे मानो दो अर्ध कलश आपस में मिलाकर रख दिए हों…

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

एकदम गोल मटोल, पीछे को उभरे हुए दोनो कलषों के बीच की गहरी दरार जो इस समय दोनो तरफ के दबाब के कारण एक मोटी लाइन सी दिख रही थी…

उन दो कलषों के नीचे चिकनी गोरी-गोरी जांघें एकदम गोलाई में किसी केले के मोटे तने जैसी, जो नीचे की तरह पतली होती चली गयी थी, किसी शंकु की तरह…!

कमर तक लहराते हुए उसके काले घने लंबे बाल, जिनमें से कुछ उसके सुंदर नितंबों को छुने की कोशिश भी कर रहे थे…

अपनी माँ के इस जान मारु पिछवाड़े को देख कर शंकर का लंड बुरी तरह से ऐंठने लगा..,

सामने दिख रहे अपने पसंदीदा बिल में जाने के लिए उतबला होकेर फड़फडा रहा था…, फूलकर किसी डंडे के तरह और ज़्यादा सख़्त हो गया, उसकी नसे उभर आई.

अभी शंकर बेचारा अपनी माँ के इस सुंदर पिच्छवाड़े के रूप जाल से उभर भी नही पाया था, कि तभी रंगीली ने यौंही खड़े-खड़े अपनी गर्देन को बड़े अनौखे अंदाज में झटका दिया…

उसके लहराते हुए खुले बाल, पीठ पर से उड़कर किसी काली स्याह घटा की तरह उसके दाई तरफ से होकर आगे पहुँच गये.., जिससे उसकी गर्देन से नीचे तक का संपूर्ण भाग नुमाया होने लगा…

एक हाथ से अपने बालों को संभालते हुए उसने गर्देन पीछे को घूमाकर मदभरी नज़रों से अपने बेटे की तरफ देखा..!

उसके तन्तनाये मस्ती में झूम रहे लंड पर नज़र पड़ते ही उसकी चूत में चींतियाँ सी रेंगने लगी,

एक हल्की सी सिसकारी लेकर उसने अपनी रसीली चूत पर हाथ फिराया जिसके मोटे-मोटे होंठों पर कामरस पसीने की बूँदों की तरह लगा हुआ था…!

उसने बड़ी कामुक अदा से अपने कदम आगे को बढ़ा दिए.., उसके चलते ही उसके कलश भी हरकत में आ गये,

जिस पैर पर दबाब होता वो कलश एकदम गोल शेप में आकर कुछ और ज़्यादा पीछे को दिखने लगता, उसके बाद दूसरा…!

मानो उन दोनो में हम बड़े या तुम बड़े होने की कोई प्रतियोगिता चल रही हो…

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

धीरे-धीरे कदम बढ़ाने से उसकी दोनो कलषों के बीच की दरार भी अपनी लय में उसी अनुसार इधर से उधर होने लगती और दोनो पाटों के बीच घर्षण पैदा होने लगा…!

अपनी माँ की इस अदा ने तो शंकर के लंड की माँ ही चोद डाली, वो बुरी तरह से ऐंठने लगा, उसके लंड में दर्द होना शुरू हो गया,

शंकर किसी महान मूर्ख की तरह नंगा पुंगा अपनी कुहनी टिकाकर लेटा हुआ अपनी माँ की मादक अदाओं से बिचलित होता जा रहा था, उसकी काम इचा पल-प्रतिपल बलवती होती जा रही थी..

अपने आप पर कंट्रोल रखना उसके बस से बाहर होने लगा… बेचारे को अभीतक मूठ मारना भी नही आता था..,

लेकिन उसका मन कर रहा था की अपने लंड को पकड़ कर मरोड़ दे… बस इसी आवेश में आकर पहली बार उसने अपने लंड को हाथ लगाया और उसे ज़ोर्से मरोड़ दिया…

लंड की ऐंठन से उसके मुँह से कराह निकल पड़ी…आआहह….माआ…

रंगीली अपने बेटे की कराह सुनकर एक दम से पलट गयी…, और दौड़ते हुए उसके पास आकर बोली – क्या हुआ मेरे लाल…?

सामने से अपनी माँ के नग्न शरीर पर नज़र पड़ते ही शंकर अपने लंड का दर्द भूलकर उसके यौवन में खो गया, उसका मुँह खुला का खुला रह गया…….,

शंकर को इस अंदाज से अपने सुंदर गोरे बदन को घूरते देखकर वो मंद मंद मुस्कराते हुए मद्धम गति से एक-एक कदम आगे बढ़ाते हुए उसकी तरफ आने लगी…,

उसकी एकदम चिकनी संपूर्ण गोलाई लिए हुए केले के तने जैसी मांसल जांघें मानो संगेमरमर के दो स्तंभ चले आ रहे हों..

जांघों के भीच का यौनी प्रदेश, जिस पर उसके पेडू तक हल्के हल्के काले बाल, जो शायद एक हफ्ते की फसल रही होगी,

उनके बीच माल पुए जैसी फूली हुई दो फांकों के बीच एक पतली सी दरार जो इस समय दोनो तरफ के जांघों के दबाब के कारण मात्र एक बारीक लाइन सी दिखाई दे रही थी..

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

उसने बड़ी कामुक अदा से अपनी हिरनी जैसी चंचल कजरारी आँखों से अपने बेटे की तरफ देखा, और उसके सामने खड़ी होकर बोली – अब बता मेरे लाल, कैसी है तेरी माँ…?

तेरे सपनों में आने वाली उस युवती जैसी है या नही…?

शंकर के चेहरे पर विश्मय के भाव सॉफ-सॉफ उजागर थे, वो फ़ौरन उठ खड़ा हुआ, और अपनी माँ के हाथों को अपने हाथों में लेकर उसने उसे उपर से नीचे तक अपनी भरपूर नज़र डालकर देखा…

रंगीली थी ही बहुत सुंदर, लेकिन आज उसे बिना कपड़ों के उसने पहली बार देखा था, वो म्रिग्नयनि अपनी चंचल कजरारी आँखों को नचाते हुए बोली – ऐसे कब तक देखता रहेगा, जल्दी बता ना मुझे शर्म आ रही है…

शंकर ने अपनी माँ के चेहरे को अपनी हथेलियों में भर लिया और उसकी नशीली आँखों में देखते हुए विस्मित स्वर में बोला –

वो तू ही थी माँ, मे उस दिन जिस परच्छाई को पहचान नही पा रहा था, आज तेरे इस रति स्वरूप को देख कर मेरे मन में अब कोई शंका नही है…!

लेकिन ये क्या है माँ, तेरा ये रूप तेरे अपने बेटे को क्यों आकर्षित करता रहा..? कोई और क्यों नही..?

रंगीली ने बड़े प्यार से अपने पंजों पर उचक कर अपने बेटे के ललाट को चूमते हुए कहा –

क्योंकि तेरे जन्म से लेकर बड़े होने तक, हर वक़्त मे तेरे सामने रही, हर सुख-दुख, दर्द, खुशी की तेरी साझेदार मे ही थी, तो स्वाभाविक है, कि तेरे हर भाव में मेरी ही छवि बस गयी…,

फिर चाहे वो माँ की ममता का स्वरूप हो या एक प्रेयशी का….!

फिर उसने अपने बेटे का हाथ पकड़ा और उसे अपने एक उरोज पर रखते हुए बोली – चल छोड़ ये बातें, और करले आज अपना सपना पूरा…!

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

जो स्त्री सुख तूने अपने सपने में लिया था, आज तुझे वो में जागते हुए दूँगी, मसल मेरे लाल इन चुचियों को जिन्हे चुस्कर तूने कभी अपनी भूख शांत की थी…!

शंकर ने उसके दोनो मक्खन जैसे मुलायम कसे हुए उरोजो को अपनी मुट्ठी में कस लिया, और ज़ोर्से मसल दिया…!

रंगीली सिसक कर उसके बदन से लिपट गयी, फिर उसने अपने बेटे के नंगे बदन को सहलाते हुए चूमना शुरू कर दिया…!

उसके होंठों से चूमना शुरू करके वो उसे नीचे तक चूमती चली गयी.., अपने बेटे का गोरा सुर्ख कसरती बदन किसी कामदेव से कम नही लग रहा था इस समय…

शंकर का अपनी उत्तेजना को संभाल पाना दूभर हो रहा था, जहाँ-जहाँ उसकी माँ के गीले लज़्ज़त भरे होंठ पड़ते, उसका वो हिस्सा थर-थरा उठता…!

चूमते हुए रंगीली अपने पंजों पर बैठ गयी, अपने बेटे की कसी हुई पत्थर के मानिंद सख़्त जांघों को सहलाते हुए उसने उसके डंडे जैसे कड़क लंड को अपने हाथ में पकड़ा, कुछ देर तक वो उसे चाहत भरी नज़रों से निहारती
रही,

उसके साइज़ को तौलती रही, जो किसी भी सूरत में लाला के लंड से 21 नही 22 था…, एकदम सुर्ख दहक्ता हुआ…!

उत्तेजना के कारण लंड की परिधि में नसें उभर आई थी, जो इस बात की गवाही दे रही थी, कि इस समय वो कितना शख्त हो चुका है…!

उसे देखकर रंगीली की चूत में चींतियाँ सी दौड़ने लगी…,

वो उसे अपनी चूत में फील करते हुए सोचने लगी, आअहह…जब ये मेरी चूत में होगा, तब क्या हाल करेगा उसका…?

उसने उसे एक बार उसकी खाल को खींच कर उसके सुपाडे को नंगा किया, जो पूरी तरह से खुल भी नही पा रहा था,

पहले उसने उसके दहक्ते हुए लाल सेब जैसे सुपाडे पर अपनी जीभ फिराई…!

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

शंकर की आँखें बंद हो गयी, मज़े की पराकाष्ठा में उसके मुँह से एक जोरदार सिसकी निकल गयी…,

आआहह….म्म्माआअ….और चाट इसे माआ…तू सच में काम देवी स्वरूपा है माआ….!

अपने बेटे की हर मनोकामना पूरण करने वाली मनोकामना देवी है तू….जल्दी से कुछ कर माँ, वरना मेरा बदन सुलग उठेगा….!

अपने बेटे की उत्तेजना पूर्ण आहें सुनकर रंगीली की चूत बिना कुछ किए ही टपकने लगी…

एक बार उसने अपने हाथ से अपनी चूत को सहलाया और उससे टपकते हुए शहद को अपनी उंगलियों पर लेकर अपने बेटे के लंड के सुपाडे पर चुपड दिया,

और फिर शंकर की आँखों में देखते हुए उसके गरम सोते जैसे कड़क लंड को अपने होंठों में क़ैद कर लिया…!

आअहह…मानो जलते तबे पर किसी ने पानी डाल दिया हो, शंकर का लंड अपनी माँ के मुँह में जाते ही गद-गद हो उठा..,

अंदर वो अपनी जीभ को उसके दहक्ते सुपाडे पर गोल-गोल घुमा रही थी जिससे उसके लंड में ठंड पड़ गयी…, स्वतः ही उसका हाथ अपनी माँ के सिर पर चला गया…,

वो अभी तक उसके गरम सुपाडे को ही ठंडा कर रही थी, लेकिन शंकर के हाथ के दबाब से उसने उसके लंड को अपने गले तक निगल लिया…!

उसके टट्टों को एक हाथ से सहलाते हुए वो उसे चूसे जा रही थी, शंकर का बदन किसी पत्थर की प्रतिमा की तरह कठोर होकर अकड़ने लगा,

आनंद की पराकाष्ठा में वो अपने पंजों पर खड़ा होकर अपनी कमर को आगे पीछे करके अपनी माँ के मुँह को चोदने लगा…!

रंगीली, आज उसे वो सारे मज़े से अवगत करना चाहती थी, जो उसे उसके आने वाले जीवन में मिलने वाले थे,

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

साथ ही साथ वो उसकी सहनशक्ति को भी परखना चाहती थी, जिससे वो जिसे चाहे अपने लंड की ताक़त से अपने वश में कर सके..,

शंकर का कामोत्तेजना से बुरा हाल हो रहा था, उसे लगा मानो उसके अंदर का लावा अब फूटने ही वाला है…

अपने हाथ का दबाब उसने अपनी माँ के सिर पर बढ़ा दिया,

रंगीली को जैसे ही ये महसूस हुआ कि उसके बेटे की चरम सीमा समाप्त होने वाली है, उसने झट से उसके लंड को अपने मुँह से बाहर निकाल लिया………!

शंकर इस झटके से आश्चर्य चकित होकर अपनी माँ की तरफ देखने लगा…!

वो उसे ही निहारे जा रही थी, आँखों में अपार वासना का समंदर लिए वो कामुक नज़रों से उसे देखते हुए बोली – आज तुझे और भी बहुत कुछ करना है मेरे शेर.., चल आजा मेरा राजा बेटा…

ये कहते ही वो उसका हाथ पकड़ कर बिस्तर पर आ गई, उसके होंठों को चूम कर बोली – अब तू अपनी माँ को भी ऐसा ही मज़ा दे जैसा अभी मेने तुझे दिया है,

ये कहकर उसने उसके हाथों को अपनी चुचियों पर टिका कर उसके होंठों को फिर से चूसने लगी…

स्वतः ही शंकर के हाथ उसके वक्षों पर कस गये, जिन्हें वो कभी मुँह से चुस्कर दूध पीता था, आज हाथों से मसल-मसल कर उनका रस निचोड़ने में लगा था…!

चुचियों की मींजन से उसकी चूत में इतनी ज़ोर्से खुजली हुई कि उसने अपनी दोनों मांसल जांघों को एक के उपर दूसरी चढ़ाकर अपनी चूत को जांघों से ही मसल्ने लगी…

धीरे-धीरे रंगीली उस बिस्तर पर लेट गयी, और उसे अपने उपर लेकर अपने बदन को चूमने चाटने का इशारा किया…!

अब वो भी अपनी मा के इशारों को समझने लगा था, सो अब उसके उपर च्चटे हुए पहले उसने अपनी मा के दोनो गालों को बारी-बारी से चूमा, उसके बाद वो उसके होंठों को चूमने लगा…

रंगीली ने उसे अपनी बाहों में कस लिया, उसके कड़क निपल अपने बेटे की पत्थर जैसी कठोर छाती से पिस्ने लगे…

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

चूमते हुए वो अपनी माँ के गले से होते हुए उसके उरोजो पर उसने जैसे ही अपने तपते होंठ रखे, रंगीली की सिसकी निकल गयी, वो कामुकता से भरी आहह.. भरते हुए बोली….

आआहह…मेरे राजा बेटा, चूस ले इन्हें फिर से…. मसल मेरे लाल, कम्बख़्त बहुत मचलते हैं तेरे हाथों के लिए…!

वो उसकी एक चुचि को पूरे मुँह में भरके चूसने लगा, दूसरे को अपने हाथ में लेकर मसल डाला, कुछ देर बाद उसने अदला बदली कर ली,

नीचे रंगीली ने उसके लंड को अपनी मुट्ठी में कस लिया था…

इस समय उसकी चूत बुरी तरह बहे जा रही थी, उसकी फांकों के बीच से लगातार कामरस की बूँदें बिस्तेर पर टपक रही थी…!
रंगीली को अब अपने उपर कंट्रोल करना मुश्किल होता जा रहा था, उसकी चूत में मानो ज्वालामुखी भड़कने लगा था, सो उसने शंकर के सिर को नीचे की तरफ दबाया…!

इशारा पाकर वो उसकी चुचियों को छोड़कर उसके पेट को चूमते हुए जब उसे उसकी नाभि का छेद दिखाई दिया, तो शंकर ने उसमें अपनी जीभ की नोक डाल कर जैसे ही घुमाई,

रंगीली का पेट थर-थर काँपने लगा…, वो अपनी कमर को इधर से उधर हिलाने लगी…, उसको इतनी गुदगुदी हुई कि ज़बरदस्ती उसके सिर को धकेलने लगी…

शंकर ने जब उसकी तरफ मुँह उठाकर देखा, तो रंगीली ने अपने खुश्क होंठों पर जीभ फिराते हुए उसे और नीचे की तरफ जाने का इशारा किया……!

इशारा पाकर वो जैसे ही नीचे बढ़ा, अपने उदगम स्थान को देख कर वो उसमें खो सा गया, एकटक अपनी माँ की बंद जांघों के बीच स्थित अपने जन्म स्थल को वो निहारने लगा…!

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

उसने कभी ख्वाब में भी नही सोचा होगा, कि जिस रास्ते से वो इस दुनिया में आया था, आज उसी पर दौड़ने का उसे शौभाग्य प्राप्त हो रहा है…!

शंकर आकर अपनी माँ के पैरों में बैठ गया, और दोनो पैरों को एक साथ अपने हाथों में लेकर उसने अपने घुटनो पर उसके पैरों की एडियाँ टिकाई,

और उसके पैरों के दोनो अंगूठों को एक साथ अपने मुँह में भरकर चूसने लगा…!

शंकर ने ये काम अपनी माँ के प्रति श्रद्धा जताने हेतु किया, वो अपनी माँ के पैर चूमकर आगे बढ़ना चाहता था…

लेकिन रंगीली के लिए ये अनुभव घातक सिद्ध हुआ, उसके पूरे शरीर में पैरों से लेकर छोटी तक एक करेंट की लहर सी दौड़ गयी…

सस्सिईईई….आअहह…ये क्या किया मेरे लाल…, मेरा बदन सुलग उठा है, अब देर मत कर बेटा, अपनी माँ की चूत में अपना लंड डाल कर चोद डाल निगोडे…!

बना ले अपनी प्रेमिका मुझे… ये कहकर उसने खुद ही अपनी टाँगों को खोलकर उसे रास्ता दे दिया…!

शंकर उसकी बाल विहीन मक्खन जैसी चिकनी टाँगों को सहलाते हुए उपर की तरफ बढ़ा, जहाँ पैरों के खुलने से उसकी चूत की फाकें खुलकर उसके लंड को अपनी ओर आकर्षित कर रही थी…

उसने अपनी माँ की चूत को एक हथेली से सहलाया, फिर उसके होंठों को खोलकर जैसे ही उसके अंदुरूनी गुलाबी रंग के गुलकंद जैसे भाग को देखा,

उससे सबर नही हुआ और जांघों के नीचे हाथ डालकर उसकी चूत को अपने मुँह से लगाकर चाट लिया……

आहह…सस्सिईइ…शन्करा…मेरे लाल, चूस ले अपनी माँ की चूत… चाट इसे, बहुत सताती है निगोडी मुझे.., शांत कर्दे बेटा इसकी गर्मी…!

शंकर उसके फूले हुए होंठों को उपर से ही चाट रहा था, रंगीली अपनी चुचियों को अपने ही हाथों में लेकर उन्हें मसल्ते हुए बोली…

इसकी दरार को खोलकर अंदर अपनी जीभ से चाट निगोडे.., असली रस का खजाना तो इसके अंदर है…!

अपनी माँ की वासना से ओत-प्रोत आवाज़ मे लिपटे हुए शब्द सुनकर उसने अपने हाथों के अंगूठे उसकी यौनी के होंठों पर टिकाए और उन्हें विपरीत दिशा में फैला कर खोला…!

आअहह…क्या गुलाबी चूत थी उसकी माँ की, उसने फ़ौरन अपनी जीभ उसके गुलकंद के पिटारे में डाल कर उसे नीचे से उपर तक चाट लिया…!

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

अपने बेटे की खुरदूरी जीभ का घर्षण अपनी कोमल चूत की अन्द्रुनि दीवारों पर पाकर रंगीली बुरी तरह सिसक पड़ी…!

सस्स्सिईईईईईईईई………आआहह……..मीरररीई…लाअलल्ल्ल….घुसा दे अपनी जीब अंदर तक…उउउफफफ्फ़…. आअहह…थोड़ा उपर चूस…, देख एक चोंच जैसी होगी…

शंकर मुँह चूत से लगाए हुए ही, उसने अपनी माँ की तरफ देखा.., और आँख के इशारे से बताया कि हां दिखा..,

रंगीली – आअहह…बस उसे अपने दाँतों में दबा के चूस ले, बहुत रस निकलेगा उससे….,

शंकर ने ऐसा ही किया, उसके भज्नासे को दाँतों में दबाते ही रंगीली की कमर उपर उठने लगी.., आहह…सस्सिईई… नीचे छेद में अपनी उंगली डाल दे…

हाईए…हहानन्न…रामम…मार्रीि…उउउहह…गायईयीईई…………,

ये कहते हुए उसने अपनी कमर हवा में लहरा दी, उसकी पीठ धनुष के आकर में मुड़ती चली गयी, अपना सिर बिस्तर पर टिकाए वो बुरी तरह से झड़ने लगी…

शंकर अपनी माँ की चूत का खट्टा-मीठा जूस पीता रहा.., जब वो पूरी तरह से झड गयी, तो ऑटोमॅटिकली उसकी पीठ बिस्तर पे लॅंड हो गयी,

अब वो अपनी आँखें बंद किए पूरी तरह शांत पड़ी थी, शंकर अपने होंठों पर जीभ फिरा कर कामरस को चाटने के बाद माँ के अगले आदेश का इंतेज़ार करने लगा…!

कुछ देर तक वो अपनी माँ के खूबसूरत बदन को निहारता रहा, जब कुछ देर तक उसके शरीर में कोई हलचल नही हुई तो वो मन ही मन सोचने लगा, कहीं माँ उसे चूतिया बनाकर सो तो नही गयी…!

ये सोचकर वो उसके उपर झुकता हुआ उसके होंठों पर जा पहुँचा और अपने भीगे होंठों को रंगीली के होंठों पर रख दिया…!

उसने झट से अपनी आँखें खोल दी, और अपने बेटे को बुरी तरह अपने बदन के साथ कस लिया, उसके चुंबन का जबाब देकर बोली – कैसा लगा अपनी माँ का रस..?,

ये कहकर वो खुद ही शरमा गयी…

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

बहुत टेस्टी था माँ, पर अब मे क्या करूँ, ये मेरा लॉडा मुझे चैन से बैठने नही दे रहा,

अपने बेटे की मासूमियत से भरी बात सुनकर रंगीली मुस्करा उठी, और उसके मूसल जैसे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर अपनी गीली चूत की फांकों पर घिसते हुए बोली –

तो डाल ना इसे अपनी माँ की चूत में, कोई ताला तो नही लगा दिया ना मेने, ये कहकर उसने अपनी दोनो टाँगें उपर करके अपने पैर उसकी कमर के दोनो तरफ रख दिए..

फिर उसके लंड को अपने हाथ से पकड़कर उसके गरमा-गरम सुपाडे को दो-चार बार अपनी गीली चूत के उपर घुमाया, और फिर ठीक चूत के छेद पर उसे भिड़ाकर बोली…

देख बेटा अब मेने तो अपना काम कर दिया है, तेरे लंड को उसका रास्ता दिखा दिया, अब आगे की मंज़िल तो तुझे ही तय करनी है…

अब धीरे से धक्का लगा दे, शाबास… धीरे से मेरे लाल, ज़ोर्से नही, तेरे जितना मोटा लंड अभी तक नही लिया मेने अपनी चूत में.. ठीक है..

शंकर ने हां में गर्दन हिलाकर अपनी कमर में हल्की सी जुम्बिश दी, जिससे उसके लंड का सुपाडा उसकी माँ की चूत में अच्छे से सेट हो गया…,

लंड के सुपाडे को गीली गरम चूत में जाते ही शंकर की मज़े में आँखें बंद हो गयी, और वो उसी अवस्था में लंड डाले अपनी माँ के गले से चिपक गया…..!

लंड का सुपाडा अंदर जाते ही रंगीली की चूत की फाँकें बुरी तरह फैल गयी, मोटा टमाटर जैसा सुपाडा उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो उसकी चूत के मुँह को कॉर्क का ढक्कन लगा कर सील कर दिया हो…

उसकी चूत अंदर ही अंदर कुलबुलाने लगी…, उसकी फाँकें बुरी तरह से लंड के टोपे को जकड़े हुए थी,

लेकिन बहुत देर तक शंकर को यौंही पड़ा देख कर वो सिसकते हुए बोली –

अब यूँही पड़ा रहेगा निगोडे या कुछ करेगा भी …, आअहह…बेटा..अब और मत सता अपनी माँ को, डाल भी दे अपना मूसल जैसा लंड अपनी माँ की चूत के अंदर…,

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

ये कहकर उसने खुद ही अपने पैरों की केँची उसकी गान्ड पर डालकर उसे अपनी तरफ खींचा.., उसका सुपाडा माँ की सुरंग में समाया हुआ ही था…!

उसकी कमर को अपने पैरों में कसते हुए बोली – आअहह….सस्सिईइ…अब कस कर धक्का लगा दे मेरे राजा बेटा..…और बन जा मादरचोद…!

अपनी माँ की तड़प देख कर, उसकी कामुकता से भरी बातें सुनते ही, अनादि शंकर ने एक ताक़त से भरपूर धक्का अपनी कमर में लगा दिया…!

आआईयईईईईईईईईईईईई….एक साथ दोनो की ही चीखें निकल पड़ी, कड़क डंडे जैसा लंड रंगीली की चूत की दीवारों को चीरता हुआ उसकी बच्चेदानी में जा घुसा…!

अब जाके रंगीली को पता चला कि उसके बेटे के लंड में क्या ख़ासियत है…, दो बच्चे पैदा करने के बाद भी उसकी आँखों से आँसू निकल पड़े…,

बिस्तर की चादर को मुत्ठियों में जकड़कर दर्द से बिल-बिला उठी वो…!

उधर अपनी पहली चुदाई कर रहे शंकर ने ताक़त लगाकर लंड पूरा अंदर डाल तो दिया, लेकिन उसके सुपाडे की सील जो अभी तक लंड से चिपकी हुई थी वो टाइट चूत की दीवारों की रगड़ से खुल गयी…

दर्द की एक तेज लहर उसके पूरे बदन में दौड़ गयी, और उसके मुँह से चीख निकल गयी…! वो दोनो बहुत देर तक एक दूसरे से यौंही चिपके पड़े रहे…!

हाईए रे शंकर.. बहुत बड़ा है रे तेरा.. उउउफफफ्फ़….मेरी तो दम ही निकाल दिया रे तूने बेटा… अपने दर्द पर काबू करते हुए रंगीली उसके गाल से अपना गाल घिसते हुए बोली – पर बेटा तू क्यों चीखा..?

पता नही माँ, मेरी भी सू-सू में बहुत तेज दर्द हुआ, मानो किसी ने उसे ब्लेड से काट दिया हो..!

वो समझ गयी, कि उसके लंड का कुँवारापन दूर हुआ है, वो मुस्काराकार उसे चूमते हुए बोली –

मुबारक हो मेरे लाल, आज तू मर्द बन गया, वो भी अपनी माँ की चूत फाड़कर..
अब दर्द तो नही हो रहा ना..? शंकर ने ना में अपनी गर्दन हिला दी..,

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

रंगीली – तो अब धीरे धीरे बाहर करके फिर से अंदर डाल, लेकिन आराम से हां.., वरना तेरी माँ का मूत निकल जाएगा, ये कहकर वो खुद ही शरमा गयी और अपने बेटे की चौड़ी छाती में अपना मुँह छिपा कर हँसने लगी..!

शंकर अपनी माँ के उपर से उठकर अपने घुटनों पर बैठ गया, और उसने धीरे-धीरे अपना लंड बाहर निकाला, उसका लंड खून से लाल हो गया था, जो उसी के लंड की खाल टूटने से निकला था…!

उसने डरते हुए कहा – माँ ये खून कैसा…?

रंगीली ने अपना सिर उठाकर उसके लंड की तरफ देखा और बोली – कुछ नही रे, ये तेरे लंड की सील टूट गयी है, अब नही कुछ होगा, अंदर डाल अब आराम से…!

माँ की बात मानकर उसने धीरे-धीरे अपना मूसल उसकी सुरंग में डाल दिया…!

धीरे-धीरे कसे हुए लंड के अंदर चलने से चूत की दीवारें एकदम कसी हुई थी जिसके मज़े में रंगीली की सिसकी निकल पड़ी, आअहह….सस्स्सिईइ….

हां..शाबाश ऐसे ही, अब धीरे-धीरे..फिर से बाहर निकालकर डाल..…!

आअहह…सस्सिईई…उउफ़फ्फ़…कितना कसा हुआ जा रहा है…ऐसे ही अंदर बाहर कर..उउउंम्म…मैयाअ…बहुत मज़ा आ रहा है…

दो-चार बार अंदर बाहर करने के बाद ही शंकर समझ गया, अब कुछ..कुछ उसे भी मज़ा आने लगा था सो अब वो खुद से ही उसे अंदर बाहर करने लगा…

रंगीली की चूत रस छोड़ने लगी, वो सिसकते हुए बोली – सस्स्सिईइ…आअहह…अब थोड़ा जल्दी-जल्दी कर मेरे लाल…

उसे भी अब मज़ा आने लगा था, सो खुद ही उसकी स्पीड बढ़ने लगी.. दोनो को अब दीन दुनिया से कोई वास्ता नही था…!

रंगीली अपनी गान्ड उच्छाल उच्छाल कर अपने बेटे को अपनी बातों से उत्साहित करते हुए और तेज चोदने के लिए बोलती हुई चुदाई का आनद लूटने लगी…!

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

शंकर का पिस्टन अपनी माँ के सिलिंडर में बुरी तरह से अंदर बाहर हो रहा था, साथ ही सिलिंडर से ग्रीस की फुआर भी फूटने लगी थी जिससे उसका पिस्टन पूरी तरह चिकना होकर आसानी से अंदर बाहर हो रहा था…!

शंकर के धक्कों की मार रंगीली ज़्यादा देर तक नही झेल पाई, और उसकी पिस्टन ने दम तोड़ते हुए, ढेर सारा आयिल पिस्टन के उपर छोड़ दिया, वो अपने बेटे के लंड से चिपक कर बुरी तरह से झड़ने लगी…!

शंकर को इस बात का कोई भान नही था, हां उसके लौडे को ज़रूर कुछ ज़्यादा गीलेपन का एहसास हुआ जिससे उसके मज़े में और इज़ाफा हो गया…

उसके धक्के बदस्तूर जारी थे, फुच्च..फुच्च…की आवाज़ के साथ चूत का सारा पानी बाहर निकल गया और अब वो सूखने लगी…

रंगीली की चूत में ग्रीसिंग कम हो गयी, और उसमें जलन सी होने लगी…

वो कराह कर बोली – थोड़ा रुक जा बेटा, अब तुझे दूसरे तरीके से मज़ा लेना सिखाती हूँ.., अपना लंड बाहर निकाल…

ना चाहते हुए भी बेचारे को रुकना पड़ा और अपना लंड बाहर खींच लिया…, जबकि उस पर तो इस समय जैसे चुदाई का भूत सवार हो चुका था…!

अब रंगीली, अपने घुटने टेक कर बिस्तर पर घोड़ी बन गयी, माँ की पीछे को निकली हुई मक्खन जैसी मुलायम चिकनी गान्ड के पाटों को देख कर शंकर ने अपना मुँह दोनो पाटों के बीच में डाल दिया…

आअहह…बेटे.. चाट .. ऐसे ही चाट अपनी माँ की गान्ड को…सस्सिईइ… देख वो एक छोटा सा छेद दिख रहा है ना,

उसको अपनी जीभ से कुरेद मेरे रजाअ..…हान्ं…ऐसे ही शाबास मेरे शेर… अब थोड़ा मेरी चूत को भी चाट के गीला करले …हहूऊंम्म…आअहह…सस्सिईईई….. अब डाल दे अपना लंड इसमें…

शंकर ने अपना एक घुटना बिस्तर पर टिकाया और अपना लोहे की रोड बन चुके लंड को अपनी माँ की गरम चूत में पीछे से डाल दिया…,

रंगीली ऊंटनी की तरह मुँह उपर करके अपनी चुचियों को मसल्ने लगी…,
लेकिन वो शंकर के ताक़तवर धक्कों को झेल ना सकी, और औंधे मुँह बिस्तर पर गिर पड़ी,

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

शंकर अपने मज़े में ये भी भूल गया कि उसके लंड के नीचे कॉन है, उसने उसके सिर को तकिये पर दबा कर दे दनादन उसकी उभरी हुई गान्ड देख कर चूत में धक्के लगाता रहा…

सेवक20-25 मिनिट तक चोदने के बाद शंकर को लगा, कि उसका वीर्य अब निकलने वाला है, सो हुंकार मारते हुए बोला – हहुउऊंम्म.. माआ..आहहा….मेरा निकल रहा है… क्या करूँ…?

पेलता रह बेटा.. निकलने दे…भर्दे अपनी माँ की चूत अपने बीज़ से… बनले अपनी माँ को अपनी रखैल…चोद बेटा…आअहह.. मे फिर से गायईयीई….रीए….

दो चार धक्कों के बाद दोनो ही पूरी शिद्दत के साथ झड़ने लगे.. शंकर लास्ट जोरदार धक्का लगा कर माँ की गान्ड से चिपक गया…!

रंगीली उसका भारी वजन झेल नही पाई और वो औंधे मुँह बिस्तर पर गिर पड़ी, शंकर उसकी पीठ पर पसर कर अपनी साँसें इकट्ठी करने लगा…!

10 मिनिट बाद दोनो अगल बगल में लेटे एक दूसरे को किस कर रहे थे, शंकर का लंड अभी भी खड़ा ही था, जो रंगीली की जांघों के बीच अठखेलिया कर रहा था..

रंगीली उसकी हलचल देख कर मुस्करा उठी, और मन ही मन अपने बेटे की मर्दानगी पर गद-गद हो रही थी, वो ये देख कर बड़ी खुश थी कि वो जैसा चाहती थी, उसका बेटा वैसा ही निकला…!

रंगीली अपने बेटे के माथे को चूमकर बोली – कैसा लगा बेटा अपनी माँ को चोदकर..? सपने में ज़्यादा मज़ा आया था, या अभी..?

वो अपनी माँ की गान्ड को अपने हाथ से भींचते हुए उसे अपनी तरफ खींच कर बोला – थॅंक यू माँ, मेरी अच्छी माँ, तूने आज मुझे इस सुख से रूबरू कराकर मुझे धन्य कर दिया…!

सपना सपना ही होता है, जिसका हक़ीकत से कोई मेल नही..! आज मे कसम लेता हूँ माँ, तेरी खुशी के लिए तेरा ये बेटा अपनी जान तक दे देगा…!

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

रंगीली ने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए, बहुत देर तक दोनो एक दूसरे के होंठों को चूस्ते रहे…!

फिर वो उसके सोते जैसे लंड को मसल कर बोली – आआहह…बेटा मुझे तेरी जान ही तो प्यारी है, मे जो भी कर रही हूँ, उसी के लिए तो कर रही हूँ..!

तू बस अपनी माँ की बात मानता जा, और देखता जा अपनी माँ का कमाल…, फिर वो उसके लंड को आगे पीछे करते हुए बोली – और चोदना है अपनी माँ को..?

वो उसकी गोल-गोल चुचियों को सहलाते हुए बोला – हां माँ, एक बार और करने दे ना..!

रंगीली उसके लंड को अपनी गीली चूत की फांकों पर रगड़ते हुए बोली – क्या करने दूँ, खुलकर बोल ना…!

शंकर – वो अभी जैसा किया था, ववो.. चुदाई, करने दे ना…!

रंगीली ने कामुकता से मुस्कराते हुए उसे चित्त लिटा दिया,

उसके कड़क लंड को मुँह में लेकर कुछ देर चुस्कर अपनी लार से अच्छी तरह गीला करने लगी..

फिर खुद उसके उपर आकर उसके दोनो तरफ घुटने मोड़ कर लंड को अपने हाथ में पकड़ा और अपनी चूत के छेद पर रख कर खुद उसके खूँटे जैसे लंड पर बैठती चली गयी…..,

इस बार भी पूरा लंड एक साथ लेने में उसे नानी याद आ गई थी, आँखें बंद किए वो कुछ देर उसके सुपाडे को अपनी सुरंग के अंतिम सिरे पर महसूस करती रही,

बिना कुछ किए ही उसकी चूत अपना कामरस छोड़ने लगी, फिर धीरे-धीरे रंगीली ने लंड को सुपाडे तक बाहर निकाला, और अपनी आँखें बंद करके फिर से उसपर बैठती चली गयी….!

दूसरे दिन शंकर सलौनी को अपनी साइकल पर आगे बिठाकर स्कूल जा रहा था,

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

उसके अंगों में भी भराब आने लगा था, उसके कच्चे नीबू अब अमरूद बन चुके थे, गोल-गोल गान्ड भी 30 की हो गयी थी, जो 24 की कमर के नीचे बॉल जैसी थोड़ी पीछे को निकली हुई दिखने लगी थी…!

सहेलिओं के बीच छेड़-चाड और पुरुष आकर्षण की बातें वो सुनती ही रहती थी, लेकिन उसके मन-मस्तिष्क में अपने भाई के अलावा और किसी की एंट्री नही हो पाई थी…!

शंकर अपनी धुन में मगन साइकल भगाए जा रहा था…, वो साइकल चला ज़रूर रहा था, लेकिन उसका ध्यान तो बीती रात माँ के साथ बिताए हुए पलों में ही अटका हुआ था…

अपनी माँ की निवस्त्र छवि उसकी आँखों में घूम रही थी, उसकी गोल-गोल मस्त सुडौल चुचियाँ, जिन्हें वो कैसे मज़े लेकर चूस रहा था…

हल्के बालों वाली चिकनी फूली हुई मालपूए जैसी चूत उसके मन-मश्तिश्क में समाई हुई थी…

अपने ही ख़यालों में गुम शंकर को पता ही नही चला कि उसका लंड कब अकड़ कर सोटे में बदल गया है..

वो तो अच्छा था कि अब वो पॅंट के नीचे अंडरवेर पहनने लगा था, वरना ना जाने आगे बैठी सलौनी का क्या हाल होता…?

फिर भी जब वो पैडल पर ज़ोर देता, तब वो उसके बगल से टच हो जा रहा था, सलौनी को अपनी कमर में कुछ अटकता सा लगा, एक दो बार उसने उसे समझने की कोशिश की…!

फिर भी जब वो पैडल पर ज़ोर देता, तब वो उसके बगल से टच हो जा रहा था, सलौनी को अपनी कमर में कुछ अटकता सा लगा, एक दो बार उसने उसे समझने की कोशिश की…!

फिर कनखियों से उसने जैसे ही पीछे मुड़कर देखा, वो फ़ौरन समझ गयी कि ये भाई का खूँटा है जो उसके कमर पर ठोकरें लगा रहा है…!

वो मन ही मन मुस्करा उठी, और अपने दिमाग़ के घोड़े दौड़ा दिए ये सोचने के लिए की भाई के खड़े लंड के मज़े कैसे लिए जाएँ…!

आहह…भाई, साइकल थोड़ा कम कुदा ना, कितना रास्ता खराब है, डंडे से मेरे चुतड़ों में दर्द होने लगा है, ये कहकर सलौनी ने एक साथ कई काम किए…

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

एक तो वो थोडा पीछे को खिसकी और अपनी एक जाँघ पर वजन लेकर दूसरी को उसके उपर चढ़ा लिया, दूसरा वो आगे को झुकी, जिससे उसका एक अमरूद भाई की बाजू से टच होने लगा…

तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण काम ये किया कि उसने अपनी गाड़ को उचका कर उसकी दरार को भाई के लंड के सामने ले आई…!

अपने इस आइडिया पर वो मन ही मन मगन हो उठी, क्योंकि उसका एक मम्मा उसके बाजू से रगड़ खाने लगा था, जिससे उसके बदन में करेंट सा दौड़ गया…!

अभी वो उसी फीलिंग में ही थी कि तभी शंकर के लंड का टोपा उसकी गान्ड की दरार से घिस्सा मार गया…!

सलौनी की गान्ड उसकी चूत तक झन-झना गयी…, उसके मुँह से हल्की सी सिसकी निकल गयी, और उसकी छोटी सी कुँवारी मुनिया में सुर-सुराहट होने लगी…!

अपनी धुन में मगन शंकर ने साइकल की स्पीड तो कम कर ली, लेकिन उसे ये होश नही था, कि उसका लंड क्या-क्या हरकतें कर रहा है…

वो तो बस दे दनादन अपनी माँ की चूत में धक्के मारे जा रहा था…, इसी सोच में उसकी गान्ड साइकल की सीट पर आगे पीछे होने लगी,

अपनी बेहन की गान्ड की दरार का घिस्सा भी उसे माँ की चूत में जाता हुआ अपना मूसल लग रहा था…!

सलौनी को जब भाई के लंड का ठोके दरार में ज़्यादा ज़ोर्से लगने लगा, तो उसने उसे और उपर उठा लिया, जिससे अब उसका लंड उसकी मुनिया के दरवाजे तक दस्तक देने लगा…!

सलौनी अपने एक टिकोले का वजन भाई की बाजू पर डालकर मस्ती से भर उठी, उसे तो ऐसा लग रहा था, जैसे भाई उसे चोद रहा हो, उसकी मुनिया से रस की बूँदें टपकने लगी…!

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

आँखें बंद किए उसने दूसरे मम्मे को अपनी मुट्ठी में दबाकर मसल डाला, और चूत को भाई के लंड पर दबाकर वो अपना कामरस छोड़ने लगी…!

स्कूल पहुँचकर जब शंकर ने साइकल खड़ी की तब तक उसकी पैंटी पूरी तरह भीग चुकी थी, वो फ़ौरन साइकल से उतर कर बाथरूम की तरफ लपकी…

इधर शंकर के लंड का टोपा भी चिपचिपाने लगा था, सो साइकल खड़ी करके वो भी झाड़ियों की तरफ धार मारने के लिए लपक लिया…!

आज जीवन में पहली बार सलौनी ने जाना की मर्द के लंड का कितना महत्व है, जो अपनी गर्मी से ही रगड़ा देकर भी चूत का पानी निकाल सकता है, अगर वो अंदर जाता होगा तो…. सस्सिईईई…हाई…..क्या करता होगा…माआ…कैसा लगता होगा.. रीए..

यही सब सोचती हुई वो बाथरूम में घुस गयी…, उसका मन कर रहा था कि वो अपनी मुनिया को ज़ोर-ज़ोर्से सहलाए, उसे मसले, उसमें उंगली करे, लेकिन इतना सब करने लायक ना समय था, और ना जगह…!

स्कर्ट उपर करके जब उसने अपनी पैंटी को देखा…, माइ गॉड.. वो एक दम तर होकर उसकी चूत की फांकों में फँस गयी थी, जिसकी वजह से उसकी मुनिया के होंठ भी पैंटी से बाहर दिखाई दे रहे थे…

जैसे-तैसे उसने हाथ से रगड़ रगड़ कर उसे थोड़ा सा ड्राइ किया, और अपने हाथ धोकर वो क्लास में चली गयी…!

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रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

लाला और लाजो को चुदाई का खेल शुरू किए हुए 1 साल से उपर हो गया था, लेकिन अभी तक कोई नतीजा सामने नही आया, लाला की सारी आशायें धूमिल पड़ती जा रही थी…,

लेकिन लाजो को इससे कोई मतलव नही था कि वारिस हो ही जाए, उसे तो बस लंड मिलना चाहिए सो मिल रहा था, वो सारी-सारी रात बैठक में ही अपने ससुर के साथ पड़ी रहती थी…!

उसकी चूत जैसे ही खुजाने लगती, वो लाला का लंड मुँह में लेकर लॉलीपोप की तरह चूसने लगती, वो मना भी करते तो उन्हें घुड़क देती…!

अब लाला के लंड की चाबी उसके पास ही थी, और इसके लिए वो बेचारे कुछ कर भी नही सकते थे, वरना साली छिनाल औरत क्या भरोसा कोई बखेड़ा ही खड़ा कर्दे…!

एक दिन मौका देख कर रंगीली लाला के पास पहुँची, वो उसके सामने अपना दुखड़ा लेकर बैठ गये…!

उसने उन्हें हौसला बनाए रखने के लिए कहा और हकीम जी से जवानी बढ़ाने की कोई औषधि लेने की सलाह दे डाली…,

लाला को उसकी बात जम गयी, और उन्होने हकीम जी से कहकर शक्तिबर्धक औषधि बनवा ली, जिसमें सीलाजीत, मुसली और ना जाने क्या-क्या जड़ी बूटियाँ थी,

वो उसका नियमित रूप से सेवन करने लगे…..,

साथ ही कल्लू की कमज़ोरी के लिए भी शहर के बड़े डॉक्टर की सलाह ली, और वो काम के बहाने उसे शहर इलाज कराने भेजने लगे…..

उधर रंगीली बड़ी बहू सुषमा से माले-जोल बढ़ने लगी, यौ तो उसके सौम्य और संस्कारी स्वाभाव के कारण सभी नौकर उससे प्रभावित रहते थे और उसकी बहुत इज़्ज़त करते थे…

लेकिन अब रंगीली को लाला की तरफ ज़्यादा तबज्जो ना दे सकने के कारण वो अपना ज़्यादातर समय उसके पास, उसकी तीमारदारी में ही बिताने लगी…!

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

सुषमा ने भी अपनी बेटी की सारी ज़िम्मेदारियाँ रंगीली पर छोड़ दी, वो उसके साथ किसी दोस्त की तरह व्यवहार रखती थी…!

अपनी रात की रंगीनियों जो वो अपने बेटे के साथ आधी रात तक करती रही थी, उसी में खोई रंगीली सुषमा के कमरे में पहुँची,

उसी समय सुषमा किसी काम से अपनी जगह से उठी, हाल ही में बंद हुए उसके मासिक धर्म (पीरियड्स) की वजह से उसे अपनी कमर में दर्द का एहसास हुआ…!

उसके मुँह से आअहह…निकल गयी, रंगीली बोली – क्या हुआ बहू रानी..? कमर दर्द है..?

सुषमा – हां काकी, थोड़ा दर्द है, पर कोई ना एक दो दिन में चला जाएगा…!

रंगीली – अरे नही बहू रानी, इसे आज अनदेखा करोगी, तो बुढ़ापे में बहुत परेशान करेगा, लाओ में आपकी मालिश कर देती हूँ, फिर देखना आप किसी घोड़ी की तरह दौड़ने लगोगी…!

रंगीली झट-पॅट तेल गुनगुना करके ले आई, और सुषमा को उसने अपनी साड़ी उतारकर पलंग पर औंधे मुँह लिटा दिया…!

लेटने से पहले उसने सुषमा से उसके पेटिकोट का नाडा ढीला करने को भी बोल दिया…!

एक बेटी होने के बबजूद भी सुषमा का बदन अभी भरा नही था, 34 के बूब्स के बाद उसकी 30 की कमर फिर 36 की गान्ड किसी भी मर्द का लंड खड़ा करने के लिए पर्याप्त थी…

रंगीली ने उसका पेटिकोट खिसका कर थोड़ा नीचे कर दिया, अब उसकी छोटी सी पैंटी में क़ैद उसकी गान्ड की दरार का उपरी भाग दिखाई देने लगा…

गुनगुने तेल की धार उसकी नंगी पीठ पर पड़ते ही, सुषमा का बदन थर थरा उठा….!

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

अपने लहंगे को घुटनो तक चढ़ाकर रंगीली अपनी दोनो टाँगों को उसके आजू-बाजू करके उसकी जांघों पर बैठ गयी, और अपने दोनो हाथों को उसकी पीठ पर जमाते हुए उसने कहा –

आअहह…क्या कंचन सी काया है बहू रानी आपकी, कॉन कह सकता है कि आपकी एक इतनी बड़ी बेटी भी होगी, ये कहकर उसने अपने तेल लगे हाथों का दबाब उसकी पीठ पर डाला और कमर से लेकर उसके ब्लाउस के छोर तक रगड़ती चली गयी….!

दबाब पड़ते ही सुषमा के दशहरी आम बिस्तेर पर दब गये, वो अपने मुँह से कराह निकालते हुए बोली – आअहह…काकी इतनी ज़ोर्से नही, थोड़ा आराम से करो…!

रंगीली उपर से मसल्ति हुई, दोनो हाथों के अंगूठों को उसकी पीठ की रीड पर दबाब डालते हुए नीचे की तरफ लाई, और उसकी कमर से होते हुए उसके कुल्हों के उभारों तक रगड़ती चली गयी…!

उसकी पैंटी को उसने और थोड़ा नीचे खिसका दिया, अब वो एकदम उसकी गान्ड के उठान के शिखर पर थी…

अपने हाथों को तिर्छे करके उसने एक दूसरे को विपरीत ले जाते हुए उसकी गान्ड के उभारों को मसल्ते हुए कहा – आराम से करने में भी कोई मज़ा है बहू रानी, ये काम तो ऐसा है की जितना ज़ोर का रगड़ा लगे उतना ही मज़ा ज़्यादा आता है…!

तुम कोन्से काम की बात कर रही हो काकी.. पुछा सुषमा ने…!

रंगीली ने अपनी एक उंगली से उसकी गान्ड की दरार की मालिश करते हुए कहा – मालिश की ही बात कर रही हूँ, आप क्या समझी…?

आआहह…ज़्यादा नीचे मत करो काकी, मेरी कमर में दर्द है, गान्ड में नही…!

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

रंगीली – अरे बहू रानी, कमर और पीठ की हड्डी तो यहीं तक आती है ना, आप तो बस देखती जाओ मेरा कमाल, दर्द ऐसे छूमन्तर हो जाएगा, जैसे गधे के सिर से सींग…!

अपने ब्लाउस के बटन खोलो बहू रानी…ये कहकर रंगीली अपने हाथों को उपर ले जाने लगी,

सुषमा – क्यों ब्लाउस क्यों काकी..?

रंगीली – अरे कैसी पढ़ी-लिखी हो, रीड की हड्डी शुरू तो गर्दन से ही होती है ना, तो नसें भी तो उसी बनबत में होंगी ना,

उसकी बात मानकर उसने अपने दोनो हाथ अपनी छाती तक ले जाकर ब्लाउस के बटन भी खोल दिए…,

अब रंगीली के हाथ उसकी पीठ से होते हुए गर्दन तक पहुँचने लगे, और उसके कंधों की मालिश करते हुए उसकी बगलों तक लेजा कर वो उसकी चुचियों के साइड तक मालिश करने लगी…!

उसने फिर से अच्छा ख़ासा तेल अपने हाथों में लिया, और दोनो हाथो को चिकना करके, वो फिर से उसकी कमर से शुरू करके उसके कंधों तक गयी, और चुचियों के बगल से होते हुए नीचे को कमर तक लाई…

और उसके कुल्हों की बगल से मालिश करती हुई गान्ड के शिखर को रगड़ा, साथ ही उसकी पैंटी को सरका कर जाँघो तक कर दिया,

फिर उसकी गान्ड की गोलाईयों को मसल्ते हुए अपनी उंगलियाँ जांघों के बीच फँसा दी और उसकी चूत की फांकों के बगल तक मालिश करने लगी…!

रंगीली के हाथों का जादू, सुषमा के बदन पर चल चुका था, वो अब बिना कुछ बोले, आनंद सागर में डूबती जा रही थी,

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

फिर रंगीली ने अपना एक हाथ उसकी गान्ड के सेंटर से रगड़ते हुए एक उंगली का दबाब उसकी गान्ड के छेद पर डालते हुए उसकी चूत की फांकों तक ले गयी और उसकी चूत की मसाज करने लगी…

रंगीली के तेल लगे हाथ ने जैसे ही उसकी चूत के मोटे-मोटे होंठों मसला,

सुषमा की चूत रस छोड़ने लगी, सही मौका देखकर रंगीली ने अपनी एक उंगली उसकी चूत में सरका दी और बोली – दर्द ठीक हुआ बहू रानी..?

सस्सिईइ…आहह…कॉन्सा दर्द काकी…? अब तो कुछ और ही हो रहा है…,

रंगीली समझ गयी कि सुषमा गरम हो चुकी है, उसका खुद का भी हाल अच्छा नही था, उसने उसकी जांघों पर बैठे हुए ही अपनी चोली उतार फेंकी, और लहंगे का नाडा खोलकर बोली –

सीधी हो जाओ बहू रानी, लाओ आगे की भी मालिश कर देती हूँ, सुषमा भी तो यही चाहती थी, सो किसी कठपुतली की तरह पलट कर चित्त हो गयी…

आअहह…उत्तेजना के मारे उसके दूधिया उभार एकदम गोलाई में आ गये, उसके निपल कड़क होकर कंचे जैसे कमरे की छत की तरफ खड़े हो गये, उसकी आँखें बंद ही थी, सो वो ये नही देख पाई कि रंगीली भी बिना कपड़ों के ही है…!

रंगीली फिर से उसकी जाँघो के उपर घुटने मोड़ कर औंधी हो गयी, और अपने तेल से साने हाथों से उसके कंधे मसाज करती हुई उसने उसके दोनो उभारों को जैसे ही मालिश किया…

सुषमा की आहह…निकल पड़ी… फिर जैसे ही रंगीली ने उसके निप्प्लो को मसला.. उसने अपने दोनो हाथ उपर उठा कर रंगीली की बाजुओं को पकड़ कर अपने उपर झुका लिया और उसके होंठों से अपने होंठ जोड़ दिए…

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

दोनो की चुचियाँ आपस में दब गयी, तब उसने अपनी आँखें खोलकर देखा, रंगीली को भी अपनी तरह पाकर वो और ज़्यादा उत्तेजित हो गयी, और ज़ोर-ज़ोर्से उसके होंठों को चूसने लगी…

रंगीली की चुत भी कामरस छोड़ने लगी थी, सो वो अपनी चूत को सुषमा की चूत से सटा कर ज़ोर-ज़ोर्से रगड़ने लगी….

दोनो पर वासना का वो भूत सवार हुआ, जो थमने का नाम ही नही ले रहा था…,

चूत से चूत रगड़ने से उन दोनो के चूत के कन-कौए अपनी चोंच बाहर निकाले एक दूसरे की फांकों के बीच हलचल करने लगे…

रंगीली ने अपनी दो उंगलियाँ सुषमा की चूत में पेलते हुए कहा –
आअहह..बहू रानी, कितनी गरम चूत है तुम्हारी, कॉन कह सकता है कि तुम्हारे जैसी भरपूर औरत एक बेटा नही जन सकती…!

मुझे तो मालकिन की बात ग़लत जान पड़ती है…!

सुषमा वासना की आग में झुलस रही थी, सोचने समझने की स्थित से उपर पहुँच चुकी थी वो, सो उसकी बात सुनते ही बोल पड़ी -…

बकवास करती है साली कुतिया, खुद का बेटा साला हिज़ड़ा कुछ कर नही पाता और बहुओं को दोष देती है…!

आहह..काकी..सस्स्सिईइ….और ज़ोर्से चोदो मेरी चूत को…हाई रे, बहुत प्यासी है ये…उउउफ़फ्फ़.. आहह…करते हुए उसने भी अपनी उंगलियाँ रंगीली की चूत में पेल दी…

दोनो के हाथ मशीन अंदाज में चल रहे थे…, अपनी चुचियों को आपस में रगड़ती हुई वो दोनो ही किल्कारी मारते हुए झड़ने लगी…, फिर एक दूसरे को किस करते हुए आपस में लिपट गयी…!

तूफान के गुजर जाने के बाद अब दोनो ही एक दूसरे से लिपटी हुई अपनी साँसों को ठीक कर रही थी…

रंगीली उसके कूल्हे सहलाते हुए बोली – आअहह.. बहुत गरम औरत हो बहू, कैसे संभाल पाती हो अपने आपको बिना लंड के…?

सुषमा ने चोन्क्ते हुए उसकी तरफ देखा – बिना लंड से आपका क्या मतलब है काकी..?

रंगीली – अभी जो आपने कल्लू भैया के बारे में कहा ना.. कि उनके बस का कुछ नही है…!

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani

सुषमा अब होश में आ चुकी थी, जोश जोश में वो जो बोल चुकी थी, वो उसे नही बोलना चाहिए था, लेकिन अब क्या हो सकता है, तीर कमान से निकल चुका था…!

ये सोचकर उसकी आँखें नम होने लगी, रंगीली ने उसके उभारों को बड़े प्यार से सहलाते हुए कहा – विश्वास रखो बहू, ये बात किसी और के कानों तक नही पहुँचेगी…

सुषमा – क्या बताऊ काकी मे कैसे अपने आपको संभालती हूँ, हां ये सच है, कि इनमें किसी भी औरत को बच्चा पैदा करना बस की बात नही है,

वो तो शुरू-शुरू में ना जाने कैसे गौरी मेरे पेट में आ गई, उसके बाद से इनकी ग़लत आदतों ने इन्हें नपुंश्क बना दिया है…

लेकिन ये बात सासूजी को कॉन समझाए…? वो तो अब भी हम में ही कमी देखती हैं…!

रंगीली – आप एक भरपूर जवान औरत हो, तो जाहिर सी बात है कि आपके कुछ अरमान भी होंगे, जिन्हें आप पूरा नही कर पा रही हो, लेकिन उन्हें पूरा करने के सपने तो ज़रूर देखती होगी…!

सुषमा – इस घर में आने के बाद तो यही अरमान वाकी रह गये थे कि किसी तरह इस घर को वारिस दे सकूँ, जिससे मेरा मान-सम्मान बरकरार बना रहे..

लेकिन अब सारी आशाएँ धूमिल होती नज़र आ रही हैं…., अब तो सपनों में भी सोचना बंद कर दिया है मेने कि मे आगे कभी माँ बन पाउन्गि..!

रंगीली – लेकिन बहू रानी, फिर भी ये जवान दिल कुछ सपने तो देखता ही होगा…? कल्लू भैया को फिर से एक भरपूर मर्द के रूप में देखती होगी अपने सपने में, क्यों है ना…….?

इतना कहकर रंगीली टक-टॅकी लगाकर उसके चेहरे के की तरफ देखने लगी, वो उसके चेहरे से उसके मानो-भावों को पढ़ने की कोशिश कर रही थी…..!

रंगीली की बात सुनकर सुषमा मौन रह गयी, अपने मन में उठ रहे विचारों के बवंडर में फँसी वो सोचने लगी…

जिस नामर्द पति को वो अपने दिल से कबका निकालकर फेंक चुकी थी, भला अब उसको अपने सपनों में जगह कैसे दे सकती है..,

रंगीले मालिक की रंगीली पार्ट 4 – Servant Hindi Sex Kahani