ठुकाई चार सहेलियों की – Hindi Sex Kahaani

Thukai Chaar Saheliyon Ki – Hindi Sex Kahaani

 

ठुकाई चार सहेलियों की – Hindi Sex Kahaani

उस दिन शनिवार था और मैं कंचन के यहाँ जा रही थी कि राज शर्मा कंचन के घर से बाहर निकलता हुआ दिखाई दिया, वो मुझे बहुत ही अजीब निगाहों से घूर रहा था, मन तो किया की एक थप्पड़ लगा दू, लेकिन फिर मैने सोचा कि जाने दो बेचारा देख ही तो रहा है वो मेरे बगल से निकला तो एक अजीब सी सेक्सी स्मेल मेरे दिमाग़ मे दौड़ गयी. मैने सोचा कि ऐसी स्मेल तो हमारे रूम मे तभी आती है जब हम दोनो पति पत्नी चुदाई करते है.

तो क्या वो लड़का कंचन के घर मे चुदाई करके गया है, किसकी कंचन की… क्या कंचन का उस लड़के के साथ चक्कर है. कंचन इस तरह की औरत है क्या. मैं इन ख़यालों मे खोई हुए थी कि कंचन ने मुझे पकड़ कर हिलाया, “संध्या क्या हुआ किन ख़यालों मे खोई है?”

मैं जैसे नींद से जागी, “उम्म्म्म कुछ नही बस ऐसे ही.” कंचन के भी बाल बिखरे हुए थे कपड़े अस्त-व्यस्त थे. ड्रॉयिंग रूम मे भी वही स्मेल फैली हुए थी, अब मैं पक्के तौर पर कह सकती थी कि कंचन अभी अभी उस लड़के से चुद्वा कर निपटी थी.

“संध्या तू बैठ मैं 2 मिनिट मे नहा कर आती हूँ.” इतना कह कर वो बाथरूम मे अपना पाप धोने चली गयी.

तभी मैने देखा कि सामने वाली तबील के नीचे कुछ पड़ा हुआ है, झुक कर उठाया तो वो क रब्बर का लंड था, जो अभी भी गीला था चूत का रस उस पर सूखा नही था. पर मेरा गला ज़रूर सुख गया था, हाथ काँप रहे थे और मैने काँपते हाथो से उसको नाक के पास लेजाकार सूँघा, वा क्या स्ट्रॉंग सुगंध थी कंचन की चूत की, तो क्या मेरे मैन गेट खोलने की आवाज़ से ही उनका खेल बीच मे बंद हो गया था.

मैने वो लंड वापिस वही रख दिया, और न्यूज़ पेपर उठा कर उसे पलटने लगी. थोड़ी ही देर मे कंचन आ गयी और मेरे सामने बैठ गयी.

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“कंचन वो लड़का कॉन था जो अभी अभी गया है?” मेरे सवाल पर वो थोड़ा चौंकी फिर नॉर्मल होते हुए बोली, “अरे वो निक्की को कल से पढ़ाने आने वाला है, नया ट्यूसन टीचर.”

“ट्यूशन टीचर या तेरी चुदाई का टीचर…..” मैने मन ही मन सोचा.

फिर मैं ज़्यादा देर वहाँ नही रुकी और वापिस आ गयी, मुझे ये बात अच्छी नही लगी लेकिन मन ही मन उस लड़के के बारे मे लगातार सोचे जा रही थी. उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा कसा गतिला बदन मेरी आँखन के सामने था.

रात को जब मेरे पति मेरी चुदाई कर रहे थे तो मेरे मन मे यही विचार था कि मुझे मेरे पति नही राज शर्मा मेरी चुदाई कर रहा है और इस मुझे ये बहुत रोमांचित कर गया. मैं ज़ोर ज़ोर से अपनी गांद उछाल कर चुद्वा रही थी.

लेकिन जब वो पल गुजर गया तो मन ग्लानि से भर गया………..

दूसरी सुबह मैं अपने पति से नज़रें नही मिला पा रही थी, मुझे लग रहा था कि जिस रास्ते पर मैं निकल पड़ी हूँ वो सही रास्ता नही है, ये मैं ग़लत करने जा रही हूँ. फिर एक पल के लिए लगता कि इसमे क्या ग़लत है.

मैं इन्ही ख़यालों मे खोई हुए थी कि दरवाज़े की घंटी बज उठी.

“अरे शबाना तू, आज मेरी याद कैस आ गयी तुझे.” मैने दरवाज़ा खोल कर उसको अंदर आने का इशारा करते हुए कहा

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“एक काम है तुझसे इस लिए यहाँ आई हूँ, नही तो तू मेरे घर वालो को जानती ही है हमेशा मुझ पर नज़रें गड़ाए रहते है. जैसे कि मैं जाकर किसी भी मर्द के नीचे लेटने वाली हूँ.” शबाना ने सोफे पर बैठते हुए कहा.

शबाना की आँखे एक दम लाल हो रही थी और वो कुछ घबराई हुए लग रही थी. मैने उससे जब बहुत ज़ोर देकर पूछा तब वो बताने को तैयार हुई वो भी वही देख कर आई थी, राज और कंचन की चुदाई उसने बोलना शुरू किया, “संध्या वो कंचन सोफे पर ही उससे चुद्वा रही थी, जब तू आई तो गेट की आवाज़ से दोनो ने एक मिनिट मे ही कपड़े पहन लिए और वो प्लास्टिक का लंड टॅबिल के नीचे फेंक दिया.”

मैने मन ही मन डरते हुए पूछा, “ तो क्या वो दो दो लंड डाल कर चुद्वा रही थी.”

“अरे नही वो तो उसकी गांद मार रहा था और रब्बर का लंड तो कंचन खुद चूत मे डाल रही थी.” कहते हुए शबाना शर्मा गयी

अब मुझे अपनी बेवकूफी याद आई उस रब्बर के लंड को उठा कर मैने अपनी नाक के पास करके स्मेल जो किया था.

“उस लड़के के जाते ही मैं भी वहाँ से निकल गयी, लेकिन मुझे कंचन ने देख लिया था.” कह कर शबाना चुप हो गयी
तभी फिर से दरवाज़े की घंटी बज उठी और कंचन दरवाज़े पर अपने बड़े बड़े मम्मे और चौड़ी गांद लेकर खड़ी थी, अब मुझे उसकी गांद बड़ी होने का राज समझ मे आया.

वो अंदर आई तो शबाना को देख कर झेंप गयी पर नॉर्मल होते हुए वो बात करने लगी.

“कंचन तुझे ऐसा करते हुए शरम नही आती?” शबाना के अचानक इस सवाल से हम दोनो ही हिल गये

“कैसी शरम ये जिंदगी एक बार ही मिलती है और इसका पूरा मज़ा लेना चाहिए.” कंचन ने अपने आप को संभालते हुए कहा

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“हाँ कंचन बिल्कुल सही कह रही है.” कहते हुए छाया आंटी ने दरवाज़े पर कदम रखा और हम तीनो ने बात बदल दी.

उसी शाम को मुझे कंचन का फोन आया वो मुझे उसके घर आने की ज़िद कर रही थी. पहले तो मैने मना किया लेकिन कही कुछ जानने की इक्षा ने मुझे हाँ करने पर मजबूर कर दिया और मैने उसको 4 बजे आउन्गि कह कर फोन रख दिया.

ठीक शाम को चार बजे मैं उसके दरवाज़े पर थी, या मुझे कुछ ज़्यादा ही जल्दी थी उसके घर जाने की.

“आजा अंदर आ.” कह कर कंचन ने दरवाज़ा बंद कर दिया और वो भी मेरे पास आकर सोफे पर बैठ गयी

“बता क्यों बुलाया है.” मैने पूछा

“संध्या क्या तू भी मुझे ग़लत समझती है, मैने कुछ भी ग़लत नही किया.” कह कर वो चुप हो गयी और सिर झुका लिया

“ठीक है जो तुझे सही लगा तूने किया, मुझे तेरी पर्सनल लाइफ से कुछ लेना देना नही.” कह कर मैं खामोश हो गयी

वो रोने लगी और मुझे भी कंचन पर तरस आ गया, मैं उसके कंधे पर हाथ फेरते हुए उसे चुप करने लगी तो वो मेरे गले लग गयी, मैं उसको आँखें बंद किए चुप करा रही थी और उसका रोना भी बंद हो गया था. उसके हाथ मेरी पीठ पर फिसल रहे थे और उसकी गरम सासें मुझे गर्देन पर महसूस हो रही थी, मैं भी उसको अपने सीने से लिपटाने लगी. कंचन अब बिल्कुल शांत थी

और वो मेरी पीठ पर ब्लाउस के पीछे बहुत ही धीरे धीरे गोल गोल घूमाते हुए हाथ फेर रही थी, मेरे सारे बदन मे कंपकपि दौड़ गयी और मेरी सिसकी निकल गयी और मैने उसको ज़ोर से लिपटा लिया.

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कंचन ये जान चुकी थी कि अब मैं पूरी तरह से उसके बस मे हूँ और उसे नही रोक पाउन्गि, कंचन मेरी गर्देन पर चूमने लगी और पता ही नही चला कि कब हमारे होठ मिल गये, मेरी जीभ कंचन के मुँह मे थी और वो बहुत धीरे से मेरी जीभ को दाँतों से दबाते हुए चूम रही थी. ऐसा 5 मिनिट तक चला. फिर कंचन ने अपने हाथ मेरे कसे हुए मम्मो पर रख दिए………….

मुझे ऐसा लगा किसी ने मुझे हिला कर रख दिया हो और मैं उस नशे से बाहर आ गयी और कंचन को खुद से अलग किया और अपना पर्स उठा कर दरवाज़ा खोला और बाहर निकल गयी. मैने वापिस मूड कर भी नही देखा. मेरी चूत की चिपचिपाहट मैं अपनी रगड़ खाती हुए झंघों पर महसूस कर रही थी, जितना तेज चलने की कोशिश करती पैर उतना ही धीरे उठ रहे थे.

घर आने का 5 मिनिट का रास्ते 5 घंटे की तरह गया, आकर सीधा बाथरूम मे गयी और सारे कपड़े निकाल कर ठंडे पानी का नल शुरू करके उसके नीचे बैठ गयी…

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नहा कर बाथरूम से निकली ही थी कि मेरे पति आ गये और उसके बाद घर के काम मे लग गयी, रात भर जो मेरे और कंचन के बीच मे हुआ वो सोच कर मैने पहली बार अपने पति के बगल मे लेट कर अपनी चूत को सहलाया और मुझे बहुत मज़ा आया. मैं इस मज़े और ग्लानि के भंवर मे फस्ति चली जा रही थी.

सुबह मेरे पति ने नीला नीला कर मुझे उठाया, मैने झट से सारे काम किए और नहा कर आई ही थी की कंचन ने दरवाज़े पर दस्तक दी. मुझे उसको देख कर ना तो खुशी हुए और ना ही बुरा लगा, वो मुस्कुराइ पर मैं उससे नज़रें चुराते हुए दरवाज़े से हट गयी, जो उसने अंदर आने का इशारा समझा. वैसे तो मैं हमेशा दरवाज़ा खुला ही रखती थी पर आज मैने दरवाज़ा बंद कर दिया, ये बात कंचन ने भी नोटीस की.

वो आकर सोफे पर बैठ गयी और मैं उसको पानी देकर चाइ बनाने के लिए किचन मे वापिस चली गयी. मैने चाइ बना ही रही थी की कंचन पीछे से आकर मुझसे लिपट गयी.

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“य……य…..ये. क्या कर रही हो…. हटो दूर…” मैने कहा तो ज़रूर लेकिन अपने आप को उसकी पकड़ से छुड़ाने की कोशिश तक नही की. उसने मेरी साडी के अंदर हाथ डाल कर मेरे चिकने सपाट पेट पर हाथ फेरते हुए मेरी ब्लाउस के पीछे नंगी पीठ पर जैसे ही चूमना शुरू किया और मैं पिघलने लगी.

मैं किचन स्टॅंड पर दोनो हाथ टिकाए शांत खड़ी थी, दिल मे जोरो का तूफान था, दिमाग़ चाहता था कि रोक दू लेकिन दिल इस नये स्वाद को चखना चाहता था.

और दिल की जीत हो गयी, मैने पलट कर कंचन को अपनी बाहों मे भर लिया, हमारे होठ एक बार फिर से मिल गये लेकिन इस बार अलग ना होने के लिए. कंचन ने साडी का पल्लो नीचे गिरा दिया और गॅस बंद कर दिया उसने एक एक करके मेरे ब्लौस एके सारे बटन खोल दिए
मेरी हालत ऐसी हो रही थी कि मैं खुद भी चाहती थी कि जो हो रहा है हो जाने दो, और उसने वही किचन मे ही स्टॅंड पर बैठने का इशारा किया. और मैने ईक यन्त्रवत उसके इशारे का पालन किया. 

अब मैं उसके कंट्रोल मे थी. कंचन ने मेरी गुलाबी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को ब्लाउस के साथ निकाल दिया. मेरे दोनो चिकने कठोरे स्तन अब एक दम आज़ाद थे, मेरा गुलाबी अरेवला और उस पर डार्क पिंक निपल जो एकदम तने हुए थे. उसने जैस एही एक ब्रेस्ट पर हाथ रखा.

“आआआआअहह हमम्म्ममममममममममम कंचन ये क्या कर रही है तू.” मैने सीकरियाँ भरते हुए कहा

“मेरी जान तुझे इस जिंदगी के मज़े लेना सिखा रही हूँ, अब तक तू सिर्फ़ चुदाई का मज़ा ले रही थी. सेक्स क्या है ये तुझे पता ही नही है.” कंचन ने मेरे निपल को मसल्ते हुए कहा

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उसकी इस हरकत पर मैं उछल पड़ी, उसने ज़ोर से मसला था, और उसके कारण बदन मे जो सिरहन की लहर उठी वो मेरी चूत से निकल गयी, जी हाँ दोस्तो मैं सिर्फ़ एक मिनिट मे ही झाड़ गयी थी. अभी तो कुछ हुआ भी नही और मेरा ये हाल था, कितना सही कहती है कंचन कि अब तक तो मैं सिर्फ़ चुदाई ही जानती थी सेक्स मे क्या मज़ा है ये मुझे पता ही नही था.

मैं काँप कर कंचन से लिपट गयी और कंचन मेरी नंगी पीठ को सहला रही थी.

उसके बाद कंचन ने मेरी गर्देन से चूमना शुरू किया जो आगे आकर सीने पर रुका, उसने अपनी जीभ निकाल कर मेरे निपल पर लगाई और नीचे से ऊपर की तरफ जीभ से निपल को चूमा तो मानो हज़ारों बिच्छू मेरी छातियों पर रेंगने लगे, इतना अच्छा मुझे कभी नही लगा था, और फिर वो निपल को किसी छ्होटे बच्चे की तरह चूमने लगी,

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मैं उसके सिर को अपने सीने पर दबाती जा रही थी. कंचन ने अब दूसरा निपल मुँह मे लिया तो मेरे दाहिने स्तन को पकड़ लिया और धीरे धीरे दबाते हुए वो दूसरे स्तन को चूम रही थी, धीरे धीरे ये चूमना, चूसने मे बदल गया और अब वो मेरे स्तनो को चूस कर निचोड़ रही थी.

उसने मेरा पेटिकोट का नाडा कब खोल दिया मुझे इसका पता ही नही चला, जैसे ही उसने मुझे खड़ा किया मेरी साड़ी पेटिकोट सहित नीचे गिर गयी मेरे पैरों मे. अब मैं सिर्फ़ एक गुलाबी फूलों वाली वाइट लो वेस्ट पॅंटी मे खड़ी थी. मैं भी चाहती थी कि उसके कपड़े निकाल दू पर मुझसे ये हो नही रहा था, लेकिन कंचन को दिमाग़ पढ़ना आता था, उसने झट से अपना कुर्ता और सलवार निकाल फेंकी

और वो मेरे सामने ब्राउन पॅंटी और ब्रा मे खड़ी थी, उसने मेरी तरफ प्यार से देखा और हम एक दूसरे से फिर से लिपट गये और हमारे होठ आपस मे मिल गये, हमारी जीबे एक दूसरे से टकरा रही थी और सासें भारी हो रही थी, हम बीच मे साँस लेने के लिए रुकते और फिर वापिस से हमारे होंठ आपस मे जुड़ जाते, अब बारी मेरी थी….

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मैने अपना हाथ कंचन की पीठ पर लेजाकार उसकी ब्रा का हुक खोल दिया, उसके स्तन काफ़ी बड़े थे जैसे ही ब्रा खुली उसके स्तन नीचे को गिर पड़े, कंचन ने खुद ही अपने एक स्तन को उठाया और वो खुद ही उसके निपल को अपनी जीभ से चाटने लगी, मैने भी अपनी जीभ उसी निपल पर लगा दी जिस निपल को कंचन चाट रही थी, उसका निपल थोड़ा ज़्यादा ही लंबा था

और अरेवला काफ़ी बड़ा, हम दोनो की जीभ आपस मे छूते हुए निपल की लंबाई पर चल रही थी और लार से पूरा स्तन गीला हो रहा था, फिर वाली दूसरे निपल के साथ हुआ और थोड़ी देर मे कंचन मेरा सिर सहलाते हुए सिसकियाँ ले रही थी और मैं उसके बड़े बड़े स्तनो को ऊपर उठा कर आपस मे जोड़ कर एक एक करके दोनो निपल को बुरी तरह चूस रही थी.

पर हाए रे दरवाजे की घंटी…………. इसको भी अभी बजना था, सारा मज़ा खराब हो गया, पसीने छूट गये और कंचन ने झट से कपड़े पहने और मैने सारे कपड़े उठाए और बेडरूम मे भाग गयी, वहाँ जाकर गाउन डाला और झट से दरवाज़ा खोलने गयी. उफ्फ ये तो सिर्फ़ एक सेल्स गर्ल थी, जिसको मैने जल्दी से टाल दिया. पर इससे जो घबराहट हुई उससे मन मे एक अजीब सा डर जो शुरू हुआ था उसके कारण अब कुछ करने की इक्षा नही बची थी, इस लिए मैने कंचन को ठंडा पानी दिया और खुद भी पानी पिया और चाइ को वापिस से गॅस पर लगाया और आकर कंचन के सामने बैठ गयी.

“मूड खराब हो गया.” कंचन ने कहा

“उूउउम्म्म्मम हाँ.” कह कर मैं चाइ लेने चली गयी, मुझे समझ मे ही नही आ रहा था की क्या बात करू, मैं उससे नज़रें भी नही मिला पा रही थी. चाइ पीकर वो चली गयी और मैं आकर बिस्तेर पर लेट गयी.

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मैं सो गयी और जब उठी तो छाया आंटी के आने पर, वो बोले जा रही थी और मैं उनकी बात पर ध्यान दिए बिना ही कंचन के साथ बीते हुए पलो को याद कर रही थी. तभी शबाना भी आ गयी थी, शबाना के पेट मे एक बात भी नही रहती उसका नेचर ही कुछ ऐसा था, उसने कंचन और राज शर्मा की सारी बातें छाया आंटी को बता दी.

छाया आंटी, “देख शबाना इसमे कोई बुराई नही है, शरीर की कुछ ज़रूरतें होती है अगर कंचन उसको राज के साथ पूरा कर रही है तो इसमे कोई बुराई नही है.”

मैने पूछा, “छाया आंटी तो क्या आपने कभी किसी और के साथ सेक्स किया है.”

“हाँ वो मेरी ननद का लड़का था, उस वक़्त मेरी उमर 38 साल थी और वो 16 का था.” इतना कह कर वो चुप हो गयी

फिर तो मैने और शबाना ने उनसे ज़िद पकड़ ली कि कब कैसे और क्या हुआ हमे बताओ.

छाया आंटी थोड़ी देर तक भूत काल मे खो गयी और फिर काफ़ी देर के बाद उन्होने बोलना शुरू किया.

डिसेंबर का महीना था और माधव क्रिस्मस वाकेशन मे हमारे घर आया था, इनका देहांत हुए सिर्फ़ 6 महीने हुए थे तो मैं बहुत परेशान रहती थी, वो बहुत हँसमुख था और कई बार वो मेरे आस पास रह कर मुझे खुश रखने की कोशिश करता था, 25थ को केक लाया और मेरे लिए शानदार डिन्नर का इंतेजाम किया था. उसने मुझे बताया नही और कोल्ड ड्रिंक मे वोड्का मिला दी, जिससे मैं नशे झूमने लगी.

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फिर उसने मुझे डॅन्स के लिए कहा और डॅन्स करते करते वो मेरे बहुत पास आ गया, नशा इतना भी नही था कि मैं अपने होश खो दू, वो डॅन्स करते हुए मेरे बहुत करीब आ गया था और मुझे शॉक लगा तब, जब उसका लंड कठोर होने लगा जिसको मैं अपने पेट पर महसूस करने लगी, धीरे धीरे उसका लंड झटके मारते हुए मेरे पेट पर अब मैं सॉफ महसूस कर रही थी.

और मैं उससे अलग होने या रुकने की जगह उससे और जोरो से लिपट रही थी, उसने मुझे थाम लिया और मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगा, वो हर बार अपने हाथ को थोड़ा नीचे ले जाता और अब उसने अपने हाथ मेरे कुल्हो पर रख दिए और अपनी ओर दबाने लगा, उसकी गरम सासें मेरी गर्देन पर वो ज़ोर ज़ोर से छ्चोड़ रहा था, मैं भी उसमे समा जाना चाहती थी और मैने अपने होठ उसकी तरफ बढ़ा दिए और उसने भी मेरे होंठो पर अपने होठ रख दिए, मैं मदहोश हो गयी और जब मुझे होश आया तो मेरे बदन पर सिर्फ़ पॅंटी ही बची थी.

उसने मुझे बाहों मे उठाया और बेडरूम मे ले गया, मैं बेड पर बैठी थी उसने मुझे लेटा दिया, मेरे पैर बेड के किनारे कर दिए थे, फिर उसने मेरी पॅंटी की इलास्टिक मे अपनी उंगलियाँ फसाई और पॅंटी निकाल दी. मेरी घने बालों से भरी हुई चूत पर उसने हाथ रखा और बालों को दोनो तरफ करके उसने अपना मुँह चूत मे लगा दिया, वो मेरी चूत को खाए जा रहा था. मैं नीचे से कूल्हे उछाल रही थी और उसके सिर पर हाथ फिराए जा रही थी.

फिर वो उठा और एक झटके मे उसने सारे कपड़े निकाल दिए और लंड को चूत के छेद पर रखा और एक ही धक्के मे लंड पूरा अंदर डाल दिया, उसका लंड कुछ ज़्यादा ही लंबा था सीधा मेरी बच्चेड़नी से जा टकराया और दर्द की एक मजेदार लहर मेरे बदन मे दौड़ गयी.

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वो थोड़ा रुका और फिर उसने धक्के लगाना शुरू किए, वो पूरा लंड निकालता केवल लिंगमंड (सूपड़ा) ही अंदर रह जाता और फिर वो बिल्कुल धीरे से पूरा लंड अंदर डालता वो इतना प्यारा कर रहा था कि मैं अब ज़्यादा देर तक ये सहन नही कर सकती थी. मेरी चूत मे तूफान अब उठने ही वाला था. कि वो रुक गया और उसने मुझे बेड के किनारे ही उल्टा कर दिया अब वो पीछे से डालने वाला था.

माधव ने लंड को चूत पर टीकाया और बहुत तेज़ी से अंदर डाला दिया, मेरा तो मूत निकल गया और मैं काँपते हुए झाड़ गयी. ऐसा मैने कभी नही किया था, उसके बाद तो माधव रुका ही नही तेज धक्को के साथ मेरा मूत निकालता रहा और मैं अब इस रोमांच को सहन नही कर पा रही थी. मेरे पैर काँप रहे थे और मैं अब सिर्फ़ हर धक्के के साथ झाड़ रही थी, सारा बदन अकड़ने लगा और मैं अपने होश खो बैठी, बेड पर उल्टा ही पसर गयी.

जब होश आया तो देखा कि मैं सीधी लेटी थी और मेरे स्तनो पर ढेर सारा वीर्य पड़ा हुआ है. और माधव नंगा ही मेरे पास सो रहा है.”
छाया आंटी की इस मजेदार कहानी को सुनकर मेरा मन भी चुदाई के लिए तरसने लगा था और शबाना की आँखों मे तो लाल डोरे नज़र आ रहे थे, हम तीनो ही बारी बारी से बाथरूम मे गये और फिर मैने चाइ बनाई, चाइ पीते हुए हम कंचन और राज के बारे मे ही बातें करते रहे, जाते जाते छाया आंटी ने शबाना को हिदायत दी कि इन बातों को अपने तक ही रखना.

छाया मेरे घर से निकल कर सीधा कंचन के घर की तरफ निकली और मैं और शबाना शांत बैठे थे.

थोड़ी देर की खामोशी के बाद शबाना बोली, “संध्या तेरी सेक्स लाइफ कैसी चल रही है.”

“बहुत बढ़िया.” मैने इतना ही कहा था कि उसने कुछ कहा लेकिन मैं सुन नही पाई, मैने काफ़ी ज़ोर दिया तब जाकर वो बोली, “मेरी तो कोई

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सेक्स लाइफ ही नही है, वो तो बस चाकू की तरह डाल देते है और 4-5 धक्के और उल्टी करके सो जाते है.”

मैं हैरान रह गयी की इक़बाल जैसा आदमी सेक्स करना नही जानता.थोड़ी देर की बातों के बाद ये ऑफीस से आ गये और शबाना इनसे नमस्ते करके चली गयी, मेरे पति जाती हुए शबाना की गांद को घूर रहे थे.

मैने चाइ बनाई और ये कुछ ज़रूरी काम से मुंबई जाने वाले थे रात को ही तो मैने तैयारी लगानी शुरू कर दी.

इन्होने मुझसे कहा कि शबाना आंटी को बुला लेना सोने के लिए तो मैने कहा नही मैं कंचन को बुला लूँगी उसके हज़्बेंड भी बाहर गये हुए है, तो इन्होने हाँ मे सिर हिलाया और फिर मेरे साथ एक ज़ोर दार सेक्स किया लेकिन मुझे पता नही क्या हो गया था, मैं आँखें बंद किए हुए माधव के ख़यालों मे खोई हुए थी, और जल्दी जल्दी 3 बार झाड़ गयी.

उसके बाद ये चले गये मैने कंचन को कॉल किया और आने को कहा तो वो बोली अकेले आउ या किसी और को भी साथ लाउ.

मैने कहा, “आज तो अकेले ही आ, पूरा हफ़्ता है किसी और का बाद मैं देखते है.”

कंचन ने कहा, “ठीक है मेरी जान.” और फोन काट दिया

मैं उसके आने का इंतेजर करने लगी.

कंचन थोड़ा लेट आई थी और वो अपने बच्चे को घर पर ही छ्चोड़ कर आई थी और अंदर आते ही मैने दरवाज़ा बंद कर दिया, सारे खिड़की पर्दे सब मैने पहले ही बंद कर रखा था.

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मैने अपनी चूत को भी बहुत अच्छे से धोया था और सारे बाल भी सॉफ का लिए थे, लेकिन मस्ती इतनी थी कि चूत से पानी टपक रहा था और मेरी पॅंटी को गीला कर रहा था. आते ही हम दोनो सोफे पर ही गुत्थम गुत्था हो गये, कंचन ने झट से अपना कुर्ता और ब्रा निकाल दी उसके मोटे मोटे निपल मैने अपना मुँह मे भर लिए और बारी बारी से एक एक स्तन को मसल कर उसके निपल का रस पान करने लगी. कंचन ने भी मेरी मॅक्सी निकाल दी और पॅंटी भी, जो मैने नहा कर बिल्कुल अभी पहनी थी लेकिन वो चूत रस से भीग गयी थी.

फिर कंचन खड़ी हुई और सलवार निकाल दी, उसकी पॅंटी चूत के पास से उठी हुई थी जैसे ही उसने पॅंटी निकली मैं हैरान रह गयी. उस कुतिया ने वो वाइब्रटर अपनी चूत मे डाला हुआ था और वो बॅट्री मोड पर ऑन था.

मैने देखा तो वो बोली, “मेरी जान मैं हमेशा इसको चूत मे फसा का बाहर जाती हूँ ताकि मर्दो को देख कर बार बार झाड़ सकूँ.”

“तू साली बहुत चुड़क्कड़ है.” मैने कहा तो वो भी तपाक से बोली, “तुझे भी बना दूँगी.”

और उसने वो वाइब्रटर निकाल कर मेरे मुँह मे घुसा दिया, उसकी चूत रस के साथ साथ मूत का नमकीन कसैला सा स्वाद भी जेहन मे उतरता चला गया, लेकिन मुझे बहुत मज़ा आ रहा था इसलिए मैने वो रस चाट लिया, अब कंचन ने मुझे सोफे पर ही घोड़ी बना दिया और वो वाइब्रटर मेरी चूत मे पीछे से घुसा दिया, और स्पीड भी एकदम फुल कर दी, मैं 2 मिनिट मे ही झाड़ गयी लेकिन उसने मुझे बुरी तरह से जाकड़ लिया था मैं उठ भी नही सकती थी और हिल भी नही सकती थी.

मेरा सारा बदन अकड़ने लगा और मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया और मैने इतना महसूस किया कि मेरी चूत से एक तेज धार कंचन के स्तनो को भिगो रही थी.

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जब मुझे होश आया तो मैं सोफे पर ही पड़ी थी और कंचन बड़बड़ा रही थी, “साली मेरे मुँह पर ही मूत दिया.”

मैने नॉर्मल होने की कॉसिश की और उठा कर अपने बेडरूम मे गयी, कंचन भी पीछे से आ गयी. मुझे सेक्स हमेशा से ही स्लो और लंबा पसंद है वाइल्ड सेक्स के कारण मुझे घबराहट हो रही थी. मैं आँखें बंद करके लेट गयी.

मेरी आँख तब खुली जब कंचन ने मेरी चूत के लिप्स पर अपनी जीभ घुमाई, और मेरी चूत का दाना बहुत संवेदनशील हो गया था, जैसे ही उसने दाना अपने मुँह मे भरा मेरी सिसकी निकल गयी.

मैं, “आआआहह कंचन धीरे कर.”

कंचन समझ रही थी कि मैं रूफ सेक्स की आदि नही हूँ, मेरे हज़्बेंड भी मुझे धीरे धीरे उत्तेजित करते हुए प्यार से मेरी चुदाई करते है.कंचन ने अपने दोनो हाथो से मेरी चूत को फैलाया और अंदर के भाग पर जीभ फेरी मेरे मूत छिद्र पर उसकी जीभ कुछ ऐसा जादू कर रही थी मानो कि मेरा मूत निकल जाएगा, वो पूरी चूत को मुँह मे भर कर चूम रही थी.

फिर कंचन ने एक उंगली अंदर डाल दी और दाने पर जीभ चलाने लगी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, अचानक उसने मेरी चूत को अपने मुँह मे दबा लिया, और काँपने लगी, मैने आँखें खोल कर देखा तो वो उसकी चूत से वाइब्रटर निकाल रही थी

फिर हम दोनो लिपट कर लेट गये. थोड़ी ही देर मे हमे कब नींद आ गयी पता ही नही चला

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सुबह आँख खुली तो कंचन तैयार होकर जा रही थी, उसकी बेटी को स्कूल जाना था. दूसरी रात वो नही आ सकती थी लेकिन छाया आंटी से कंचन ने मेरे घर पर सोने को बोल दिया था,

छाया उमर के इस पड़ाव पर भी एक दम फिट थी. वो रोज योगा करती थी वो जानती थी कि उसे खुद को फिट रखना ही होगा. लेकिन उसके पति की मौत के बाद किसी ने उसको नंगा नही देखा था. वो अपनी चूत मे उंगलिया करते करते बोर हो गयी थी और कुछ नया चाहती थी. छाया भी मेरी तरफ आकर्षित थी लेकिन वो ये सोच कर रुक जाती थी कि अगर मैने विरोध किया तो उसकी मेरी नज़र मे क्या रह जाएगी. छाया कई बार मेरे नाम लेकर भी अपनी चूत को सहला चुकी थी.

हम दोनो बैठ कर बात कर ही रहे थे, छाया के दिलो दिमाग़ मे एक द्वन्द चल रहा था, हम बात ही कर रहे थे कि छाया आंटी का हाथ सोफे से मेरी पीठ पर मैने महसूस किया, ये नॉर्मल टच नही था, औरतों को टच की पहचान होती है.

छाया बोली, “चलो एक राइड हो जाए कार से घूम कर आते है, मैने भी हाँ कर दी और हम दोनो घूमने निकल पड़े.

थोड़ा सुनसान आते ही छाया आंटी बोली थोड़ा गाड़ी रोक, तो मैने गाड़ी रोक दी

‘उनके साथ मैं भी नीचे उतर गयी, वो थोड़ा आगे गयी और साड़ी उठा कर ज़मीन पर बैठ गयी और उनकी दुबली पतली सी गोरी गांद मेरे सामने थी, वो जान बुझ कर लाइट मे जाकर बैठी थी, और मूतने की मधुर आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी. अब मुझे भी कुछ होना शुरू हो गया था.
हम दोनो वही बुनट पर टिक कर खड़े हो गये, छाया आंटी की उंगलियाँ मेरे हाथ के ऊपर ही थी.

ठुकाई चार सहेलियों की – Hindi Sex Kahaani

छाया आंटी बोली, “एक बात पुच्छू तुमसे.”

मुझे जैसे लगा कि वो क्या चाहती है, “हा आंटी पूछो ना.”

वो थोड़ा रुक गयी और बोली, “मर्दो का साथ कैसा होता है, मुझे पता है. लेकिन एक लड़की के साथ होना कैसा लगता है.”
मुझे लगा कि मैं झाड़ रही हूँ और चूत का रस मेरी पॅंटी को भिगो रहा है,

छाया आंटी मेरी तरफ घूमी और मेरे गाल पर अपना हाथ रखा, मैं उनकी तरफ ही देख रही थी, और वो मेरी तरफ बढ़ी और उनका चेहरा मेरे पास आ गया, मैने साँस रोक ली और मैं बहुत उत्तेजित हो गयी थी.

और हम दोनो के होठ मिल गये, उूुुउउम्म्म्मममममम और कुछ ही देर मे हम दोनो की जीभ एक दूसरे के साथ खेल रही थी, प्यार का खेल जो अभी सिर्फ़ शुरू ही हुआ था.

छाया आंटी ने मुझे खुद से लिपटा लिया और मैं मेल की तरह उनसे लिपट गयी. हम दोनो के हाथ एक दूसरे की पीठ को सहला रहे थे, छाया आंटी ने ब्लाउज के ऊपर से ही मेरे स्तन को दबाना और सहलाना शुरू किया. मेरे निपल कड़क हो गये थे, वो मेरी ब्रा और ब्लाउज के ऊपर से छाया आंटी महसूस कर रही थी. उन्होने मेरे बटन खोलना चाहे पर मैने उनको रोक दिया और कहा घर चलो.

5 मिनिट मे ही हम घर पर थे. आते ही छाया आंटी ने मेरा ब्लाउस खोल दिया वो मेरे नंगे होते बदन पर ऐसे हाथ फेर रही कि मैं उस नशे मे खोती ही जा रही थी. छाया आंटी ने मेरे पेटिकोट का नाडा खोला और मेरा पेटिकोट और साड़ी वही फर्श पर गिर गये.

“उसने जब मेरे हिप्स पर छुआ तो मैं काँप गयी, वो बोली, “मेरी जान मैं तुमको आज अपना बनाना चाहती हूँ.”

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छाया आंटी ने मेरा हाथ उनके स्तनो पर रख और मैने उनके स्तन दबाना शुरू किया और उनका ब्लाउस और साडी खोल दी, फिर मैने उनका पेटिकोट भी निकाल दिया. छाया आंटी के निपल थोड़े बड़े थे मैं उनको पकड़ा, तो वो उछल पड़ी आआआहह धीरे करो मेरी जान.

उनकी चूत से भी रस टपक रहा था और उनकी पॅंटी भीग गयी थी, मैने छाया आंटी की गर्देन पर चूमना शुरू किया, किसी भी औरत को गर्देन पर चूमना बहुत जल्दी उत्तेजित करता है, अब मैने उनको सोफे पर लिटा दिया और खुद उनके ऊपर चढ़ गयी और उनके निपल चूसने लगी. छाया आंटी ने मुझे कहा, तुम बहुत सुंदर हो मेरी रानी.”

मैने छाया आंटी की पॅंटी निकाल दी, उनकी चूत का गीलापन बाहर तक टपक रहा था और फूली हुए बिना बालों वाली चूत की महक मुझे आने लगी थी, मैने उसकी फूली हुए चूत पर हाथ फेरा और झुक कर उसकी गरम गीली चूत पर अपनी जीभ घुमाई, नीचे से जहाँ उसकी चूत खुल रही थी और उसकी गांद के भूरे छेद तक. और ज़ोर से उसकी पूरी चूत को मुँह मे भर लिया, आआआहह उसकी सिसकी निकल गयी, अंगूठे से मैने छाया आंटी की चूत के दाने को घिसना शुरू किया, और नीचे की तरफ मैं जीभ फेर रही थी, मैं उसकी चूत भूखी कुतिया जैसे अपना खाना खाती है वैसे चाट रही थी.

“हे भगवान, आआआआआहह चतो और चतो म्म्म्म मममममम बहुत मज़ा आ रहा है मुझे…” छाया आंटी बड़बड़ा रही थी

मुझे पता ही नही था कि जीभ इतने कमाल की चीज़ है जो लंड से ज़्यादा मज़ा दे सकती है और वो भी तब जब एक औरत दूसरी औरत के साथ हो तब. छाया आंटी की चूत से रस टपक रहा था और मैं उस कसैले नमकीन मीठे से स्वाद वाले चूत रस को चाते जा रही थी. छाया आंटी काँपने लगी थी और शायद वो अब झड़ने ही वाली थी.

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और जैसे ही मैने उनकी चूत का दाना मुँह मे भरा वो झड़ने लगी. और वो बहुत देर तक झड़ती रही और एकदम शांत हो गयी.
अब उनकी बारी थी लेकिन मैं उनको थोड़ा आराम का मौका देना चाहती थी इस लिए मैं बाथरूम मे चली गयी.

जब मैं वापिस आई तो छाया आंटी टाय्लेट जाने के लिए उठी, उनके गालों पर गुलाबी रंगत छाई हुए थी मैने उनका हाथ पकड़ा और कान के पास मुँह लेजाते हुए बोली, “ कैसा लगा मेरी प्यारी आंटी.” और कान मे फूँक मार दी, वो सिहर गयी और हाथ छुड़ाते हुए बाथरूम मे भाग गयी.
मैं बेड पर लेट गयी और दोनो पैर भी ऊपर उठा कर रख दिए,छाया आंटी कब आई मुझे नही पता, लेकिन अब वो बेड के नीचे मेरी दोनो टॅंगो के बीच मे थी और मेरी टपकती हुए चूत पर उनकी जीभ चलने लगी, और उन्होने दाने पर जीभ चलाते हुए एक उंगली मक्कन जैसी चिकनी चूत मे उतार दी, मैने भी गांद उछाल कर उनकी उंगली को अंदर तक ले लिया.

मेरा मुँह खुल गया था और मैं मुँह से साँस ले रही थी,

मैं बोली. “आआआआआआअहह आंटी बहुत प्यारा लग रहा है,”

छाया आंटी ने धीरे से कहा, “आहे देख ये तो शुरुआत है.”

छाया आंटी ने अब एक और उंगली मेरी चूत मे डाल दी और आगे पीछे कर दी मैने भी अपने शरीर का भार आगे को लिए और उठकर उनकी उंगलियों को चूत मे अंदर बाहर होते हुए देखने लगी, और मैने भी अपनी गांद को आगे पीछे करते हुए गांद को उनके हाथ के ले से ताल मिलाने लगी, छाया आंटी कीउंगलियाँ अब मुझे लंड के जैसा ही मज़ा दे रही थी, और मैने अपनी कोहली को मोड़ कर अपने हाथ से अपने ही निपल को पकड़ कर मसलना शुरू किया, अब मस्ती अपने शबाब पर थी और मैं एक अलग ही दुनिया मे थी.

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मैने अपनी आँखें बंद कर ली थी अचानक छाया आंटी ने अपनी उंगलियाँ निकाल ली और उसकी जगह किसी और चीज़ ने ले ली थी, छाया आंटी ने बस वो चीज़ मेरी चूत मे घुसानी शुरू कर दी, ये तो वो लंबा वाला बैंगन था जो वो सुबह पकाने के लिए लाई थी और उसने सोचा भी ना था कि इसको ऐसे भी इस्तेमाल कर सकते है.

छाया आंटी मेरी चूत के दाने को सहलाते हुए बॅंगेन को अंदर बाहर करने लगी, वो ठंडा बैंगन मुझे बहुत मज़ा दे रहा था, और मेरी छ्होट और ज़्यादा फैल गयी थी.

छाया आंटी बोली, “बेटा तुम्हारी छूत तो झरना बन गयी है, कितना रस छ्चोड़ रही है.”

छाया आंटी के तरीकों से मैं अब पूरी तरह से पिघलने को तैयार थी और मेरा बदन अकड़ने लगा था और मैं तेज

आआआआआआआआआआअहह के साथ झाड़ गयी.

लेकिन छाया आंटी ने बंद नही किया, वो रुक ही नही रही थी बल्कि बैंगन को और तेज़ी के साथ मेरी चूत के अंदर बाहर कर रही थी.
मेरी गांद का छेद फिर से सिकुड गया और एक तेज लहर मेरे बदन मे उठी और झड़ने के साथ साथ मेरा मूत निकल गया. और छाया आंटी पूरा भीग गयी.

अब छाया आंटी ने मेरी छूत से वो बैंगन बाहर निकाल लिया और झुक कर वो मेरी रस से भरी हुई चूत को चाटने लगी, और एक उंगली से वो मेरी गांद के छेद को कुरेदने लगी, मेरे साथ ऐसा कभी नही हुआ था. मैने गांद को सिकोड लिया, पर जब वो जीभ से मेरी गांद को चाटने और सहलाने लगी तो मैने अब अपनी गांद को ढीला कर दिया, मेरे पति चाहते थे कि वो एक बार तो मेरी गांद मार ले पर मैने उनको कभी हाथ भी नही लगाने दिया था, लेकिन छाया आंटी की तरह अगर उन्होने मेरी गांद को चटा होता तो शायद……..

छाया आंटी ने एक उंगली को पहले चूत मे डाला फिर उसी उंगली को गांद मे डाल दिया. मुझे कभी इतना मज़ा नही आया था

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“आंटी, ये क्या कर रही हो?” मैने पूछा

“तुमको प्यार के खेल सिखा रही हूँ मेरी जान,” छाया आंटी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा, मैं घबराई हुए थी तो वो फिर से बोली, “तकलीफ़ नही होगी, डरो मत”

और झक कर मेरी गांद के छेद को चाटने लगी. धीरे धीरे चाटने और जीभ की नोक से गांद के छेद को खोलने की कोशिश. आआआआआआआहह म्म्म्म मममममममम मैं अब इस एहसास का और गांद चटाई का मज़ा ले रही थी.

अब उन्होने एक हाथ मेरी चूत पर टीकाया और जीभ गांद पर और चूत को सहलाते हुए गांद चाटने लगी, अब उन्होने दो उंगलियाँ चूत मे डाली और निकाल ली और फिर से उन्होने एक उंगली गांद मे और एक चूत मे डाल दी, थोड़ा सा लगा पर मैं इस मज़े को पाना चाहती थी, मैने अपनी गांद को सिकोड लिया था, पर छाया आंटी ने इशारा किया तो मैने फिर अपना बदन ढीला छ्चोड़ने की कोशिश की और अब मैने खुद ही नीचे को दबाब डाला और दोनो उंगलियों को गहराई मे उतार लिया.

अब वो बहुत तेज़ी से उंगलियों को अंदर बाहर कर रही थी और छाया आंटी ने कब दो उंगलियों मेरी गांद मे डाल दी पता ही नही चला, अब उन्होने दूसरे हाथ की दो उंगलियाँ चूत मे डाल दी, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मैं भी उनके धक्को का जवाब अपने धक्को से दे रही थी. और अचानक उन्होने वो बैंगन मेरी गांद मे टीका दिया, मैं डर से काँप गयी क्योंकि वो थोड़ा मोटा था.

“हाए, भगवान के लिए आंटी. इससे बहुत दर्द होगा मत करो मैं मर जाउन्गि, पहले मैने कभी ऐसा नही किया है, प्लीज़ रुक जाओ.”

“चिंता मत करो मेरी जान तुमको ज़रा भी तकलीफ़ नही होगी,”वो थोड़ा तेज गुस्से भरे लहजे मे बोली

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“सारा बदन ढीला छ्चोड़ दो बेटा, , और गारी साँस लो,” छाया आंटी बोली

मैं शांत होने की पूरी कोशिश कर रही थी और छाया आंटी ने बैंगन का दवाब बदाया और मेरी गांद का छल्ला खुलने लगा और वो बैंगन को रास्ता दे रहा था.

“आआअहह माआआआअ !” मैं कराह रही थी, और रात के सन्नाटे मे इस आवाज़ को ज़रूर किसी ने सुना होगा

छाया आंटी सिर्फ़ मुस्कुरा रही थी, बैंगन को धकेलना तो रोक दिया था लेकिन वो मेरी चूत के दाने को ज़ोर ज़ोर से सहला रही थी, एक मिनिट रुकने के बाद जब मैं रिलॅक्स हुई तो उन्होने फिर से बैंगन अंदर डाला और ऐसे करते करते उन्होने पूरा बैंगन अंदर कर दिया. और वो अब धीरे धीरे बैंगन को मेरी गांद मे अंदर बाहर करने लगी, और कुछ ही मिनिट मे मैं भी अपनी गांद हिला हिला कर वो बैंगन अपनी गांद मे लेने लगी, अब मुझे भी मज़ा आने लगा था.

छाया आंटी ने करवट बदली और मेरे ऊपर आ गयी, और उन्होने मेरे मुँह पर चूत को रख दिया और मैं उनकी चूत चाटने लगी. मुझे बहुत मज़ा आरहा था, मेरे मुँह से अब दबी हुए आवाज़ें निकल रही थी, मैं अब झड़ने के बिल्कुल करीब थी पर झाड़ ही नही पा रही थी. अचानक छाया आंटी काँपने लगी और हम दोनो एक साथ झड़ने लगी.

मैने उनको थाम लिया, और वो बैंगन अब भी मेरी गांद मे ही था, आंटी ने वो बाहर निकाला मैं उठ कर बाथरूम की तरफ जाने लगी लेकिन मेरी गांद सूज गयी थी, मैं थोड़ी दूर तक चली और लड़खड़ा कर गिर गयी, ये बार बार झड़ने के कारण और दर्द जो अब मैं महसूस कर रही थी उसके कारण हुआ था.

पर अभी ये ख़तम नही हुआ था

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थोड़ी देर के बाद छाया आंटी मेरी थाइ पर बैठी थी और उनकी गीली गरम चूत मेरी थाइ पर घिस रही थी. मैं भी तैयार थी उनको जो हुआ वापिस चुकाने को, मैने अपने रूम मे पड़ी हुए ईज़ी चेर पर उनको धकेल दिया और झुक कर उनकी चूत को अपने मुँह मे भर लिया. उनकी छूट गुलाबी और बिल्कुल चिकनी थी, गरम और रसीली भी. मैने धीरे से ऊपर से नीचे तक अपनी जीभ को घुमाया. वो तो एक मिनिट मे ही झाड़ गयी, काँपने लगी, लेकिन मैने उनको नही छ्चोड़ा.

मैने चूस चूस कर उनकी चूत के रस को मुँह मे भर लिया और उनके मुँह से मुँह लगा दिया और किस करते हुए बूँद बूँद करके सारा रस उनको पिलाने लगी,

और मैने ऐसा करते हुए वो बैंगन उठाया और उनकी चूत मे पेल दिया, एक ही झटके मे. और तेज़ी से अंदर बाहर करने लगी, वो क के बाद कई बार झड़ने लगी और उनका सारा बदन काँप रहा था.

और वो मूतने लगी, मेरा बदला पूरा हो गया था अब मैं बहुत खुश थी लेकिन गांद का बदला बाकी था…………
पर अब हम दोनो बहुत थक गये थे कब सो गये पता ही नही चला.

शूबह दरवाज़े की घंटी बजी तब हुमारी आँख खुली और मैने झट से कपड़े पहने और छाया आंटी कपड़े समेट कर टाय्लेट मे चली गयी, हमारी काम वाली थी. वो आई और काम करने लगी, इसके बाद जब वो चली गयी तब तक छाया आंटी भी चली गयी थी.
लेकिन दोपहर मे ही मेरी बेहन का लड़का आ गया और कंचन को आज का प्लान कॅन्सल करना पड़ा पर वो बोली, “लंड आया है कूद चल कर चुद्वा ले.”

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उसकी ये बात मेरे दिमाग़ मे घूम रही थी पर मैं डरती थी कि ये सही नही है, लेकिन मैने ऐसा कुछ भी नही किया.
मैं जानती थी कि अगर मेरा ऐसा वैसा कुछ भी मेरे पति को पता चला तो वो मुझे मार डालेंगे.

लेकिन मैने ईक दिन महसूसू किया कि वो मुझे अजीब निगाहों से देखता है और ये बात मैने छाया आंटी को बताई तो वो बोली, “अरे ट्राइ कर और मज़ा ले.”

अब मैं भी इस बात को सोचने के लिए मेजर हो गयी थी की कुछ करने तो पड़ेगा, और जब वो भी इंट्रेस्टेड है तो मौका क्यों छ्चोड़ना.
वो उस सुबह जब मैं उसके कमरे मे गयी तो नंगा लेटा हुआ था, और मूठ मार रहा था, और उसके भी शायद मुझे देख लिया था लेकिन वो रुका नही, वो अब कदम उठाने लगा था. लेकिन उसके झड़ने पर मैं हैरान रह गयी, वो झाड़ते हुए बोला, “आआअहह मौसी पी लो लंड के रस को!!!”

अब हुआ ये कि मैं उससे नज़रें चुरा रही थी, मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था.

सनडे की बात है उसको आए 2 दिन निकल गये थे, वो सुबह वही हरकत कर रहा था, की मैने उसका दरवाज़ा अचानक खोल दिया, मुझे अंदाज़ा ही नही था कि वो इस हालत मे होगा, वो खुद को ढक भी नही सकता था, और मैं दरवाज़े पर खड़ी हुए उसको लंड हिलाते हुए देख रही थी.

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मौसी मेरे सामने थी और मुझे समझ मे ही नही आ रहा था कि मैं क्या करू, वो आई और उन्होने मेरा लंड पकड़ लिया, ऐसा मैने सोचा ही नही था कि वो ऐसा कुछ करेंगी, और मेरे 7 इंच के लंड को हिलाने लगी.

वो झुकी और लंड के सूपदे की खाल को पीछे किया और गुलाबी सूपदे को मुँह मे भर लिया, मैने तकिये पर सिर टीकाया और आँखें बंद कर ली और मुझे लगा कि मैं एक मिनिट मे ही झाड़ जाउन्गा. वो लंड के अगले भाग पर जीभ की नोक चला रही थी और एक हाथ से आधे लंड को पकड़ा हुआ था ताकि मैं उनके काबू मे रहूं. अब वो नीचे को हुए और मेरे टेस्टिकल को मुँह मे भर का चूसने लगी, इससे मेरा लंड और भी ज़्यादा फूल गया.

वो मेरे ऊपर चढ़ गयी और खुद ही लंड को निशाने पर लगाया और नीचे होने लगी, उनकी गरम गीली और मुलायम चूत मेरे लंड पर फिसल रही थी, वो पूरा बैठ गयी. अब उन्होने वो रेड कलर की मॅक्सी को अपने सिर के ऊपर से निकाल फेंका, तने हुए निपल और गोरा बदन. मैने झट से उनके मम्मो को पकड़ लिया.

अब वो आँखें बंद किए हुए ऊपर नीचे हो रही थी और मैं मौसी के मम्मो के साथ खेल रहा था.

“आआअहह म्म्म्म मममममममम ऊऊहहमाआआआआआअ कितना बड़ा लंड है, अंदर तक टकरा रहा है!” मौसी बड़बड़ा रही थी
अब मैने भी नीचे से धक्के मारने शुरू किया और एक ताल मे हम धक्के मार रहे थे.

मैने एक हाथ नीचे किया और मौसी की चूत के दाने पर अपना अंगूठा लगा दिया और दाने को घिसने लगा, मौसी की चूत का रस मेरे लंड से होते हुए नीचे तक बह रहा था.

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और अब मैं और वो दोनो झड़ने लगे, और आंटी ने आँख खोली और मेरे ऊपर से हटी तो उनकी चूत से मेरे और उनके रस की धार लग गयी. वो मेरे बगल मे लेट गयी और साँसें भरने लगी.

वो उठा और मुझे गोद मे उठा लिया मेरा 46 क्ग वेट उसको कुछ भी नही लगा, शवर के नीचे खड़ा करके उसने शवर ऑन कर दिया. और उसका लंड अब फिर से तन गया था. गरम पानी और उसका लंड मेरी चूत मे हलचल मच गयी, मैं वही झुक कर खड़ी हो गयी और उसने पीछे से मेरी चूत मे लंड डाल दिया, मैं पहले से ही बहुत गीली थी तो उसका लंड एक झटके मे चला गया, मेरी कमर पकड़ कर वो धक्के मारने लगा.
वो लंड को पूरा बाहर तक निकालता और एक झटके मे अंदर वापिस डाल रहा था, और उसका लंड अंदर कही टकरा जाता तो एक दर्द की मीठी लहर मेरे तन बदन मे दौड़ जाती.

मैं झड़ने लगी और तभी मैने महसूस किया कि उसने भी वीर्य की धार मैं अपने गर्भाशय पर महसूस कर रही थी, हम वही खड़े रहे, फिर हमने नाहया और बाहर आ गये.