Holi Aayi Chudai Layi – Holi Me Chudai Ki Kahani Part 2
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
गुड्डी की ओर उन्होंने प्रशंशा भरी नज़रों से देखा..उसका भी चेहरा दमक उठा.
भाभी ने नीचे मेरे बार्मुडा की ओर देखा..फिर गुड्डी की ओर…गुड्डी ने बड़ी जोर से हामी में सर हिलाया.
चंदा भाभी ने मेरे गालों पे एक बार फिर से हाथ फिराया
प्यार से सहलाया.
बात और शायद बढ़ती लेकिन चंदा भाभी ने पहली बार मेरे चेहरे को ध्यान से देखा और बड़े जोर से मुस्करायीं…
मेरे पास आके उन्होंने अपनी ऊँगली से मेरी ठुड्डी पे रख के मेरा चेहरा उठाया और गौर से देखने लगीं.हाथ फेर के गाल पे उनकी उंगली मेरी नाक के नीचे भी गयी और मुसकरा के वो बोलीं,
” चिकनी चमेली…”
गुड्डी की ओर उन्होंने प्रशंशा भरी नज़रों से देखा..उसका भी चेहरा दमक उठा.
भाभी ने नीचे मेरे बार्मुडा की ओर देखा..फिर गुड्डी की ओर…गुड्डी ने बड़ी जोर से हामी में सर हिलाया.
चंदा भाभी ने मेरे गालों पे एक बार फिर से हाथ फिराया
प्यार से सहलाया.
रीत और गुड्डी दोनों से बोलीं,
” देख क्या रूप निखर आया है दुल्हन का चन्दन और हल्दी से…लेकिन तुम दोनों ..साल्लियों…छिनार…दुल्हन का श्रृंगार तो कराया ही नहीं….”
” अभी कराते हैं “…दोनों शैतान एक साथ बोलीं. ..और मेरा हाथ पकड़ के खींच के एक कुर्सी पे बैठा दिया.
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
” मैंने तो ब्यूटी पारलर का कोर्स किया…परफेक्ट ब्राइडल मेकअप करुँगी इस प्यारी दुल्हन का..” मेरे गाल पे हाथ फिराते रीत बोली.
गुड्डी झट से सारा सामान…पहले फाउनडेशन…फिर कोई क्रीम…मेरे चीक बोन्स पे रूज..रितू अपनी लम्बी उँगलियों से लगा रही थी. फिर आँखे…मस्कारा..काजल…और गुड्डी ने जैसे गाँव में करते हैं चेहरे के किनारे ढेर सारी रंग बिरंगी बिंदिया..गुड्डी कुछ सामान लाने अन्दर गयी तो मेरे गाल पे चिकोटी काट के रितू बोली,
” बच के रहना ..अब तो तिहरा रिश्ता है…भाभी तो तुमने बना ही लिया था…सलहज भी हो गयी…और सुबह चन्दा भाभी ने गुंजा को तुम्हारी छोटी साली बोल दिया तो वो भी तो मेरी छोटी बहन की तरह है….तीन बार रगड़े जाओगे आज..मेरे हाथ से…एक बार भाभी बन के …एक बार सलहज बना के..” और थोड़ी सी क्रीम रीत ने मेरे नाक पे लगा दी.
” अच्छा जी…तो मैं क्या छोड़ दूंगा…मैं भी तीन बार डालूँगा…रगड़ रगड़ कर के…”
हंसते हुए रीत बोली…
” चलो तुमने कबूल तो कर लिया की मेरे नंदोई बनोगे…यानी तुम्हारी उस सो काल्ड बहन की इस होली में फटेगी … पक्की…पहले तुम…फिर मेरे भैया …फिर…”
दूर से गुड्डी जोर से बोली…” राकी.”
मैं फँस चुका था…लेकिन अटैक इस बेस्ट डिफेन्स इस लिए अब मैंने खुल के हमला किया…” तीन बार डालूँगा…सोच लो मेरी पिचकारी देखी है…आगे पीछे हर तरफ…”
चंदा भाभी ने मेरी तरफ से बोला…” अरे रीत तूने अच्छे घर दावत दी है….वो तीन बार बोल रहा ही तीन बार जम के रगड़ी जायेगी…तू..”
” अरे भाभी …पास में ओखली हो तो मूसल से क्या डरना…” रीत मुस्करा के बोली. तब तक गुड्डी वापस आ गयी थी. मेरी खुली बांहों पे तेल सा कुछ लगाया उसने और रीत की हाँ में हाँ मिलाया..
” सही तो कह रही हैं ये… कब तक मूसल से डरेंगे…”
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” चमची … चल घर बताता हूँ…” मैंने गुड्डी से कहा.
पहले हम दोनों से निपट लीजिये फिर आपके मूसल को भी देख लेंगे …दोनों साथ साथ बोलीं और उठा के मुझे शीशे के सामने खड़ा कर दिया.
चेहरे के किनारे रंग बिरंगी बिंदिया…टिकुली, जैसे कोई गाँव की दुलहन हो…
” क्यों अच्छा लग रहा है….” गुड्डी बोली. मैंने उसे घुरा तो वो हंस दी.
चंदा भाभी ने फिर दोनों को उकसाया…” अरे यार ये सब तो ठीक है लेकिन…अभी होली का मेकअप तो हुआ नहीं..”
” एकदम ..लेकिन कहीं ये उछले कूदें तो…हमारे डालने पे ” रीत बोली..
” वो जिम्मेदारी मेरी…” गुड्डी अधिकार पूर्वक बोली और जोर से कहा स्टैचू ….ये गेम हम पहले खेलते थे और दूसरा हिल नहीं सकता था. अब मेरी मजबूरी …गुड्डी का हुकुम …मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था टालने को..मैं मूर्ति बन के खडा हो गया.
पीछे से गुड्डी ने अपने नाजुक हाथों से मेरी कलाई पकड़ ली.
कभी कच्चे धागे हथकड़ियों से भी मजबूत हो जाते हैं…
उधर.. रीत मुझे दिखाती हुयी ..हंसती हुयी..तरह तरह की पेंट की ट्यूब उसने निकाली और अपनी गोरी गोरी हथेली पे मिलाने लगी.
पहले बैगनी ….फिर काही फिर स्लेटी ..एक से एक गाढे रंग…
बहोत हुयी अब आँख मिचौली ….वो मेरे कान में गुनगुनाई …
मेरे पूरे बदन में सिहरन दौड़ गयी. रीत का बदन मेरी पीठ को पीछे से सहला रहा था. मेरी पूरी देह में एक सुरसुरी सी होने लगी. उसके कस के उभार मुझे पीछे से दबा रहे थे. एक आग सी लग गयी…’वो’ भी अब ९० डिग्री पे आगया.
उसने फिर मेरे कान में गाया, गुनगुनाया …और उसके गुलाबी रसीले होंठ मेरे इअर लोब्स से छु गए.. बहोत हुयी अब आँख मिचौली …जीभ की टिप कान को छेड़ रही थी…
उन्चासो पवन चलने लगे. काम मेरी देह को मथ रहा था और जब उसकी मादक उंगलियाँ मेरे गालों पे आयीं…बस लग रहा था मेरे पीछे कैट ही खड़ी है…
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बहोत हुयी अब आँख मिचौली …खेलूंगी मैं रस की होली….
खेलूंगी मैं रस की होली….रस की होली…रस की होली…
उसकी उंगलियाँ मुझे रस में भिगो रही थीं..रस में घोल रही थीं…
देह की होली तन की होली मन की होली..
मैं सिहर रहा था भीग रहा था….
बस लग रहा था कैटरिना ही….वो प्यारी उंगलियाँ…पहले तो हलके हलके फिर कास के मेरा गाल रगड़ने लगीं.
मैंने आँखे खोलने की कोशिश की तो बड़ी जोर से डांट पड़ी…
” आँखे बंद करो ना…”
फिर तो उँगलियों ने पहले पलकों के ही ऊपर…और फिर कस कस के गालों को…मसलना रगड़ना…हाँ वो एक और ही लगा रही थी…और होंठों को भी बख्श दिया था. शायद उसे मेरे सवाल का अहसास हो गया था…कान में बोली…दूसरा गाल तेरे उसके लिए…दोनों हाथों का रंग एक ही गाल पे …कम से कम पांच छ कोट…और एक हाथ जो गाल से फिसला तो सीधे मेरे सीने पे…मेरे निपल्स को पिंच करता हुआ..
मेरे मुंह से सिसकी निकल गयी…
” अभी से सिसक रहे ही..अभी तो ढंग से शुरुआत भी नहीं हुयी…
बहोत हुयी अब आँख मिचौली …खेलूंगी मैं रस की होली….
खेलूंगी मैं रस की होली….रस की होली…रस की होली…
उसकी उंगलियाँ मुझे रस में भिगो रही थीं..रस में घोल रही थीं…
देह की होली तन की होली मन की होली..
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मैं सिहर रहा था भीग रहा था….
बस लग रहा था कैटरिना ही….वो प्यारी उंगलियाँ…पहले तो हलके हलके फिर कस के मेरा गाल रगड़ने लगीं.
मैंने आँखे खोलने की कोशिश की तो बड़ी जोर से डांट पड़ी…
” आँखे बंद करो ना…”
फिर तो उँगलियों ने पहले पलकों के ही ऊपर…और फिर कस कस के गालों को…मसलना रगड़ना…हाँ वो एक और ही लगा रही थी…और होंठों को भी बख्श दिया था. शायद उसे मेरे सवाल का अहसास हो गया था…कान में बोली…दूसरा गाल तेरे उसके लिए…दोनों हाथों का रंग एक ही गाल पे …कम से कम पांच छ कोट…और एक हाथ जो गाल से फिसला तो सीधे मेरे सीने पे…मेरे निपल्स को पिंच करता हुआ..
मेरे मुंह से सिसकी निकल गयी…
” अभी से सिसक रहे ही..अभी तो ढंग से शुरुआत भी नहीं हुयी…” और ये कह के मेरे टिट्स उसने कस के पिंच कर दिए.और मुझे गुड्डी को आफर कर दिया…
” ले गुड्डी अब तेरा शिकार…” और ये कह के उसने मेरे गाल पर से हाथ हटा लिया.
मैंने आँखे खोल के शीशे में देखा…” उपफ ये शैतान…कौन कौन से पेंट…काही, स्लेटी…चेहरा एकदम काला सा लग रहा था और दूसरी और अब गूडी अपने हाथ में पेंट मल रही थी…एक वार्निश के डिब्बे से सीधे ..सिलवर कलर का….चमकदार…
” हे मैंने कस के पकड़ रखा था जब आप लगा रही थीं तो अब आप का नंबर है…कस के पकड़ियेगा जरा भी हिलने मत दीजिएगा..” गुड्डी रीत से बोली.
” एक दम ” रीत ने पीछे से मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए…लेकिन वो गुड्डी से दो हाथ आगे थी..
उसने हाथ पकड़ के सीधे अपनी पाजामी के सेंटर पे ‘वहीँ’..लगा दिए..और अपने दोनों पैरों के बीच मेरे पैरों को फंसा दिया. गुड्डी ने अपने प्य्यारे हाथों से मेरे गाल पे सफेद सिल्वर कलर का पेंट लगाना शुरू कर दिया और मैं भी प्यार से लगवा रहा था. उसने पहले हलके से फिर कस कस के रगड़ना शुरू कर दिया.
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मैंने गुड्डी के स्पर्श में डूबा था…उधर…रीत ने..मेरी दोनों हथेलियों को अपनी पजामी के अन्दर..और जैसे ही मेरा हाथ ‘वहां’ पहुंचा..कस के उसने अपनी गदराई गोरी गोरी जांघो को भींच लिया…
अब न तो मेरा हाथ छूट सकता था…और ना मैं उसे छुडाना चाहता था.
दुष्ट रीत अब उसके दोनों हाथ फ्री हो गए थे और गुड्डी के साथ वो भी ..पहले तो वो पीछे से गुड्डी को ललकारती रही…
” अरे कस को रगड़ ना….इत्ता इन्हें कहाँ पता चलेगा…हाँ ऐसे ही…थोड़ा नाक के नीचे..अरे मूंछ साफ करवाने का क्या फायदा गर वो जगह बच जाय…गले पे भी…”
लेकिन कुछ देर में रीत का बायाँ हाथ मेरे बार्मुदा के ऊपर से …
एक तो आगे पीछे से दो किशोरिया…एक का जोबन आगे सीने से रगड़ रहा हो और दूसरे के उभार खुल के पीठ से से रगड़ रहे हों…’वो’ वैसे ही तन्नाया था..और ऊपर से रीतकी लम्बी शैतान उंगलिया…पहले तो उसने बड़े भोलेपन से वहां छुआ फिर एक दो बार हलके से सहलाने के बाद..कस के साइड से एक उंगली से उसे रगड़ने लगी.
चन्दा भाभी दूर से उसकी शरारत देख रही थीं और मुस्करा रही थीं.
पीछे से उसने अपनी लम्बी उंगली मेरी पिछवाड़े की दरार में…पहले तो हलके हलके …और फिर जैसे बार्मुदा के ऊपर से ही घुसेड देगी…
मैं थोडा चिहुंका…वो एक दो पल के लिए वो ठहरी .. फिर उसने दो उंगलियाँ कस कस के अन्दर ठेलनी शुरू कर दी..
” उयीई ..औच…” मेरी आवाज निकल गयी.
” अरे अभी एक दो उंगली में ये हालात है अभी तो तीन चार उनगली वो भी पूरी….अन्दर…आने दो दूबे भाभी को…” हंस के रीत उंगली मेरी गांड के दरार पे रगड़ती बोली.
” अरे ऊँगली … मजाक करती हो….” चंदा भाभी हंस के बोलीं. ” ऐसे मस्त लौंडे के तो पूरी की पूरी मुट्ठी अन्दर करुँगी…सिखाने चिलाने दो साल्ले को…इससे कम में इसे क्या पता चलेगा..” चंदा भाभी ने रीत को और उकसाया.
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” सही कहती हो भाभी अरे इनकी बहना राकी का अन्दर लेंगी….वो पूरी की पूरी गाँठ अन्दर ठेलेगा और वो छिनार…तो ये भी तो आखिर उसी के भाई है…” और अब रीत खुल के बार्मुदा के ऊपर से ‘ उसे ‘ मुठिया रही थी.
” एकदम ..” गुड्डी ने भी हाँ में हाँ मिलायी. ” लेकिन गलती इनकी नहीं है…अपनी माय्केवालियों को मोटा मोटा घोंटते देख आखिर इन का भी मन मचल गया होगा…” गुड्डी फिर बोली. उसने थोड़ा सा वार्निश पेंट मेरे बालों पे भी लगा दिया.
” अच्छा अच्छा तू तो बोलेगी ही ..इसकी ओर से…” चन्दा भाभी ने चिढाया.
रीत का मेरे पिछवाड़े उंगली करना जारी था. वो बोली…” अरे भाभी…कोई ख़ास फर्क नहीं है बहन भाई में …एक आगे से लेती है और …एक पीछे से लेता है….”
” अरे बहिना छिनार …भाई गंडुआ है…” चंदा भाभी ने गाया.
” अरे अपनी बहिना साल्ली का भंडुआ है…” रीत ने गाने को आगे बढाया. मैं समझ गया था…वो चंदा भाभी से कम नहीं है…
अब गुड्डी रंग करीब करीब लगा चुकी थी. उसका एक हाथ अब रीतके साथ बार्मुडा फाड़ते मेरे चर्म दंड पे….जैसे दो किशोरियां मिलके मथानी चलायें..बस उसी तरह…दोनों के हाथ मिल के …देने बाएं आगे पीछे…
आप सोच सकते हैं ऐसे फागुन की कल्पना ..और साथ में दोनों के उभार भी दोनों ओर हलके हलके रगड़ रहे थे… आप सोच सकते हैं ऐसे फागुन की कल्पना ..और साथ में दोनों के उभार भी दोनों ओर हलके हलके रगड़ रहे थे…
मैंने शीशे में देखा…मेरे एक ओर का चेहरा…काला काही …और दूसरी ओर…सफेद चमकदार वार्निश…
” किसके साथ मुंह काला किया…” चंदा भाभी भी अब उन दोनों के साथ आ गयीं थी.” और किसके साथ करेंगे…अपनी प्यारी प्यारी मस्त सेक्सी…सबका दिल रखनेवाली…” रीत बोल रही थी लेकिन उसकी बात काट के…गुड्डी बोली…
” अरे यार सबका दिल रखती है तो अपने भय्या का भी रख दिया तो क्या बुरा किया,,,”
” तुम ना अभी से इसका इत्ता साथ दे रही है…तो आगे का क्या हाल होगा…” चन्दा भाभी बोलीं.
मैं शीशे में अपनी दुर्गत देख रहा था.
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एक ओर गुड्डी ने सफेद वार्निश से तो दूसरी ओर…रितू ने..गाढे काही, स्लेटी रंग के पेंटों से…
मेरा हाथ कब का उन की गिरफ्त से छूट चूका था..उन दोनों को इसका अंदाज़ नहीं था.
मैं झटके से मुडा,
” कर लिया तुम दोनों ने…जो कर सकती थी…चलो अब मेरी बारी है….ऐसा डालूँगा ऐसा डालूँगा….” मैं बोला.
और वो दोनों हिरणिया…१…२…३…फुर्र …
और टेरेस के दूसरी ओर से मुझे अंगूठा दिखा रही थीं…
चन्दा भाभी भी मुस्करा रही थीं.
” एक बार पकड़ लूंगा तो ऐसा रंगुन्गा ना,,,” मैंने बोला…
” तो पकड़ो न…हंस के मेरी जान बोली.
” रंग है भी क्या…क्या लगाओगे…”कैटरीना…मेरा मतलब मस्त मस्त चीज… रीतबोली.
बात तो उसकी सोलहै आना सही थी. मेरे पास तो रंग था नहीं..और पेंट की सब ट्यूबें उन दोनों ने हथिया ली थीं. यहाँ तक की मेज पे रखा अबीर गुलाल भी…
” रंग चाहिये तो पैसा लगेगा…”रीत बोली.”
” लेकिन पैसा भी तो बिचारे के पास है नहीं.” गुड्डी ने छत के दूसरे कोने से आवाज लगायी.अरे यार इन्हें पैसे की क्या कमी इनके पास तो पूरी टकसाल है…थोडा एडवांस पैसा ले लेंगे अपने माल का और क्या….दो दिन दो रात का १०० रुपये मैं…दे दूँगी…है मंजूर …” रीत बोली.
” यार तू तो रेट खराब कर देगी…अभी तो १० रुपये में चलती होगी वो…लेकिन किसके लिए…दो दिन दो रात…” गुड्डी बोली.
” अरे और कौन…अपने ..आँख नचा के वो चुप होगई.
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मैं उसे ध्यान से देख रहा था…क्या बोलने वाली है..
अब वो मेरे पास आ चुकी थी…पास से रितू बोली…”ये आफर कहीं नहीं मिलेगा…दो दिन दो रात…राकी के साथ….पचास आज और पचास कराने के बाद…”
वो जान गयी थी की मेरे पास रंग तो है नहीं…
पर मेरा दिमाग भी ना…कभी कभी चाचा चौधरी से भी तेज चलता है…
मैंने अपने दोनों हाथों में अपने गालों का रंग रगडा…और जब तक रीत समझे समझे …वो मेरी बांहों की गिरफ्त में…रंग से सनी मेरी हथेलियाँ उसके गुलाबी गालों की और बढीं…पर उस चतुर बाला ने झट से अपने कोमल कपोल अपनी हथेलियों के पीछे…
यही तो मैं चाहता था,
मेरे दोनों हाथ सीधे उसके टाईट कुरते को फाड़ते जवानी के खिलौनों…उसके गदराये गोरे उभारों की ओर, और एक पल में वो मेरे मुट्ठी में थे.
वो बिचारी…अब लाख कोशिश कर रही थी पर बहोत देर हो चुकी थी.
मैं जम के दबा रहा था…बिना रगड़े मसले..सिर्फ मेरी उँगलियों का दबाव उस के कुरते पे ठीक जोबन के ऊपर…
सिर्फ चंदा भाभी मेरा मतलब समझ रही थीं और मंद मंद मुस्करा रही थीं…
” हे छुड़ा ना क्या खडी खडी, टुकुर टुकुर देख रही है…” उस कातर हिरनी ने गुड्डी की ओर देख के गुहार लगाई.
वो भी दूर खड़ी मुस्कराती रही. वो समझ गयी थी की कहीं वो नजदीक आई तो रीत को छोड़ के मैं उसे ना गड़प कर लूँ.
“आ ना मेरी माँ ..क्या …वहां से…देख ना तेरे यार ने कितनी कस के दबोच रखा है..प्लीज गुड्डी…अगर ना आई ना….तो जब तेरी फटेगी ना….तो मैं भी ताली बजाउंगी…” रीत ने फिर पुकार लगायी.
” क्या दी…पता नहीं कब फटेगी..अरे आप से चिपके हैं तो आप ही…मेरे तो वैसे भी छुट्टी के दिन चल रहे हैं…” हंस के गुड्डी बोली.
क्या मस्त उभार थे…मुझसे नहीं रहा गया और अपने आप मेरा ‘जंगबहादुर’ उसकी पजामी के ऊपर से ही..उसके मस्त चूतडों के ऊपर से रगड़ने लगा.
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मेरी उंगली ने एक निपल को पकड़ लिया और कस के पिंच कर दिया..
” उयीई ईई …” जान बूझ के रीत चीखी और बोली…
” हे अपनी बहन की ..समझ रखी है क्या जा रहे हो ना..जा के उसकी इस तरह से दबाना मसलना. या वो जो सामने खड़ी खिलखिला रही है …बहोत चींटे काटते हैं उसको …जा के उसकी …”
और जवाब में मैं दूसरे निपल पे भी पिंच कर दिया…अब तो रितू के मुंह से ….वो एकदम चंदा भाभी की ननद लग रही थी,
” हे ..हे अच्छा , आएगी ना वो तुम्हारी बहना कम रखैल मेरी पकड़ में…ना अपने सारे भाईयों को चढ़वाया उसके ऊपर…एक निकालेगा दूसरा डालेगा…एक आगे से एक पीछे से..” उसकी गालियाँ भी मजे दे रही थीं …लेकिन उसकी बात गुड्डी ने पूरी की..
” और एक मुंह में…” गुड्डी अब तक पास आ गयी थी.
बस मैंने रीत को छोड़ के गुड्डी को पकड़ लिया..दोनों हाथ पीछे कर के कस के मोड़ दिया…
” दीईई ….” वो रीत को देख के चिल्लाई. पर वो कहाँ आती…
” अच्छा …आप आई थी ना मुझे बचाने जो…छुट्टी तेरी नीचे है ऊपर थोड़ी है…रगड़वा कस कस के… सच में बहोत मजा आता है….” वो आँख नचा के बोली.
मेरी और सब की निगाह अब रीत के ऊपर पड़ी…उसके टाईट कुरते को फाड़ते उभार…और उस पर मेरी पाँचों उँगलियों के निशान ..मैंने रगडा मसला नहीं था…सिर्फ कस के …कच कचा के दबाया था…इसलिए…साफ साफ…सारी उंगलियाँ अलग अलग…जैसे शादी वादी में हाथ का थापा लगाते हैं…या दरवाजे पे. बिलकुल उसी तरह…एक गदराये मस्त रसीले जोबन पे काही स्लेटी और दूसरे ओर सफेद वार्निश ..दोनों निपल जो मैंने पिंच किये थे..वो खड़े बाहर झाँक रहे थे और दोनों पे रंग के निशान सबसे ज्यादा…चंदा भाभी, मैं और गुड्डी तीनों वहां देख के मुस्करा दिए.
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रीत ने नीचे झाँक के देखा और अपने उरोजों पे मेरी उंगली के निशान देख के शर्मा गयी. उसने इधर उधर देखा…लेकिन उसका दुपट्टा पहले ही गायब हो चूका था…( चन्दा भाभी की करतूत)
” उंगली के निशान एक दम साफ साफ हैं…चोर जरूर पकड़ा जाएगा..” गुड्डी ने चिढाया.
” चोर की डाकू…दिन दहाड़े…” रितू मुझे देख के कुछ गुस्से में , कुछ प्यार में बोली.
” जो भी सजा हो मुझे मंजूर है…” मैंने हंस के इकबाल-ए-जुर्म किया.
” अरे नहीं..इसने अपना निशान लगा दिया है…रितू अब ये जगह इनकी हो गयी …समझी…फागुन में जोबन लूट गया तेरा…” चंदा भाभी ने चिढाया.
‘चलिए भाभी दिया…अरे मेरा देवर है..मेरा ननदोई है..” रितू ने बोल्ड हो के कहा और मुझसे मुड के बोलीपे …” चोर जी …तुम्हारी सजा ये है की मुझसे भी ज्यादा कस के निशान इसके उभारों पे नजर आने चाहिए..”
” एकदम मंजूर…” मैं बोला…लेकिन जब तक मेरा हाथ गुड्डी के जोबन के ऊपर पहुंचता…उस चपल बाला ने अपने दोनों हाथों से छुपा लिया था. और मुड के मुझे विजयी निगाह से देखा.
वो चपल थी तो मैं चालाक
मैंने अपने हाथ उसकी जांघो की ओर बढ़ा दिए..और फ्राक उठाने लगा..
वो चिल्लाई …” नहीं नहीं…प्लीज वहां नहीं…आज नहीं…अभी नहीं …प्लीज …” और उसके दोनों हाथ फ्राक पे …
वो चिल्लाई …” नहीं नहीं…प्लीज वहां नहीं…आज नहीं…अभी नहीं …प्लीज …” और उसके दोनों हाथ फ्राक पे …
यही तो मैं चाहता था. पलक झपकते फ्राक नीचे से छोड़ मैंने ..ऊपर पकड़ लिया और जब तक वो समझती, सम्हलती …दोनों उभार मेरी मुट्ठी में थे.उसने कुछ शिकायत कुछ खीझ कुछ गुस्से में मेरा हाथ छुड़ाने की कोशिश करती हुयी बोली,
” तुम ना…..ये फोउल है…”
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” प्यार और जंग में कुछ भी फाउल नहीं होता मेरी सोन चिरैया …” मैं कस के उसके उभार दबाते बोला.
वो समझ गयी थी की अब मेरी मुट्ठी नहीं खुलने वाली. उसने उरोजों से मेंरा हाथ छुडवाने की कोशिश छोड़ दी और मुंह फुला के बोली,
” तुम भी ना …सबके सामने …इस तरह…कैसे बोलते हो…सब लोग…”
” क्यों चंदा भाभी ..आपको कुछ बुरा लगा…” मैंने पुछा..
” एक दम नहीं…तुमने कुछ कहा क्या मैंने तो सुना ही नहीं…” मुस्कराते हुए वो बोलीं.
“और रीत तुम्हे…कुछ गलत लगा…”
“एकदम लगा …” चमक के वो बोली. अपनी मुस्कान छुपाने की नाकाम कोशिश करते हुए उसने कहा…” ये कोई तरीका है किसी जवान लड़की से पेश आने का…मेरी तो इत्ती कस कस के दबा रहे थे अब तक दुःख रहा है और उस की …फूल से छु रहे हो…क्या मजा आएगा बिचारी को…और फागुन में सब लोग बनारस में एक दम खुल्लम खुला बोलते हैं और तुम..”
गुड्डी ने को रीत को देख जीभ निकाल के मुंह चिढा दिया…और मैंने कस के अब उसके उभार दबा दिए.
” क्या करूँ तुम्हारी दी…बोल रही है…” मैंने कहा.
” दी का तो बहाना है मजा तुम ले रहे हो…बदमाश… रात को देखना…बहोत तंग कर रहे हो ना…” फुसफुसा के वो बोली.
मेरी उंगलियाँ उसके किशोर उभारों पे भी मेरे गालों का रंग छोड़ रही थीं.लेकिन ज्यादा रंग तो रीत के उभारों पे ही लग गया था.
तभी मेरी खोजी निगाह…गुड्डी के पीठ की ओर पड़ी.
” ये बात है…” चड्ढी के पास फ्राक फूली हुयी थी.
मैंने झट से हाथ डाल के निकाल लिया…रंग की सारी ट्यूबें …लाल…गुलाबी, काही, नीला…पीला..
जैसे किसी हारती हुयी सेना को रसद का भंडार मिल जाय वो हालत मेरी थी.
मैंने उसे पकडे पकडे एक हथेली पे गुलाबी दूसरे पे लाल रंग मला …
दी…वो चीख रही थी, छटपटा रही थी..
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” हाँ …आप आई थी ना मुझे बच्चाने…” रीत मुस्करा रही थी और उस की बड़ी बड़ी आँखें मुझे उकसा रही थीं…
” तू कह रह थी ना की सब के सामने …सही बात है तो चलो अन्दर हाथ डाल देता हूँ…” मेरे एक हाथ ने आराम से उसके बटन खोले और रंग लगा दूसरा हाथ अन्दर…
” और क्या छुट्टी नीचे वाली की है…ऊपर थोड़े ही है…” चंदा भाभी बोलीं.
हे हे ..क्या करते हो…वो नखड़ा दिखा रही थी लेकिन मैं भी जानता था की उसे अच्छा लग रहा है और वो भी जानती थी की मैं रुकने वाला नहीं हु…मुझे रात की चंदा भाभी की बात याद आरही थी की उसे खूब रगडो, सब के सामने रगडो ..सारी शर्म गायब कर दो तब वो मजे ले ले के करवाएगी.
फले तो मैंने दोनों हाथों से उसके मस्त उभार पकडे, दबाये…अब मैं सीख गया था की कैसे उँगलियों के निशाँ वहां छोड़े जाते हैं. मैं बस कस कस के दबा रहा था जोबन रस लूट रहा था.
रीत दूर खड़ी चिढा रही थी उसे…” क्यों गुड्डी मजा आ रहा है…अरे यही तो उम्र है इन उभारों का रस लूटने का..”
और मैं भी अब मेरी उंगलिया..कभी उसके निपल को फ्लिक करतीं कभी पिंच कर देती…रंग तो बस एक बहाना था.
गुड्डी भी अब खुल के दबवा रही थी, मजे ले रही थी..फिर वो मेरे कान में बोली…
” अरे यार मेरे साथ तो रात भर खुल के और खोल के लोगे…वो जो खिलखिला रही है ना..काम रस मेरा मतलब आम रस वाली…उसके आमों का रस लूटो ना फिर कब पकड़ में आएगी..”
रीत तंग पीली कमीज और शलवार में हम दोनों को देख के मुस्करा रही थी..
” क्या पक रहा है तोता मैना में…” वो बोली “क्यों साजिश तो नहीं हो रही.”
अरे नहीं मैं ये देख रहा था की किसका बड़ा है …गुड्डी का या..” मैं हंस के बोला.
” बड़ा तो रीत दी का ही है…मुझसे बड़ी भी तो हैं …” गुड्डी बोली.
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
” घबडा मत घबडा मत…लौट के आयेगी न एक हफ्ते के बाद तब देखूंगी …कम से कम दो नंबर बढ़ जायेंगे ये…” रीत ने चिढाया.
मैं जैसे रीत कीओर बढ़ा, वो चालाक मेरा इरादा भांप गयी और तेजी से मुड़ी…लेकिन पीछे चंदा भाभी…आखिर रीत उनकी भी तो ननद थीं.
” अरे कहाँ जा रही हो ननद रानी कौन सा यार इन्तजार कर रहा है…” उन्होंने उसका रास्ता रोका और इतना समय काफी था मेरे लिए.
” मुझ से बड़ा यार कौन होगा..मेरी भाभी भी साली भी…” मैंने बोला और पीछे से पकड़ लिया.
मछली की तरह वो फिसली लेकिन…सामने चंदा भाभी और मेरी पकड़ भी…
वो समझ रही थी की मेरे हाथ कहाँ जाने वाले हैं इसलिए उसने दोनों हाथ सीधे अपने उभारों पे..
” एक बार ..ले ले ने दो ना अन्दर से…प्लीज..” मैंने अर्जी लगाई.
” तो ले लो न…मैंने कब मना किया है ” उस शैतान ने बड़ी बड़ी आँखे नचा के बोला.
वो भी जानती थी और मैं भी की बिना ऊपर का हुक खोले..मेरा हाथ ऊपर से अन्दर नहीं जा सकता. और जब तक वो हाथ हटाएगी नहीं…
मैं हाथ नीचे नाड़े की और ले गया पर वो एक कातिल अदा से मुस्करा के बोली…
” हे हे…एक ट्रिक दो बार नहीं चलती..” वो देख चुकी थी की मैने कैसे गुड्डी के साथ…
लेकिन मेरे तरकश में सिर्फ एक ही तीर थोड़े ही था..मेरे दोनों हाथ उसकी जांघो तक पहुंचे फिर एक झटके में उसका कुरता ऊपर उठा दिया. कुरता ऊपर से तो टाईट था लेकिन नीचे से घेर वाला..और जब तक वो सम्हले सम्हले मेरा हाथ अन्दर…
तुरतं वो ब्रा के ऊपर…लेसी ब्रा में उसके उड़ने को बेताब गोरे गोरे कबूतर..और मेरे हाथ में लगा लाल गुलाबी रंग ब्रा के ऊपर से ही उसे रंगने लगा …
” अब ताला लगाने से क्या फायदा जब चोर ने सेंध लगा ली हो…” चंदा भाभी ने रीत को छेडा और ये कहते हुए अन्दर किचेन में चली गयीं की वो दस पन्दरह मिनट में आती हैं.
बिचारी रीत…उसने मुझे देखा और अपने हाथ हटा लिए..
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एक बार पहले ही मैं उन कबूतरों को आजाद करा चूका था और मुझे मालूम था की ये फ्रंट ओपन ब्रा है..इसलिए अगले पल चटाक चटाक …हूक खुल गया और वो जवानी के रसीले खिलोने बाहर …
” थैंक्स रीत..” मैं बोला और गले ही पल उसके गदराये रसीले जोबन, मेरी मुट्ठी में…
क्या मस्त उभार थे..एकदम परफेक्ट ..खूब कड़े भी…मुलायम भी..जस्ट रायप…पहले तो बस मैं छूता रहा ..सहलाता रहा…तभी मुझे होश आया की यार ये टाइम ऐसे ही…मैंने गुड्डी को आवाज दी …
” हे यार …जरा सीधी के पास…चंदा भाभी तो बोल के गयी हैं दस पन्दरह मिनट के लिए तो बस सीढ़ी ही…अगर कोई आता दिखाई दे न तो आवाज लगा देना…”
” अच्छा जी…मुझसे चौकी दारी करवाई जा रही है..
रीत ने भी उसकी ओर रिक्वेस्ट के तौर पे देखा..और गुड्डी सीढ़ी के पास जा के खड़ी हो गयी.
रंग लगाते लगाते मैं रीत को टेबल के पास ले के आ गया था. सहारे के लिए झुक के उसने टेबल पकड़ ली थी और झुक गयी थी.
अब उसके मस्त चूतड ठीक मेरे तन्नाये लिंग से ठोकर खा रहे थे.
मैंने खुल के मम्मे मसलने शुरू कर दिए..क्या चीज है ये भी यार …मैं सोच रहा था…कभी दबाता कभी मसलता कभी रगड़ता और कभी निपल पकड़ के कस के खिंच देता..
वो सिसकियाँ भर रही थी, अपने मस्त चूतड रगड़ रही थी.. सिर्फ तन से ही नहीं मन से भी वो बेस्ट थी…
रीत इज बेस्ट
मैंने कान में उसके फुसफुसाया
जवाब में वो सिर्फ सिसक दी
खुला टैरेस…लेकिन मैं जैसे पागल हो रहा था..थोडा सा बरमूडा सरका के ..मैंने अपना हथियार सीधे उसके छेद पे…
” ओह्ह नहीं फिर कभी अभी नहीं….वो सिसकियाँ भर रही थी..लेकिन साथ ही उसने अपनी टाँगे चौड़ी कर ली..
” रीत..रीत,,,बस थोडा सा…खाली टच…ओह मैंने खुला सुपाडा उसके पुत्तियों पे रगड़ रहा था…
वो पिघल रही थी…मैंने कस के उस सुनयना की पतली बलखाती कमर पकड़ ली…
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तभी खट खट की सीढ़ी पे आवाज हुयी और गुड्डी बोली
‘ अरे दूबे भाभी जल्दी…’
मैं और रीत तुरंत कपडे ठीक करने में एक्सपर्ट हो गए थे.
मैंने उसकी थांग ठीक की और उसने तुरंत अपनी पाजामी का नाडा बाँध लिया..मैंने उसका कुरता खींच के नीचे कर दिया..
गुड्डी भी..उसने मेरा बार्मुडा ऊपर सरकाया और हम तीनों अच्छे बच्चों की तरह टेबल पे किसी काम में बिजी हो गए.
चंदा भाभी भी बाहर आ गयी थीं और हम लोगों को देख के मुस्करा रही थीं…उन्हें अच्छी तरह अंदाज था ..
तब तक सीढ़ी पर से दूबे भाभी आयीं मैं उन्हें देखता ही रह गया…
जबरदस्त फिगर …दीर्घ नितंबा…गोरा रंग ..तगड़ा बदन…भारी देह लेकिन मोटी नहीं..मैं देखता ही रह गया.
लाल साडी, एकदम कसी , नाभि के नीचे बाँधी, सारे कर्व साफ साफ दीखते स्लीवलेस लो कट आलमोस्ट बैक लेस लाल ब्लाउज , गले से गोलाइयाँ साफ साफ झांकती, कम से कम ३८ डी डी की फिगर रही होगी. नितम्ब तो ४० + विज्ञापन वाली जो फोटुयें छपती हैं ..एकदम वैसे ही ….
पूरी देह से रस टपकता ..लेकिन सबसे बड़ी बात थी…एक दम अथारटी फिगर …डामिनेटिंग एकदम सेक्सी ….
उन्होने सबसे पाले रीत और गुड्डी को देखा और फिर मुझे…नीचे से ऊपर तक…उनकी निगाह एक पल को मेरे बारमुड़े में तने लिंग पे पड़ी और उन्होंने एक पल के लिए चंदा भाभी को मुस्करा के देखा..लेकिन जब मेरे चेहरे पे उनकी नजर गयी …एकदम से जैसे रंग बदल गया हो…
मेरे रंग लगे पुते चेहरे को वो ध्यान से देख रही थीं …फिर उन्होंने गुड्डी और रीत को देखा…दोनों बिचारियों की सिट्टी पिट्टी गम …
” ये रंग ..किसने लगाया…” ठंडी आवाज में वो बोलीं
..किसी ने जवाब नहीं दिया फिर चंदा भाभी बोलीं..”नहीं होली तो आपके आने के बाद ही शुरू होने वाली थी लेकिन…बच्चे हैं खेल खेल में …ज़रा सा.”
” वो मैंने पुछा क्या… सिर्फ पूछ रही हूँ…रंग किसने लगाया….”
” वो जी…इसने…” गुड्डी ने सीधे रीत की और इशारा कर दिया.
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बिचारी रीत घबडा गयी…वो कुछ बोलती उसके पहले मैं बीच में आ गया..
” नहीं भाभी…बात ऐसी है की…इन दोनों की गलती नहीं है…वो तो मैंने ही…पहले तो मैंने ही उन दोनों को…रंग लगाया…ये दोनों तो बहोत भाग रही थीं…फिर जब मैंने लगा दिया तो उन दोनों ने मिल के…मेरा ही हाथ पकड़ के मेरे हाथ का रंग मेरे मुंह पे…”
दूबे भाभी ने रीत और गुड्डी को देखा..चेहरे तो दोनों के साफ थे लेकिन दोनों के ही उभारों पे मेरी उँगलियों की रंग में डूबी छाप…एक जोबन पे काही स्लेटी और दूसरे पे …सफेद वार्निश…और वही रंग मेरे गाल पे.
वो मुस्करायीं और थोडा माहौल ठंडा हुआ.
” अरे गलती तुम्हारी नहीं एईसी साल्लिया हो…ऐसे मस्त जोबन हो तो किस का मन नहीं मचलेगा…” वो बोलीं और पास आके एक उंगली उन्होंने मेरे गले के पास और हाथ पे लगाई जहां गुड्डी ने तेल लगाया था.
” बहोत याराना हो गया तुम तीनों का एक ही दिन में..” वो बोलीं..और फिर कहा..चलो रंग छुडाओ…साफ करो एक दम…”
मैं जब टेरेस पे लगे वाश बेसिन की ओर बढ़ा तो फिर वो बोलीं..तुम नहीं …ये दोनों किस मर्ज की दवा हैं…जबतक ससुराल में हो हाथ का इस्तेमाल क्यों करोगे …इन के रहते..”
और हम तीनो वाश बेसिन पे पहुंचे..मैंने पानी और साबुन हाथ में लिया तो गुड्डी बोली,…
” ऐसे नहीं साफ होगा तुम्हे तो कुछ भी नहीं आता सिवाय एक काम के..”
” वो भी बिचारे कर नहीं पाते …कोई ना कोई आ टपकता है …” रीत मुंह बना के बोली.
” मैं क्या करूँ मैंने तो मना नहीं किया..और मैं तो चौकीदारी कर ही रही थी…तेरी इनकी किस्मत …” मुंह बना के गुड्डी बोली..और चली गयी.
” करूँगा रीत और तीन बार करूंगा कम से कम …आखिर तुम्ही ने तो कहा था की हमारा रिश्ता ही तिहरा है…मुझे मेरी और तेरी किसमत के बारे में पूरी तरह से मालूम है…” हंस के मैंने हलके से कहा..
रीत का चेहरा खिल गया..बोली…एकदम..और मेरी गिनती थोड़ी कमजोर है…तुम तीन बार करोगे और मैं सिर्फ एक बार गिनुंगी…फिर दुबारा से …” तब तक गुड्डी आगई उस के हाथ में कुछ थिनर सा लिक्विड था…दोनों ने पानी हथेलियों पे लगाया और साफ करने लगी.
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” यार हमारी चालाकी पकड़ी गयी …” रीत बोली
” हाँ दूबे भाभी के आगे…” गुडी बोली.
तब मुझे समझ में आया प्लानिग …गुड्डी की थी और सपोर्ट रीत और चन्दा भाभी का ..मेरे चेहरे पे जो फ़ौंडेशन और हे चंदा..चकोरी…ज़रा यार से गप बंद करो…और इसके बाद साबुन से….इक एकूँद रंग की नहीं दिखनी चहिये वरना इसकी तो दुरगति बाद में होगी पहले तुम दोनों की..” दूबे भाभी गरजीं.
उन दोनों के हाथ जोर जोर से चलने लगे. मैंने चिढाया…
” हे रीत, मैंने तेरी ब्रा के अन्दर कबूतरों के पंख लाल कर दिए थे…उन्हें भी सफेद कर दूँ फिर से…”
” चुप…” जोर से डांट पड़ी मुझे रीत की.
तीन चार बार चेहरा साफ किया..मुझे चंदा भाभी की याद आई की एक बार इसी तरह कोई इन लोगों का देवर ‘बहोत तैयारी’ से तेल वेळ लगा के जिससे रंग का असर ना पड़े…आया था…किशोर था ११-१२ में पढ़ने वाला ..
दूबे भाभी ने पहले तो उसके सारे कपडे उतरवाए..पूरा नंगा किया…और फिर वहीँ छत पे सबके सामने खुद होज से …फिर कपडे धोने वाला साबुन लगा के..फिर निहुराया..
” चल …जैसे पी टी करता है…टांग फैला….और और…पैरों की उँगलियाँ छु …हाँ चूतड उंचा कर और ..और साल्ले वरना ऐसे ही मुर्गा बनवाउंगी …” वो बोलीं.
उसने कर दिये फिर सीधे गांड में होज डाल के ..
” क्यों बहन के भंडुवे..गांड में भी तेल लगा के आया था क्या गांड मरवाने का मन था क्या…”
ये रगड़ाई हुई उसकी की १० दिन तक रंग नहीं छुटा.
चेहरा साफ होने के बाद जब मैं दूबे भाभी की और मुडा तो उनका चेहरा …ख़ुशी से दमक उठा…
“उन्हह अब दुल्हन का रंग निखारा है .” ..मुस्करा के वो बोलीं…और मेरे गाल को सहलाते हुए उन्होंने चन्दा भाभी से शिकायत के अंदाज में कहा..
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” क्या मस्त रसीला रसगुल्ला है …क्यों अकेले..अकेले..”
चन्दा भाभी ने शर्मातेझिझकते बोला…अरे नहीं ..आप को तो इंतज़ार ही हम कर रहे थे…ये तो कल ही भागने के फिराक में था बड़ी मुश्किल से गुड्डी ने इसे रोका…”
दूबे भाभी ने गुड्डी और रीत को देखा और मुस्करा के बोली..” चीज ही ललचाने लायक है…तुम दोनों मचल गयी तो…”
मैं सच में दुल्हन की तरह शर्मा रहा था. बात बदलने के लिए मैंने कहा…
” भाभी ये गुलाब जामुन तो खाइए…”
” एक क्या मैं दो खाऊँगी…तुम खिलाओगे तो..” मैंने अपने हाथ से उन्हें दिया. रीत भी झट से मेरे साथ आगई..
” ये दिल्ली से लायें है…वो चांदनी चौक वाली मशहूर दूकान से…” वो बोली.
” सच अरे तब तो एक और…”
डबल डोज वाले नत्था के दो गुलाब जामुनों का असर तो होना ही था थोड़े देर में.
उनकी निगाह बियर के ग्लासों पे पड़ी…ये क्या है.
रीत अब मेरी परफेक्ट असिस्टेंट बनती जा रही थी…” अरे भाभी ये इम्पोर्टेड …ड्रिंक है स्पेशल …ये लाये हैं..”
मेरे कहने पे वो शायद ना मानतीं लेकिन रीत तो उनकी अपनी ननद थी.
” हाँ एकदम…लीजिये ना मेरे हाथ से …” मैं बोला उन्होंने लेते समय मेरी उँगलियों को रगड़ दिया.
बियर पीते पीते उनकी निगाह गुड्डी की ओर पड़ी…
” तू पिछले साल बच आगयी थी ना होली में आज सूद समेत…सारे कपडे उतार के…” दूबे भाभी पे गुलाब जामुन का असर चढ़ रहा था.
चंदा भाभी ने कुछ उनके कान में फुसफुसाया..दूबे भाभी की भौंहे चढ़ गयीं..लेकिन फिर बियर की एक घूँट लगा के बोलीं..
” गलत मौके पे आती है तेरी ये सहेली…” फिर कुछ सोच के कहा…” चल कोई बात नहीं…आज छुट्टी है तो होली के दिन तक तो ….होली के तो अभी ५ दिन है..उस दिन कोई नाटक मत करना ”
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” लेकिन मैं तो आज…इन के साथ…ममी ने बोला था…अभी थोड़े देर में ही …होली वहीँ ..” गुड्डी घबडाते हुए बोल रही थी.
अब तो दूबे भाभी का पारा…जैसे किसी के हाथ से शिकार निकल जाय..मुझसे बोलीं…
” तू तो आओगे ना इसको छोड़ने..तो फिर रंग पंचमी में…रुकोगे ना…”
” असल में मेरी ट्रेनिग ..दो दिन लगता है कोई सीधी गाडी भी नहीं हैं यहाँ से…दिल्ली होके…बस इसको ड्राप कर के…”
दूबे भाभी का जैसे चेहरा उतर गया हो सारा भांग और बियर का नशा गायब हो गया. दूबे भाभी का जैसे चेहरा उतर गया हो सारा भांग और बियर का नशा . फिर उनकी भौंहे चढ़ गयीं. उन्होंने कुछ चंदा भाभी से कहा…मैं और रीत थोड़ी दूर खड़े थे. चन्दा भाभी ने अलग हट के कुछ गुड्डी को बुला के कहा. उस बिचारी का चेहरा भी बुझ गया. वो बार में ना ना के इशारे से सर हिलाती रही. जैसे कोई उर्जेंट कांफ्रेंस चल रही फिर वो मेरे पास आई और मेरे कान में बोली…
” हे दूबे भाभी बहोत नाराज है ..क्या तुम किसी तरह …एक दिन और नहीं रुक सकते…वो रंग पंचमी के दिन….कोई रास्ता निकालो. …प्लीज…”
तुम्हे तो मेरी मजबूरी मालूम है…ना…उसी दिन मेरी ट्रेनिंग शुरू होने वाली है ..और फिर ट्रेन से कम से कम दो दिन लगता है…दो दिन से कम का नुक्सान …कैसे बताओ…” मैंने उसे समझाने की कोशिश की.” लेकिन मैं भी क्या करूँ….तुम्ही बताओ…” वो हाथ मसल रही थी. मैं क्या बोलता. उसकी आँखे नाम हो रही थीं…वो फिर बोली…” यार तुम जानते नहीं हो…मेरा आज का तुम्हारे साथ चलने का प्रोग्राम भी खटाई में पड़ सकता है. वो ना क्या गायें किससे क्या…यार इत्ती मुश्किल से तुम्हारे साथ कुछ दिन रहने का…कुछ करो प्लीज..तुम यहाँ से दिल्ली बाई एयर चले जाना कुछ टाइम बच जाएगा..”
मैंने फिर उसे समझाया…” अरे यार टिकट एयर का…मल्लों है..चलो मान लो…लेकिन तुम्हारे मम्मी पापा भी तो आ जायेंगे …फिर क्या फायदा होगा यहाँ रुकने का…” सिर्फ मेरा ही नहीं उस का दिमाग भी चाचा चौधरी से तेज चलता था. मेरा हाथ पकड़ के उस ने एक आइडिया दिया…” अरे वो…लेकिन…तेरी बात तो सही है…लेकिन ..हाँ …एक बात बोलूं ..उन लोगों का रिजर्वेशन लौटने का पका तो नहीं था ना तुमने प्रामिस किया था की तुम करा दोगे….”
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” हाँ बोला था मैंने…लेकिन अभी बोला नहीं है एक दो दिन पहले ही बताउंगा…वि आई पी कोटे के लिए….” मैंने बोला.
” अरे तो मत बोलो उनको…और मम्मी को बोल देना की अभी नहीं हो पा रहा है …दो दिन बाद का मिल पायेगा..जिस दिन तुम्हे जाना हो यहाँ से उस दिन का…ले लें..फिर तुम उस दिन का करा देना…” गुड्डी बोली…
” तुम ना…लेकिन वो मेरा ट्रेनिग इंचार्ज ना मेरी ले लेगा…एक घंटे लेट नहीं हो सकते और यहाँ…” मैंने समझाने की फिर कोशिश की…
” तुम भी तो समझो…मैं कुछ कहती हूँ…कुछ करो ना..और यार तुम दो दिन रह लोगे यहाँ…रित भी तो है…उसके साथ भी…” गुड्डी ने नया चारा डाला.
मैंने सामने देखा …रीत..एकदम सेक्सी…टाईट कुरते में उसके मस्त उभार छलक रहे थे..जवानी के कलशे..रस से भरे ..पतली बलखाती कमर..और नीचे मस्त गदराये चूतड…चिकनी केले के तने की तरह जांघे …मुझे देख के मुस्करात एहुये उसने अपने रसीले होंठों को हलके से काट लिया और एक भौंह ऊँची कर दी….बस..
बिजली गिर गयी.
कभी कभी आदमी पाने दिमाग से नहीं दिल से काम करता है और कई बार दिल दिमाग छोड़ के सिर्फ अपने लिंग के बस में हो जाता है….मेरी वही हालत हो गयी..
” चलो तूम इतना कहती हो तो आ जायेंगे हम लोग एक दिन पहले और मैं रंग पंचमी पे रुक जाउंगा..” मैं मुस्करा के बोला.
रीत पास आ गयी थी.
” लौट के आयेंगे ये रंग पंचमी में …” गुड्डी बोली …अरे वाह फिर तो… रीत ने अपनी गोरी कलाई ऊँची की और दोनों ने दे ताली..
गुड्डी चंदा भाभी की ओर गयी.
रीत ने मेरी ओर हाथ किया और हम दोनों ने भी दे ताली…
” हे तुम्हे मालूम है ना की मै क्यों लौट रहा हूँ…” मैंने रीत से पूछा…
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” एकदम …”और उस की निगाहों ने मेरी आँखों की …चोरी …उस के किशोर जोबन को घूरते ..पकड़ ली थी…
” नदीदे …लालची …बदमाश” वो बोली और मेरी ओर हाथ मिलाने के लिए हाथ बढ़ा दिया.
मैंने जबर्दस्त हैण्ड शेक किया और हलके से उसका हाथ दबा दिया..
” तो पक्का ना…जब मैं आउंगा…”
” एकदम यार तुम जब कहो…मैं हरदम राजी हूँ…” वो हंस के बोली.
तब तक गुड्डी लौट आई थी. उस की ख़ुशी छपाए नहीं छिप रही थी.
“चंदा भाभी कह रही थीं…की तुम खुद दुबे भाभी से बोलो ना तो उन्हें अच्छा लगेगा…” वो बोली.
चलो…और मैं गुड्डी का हाथ पकड़ के दूबे भाभी की ओर चल पडा…
” मैं हम दोनों ..रंग पंचमी के पहले ही आ जायेंगे…और मैं एक दिन रूक के जाऊँगा…गुड्डी बोल रही थी की यहाँ पे रंग पंचमी जबरदस्त होती है तो मैंने सोचा की ..उसके पहले तो मैंने कभी देखी नहीं हैं फिर आप लोगों के साथ.
मेरी निगाहें रीत के कटाव पे, गदराये मस्त उभारों पे टिकी हुयीं थी. आज बहले बच जाय उस दिन तो ..चाहे जो हो जाय…और वो सारंग नयनी भी मुस्करा रही थी…मेरी आँखों में आँखे डाल के …होना है तो हो जाय….अब इत्ते दिनों से बचा के तो ये जोबन रखा है …लुट जाय तो लुट जाय…
हमारी आँख का खेल रुका दूबे भाभी की आवाज से …
” अरे ये तो बहोत अच्छी बात है चलो कुछ मीठा हो जाय…” और प्लेट से उठा के उन्होंने एक गुलाब जामुन मेरे मुंह में
मैंने बहोत नखड़ा किया…मुझे तो मालूम था के ये दिल्ली के नहीं नत्था के भंग के डबल डोज वाले….हैं और मेरे अलावा चंदा भाभी को और गुड्डी को…लेकिन चंदा भाभी भी दूबे भाभी के साथ …
” अरे ये ऐसे कोई चीज़ नहीं घोटते…जबरदस्ती करनी पड़ती है…ये बिन्नो के ससुराल वालों की आदत है…” और ये कह के उन्होंने दबा के मेरा मुंह खुलवा लिया..जैसे रात में पान खिलाने के लिए उन्होंने और गुड्डी ने मिल कर किया था…
और गप्प से बड़ा सा गुलाब जामुन मेरे अन्दर….
मैं आ आ करता रह गया…तभी रीत बोली….
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” असल में रंग पंचमी में आने की इनकी एक शर्त थी बोलो ना…भाभी से क्या शरमाना ….”
वो शैतान की चरखी…मेरे समझ में नहीं आ रहा था…की ये क्या खतरनाक तीर छोड़ने जा रही है…
” बोली ना ,,,” बचा खुचा शीरा मी गाल पे लथेडती दूबे भाभी प्यार से बोलीं.
मुझे मालूम होता तो बोलता न…
” तू बोल ना ….तुझसे तो तिहरा रिश्ता है…”चन्दा भाभी ने रीत को चढाया.
बोल दूं…” अपनी बड़ी बड़ी कजरारी आँखे नचा के वो बोली.
” बोलो न…” दूबे भाभी और चंदा भाभी एक साथ बोलीं.
” असल में इनकी एक बहन है…” रीत ने मुझे देख मुस्कराते हुए कहा…
” मेरे ही क्लास में पढ़ती है…इन्टर में गयी है…” गुड्डी बोली..
” मेरी ममेरी ….” मैंने बोला…
” बिन्नो की इकलौती ननद …” चंदा भाभी बोलीं…
” वो असल में जब से राकी को जब से उन्होंने देखा है…उसका …इन्हें पसंद आ गया है तो उसके लिए इस लिए ये तोल मोल के बोल कर रहे थे…उसे ये अपना …” लेकिन उसकी बात काट के दूबे भाभी बोलीं…
” नहीं ऐसे नहीं…”
गुड्डी और चन्दा भाभी मुश्किल से अपनी हंसी दबा रही थीं…सिर्फ मेरी समझ में नहीं आरहा था की कैसे रियेक्ट करू समझ में नहीं आ रहा था…
दूबे भाभी बोली…” मेरी भी एक बल्कि दो शर्त है.. पहली राकी का रिश्ता सिर्फ उस से थोड़े ही इनके घर की सारी…मायाकेवालियों से…”
” एक दम सही बोली आप…”चंदा भाभी ने जोड़ा…” और एक बार जब राकी उस पे चढ़ जाएगा…तो इनके घर वालियां सारी उस की साली , सलहज, तो लगेंगी ही…और दूसरी बात ”
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” ठीक बोली तुम तो पहली शर्त तो मंजूर ही हो गयी और दूसरी सुन…” वो गुड्डी से मुखातिब थीं …
” इनकी जो कजिन है…ना उसकी सील अभी खुली है की नहीं…”
गुड्डी तो तुरंत उस गेम में ज्वाइन हो गयी …
” नहीं मेरे खयाल से नहीं…” बड़ी सीरियस बन के वो बोली…
” तो फिर वो राकी का कैसे ..दूबे भाभी ने कुछ सोच के फिर गुड्डी को पकड़ा…” अच्छा सुन तू जा रही है ना इनके साथ…तो ये तेरी जिम्मेदारी की यहाँ लाने के पहले उस की नथ उतरवा देना…किससे उतरवाएगी…” दूबे भाभी ने फिर गुड्डी से बोला.
गुड्डी कुछ बोल पाती उसके पहले रीत मैदान में आ गयी और मेरी रूह काँप उठी…उसने उसने सीधे दूबे भाभी से बोला.
” अरे इसमें कौन सी प्रोब्लम है…ये है ना पांच हाथ का आदमी..और वैसे भी गुड्डी ये तेरी कोई बात तो टालते नहीं ….तो तू बोलेगी तो ये वो काम भी कर देंगे…अरे सीधे से नहीं तो टेढ़े से…है ना और मजा तो इनको भी आएगा है ना…” उसकी शरारत से भरी आँखे मेरी ओर ही थीं.
मैं या गुड्डी कुछ बोलते उसके पहले दूबे भाभी बोल पड़ीं …” ये तो तूने सही बात बोली. और इस गुड्डी की हिम्मत नहीं मेरी कोई बात टालने की और सीधे गुड्डी को धमकाते बोलीं …
” समझ गयी ना तू…अगर तूने नथ नहीं उतरवाई ना उसकी यहाँ आने से पहले…तो सोच ले मैं चेक करुँगी …अगर वो कच्ची कली निकली…तो मैं तेरी गांड की नथ उतार दूंगी ..पूरी कुहनी तक डाल के ..तू तो जानती है मुझको…”
” और वो भी समझ ले की उतरवानी किससे है…कोई कनफूजन नहीं होना चाहिए…” दुष्ट रीत वह मौक़ा क्यों छोड़ती.
” एकदम ” चन्दा भाभी और दूबे भाभी दोनों ने मेरी ओर देखते हुए, मुस्करा के एक साथ बोला.
” अरे यार तुम्हारी कुँवारी बहन की नथ उतरने वाली है कीती खुश खबरी है..चलो इसी ख़ुशी में मीठा हो जाए…” और चंचल रीत ने एक झटके में फिर गुलाब जामुन मेरे मुंह में..
हे हे मैंने खाने से पहले कुछ नखड़ा किया…लेकिन वो ..कहाँ मानने वाली..
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” दूबे भाभी दे रही थीं तो झट से ले लिया और मैं दे रही हूँ तो…इता नखड़ा ..भाव बता रहे हो…” वो इस अदा से बोली की….
” अरे नहीं यार…तूम दो और मैं ना लूं ये कैसे हो सकता है…” मैंने भी उसी अंदाज में जवाब दिया.
” अरे तो एक और लो ना…” वो बोली लेकिन मैं ने बात मोड़ दी….
” अरे गुड्डी को भी तो खिलाओ…” और मैंने कस के गुड्डी को पकड़ लिया और दबा के उसका मुंह खोल दिया…भांग वाला एक गुलाब जामुन उसके मुंह के अन्दर…वो छटपटाती रही और मैंने एक और गुलाब जामुन …
” मेरे हाथ से भी तो खाओ ना…रीत का हाथ क्या ज्यादा मीठा है…”
खा तो उसने लिए लेकिन बोली…
” पहले तो मैं सोच भी रही थी लेकिन जैसे तुमने जबरदस्ती की ना…वैसे ही तुम्हारे साथ हाथ पैर पकड़ के …भले ही अपने हाथ से पकड़ के डलवाना पड़े तुम्ही से उसकी नथ उतरवाउंगी…”
” क्या पकड़ोगी ..क्या डलवाओगी …” चन्दा भाभी ने हंस के गुड्डी से पूछा.
बात काटने के लिए मैंने चन्दा भाभी से कहा…” भाभी आपने गुझिया इत्ती अच्छी बनायी हैं खुद तो खाइए…” और उन के न न करते हुए भी मैंने और रीत ने मिल के उन्हें खिला ही दी.
” अन्दर नहीं जा रहा है लीजिये इसके साथ ..” और मैंने बैकार्डी मिली हुयी लिम्का भी चन्दा भाभी को पिला दी.
सब पे असर शुरू हो गया. रीत ने गुड्डी को भी बियर का एक ग्लास पिला ही दिया. खुद उसे तो मैं पहले ही वोदका कैनेबिस और भंग से मिले दो गुलाब जामुन खिला चूका था. रीत ने डूबे भाभी को भी बियर दे दिया था और मुझे भी…
” हाँ तो तुमने बताया नहीं…क्या पकड़ोगी ..क्या डलवाओगी ” चंदा भाभी गुड्डी के पीछे पड़ गयी थीं. मैंने बचाने की कोशिश की तो रीत बिच में आगई…उसे भी चढ़ गयी थी.
” अरे बोल ना गुड्डी…अरे नाम लेने में शर्म लग रही तो कैसे पकड़ोगी और कैसे डलवाओगी …” रीत ने उसे चैलेंज किया और बोली…सुन अगर बिना उसे नथ उतरवाए ले आई ना …”
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
” एकदम …गुड्डी के गोरे गोरे गालों को सहलाते हुए दूबे भाभी ने प्यार से कहा…अरे बोल दे ना साफ साफ …इसका लंड पकडूँगी और इसकी बहन की बुर में डलवाउंगी ..”.
” अरे ये गाने वाने का इंतजाम किया है तो कुछ लगाओ ना…” चंदा भाभी ने कहा और दूबे भाभी भी बोली…ये रीत बहोत अच्छा डांस करती है ….”
” पता नहीं मैंने तो देखा…नहीं…” मैंने उसे चढ़ाया…
दूबे भाभी भी बोली…ये रीत बहोत अच्छा डांस करती है ….”
” पता नहीं मैंने तो देखा…नहीं…” मैंने उसे चढ़ाया…
” अभी दिखाती हूँ…” वो बोली और उसने गाना लगा दिया कुछ देर में स्पीकर गूँज रहा था…
.
आय्यी ..चिकनी चमेली चिकनी चमेली ..
और साथ में रीत शुरू हो गयी ,
बिच्छू मेरे नयना, वादी जहरीली आँख मारे..
कमसिन कमरिया साल्ल्ली की…ठुमके से लाख मारे …
सच में कैट के जोबन की कसम…रीत की बलखाती कमर के आगे..कैटरीना झूठ थी.
मैंने जोर से सीने पे हाथ मारा और गिर पडा …बदले में रीत ने वो आँख मारी…की सच में जान निकल गयी.
उस जालिम ने जाके बियर की एक ग्लास उठाई पहले तो अपने गदराये जोबन पे लगाया और फिर गाने के साथ…
आय्यीई …..चिकनी चमेली चिकनी चमेली ..छुप के अकेली…
पव्वा चढ़ा के आई..वो जो उसने होंठो से लगाया…
उधर रीत का डांस चल रहा था इधर गुड्डी ने बियर के बाकी ग्लास चंदा और दूबे भाभी को ..एक मैंने गुड्डी को देदिया और और एक खुद भी
चंदा भाभी पे भंग और बियर का मिक्स चढ़ गया था….
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
मेरे चेहरे पे हाथ फेर के बोली..अरे राज्जा बनारस …तुन्हू तो चिकनी चमेली से कम ना हौउवा….
दूबे भाभी को तो मैंने बैकर्डी के दो पेग लगवा दिए थे ऊपर से बियर और उसके पहले डबल भांग वाले दो गुलाब जामुन…लेकिन नुक्सान मेरा ही हुआ …मेरे पीछे की दरार में उंगली चलाती बोलीं… ” अरे राज्जा …कोइयी के कम थोड़ी है …ये बस निहुराओ…सटाओ…घुसेड़ो…बच के रहना बनारस में लौंडे बाजों की कमी नहीं है…”
लेकिन इन सबसे अलग मेरी निगाह. मन सब कुछ तो वो हिरणी, कैटरीना कैटरीना ऊप्स मेरा मतलब रीत चुरा के ले गयी थी.
वो दिल चुराती बांकी नजर, चिकने चिकने गोरे गोरे गाल ..रसीले होंठ…
जंगल में आज मंगल करुँगी मैं..
भूखे शेरो से खेलूंगी मैं आय्यीई …..चिकनी चमेली चिकनी चमेली ..छुप के अकेली..
.
मेरा शेर ९० डिग्री पे हो गया.
मेरे हाथ का बियर का ग्लास छिन के पहले तो उसने अपने होंठों से लगाया और फिरे मुझे भी खींच लिया और अपनी बलखाती कमर से एक जबरदस्त ठुमका लगाया…
मैंने पकड़ के उसे अपनी बांहों में भर लिया और कस के उसके गालों पे एक चुम्मा ले लिया..
हाय .. गहरे पानी की मछली हूँ राज्जा
घाट घाट दरिया में घूमी हूँ मैं
तेरी नजरो की लहरो से हार के आज डूबी हूँ मैं …
बिना मेरी बाहें छुडाये…मेरी आँखों में अपनी कातिल आँखों से देखती …वो श्रेया के साथ गाती रही और उसने भी एक चुम्मा कस के मेरे लिप्स पे…
हम दोनों डूब गए…बिना रंग के होली….
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
उसने कस के अपनी जवानी के उभारों से मेरे सीने पे एक धक्का लगाया, और वो मछली फिसल के… बाहों के जाल से बाहर…
और मुझे दिखाते हुए जो उसने अपने उभार उभारे….वैसे भी मेरी रीत के उभार कैटरीना से २० ही होंगे उन्नीस नहीं…
आय्यीई …..चिकनी चमेली चिकनी चमेली
जोबन ये मेरा केंची है राज्जा
सारे पर्दों को काटूँगी मैं
शामे मेरी अकेली है आजा संग तेरे बाटूंगी मैं
उसके दोनों गोरे गोरे हाथ उसके सत्रह के जोबन के ठीक नीचे…और जो उभारा उसने …फिर सीटी,,,
उसके दोनों गोरे गोरे हाथ उसके सत्रह के जोबन के ठीक नीचे…और जो उभारा उसने …फिर सीटी,,,
जवाब में दूबे भाभी ने भी सीटी मारी और बोली…
“अरे दबा दे पकड़ के साल्ली का ..मसल दे…”
जवाब में …रीत ने अपनी मस्त गोरी गोरी जांघे चौड़ी की और मेरे देख के फैला के एक धक्का दिया…जैसे चुदाई में मेरे धक्के का जवाब दे रही हो…और अपने हाथ सीधे अपने उभारों पे कर के एक किस मेरी और उछाल दिया…
“अरे अब तो बसंती भी राजी…मौसी भी राजी…” ये कह के मैंने पीछे से उसे दबोच लिया और उस के साथ डांस करने लगा. मेरे हाथ उसके उभारों के ठीक नीचे थे…दुपट्टा तो ना जाने कब का गायब हो गया था…गुड्डी ने आँखों से इशारा किया…अरे बुद्धू ठीक ऊपर ले जा ना…सही जगह पे …साथ में चन्दा भाभी ने भी..
डांस करते करते वो बांकी हिरणी भी मुड के मुस्कराई…और फिर उसने जो जोबन को झटका दिया…
तोड़ के तिजोरियों को लूट ले ज़रा …
हुस्न की तिल्ली से बीडी -चिल्लम जलाने आय्यी
आई चिकनी ..चिकनी …आई ..आई
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
फिर तो मेरे हाथ सीधे उसे के मस्त किशोर छलकते उभारों पे..
जवाब में उसने अपने गोल गोल चूतड मेरे तन्नाये शेर पे रगड़ दिया…फिर तो…मैंने कस के उसके थिरकते नितम्बों के बीच की दरार पे लगा…
अबस मन कर रहा था की बस अब सीधी इसकी पजामी को फाड़ के…’ ‘ वो अन्दर घुस जाएगा..
हम दोनों बावले हो रहे थे…फागुन तन से मन से छलक रहा था बस गाने के सुर ताल पे मै और वो…
मेरे दोनों हाथ उसके उभारों पे थे और …बस लग रहा था की मैंने उसे हचक हचक के चोद रहा हूँ और वो मस्त हो के चुदवा रही है….हम भूल गए थे की वहां और भी है…
लेकिन श्रेया घोषाल की आवाज बंद हुयी ..और हम दोनों लग रहा था किसी जादुई तलिस्म से बाहर आ गए. इक पल के लिए मुझे देख के वो शर्मा गयी और हम दोनों ने जब सामने देखा तो दूबे भाभी, चंदा भाभी और गुड्डी तीनों मुस्करा रही थीं. सबसे पहले चंदा भाभी ने ताली बजाई. . फिर दूबे भाभी ने और फिर गुड्डी भी शामिल हो गयी.
” बहोत मस्त नाचती है ना रीत…” दूबे भाभी बोलीं ..और वो खुश भी हुयी शरमा भी गयी लेकिन भाभी ने मुझे देख के कहा…लेकिन तुम भी कम नहीं हो…”
” अरे बाकी चीजों में भी ये कम नहीं है… बस देखने के सीधे हैं…” चंदा भाभी ने मुझे छेड़ा, लकिन दूबे भाभी ने बात पकड़ ली.
” अच्छा तो करवा चुकी हो क्या…तुम…ले लिया रसगुल्ले का रस..” हंस के वो बोलीं.
अब चंदा भाभी के झेंपने की बारी थी. लेकिन गुड्डी ने बात बदली …” अरे इनकी वो बहना जो इनके साथ आयेंगी..वो भी बहोत सेक्सी नाचती है…”
” अरे उससे तो मैं मुजरा करवाउंगी..चूंची उठा उठा के…कोठे पे बैठाउंगी उसे तो…” दूबे भाभी बोल रही थीं की रीत..जो अब हम सब के पास बैठ चुकी थी मुझसे बोली..
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” अरे ये तो बड़ी ख़ुशी की बात है…किसी काम का शुभारंभ हो तो…कुछ मीठा जो जाय…और जबतक मैं सम्ह्लूं उस दुष्ट ने पास में राखी भांग पड़ी चन्दा भाभी द्वारा निर्मित एक गुझिया मेरे मुंह में…और दूबे भाभी से बोली…
” उससे स्ट्रिप टीज भी करवाएंगे ..आज कल इसकी डिमांड ज्यादा है..क्यों…”
पता नहीं दूबे भाभी को बात पसंद नहीं आई या समझ नहीं आई…वो बोलीं..
” आज कल ना…अरे बनारस की होली में भोजपुरिया होली जब तक ना हो…पता नहीं तुम्ह सबन को आता भी है की नहीं. ”
वो पल में रत्ती पल में माशा…मैंने सब की और से बोला…क्यों नहीं …अभी लगाता हूँ…एक…”
मैंने चन्दा भाभी के कलेकसं में से एक सीडी लगाई.
लेकिन वो एक दूईट सांग पहले मर्द की आवाज में …
” हे तुम्ही करना मुझे नहीं आता…” रीत ने धीरे से मेरे कान में फुसफुसा के कहा..”.कोई फास्ट नंबर हो फिल्मी हो यहाँ तक की भांगड़ा हो लेकिन ये…गावं के ..मैंने कभी नहीं किया.”
” अरे यार जो आज तक नहीं किया…वही काम तो मेरे साथ करना होगा न…” मैंने चिढाया.
मैं बोला तो धीमे से था लेकिन चन्दा भाभी ने सुन लिया…
वो बोलीं…” अरे रीत करवा ले करवा ले …”
रीत दुष्ट …उस ने शैतान निगाहों से गुड्डी की और देखा …गुड्डी भी कम नहीं थी…” अरे करवा ले यार ..एक दो बार में इनका घिस नहीं जाएगा…वैस एबी अब दूबे भाभी का हुकुम अहि की मुझे इनसे इनकी कजन की नथ उतरवानी है…”
तब तक गाना शुरू हो गया था. मैंने उसे खींचते हुए बोला…
“अरे यार चलो नखड़ा ना दिखाओ. शुभारम्भ..और अबकी जब तक वो समझे सम्हाले…मेरे हाथ से गुझिया उसके मुंह में…
और गाने के साथ डांस करना शुरू कर दिया…
” होली में अब रेलम रेल होई…महंगा अब सरसों का तेल होई…होली में पेलम पेल होई…”
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
मैंने अब खुल के कुल्हे मटका के ..जंग बहादुर वैसे तन्नाये हुए थे आगे पीछे कर के…लेकिन अब मेरी रीत भी कम नहीं थी…उसने मुंह बिछा के जोबन उचा के..जैसे ही फिमेल वायस आई उसी तरह जवाब दिया…
कभी वो मुस्काती कभी ललचाती और जब पास आता तो अदा दिखा एके एक चक्कर लेके दूर हो जाती ..
वो गा रही थी…
” होली मैं ऐसन जो खेल होई जबरी जो डारी तो जेल होई…
होली में जो होई उम्मी उम्मा …इ गाले पे जबरी जो लेई हो चुम्मा
.इ गाले पे जबरी जो लेई हो चुम्मा , पोलिस के डंडा से मेल होई…
जिस तरह से अदा से वो हाथ ऊपर करती…उसके उभार तन के साफ झलक जाते…और फिर अपने आप उसने जो आपने आप गाल पे हाथ फेरा…और पोलिस के डंडे की एक्टिंग की…
दूबे भाभी, गुड्डी और चंदा भाभी साथ गा रही थी..
अगला गाना और खतरनाक था…
चोली में डलवावा साल्ली होली में हौल हौले…
चोली में डलवावा साल्ली होली में हौल हौले…
लेकिन अब हम सब अच्छी तरह भांग के नशे में धुत थे…
अरे वो संध्या नहीं आई : दूबे भाभी ने पुछा..
मुझे गुड्डी बता चुकी थी…संध्या…इन लोगों की ननद लगती थी मोहल्ले के रिश्ते में ..२३-२४ साल की तिन चार महीने पहले शादी हुयी थी. इनके यहाँ ये रिवाज था की होली में लड़की मायके आती है और दुल्हे को आना होता है …मंझोले कद की थीं फिगर भी अच्छा था..
‘ मैंने फ़ोन तो किया था लेकिन वो बोली की उसके उनका फ़ोन आने वाला था …बस करके आ रही है…” चन्दा भाभी बोली…
” आज कल की लडकियां ना…उनका बस चले तो अपनी चूत में मोबाइल डाल लें जब देखो तब…” दूबे भाभी अपने असली रंग में आ रही थीं…
” अरे घर में तो वो अकेले ही है क्या पता सुबह से मइके के पुराने यारों की लाइन लगवाई हो…”
तब तक वो आ ही गयीं…मुस्कराती खिलखिलाती…
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
” मैं सुन रही थी सीढ़ी से आप लोगों की बात…अरे बोला था ना मुझे एक बार उनसे बात आकर के समझान था की दो चार घंटे मैं फ़ोन से दूर रहूंगी… लेकिन आप लोग …”
बात वो चंदा भाभी से कर रही थीं लेकिन निगाहें उनकी मुझ पे टिकी थीं. गाना कब का बंद हो चुका था.
” तो क्या गलत कह रही थी…हमारी ननदे ना…झांटे बाद में आती है…बुर में खुजली पहले शुरू हो जाती है…जब तक एक दो लंड का नाश्ता ना कर लें ना …ठीक से नींद नहीं खुलती…क्यों रीत…गलत कह रही हूँ…” हंस के चन्दा भाभी बोली.
” मुझसे क्यों हुंकारी भरवा रही हैं मैं भी तो आपकी ननद ही हूँ…” वो हंस के बोली
” तभी तो” वो बोलीं लेकिन मोर्चा संध्या भाभी ने संभाला…
” एक दम सही बोल रही हैं आप लेकिन ननद भी तो आप ही लोगों की है…आप लोग भी तो रात में सैयां दिन में देवर ..कभी नंदोई…तो हम लोगों का मन भी तो करेगा ही ना…”
” ठीक है तुम्हारे वो आयेंगे ना होली में तो अदल बदल लेते हैं…वो भी आमने सामने तुम मेरे सैयां के साथ और मैं तुम्हारे …” दूबे भाबी ने दावत दी,
” अच्छा तो मेरे भैया से ही…ना बाबा ना…” फिर धीरे से चंदा भाभी से बोली…ये माल मस्त लगता है इससे भिड्वा दो ना टांका…” मेरी और इशारा करके कहा.
मेरी निगाह भी संध्या भाभी के चोली से झांकते जोबन पे गडी थी. रीत ने ही पहल की और हम दोनों का इंट्रो करवा दिया और उनसे बोली…अच्छा हुआ आप आ गयीं अब हम दो ननदे हैं और भाभियाँ दो…”
” अरे कोई फरक नहीं पडेगा चाहे तुम दो या बीस…” हंस के डोबे भाभी बोली लेकिन आज तो रगड़ाई होगी इस साल्ले की भी और तुम सबों की भी…”दूबे भाभी हंस के बोली.
” मैंने डरने की एक्टिंग करता हुआ बोला,
” अरे ये तो बहोत नाइंसाफी है…मैं एक और आप पांच ….”
” तो क्या हुआ..मजा भी तो आयेगा..आपको..और द्रौपदी के भी तो पांच पति थे…तो आज आपद्रौपदी और हम पांडव…” रीत ने मुस्करा के कहा.
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
” एक दम दी…गुड्डी क्यों मुझे खींचने में पीछे रहती..फर्क सिर्फ यही होगा की पांडव तो बारी बारी से..और हम कभी बारी बारी …कभी साथ साथ..” हंस के गुड्डी ने कहा..
” अरे काहें घबडाते हो …वो तुम्हारी बहन कम माल जब आएगी यहाँ …तो वो भी तो एक साथ पांच पांच को निपटाएगी..” दूबे भाभी बोलीं..
रीत आँख नचा के बोली…” बड़ी ताकत है भाई …तीन तो ठीक ही लेकिन..पांच ..वो कैसे…”
” अरे यार एक से चुदवायेगी…एक से गांड मरवाएगी, एक का मुंह में लेके चूसेगी…” चंदा भाभी बोली.
” और बाकी दो…”
“बाकी दो लंड हाथ में ले के मुठियायेगी…” दूबे भाभी ने बात पूरी की.
मैं संध्या भाभी को पटाने के चक्कर में ..उन्हें गुलाब जामुन, दही बड़ा और स्प्राईट ( असल में वोदका कैनाबिस ज्यादा ) और वो भी बाकी लोगों की हालत में आगयीं.
“हे तुम्हे मालूम है संध्या गाती भी अच्छा है और नाचती भी ..खास तौर से ….लोक गीत …”
” गाइए ना भाभी …मैं बोला…तो वो झट मान गयी.
चन्दा भाभी ने ढोल संभाली. ” नकबेसर कागा ले भागा अरे सैयां भगा ना जागा …अरे सैयां अभागा ना जागा…”
वो मेरी और इशारा कर के गा रही थी…साथ में रीत और गुड्डी भी..संध्या भाभी ने रीत के कान में कुछ पुछा और उसने फुसफुसा के बताया.
मैं समझ गया कांस्पीरेसी मेरे ही खिलाफ है…और संध्या उठ गयी और डांस भी करने लगीं…
अरे नकबेसर कागा ले भागा मेरा सैयां अभागा ना जागा…अरे आनंद साला ना जागा…:
उड़ उड़ कागा चोलिया पे बैठ…आनंद की बहिना के चोलिया पे बैठा….चोलिया पे बैठा…अरे अरे…
और उन्होंने रीत को खिंच लिया डांस करने के लिए और दोनों मिल के मेरी और इशारे करते हुए
ं अरे उड़ उड़ कागा आनंद की बहिना के ….चोलिया पे बैठा…अरे जोबन के सब रस ले भागा..
और उस के बाद तो संध्या भाभी और रीत ने जो अपने जोबन उछाले, अपने जवानी के उभार कोई आइटम गर्ल भी मात हो जाए और वो भी मुझे दिखा के
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
” अरे इस बहना के भंडुवे को भी खिंच ना…” संध्या भाभी ने रीत को इशारा किया और उस सहितान को तो बहाने की भी जरूरत नहीं थी. उसने मेरा हाथ खिंच के खड़ा कर दिया. ( खड़ा तो मेरा वैसे भी पहले से ही था..)
मैं भी उनके साथ चक्कर लेने लगा..गाना संध्या भाभी और दुबे भाभी ने आगे बढाया..
” अरे उड़ उड़ कागा साया पे बैठा ..उड़ उड़ कागा आनंद की बहिना के ….साया पे
अरे अभी वो स्कर्ट पहनती है…गुड्डी ने आग लगाई.
दूबे भाभी ने तुरंत करेक्शन जारी किया…” अरे उड़ उड़ कागा आनंद की बहिना के स्कर्ट पे बैठा …लेकिन गाना आगे बढ़ता उसके पहले मैंने रीत को कस के अपनी बाहों में खिंच लिया और कस कर उसके उभारों को अपने सीने से दबा दिया और अपने तने हथियार से उसकी गोरी गोरी जाँघों के बीच धक्के मारते हुए मैंने गाना बढ़ाया…
” अरे उड़ उड़ कागा रीत के पजामी पे बैठा …उड़ उड़ कागा रीत के पजामी पे बैठा …
अरे बुरियो का सब रस ले भागा अरे बुरियो का सब रस ले भागा ”
मोरे जुबना का देखो उभार
पापी जुबना का देखो उभार
जैसे नदी की मौज
जैसे तुर्कों की फ़ौज
जैसे सुलगे से बम
जैसे बालक उधम
जैसे कोयल पुकार
देखो-देखो उभार …
जैसे हिरनी कुलेल
जैसे तूफ़ान मेल
जैसे भँवरों की झूम
जैसे सावन की धूम
जैसे गाती फुहार
देखो-देखो उभार …
जैसे सागर पे भोर
जैसे उड़ता चकोर
जैसे गेंदवा खिले
जैसे लट्टू हिले
जैसे गद्दर अनार
देखो-देखो उभार …
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
मैंने रीत को कस के अपनी बाहों में खिंच लिया और कस कर उसके उभारों को अपने सीने से दबा दिया और अपने तने हथियार से उसकी गोरी गोरी जाँघों के बीच धक्के मारते हुए मैंने गाना बढ़ाया…
” अरे उड़ उड़ कागा रीत के पजामी पे बैठा …उड़ उड़ कागा रीत के पजामी पे बैठा …
अरे बुरियो का सब रस ले भागा अरे बुरियो का सब रस ले भागा ”
चंदा भाभी और दूबे भाभी भी मेरा ही साथ देने लगे गाने में …..
रीत ने उनकी और देख के बुरा सा मुंह बनाया…तो चन्दा भाभी हंस के बोलीं…” अरे यार हमारी भी तो ननद हो तो गाली देने का मौका हम क्यों छोड़ें …”
मैंने फिर से उसके उभार को पकड़ के धक्का मारते हुए गाया
” अरे उड़ उड़ कागा रीत के पजामी पे बैठा …उड़ उड़ कागा रीत के पजामी पे बैठा …
अरे बुरियो का सब रस ले भागा अरे बुरियो का सब रस ले भागा
तुम कागा हो क्या…वो चिढाते हुए बोली. और दूर हट गयी.
” एक दम तुम्हारे लिए कागा क्या सब कुछ बन सकता हूँ….” मैंने झुक के कहा…
और मैं झुक के उठ भी नहीं पाया था की होली शूरु हो गयी …
पहले गुड्डी और फिर रीत दुहरा हमला ..लेकिन थोड़े ही देर में ये तिहरा हो गया…संध्या भाभी भी…
रंग पेंट सब कुछ…
होली रीत और गुड्डी की गुलाबी हथेलियों में थी, उनकी नीम निगाहों में थी, शहद से रसीले होंठों में थी…कौन बचता …और बचना भी कौन चाहता था
आगे से गुड्डी पीछे से रीत…एक ओर से छोटी सी टाईट फ्राक और दूसरी ओर से शलवार कमीज …मैंने मुड के रीत को देखा और कहा,
” ये अच्छी आदत सीख ली है तुमने …पीछे से वार करने की…”
” जैसे आप कभी पीछे से नहीं डालेंगे क्या…” आँख नचा के वो मस्तानी अदा के साथ बोली.
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
डबल मीनिंग डायलाग बोलने में अब वो मेरे भी कान काट रही थी. और रीत के मस्ताने चूतड देख के मन तो मेरा भी कर रहा था की पिछवाड़े का भी मजा लिए बिना उसे नहीं छोड़ने वाला मैं…
दायाँ गाल पे गुड्डी का हाथ और बायाँ गाल पे रीत का …
पीठ पे रीत के जोबन रगड़ रहे थे तो सीने पे गुड्डी के किशोर उभार
होली में जब भी मैं किशोरियों को रंग से भीगे लगभग पारदर्शक कपड़ों में देखता था …उन चिकने गालों को जिन्हें छूने की सिर्फ हसरत ही हो सकती है उसे छूने नहीं बल्कि रगड़ने मसलने सब का लाइसेंस मिल जाता है और यहाँ तो बात गालों से बहोत आगे तक की थी.
रीत ने पीछे से मेरे टाप में हाथ डाल दिया और थोड़ी देर सीने पे रंग मसलने रगड़ने के बाद…सीधे मेरे टिट्स पिंच कर दिए.
मेरी सिसकी निकल गयी.
गुड्डी ने भी आगे से हाथ डाला और दूसरा टिट उसके हाथ में…
” रंग लगा रही हो……..या मैंने शिकायत के अंदाज में बोला.
” अच्छा नहीं लग रहा है फिर सिसकियाँ क्यों भर रहे थे” रीत आँख नचा के और कस के पिंच करते हुए बोली. ..
“मन मन भावे मूड हिलावे…” गुड्डी क्यों पीछे रहती. उसने अपने उभार कस के मेरे सीने पे रगड़ दिए और एक हाथ से मेरे टाप के अन्दर ( बल्कि गुन्जा का जो टाप मैंने पहन रखा था उसके अन्दर ) मेरे पेट पे रंग लगाने लगी.
” तुम दो दो हो ना. इस लिए अकेले मिलो तो बताऊँ…”
” अच्छा सच बताओ नहीं पसंद आ रहा है हम दोनों से साथ साथ करवाना…” आपने गुलाबी होंठो को मेरे कान से छुलाते हुए दुष्ट रीत बोली.
किसे पसंद नहीं आता दो किशोरियों के बीच सैंड विच बनना.. जिन रसीले जोबनों के बार में सोच सोच के लोगों का खड़ा हो जाय …वो खुद सीने और पीठ पे रगड़े जा रहे हों…
” अरे झूठ बोल रहे हैं …उनकी बहन आएगी ना तो तीन तो मिनिमम …उस से कम में तो उस का मन ही नहीं भरेगा…एक आगे एक पीछे ..एक मुंह में…” गुड्डी बोली . वो अब चंदा भाभी का भी कान काट रही थी.
रीत अब दोनों हाथों से कस कस के मेरे सीने पे रगड़ रही थी ठीक वैसे ही जैसे कोई ..किसी लड़की के जोबन मसले …बीच बीच में मेरे टिट भी पिंच कर लेती.
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
” रीत …सोच लो मेरा भी मौक़ा आएगा…इतना कस के दबाऊंगा , मजा लूँगा तेरे इन गदराये जोबन का न…”
” तो ले लेना ना..और छोड़ा है क्या अभी …” वो शोख बोली.
” अभी तो ब्रा के ऊपर से ही दबाया था …” मैंने धीरे से बोला…
गुड्डी की एक हाथ की उंगलिया पेट से सरक के बार्मुडा के अन्दर घुसाने की कोशिश कर रही थीं . वो भी मैदान में आगई बोली,
” अरे ये तो सख्त नाइंसाफी है रीत दी के साथ ..ब्रा के ऊपर से क्यों…वैसे वो भागेंगी…नहीं ”
‘ शैतान की नानी …रीत बोली…मेरी वकालत करने की जर्रूरत नहीं है ..वैस भी पहले तो तेरी फट्नी है…रीत का भी एक हाथ पीछे से मेरे बार्मुडा में घुस चुका था ( वैसे वो भी गुंजा की ही था कपडे तो पहले ही इन दोनों दुष्टों..रीत और गुड्डी के कब्जे में चले गए थे )
” बात तो आपकी सोलहो आना सही है.. मैं इसे छोडने वाली थोड़ी थी ( और गुड्डी की रंग लगी मझली उंगली सीधे मेरे तन्नाये लिंग के बेस पे…मुझे जोर का झटका जोर से लगा) …लेकिनक्या करूँ ये साल्ली मेरी सहेली गलत मौके पे आ गयी ” और फिर वो मुझे उकसाने लगी..
” हे तब तक तू रीत की क्यों नहीं ले लेते बहोत गरमा रही है ये…”
रीत ने जवाब में अपनी रंग लगी मझली उंगली बार्मुडा में सीधे मेरी गांड की दरार में रगड़ के दी.
मैं फिर मस्ती में सिसकी ली …
” चुटकी जो काटी तूने…” रीत ने गाया और एक बार कस के मेरे टिट पे चुटकी काट ली…दूसरा हाथ बा सीधे पिछवाड़े पे…
” क्यों रीत मंजूर जो गुड्डी बोल रही है …” मैंने रीत से पुछा.
” दो बार तो बच के निकल गयी मैं….” वो हंस के बोली और कस कस के रंग लगाने लगी.
” तीसरी बार नहीं बचोगी….” मैंने धमकाया.
” नहीं बचूंगी तो नहीं बचूंगी…जिस शोख अदा से उस हसीं ने कहा की मेरी तो जान निकल गयी.
तीसरी बार नहीं बचोगी….” मैंने धमकाया.
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
” नहीं बचूंगी तो नहीं बचूंगी…जिस शोख अदा से उस हसीं ने कहा की मेरी तो जान निकल गयी. लेकिन अभी सवाल मेरे बचने का था…जैसे किसी के गर्दन पे तीखी तलवार रखी हो लेकिन वो ना कटे ना छोड़े वो हालत मेरी हो रही थी.
और सामने संध्या भाभी ..अपने हथेलियों में मुझे दिखा के लाल रंग मल रही थीं.. उनकी ट्रांसपरेंट सी साडी में उनका गोरा बदन झलक रहा था. भारी जोबन खूब लो कट ब्लाउज से निकलने को बेताब थे. सद्य विवाहित औरतों पे एक नए तरह की हो जोबन आ जाता है …वही हालत उनकी थी. चूतड भी खूब भरे…
” तुम दोनों रगड़ लो फिर मैं आती हूँ इन्हें बनारस के ससुराल की होली का मजा चखाने …” वो मुस्करा के रीत और गुड्डी से बोली…
” ना आ जाइए आप भी ना थ्री इन वन मिलेगा इनको…” रीत और गुड्डी साथ साथ बोली.
दूबे और चंदा भाभी बैठ के रस ले रही थीं लेकिन कब तक…दूबे भाभी अपने अंदाज में बोली…
” अरे इस गंडवे को तो एक साथ दो लेने की बचपन से आदत है…एक गांड में एक मुंह में …” ” अरे इस बिचारे को क्यों दोष देती है साल्ल्ली छिनार चुद्दकड़..इसकी माय्केवालिया…मरवाना डलवाना तो इस साले बहनचोद के खून में है हरामी का जना…” भांग अब चंदा भाभी को भी चढ़ गयी थी.
संध्या भाभी आगयी रीत और गुड्डी के साथ ..लेकिन मुझे बचने का रास्ता मिल गया.
गुड्डी ने थोड़ा हट के उन्हें जगह दी मेरे चेहरे पे रंग मलने के लिए…( वैसे भी वो दोनों शैतान अब कमर के नीचे ‘इंटरेस्ट ज्यादा” ले रही थीं.) दी और साइड में हो गयी.
बस यहीं मुझे मौका मिला गया.
रंग वंग तो मेरे पास था नहीं…लेकिन संध्या भाभी की गोरी गोरी पतली कमरिया…किसी ‘इम्पोर्टेड कमरिया’ से भी ज्यादा सेक्सी रसीली थी…उनका गोरा चिकना पेट कुल्हे के भी नीचे बंधी साडी से साफ खुला था और मेरे दोनों हाथ बस अपने आप पहुँच गए.संध्या भाभी के हाथ तो मेरे गालों पे बिजी हो गए और इधर मेरे हाथों ने पहले तो उनकी पतली कमरिया पकड़ी और फिर चुपके से साए के अन्दर फँसी साडी को को हलके हल्के निकालना शुरू कर दिया. काफी कुछ काम हो चुका था तब तक मेरी आँखे उनकी चोली फाड़ती चून्चियों पे पड़ी और मेरे लालची हाथ पेट से ऊपर ..लाल ब्लाउज की और…औरत को उअर कुछ समझ में आना आयते लेकिन मर्द की चाहे निगाह ही उसके उभारों की और पड़ती है तो वो चौकन्नी हो जाती है. यही हुआ.
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
इस आपाधापी में गुड्डी और रीत की पकड़ भी कुछ हलकी हो चुकी थी.
संध्या भाभी ने मेरा हाथ रोकने की कोशिश की.
मेरे एक हाथ में उनके आँचल का छोर था.
मैंने उसे पकड़ा और कस के झटका मार के तीनों की पकड़ से बाहर …
जब तक संध्या भाभी समझती समझतीं..मैंने उनके चारों ओर एक चक्कर मार दिया….साये से तो साडी मैं पहले निकाल चुका था…
उनकी साडी मेरे हाथ में…
” भाभी इत्ती महंगी साडी कहीं रंग से खराब हो जाती ..मैं नहीं लगाता लेकिन आपकी इन दोनों बुद्धू बहनों का तो ठिकाना नहीं था ना…” मैंने रीत और गुड्डी की ओर इशारा करके कहा.
वो दोनों दूर खड़ी खिलखिला रही थीं.
” फिर होली तो भाभी से खेलनी है उनके कपड़ों से थोड़े ही…” बहूत भोलेपन से मैं बोला.
बिचारी संध्या भाभी शरमाती, लजाती और….ब्लाउज साए में लजाते हुए वो बहुत खूबसूरत लग रही थीं. उनके लम्बे काले घने बाल किसी तेल शम्पू के विज्ञापन लग रहे थे. और पल भर के लिए वो झुकीं अपने साए को थोडा ऊपर करने की असफल कोशिश करने तो,
उनका ब्लाउज इत्ता ज्यादा लो कट था क्लीवेज तो दिखा ही, निपल्स तक की झलक नजर आ गयी.
मैं तो पत्थर हो गया. ( खासतौर पे ८ इंच तक) .
साया भी इतने कास के बंधा था की नितम्बो का कटाव, जांघ की गोलाइयां सब कुछ नजर आ रही थीं..अब तक तो मैं बिना हथियार बारूद के लड़ाई लड़ रहा लेकिन मैंने सोचा थोडा रंग वंग ढूंढ लिया जाय… मैंने इधर उधर निगाह दौड़ाई कहीं कुछ नजर नहीं आया.
” क्या ढूंढ रहे हो लाला…” हंस के दूबे भाभी ने पुछा.
” रंग वंग ..कुछ मिल जाय….” मैंने दबी जुबान में कहा.
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
” अरे यार तुम ना…रह गए…बिन्नो ठीक ही कहती है तुम न तुम्हे कुछ नहीं आता सिवाय गांड मराने के और अपनी बहनों के लिए भंडुआ गिरी करने के …अरे बुद्धुराम ससुराल में साली सलहज से होली खेलने के लिए रंग की जरुरत थोड़े ही पड़ती है…अरे गाल रंगों काट के चूंची लाल करो दाब के और…
आगे की बात चंदा भाभी ने पूरी की …” चूत लाल कर दो चोद चोद के…”
लेकिन साथ साथ ही उनहोने अपनी बड़ी बड़ी कजरारी आँखों से इशारा भी कर दिया की रंग किधर छुपा के रखा है उन सारंग नयनियों ने…
गुझिया के प्लेटे के ठीक पीछे …पूरा खजाना…रंग की पुडिया डिब्बी पेंट की ट्यूब…कई घर होली खेल लें …और मैंने सब एक झटके में अपने कब्जे में कर लिया और फिर आराम से पक्के लाल रंग की ट्यूब खोल के संध्या भाभी को देखते हुए अपने हाथ पे मलना शुरू कर दिया…” ये बेईमानी है तुमने मेरी साडी खींच ली और खुद…” संध्या भाभी ने ताना दिया.
” ये बेईमानी है तुमने मेरी साडी खींच ली और खुद…”
संध्या भाभी ने ताना दिया.
” अरे भाभी आप ने अभी भी ऊपर २ और निचे २ पहन रखे हैं…मैंने तो सिर्फ दो …” हंस के मैं बोला.
रंग अब संध्या भाभी के हाथ में भी था और मेरे भी…बस इसू यही था …कौन पहल करे. भाभी ने पहले तो टाप से निकलती मेरी बाहों की मछलियां देखीं और फिर जो उनकी निगाह मेरे बार्मुडा..पे पड़ी.
तम्बू पूरी तरह तना हुआ था.
जिम्मेदार तो वही थीं…बल्कि उनके चोली फाड़ते गोरे गदाराए मस्त जोबन…सी बल्कि डी साइज रही होगी. और यहीं उन्होंने गलती कर दी. उनका ध्यान वहीँ टिका हुआ था और मैं एक झटके में उनके पीछे और मेरे दायें हाथ ने एक बार में ही उनके हाथों समेत कमर को जकड लिया. अब वो बिचारी हिल दुल नहीं सकती थीं. मेरा रंग लगा बाया हाथ अभी खाली था. लेकिन मुझे कोई जल्दी नहीं थी…मैं देख चुका था की अपने तन्नाये लिंग का उनपर जादू. अपने दोनों पैरों के बीच मैंने उनके पैर फंसा दिए कैंची की तरह अब वो हिल डुल भी नहीं सकती थीं. मेरा तना लंड अब सीधे उनके चूतड की दरार पे…हलके हलके मैं रगडने लगा. इस हालत में ना तो रीत और गुड्डी देख सकती थीं ना चन्दा और दूबे भाभी की मैं कया कर रहा हूँ.
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
” क्या कर रहे हो ” …संध्या भाभी फुस्फुसाइन.
:” वही जो ऐसी सुपर मस्त और सेक्सी भाभी के साथ होली में करना चाहिए.” मैं बोला.
” मक्खन लगाने में तो उस्ताद हो तुम…” वो मुस्करा के बोलीं फिर मेरी और मुड़ के मेरी आँखों में अपनी बड़ी बड़ी काजल लगी आँखे डाल के हलके से बोली..
” और वो जो तुम पीछे से डंडा गडा रहे हो वो भी होली का पार्ट है क्या.
” एकदम…मैं आपको अपनी पिचकारी से इंट्रोड्यूस करा रहा हूँ…” मैं भी उसी तरह धीमे से बोला.
” बचाए ऐसी पिचकारी से…ये रीत और गुड्डी को ही दिखाना.”
” अरे वो तो बच्चियां हैं ..पिचकारी का मजा लेने की कला तो आपको ही आती है.: मैंने मस्का लगाया.
” जर्रोर बच्चियां हैं लपलपाती रहती हैं तुम्ही बुद्धू हो सामने पड़ीं थाली …और जरा सा जबरदस्ती करोगे तो पूरा घोंट लेंगी…” वो बोली. मैंने गांड की दारार में प्लिंग का प्रेशर और बढाया और रंग लगी उंगली उनके गाल पे छुलाते हुए बोला…” लेकिन भाभी मुझे तो मालपूवा ही पसंद है…” अपनी रंग से डूबी दो उंगलियाँ उनके चिकने गालों पे छुलाते मैं बोला.
रंग से दो निशान मैंने उनके गोरे गाल पे बना दिया लेकिन मेरी निगाह तो उनके लो कट ब्लाउज से झनकते दोनों गोरी गोलाइयों पे टिकी थीं. क्या मस्त चून्चिया थीं…और मेरा हाथ सरक के सीधे उनकी गर्दन पे …
” ऊप्स क्या करूँ भाभी आपके गाल ही इतने चिकने हैं….की मेरा हाथ सरक गया…” मैं बोला.
वो मेरी शरारत जानती थीं. लाल ब्लाउज लो कट तो था ही आलमोस्ट बैकलेस भी था. सिर्फ एक पतली सी डोरी पीछे बंधी थी. और गहरा गोल कटा होने से सिर्फ दो हुक पे उन भारी गदराये जोबनों का भार…ब्रा भी लेसी जालीदार हाल्फ कप वाली …
उन्होंने रीत और गुड्डी को साथ आने की गुहार लगाई.
” हे आओं ना तुम दोनों…हम मिल के इनकी ऐसी की तैसी करेंगे ना…” संध्या भाभी बोली.
मैं उनके पीछे खडा था वहीँ से मैंने रीत को आँख मारी और साथ आने से बरज दिया. गुड्डी पहले से ही चन्दा भाभी के पास चली गयी थी किसी काम से
रीत मुस्करा के बोली…
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
” अरे आप काफी हैं ..और वैसे भी मैं तो सुबह से इन की खींचाई कर रही हूँ. जहाँ तक गुड्डी का सवाल है वो तो अगले पूरे हफ्ते इनके साथ रहेगी ..इसलिए अभी आप ही ..वरना कहेंगी की हिस्सा बटाने पहुँच गयी.”\ और ये कह के उस ने थम्स अप का साइन चुपके से दे दिया.
अगले ही पल मेरा हाथ फिसल के चोली के अन्दर और चटाक चटक दो हुक टूट गए
फागुन के दिन चार होली की मस्ती
क्या स्पर्श सुख था, जैसे कमल के ताजा खिले दो फूल.
ब्लाउज बस उनके उभारों के सहारे अटका था. मेरे हाथ का रंग पूरी तरह जालीदार शीयर लेसी ब्रा से छनकर अन्दर और उनके दोनों गोरे गोरे कबूतर लाल हो गए. उनकी ब्राउन चोंचे भी साफ साफ दिख रही थीं.
मेरे हाथ अपने आप उन मस्त रसीले जवानी के फूलों पे भींच गए ..एक दम मेरी मुट्ठी के साइज के ….
रीत से बस थोड़े ही बड़े ..एकदम कड़े कड़े…
वो सिसकीं और बोलीं…
” क्या कर रहे हो सबके सामने’ और उन्होंने एक बार फिर मदद के लिए रीत की और देखा.
लेकिन रीत तो अब मेरी हो चुकी थी. वो बस मुस्करा दी.
मदद आई लेकिन दूसरी और से मेरे पीछे से …वो तो कहिये मेरी छठी इन्द्रिय ने मेरा साथ दिया…मैंने आँख के किनारे से देखा की गुड्डी ने चंदा भाभी को अन्दर से लाके एक बाल्टी पकडाई. पूरी की पूरी बाल्टी भाभी ने मेरी और पीछे से …
लेकिन मैं मुड गया और रंग भरी बाल्टी और मेरे बीच..संध्या भाभी..और सारा का सारा रंग उनके ऊपर…पूरा गाढ़ा लाल रंग..
साडी तो मैंने पहले ही खींच के दुछत्ति पे फ़ेंक दी थी.
रंग सीधे साए पे और वो पूरी तरह उनकी गोरी चिकनी जाँघों लम्बे छरहरे पैरों से चिपक गया. अब कल्पना करने की कोई जरूरत नहीं थी…सब कुछ साफ साफ दिख रहा था.रंग पेट से बह के साए के अन्दर भी चला गया था इसलिए जांघो के बीच वाली जगह पे भी…अन्दर रंग ..बाहर रंग….
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
चंदा भाभी के हाथ में ताकत बहोत थी और उन्होंने पूरी जोर से रंग फेंका था.
सबसे खतरनाक असर उपरकी मंजिल पे हुआ…
बचा खुचा ब्लाउज का आखिरी हुक भी चला गया.
दोनों जोबन ब्रा को फाड़ते हुए और ब्रा भी एक तो जालीदार और दूसरी लगभग ट्रांसपैरेंट ..जैसे बादल की पतली सतह को पार कर पूनम के चाँद की आभा दिखे बस वैसे ही…लेकिन उनकी गुदाज गदराई चून्चियां थोड़ी बच गयीं की वो मेरे हाथों के कब्जे में थी.
” थैंक यू भाभी ” मैंने चन्दा भाभी की ओर देख के उन्हें चिढाते हुए मुस्कराते हुए कहा.
” बताती हूँ तुम्हे अपनी भाभी के पीछे छिपते हो …शर्म नहीं आती..” वो हंस के बोलीं.
” अरे भाभी पिछवाड़े का अलग मजा है ” येकहते हुए मेरा के हाथ सीधा संध्या भाभी के नितम्बो पे…उसे खींच के मैंने उन्हें अपने साथ और सता लिया और अब मेरा खड़ा खूंटा सीधे उनकी पीछे की दरार में,,,रंग से साया चिपकाने से दरार भी साफ झलक रही थी.
” और क्या तेरे जैसे लौंडे चिकने गांडुओं से ज्याद किस को पिछवाड़े का मजा मालूम होगा…” दुबे भाभी अब खड़ी हो गयी थीं.
रीत बिचारी की क्या मालूम था की अगला निशाना वो ही है.
पीछे से दूबे भाभी ने उस बिचारी का हाथ पकड़ा और चंदा भाभी ने उसके उभार दबाते हुए कहा …
” अरे रानी आज होली में भी इसको छिपा रखा है ..दिखाओ ना क्या है इसमें जिसके बारे में सोच सोच के मेरी ननद का नाम ले ले के. सारे बनारस के लौंडे मुट्ठ मारते हैं.”
बिचारी रीत कातर हिरनी की तरह मेरी ओर देख रही थी , लेकिन चन्दा भाभी और दूबे भाभी की पकड़ से बचना …मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था.
इधर संध्या भाभी ने भी उस उहापोह का फायदा उठाते हुए ब्रा में घुसे हुए मेरे लालची हाथों को कस के दबोच लिया.
मैं बुद्धू तो था लेकिन इतना नहीं…मैं समझ गया की ये अपने उरोज बचने के लिए नहीं बल्कि मेरे हाथों से उस यौवन कलश का रस लूटने के लिए उसे उस के ऊपर दबा रही हैं.
बनारस का रस
फागुन का रंग
देवर भाभी का रिश्ता
मैं कौन होता था मना करने वाला. मैं भी कस के गदराये रसीले ३४ सी का मजा लूटने लगा.
बनारस का रस
फागुन का रंग
देवर भाभी का रिश्ता
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
मैं कौन होता था मना करने वाला. मैं भी कस के गदराये रसीले ३४ सी का मजा लूटने लगा.
नुक्सान सिर्फ एक हुआ मैं रीत की मदद को नहीं जा पाया.
लेकिन वो भी शायद फायदा ही हुआ.
रीत को दूबे भाभी और चंदा भाभी ने मिल के टाप लेस कर दिया था.
पूरी तरह नहीं लेकिन सिर्फ अब वो ब्रा में थी और अपनी प्यारी पजामी में.
उसकी लेसी ब्रा से मैंने जो उसके जोबन पे अपनी उँगलियों के निशान छोड़े थे साफ नजर आ रहे थे.
दूबे भाभी ने पहले उन निशानों की और देखा फिर मेरी और मुस्कराने लगी मानो कह रही हों , लाला तुम इतने सीधे नहीं जितने बनते हो.
रीत शरमा रही थी, लजा रही थी और होंठों में हलके हलके मुस्करा रही थी.
शायद उसके उभारों पे जो मेरी उंगलियों के निशान थे वो सबके सामने आगये , या मेरी आँखों ने पहली बार उसेक उरोजों का इस तरह रस पान किया..( भले ही उँगलियों ने उनका स्वाद चख लिया हो चोरीचोरी पहले ही) इसलिए ..मैं भी भी मंद मुस्करा रहा था.
मेरा भी एक हाथ चन्दा भाभी के उभार पे था और दूसरा साए के भीतर सीधे उनके नितम्ब पे…क्या मस्त कसे कसे चूतड थे…हाथ की एक उंगली अब सीधे दरार पे पहुँच गयी थी. बाहर से मेरा खूंटा तो पीछे से गडा ही हुआ था. मैं मौके का फायदा उठा के हलके हलके जोबन और नितम्ब दोनों का रस लूट रहा था.
दूबे भभी भी पीछे से रीत को पकडे उस के ब्रा से झांकते दोनों किशोर उभार (ब्रा उसकी भी लेसी थी…मेरी फेवरिट…पिंक लेसी ) पकड़ के मुझे ऐसे दिखा रही थीं मानों मुझे आफर कर रही हों ..और प्बिर ब्रा के ऊपर से उन्होंने रीत के निपल ऐसे अंगूठे – तर्जनी के बीच रोल करने शुरू कर दिए …कोई मर्द भी क्या करता …असर दो पल में सामने आगया.
रीत सिसकियाँ भर रही थी.
इंच भर के निपल एकदम खड़े हो गए थे. ब्रा के अन्दर से साफ दिख रहे थे.
रीत के आँखों में भी मानो फागुन उतर आया था …गुलाबी नशा उन कजरारे नैनों में झलक रहा था.
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
मैं क्यों पीछे रहता…मैंने भी संध्या भाभी के साथ वही..कस कस के जोबन मर्दन…और निपल की पिंचिंग ..जो हाथ पीछे थे वो अब आगे गया था और पहले तो मैंने उनके गोरे गोरे खुले पेट पे खूब रंग लगाया और फिर थोडा नीचे सरक कर साए के ऊपर सी ही उनकी चुन्मुनिया को दबोच रहा था मसला रहा था…पीछे से मेरा खड़ा मस्ताया लंड उनकी गांड के बीच..
दुबे भाभी का एक हाथ अब रीत की ब्रा के अन्दर घुस गया था और वो कस के उसकी किशोर चुंचियां मसल रही थीं और मुझे दिखाते चिढाते गा रही थीं…
अरे मेरी ननदी का, अरे तुम्हारी रीत का…छोट छोट जोबन दाबे में मजा देय …..
अरे मेरी ननदी का, अरे तुम्हारी रीत का…छोट छोट जोबन दाबे में मजा देय
अरे ननदी छिनाल चोदे में मजा देय ..होली बनारस की रस लूटो राजा होली बनारस की …
पीछे से रीत को वो ऐसे धक्के लगा रही थीं की मानो वो कोई मर्द हों और रीत की जम के हचक हचक के ….
वही हरकत अब मैं सन्धा भाभी के साथ कर रहा था ..ड्राई हम्पिंग….लेकिन रीत की और देख के मैंने जवाब दिया..
मेरी तो है ही …रीत इसमें कोई शक
और रीत भी कम नहीं थी…बात टालने के लिए उसने अटैक डाइवर्ट किया. मेरी और इशारा करके वो बोली,
” अरे भाभी…इनका जो माल है जिसको ये ले आने वाले हैं अपने साथ उसकी साईज पूछिए ना…”
मैं कुछ बोलता उसके पहले गुड्डी ही बोल पड़ी. लगता है उसने पाला बदल लिया था और भाभियों की और चली गयी थी.
” अरे मैं बताती हूँ रीत से थोडा सा ..बस्स थोड़ा सा छोटा है….”.
चंदा भाभी क्यों चुप रहती. उन्होंने गुड्डी के उभार दबा दिए और बोली… ” अरे रीत को क्यों बीच में लाती है …ननद तो तेरी वो लगेगी ..और उस की नथ उतरवाने और यहाँ लाने का काम भी तोतेरे जिम्मे है …तुझसे बड़ा है या छोटा..”
” बस मेरे बराबर ..समझिये…” वो चंदा भाभी के हाथों से अपने को छोडाने की असफल कोशिश करती हुयी बोली.
दूबे भाभी के दोनों हाथ अब कस के रीत की ब्रा में थे…लाल गुलाबी रंग…वो कस के दबाते मसलते बोलीं…मेरी और देख के
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
” अरे साइज की चिंता मत करो लाला हफ्ते दस दिन रहेगी ना यहाँ…दबा दबा के हम सब…इत्ती बड़ी कर देंगें की ..फिर उस के इत्ते यार हो जायंगे यहाँ दबाने मसलने वाले वो गिनना भूल जायेगी..”
मैं समझ गया था की अब चंदा भाभी भी मैदान में आगई हैं तो …और उधर रीत की हालत भी खराब हो रही थी…कब उसकी ब्रा अलग हो जायेगी ये पता नहीं था…चन्दा भी उसकी पीठ पे रंग लगा रही थीं…बस खाली हुक खोलने की देरी थी या कहीं दुबे भाभी भी फाड़ ही न दें …
रीत ने मेरी आँखों में देखा और मैंने भी उसकी आँखों में …
बस एक ही रास्ता था…
स्ट्रेटजिक टाइम आउट
संध्या भाभी ने भी हम लोगों का इशारा समझ लिया..
संधि प्रस्ताव मैंने ही रखा..
कुछ खा पी लें….१०-१५ मिनट का ब्रेक…मैंने दूबे भाभी से रिक्वेस्ट की …
” ठीक है लेकिन बस ५-७ मिनट ..” दूबे भाभी मान गयी.
रीत सीधे टेबल के पास जहां गुझिया गुलाब जामुन , दही बड़े, ठंडाई और कोल्ड ड्रिंक्स ( सारे स्पायिकड…वोदका, रम और जिन मिले हुए…) ..पहुंची और पीछे पीछे मैं.
उसकी एक लट गोरे गाल पे आ गयी थी.
कहीं लाल कहीं गुलाबी रंग और थोड़ी लज्जा की ललाई उसके गाल को और लाल कर रहे थे.
होंठ फड़क रहे थे कुछ कहने के लिए और बिना कहे बहोत कुछ कह रहे थे. सपनों से लदी पलकें, उसके चेहरे की रंगत उसकी चाल ढाल..किसी किशोरी को अचानक जवानी का अहस्सास हो जाए, बस यूँ लग रहा था.
मैंने उसके कंधे पे हाथ रख दिया. हाफ कप ब्रा से उसके अधखुले उरोज झाँक रहे थे, जिसपे मेरे और दूबे भाभी के लगाये रंग साफ झलक रहे थे. गहरा क्लीवेज, ब्रा से निकालने को बेताब किशोर उरोज…
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
” हे शरमा तो नहीं रही हो…” कुछ चिढाते कुछ सीरियसली मैंने पुछा.
” शरमाऊं और तुमसे…” वो खिलखिला के हंस दी…कहीं हजार चांदी कई घंटियाँ एक साथ बज उठीं.
मेरे बेचैन बेशर्म उंगलिया..ब्रा से झांकती गोरी गुदाज गोलाइयों को सहम शाम के छुने लगीं.
वो सीरियस हो के बोली…
” तुम ना…कपडे के बिना…कुछ लोगों की निगाहें ऐसी गन्दी घिनौनी होतीं है….चाहे मैं लाख कपडे पहने रहूँ वो चाकू की तरह उन्हें छील देती हैं और ऐसा खराब लगता है की बस…जवान लड़की और कुछ पहचाने ना पहचाने मर्द की निगाह जरुर पहचान लेती है. और तुम ना जिस दिन ..हम …मैं कोई भी कपडे ना पहनी रहूंगी ना ..तुम्हारी निगाह…इत्ती शर्म उसमें है इत्ती चाहत है…वो खुद मुझे ..मुझे मालूम है…सहलाती हुयी, मस्ती के ख़ुशी के अहस्सास से ढक देगी.”
मैंने उसकी उंगलिया पकड़ लीं और उसने उन्हें हलके से दबा दिया और मेरे रंग लगे पुते चेहरे को छूती हुयी मेरे कानों में गुनगुना दी…
” डाल डाल टेसू खिले, आया है मधुमास.
मैं हूँ बैठी राह में पीया मिलन की आस.”
कुछ मौसम का असर कुछ रीत की प्रीत और कुछ उसकी बातें…मैंने उसे पास में खींच लिया और मेरे दो तड़पते प्यासे हाथ सीधे अब उसके उरोजों पे…
और मैंने उसके कानों में बोला…
” फागुन आया झूम के ऋतू बसंत के साथ
तन मन हर्षित होंगे, मोदक दोनों हाथ…”
मेरे हाथों ने उसके उभारों को दबा के बाकी की बात भी कह डाली. न वो हिली ना उसने मना किया बस बड़ी बड़ी आँखे बंद हो गयी,उसके होंठ फिर काँपे और वो गा उठी,
“आने का सन्देश जब लेकर चला बसंत,
गाल गुलाबी हो गए, हो गयी पलकें बंद.”
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
” अंग अंग में उठ रही मीठी मीठी आस
टूटेगा अब आज तो तन मन का उपवास”
अब इससे आगे क्या कहना क्या सुनना बाकी रहा गया था.
तब तक संध्या भाभी आगई और हम लोगों को देख के बोलने लगी,
” अरे तोता मैना की जोड़ी, कुछ सुध बुध है…ब्रेक किया था प्लान करने के लिए और….कैसे दुबे भाभी को..”
” बताता हु पहले ये ड्रिंक उनको दे आइये और आप भी उनके साथ …”
एक ग्लास में मैंने रमोला स्पेशल ( जिसमें रम ज्यादा कोला कम था) और वोदका मिली लिम्का के दो ग्लास और भांग वाली गुझिया उन्हें दी और बोला कोई भी प्लान तभी सफल होगा अगर आप ये…”
” एकदम…” वो बोलीं और प्लेट लेके चल दी.
मैं और रीत देख रहे थे. शायद मैं रीत देते तो उन्हें शक भी होता लेकिन संध्या भाभी बाद में आई थीं इसलिए वो नहीं सोच सकती थी की वो भी हमारी चांडाल चौकड़ी में ज्वाइन हो गयीं होंगी.
रीत मुझसे बोली…” यार देखो जब तुम संध्या भाभी के साथ थे मैंने साथ दिया की नहीं…वो इत्ता बुलाती रही लेकिन मैं नहीं आई…”
” वो तो है..” मैंने मुस्करा के कहा.
” तो तुम भी कुछ करो यार …मेरा हम लोगों का साथ दो ना वैसे भी तुम अब तो चंडाल चौकड़ी ज्वाइन ही कर चुके हो. ” वो इसरार करते हुए बोली.
” करना है क्या बोल ना ..जान देना है…पहाड़ तोड़ना है…” मैं बोला.
” जान दें तुम्हारे दुशमन ऐसा कुछ नहीं …अरे यार हर साल होली में दूबे भाभी हम लोगों की सारी ननदों की खूब ऐसी की तैसी करती है तो अबकी तुम साथ हो…तो…”
मैं समझ गया की मुझे ये शेरनी के सामने भेज के रहेगी.
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
” तो …रीत ने फिर बात शुरू की…यार ऐसा कुछ करो ना की …हर साल वो हम सब लोगों को टाप लेस कर देती हैं… पूरा …और कई बार तो सब कुछ और उसके बाद…आज तुम साथ दो ना तो हम लोग भी दूबे भाभी की साडी ब्लाउज …बहोत मजा आयेगा….”
मजा तो मुझे भी आरहा था क्योंकि दूबे भाभी ने रमोला का पूरा ग्लास डकार लिया था. और साथ में भाग मिली गुझिया.
” ओके लेकिन पहले कुछ मीठा हो जाय…” मैंने मुस्करा के कहा.
“एकदम ..” और उसने प्लेट से गुलाब जामुन अपनी रसीली लम्बी उँगलियों में ले के कहा.
” उनहूँ ना ना ..ऐसे नहीं …” उसके गुलाबी रसीले होंठो की ओर एक ललचाई शरारती बच्चे की तरह देखते मैंने कहा.
” तुम भी ना …”मुस्करा के वो बोली. और उसने मुझे दिखाते ललचाते एक मोटा गुलाब जामुन आधा मुंह में गप्प कर लिया जैस किसी मोटे लिंग का सुपाडा हो…और फिर होंठ में उसे दबाए मेरी ओर बढ़ाया.
गुलाब जामुन के साथ मैंने उसके होंठ भी चुरा लिए.
वो गुनगुनाने लगी…
” तितली जैसी मैं उडु, चढ़ा फाग का रंग
गत आगत विस्मृत हुयी, चढ़ी नेह की भंग.
रंग अबीर गुलाल से धरती हुयी सतरंग
भीगी चुनरी रंग में अंगिया हो गयी तंग.”
मैंने प्लेट में रखा गुलाल उसके चेहरे पे रंग दिया और बोला,
गली -गली रंगत भरी,कली कली सुकुमार
छली- छली-सी रह गयी, भली भली सी नार.
वो मुस्करा दी और मेरी सारी देह नेह के रंग से रंग गयी.
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
तब तक संध्या भाभी विजयी मुद्रा में लौटी और हम लोगों को हडकाते हुए हलकी आवाज में बोली..
” अरे तुम लोग आपस में ही होली खेलते रहोगे या जिस की प्लानिग करने थी वो भी कुछ…”
गली -गली रंगत भरी,कली कली सुकुमार
छली- छली-सी रह गयी, भली भली सी नार.
वो मुस्करा दी और मेरी सारी देह नेह के रंग से रंग गयी.
तब तक संध्या भाभी विजयी मुद्रा में लौटी और हम लोगों को हडकाते हुए हलकी आवाज में बोली..
” अरे तुम लोग आपस में ही होली खेलते रहोगे या जिस की प्लानिग करने थी वो भी कुछ…” गुड्डी चंदा भाभी और दूबे भाभी के साथ कुछ गुपचुप कर रही थी. मेरी समझ में नहीं आ रहा था की उसने गैंग बदल लिया या घुसपैठिया बन के उधर गयी है….
प्लानिंग तो हो गयी लेकिन जो मेरा डर था वही हुआ.
मुझे बकरा बनाया गया.
तब तक दूबे भाभी की आवाज आई ..हे टाइम ख़तम….
बस दो मिनट …और हिम्मत बढाने के लिए संध्या भाभी ने हम सब को बियर की ग्लास पकडाई और कुछ इशारा किया.
गुड्डी कमरे के अन्दर गयी और कुछ देर में लौट के चन्दा भाभी से कहने लगी…” एक मिनट के लिए आप आ जाइए ना मुझे नहीं मिल रहा..”
चंदा भाभी अन्दर गयी और मैं दूबे भाभी की ओर बढ़ा.
संध्या भाभी और रीत वहीँ टेबल के पास खड़ी रहीं ..मुस्कराती हुयी.
खरगोश और शेर वाली कहानी हो रही थी. जैसे गाँव वालों ने खरगोश को शेर के पास भेजा था वैसे ही मैं भी…
दूबे भाभी मंद मंद मुस्करा रही थीं. उनके दोनों हाथ कमर पे थे ..चैलेन्ज के पोज में और भरे हुए नितम्बो पे वो बहोत आकर्षक भी लग रहे थे. उनका अन्चल ब्लाउज को पूरी तरह ढके हुए था लेकिन ३८ डी डी साइज़ कहाँ छिपने वाली थी.
” आ जाओ तुम्हारा ही इंतज़ार कर रही थी. बहोत दिनों से किसी कच्ची कली का भोग नहीं लगाया ..मैं रीत और संध्या की तरह नहीं हूँ ..उन दोनों की भाभी हूँ….” वो बोलीं.
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
मैं ठिठक गया. चारो और मैंने देखा, ना तो भाभी के हाथ में रंग था और ना ही आस पास रंग,पेंट अबीर,गुलाल कुछ भी. ….
मैं दूबे भाभी को अपलक देख रहा था. छलकते हुए योवन कलश की बस आप जो कल्पना करें, रस से भरपूर जिसने जीवन का हर रंग देखा हो, देह सरोवर के हर सुख में नहाई हो, काम कला के हर रस में पारंगत…६४ कलाओं में निपुण, वो ताल जिसमें डूबने के बाद निकलने का जी ना करे .
‘क्या देख रहे हो लाला, मुसकराकर वो बोलीं. अरे ऐसे मत देवर से होली के लिए मैं ख़ास इंतजाम से आई हूँ…”
और उन्होंने एक पोटली सी खोली. ढेर सारी कालिख, खूब गाढ़ी, काजल से भी काली, चूल्हे के बर्तन के पेंदी से जो निकलती है वैसे ही…फिर दूसरे हाथ से उन्होंने कोई शीशी खोली, कडवा तेल की दो चार बुँदे मिलाईं …और हाथ पे लगा लिया.
” मायके जा के तो अपनी बहन छिनाल के साथ मुंह काला करोगे ही …और वो भी गदहा चोदी यहाँ आके सारे शहर के साथ मुंह काला करेगी तो मैंने सोचा सबसे अच्छा तुम्हारे इस गोरे गोरे लौंडिया स्टाइल मुंह के इए ये कालिख ही है. और एक बात और इस कालिख कि, चाहे तुमने नीचे तेल लगाया हो पेन्ट लगाया हो, कोइ साल्ला कन्डोम वाला प्रोट्कशन नही चलेगा…चाहे साबुन लगाओ चाहे बेसन चाए जो कुछ इसका रन्ग जल्दी नही उतरने वाला. जब रन्ग पन्चमी मे आओगे ना अपनी चिनाल माद्र्र चो..बहना को ले के तभी मै उतारुंगी इसका असर..चेहरे से ले के गाड तक…”
अब ये सुन के तो मेरी भी सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी. मैं वहीं ठिठक गया.
लेकिन जिस तरह से दूबे भाभी मेरी ओर लपक के बढीं..मेरे बचने का कोयी चान्स नही रहा…
” प्लानिन्ग साल्ली गयी गधी की चूत में…भाग डी के बोस…भाग साल्ला भाग और मैं मुड लिया.
लेकिन दूबे भाभी भी…आखिर सारी ननदें उनसे क्यों डरती थी…मैं आगे आगे वो पीछे पीछे….लेकिन भागने में मैं भी चतुर चालाक था.तभी तो दर्जा ७ से जब पहली बार पान्डे मास्टर मेरे पिछ्वाडे के पीछे पडे थे, तबसे आज तक मेरा पिछवाडा बचा हुआ था. मैं कन्नी काट के बच गया…लेकिन अगली बार जब मैने ये चाल चली तो दूबे भाभी मेरे आगे और मेरा सारा ध्यान उनके ४०+ साइज के मस्त नितम्बों के दर्शन में ..क्या मस्त कटाव, कसाव, और चलते हुये जब दोनो गोलार्ध आपस में मिलते तो बस दिल की धडकन डबल हो जाती. और एक दूसरा खतरा हो गया.
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
सन्ध्या भाभी अचानक सामने आ गयीं और मै एक पल के लिये उनकी ओर देखने लगा…बस ऐक्सिडेन्ट हो गया. मैं पकडा गया.
” साल्ले बहन चोद, आखिर कहां जा रहे थे छिपने अपनी बहना के भोन्सडे में…अरे फागुन में ससुराल आये हो तो बिना डलवाये कैसे जाओगे सूखे सूखे…शादी के बाद दुल्हन ससुराल जाये और बिना चुदवाये बच जाये और ससुराल में कोयी होली में जाये और बिना डल्वाये आजाय ..सखत नाइन्साफी है.”
अब तक मेरे गाल पे दो किशोरियों, रीत और गुड्डी और एक तरुणी, सन्ध्या भाभी की उंगलियां रस बरसा चुकी थीं. लेकिन दूबे भाभी का स्पर्श सुख कुछ अलग ही था. उन किशोरियों के स्पर्श में एक सिहरन थी, एक छुवन थी, एक चुभन थी
और सन्ध्या भाभी के छूने में जिसने जवानी का यौन सुख का नया नया रस चखा हो उसका अहसास था…लेकिन दूबे भाभी की रगडाई मसलाइ मे एक गजब का डामिनेन्स, एक अधिकार था जिसके आगे बस मन करता है कि बस सरेन्डर कर दो..अब जो करना हो ये करें, उनकि अन्गुलियां कुछ भी नहीं छोड रहि थीं, यहां तक कि मेरा मुन्ह खुल्वा के उन्होने दान्तों पे भी कालिख रगड दी. लेकिन तभी मेरी निगाह रीत पे पड गयी…वो तेजी से कुछ इशारे कर रही थी.
सारी प्लानिन्ग के बाद भी मेरी हालत स्टेज पे पहली बार गये कलाकार जैसे हो रही थी, जो वहां पहुन्च के दर्शकों को देख सब कुछ भूल जाय और साइड से प्राम्पट प्राम्पटर. इशारे करे…और उसे देख के और डायरेक्टर के डर से उसे भूले हुये डायलाग याद आ जायें वही हालत मेरी हो रही थी. रीत को देख के मुझे सब कुछ याद आ गया और मैने एक पलटी मारी…लेकिन दूबे भाभी की पकड कहां बचता मैं…हां हुआ वही जो हम चाहते थे…यानी अब भाभी मेरे पीछे थीं. उनके रसीले दीर्घ स्तन मेरे पीठ में भाले की नोक की तरह छेद कर रहे थे….उन्होने अपनी दोनों टान्गों के बीच मेरी टांगों को फन्सा दिया था जिससे मैं हिल डुल भी ना पाउं और अब उनके हाथ कालिख का दूसरा कोट मेरे गालों पे रगड रहे थे और साथ मेण अनवरत गालियां…मेरे घर मेन किसी को उन्होने नहीं बख्शा …लेकिन इसी चक्कर में वो भूल गयीं इधर उधर देखना और साइड से रीत और सन्ध्या भाभी ने ..एक साथ…वो दोनों उनके चिकने गोरे गोरे पेट पे रंग लगा रही थीं…पेन्ट मल रही थीं…लेकिन अभी भी दूबे भाभी का सारा ध्यान मेरी ओर ही लगा हुआ था जैसे कोयी बहोत स्वादिष्ट मेन कोर्स के आगे साईड डिश भूल जाय…हां गालियों का डायरेक्शन जरूर उन्होने उन दोनों कि ओर मोड दिया था…
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
” अरे पतुरियों, बहोत चूत में खूजली मच रही है…भूल गयी पिछले साल की होली…अरे जरा इस रसगुल्ले के चिकने गाल्का मजा ले लेने दे फिर बताती हुं तुम छिनारों को..यहीं छत पे ना नंगा नचाया तो कहना…”
लेकिन ये होली पिछले साल की होली तो थी नहीं.
अबकी अपनी रीत के साथ मैं था.
और सन्ध्या भाभी भी ससुराल से खुल के मजे लेके ज्यादा बोल्ड होके आयीं थीं.
दूबे भाभी ने वही गल्ती की जो हिन्दी फिल्मों में विलेन करता है…ज्यादा डायलाग बोलने की.
उन्होने इस बात पर ध्यान नहीं दिया की रीत और सन्ध्या भाभी, रंग लगाने के साथ साये में बन्धी उनकी साडी खोलने में लगे हैं. जब तक उन्हे अंदाज लगा बहोत देर हो चुकी थी.
मैने अपने चेहरे पे रगड रहे उनके हाथों को पकड लिया था…उन्होने समझा कि मैं उन्हे कालिख लगाने से रोकने के लिये ऐसा कर रहा हुण, वो बोलीं
. ” अरे साल्ले कालिन गन्ज के भन्डुये ( मेरे शहर की रेड लाईट ऐरिया का नाम ..अकसर शादी वादी की गालियों मे उसका नाम इस्तेमाल होता था), तेरी पन्च भतारी बहन को सारे बनारस के मर्दों से चुदवाउं…उसमें तुम्हे शरम नहीं लग रही है..क्या मेरा हाथ छुडा पाओगे…अभी तक कोयी ऐसा देवर ननद ननदोई नहीं हुआ…जो..दूबे भाभी के हाथ से छूट जाये…”
छूटन कौन चाहता था…हां दूबे भाभी खूद जब उन्हे रीत और सन्ध्या की प्लानिन्ग का अंदाज़ हुआ तो मेरे चेहरे से हाथ हटा के उन्होने उन दोनों को रोकने की कोशीश की.
लेकिन मैं हाथ हटाने देता तब ना…मैने और कस के अपने चेहरे पे उन के हाथों को जकड लिया था…वो पूरी ताकत से अपने हाथ अब छुडा रही थीं…लेकिन और साथ साथ जो उन्होने मेरे पैरोन को कैन्ची की तरह अपने पैरों में फंसा रखा था…अब उन्हे खूद छुडाने में मुश्किल हो रही थी.
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दोनो शैतानों ने मिल के अब तक दूबे भाभी की साडी उनके पेटीकोट से बाहर निकाल दी थी.सन्ध्या भाभी ने तो काही पेन्ट लगा के उनके साये के अन्दर नितम्बो पे रंग भी लगाना चालू कर दिया था. लेकिन मैं जान गया था की अब थोडी सी देर भी बाजी पलट सकती है इसलिये मैने रीत को इशारा किया…और उसने एक झटके में साडी साये से बाहर…
और साथ ही मैने दूबे भाभी का हाथ छोड दिया और पैर भी वो रस्सा कसी में एक ग्रुप अगर अचानक रस्सी छोड दे वाली हालत में हो गयीं. गिरते गिरते वो सम्हल जरूर गयीं पर इतना समय काफी था…रीत और सन्ध्या भाभी को उनकी साडी पे कब्जा करने में.
दूबे भाभी उन दोनो की ओर लपकीं तो रीत ने साडी मेरी ओर उछाल दी. और जब दूबे भाभी मेरी ओर आयीं तो मैने साडी उपर दूछत्ती पे फेन्क दी जहां कुछ देर पहले सन्ध्या भाभी की साडी और ब्लाउज को मैने फेंका था.
वो कुछ मुस्काराते और कुछ गुस्से में मुझे देख रही थीं
” अरे भाभी ऐसा चांदी का बदन, सोने सा जोबन…वो आप मेरे ऐसे देवर से छिपाती हैं अरे होली तो मुझे आप से खेलनी है आप की साडी से थोडी …..फिर इत्ती महंगी साडी खराब होती तो भैया भी तो गुस्सा होते…”
” अरे ब्लाउज भी मैचिन्ग है…” सन्ध्या भाभी ने और आग लगायी.
मजा आयेगा तुमसे होली खेलने में…तुम्हारी तो मैं…” वो कुछ आगे बोलतीं उसके पहले चंदा भाभी आ गय़ीं. गुड्डी के साथ.
अब मैने समझा गुड्डी ने पाला नहीं बदला था वो घुस पैठिया थी. अगर वो बहाना बना के उन्हे अन्दर ना ले जाती और वो अगर दूबे भाभी का साथ देतीं तो उनका साडी हरण करना मुश्किल था.
दूबे भाभी ने मेरे उपर हमला किया.
रीत और सन्ध्या ने चन्दा भाभी पे.
लेकिन अब मै तैयार था.
मैने भी हाथों में रंग लगा लिया.
थोडी देर में सभी ब्रा और साये में हो गये.
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सन्ध्या भाभी को तो मैने कर दिया था और रीत को चन्दा और दूबे भाभी ने मिल कर.
अब दूबे भाभी की साडी मेरे हाथ और चन्दा भाभी का साडी ब्लाउज, रीत और सन्ध्या भाभी के हाथ…इसलिये की दूबे भाभी के हाथ मेरे बार्मुडा में व्यस्त थे.
” क्या चीज़ है राज्जा …साल्ला…इत्ता बडा तो मैने आज तक नही देखा…मस्त लम्ब मोटा भी कडा भी…”
दूबे भाभी बुदबुदा रही थीं. बिना बार्मुडा से हाथ निकाले मेरी ओर देख के मुस्कराते वो बोलीं…” साल्ले, हरामी के जने, ये गदहे ऐसा कहीं गदहे का जना या घोडे का ….तो नही है…”
गुड्डी ने चन्दा भाभी के पास से ही आवाज लगाई…” अरे इनका वो माल…इनकी जो ममेरी बहन जहां रहती है ना…उस गली के बाहर …वो गदहों वाली गली के नाम से ही मशहूर है.”
सन्ध्या भाभी ने भी टुकडा लगाया, अरे तो गदहा इसका मामा हुआ फिर तो…
” तो फिर इसके मामा का असर इसका मतलब साल्ले तू खानदानी पैदायशी बहन चोद है, फिर अबतक क्यों छोड रखा था उस साल्ली को…” दूबे भाभी अपने अन्दाज मे मुझे मुठियाते बोल रही थीं. मेरा सुपाडा जैसे चन्दा भाभी ने कल रात सिखाया था मैने खोल रखा था मोटा पहाडी आलू जैसा…दूबे भाभी के हाथ तो लन्ड के बेस पे थे लेकिन अन्गुठा…सुपाडे को रगड रहा था.
मेरा एक हाथ उनके ब्लाउज में था…
गोरे गुदाज,गद्रराये और भरे भरे….मेरी मुट्ठी में नहीं समा पा रहे थे. लेकिन उनका टच….एक्दम मस्त…इत्ते बडॆ होने के बाद भी एक्दम कडे कडे जरा भी ढिलाई नहीं….और दोनों चून्चीयों के बीच की गहराय़ी भी…जैसे दो पहाडियों के भिच एक खूबसूरत खाईं हो…ऐसे जोबन ना सिर्प देखने, छूने, दबाने और चूसने में मस्त होते हैं बल्की जो आज तक मैने सिर्फ ब्लू फिल्मॊं में देखा था और मेरा एक सपना था…चूंची चुदाई का….दो गदराई मांसल चूंचीय़ों के बीच अपना लंड डाल के रगडने का…वो बस दूबे भाभी के उरोजों के साथ पूरा हो सकता था. भाई की पीठ भी अत्यन्त चिकनी थी और बीच में गह्ररी…केले के पत्ते कि तरह..काम सूत्र में लिखा है कि ऐसे महिलायें अत्यन्त कामुक होती हैं , रात दिन सेक्स के बारे मेन हि सोचती हैं और दीर्घ लिंग के लिये कुछ भी कर सकती हैं. उन्हे सिर्फ अश्व जाति के पुरुष सन्तुष्ट कर सकते हैं….जैसा मैं था. मेरा हाथ पीठ से सरककर नीचे चला गया सीधे साये के अन्दर …ओह ओह्ह ..क्या मस्त चूतड थे….खूब भरे भरे एक दम कडे और मांसल…उसे छूते ही मेरा जन्ग बहादुर ९० डिग्री का हो गया.
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दूबे भाभी समझ गयी कि उनके नितम्बों ने मेरे उपर क्या असर किया. सिर्फ देख के मेरी ऐसी कि तैसी हो जाती थी उस ४०+ चूतड को और स्पर्श से तो हालत खराब होनी ही थी. समझ
दूबे भाभी ने एक दो बार कस के मेरे पूरे तन्नाये लन्ड को आगे पीछे किया और जैसे उसी से बातें कर रही हों , बोलीं,
” क्यों मुन्ना , बहोत मन कर रहा है पिछ्वाडे का…लगता है पिछवाडे के बडे रसिया हो कभी मजा लिया है गोल दरवाजे का कि नहीं….”
” नहीं भाभी…कभी नहीं लिया और पिछ्वाडे के साथ उपर की मन्जिल का भी..” ये कह के मैने कस के उनकी चूंची दबा दी.
” तुम रंग पंचमी में तो आओगे ना…” वो फुस्फुसा के बोलीं.
” हाँ …अब तो आना ही पडॆगा,” मैने जोश मेन कस के उनके निपल को पिन्च करते हुये कहा.
” अरे एक दो दिन पहले आ जाना….असली होली तो तभी होगी…पूरा खजाना लूटा दुंगी…उपर नीचे आगे पीछे..सब कुछ.”
खूश होके मैने इत्ते जोर से जोबन मर्दन किया की उनके ब्लाउज कि दो चुट्पूटिय़ा बटन…चट चट खुल गयीं.
लेकिन दूबे भाभी को इसकि पर्वाह नहीं थी. वो मेरे खडे लन्ड के सुपाडे को अपने अंगुठे से कस के दबा रहीं थीं और बोल रही थीं..
” इस रसगुल्ले का तो मैं पूरा रस निचोड लुंगी. हां ….लेकिन अपनी उस ममेरी बहन को साथ लाना मत भूलना..”
” नहीं भाभी…” मैं भी किसी और दुनिया में खोया हुआ था. मेरि रंग लगी उंगली उनकी गांड की दरार में थी और हल्के हल्के आगे पीछे हो रहा था. उनकी गांड इस तरह उसे कस के दबोचे थी कि ..बस अब बिना डलवाये छोडेगी नहीं.
भाभी की भी रस सिद्ध उंगलीयां, रस से भरी मेरे पी होल पे तर्जनी के नाखून से…छेड रही थीं.
मैं मारे जोश के इतना गिन्गिनाया कि मैने कच्कचा के उनकी चून्ची और कस के दबा दी ..और एक चुट्पुटिया बटन और गया.
भाभी इन सबसे बे परवाह मेरे गोरे लिन्ग को अपने हाथ से कालिख मल के काला भुजन्ग बनाने में लगी थीं.
लेकिन तभी मैने दो बातें नोटिस कीं…
एक ..उनके ब्लाउज कि अब सिर्फ एक चुट्पुटिया बटन बची है जो बडी मुश्किल से उनके भारी उरोजो को सम्हाले है.
दूसरी …रीत ने भी यही बात नोटिस की है और मुझे उनके ब्लाउज की ओर इशारा कर रही है…
मैं समझ गया की वो क्या चाह्ती है. खतरा तो बहोत था…लेकिन रीत के लिये मैं शेरनी की मांद में घुस सकता था….( आखिर मुझे उसकी मांद में जो घुसना था.)…मैने मुस्करा के हामी भरी.
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
मेरा एक हाथ अब पिछ्वाडे से निकल के उनके चिकने गोरे पेट पे…और वहां से रंग लगाते सीधे नीचे से ब्लाउज की आखिरी चुट्पुटिया बटन पे…
मैने भाभी के इअर लोब्स पे अपने होन्ठ हल्के से लगाये और बोला,
” भाभी क्या जादू है आपके हाथ में…अगर हाथ में ये हाल है तो…”
मेरी बात काट के वो कस कस के दबाते मसलते बोलीं,” अरे साल्ले निचोड के रख दुन्गी..आगे से भी पीछे से भी…समझ जाओगे जिन्दगी का मजा क्या है…हा बस उसको साथ ले आना मत भूलना…वरना तडपा के रख दुन्गी…कुछ नहीं मिलेगा.”
और इसी के साथ आखीरी बटन भी ब्लाउज का टूट गया…और पलक झपकते ब्लाउज मेरे हाथ में…
रूपा साफ्ट्लाइन क्वीन साइज में दो रंगे पंख वाले छटपटाते कबूतर…
” अर्रे साल्ले बहन चोद अपनी बहन के भंडुये, गांडू…” दूबे भाभी गालियां तो दे रही थीं लेकिन जिस तरह से मुस्करा रही थीं मैं समझ गया…उन्होने ज्यादा बुरा नहीं मान है और उनका रंग पंचंमी का आफर स्टैन्ड कर रहा है..सबजेक्ट टू टर्म्स ऐंड कंडीशन्स….
दूबे भाभी मेरे हाथ से ब्लाउज छीनने के लिये झपटीं…लेकिन चतुर चालाक रीत पहले ही टेरैस के दूसरे कोने पे खडी थी और बोल रही थी…थ्रो..थ्रो….
उसकी बात टालने का सवाल ही नहीं था…फिर दूबे भाभी भी करीब आ गयी थीं.
मैने जोर लगा के फेंका.
और रीत ने कैच कर लिया ( वो कोई हमारी क्रिकेट टीम की खिलाडी तो थी नहीं),
मैं अब दूर खडा होके पकडा पकडी देख रहा था.
रीत …वो हिरणी उसे पकडना आसान नहीं था…लम्बी लम्बी टांगे…चपल फुर्तीली…( लोग उसे झूठ में ही कैट नहीं कहते थे…)
लेकिन वो पकडी गयी.
दूसरी ओर से चन्दा भाभी आ गयीं.
हां ब्लाउज उसने जरूर उसके पहले दुछत्ती पे फेन्क दिया जहां थोडी देर पहले मैने …दूबे भाभी कि साडी फेंकी थी.
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
अब चन्दा भाभी और दूबे भाभी के बीच वो कातर हिरणी…लेकिन मेरी ओर देख के वो सारन्ग नयनी मुस्करायी…पहली बार होली में दूबे भाभी की साडी ब्लाउज जो उतर गयी थी.
ननद भाभी की होली चालू हो गयी थी. ऐसी होली जिसके आगे लेस्बियन रेस्लिन्ग मात थी.
मैं दूर बैठा रस ले रहा था.
रीत..चंदा भाभी और दूबे भाभी के बीच सैंडविच बनी हुयी थी.पीछे से दूबे भाभी ने दबोच रखा था और आगे से चंदा भाभी नंबर लगा के बैठी थीं. और तीनो ब्रा और..बल्कि रीत ब्रा और अपनी ट्रेड मार्क पजामी में और दूबे और चंदा भाभी ब्रा और साए में …दूबे भाभी के हाथ में अभी भी कालिख का स्टाक बचा हुआ था जिसे उन्होंने सबसे पहले रीत की गोरी नमकीन पीठ पे मला और फिर आगे हाथ डाल के उसके गोरे उभार पे ब्रा में हाथ डाल के ..पीठ पे रंग लगा रहा हाथ सरक के अचानक उसकी पाजामी में…क्या कोई मर्द नितम्बो को दबाएगा ..जिस तरह दूबे भाभी रीत के मस्त गुदाज रसीले नितम्बों को दबोच रही थीं…पूरी ताकत से.. दबा वो रही थीं मजा मुझे आ रहा था. और पीछे से ब्रा की स्ट्रिप भी रीत की…चन्दा भाभी के लाल गुलाबी रंगों से लाल हो गयी थी…शाम को कभी कभी जैसे बदला दीखते हैं ना उस की पीठ वैसे ही दिख रही जो थोड़ी सी जगह रंगों से बच गयी थी गोरी..सफेद रुई से बादलों की तरह …दूबे के हाथ जहां जहां पहुंचे थे वो श्याम रतनारे बादल की तरह और ब्रा की स्ट्रिप और उस के आस पास चंदा भाभी की उंगलियाँ जहाँ छु गयी थीं …वहां लाल गुलाबी जैसे कुछ सफेद बादल भी जहां सूरज की किरणे पड़ती हैं लाल छटा दिखाते हैं ..रंग लगने से वो और रंगीन हो गयी थी…तभी वो हुआ जो मैं तबसे चाहता था जबसे मैंने उसे सबसे पहले देखा था…धींगा मुस्ती में दूबे भाभी और चंदा भाभी ने मिल के उस की ब्रा नीचे खींच दो और रीत के दोनों उभार एक पल के लिए मुझे दिख गए….बस मैं बेहोश नहीं हुआ यही गनीमत थी.
जैसे कोई पूरी दुनिया की खूबसूरती, जवानी का नशा, जीवन का सारा रस अगर एक जगह लाकर रख दे ना कुछ ऐसा….जैसे गूंगे का गुड कहते हैं ना की वो खा तो ले ना लेकिन स्वाद ना बता सके बस वही हालत मेरी हो रही थी…लेकिन मैं उस हालत से पला भर में उबार गया क्यों की अगले ही पल …दूबे भाभी के हाथों में दोनों कैद हो गए. और वो इस तरह से मसल रही थीं की …और दोनों गालों का रस चन्दा भाभी ले रही थीं. मुझे लगा की बिचारी मेरी मृग नयनी कहाँ दो के साथ कित्ती परेशान होगी बिचारी लेकिन .अचानक वो पीछे मुड़ी जैसे कोई टेलीपैथी
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
हो…और मुझे देख ना सिर्फ मुस्कराई बल्कि हलके आँख भी मार दी….मैं समझ गया की ये भी उतना ही रस ले रही है. चंदा भाभी ने तभी एक बाल्टी रंग ले के पीछे से उसके पजामी पे और दूबे भाभी भी क्यों पीछे रहतीं उन्होंने तो पीछे से पाजामी फैला के उसके अन्दर ..
मेरा फायदा हुआ की अब उसके सारे कटाव उभार एक साथ और रीत का ये फायदा हुआ की उसने एक झटके में अपनी ब्रा ठीक कर ली.
क्या कटाव थे. दोनों भाभियों ने जो रंग की बाल्टियां छोड़ी थीं अन्दर और बाहर रीत की पजामी पूरी तरह उसकी खूबसूरत जाँघों से चिपक गयी..और बिलकुल ‘सब दिखता है’ वाली बात हो रही थी. पीछे का नजारा तो छोडिये, एक पल के लिए वो आगे मुड़ी तो भरतपुर भी दिख गया…आलमोस्ट ..सुधी पाठक सोच ही सकते हैं की मेरे जंग बहादुर की क्या हालत हुयी होगी.
लेकिन उसके आगे जो हुआ वो और खतरनाक था…
दूबे भाभी और चन्दा भाभी ने मिल कर रीत के पजामी का नाडा खोल दिया. लेकिन बहोत मुश्किल से…एक तो उसने कस के बाँध रखा था और फिर दोनों हाथों से कस के …हार के चन्दा भाभी को उसे गुदगुदी लगानी पड़ी. वो खिलखिला के हंसी और नाडा दूबे भाभी के हाथ. मुझे लगा की अब रीत गुस्सा हो जायेगी लेकिन उसकी वो मुस्कान उसी तरह… जब पजामी नीचे सरकी तो उस चतुर चपला ने ना जाने किस तरह पैरों को किया की वो उसके घुटने पे ही फँस गयी लेकिन मुझे एक जबर्दस्त फायदा हुआ …मस्त नितम्बों के नज़ारे का.
जो भीगे पजामी से झलक मिल रही थी वो तो कुछ भी नहीं थी इसके आगे….क्या नजारा था.
रीत की लेसी थांग दो इंच चौड़ी भी नहीं रही होगी और पीछे से तो बस एक मोटी रस्सी इतना..दोनों नितम्बों के बीच फंसा हुआ..प्लंप,प्रेटी, परफेक्ट…
मस्त कसे कड़े…पजामी के ऊपर से उसे देख के मन मचल जाता था तो अब तो वो कवच भी नहीं रहा.
और उसके ऊपर लगे रंग..दूबे भाभी की उँगलियों से लगा उनकी ट्रेड मार्क कालिख, चंदा भाभी के लाल गुलाबी चटखदार और मेरे हाथ के लगे सतरंगी रंग…मेरे उँगलियों से लगे पेंट के रंग तो दरार के अन्दर तक…और फिर दूबे भाभी ने वो काम किया की जिसके बाद तो वो मेरी जान मांग लेती तो मैं सोने की थाली में रख के हाजिर कर देता…
उन्होंने रीत की थांग को पीछे से हटा दिया और साथ साथ दोनों नितम्बों को फैला के पिछवाड़े की वो गली दिखा दी जिसके लिए सारा बनारस दीवाना था…
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
दोनों हाथ तो आगे चंदा भाभी ने पकड़ रखे थे…
मेरी और देख के दूबे भाभी ने आँखों आँखों में पुछा पसंद आया.
सीने पे हाथ रख के मैंने इशारा किया …जान चली गयी.
फिर दूबे भाभी ने वो काम शुरू कर दिया…जिसके लिए उनकी सारी ननदें नजदीक की दूर की, रिश्ते की पड़ोस की …डरती थीं.
क्या कोई मर्द चोदेगा…रीत की कमर पकड़ के वो धक्के उन्होंने लगाए उस तरह से रगडा…
रीत ने वो किया जिसके लिए मैं उसका दीवाना था…मस्ती और हिम्मत, हाजिरजवाबी और मजे लेने और देने की ताकत..
” अरे भाभी मेरी तो पजामी आप ने सरका दी…लेकिन आप का पेटीकोट..क्या मजा आएगा…” वो बोली.
” ठीक तो कह रही है लड़की…” चंदा भाभी ने बोला और दूर बैठे मैंने भी सहमती में सर हिलाया.
” अरे चूत मरानो, छिनार, तेरी तरह मैं पाजामी, जींस,पैंट नहीं पहनती जिसे उतारने में १० झंझट हो…साडी पेटीकोट पहनो…आम की बाग़ हो, अरहर और गन्ने का खेत हो बस लेटो टांग उठाओ …तैयार …” दूबे भाभी बोलीं और एक झटके में पेटीकोट उठा के कमर पे खोंस लिया.
डबल धमाका …एक किशोरी के बाद अब एक प्रोढ़ा, एक मस्त खेली खायी भाभी का पिछवाड़ा…वो भी ४०+ वाली साइज़ का.
पीछे से दूबे भाभी आगे से चंदा भाभी…मैंने दूर बैठ के थ्री सम का मजा देख रहा था.. रीत रानी छिनार …मेरी ननदी छिनार…अगवाडा छिनार पिछवाड़ा छिनार…
एक जाए आगे दूसर पिछवाड़े बचा नहीं कोऊ नौवा कहांर ….
गुड्डी और संध्या भाभी..दूर से देख रही थीं. गुड्डी लगभग बची हुयी थी…मेरे हाथ से निकालने के बाद से…
एक तो उसके ‘ वो दिन’ चल रहे थे और फिर जब मैं रीत के साथ मिल के दूबे भाभी के चीर हरण में लगा था वो अन्दर थी…चंदा भाभी के साथ …
उसने संध्या भाभी से मिल के कुछ बात की और रिज्क्यु मिशन लान्च हुआ…
रीत को तो थोड़ी राहत मिली लेकिन अब गुड्डी फँस गयी…वो भी दूबे भाभी के हाथों…
” बहोत बची हुयी थी ना…अब बताती हूँ ” और दूबे भाभी ने एक हाथ उसकी फ्राक पे ऐसा डाला …सारी की सारी बटन टूट के चटक के हवा में ..
“नीचे की दूकान बंद है तो क्या हुआ ऊपर की तो खुली है…तुम आज बचा लेगयी उसको …होली में भी अपने यार के साथ रहोगी…लेकिन याद रखना…रंगपंचमी में सूद समेत बदला लूंगी…” दूबे भाभी ने हड़काया उनके दोनों हाथ फ्राक के अन्दर कस के जों मर्दन करते हुए ..और जो हाथ उन्होंने बाहर निकला तो गुड्डी की ब्रा और उन्होंने फेंका तो सीधे मेरे ऊपर…मैंने गुड्डी को दिखा के उसे चूम लिया.
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
एक बार फिर दूबे भाभी के हाथ अन्दर …जैसे कोई जादूगर डिब्बे से हाथ बार बार निकालता है तो हर बार अलग अलग चीजें …कभी कभी खरगोश कभी कबूतर…
अबकी कबूतर बाहर आये गोरे गोरे सफेद हां मेरे और दूबे भाभी के हाथ के लाल काले रंग के निशान. गुड्डी के इन कबूतरों को मैं कई बार प्यार से छु चूका था, सहला चूका था दबा चूका था…लेकिन इस तरह पहली बार पिंजड़े से बाहर खुल के देखने का वो भी दिन में, सबके सामने ये पहला मौका था
.
दूबे भाभी ने पहले तो उसे प्यार से हलके से दबाया और फिर खुल के कस के रगड़ना मसलना शुरू कर दिया.
मजा गुड्डी को भी आ रहा था भले ही वो कस के उह आह कर रही थी.
उसके कबूतरों के चोंच..मस्त निपल एक दम कड़े खड़े थे.
दूबे भाभी ने कस के उसकी चूंची को दबाते हुए उभार के मुझे दिखाया और एक निपल को पिंच कर दिया..मानो कह रही हों …लोगे क्या…
जवाब में मैंने एक फ्लाईंग किस दिया और..गुड्डी ने मुस्कराते हुए उछाल के कैच कर लिया.
मेरा बस चलता तो दूबे भाभी की जगह मैं ही ….
जगह बदल तो गयी थी लेकिन चंदा भाभी के साथ…अब रीत और संध्या भाभी के बीच वो सैंडविच बनी हुयी थीं. रीत ने अपनी पजामी फिर से बाँध ली थी.
रीत रीत थी …लेकिन चंदा भाभी भी कम नहीं थी. वो अकेले दोनों पे भारी पड़ रही थीं. उन्होंने एक हाथ से संध्या भाभी के और दूसरे से रीत के उभार दबा रखे थे. लेकिन रीत चतुर,चपल चालाक थी और ये कहावत पूरे शहर में मशहूर थी की रीत से कोई जीत नहीं सकता. उसने जैसे चन्दा भाभी से बचना चाहती हो ऐसे, झुकी ..और जब तक वो समझें उसने बिलों द बेल्ट हमला कर दिया..सीधे भाभी के नाड़े पे…बिचारी चंदा भाभी ने घबडा के दोनों हाथ से अपना साया पकड़ा. रीत इत्ती आसानी से छोड़ने वाली थोड़ी थी..उसने चन्दा भाभी के साए में हाथ डाल दिया. अब एक हाथ से वो नाडा पकडे थी और दूसरे हाथ से रीत को रोकने की कोशिश कर रही थीं.
” क्यों कोई ख़ास चीज छुपा रखी है क्या भाभी…जो इस तरह इसे बचा रही है…” हंस के रीत बोली.
मेरी आँखे वहीँ चिपकी थीं.
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
चंदा भाभी भी नहीं समझ पायीं की ये मात्र डाइवर्सन की ट्रिक थी. वो निचले मंजिल पे उलझी थीं और संध्या भाभी के हाथ उनकी ब्रा में घुस गए. फिर तो पेंट , रंग गुलाल सब कुछ…
” आप अकेले ..अरे मेरी भी तो प्यारी प्यारी भाभी हैं देखूं ना …चोली के पीछे क्या है…जो मेरे ही नहीं भाभी के भैया लोग भी बचपन से इस पे लट्टू थे…” खिलखिलाती हुयी रीत बोली.
” आ ना…” संध्या भाभी बोलीं.
रीत ने पीछे से घात लगाई…वो चन्दा भाभी की पीठ से चिपकी हुयी थी जिससे तमाम कोशिश कर के भी…वो उसको पकड़ नहीं पा रही थी.
रीत के एक हाथ भाभी की अधखुली ब्रा में घुसे रगड़ घिस कर रहे थे.
” क्यों भाभी सब से पहले किस से दब्वाया था जो इत्ते मस्त गदरा गए ये जोबन…” उसने चिढाया.
” अरी तू बता किससे रगड़वाती मसल्वाती रहती है…” चंदा भाभी ने जवाबी बाण छोड़ा..
” अब भाभी इत्ता कहाँ कौन हिसाब रखता है…हाँ ..सबसे मस्त और सबसे आखिरी में दबाने वाला …वो है..” रीत की उंगली मेरी और थी.
आगे से संध्या भाभी भी …” माना भाभी की चून्चियां.. मस्त है लेकिन कब तक उसमें उलझी रहेगी अरे ज़रा खजाने का भी तो मजा ले…” संध्या भाभी ने रीत को ललकारा. पीछे का हिस्सा रीत के …
कब्जे में और आगे का संध्या भाभी के कब्जे में…
चंदा भाभी भी आफेंस के मूड में आगई और उन्होंने संध्या के साए में हाथ डाल दिया और कस कस के उंगली करने लगीं…’ क्यों ननद रानी कैसा लगा सैयां से चुदवाना …तेरे मैके के यार जयादा जबरदस्त थे या ससुराल के…”
” अरे भाभी मेरे मैके के यार तो आप के भी देवर लगते हैं ..उनकी नाप जोख तो होली, बिना होली आप ने भी खूब की है …रहा मेरे सैयां का सवाल तो वो तो आपके ननदोई हैं आप का हक़ बनता है …होली में आयंगे ही आप स्वाद चख लीजिएगा…खुद पता लग जाएगा…” संध्या भाभी हंसते हुए बोली और अचानक चीखी…उयी एक साथ तीन तीन …लगता है भाभी….
” अरे ज्यादा छिनालपन ना कर…शादी के पहले सम्हालने की बात होती है …अब तो आने दे रंगपंचमी तेरी चूत में पूरी मुट्ठी ना किया तो कहना….” दूबे भाभी उनकी और देखती बोलीं.
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
” अरे सिर्फ इसकी क्यों ..इसकी दोनों सहेलियों के..भी तो…” चंदा भाभी ने रीत और गुड्डी की और इशारा करते हुए कहा. ” अब कहाँ कुँवारी बचने वाली ये दोनों…” उनकी निगाह मेरी और मुस्कराती हुयी टिकी थी.
“कल का सूरज निकलने के पहले दोनों चुद जानी चाहिए…” दूबे भाभी ने फरमान जारी किया, वो भी मेरी और देख रही थीं.
गुड्डी और रीत दोनों शैतान…एक साथ बोलीं ‘ मंजूर लेकिन करने वाले से पूछिए …”
उसी जोश में मैं भी बोला…” एकदम मंजूर…”
तबतक दूबे भाभी ने बात पकड़ ली और गुड्डी और रीत दोनों को हड़काते हुए बोला…
” साल्लियों …हरामिनों …होलिका माई जर गयीं बुर चोदा इ कह गयीं…होली खेलते समय सिर्फ लंड चूत गांड चुदाई ही बोलते हैं वरना होलिका माई तरसा देंगी सारी जिंदगी बैगन और मोमबत्ती से काम चलाओगी…अगर किसी ने कुछ और बोला ना तो अभी गांड में हाथ पेल दूंगी कुहनी तक…”
किसको गांड तक हाथ डलवाना था…रीत और गुड्डी की जुबान भी दूबे भाभी वाली हो गयी.
” लेकिन जो इस बहनचोद की छिनार बहना आएगी …उस के साथ कौन करेगा ये काम…” रीत ने मेरी ओर आँख नचाते हुए पुछा…
” अरे तुम दोनों क्या सिर्फ इसका लंड घोटने के लिए हो…तुम दोनों की तो ननद लगेगी वो…तो तुम लोग मुट्ठी करना..साल्लियों…” अबकी चंदा भाभी बोलीं.
” और क्या चुद के तो वो भी आएगी और चोदने वाला भी वही…आखिर दूबे भाभी का हुकुम है मजाक नहीं…” हंस के गुड्डी बोली.
भंग और दारु के नशे का असर या दूबे भाभी का हुक्म या फिर होली की मस्ती सब की सब…
बात अब सिर्फ बात में ही कमर के नीचे नहीं पहुँच गयी थी बल्कि सच में भी…
इसलिए गुड्डी कट ली. उस बिचारी के ‘वो दिन’ चल रहे थे..वो मेरी ओर आई..मैंने उसे बगल में बैठने का इशारा किया लेकिन वो सीधे मेरी गोद में…
उधर बाजी पलट चुकी थी..ननद भाभी के मैच में बाजी फिर भाभी के हाथ में…
दूबे भाभी ने संध्या को नीचे गिरा दिया था और चंदा भाभी रीत के साथ…
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
” इत्ती देर से मेरी गांड में उंगली करने की कोशिश कर रही थी ना बा बताती हूँ…देख क्या क्या डालती हूँ आगे भी पीछे भी… .चंदा भाभी ने रीत को चैलेन्ज किया…
” नहीं भाभी अरे मैं कहाँ उंगली करुँगी…उनके चंगुल से बचती हंसती खिलखिलाती रीत बोली. मुझे मालूम है इसमे एक से एक मोटे लंड जाके मुंह लटका के लौट आते हैं तो बिचारी मेरी उंगली की क्या बिसात…
लेकिन वो भी पकड़ी गयी.
दूबे भाभी तो संध्या भाभी के ऊपर पूरी तरह से… .कोई मर्द क्या इस तरह रगड़ के चोदेगा…दोनों टाँगे उठा के उन्होंने अपने कंधे पे इस तरह रख लीं थीं की वो बिचारी चाह के भी हिल डुल नहीं सकती
” ससुराल में तो बहोत मिज्वाई होगी चूंची ना अब ज़रा भाभी का भी मजा लो ना…तेरी ये चून्चिया इत्ती मस्त है की नंदोई तो रोज…दीवाने होंगे इसके…” वो बोलीं.
” लेकिन भाभी वो मुझसे ज्यादा आपकी चूंची के दीवाने हैं…” ब्रा के ऊपर से ही दूबे भाभी के जोबन का मजा लेते संध्या बोलीं.
” अरे ये तो बड़ी अच्छी बात है…होली मैं तो वो आयेंगे ना अदला बदली कर लो …मेरे सैयां तुम्हारे साथ और तेरे मेरे साथ …होली में नीचे वाले मुंह का भी स्वाद बदल जाएगा.” और साथ ही दूबे भाभी ने अपनी चूत से इत्ती कस के घिस्सा लगाया की संध्या भाभी की सिसकी निकल गयी.
अब बिना रंगों की होली हो रही थी.. लेकिन संध्या भाभी दूबे भाभी की बात का मतलब समझ गयीं और नीचे से कमर उचकाते बोलीं…
” भाभी ये आपके मायके में होता होगा…मुझे मेरे ही भैया से चुदवाने का प्लान बना रही हैं…आपको मेरे सैयां भी मुबारक मेरे भैया भी मुबारक …एक आगे से एक पीछे से…”
तब तक शायद दूबे भाभी ने उनके पिछवाड़े भी उंगली कर दी जिससे वो चुहुक कर बोलीं….इधर नहीं भाभी इधर नहीं…
” अरे तो ननदोई जी ने पीछे का बजा नहीं बजाया..इत्ते मस्त नगाड़े जैसे तेरे चूतड और गांड नहीं मारी…बहोत नाइंसाफी है…” दूबे भाभी बिना उंगली निकाले बोली. और उसके बाद तो जो धमाचौकड़ी मची…न जाने कित्ते आसन दूबे भाभी ने ट्राई किये संध्या भाभी ने थोडा जवाब देने की कोशिश की लेकिन सब बेकार…
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
रीत का मुकाबला ज्यादा बराबरी का था…भले ही उसे उतना एक्सपीरियंस ना हो लेकिन वो सीखती बहोत जल्दी थी.
चंदा भाभी ने उसे दबोच लिया था लेकिन वो फिसल के मछली की तरह बाहर और उसके बाद वो जो ऊपर चढ़ी तो उसने अपने दोनोंपैरों को आपस में फंसा लिया …फिर चंदा भाभी लाख उपर नीचे हुयीं लेकिन उसकी पकड़ ढीली नहीं हुयी. गुड्डी मेरी गोद में थी…और जो होली वहां ननद भाभी खेल रही थीं वही हम यहाँ खेल रहे थे.
गुड्डी के जो उरोज खुले हुए थे उसे उसने फिर से फ्राक के अन्दर बंद करने की कोशिश की लेकिन मैंने मना कर दिया.
जिस तरह ननद भाभी एक दूसरे की चून्चिया मसलतीं उसी तरह मैं गुड्डी की ..एक बार रीत ने देखा तो उसने वहीँ से थम्स अप की साइन दी और बोली…
” लगे रहो…लेकिन इत्ते धीरे…अरे जरा कस के…”
उसके बाद तो मुझे उकसाने की जरोरत नहीं पड़ी…
थोड़ी देर बाद मैंने गुड्डी को ड्रिंक्स इंटरवल में भेजा ड्रिंक्स लेके…बियर, ठंडाई ..और चारो ने जम के पीया…लेकिन वहीँ एक मिस्टेक हो गया…
दूबे भाभी और चंदा भाभी ने पहले कुछ आपस में बातचीत की फिर गुड्डी और रीत से…
दोनों एक साथ मेरे पास आके खड़ी होगयीं.
” क्यों क्या हुआ…”
गुड्डी मुस्कराते हुए बोली कुछ ख़ास नहीं….
और उसने और रीत ने एक साथ मेरा टाप पकड़ लिया और एक झटके में उपर खीच दिया..
मैं चीखता रहा मना करता रहा लेकिन
” क्यों क्या हुआ…”
गुड्डी मुस्कराते हुए बोली कुछ ख़ास नहीं….
और उसने और रीत ने एक साथ मेरा टाप पकड़ लिया और एक झटके में उपर खीच दिया..
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
मैं चीखता रहा मना करता रहा लेकिन….
तभी गुड्डी बोली…” जाने दो यार…साल्ला बहोत चीख रहा है…”
रीत बोली ” अरे यार अभी खोलने में इत्ता नखड़ा कर रहा है तो डलवाने में कित्ता करेगा…लेकिन तू कहती है तो छोड़ देती हूँ …आखिर तेरा माल है..”
गुड्डी ने हंस के जवाब दिया…” अरे नहीं यार मॉल तो तुम्हारा है.. लेकिन देख ना कित्ता हल्ला कर रहा है जैसे हम लोगों ने उसकी बहन की…”
” अरे पूरा क्यों नहीं बोलती की …जैसे हम लोगों ने उसकी बहन चोद दी है…लेकिन उसे तो यही चोदेगा…आखिर घर का माल है उसका हक़ है …फिर वो नहीं चोदेगा तो कहीं न कहीं तो चुदवायेगी ही वो…तो फिरे ये मेरा यार ही क्यों..नहीं…चल तू बोलती है तो छोड देते हैं ये भी क्या याद करेगा साल्ला की बनारस में ससुराल में किन दिलदार साल्लियों से पाला पड़ा था..”
और उन दोनों ने छोड दिया…मेरा टाप ( मेरा नहीं गूंजा का जो मैंने पहन रखा था , मेरे कपडे तो इन दोनों ने हड़प कर लिए थे…) मेरे गले तक अटका हुआ था.
नुकसान ये हुआ की टाप अब मेरे चेहरे पे फंसा हूया था और मैं कुछ देख नहीं पा रहा था…फायदा उन दोनों हिरणियों को हुआ मेरे ऊपर कम्प्लीट कब्ज़ा..
” चल आगे से तू पीछे से मैं …” ये रीत की शहद सी आवाज थी जो मैं सोते हुए भी पहचान सकता था.
” रीत दी..अभी आगे का क्या फायदा …हाँ शाम के बाद बात अलग है…” मुंह बनाते हुए गुड्डी बोली ”
” अरे तू भी ना यहाँ सब उसी के लिए तड़प रहे हैं …पकड़ तो सकती है ना…” रीत ने उसे हड़काते हुए उकसाया.
और उस दुष्ट ने वही…वो भी ऊपर से नहीं सीधे बार्मुडा के अन्दर हाथ डाल के …
रीत भी कोई कम नहीं थी..उस के दोनों हाथ मेरे टिट्स पे थे और जैसे कोई किसी लड़की के चुचुक सहलाए दबाये बस उसी तरह…और साथ में उसके आलमोस्ट खुले मस्त उभार, जिनका दीदार भी मैं कर चूका था और जिसके बारे में मैं श्योर था की सिर्फ सोच कर …जिसके ऊपर वियाग्रा की फुल डोज भी असर ना करे , उसका भी लिंग खड़ा हो जाए…मेरे पीठ के पीछे से… कभी हलके से दबा देते कभी रगड़ देते..और आगे से गुड्डी की १६ साल की चून्चिया…जो अभी भी पूरी तरह फ्राक से बाहर थीं
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
आप सोच सकते हैं फागुन का मौसम हो और दो मस्त रीत और गुड्डी की तरह की किशोरियां…आगे पीछे से
अपने रंग लगे, गदराये गोरे गोरे किशोर जोबन ..जो चुन्चिया उठान कहते हैं न बस उस तरह के रगड़ रही हों तो क्या हालत होगी…
बस वही हालत मेरी थी…बल्कि उससे भी बदतर…क्योंकि गुड्डी के कोमल, मस्त लेकिन जबर्दस्त पकड़ वाले हाथ मेरे लंड पे थे…कभी वो शैतान अपने अंगूठे से उसके बेस पे रगड़ देती तो कभी सुपाडे पे…और साथ में रंग लगाने के साथ साथ उसे हलके हलके मुठिया तो वो रही ही थी.
” हे पीठ पे तो तुझे रंग लगाना था ना..देख कित्ती सारीजगह बच गयी है…” रीत की आवाज मेरे कान के पास गूंजी.
‘ मेरी अच्छी दी..आप लगा दो न देखो मेरे हाथ अभी कित्ते जरूरी काम में बिजी हैं…प्लीज..” गुड्डी ने अदा से जवाब दिया..
” बिजी की बच्ची तेरी सारी ननदों की गांड मारू…” रीत बोली और पेंट लगे उसके हाथ मेरी पीठ पे बिजी हो गए.
” अरे दी..उसकी तो मारेंगे ही …” खिलखिला के गुड्डी बोली और कस के मेरे लंड को दबा दिया और कहा…” जब मैं आउंगी तो इन्होने तो दूबे भाभी से वादा किया है है की उसे, अपनी बहना को ले के आयेंगे न रंग पंचमी में और कोई दिक्कत होगी तो इन्ही से मरवा लेंगे…क्यों मारोगे न…आखिर रीत का कहना तो तुम टालते नहीं…”
मैं क्या बोलता. एक से पार पाना मुश्किल था लेकिन यहाँ तो दोनों…बनारस के रस में रसी पगी, रसीली ..लेकिन तभी मेरा बल्ब जला..
” मैं एक तुम दो दो…लेकिन चलो…साल्लियों से क्या बहस करना हाँ मेंरी भी एक शर्त है…तुम दोनों लगाओ तो सही ..लेकिन हाथ का इस्तेमाल नहीं करोगी…” मैं हंस के बोला…
” तुम बहोत नखड़ा दिखाते हो…वो आएगी ना तेरी बहना…देखना एक साथ तीन तीन चढ़ेंगे उस पे…और दो वेट करेंगे तो भी वो बुरा नहीं मानेगी…और तुम दो दो पे ही..” गुड्डी ने मुंह बनाया. लेकिन रीत चतुर चालाक थी…बड़े भोलेपन से बोली…
” अरे चल मान जाते हैं यार घर आये मेहमान से ..वरना अपने मायके जा के रोयेंगे….चल…वैसे भी हमारे हाथों को बहोत से और भी काम है…”
गुड्डी भी समझ गयी.
समझा मैं भी लेकिन थोड़ी देर से…गुड्डी के उभार पे मैंने लाल गुलाबी रंग और डूबे भाभी ने जम के कालिख रगड़ी थी…और रीत के जोबन का रस तो हम सबने ( मैंने भले ही कमीज के अन्दर हाथ डाल के ), मैंने, दूबे और चंदा भाभी ने सब ने रंग लगाया था…बस उन दोनों हसीनाओं ने उन उभारों को ही हाथ बनाया ..और आगे से गुड्डी और पीछे से रीत ने कस कस के रंग लगाना, अपनी चून्चियों से शुरू कर दिया, मेरे सीने और पीठ पे…
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
गुड्डी की नरम हथेलियाँ तो मेरे लंड को वैसे ही तंग कर रही थीं अब रीत भी मैदान में आगई . उसका एक हाथ गुड्डी के साथ आगे और दूसरा मेरे
नितम्बों की दरार पे पीछे..
अब मेरा चर्म दंड दोनों के हाथ में बीच मैं जैसे दो ग्वालिने मिल के मथानी मथें..बस बिलकुल उसी तरह…एक ही काफी थी वहां दोनों…मेरी तो जान निकल रही थी…
और साथ में अब रीत की दो उंगली मेरी गांड की दरार में…ऊपर नीचे..रगड़ रगड़ कर.. गुड्डी का एक हाथ भी वहां पहुँच गया था वो कस कस के मेरे नितम्बो को दबा रही थी…
” अरी साल्लियों वहां नहीं…अगर मैं वहां डालूँगा ना तो बहोत चिल्लाओगी तुम…” मैं बोला…मजा जब एक सीमा के बियांड हो जाता है तो मुस्किल हो जाती है मेरी वही हालत हो रही थी..
” तब की तब देखी जायेगी अभी तो हमारा मौका है…डलवाओ चुपचाप…” गुड्डी बोली.
” हाँ जैसे ये नहीं डालने वाले..और हमारे रोकने से मान जायेंगे…” रीत बोली. उस की उंगली पिछवाड़े घुसने की कोशिश कर रही थी.
बचा मैं…दूबे भाभी की आवाज से…” सालियों , छिनार तुम दोनों को भेजा क्या बोल के था और किस काम में लग गयी…”
और अब की मेरे कुछ बोलने के पहले ही गुड्डी और रीत के हाथ मेरे टाप पे और टाप बाहर …जो उन दोनों ने फेंका तो सीधे संध्या भाभी के ऊपर…उन का दूबे और चंदा भाभी के साथ थ्रीसम ख़तम ही हुआ था…
अब आयगा मजा …तुम ने हम सब की ब्रा में हाथ डाल के बहोत रगडा मसला था…और अब तुम पूरे टाप लेस हो गए हो …वो मेरे टाप को पकड़ती हुयीं बोली…
और उसके बाद तो सब की सब मेरे ऊपर …जो हुआ वो न कहा जा सकता है न कहने लायक है…
उड़त गुलाल लाल भये बादर…
मल दे गुलाल मोहे आई होली आई रे..
चुनरी पे रंग सोहे आयो होली आई रे..
चलो सहेली,चलो सहेली –
ये पकड़ो
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
ये (पकड़ो इसे न छोडो
अर्रा अर्रा अर्रा बैया न तोड़ो ,
ओये ठहर जा भाभी , अरे अरे शराबी
क्या हो रजा गली में आजा
होली होली गाँव की गोरी ओ नखरेवाली
दूंगी मैं गली अरे साली , होली रे होली …
वो पांच मैं अकेले…मैं समझ गया अन आर्म्ड कम्बैट मैं तो मैं जीत नहीं सकूँगा दूबे भाभी की पकड़ मैं देख चूका था…अब रीत और गुड्डी के हाथ बार्मुडा से बाहर थे लेकिन दूबे भाभी और चंदा भाभी ने आगे और संध्या भाभी ने पीछे का मोर्चा सम्हाला…
” हे संध्या जरा पकड़ के देख बोल तेरे वाले से बड़ा है की छोटा …” चंदा भाभी ने बोला. वो नाप जोख क्या पिछली रात तीन तीन बार अन्दर ले चुकीं थी.
” अरे भाभी ये अभी बच्चा है वो मर्द हैं…” संध्या भाभी टालते हुए बोली.
” चल पकड़ वरना तुझे लिटा के अन्दर घुसेडवा के पूछूंगी….” ये दूबे भाभी थी….अब संध्या भाभी के पास कोई चारा नहीं था. दूबे भाभी ने हाथ बाहर निकाला और संध्या भाभी ने डाला.
थोड़ी देर तक वो इधर उधर करती रही..” बोल ना…” चंदा भाभी ने पुछा.
” जिसको मिलेगा ना वो बड़ी किस्मत वाली होगी..” संध्या भाभी बुदबुदा रही थीं.
मैंने रीत की ओर देखा, वो मुस्करा रही थी और उसका चेहरा चमक रहा था. उसने मेरी आँखे चार होते ही थम्स अप का साइन दिया.
” बोल ना कैसा लगा…” अब चंदा भाभी उनके पीछे पड़ गयी थीं.
संध्या भाभी ने पहले तो झिझकते झिझकते पकड़ा था लेकिन अब अच्छी तरह से और उनका अंगूठा भी सीधे सुपाडे पे…
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
मेरा लंड दूबे भाभी के एक्स्प्पर्ट हाथों में मुठीयाने से एकदम पागल हो गया था…खूब मोटा…
और अब बिचारी संध्या भाभी लाख कोशिश कर रही थीं लेकिन उनकी मुट्ठी में नहीं समां रहा था.
“बोल लेना है …” चंदा भाभी चिढा रही थीं गुड्डी और रीत से कह के सोर्स लगवा दूँ..”.
ना बाबा न…संध्या भाभी ने हाथ बाहर निकाल लिया…आदमी का है या गधे घोड़े का ..
” अरे तेरे आदमी का है या बच्चे का…अभी तो इसे बच्चा कह रही थी…हाँ एक बार ले लेगी ना तो तेरे मर्द में हो सकता है मजा ना आये…” दूबे भाभी अब मेरी ओर से बोल रही थीं.
लेकिन मैं समझ गया था की यही मौका है…अभी किसी का हाथ अन्दर नहीं था…गुड्डी किसी काम से अन्दर गयी थी और रीत भी कहीं…मैंने देख रखा था की टेरेस के किनारे की ओर चंदा भाभी ने कई बाल्टियों में रंग और एक दो पीतल की बड़ी लम्बी पिचकारियाँ भी रखी थीं…लेकिन हम लोग तो हाथ पे उतर आये थे …और वहां तीन ओर से दीवार थी इसलिए जो भी हमला होगा सामने से होगा….
बस मैं उधर मुड लिया…
मैं सिर्फ बारमुड़े में था वो भी इत्ता छोटा की कमर से एक बित्ते ही नीचे होगा ..लेकिन चंदा, दूबे और संध्या भाभी भी खाली ब्रा और सायें में ..वो भी रंग में भीगने से ट्रांसपरेंट हो चुके थे. रीत भी लेसी जालीदार ब्रा और पजामी में और वो भी देह से चिपकी…
चंदा भाभी मेरी ओर बढीं …तो मैंने उन्हें बढ़ने दिया. लेकिन जब वो एकदम पास आगई तो मैंने बाल्टी का रंग उठा के पूरी ताकत से ..सीधे उनकी रंगों में डूबी ब्रा के ऊपर ..इत्ती तेज लगी की लगा ब्रा फट ही गयी…फ्रंट ओपन ब्रा रंग के धक्के से खुल गयी थी …और जब तक वो उसको ठीक करतीं बाकी बची बाल्टी का रंग मैंने उनके साए पे सीधे उनके बुर पे सेंटर कर के….
” निशाना बहोत सही है तम्हारा…” संध्या भाभी हंस रही थीं.
“अरे आप पास आइये ना अपनी पर्सनल पिचकारी से सफेद रंग डालूँगा…९ महीने तक असर रहेगा… ” मैंने दावत दी.
” अरे इसपे डाल…ये तुम्हारी बड़ी चाहने वाली है…” उन्होंने रीत को आगे कर दिया.
मेरे तो हाथ पैर फूल गए…उन रंग से डूबी वैसे भी लेसी जालीदार हाफ कट ब्रा में उसके उभार छुप कम रहे थे दिख ज्यादा रहे थे. वो झुकी तो उसके निपल तक और उठी तो उसके नयन बाण ….
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
‘ मैं नहीं डरती हूँ ..ना इनसे ना इनकी पिचकारी से…पिचका के रख दूंगी…अपनी बाल्टी में…” हंस के जोबन उभार के वो नटखट बोली.
वो जैसे ही पास आई मैंने पिचकारी में रंग भर लिया था…और वो जैसे ही पास आई
लाल गुलाबी…छर्रर्रर…छ र्र्रर्र्रर्रर्रर ….पिचकारी की धार सीधे उसकी जालीदार ब्रा के ऊपर और अन्दर उसने हाथ से रोकने की कोशिश की तो पाजामी के सेंटर पे….
‘क्यों मो पे रंग की मारी पिचकारी ….क्यों मो पे रंग की मारी पिचकारी ..
देखो कुंवरजी दूँगी में गारी , दूँगी में गारी , भिगोई मेरी सारी
भाग सकूं में कैसे , भाग नहीं जात …भीगी मेरी सारी….”
रीत मेरे एक दम पास आगई थी. मुझे लग की रहा था की जैसे वो किसी पेंटिंग से सीधे उतरकर आ गयी हो…बस मुगले आजम में जिस तरह मधुबाला लग रही थी …” मोहे पनघट पे नंदलाल छेड़ गयो रे ” गाने में बिलुल वैसे ही…एकदम संगमरमर की मूरत …
मुझे लग रहा था किसी ने मूठ मार दी हो…जादू कर दिया हो बस वैसे ही मैं खड़े का खड़ा रहा गया.
वो एक दम पास आगई बस पिचकारी पकड़ ही लेती मेरी तो मैं जैसे सपने से जागा…और मैंने पूरी पिचकारी उसके उरोजों पे खाली कर दी…
छर्रर्रर्रर छर्रर्रर …..
और उसके उरोज तो रंग से भर ही गए…पूरे खिले दो गुलाबी कमल जैसे..और अब उसकी ब्रा भी उनका भार नहीं बर्दाश्त कर पायी…
हुक चटाक चटाक कर टूट गए… और जब तक वो झुक के हुक ठीक करती उसके निपल दिख गए और जब उसने सर ऊपर किया तो पलकों के बाण चल गए.
लेकिन अब की मैंने बाकी की पिचकारी भी खाली कर दी…उसने दोनों हाथों से रोकने की कोशिश की…तब तक गुड्डी भी आ गयी…
” अरे यार चलो ना अब सब मिलके तुम्हारा बलात्कार नहीं करेंगे…” वो हंस के बोली…
” बारी से करेंगे…” संध्या भाभी को भी अब एक बार मेरा लंड पकड़ने के बाद स्वाद मिल गया था, वो भी बोली. मैं उन दोनों के साथ टेरेस के बीच में आ गया जहाँ चंदा भाभी, संध्या और दूबे भाभी बैठी थीं.
गुड्डी और रीत मेरे दोनों और खड़ी थीं मुझे शरारत से ताकतीं..
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
दोनों के अंगूठे मेरे बार्मुदा में फंसे थे और मेरी पीठ चंदा और दूबे भाभी की ओर थी.
थोडा सा मेरा बार्मुदा उन्होंने नीचे सरका दिया…
” अभी कुछ नहीं दिख रहा है…” संध्या भाभी चिलायीं.
” साल्ले को पहले निहुराओ..” दूबे भाभी ने हुकुम दिया
और मैं अपने आप झुक गया,,,
और रीत और गुड्डी ने एक झटके में बार्मुदा एक बित्ते नीचे सीधे मेरे नितम्बों के नीचे …
दूबे भाभी और चंदा भाभी की आँखे वहीँ गडी थीं लेकिन दुष्ट रीत ने अपने दोनों हाथों से मेरे चूतडों को ढक लिया और शरारत से बोली…
” ऐसे थोड़ी दिखाउंगी , मुंह दिखाई लगेगी…”
” दिखाओ ना ” संध्या भाभी बोली…अच्छा थोडा सा…
रीत ने हाथ हटा दिया लेकिन गांड की दरार अभी भी हथेलियों के नीचे थी.
” चल दे दूंगी माल तो तेरा मस्त लग रहा है…” दूबे और चंदा भाभी एक साथ बोलीं…
और रीत ने हाथ हटा दिया…और दूबे भाभी से बोली…चेक कर के देख लीजिये एकदम कोरा है अभी नथ भी नहीं उतरी है सात सहर के लौंडे पीछे पड़े थे लेकिन मैं आप के लिए पटा के ले आई.
दूबे भाभी भी …उन्हों ने अपनी तर्जनी मुंह में डाली कुछ देर तक उसे थूक में लपेटा और फिर थोड़ी देर तक उसे मेरी पिछवाड़े की दरार पे रगडा…
मुझे कैसा कैसा लग रहा था….
चंदा भाभी ने अपने दोनों मजबूत हाथों से मेरे नितम्बो को कस के फैलाया और दूबे भाभी ने कस के उंगली घुसेड़ने की कोशिश की ..लेकिन बस …
निकाल के वो बोलीं बड़ी कसी है …इत्ती कसी तो मेरी ननदों की भी नहीं है…
लेकिन संध्या भाभी तो कुछ और देखना चाहती थीं उन्हें अभी भी विशवास नहीं था…” रीत आगे का तो दिखाओ …उतार के खोल दो ना क्या …”
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और मैंने सीधा खड़ा हो गया.
रीत और गुड्डी ने एक साथ मेरा बारमुडा खिंच दिया वो नीचे तो आया लेकिन बस मेरे तने लंड पे अटक गया और रीत और गुड्डी ने फिर उसे अपनी हथेलियों में छिपा लिया,
बेचारी भाभियाँ बेचैन हो रही थी..इस स्ट्रिप शो में …
दिखाओ ना पूरा ..सब एक साथ बोली और अगले झटके में बारमुडा दूर…मैं हाथ से छिपा भी नहीं सकता था वो तो पहले ही संध्या भाभी की ब्रा में बंधा था.
रीत अपने हाथ से उसे छिपा पाती इसके पहले ही संध्या भाभी ने उस का हाथ पकड़ लिया…
और जैसे स्प्रिंग दार चाक़ू निकल के बाहर आ जाता है वो झट से स्पिरंग की तरह उछ्ल के बाहर …
लम्बा खूब मोटा काला भुजंग…
बीच बीच में नीले स्पोट …धारियां…
ये उसका असली रंग नहीं था ..लेकिन उसको सबसे ज्यादा रगडा पकड़ा था रंग लगाया था …दूबे भाभी ने और ये उनके हाथ की चमकदार कालिख थी..जिसने उसे गोरे से काला बना दिया था.
उसे आखिरी बार पकड़ने वाली संध्या भाभी थीं इसलिए उनके हाथ का नीला रंग…उनकी उंगलियों की धारी और स्पोट के रूप में थीं,
गुड्डी और रीत ने जो लाल गुलाबी रंग लगाये थे वो दूबे भाभी की लगाई कालिख में दब गए थे.
सब लोग ध्यान से देख रहे थे, खासतौर से संध्या भाभी…शायद वो अपने नए नवेले पति से कम्पेयर कर रही थीं.
“अरे लाला ससुराल का रंग है वो भी बनारस का…जाके अपनी छिनार बहना से चुस्वाना तब जाकर रंग छूट पायेगा…” दूबे भाभी बोलीं.
” कोई फायदा नहीं…” ये चंदा भाभी थीं. ” अरे रंग पंचमी में तो आओगे ही फिर वही हालत हो जायेगी..”
रीत ने एक अंगडाई ली और जैसे बोर हो रही हो ..बोली..
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” भाभी चलो न..शो ख़तम… देख लिया…होली भी हो ली..अब इन्हें जाने दो..ये कल से अपने मायके जाने की रट लगा के बैठे थे. ये तो भला हो गुड्डी और चंदा भाभी का इन्हें रोक लिया की कही रात में उंच नीच हो जाय …तो इन्हें क्या.नाक तो हमीं लोगों की कटेगी ना…और सुबह से होली का था तो चलो होली भी हो ली…इन्होने गुझिया और दहीबड़े भी खा लिए …हम लोग भी नहा धो के कपडे बदले वरना ..चलो न. ..गुड्डी तुम भी तैयार हो जाओ . वरना ये कहेंगे की तुम्हारे कारण देर हुयी..जल्दी जाओ वरना देर होने पे फिर इनके मायके में डांट पड़े मुर्गा बना दिया जाय…”
” मैं आपके बाथरूम में नहा लूं भाभी …कपडे मैंने पहले से ही निकाल के रख दिए हैं बस ..वैसे मुझे आज थोडा टाइम भी लगेगा नहाने में सर धोके नहाना होगा..” गुड्डी ने चंदा भाभी से पुछा.
” तो नहा लो ना…इसके पहले कभी नहाई नहीं क्या …गुंजा के साथ कित्ती बार..उसी के कमरे वाले बाथरूम में नहा लेना…” चंदा भाभी बोली.
मुझे बड़ी परेशानी हो रही थी.सब लोग ऐसे बाते कर रहे थे जैसे मैं वहां होऊं ही नहीं…
” लेकिन मेरा क्या..मैं कैसे नहा..तैयार …” मैं ने पूछ ही लिया..
” तो कोई आपको नहलाएगा…तेल फुलेल लगाएगा श्रृंगार कराएगा..सोलहो श्रृंगार…” रीत तो जैसे खार खाए बैठी थी.
” अरे जहाँ सुबह नहाया था वहीँ नहा लेना..ये भी कोई बात है..मेरे कमरे वाले बाथ रूम में…” चंदा भाभी बोलीं.
” अरे इसकी क्या जरुरत है भाभी…यहीं छत पे नहा लेंगे ये…कहाँ आपका बाथरूम गन्दा होगा रंग वंग से…फिर इनका आगा भी देख लिया पीछा भी देख लिया फिर किससे ये लौंडिया की तरह शरमा रहे हैं..” रीत ने और आग लगाई.
” नहीं वो तो ठीक है नहाना वहाना..लेकिन कपडे…कपडे क्या मैं ..कैसे मेरे तो…” दबी आवाज में मैंने सवाल किया..
” ये कर लो बात कपडे…किस मुंह से आप कपडे मांग रहे हो जी…सुबह कितनी चिरौरी विनती कर के गूंजा से उसकी टाप और बार्मुडा दिलवाया था…और आप ने उसको भी ..आपको अपने कपडे की पड़ी है और मैं सोच रही हूँ किस मुंह से मैं जवाब दूंगी उस बिचारी को…किता फेवरिट बार्मुडा था..क्या जरूरत थी उसे पहन के होली खेलने की…” गुड्डी किसी बात में रीत से पीछे रहने वाली नहीं थी.
” अरे ऐसे ही चले जाइए ना…बस आगे हाथ से थोडा ढक लीजियेगा…और किसी दूकान से गुड्डी से कहियेगा तो मेरी सहेली ऐसी नहीं है…चड्ढी बनयान दिलवा देगी..” रीत बोली.
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” सही आइडिया है सर जी…” गुड्डी और संध्या भाभी साथ साथ बोले.
” नहीं ये नहीं हो सकता….” चंदा भाभी बोलीं. ” अरे तुम सब अभी बच्ची हो तुम्हे मालूम नहीं इसी गली के कोने पे सारे बनारस में एक से एक लौंडे बाज रहते हैं…और ये इत्ते चिकने है ..बिना गांड मारे सब छोड़ेंगे नहीं…इसे लिए तो इन्हें रात में नहीं जाने दिया..और अगर दिन दहाड़े तो इन की गांड शर्तिया मारी जायेगी.
” भाभी आप भी ना बिना बात की बात पे परेशान …” रीत बोली…” गांड मारी जायेगी तो मरवा लेंगे इसमे कौन सी परेशानी की बात है…कौन सा ये गांड मरवाने से गाभिन हो जायेंगे…फिर कुछ पैसा वैसा मिलेगा तो अपनी माल कम बहना के लिए लालीपॉप ले लेन्हे..वो साल्ली भी मन भर चाटेगी चूसेगी…गांड मारने वाले को धन्यवाद देगी.”
“नहीं ये सब नहीं हो सकता …” अब दूबे भाभी मैदान में आ गयीं. मैं जानता था की उनकी बात कोई नहीं टाल सकता…” अरे छिनारों..आज मैंने इसे किस लिए छोड़ दिया ..इस लिए ना की जब ये रंग पंचमी में आएगा तो हम सब इसकी नथ उतारेंगे…लेकिन इससे ज्यादा जरुरी बात…अगर ये लौंडे बाजों के चक्कर में पड़ गया ना तो इसकी गांड का भोंसडा बन जाएगा…तो फिर ये क्या अपनी बहन को ले आएगा…तुम सब साल्लियाँ अपने भाइयों कही नहीं सारे बनारस के लड़कों का घाटा करवाने पे तुली हो. कुछ तो इसके कपडे का इंतजाम करना होगा.”
अब फैसला हो गया था…लेकिन सजा सुनाई जानी बाकी थी.
होगा क्या मेरा…?
जैसे मोहल्ले की भी क्रिकेट टीमें …जैसे वर्ड कप के फ़ाइनल में टीमें मैच के पहले सर झुका के न जाने क्या करती है …उसी तरह सर मिलावन कराती हैं बस …उसी अंदाज में..सारी लड़कियां महिलायें..सर झुका के…
और फिर फैसला आया… ..रीत अधिकारिक प्रवक्ता थी.
” देखिये मैं क्या चाहती थी ये तो मैंने आपको बता ही दिया था…लेकिन दूबे भाभी और सब लोगो ने ये तय किया है…मैं भी उसमे शामिल हूँ की आप कपडे…लेकिन लड़कों के कपडे तो हमारे पास हैं नहीं..इसलिए लड़कियों के कपडे…इसमें शरमाने की कोई बात नहीं है..कित्ती पिक्चरों में हीरो लड़कियों के कपडे पहनते है तो….हाँ अगर आप को ना पसंद हो तो फिर तो बिना कपडे…के..” रीत बोली.
गुड्डी तब तक एक बैग ले आई. ये वही बैग था जिसे रीत सुबह अपने घर से ले आयी थी. और गुड्डी ले के चंदा भाभी के पास ले के चली गयी थी. बाद में उसे ही ढूढने वो चंदा भाभी को ले के अन्दर ले गयी थी.
उसमे से ढेर सारी चीजें निकाली गयी श्रृंगार की…
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अब मैं समझ गया ये सब नाटक था…मुझे तंग करने का…ये सब प्लानिग पहले से थी…
मैं भी उसे उसी तरह एन्जॉय करने लगा,
पेटीकोट दूबे भाभी का पहनाया गया..ब्रा और चोली..संध्या भाभी की.
श्रृंगार का जिम्मा रीत और गुड्डी ने लिया.
मेरे दोनों हाथों में कुहनी तक भर भर लाल हरी चूड़ियाँ…रीत पहना रही थी. झुक के मेरे कान में बोली…
” हे बुरा तो नहीं माना…”
” अरे यार बुर वाली की बात का क्या बुरा मानना वो भी होली मैं…” मैं बोला और हम दोनों हंस पड़े…
वो गाने लगी और बाकी सब साथ दे रहे थे…
“रसिया को नार बनाउंगी रसिया को…”
सिर पे उढाय सुरंग रंग चुनरी गले में माल पहनाउंगी, रसिया को।
हे बुरा तो नहीं माना…” रीत बोली.
” अरे यार बुर वाली की बात का क्या बुरा मानना वो भी होली मैं…” मैं बोला और हम दोनों हंस पड़े…
वो गाने लगी और बाकी सब साथ दे रहे थे…
“रसिया को नार बनाउंगी रसिया को…”
सिर पे उढाय सुरंग रंग चुनरी गले में माल पहनाउंगी, रसिया को।
……..रसिया को नार बनाउंगी रसिया को,
सर पर धरे सुरंग रंग चुनरी …अरे सुरंग रंग चुनरी…
जोबन चोली पहनाउंगी
रसिया को नार बनाउंगी….रसिया को ….
गाना चल रहा था और मेरे सामने सुबह से ले के अभी तक का सीन पिक्चर की तरह सामने घूम गया,
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और मैं समझ गया की परदे पे भले ही अभी रीत हो लेकिन इसके पीछे गुड्डी का और थोडा बहोत रोल चंदा भाभी का भी था…
कल शाम को जिस तरह चंदा भाभी ने मेरे कपडे उतरवा के गुड्डी को दिए और इस दुष्ट ने उसे रीत तक पहुंचा दिए और फिर भाभी ने गुड्डी के हाथों ही मेरा पूरा वस्त्र हरण…मेरी बनयान चड्ढी सब कुछ …वो सारंग नयनी ले गयी थी…लेकिन उससे भी बढ़ कर आज सुबह जिस तरह नहाते समय इस चालाक ने शेविंग क्रीम के बदले हेयर रिमूविंग क्रीम मेरे चेहरे पे अच्छी तरह लिथड के…मेरी मूंछ का भी…एकदम मुझे चिकनी चमेली बना दिया…इसका मतलब प्लान तो सुबह से ही था और रीत जिस तरह बैग में सामान ले आई थी…
अब मैं बैठा हुआ किशोरियों युवतियों के हाथों अपना जेंडर चेंज देख रहा था….और सच कहूँ तो मजे भी ले रहा था…एक अलग तरह का मजा…
गुड्डी ने चेहरे का और रीत के साथ मिल कर बाकी श्रृंगार का जिम्मा सम्हाल रक्खा था और कमर के नीचे का काम संध्या भाभी के कोमल कोमल हाथों के जिम्मे …लेकिन उसके पहले साडी पहनाई गयी …पर उसमें भी रीत ने …साडी उसी ने ला के दी ..लेकिन बोला पहनो…
अब मैं कैसे पहनता ..और वो चालू हो गयी…
“अरे वाह रे वाह पहले साडी दो फिर इन्हें पहनाना सिखाओ…मायाकेवालियों ने कुछ सिख विखा के नहीं भेजा ससुराल… की सिर्फ अपनी ममेरी बहन से नैन मटक्का ही करते रहे…”
चंदा भाभी भी मौका क्यों चूकतीं…” अर्र्रे इनकी बिचारी मायकेवालियों को क्यों बदनाम करती हो बचपन से हो उन्हें सिर्फ खोलने की आदत है चाहे अपनी साडी हो या नाडा..तो इस बिचारे को कहाँ से सिखातीं…”
” अरे मोहल्ले वाले साडी बाँधने देते तब ना…साथ में जांघे फैलाना , टाँगे उठाना …तो वो बिचारी बांधती भी कैसे…” संध्या भाभी भी अब हम सब के रंग में रंग गयी थीं और उन्होंने सबसे पहली साडी के एक छोर को साए में बांध के मुझे सिखाया…फिर तो कुछ मैंने कुछ उन्होंने साडी बंधवा ही दी.
अभी रीत और गुड्डी चूड़ियाँ पहना रही थीं ..हरी हरी..और लाल कंगन..और संध्या भाभी पैर में महावर लगा रही थीं…
रीत और गुड्डी एक दम चुडिहारिनों की तरह बैठी थीं …गुड्डी ने कलाई पकड़ रखी थी और रीत चूड़ियाँ पहना रही थी.
और जैसे चुडिहारिने नयी नवेलियों की कुँवारी लड़कियों को छेड़ती हैं वो भी बस उसी तरह वो दोनों भी…
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गुड्डी ने मेरी कलाई को गोल मोड़ दिया चूड़ी अन्दर करने के लिए ..और रीत ने छेड़ा…” हे हमारी तुम्हारी कब…”
” अरे पकड़ा पकड़ी होय जब…” गुड्डी ने जवाब दिया.
रीत ने जब चूड़ी घुसाई तो दर्द तो हुआ लेकिन रीत की बात सुन के वो काफूर हो गया….
” अरे उह आह…कब…” रीत ने पुछा..
” आधा जाय तब…” गुड्डी ने जवाब दिया…
” अरे मजा आये कब निक लागे कब….” रीत ने अपनी बड़ी बड़ी कजरारी आँखे नचाकर पुछा…
” अरे पूरा अन्दर जाय तब…” गुड्डी भी अब पीछे रहने वाली नहीं थी. और एक चूड़ी अन्दर चली गयी..उसके बाद तो उन दोनों ने मिल के..एकदम कुहनी तक चूड़ियाँ पहना दी.
और दोनों मिल के अपने इस द्वि अर्थी पहेली कम डायलाग पे हंस पड़ीं.
” सुहागरात का पता कैसे चलेगा…जानू…” गुड्डी ने मुझे चिढाते हुए पुछा.
” अरे जब रात भर चूड़ियाँ चुरूर मुरुर करें और आधी सुबह तक चटक जाय” , रीत मेरे गाल पे चुटकी काट के बोलीं.
” क्यों संध्या याद है ना तुम्हारी सुहागरात में ..महावर वाली बात…” चंदा भाभी ने मुस्करा के पुछा.
” आप भी ना भाभी …वो तो सब की सुहागरात में होता है…आप भी कहाँ की बात ले बैठीं..वो भी इन बच्चियों के सामने..” रीत
और गुड्डी की और देख के वो बोलीं. रीत ने उन्हें ऐसे देखा जैसे कोई गलत बात उन्होंने कह दी हो. लेकिन बोलीं दूबे भाभी…
” हे बच्चियां किन्हें कह रही हो..जब वो घूम घूम के चून्चियां दबवाने लगें तो ये बच्चियां नहीं रह जातीं. और ऊपर से मेरी ननदों की झांटे बाद में आती है लंड पाहले ढूँढने लगती हैं. और वैसे भी कल के पहले इन दोनों की भी चटक चटक के फट जायेगी. हम सब की कैटगरी में आ जायेंगी .” वो हडका के बोलीं.
रीत और गुड्डी ने सहमती में सर हिलाया.
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“रीत ,उन्होंने मेरी नाउन को चढ़ा दिया था..फिर उसने ये रच रच के महावर लगाया …खूब गाढा और गीला…आगले दिन सुबह जब हम दोनों कमरे से बाहर आये तो वो सब छिपकलियाँ मेरी ननदें पहले से तैयार बैठी थीं. ब्रेकफास्ट के समय पकड़ लिया उन्होंने तुम्हारे जीजू को…हे भैया आपके माथे पे ये लाल ला ये भाभी के पैर का रंग ..कैसे…कहीं रात भर भाभी ने आपसे पैर तो नहीं छूलावाया …ये बहोत गलत बात है…तो कोई बोली अरे भैया को कोई चीज चाहिए होगी इसलिए भाभी ने…क्यों भैय्या …लेकिन भाभी ने दिया की नहीं…खूब तंग किया …” संध्या भाभी बता भी रही थीं और उस दिन की याद कर मुस्करा भी रही थीं.
गुड्डी भी …वो बोली…” लेकिन मेरे समझ में नहीं आया कैसे जीजू के माथे पे आपके पैरों की महावर…” उसकी बात काट के संध्या भाभी मुस्कारते हुए उसके उरोजोने पे एक चिकोटी काट के बोलीं..
” अरी बन्नो सब समझ में आ जाएगा..जब रात भर टाँगे यार के कंधें पे रहेगी और रगड़ रगड़ के , ये चूंची पकड़ के चोदेगा ना तो सब पता चल जाएगा की महावर का रंग कैसे माथे पे लगता है..”
” आज जा रही ना तू कल सुबह ही हम सब फोन कर केपूछेंगे तुझसे…की रात भर टाँगे उठी रही की नहीं…समझ में आया की नहीं…” रीत ने पला बदला और संध्या की और हो गयी. सब हो हो करके हंसाने लगी लेकिन गुड्डी शरमा गयी और मैं भी..
संध्या भाभी ने महावर के रंग की कटोरी में जाने क्या और मिलाया और बोलीं..
” मैं लेकिन उस से भी गाढ़ा लगा रही हूँ और चटक भी…पंद्रह दिन तक तो नहीं छूटेगा,.लाख पैर पटक लेना…” महावर के साथ उन्होंने पैरों के नाखोन भी रंगे और जैसे गावं में औरतों की विदाई होने के समय महावत के साथ पैरों पे डिजाइन बनाते हैं ..वैसे डिजाइन भी बना दी..( वो तो मैंने बाद में देखा…एक पैर पे डिजाइन में उन्होंने लिखा था बहन और दूसरे पे चोद..)
फिर वो और चंदा भाभी पैरो में पायल और बिछुए पहनाने लगी वो भी खूब घुंघरू वाले..चौड़ी सी चांदी की पायल.
” अब ये मत पूछना की दुल्हन को ये क्यों पहनाते हैं…” चंदा भाभी गुड्डी से हंस के बोलीं और कहने लगीं, ” इसलिए बिन्नो की ..जब रात भर दुल्हन की चुदाई हो तो रुन झुन रुन झुन …ये पायल बजे और बाहर खड़ी सारी ननद भौजाइयों को ये बात मालूम चल जाय की अब नयी दुल्हन चुद रही है…
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
बिछुवे बहूत ही ज्यादा घुंघरू वाले थे …दूबे भाभी बैठ के गाइड कर रही थीं…वो मुझे चिढाते हुए गाने लगीं…
” अरे छोटे घुंघरू वाला छोटे घुंघरू वाला बिछुआ गजबे बना , छोटे घुंघरू वाला,,,,
वो बिछुवा पहने ..आनंद की बहना…गुड्डो छिनारी, ऐल्वल वाली ( मेरी ममेरी बहन के मोहल्ले का नाम)
अरे अरवट बाजे करवट बाजे, लड़िका के दूध पियावत बाजे,
अरे यारन से चूंची मिजवावत बाजे , द्बवावत बाजे…
अरे छोटे घुंघरू वाला छोटे घुंघरू वाला बिछुआ गजबे बना , छोटे घुंघरू वाला,,,,
अरे अरवट बाजे करवट बाजे, अपने भइय्या से रोज चुदावत बाजे …
अरे छोटे घुंघरू वाला छोटे घुंघरू वाला बिछुआ गजबे बना , छोटे घुंघरू वाला,,,,”
गुड्डी और रीत हाथ के श्रृंगार में लगी थीं…नेल पालिश …
” क्यों ये बात सच है ले चुके हो उसकी “गुड्डी बोली…
रीत ने आँख तरेरी और दूबे भाभी की और इशारा किया जिन्होंने हुक्म दिया था की होली में सब ‘खुल कर’ बोले
” अरे माना इनकी बात सीधी है अभी तक नहीं चुदी है ..तो अब चोद देंगे ऐसा क्या…बिछुवे तो बजंगे ही उसके…” रीत ने बात पूरी की.
और उसके बाद गहनों का और चेहरे के श्रृंगार का नंबर था. संध्या भाभी ने मुझे एक करधनी पहनाई वो भी घुंघरू वाली और मुसकरा के रीत और गुड्डी की और देख के बोला…” हे ये मत बताना की तुम्हे इसका भी मतलब नहीं मालूम है की ये कब बजती है…”
रीत की मुस्कराहट से साफ झलक रहा था की वो चतुर सुजान है लेकिन गुड्डी वैसी की वैसी तो संध्या भाभी ने फिर बोला
“अरे बुद्धू ..कोई जरुरी थोड़े ही की यही तुम्हारे ऊपर चढ़ के चोदे ..अरे ऐसा बुद्धू हो तो कई बार लड़की को ही कमान अपने हाथ में लेनी होती है. और जब लड़की ऊपर होती है. उछल उछल कर ऊपर नीचे कर चोदती है…तो करधन के ही घुंघरू बोलते हैं ”
रीत मुस्कराती हुयी मेरे चेहरे का मेकप करने में बिजी थी, लाल लिपस्टिक..गालों पे रूज, आँख में काजल, मस्कारा आइब्रो..और साथ में कानो में झुमके, नाक में नथ..कान नाक में छेद तो था नहीं इसलिए कही से इन लोगों ने स्क्रू वाले झुमके और नथ का इंतजाम किया था..नथ भी बड़ी सी उसकी मोती होंठों पे…
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नथ गुड्डी पहना रही थी. मैं थोडा ना नुकुर कर रहा था…तो चंदा भाभी ने हडकाया…
” अरे पहन लो पहन लो वरना उतारी क्या जायेगी. ”
मुस्कराती हुयी रीत ने गुड्डी को आँख मार के बोला, ” पहना दे तू लेकिन उतारूंगी मैं ही…”
तभी रीत का ध्यान मेरे ब्लाउज पे गया जिसके अन्दर संध्या भाभी की ब्रा थी…वो हलके से बोली ” माल तो मस्त है लेकिन थोडा सा कसर है…” और वो भाग के अन्दर गयी.
जब वो बाहर आई तो उसके हाथ में रंग के भरे दो गुब्बारे थे..उसने झट से मेरी ब्रा खोल के उसके अन्दर डाल दिया और बोली…
” हूँ अब मस्त माल लग रहा है एकदम ३४ सी बल्कि डी..”
मुझे खड़ा कर दिया गया था…दूबे भाभी जो अब तक दूर से गाइड कर रही थीं…पास में आयीं और बोलीं..,
” सही है लेकिन बस एक कसर है औअर उन्होंने अपने माथे से अट्ठन्नी की साइज की टिकुली मेरे माथे पे लगा दी और बोला, अब हुआ शृंगार पूरा…. नहीं लेकिन एक कसर है.”
सब मुझे घेर के खड़े थे..चंदा भाभी,संध्या भाभी और रीत और गुड्डी तो एकदम सैट के अगल बगल….किसी को कुछ समझ में नहीं आया.
” अरी साल्लियों .. इत्ती मस्त दुल्हन लेकिन उसकी मांग तो सूनी है..सिन्दूर कौन भरेगा….”
रीत ने गुड्डी की ओर इशारा किया तो गुड्डी ने रीत की ओर…” अरे सोचो मत इसकी बहन पे तो तीन तीन एक साथ चढ़ेंगे तुम तो दो ही हो कर दो एक साथ …” चंदा भाभी ने उकसाया…
” अरे तुम लोग बनारस की हो..लखनऊ की नहीं की जो पहले आप पहले आप कर रही हो…” दूबे भाभी ने हडकाया. संध्या ने सिंदूर की डिबिया बढाई और दोनों ने एक साथ…कुछ मेरी नाक पे भी गिर गया..
नाक पे सिन्दूर गिरने का मतलब जानते हो तुम्हारी सास बहोत खुश रहेंगी…” संध्या भाभी ने चिढाया…
लेकिन अब मेरी बोलने की बारी थी बहोत देर से मैं चुप था..
” अरे सिन्दूर दान हो गया तो अब सुहागरात भी तो होनी चाहिए…” मैं बोला.
” बड़ी छिनार दुल्हन है जबरदस्त खुजली इसकी चूत में मची है….” चंदा भाभी बोली लेकिन रीत बढ़ के आगे आई और हंस के मेरा मुंह उठा के बोली…
” अरे जरुर मनाई जायेगी…और वो भी अभी …” गुड्डी इस काम में पीछे हट गयी थी ये कह के उसके वो दिन चल रहे हैं
रे जरुर मनाई जायेगी…और वो भी अभी …” गुड्डी इस काम में पीछे हट गयी थी ये कह के उसके वो दिन चल रहे हैं
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” लेकिन कैसे आवश्यक सामग्री है तुम्हारे पास ” मैंने भी हंस के सवाल दागा.
” एकदम ..” और जो बैग वो सुबह अपने साथ लायी थी उसमे से एक मोटा लम्बा डिल्डो निकाला , गुलाबी एकदम मेरी साइज के बराबर रहा होगा..स्ट्रैप आन …जिसे लडकियां पहन के एक दूसरे के साथ या लड़कों के साथ …
मेरे तो चेहरे का रंग उतर गया.
तब तक दूबे भाभी का कमान जारी हुआ निहुराओ साल्ली को …और चंदा और संध्या भाभी ने मिल के मुझे झुका दिया और साडी साया सब मेरे कमर पे …
अरे क्या मस्त चिकने चूतड हैं नाम तो लिखो साल्ले का … दूबे भाभी बोलीं.
और फिर एक बार संध्या भाभी और गुड्डी…एक ने मेरे एक चूतड पे गाँ लिखा और दूसरे ने दूसरे पे डू…वो भी काली प्रिंटर इंक से…खूब बड़े बड़े…वो भी संध्या भाभी के महावर की तरह १५ दिन से पहले छूटने वाला नहीं था.
मुझे अपने नितम्बो पे एक प्यार भरे हाथ की सहलाहट मालूम हुयी…आँख बंद करके भी मैं रीत के स्पर्श को पहचान सकता था…और दो लोग मिल के मेरे नितम्बो को कस के फैला रहे थे…चंदा भाभी और संध्या भाभी…फिर दरार पे एक उंगली…गुड्डी भी उन लोगों के साथ ही थी…और उस के बाद डिल्डो का दबाव…पहले हल्का फिर थोडा तेज…
तभी दूबे भाभी की आवाज अमृत की तरह मेरे कानों में पड़ी…वो रीत से बोल रही थीं…
” जाने दे यार सगुन तो तुने कर दिया ना …अभी रंग पंचमी में तो ये आयेंगे ना तो फिर इनकी बहन और इनको साथ साथ घोंटायेंगे..अभी कहीं फट फटा गयी तो अपने मायके में जा के सबको दिखाएँगे…”
रीत ने भी उसे हटा लिया और कस के एक हाथ मेरे चूतर पे जमाते हुए, हंस के बोली ..बच गयी आज तेरी…
रीत से तो बच गयी लेकिन भाभियों से तो बचने का तो सवाल ही नहीं था..और उनकी अँगुलियों से …
उसके बाद तो वो होली शुरू हुयी…गालियाँ गाने और अब भले मेरी ड्रेस बदली हुयी थी लेकिन था तो वही. और एक बार फिर से होली जबर्दस्त शुरू हो गयी थी. गाने गालियाँ रंग अबीर..रगड़ना मसलना सब कुछ जो सोच सकते हैं वो भी और जो नहीं सोच सकते हैं वो भी…
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
मैंने संध्या भाभी को पकड़ा और बिना किसी बहाने के सीधे हाथ उनके जोबन पे एकदम परफेक्ट साइज थी उनकी ना ज्यादा छोटी ना ज्यादा बड़ी…३४ सी पहले तो मैंने थोडा सहलाया लेकिन फिर कस के खुल के रगड़ना मसलना .अब सब कुछ सब के सामने हो रहा था….रीत को चंदा भाभी ने दबोच लिया था…आखिर रिश्ता उनका भी तो ननद भाभी का था….
” क्यों भाभी कैसा लग रहा है मेरा मसलना रगड़ना…मैं जोर से कर रहा हूँ या आपके वो करते है…” मैंने निपल कस के पिंच करते हुए पुछा. मेरे मन से अभी वो बात गयी नहीं थी उन्होंने कही थी की मैं तो अभी बच्चा हूँ….
चंदा भाभी का एक हाथ रीत की पजामी में था और दूसरा उसके जोबन पे. वही से वो बोलीं, ” अरे पूरा पूछो न..इसके १० -१० यार तो सिर्फ मेरी जानकारी में मायके में थे…और ससुराल में भी देवर ननदोई सब ने नाप जोख तो की ही होगी….सब जोड़ के बताओ न ननद रानी की चूंची मिज्वाने का मजा किसके साथ ज्यादा आया. ”
लेकिन संध्या भाभी को बचाने आयीं दूबे भाभी और साथ में गुड्डी…बचाना तो बहाना था …असली बात तो मजा लेने की थी…दूबे भाभी ने पीछे से मुझे दबोच लिया और उनके दोनों हाथ मेरे ब्रा के ऊपर…और पीछे से वो अपनी बड़ी बड़ी लेकिन एकदम कड़ी ३८ डी डी चून्चिया मेरी पीठ पे रगड़ रही थीं…और कमर उचका उचका के ऐसे धक्के मार रही थीं की क्या कोई मर्द चोदेगा और साथ में गुड्डी भी खाली और खुली जगहों पे रंग लगा रही थी.
और साथ में गुड्डी भी खाली और खुली जगहों पे रंग लगा रही थी.
मैं भी इन सबसे बेखबर संध्या भाभी की चूत में..क्या मस्त कसी चूत थी…एकदम मक्खन…रेशम की तरह चिकनी …पहले एक उंगली फिर दूसरी भी ..क्या हाट रिस्पांस था कभी कमर उचका के आगे पीछे करतीं और कभी कस के अपनी चूत मेरी उँगलियों पे भींच लेती.
मैंने अपने दोनों पैर उनके पैरों के बीच डाल कर कस के फैला दिया. एक हाथ भाभी की रसीली चून्चियों को रगड़ रहा था और दूसरा चूत के मजे ले रहा था. दो उँगलियाँ अन्दर. अंगूठा क्लिट पे मैं पहले तो हौले हौले रगड़ता रहा फिर हचक हचक के …अब तो संध्या भाभी भी काँप रही थी खुल के मेरा साथ दे रही थीं..’ क्या करते हो ‘ हलके से वो बोलीं.
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‘ जो आप ऐसी रसीली रंगीली भाभी के साथ करना चाहिए ” और अबकी मैंने दोनों उंगलियाँ जड़ तक पेल दी. और चूत के अन्दर कैंची की तरह फैला दिया और गोल गोल घुमाने लगा. मजे से उनकी हालत ख़राब हो रही थी. जो हरकत मैं संध्या भाभी के साथ कर रहा था करीब करीब वाही दूबे भाभी मेरे साथ कर रही थीं और गुड्डी भी जो अब तक हर बात पे ‘वो पांच दिन; का जवाब दे देती थी खुल के उन के साथ थी. दूबे भाभी ने मेरे कपडे उठा दिए …साडी का जो फायदा पुराने जमाने से औरतों को मिलाता आया है वो मुझे मिल गया…उठाओ…काम करो/कराओ और पहला खतरा होते ही ढक लो…मेरे लंड राज बाहर आ गए…और साथ ही मैंने भी संध्या भाभी का साया हटा दिया था और वो सीधे उनकी चूतड की दरार पे.. मैंने थोड़ी देर तक तो गांड की दरार पे रगडा और फिर थोडा सा संध्या भाभी को झुका के ..” पेल दूं भाभी…आप को अपने आप पता चल जाएगा की सैयां के संग रजैया में ज्यादा मजा आया या देवर के संग होली में..” मुड के जवाब उनके होंठो ने दिया…बिना बोले सिर्फ मेरे होंटों पे एक जबर्दस्त किस्सी ले के औए फिर बोल भी दिया..’ फागुन तो देवर का होता है…” और मैं देवर का हक़ पूरी तरह अदा कर रहा था…लंड का बेस तो दूबे भाभी के हाथ था…और सुपाडा संध्या भाभी के चूत के मुहाने पे रगड़ खा रहा था..दूबे भाभी ने पीछे से ऐसे धक्का दिया की जैसे वही चोद रही हों ..लेकिन फायदा मेरा हुआ …हल्का सा सुपाडा भाभी की चूत में..बस इतना काफी था उन्हें पागल करने के लिए…चूत की सारी नर्वस तो शुरू के हिस्से में ही रहती हैं.. .मैंने हलके से कमर गोल गोल घुमानी शुरू की और सुपाडा चूत की दीवाल से रगड़ने लगा..चारों ओर..देखा और कान में बोला
” भाभी ..आप कह रही थी ना की गधे घोड़े ऐसा …तो अगर सुपाडे में इत्ता मजा आ रहा है तो पूरा घोंटने में कितना आएगा. और सुपाडा तो बस आप लील ही जायेंगी तो फिर पूरा लंड भी अन्दर चला जाएगा…” मेरी बात और काम दोनों दूबे भाभी ने पूरी की…
” अरे जो साल्ली ये कहे की लंड मोटा है उसे घोंटने में दिक्कत होगी है इसका मतलब वो रंडीपना कर रही है, पैदाइशी छिनाल है मादरचोद…उसकी चूत और गांड दोनों में पूरा ठोंक देना चाहिए और ना माने तो मेरी मुट्ठी है ही…अरे इत्ते बड़े बड़े बच्चे इसी चूत से निकलते हैं
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…पूरी दुनिया इसी चूत से निकलती है…ये बोलना चूत की बेइज्जती करना है..” और ये कहते हुए उन्होंने दो उंगलियाँ मेरे पीछे डाल दी और इसका खामियाजा संध्या भाभी को भुगतना पड़ा. उस झटके से मेरा पूरा सुपाडा अब उनकी कसी मस्त चूत में था ..मेरी दो उंगलिया जो भाभी की गांड का हाल चाल ले रही थीं…वो भी पूरी अन्दर…गनीमत था की उनकी चूंची मैंने कस के पकड़ रखी थी वरना इत्तने तगड़े झटके से वो गिर भी सकती थीं. आगे से लंड और पीछे से मेरी उंगलियाँ ..संध्या भाभी को अब फागुन का पूरा रस मिलना शुरू हो गया था. सुपाडे घुसते समय दर्द तो उन्हें बहोत हुआ…लेकिन जैसे चंदा भाभी कह रही थी वो बचपन की चुदक्कड रही होंगी…उन्होंने अपने दांतों से होंठों को काट के चीख रूकने की भरपूर कोशिश की लेकिन तब भी दर्द की चीख निकल गयी. और अब मजे की सिसकियाँ और हलके दर्द की आवाज दोनों साथ निकल रही थीं. लेकिन ये वो भी जानती थी और मैं भी ..की इस खुले टैरेस पे, दिन दहाड़े जहाँ चार और लोग भी हैं…फ़िल्म का ट्रेलर तो चल सकता था लेकिन पूरी फ़िल्म होनी मुश्किल थी.
” मेरी तुम्हारी होली…” वो मुस्करा के बोलीं लेकिन उनकी बात काट के मैं बोला..” होगी भाभी ..अभी तो आज और फिर रंगपंचमी के दो दिन पहले ही मैं आ जाऊंगा ना तो तीन दिन की रंगपंचमी करेंगे …मैं उधार रखने में यकीं नहीं रखता खास तौर पे ऐसी सेक्सी भाभी का…” और अपनी बात के सपोर्ट में लंड का एक धक्का और दिया उनकी चूत में और चूंची पूरी ताकत से दबोच ली….हामी उनकी चूत ने भी भरी मेरे लंड को कस के सिकोड़ के…मैं दूबे भाभी और संध्या भाभी के बीच सैंडविच बना हुआ था…दूबे भाभी कन्या प्रेमी थी इसका अंदाज तो मुझे पहले ही चल गया था. दूबे भाभी ने संध्या भाभी की दूसरी चूंची पकड़ ली थी और मजे ले रही थी. मैंने धीमे से अपना लंड निकाला कपडे ( साडी साया ) ठीक किया और निकल आया… उधर चंदा भाभी और रीत की होली में युद्ध विराम हो चुका था.
जब मैं संध्या भाभी के साथ लगा था तब भी मैं उन की लड़ाई का नजारा देख रहा था…रीत से तो कोई जीत नहीं सकता ये बात स्वयं सिद्ध थी. लेकिन चंदा भाभी भी अपने जमाने की लेस्बियन रेसलिंग क्वीन रह चुकी थीं…( और हिंदुस्तान में अगर ‘अल्टीमेट सरेंडर’ टाईप कोई प्रोग्राम हो, जिसमें लडकियां एक दूसरे से सिर्फ कुश्ती ही नहीं लड़ती बल्कि एक दूसरे की ब्रा और पैंटी को खोल के अलग कर देती हैं और जो जिसकी चूत में जितनी हचक के उंगली करे..उसी प्वाइंट पे जीत हार होती है…आखिरी राउंड में दोनों बिना कपड़ों के ही लड़ती हैं..और अंत में इनाम के तौर पे जितने वाली के कमर में एक डिल्डो लगाया जाता है…जिससे वो हारने वाली को हचक हचक के चोद सकती है उसकी गांड मार सकती है …तो चंदा भाभी निश्चित फाइनल में पहुंचती ).
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कपडे वपड़े तो रीत और चंदा भाभी की होली में सबसे पहले खेत रहे. पहली बाजी चंदा भाभी के हाथ थी..वो ऊपर थी और अपनी गदरायी बड़ी बड़ी ३६ डी चून्चियों से रीत के मादक जोबन जो अब पूरी तरह खुले थे, रगड़ रही थीं. रीत के दोनों पैर भी उन्होंने फैला दिए थे. लेकिन रीत भी कम चालाक नहीं थी…उसने अपनी लम्बी टांगों से कैंची की तरह उन्हें नीचे से ही बांध लिया अब बेचारी चंदा भाभी हिल डुल भी नहीं सकती थी और अब वो ऊपर थी. जो ढेर सारे रंग मैंने उसके मस्त जोबन पे लगाए थे वो सब अब चंदा भाभी की चून्चियों पे छटा बिखेर रहे थे …उसने अपने दोनों हाथ चंदा भाभी के उभारों की ओर किये तो चंदा भाभी ने दोनों हाथों से उसे पकडने को कोशिश की और वहीँ वो मात खा गयीं. रीत ने एक हाथ से उनके दोनों हाथोको पकड़ लिया और उसका खाली हाथ सीधे चंदा भाभी की जांघों के बीच…पिछली कितनी होलियों का वो बदला ले रही थी जब चंदा भाभी और दूबे भाभी मिल के होली में उसकी उंगली करती थीं..और आज जब मुकाबला बराबर का था तो तो रीत की उंगली चंदा भाभी की बुर में …लेकिन थोड़ी देर में ही जब रीत रस लेने में लीन थी तो चंदा भाभी ने अपने को अलग कर लिया और फिर..अगला राउंड शुरू…मुकाबला बराबर का था और दोनों पहलवान एक दुसरे को पकडे सुस्ता रहे थे.
गुड्डी भी बगल में बैठी एक प्लेट में गुझिया ले के ( अब हम सब भूल चुके थे की उसमें भांग पड़ी थी) गपक रही थी. हे …मुझे भी दे ना…
” ले लो तुम्हारे लिए तो सब कुछ हाजिर है …” उसने प्लेट बढ़ाई. लेकिन मैंने उसका सर पकड़ के पहले तो उसके होंठो को चूमा और फिर मुंह में जीभ डाल के उसकी खायी कुचली मुख रस में घुली गुझिया ले के खा गया…
” ये ज्यादा रसीली नशीली है ..” मेरा एक हाथ अपने आप गुड्डी के खुले उरोजों की ओर चला गया. इन्ही ने तो मुझे जवान होने का अहस्सास दिलाया था शर्म गायब की थी… वो मेरी मुट्ठी में थे..
रीत और चंदा भाभी हम दोनों को देख रहे थे मुस्करा रहे थे…
” अकेले अकले…” दोनों ने एक साथ मुझे और गुड्डी को देख के बोला.
” एकदम नहीं…” और मैं गुझिया की प्लेट ले के रीत के पास पहुँच गया. मैंने उसे गुझिया आफर की लेकिन जैसे ही वो बढ़ी मैंने उसे अपने मुंह में गपक ली.
” बड़ा बुरा सा मुंह बनाया….” तुम दिखाते हो ललचाते हो लेकिन देने के समय बिदक जाती हो…” वो बोली.
” तुम्ही से सीखा है…” गुझिया खाते हुए मैंने बोला.
” लेकिन मैं जबरदस्ती ले लेती हूँ…” हंस के वो बोली और जब तक मैं कुछ समझूँ समझूँ…उसके दोनों हाथ मेरे सर पे थे , होंठ मेरे होंठ पे थे और जीभ मुंह में…जैसे मैंने गुड्डी के साथ किया था वैसे ही बल्कि उससे भी जयादा जोर जबरदस्ती से…मेरे मुंह की कुचली, अधखाई रस से लिथड़ी गुझिया उसके मुंह में…तब भी उसके होंठ मेरे होंठो से लाक ही रहे. फिर तो पूरी प्लेट गुझिया , गुलाब जामुन की इसी तरह …हम दोनों ने हाँ चंदा भाभी भी शरीक हो गयी थी…
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” हाँ अब दम आया….” अंगडाई ले के वो हसीं बोली.
” तो क्या कुश्ती का इरादा है ….” मैंने चिढाया…
” एकदम …हाँ तुम हार मान जाओ तो अलग बात है…” वो मुस्करा के बोली.
” हारू और तुमसे…वैसे अब हारने को बचा ही क्या है…हमें तो लूट लिया बनारस की ठगनियों ने …” मैं ने कहा.
” अच्चा जी जाओ हम तुम्हे कुछ नहीं कहते इसलिए…ना … और आप हमें ठग डाकू लूटेरे सब कह रहे हैं …” रीत बोली.
” सच तो कहा है झूठ है क्या…और आप लोगो ने एक से एक गालियाँ दी का नाम ले के मेरी बहन का नाम लगा लगा के …बहन चोद तक बना डाला”
” तो क्या झूठ बोला…हो नहीं क्या…” वो आँख नचाते हुए बोली.
” और नहीं हो तो इस फागुन में तुम्हारी ये भी इच्छा पूरी हो जायेगी..बच्चा…ये मेरा आशीर्वाद है….” स्टाइल से हाथ उठा के चंदा भाभी बोली,
आशीर्वाद तो मुझे रीत के लिए चाहिए था. और वो अपनी पाजामी में पेंट की ट्यूब और रंग की खोंसी पेंट की ट्यूब और रंग की पुडिया निकाल के अपनी गोरी हथेलियों पे कोई जहरीला रंगों का काकटेल बना रही थी.
” भाभी ये आशीर्वाद राकी को भी दे दीजिये ना इनकी तरह वो भी इनकी कजिन का दीवाना है…” ये बोल के वो उठ खड़ी हुयी और मेरी और बढ़ी.
मैं भागा. पीछे पीछे वो आगे आगे मैं… अब होली की फिर नयी जोड़ियाँ बन गयी थीं…
चंदा भाभी गुड्डी को कुछ यौन ज्ञान की शिक्षा दे रही थीं कुछ उँगलियों से कुछ होंठो से…
संध्या भाभी एक बार फिर डूबे भाभी के नीचे और अपने ससुराल में सीखे हुए दावं पेंच अजमा रही थीं.
” ये फाऊल है…” पीछे से वो सारंग नयनी बोली.
मैं रुका नहीं मैं उसकी ट्रिक समझता था…हाँ धीमे जरुर हो गया.
” कैसा फाउल मैंने मुड कर पुछा.
“क्यों प्यारी सी सुन्दर सी लड़की अगर पकड़ना चाहे तो पकड़वा लेना चाहिए ना…” वो भोली बनती बोली.
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
” एकदम मैं तो पकड़ने और पकड़वाने दोनों के लिए तैयार हूँ…” मैंने भी उसी टोन में जवाब दिया.
लेकिन जब वो पकड़ने बढ़ी तो मैंने कन्नी काट ली और बच के निकल गया. वो झुकी लेकिन वहां रंग गिरा था और रीत फिसल गयी.
मैं बचाने के लिए बढ़ा तो मैं भी फिसल गया लेकिन इसका एक फायदा हुआ रीत के लिए …नीचे मैं गिरा और ऊपर वो…
उसको चोट नहीं लगी लेकिन मुझे बहोत लगी , उसके जोबन के उभारों की जो सीधे मेरे चेहरे पे..ब्रा लेसी सरक गयी थी मेरी उँगलियों ने तो उन गुलाबी निपल्स का रस बहोत लिया था ..लेकिन अब मेरे होंठो को मौका मिल गया अमृत चखने का और उन्होंने चख भी लिया..पहले होंठो के बीच फिर जीभ से थोडा सा फ्लिक किया और दांत से हल्का सा काट लिया…वो धीरे से बोली..
” कटखने नदीदे…”
जवाब में मैंने और कस के रीत के निपल्स चूस लिए…
लेकिन अब वो थोड़ी एलर्ट हो गयी थी. वो उठी और अपनी ब्रा ठीक करने लगी…
मैंने उसे एकटक देख रहा था …एकदम मन्त्र मुग्ध सा…जैसे किसी तिलस्म में खो गया हूँ…
घने लम्बे काले बाल उसकी एक लट गोरे गालों को चूमती..गाल जिनपे रंग के निशान थे और वो और भी शोख हो रहे थे….लेसी ब्रा रंगों से गुलाबी हो गयी थी और कुछ उरोजों के भार से कुछ रंगों के जोर से काफी नीचे सरक आयी थी. एक निपल बाहर निकल आया था और दूसरे की आभा दिख रही थी. पूरे उरोज का गुदाजपन, गोलाईयां, रंग से भीगी जोबन से पूरी तरह चिपकी, उसका भराव कटाव दर्शातीं…और नीचे चिकने कमल के पते की तरह पेट पे रंग की धार बहती…जो पिचकारियाँ मैंने उसे मारी थी , पजामी सरक कर कुल्हे के नीचे बस किसी तरह कुल्हे की हड्डियों पे टिकी . वैसे भी. रीत की कमर मुट्ठी में समां जाय बस ऐसी थी..पजामी भी देह से चिपकी और जो वो गिरी तो रंग जांघो के बीच भी ..और भरतपुर भी झलक रहा था…
अधखुली कँचुकी उरोज अध आधे खुले ,
कहैं पदमाकर नवीन अध नीबी खुली ,
आँखै अधखुलीँ अधखुली खिरकी है खुली ,
अधखुले आनन पै अधखुली अलकैँ ।
वो रंग लगाना भूल गयी. मैं तो मूर्ती की तरह खड़ा था ही.
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
” हे कैसे ऐसे देख रहे हो देखा नहीं क्या कभी मुझे…” रीत की शहद सी आवाज ने मुझे सपने से जगा दिया.
” हाँ नहीं…ऐसा कुछ नहीं…” बस मैं ऐसे चोर की तरह था जो रंगे हाथ पकड़ा गया हो….
और पकड़ा मैं गया ..रीत के हाथ में और अबकी उसके हाथ सीधे मेरे गालों पे उस रंग के काकटेल के साथ …
बिजी मेरे हाथ भी हो गए ..एक उस अधखुली ब्रा में घुसा और दूसरा रीत की पजामी में.
बस मैं पागल नहीं हुआ…
उन उभारों को जिन्हें छूना तो अलग रहा सिर्फ देखने के लिए मेरे नैन बेचैन थे…अब वो मेरी मुट्ठी में थे. जिनका रस लेने के लिए सारा बनारस पागल था वो रस का कलश खुद रस छलका रहा था बहा रहा था…और साथ में नीचे की जन्नत जिसके बारे में पढ़ के ही वो असर होता था जो शिलाजीत और वियाग्रा से भी नहीं हो सकता था…वो परी अब मेरे हाथों में थी..उसके मुलायम गुलाबी पंख अब मैं छु रहा था सहला रहा था..एकदम मक्खन ..मखमल की तरह चिकनी छूते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गए ..बिचारे लंड की क्या बिसात वो तो बस उस के बारे में सोच के ही खड़ा हो जाता था.
हिम्मत कर के मैंने उस प्रेम की घाटी में लव टनेल में एक उंगली घुसाने की कोशिश की..एकदम कसी…लेकिन मेरे एक हाथ की उंगलियाँ निपल को पिंच कर मना रही थीं मनुहार कर रही थी और दूसरा हाथ उस स्वर्ग की घाटी में…चिरौरी विनती करने में जाता था. कहते हैं कोशिश करने से पत्थर भी पसीज जाता है..ये तो रीत थी…जिसके शरीर के कुछ अंग भले ही पत्थर की तरह कड़े हों लेकिन उनके ठीक नीचे उसका दिल बहोत मुलायम था…तो वो परी भी पसीज गयी और मेरी उंगली की टिप बस अन्दर घुस पायी…लेकिन मैं भी ना धीरे धीरे …आगे बढ़ता रहा और मेरे अंगूठे ने भी उस प्रेमे के सिंहासन के मुकुट पे अरदास लगाई …क्लिट को हलके से छु भर लिया और रीत ने जो ये दिखा रही थी की उसे कुछ पता नहीं मैं क्या कर रहा हूँ…जबर्दस्त सिसकी भरी.
रीत के दोनों हाथ मेरे चेहरे पे रंग लगा रहे थे..मैं जानता था की ये रंग आसानी से छूटने वाला नहीं है पर कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है. और मैं उसके काम में कोई रोक टोक नहीं कर रहा था और ना वो मेरे काम में..बस जैसे ही मैंने क्लिट छुआ और मेरी उंगली ने अन्दर बाहर करना शुरू किया…रीत ने मुझे कस के पकड़ लिया उसके लम्बे नाखून मेरी पीठ में धस गए..और वो खुद अपने मस्त जोबन मेरे सीने पे रगडने लगी.
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
मैंने इधर उधर कनखियों से देखा सब लोग लगे हुए थे…दूबे भाभी संध्या भाभी के साथ और चंदा भाभी गुड्डी के साथ ..किसी का ध्यान हमारी ओर नहीं था.. रीत भी यही देख रही थी और अब उसने कस के मुझे भींच लिया ..बाहों ने मुझे.पकड़ा ..उसके उभारो ने मेरे सीने को रगडा ..और नीचे उसकी चूत ने कस के मेरी अन्दर घुसी ऊँगली को जकड़ा. जवाब मेरे तन्नाये लंड ने दिया उसकी पजामी के ऊपर से रगड़ कर बस मेरा मन यही कह रहा था की मैं इसकी पजामी खोल के बस इसे यहीं रगड़ दूं …चाहे जो कुछ हो जाए…लेकिन हो नहीं पाया…कुछ खटका हुआ या कुछ रीत ने देखा…( बाद में मैंने देखा संध्या भाभी शायद हमें देख रही थी इसलिए रीत ने ) ..बस उसने मेरे कान को किस कर के बोला..हे दूँगी मैं लेकिन बस थोडा सा वेट करो ना…मैं भी उतनी ही पागल हूँ इसके लिए और उसके रंग लगे हाथो ने बार्मुदा में डाल के मेरे लंड पे बचा खुचा रंग लगा दिया और मेरे बांहों से निकलते हुए बोलने लगी… ” देख ली तुम्हारी ताकत ..जरा सा भी रंग नहीं डाल पाए…और अगर रंग नहीं डाल पाए तो बाकी कुछ क्या डालोगे…” आँख नचा के नैनों में मुस्करा के जिस तरह उसने कहा की मैं घायल हो गया. मैं उसके पीछे भागा और वो आगे….दौड़ते हुए उसके हिलाते नितम्ब…झीनी झीनी पजामी में…मेरे बार्मुदे का तम्बू तना हुआ था…
मैंने चारों ओर निगाह दौडाई ..कहीं रंग की एक भी पुडिया नहीं एक भी पेंट की ट्यूब नहीं …लेकिन एक बड़ी सी प्लेट में अबीर रखी हुयी थी. वही उठा के मैंने रीत के ऊपर भरभरा कर डाल दी..
वो अबीर अबीर हो गयी.
उसकी देह पहले ही टेसू हो रही थी…नेह के पलाश खिल रहे थे और अब …तन मन सब रंग गया….
” हे क्या किया…” वो कुछ प्यार से कुछ झुंझला के बोली.
” तुम ही तो कह रही थी डालो डालो…” मैंने चिढाया.
” आँख में थोड़ी….” वो बोली. ” कुछ दिख नहीं रहा है…”.
” मैं तुम्हे दिख रहा हूँ की नहीं …” मैंने परेशान हो के पुछा.
” तुम्हे देखने के लिए आँखे खोलनी पड़ती हैं क्या…मुस्करा के वो बोली लेकिन फिर कहने लगी ..” कुछ करो ना आँख में किरकिरी सी हो रही है. ”
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
मैं उसे सहारा देके वाश बेसिन के पास ले के गया. पानी से उसका चेहरा धुलाया ..फिर अंजुरी में पानी ले के उसकी बड़ी बड़ी रतनारी आँख के नीचे ले जाके कहा…
” अब इसमें आँखे खोल दो…” और उसने झट से आँखें खोल दी. उसकी आँख धुल गयी. फिर मैंने ताजे पानी का की बुँदे उसकी आँखों पे मारा …
दो चार बार मिचमिचा के उसने पलकें खोल दीं और जैसे कोई चिड़िया सो के उठे…और पंख फड्फडाये ..बस उसी तरह उसकी वो मछली सी आँखे …पलकें खुल बंद हुयी और वो मेरी और देखने लगी.
” निकला …” मैंने चिंता भरे स्वर में पुछा.
” नहीं …” वो शैतान मुस्कराते हुए बोली. वो अभी भी वाश बेसिन पे लगे शीशे में अपनी आँखे देख रही थी.
” क्या अबीर अभी भी नहीं निकला….” मैं पुछा.
” वो तो कब का निकल गया…ये शीशे में मेरे प्रतिविम्ब की ओर इशारा करती रीत बोली, ये , अबीर डालने वाला नहीं निकला.”
मैं उसकी बात समझ गया.
” चाहती हो क्या निकालना …”मैंने उसके इअर लोबस को अपने होंठो से हलके से छु के बोला…”
” मेरे बस में है क्या…इतना अन्दर तक धंसा है…कभी नहीं चाहूंगी उसे निकलना…ऐसे कभी बोलना भी मत …” मुस्करा के शीशे में देखती वो बोली.
पीछे से मैंने उसे अपनी बाहों में कस के पकड़ लिया और रसीले गालों पे एक छोटा सा चुम्बन ले लिया… देह के रंग तो उतर जाएगा लेकिन नेह का रंग कभी नहीं उतरेगा. मैंने बोला.
फागु के भीर अभीरन तें गहि, गोविंदै लै गई भीतर गोरी ।
भाय करी मन की पदमाकर, ऊपर नाय अबीर की झोरी ॥
छीन पितंबर कंमर तें, सु बिदा दई मोड़ि कपोलन रोरी ।
नैन नचाई, कह्यौ मुसक्याइ, लला ! फिर खेलन आइयो होरी ॥
एकै सँग हाल नँदलाल औ गुलाल दोऊ,
दृगन गये ते भरी आनँद मढै नहीँ ।
धोय धोय हारी पदमाकर तिहारी सौँह,
अब तो उपाय एकौ चित्त मे चढै नहीँ ।
कैसी करूँ कहाँ जाऊँ कासे कहौँ कौन सुनै,
कोऊ तो निकारो जासोँ दरद बढै नहीँ ।
एरी! मेरी बीर जैसे तैसे इन आँखिन सोँ,
कढिगो अबीर पै अहीर को कढै नहीँ ।
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
उस पल कोई नहीं शेष रहा वहां…न चंदा भाभी न दूबे भाभी न संध्या भाभी…और शायद हम भी नहीं…
शेष रहा सिर्फ फागुन…रग रग में समाया रंग और राग…एक पल के लिए शायद श्रृष्टि की गति भी ठहर गयी.
न मैं था न रीत थी…सिर्फ हम थे…
पता नहीं कितने देर तक चला वो पल..निमिष भर या युग भर…
दूबे भाभी की आवाज से हम लौटे…
” अरे खाली रगडा रगड़ी ही करती रहोगी या कुछ नाच गाना भी होगा. कितनी सूनी होली थोड़े ही होती है.”
मैं रीत की और देख के मुस्कराया और वो मेरी ओर अब काहे का सूनापन ….सब कुछ जो बीत गया था रीत गया था बूँद बूँद …वो सब रीत ने भर दिया.
” लेकिन पहले इनके पैरों में घुंघरू बंधेगा…” ये गुड्डी थी. उसने वो बैग खोल लिया जो रीत लायी थी. उस में खूब चौड़े पट्टे में बंधे हुए ढेर सारे घूँघरू …
” एकदम एकदम…” संध्या भाभी ने भी हामी भरी.
मैं फिर पकड़ा गया और चंदा भाभी, संध्या भाभी और गुड्डी ने धर पकड़ के मेरे पैरों में घुंघरू बाँध दी…
रीत दूर से मुझे देख के मुस्करा रही थी.
मैं क्यों उसे बख्शता. मैंने दूबे भाभी को उकसाया…” आप तो कह रही थीं की आप की ननद रीत बहोत अच्छा डांस करती है तो अभी क्यों…” लेकिन जवाब रीत ने दिया..
” करुँगी करुँगी मैं लेकिन साथ में नाचना पड़ेगा…”
” मंजूर…” मैं बोला और रीत ने एक दुएट वाले गाना म्यूजिक सिस्टम पे लगा दिया…होली का पुराना गाना…दूबे भाभी को भी पसंद आये ऐसा.. क्लासिकल टाइप नटरंग फ़िल्म का
धागिन धिनक धिन
धागिन धिनक धिन
धागिन धिनक धिन
अटक अटक झटपट पनघट पर
चटक मटक इक नार नवेली
गोरी गोरी ग्वालन की छोरी चली
चोरी चोरी मुख मोरी मोरी मुस्काये अलबेली
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
( दूबे भाभी ढोलक पे थीं, संध्या भाभी बड़े बड़े मंजीरे बजा रही थीं…चंदा भाभी हाथ में घुंघरू ले के बजा रही थीं. गुड्डी भी ताल दे रही थी)
कंकरी गले में मारी
कंकरी कन्हैया ने
पकरी बांह और की अटखेली
भरी पिचकारी मारी
सा रा रा रा रा रा रा रा
…
भोली पनिहारी बोली
सा रा रा रा रा रा रा रा
रीत क्या गजब का डांस कर रही थी. संध्या भाभी की रंग से भीगी झीनी साडी उसने उठा ली थी और अपने छलकते उरोजों को आधे तीहे ढंकी ब्रा के ऊपर बस रख लिया था. तोडा, टुकड़ा उसके पैर बिजली की तरह चल रहे थे…
अरे जा रे हट नटखट न छू रे मेरा घूंघट
पलट के दूँगी आज तुझे गाली रे
मुझे समझो न तुम भोली भाली रे
सा रा रा रा रा रा रा रा
सबने धक्का दे के मुझे भी खड़ा कर दिया और अगला पार्ट गाने का मैं पूरा किया…
आया होली का त्यौहार
उड़े रंग की बौछार
तू है नार नखरेदार
मतवाली रे
आज मीठी लगे है तेरी गाली रे
ऊ .. हाँ हाँ हाँ
आ .. हो ..
…
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
लेकिन वो चपल चपला, हाथों में उसने पिचकारी लेके वो अभिनय किया की हम सब भीग गए…खास तौर से तो मैं…उसके नयन बाण कम थे क्या…
तक तक न मार पिचकारी की धार
हो .. तक तक न मार पिचकारी की धार
कोमल बदन सह सके न ये मार
तू है अनाडी बड़ा ही गंवार
कजरे में तुने अबीर दिया डार
तेरी झकझोरी से बाज़ आई होरी से
चोर तेरी चोरी निराली रे
मुझे समझो न तुम भोली भाली रे
अरे जा रे हट नटखट न छू रे मेरा घूंघट
पलट के दूँगी आज तुझे गाली रे
मुझे समझो न तुम भोली भाली रे
सा रा रा रा रा रा रा राऔर उस के बाद तो वो फ्री फार आल हुआ की पूछो मत….
लेकिन इसके पहले सबने तालियाँ बजायीं खूब जोर जोर से सिवाय मेरे और रीत के हमारे हाथ एक दूसरे में फंसे थे…वो मेरी बांहों में थी और मैं उसकी.
जो चुनर उसने डांस के समय ओढ़ रखी थी अपनी ब्रा कम चोली के ऊपर …वो तो मैंने नाचते नाचते ही उससे छिन कर दूर फ़ेंक दी थी और अब उसके अधखुले उभार एक बार फिर मेरे सीने से दब रहे थे. उसके लम्बे नाखून मेरी पीठ पर चुभ रहे थे कंधे पे खरोंचे मार रहे थे.
फगुनाहट सिर्फ हम दोनों पे `चढ़ी हो ऐसी बात नहीं थी.
संध्या भाभी अब चंदा भाभी के नीचे थीं. और चंदा भाभी ने जब उनकी टाँगे उठायीं तो साया अपने आप कमर तक उठ गया. उनके भरतपुर के दर्शन हम सब को हो गए. लेकिन अब किसी को उन छोटी मोटी चीजों की परवाह नहीं थी. चंदा भाभी का अंगूठा सीधे उनकी क्लिट पे…और दो उंगलियाँ अन्दर…माना संध्या भाभी ससुराल से हो के आयीं थी लेकिन अभी भी उनकी बहोत टाईट थी. जिस तरह से उनकी चीख निकली इससे ये बात साफ जाहिर थी पर चंदा भाभी को तो और मजा आ गया था….वो दोनों उंगलिया जोर जोर से अन्दर गोल गोल घुमा रही थीं. दूसरा हाथ उनके मस्त गदराये जोबन का रस लूट रहा था…
संध्या भाभी सिसक रही थीं चूतड पटक रही थीं छटक रही थीं…कभी मजे से कभी दर्द से…
लेकिन चंदा भाभी बोलीं,
” अरे ननद रानी ये छिनारपना कहीं और जा के दिखाना. जब से बचपन में टिकोरे भी नहीं आये थे दबवाना शुरू कर दिया था..शादी के पहले १०-१० लंड खा चुकी हो. भूल गयी पिछली होली मैंने ही बचाया था दूबे भाभी से…वरना मुट्ठी डालना तो तय था…तुमने वायदा किया था की जब शादी से लौट के आओगी तो जरुर…और अब दो उंगली में चूतड पटक रही हो….”
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
” अरे लेगी लेगी नहीं लेगी तो जबरदस्ती घुटायेंगे…” दूबे भाभी बोलीं…वो गुड्डी को अब प्रेम पाठ पढ़ा रही थीं. उसका एक किशोर उभार उनके हाथ में था और दूसरी टिट होंठों के बीच कस कस के चूसी जाती…
और चंदा भाभी ने अब तीसरी उंगली भी संध्या भाभी की चूत में घुसेड दी..और क्लिट पे कस के पिंच कर के बोलीं, ” अरे चूत मरानो, इसको देख..अपनी कुँवारी अनचुदी बहन को बस दूबे भाभी और अपनी यार के एक बार कहने पे ले के आने पे तैयार होगया है भंडुआ, यही नहीं राकी से भी चुदवायेगी वो …और तू ससुराल में दिन रात टाँगे उठाये रहती होगी और यहाँ उंगली लेने में चीख रही है…”
संध्या भाभी मुस्कराते हुए बोली…” रात दिन नहीं भाभी सिर्फ रात में …दिन में तो कभी कभी…जब मेरे देवर को मौका मिल जाता था या…नंदोई जी आ जाते थे…” और इसके जवाब में चंदा भाभी ने अपनी तीनो उंगलियाँ बाहर निकल लीं और अपने होंठ चिपका दिए संध्या भाभी की चूत पे…दो हाथों से उनकी जांघे कस के फैलाए हुए थीं वो..
होंठ मेरे भी सरक गए रीत के होंठों से नीचे…
हम सब बेखबर थे …बाकी लोग क्या कर रहे हैं…
मेरी दुनिया तो अब बस रीत थी…
लेकिन कभी कभी मुझे दिख जाता था सुनाई पड़ता था..सिस्कारियां चीख…छोड़ो ना..लग रहा है…ऊयीईईईईईई
रीत की तो बड़ी बड़ी पलकें बंद थीं और उनमें मैं बंद था…. और उसके होंठ बंद थे मेरे होंठो के बीच..मेरा एक हाथ पजामी के ऊपर से उसके गोल गोल नितम्बों को दबा रहा था…
एक उरोज चोली कम ब्रा से झाँक रहा था मैंने दूसरे को भी थोडा सा आजाद कर दिया. अब दोनों कबूतरों की लाल लाल चोंच साफ दिख रही थी ..खूब रसीली ,मेरे प्यासे होंठो से नहीं रहा गया और रीत का एक निप्पल मेरे मुंह में…
अमृत ..शुद्ध अमृत
क्या स्वाद था…क्या छुवन थी…कड़ी कड़ी..शहद में घुली…
कभी मैं होंठों से दबाता, कभी चुभलाता कभी जीभ से निपल के टिप को छेड़ देता..और फिर मेरे नदीदे होंठों ने एक झटके में निपल के साथ
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
उसके आधे उरोज को भी मुंह में गप कर लिया…
उयीईईईईईईइ रीत की चीख निकल गयी.
उसके मस्त जोबन पे मेरे दांत लग गए थे…बस मैंने वहीँ पे हलके हलके चुभलाना शुरू कर दिया…मैं जानता था ये निशान किसी टैटू से कम नहीं होगा जब भी वो देखेगी ये पल वो फिर जी उठेगी.
और मैंने दुबारा और कस के वहीँ पे काट लिया…
” कटखने उस जनम में श्वान रहे होगे…” वो मेरे सीने पे मुक्की मारते हुए बोली.
” उस जनम में क्या इस जनम में भी असर है..डागी पोज मुझे बहोत पसंद है कस के चूंची दबाने का मौका…चूतड भी नजर आता है और हचक हचक के चोदो..” मैंने रीत के कान में कहा.
मुक्कों की बरसात तेज हो गयी. लेकिन उसने साथ कस के मुझे अपनी बाहों में भींच लिया. अब वो खुद अपनी परी को मेरे जंग बहादुर पे रगड़ रही थी..
मैंने भी उसे नितंब पकड़ अपनी और खिंच लिया और उसके कान में बोला..एक पल के लिए आँख खोल के उधर तो देखो रानी…अब मौका है जरा इस परी के पंख भी तो फडफडाने दो..”
रीत ने देखा …चंदा भाभी और संध्या भाभी एक दूसरे की चूत के ऊपर कस कस के रगड़ घिस कर रही थीं.
रीत ने फिर से आँखे बंद कर लीं लेकिन साथ साथ कस के अपनी परी को एक बार फिर से मेरे लंड पे रगड़ दिया.
मेरी उंगलियाँ उसके नाड़े पे पहुंच गयीं…बहोत कस के बाँधा था जालिम ने…पता नहीं कौन सी गाँठ लगाई थी..
लेकिन मेरी उँगलियाँ भी…खुल ही गया खजाने का रास्ता….
मैंने आज कितनी बार उसकी प्यारी मक्खन मलाई को छुआ था सहलाया था लेकिन नयन सुख पाने का ये पहला मौका होने वाला था.
लालची उँगलियों और प्यासी आँखों में तगड़ी जंग थी…नजदीक उंगलिया थी इसलिए जीत उन्ही की हुयी.
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
मेरी हथेली सीधे रीत की चिकनी चूत पे…एक बाल भी नहीं…और काम रस में डूबी…तभी वो इसे बार बार मेरे लंड पे दबा रही थी…और अबकी जब ऊँगली ने अन्दर जाने की इजाजत मांगी तो रीत की मांसल चिकनी केले के तने ऐसी जांघे अपने आप फैल गयीं…और उंगली की टिप….अन्दर घुस गयी…हाल चाल पूछने के लिए या आगाह करने के लिए की बस अब थोड़ी देर में जंग बहादुर घुसने वाला है…और जब मेरा अंगूठा क्लिट टक पहुंचा तो वो उत्तेजित कड़ा मटर के दाने ऐसा…पहले से ही आधा खुला..
अबकी जब पजामी नीचे सरकी तो रीत ने रोकने की कोशिश भी नहीं की…
हालाकिं फिर वो घुटने पे रुक गयी हम दोनों की देह के बीच फँसी…और अब मेरी उंगली और उसके कड़े गुदाज गोरे मांसल नितम्ब के बीच वो झीना पर्दा भी नहीं था…
एक किशोरी वो भी रीत ऐसी के नितम्बों का स्पर्श सुख…सिर्फ महसूस करने की चीज है बताने की नहीं…
जैसा कवि लोग कहते हैं ना की …सातों समुन्दरों की स्याही बनाओ, कल्पवृक्ष की कलम बनाओ…इत्यादि इत्यादि ….वो फार्मूला लगाने पे भी …मैं नाचीज क्या…
रीत ने पहल लेके मेरे लंड को वस्त्र मुक्त किया..बस कपडे उठा के…और पहली बार उन दोनों का स्पर्श हुआ…
जैसे कोई लता पेड़ से लिपट जाय बस रीत उसी तरह मुझ से लिपटी थी…खुद ही उसने अपनी दोनों टाँगे फैला रखी थी…
इस दुनिया में मेरी सबसे बड़ी दुश्मन…सबसे बड़ी विलेन…रीत की पजामी भी अब घुटने तक सरक चुकी थी.
मेरी उँगलियों ने अब उसके निचले होंठों को थोडा सा फैलाया ..और मेरा बेताब मोटा सुपाडा..घुसा तो नहीं…लेकिन जैसा कोई नशे के लिए पागल…बस होंठो से बेशकीमती जाम को छु भर ले और पागल हो जाए बस यही हालत थी….
मैं भी जानता थी की ऐसी कुँवारी किशोरी, कच्ची कली का प्रथम सुख…इस तरह से लेना बहोत मुश्किल है..इन मस्त चूतडों के नीचे मोटी तकिया हो, ये लम्बी लम्बी टाँगे उठी हों मेरे कंधे के आसन पे सवार हों…जांघे पूरी तरह फैली हों…मेरे होंठ इसके होंठों पे हो…तभी कामदेव का तीर , नंदन कानन की इस कली को बेध सकता है और वो भी बहोत मुश्किल से..
लेकिन न तो दिल को दिमाग होता है और न दिमाग को दिल.
मेरे हाथ ने कस के उसके नितम्ब को अपनी ओर खिंचा …मुझसे ज्यादा जोर काम रस में पगी…रीत ने लगाया…जैसे किसी नदी का वेग समुन्द्र के पास पहुँच के बढ़ जाय बस वही हालत उस की हो रही थी. मैंने भी अपनी कमर में जितना जोर था उससे दूने जोर से …जोर लगाया…और थोडा सा सुपाडा उसकी चूत में सरक गया..
दर्द से उसकी आँखे बाहर को निकल रही थीं…आंसू बड़ी बड़ी आँखों में तैर रहे थे..लेकिन उसने कस के अपने होंठों को काट के किसी तरह चीख रोकी और मेरे कान में बोली..
” नहीं जरा भी दर्द नहीं हुआ…बहोत अच्छा लग रहा है….”
( बाद में उसने बताया की मेरे चेहरे पे उस समय जो सुख था जो मजा था बस वो उसे देख रही थी और उसने तय कर लिया था की भले ही वो दर्द से मर जाय लेकिन चीखेगी नहीं…मेरे उस सुख के लिए वो कुछ भी कुरबान कर सकती थी).
लेकिन उसके बाद ट्रैफिक जाम हो गया. मेरा गुस्सैल मोटा सुपाडा, पहाड़ी आलू के बराबर और उसकी कच्ची चूत…जोर लगाने पे भी वो आगे नहीं सरक रहा था…पर ये पहला स्पर्श…मेरा लंड बस उसी मजे में डूबा था और रीत की चूत भी…
हम दोनों अपनी कमर घुमा रहे थे…जोर लगा रहे थे…मुस्करा रहे थे..लेकिन टस से मस नहीं…अपर इस रगड़ घिस में जो सुख मिल रहा था…और मैंने रीत को इस तरह पकड़ रखा था की ना तो गुड्डी -दूबे भाभी और ना ही संध्या -चंदा भाभी …रीत के बदन का एक सूत भी नहीं देख सकते थे.
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
वैसे भी रीत और मैंने समझ लिया था की अब ये स्टेलमेट हो गया…दोनों टीमों को १-१ प्वाइंट मिलेंगे…लेकिन तब भी लिंग योनी के मिलन का रस तो हम ले ही रहे थे और ये टूटा दूबे भाभी की घोषणा के साथ
” अरी छिनारों एक गाना सुनाने के बाद वो भी फिल्मी …चुप हो गए …क्या मुंह में मोटा लंड घोंट लिया है…अरे होली है जरा जोगीड़ा हो इस साल्ले को कुछ सुनाओ…”
रीत बोलना चाहती थी…” नहीं भाभी लंड मुह में नहीं है कहीं और है…”लेकिन मैंने उसके मुंह पे हाथ रख दिया…और झट से हम दोनों ने कपडे ठीक किये उअर इस तरह अलग हो गए जैसे कुछ कर ही नहीं रहे थे.
” भाभी जोगीड़ा सूना तो है लेकिन आता नहीं…” रीत बोली.
” अरे बनारस की होके होली मैं कबीर जोगीड़ा नहीं …क्या होगया तुम सबों को चल मैं गाती हूँ तू सब साथ दे…” चंदा भाभी बोलीं
गुड्डी और रीत ने तुरंत हामी में सर हिलाया…
चंदा भाभी और दूबे भाभी चालू हो गयीं बाकी सब साथ देरही थी थीं यहाँ तक की मुझे भी फोर्स किया गया साथ साथ गाने के लिए…इन सारंग नयनियों की बात मैं कैसे टाल सकता
अरे होली में आनंद जी की अरे देवर जी की बहना का सब कोइ सुना हाल अरे होली में,
अरे एक तो उनकी चोली पकडे दूसरा पकडे गाल,
अरे इंकी बहना का गुड्डी साल्ली का तिसरा धईले माल…अरे होली में..।
कबीरा सा रा सा रा..।
हो जोगी जी हां जॊगी जी
ननदोई जी की बहना तो पक्की हईं छिनाल..।
ननदोई जी की बहना तो पक्की हईं छिनाल..।
कबीरा सा रा सा रा..।
हो जोगी जी हां जॊगी जी
ननदोई जी की बहना तो पक्की हईं छिनाल..।
कोइ उनकी चूंची दबलस कोई कटले गाल,
तीन तीन यारन से चुद्व्वायें तबीयत भई निहाल..।
जोगीडा सा रा सा रा
अरे हम्ररे खेत में गन्ना है और खेत में घूंची,
गुड्डी छिनारिया रोज दबवाये भैया से दोनों चूंची,
जोगीडा सा रा सा रा…अरे देख चली जा..।
चारो ओर लगा पताका और लगी है झंडी,
गुड्डी ननद हैं मशहूर कालीन गंज में रंडी…।
चुदवावै सारी रात….जोगीडा सा रा रा ओह सारा.।
ओह जोगी जी हां जॊगी जी,
अरे कहां से देखो पानी बहता कहां पे हो गया लासा…अरे ओह जोगी जी हां जॊगी जी,
अरे कहां से देखो पानी बहता कहां पे हो गया लासा…अरे
अरे इंकी बहन की अरे इनकी बहन की बुर से पानी बहता
और गुड्डी की बुर हो गई लासा..।
एक ओर से सैंया चोदे एक ओर से भैया..।
यारों की लाइन लगी है
….जरा सा देख तमाशा
जोगीडा सा रा सा रा.। .।
तभी कोई बोला…अरे डेढ़ बज गए चलो देर हो गयी…
रीत का चेहरा धुंधला गया. चाँद पे बदली छा गयी.
मैंने बात सम्भालने की कोशिश की…
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
दूबे भाभी से मैं बोला…” अरे आप लोगो ने तो गा दिया..लेकिन आपकी इन ननदों ने…सब कहते हैं रीत ये कर सकती है वो कर सकती है…”
” मैं फिल्मी गा सकती हूँ होली के भी…” रीत बोली.
” नहीं नहीं जोगीड़ा ..गा सकती होतो गाओ वरना चलते हैं देर हो रही है…” दूबे भाभी बोलीं.
” : अच्छा चलो…फिल्मी ही लेकिन जोगीड़ा स्टाइल में एक दम खुल के…” मैंने आँख मार के रीत को इशारा किया. वो समझ गयी और बोली ओके चलो तुम्हारे पसंद का…
“मेरा तो फेवरिट वही है , मैं चीज बड़ी हूँ मस्त मस्त…लेकिन याद रखना होली स्टाइल में…” मैं बोला.” और साथ में डांस भी.
फिर तो रीत ने क्या जलवे दिखाए …रवीना टंडन भी पानी भरतीं…
पहले तो उसने जो घुंघरू मुझे पहनाये गए थे…वो अपने दोनों पैरों में बाँधा और फिर उसने जो चुनरी मैं हटा दी थी एक बार फिर से अपनी चोली कम ब्रा के ऊपर बस इस तरह ढंकी की एक जोबन तो पूरी तरह खुला था और एक थोडा सा चुनर के अन्दर.. सिर्फ म्यूजिक उसने स्टार्ट कर दी और साथ में उसके अपने बोल…जो ढप गुड्डी के हाथ में थी वो भी उसने ले ली और चालू हो गयी…
मैं चीज़ बड़ी हु मस्त मस्त मैं चीज़ बड़ी हु मस्त –
नहीं मुझको कोई होश होश – उसपर जोबन का जोश जोश
ये कहते हुए उसने चूनर उछाल के सीधे मेरे ऊपर फ़ेंक दी और वो चून्चिया उछाली की बिचारे मेरे लंड की हालत खराब हो गयी. ..मसल रही थी और जैसे इतना नाकाफी हो मुझे दिखा के वो अपने दोनों उरोज रगड़ रही थी मसल रही थी..
म्यूजिक आगे बढ़ा.
नहीं मेरा – कोई दोष दोष मदहोश हु मैं हर वक्त वक्त
मैं चीज़ बड़ी हु मस्त मस्त मैं चीज़ बड़ी हु मस्त –
बस मैं ये इंतज़ार कर रहा था की ये इसमें होली का तड़का कैसे लगती है.. गाना वैसे भी बहोत भड़काऊ हो रहा था…उसपर जोबन का जोश
होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani Part 2
जोश गाते वो अपनी चोली नीचे कर थोडा झुक के चक्कर ले कर चून्चियों को बड़ी अदा से पूरी तरह दिखा दे रही थी.
फिर उसने अपना हाथ पजामी की और बढ़ाया और थोडा और नीचे सरका के वो चूत उभार उभार के ठुमके लगाये…
मेरी चूत बड़ी है मस्त मेरी चूत बड़ी है चुस्त चुस्त.
करती है लंड को पस्त पस्त..करती है लंड को पस्त पस्त..
रख याद मगर तू मेरे दीवाने
तेरा क्या होगा अंजाम न जाने ….और ये कहते कहते रीत मेरे पास आगयी और उसने मुझे खींच के अपने पास कर लिया और गाने लगी…और अपने हाथ से सीधे मेरे लंड पे रगड़ते हुए गाने लगी…
रखूंगी अन्दर हर वक्त वक्त…लंड को कर दूंगी एकदम मस्त मस्त
और हम सब ने जोर दार ताली बजायी. मेरी और विजयी मुस्कान से उसने देखा.
मुझे खींच के अपने पास कर लिया और गाने लगी…और अपने हाथ से सीधे मेरे लंड पे रगड़ते हुए गाने लगी…
रखूंगी अन्दर हर वक्त वक्त…लंड को कर दूंगी एकदम मस्त मस्त…
और हम सब ने जोर दार ताली बजायी. मेरी और विजयी मुस्कान से उसने देखा. संध्या भाभी ने फिर गुहार लगाई…चलो ना..
सब लोग जैसे ही मुड़े मुझे कुछ याद आया अभी भी मैं साडी ब्लाउज में ही था…
” हे मेरे कपडे…” मैं जोर से चिल्लाया.
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