बेटी और माँ की चुदाई – ग़ैर मर्द

Beti or Maa ki Chudai – Hindi Sex Kahani

ग़ैर मर्द / औरत – Stranger Sex

यह कहानी है साक्शेणा परिवार की.इस परिवार के मुखिया, सुदर्शन साक्शेणा, 45 वर्ष के आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक है.आज से 20 साल पहले उनका विवाह ज्वाला से हुवा था. ज्वाला जैसा नाम वैसी ही थी. वह काम की शाक्षात दहक्ती ज्वाला थी.विवाह के समय ज्वाला 20 वर्ष की थी. विवाह के 4 साल बाद उसने एक लड़की को जन्म दिया.आज वह लड़’की, रंजना 16 साल की है और अपनी मा की तरह ही आग का एक शोला बन चुकी है. ज्वाला देवी नहा रही हैं और रंजना सोफे पर बैठी पढ़ रही है और सुदर्शन जी अप’ने ऑफीस जा चुके हैं. तभी वातावरण की शान्ती भंग हुई. कॉपी, किताब, अख़बार वाली रद्दी!!

ये आवाज़ जैसे ही ज्वाला देवी के कानो मैं पड़ी तो उसने बाथरूम से ही चिल्ला कर अपनी 16 वर्षीय जवान लड़की,रंजना से कहा,”बेटी रंजना! ज़रा रद्दी वाले को रोक, मैं नहा कर आती हू.” “अच्छा मम्मी!”रंजना जवाब दे कर भागती हुई बाहर के दरवाजे पर आ कर चिलाई. “अरे भाई रद्दी वाले! अख़बार की रद्दी क्या भाव लोगे? “जी बीबी जी! ढाई रुपये किलो.” कबाड़ी लड़’के बिरजू ने अपनी साइकल कोठी के कॉंपाउंड मे ला कर खड़ी कर दी. “ढाई तो कम है,सही लगाओ.” रंजना उससे भाव करती हुई बोली.”आप जो कहेंगी, लगा दूँगा.” बिरजू होंठो पर जीभ फिरा कर और मुस्कुरा कर बोला.

इस दो अरथी डाइलॉग को सुन कर तथा बिरजू के बात करने के लहजे को देख कर रंजना शरम से पानी पानी हो उठी, और नज़रे झुका कर बोली, “तुम ज़रा रूको, मम्मी आती है अभी.” बिरजू को बाहर ही खड़ा कर रंजना अंदर आ गयी और अपने कमरे मैं जा कर ज़ोर से बोली, “मम्मी मुझे कॉलेज के लिए देर हो रही है, मैं तैयार होती हूँ, रद्दी वाला बाहर खड़ा है.” “बेटा! अभी ठहर तू, मैं नहा कर आती ही हूँ.”ज्वाला देवी ने फिर चिल्ला कर कहा था. अपने कमरे मैं बैठी रंजना सोच रही थी कि कितना बदमाश है ये रद्दी वाला, “लगाने” की बात कितनी बेशर्मी से कर रहा था पाजी! वैसे “लगाने” का अर्थ रंजना अच्छी तरह जानती थी, क्योंकि एक दिन उसने अपने डॅडी को मम्मी से बेडरूम मैं ये कह’ते सुना था, “ज्वाला टाँग उठाओ,

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मैं अब लगाउन्गा.” और रंजना ने यह अजीब डाइलॉग सुन कर उत्सुकता से मम्मी के बेडरूम मैं झाँक कर जो कुछ उस दिन अंदर देखा था,उसी दिन से “लगाने” का अर्थ बहुत ही अच्छी तरह उसकी समझ मैं आ गया था. काई बार उस’के मन मैं भी “लगवाने” की इच्च्छा पैदा हुई थी मगर बेचारी मुक़द्दर की मारी खूबसूरत चूत की मालकिन रंजना को “लगाने वाला” अभी तक कोई नहीं मिल पाया था.जल्दी से नहा धो कर ज्वाला देवी सिर्फ़ गाउन पहन कर बाहर आई,उसके बाल इस समय खुले हुए थे,नहाने के कारण गोरा रंग और भी ज़्यादा दमक उठा था.यू लग रहा था मानो काली घटाओं मैं से चाँद निकल आया है.

एक ही बच्चा पैदा करने की वजा से 40 वर्ष की उम्र मैं भी ज्वाला देवी 25 साल की जवान लौंडिया को भी मात कर सकती थी.बाहर आते ही वो बिरजू से बोली,”हाँ भाई! ठीक- ठीक बता, क्या भाव लेगा?” “में साहब! 3 रुपये लगा दूँगा, इस’से ऊपर मैं तो क्या कोई भी नहीं लेगा.” बिरजू गंभीरता से बोला. “अच्छा! तू बरामदे मैं बैठ मैं लाती हूँ” ज्वाला देवी अंदर आ गयी, और रंजना से बोली, “रंजना बेटा! ज़रा थोड़े थोड़े अख़बार ला कर बरामदे मैं रख.”अच्छा मम्मी लाती हूँ” रंजना ने कहा. रंजना ने अख़बार ला कर बरामदे मैं रखने शुरू कर दिए थे,और ज्वाला देवी बाहर बिरजू के सामने उकड़ू बैठ कर बोली,”चल भाई तौल”बिरजू ने अपना तरज़ू निकाला और एक एक किलो के बट्‍टे से उसने रद्दी तौलनी शुरू करदी.

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एकाएक तौलते तौलते उसकी निगाह उकड़ू बैठी ज्वाला देवी की धूलि धुलाइचूत पर पड़ी तो उसके हाथ काँप उठे. ज्वाला देवी के यूँ उकड़ू बैठने से टाँगे तो सारी धक रही थी मगर अपने खुले फाटक से वो बिल्कुल ही अन्भिग्य थी.उसे क्या पता था कि उसकी शानदार चूत के दर्शन ये रद्दी वाला तबीयत से कर रहा था. उसका दिमाग़ तो बस तरज़ू की दांडी वा पलड़ो पर ही लगा हुआ था. अचानक वो बोली, “भाई सही तौल” “लो मेम साहब” बिरजू हड़बड़ा कर बोला. और अब आलम ये था कि एक-एक किलो मैं तीन तीन पाव तौल रहा था बिरजू. उस’के चेहरे पर पसीना छलक आया था, हाथ और भी ज़्यादा कॅंप कँपाते जा रहे थे,तथा आँखे फैलती जा रही थी

उसकी 18 वर्षीय जवानी चूत देख कर धधक उठी थी. मगर ज्वाला देवी अभी तक नहीं समझ पा रही थी कि बिरजू रद्दी कम और चूत ज़्यादा तौल रहा है.और जैसे ही बिरजू के बराबर रंजना आ कर खड़ी हुई और उसे यू काँपते तरज़ू पर कम और सामने ज़्यादा नज़रे गढ़ाए हुए देखा तो उसकी नज़रें भी अपनी मम्मी की खुली चूत पर जा ठहरी. ये दृश्या देख कर रंजना का बुरा हाल हो गया, वो खाँसते हुए बोली,”मम्मी..आप उठिए,मैं तुल्वाति हूँ.” “तू चुप कर! मैं ठीक तुलवा रही हूँ.” “मम्मी! समझो ना,ऑफ! आप उठिए तो सही.” और इस बार रंजना ने ज़िद्द कर’के ज्वाला देवी के कंधे पर चिकोटी काट कर कहा तोवो कुछ-कुछ चौंकी.

रंजना कि इस हरकत पर ज्वाला देवी ने सरसरी नज़र से बिरजू को देखा और फिर झुक कर जो उसने अपने नीचे को देखा तो वो हड़बड़ा कर रह गयी.फ़ौरन खड़ी हो कर गुस्से और शरम मे हकलाते हुए वो बोली, “देखो भाई! ज़रा जल्दी तौलो.” इस समय ज्वाला देवी की हालत देखने लायक थी, उसके होंठ थरथरा रहे थे,कनपटिया गुलाबी हो उठी थी तथा टाँगों मैं एक कंपकपि सी उठी उसे लग रही थी.बिरजू से नज़र मिलाना उसे अब दुश्वार जान पड़ रहा था.शरम से पानी-पानी हो गयी थी

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वो बेचारे बिरजू की हालत भी खराब हुई जा रही थी,उसका लंड हाफ पॅंट मैं खड़ा हो कर उच्छाले मार रहा था, जिसे कनखियों से बार-बार ज्वाला देवी देखे जा रही थी.सारी रद्दी फटाफट तुलवा कर वो रंजना की तरफ देख कर बोली,”तू अंदर जा,यहाँ खड़ी खड़ी क्या कर रही है?”मुँह मैं उंगली दबा कर रंजना तो अंदर चली गयी और बिरजू हिसाब लगा कर ज्वाला देवी को पैसे देने लगा.हिसाब मे 10 रुपये फालतू वह घबराहट मे दे गया था.और जैसे ही वो लंड जांघों से दबाता हुआ रद्दी की पोटली बाँधने लगा कि ज्वाला देवी उस’से बोली, “क्यों भाई कुछ खाली बॉटल पड़ी हैं,ले लोगे क्या?””अभी तो मेरी साइकल पर जगह नही है मेम साहब,कल ले जाउन्गा.” बिरजू हकलाता हुआ बोला. तो सुन, कल 11 बजे के बाद ही आना जी आ जाउन्गा. वो मुस्कुरा कर बोला था

इस बार रद्दी की पोटली को साइकल के कॅरियर पर रख कर बिरजू वाहा से चलता बना मगर उसकी आँखों के सामने अभी तक ज्वाला देवी का खुला फाटक यानी की शानदार चूत घूम रही थी. बिरजू के जाते ही ज्वाला देवी रुपये ले कर अंदर आ गयी. ज्वाला देवी जैसे ही रंजना के कमरे मैं पहुँची तो बेटी की बात सुन कर वो और ज़्यादा झेंप उठी थी.रंजना ने आँखे फाड़ कर उस’से कहा, “मम्मी! आपकी पेशाब वाली जगह वो रद्दी वाला बड़ी बेशर्मी से देखे जा रहा था.””चल छोड़! हमारा क्या ले गया वो, तू अपना काम कर, गंदी गंदी बातें नही सोचा करते,जा कॉलेज जा तू.”

थोड़ी देर बाद रंजना कॉलेज चली गयी और ज्वाला देवी अपनी चूची को मसल्ति हुई फोन की तरफ बढ़ी.अपने पति सुदर्शन साक्शेणा का नंबर डाइयल कर वो दूसरी तरफ से आने वाली आवाज़ का इंतेज़ार करने लगी. अगले पल फोन पर एक आवाज़ उभरी – “यस सुदर्शन हियर” “देखिए!आप फ़ौरन चले आइए, बहुत ज़रूरी काम है मुझे” “अरे ज्वाला ! तुम्हे ये अचानक मुझसे क्या काम आन पड़ा अभी तो आ कर बैठा हू,ऑफीस मे बहुत काम पड़े हैं, आख़िर माजरा क्या है?” “जी. बस आपसे बातें करने को बहुत मन कर आया है, रहा नहीं जा रहा, प्लीज़ आ जाओ ना.””सॉरी ज्वाला !

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मैं शाम को ही आ पाउन्गा, जितनी बातें करनी हो शाम को कर लेना, ओ.के.” अपने पति के व्यवहार से वह तिलमिला कर रह गयी. एक कमसिन नौजवान लौन्डे के साम’ने अनभीग्यता में ही सही; आप’नी चूत प्रदर्शन से वह बेहद कमतूर हो उठी थी.चूत की ज्वाला मैं वो झुलसी जा रही थी इस समय. वह रसोई घर मैं जा कर एक बड़ा सा बैंगन उठा कर उसे निहारने लगी थी.उसके बाद सीधे बेडरूम मैं आ कर वह बिस्तर पर लेट गयी, गाउन ऊपर उठा कर उसने टाँगों को चौड़ाया और चूत के मुँह पर बैंगन रख कर ज़ोर से उसे दबाया.”हाई अफ मर गयी आहह आह ऊहह” आधा बैंगन वो चूत मैं घुसा चुकी थी.

मस्ती मे अपने निचले होंठ को चबाते हुए उसने ज़ोर ज़ोर से बैंगन द्वारा अपनी चूत चोदनी शुरू कर ही डाली. 5 मिनट. तक लगातार तेज़ी से वो उसे अपनी चूत मैं पेलती रही,झाड़ते वक़्त वो अनाप शनाप बकने लगी थी. “आहह. मज़ा आ गया हाय रद्दी वाले तू ही चोद जाता तो तेरा क्या बिगड़ जाता उफ़ आह ले आअह क्या लंड था तेरा तुझे कल दूँगी आ साले पति देव मत चोद मुझे आह मैं खुद काम चला लूँगी आहह” ज्वाला देवी इस समय चूत से पानी छ्चोड़ती जा रही थी, अच्छी तरह झाड़ कर उसने बैंगन फेंक दिया और चूत पोंच्छ कर गाउन नीचे कर लिया. मन ही मन वो बुदबुदा उठी थी, “साले पातिदेव,गैरों को चोदने का वक़्त है तेरे पास, मगर मेरे को चोदने के लिए तेरे पास वक़्त नहीं है,

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शादी के बाद एक लड़की पैदा करने के अलावा तूने किया ही क्या है, तेरी जगह अगर कोई और होता तो अब तक मुझे 6 बच्चो की मा बना चुका होता, मगर तू तो हफ्ते मे दो बार मुझे मुश्किल से चोदता है और ऊपर से गर्भ निरोधक गोली भी खिला देता है, खैर कोई बात नहीं, अब अपनी चूत की खुराक का इंतज़ाम मुझे ही करना पड़ेगा.” ज्वाला देवी ने फ़ैसला कर लिया कि वो इस गथीले शरीर वाले रद्दी वाले के लंड से जीभर कर अपनी चूत मरवाएगी. उसने सोचा जब साला चूत के दर्शन कर ही गया है तो फिर चूत मराने मैं ऐतराज़ ही क्या?

अगले दिन ठीक 11 बजे बिरजू की आवाज़ ज्वाला देवी के कानो मैं पड़ी तो खुशी से उसका चेहरा खिल उठा, भागी भागी वो बाहर के दरवाजे पर आई. तब तक बिरजू भी ठीक उसके सामने आ कर बोला,”में साहब ! वो बॉटल ले आओ, ले लूँगा.” “भाई साइकल इधर साइड मैं खड़ी कर अंदर आ जाओ और खुद ही उठा लो.” वो बोली. “जी आया अभी” बिरजू साइकल बरामदे के बराबर मे खड़ी कर ज्वाला देवी के पीछे पीछे आ गया था.इस समय वह सोच रहा था कि शायद बिविजी की चूत के आज भी दर्शन हो जाय. मगर दिल पर काबू किए हुए था. ज्वाला देवी आज बहुत लंड मार दिखाई दे रही थी. पति वा बेटी के जाते ही चुदाई की सारी तैयारी वह कर चुकी थी.

किसी का डर अब उसे ना रहा था गुलाबी सारी और हल्के ब्लाउस मे उसका बदन और ज़्यादा खिल उठा था. ब्लाउस के गले मे से उसकी चूचियों का काफ़ी भाग झँकता हुआ बिरजू सॉफ दिख रहा था. चूचियाँ भींचने को उसका दिल मचलता जा रहा था. तभी ज्वाला देवी उसे अंदर ला कर दरवाजा बंद करते हुए बोली,”अब दूसरे कमरे मैं चलो, बॉटल वहीं रखकी हैं.” “जी, जी, मगर आपने दरवाजा,क्यों बंद कर दिया.” बिरजू बेचारा हकला सा गया था.

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घर की सजावट और ज्वाला देवी के इस अंदाज़ से वह हड़बड़ा सा गया था.वह डरता हुआ सा वहीं रुक गया और बोला, “देखिए मेम साहब ! बॉटल यहीं ले आइए, मेरी साइकल बाहर खड़ी है.” “अरे आओ ना, तुझे साइकल मैं और दिलवा दूँगी.”बिरजू की बाँह पकड़ कर उसे ज़बरदस्ती अपने बेडरूम पर खींच ही लिया था ज्वाला देवी ने.इस बार सारी बातें एक एक पल मे समझता चला गया, मगर फिर भी वो काँपते हुए बोला,”देखिए,मैं ग़रीब आदमी हूँ जी, मुझे यहा से जाने दो, मेरे बाबा मुझे घर से निकाल देंगे.” “अर्रे घबराता क्यों है, मैं तुझे अपने पास रख लूँगी, आजा तुझे बॉटल दिखाउ, आजा ना.” ज्वाला देवी बिस्तर पर लेट कर अपनी बाँहें उसकी तरफ बढ़ा कर बड़े ही कामुक अंदाज़ मैं बोली.”मैं मगर.. बॉटल कहा है जी..” बिरजू बुरी तरह हड़बड़ा उठा था.

“अर्रे!लो ये रही बॉटल, अब देखो इसे जीभर कर मेरे जवान आजा.” अपनी सारी व पेटिकोट ऊपर उठा कर सफाचट चूत दिखाती हुई ज्वाला देवी बड़ी बेहयाई से बोली. वो मुस्कुराते हुए बिरजू की मासूमियत पर झूम झूम जा रही थी.चूत के दिखाते ही बिरजू का लंड हाफ पॅंट मैं ही खड़ा हो उठा मगर हाथ से उसे दबाने का प्रयत्न करता हुआ वो बोला, “मेम साहब ! बॉटल कहाँ है . मैं जाता हूँ, कहीं आप मुझे चक्कर मैं मत फँसा देना.” “ना.. मेरे .. राजा.. यूँ दिल तोड़ कर मत जाना तुझे मेरी कसम! आजा पत्थे इसे बॉटल ही समझ ले और जल्दी से अपनी डॉट लगा कर इसे ले ले.” चुदने को मचले जा रही थी ज्वाला देवी इस समय.

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“तू नहा कर आया है ना.” वो फिर बोली. “जी .. जी. हां. मगर नहाने से आपका मतलब.”चौंक कर बिरजू बोला, “बिना नहाए धोए मज़ा नहीं आता राजा इसलिए पूच्छ रही थी.” ज्वाला देवी बैठ कर उस’से बोली.”तो आप मुझसे गंदा काम करवाने के लिए इस अकेले कमरे मैं लाए हो.” तेवर बदलते हुए बिरजू ने कहा, “हाई मेरे शेर तू इसे गंदा काम कह’ता है! इस काम का मज़ा आता ही अकेले मे है, क्या कभी किसी की तूने ली नहीं है?” होंठो पर जीभ फिरा कर ज्वाला देवी ने उस’से कहा और उस’का हाथ पकड़ उसे आप’ने पास खींच लिया. फिर हाफ पॅंट पर से ही उस’का लंड मुट्ठी में भींच लिया.

बिरजू भी अब ताव में आ गया और उसकी कोली भर कर चूचियों को भींचता हुए गुलाबी गाल पीत पीता वो बोला, “चोद दूँगा बिविजी, कम मत समझ’ना. हाई रे कल से ही मैं तो तुम्हारी चूत के लिए मरा जा रहा था.” शिकार को यूँ ताव मे आते देख ज्वाला देवी की खुशी का ठिकाना ही ना रहा, वो तबीयत से गाल बिरजू को पीला रही थि.दोस्तो अब इस पार्ट को यही ख़तम करते है बिरजू से ज्वाला की चुदाई अगले मे लेकर मिलेंगे

आज बिरजू भी नहा धो कर मंजन करके साफ सुथरा हो कर आया था.उसकी चुदाई इक्च्छा,मदहोश,बदमस्त औरत को देख देख कर ज़रूरत से ज़्यादा भड़क उठी.उसकी जगह अगर कोई भी जवान लंड का मालिक इस समय होता तो वो भी बिना चोदे मान ने वाला नहीं था,ज्वाला देवी जैसी अल्लहड़ व चुड़दक़्कड़ औरत को.”नाम क्या है रे तेरा?” सिसकते हुए ज्वाला देवी ने पूछा.इस समय नाम-वाम मत पूछो बिविजी ! आ आज अपने लंड की सारी आग निकाल लेने दे मुझे. आ.. आजा.

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“बिरजू लिपट लिपट कर ज्वाला देवी की चूचियो व गाल की मा चोदे जा रहा था.उसकी चौड़ी छाती वा मजबूत हाथों मैं कसी हुई ज्वाला देवी भी बेहद सुख अनुभव कर रही थी. जिस बेरहमी से अपने बदन को रगडवा रगडवा कर वह चुदवाना चाह रही थी आज इसी प्रकार का मर्द उसे छप्पर फाड़ कर उसे मुफ़्त मे ही मिल गया था.बिरजू की हाफ पॅंट मैं हाथ डाल कर उसका 18 साल का ख़ूँख़ार वा तगड़ा लंड मुट्ठी मैं भींच कर ज्वाला देवी अचंभे से बोली, “हाई. हाई.. ये लंड है.. या घिया.. कद्दू. अफ.क्यों.रे.अब तक कितनी को मज़ा दे चुका है तू अपने इस कद्दू से..” “हाई.मेम साहब..क्या पूच्छ लिया … तुमने .. पुच. पुच. एक बार मौसी की ली थी

बस.. वरना अब तक मुट्ठी मार मार कर अपना पानी निकालता आया हूं.. हाँ.. मेरी अब उसी मौसी की लड़की पर ज़रूर नज़र है. उसे भी दो चार रोज़ के अंदर चोद कर ही रहूँगा.है तेरी चूत कैसी है..आ.. इसे तो आज मैं खूब चाटूँगा.. हे.. आ. लिपट जा..” बिरजू ने ज्वाला देवी की सारी ऊपर उठा कर उसकी टाँगों मे टांगे फँसा कर जाँघो से जंघे रगड़ने का काम शुरू कर दिया था.अपनी चिकनी वा गुन्दाज जांघों पर बिरजू की बालों वाली खुरदरी वा मर्दानी जांघों के घस्से खा खा कर ज्वाला देवी की चूत के अंदर जबरदस्त खलबली मच उठी थी.जाँघ से जाँघ टकर’वाने मैं अजीब गुदगुदी वा पूरा मज़ा भी उसे आ रहा था.

“अब मेम साहब.. ज़रा नंगी हो जाओ तो मैं चुदाई शुरू करूँ.” एक हाथ ज्वाला देवी की भारी गांद पर रख कर बिरजू बोला. “वाहह.. रे.. मर्द..बड़ा गरम है तू तो.मैं.तो उस दिन.रद्दी तुलवाते तुलवाते ही तुझे ताड़.. गयी.. थी.. रे..! आहह. तेरा. लंड… बड़ा.. मज़ा.देगा. आज आहह.. तू रद्दी के पैसे वापिस ले जाना.. प्यारे. आज. से साररीई. रद्दी. तुझे.. मुफ़्त दियाअ… करूंगगीइ मेरी प्यारे आ चल हट परे ज़रा नन्गी हो जाने दे..आ तू भी पॅंट उतार मेरे शेर”ज्वाला देवी उसके गाल से गाल रॅगडाटी हुई बके जा रही थी.अपने बदन को च्छुडा कर पलंग पर ही खड़ी हो गयी ज्वाला देवी और बोली, “मेरी सारी का पल्लू पकड़ और खींच इसे.”उसका कहना था कि बिरजू ने सारी का पल्ला पकड़ उसे खींचना शुरू कर दिया. अब ज्वाला देवी घूमती जा रही थी और बिरजू सारी खींचता जा रहा थ.

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दोस्तो यू लग रहा था मानो दुर्योधन द्रौपदी का चीर हरण कर रहा हो. राज शर्मा कुछ सेकेंड बाद सारी उसके बदन से पूरी उतर गयी तो बिरजू बोला, “लाओ मैं तुम्हारे पेटिकोट का नाडा खोलूं.””परे हटो, पराए मर्दो से कपड़े नही उतरवाती, बदमाश कहीं का.” अदा से मुस्कुराते हुए अपने आप ही पेटिकोट का नाडा खोलते हुए वो बोली. उसकी बात पर बिरजू धीरे से हँसने लगा और अपनी पॅंट उतारने लगा तो पेटिकोट को पकड़े पकड़े ही ज्वाला देवी बोली, “क्यो हंसता है तू,सच सच बता, तुझे मेरी कसम.” “अब में साहब, आपसे च्चिपाना ही क्या है?

बात दर असल ये है कि वैसे तो तुम मुझसे चूत मरवाने जा रही हो और कपड़े उतरवाते हुए यू बन रही हो,जैसे कभी लंड के दीदार ही तुमने नहीं किए.कसम तेरी ! हो तुम खेली खाई औरत.” हीरो की तरह गर्दन फैला कर डाइलॉग सा बोल रहा था बिरजू.उसका जवाब देती हुई ज्वाला देवी बोली,”आबे चुतिये!अगर खेली खाई नही होती तो तुझे पटा कर तेरे सामने चूत खोल कर थोड़े ही पड़ जाती. रही कपड़े उतरवाने की बात तो इसमें एक राज़ है, तू भी सुन’ना चाह’ता है तो बोल. वो पेटिकोट को अपनी टाँगों से अलग करती हुई बोले जा रही थी.पेटिकोट के उतरते ही चूत नंगी हो उठी और बिरजू पॅंट उतार कर खरा लंड पकड़ कर उस पर टूट पड़ा.

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और उसकी चूत पर ज़ोर ज़ोर से लंड रख कर वो घसे मारता हुआ एक चूची को दबा दबा कर पीने लगा. वो चूत की छटा देख कर आपे से बाहर हो उठा था उस’के लंड मैं तेज़ झट’के लगने चालू होने लगे थे.”अर्रे रे इतनी जल्दी मत कर.ऊह रे मान जा.””बात बहुत कर’ती हो मेम्साब, आअहह चोद दूँगा आज.”पूरी ताक़त से उसे जाकड़ कर बिरजू उसकी कोली भर कर फिर चूची पीने लगा. शायद चूची पीने मे ज़्यादा ही लुफ्त उसे आ रहा था.चूत पर लंड के यूँ घस्से पड़ने से ज्वाला देवी भी गरमा गयी और उसने लंड हाथ से पकड़ कर चूत के दरवाज़े पर लगा कर कहा,”मार..लफंगे मार.कर दे सारा अंदर…

हाय देखूं कितनी जान है तेरे मैं.. आहह खाली बोलता रहता है चोद दूँगा चोद दूँगा.’ चल चोद मुझे.” “आहह ये ले हाय फाड़ दूँगा.”पूरी ताक़त लगा कर जो बिरजू ने चूत मैं लंड घुसाना शुरू किया की ज्वाला देवी की चूत मस्त हो गयी. उसका लंड उसके पति के लंड से किसी भी मायने में कम नहीं था ज्वाला देवी यूँ तड़पने लगी जैसे आज ही उसकी सील तोड़ी जा रही हो. अपनी टाँगों से बिरजू की कमर जाकड़ कर वो गांद बिस्तर पर रगड़ते हुए मचल कर बोली,”हे उउफ्फ फाड़ डालेगा तू. आह ययययून मत्त करर. तेरा.. तो दो के बराबर है…निकाल्ल सल्ल्ले फट गयी अफ मार दिया.” इस बार तो बिरजू ने हद ही कर डाली थी.

अपने पहलवानी बदन की सारी ताक़त लगा कर उसने इतना दमदार धक्का मारा था कि फुक्ककच की तेज़ आवाज़ ज्वाला देवी की चूत के मूँ’ह से निकल उठी थी. अपनी बलशाली बाँहों से लचकीले और गुद्देदार जिस्म को भी वो पूर्णा ताक़त से भींचे हुए था. गोरे गाल को चूस्ते हुए बड़ी तेज़ी से जब उसने चूत मे लंड पेलना शुरू कर दिया तो एक जबरदस्त मज़े ने ज्वाला देवी को आ घेरा.हेवी लंड से चुद्ते हुए बिरजू से लिपट लिपट कर उसकी नंगी कमर सहलाते हुए ज्वाला देवी ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ छ्चोड़ने लगी थी. चूत मे फँस फँस कर जा रहे लंड ने उसके मज़े मे चार चाँद लगा डाले थे.

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अपनी भारी गांद को उकचलते हुए तथा जांघों को बिरजू की खुरदरी खाल से रगड़ते हुए वो तबीयत से चुद रही थी.मखमली औरत की चूत मे लंड डाल कर बिरजू को अपनी किस्मत का सितारा बुलंद होता हुआ लग रहा था. ऊँच नीच, जात पात,ग़रीब अमीर के सारे भेद इस मज़ेदार चुदाई ने ख़त्म कर डाले थे.”अफ.. मेरा.. गाल नही.. निशान पर जाएँगे.काट डाला उफ़.. सिरफ्फ़ चोदो रद्दी वल्ले गाल चूसने की लिए हैं.. मर गाई,, हरामी बड़े ज़ोरर सी दाँत गाड़ा दिए तूने तो.. उऊफ़ चोद. मन लगा कर. सच मज़ा आ रहा है मुझे..

“बिरजू उसके मचलने को देख कर और ज़्यादा भड़क गया,उसने नीचे को मुँह खिसका कर उसकी चूची पर दाँत गाड़ते हुए चुदाई जारी रक्खी और वो भी बक बक करने लगा,”क्या चीज़्ज़ है तेरी.. बॉटल फोड़ दूँगा. उफ़फ्फ़ हाय मैं तो सोच भी नहीं सकता था की तेरी चूत मुझे चोदने को मिलेगी.हाय आजज्ज मैं ज़न्नत मे आ गया हू.. ले.. ले. पूरा.. डाल दूँगा.. हाई फाड़ दूँगा हाई ले..”बुरी तरह चूत को रौंदने पर उतर आया था बिरजू. लंड के भयानक झट’के बड़े मज़े ले ले कर ज्वाला देवी इस समय झेल रही थी. प्रत्येक धक्के मे वो सिसक सिसक कर बोल रही थी,

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“हाय सारी कमी पूर्री कर ले .उउंम अम्म उउफ्फ तुझे चार किलो रद्दी मुफ़्त दूँगी. मेरे राजा.. आह हाई बना दे रद्दी मेरी चूत को तू.. हाय मार डाल और मार्र सी उम ओआँ” दोनो की उथ्का पटकी, रगड़ा रगडी के कारण बिस्तर पर बिछी चादर की ऐसी तैसी हुई जा रही थी.एक मामूली कबाड़ी का डंडा,आमिर व गद्देदार ज्वाला देवी की हंडी मैं फँस-फँस कर जा रहा था.चाँद लम्हो के अंदर ही उसकी चूत को चोद कर रख दिया था बिरजू ने. जानदार लंड से चूत का बाजा बजवाने मैं स्वर्गीय अनद ज्वाला लूट लूट कर बहाल हुई जा रही थी.चूत की आग ने ज्वाला देवी की शर्मो हया, पतिव्रत धर्म सभी बातों से दूर करके चुदाई के मैदान मैं ला कर खड़ा कर डाला था.

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लंड का पानी चूत मैं बरस्वाने की वो जी जान की बाज़ी लगाने पर उतर आई थी.इस समय भूल गयी थी ज्वाला देवी कि वो एक जवान लड़की की मा है, भूल गयी थी वो कि एक इज़्ज़तदार पति की पत्नी भी है.उसे याद था तो सिर्फ़ एक चीज़ का नाम और वो चीज़ थी बिरजू का मोटा ताक़तवर और चूत की नस नस तोड़ देने वाला शानदार लंड.इसी लंड ने उसकेरोम रोम को झाँकरीत कर’के रख दिया था.लंड था कि झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था.

एका एक बिरजू ने जो अत्यंत ज़ोरो से चूत मैं लंड का आवागमन प्रारंभ किया तो मारे मस्ती के ज्वाला देवी उठ उठ कर सिसक उठी.”आ र्रीई वाह अम्म मार मार ससीई” तभी उसकी एक चूची की घुंडी मुँह मे भर कर सूपदे तक लंड बाहर खींच जो एक झटके से बिरजू ने धक्का मारा कि सीधा अटॅक बच्चेदानि पर जा कर हुआ.”ऐइ ओह्ह फाड़ डाली ओह उफ़ आ रिई मरी ससिईई आई फटते वक्क्कैइ मोटा है.उफ़ फँसा आ ऊ मज़ा ज़ोर से और ज़ोर से शब्बास्स रद्दी वाले.” इस बार बिरजू को ज्वाला देवी पर बहुत गुस्सा आया.अपने आपको रद्दी वाला कहलवाना उसे कुछ ज़्यादा ही बुरा लगा था.

ज़ोर से उसकी गंद पर अपने हाथो के पंजे गढ़ा कर धक्के मारता हुआ वो भी बड़बड़ाने लगा,”तेरी बहन को चोदु,चुड़क्कड़ लुगाई आहह.साली चुदवा रही है मुझसे, ख़सम की कमी पूरी कर रहा हूँ मैं आहह और.आहह साली कह रही है रद्दी वाला, तेरी चूत को रद्दी ना बना दूँ, तो कबाड़ी की औलाद नहीं,आह हाई शानदार चूत खा जाउन्गा फाड़ दूँगा ले ले और चुद आज”बिरजू के इन ख़ूँख़ार धक्को ने तो हद ही कर डाली थी. चूत की नस नस हिला कर रख दी थी लंड की चोटो से.ज्वाला देवी पसीने मे नहा उठी और बहुत ज़ोरो से अपनी गांद उच्छाल उच्छाल कर तथा बिरजू की कस कर कोली भर कर वो उसे और ज़्यादा ज़ोश मे लाने के लिए सीसीया उठी,

ग़ैर मर्द / औरत – Stranger Sex

“आ रिई ऐस्से हाई हां हां ऐसे ही मेररी चूत फाड़ डाल्लो राज्ज्जा.माफ़ कर दो आब्ब्ब्बबब कॅभी तुम्हे रद्दी वाल्ला नहीं कहूँगी. चोदो ई उऊँ चोदो..” इस बात को सुन कर बिरजू खुशी से फूल उठा था उसकी ताक़त चार गुणी बढ़ कर लंड मे इकट्ठी हो गयी थी. द्रुत गति से चूत का कबाड़ा बनाने पर वो तुल उठा था.उसके हर धक्के पर ज्वाला देवी ज़ोर ज़ोर से सिसकती हुई गांद को हिला हिला कर लंड के मज़े हासिल कर रही थी.

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मुक़ाबला ज़ोरो पर ज़ारी था. बुरी तरह बिरजू से चिपेटी हुई ज्वाला देवी बराबर बड़बदाए जा रही थी, “आहह ये मार्रा मार डाला. वाह और जमके उफ़ हद्द कर दी ऑफ मार डाल्लो मुज्ज़े..”और जबरदस्त ख़ूँख़ार धक्के मारता हुआ बिरजू भी उसके गालों को पीते पीते सिसीकिया भर रहा था,”वाहह मेररी औरत आहह हे मक्खन चूत है तेरी तो..ले..चोद दूँगा..ले.आहह.”और इसी ताबड़तोड़ चुदाई के बीच दोनो एक दूसरे को जाकड़ कर झाड़’ने लगे थे,ज्वाला देवी लंड का पानी चूत मैं गिरवा कर बेहद त्रिप’ती मह’सूस कर रही थी.बिरजू भी अंतिम बूँद लंड की निकाल कर उसके ऊपर पड़ा हुआ कुत्ते की तरह हाँफ रहा था. लंड वा चूत पोंच्छ कर दोनो ने जब एक दूसरे की तरफ देखा तो फिर उनकी चुदाई की इक्च्छा भड़क उठी थी,मगर ज्वाला देवी चूत पर काबू करते हुए पेटिकोट पहनते हुए बोली,”जी तो करता है कि तुमसे दिन रात चुदवाति रहू,मगर मोहल्ले क़ा मामला है,हम दोनो की इसी मे भलाई है कि अब कपड़े पहन अपने काम संभाले.”

“म..मगर. मेम साहब.. मेरा तो फिर खड़ा होता जा रहा है.एक बार और दे दो ना हाय.” एक टीस सी उठी थी बिरजू के दिल मैं,ज्वाला देवी का कपड़े पहनना उसके लंड के अरमानो पर कहर ढा रहा था.एकाएक ज्वाला देवी तैश मैं आते हुए बोल पड़ी,”अपनी औकात मे आटु अब,चुपचाप कपड़े पहन और खिसक लेयहा सेवरना वो मज़ा चखाउन्गी कि मोहल्ले तक को भूल जाएगा,चल उठ जल्दी.”ज्वाला देवी के इस बदलते हुए रूप को देख बिरजू सहम उठा और फटाफट फुर्ती से उठ कर वो कपड़े पहन’ने लगा. एक डर सा उसकी आँखों मे सॉफ दिखाई दे रहा था.कपड़े पहन कर वो आहिस्ता से बोला, “कभी कभी तो दे दिया करोगी मेमसाहब,मैं अब ऐसे ही तड़प्ता रहूँगा?”

बिरजू पर कुछ तरस सा आ गया था इस बार ज्वाला देवी को,उसके लंड के मचलते हुए अरमानो और अपनी चूत की ज्वाला को मद्देनज़र रखते हुए वो मुस्कुरा कर बोली,”घबरा मत हफ्ते दो हफ्ते मे मौका देख कर मैं तुझे बुला लिया करूँगी जी भर कर चोद लिया करना, अब तो खुश? वाकई खुशी के मारे बिरजू का दिल बल्लियों उच्छल पड़ा और चुपचाप बाहर निकल कर अपनी साइकल की तरफ बढ़ गया. थोड़ी देर बाद वो वाहा से चल पड़ा था,वो यहा से जातो रहा था मगर ज्वाला देवी की मखमली चूत का ख़याल उस’के ज़हन से जाने का नाम ही नहीं ले रहा था. ‘वाह री चुदाई, कोई ना समझा तेरी खुदाई.’

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