Sasur Tharki Bahu Ghar Ki Part 3 – Incest Sex Kahani
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
घर पहुँचकर राजीव सबको कोल्ड ड्रिंक दिया। फिर शादी की बातें होने लगीं। तभी सरला ने सबको हैरान कर दिया। वो बोली: आपने ये सब बातें करने को बुलाया था मुझे? ये सब बातें तो फ़ोन पर भी हो जातीं।
श्याम हैरान होकर: सरला तुम्हें क्या हो गया है? चुदाई के लिए ऐसा उतावलापन तो मैंने कभी तुममें देखा ही नहीं। उसे क्या पता था कि बस में तीन लोगों को झाड़ कर वो ख़ुद भी बहुत गरम हो चुकी थी।
राजीव: अरे सही है यार , बुलाया तो चुदाई के लिए है और फ़ालतू की बातें कर रहें हैं हम लोग। ये कहते हुए वह उठकर सरला के पास आकर बैठ गया और उसकी साड़ी का पल्लू गिरा दिया । अब ब्लाउस में से उसकी बड़ी सी अधनंगी चूचियाँ उन दोनों के सामने थीं। राजीव झुका और उसकी चूचियों के नंगे हिस्से को चूमने लगा। श्याम भी अपने जूते उतारा और अपनी क़मीज़ उतारने लगा। अब वह पैंट उतार कर सिर्फ़ चड्डी में था और उसका फूला हुआ लौड़ा उसमें से साफ़ दिखाई पड़ रहा था।
राजीव भी खड़ा हुआ और अपनी चड्डी में आ गया। अब दोनों अपने अपने लौड़े को उसके सामने रख कर खड़े थे।
चड्डी के सामने हिस्से में उनका प्रीकम साफ़ दिख रहा था। सरला ने हाथ बढ़ाकर दोनों के लौड़े पकड़े और फिर आगे झुक कर उसने उनके प्रीकम को बारी बारी से चड्डी पर जीभ लगकर चाटी। अब वह बारी बारी से उनकी चड्डी उतारी और उनके खड़े हुए लौड़ों को सहलाने लगी। फिर वह झुकी और राजीव के लौड़े को चाटने लगी। सुपाडे से लेकर नीचे बॉल्ज़ तक चाटी और फिर श्याम के लौड़े के साथ भी वही की। फिर दोनों बारी बारी से उसके मुँह को चोदने लगे। वह भी अब उनको डीप थ्रोट देने लगी। उनके हाथ उसकी चूचियों को ब्लाउस के ऊपर से दबा रहे थे।
अब राजीव और श्याम ने मिलकर उसका ब्लाउस और ब्रा उतार दी। अब वो उसकी चूचियाँ मसलने लगे। फिर श्याम बोला: चलो यार बिस्तर पर अब रहा नहीं जा रहा है।
राजीव ने कहा: हाँ सरला चलो अब सच में मस्त चुदाई करेंगे। फिर तीनों बेडरूम में पहुँचे और वहाँ सरला के पेटिकोट का नाड़ा श्याम ने खोला और राजीव उसकी पैंटी निकाल दिया। अब वह पूरी नंगी खड़ी थी और उसकी बुर में मानो आग सी लगी हुई थी। राजीव ने उसे बिस्तर पर लिटाया और श्याम और राजीव साइड में लेटकर उसकी एक एक चूचि चूसने लगे। राजीव का हाथ अब उसकी जाँघों और उसके बीच बुर में चला गया। श्याम भी उसके पेट को सहला रहा था। सरला उनके लौड़े को अपने हाथ में लेकर दबा रही थी। अब राजीव नीचे जाकर उसकी बुर को चाटने लगा। सरला की उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽ कहकर चीख़ निकल गई। श्याम उसकी चूचि चूस भी रहा था और दबा भी रहा था।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
राजीव: श्याम, बुर चोदोगे या गाँड़ मारोगे?
श्याम: आप जो चाहोगे वैसा ही करेंगे।
राजीव : मैं तो बुर चोदूंग़ा। बाद में गाँड़ भी मारूँगा। चलो अब सैंडविच चुदाई करते हैं। मैं और श्याम ब्रेड की तरह बाहर रहेंगे , तुम बीच में सब्ज़ी की तरह अंदर रहना। सब हंस पड़े।
अब राजीव ने उसे अपने बग़ल में लिटा लिया और सरला ने अपनी एक टाँगउठा दी। राजीव ने अपना लौड़ा उसकी बुर के छेद में डाला और फिर एक झटके में पूरा लौड़ा अंदर कर दिया । सरला आऽऽऽँहह कर उठी। फिर उसकी दूसरी तरफ़ से श्याम भी अपने लौड़े पर क्रीम लगाया। उसने उसकी गाँड़ के अंदर २ ऊँगली डाली क्रीम लगाकर और फिर अपना लौड़ा उसकी गाँड में अंदर करने लगा। जल्दी ही दोनों के लौड़े उसकी दोनों छेदों में घुस चुके थे। अब भरपूर चुदाई शुरू हुई।अब सरला भी उई उई ऊँननन उन्न्न्न्न्न और हाऽऽऽयययय फ़ाआऽऽऽड़ो आऽऽऽऽऽहहहह आऽऽऽऽऽऽऽ मरीइइइइइइइ चोओओओओओओओदो चिल्लाए जा रही थी। उसकी कमर आगे पीछे हुई जा रही थी। फिर वह उन्न्न्न्न्न्न्न्न्न कहकर झड़ने लगी। राजीव और श्याम भी अपना अपना वीर्य उसके अंदर डालकर शांत हो गए।
बाद में फ़्रेश होकर सरला आइ और कपड़े की तरफ़ हाथ बधाई।, राजीव ने उसका हाथ पकड़कर उसे नंगी ही बिस्तर पर गिरा गया और और बोला: मेरी जान अभी तो और राउंड करेंगे अभी से कपड़ा कैसे पहनोगी? फिर वह उसे अपने बग़ल में लिटाकर उसके होंठ चूसने लगा। श्याम भी उसके शरीर पर हाथ फेरने लगा।
राजीव: सरला, तुम बता रही थीं कि तुम शादी के पहले चुदवा चुकी हो, बताओ ना किसने तुम्हें चोदा था? और कैसे हुआ ये सब?
सरला: बहुत पुरानी बात है, छोड़िए ना ये सब । ये कहते हुए वह एक हाथ से राजीव का और दूसरे हाथ से श्याम का लौड़ा सहलाने लगी।
श्याम: हाँ जानू सुनाओ ना, कैसे चुदीं तुम पहली बार? बताओ ना प्लीज़।
सरला: अच्छा चलिए बतातीं हूँ।
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सरला कहने लगी अपनी पहली चुदाई की कहानी:——-
मैं एक किसान परिवार से हूँ और एक गाँव में ही पली बड़ी हूँ। मेरे घर में बाबा और माँ के अलावा मेरा एक छोटा भाई भी था। जीवन आराम से कट रहा था। पास के गाँव में एक स्कूल में हम पढ़ते थे। जब मेरे शरीर में जवानी के लक्षण उभरने लगे तो माँ ने सब कुछ बताया और पिरीयड्ज़ का भी बताया। गाँव में अब आदमियों की नज़र मुझे बदली हुई सी लगने लगीं। लड़कों ने तो मेरे साथ छेड़ छाड़ भी शुरू कर दी थी। हमारे गाँव के पास एक नदी बहती थी। एक बार शाम को मैं और मेरा भाई पास के गाँव में सगाई के कार्यक्रम के लिए गए । वापसी में हमें देर हो गयी। जब हम नदी के पास पहुँचे तो उस समय क़रीब शाम के ८ बजे थे।
हम वहाँ खड़े होकर नदी का बहाव देख रहे थे। तभी वहाँ जंगल से कुछ आवाज़ें आयीं। हम भाई बहन डर गए। तभी किसी के हँसने की आवाज़ आयी। हे भगवान! ये तो काली की आवाज़ है। काली मेरे से २ साल बड़ी थी और ११ वीं में पढ़तीं थीं। तभी वो भागते हुए सामने आयी और उसके पीछे दो लड़के भागते आए और उसको पकड़ लिए और उसे चूमने लगे।मुझे याद आया कि मेरा छोटा भाई भी ये सब देख रहा है। तभी वो हमको देख लिए। काली मेरे पास आइ और बोली: अरे तुम यहाँ क्या कर रही हो?
मैं: बग़ल के गाँव में सगाई थी वहीं से आ रही हूँ।
काली: अपने भाई को भेज दो घर , हम दोनों थोड़ी देर में आ जाएँगी। फिर मेरे भाई से बोली: तुम जाओ , हम अभी आते हैं।
भाई के जाने के बाद काली उन लड़कों से बोली: अब हम भी दो हैं। अब मुझे अकेली को तंग नहीं कर सकते? वो हँसने लगे। मैं उन दोनों को जानती थी । वो दोनों पढ़ाई छोड़ कर खेतों में काम करते थे और हमसे काफ़ी बड़े थे। वो दोनों कई बार मुझे छेड़ चुके थे। अब एक लड़का कबीर मेरे पास आया और मुझे बोला: तुम तो अब मस्त जवान हो गयी हो, मज़ा लिया की नहीं अपनी जवानी का? वो मेरे संतरों को घूरते हुए बोला।
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काली: अरे एकदम भोली है मेरी सहेली। अभी कहाँ लिया है मज़ा । तभी दूसरे लड़के मोहन ने काली को पीछे से पकड़ा और उसके गाल चूमते हुए उसकी बड़ी बड़ी छातियों को दबाने लगा। वह घाघरा चोली में थी। और आऽऽऽह करने लगी। तभी कबीर ने मुझे पकड़कर अपनी बाहों में ले लिया और मुझे चूमने लगा। मुझे झटका लगा। तभी काली बोली: देख कबीर आराम से करना वो ये सब अभी तक करी नहीं है।
तभी मोहन ने काली की चोली उठा दी और उसकी बड़ी छातियाँ ब्रा से दिख रहीं थीं। वह अब उनकी काफ़ी बेहरमी से दबा रहा था। वह अब सीइइइइइइ कर उठी। मेरी आँखें भी भारी होने लगी थी ये सब देखकर। तभी कबीर के हाथ भी मेरी छातियों पर आ गए थे। अब मुझे भी अच्छा लग रहा था। फिर वह मुझे भी चूमने लगा। मैं भी काली की तरफ़ देख रही थी। तभी मोहन ने अपनी धोती निकाल दी और उसकी नाड़े वाली चड्डी के एक साइड से उसका बड़ा सा लिंग निकला हुआ दिख रहा था।
तभी काली ने उसके लिंग को पकड़ लिया और दबाने लगी। मेरी अब सांसें फूलने लगी थीं। तभी कबीर मेरी फ़्रोक़ उठा कर मेरी चूचियाँ दबाने लगा। अब मैं भी मज़े से भरने लगी। अचानक मोहन ने काली की चूचिया ब्रा से निकाली और उनको चूसने लगा। तभी कबीर ने भी अपनी लूँगी और चड्डी खोल दी और उसका बड़ा सा लिंग मेरी आँखों के सामने थी। उसने मेरे हाथ को खींचकर अपना लिंग मेरे हाथ में दे दिया। उसका गरम और कड़ा लिंग मुझे बेक़रार कर दिया। तभी मैंने देखा कि मोहन ने काली को पेड़ के सहारे झुका दिया और उसके घाघरे को उठाकर उसकी चड्डी नीचे किया और अपना कड़ा लिंग उसकी बुर में डालकर मज़े से चोदने लगा। मेरी आँखें फैल गयीं थीं। मैं पहली बार किसी की चुदाई देख रही थी। मेरी बुर भी गीली हो चुकी थी।
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तभी कबीर ने मेरी चड्डी में हाथ डालकर मेरी बुर को पकड़ लिया और दबाने लगा। मेरी तो मस्ती से हालत ख़राब हो रही थी। तभी मुझे समझ में आ गया कि मैं अब चुदने वाली हूँ। मैंने अपना हाथ छुड़ाया और वहाँ से दौड़कर भाग गयी। उस रात भर मुझे काली की चुदाई याद आती रही। और कबीर और मोहन के लिंग मेरी आँखों के सामने झूलते रहे।
श्याम: अरे तो उस दिन तुम्हारी बुर का उद्घाटन नहीं हुआ? वो अब सरला की चूचि दबा रहा था।
राजीव ने भी उसकी चूचि चूसते हुए कहा: फिर तुमको पहली बार किसने चोदा?
सरला आगे बताने लगी: ——-
अब मैं अक्सर चुदाई के बारे में सोचती रहती थी। एक दिन माँ ने कहा कि जाओ मंदिर में पुजारी के पास जाओ और उनको ये लड्डू दे दो भगवान को चढ़ाने को। मैं जब मंदिर पहुँची तो पुजारी वहाँ नहीं थे और मंदिर बंद था। वहीं एक औरत मंदिर की सफ़ाई कर रही थी।
मैं: पुजारी जी कहाँ हैं ?
औरत: वह उधर अपने घर ने हैं । अभी मंदिर खुलने में समय है।
मैं उनके घर की तरफ़ गयी, पुजारी जी की पत्नी को मैं अच्छी तरह से जानती थी, वो मेरे माँ की अच्छी सहेली भी थी।
मैं उनके घर पहुँचकर दरवाज़ा खटखटाई और बोली: मौसी , मैं सरला हूँ ज़रा दरवाज़ा खोलिए। तभी मैंने दरवाजे को धक्का दिया और मेरे सामने पुजारी जी थे जो सिर्फ़ चड्डी पहने आँगन में नहा रहे थे। मैं उनका बालों से भरा सीना और पुष्ट शरीर देखकर थोड़ा सा सकपका गयी। तभी वो खड़े हुए और उनकी गीली चड्डी में से लम्बा लिंग साफ़ दिखाई दे रहा था। मैं शर्म से दोहरीहो गयी। वो बोले: बेटी , आ जाओ अंदर,तुम कैसी हो?
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मैं: जी ठीक हूँ। फिर मैं मौसी से मिलने अंदर चली गयी। वहाँ कोई नहीं था। तभी पुजारी जी बदन पोछते हुए आए। अब वह एक तौलिए में थे। उनका लिंग तौलिए से साफ़ उभरा हुआ दिख रहा था।
मैं: मौसी कहाँ हैं?
पुजारी: वो तो मायक़े गयी है। बैठो ना बेटी , बोलो कैसे आना हुआ?
मैं: वो लड्डू लायी थी चढ़ावे के लिए। माँ ने भेजा है। मेरी नज़र बार बार तौलिए के उभार पर जा रही थी।
पुजारी जी फ़्रोक़ में से मेरे संतरों को घूरे और बोले: बेटी ठीक है अभी चलते हैं। आज मैंने पहली बार तुम्हें ध्यान से देखा है, बेटी तुम अब मस्त जवान हो गयी हो और बहुत सुंदर भी। वो अभी भी मेरे संतरों को घूरे जा रहे थे। मैंने देखा कि अब उनका तौलिया ऊपर की ओर उठने लगा , मैं समझ गयी कि उनका लिंग वैसे ही खड़ा हो रहा है जैसे उस दिन मोहन और कबीर का खड़ा था। मेरी बुर गीली होने लगी।
तभी पुजारी मेरे पास आए और मेरे कंधों पर हाथ रखकर बोले: बेटी क्या खाओगी? चलो तुमको मिठाई खिलाते हैं। फिर वो मुझे मिठाई दिए और मेरे कंधों और हाथों को सहलाने लगा। फिर वो वहाँ रखे एक कुर्सी पर बैठे और मुझे बोले: बेटी आओ मेरी गोद में बैठो । आज तुम पर बहुत प्यार आ रहा है।
मैं: नहीं पुजारी जी मुझे जाना है।
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वो: बेटी क्यों घबरा रही हो? अब तुम बच्ची नहीं हो मस्त जवान हो गयी ही। डरो मत मज़ा लो अपनी जवानी का। ये कहते हुए उसने मुझे अपनी गोद में खिंचा और मेरे चूतर उसके लौड़े पर टिक गए ।मैं उई करके उठी और उसने मेरी फ़्रोक़ ऊपर करके मुझे फिर से अपनी गोद में बिठा लिया। अब मेरी चड्डी में उनके खड़े लिंग का अहसास मुझे हो रहा था। अब वो मुझे चूमने लगे। मैं भी मज़े से आँख बंद कर ली। फिर जब उन्होंने मेरे संतरों को दबाया तो बस मैं बहक गयी। नीचे से लौड़े की चुभन और ऊपर से उनके हाथ मेरे निप्पल को दबाकर मुझे मस्ती से भर दिए थे। अब वो मुझे चूमे जा रहे थे।
फिर वो मेरी फ़्रोक़ को निकालकर मेरी ब्रा में क़ैद संतरों को चूमने लगे और मसलने लगे। फिर उन्होंने मेरी ब्रा भी खोल दी और मेरे संतरों को निचोड़ना शुरू किया। मेरी हाऽऽऽय्य निकल गयी। तभी उनका एक हाथ मेरे पेट को सहलाते हुए मेरी चड्डी पर घूमने लगा। मेरी गीली चड्डी देखकर बोले: बेटी, पिशाब कर दिया क्या? चड्डी गीली हो गई है?
मैं शर्माकर: नहीं, पर पता नहीं कैसे गीली हो गयी।
वो: बेटी, देखूँ अंदर सब ठीक है ना? ये कहकर उन्होंने अपने हाथ मेरी चड्डी में डाला और मेरी बुर और उसके आसपास के रोये जैसे नरम बालों को सहलाने लगे। मेरी अब सिस्कारी निकल गयी।
वो बोले: बेटी अच्छा लग रहा है ना?
मैं: जी बहुत अच्छा लग रहा है। वो मेरी बुर में ऊँगली डालकर उसे छेड़ने लगे और बोले: बेटी कभी किसी से चुदवाई है क्या?
मैं: : जी नहीं कभी नहीं किया।
वो :बेटी तभी तुम्हारी बुर बड़ी टाइट है , मैं तुम्हारी सील तोड़ूँगा। तुमको पहले थोड़ा सा दर्द बर्दाश्त करना होगा। फिर उसके बाद मज़े ही मज़े। ठीक है ना?
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मैं: जी ठीक है। मेरी बुर पनिया चुकी थी और अब मैं चुदवाने को मरी जा रही थी।
वो: ठीक है बेटी फिर उठो और नीचे ज़मीन पर बने बिस्तर को दिखा कर बोले: चलो यहाँ लेट जाओ।
मैं वहीं लेट गयी । अभी मैंने सिर्फ़ चड्डी पहनी थी। उन्होंने भी अपना तौलिया खोलकर निकाला और उनका लौड़ा देखकर मेरे प्राण निकल गए कि इतना बड़ा मूसल मेरे अंदर जाएगा कैसे?( उनका आपके जितना ही बड़ा था, वो श्याम से बोली। )
तभी उन्होंने किचन से तेल लाकर मेरी बुर में डाला और ऊँगली से मेरी बुर को फैलाकर उसमें दो उँगलियाँ डाली और फिर अपने लौड़े पर भी तेल मला। फिर मेरी टाँगे घुटनों से मोड़कर पूरा फैलाया और बीच में बैठकर अपना लौड़ा मेरी बुर के मुँहाने में लगाया और धीरे धीरे से दबाने लगा। मेरी तो जैसे जान ही निकल गयी। मुझे लगा कि मेरे अंदर जैसे कोई कील गड़े रहा है। मैंने उनसे अलग होने की कोशिश की जो नाकयाब साबित हुई। अब मेरे रोने का उनपर कोई असर नहीं हो रहा था। वो अपना पूरा लौड़ा अंदर करके मेरे होंठ और मेरी चूचि चूसने लगे। जल्द ही मेरा दर्द कम होने लगा। फिर वो पूछे: बेटी अब दर्द कम हुआ?
मैं: जी दर्द अब कम हुआ है।
वो: तो फिर चुदाई शुरू करूँ?
मैं शर्माकर बोली: जी करिए।
वो मुस्कुराकर मेरे संतरों को दबाकर चूसे और फिर अपनी क़मर हिलाकर मेरी चुदाई शुरू किए। मेरी टाइट बुर में उनका लौड़ा फँस कर अंदर बाहर हो रहा था । अब मुझे फिर से दर्द भी हो रहा थ और मज़ा भी आ रहा था। मैं उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ करके चिल्ला रही थी। पर अब वो पूरी तरह से चुदाई में लग गए थे और मेरी बुर की धज्जियाँ उड़ रही थी। आधा घंटा चुदाई के बाद वो झड़कर मेरे ऊपर से उठे।
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मैं भी दो बार झड़ी थी। मैं चुदाई के बाद एक लाश की तरह चुपचाप पड़ी थी। मेरी बुर में बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा था। वो उठकर एक गीला तौलिया लाए और बड़े प्यार से मेरी बुर को साफ़ किए और बोले: देखो बेटी, कितना ख़ून निकला है , पहली बार ऐसा होता है। अब तुम्हारी बुर मस्त खुल गयी है , अब आराम से चुदवा सकती हो। ठीक है ना? आज तुमको चलने में थोड़ी तकलीफ़ होगी, घर में बोल देना की पैर में मोच आ गयी है। ठीक है ना बेटी?
मैं: जी पुजारी जी।
जब मैं वापस आने लगी तो वो प्यार करते हुए बोले: बेटी जब चुदवाने की मर्ज़ी हो तो आ जाना। ऐसा कहते हुए उन्होंने मेरे संतरे दबा दिए और मेरे चूतरों पर हाथ भी फेर दिया।
मैं कई बार उनसे चुदवाई थी शादी के पहले। मेरे पति चुदाई के मामले में ज़्यादा मज़ा नहीं दिए पर मैं उनके साथ गुज़रा करती रही। बाद में उनकी मृत्यु के बाद श्याम जी ने मुझे संतुष्ट किया। और अब आप दोनों मुझे सुख दे रहे हो। यही मेरी कहानी है।
सरला की कहानी सुनकर दोनों गरम हो चुके थे । राजीव तो उसकी बुर में मुँह घुसाकर उसकी बुर चाटने लगा था। अब श्याम नीचे लेटा और सरला अपनी बुर में उसका लौड़ा घुसेड़ ली। फिर पीछे से राजीव ने उसकी गाँड़ में क्रीम लगाकर उसकी गाँड़ में अपना लौड़ा पेल दिया। अब सरला की फिर से डबल चुदाई चालू हुई। सरला चिल्लाने लगी। उन्न्न्न्न्न्न्न्न उइइइइइइ और फ़च फ़च और ठप्प ठप्प की आवाज़ें कमरे में भर गयीं थीं।
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राजीव उसकी चूचियाँ भी मसल रहा था और सरला के कान में बोला: आऽऽऽह क्या मस्त गाँड़ है तुम्हारी । क्या टाइट है जानू। फिर वो उसके चूतरों को दबाकर उसपर थप्पड़ मारने लगा। वह चिल्ला कर अपनी गरमी को व्यक्त कर रही थी। अब चुदाई पूरी जवानी पर थी। पलंग भी चूँ चूँ कर रहा था। तभी सरला जो श्याम के लौड़े पर उछल उछल के चुदवा रही थी, बड़बड़ाने लगी : आऽऽऽह मज़ाआऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽ है।
मैं गईइइइइइइइइ कहते हुए झड़ने लगी। उधर श्याम और राजीव भी झड़ गए। सब अग़ल बग़ल लेटकर सब एक दूसरे का बदन सहलाने लगे। राजीव सरला के भरे हुए बदन पर हाथ फेरते हुए बोला: बहुत मज़ा आया जानू , क्या भरा बदन है तुम्हारा। एकदम मख़मल सा बदन है । वह उसके बड़े चूतरों को सहलाते हुए बोला: म्म्न्म्म्म मज़ा आ जाता है इनपर हाथ फेरने में। फिर उसके पेट से लेकर उसकी छाती सहलाकर बोला: ये दूध कितने रसभरे हैं। सरला हँसने लगी।
उस दिन और कुछ ख़ास नहीं हुआ। सरला और श्याम वापस अपने शहर आ गए।
अगले दिन शादी को सिर्फ़ सात दिन रहे थे। दोनों बाप बेटा बड़े ख़ुश थे क्योंकि आज महक अमेरिका से आने वाली थी। शिवा को दीदी और राजीव की इकलौती लाड़ली बेटी। शिवा और राजीव एयरपोर्ट पहुँचे उसे लेने के लिए।
महक जब एयरपोर्ट से बाहर आइ तो शिवा की आँखें ख़ुशी से चमक उठी। उसकी प्यारी दीदी जो आयी थी वो भी काफ़ी दिनों के बाद। वो उससे जाकर लिपट गया और वह भी उसे गले लगाकर प्यार करने लगी। राजीव भी बहुत ख़ुश हुआ इतने दिनों कि बाद अपनी बेटी को देखकर। पर उसकी आँखें उसकी टॉप पर भी थी जिसमें से उसकी मस्त गदराइ हुई छातियाँ बिलकुल मादक लग रही थी। उसकी टॉप से झाँकती हुई अधनग्न छातियाँ उसे और भी सेक्सी बना रही थी।
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उसकी हिप हगिंग जींस भी बहुत कामुक दृश्य प्रस्तुत कर रही थी। उसके चुतरों के उभार और भी सेक्सी लग रहे थे । जब वह शिवा से लिपटी और उसके बाद वह अपना समान लेने के लिए झुकी , उसकी जींस नीचे खिसकी और उसकी गाँड़ की दरार सबके सामने थी। आते जाते लोग भी उसकी मस्त गोरी गाँड़ की दरार देख रहे थे और अपना लौंडा अपने पैंट में अजस्ट कर रहे थे। उसे अपने लौंडे में भी हरकत सी महसूस हुई। अब वो आकर पापाआऽऽऽऽ कहकर राजीव से लिपट गई। उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ राजीव के चौड़े सीने से टकरा कर राजीव के पैंट में और ज़ोर से हलचल मचा दीं।उसका हाथ महक की कमर पर पड़ा और वहाँ के चिकनी त्वचा को सहला कर राजीव के लौंडे को पूरा खड़ा कर बैठा। सरला अब राजीव के गाल को चूम रही थी और बोली: पापा कैसे हैं आप?
राजीव के हाथ उसकी कमर से खिसक कर उसकी चुतरों पर पहुँच गया, क्योंकि वह उछल कर उसकी गर्दन से चिपक गयी थी। राजीव अपने हाथ को उसके चुतरों से हटा कर बोला: बेटी मैं बिलकुल मज़े में हूँ। हम सब तुमको बहुत मिस करते हैं।वह उसके गाल चूमते हुए बोला और उसके बालों पर भी प्यार से हाथ फेरा। इसके साथ ही वह ख़ुद अपना निचला हिस्सा पीछे किया ताकि महक को उसके लौंडे की हालत का पता नहीं चले।
फिर महक अलग होकर अपना समान उठाने लगी और फिर से उसकी आधी छातियाँ उसके सामने झूल गयी थीं साथ ही उसकी गाँड़ की दरार भी फिर से उसकी आँखों के सामने थी। इस बार तो शिवा की भी आँखें उसके जवान बदन पर थीं।
फिर सब बाहर आए और शिवा ने कार में सामान डाला और कार चलाकर घर की ओर चल पड़ा। राजीव और महक पीछे की सीट पर बैठे थे। महक ने राजीव का हाथ अपने हाथ ने ले लिया और बोली: पापा। आप माँ को बहुत मिस करते होगे ना?
राजीव की आँखों के आगे सरला और रानी का नंगा बदन आ गया। वो सोचने लगा कि मेरे जैसा कमीना उसको क्या मिस करेगा? पर वह बोला: हाँ बहुत याद आती है उसकी। एकदम से मुझे अकेला छोड़ गयी वह।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
महक: पापा , मुझे भी मॉ की बहुत याद आती है। ये कहते हुए उसकी आँख भर आइ और वो अपना सिर राजीव के कंधे पर रखी । अब उसकी एक छाती राजीव की बाँह से सट गयी थी। राजीव के बदन में उसकी मस्त और नरम छाती का अहसास उसे फ़िर से उत्तेजित करने लगा। महक के बदन से आती गन्ध भी उसे पागल करने लगी। उसने देखा कि महक की आँखें बन्द थीं और राजीव ने उसका फ़ायदा उठाते हुए अपनी पैंट में लौंडे को ऐडजस्ट किया। अब वह अपनी बाँह उसके कंधे पर ले गया और उसे शान्त करने लगा।
उसका हाथ उसकी छाती के बहुत क़रीब था। तभी वह अपनी आँख खोली और शिवा को बोली: और मेरे भय्या का क्या हाल है। शादी के लिए रेडी हो गए हो ना? ये कहते हुए वह आगे को झुकी और राजीव का हाथ उसकी छाती से टकराया। राजीव ने अपना हाथ नहीं हटाया और महक ने भी ऐसा दिखाया जैसे उसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।
थोड़ी देर तक वो शिवा और राजीव से अब तक की तय्यारियों का अपडेट ली और बोली: बाप रे, अभी बहुत काम बाक़ी है। चलो अब मैं आ गयी हूँ , अब सब ठीक कर दूँगी। कहते हुए वह राजीव का हाथ जो उसकी छाती को छू रहा था , उसे अपने हाथ में लेकर वह उसे चूम ली और बोली: पापा आइ लव यू।
राजीव ने भी उसे अपने से सटाकर कहा: बेबी आइ लव यू टू।
शिवा: दीदी मेरा क्या? मुझसे कोई प्यार नहीं करता क्या?
दोनों हँसने लगे और बोले: वी लव यू टू ।
तभी वह सब घर पहुँच गए।
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घर पहुँचने पर रानी ने सबको नाश्ता कराया और सब चाय पीते हुए बातें करने लगे। शादी की तय्यारियाँ बहुत डिटेल में डिस्कस हुई। फिर महक बोली: मैं अभी सोऊँगी बहुत थक गयीं हूँ। शाम को हम होटेल जाकर मिनु फ़ाइनल करेंगे।
शिवा: और खाना भी वहीं खा लेंगे। ठीक है ना पापा?
राजीव: बिलकुल ठीक है, महक के आने का सेलब्रेशन भी हो जाएगा।
महक: पापा मेरा कमरा ठीक है ना?
रानी: जी आपका कमरा बिलकुल साफ़ और तय्यार है।
फिर महक उठी और एक बार उसकी गाँड़ की दरार राजीव और शिवा की आँखों के सामने थीं। इस बार राजीव से रहा नहीं गया और वह बोला: बेटी, इस तरह की पैंट क्यों पहनती हो? पीछे से पूरी नंगी हो रही हो।
वो हँसकर बोली: पापा आपने तो मुझे पूरा नंगा देखा है, आपको क्या फ़र्क़ पड़ता है। पर अब मैं इंडिया में ऐसे कपड़े नहीं पहनूँगी। ठीक है ना?
राजीव ने उसकी कमर सहला कर कहा: ठीक है बेटी, जाओ अब आराम कर लो। वह रानी के साथ चली गयी।
थोड़ी देर में शिवा भी दुकान चला गया। क़रीब आधे घंटे के बाद रानी राजीव के कमरे में आइ और मुस्कुरा कर बोली: आपको शर्म नहीं आती , अपनी बेटी की गाँड़ को घूरते हुए।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
राजीव बेशर्मी से बोला: वह भी तो अपनी गाँड़ दिखाए जा रही थी। मेरी क्या ग़लती है? उसने अपना लौंडा दबाकर बोला: देखो इस बेचारे की क्या हालत ही गयी है ?
रानी हँसती हुई बोली: ये और बेचारा? इसका बस चले तो यह महक की गाँड़ में भी समा जाता।
राजीव ने अपनी पैंट उतारी और चड्डी भी उतारा और रानी को लौड़ा चूसने का इशारा किया। रानी उसके लौंडे को सहलाकर बोली: आपको पता है महक ने अपनी पैंट और टॉप उतार दिया है और सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में सो रही है। देखना है क्या?
राजीव के लौंडे ने ये सुनकर झटका मारा और राजीव बोला: सच में ? मगर उसने चद्दर ओढ़ी होगी ना? दिखेगा थोड़ी?
रानी उसके लौंडेको चूसते हुए बोली: उसे बहुत गरमी लगती है इसलिए उसने कुछ भी नहीं ओढ़ा है।
राजीव उठते हुए बोला: चलो वहीं चलते हैं, उसे देखते हैं की जवान होकर वह अब कैसी दिखती है?
वो दोनों उसके कमरे की खिड़की के पास आकर पर्दा हटाकर झाँके और आऽऽऽह सामने महक ब्रा और पैंटी में करवट लेकर सोयी हुई थी। ब्रा से उसकी बड़ी छातियाँ आधी बाहर दिखाई दे रही थीं। उसका नंगा गोरा पेट और उसकी गदराइ जाँघें भी बहुत मादक दिख रही थीं। उसका मुँह खिड़की की तरफ़ था। रानी धीरे से बोली: मज़ा आ रहा है ना? राजीव ने उसकी गर्दन पकड़ी और उसको अपने घुटनों पर झुका दिया और वह उसके लौंडे को चूसने लगी। राजीव महक को देखते हुए रानी के मुँह को चोदने लगा। उसकी कमर हिले जा रही थी और अब रानी ने भी डीप थ्रोट से चूसना शुरू कर दिया था। वह अपनी जीभ से उसके मोटे सुपाडे को भी रगड़ रही थी। उसके बॉल्ज़ को भी चाटे जा रही थी।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
तभी अचानक राजीव की नज़र ड्रेसिंग टेबल के शीशे पर पड़ी और वहाँ उसे शीशे में महक की मोटी मोटी गाँड़ दिखाई दे गयी। आऽऽऽऽऽऽह क्या मस्त गदराइ हुई गाँड़ थीं। दोनों चूतर मस्त गोरे और नरम से दिख रहे थे और उनके बीच में एक छोटी सी पट्टी नुमा रस्सी थी जो गाँड़ की दरार में गुम सी हो गयी थी। क्या दृश्य था और राजीव अब ह्म्म्म्म्म्म करके रानी के मुँह में झड़ने लगा। रानी ने उसका पूरा रस पी लिया।
अब राजीव वहाँ से हटा और अपने कमरे में आ गया। अब जब उसकी वासना का ज्वार शान्त हो चला था तो उसे अपने आप पर शर्म आयी और वह सोचने कहा कि कितनी गंदी बात है, वो अपनी प्यारी सी शादीशुदा बेटी के बारे में कितना गंदा सोच रहा है। उसने अपने सिर को झटका और फ़ैसला किया कि ऐसे गंदे विचार अब अपने दिमाग़ में नहीं आने देगा आख़िर वो उसकी इकलौती बेटी है। अब उसे थोड़ा अच्छा महसूस हुआ और वो शादी के बजट वग़ैरह की योजना बनाने में लग गया। तभी रानी आइ और बोली: तो कब चोदोगे अपनी बेटी को?
राजीव: देखो रानी, आज जो हुआ सो हुआ । अब हम इसकी बात भी नहीं करेंगे। वो मेरी बेटी है और मैं उसे कैसे चोद सकता हूँ? ठीक है ?
रानी हैरान होकर: ठीक है साहब जैसा आप चाहें।
अब राजीव अपने काम में लग गया।
शिवा ने दुकान से मालिनी को फ़ोन किया: कैसी हो मेरी जान।
मालिनी: ठीक हूँ। आज बड़े सबेरे फ़ोन किया सब ख़ैरियत?
शिवा: सब बढ़िया है। आज दीदी भी आ गयीं हैं। अब शादी की रौनक़ लगेगी घर पर। और तुम्हारे यहाँ क्या चल रहा है?
मालिनी: सब ठीक है, मम्मी और ताऊजी टेन्शन में हैं शादी की।
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शिवा: अरे सब बढ़िया होगा। मैं मम्मी को फ़ोन कर देता हूँ कि टेन्शन ना लें।
मालिनी: प्लीज़ कर देना उनको अच्छा लगेगा। अरे हाँ मेरी सहेलियाँ पूछ रहीं थीं कि हनीमून पर कहाँ जा रही हूँ? क्या बोलूँ?
शिवा: बोलो कहाँ जाना है?
मालिनी: आप बताओ मुझे क्या पता?
शिवा : मुझे तो शिमला जाने का मन है या फिर गोवा चलते हैं। तुम बताओ कहाँ जाना है?
मालिनी: गोवा चलते हैं। वैसे मेरी एक सहेली बोली की कहीं भी जाओ , एक ही चीज़ देखोगी और कुछ देखने को तो मिलेगा नहीं। मैंने पूछा कि क्या देखने को मिलेगा? तो वो जानते हो क्या बोली?
शिवा: क्या बोली?
मालिनी: वो बोली कि होटेल के कमरे का पंखा देखोगी और कुछ नहीं।
शिवा हैरानी से: क्या मतलब ? होटल का पंखा?
मालिनी हँसने लगी और बोली: आप भी बहुत भोले हैं जी। मतलब मैं बिस्तर में पड़ी रहूँगी और आप मेरे ऊपर रहोगे और मैं सिर्फ़ पंखा ही देखूँगी।
अब बात शिवा को समझ में आइ और वो हँसने लगा और बोला: हा हा , क्या सोचा है। कोई इतना भी तो नहीं लगा रहता है दिन रात इस काम में। हा हा गुड जोक।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
वैसे मुझे भी लगता है कि शायद तुम पंखा ही देखोगी। ठीक है ना?
मालिनी हंस कर: मैं तो जाऊँगी ही नहीं अगर सिर्फ़ पंखा ही दिखाना है। वैसे भी पार्क में जो उस दिन आपका बड़ा सा देखा था, वह अभी भी सपने में आता है और मेरी नींद खुल जाती है उस दर्द का सोचकर जो आप मुझे सुहाग रात में देने वाले हो।
शिवा हँसकर: मैं कोई दर्द नहीं देने वाला हूँ। तुम भी बेकार में ही डरी जा रही हो। वैसे हम सुहाग रात में करेंगे क्या? मुझे तो कोई अनुभव ही नहीं है। चलो कुछ दोस्तों से पूछता हूँ कि कैसे और क्या करना होगा?
मालिनी: हाँ ये भी पूछ लेना कि बिना दर्द के ये काम कैसे होता है।
शिवा: क्या तुम भी ? बस एक दर्द का ही क़िस्सा लेकर बैठी हो। एक बात बोलूँ, दीदी से पूछ लूँ क्या?
मालिनी: छी वो तो एक लड़की हैं , उनसे कैसे पूछोगे? वैसे आपने बताया था कि आपने ब्लू फ़िल्मे देखीं हैं तो वहीं से सीख लो ना।
शिवा: अरे उसमें तो सब उलटा सीधा दिखाते हैं, एक बात बोलूँ मैं दीदी से बात करता हूँ और तुमको भी फ़ोन पर ले लेता हूँ। चलेगा?
मालिनी: छी कुछ भी बोलते हो? बिलकुल नहीं, मैं तो मारे शर्म के मर ही जाऊँगी। आप अपने दोस्तों से ही पूछ लो।
शिवा: चलो दोस्तों से ही पूछता हूँ। तो फिर गोवा पक्का ना, बुकिंग करा लूँ।
मालिनी: हाँ करवा लीजिए। पर कमरे में पंखा नहीं होना चाहिए सिर्फ़ एसी होना चाहिए। हा हा ।
दोनों हँसे और फ़ोन रख दिया।
शिवा ने सुहाग रात की डिटेल जानने के लिए अपने दोस्त अशोक को फ़ोन किया। उसकी पास ही अनाज की दुकान थी और उसकी शादी को १ साल हो चुका था।
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अशोक: वाह आज इतने दिन बाद कैसे याद आइ?
शिवा: बस ऐसे ही , अगर बहुत व्यस्त ना हो तो चलो कॉफ़ी पीते हैं।
फिर वो और अशोक कॉफ़ी हाउस में मिले और कुछ इधर उधर की बातें करने के बाद शिवा बोला: यार अगले हफ़्ते मेरी शादी है, और मुझे सच में सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं आता। थोड़े टिप्स दे देना यार।
अशोक हँसते हुए: तू भी इतना बड़ा हो गया है और बच्चों के जैसी बातें करता है।अरे ब्लू फ़िल्म तो देखा होगा ना अगर चुदाई नहीं की है तो। देख भाई मैंने तो शादी के पहले ही तीन लड़कियाँ चोद रखीं थीं सो मुझे कोई परेशानी नहीं हुई। तू भी किसी को चोद ले आजकल में और फिर मना सुहागरत मज़े से ।
शिवा : नहीं ये मैं कभी भी नहीं करूँगा। यार तू बता ना कि कैसे शुरू करते हैं ?
अशोक: मैं तो प्रेक्टिकल करके बता सकता हूँ अगर तू चाहे तो। मेरी एक गर्ल फ़्रेंड है उसे बोल दूँगा वो रोल प्ले कर देगी मेरी दुल्हन का। बोल इंतज़ाम करूँ?
शिवा: पर मैं कैसे देखूँगा? मतलब तुम दोनों को शर्म नहीं आएगी? और फिर तुम अपनी पत्नी को धोका भी तो दोगे?
अशोक: बाप रे इतने सवाल !! तुम उसी कमरे में कुर्सी में बैठ कर देखोगे। हमको कोई शर्म नहीं आएगी। और हाँ शादी के बाद थोड़ा बहुत ये सब चलता है। ये लड़की पिंकी मुझसे हफ़्ते में एक बार तो चुदवाती ही है।
शिवा हैरान होकर: उसी कमरे में ? क्या यार मुझे शर्म आएगी।
अशोक: मैं शर्त लगाता हूँ कि तुम भी मज़े में आकर मेरे सामने उसे चोदोगे। तो बताओ कब का प्रोग्राम रखें?
शिवा: कल दोपहर का रख लो।
अशोक: चलो उसको पूछता हूँ, वो भी फ़्री होनी चाहिए। उसने पिंकी को फ़ोन लगाया और स्पीकर मोड में डाल दिया। अशोक: कैसी हो मेरी जान?
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पिंकी: बस ठीक हूँ , आज कैसे मेरी याद आइ?
अशोक: यार तुमको मेरे एक दोस्त की मदद करनी है। वो शादी कर रहा है। तुम्हें उसके सामने मेरी बीवी बनकर मेरे साथ सुहाग रात मनानी होगी। बोलो ये रोल प्ले करोगी?
पिंकी: याने कि वह ये सब देखेगा?
अशोक: और क्या ? उसके लिए ही तो कर रहे हैं।
पिंकी: फिर तो उसे मुझे कोई महँगी गिफ़्ट देनी पड़ेगी।
अशोक: कैसी गिफ़्ट?
पिंकी: उसको फ़ैसला करने दो ओर मेरा दिल Oppo के फ़ोन पर आया हुआ है।
अशोक ने प्रश्न सूचक निगाहों से शिवा को देखा तो वो हाँ में सिर हिला दिया। अशोक: ठीक है ले लेना। तो फिर कल १२ बजे मिलें तुम्हारे घर पर?
पिंकी: ठीक है आ जाओ। यह कहकर उसने फ़ोन काट दिया।
फिर वो दोनों कल मिलने का तय करके वापस अपने दुकान आ गए।
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शिवा ने मालिनी को फ़ोन किया: देखो तुम्हारे साथ सुहाग रात कितनी महोंगी पड़ी अभी से । वो लड़की जो सुहागरत में दुल्हन की ऐक्टिंग करेगी मेरे दोस्त के साथ उसे एक स्मार्ट फ़ोन ख़रीद कर देना पड़ेगा।
मालिनी: ओह तो आपने इंतज़ाम कर ही लिया? मुझे तो लगता है कि कल आपका भी उस लड़की के साथ सब कुछ हो ही जाएगा।
शिवा: सवाल ही नहीं पैदा होता। मैंने अपने कुँवारेपन को तुम्हारे लिए बचा के रखा है मेरी जान। सुहागरात में हम दोनों कुँवारे ही होंगे। ठीक है?
मालिनी: देखते है कल के बाद आप कुँवारे रहते भी हो या नहीं।
शिवा: देख लेना। फिर दोनों ने फ़ोन रख दिया।
शाम को शिवा ज़रा जल्दी घर आ गया और फिर महक और राजीव के साथ सब उस होटेल गए जहाँ शादी होनी थी। महक ने मिनु फ़ाइनल किया और सजावट की भी बातें मैनेजर को समझाईं। फिर वो सब वहाँ डिनर किए। सबने ख़ूब बातें की और राजीव ने पारिवारिक सुख का बहुत दिन बाद आनंद लिया। महक भी सलवार कुर्ते में बहुत प्यारी लग रही थी। शिवा भी काफ़ी हैंडसम था और राजीव को अपने बच्चों के ऊपर घमंड सा हो आया। शिवा महक को जिजु की बातें करके छेड़ रहा था। सब हंस रहे थे और मज़े से खाना खा रहे थे। घर आकर सब सोने चले गए।
अगले दिन दोपहर को अशोक का फ़ोन आया और उसने शिवा को एक पते पर आने को कहा। जब वो उस फ़्लैट में पहुँचा तो अशोक और पिंकी वहाँ पहले से पहुँचे हुए थे। पिंकी ने लाल साड़ी पहनी थी वो क़रीब २६/२७ साल की लड़की थी और शरीर से थोड़ी मोटी थी। पता नहीं अशोक ने उसमें क्या देखा जो अपनी बीवी छोड़कर इसके पीछे फ़िदा है- शिवा ने सोचा। यह तो उस बाद में पता चलने वाला था कि पिंकी में क्या ख़ास है। शिवा ने पिंकी को हेलो कहा और उसका गिफ़्ट स्मार्ट फ़ोन उसे दे दिया। वह ख़ुश होकर शिवा के गाल चूम ली। शिवा शर्मा गया।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
अशोक बोला: चल पिंकी ज़्यादा समय नहीं है, हमें दुकान वापस भी जाना है। चल सुहागरत का डेमो दे देते हैं इसको। वह हँसने लगी और सब बेडरूम में चले गए। शिवा वहाँ बेड के पास रखी एक कुर्सी पर बैठ गया। पिंकी अपना घूँघट निकालकर बिस्तर पर बैठ गयी। अशोक बाहर से अंदर आने का अभिनय किया और आकर बिस्तर के पास आकर उसके पास बैठ गया।
फिर उसने शिवा की गिफ़्ट को पिंकी के हाथ में देकर कहा: जानेमन, ये लो मेरी ओर से सुहाग रात की गिफ़्ट। फिर उसने उसका घूँघट उठाया और उसके हुस्न की तारीफ़ करने लगा। वह अब उसके पास आके उसके हाथ को चूमा और फिर उसके हाथ को चूमते हुए उसकी गरदन के पास जाकर उसके गाल चूमा। पिंकी शर्मायी सी बैठी थी। फिर वह उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिया और उसे चूमने लगा। फिर उसने अपनी जीभ उसके मुँह में डाली और उसके निचले होंठ को चूसने लगा। शिवा ग़ौर से ये सब देख रहा था और उसके लौड़े ने अँगडाइयाँ लेनी शुरू कर दी थी।
अब अशोक ने उसकी साड़ी का पल्लू नीचे किया और पिंकी की भारी छातियाँ ब्लाउस से बाहर झाँकने लगीं। अब उसने ब्लाउस के ऊपर से उसके दूध को दबाया और पिंकी ने झूठ मूठ में हाऽऽऽय करके अपना भोलापन दिखाया। अब पिंकी की भी सांसें तेज़ चलने लगीं थीं। फिर अशोक ने अपनी क़मीज़ उतार दी और अब पिंकी को बिस्तर पर लिटा दिया और उससे चिपक कर उसके होंठ चूसते हुए उसके बदन पर हाथ फिराने लगा। फिर बड़ी देर तक चुम्बन लेने के बाद वह उसके ब्लाउस के हुक खोला और उसको उतार दिया ।
अब ब्रा में क़ैद उसके मोटे मम्मों को दबाकर उसने पिंकी की हाऽऽऽय निकाल दी। फिर उसने साड़ी उतारी और पेटिकोट का नाड़ा भी खोला और पिंकी अब सिर्फ़ ब्रा और पैंटी ने थी। उसका थोड़ा मोटापा लिया हुआ बदन सेक्सी लग रहा था। बस पेट और जाँघों पर एक्स्ट्रा चरबी थी। अशोक अब उसके बदन को सहलाने लगा। पिंकी शर्माने की ऐक्टिंग कर रही थी।
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फिर अशोक ने अपने पूरे कपड़े खोले और उसका सामान्य साइज़ का लौड़ा शिवा के सामने था। उसने पिंकी के हाथ में लौड़ा देने की कोशिश की पर पिंकी थोड़ी देर बाद उसे छोड़ दी। अब अशोक ने ब्रा का हुक खोला और उसकी मोटी छातियाँ अशोक और शिवा के सामने थीं। पिंकी उनको अपने हाथ से छुपाने की ऐक्टिंग कर रही थी। अब अशोक ने उसका हाथ हटाया और उसकी छातियाँ दबाने लगा और फिर मुँह में लेकर चूसने भी लगा। अब पिंकी की हाऽऽऽऽऽऽऽयह उइइइइइइइइइ निकलने लगी।
अब शिवा का लौड़ा बहुत टाइट हो गया था और वह उसे सहलाने लगा। उधर अशोक नीचे आकर उसकी पैंटी निकाला और उसकी जाँघें फैलाकर उसने ऊँगली डालकर हिलाने लगा। अब पिंकी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्ग कर उठी। फिर उसने पिंकी की गाँड़ के नीचे तकिया रखा और उसकी टाँगें मोड़कर अपना लौड़ा उसके छेद में लगाकर धक्का दिया और लौड़ा उसकी बुर में घुस गया। फिर वह उसके ऊपर आकर उसकी चुदाई करने लगा। शिवा को लगा कि ये सब देखना बेकार ही हो गया क्योंकि सभी ब्लू फ़िल्म में भी कुछ ऐसा ही होता है। अब वह अपने लौड़े को मसल रहा था।
थोड़ी देर बाद दोनों चिल्लाकर झड़ने लगे। शिवा ये सब देख कर बहुत उत्तेजित हो चुका था। अब अशोक पिंकी के ऊपर से हटकर बग़ल में लेट गया। पिंकी की फैली जाँघों के बीच में सफ़ेद वीर्य चमक रहा था। उसने एक कपड़े से अपनी बुर को पोंछा। फिर शिवा के पैंट के उभार को देख कर बोली: कुछ सीखा आपने? ऐसे होती है चुदाई। आओ अपना भी डाल दो मेरी बुर में। एकदम रेडी है चुदवाने के लिए। ये कहकर उसने अपनी बुर में दो उँगलियाँ डाली और शिवा को आँख मारी।
अशोक भी हँसकर बोला: हाँ यार आज तू भी प्रैक्टिकल कर ले। वह भी अपना सुकडा हुआ लौड़ा कपड़े से पोंछने लगा।
शिवा: नहीं मुझे नहीं करना। मैंने जो देखना था देख लिया है। अब मैं चलता हूँ।
अशोक: अरे यार अभी तूने पिंकी का नक़ली रूप देखा है, अब तू इसका असली रूप देख ले फिर चले जाना। फिर वह पिंकी से बोला: चल अब अपना असली रूप दिखा जिसने मुझे दीवाना बना दिया है।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
पिंकी हँसकर उठी और बोली: देखो राजा , मज़ा कैसे लेते हैं चुदाई का।
फिर पिंकी ने अशोक का लौड़ा ऊपर से नीचे तक चाटा और फिर उसे चूसने लगी। अब उसका लौड़ा उसके मुँह में बड़ा होता चला गया। फिर उसने क़रीब १५ मिनट उसे चूसा और चाटा। फिर वह आकर उसके लौड़े पर बैठी और उसे अपनी बुर में अंदर करके उछल कर चुदवाने लगी। फ़च फ़च और ठप्प ठप्प की आवाज़ के साथ पलंग भी चूँ चूँ कर उठा। फिर वह ६९ की पोजीशन में आकर अपनी बुर चटवाते हुए उसका लौड़ा चूसने लगी। फिर अशोक ने उसे पलटा और वह उसके ऊपर आकर उसे चोदने लगा। वह भी अपनी गाँड़ उठाकर उसका साथ देनी लगी। फिर आख़िर में उसने उसको कुतिया बनाकर पीछे से चोदा और उसके अंदर झड़ गया।
हाँफते हुए उसके बग़ल ने लेटकर अशोक बोला: देखा साली कैसी रँडी के माफ़िक़ चुदवाती है? मेरी बीवी को साली अभी तक मुझसे शर्म आती है। ना वो कमर उछालती है और ना ही मुँह में लेती है। इस तरह मेरे ऊपर आकर चोदना तो बहुत दूर की बात है। समझा, मैं क्यों इसके पास आता हूँ? जो बीवी से नहीं मिलता वो ये देती है।
शिवा अपना लौड़ा पैंट में ऐडजस्ट किया और बोला: मैं समझ गया। अब चलता हूँ। ये कहकर वो बाहर आया और सोचने लगा कि अगर अशोक की बीवी उसका ठीक तरह से साथ देती तो शायद वो पिंकी के चक्कर में नहीं पड़ता।
दुकान में आकर वह बाथरूम में गया और मूठ्ठ मारा और अपने काम में लग गया। शाम को मालिनी का फ़ोन आया: कैसे हो?
शिवा: मज़े में हूँ।
मालिनी: वो तो होंगे ही, मज़ा जो करके आ रहे है । कैसा रहा प्रैक्टिकल अनुभव ?
शिवा: सिर्फ़ देखा, किया कुछ नहीं।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
मालिनी: क्या पता ? वैसे हुआ क्या ये तो बताइए ?
शिवा: मेरा दोस्त अपनी गर्ल फ़्रेंड के पास ले गया था। वहीं पर उन्होंने मुझे सेक्स करके दिखाया और क्या?
मालिनी: फिर आपका मन नहीं किया?
शिवा: मेरा मन तो सिर्फ़ तुम्हारे साथ करने का है। वो बोली थी पर मैंने मना कर दिया।
मालिनी: आप सच में बहुत अच्छे हो। बहुत प्यारे। ये कहते हुए उसने पहली बार उसे फ़ोन पर किस्स किया मुआआऽऽऽऽ बोलके।
शिवा: ओह थैंक्स ड़ीयर । मुआआऽऽऽऽ ।
मालिनी: चलो अब रखती हूँ। उसने फ़ोन काट दिया।
रात को सब एक साथ खाना खा रहे थे और हँसी मज़ाक़ चल रहा था। राजीव सोच रहा था कि महक के आने से घर में कितनी चहल पहल हो गयी थी। अभी वह नायटी में थी और जब वो हँसती थी तो उसके बड़े बड़े दूध ब्रा में उछलते थे जो शिवा और राजीव की आँखों को अपनी ओर आकर्षित कर ही लेते थे। फिर वह दोनों वहाँ से आँखें हटा लेते थे और मन में ग्लानि के भाव से भर उठते थे।
राजीव खाने के बाद थोड़ी देर बाद सोने चला गया। शिवा और महक अमेरिका की बातें करने लगे।
अचानक शिवा बोला: दीदी एक बात बोलूँ, आप नाराज़ मत होना।
महक: अरे बोल ना? क्या बात है?
शिवा: वो क्या है ना दीदी , मैंने कभी सेक्स किया नहीं है और मुझे सुहाग रात का सोचकर थोड़ा नरवसनेस हो रही है। पता नहीं कैसे होगा?
महक हँसते हुए: अरे मेरे बुध्धू भाई , इसमे नर्वस होने वाली क्या बात है।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
शिवा: फिर भी दीदी , पता नहीं क्यों मैं बहुत सहज नहीं हो पा रहा हूँ।
महक: अच्छा चल पूछ क्या जानना है?
शिवा: यही कि शुरुआत कैसे करेंगे? मतलब अब आपसे कैसे कहूँ ?
महक: ओह बस इतनी सी बात है, चल अभी समझा देती हूँ, टेन्शन मत ले। सुन, सुहागरत में जितना तू डरा होगा उससे ज़्यादा तो मालिनी डरी होगी। तुझे सबसे पहले उसे सहज करना होगा। अंदर जाकर तुझे उसे सबसे पहले गिफ़्ट देनी होगी। फिर घूँघट हटा कर उसकी सुंदरता की बहुत तारीफ़ करनी होगी। समझा कि नहीं?
शिवा: जी दीदी समझ रहा हूँ, फिर?
महक: फिर उससे ख़ूब सारी बातें करना और फिर ख़ुद लेट जाना और उसे भी लेटने को बोलना। अब दोनों लेट कर बातें करना और अपना हाथ उसके हाथ में लेकर उसे चूमना और फिर उसके गाल वगेरह को चूम कर अपना प्यार प्रदर्शित करना। फिर उसके लिप्स को भी चूमना। जब वो नोर्मल हो जाए तो फिर उसके बदन पर हाथ फिराना। किसी भी लड़की के होंठ और उसके बूब्ज़ उसके शरीर के ऐसे अंग हैं जिनको छूने , चूमने और चूसने से वो गरम हो जाती है। तुम्हें यही करना होगा। प्यार से उसके ब्लाउस को और बाद में ब्रा भी निकालना होगा और होंठ और बूब्ज़ को चूस कर उसे गरम करना होगा। नीचे का हिस्सा आख़िर में नंगा करना होगा। फिर उसकी पुसी में ऊँगली से उसे और भी गरम करना होगा। जब वह वहाँ पर गीली हो जाए तब उसको सेक्स की अवस्था में लाकर उसकी पुसी में अपना हथियार डालना होगा।
एक बात बता दूँ, ये काम बहुत धीरे से और धैर्य से करना होगा। जब उसे दर्द हो तब रुकना भी होगा। और फिर से अंदर डालना होगा। फिर उसके साथ सेक्स करना। हमेशा याद करते हुए की तुम उसे सुख दे रहे हो। सिर्फ़ अपने मज़े के लिए मत करना। कोशिश हो कि वह पहले शांत हो और तुम उसके बाद ।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
हाँ एक बात और सेक्स के बाद जो लोग मुँह फेर के सो जाते हैं, लड़की उनको पसंद नहीं करती। वह सेक्स के बाद ख़ूब सारा प्यार और दुलार चाहती है। बहुत सारी बातें करो और उसे बताओ के तुम्हें क्या अच्छा लगा और उससे पूछो कि उसे क्या अच्छा या बुर लगा। बस इतना ही मैं बता सकती हूँ।
शिवा: ओह दीदी , आपने बहुत अच्छी तरह से समझा दिया, थैंक्स । बस एक बात और ओरल सेक्स के बारे में बताओ प्लीज़।
महक: देखो यह सेक्स लड़के और लड़की की मर्ज़ी पर निर्भर करता है। तुम इसके लिए किसी पर दबाव नहीं डाल सकते। और इसके लिए दोनों के अंगों का साफ़ होना बहुत ज़रूरी है। ये तो धीरे धीरे सेक्स करते हुए अपने आप अच्छा या बुरा लगने लगता है।
शिवा: और दीदी वो जो कई आसन होते है ? उनका क्या?
महक हंस कर: अरे जैसे जैसे समय बीतेगा, तुम दोनों सब सीख जाओगे।
शिवा भी हँसने लगा। फिर दोनों गुड नाइट करके सोने के लिए अपने अपने कमरे में चले गए।
शिवा सोने के समय सोचने कहा कि दीदी ने कितने अच्छी तरह से समझाया और एक बार भी उसका लौंडा खड़ा नहीं हुआ। सच में दीदी कितनी परिपक्व है। फिर उसके आँखों के सामने दीदी के दूध आए,जो कि उसके हँसने से उछल रहे थे । अब उसके लौड़े में हरकत हुई और वह शर्मिंदा होकर अपना सिर झटक कर सो गया।
जब शिवा दीदी से सुहागरत की ट्रेनिंग ले रहा था तभी मालिनी किचन में पानी पीकर किचन बंद करके सोने के लिए जाने लगी। तभी उसको एक कमरे के सामने से फुसफुसहाट सुनाई दी। वह रुक कर सुनने की कोशिश की। श्याम: अरे जान आज बहुत इच्छा हो रही है, रात को साथ सोते हैं। मैं उसको नींद की दवाई खिला देता हूँ और फिर रात को मज़े करते हैं। ठीक है?
सरला: आऽऽह धीरे से दबाओ ना। अच्छा चलो एक घंटे में आती हूँ। तब तक भाभी सो जाएगी ना?
श्याम: बिलकुल मेरी जान। आ जाना।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
सरला: हाऽऽऽऽय क्या कर रहे हो अभी, उसी समय कर लेना ना ये सब । आऽऽऽह छोड़ो।
मालिनी ने धीरे से झाँक कर देखा । सरला को श्याम पीछे से पकड़ा हुआ था और उसके दोनों बूब्ज़ उसके पंजों में थे और शायद वह उनको ज़ोर से दबा रहा था तभी सरला की आऽऽऽह निकल रही थी। जब श्याम ने सरला को छोड़ा तो उसके लूँगी का तंबू साफ़ दिख रहा था। वह शायद उसे सरला के चूतरों पर रगड़ रहा था। अब सरला ने बड़ी बेशर्मी से उस तंबू को दबाकर कहा: थोड़ी देर और धीरज रखो फिर शांत हो जाओगे। और यह कहकर हँसती हुई वहाँ से अपने कमरे में चली गयी। श्याम के जाने के बाद मालिनी भी चली आयी।
मालिनी को नींद नहीं आ रही थी। बार बार उसके कान में ये बात गूँज रही थी कि माँ अभी थोड़ी देर में श्याम ताऊजी से चुदेगी। आज तक जब भी वह उनको साथ देखी थी तब जल्दी से शर्माकर हट जाती थी। आज उसका मन कर रहा था कि पूरा खेल देखे। ये सोचकर वह उठी और माँ जे कमरे में झाँकी। मम्मी वहाँ नहीं थीं। वो अब श्याम के कमरे की ओर गयी। खिड़की के परदे को हटाया और अंदर का दृश्य उसकी आँखों के सामने था।
ताई सोयी हुई थी। और ताऊ जी बिस्तर पर बैठे थे और मम्मी नीचे में ज़मीन पर गद्दा बिछा रही थी। फिर वह वहीं लेट गयीं। नायटी में उनकी विशाल छातियाँ ऊपर नीचे हो रही थीं। अब वह श्याम को देख कर मुस्कुराई। श्याम आकर उसके साथ लेट गया। अब सरला ने अपनीं बाहें उसकी गरदन में डाली और उससे लिपट गयी। वह। ही उसको अपने आप से चिपका लिया। अब उनके होंठ एक दूसरे से मानो चिपक से गए थे। श्याम की जीभ सरला के मुँह में थी और श्याम के हाथ उसकी पीठ और कमर सहला रहे थे।
श्याम के हाथ इसकी नायटी को उठाए जा रहे थे और जल्दी ही सरला नीचे से नंगी हो गयी। उसके बड़े चूतरों को वो दबाने लगा। और उसकी दरार में हाथ डालकर वह उसकी बुर और गाँड़ सहलाने लगा। सरला भी उसकी लूँगी निकाल दी और उसके लौड़े को मसलने लगी। ताऊजी का लौड़ा उसे शिवा के लौड़े से थोड़ा छोटा ही लगा। अब सरला उठी और अपनी नायटी उतार दी। वह नीचे पैंटी और ब्रा नहीं पहनी थी। ताऊजी भी चड्डी नहीं पहने थे। शायद ये उनका पहले से तय रहता है कि चुदाई के समय ये सब नहीं पहनेंगे।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
मालिनी की हालत ख़राब होने लगी और उसका हाथ अपनी चूचियों पर चला गया और वह उनको दबाने लगी। तभी सरला नीचे को झुकी और अपनी चूचि अपने हाथ में लेकर श्याम के मुँह में डाल दी। वह उसको चूसने लगा और दूसरी चूचि को दबाने लगा। अब सरला आऽऽहहह कर उठी। फिर सरला उसके लौड़े को सहलाने लगी। फिर वह झुकी और उसके लौंडे को चाटी जीभ फिराके, और फिर उसे चूसने लगी। श्याम भी मज़े से उसके मुँह को चोदे जा रहा था। फिर सरला उसके ऊपर आ गयी और अपनी बुर को उसके मुँह पर रखी और अब ६९ की चुसाइ चालू हो गयी।
मालिनी की आँखें वहाँ जैसे चिपक सी गयी थीं। अब वह अपनी नायटी उठाकर पैंटी के अंदर उँगली डालकर अपनी बुर सहलाने लगी। उसकी बुर पूरी गीली हो गयी थी।
अब सरला उठी और उसके लौड़े पर बैठी और उसे अंदर लेकर चुदाई में लग गयी। श्याम उसके लटके हुए आमों को दबा और चूस रहा था। वह भी नीचे से धक्का मार रहा था। मालिनी को उसका लौड़ा मम्मी की बुर में अंदर बाहर होते हुए साफ़ दिख रहा था । फिर सरला उसको कुछ बोली। वह उसको अपने से चिपकाए हुए ही पलट गया और अब ऊपर आकर उसकी मम्मी को ज़बरदस्त तरीक़े से चोदने लगा। सरला अब उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽऽऽहहह और जोओओओओओओओओओर से चोओओओओओओओदो चिल्ला रही थी।
अब सरला के चूतर भी नीचे से ज़ोर ज़ोर से उछल रहे थे। दोनों पसीने पसीने हो चुके थे । फिर वह दोनों चिल्लाकर झड़ने लगे। ऊपर ताई जी इन सबसे बेख़बर सोई हुई थी। फिर दोनों चिपक बातें करने लगे । सरला अब उसके सुकड़े पड़े लौड़े को सहलाने लगी थी और वह भी फिर से चूची चूसने लगा था। मालिनी समझ गयी कि अगले राउंड की तैयरियाँ करने लगे हैं। अब उसकी बुर पूरी तरह गीली हो चुकी थी। वह कमरे में आयी और नायटी उठाकर अपनी बुर में ऊँगली करने लगी। और फिर clit को सहलाकर झड़ने लगी। वह अब शांत हो चुकी थी, पर उसे बड़ी शर्म आइ कि वह अपनी मम्मी और ताऊ की चुदाई देखी। फिर वह सो गयी।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
अगले दिन सुबह रानी आइ , हमेशा की तरह दरवाज़ा राजीव ने खोला और फिर वह किचन में जाकर चाय बनाई। राजीव फ़्रेश होकर बिस्तर पर बैठा था, तभी वह चाय लेकर आयी। राजीव ने उससे चाय ली और बग़ल के टेबल पर रख दी और उसको अपनी गोद में खींच लिया और उसको चूमने लगा। वह भी उससे लिपट गयी और उसको चूमने लगी। अब वह चाय पीते हुए उसकी चूचि दबाकर बोला: डॉक्टर के पास जाती रहती हो ना?
रानी: जी हाँ, बराबर जा रही हूँ । वो बोली कि सब ठीक ठाक है।
राजीव उसकी जाँघ सहलाकर बोला: लड़का होगा देखना?
रानी: जो भी हो मुझे तो बस एक बच्चा चाहिए बस।
राजीव उसकी जाँघ से हाथ ले जाकर उसकी बुर सहलाकर बोला: हाँ जान बच्चा तो निकलेगा ही यहाँ से ।
रानी: आज सुबह सुबह गरम हो रहें हैं, क्या बात है? वह उसके लौड़े को लूँगी के ऊपर से सहला कर बोली।
राजीव: अरे तुम माल ही इतना बढ़िया हो जो लौड़े को खड़ा कर दे। चलो आज सुबह सुबह ही चुदाई कर लेते हैं। बाद में बच्चे उठ जाएँगे फिर मौक़ा नहीं मिलेगा।
रानी हँसती हुई खड़ी हुई तो उसने उसके चूतरों को दबोच लिया और ज़ोर से दबाने लगा। वह भी मस्ती में आकर चुपचाप खड़ी रही और मज़े लेती रही।
फिर दोनों बेडरूम की ओर चल दिए।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
लगभग इसी समय महक की नींद खुली , उसे ज़ोर की पेशाब लगी थी। वह बाथरूम से निपटकर बाहर आइ और फिर उसे प्यास लगी तो वह किचन में जाकर पानी पीकर अपने कमरे में जाने लगी तब अचानक उसे एक औरत के हँसने की आवाज़ आइ । वह रुकी और पलट कर वापस अपने पापा के कमरे की ओर गयी । तभी उसे अंदर से उइइइइइइइ की आवाज़ आयी तो वह हैरान होकर खिड़की से अंदर झाँकी। उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं। अंदर उनकी नौकरानी रानी पूरी नंगी बिस्तर पर घोड़ी बनी हुई थी और उसके पीछे उसके पापा ज़मीन में खड़े होकर उसकी बुर में अपना मोटा और लम्बा लौड़ा डालकर उसे बुरी तरह से चोद रहे थे और उसकी लटकी हुई चूचियाँ मसल रहे थे।
महक की आँखें पापा के लौड़े से, जो कि रानी की बुर के अंदर बाहर हो रहा था, हट ही नहीं पा रही थी। पापा का लंड पूरा गीला सा होकर चमक रहा था। रानी की घुटी हुई चीख़ें गूँज रही थीं। उइइइइइइइ आऽऽऽऽह और जोओओओओओओओर से चोओओओओओओओओदो । मैं गईइइइइइइइइइइ। ।
अब राजीव भी ह्म्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा और जब वह अपना लौड़ा वहाँ से निकाला तो महक की जैसे साँस ही रुक गयी। क्या मस्त लौड़ा था और पूरा काम रस से भीगा हुआ और अभी भी पूरी तरह खड़ा था। मोटे सुपाडे पर अभी भी गीली बूँदें चमक रही थीं। तभी रानी उठी और उसके लौड़े को चाटकर साफ़ करने लगी। जैसे आख़िरी बूँद भी निचोड़ कर पी जाएगी।
महक की बुर पूरी गीली हो चुकी थी और उसका हाथ अपने आप ही अपनी बुर को दबाने लगा। जब रानी ने मुँह हटाया तो उसके पापा का लौड़ा अब मुरझाने लगा था। इस अवस्था में भी बहुत सेक्सी लग रहा था। कितना मोटा और लम्बा सा लटका हुआ और नीचे बड़े बड़े बॉल्ज़ भी बहुत ही कामुक लग रहे थे।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
महक की आँखें अपने पापा के लौड़े से जैसे हटने का नाम ही नहीं ले रही थी। अब अचानक राजीव की नज़र खिड़की पर पड़ी और उसकी आँखें महक की आँखों से टकरा गयीं। महक को तो काटो ख़ून नहीं, वह वहाँ से भागकर अपने कमरे में आ गयी। उसकी छाती ऊपर नीचे हो रही थीं। उसकी बुर में भी जैसे आग लगी हुई थी। उसकी आँख के सामने बार बार पापा का मदमस्त लौड़ा आ रहा था और फिर उसे अपने पापा की आँखें याद आयीं जिन्होंने उसको झाँकते हुए देख लिया था। वह अपनी बुर में ऊँगली करने लगी।
उधर राजीव भी महक को उनकी चुदाई देखते हुए देखकर हड़बड़ा गया। उसे बड़ी शर्म आयी कि महक ने उसे रानी के साथ इस अवस्था में देख लिया। पर उसे एक बात की हैरानी थी कि वह उसके लौड़े को इतनी प्यासी निगाहों से क्यों देख रही थी। आख़िर वो शादी शुदा थी और उसके पति का लौड़ा उसे मज़ा देता ही होगा। वो थोड़ी सी उलझन में पड़ गया था। पता नहीं अपनी बेटी से नज़रें कैसे मिलूँगा, वह सोचा। रानी भी थोड़ी परेशान थी। राजीव ने कहा: रानी मैं सम्भाल लूँगा , तुम परेशान मत हो।
रानी सिर हिलाकर किचन में जाकर अपने काम में लग गयी।क़रीब एक घंटे के बाद राजीव ड्रॉइंग रूम में सोफ़े पर बैठा और चाय माँगा। तभी शिवा बाहर आया और चाय माँगा। दोनो बाप बेटे चाय पी रहे थे। शिवा: पापा , दीदी अभी तक नहीं उठी? मैं उसे उठाता हूँ।
राजीव: ठीक है जाओ उठा दो।
शिवा महक के कमरे में जाकर सोई हुई दीदी को उठाने अंदर पहुँचा। महक अपनी बुर झाड़कर फिर से सो गयी थी। वो करवट में सो रही थी और उसकी बड़ी सी गाँड़ देखकर शिवा के लौड़े में हलचल होने लगी। वह सामने से आकर बोला: दीदी, उठो ना सुबह हो गयी है। महक ने एक क़ातिल अंगड़ाई ली और उसके बड़े बड़े बूब्ज़ जैसे नायटी से बाहर आने को मचल से गए। अब उसके आधे नंगे बूब्ज़ नायटी से बाहर आकर राजीव को पागल कर दिए। उसका लौड़ा पूरा खड़ा हो गया। वह अपने लौड़े को छुपाकर बोला: चलिए अब उठिए, पापा इंतज़ार कर रहे हैं।
महक: आऽऽऽऽह अच्छा आती हूँ। तू चल।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
शिवा अपने लौड़े को छुपाकर जैसे तैसे बाहर आया और सोफ़े में बैठकर चाय पीने लगा। उसे अपने आप पर ग्लानि हो रही थी कि वह अपनी दीदी के बदन को ऐसी नज़र से देखा । तभी महक आयी और रानी उसे भी चाय दे गयी। रानी महक से आँखें नहीं मिला पा रही थी। राजीव ने भी महक को देखा और बोला: (झेंप कर) गुड मॉर्निंग बेटा ।
महक ने ऐसा दिखाया जैसे कुछ हुआ ही नहीं, और बोली: गुड मोर्निंग पापा।
फिर सब चाय पीने लगे और शादी की डिटेल्ज़ डिस्कस करने लगे। फिर शिवा तय्यार होकर दुकान चला गया। रानी भी खाना बना कर चली गयी।
राजीव: बेटी, ज़ेवरों को आज सुनार के यहाँ पोलिश करने देना है। चलो ज़ेवर पसंद कर लो, जो तुम पहनोगी।
महक पापा के साथ उनके कमरे में पहुँची और राजीव ने तिजोरी खोलकर गहने निकाले और महक उनमें से कुछ पसंद की और अपनी मम्मी को याद करके रोने लगी। राजीव ने उसके कंधे पर हाथ रखा और उसे चुप कराने लगा।
महक: पापा इन गहनों को देखकर मम्मी की याद आ गयी। पापा, आपको उनकी याद नहीं आती?
राजीव: ऐसा क्यों बोल रही हो बेटी, उसकी याद तो हमेशा आती है।
महक: इसलिए आज आप रानी के साथ वो सब कर रहे थे?
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राजीव थोड़ा परेशान होकर बोला: बेटी, तुम्हारी मम्मी को याद करता हूँ, मिस भी करता हूँ। पर बेटी, ये शरीर भी तो बहुत कुछ माँगता है , उसका क्या करूँ ?
महक: पर पापा, वो एक नौकरानी है, आपको बीमारी दे सकती है, पता नहीं किस किस के साथ करवाती होगी?
राजीव: नहीं बेटी, रानी बहुत अच्छी लड़की है, वो मेरे सिवाय सिर अपने पति से ही चुद– मतलब करवाती है। इस शरीर की प्यास बुझाने के लिए मैं रँडी के पास तो नहीं गया।
महक: आपको कैसे पता? हो सकता है वो झूठ बोल रही हो।
राजीव: बेटी, अब तुमसे क्या छुपाना? दरअसल उसका पति उसको माँ नहीं बना पा रहा था तो मैंने उसे वादा किया कि मैं उसे एक महीने में ही गारण्टी से मॉ बना दूँगा। इसीलिए वो मेरे साथ करवाने के लिए राज़ी हुई।
महक: ओह, तो क्या वो प्रेगनेंट हो गयी?
राजीव: हाँ बेटी, वादे के अनुसार एक महीने में ही वो प्रेगनेंट हो गयी। वो अब जल्दी ही माँ बनेगी।
महक की आँखों के सामने पापा का बड़ा सा लौड़ा और बड़े बड़े बॉल्ज़ घूम गए। वह सोचने लगी कि इतना मर्दाना हथियार और ऐसे बड़े बॉल्ज़ की चुदाई से बच्चा तो होगा ही।
महक: ओह, पर उसके मर्द को तो शक नहीं होगा ना?
राजीव : उसे कैसे शक होगा क्योंकि वह तो उसको हफ़्ते में एक दो बार चो- मतलब कर ही रहा था ना। वो तो यही सोचेगा ना कि उसकी चुदा- मतलब उसका ही बच्चा है वो।
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महक देख रही थी कि पापा चुदायी और चोदने जैसे शब्द का उपयोग करने की कोशिश कर रहे थे। वह अब उत्तेजित होने लगी थी।
तभी राजीव ने एक अजीब बात बोली: एक बात और रानी के पति का हथियार बहुत छोटा और कमज़ोर है और वह उसे बिस्तर पर संतुष्ट भी नहीं कर पाता।
महक की बुर अब गीली होने लगी थी। बातें अब अश्लीलता की हद पार कर रहीं थीं। वह बोली: ओह । और शर्म से लाल हो गयी। उसकी आँख अब अचानक पापा की लूँगी पर गयी तो वहाँ एक तंबू देखकर वह बहुत हैरान रह गयी। वह समझ गयी कि पापा भी उत्तेजित हो चले हैं। उसे बड़ा अजीब लग रहा था कि बाप बेटी की बातें अब इतनी बेशर्म हो गयीं थीं कि वह दोनों उत्तेजित हो चुके थे।
महक ने बात बदलने का सोचा और बोली: ओह अच्छा चलिए मैं ये ज़ेवर पहनूँगी , इसे ही पोलिश करवा लेती हूँ।
राजीव : ठीक है बेटी। पर तुम मुझसे नाराज़ तो नहीं हो? मेरे और रानी के बारे में जान कर।
महक : पापा आप बड़े हैं और अपना अच्छा बुरा समझ सकते हैं। इसलिए आपको जो सही लगता है वह करो। पर एक बात है मालिनी के इस घर में आने के बाद यह सब कैसे करेंगे रानी के साथ?
राजीव : बेटी सब मैनिज हो जाएगा। तब की तब देखेंगे।
तभी कॉल बेल बजी। महक ने दरवाज़ा खोला । सामने रानी खड़ी थी।
महक: अरे तुम वापस आ गयी? क्या हुआ?
रानी: दीदी मेरा मोबाइल यहीं रह गया है।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
महक: ओह ठीक है ले लो। वह अब सोफ़े पर बैठ गयी।
रानी किचन में जाकर मोबाइल खोजी पर उसे नहीं मिला। उसने महक से कहा: दीदी आप मिस्ड कॉल दो ना । फिर उसने नम्बर बोला।
महक ने कॉल किया और घंटी पापा के कमरे में बजी। रानी थोड़ा सा डरकर राजीव के कमरे में पहुँची।
महक दौड़कर दरवाज़े के पीछे खड़ी होकर उनकी बातें सुनने लगी।
राजीव: अरे रानी क्या हुआ? तुम्हारे फ़ोन की घंटी यहाँ बजी अभी।
रानी: मेरा फ़ोन यहाँ आपके कमरे में ही गिर गया है। फिर वह बिस्तर में खोजी तो उसे तकिए के नीचे मिल गया।
रानी: दीदी ने कुछ कहा क्या आपसे हमारी चुदाई के बारे में? और ये आपका फिर से खड़ा क्यों है? वह लूँगी के तंबू को देखकर बोली।
राजीव अपने लौड़े को मसल कर बोला: वो महक से तुम्हारी चुदाई की बातें कर रहा था तो खड़ा हो गया।
रानी: अपनी बेटी से हमारी चुदाई की बातें कर रहे थे? हे भगवान, कितने कमीने आदमी हो आप?
राजीव: अरे वो भी तो बड़े मज़े से सब पूछ रही थी।
रानी: तो अब क्या हमारी चुदाई बंद?
राजीव: अरे नहीं मेरी जान, उसे कोई इतराज नहीं है। चल अब तू आइ है तो मेरा लौड़ा चूस दे अभी।
रानी हँसती हुई नीचे बैठी और उसकी लूँगी हटाई और उसके मोटे लौड़े पर नाक लगाकर सूंघी और बोली: आऽऽह क्या मस्त गंध है आपकी। फिर वह अपनी जीभ से उसके सुपाडे को चाटने लगी और बोली: म्म्म्म्म्म्म क्या स्वाद है। म्म्म्म्म।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
अब महक से रहा नहीं गया और वह फिर से खिड़की से झाँकने लगी। अंदर का दृश्य देखकर उसकी बुर गीली होने लगी। रानी की जीभ अभी भी उसके सुपाडे पर थी। फिर वह उसके बॉल्ज़ को सूँघने लगी और फिर चाटी। महक को लगा कि वह अभी झड़ जाएगी। फिर रानी ने ज़ोर ज़ोर से उसके लौड़े को चूसना शुरू किया। महक ने देखा कि वह डीप थ्रोट दे रही थी। लगता है पापा ने उसे मस्त ट्रेन कर दिया है। क़रीब दस मिनट की चुसाई के बाद वह उसके मुँह में झड़ने लगा। उसके मुँह के साइड से गाढ़ा सा सफ़ेद रस गिर रहा था। महक की ऊँगली अपने बुर पर चली गयी और वह अपने पापा के लौड़े को एकटक देखती रही जो अब उसके मुँह से बाहर आ कर अभी भी हवा में झूल रहा था।
अब महक अपने कमरे में आकर अपनी नायटी उठायी और तीन ऊँगली डालकर अपनी बुर को रगड़ने लगी और जल्दी ही उओओइइइइइइइ कहकर झड़ गयी।
रानी के जाने के बाद राजीव तय्यार होकर महक से बोला: बेटी, चलो सुनार के यहाँ चलते हैं और एक बार होटेल का चक्कर भी मार लेते हैं। देखें मैनेजर को अभी भी कुछ समझना तो नहीं है।
महक: ठीक है पापा , मैं अभी तययर होकर आती हूँ। महक ने सोचा कि उसके सेक्सी पापा को आज अपना सेक्सी रूप दिखा ही देती हूँ। वह जब तय्यार होकर आयी तो राजीव की आँखें जैसे फटी सी ही रह गयीं। महक ने एक छोटा सा पारदर्शी टॉप पहना था जिसमें से उसकी ब्रा भी नज़र आ रही थी। उसके आधे बूब्ज़ नंगे ही थे। उसके पेट और कमर का हिस्सा बहुत गोरा और चिकना सा नज़र आ रहा था। नीचे उसने एक मिनी स्कर्ट पहनी थी जिसमें से उसकी गदराई हुई गोल गोल चिकनी जाँघें घुटनो से भी काफ़ी ऊपर तक नज़र आ रही थीं।
राजीव: बेटी, आज लगता है अमेरिकन कपड़े पहन ली हो।
महक: जी पापा, सोचा आज कुछ नया पहनूँ। कैसी लग रही हूँ?
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
राजीव को अपना गला सूखता सा महसूस हुआ। वह बोला: बहुत प्यारी लग रही हो।
महक हँसते हुए: सिर्फ़ प्यारी सेक्सी नहीं?
राजीव: अरे हाँ सेक्सी भी लग रही हो। अब चलें।
महक: चलिए । कहकर आगे चलने लगी। पीछे से राजीव उसके उभारों को देखकर अपने खड़े होते लौड़े को ऐडजस्ट करते हुए चल पड़ा।
राजीव कार लेकर गरॉज़ से बाहर लाया और जब महक उसकी बग़ल की सीट में बैठने के लिए अपना एक पैर उठाकर अंदर की तब राजीव को अपनी प्यारी बेटी की गुलाबी क़च्छी नज़र आ गयी। उसकी छोटी सी क़च्छी बस उसकी बुर को ही ढाँक रही थी। अब तो उसका लौड़ा जैसे क़ाबू के बाहर ही होने लगा। उसकी क़च्छी से उसकी बुर की फाँकें भी साफ़ दिखाई दी। अपने लौड़े को दबाके वह कार आगे बढ़ाया। महक भी अपने पापा के पैंट के उभार को देखकर बिलकुल मस्त होकर सोची कि पापा को आख़िर उसने अपने जाल में फँसाने की तय्यारी शुरू कर ही दी। वह सफल भी हो रही थी। वैसे उसकी भी पैंटी थोड़ी गीली हो चली थी, पापा का तंबू देखकर।
सुनार के यहाँ काम ख़त्म करके वो दोनों होटेल में पहुँचे जहाँ शादी की पूरी फ़ंक्शन होने वाली थी। होटेल में सब लोग ख़ूबसूरत औरत को देखे जा रहे थे। राजीव ने ध्यान से देखा कि क्या जवान क्या अधेड़ सभी उसको वासना भरी निगाहों से देखे जा रहे थे। अब वो दोनों रेस्तराँ के एक कोने में बैठे और मैनेजर को बुलाया । अब वो सब फ़ाइनल तय्यारियों के बारे में डिस्कस करने लगे।
राजीव ने देखा कि मैनेजर भी महक की छातियों को घूरे जा रहा था। राजीव को अचानक जलन सी होने लगी। फिर राजीव का हाथ मोबाइल से टकराया और वह नीचे गिर गया। वह झुक कर उसे उठाने लगा तभी उसकी नज़र टेबल के नीचे से महक की फैली हुई जाँघों पर पड़ीं। वहाँ उसे उसकी क़च्छी दिखाई दी जो कि एक तरफ़ खिसक गयी थी और उसकी बुर एक साइड से दिख रही थी। बुर की एक फाँक दिख रही थी। वहाँ थोड़े से काले बाल भी दिखाई दे रहे थे। उसकी इच्छा हुई कि उस सुंदर सी बुर की पप्पी ले ले। पर अपने को संभाल कर वो उठा।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
महक ने शैतानी मुस्कुराहट से पूछा: पापा कुछ दिखा?
राजीव सकपका कर बोला: हाँ मोबाइल मिल गया। वो गिर गया था ना।
महक मुस्कुराई: अच्छा दिख गया ना ? फिर वह उठी और बोली: चलो पापा चलते हैं।
अब वो दोनों घर की ओर चले गए।
महक मन ही मन मुस्कुरा रही थी। राजीव की आँखों के सामने महक की बुर की एक फाँक आ रही थी।
दोनों अपने अपने ख़यालों में गुम से थे।
शादी में अब ३ दिन बचे थे। रिश्तेदार भी आने शुरू हो गए थे। दूर और पास के भाई चचेरा, ममेरा और मौसी और ना जाने कौन कौन आए थे। अब तो किसी को भी फ़ुर्सत नहीं थी। शिवा, महक, रानी और राजीव सभी बहुत व्यस्त हो गए थे ।किसी को चुदाई की याद भी नहीं आ रही थी। शाम तक सभी बहुत थक जाते थे और सो जाते थे। यही हाल सरला , श्याम और मालिनी का भी था। घर मेहमानो से पट गया था।
ख़ैर शादी का दिन भी आ ही गया। सरला अपने परिवार के साथ होटेल में शिफ़्ट हो चुकी थी। वह सब तय्यार होकर दूल्हे और बारात के आने का इंतज़ार करने लगे। मालिनी भी आज बहुत सुंदर लग रही थी,शादी के लाल जोड़े में।
उधर बारात नाचते हुए होटेल के पास आइ और शिवा के दोस्त और रिश्तेदार भी बहुत ज़ोर से नाचने लगे। शिवा फूलों से लदी कार में बैठा था । उसके सामने सभी नाच रहे थे। राजीव सिक्के बरसा रहा था। महक भी भारी साड़ी में मस्ती से नाच रही थी। उसकी चिकनी बग़लें मर्दों को बहुत आकर्षित कर रही थीं। बार बार उसका पल्लू खिसक जाती थी और उसकी भारी छातियाँ देखकर मर्द लौड़े मसल रहे थे। कई लोग नाचने के बहाने उसकी गाँड़ पर हाथ भी फेर चुके थे।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
जब बारात बिलकुल होटेल के सामने पहुँची तो सब ज़ोर से नाचने लगे। अब राजीव भी नाचने लगा क्योंकि महक उसको खींच लायी थी । महक पसीने से भीगी हुई थी। उसकी बग़ल की ख़ुशबू राजीव के नथुनों में घुसी और साथ ही उसके बड़े दूध जो नाचने से हिल रहे थे , उसे मस्त कर गए थे। फिर उसे याद आया कि उसे और भी काम हैं, तो वह आगे बढ़कर दुल्हन के परिवार से मिला। उसने सरला को देखा तो देखता ही रह गया। क्या जँच रही थी वह आज। फिर शादी हो गयी और रात भर चली । सुबह के ५ बजे फेरे ख़त्म हुए। और शिवा रोती हुई दुल्हन लेकर अपने घर आ गया।
कई मेहमान तो उसी दिन चले गए। दिन भर महक ने मालिनी का बहुत ख़याल रखा और मालिनी ने दिन में महक के कमरे में ही आराम किया। शाम तक सभी मेहमान चले गए थे। राजीव और महक ने चैन की साँस ली। शिवा और मालिनी दोपहर में आराम किए थे सो फ़्रेश थे।
महक ने एक फ़ोन लगाया और होटेल से एक आदमी आया और शिवा के कमरे को फूलों और मोमबतीयों से सजाया । सुहाग की सेज तय्यार थी और महक ने ख़ुद उसे सजवाया था अपने भाई और भाभी के लिए। रात को खाना खाकर राजीव ने शिवा को एक हीरे की अँगूठी दी और बोला: बेटा , ये अँगूठी बहू को मुँह दिखाई में दे देना। फिर वह अपने कमरे में चले गया। महक मालिनी को लेकर शिवा के कमरे में ले गयी और मालिनी ये सजावट देखकर बहुत शर्मा गयी । महक: चलो भाभी अब मेरे भाई के साथ सुहाग रात मनाओ। ख़ूब मज़े करो। मैं चलती हूँ, ये दूध रखा है पी लेना दोनों। ठीक है ना?
मालिनी ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली: दीदी रुकिए ना, मुझे डर लग रहा है।
महक: अरे पगली , इसमें काहे का डरना। आज की रात तो मज़े की रात है। आज तुम दोनों एक हो जाओगे। ख़ूब प्यार करो एक दूसरे को। अब जाऊँ?
मालिनी शर्माकर हाँ में सिर हिला दी। अब महक बाहर आइ और शिवा को बोली: जाओ अपनी दुल्हन से मिलो और दोनों एक दूसरे के हो जाओ। बेस्ट ओफ़ लक। मेरी बात याद है कि नहीं?
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
शिवा: जी दीदी याद है। कोशिश करूँगा कि नर्वस ना होऊँ। थोड़ा अजीब तो लग रहा है।
महक ने उसकी पीठ पर एक धौल मारी और बोली: अरे सब बढ़िया होगा, भाई मेरे,अब जाओ। और हँसती हुई अपने कमरे में चली गयी।
शिवा अब अपने कमरे में गया और वहाँ की सजावट देखकर वह भी दंग रह गया। बहुत ही रोमांटिक माहोल बना रखा था दीदी ने । उसने देखा कि मालिनी बिस्तर पर बैठी उसका इंतज़ार कर रही थी। उसने साड़ी के पल्लू से घूँघट सा भी बना रखा था। बिलकुल फ़िल्मी अन्दाज़ में ।
वह बिस्तर पर बैठा और जेब से वो हीरे की अँगूठी निकाली और फिर प्यार से बोला: मालिनी, मेरी जान मुखड़ा तो दिखाओ। ये कहते हुए उसने घूँघट उठा दिया और उसके सामने मालिनी का गोरा चाँद सा मुखड़ा था। वो उसे मंत्रमुग्ध सा देखता रह गया और फिर उसने उसे अँगूठी पहनाई। वह बहुत ख़ुश हुई और थैंक्स बोली।
शिवा: अब तुम बताओ तुम मुझे क्या गिफ़्ट दोगी ?
मालिनी: मैंने आपका घूँघट थोड़े उठाया है जो मैं आपको गिफ़्ट दूँ। यह कहकर वह मुस्कुराई । शिवा भी हँसने लगा।
अब शिवा उसे देखते हुए बोला: मालिनी, वैसे एक गिफ़्ट तो दे ही सकती हो?
मालिनी: वो क्या?
शिवा ने अपने होंठों पर ऊँगली रखी और बोला: एक पप्पी अपने कोमल होठों की।
मालिनी शरारत से मुस्कुराकर बोली: पहली बात कि आपको कैसे पता कि मेरे होंठ कोमल हैं? और फिर क्या सिर्फ़ एक पप्पी लेंगे? वो भी सुहाग रात में?
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
दोनों ज़ोर से हँसने लगे। अब शिवा ने मालिनी को पकड़ा और ख़ुद बिस्तर पर लुढ़क गया और साथ में उसे भी अपने ऊपर लिटा लिया। अब दोनों के होंठ आमने सामने थे।
अब शिवा ने मालिनी के होंठ का एक हल्के से चुम्बन लिया। मालिनी हँसकर बोली: चलो हो गया आज का कोटा और मेरी रिटर्न गिफ़्ट भी आपको मिल गयी। यह कहकर वह पलटी और उसके बग़ल में लेट गयी। अब शिवा ने उसको अपनी बाहों में भरा और उसको अपने से चिपका लिया।
फिर दोनों ने ख़ूब सारी बातें की। स्कूल , कॉलेज , दोस्तों और रिश्तेदारों के बारे में भी एक दूसरे से बहुत कुछ शेयर किया। इस बीच में दोनों एक दूसरे के बदन पर हाथ भी फेर रहे थे। शिवा के हाथ उसकी नरम कलाइयों और पीठ पर थे। मालिनी के हाथ शिवा की बाहों की मछलियों पर और उसकी छाती पर थे।
बातें करते हुए ११ बज गए और मालिनी ने एक उबासी ली। शिवा: नींद आ रही है जानू?
मालिनी: आ रही है तो क्या सोने दोगे?
शिवा: सोना चाहोगी तो ज़रूर सोने दूँगा।
मालिनी: और सुबह सब पूछेंगे कि सुहागरत कैसी रही तो क्या बोलेंगे?
शिवा : कह देंगे मस्त रही और क्या?
मालिनी: याने कि झूठ बोलेंगे?
शिवा: इसमें झूठ क्या है। मुझे तो तुमसे बात करके बहुत मज़ा आया। तुम्हारी तुम जानो।
मालिनी: मुझे भी बहुत अच्छा लगा। फिर वह आँखें मटका कर के बोली: वैसे अभी नींद नहीं आ रही है। आप चाहो तो कल आपको झूठ नहीं बोलना पड़ेगा।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
शिवा हंस पड़ा और उसको अपनी बाहों में भर कर उसके गाल चूम लिया। वह भी अब मज़े के मूड में आ चुकी थी सो उसने भी उसके गाल चूम लिए। अब शिवा उसके गाल, आँखें, और नाक भी चूमा। फिर उसने अपने होंठ उसके होंठ पर रखे और चूमने लगा। जल्दी ही दोनों गरम होने लगे। अब उसने मालिनी की गरदन भी चुमी और नीचे आकर उसके पल्लू को हटाया और ब्लाउस में कसे उसके कबूतरों के बाहर निकले हुए हिस्से को चूमने लगा।
मालिनी भी मस्ती से उसके गरदन को चूम रही थी। अब उसे अपनी जाँघ पर उसका डंडा गड़ रहा था। उसकी बुर गीली होने लगी और ब्रा के अंदर उसके निपल तन कर खड़े हो गए। वह अब उससे ज़ोर से चिपकने लगी। अब शिवा बोला: जानू, ब्लाउस उतार दूँ।
मालिनी हँसकर: अगर नहीं कहूँगी तो नहीं उतारेंगे?
शिवा हँसते हुए उसके ब्लाउस का हुक खोला। और अब ब्रा में कसे हुए दूध उसके सामने थे । वह उनको चूमता चला गया। उधर मालिनी उसकी क़मीज़ के बटन खोल रही थी। अब उसके हाथ उसकी बालों से भारी मर्दानी छाती को सहला रहे थे। शिवा उठा और अपनी क़मीज़ उतार दिया। फिर वह उसकी साड़ी को पेट के पास से ढीला किया और मालिनी ने अपनी कमर उठाकर उसको साड़ी निकालने में मदद की। अब वह सिर्फ़ पेटिकोट और ब्रा में थी। उसका दूधिया गोरा जवान बदन हल्की रौशनी में चमक रहा था। अब शिवा उसके पेट को चूमने हुए उसकी कमर तक आया और फिर उसने उसके पेटिकोट का भी नाड़ा खोल दिया।
अब फिर से मालिनी ने अपनी कमर उठाई और पेटिकोट भी उतर गया। अब मालिनी की गोरी गदराई हुई मस्त गोल भरी हुई जाँघें उसकी आँखों के सामने थे। उफ़ क्या चिकनी जाँघें थीं। उनके बीच में पतली सी गुलाबी पैंटी जैसे ग़ज़ब ढा रही थी। पैंटी में से उसकी फूली हुई बुर बहुत मस्त नज़र आ रही थी। अब शिवा बिस्तर से उठकर नीचे आया और अपनी पैंट भी उतार दिया। चड्डी में उसका फूला हुआ लौड़ा बहुत ही बड़ा और एक तरफ़ को डंडे की तरह अकड़ा हुआ दिख रहा था। मालिनी अब उसे देखकर डर भी गयी थी और उत्तेजित भी हो रही थी।
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शिवा अब फिर से उसके ऊपर आया और उसके होंठ चूमने लगा। तभी उसे याद आया कि अशोक कैसे पिंकी के मुँह में अपनी जीभ डाल रहा था। उसने भी अपनी जीभ मालिनी के मुँह में डाली और मालिनी को भी अपनी मम्मी की याद आयी कि कैसे वो ताऊजी की जीभ चूस रही थीं। वह भी वैसे ही शिवा की जीभ चूसने लगी। अब शिवा ने अपना मुँह खोला। मालिनी समझ गई कि वह उसकी जीभ माँग रहा है। उसने थोड़ा सा झिझकते हुए अपनी जीभ उसके मुँह में दे दी और शिवा उसकी जीभ चूसने लगा। उफफफफ क्या फ़ीलिंग़स थी। मालिनी पूरी गीली हो चुकी थी।
अब शिवा ने उसकी ब्रा खोलने की कोशिश की, पर खोल नहीं पाया। वह बोला: ये कैसे खुलता है? मुझसे तो खुल ही नहीं रहा है।
मालिनी मुस्कुराती हुई बोली: सीख जाएँगे आप जल्दी ही। चलिए मैं खोल देती हूँ। फिर वह अपना हाथ पीछे लेज़ाकर ब्रा खोली और लेट गयी। अभी भी ब्रा उसकी छातियों पर ही थीं। शिवा बे ब्रा हटाया और उसकी चूचियों की सुंदरता देखकर जैसे मुग्ध सा रह गया। आऽऽऽहहह क्या चूचियाँ थीं। बिलकुल बड़े अनारों की तरह सख़्त और नरम भी। निपल्ज़ एकदम तने हुए। एकदम गोरे बड़े बड़े तने हुए दूध उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़।
शिवा उनको पंजों में दबाकर बोला: उफफफफ जानू क्या मस्त चूचियाँ हैं। आऽऽऽह क्या बड़ी बड़ी हैं।
मालिनी हँसकर बोली: आऽऽऽह बस आपके लिए ही इतने दिन सम्भाल के रखे हैं और इतने बड़े किए हैं।
शिवा मुस्कुराकर: थैंक्स जानू, आह क्या मस्त चूचियाँ हैं। मज़ा आ रहा है दबाने में। अब चूसने का मन कर रहा है।
मालिनी: आऽऽऽह चूसिए ना , आपका माल है, जो करना है करिए। हाऽऽय्यय मस्त लग रहा है जी।
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अब शिवा एक चूची दबा रहा था और एक मुँह में लेकर चूस रहा था। मालिनी अब खुलकर आऽऽह चिल्ला रही थी।
शिवा भी मस्ती से बारी बारी से चूचि चूसे जा रहा था। अब वो अपना लौड़ा चड्डी के ऊपर से उसकी जाँघ से रगड़ रहा था। मालिनी के हाथ उसकी पीठ पर थे। अब शिवा उसके पेट को चूमते हुए उसकी गहरी नाभि में जीभ घुमाने लगा। फिर नीचे जाकर उसकी पैंटी को धीरे से नीचे खिसकाने लगा। मालिनी की चिकनी फूली हुई बुर उसके सामने थी और अब मालिनी ने भी अपनी कमर उठाकर शिवा को पैंटी निकालने में सहायता की। शिवा बुर को पास से देखते हुए वहाँ हथेली रखकर सहलाने लगा। बुर पनियायी हुई थी। यह उसकी ज़िन्दगी की पहली बुर थी जिसे वो सहला रहा था।
शिवा ने उसकी फाँकों को अलग किया और अंदर की गुलाबी बुर देखकर मस्त हो गया और बोला : आऽऽह क्या मस्त बुर है जानू तुम्हारी। फिर वह झुककर एक पप्पी ले लिया उसके बुर की। मालिनी सिहर उठी।वह नीचे झुक कर शिवा को देखी जो उसकी बुर को चूम रहा था। अब शिवा ने उसकी बुर में ऊँगली डाली और मालिनी का पूरा बदन सिहर उठा। वह उइइइइइइ कर उठी। अब शिवा उठा और अपनी चड्डी भी उतारकर अपना लौड़ा सहलाया। मालिनी की आँखें उसको देखकर फट सी गयीं थीं।
बाप रे कितना मोटा और लम्बा है -वो सोची। अब शिवा ने उसका हाथ पकड़ा और अपना लौड़ा उसके हाथ में दे दिया। मालिनी चुपचाप उसको पकड़कर सहलाने लगी। उफफफ कितना गरम और कड़ा था वो- उसने सोचा। मालिनी ने अपनी ज़िन्दगी में पहली बार लौड़ा पकड़ा था। उसे बहुत अच्छा लगा। शिवा भी अब उसे लिटा कर उसकी जाँघें फैलाकर उनके बीच में आकर बैठा और अपना लौड़ा उसकी बुर में दबाने लगा। वह उइइइइइइ माँआऽऽऽ कह उठी। वह लौड़े को हाथ में लेकर उसकी बुर के ऊपर रगड़ने लगा। वह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कर उठी। अब शिवा ने उसकी फाँकों को फैलाया और उसने अपना मोटा सुपाड़ा फंसा दिया और अब हल्के से एक धक्का मारा। लौड़ा उसकी बुर की झिल्ली फाड़ता हुआ अंदर धँस गया।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
मालिनी चीख़ उठी: हाय्य्य्य्य मरीइइइइइइइ।
शिवा ने फिर से धक्का मारा और अबके आधे से भी ज़्यादा लौड़ा अंदर चला गया। अब मालिनी चिल्लाई: हाऽऽऽऽऽय निकाआऽऽऽऽऽऽलो प्लीज़ निकाऽऽऽऽऽऽलो।
शिवा उसके ऊपर आकर उसके होंठ चूसने लगा और उसकी चूचियाँ भी दबाने लगा। अभी वो रुका हुआ था और उसका थोड़ा सा ही लौड़ा बाहर था बाक़ी अंदर जा चुका था। जब मालिनी थोड़ा शांत हुई और मज़े में आने लगी। तब शिवा ने आख़री धक्के से अपना पूरा लौड़ा पेल दिया। मालिनी फिर से चिहूंक उठी: उइइइइइइइइ आऽऽहहह।
शिवा अब हल्के हल्के धक्के मारने लगा जैसा उसने अशोक को करते हुए देखा था पिंकी के साथ। जल्दी ही मालिनी भी मस्ती में आ गयी और उन्न्न्न्न्न्न्न उन्न्न्न्न करके अपनी ख़ुशी का इजहार करने लगी। शिवा अभी भी उसके निपल और दूध को प्यार किए जा रहा था।
अब मालिनी भी अपनी टाँगे उठाकर शिवा के चूतरों के ऊपर रख दी और पूरे मज़े से चुदाई का आनंद लेने लगी। क़रीब आधे घंटे की चुदाई के बाद मालिनी चिल्लाई: उइइइइइइइ मैं तोओओओओओओओओ गयीइइइइइइइइइ। अब शिवा भी ह्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा। दोनों अब भी एक दूसरे से चिपके हुए थे। शिवा अभी भी मालिनी को चूमे जा रहा था। वह भी उसके चुम्बन का बराबरी से जवाब दे रही थी। फिर मालिनी उठी और अपनी बुर को ध्यान से देखकर बोली: देखिए फाड़ ही दी आपने मेरी।
शिवा उठकर उसकी बुर का मुआयना किया और बोला: मेरी जान, थोड़ा सा ही ख़ून निकला है। अभी ठीक हो जाएगा। चलो बाथरूम में ,में साफ़ कर देता हूँ।
मालिनी: वाह पहले फाड़ेंगे, फिर इलाज करेंगे। मैं ख़ुद साफ़ कर लूँगी। यह कह कर वो बाथरूम गयी और सफ़ाई करके वापस आ गयी। फिर शिवा भी फ़्रेश होकर आया और मालिनी ने उसके लटके हुए लौड़े को पकड़कर कहा: बाप रे कितना बड़ा है। पूरी फाड़ दी इसने तो मेरी।
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शिवा: बेचारे ने तुम्हारी इतनी सेवा की और तुम इसे प्यार ही नहीं कर रही हो।
मालिनी को याद आया कि उसकी मम्मी कैसे ताऊजी का लौड़ा चूस रही थीं। वो शिवा के लौड़े को देखी और झुककर उसकी एक पप्पी ले ली। फिर उसने उसके सुपाडे को भी चूम लिया। शिवा का पूरा बदन जैसे सिहर उठा। आह क्या मस्त लगा था। उसे दीदी की कही हुई बात याद आ गयी कि ओरल सेक्स तो लड़का और लड़की की मर्ज़ी पर निर्भर करता है। यहाँ तो लगता है कि इसमें कोई दिक़्क़त नहीं होगी। थोड़ी देर आराम करने के बाद वो दोनों एक दूसरे से नंगे ही चिपके रहे। मालिनी ने शर्म के मारे चद्दर ढाक ली थी। शिवा के हाथ अब उसके चूतरों पर फिर रहे थे।
वह बोला: आह कितने मस्त चिकने चूतर हैं तुम्हारे? दबाने में बहुत मज़ा आ रहा है।
मालिनी: आप उनको दबा रहे हो या आटा गूंद रहे हो? वो हँसने लगी।
शिवा: आह कितने बड़े हैं और मस्त चिकने हैं। उसकी उँगलियाँ अब चूतरों के दरार में जाने लगीं। अब शिवा उसकी गाँड़ और बुर के छेद को सहलाए जा रहा था। वह भी आऽऽहहह कहे जा रही थी । अब वह भी उसका लौड़ा सहलाने लगी। उसका लौड़ा उसके हाथ में बड़ा ही हुए जा रहा था। अब वह अपने अंगूठे से उसके चिकने सुपाडे को सहला कर मस्ती से भर उठी। शिवा का मुँह अब उसकी चूचियों को चूसने में व्यस्त थे। शीघ्र ही वह फिर से उसके ऊपर आकर उसके बुर में अपना लौड़ा डालकर उसकी चुदाई करने लगा। अब मालिनी की भी शर्म थोड़ी सी कम हो गयी थी। वह भी अब मज़े से उउउउउम्मम उम्म्म्म्म्म करके चुदवाने लगी।
शिवा: जानू, फ़िल्मों में लड़कियाँ अपनी कमर उठाकर चुदवाती है। तुम भी नीचे से उठाकर धक्का मारो ना।
मालिनी मस्त होकर अपनी गाँड़ उचकाइ और बोली: ऐसे?
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शिवा: हाँ जानू ऐसे ही। लगातार उछालो ना।
मालिनी ने अब अपनी कमर उछाल कर चुदवाना शुरू किया। शिवा: मज़ा आ रहा है जानू?
मालिनी: हाँ जी बहुत मज़ा आ रहा है। और ज़ोर से करिए।
शिवा: क्या करूँ? बोलो ना?
मालिनी हँसकर: वही जो कर रहे हो।
शिवा: बोलो ना ज़ोर से चोदो।
मालिनी: मुझसे गंदी बात क्यों बुलवा रहे हैं आप?
शिवा: इसमें गंदा क्या है? चुदाई को चुदाई ही तो कहेंगे ना?
मालिनी: ठीक है आप चाहते हो तो यही सही। अब वह अपनी गाँड़ और ज़ोर से उछालके चुदवाने लगी और बड़बड़ाने लगी: आऽऽऽऽऽहहह और ज़ोर से चोदिए ।हाय्य्य्य्य्य कितना अच्छा लग रहा है उइओइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ । अब वह ज़ोर ज़ोर से बड़बड़ाने लगी: उम्म्म्म्म्म्म मैं गईइइइइइइइ। अब शिवा भी ह्न्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा।
जब दोनों फ़्रेश होकर लेटे थे तब शिवा बोला: जानू तुम्हें प्रेगनैन्सी का तो डर नहीं है? वरना पिल्ज़ वगेरह लेना पड़ेगा।
मालिनी: मुझे बच्चे बहुत पसंद हैं , भगवान अगर देंगे तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी। आपका क्या ख़याल है?
शिवा: जानू जो तुमको पसंद है वो मुझे भी पसंद है। फिर वह उसे चूम लिया।
मालिनी: अब मैं कपड़े पहन लूँ? नींद आ रही है।
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शिवा: एक राउंड और नहीं करोगी?
मालिनी: जी नीचे बहुत दुःख रहा है। आज अब रहने दीजिए।
शिवा: मैं दवाई लगा दूँ वहाँ नीचे। वैसे उस जगह को बुर बोलते हैं। और इसे लौड़ा कहते हैं। उसने अपना लौड़ा दिखाकर कहा।
मालिनी: आपका ये बहुत बड़ा है ना, इसीलिए इतना दुखा है मुझे। चलिए अभी सो जाते हैं।
दिर दोनों ने कपड़े पहने और एक दूसरे को किस करके सो गए।
अगले दिन सुबह महक उठी और रानी के लिए दरवाज़ा खोली। रानी महक के लिए चाय बनाकर लाई और महक चाय पीने लगी। फिर रानी चाय लेकर राजीव के कमरे में गयी। पता नहीं महक को क्या सूझा कि वह खिड़की के पास आकर परदे के पीछे से झाँकने लगी। उसने देखा कि रानी राजीव को उठा रही थी। राजीव करवट लेकर सोया हुआ था। तभी वह सीधा लेटा पीठ के बल और उसका मोर्निंग इरेक्शन रानी और महक के सामने था। उसकी लूँगी का टेण्ट साफ़ दिखाई दे रहा था। अब रानी हँसी और उसके टेण्ट को मूठ्ठी में पकड़ ली और बोली: सपने में किसे चोद रहे थे? जो इतना बड़ा हो गया है यह ?
राजीव: अरे तुम्हारे सिवाय और किसकी बुर का सोचूँगा। तुम्हें सपने में चोद रहा था।
रानी: चलो झूठ मत बोलो। आपको तो सपने में सरला दिखी होंगी और क्या पता महक दीदी को ही चोद रहे होगे।
महक सरला का नाम सुन कर चौकी और फिर अपना नाम सुनकर तो उछल ही पड़ी। उसने नोटिस किया कि पापा ने रानी को उसका नाम लेने पर ग़ुस्सा नहीं किया। तो क्या रानी और पापा अक्सर उसके बारे में ऐसी बातें करते रहते हैं? और क्या पाप सरला आंटी को भी कर चुके हैं? और क्या पापा उसको अपनी सगी बेटी को भी चोदना चाहते हैं? हे भगवान ! वो तो पापा से थोड़ा सा फ़्लर्ट की थी और पापा उसे चोदने का प्लान बना रहे हैं?
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तभी उसकी नज़र रानी पर पड़ी। वह अब लूँगी उठाकर उसके लौड़े को नंगा कर दी थी और उसे मूठिया रही थी और फिर अपना सिर झुकाकर उसे चूसने लगी। राजीव बैठे हुए चाय पी रहा था और वह उसके लौड़े को बड़े प्यार से चूस रही थी। महक सोची- उफफफफ क्या पापा भी , सुबह सुबह नौकरानी से लौड़ा चूसवा रहे है । और हे भगवान! कितना मोटा और बड़ा लौड़ा है! उसी समय राजीव ने उसको हटाया और बोला: अभी नहीं बाद में चूस लेना। चलो मैं बाथरूम से फ़्रेश होकर आता हूँ।
रानी ने थोड़ी अनिच्छा से लौड़े को मुँह से निकाला और चाय का ख़ाली कप लेकर किचन में चली गयी। महक उसके आने के पहले ही वहाँ से हट गयी। महक को अपनी गीली बुर में खुजली सी महसूस हुई। वैसे भी उसे अपने पति से अलग हुए बहुत दिन हो गए थे और घर के वातावरण में चुदाई का महोल था ही। शिवा भी अपनी बीवी को चोद चुका होगा रात में।
तभी राजीव ड्रॉइंग रूम में आया और महक को नायटी में देखकर प्यार से गुड मोर्निंग बोला: बेटी, नींद आयी? मुझे तो बड़ी अच्छी आइ।
महक़ : जी पापा आइ । अच्छी तरह से सो ली।
राजीव मुस्कुरा कर: शिवा और बहु नहीं उठे अभी?
महक: अभी कहाँ उठे है । और वो हँसने लगी।
राजीव: हाँ भाई सुहागरत के बाद थक गए होंगे। वह भी हँसने लगा।
तभी राजीव का फ़ोन बजा। राजीव: हेलो , अरे कर्नल तुम? कहाँ हो भाई, कल शादी में भी नहीं आए? मैं तुमसे नाराज़ हूँ। कैसे दोस्त हो?
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कर्नल: अरे यार KLPD हो गई। हम शादी के लिए ही निकले थे,पर हम नहीं पहुँच पाए। अभी होटेल में चेक इन किए हैं। और अभी सोएँगे। बहुत परेशान हुए हैं। आठ घंटे का सफ़र २४ घंटे में बदल गया क्योंकि नैनीताल के पास पहाड़ियों में रोड पर पहाड़ टूट कर गिर गए थे।
राजीव: ओह, ये तो बहुत बुरा हुआ यार। तुम अकेले हो या बहु भी है?
कर्नल: मैं अमिता के बिना कहीं नहीं जाता। वो भी है साथ में।
राजीव: तो चलो आराम करो। दोपहर को आना और साथ में खाना खाएँगे, और नवविवाहितों को आशीर्वाद दे देना। क्योंकि वो दोनो रात को ही गोवा जा रहे हैं।
कर्नल: हाँ यार ज़रूर आऊँगा। चल बाई।
महक: पापा ये आपके वही बचपन के दोस्त हैं जो आरमी से रेटायअर हुए हैं।
कर्नल: हाँ बेटी, वही है और जिसने अपना जवान बेटा एक ऐक्सिडेंट में खोया है। अब उसकी बहु ही उसका ध्यान रखती है।
महक: वो आपके दोस्त हैं तो यहाँ क्यूँ नहीं आए?
राजीव: बेटा, वो अपने हिसाब से रहता है। वो आया शादी में मेरे लिए यही बड़ी बात है।
तभी शिवा बाहर आया और अपने पापा से गले मिला और आशीर्वाद लिया और महक से भी गले मिला। तभी मालिनी भी बाहर आइ । उसने साड़ी पहनी थी। वह आकर अपने ससुर और अपनी ननद के पर छुए और उनसे आशीर्वाद लिया। फिर मालिनी किचन में चली गयी।
महक: अरे मालिनी, किचन में क्यों जा रही हो?
मालिनी: दीदी आज नाश्ता मैं बनाऊँगी। वो भी अपनी मर्ज़ी से , देखती हूँ आपको पसंद आता है या नहीं?
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क़रीब एक घंटे के बाद रानी ने नाश्ते की टेबल सजायी और मालिनी ने उन सबको छोले पूरी और दही और हलवा खिलाया। सब उँगलियाँ चाटते रह गए।
राजीव ने खाने के बाद उसको एक सुंदर सा हार दिया और बोला: बेटी, बहुत स्वाद खाना बनाया तुमने। ये रखो। एक बात और बेटी, मेरा दोस्त और उसकी बहु खाने पर आएँगे आज। तुम और रानी कुछ अच्छा सा बना लेना।
मालिनी: जी पापा जी , हो जाएगा।
महक ने भी उसे एक अँगूठी दी और उसके खाने की बहुत तारीफ़ की।
जब महक और शिवा अकेले बैठे थे तो महक बोली: फिर सब ठीक से हो गया ना? मिस्टर नर्वस मैन ।
शिवा: दीदी आपकी ट्रेनिंग काम आइ और सब बढ़िया से हो गया।
महक: उसको बहुत तंग तो नहीं किया?
शिवा शर्माकर: नहीं दीदी, आप भी ना, मैं ऐसा हूँ क्या?
महक: अरे मैं तो तुझे छेड़ रही थी।
फिर सब अपने कमरे में आराम किए। मालिनी ने रानी को सब्ज़ी वगेरह काटने को बोला। शिवा और वो गोवा जाने की पैकिंग भी करने लगे।
दोपहर को १ बजे कर्नल और उसकी बहु आए जिनको राजीव अंदर लाया। कर्नल की बहु अमिता बहुत सुंदर और सेक्सी लग रही थी। उसने टॉप और स्कर्ट पहना था और कर्नल टी शर्ट और जींस में था। कर्नल आगे था उसके पीछे अमिता उसकी बहु और पीछे राजीव चलकर ड्रॉइंग रूम में आए। राजीव तो उसकी पतली कमर और उठी हुई गाँड़ देखकर ही मस्त होने लगा था
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
उनको मिलने महक भी बाहर आयी। वह अभी जींस और टॉप में थी। कर्नल उससे गले मिला और बोला: अरे तुम तो बहुत बड़ी हो गयी हो बेटी। तुम्हारी शादी के बाद पहली बार देखा है तुमको। वह उसकी छातियों को घूरते हुए बोला। जब महक अमिता से गले मिल रही थी तो कर्नल की आँखें महक की मस्त गोल गोल जींस में फँसी हुई गाँड़ पर ही थीं। फिर वह चारों बातें करने लगे।
तभी शिवा और मालिनी भी आए और दोनों ने कर्नल के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। कर्नल ने अमिता से एक लिफ़ाफ़ा लिया और उनको उपहार दिया। मालिनी ने सलवार कुर्ता पहना था और उसका बदन पूरा ढका हुआ था अमिता की जाँघें नंगी थी और राजीव की आँखें बार बार वहीं पर जा रहीं थीं। सब खाना खाने बैठे और सबने मालिनी के बनाए भोजन की तारीफ़ की।
फिर अमिता महक के कमरे में चली गयी और राजीव कर्नल को अपने कमरे में ले गया और शिवा और मालिनी अपने कमरे में चले गए। नयी नयी शादी थी तो वह जल्दी ही चूम्मा चाटी करके चुदाई में लग गए। चुदाई उसी तरह से हुई जैसे रात को हुई थी।
महक और अमिता अपनी अपनी शादी की बातें कर रहीं थी। अमिता ने अपने पति के ऐक्सिडेंट का क़िस्सा भी सुनाया।
उधर कर्नल और राजीव भी बातें कर रहे थे।
राजीव: यार तेरे साथ बहुत बुरा हुआ जो जवान लड़का चल बसा। मैंने सोचा था कि अमिता विधवा होकर अपने मॉ बाप के पास चली जाएगी। पर उसने तेरे पास ही रहना पसंद किया। ये बहुत बड़ी बात है।
कर्नल: असल में बेटे की मौत के ग़म ने मुझे बिलकुल तोड़ दिया था। अमिता भी भारी सदमे में थी। तो हम दोनों एक दूसरे का सहारा बने। बाद में जब उसके माँ और बाप ने उसे अपने साथ चलने को कहा तो इसने मना कर दिया। जानते हो क्यों?
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
राजीव: क्यों मना कर दिया?
कर्नल: वो इसलिए, कि उसके पापा की आर्थिक स्तिथि अच्छी नहीं थी। अमिता को रईसी से जीने की आदत पड़ गयी थी। अच्छा खाना, महँगे कपड़े , पार्टी ,घूमना फिरना और बड़ी कारों का शौक़ था, जोकि उसके मायक़े में था ही नहीं।
राजीव: ओह ये बात है। तो क्या तुम उसकी शादी करने की सोच रहे हो?
कर्नल कुटीलता से मुस्कुराया: देखो यार, जब तक मेरा बेटा ज़िंदा था तबतक वो उसकी बीवी थी। अब उसकी मौत के बाद मैंने देखा किपार्टी में लोग उसको खा जाने की कोशिश करते है। और फिर एक दिन मैंने उसको अपनी बुर में मोमबत्ती डालकर हिलाते देखा।बस तभी मैंने उसको समझाया कि घर के बाहर चुदवा कर मेरी बदनामी करवाने से अच्छा है कि वो मेरी ही बीवी की तरह रहे। मेरी बीवी को मरे तो एक अरसा हो गया था। उसकी प्यास भी बुझ जाएगी और मेरा रँडीयों पर होने वाला ख़र्च भी बच जाएगा। उसको समझ में आ गया कि अगर अमीरी की ज़िंदगी जीनी है तो उसे मेरी बीवी बनकर रहना ही होगा। वो मान गयी, और अब हम पति पत्नी की तरह रहते हैं। और सिर्फ़ दुनिया के सामने वो मुझे पापा कहती है। ये है हमारी कहानी।
राजीव: ओह, मतलब तुम उस हसीन कमसिंन लौंडिया से पूरे मज़े कर रहे हो। यार बड़े क़िस्मत वाले हो।
कर्नल: अरे यार क्या तुम्हारा भी मन है उसे चोदने का? ऐसा है तो बोलो, वो भी हो जाएगा। तुमको समीर याद है?
राजीव: हाँ वो जो अहमदाबाद ने बड़ा व्यापारी है अपना दोस्त था।
कर्नल: वह ३ महीने पहिले नैनिताल आया था हमारे यहाँ। वह भी इस पर लट्टू हो गया। मैंने अमिता को समझाया कि जवानी चार दिन की है, मज़े करो। वो मान गयी और हम लोग पूरे हफ़्ते सामूहिक चुदाई का मज़ा लिए।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
राजीव का मुँह खुला रह गया: ओह, तो तुमने और समीर ने मिलकर उसे चोदा, wow।
कर्नल: अरे इसके बाद मेरा एक मिलिटेरी का दोस्त अपने बेटे और बहू को मेरे घर भेजा था छुट्टियाँ मनाने। उन दिनो बहुत बर्फ़ पड़ रही थी। बाहर जा ही नहीं पा रहे थे। मुझे वह चिकना लड़का और उसकी बहू बहुत पसंद आ गए थे। वो लड़का भी बाईसेक्शूअल था मेरे जैसा। मैंने पहले चिकने को पटाया और उसकी ले ली। फिर उसको अपनी बीवी देने के लिए पटाया और तुम विश्वास नहीं करोगे अगले दिन ही हम चारों बिस्तर पर नंगे होकर चुदाई कर रहे थे। उस लड़के ने भी अमिता को चोदा।
राजीव: यार, तुम तो उसको रँडी बना दिए हो। यह कहते हुए वह अपना खड़ा लौड़ा मसलने लगा।
कर्नल: लगता है तुझे भी इसकी बुर चोदने की बहुत हवस हो रही है? वैसे उसकी बुर और गाँड़ दोनों मस्त है। देखोगे?
राजीव: दिखाओ ना फ़ोटो है क्या?
कर्नल: हा हा फ़ोटो क्या देखना है, जब वो ही यहाँ है अपना ख़ज़ाना दिखाने के लिए। पर उसके पहले एक बात बोलूँ, बुरा तो नहीं मानोगे?
राजीव: बोलो ना यार , तुम्हारी बात का क्या बुरा मानूँगा।
कर्नल: मेरा महक पर दिल आ गया है। तुमने उसे चोदा है क्या?
राजीव : अरे नहीं , वो मेरी बेटी है । मैं ऐसा कुछ नहीं किया।
महक भी हैरान रह गयी कि वो दोनों उसकी बात कर रहे हैं। वह कर्नल की सोच पर हैरान रह गयी।
कर्नल: क्या मस्त माल है यार तुम्हारी बेटी, एक बार बस मिल जाए तो। ये कहते हुए वह अपना लौड़ा मसलने लगा।
राजीव ना हाँ कर पाया और ना ही ना।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
कर्नल बोलता चला गया: यार, अगर तुमको ऐतराज़ ना हो तो आज रात ही महक को भी बिस्तर पर खींच लाएँगे। फिर चारों मज़े से सामूहिक चुदाई करेंगे। क्या कहते हो?
राजीव: मुझे समझ नहीं आ रहा है कुछ भी। वो अमिता की बुर और गाँड़ की फ़ोटो दिखाओ ना।
कर्नल: कहा ना फ़ोटो क्या दिखाना है, अभी उसे बुलाता हूँ और जो देखना होगा सब देख लेना साली का।
यह कहकर उसने बाहर आकर अमिता को आवाज़ दी। राजीव ने देखा कि कर्नल की पैंट में भी तंबू बना हुआ है।
अमिता महक से बोली: मैं अभी आइ, पापा बुला रहे हैं।
वह उठकर राजीव के कमरे में आइ और दरवाज़े के पीछे खड़े कर्नल ने दरवाज़ा बंद कर दिया। अब कर्नल आकर राजीव के साथ बिस्तर पर बैठ गया। अमिता सामने खड़ी हो गयी थी।
उधर महक सोची कि ऐसी क्या बात है जिसके लिए अमिता को बुलाया है। वो जाकर खिड़की से परदा हटाकर झाँकी और उसका मुँह खुला रह गया।
अंदर कर्नल अमिता के गाल सहलाकर बोला: अमिता, राजीव का तुम पर दिल आ गया है। वो तुम्हारी बुर और गाँड़ देखना चाहता है। दिखा दो ज़रा। अपनी पैंटी नीचे करो।
अमिता शर्मा कर बोली: क्या पापा छी मुझे शर्म आ रही है।
कर्नल: अरे मेरी रँडी बेटी, जैसा कह रहा हूँ करो, पैंटी नीचे करो।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
अमिता ने चुपचाप पैंटी घुटनो तक नीचे कर दी। अब कर्नल ने उसकी स्कर्ट ऊपर कर दी और महक के आँखों के सामने उसके मोटे गोल चूतर थे। राजीव की आँखें उसकी बुर पर टिकी थी।
कर्नल: बोलो मस्त फूलि हुई है ना इसकी बुर ?
राजीव: हाँ यार बहुत सुंदर है। फिर वह हाथ बढ़ाकर उसकी बुर को सहलाने लगा। अनिता हाऽऽऽय्य कर उठी।
राजीव: सच में यार मस्त चिकनी बुर है चोदने में बहुत मज़ा आएगा। फिर वह उसको सहलाया और दो ऊँगली अंदर डालकर बोला: आह मस्त टाइट बुर है। अब वो उँगलियाँ निकाल कर चाटने लगा।
कर्नल: चल साली रँडी अब पलट कर अपनी गाँड़ दिखा।
अमिता चुपचाप पलट गयी। अब महक के सामने उसकी नंगी बुर थी। उधर राजीव उसके मस्त गोल गोल चूतरों को सहला रहा था। तभी कर्नल बोला: अमिता अपनी गाँड़ दिखाओ अंकल को , वो बहुत मस्ती से तुम्हारी गाँड़ मार कर तुमको मज़ा देंगे।
यह सुनकर अमिता ने अपने दोनो चूतरों को फ़ैलाया और राजीव उसकी गाँड़ के खुले छेद को देखकर समझ गया कि वह अक्सर गाँड़ मरवाती है। अब राजीव ने उसकी गाँड़ सहलायी और उसमें एक ऊँगली डाला और अंदर बाहर किया। तभी कर्नल ने उसकी बुर को दबाना शुरू किया। अब अमिता आऽऽऽऽहहह करने लगी। फिर बोली: अभी छोड़िए ना, महक, शिवा और मालिनी घर में हैं। बाद में रात को कर लीजिएगा।
अब दोनों ने उसे छोड़ दिया पर कर्नल बोला: बस एक बार आगे झुक कर अपनी बुर और गाँड़ की छवि तो दिखा दो अंकल को।
वह मुस्कुरा कर आगे झुकी और दोनों अधेड़ मर्द उसकी नंगी जवानी जा हुस्न देखकर मस्ती से अपने लौड़े मसलने लगे। फिर वह उठकर अपनी पैंटी ऊपर की और स्कर्ट नीचे करके कमरे से बाहर आने के पहले अपना हाथ बढ़ाकर एक एक हाथ में दोनों के लौड़ों को पैंट के ऊपर से दबा दी और बोली: रात को मज़ा करेंगे।
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महक भी भागकर अपने कमरे में आयी और बाथरूम में घुस गयी। पिशाब करके उसने अपनी वासना को क़ाबू में किया और वापस कमरे में आयी तो अनिता वहाँ बैठकर टी वी देख रही थी जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो। महक के दिमाग़ में एक बात ही चल रही थी कि उसके पापा ने कर्नल की महक के बारे में की गई गंदी बातों का कोई जवाब नहीं दिया और ना ही उसे ऐसी बात करने से टोका। इसका मतलब वो भी यही चाहते हैं कि मैं उनके दोस्त से चुदवाऊँ!! हे भगवान , ये सब क्या हो रहा है? वो आज तक अपने पति के अलावा किसी और से नहीं चुदी थी। यहाँ उसके पापा के दोस्त और क्या पता पापा भी उसको चोदने के चक्कर में है।
महक का सिर घूमने लगा कि ये उसकी ज़िंदगी में कैसा मोड आने वाला है। क्या वो इसके लिए तय्यार है ? पता नहीं आज की रात कैसे बीतेगी और उसकी ज़िंदगी में कैसा तूफ़ान आएगा?
शाम के नाश्ते के बाद शिवा और मालिनी एयरपोर्ट के लिए चले गए। राजीव ने रानी को छुट्टी दे दी और डिनर बाहर एक रेस्तराँ में करने का प्लान बनाया। सब तय्यार होकर एक रेस्तराँ के लिए निकले। महक भी अब अमिता की तरह स्कर्ट और टॉप में ही थी। दोनों की मस्त गोरी जाँघें बहुत मादक दिख रही थीं। कार में दोनों मर्द आगे बैठे और लड़कियाँ पीछे बैठीं।
रेस्तराँ में राजीव और अमिता अग़ल बग़ल एक सोफ़े पर बैठे और महक के साथ कर्नल बैठ गया। हल्का अँधेरा सा था हॉल में और सॉफ़्ट म्यूज़िक भी बज रहा था। कुछ जोड़े डान्स फ़्लोर पर नाच भी रहे थे। राजीव ने अपने लिए और कर्नल के लिए विस्की ऑर्डर की और लड़कियों को पूछा किक्या लेंगी।
कर्नल: वाइन लेंगी और क्या लेंगी? ठीक है ना महक?
महक मुस्कुरा दी: ठीक है अंकल ले लूँगी। अमिता क्या लेगी?
कर्नल: अरे वो तो विस्की भी ले लेती है पर अभी वाइन से ही शुरुआत करेगी।
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फिर जैसे जैसे शराब अंदर जाने लगी, माहोल रोमांटिक होने लगा। राजीव का हाथ अमिता की नंगी जाँघों पर था और वह उसकी स्कर्ट को ऊपर करके सहलाए जा रहा था। अब कर्नल महक को बोला: बेटी, अब तुम बड़ी हो गयी हो, विस्की का भी मज़ा लो।
महक भी सुरुर में आ गई थी: ठीक है अंकल दीजिए , मुझे सब चलता है।
जब कर्नल ने देखा कि महक थोड़ी सी टुन्न हो रही है तो वह उसको बोला: क्या मैं अपनी प्यारी सी बेटी को डान्स फ़्लोर में चलने को कह सकता हूँ?
महक: ज़रूर अंकल चलिए ना डान्स करते हैं।
अमेरिकन सभ्यता का असर भी तो था।
अब वो दोनों डान्स करने लगे। अब कर्नल ने उसकी कमर में हाथ डालके उसको अपने से चिपका लिया। उसके बड़े बड़े बूब्ज़ कर्नल की छाती से टकरा रहे थे और वह उसके नंगी कमर को सहलाए जा रहा था। थोड़ी देर बाद कर्नल ने उसके निचले हिस्से को भी अपने निचले हिस्से से चिपका लिया और महक को उसके खड़े लौड़े का अहसास अपने पेट के निचले हिस्से पर होने लगा। वो अब ख़ुद भी उसकी मर्दानी गंध से जैसे मदहोश सी होने लगी। तभी कर्नल ने उसकी बाँह उठाकर नाचते हुए उसकी बग़ल में नाक घुसेड़ दी और उसकी गंध से मस्त होकर बोला: बेटी, तुम्हारे बदन की ख़ुशबू बहुत मादक है।
महक शर्मा कर: अंकल क्या कर रहे हैं? कोई देख लेगा?
कर्नल: बेटी, सब अपनी मस्ती में खोए हुए हैं, किसी को दूसरे की कोई फ़िक्र ही नहीं है। यह कहते हुए उसने महक को अपने से और ज़ोर से चिपका लिया। फिर वह बोला: बेटी, मुझे तुम्हारे पति से जलन हो रही है।
महक: वो क्यों?
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कर्नल: क्या क़िस्मत पायी है जो उसे तुम्हारे जैसे बीवी मिली है। क्या मस्त बदन है तुम्हारा। वो तो तुमको छोड़ता ही नहीं होगा ना? दिन रात तुमसे लगा रहता होगा?
महक मुस्कुरा कर: अंकल शुरू शुरू में तो ऐसा ही था, पर अब हमारी शादी को छे साल हो गए हैं , अब वो बात कहाँ?
कर्नल: बेटी, तुम्हारी जवानी तो अब निखार पर आइ है। फिर वो उसकी कमर से हाथ ले जाकर उसके चूतर को हल्के से सहलाया और बोला: देखो क्या मस्त बदन है अब तुम्हारा । हर जगह के उभार कितने मस्त हैं। और फिर वह उसके चूतर दबा दिया।
महक जानती थी कि अगर उसने अभी कर्नल को नहीं रोका तो बाद में उसे रोकना नामुमकिन हो जाएगा। पर तभी कर्नल ने झुक कर उसकी टॉप से बाहर झाँक रही चूचियों पर चुम्बन ले लिया और महक का रहा सहा विरोध भी ख़त्म हो गया। उसकी बुर गीली होकर चुदाई की डिमांड करने लगी। वैसे भी उसे काफ़ी दिन हो गए थे चुदवाए हुए।
महक: चलिए अब वापस टेबल पर चलते हैं।
उधर राजीव और अमिता उनको देखे जा रहे थे। जैसे ही वो दोनों डान्स फ़्लोर पर गए अमिता बोली: अंकल कर्नल साहब आज आपकी बेटी को पटा के ही छोड़ेंगे।
राजीव ने उसकी जाँघ सहलाते हुए कहा: अच्छा है ना, अगर उसे कर्नल पसंद है, तो वह उससे चुदवा ले। इसमें बुराई क्या है?
फिर वह अमिता को बोला: बेटी, तुम बाथरूम जाकर पैंटी उतार कर अपने पर्स में डाल लो। मुझे तुम्हारी बुर में ऊँगली करनी है।
अमिता: अंकल पैंटी को एक तरफ़ कर देती हूँ, आप ऊँगली डाल लीजिए। यह कहकर वो थोड़ी सी उठी और शायद उसने पैंटी को एक तरफ़ को कर दिया। अब राजीव ने उसकी जाँघों के बीच उँगलिया डाली और वो सीधे बुर के अंदर चली गयीं। अमिता की आऽऽऽह निकल गयी। राजीव की उँगलियाँ जल्दी ही गीली हो गयीं। वह उनको चाटने लगा। तभी अमिता बोली: देखिए अंकल, कर्नल के हाथ अब महक के चूतर दबा रहे हैं। और आऽऽऽहहह देखिए वो अब उसकी चूचियाँ चूम रहे हैं।
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राजीव का लौड़ा अब पूरा कड़क हो चुका था और अपनी बेटी को अपने दोस्त के साथ मस्ती करते देख वह बहुत उत्तेजित हो रहा था। फिर जब वो दोनों वापस आए टेबल पर तो कर्नल के पैंट का टेंट साफ़ दिखाई दे रहा था। टेबल पर बैठ कर वो फिर से पीने लगे। इस बार कर्नल भी बेशर्म होकर अपने हाथ को उसकी नंगी जाँघों पर फेरने लगा। महक ने भी बेशर्मी से अपनी जाँघें फैला दी और अब उसकी उँगलियाँ उसकी बुर को पैंटी के ऊपर से छूने लगी। कर्नल धीरे से महक के कान में बोला: बेटी, तुम्हारी पैंटी तो गीली हो रही है । सब ठीक है ना?
वो हँसकर बोली: अंकल सब आपका किया धरा है।
कर्नल ने अब हिम्मत की और उसका हाथ पकड़कर अपने पैंट के ऊपर से अपने लौड़े पर रखा और बोला: देखो मेरा भी बुरा हाल है। ये तो तुम्हारा ही किया धरा है।
महक भी बेशर्मी से उसके लौड़े को सहलायी और उसकी लम्बाई और मोटाई का अहसास करके बोली: आऽऽह आपका तो बहुत बड़ा है अंकल।
कर्नल: क्यों तुम्हारे पति का छोटा है क्या?
महक: उनका सामान्य साइज़ का है, पर आपका तो बहुत बड़ा है।
ये कहते हुए वह उसका लौड़ा सहलाए जा रही थी। तभी महक का फ़ोन बजा। उसके पति का फ़ोन था। महक: हाय कैसे हो?
वो: ठीक हूँ, तुम्हारी याद आ रही है, अब तो शादी भी हो गयी , अब वापस आ जाओ ना।
महक नशे में थी और उसके आँखों के सामने उसका सामान्य लौड़ा आ गया। अभी भी उसका एक हाथ कर्नल के लौड़े पर था। ओह भगवान मैं क्या करूँ? एक तरफ़ इतना मस्त लौड़ा है और दूसरी तरफ़ पति का सामान्य सा लौड़ा। वो सोचने लगी कि अंकल की चुदाई भी मस्त होगी। उसकी बुर अब पूरी तरह से पनिया गयी थी। वो बोली: बस अभी पापा अकेले हैं, जैसे ही शिवा और मालिनी होनिमून से वापस आएँगे मैं भी आ जाऊँगी।
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राजीव का लंड अभी अमिता के हाथ में था और वह यह सुनकर बुरी तरह से मचल गया कि अभी महक बहुत दिन यहाँ रहेगी। वो मस्ती से अपनी उँगलियाँ अमिता की बुर में भी डाला और हिलाने लगा। तभी महक ने मोबाइल बंद किया और टेबल पर रखने लगी तभी वह नीचे गिर गया। वह उठाने के लिए झुकी और उसकी आँखों के सामने उसके पापा की उँगलियाँ अमिता की बुर में हिल रही थीं और उधर अमिता के हाथ उसके पापा के लौड़े पर चल रहे थे। वह ये देखकर बहुत उत्तेजित हो गयी।
फिर मोबाइल उठाकर वह और ज़ोर से उसका लौड़ा दबाने लगी। उधर कर्नल भी उसकी बुर को पैंटी के ऊपर से सहलाने लगा। फिर कर्नल ने जो अंधेरे में बैठा था अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया था। अब अमिता उसके नंगे लौंडे को मसल कर मस्ती से भर उठी थी। उफफफ कितना मोटा कड़ा और गरम लौड़ा है। वो सोची और मज़े से भर उठी।
अब सभी बहुत उत्तेजित हो चुके थे। तभी कर्नल ने एक एस॰एम॰एस॰ लिखा और राजीव को भेजा। राजीव ने एस॰एम॰एस॰ पढ़ा। उसमें लिखा था नीचे झुक कर अपनी बेटी की हरकत देखो।
राजीव ने अपना रुमाल गिराया और उठाने के बहाने नीचे झुका और देखा कि महक की बुर में कर्नल की उँगलियाँ चल रही है और वह कर्नल का लौड़ा मसल रही है, जिसे कर्नल ने पैंट से बाहर निकाल रखा था। राजीव तो जैसे पागल ही हो गया था अपनी बेटी की इस हरकत से।
राजीव: चलो सबका खाना हो गया क्या ? अब घर चलें? दस बज गए हैं।
फिर उसने बिल पटाया और वो चारों अपने कपड़े ठीक करके बाहर आ गए। कार में अमिता राजीव के साथ बैठी और पीछे कर्नल और महक बैठीं। कार के चलते ही कर्नल ने महक का टॉप उठाकर उसकी ब्रा से उसकी एक चूचि बाहर निकाल ली और उसको पहले दबाया और फिर मुँह में लेकर चूसने लगा।
राजीव ने चूसने की आवाज़ सुनी तो पीछे रीयर व्यू मिरर में देखा और महक के बड़े दूध कर्नल के मुँह में देखकर वह बहुत उत्तेजित हो गया। उसने हाथ बढ़ाकर अमिता के दूध दबाने शुरू किए। पर कोई रीऐक्शन ना देखकर वह उसे देखा तो पाया कि वह लुढ़क गयी है।
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राजीव: अरे अमिता तो सो गयी।
कर्नल: अरे वह दारू नहीं पचा पाती । अब वो सुबह तक बेहोश रहेगी। अब हमारे पास बस एक यही महक बची है मज़े लेने के लिए।
राजीव ने शीशे में देखा और पाया कि अब कर्नल का लौड़ा फिर से पैंट से बाहर था और महक अब उसे चूस रही थी। राजीव को लगा कि उसकी पैंट फट जाएगी , उसका लौड़ा इतना कड़क हो चुका था।
घर पहुँचने के पहले कर्नल और महक ने अपने कपड़े ठीक कर लिए थे। अब कर्नल ने अमिता को गोद में उठाया और लेज़ाकर उसको महक के बिस्तर पर सुला दिया। फिर वह बाहर आया और ड्रॉइंग रूम में सोफ़े पर बैठा और महक भी अपना पर्स वगेरह रख कर बाथरूम से वापस आकर सोफ़े में बैठी। तभी राजीव भी आया और सोफ़े पर बैठ गया। एक अजीब सी ख़ामोशी थी कमरे में।
कर्नल ने ख़ामोशी तोड़ी और बोला: यार साली अमिता तो टुन्न हो गयी अब महक का हो सहारा है । क्या बोलते हो?
राजीव : महक ने ही फ़ैसला करना है कि वह क्या चाहती है?
महक: अंकल आप इतनी देर से मुझे तंग कर रहे हो और अब क्या ऐसी ही प्यासी छोड़ दोगे?
कर्नल: बेटी, मैं तेरे पापा की बात कर रहा हूँ। क्या तुम उससे भी चुदवाओगी?
महक: पापा तो मरे जा रहे हैं मुझे चोदने को, मुझे सब पता है। मैंने आजतक अपने पति के अलावा किसी से भी किया नहीं है। पर आज बड़ा मन है आप दोनों से करवाने का। कहते हुए वह मुस्कुराते हुए एक ज़बरदस्त अंगड़ाई ली। उसके बड़े कबूतर टॉप में फड़फड़ा उठे।
कर्नल हँसते हुए बोला: वाह बेटी तुमने तो समस्या ही हल कर दी। और वह उठकर उसके पास आया और उसको अपनी गोद में खींचकर उसके होंठ चूसने लगा। फिर वह राजीव को बोला: आजा यार अब तेरी बेटी का मज़ा लेते हैं। ये कहते हुए उसने महक का टॉप उतार दिया और ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाने लगा। तभी उसने अगला ऐक्शन किया और ब्रा भी निकाल दी।
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अब उसकी बड़ी चूचियाँ दोनों के सामने थीं। वह एक चूचि चूसते हुए बोला: आजा यार अब चूस अपनी बेटी की चूचि , देख क्या मस्त मलाई है । अब राजीव नहीं रुक पाया और आकर महक के बग़ल में बैठा और हाथ बढ़ाकर उसकी चूचि सहलाया और फिर वह भी एक चूचि चूसने लगा। महक ने नीचे देखा कि कैसे उसके पापा और अंकल उसकी एक एक चूचि चूस रहे थे। वह दोनों के सिर में हाथ फेरने लगी।
दोनों मर्द अब उसकी निपल को अपने होंठों में लेकर हल्के से दाँत से काट भी रहे थे। महक मज़े से आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह करने लगी। उधर दोनों के हाथ उसके पेट से होकर उसकी जाँघ पर घूम रहे थे। वह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ करने लगी। दोनों की उँगलियाँ उसकी बुर के आसपास घूम रही थीं। वह अब अपनी गीली बुर की असहनीय खुजली को महसूस कर रही थी। तभी राजीव नीचे आकर उसकी स्कर्ट उतार दिया और अब पैंटी का गीलापन देखकर दोनों मर्द मुस्कुरा उठे। फिर राजीव ने उसकी पैंटी भी उतार दी ।
अब उसकी जाँघों को अलग करके उसकी बुर को देखा और मस्ती से उसको चूमने लगा। फिर वह उसे जीभ से चाटने लगे। फिर उसने उसकी कमर को और ऊपर उठाया और अब उसकी सिकुड़ी हुई गाँड़ भी उसके सामने थी । वह उसे भी चूमा और फिर से जीभ से चाटने लगा। महक पागल सी हो गयी थी। कर्नल उसकी चूचियों पर हमला किए था और पापा उसकी बुर और गाँड़ पर। वह उइइइइइइइइइ हाऽऽऽयय्य चिल्ला रही थी।
अब कर्नल खड़े हुआ और पूरा नंगा हो गया। उसका लौड़ा बहुत कड़ा होकर ऊपर नीचे हो रहा था। वह लौड़ा महक के मुख के पास लाया और महक ने बिना देर किए उसे चूसना शुरू कर दिया। तभी राजीव भी खड़ा हुआ और नंगा होकर अपना लौड़ा महक के मुँह के पास लाया। वह अब उसका भी लौड़ा चूसने लगी। अब वह बारी बारी से दोनों का लौड़ा चूस रही थी।
कर्नल: चलो बेटी, बिस्तर पर चलो और डबल चुदाई का मज़ा लो। अमिता तो कई बार इसका मज़ा ले चुकी है।
अब तीनो नंगे ही बिस्तर पर आकर लेटे। महक पीठ के बल लेटीं थी और दोनों मर्द उसकी चूचि पी रहे थे। उनके हाथ उसकी बुर और जाँघ पर थे। उधर महक ने भी उनका लौड़ा एक एक हाथ में लेकर सहलाना शुरू किया था। उग्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त मोटे और बड़े लौड़े थे। वह सोची कि आज की चुदाई उसे हमेशा याद रहेगी।
अब राजीव बोला: बेटी, पिल्ज़ ले रही हो ना? कहीं प्रेग्नन्सी ना हो जाए।
महक: पापा आज आपको एक बात बतानी है। हमने चार साल फ़ैमिली प्लानिंग की थी। पर पिछल दो साल से हम बच्चे की कोशिश कर रहे हैं, पर अभी तक कुछ नहीं हुआ है। मैंने अपना चेकअप करवाया है, सब ठीक है। आपका दामाद अपनी जाँच के लिए तय्यार नहीं है।
राजीव: ओह तुमने यह तो कभी बताया नहीं बेटी। उसकी बुर सहलाते हुए वह बोला।
अब कर्नल और राजीव अग़ल बग़ल लेट गए और वह उठकर दोनों के लौड़े चूसने लगी। फिर वह उनके बॉल्ज़ को सहलाते हुए और चाटते हुए बोली: आपके इतने बड़े बड़े बॉल्ज़ में बहुत रस होगा । आप दोनों आज ही मुझे प्रेगनेंट कर दोगे , वैसे भी मेरा अन्सेफ़ पिरीयड चल रहा है।
राजीव: आऽऽह बेटी, ज़रूर आज तुम प्रेगनेंट हो ही जाओगी। आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या चूसती हो ह्म्म्म्म्म्म्म।
कर्नल उठा और नीचे जाकर उसकी बुर और गाँड़ चाटा और बोला: यार तू क्या चोदेगा? बुर या गाँड़?
राजीव: पहले बुर फिर गाँड़।
कर्नल: तो फिर चल तू लेट जा और महक तुम उसके ऊपर आकर लौड़े को अपनी बुर में ले लो। मैं पीछे से गाँड़ मारूँगा। यह कह कर वह ड्रेसिंग टेबल से क्रीम उठाकर लाया और अपने लौड़े पर मलने लगा।
राजीव के लौड़े पर अपना बुर रखकर महक बैठी और उसका लौड़ा अपनी बुर में धीरे धीरे अंदर करने लगी। अब वो आऽऽऽऽहहह कहती हुई पूरा लौड़ा अंदर कर ली। अब राजीव उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ दबाने लगा।कर्नल ने उसकी गाँड़ में क्रीम लगाकर अपना लौड़ा वहाँ सेट किया और धीरे से पेलने लगा। महक चिल्लाई: आऽऽऽहहहह दुःख रहा है, अंकल आपका बहुत मोटा है।
कर्नल: बस बेटी बस, देखो पूरा चला गया तुम्हारी टाइट गाँड़ में। आऽऽहाह मज़ा आ गया। फिर वह धक्के मारने लगा। राजीव भी नीचे से कमर उठाकर उसकी बुर फाड़ने लगा । महक इस डबल चुदाई से अब मस्त होने लगी। उसके निपल भी मसलकर लाल कर दिए थे दोनों ने।
अब महक भी अपनी गाँड़ उछालकर आऽऽऽऽऽहहह और चोओओओओओओदो आऽऽहहहह फ़ाआऽऽऽऽड़ दोओओओओओओओ चिल्लाने लगी।
दोनों मर्द अब मज़े से चोदने में लग गए। पलंग ज़ोर ज़ोर से हिले जा रहा था और फ़चफ़च और ठप्प ठप्प की आवाज़ भी गूँज रही थी।
अचानक महक बोली: अंकल आप अपना रस मेरी गाँड़ में नहीं मेरी बुर में ही छोड़ना, मैं आज ही गर्भवती होना चाहती हूँ। आऽऽऽह। हाऽऽऽऽऽय्य।
कर्नल: ठीक है बेटी, जैसा तुम कहो। और वो और ज़ोर से गाँड़ मारने लगा।
अब राजीव चिल्लाया: आऽऽऽऽऽऽह बेटी मैं गया। और वो झड़ने लगा। महक भी पाऽऽऽऽऽपा मैं भी गईइइइइइइइइ। कहकर झड़ गयी। कर्नल ने अपना लौड़ा बाहर निकाला और चादर से पोंछा और महक के राजीव के ऊपर से हटने का इंतज़ार करने लगा। जब महक उठकर लेटी तो वह उसकी टाँगें उठाकर उसकी बुर में अपना लौड़ा डाल दिया। उसकी बुर राजीव के वीर्य से भरी हुई थी। अब वह भी दस बारह धक्के लगाकर झड़ने लगा। उसका वीर्य भी महक की बुर में सामने लगा।
महक आऽऽहहहह करके लेटी रही और बोली: आऽऽऽहब आप दोनों का कितना रस मेरे अंदर भर गया है। आज तो मैं ज़रूर से प्रेगनेंट हो ही जाऊँगी।
फिर सब फ़्रेश होकर लेट कर चूमा चाटी करने लगे। क़रीब एक घंटे के बाद फिर से चुदाई शुरू हुई, बस इतना फ़र्क़ था कि उसकी गाँड़ में इस बार पापा का और बुर में अंकल का लौड़ा था। लेकिन उनका वीर्य इस बार भी उसकी बुर को ही मिला।
बाद में सब नंगे ही लिपट कर सो गए।
अगली सुबह रानी आइ तो तीनों नंगे ही सो रहे थे। महक ने गाउन पहना और दरवाज़ा खोला। उसके निपल्ज़ गाउन में से झाँक रहे थे क्योंकि उसने ब्रा नहीं पहनी थी। रानी मुस्कुरा कर बोली: रात में हंगामा हुआ क्या?
महक: हाँ बहुत हुआ और अभी भी दोनों मर्द नंगे सोए पड़े हैं।
रानी हँसकर किचन में चली गयी और चाय बनाने लगी। महक कमरे में आकर बोली: आप लोग उठो, रानी चाय लाएगी। कुछ पहन लो।
राजीव: अरे उससे क्या पर्दा? वो सब जानती है। फिर वह उठकर बाथरूम में घुसा। तभी कर्नल भी उठ गया। फ़्रेश होकर सब सोफ़े में बैठे चाय पी रहे थे तभी अमिता भी उठ कर आइ और बोली: मुझे क्या हो गया था? मुझे कुछ याद नहीं है।
सब हँसने लगे। राजीव: तुम तो बेहोश हो गयी इसलिए बिचारि महक हम दोनों को रात भर झेलती रही।
अमिता: वाह, तब तो महक को मज़ा ही आ गया होगा।
महक: मेरी गाँड़ बहुत दुःख रही है। मैंने इतने मोटे कभी नहीं लिए।और इन दोनों के तो साँड़ के जैसे मोटे है!
राजीव महक को गोद में खींच कर उसकी गाँड़ को सहला कर बोला: बेटी, दवाई लगा दूँ क्या?
महक: रहने दीजिए, पहले फाड़ दी और अब दवाई लगाएँगे ?
कर्नल: अरे बेटी बहुत टाइट गाँड़ थी, लगता था कि उद्घाटन ही कर रहे हैं। लगता है दामाद बाबू का पतला सा हथियार है।
महक: अंकल आपके सामने तो उनका बहुत पतला है। और सच में मेरी ऐसी ठुकाई कभी नहीं हुई।
राजीव: मतलब मज़ा आया ना हमारी बेटी को? यह कहते हुए उसने उसकी चूचि दबा दी।
महक: जी पापा, मज़ा तो बहुत आया।
कर्नल: यार, तूने अमिता को तो ठोका ही नहीं। दोपहर तक जो करना है कर ले, हम लोग आज वापस जाएँगे।
राजीव: अरे ऐसी भी क्या जल्दी है। कुछ दिन रुको ना।
कर्नल: नहीं यार जाना ही होगा। कुछ ज़रूरी काम है।
फिर रानी ने सबको नाश्ता कराया और कर्नल ने रानी की गाँड़ पर हाथ फेरा और बोला: यार मस्त माल है, पर इसका पेट देखकर लगता है की गर्भ से है।
महक: पापा ने ही इसको गर्भ दिया है, इसका पति तो किसी काम का है ही नहीं।
कर्नल: वह भाई ये तो बढ़िया है। महक, तुम भी रात को ही प्रेगनेंट हो ही गयी होगी। अगर नहीं भी हुई होगी तो अगले ४/५ दिन में तुम्हारे पापा कर ही देंगे।
महक: भगवान करे ऐसा ही हो।
नाश्ता करने के बाद चारों कमरे में घुस गए और इस बार अमिता को राजीव ने और महक को कर्नल ने चोदा। महक के कहने पर राजीव ने भी अपना रस महक की ही बुर में छोड़ा।
दोपहर का खाना खा कर कर्नल और अमिता चले गए। अब राजीव और महक ही थे घर पर। रानी भी चली गयी थी।
अकेले में महक ने अपने कपड़े उतारे और नंगी होकर बिस्तर पर लेट गयी। राजीव हैरान हुआ, पर वह भी नंगा होकर उसके बग़ल में लेट गया। अब महक राजीव से लिपट गयी और बोली: पापा, मैं माँ बन जाऊँगी ना?
राजीव उसे चूमते हुए बोला: हाँ बेटी, ज़रूर बनोगी। पर तुमको जल्दी से जल्दी दामाद बाबू से चुदवाना होगा वरना वह शक करेगा और बच्चे को नहीं अपनाएगा।
महक: पापा, शिवा और मालिनी ४/५ दिन में आ जाएँगे। तब मैं चली जाऊँगी अमेरिका और उससे चुदवा लूँगी । बस आप मुझे रोज़ २/३ बार चोद दीजिए ताकि मेरे गर्भ ठहरने में कोई शक ना रहे। मुझे बच्चा चाहिए हर हाल में।
राजीव उसके कमर को सहला कर बोला: बेटी, तुम्हारी इच्छा भगवान और मैं मिलकर ज़रूर पूरी करेंगे। फिर वह उसकी बुर सहलाने लगा। जल्दी ही वो उसकी चूची चूसने लगा और फिर उसके ऊपर चढ़ कर मज़े से उसे चोदने लगा। वह भी अपनी टाँगें उठाकर उसका लौड़ा अंदर तक महसूस करने लगी। लम्बी चुदाई के बाद वह उसकी बुर में गहराई तक झड़ने लगा। महक भी अपनी बुर और बच्चेदानी में उसके वीर्य के अहसास से जैसे भर गयी थी।
अब यह रोज़ का काम था । रानी के सामने भी चुदाई होती और वह भी मज़े से उनकी चुदाई देखती। रानी लौड़ा चूसकर ही ख़ुश रहती थी। इसी तरह दिन बीते और शिवा और मालिनी भी आ गए। महक सबसे मिलकर अमेरिका के लिए चली गयी।
आज घर में सिर्फ़ राजीव, शिवा और मालिनी ही रह गए। रानी का पेट काफ़ी फूल गया था। वह अपने समय से काम पर आती थी।
अगले दिन सुबह राजीव उठकर सैर पर गया और जब वापस आया तो रानी आ चुकी थी। वह चाय माँगा और तभी वह चौंक गया। मालिनी ने आकर उसके पैर छुए और गुड मॉर्निंग बोली और चाय की प्याली राजीव को दी। राजीव ने देखा कि वह नहा चुकी थी और साड़ी में पूरी तरह से ढकी हुई थी। उसने उसे आशीर्वाद दिया। चाय पीते हुए वो सोचने लगा कि मालिनी के रहते उसे रानी के साथ मज़ा करने में थोड़ी दिक़्क़त तो होगी। वैसे भी वह आजकल सिर्फ़ लौड़ा चूसती थी, चुदाई बंद की हुई थी, डॉक्टर के कहे अनुसार। पता नहीं उसका क्या होने वाला है।
वह जब नहा कर आया तो शिवा भी उठकर तय्यार हो चुका था। मालिनी ने नाश्ता लगाया और सबने नाश्ता किया। रानी ने मालिनी की मदद की। थोड़ी देर में शिवा अपने कमरे में गया और मालिनी भी उसके पीछे पीछे गयी। फिर वह मालिनी को अपनी बाहों में लेकर चूमने लगा और वह भी उससे लिपट गयी।
मालिनी: खाना खाने आओगे ना?
शिवा: अभी तक तो कभी नहीं आया। पापा से पूछ लूँ?
मालिनी: नहीं नहीं, रहने दो। मैं खाना भिजवा दूँगी, आप नौकर भेज दीजिएगा।
शिवा उसको बहुत प्यार किया और फिर बाई कहकर चला गया।
मालिनी ने घर की सफ़ाई शुरू की और रानी से सब समझने लगी। इस चक्कर में रानी भी राजीव से मिल नहीं पा रही थी ।
तभी राजीव ने आवाज़ लगायी अपने कमरे से : रानी आओ और यहाँ को सफ़ाई कर दो।
रानी : जी आती हूँ। ये कहकर वह झाड़ू ले जाकर उसके कमरे ने चली गयी।
राजीव ने उसको पकड़ लिया और उसको चूमते हुए बोला: बहुत तरसा रही हो। फिर उसकी चूचि दबाते हुए बोला : अब तो तेरी चूचियाँ बड़ी हो रही हैं। अब इनमे दूध आएगा ना बच्चा होने के बाद। मुझे भी पिलाओगी ना दूध?
रानी हँसकर बोली: अरे आपको तो पिलाऊँगी ही। आपका ही तो बेटा होगा ना।
अब राजीव बिस्तर पर लेटा और बोला: चलो अब चूसो मेरा लौड़ा।
रानी ने उसकी लूँगी खोली और चड्डी नीचे करके लौड़ा चूसना शुरू किया। क़रीब २० मिनट चूसने के बाद वह उसके मुँह में ही झड़ गया।
मालिनी रानी का इंतज़ार करते हुए टी वी देखने लगी। रानी जब राजीव के कमरे से बाहर आयी तो उसका चेहरा लाल हो रहा था। मालिनी को थोड़ी हैरानी हुई कि ऐसा क्या हुआ कि उसका चेहरा थोड़ा उत्तेजित सा दिख रहा था। फिर वह रानी के साथ खाना बनाने लगी।
राजीव के लिए मालिनी की दिन भर की उपस्थिति का पहला दिन था। उसे बड़ा अजीब लग रहा था कि शायद वह अब रानी के साथ जब चाहे तब पुराने तरह से मज़े नहीं कर पाएगा।
मालिनी भी दिन भर ससुर को घर में देखकर सहज नहीं हो पा रही थी। उसके साथ बात करने को एक रानी ही थी।
रानी जल्दी ही मालिनी से घुल मिल गयी और पूछी: भाभी जी हनीमून कैसा रहा? भय्या ने ज़्यादा तंग तो नहीं किया? ये कहकर वो खी खी करके हँसने लगी।
तभी राजीव पानी लेने आया और उनकी बात सुनकर ठिठक गया और छुपकर उनकी बातें सुनने लगा।
मालिनी शर्मा कर: नहीं, वो तो बहुत अच्छें हैं, मेरा पूरा ख़याल रखते हैं, वो मुझे क्यों तंग करेंगे?
रानी: मेरा मतलब बहुत ज़्यादा दर्द तो नहीं दिया आपको ?ये कहते हुए उसने आँख मार दी।
मालिनी शर्मा कर बोली: धत्त , कुछ भी बोलती हो। वो मुझे बहुत प्यार करते हैं , वो मुझे तकलीफ़ में नहीं देख सकते।
रानी: तो क्या आप अभी तक कुँवारी हो? उन्होंने आपको चो– मतलब किया नहीं क्या?
मालिनी: धत्त , कुछ भी बोलती हो, सब हुआ हमारे बीच, पर उन्होंने बड़े आराम से किया और थोड़ा सा ही दर्द हुआ।
रानी: ओह फिर ठीक है। मैं जब पहली बार चु- मतलब करवाई थी ना तब बहुत दुखा था। उन्होंने बड़ी बेरहमी से किया था।
मालिनी: इसका मतलब आपके पति आपको प्यार नहीं करते तभी तो इतना दुःख दिया था आपको।
रानी: अरे भाभी, मेरा पति क्या दुखाएगा? उसका हथियार है ही पतला सा । मेरी सील तो जब मैं दसवीं में थी तभी स्कूल के एक टीचर ने मुझे फँसाकर तोड़ दी थी। मैं तो दो दिन तक चल भी नहीं पा रही थी।
मालिनी: ओह ये तो बहुत ख़राब बात है। आपने उसकी पुलिस में नहीं पकड़वा दिया?
रानी: अरे मैं तो अपनी मर्ज़ी से ही चु- मतलब करवाई थी तो पुलिस को क्यों बुलाती।
मालिनी: ओह अब मैं क्या बोलूँ इस बारे में। तो फिर आप उनसे एक बार ही करवाई थी या बाद में भी करवाई थी?
रानी: आठ दस बार तो करवाई ही होंगी। बाद में बहुत मज़ा आता था उनसे करवाने में।
मालिनी: ओह, ऐसा क्या?
रानी: उनके हथियार की याद आती है तो मेरी बुर खुजाने लगती है। ये कहते हुए उसने अपनी साड़ी के ऊपर से अपनी बुर खुजा दी।
मालिनी हैरानी से देखने लगी कि वो क्या कर रही है।
मालिनी के लिए ये सब नया और अजीब सा था।
फिर वह बोली: अच्छा चलो ,अब खाना बन गया ना, मैं अपने कमरे में जाती हूँ।
राजीव उनकी सेक्सी बातें सुनकर अपने खड़े लौड़े को दबाकर मस्ती से भर उठा। और इसके पहले कि मालिनी बाहर आती वह वहाँ से निकल गया।
मालिनी अपने कमरे में आकर सोचने लगी कि रानी के साथ उसने क्यों इतनी सेक्सी बातें कीं । वह इस तरह की बातें कभी भी वह किसी से नहीं करती थी। तभी शिवा का फ़ोन आया: कैसी हो मेरी जान? बहुत याद आ रही है तुम्हारी?
मालिनी: ठीक हूँ मुझे भी आपकी याद आ रही है। आ जाओ ना अभी घर। मालिनी का हाथ अपनी बुर पर चला गया और वह भी रानी की तरह अपनी बुर को साड़ी के ऊपर से खुजाने लगी।
शिवा: जान, बहुत ग्राहक हैं आज , शायद ही समय मिले आने के लिए। जानती हो ऐसा मन कर रहा है कितुमको अपने से चिपका लूँ और सब कुछ कर लूँ। वह अपना मोटा लौड़ा दबाकर बोला।
मालिनी: मुझे भी आपसे चिपटने की इच्छा हो रही है। चलिए कोई बात नहीं आप अपना काम करिए । बाई ।
फिर वह टी वी देखने लगी।
उधर रानी घर जाने के पहले राजीव के कमरे में गयी तो वह उसे पकड़कर चूमा और बोला: क्या बातें कर रही थीं बहू के साथ?
रानी हँसकर बोली: बस मस्ती कर रही थी। पर सच में बहुत सीधी लड़की है आपकी बहू । आपको उसको छोड़ देना चाहिए।
राजीव: मैंने उसको कहाँ पकड़ा है जो छोड़ूँगा ?
रानी: मेरा मतलब है कि इस प्यारी सी लड़की पर आप बुरी नज़र मत डालो।
राजीव: अरे मैंने कहाँ बुरी नज़र डाली है। बहुत फ़ालतू बातें कर रही हो। ख़ुद उससे गंदी बातें कर रही थी और अपनी बुर खुजा रही थी, मैंने सब देखा है।
रानी हँसकर: मैं तो उसे टटोल रही थी कि कैसी लड़की है। सच में बहुत सीधी लड़की है।
राजीव: अच्छा चल अब मेरा लौड़ा चूस दे घर जाने के पहले। ये कहकर वह अपनी लूँगी उतार दिया और बिस्तर पर पलंग के सहारे बैठ गया। उसका लौड़ा अभी आधा ही खड़ा था। रानी मुस्कुराकर झुकी और लौड़े को ऊपर से नीचे तक चाटी और फिर उसको जैसे जैसे चूसने लगी वह पूरा खड़ा हो गया और वह मज़े से उसे चूसने लगी। क़रीब १५ मिनट के बाद राजीव ह्म्म्म्म्म कहकर उसके मुँह में झड़ गया और रानी उसका पूरा रस पी गयी। बाद में उसने लौड़े को जीभ से चाट कर साफ़ कर दिया। फिर थोड़ा सा और चूमा चाटी के बाद वह अपने घर चली गयी।
दोपहर को क़रीब एक बजे मालिनी ने राजीव का दरवाज़ा खड़खड़ाया और बोली: पापा जी खाना लगाऊँ क्या?
राजीव अंदर से ही बोला: हाँ बेटी लगा दो।
मालिनी ने खाना लगा दिया तभी राजीव लूँगी और बनियान में बाहर आया। मालिनी पूरी तरह से साड़ी से ढकी हुई थी। दोनों आमने सामने बैठे और खाना खाने लगे। राजीव उससे इधर उधर की बातें करने लगा और शीघ्र ही वह सहज हो गयी।
राजीव ने खाने की भी तारीफ़ की और फिर दोनों अपने अपने कमरे ने चले गए। इसी तरह शाम की भी चाय साथ ही में पीकर दोनों थोड़ी सी बातें किए। रानी शाम को आकर चाय और डिनर बना कर चली गयी। शिवा दुकान बंद करके आया और मालिनी की आँखें चमक उठीं। शिवा अपने पापा से थोड़ी सी बात किया और अपने कमरे में चला गया। मालिनी भी अंदर पहुँची तब वह बाथरूम में था। जब वह बाथरूम से बाहर आया तो वह पूरा नंगा था उसका लौड़ा पूरा खड़ा होकर उसके पेट को छूने की कोशिश कर रहा था। मालिनी की बुर उसे देखकर रस छोड़ने लगी । वह शर्माकर बोली: ये क्या हो रहा है? ये इतना तना हुआ और ग़ुस्से में क्यों है?
शिवा आकर उसको अपनी बाहों में भर लिया और होंठ चूसते हुए बोला: जान आज तो पागल हो गया हूँ , बस अभी इसे शांत कर दो प्लीज़।
मालिनी: हटिए अभी कोई टाइम है क्या? डिनर कर लीजिए फिर रात को कर लीजिएगा।
शिवा ने उसका हाथ अपने लौड़े पर रख दिया और मालिनी सिहर उठी और उसे मस्ती से सहलाने लगी। उसका रहा सहा विरोध भी समाप्त हो गया। शिवा ने उसके ब्लाउस के हुक खोले और उसके ब्रा में कसे आमों को दबाने लगा। मालिनी आऽऽऽऽह कर उठी। फिर उसने उसकी ब्रा का हुक भी खोला और उसके कप्स को ऊपर करके उसकी नंगी चूचियों पर टूट पड़ा। उनको दबाने के बाद वह उनको खड़े खड़े ही चूसने लगा। मालिनी उइइइइइइइ कर उठी।
अब उसने मालिनी को बिस्तर पर लिटाया और उसकी साड़ी और पेटीकोट ऊपर करके उसकी पैंटी के ऊपर से बुर को दबाने लगा। मालिनी हाऽऽऽय्यय करके अपनी कमर ऊपर उठायी। फिर उसने उसकी पैंटी उतार दी और उसकी बुर में अपना मुँह घुसेड़ दिया । अब तो मालिनी की घुटी हुई सिसकियाँ निकलने लगीं। उसकी लम्बी जीभ उसकी बुर को मस्ती से भर रही थी। फिर उसने अपना लौड़ा उसकी बुर के छेद पर रखा और एक धक्के में आधा लौड़ा पेल दिया। वह चिल्ला उठी आऽऽऽऽऽह जीइइइइइइ । फिर वह उसके दूध दबाकर उसके होंठ चूसते हुए एक और धक्का मारा और पूरा लौड़ा उसकी बुर में समा गया। अब वह अपनी कमर दबाकर उसकी चुदाई करने लगा। मालिनी भी अपनी गाँड़ उछालकर चुदवाने लगी। कमरे में जैसे तूफ़ान सा आ गया। दो प्यासे अपनी अपनी प्यास बुझाने में लगे थे। पलंग चूँ चूँ करने लगा। कमरा आऽऽऽऽहहह उइइइइइइ हम्म और उन्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाज़ों से भरने लगा। क़रीब दस मिनट की चुदाई के बाद दोनों झड़ने लगे और एक दूसरे से बुरी तरह चिपट गए।
थोड़ी देर चिपके रहने के बाद वो अलग हुए और मालिनी शिवा को चूमते हुए बोली: थैंक्स , सच मुझे इसकी बहुत ज़रूरत थी।
शिवा शरारत से : किसकी ज़रूरत थी?
मालिनी शर्मा कर उसके गीले लौड़े को दबाकर बोली: इसकी ।
शिवा: इसका कोई नाम है?
मालिनी पास आकर उसके कान में फुसफ़सायी: आपके लौड़े की। ओ के ?
शिवा हँसकर: हाँ अब ठीक है। फिर उसकी बुर को सहला कर बोला: मुझे भी तुम्हारी बुर की बड़ी याद आ रही थी। दोनों फिर से लिपट गए। मालिनी बोली: चलो अब डिनर करते हैं। पापा सोच रहे होंगे कि ये दोनों क्या कर रहे है अंदर कमरे में?
शिवा हँसक : पापा को पता है कि नई शादी का जोड़ा कमरे में क्या करता है। हा हा ।
फिर दोनों फ़्रेश होकर बाहर आए। डिनर सामान्य था। बाद में राजीव सोने चला गया और ये जोड़ा रात में दो बार और चुदाई करके सो गया । आज मालिनी ने भी जी भर के उसका लौड़ा चूसा और उन्होंने बहुत देर तक ६९ भी किया । पूरी तरह तृप्त होकर दोनों गहरी नींद सो गए।
दिन इसी तरह गुज़रते गए। राजीव दिन में एक बार रानी से मज़ा ले लेता था और शिवा और मालिनी की चुदाई रात में ही हो पाती थी। सिवाय इतवार के, जब वो दिन में भी मज़े कर लेते थे। अब मालिनी की भी शर्म कम होने लगी थी। अब वह घर में सुबह गाउन पहनकर भी रहती थी और राजीव पूरी कोशिश करता कि वह उसके मस्त उभारो को वासना की दृष्टि से ना देखे। वह जब फ्रिज से सामान निकालने के लिए झुकती तो उसकी मस्त गाँड़ राजीव के लौड़े को हिला देती। पर फिर भी वह पूरी कोशिश कर रहा था कि किसी तरह वह इस सबसे बच सके और अपने कमीनेपन को क़ाबू में रख सके। और अब तक वो इसमे कामयाब भी था।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
एक दिन उसने मालिनी की माँ सरला को श्याम के साथ बुलाया और एक होटेल के कमरे में उसकी ज़बरदस्त चुदाई की। शाम को श्याम और सरला मालिनी से मिलने आए। मालिनी बहुत ख़ुश थी। राजीव ने ऐसा दिखाया जैसे वह भी अभी उनसे मिल रह रहा हो। जबकि वो सब होटेल में दिन भर साथ साथ थे।
फिर वो दोनों वापस चले गए। रात को शिवा , मालिनी और राजीव डिनर करते हुए सरला की बातें किए और शिवा को अच्छा लगा की मालिनी अपनी माँ से मिलकर बहुत ख़ुश थी।
दिन इसी तरह बीतते गए। सब ठीक चल रहा था कि मालिनी के शांत जीवन में एक तूफ़ान आ गया।
उस दिन रोज़ की तरह जब सुबह ७ बजे मालिनी उठी और किचन में गयी तो रानी चाय बना रही थी । मालिनी को देख कर रानी मुस्कुराती हुई बोली : भाभी नींद आयी या भय्या ने आज भी सोने नहीं दिया ?
मालिनी: आप भी बस रोज़ एक ही सवाल पूछतीं हो। सब ठीक है हम दोनों के बीच। हम मज़े भी करते हैं और आराम भी। कहते हुए वह हँसने लगी।
रानी भी मुस्कुराकर चाय का कप लेकर राजीव के कमरे में गयी। राजीव मोर्निंग वॉक से आकर अपने लोअर को उतार रहा था और फिर वह जैसे ही चड्डी निकाला वैसे ही रानी अंदर आयी और मुस्कुराकर बोली: वाह साहब , लटका हुआ भी कितना प्यारा लगता है आपका हथियार। वह चाय रखी और झुक कर उसके लौड़े को चूम लिया। राजीव ने उसको अपने से लिपटा लिया और उसके होंठ चूस लिए। फिर वह लूँगी पहनकर बैठ गया और चाय पीने लगा। उसकी लूँगी में एक छोटा सा तंबू तो बन ही गया था।
रानी: आजकल आप घर में चड्डी क्यों नहीं पहनते?
राजीव : अब घर में चड्डी पहनने की क्या ज़रूरत है। नीचे फंसा सा लगता है। ऐसे लूँगी में फ़्री सा लगता है।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
रानी: अगर बहू का पिछवाड़ा देख कर आपका खड़ा हो गया तो बिना चड्डी के तो वो साफ़ ही दिख जाएगा।
राजीव: जान बस करो क्यों मेरी प्यारी सी बहू के बारे में गंदी बातें करती हो? तुम्हारे रहते मेरे लौड़े को किसी और की ज़रूरत है ही नहीं। ये कहते ही उसने उसकी चूतरों को मसल दिया । रानी आऽऽह करके वहाँ से भाग गयी।
मालिनी ने चाय पीकर शिवा को उठाया और वह भी नहाकर नाश्ता करके दुकान चला गया। उसके जाने के बाद मालिनी भी नहाने चली गयी। रानी भी राजीव के कमरे की सफ़ाई के बहाने उसके कमरे में गयी जहाँ दोनों मज़े में लग गए ।
मालिनी नहा कर आइ और तय्यार होकर वह किचन में गयी। वहाँ उसे सब्ज़ी काटने का चाक़ू नहीं मिला। उसने बहुत खोजा पर उसे जब नहीं मिला तो उसने सोचा कि ससुर के कमरे से रानी को बुलाकर पूछ लेती हूँ। वह ससुर के कमरे के पास जाकर आवाज़ लगाने ही वाली थी कि उसे कुछ अजीब सी आवाज़ें सुनाई पड़ी। वह रुक गयी और पास ही आधी खुली खिड़की के पास आकर सुनने की कोशिश की। अंदर से उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ गन्न्न्न्न्न्न्न ह्म्म्म्म्म की आवाज़ आ रही थी। वह धीरे से कांपते हुए हाथ से परदे को हटा कर अंदर को झाँकी।
अंदर का दृश्य देखकर वह जैसे पथ्थर ही हो गयी। रानी बिस्तर पर घोड़ी बनी हुई थी और उसकी साड़ी ऊपर तक उठी हुई थी। पीछे उसका ससुर कमर के नीचे पूरा नंगा था और उसकी चुदाई कर रहा था। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ये क्या हो रहा है। क्या कोई अपनी नौकरानी से भी ऐसा करता है भला! इसके पहले कि वह वहाँ से हट पाती राजीव चिल्लाकर ह्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा। जब उसने अपना लौड़ा बाहर निकाला तो उसका मोटा गीला लौड़ा देखकर उसका मुँह खुला रह गया। उसे अपनी बुर में हल्का सा गीलापन सा लगा। वह उसको खुजा कर वहाँ से चुपचाप हट गयी।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
अपने कमरे में आकर वह लेट गयी और उसकी आँखों के सामने बार बार रानी की चुदाई का दृश्य और पापा का मोटा लौड़ा आ रहा था। वह सोची कि बाप बेटे के लौड़े एकदम एक जैसे हैं, मोटे और लम्बे। पर शिवा का लौड़ा थोड़ा ज़्यादा गोरा है पापा के लौड़े से। उसे अपने आप पर शर्म आयी कि छि वो पापा के लौड़े के बारे में सोच ही क्यों रही है !!
फिर उसका ध्यान रानी पर गया और वह ग़ुस्से से भर गयी। ज़रूर उसने पापा के अकेलेपन का फ़ायदा उठाया होगा और उनको अपने जाल में फँसा लिया होगा। पापा कितने सीधे हैं, वो इस कमीनी के चक्कर में फँस गए बेचारे, वो सोचने लगी।
भला उसको क्या पता था कि हक़ीक़त इसके बिपरीत थी और असल में राजीव ने ही रानी को फ़ांसा थ।
वह सोची कि क्या शिवा को फ़ोन करके बता दूँ । फिर सोची कि नहीं वह अपने पापा को बहुत प्यार करते हैं और उनके बारे में ये जानकार वह दुःखी होगा। उसे अभी नहीं बताना चाहिए, हाँ समय आने पर वह उसे बता देगी। क़रीब आधे घंटे तक सोचने के बाद वह इस निश्चय पर पहुँची कि रानी को काम से निकालना ही इस समस्या का हल है। वो बाहर आइ तो देखा कि राजीव बाहर जाने के लिए तय्यार था। ना चाहते हुए भी उसकी आँख राजीव के पैंट के अगले भाग पर चली गयी। पैंट के ऊपर से भी वहाँ एक उभार सा था। जैसे पैंट उसके बड़े से हथियार को छुपा ना पा रही हो। वह अपने पे ग़ुस्सा हुई और बोली: पापा जी कहीं जा रहे हैं क्या?
राजीव: हाँ बहू , बैंक जा रहा हूँ। और भी कुछ काम है १ घंटा लग जाएगा। वो कहकर चला गया।
अब मालिनी ने गहरी साँस ली और रानी को आवाज़ दी। रानी आइ तो थोड़ी थकी हुई दिख रही थी।
मालिनी: देखो रानी आज तुमने मुझे बहुत दुःखी किया है।
रानी: जी, मैंने आपको दुःखी किया है? मैं समझी नहीं।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
मालिनी: आज मैंने तुमको पापा के साथ देख लिया है। आजतक मैं सोचती थी कि तुम इतनी देर पापा के कमरे में क्या करती हो? आज मुझे इसका जवाब मिल गया है। छि तुम अपने पति को धोका कैसे दे सकती हो। पापा को फँसा कर तुमने उनका भी उपयोग किया है। अब तुम्हारे लिए इस घर में कोई ज़रूरत नहीं है। तुम्हारा मैंने हिसाब कर दिया है। लो अपने पैसे और दूसरा घर ढूँढ लो।
रानी रोने लगी और बोली: एक बार माफ़ कर दो भाभी।
मालिनी: देखो ये नहीं हो सकता। अब तुम जाओ और अब काम पर नहीं आना।
ये कहकर वो वहाँ से हट गयी। रानी रोती हुई बाहर चली गयी।
राजीव वापस आया तो थोड़ा सा परेशान था। वो बोला: बहू , रानी का फ़ोन आया था कि तुमने उसे निकाल दिया काम से?
मालिनी: जी पापा जी, वो काम अच्छा नहीं करती थी इसलिए निकाल दिया। मैंने अभी अपने पड़ोसन से बात कर ली है कल से दूसरी कामवाली बाई आ जाएगी।
राजीव को रानी ने सब बता दिया था कि वह क्यों निकाली गयी है, पर बहू उसके सम्मान की रक्षा कर रही थी। जहाँ उसे एक ओर खीझ सी हुई कि उसकी प्यास अब कैसे बुझेगी? वहीं उसको ये संतोष था कि उसकी बहू उसका अपमान नहीं कर रही थी। वह चुपचाप अपने कमरे में चला गया। पर उसकी खीझ अभी भी अपनी जगह थी।
उस दिन शाम की चाय और डिनर भी मालिनी ने ही बनाया था। राजीव मालिनी से आँखें नहीं मिला पा रहा था। डिनर के बाद सब अपने कमरों में चले गए। मालिनी ने शिवा को बताया कि रानी को काम से निकाल दिया है। शिवा ने कहा ठीक है दूसरी रख लो। उसने कोई इंट्रेस्ट नहीं दिखाया और उसकी चूची दबाकर उसे गरम करने लगा।मालिनी ने भी उसका लौड़ा पकड़ा और उसको दबाकर पापा के लौड़े से तुलना करने लगी। शायद दोनों बाप बेटे का एक सा ही था ।जल्दी ही शिवा चुदाई के मूड में आ गया और उसे चोदने लगा। मालिनी ने भी सोचा कि इनको क्यों बताऊँ फ़ालतू में दुःखी होंगे, अपने पापा की करतूत जानकार।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
चुदाई के बाद दोनों लिपट कर सो गए। पर मालिनी की आँखों में अभी भी पापा का मस्त लौड़ा घूम रहा था और वह भी सो गयी।
उधर राजीव की आँखों से नींद ग़ायब थीं । वह सोचने लगा कि कहीं बहू ने सब बातें शिवा को बता दी होगी। फिर सोचा नहीं वह नहीं बताएगी। वह चाहेगी कि बाप बेटे में कोई दूरी ना हो। यह सब सोचते हुए वह सो गया।
अगले दिन मालिनी सुबह उठकर चाय बनाई और राजीव के कमरे का दरवाज़ा खटखटाई और बोली: पापा जी चाय लाऊँ?
राजीव देर तक सोने के कारण आज वॉक पर भी नहीं गया था । वह उठा और उसकी लूँगी में मॉर्निंग इरेक्शन का तंबू बना हुआ था। वह बोला: मैं अभी बाहर आता हूँ वहीं पी लूँगा।
मालिनी ने चाय डाइनिंग टेबल पर रखी और ख़ुद चाय पीने लगी। थोड़ी देर बाद राजीव बाहर आया तो हमेशा की तरह मालिनी ने उसके पैर छुए और गुड मोर्निंग किया। राजीव ने उसे आशीर्वाद दिया और चाय पीने लगा। उसने देखा कि आज भी वह गाउन पहनी थी पर वह अब उसे वह टाइट हो रही थी क्योंकि वह अच्छा खाने और शायद बढ़िया चुदाई के चलते थोड़ी भर रही थी। उसकी चूचियाँ गाउन को दबा रही थी और उसके चूतरों के उभार भी गाउन से मस्त दिखने लग रहे थे।हालाँकि उसने कपड़े सही पहने थे और उसमें से कोई अंग प्रदर्शन नहीं हो रहा था। पर गाउन से भी वह बहुत मादक लग रही थी। राजीव की लूँगी में हलचल शुरू हो गयी। इसलिए वह उठकर वहाँ से चला गया।
राजीव अपने कमरे में आकर मालिनी की जवानी का सोचकर गरम होने लगा । फिर वह सोचा कि उसे अपना ध्यान बटाना होगा ।ये सोचकर वह तय्यार होकर बाहर चला आया और नाश्ता करके घर से बाहर जाने लगा। मालिनी और शिवा अभी नाश्ता कर रहे थे।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
मालिनी: पापा जी आज मैं आपके साथ सब्ज़ी वग़ैरह लेने जाना चाहती हूँ , आप ले जाएँगे क्या? वो क्या है ना, मुझे यहाँ का कुछ पता नहीं है ना, इसीलिए आपकी मदद चाहिए। पड़ोसन कह रही थी कि शिवाजी चौक का सब्ज़ी बाज़ार सबसे अच्छा है।
राजीव: हाँ हाँ बेटी क्यों नहीं , मैं थोड़ी देर में आता हूँ तब चलेंगे। पर शिवाजी चौक में तो बेटी बहुत भीड़ होती है।
यह कहकर राजीव अपने एक दोस्त से मिलने निकल गया। उसकी पास ही में एक दुकान थी चश्मों की जिसमें उसका एक पुराना दोस्त पटेल बैठा था। पटेल उसे देखकर बहुत ख़ुश हुआ और बोला: अरे यार आज रास्ता कैसे भूल गए? आओ बैठो।
राजीव उसके पास बैठा और दोनों पुराने दिनों की बातें करने लगे। तभी बातें राजीव की बीवी की मौत की ओर चली गयीं। पटेल बोला: यार , भाभी जी ने तुझे धोका दे दिया। एकदम से चली गयी।
राजीव : हाँ यार एकदम से अकेला हो गया हूँ।
पटेल: यार सच में बहुत मुश्किल है बिना बीवी के रहना। हालाँकि इस उम्र में रोज़ मज़े नहीं करना होता है पर हफ़्ते में एक दो दिन तो मज़े का मूड बन ही जाता है। उसपर बीवी का ना होना सच में मुश्किल होता होगा।
राजीव: क्या तू सच में अभी भी भाभीजी के भरोसे ही है क्या? यहाँ वहाँ मुँह भी तो मारता होगा?
पटेल: अरे अब तुमसे क्या पर्दा भला। तुम्हारी भाभी के साथ तो हफ़्ते में एक बार हो ही जाता है। और मैं सामान लेने हर महीने मुंबई जाता हूँ और कम से कम दो रात वहाँ होटेल में गुज़ारता हूँ। वहाँ मेरी सेटिंग है रात में २०/२२ साल की एक लौड़िया आ जाती है पूरी रात साली के साथ चिपका रहता हूँ। पूरे पैसे वसूल करता हूँ।
राजीव: वाह भाई , तुम तो छिपे रूसतम निकले। वैसे यहाँ भी तो होटलों में लौंडियाँ मिलती होंगी।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
पटेल: यहाँ कोई भी जान पहचान का मिल सकता है, वहाँ कौन अपने को जानता है भला?
राजीव: हाँ ये तो रिस्क है यहाँ करने में ।
पटेल: यार तू दूसरी शादी क्यों नहीं कर लेता।
राजीव: अरे अभी तो मेरे बेटे की शादी हुई है अब इस उम्र में मैं क्या शादी करूँगा यार।
पटेल: अरे अपने गाँव साइड में तो हमारी उम्र के बूढ़ों को भी मस्त जवान लौड़िया मिल जाती हैं शादी के लिए बस कुछ पैसा फेंकना पड़ता है और तूने पैसा तो बहुत कमाया है यार।
राजीव : चल छोड़ ये सब बातें। फिर वह वहाँ से वापस आ गया।
जब वह घर पहुँचा तो शिवा दुकान जा चुका था और मालिनी एक नई नौकरानी से काम करवा रही थी। वह कोई ४० के आसपास की काली सी औरत थी और राजीव ने अपनी क़िस्मत को कोसा कि इस बार बहु ने ऐसी औरत चुनी है जिसे देखकर खड़ा लौड़ा भी मुरझा जाए।पर वह बोला: अरे बहु तुम तय्यार नहीं हुई बाज़ार जाना था ना?
मालिनी: बस पापा अभी ५ मिनट में तय्यार होकर आती हूँ। ये नई बाई है कमला। इसे काम समझा रही थी। ये कहकर वह अपने कमरे में चली गयी और १० मिनट में तय्यार होकर आइ। राजीव उसका इंतज़ार सोफ़े में बैठा टी वी देखकर कर रहा था। मालिनी: पापा चलें ?
राजीव ने आँखें उठाईं और मालिनी को देखता ही रह गया। गुलाबी सलवार सूट में वो बहुत प्यारी लग रही थी। ये कपड़े भी अब उसे थोड़े टाइट हो चले थे। पर उसने चुन्नी इस तरह से ली थी जिसमें उसकी छातियाँ पूरी ढकीं हुई थी। सच में उसकी बहु नगीना याने हीरा थी ,वह सोचा।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
फिर दोनों बाहर आए और कार में बैठकर सब्ज़ी बाज़ार की तरफ़ चल पड़े। रास्ते में राजीव उसे शहर के ख़ास बाज़ार और मुहल्लों के बारे में बताने लगा। वह बड़े ध्यान से सुन रही थी। तभी सब्ज़ी मार्केट आ गयी ।दोनों कार से उतरे और मालिनी हाथ में थैला पकड़कर चल पड़ी। राजीव उसके पिच्छे चलने लगा। उसने ऊँची एड़ी का सेंडल पहनी थी और उसके चूतर सलवार में मस्त मटक रहे थे।
राजीव का लौड़ा अकडने लगा। तभी वह एक सब्ज़ी वाले के यहाँ रुकी और झुक कर टमाटर पसंद करने लगी। अब उसकी चुन्नी ढलक गयी थी और उसकी मस्त छातियाँ सामने तनी हुए दिखाई दे रहीं थे। उसके चूतर भी पीछे से मस्त कशिश पैदा कर रहे थे। उफ़्फ़्फ़्ग्ग क्या मस्ती है इस लौड़िया में। तभी एक आदमी वहीं से गुज़रा और उसने झुकी हुई मालिनी की गाँड़ पर हाथ फेरा और चला गया।
राजीव को ग़ुस्सा आया पर वह आदमी ग़ायब हो चुका था। मालिनी एकदम से पलट कर देखी तब तक वह आदमी जा चुका था। राजीव उसके पीछे आकर खड़ा हुआ और बोला: बेटी, अब मैं यहाँ खड़ा हूँ तुम आराम से सब्ज़ी पसंद करो।
मालिनी: ठीक है पापा जी। वह अब अपने काम में लग गयी।
राजीव अब अच्छी तरह से उसकी गाँड़ का जायज़ा ले रहा था और अपने लौड़े को adjust कर रहा था। तभी राजीव को एक साँड़ आता दिखा और वह राजीव के बिलकुल बग़ल में आ गया और उसे रास्ता देने के लिए उसे आगे को होना पड़ा तभी उसका पैंट के अंदर से उसका लौड़ा उसकी चूतरों पर टकराने लगा। मालिनी सकपका कर उठने की कोशिश की
और तभी वह साँड़ राजीव से टकराने लगा और राजीव आगे को हुआ और फिर मालिनी उसकी ठोकर से आगे को गिरने लगी। तभी राजीव ने उसके कमर पर हाथ डाला और उसे अपने क़रीब खींच लिया और वह नीचे गिरने से बच गयी । राजीव का अगला हिस्सा अब मालिनी के पिछवाड़े से पूरी तरह चिपक गया था। मालिनी को भी उसके कड़े लौड़े का अहसास अपनी गाँड़ पर होने लगा था। राजीव का हाथ उसकी कमर पर चिपका हुआ था। मालिनी पीछे को मुड़ी और उसने साँड़ को वहाँ से जाते देखा । वह समझ गयी कि क्या हुआ है। वह बोली: पापा जी साँड़ चला गया, अब मुझे छोड़ दीजिए।
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राजीव झेंप कर पीछे को हुआ और अपने पैंट को अजस्ट करने लगा। मालिनी की आँखें उसकी पैंट पर पड़ी और वह शर्म से दोहरी हो गयी। वो सोची – हे भगवान ! ये पापा को क्या हो गया? वो इतने उत्तेजित मुझे छू कर हो गए क्या? फिर उसने अपनी आँखें वहाँ से हटाई और पैसे देने लगी।
राजीव: बेटी, मैंने बोला था ना कि यहाँ बहुत भीड़ रहती है। चलो तुम्हारी सब्ज़ी हो गयी या अभी और लेना है।
मालिनी: पापा जी अभी और लेनी है, चलिए उधर भीड़ नहीं है वहाँ से लेते हैं।
दिर उन्होंने सब्ज़ी ख़रीदी और वापस घर आए। मालिनी थोड़ी सी हिल सी गयी थी कि पापा उसे छू कर इतने उत्तेजित क्यों हो गए। क्या वो उसे ग़लत निगाह से देखते है। उसे थोड़ा ध्यान से रहना होगा अगर पापा जी उसके बारे में कुछ ऐसा वैसा सोचते हैं तो । फिर उसने अपने आप को कोसा और सोची कि छि पापा के बारे में वो ऐसा कैसे सोच सकती है। अब वह आराम करने लगी।
राजीव अपने कमरे में आकर मालिनी के स्पर्श को याद करके बुरी तरह उत्तेजित हो उठा और अपना लौड़ा पैंट के ऊपर से दबाने लगा। उफफफफ क्या मस्त लगा था जब उसका लौड़ा उसके चूतरों में रगड़ खा रहा था। वह उसकी अपनी बहू थी ये उसे और भी मस्त कर रहा था।
तभी बाहर से मालिनी की आवाज़ आइ: पापा जी खाना लगाऊँ क्या?
राजीव: हाँ लगाओ मैं आता हूँ। फिर दोनों खाना खाए। मालिनी ने नोटिस किया कि आज राजीव की आँखें बार बार उसकी छाती पर जा रही हैं। जब वह पानी डालने को उठी तब वह उसके पिछवाड़े को ताड़ रहा था , यह उसने कनख़ियों से साफ़ साफ़ देखा। वह मन ही मन थोड़ी परेशान होने लगी थी। फिर जब वह बर्तन उठाकर किचन में रख रही थी तब भी वह उसे ताड़ें जा रहा था। और मालिनी ने देखा कि वह अपनी लूँगी में अपना लौड़ा भी ऐडजस्ट किया। उसने सोचा की हे भगवान, ये पापा जी को आख़िर एकदम से क्या हो गया।
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बाद में अपने कमरे ने आकर वह सोची कि क्या शिवा को सब बता देना चाहिए? मन ने कहा कि वह बेकार में परेशान होगा और वैसे भी उसके पास इस बात का कोई सबूत भी तो नहीं है।
उधर जैसे जैसे समय बीत रहा था राजीव की दीवानगी अपनी बहू के लिए बढ़ती ही जा रही थी। इसी तरह दिन बीत रहे थे। अब राजीव में एक परिवर्तन आ गया था कि वह अब खूल्लम ख़ूल्ला बहू को घूरता था और अपने लूँगी पर हाथ रख कर अपने लौड़े को मसल देता था। वह इस बात की भी परवाह नहीं करता था कि मालिनी देख रही है या नहीं। मालिनी की परेशानी का कोई अंत ही नहीं था। वह सब समझ रही थी , पर अनजान बनने का नाटक कर रही थी । शायद इसके अलावा उसके पास कोई उपाय भी नहीं था। वह शिवा से भी कुछ नहीं कह पा रही थी।
इधर शिवा की भूक़ भी सेक्स के लिए बढ़ती जा रही थी। वह घर आते ही मालिनी को अपने कमरे में ले जाता और फिर उसको बिस्तर पर पटक देता था और पागलों की तरह उसका बदन चूमने लगता था। फिर वह उसकी चूचियों को दबाकर और चूस चूस कर लाल कर देता था । उसके निपल्ज़ को रगड़कर मालिनी को मस्त करना उसने सीख लिया था। फिर वह उसकी बुर में मुँह डालकर कम से कम १० मिनट चूसता था और फिर उसे कभी नीचे लिटा कर या कभी घोड़ी बनाकर या कभी उसको बग़ल में लिटा कर साइड के करवट से चोदता था।
आधे घंटे की चुदाई में मालिनी की चूत के साथ साथ आत्मा भी तृप्त हो जाती थी। बाद में डिनर के बाद तो वह जो उसके कपड़े उतारता था तो वह दोनों रात भर नंगे ही रहते थे। इस वक़्त मालिनी और वो ६९ करते थे। मालिनी ने भी लौड़ा चूसना सीख लिया था। उसे बड़ा अजीब लगता जब शिवा उसकी बुर चाटते हुए उसकी गाँड़ के छेद को भी चाट लेता। इस बार की चुदाई में मालिनी को ऊपर रहना अच्छा लगता था। इस तरह से वो अपने मज़े को चरम सीमा में पहुँचाने की कला भी सीख ली थी।
शिवा के हाथ उसकी हिलती चूचियों और चूतरों पर रहते थे और बीच बीच में वह उसकी गाँड़ में ऊँगली भी करता था। चरमसीमा पर पहुँच कर अब मालिनी खुल कर चीख़ने भी लगी थी। शिवा उसको गंदी बातें बोलने के लिए उकसाता और वह भी मस्ती में गंदी बातें बोलने लगी थीं।
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जैसे उस रात जब वो उसकी बुर चाट रहा था तो मालिनी चिल्ला रही थी: आऽऽऽऽऽह उइइइइइ
शिवा: जान , मज़ा आ रहा है?
मालिनी: आऽऽऽऽँहह बहुत ।
शिवा: कहाँ मज़ा आ रहा है?
मालिनी: हाऽऽऽऽऽय्य मेरीइइइइइइ बुर मेंएएएएएएए।
शिवा: अब क्या करूँ ?
मालिनी: चोओओओओओओओओदो नाआऽऽऽऽऽ प्लीज़। उग्फ़्फ़्ग्ग्ग्ग ।
इस तरह अब मालिनी भी उसके रंग में रंग गयी थी।
उनकी रात की आख़री चुदाई रात के ११ बजे होती थी जो साइड के पोज़ में होती थी और शिवा के हाथ उसकी कमर, चूतरों और गाँड़ के छेद में होते थे। शिवा उसको मानसिक रूप से गाँड़ मरवाने के लिए भी तय्यार कर रहा था ।वो क़रीब आख़री चुदाई के बाद १२ बजे सोते थे। मालिनी अनुभव कर रही थी कि शिवा चुदाई में वेरायटि खोजता रहता है। वैसे दोनों अब अनुभवी चुदक्कड बन चुके थे। और अब वो गंदी और अश्लील बातें भी करने लगे थे।
जीवन इसी तरह बीत रहा था। मालिनी पूरी तरह से एक तृप्त नारी थी और उधर उसका ससुर पूरी तरह से अतृप्त पुरुष !!!
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इसी तरह कई दिन बीत गए। उस दिन क़रीब दोपहर के १ बजे थे। राजीव अपने कमरे ने टीवी देख रहा था और वह सोफ़े पर बैठी अपनी माँ से फ़ोन पर बातें कर रहीं थी। कमला काम करके जा चुकी थी। तभी घंटी बजी और वह उठी और दरवाजे के पास आकर बोली: कौन है?
बाहर से आवाज़ आइ: कूरीयर है मैडम।
मालिनी ने दरवाज़ा खोला और बाहर दो आदमी खड़े थे । वो अंदर को झाँके और किसी को ना देखकर एक बोला: लगता है आप अकेली है अभी?
दूसरे ने पूछा: आपके पति तो काम पर गए हैं ना? कूरीयर में कौन साइन करेगा?
मालिनी: हाँ वह दुकान में हैं , लायिए मैं साइन कर देता हूँ।
उन दोनों को यक़ीन हो गया कि वह शायद अकेली है घर पर । तभी वो दोनों एक झटके से अंदर आए और एक ने उसके मुँह पर अपना हाथ दबा दिया और दूसरे ने एक छुरी निकाल ली और उसे धमकाते हुए बोला: ख़बरदार आवाज़ निकाली तो काट दूँगा। मालिनी घबरा गयी और बोलने की कोशिश की : आपको क्या चाहिए?
एक आदमी हँसते हुए उसकी चूचि दबा दिया और बोला: तू चाहिए और साथ में सोना रुपया जो भी मिल जाए। तभी दूसरे आदमी ने भी उसकी दूसरी चूचि दबा दी और बोला: साली मस्त माल है, चोदने में मज़ा आएगा। चल अंदर और तिजोरी खोल और माल निकाल। फिर तेरे से मज़ा करेंगे। ये कहते हुए उसकी चूचि ज़ोर से दबा दिया।
अब मालिनी डर से काँपने लगी और अचानक ना जाने कहाँ से उसमें इतनी ताक़त आ गयी कि वह अपने मुँह में रखे हाथ को पूरी ताक़त से दाँत से काट दी और जैसे उसके मुँह से उस आदमी का हाथ हटा, वह ज़ोर से चिल्लाई: पापा जीइइइइइइइइ बचाओओओओओओओओ।
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राजीव की टी वी देखते हुए शायद आँख लग गई थी और टी वी अभी भी चल रहा था, शायद इसलिए वह पहले की बातें नहीं सुन पाया था। पर मालिनी की चीख़ उसने साफ़ साफ़ सुनी और वह बाहर की ओर आया। अब उसने मालिनी को एक साथ दो आदमी के पकड़ से निकलने की कोशिश करते देखा तो वह समझ गया कि उसे क्या करना है। वह पीछे से तेज़ी से लपका और एक आदमी के पीठ में एक ज़ोरदार मुक्का मारा। वह आदमी दूसरे आदमी से टकराया और दोनों नीचे गिर गए। अब उसने दोनों की ज़बरदस्त धुनाई शुरू कर दी। राजीव एक बलिष्ठ पुरुष था और जल्दी ही वो दोनों उठ कर भागने में सफल हो गए।
राजीव उनके पीछे दौड़ा पर वो भाग गए।
जब वो वापस आया तब मालिनी जो अब भी डर से काँप रही थी उससे पपाऽऽऽऽऽऽऽऽ कहकर लिपट गयी और रोने लगी। राजीव उसकी पीठ सहलाते हुए बोला: अरे बहू, वो चले गए। अब क्यों रो रही हो?
मालिनी के आँसू थम ही नहीं रहे थे और वह उससे और ज़ोर से चिपट गयी और वह रोए जा रही थी।
राजीव ने भी उसे अब अपनी बाहों में भींच लिया और उसकी पीठ पर हाथ फेरकर बोला: बस बेटी अब चुप हो जाओ। सब ठीक हो गया ना अब तो? अब वह उसकी बाँह भी सहलाने लगा और फिर उसके गाल से आँसू भी पोछा । अब जब वो थोड़ी सामान्य हुई तो वह उसे सहारा देकर सोफ़े पर बैठा दिया और पानी लेकर आया। उसके बग़ल में बैठकर वह उसे पानी पिलाने लगा। मालिनी की अभी भी हिचकियाँ बंधी हुई थीं। पाने पीने के बाद वो थोड़ा शांत हुई। अब राजीव ने उसके गाल से उसके आँसू पोंछे और बोला: बस बेटी, अब चुप हो जाओ। देखो सब ठीक है।
तभी फिर से घंटी बजी और मालिनी एकदम से डर गयी और राजीव की गोद में बैठ गयी और अपना सिर उसके सीने में छुपा ली और बोली: पापा वो फिर आ गए। अब राजीव ने उसकी बाँह सहलाई और ज़ोर से पूछा: कौन है?
कोई बोला: साहब डोमिनो से आया हूँ पिज़्ज़ा लाया हूँ।
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राजीव चिल्ला कर बोला: हमने नहीं मँगाया है। ग़लत ऐड्रेस होगा । अभी जाओ ।
उधर मालिनी उसकी गोद में बैठी थर थर काँप रही थी। अब राजीव ने उसको अपनी बाहों में भींच लिया और बड़े प्यार से उसके गालों को चूमा और बोला: बेटी, पिज़्ज़ा बोय था, बेकार में मत डरो।
मालिनी अभी भी उसकी गोद में बैठी थी और उसकी छाती राजीव की छाती से सटी हुई थी। राजीव को भी अब अपनी जवान बहू के कोमल स्पर्श का अहसास हुआ और उसका लौड़ा लूँगी में अपना सिर उठाने लगा। अब वह झुककर उसके गाल को चूमा और उसकी बाँह सहलाते हुए बोला: वैसे बेटी ग़लती तो तुम्हारी है ही। तुमको दरवाज़ा खोलने के पहले डोर लैच लगाना चाहिए था। तुमने जाकर एकदम से दरवाज़ा खोल दिया। सोचो मैं ना होता घर पर तो क्या होता?
मालिनी का बदन एक बार फिर डर से काँप उठा वह बोली: पापा जी वो तो मेरे साथ गंदे काम करने की बात कर रहे थे। सोना और पैसा भी माँग रहे थे।
राजीव ने अब उसके नंगे कंधे को सहलाया और बोला: बेटी उन्होंने तुम्हारे साथ कोई ग़लत हरकत तो नहीं किया?
मालिनी थोड़ी सी शर्माकर: पापा जी वी बड़े कमीने थे उन्होंने मेरी छाती दबाई थी।
राजीव उसके ब्लाउस को छाती की जगह पर देखकर बोला: तभी यहाँ का कपड़ा बहुत मुड़ा सा दिख रहा है। क्या ज़ोर से दबाया था बेटी उन कमीनों ने?
मालिनी: जी पापा जी बहुत दुखा था। वो रोने लगी।
अब राजीव ने उसके गाल चूमते हुए कहा : बेटी, अब चुप हो जाओ। तुम चाहो तो मैं वहाँ दवा लगा दूँ।
मालिनी: नहीं पापा जी अब वहाँ ठीक है। पापा जी आज आप नहीं होते तो पता नहीं मेरा क्या होता। वो कमीने मेरा क्या हाल करते पता नहीं।
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राजीव अपनी गोद में बैठी बहु को चूमा और बोला: बेटी, मेरे रहते तुमको कुछ नहीं हो सकता। पर आगे से दरवाज़ा ऐसे कभी नहीं खोलना ठीक है?
मालिनी: जी पापा जी आगे से कभी ग़लती नहीं होगी।
तभी उसका मोबाइल बजा। मालिनी: हाय जी।
शिवा: जान कैसी हो?
मालिनी रोने लगी और बोली: आज तो पापा जी ने बचा लिया वरना मैं तो गयी थी काम से।
शिवा: क्या हुआ?
राजीव ने उसके हाथ से फ़ोन लिया और शिवा को पूरी बात बताई। वह उसको कहानी बताते हुए अपनी बहु के गाल और हाथ और गरदन सहला रहा था। अब उसका लौड़ा पूरा खड़ा हो चुका था। अचानक मालिनी को अपनी गाँड़ में उसके लौड़ा चुभते हुए महसूस किया। वह चौकी और एकदम से खड़ी हुई और उसके गोद से उठकर वह बोली: पापा मैं बाथरूम से मुँह धोकर आती हूँ।
शिवा: पापा मैं अभी आता हूँ ! ये कहकर वह फ़ोन काट दिया।
उसके जाने के बाद राजीव उन लमहों के बारे में सोचता रहा जब वह उसकी गोद में बैठी थी। फिर अपना लौड़ा दबाकर अपने कमरे में चला गया।
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इधर मालिनी सोच रही थी कि आज पापा के कारण वह भारी मुसीबत से बच गयी। पापा कितने अच्छें है और कितने तगड़े हैं दो दो गुंडों से अकेले ही निपट लिए। जब वो रो रही थी तब भी कितने प्यार से उसे सहारा दिए। कैसे उसका हौंसला बढ़ाते रहे। वह पापा के लिए प्यार और आदर के भाव से भर उठी। पर तभी उसको याद आया कि उनका लौड़ा उसकी गाँड़ में कैसे चुभने लगा था? इसका मतलब तो ये हुआ कि वो उसको वासना की दृष्टि से भी देखते हैं।
फिर वह सोचने लगी कि शायद उसने जो रानी को काम से निकाल दिया था वो ग़लत हो गया । वो पापा की भूक़ शांत तो कर देती थी जो अब नहीं हो पा रही है। इसलिए शायद पापा उसके स्पर्श से गरम हो जाते होंगे। वो उलझने लगी कि इस समस्या का आख़िर हल क्या होगा? हे भगवान मुझे रास्ता दिखाइए ।
तभी फिर से घंटी बजी और वह फिर से डर गयी। वो बाहर आयी तो देखा कि पापा दरवाज़ा खोलने के पहले पूछे : कौन है?
शिवा की आवाज़ आइ: पापा मैं हूँ।
जैसे ही शिवा अंदर आया , मालिनी उससे दौड़ कर लिपट गयी। राजीव के सामने वह पहली बार ऐसा कर रही थी। शिवा उससे प्यार करने लगा। वह फिर से रो पड़ी।
शिवा: पापा आज तो हम लोग लुट जाते। आप तो सूपरमैन निकले।
अब सब हँसने लगे।
शिवा और मालिनी कमरे में चले गए। शिवा ने उसे अपनी गोद में बिठा लिया और प्यार करने लगा।
शिवा: उन लोगों ने तुमसे कोई बदमत्तिजी तो नहीं की?
मालिनी: बहुत कमीने थे उन्होंने मेरी छाती बहुत ज़ोर से दबाई अभी तक दुःख रही है।
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शिवा: ओह दिखाओ , कुछ क्रीम लगा देता हूँ। ये कहकर उसने ब्लाउस खोला और फिर ब्रा का स्ट्रैप भी निकाला और अब मालिनी के बड़े दूध उसकी आँखों के सामने थे और उनके लाल लाल निशान थे उँगलियों के। वह निशान पर हाथ फेरकर बोला: ओह कमीनों ने बड़ी बेरहमी से मसला है। फिर वह पास से एक कोल्ड क्रीम की डिब्बी से क्रीम निकालकर उसकी छातियों में मलने लगा। उसकी मालिश से मालिनी के बदन में तरंगें उठने लगीं और वह मस्ती से भरने लगी। अब शिवा का लौड़ा भी उसके नरम चूचियों के स्पर्श से खड़ा होने लगा। और जल्द ही मालिनी की गाँड़ में चुभने लगा।
मालिनी सिहर उठी और सोची कि यही हाल पापा जी का भी था कुछ देर पहले। बाप बेटा दोनों ही बहुत हॉर्नी मर्द हैं। अब वह भी गरम हो चुकी थी सो बोली: आऽऽऽऽहहह जी चूसिए ना इनको।बहुत मन कर रहा है चूसवाने को। शिवा ख़ुश होकर उसकी चूचियाँ चूसने लगा और अब मालिनी की आऽऽऽह निकलने लगी।
उधर राजीव की हालत ख़राब थी , उसके विचारों से उसकी गोद में बैठी बहू के बदन का अहसास निकल ही नहीं रहा था और उसका लौड़ा अभी भी अकड़ा हुआ था। अब वह किचन में पानी पीने गया और उसे मालिनी की आहें सुनाई दी धीरे से। वह रुका और दरवाज़े के पास आकर सुनने की कोशिश किया कि क्या मालिनी अभी भी रो रही है?
पर जल्दी ही मालिनी की सिसकियों की आवाज़ से वह समझ गया कि ये तो मस्ती की सिसकियाँ है। वह अब थोड़ा उत्तेजित हो गया और धीरे से खिड़की के पास आकर आधी खुली खिड़की से पर्दा हटाया । कमरे में काफ़ी रोशनी थी क्योंकि अभी दोपहर के २ बजे थे।
कमरे का दृश्य उसे एकदम से पागल कर दिया। शिवा बिस्तर पर लेता था और उसकी प्यारी सीधी साधी बहू पूरी नंगी उस के लौड़े पर बैठी थी और ऊपर नीचे होकर चुदाई में मस्त थी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या दृश्य था। उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ बुरी तरह से हिल रही थीं जिसे शिवा दबाकर चूस रहा था। उसकी मोटी गाँड़ भी मस्त लग रही थी जो बुरी तरह से ऊपर नीचे हो रही थी और मालिनी की आऽऽऽह और उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ हाऽऽऽऽयय्यय जीइइइइइइ बड़ा मज़ाआऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽ रहाऽऽऽऽऽऽ है। उन्न्न्न्न्न्न्न्न की आवाज़ें राजीव को अपनी लूँगी खोलने को मज़बूर कर दिया और वह अपना लौड़ा मूठियाने लगा।
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शिवा भी ह्म्म्म्म्म्म कहकर नीचे से धक्का मार रहा था। जल्दी ही दोनों ह्म्म्म्म्म्म्म उन्न्न्न्न्न्न करके झड़ने लगे और इधर राजीव ने भी अपना पानी अपनी लूँगी में छोड़ दिया। वो सोचने लगा कि साली बहू कितनी सीधी दिखती है पर चुदवाती किसी रँडी को तरह है। आऽऽऽऽऽह क्या मज़ा आएगा इसे चोदने में। वह वहाँ से अपने कमरे में आकर बहू के सपने में खो गया।
उधर मालिनी उठी और बाथरूम से आकर कपड़े पहनी और बोली: चलो तय्यार हो जाओ मैं खाना लगाती हूँ । आज देर हो गयी है। पापा जी क्या सोचेंगे।
वह खाना लगाकर राजीव को आवाज़ दी: पापा जी आ जायीये खाना लग गया है।
फिर तीनों ने खाना खाया और शिवा दुकान वापस चला गया। राजीव और मालिनी अपने अपने कमरे में आराम करने लगे।
अगले कुछ दिन राजीव बहुत बेचैन सा रहा। उसकी आँखों के सामने बहु का मादक नग्न बदन जो कि शिवा के ऊपर उछल रहा था, बार बार आ जाता था और उसको अंदर तक पागल कर देता था। घर में भी उसकी निगाहें मालिनी की जवानी को घूरती रहती थी। कभी उसे उसकी मस्त चूचियों का उभार घायल कर जाता था तो कभी उसके गोरे पेट और गहरी नाभि का दर्शन और उसके पिछवाड़े का आकर्षण तो जैसे उसे दीवाना ही बना चुका था।
वह अपनी परेशानी मिटाने के लिए बाज़ार गया। उसके एक दोस्त की पास ही में गिफ़्ट शॉप थी। उसका दोस्त रमेश उसे बड़े तपाक से मिला: दोनों पुरानी बातें करने लगे। फिर बातें करते हुए राजीव के अकेलेपन पर बात आ गयी।
रमेश: यार तू दूसरी शादी कर ले। अभी तो तू हट्टा कट्टा है। किसी भी लौंडिया को मज़े से संतुष्ट कर सकता है।
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राजीव: यार अभी तो शिवा की शादी की है। अब अपनी भी शादी करता हूँ तो क्या अच्छा लगेगा? नहीं यार ये नहीं हो सकता।
रमेश: सब हो सकता है। यह कहकर वह एक फ़ोन मिलाया और बोला: पंडित जी नमस्कार। कैसे हैं। अच्छा एक मेरा दोस्त है क़रीब ४५ साल का है उसकी बीवी का निधन हो गया है। दो शादीशुदा बच्चें भी हैं । उसके लिए कोई लड़की चाहिए। हो पाएगा? मैं आपको स्पीकर मोड में डाला हूँ ताकि मेरा दोस्त भी सुन सके।
राजीव धीरे से बोला: अबे मैं ५० का हूँ।
रमेश ने आँख मारी : अबे सब चलता है।
पंडित: हाँ हाँ क्यों नहीं हो पाएगा। यहाँ तो बहुत ग़रीब लड़कियाँ है हमारे गाँव में , कितनी उम्र की चाहिए?
रमेश: अरे बस यही कोई २२/२५ की और क्या? अब शादी करेगा और इतना ख़र्चा करेगा तो भाई को मज़ा भी तो मिलना चाहिए ना?
पंडित खी खी कर हँसा और बोला: आप ठीक कहते हो। मैं आज से ही इस काम में जुट जाता हूँ और आपको ३/४ दिन में बताऊँगा। बस मेरा ख़याल रखिएगा।
रमेश: मैं तुम्हारा नम्बर राजीव को दे रहा हूँ । अब आगे की बात आप दोनों आपस में ही करना। आपको भी राजीव का नम्बर भेज रहा हूँ। चलो रखता हूँ।
राजीव: अबे, मेरी शादी ज़बरदस्ती करा देगा क्या? यार मैं ये नहीं कर सकता इस उम्र में। अच्छा चल छोड़ ये सब, अब चलता हूँ।
उधर मालिनी भी बड़ी ऊहापोह में थी कि पापा जी का घूरना बढ़ता ही जा रहा था और लूँगी में अपना लौड़ा सहलाना भी बड़ी बेशर्मी से जारी था। वह अभी भी फ़ैसला नहीं कर पा रही थी कि इसका ज़िक्र वो माँ से करे या शिवा से करे? या फिर महक दीदी से बात करे?
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तभी राजीव घर आया और सोफ़े पर बैठी मालिनी से पानी माँगा। उसकी आँखें अब उसके जवान और भरे हुए बदन पर थीं और वह फिर से उत्तेजित होने लगा आज उसने साड़ी पहनी थी। उफफफफ क्या माल थी उसकी बहू । वह अपने पैंट को दबाया। पानी पीकर वह अपने कमरे में गया और आज बहुत गम्भीरता से मालिनी को पाने के बारे में सोचने लगा। तभी उसके फ़ोन की घंटी बजी और वो चौंक गया क्योंकि महक का फ़ोन था। वह सोचा कि इस वक़्त तो वहाँ रात होगी। इस वक़्त कैसे फ़ोन आया होगा।
राजीव: हेलो बेटी कैसी हो?
महक: पापा मैं बहुत अच्छीं हूँ। आप लोग सब ठीक हो?
राजीव: हाँ बेटी यहाँ भी सब ठीक है। तुम्हारी प्रेग्नन्सी का क्या हुआ? तुमने तो बताया ही नहीं।
महक: बधाई हो पापा , आप बहुत जल्दी पापा और नाना दोनों बनने वाले हैं। अब मुझे पता नहीं कि बच्चा आपका है या कर्नल अंकल का। यह कहकर वह हँसने लगी।
राजीव ख़ुश होकर: बहुत बधाई बेटी तुमको। क्या फ़र्क़ पड़ता है पापा कोई भी हो, मा तो तुम ही होगी ना? इतने दिनो बाद क्यों बता रही हो?
महक: पापा मैं पक्का कर ली हूँ और अब तो मैं ३ महीने से परेगननट हूँ। तभी बताने का सोची। राज भी बहुत ख़ुश है ।
राजीव: ला उसे भी फ़ोन दे दे बधाई दे दूँ। आख़िर पापा तो वही कहलाएगा, भले वो पापा हो चाहे ना हो।
महक: पापा वो टूर पर गए हैं तभी तो फ़ोन कर रही हूँ।
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राजीव: ओह तो अकेली है मेरी तरह। ज़रा वीडीयो काल में आना। मुझे तुम्हें देखे कितने महीने हो गए। मैं फ़ेस टाइम भेज रहा हूँ।
महक: ठीक है पापा भेजिए रिक्वेस्ट । जल्दी ही दोनों विडीओ कॉल में कनेक्ट हो गए।
राजीव: बेटी बहुत प्यारी लग रही हो। गाल और भर गए हैं।
महक हँसकर : पापा गाल ही नहीं सब कुछ भर गए हैं।
राजीव: अच्छा और क्या क्या भर गया है, ज़रा दिखाओ ना।
महक हँसकर: देखिए। अब वो अपना पेट दिखाई जहाँ थोड़ा सा साइज़ बढ़ा हुआ लगा। फिर वह अपनी छाती दिखाई और बोली: पापा ये भी अब ४० के हो गए हैं। वो एक नायटी पहनी थी।
राजीव के लौड़े ने लूँगी में झटका मारा। और वह उसे दबाने लगा और बोला: बेटी सच इतने बड़े हो गए? ज़रा दिखा दो ना मुझे भी।
महक हँसती हुई बोली: पापा आप मेरे साथ सेक्स चैट करोगे क्या? शायद ही कोई बाप बेटी ऐसा किए होंगे अब तक?
राजीव: प्लीज़ दिखाओ ना? देखो मेरे अब खड़ा हो गया है। यह कह कर उसने अपना लौड़ा लूँगी से बाहर निकाला और उसको केमरे से दिखाने लगा। महक पूरे फ़ोन पर उसके खड़े लौड़े का विडीओ देखकर गरम हो गयी और अब अपनी नायटी उतार दी। अब वह सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी।
राजीव: आऽऽऽऽऽह बेटी, क्या मस्त माल हो तुम। सच ब्रा में से भी तुम्हारी चूचियाँ कितनी बड़ी दिख रही हैं। आऽऽऽऽहहह वह मूठ्ठ मारते हुए बोला: अब ब्रा भी निकाल दो मेरी प्यारी बच्ची। आऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
महक ने ही मुस्कुरा कर अपनी ब्रा निकाल दी और उसकी बड़ी चूचियाँ देखकर वह मस्ती से लौंडे को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा। अब महक अपनी चूचियाँ दबाने लगी और निपल को भी मसलने लगी। उसकी आँखें उसके लौड़े पर थी।
राजीव: आऽऽऽहहह बेटी, अब पैंटी भी निकला दो और अपनी मस्त चूत और गाँड़ दिखाओ ताकि मैं झड़ सकूँ। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़।
महक ने पैंटी धीरे धीरे किसी रँडी की तरह निकाली और अपने पापा को एक स्ट्रिप शो दे दिया । अब वह रँडी की तरह गाँड़ मटका रही थी। और फिर उसने कैमरा अपनी बुर के सामने रखा और उसको फैलाकर अपनी बुर की गुलाबी हिस्सा दिखाई और फिर उसने तीन उँगलियाँ डालकर हस्त मैथुन करने लगी।
राजीव अब पूरी तरह उत्तेजित होकर आऽऽऽऽऽहहहह क्या चूउउइउउउउउउत है बेटीइइइइइइइइ मैं तोओओओओओओओओ गयाआऽऽऽऽऽऽ। कहकर झड़ने लगा। उसकी वीर्य की धार उसके पेट पर गिरे जा रही थी। उधर वह भी पाआऽऽऽऽऽऽपा कहकर झड़ने लगी।
जब दोनों शांत हो गए तो महक बोली: पापा रानी से चुदाई चल रही है ना? आप इतने प्यासे क्यों लग रहे हो?
राजीव: अरे बेटी, इस बहू ने सब काम ख़राब कर दिया । एक दिन उसने मुझे रानी को चोदते हुए देख लिया और उसको नौकरी से ही निकाल दिया। अब मेरी प्यास बुझाने वाली कोई है ही नहीं। बहु की माँ को एक बार होटेल में बुला कर चोदा हूँ। पर बार बार होटेल का रिस्क नहीं ले सकता।
महक: ओह ये तो बड़ी गड़बड़ हो गयी। रानी कम से कम आपको शांत तो कर देती थी। अब क्या करेंगे?
राजीव : पता नहीं बेटी, तुम्हारे और राज के मज़े तो ठीक चल रहे हैं ना?
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
महक: पापा आपसे चूदने के बाद अब तो इनके पतले हथियार से मज़ा ही नहीं आता। इसलिए यहाँ भी मैंने अपने लिए एक अमेरिकन पापा ढूँढ लिया है।
राजीव: मतलब? मैं समझा नहीं।
महक: पापा, मेरे ऑफ़िस में आपकी उम्र का ही एक आदमी है जॉन । वो तलाक़ शुदा है। वह मुझे घूरता रहता था। आपसे मिलकर जब वापस आइ तो बुर बहुत खुजाती थी मोटे लौड़े के लिए। आपकी आदत जो पड़ गयी थी। तब मैंने इसे लिफ़्ट दी और अब वह मुझे मज़े से चोदता है। मैं उसे पापा कहती हूँ अकेले में और चुदवाते समय भी। वह भी मुझे डॉटर की तरह ट्रीट करता है अकेले में। उसका लौड़ा भी आपकी तरह मस्त मोटा और बड़ा है। वो भी मस्ती से चोदता है बिलकुल आपकी तरह।
राजीव: वाह बेटी तुमने वहाँ भी एक पापा ढूँढ लिया है, पर मुझे तो यहाँ एक बेटी नहीं मिली।
महक हँसकर बोली: पापा घर में बहू तो है ,बेटी ना सही , उसी से काम चला लो। वैसे उसका व्यवहार कैसा है?
राजीव: व्यवहार तो बहुत अच्छा है उसका, पर साली बहुत सेक्सी है । मैंने उसकी और शिवा की चुदाई ग़लती से देखी है, आऽऽऽऽह क्या मस्त बदन है और क्या रँडी की तरह मज़ा देती है। आऽऽऽऽहहह देखो उसके नाम से मेरा फिर से खड़ा हो गया।
महक: पापा आपकी बातों से मैं भी गीली हो गयी। चलो एक राउंड और करते हैं । यह कहकर वो अपनी जाँघें फैलायी और वहाँ रखे एक डिल्डो ( नक़ली लौड़ा) से अपनी बुर को चोदने लगी।
राजीव भी अपना लौड़ा रगड़ने लगा और बोला: बेटी घोड़ी बन जाओ ना, तुम्हारी गाँड़, चूत और चूतर सभी दिखेंगे। ज़्यादा मज़ा आएगा।
महक उलटी हुई और गाँड़ उठा ली और अपने पापा को अच्छे से दर्शन कराया। फिर पीछे से हाथ लाकर वो डिल्डो अपनी बुर में डालकर मज़े लेने लगी। राजीव को उसकी गुलाबी बुर में वह मोटा सा नक़ली लौड़ा अंदर बाहर होते हुए दिख रहा था और वह भी बुरी तरह से मूठ्ठ मार रहा था। दस मिनट में दोनों झड़ गए।
क्योंकि दोनों थक गए थे इसलिए और ज़्यादा बात नहीं हुई और दोनों आराम करने लगे फ़ोन बंद हो चुका था।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
उधर मालिनी भी अपने कमरे में बैठी थी। उसके पिछले दो दिन से पिरीयड्ज़ आए हुए थे। शिवा भी रात को चुदाई के लिए तड़प रहा था। उसने एक बार मुँह से संतुष्ट किया था। दूसरी बार वह उसके बूब्ज़ पर लौड़ा रगड़ कर शांत हुआ था। उसने गाँड़ में डालने की कोशिश की थी पर मालिनी के आँसू देखकर वह अंदर नहीं डाला। वह मुस्कुराई और सोची: कितना प्यार करते है, मुझे ज़रा सा भी कष्ट ने नहीं देख सकते। तभी शिवा का फ़ोन आया: जान खाना खा लिया ?
मालिनी: हाँ जी। आप खा लिए?
शिवा: हाँ खा लिया। अब तुमको खाने की इच्छा है।
मालिनी: एक दो दिन सबर करिए फिर मुझे भी खा लीजिएगा।
शिवा: अरे जान सबर ही तो नहीं होता । पता नहीं तुम्हारा रेड सिग्नल कब ग्रीन होगा। और तुम्हारी सड़क पर मेरी फटफटि फिर से दौड़ेगी ।
मालिनी हँसने लगी: आप भी मेरी उसको सड़क बना दिए।
शिवा: किसको, नाम लो ना जान। वो अपने चेम्बर में अकेला था सो उसने अपना लौड़ा पैंट के ऊपर से दबाया।
मालिनी फुसफुसाकर: मेरी बुर को।
शिवा: आऽऽऽह रानी वीडीयो कॉल करूँ क्या? एक बार अपनी चूचियाँ दिखा दो तो मैं मूठ्ठ मार लेता हूँ।
मालिनी: आप भी ना। आप रात को आइए मैं मार दूँगी और चूस भी दूँगी।
शिवा: प्लीज़ प्लीज़ जान ,अभी बहुत मूड है।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
मालिनी: दुकान में कोई आ गया तो?
शिवा: अभी लंच ब्रेक है, कोई मेरे कैबिन में नहीं आएगा। लो मैं अंदर से बंद कर लिया प्लीज़ कॉल करूँ विडीओ में?
मालिनी: हे भगवान, आप भी ना, अच्छा चलिए करिए।
जल्दी ही वो विडीओ कॉल से कनेक्ट हो गए। शिवा ने उसे कई बार चुम्मा दिया। फिर अपना लौड़ा दिखाकर बोला: देखो मेरी जान कैसे तड़प रहा है ये तुम्हारे लिए?
मालिनी आँखें चौड़ी करके बोली: हे राम, आप तो पूरा तय्यार हैं। अब उसके निपल्ज़ भी तन गए।
शिवा: जान, प्लीज़ चूचि दिखाओ ना।
मालिनी ने ब्लाउस खोला और फिर वहाँ कैमरा लगाकर उसको ब्रा में क़ैद चूचियाँ दिखाईं। उसने कहा: आऽऽऽऽह प्लीज़ ब्रा भी खोलो।
वह ब्रा निकाल कर नंगी चूचियाँ दिखाने लगी। अब शिवा के हाथ अपने लौंडे पर तेज़ तेज़ चलने लगे। वह बोला: आऽऽऽऽऽह जाऽऽऽऽऽऽन अब पिछवाड़ा भी दिखा दो प्लीज़ । आऽऽऽऽहहह तुम्हारे चूतर देखने है आऽऽऽहहह।
मालिनी ने साड़ी और पेटिकोट उठाया और कैमरा में अपने पैंटी में फँसे चूतरों को दिखाने लगी। फिर उसने पैंटी भी नीचे की और शिवा बोला: आऽऽऽहब्ब चूतरों को फैलाओ और गाँड़ का छेद दिखाओ। हाऽऽऽऽय्य्य्य्य उसका हाथ अब और ज़ोर से चल रहा था। मालिनी ने अपने चूतरों को फैलाया और मस्त भूरि चिकनी गाँड़ उसे दिखाई ।
फिर ना जाने उसे क्या हुआ कि जैसे शिवा उसकी गाँड़ में ऊँगली करता था, आज वैसे ही करने की इच्छा उसे भी हुई। और वह अपनी एक ऊँगली में थूक लगायी और अपनी गाँड़ में डालकर हिलाने लगी। शिवा के लिए दृश्य इतना सेक्सी था कि वह आऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह उग्ग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्ग्ग कहकर वीर्य की धार छोड़ने लगा। मालिनी भी वासना से भरी हुई उसके वीर्य को देखते रही और अपने होंठों पर जीभ फेरती रही। उसकी बुर भी पानी छोड़ रही थी। हालाँकि उसके पिरीयड्ज़ आए हुए थे। फिर उसने अपनी गाँड़ से ऊँगली निकाली और बोली: हो गया? अब सफ़ाई कर लूँ? आप भी क्लीन हो जाओ।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
यह कह कर वो बाथरूम में चली गयी। शिवा ने भी अपने कैबिन से सटे बाथरूम में सफ़ाई की।
बाहर आकर वह फिर फ़ोन किया और मालिनी से बोला: आऽऽह जान , आज तुमने अपनी गाँड़ में ऊँगली कैसे डाल ली? उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मैं तो जैसे पागल ही हो गया अपनी संस्कारी बीवी को ये करते देख कर?
मालिनी हँसकर : बस इच्छा हुई और डाल ली। आप भी तो रोज़ ही डालते हैं मेरे वहाँ ऊँगली। आज मैंने ख़ुद डाल ली।
शिवा: जान मज़ा आया ना? आज के प्रोग्राम में।
मालिनी: हाँ आया तो पर अब ये रोज़ का काम नहीं बना लीजिएगा
शिवा: अरे नहीं रोज़ नहीं, पर कभी कभी तो कर सकते है ना?
मालिनी हंस दी और बोली: चलिए अब काम करिए और मैं आराम करती हूँ। बाई। और उसने फ़ोन काट दिया।
मालिनी सोचने लगी कि आज का उसका व्यवहार काफ़ी बोल्ड था। उसे अपने आप पर हैरानी हुई कि वो ऐसा कैसे कर सकी। फिर सोची कि शायद वह अब बड़ी हो रही है। वो मन ही मन मुस्कुरायी। वो जानती थी कि आज का शो शिवा को ज़िंदगी भर याद रहेगा। वह सोचते हुए सो गयी।
इसी तरह दिन बीत रहे थे । राजीव की प्यास बहू को पाने की अब अपनी चरम सीमा पर थी। पर बहू की तरफ़ से कोई भी पहल होने का प्रश्न ही नहीं था। वह भी ऐसा कोई काम नहीं करना चाहता था जिससे उसे शिवा के सामने शर्मिंदा होना पड़े। वह अब यह चाहने लगा था कि दिन में मालिनी उसकी प्यास बुझाए और शिवा के आने के बाद वह उसके साथ रहे और मज़े करे।
ये उसके हिसाब से बहुत सीधा और सरल उपाय था, पर बात आगे बढ़ ही नहीं पा रही थी। उसके हिसाब से यह बहुत ही सिम्पल सा ऐडजस्टमेंट था जो मालिनी को करना चाहिए और इस तरह वह भी दुगुना मज़ा पा सकती है, और शिवा और वो भी ख़ुश रहेंगे। ।वह बहुत सारी योजना बनाता था मालिनी को पटाने का ,पर कोई भी प्रैक्टिकल नहीं थी। सच ये है कि मालिनी को इस तरह के रिश्ते की कोई ज़रूरत ही नहीं थी क्योंकि वह अपने पति से पूरी तरह संतुष्ट थी। दिक़्क़त तो राजीव की ही थी। इसी तरह समय व्यतीत होते रहा।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
फिर एक दिन राजीव नाश्ता करके अपने कमरे में बैठा था तभी पंडित का फ़ोन आया।
पंडित: जज़मान, मुझे रमेश जी ने आपका नम्बर दिया है। वो कह रहे थे कि आपके लिए लड़कियाँ पसंद करूँ।
राजीव: ओह फिर ?
पंडित: दो लड़कियाँ है शादी में लायक। एक की उम्र २२ साल है और दूसरी २५ की है। दोनों सुंदर हैं और उनका परिवार इसके लिए तय्यार है।
तभी राजीव के कमीने दिमाग़ में अचानक ही एक ख़तरनाक योजना ने जन्म लिया और वह सोचने लगा कि अगर उसकी यह योजना सफल हो गयी तो शायद मालिनी उसके पहलू में होगी।
वह एक कुटिल मुस्कुराहट के साथ पंडित को अपनी योजना समझाया और बोला : जैसे मैंने कहा है वैसे करोगे तो तुमको मैं दस हज़ार रुपए दूँगा।
पंडित: ज़रूर जज़मान, जैसे आपने कहा है मैं वैसे ही बात करूँगा। आप जब भी फ़ोन करोगे। और आपके मिस्ड कॉल आने पर मैं आपको फ़ोन करूँगा। पर जज़मान, पैसे की बात याद रखना।
राजीव: अरे पंडित , तुम्हारा पैसा तुमको मिलेगा ही मिलेगा।
पंडित ने ख़ुशी दिखाकर फ़ोन बंद किया।
राजीव ने अपनी योजना पर और विचार किया और अब अपने आप पर ही मुस्कुरा पड़ा और सोचा कि सच में मेरा दिमाग़ भी मेरे जैसा ही कमीना है। क्या ज़बरदस्त आइडिया आया है।
उसने सोचा कि शुभ काम में देरी क्यों। वह लूँगी और बनियान में बाहर आया। मालिनी कमला से काम करवा रही थी। वह न्यूज़ पेपर पढ़ते हुए कमला के जाने का इंतज़ार करने लगा ।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
थोड़ी देर में कमला चली गई और मालिनी भी अपना पसीना पोंछते हुए बाहर आयी किचन से बोली: पापा जी चाय बनाऊँ?
राजीव मुस्कुराकर: हाँ बहू बनाओ।
थोड़ी देर में दोनों चाय पी रहे थे , तब मालिनी उससे शिवा की दुकान के बारे में बात करने लगी।
मालिनी: पापा जी। ये बोल रहे थे कि दुकान में एक सेक्शन और खोलने से आमदनी बढ़ जाएगी। पर क़रीब ३ लाख और लगाने पड़ेंगे।
राजीव: बेटी, मैं तो अभी पैसा नहीं लगाउँगा। शिवा के पास कुछ इकट्ठा हुआ है क्या? वो लगा ले।
मालिनी: पापा जी, वो तो सारा पैसा आपको ही दे देते हैं, उनके पास कुछ नहीं है।
राजीव: ओह, अभी तो एक और ख़र्चा आ सकता है।
मालिनी: कैसा ख़र्चा ,पापा जी?
राजीव: बेटी, मेरे कई दोस्त बोल रहे हैं कि मैं शादी कर लूँ। मैं कई दिन से इसके बारे में सोचा और आख़िर में मुझे लगा कि इस बात में दम है।
मालिनी हतप्रभ होकर: पापा जी , आपकी शादी? इस उम्र में? ओह !!!!
राजीव: बेटी, अजीब तो मुझे भी लग रहा है, पर किया क्या जाए? बहुत अकेला पड़ गया हूँ। सविता ने तो बीच राह में साथ छोड़ दिया।
मालिनी: ओह, पापा जी पर लोग क्या कहेंगे? और आपके दोनों बच्चे क्या सोचेंगे? मेरी रिक्वेस्ट है कि इस पर फिर से विचार कर लीजिए। यह बड़ी अजीब बात होगी।
राजीव: ठीक है बेटी। और सोच लेता हूँ, पर मेरे दोस्त पीछे पड़े हैं। एक दोस्त ने तो गाँव के पंडित को काम पर भी लगा दिया है।वह मेरे लिए गाँव में लड़की देख रहा है।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
मालिनी अब शॉक में आकर बोली: लड़की देखनी भी शुरू कर दिए? आपको शिवा और महक दीदी से बात तो करनी चाहिए थी। पता नहीं वो दोनों पर क्या बीतेगी?
राजीव: अरे कुछ नहीं होगा , कुछ दिनों में सब समान्य हो जाएगा।
मालनी: तो सच में आप शादी करने को तय्यार हैं? लड़की की उम्र क्या होगी?
राजीव: समस्या यहीं है, जो लड़कियाँ मिल रहीं हैं , वो तुमसे भी उम्र में छोटी हैं। पता नहीं तुम अपनी से भी छोटी लड़की को कैसे मम्मी कहकर बुला पाओगी?
अब मालिनी का मुँह खुला का खुला रह गया, बोली: मेरे से भी छोटी ? ये क्या कह रहें हैं आप? हे भगवान! उसके माँ बाप शादी के लिए राज़ी हो गए?
राजीव: बेटी, पैसे का लालच बहुत बड़ा होता है। मुझे काफ़ी पैसे ख़र्च करने पड़ेंगे। इसी लिए तो बोला कि आगे आगे ख़र्चे और बढ़ेंगे, तो शिवा की दुकान ने कैसे पैसा लगा पाउँगा?
मालिनी: ओह , बड़ी मुश्किल हो जाएगी।
राजीव: बेटी, फिर शादी के बाद मेरा परिवार भी तो बढ़ेगा, शिवा का भाई या बहन होगी और ख़र्चा तो बढ़ेगा ही ना?
मालिनी का तो जैसे दिमाग़ ही घूम गया अपने ससुर की बातें सुनकर। वह चुपचाप उठी और अपने कमरे में चली गयी। वो सोचने लगी कि इस उम्र में इनको ये क्या सूझी है शादी और बच्चा पैदा करने की । कितनी जग हँसाई होगी? और हमारे बच्चे का क्या ? उसे सबकुछ गड़बड़ लगा, वह बहुत परेशान हो गयी थी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। पता नहीं शिवा इसे कैसे लेगा? पता भी उस पर क्या बीतेगी? वह तो अपने पापा से पैसे की आस लगाए बैठा है।
इसी तरह की सोच में वो खोई हुई थी ।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
राजीव आज बहुत ख़ुश था, क्योंकि उसका तीर एकदम निशाने पर लगा था। वह जानता था की अब आगे आगे वो मालिनी को मजबूर करेगा कि वह उसकी बात मान ले। वह अपना लंड दबाया और बोला: बस अब कुछ दिनों की ही बात है, तू जल्द ही बहू की बुर के मज़े लेगा। वह कमीनी मुस्कुराहट के साथ मोबाइल पर सेक्स विडीओ देखने लगा।
लंच के बाद सोफ़े पर बैठकर मालिनी ने फिर से वही टॉपिक उठाया और बोली: पापा जी। मैं आपसे फिर से कहती हूँ कि प्लीज़ इस पर विचार कीजिए, ये सही नहीं है। आपको इस उम्र में २० साल की लड़की से शादी शोभा नहीं देती।
राजीव कुटीलता से बोला: बहू , इस सबके लिए कुछ हद तक तो तुम ही ज़िम्मेदार हो?
मालिनी हैरानी से : में ? वो कैसे ?
राजीव: अच्छा भला मेरा काम चल रहा था, रानी के साथ। तुमने उसे भी निकाल दिया। अब बताओ मैं क्या करूँ? कैसे अपना काम चलाऊँ? यह कहकर वह बेशर्मी से अपने लूँगी के ऊपर से अपने लण्ड को दबाने लगा। राजीव घर में चड्डी भी नहीं पहनता था।
मालिनी के गाल लाल हो गए। वो पापाजी की इस हरकत से स्तब्ध रह गयी।
वह लूँगी के ऊपर से उनके आधे खड़े लौड़े को देखकर हकला कर बोली: पापाजी, ये आप कैसी बातें कर रहे हैं? रानी एक ग़लत लड़की थी और आपको उससे कभी भी कोई बीमारी भी लग सकती थी। वो आपके लायक नहीं थी।
राजीव: मैं नहीं मानता। वो सिर्फ़ अपने पति और मुझसे ही चु- मतलब रिश्ता रखती थी। वो एक अच्छी लड़की थी। तुमने उसको नाहक ही निकाल दिया।
मालिनी परेशान होकर उठ बैठी और बोली: पापा जी मैंने तो अपनी ओर से आपके स्वास्थ्य के हित के लिए किया था और आप मुझे ही दोष दे रहे हैं।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
वह परेशानी की हालत में अपने कमरे में आ गयी।
राजीव उसकी परेशानी का मज़े से आनंद ले रहा था।
रात को जब शिवा आया तो मालिनी से बात बात में पूछा: पापा से पैसे की बात हो पाई क्या?
मालिनी: नहीं हो पाई।
शिवा: अच्छा आज डिनर पर मैं ही बात करता हूँ।
मालिनी: नहीं नहीं, आज मत करिए, फिर किसी दिन मौक़ा देख कर करेंगे।
शिवा: क्यों आज क्या हुआ?
मालिनी: आज उनका मूड ठीक नहीं है।
शिवा: जान, कल तुम बात ज़रूर करना , तुमको पता है कि मेरे लिए ये पैसे कितने ज़रूरी हैं । प्लीज़ जल्दी बात करना। तुम्हारी बात वो नहीं टालेंगे। अपनी बहू को बहुत प्यार करते हैं वो।
मालिनी: अच्छा करूँगी जल्दी ही बात।
वह मन ही मन में सोचने लगी कि अगर मैं शिवा को बता दूँ कि पापा जी के मन में क्या चल रहा है तो वह सकते में आ जाएँगे। और अभी तो पापा जी का पैसा देने का कोई मूड ही नहीं है।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
रात को शिवा सोने के पहले उसकी ज़बरदस्त चुदाई किया और वो भी मज़े से चुदवाई। पर बार बार उसके कानों में पापा जी की बात गूँजती थी कि तुम ही हो इस सबकी ज़िम्मेदार , रानी को क्यों भगाया? वो सोची की पापा को तो बिलकुल ही अपने किए पर पश्चत्ताप नहीं है। उलटा मुझे दोष दे रहे हैं। तो क्या रानी को वापस बुला लूँ? नहीं नहीं ये नहीं कर सकती तो क्या करूँ। उफफफफ वो शिवा से भी कुछ शेयर नहीं कर पा रही थी। वो ये सोचती हुई सो गयी।
अगले दिन मालिनी शिवा के जाने के बाद कमला से काम करवाई और उसके भी जाने के बाद अपनी योजना के हिसाब से राजीव बाहर आया। मालिनी उसको देखके पूछी: पापा चाय बनाऊँ क्या?
राजीव: नहीं रहने दो। पानी पिला दो।
जैसे ही वह पानी लेने गयी , उसने पंडित को मिस्ड कॉल दी। मालिनी के आते ही राजीव के फ़ोन की घंटी बजी। मालिनी के हाथ से पानी लेकर वह बोला: हेलो, अरे पंडित जी आप?
मालिनी पंडित के नाम से चौंकी और ध्यान से सुनने लगी।
राजीव ने पानी पीते हुए फ़ोन को स्पीकर मोड में डाला।
पंडित: जज़मान, आपके लिए दो लड़कियाँ देख लीं हैं , एक २० साल की है और दूसरी २२ की। दोनों बहुत ही मासूम और सुंदर लड़कियाँ हैं।
मालिनी हैरान रह गयी, कि ये सब क्या हो रहा है। ये पापा जी तो बड़ी तेज़ी से शादी का चक्कर चला रहे हैं।
राजीव: अरे यार थोड़ी बड़ी उम्र की लड़की नहीं मिली क्या? ये तो मेरी बहु से भी छोटी हो जाएँगी ।
पंडित: अरे जज़मान, मज़े करो, ऐसी लड़कियाँ दिला रहा हूँ कि आप फिर से जवान हो जाओगे। तो बोलो क्या कहते हो?
राजीव: ख़र्चा कितना आएगा?
पंडित: ३/४ लाख तो लगेंगे ही। आख़िर शादी का सवाल है ।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
मालिनी सोची ३/४ लाख, इतना ही तो शिवा को चाहिए। और पापा इसे शादी में बर्बाद कर रहे हैं।
राजीव: पंडित जी , थोड़ा सा मोल भाव करों भाई। देखो और कम हो सकता है क्या?
पंडित: चलिए मैं कोशिश करता हूँ, पर आप लड़कियाँ देखने कल आएँगे ना।
मालिनी का तो जैसे कलेजा मुँह में आ गया, कल ही? हे प्रभु, क्या करूँ? कैसे रोकूँ इनको?
राजीव: अरे पंडित जी, कल का मत रखो , मुझे पैसे का भी इंतज़ाम करना होगा। आप ३ दिन बाद का कर लो। ठीक है?
पंडित: ठीक है तो तीन दिन बाद ही सही। और कुछ?
राजीव: देखो, पंडित , कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं होनी चाहिए लड़कियों पर । वह अपनी मर्ज़ी से शादी करेंगी। ठीक है?
पंडित: बिलकुल ठीक है। ठीक है फिर रखता हूँ।
राजीव ने फ़ोन रखा और मालिनी को देखा जो बहुत परेशान दिख रही थी। राजीव मन ही मन ख़ुश हो रहा था कि तीर निशाने पर लगा है।
मालिनी: पापा जी, कोई तरीक़ा नहीं है इस शादी को टालने का?
आप चाहो तो मैं रानी को वापस बुला लेती हूँ। उसने अपने हथियार डालते हुए कहा।
राजीव: क्या फ़ायदा अब? उसके गर्भ को काफ़ी समय हो गया है। अब वो चु- मतलब करवाने के लायक होगी भी नहीं। अक्सर डॉक्टर ऐसे समय में चु- मतलब सेक्स करने को मना करते हैं।
मालिनी: ओह, फिर क्या करें? यह रानी वाला आप्शन भी गया।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
राजीव: देखो, मेरी हालत तो तुमने बिगाड़ ही दी है। रानी को निकाल दिया और ऊपर से तुम्हारा ये क़ातिलाना सौंदर्य मैं तो पगला ही गया हूँ।
मालिनी बुरी तरह से चौकी: मेरा सौंदर्य? मतलब? मैंने क्या किया? आप ऐसे क्यों बोल रहे हैं?
राजीव: और क्या बोलूँ? कभी अपना रूप देखा है आइने में। इतनी सुंदर और सेक्सी हो तुम। दिन भर तुम्हारे इस रूप और इस सेक्सी बदन को देखकर मेरा क्या हाल होता है , जैसे तुमको मालूम ही नहीं? यह कहकर वह फिर से अपना लौड़ा लूँगी के ऊपर से दबाया।
मालिनी को तो जैसे काटों ख़ून नहीं!!! हे ईश्वर, ये मैं क्या सुन रही हूँ। पापा जी खूल्लम ख़ूल्ला बोल रहे हैं कि वह उसे वासना की नज़र से देखते है। अब तो वह कांप उठी। पता नहीं भविष्य में उसके लिए क्या लिखा है?
वह बोली: पापा जी। ये कैसी बातें कर रहे हैं। मैं आपकी बहू हूँ ,बेटी के जैसे हूँ। महक दीदी के जैसे हूँ। आप मेरे बारे में ऐसा सोच भी कैसे सकते हैं?
राजीव: देखो, पिछले दिनो में मेरी भावनाएँ तुम्हारे लिए बहुत बदल गयी है। अब मैं तुमको एक जवान लड़की की तरह देख रहा हूँ और तुम्हारा भरा हुआ बदन मुझे पागल कर रहा है। पर मैंने कभी कोई ग़लत हरकत नहीं की है तुम्हारे साथ। मैं हमेशा लड़की को उसकी रज़ामंदी से पाना चाहता हूँ। आज मैंने तुमको बता दिया कि ये शादी अब सिर्फ़ तुम ही रोक सकती हो। वो भी मेरी बन कर।
मालिनी: पापा जी, पर मैं तो आपके बेटे की बीवी हूँ। आपकी कैसे बन सकती हूँ?
राजीव: देखो बहू , तुम दिन में मेरी बन कर रहो और शिवा के आने के बाद उसकी बन कर रहो। इस तरह हम दोनों तुमसे ख़ुश रहेंगे। इसमे क्या समस्या है?
मालिनी: पापा जी, आप क्या उलटा पुल्टा बोल रहे है? मैं शिवा से बहुत प्यार करती हूँ, उनको धोका नहीं दे सकती हूँ। आप अपनी सोच बदल लीजिए। आप नहीं जानते मुझे आपकी बात ने कितना दुखी किया है। और वह रोने लगी।
राजीव: देखो बहू, रोना इस समस्या का हल नहीं है। तुमको या तो मेरी बात माननी होगी या मेरी शादी होते देख लो। अब जो भी करना है, तुमको ही करना है।
मालिनी वहाँ से रोते हुए भाग कर अपने कमरे में आ गयी।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
मालिनी के आँसू जब थमें वह बाथरूम में जाकर मुँह धोयी और बाहर कर बिस्तर पर बैठ गयी और पूरे घटनाक्रम के बारे में फिर से सोचने लगी। यह तो समझ आ गया था कि पापा की आँखों पर हवस का पर्दा पड़ा है और वो उसे पाने के लिए पागल हो रहे हैं। अगर वह उनको नहीं मिली तो वह शादी करके एक दूसरी लड़की की ज़िन्दगी बरबाद करेंगे। हे भगवान, मैं क्या करूँ।?
पापा की शादी से और क्या क्या नुक़सान हो सकते है ? वो इसपर भी विचार करने लगी। एक बात तो पक्का है कि पैसे का तो काफ़ी नुक़सान होगा ही। और क्या पता कैसी लड़की आए घर में। हो सकता है वह इस घर की शांति ही भंग कर देगी। उफ़ वो क्या करे ? किसकी मदद ले? शिवा, महक या मम्मी की। उसने सोचा कि उसके पास ३ दिन है । देखें क्या रास्ता निकलता है इस उलझन का?
पापा के साथ लंच करने की इच्छा ही नहीं हुई। उसने उनको खाना खिलाया।
राजीव: तुम नहीं खा रही हो?
मालिनी: आपने मेरी भूक़ प्यास सब मार दी है। आपने तो मुझे पागल ही कर दिया है।
राजीव: बहू, मैंने नहीं , तुम्हारी जवानी ने मुझे पागल कर दिया है। बस तुम एक बार मेरी बात मान जाओ , सब ठीक हो जाएगा। दिन में तुम मेरी जान और रात में शिवा की जान। आख़िर इसमें इतना ग़लत क्या है? घर की बात घर में ही रहेगी। और समय आने पर शिवा को भी बता देंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि वह इसे सामान्य रूप से ही लेगा।
मालिनी: आप ऐसा कैसे कह सकते हैं। छि, ये सब कितना ग़लत है। शिवा को धोका देना मेरे लिए असम्भव सा है। प्लीज़ मुझे बक्श दीजिए। प्लीज़ शादी मत करिए।
राजीव खाना खाकर वापस सोफ़े में बैठ चुका था। वो बोला: देखो बहु, अगर मैं तुम्हारी बात मान लूँ तो मेरे इसका क्या होगा? इस बार वो अपनी लूँगी के ऊपर से लौड़ा दबाकर बोला। उसकी इस कमीनी हरकत से एक बार मालिनी फिर से सकते में आ गयी।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
राजीव अपने लौड़े को मसलते हुए बोला: देखो बहु, मैं कैसे मरे जा रहा हूँ तुम्हें पाने के लिए। अब उसका लौड़ा पूरा खड़ा था लूँगी में और वह चड्डी भी नहीं पहनता था। मालिनी ने अपना मुँह घुमा लिया,और सोची कि इनका पागलपन तो बढ़ता ही जा रहा है। उफ़्फ़ इस सब का क्या हल निकल सकता है?
वह फिर से उठकर अपने कमरे में चली गयी। रात को ८ बजे शिवा आया और मालिनी सोचती रही कि इनको बताऊँ क्या कि पापा मुझसे क्या चाहते हैं। फिर वह सोची कि घर में कितना बड़ा घमासान हो सकता है बाप बेटे के बीच में। वह अभी चुप ही रहना चाहती थी।
उसने सोचा कि कल महक या माँ से बात करूँगी, शायद वो कुछ मदद कर सकें।
अगले दिन शिवा और कमला के जाने के बाद मालिनी सोफ़े पर बैठी सोच रही थी कि मम्मी से सलाह ले लेती हूँ। तभी राजीव अपने कमरे से बाहर आया और आकर मालिनी के सामने वाले सोफ़े पर बैठ गया।
मालिनी: पापा जी चाय लेंगे?
राजीव: ले आओ। ले लेंगे। वैसे लेना तो कुछ और भी है तुम्हारा,पर तुम तो सिर्फ़ चाय पिलाती हो। वह अब बेशर्मी पर उतर आया था। अब उसे अश्लील भाषा का भी लिहाज़ नहीं रहा था।
मालिनी उसकी इस तरह के लहजे से हैरान हो गयी और बोली: पापा जी आप किस तरह की बातें कर रहे हैं। मैं आपकी बहू हूँ आख़िर। छी कोई अपनी बहू से भी ऐसी बातें करता है भला।
राजीव: देखो बहु, मैंने तो कल ही साफ़ साफ़ कह चुका हूँ कि मैं तुम्हारा दीवाना हो चुका हूँ। अब इसी बात को दुहरा ही तो रहा हूँ, कि मुझे तुम और तुम्हारी चाहिए।
मालिनी: पापा जी आपके कोई संस्कार हैं या नहीं? अच्छे परिवार के लोग ऐसी बातें थोड़े ही करते हैं।
राजीव: संस्कार? हा हा हममें से किसी में भी संस्कार नहीं है। ना हमारे परिवार में और ना तुम्हारे परिवार में। बड़ी आयी संस्कार की बातें करने वाली।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
मालिनी: पापा जी आपके परिवार का तो पता नहीं पर मेरे परिवार में संस्कार का बहुत महत्व है।
राजीव कुटिल मुस्कुराहट के साथ बोला: अच्छा , और अगर मैं ये साबित कर दूँ कि तुम्हारा परिवार संस्कारी नहीं है तो तुम मुझे वो दे दोगी जो मुझे चाहिए?
मालिनी: छी फिर वही गंदी बातें कर रहे हैं। और जहाँ तक मेरे परिवार का प्रश्न है वह पूरी तरह से संस्कारी है।
राजीव हँसते हुए: तुम बोलो तो अभी तुम्हारे संस्कारी परिवार का भांडा फोड़ दूँ।
मालिनी: क्या मतलब है आपका?
राजीव: वही जो कहा? तुम्हें अपने संस्कारी परिवार पर बहुत घमंड है ना? उसकी सच्चाई दिखाऊँ?
मालिनी: मुझे समझ नहीं आ रहा है आप क्या बोले जा रहे हो? किस सच्चाई की बात कर रहे हैं आप?
राजीव :चलो अब तुम्हें दिखा ही देते हैं कि कितना संस्कारी है तुम्हारा परिवार?
राजीव ने मालिनी की माँ सरला को फ़ोन लगाया। स्पीकर मोड में फ़ोन रखकर वह मालिनी को चुप रहने का इशारा किया।
राजीव: हेलो , कैसी हो?
सरला: ठीक हूँ आप कैसे हैं? आज मेरी याद कैसे आ गयी।
राजीव: अरे मेरी जान तुमको तो मैं हमेशा याद करता हूँ। बस आजकल फ़ुर्सत ही नहीं मिलती।
मालिनी का मुँह खुल गया वह सोची कि पापा जी माँ को जान क्यों बोल रहे हैं।
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सरला: जाइए झूठ मत बोलिए। आपको तो रानी के रहते किसी और की क्या ज़रूरत है।
राजीव: अरे रानी को तो तुम्हारी बेटी ने कब का निकाल दिया।
सरला: ओह क्यों निकाल दिया? वो तो आपका बहुत ख़याल रखती थी और पूरा मज़ा भी देती थी।
राजीव: अरे तुम्हारी बेटी ने मुझे उसे चोदते हुए देख लिया। बस उसके पीछे पड़ गयी और निकाल कर ही दम लिया। अब मैं अपना लौड़ा लेकर कहाँ जाऊँ? फिर तुम्हारी याद आयी और सोचा कि तुमसे बात कर लूँ तो अच्छा लगेगा।
मालिनी राजीव के मुँह से ऐसी गंदी बातें सुनकर वह हैरान थी।
सरला हँसकर: मैं आ जाती हूँ और आपके हथियार को शांत कर देती हूँ।
अब मालिनी को समझ में आ गया कि पापा और उसकी माँ का चक्कर पुराना है। वह सकते में आ गयी।
राजीव उसके चेहरे के बदलते भावों को बड़े ध्यान से देख रहा था और अपनी योजना की सफलता पर ख़ुश हो रहा था ।
वह बोला: अरे तुमने यहाँ एक मेरे ऊपर थानेदारनी बहु जो बिठा रखी है, वह संस्कार की दुहाई दे कर तुमको भी चुदवाने नहीं देगी।
मालिनी बिलकुल इस तरह की भाषा के लिए तय्यार नहीं थी।
सरला: अरे उसे कहाँ पता चलेगा। मैं आ जाती हूँ, दिन भर मालिनी के साथ रहूँगी और रात को आपके पास आ जाऊँगी।
अब तो मालिनी के चेहरे का रंग पूरी तरह उड़ गया।
राजीव: श्याम को भी लाओगी ना साथ में? हम दोनों तुम्हारी वैसे ही चुदाई करेंगे जैसे उस दिन होटेल में की थी। बहुत मज़ा आया था, है ना
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सरला: हाँ जी, उस दिन का मज़ा सच में नहीं भूल पाऊँगी। मैंने श्याम से कहा है कि बुर चूसने में आपका कोई जवाब ही नहीं है। मैं आजकल श्याम को सिखा रही हूँ बुर चूसना। सच उस दिन आपको पता है मैं चार बार झड़ी थी।
राजीव: उस दिन की बात सुनकर देखो मेरा खड़ा हो गया। और ये कहकर मालिनी को दिखाकर लूँगी के ऊपर से उसने अपना लौड़ा मसल दिया।
अब मालिनी की आँखों में शर्म और दुःख के आँसू आ गए थे। उसे अपनी माँ से ऐसी उम्मीद नहीं थी। वह जानती थी कि श्याम के साथ उनका रिश्ता है। पर वह उसे स्वीकार कर चुकी थी। पर ये बातें जो उसने अभी सुनी , उफफफ ये तो बहुत ही घटिया हरकत है पापा , श्याम ताऊ और माँ की। छी कोई ऐसा भी करता है क्या? वह रोते हुए अपने कमरे में आकर बिस्तर पर गिर गयी और तकिए में मुँह छिपाकर रोने लगी।
अब राजीव ने सरला से कुछ और बातें की , फिर फ़ोन काट दिया। अब वह उठकर मालिनी के कमरे में आया और वहाँ मालिनी को पेट के बल लेटके रोते देखा। उसकी बड़ी सी गाँड़ रोने से हिल रही थी, उसकी इच्छा हुई कि उन मोटे उभारों को मसल दे । पर उसने अपने आप पर क़ाबू किया और जाकर उसके पास बिस्तर पर बैठ गया। उसने मालिनी की पीठ पर हाथ फेरा और बोला:बहु रो क्यों रही हो? जब तुम्हारी माँ को मुझसे चुदवाने में मज़ा आ रहा है और वो ख़ुश है तो तुम क्यों दुखी हो रही हो?
मालिनी: पापा जी मुझे माँ से इस तरह की उम्मीद नहीं थी।
राजीव: अरे वाह पहले भी तो तुम्हारे ताऊ से चुदवा ही रही थी? तुमको पता तो होगा ही?
मालिनी रोते हुए बोली: वो दूसरी बात है और उसे मैंने स्वीकार कर लिया था क्योंकि ताई जी बीमार रहती हैं और मेरे पापा नहीं है। पर आपके साथ करने की क्या ज़रूरत थी?
राजीव: बहु तुम उसे एक माँ की नज़र से ही देखती हो। उसे एक औरत की नज़र से देखो। उसकी बुर मज़ा चाहती थी। जो मैंने उसे दिया। हर बुर को एक लौड़ा चाहिए। और हर लौड़े को एक बुर। यही दुनिया की रीत है। सभी संस्कार धरे रह जाते है, जब औरत की बुर में आग लगती है या आदमी के लौड़े में तनाव आता है। यह कहते उसने उसकी पीठ सहलाते हुए उसका नंगा कंधा भी सहलाया । उसकी चिकने बदन का स्पर्श उसे दीवाना कर रहा था। अब वह उसके आँसू पोछने के बहाने उसके चिकने गाल को भी सहलाने लगा।
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मालिनी: पर पापा जी आपको तो उनको समझाना चाहिए था ना? आपने भी उनका साथ दिया।
राजीव उसकी पीठ सहलाते हुए अब उसकी चिकनी कमर जो ब्लाउस के नीचे का हिस्सा था सहलाने लगा और बोला:बहु,श्याम के साथ वह बहुत दिन से मज़ा कर रही थी और वो ख़ुश थी। पर जब वो मुझसे चुदी तो उसने जाना कि असली चुदाई का सुख क्या होता है। इसीलिए हमारा रिश्ता गहरा हो गया और बाद में श्याम भी इसमे शामिल हो गया। फिर हम तीनों मज़े लेने लगे।
मालिनी आँसू पोछते हुई उठी और और बैठ कर बोली: पापा जी मुझे अकेला छोड़ दीजिए । मैं बहुत परेशान हूँ। मेरी सोचने समझने की शक्ति चली गयी है।
राजीव उसके हाथ सहलाता हुआ बोला: बहु मैं तो सिर्फ़ तुम्हारे संस्कारी परिवार के बारे में बता रहा था । समझ गयी ना कि कैसा परिवार है तुम्हारा? अब भी मेरी बात मान लो। एक बार हाँ कर दो, रानी बन कर रहोगी। दिन में मेरी और रात में शिवा की। दुनिया की हर ख़ुशी तुम्हारी झोली में डाल दूँगा। और डबल मज़ा मिलेगा वह अलग । ये कहते हुए वह खड़ा हुआ और उसकी लूँगी से उसका उभरा हुआ खड़ा लौड़ा अलग से मालिनी की आँखों के सामने था। उफफफफ पापा जी भी ना, वह सोची कि क्या हो गया है इनको?
उनके जाने के बाद वह स्तब्ध सी बैठी अब तक की घटनाक्रम के बारे में सोचने लगी। पापा तो हाथ धो कर पीछे पड़ गए हैं, वो बार बार उसे अपनी बनाने की बात करते हैं। आख़िर वो ऐसा कैसे कर सकती है ? वह शिवा को धोका कैसे दे सकती है? इसी ऊहापोह में वह सो गयी।
शिवा शाम को आया और आते ही मालिनी की चुदाई में लग गया। जब वह शांत हुआ तो मालिनी बोली: आपका दिन कैसा रहा?
वो: ठीक था, पर तुम पापा से पैसों की बात करी या नहीं?
मालिनी: नहीं कर पाई। अवसर ही नहीं मिला।
शिवा: चलो मैं ही बात कर लेता हूँ।
मालिनी; नहीं नहीं। आप अभी रहने दो, मैं ही कर लूँगी।
मालिनी को डर था कि कही पापा शिवा को पैसे के लिए मना करके अपनी शादी की बात ना बता दें। शिवा को बड़ा धक्का लगेगा।
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शिवा: ठीक है, तुम ही बात कर लेना। अच्छा एक बात बताऊँ? आज असलम आया था। मेरे कॉलेज का दोस्त। शादी के बाद वह पहली बार मिला है। हमारी शादी भी अटेंड नहीं कर पाया क्योंकि वह विदेश में था। उसका इक्स्पॉर्ट का बिज़नेस है।
मालिनी: अच्छा क्या बोल रहा था?
शिवा: अरे वो जो बोल रहा था , सुनोगी तो चक्कर आ जाएगा।
मालिनी: ओह ऐसा क्या बोल दिया उसने।
शिवा: वो बोल रहा था कि वो जब भी बाहर जाता है अपनी बीवी को भी ले जाता है। और वह वहाँ जाकर वाइफ़ सवेप्पिंग यानी बीवियों की अदला बदली का खेल खेलता है।
मालिनी: हे राम, ये क्या कह रहे हैं आप? छि कोई ऐसा भी करता है क्या?
शिवा: अरे बड़ी सोसायटी में सब चलता है । वह कह रहा था कि अब अपने शहर में भी ये सब शुरू हो गया है। वह यहाँ भी अपने दो दोस्तों की बीवियों को चोद चुका है और बदले में उसकी बीवी भी उसके दोनों दोस्तों से चुद चुकी है।
मालिनी: ओह ये तो बड़ी गंदी बात है।
शिवा: मैं भी मज़ाक़ में बोला कि मुझसे भी चुदवा दे भाभी को। जानती हो वो क्या बोला?
मालिनी: क्या बोला?
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शिवा: वह बोला कि अरे भाई चल अभी चोद ले उसको, पर अपनी वाली कब दिलवाएगा। ? मैं बोला साले मैं मज़ाक़ कर रहा था। मेरी बीवी इसके लिए कभी तय्यार नहीं होगी। वो बहुत संस्कारी परिवार से है।
मालिनी संस्कारी शब्द से चौकी। और सोची काहे का संस्कारी परिवार ? सत्यानाश हो रखा है संस्कारों का। अपनी माँ और ससुर के सम्बन्धों का जान कर तो वो शर्म से गड़ गयी है।
वह बोली: चलिए हमें क्या करना है इन फ़ालतू बातों से । आप फ़्रेश हो लीजिए मैं खाना लगाती हूँ।
सबने खाना खाया और शिवा ने रात को दो राउंड और चुदाई की।
अगले दिन सुबह मालिनी उठी और चाय बनाकर राजीव के कमरे के बाहर से आवाज़ लगाई: पापा जी, आइए चाय बन गयी।
राजीव लूँगी और बनयान में बाहर आया और टेबल पर बैठकर चाय पीने लगा और बोला: बहु गुड मॉर्निंग।
मालिनी ने झुककर उसके पैर छुए और गुड मोर्निंग पापा जी कहा। वह भी चाय पीने लगी।
राजीव: बहु , रात को शिवा ने मज़ा दिया?
मालिनी चौक कर और शर्म से लाल होकर: छी पापा जी , ये कैसा प्रश्न है?
राजीव: अच्छा प्रश्न है कि रात को मज़ा किया या नहीं? ये तो सामान्य सा प्रश्न है?
मालिनी: मुझे इसका जवाब नहीं देना है। वह चाय पीते हुए बोली।
राजीव: अगर तुमने मज़ा किया तो यह सामान्य बात है। और अब दिन में उसके जाने के बाद तुम मुझसे मज़ा लो तो भी वह समान्य बात हो सकती है। है ना?
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मालिनी: बिलकुल नहीं। वो मेरे पति हैं आप नहीं। फिर वह उठी और चाय के ख़ाली प्यालियाँ उठा कर किचन में ले गयी। राजीव उसके पीछे किचन में गया और बोला: जानती हो जब तुम चलती हो तो तुम्हारा पिछवाड़ा बहुत सेक्सी दिखता है।
मालिनी पीछे को मुड़ी और बोली: पापा जी प्लीज़ ऐसी बातें मत करिए । मुझे बहुत दुःख होता है।
अब राजीव उसकी छातियों को घूरते हुए बोला: और तुम्हारी इन मस्त छातियों ने तो मेरी नींद ही उड़ा दी है।
मालिनी अब लाल होकर चुपचाप वहाँ से बाहर निकलने लगी। तभी राजीव ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:मान जाओ ना मेरी बात, क्यों मुझे मजबूर कर रही हो कि मैं इस घर में एक और जवान लड़की लाऊँ और घर की शांति भंग करूँ।
मालिनी दुखी मन से अपना हाथ छुड़ाया और बोली: पापा जी ये बिलकुल ग़लत है । ये कैसे हो सकता है?
यह कहकर वह वहाँ से चली गयी। राजीव भी अपनी लूँगी के ऊपर से अपना लौड़ा मसलते हुए चला गया अपने कमरे में।
मालिनी ने शिवा को उठाया और उसे भी चाय पिलाई। शिवा फ़्रेश होकर मालिनी को बिस्तर पर पटक दिया और बोला: क्या बात है थोड़ी उदास दिख रही हो? वह उसके होंठ चूसते हुए बोला।
मालिनी क्या बोलती कि पापा ने अभी कितनी गंदी बात की है? वह सोची कि शिवा को बतायी तो उसे बहुत ग़ुस्सा आ जाएगा और परिवार बिखर जाएगा । वह उससे चिपट गयी और दोनों प्यार के संसार में खो गए। शिवा उत्तेजित होता चला गया और उसने मालिनी की जम कर चुदाई कर दी।
चुदाई के बाद थोड़ा आराम कर मालिनी बाहर आइ और नाश्ता बनाने लगी । नाश्ते के टेबल पर राजीव बिलकुल सामान्य लग रहा था और उससे बड़ी अच्छी तरह से बातें कर रहा था जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो। उधर मालिनी को उसके लिए सामान्य होने में बड़ी दिक़्क़त हो रही थी । शिवा अपने पापा से बहुत सी बातें किया। मालिनी सोच रही थी कि पापा कितने बड़े गिरगिट हैं । अभी ऐसा लग ही नहीं रहा है जैसे उन्होंने उससे कुछ गंदी बात की ही ना हो। उफ़्फ़्फ़ वह कैसे इस सिचूएशन को हैंडल करे।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
शिवा के जाने के बाद वह नहाने चली गयी।बाथरूम में शीशे में अपनी जवानी देखकर वह सोची कि शायद पापा की इसमें कोई ग़लती नहीं है। सच में शादी के बाद उसका बदन बहुत ही मस्त हो गया है। उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ एकदम गोल गोल और पूरी तरह टाइट थे। बड़े बड़े काले निपल बहुत मस्त लग रहे थे। नीचे उसका सपाट पेट और गहरी नाभि और पतली कमर बहुत ही ग़ज़ब ढा रही थी। उसके नीचे मस्त भरी हुई जाँघें और उसके बीच में फूली हुई बुर का नज़ारा उसे ख़ुद ही मस्त कर दिया था।
तभी उसके कान में पापा के शब्द सुनाई दिए कि क्या मस्त पिछवाड़ा है । वह अब मुड़ी और उसके सामने उसके सेक्सी चूतर थे। उफफफफ सच पापा जी का कोई दोष नहीं है। कितने आकर्षक हो गए हैं उसके चूतर । वह ख़ुद ही अपनी चूतरों पर मुग्ध हो गयी और उनपर हाथ फिराकर उनके चिकनेपन से वह मस्त हो गयी। फिर उसने अपना सिर झटका और सोची कि वो पापा की बातों के बारे में क्यों सोच रही है। अब वो नहाने लगी।
नहाकर तय्यार होकर साड़ी में वह बाहर आइ और बाई से काम करवाने लगी। फिर वह आकर सोफ़े पर बैठी और पेपर पढ़ने लगी। राजीव भी थोड़ी देर में नहाकर बाहर आया और पंडित को मिस्ड काल किया। जल्दी ही पंडित का फ़ोन आ गया।
राजीव: नमस्ते पंडित जी। कैसे याद किया? फिर उसने फ़ोन स्पीकर मोड में डाल दिया ताकि सामने बैठी मालिनी सब सुन ले।
पंडित: जज़मान, आज एक लड़की वाले के यहाँ गया था। वो बोल रहे थे कि अगर शादी हो गयी और उस लड़की के बच्चा हुआ तो आपके बड़े बेटे और इस नए बच्चे में सम्पत्ति बराबर से बाटनी होगी। मैंने कह दिया कि ये तो होगा ही। पर वो स्टैम्प पेपर में अग्रीमेंट चाहते हैं। वो बोल रहे हैं की आप तो उससे क़रीब ३० साल बड़े है। आपके बाद उस लड़की और उसके बच्चे का भविष्य कैसे सुरक्षित रहेगा। आप बताओ क्या बोलना है?
राजीव: अरे साले मेरे मरने का अभी से इंतज़ार कर रहे हैं क्या? वैसे उनकी बात में दम है, अगर मैं १५/२० साल में मर गया तो वह लड़की तो उस समय सिर्फ़ ३५/४० की होगी। उसका और उसके बच्चे का भविष्य सच में ख़तरे में होगा मतलब मुझे अभी से जायदाद का बँटवारा करना होगा। ताकि बाद में उसके साथ अन्याय ना हो।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
यह कहते हुए वह मालिनी की ओर देखा जिसके मुँह का रंग उड़ गया था। वह सोच रही थी कि शिवा के हिस्से में आधी प्रॉपर्टी ही आएगी। वह कितना दुखी होगा। पापा को इस शादी से रोकना ही होगा। उफफफफ वह क्या करे? शादी रोकने की शर्त तो बड़ी घटिया है। उसे पापा जी से चुदवाना होगा। वो सिहर उठी ये सोचकर।
राजीव मन ही मन मुस्कुराया मालिनी की परेशानी देखकर और बोला: ठीक है पंडित जी मैं परसों आ ही रहा हूँ। एक अग्रीमेंट बना कर ले आऊँगा। चलो अभी रखता हूँ।
मालिनी: पापा जी आप अपने बेटे शिवा के साथ इस तरह का अन्याय कैसे कर सकते हैं? वह बहुत दुखी होंगे और टूट जाएँगे।
राजीव: बहु इसके लिए तुम ही ज़िम्मेदार हो। अगर तुम मेरी बात मान लो तो कोई शादी का झमेला ही नहीं होगा। और हम तीनों एक परिवार की तरह आराम से रहेंगे। कोई बँटवारा नहीं होगा। पर तुम तो अपनी बात पर अड़ी हुई हो। मैं भी क्या करूँ?
मालिनी: पापा जी फिर वही बात?
राजीव: चलो तुम चाहती हो तो यही सही। अब तो शिवा की दुकान, ये घर और सोना रुपया भी बराबर से बँटेगा। मैं भी मजबूर हूँ।
मालिनी की आँखें मजबूरी से गीली हो गयीं और वह वहाँ से उठकर अपने कमरे में आके रोने लगी।
उस दिन और कुछ नहीं हुआ । मालिनी ने सोचा कि अब उसकी आख़री आस महक दीदी थी। अभी तो अमेरिका में वो सो रही होगी। वह शाम को उससे बात करेगी ताकि वह पापा जी को समझाए। वह थोड़ी संतुष्ट होकर लेट गयी।
तभी उसे शिवा की कही बात याद आइ जो वह अपने दोस्त असलम के बारे में बता रहा था कि वो बीवियों की अदला बदली में मज़ा लेता है। वह थोड़ी सी बेचैन हुई कि क्या यह सब आजकल समान्य सी बात हो गयी है। क्या पति से वफ़ादारी और रिश्तों की पवित्रता अब बाक़ी नहीं रह गयी है। और क्या शिवा सच में असलम से जो बोला कि वह उसकी बीवी को करना चाहता है यह मज़ाक़ ही था या कुछ और? क्या शिवा उसे भी अपने दोस्त से चुदवाना चाहता है? पता नहीं क्या क्या चल रहा है किसके मन में यहाँ? हे भगवान मैं क्या करूँ? फिर वह सोची कि शाम को महक दीदी से बात करूँगी तभी कुछ शायद मदद होगी। ये सोचते हुए उसकी आँख लग गयी ।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
शाम को उसने देखा कि पापा टी वी देख रहे हैं। वह अपने कमरे में आयी और महक को लैंडलाइन से फ़ोन लगायी। महक ने फ़ोन उठाया और बोली: हाय पापा जी क्या हाल है?
मालिनी: दीदी नमस्ते , मैं मालिनी बोल रही हूँ।
महक: ओह, मैं सोची पापा होंगे। बोलो क्या हाल है भाभी जी?
मालिनी: कुछ ठीक नहीं है, इसीलिए आपको फ़ोन किया है, शायद आप कोई मदद कर सको।
महक: हाँ हाँ बोलो ना क्या समस्या है?
मालिनी: समस्या तो बड़ी गम्भीर है दीदी। और वो पापा के बारे में है।
महक: ओह, हेलो हेलो आवाज़ नहीं आ रही है। मैं लगाती हूँ फिर से फ़ोन। यह कहकर महक ने फ़ोन काट दिया।
फिर महक अपने मोबाइल से राजीव को फ़ोन लगायी और बोली: पापा मालिनी मुझसे आपके बारे में बात करना चाहती है। ज़रूर आपकी शिकायत करेगी। अगर सुनना चाहते हैं तो मैं लैंड लाइन पर लगाती हूँ आप पैरलेल फ़ोन उठा कर अपने बेडरूम से सुन लेना। पर बोलना कुछ नहीं।
राजीव: ठीक है बेटी लगाओ फ़ोन।
अब महक ने फ़ोन लगाया और मालिनी ने उठाया और साथ ही राजीव ने भी अपने कमरे में उठा लिया।
महक: अरे भाभी आपका फ़ोन कट गया था, इसलिए मैंने फिर से लगाया है।
मालिनी: ओह ठीक है दीदी, मैं आपसे पापा जी के बारे में बात करना चाहती हूँ, उनको शादी करने का भूत सवार है और वह भी मुझसे भी छोटी लड़की से।
महक: ओह क्या कह रही हो? ये तो बड़ी बेकार बात है।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
मालिनी: वही तो, अब आप ही उनको समझाइए। वो तो कल गाँव जा रहे हैं लड़की पसंद करने। और ये भी बोल रहे हैं कि शिवा को प्रॉपर्टी का आधा हिस्सा ही मिलेगा। आधा हिस्सा वो उस लड़की को दे देंगे।
राजीव सुनकर कुटीलता से मुस्कुराया और सोचा कि ये बेवक़ूफ़ किससे मदद माँग रही है, हा हा ।
महक: ओह तो तुमने उनको समझाया नहीं?
मालिनी: क्या समझाऊँ? वो तो मेरे को ही दोष दे रहें हैं इस सबके लिए।
महक: तुमको ? वो क्यों?
मालिनी: अब कैसे कहूँ आपको ये सब? मैंने तो अभी तक ये सब शिवा को भी नहीं बताया है।
महक: अरे तुम बताओगी नहीं तो मैं तुम्हारी मदद कैसे करूँगी?
मालिनी: आप इसे अन्यथा ना लेना, असल में वो रानी थी ना हमारे घर की नौकरानी? पापा के उसके साथ सम्बंध थे। एक दिन मैंने दोनों को साथ देख लिया और उसे नौकरी से निकाल दिया। बस तब से मेरे पीछे पड़े हैं कि अब मेरी प्यास कैसे बुझेगी? और भी ना जाने क्या क्या।
महक: ओह, तुमने उसे निकाल क्यों दिया? अरे माँ के जाने बाद अगर वह अपनी प्यास उससे बुझा रहे थे तो तुमको क्या समस्या थी? घर की बात घर में ही थी। किसी रँडी को तो नहीं चो- मतलब लगा रहे थे ना?
मालिनी उसकी बात सुनकर हैरानी से बोली: दीदी वो नौकरानी थी और पापा जी को उससे कोई बीमारी भी हो सकती थी। मैंने तो पापा के स्वास्थ्य के लिए ही ऐसा किया। अब आप भी उनका ही पक्ष ले रही हो।
महक: अरे भाभी, पापा बच्चे थोड़े हैं। अपना भला बुरा समझते हैं। तुमको उनके व्यक्तिगत जीवन में दख़ल नहीं देना चाहिए था।
मालिनी: ओह दीदी अब तो जो हुआ सो हुआ। आगे जो बताऊँगी आपको सुनकर और भी अजीब लगेगा।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
महक: अच्छा बताओ।
मालिनी: उसके बाद वो शादी की बातें करने लगे। जब मैंने मना किया तो वो बोले कि मैं बहुत सुंदर और मादक हो गयी हूँ। और मुझे दिन भर देख देख कर वह वासना से भर जाते हैं और मुझे दिन में उनकी प्यास बुझानी चाहिए। और रात को शिवा की बीवी बनकर रहना चाहिए। छी दीदी, मुझे तो बोलते हुए भी ख़राब लग रहा है। आप ही बोलो कोई ससुर अपनी बहु से ऐसा भी भला बोलता है?
राजीव यह सुनकर मुस्कुरा कर अपना खड़ा होता हुआ लौड़ा दबाने लगा।
महक: ओह, क्या सच में तुम इतनी मादक हो गयी हो? जब मैंने तुमको देखा था तो तुम सामान्य सी लड़की थी।
मालिनी: ओह दीदी आप भी ना? शादी के बाद लड़की के बदन में परिवर्तन तो आता ही है। मैं भी थोड़ी भर गयी हूँ।
महक हँसकर: क्या ब्रा का साइज़ भी बढ़ गया है? और पिछवाड़ा भी भारी हो गया है?
मालिनी: छी दीदी आप भी मज़ाक़ करती हो। वैसे ब्रा का साइज़ दो नम्बर बढ़ा है और हाँ पापा जी कह रहे थे की मेरी छातियाँ और पिछवाड़ा उनको बहुत मादक लगता है।
अब राजीव ने यह सुनकर लूँगी से अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया और उसको मुठियाने लगा।
महक: तो ऐसे बोल ना कि तुम माल बन गयी हो, तभी तो पापा पागल हो रहे हैं। अब देख ना, एक तो वैसे ही रानी को तुमने भगा दिया और अब उनके सामने दिन भर अपनी चूचियाँ और गाँड़ मटकाओगी तो बेचारे उन पर क्या गुज़रेगी?
उनका बदन तो फड़फड़ायेगा ना तुमको पाने के लिए।
मालिनी उसकी भाषा और उसके विचारों से सकते में आ गयी और बोली: आप भी क्या क्या बोल रही हो? छी आप अपने पापा के बारे में ऐसा कैसे बोल सकती हो? फिर मैं उनकी बहु हूँ, कोई आम लड़की नहीं हूँ।
महक: अरे तुम अपने ही घर की हो तभी तो उन्होंने अपने दिल की बात तुमसे कह दी और कोई बाहर वाले से ऐसा थोड़े ही बोल सकते थे।
मालिनी: मतलब? मैं समझी नहीं।
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महक: देखो भाभी, उनको तुम अच्छी लगी तो उन्होंने अपने दिल की बात तुमसे कह दी। वो तुमको शिवा को छोड़ने को तो नहीं कह रहे, बस उनकी भी बन जाने को कह रहे है। मुझे तो लगता है कि इसमे कोई बुराई नहीं है। घर की बात घर में ही रहेगी और प्रॉपर्टी का भी बँटवारा नहीं होगा। बाद में शिवा को भी बता देना कि उसका आधा हिस्सा बचाने के लिए तुम पापा से चुद– मतलब करवाई थी।
राजीव अब ज़ोर ज़ोर से अपना लौड़ा हिलाने लगा। अपनी बेटी और बहु की कामुक बातें उसे पागल बना रही थी ।
मालिनी: उफफफ दीदी आपकी सोच से तो भगवान ही बचाए। आप साफ़ साफ़ कह रही हो कि पापा के सामने मुझे संपरण कर देना चाहिए? पता नहीं मैं क्या करूँगी?
महक: अपने घर को दो टुकड़ों में बटने से बचाने के लिए ये त्याग तुमको करना ही पड़ेगा। अगर पापा जी ने शादी कर ली, तो घर की शांति हमेशा के लिए खतम समझो।
मालिनी: यही चिंता तो मुझे खाए जा रही है। समझ में नहीं आ रहा है कि शिवा को कैसे धोका दूँ। वो मुझे बहुत प्यार करते है।
अब राजीव कॉर्ड्लेस फ़ोन को लेकर मालिनी के कमरे के सामने आया और खुली खिड़की से अंदर झाँका, वहाँ मालिनी फ़ोन से महक से बातें कर रही थी। उसकी छाती साँसों के तेज़ चलने की वजह से हिल रही थी।
महक: अरे ये सब तुम शिवा के हक़ के लिए ही तो कर रही हो और साथ ही इस घर को भी बहुत बड़ी मुसीबत से बचा रही हो। दिन में पापा का प्यार लेना और रात में शिवा का। काश मेरे ससुर होते तो मैं तो ऐसे ही मज़ा करती। बहुत ख़ुशक़िस्मत लड़की हो तुम जिसकी जवानी की प्यास दो दो मर्द बुझाएँगे। मुझे तो सोचकर ही नीचे खुजली होने लगी।
मालिनी: उफफफ दीदी कैसी बातें कर रही हो? ये कहते हुए उसने भी अपनी बुर खुजा दी। और सोची कि छी मुझे वहाँ क्यों खुजली हुई? क्या मैं भी अब ये चाहने लगी हूँ जो दीदी बोल रही है।
जैसे ही राजीव ने देखा कि मालिनी महक की बुर की खुजली की बात सुनकर अपनी भी बुर खुजा रही है, उसके लौड़े ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया जिसे वह लूँगी में सुखाने लगा।
ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani
मालिनी ने ठीक है दीदी रखती हूँ कहकर फ़ोन बंद कर दिया। अब वह सोचने लगी कि उसके सामने क्या रास्ता बचा है? क्या शिवा को सब बता दे और घर में क्लेश मचने दे या दीदी की बात मान ले।
वह अपना सिर पकड़कर रह गयी।