Sunita Ki Chahat – Lambi Sex Ki Kahani
सुनीता की चाहत – lambi chudai ki kahani
आपने ‘साजन का अधूरा प्यार’ में सुनीता के बारे में पढ़ा, और मुझसे आप लोगों ने पूछा कि उसके बाद सुनीता का क्या हुआ। इस कहानी में आप सभी को आपके पूछे हुए सवालों के जवाब मिल जायेंगे, जिन्होंने मेरी कहानी ‘साजन का अधूरा प्यार’ नहीं पढ़ी तो जरूर पढ़ें, तभी आपको मेरी यह कहानी समझ में आएगी।
सुधा कुछ दिनों के लिए अपने मम्मी पापा के यहाँ चली गई और मैं यहाँ पर उसके इंतजार में दिन गिनने लगा। अभी सुधा को गए दो दिन ही हुए थे, सुनीता ने मुझे बुलाया और बोली- कल मेरा जन्मदिन है और मैं चाहती हूँ, अपना यह जन्मदिन मैं तेरे साथ ही मनाऊँ। तुम और मैं बस और कोई न हो, बस मेरी यही चाहत है, इसको तुम पूरी करोगे न?
मैंने कहा- ठीक है, जैसा तुम चाहती हो, वैसा सा ही हो जायेगा।
मेरी बात सुनकर सुनीता बहुत खुश हो गई।
सुनीता ने तो मुझे बोल दिया वो अपना जन्मदिन मेरे साथ मनायेगी, पर कहाँ और कैसे, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मन तो मेरा भी कर रहा था कि मैं भी उसके साथ कुछ वक्त अकेले में बिताऊँ, पूरी रात यही सोचता रहा पर कुछ समझ नहीं आया।
अगले दिन मैं सुबह देर से उठा और जब टाइम देखा तो 9 बज रहे थे। जैसे ही मैं उठा तो देखा मम्मी और पापा और भाई भी तैयार हो रहे थे। मैंने मम्मी से पूछा- कहीं जा रहे हो क्या?
मम्मी बोली- तेरी दादी की तबियत खराब है, हम तेरी दादी को देखने जा रहे हैं।
सुनीता की चाहत – lambi chudai ki kahani
तो मैंने कहा- मैं भी चलता हूँ !
मम्मी ने कहा- नहीं, तुम यहीं पर रहो, आज शायद गैस वाला सिलेंडर लेकर आएगा, तो घर पर कोई तो होना चाहिए।
मैंने मम्मी से पूछा- भाई भी जा रहा है क्या?
मम्मी ने कहा- हाँ, वो भी जा रहा है, वहाँ से कुछ दुरी पर इसके दोस्त की बहन की शादी है, हम कल शाम तक हम आ जायेगे मम्मी ने तैयार होते हुए कहा।
मैंने मम्मी से कहा- क्या मैं घर पर अकेला रहूँगा?
तो मम्मी बोली- नहीं, मैंने सुनीता के घर पर उसकी मम्मी को बोल दिया है, रात को वो यहीं पर ही सो जाएगी और खाना भी वही पका देगी !
मुझे समझाते हुए मम्मी बोली- सुनीता दीदी को जरा भी परेशान मत करना !
मैंने हाँ में अपना सर हिला दिया।
कुछ देर बाद मम्मी पापा और भाई गाँव के लिए निकल गए अब रह गया मैं अकेला ! मैं सोचकर बहुत खुश था कि चलो अब सुनीता के जन्मदिन की टेंशन ख़त्म हो गई और रात भर वो मेरे साथ होगी। यही सोच सोच कर मैं रोमांचित हो रहा था।
सुनीता की चाहत – lambi chudai ki kahani
मैं जल्दी से नहा धोकर तैयार हो गया क्योंकि आज सुनीता का जन्मदिन भी तो था। फिर मैंने नाश्ता किया और फिर घर को सही साफ़ कर दिया। मुझे ये सब करते हुए सुबह के 11 बज चुके थे, सभी लोग सुबह जल्दी चले गए थे, तो मम्मी ने दोपहर का खाना तो बनाया ही नहीं था इसका मतलब सुनीता भी अब आने वाली थी मेरे लिए खाना बनाने के लिए।
कुछ ही देर बाद सुनीता घर आई, क्या मस्त लग रही थी। गोल चेहरा, 5 फुट 2 इंच का कद, भरा हुआ बदन, मम्मे का साइज 32, चूतड़ थोड़े से उभरे हुए, और आज उसने सफ़ेद सूट और सफ़ेद सलवार पहनी थी, वो भी बिल्कुल नए कपड़े पहने थी, इन कपड़ो में वो किसी परी से कम नहीं लग रही थी, उसका यह रूप देखकर उसकी सुन्दरता में खो गया था।
उसने अन्दर आकर उसने मुझे जोर से च्यूँटी काटी तो मैं होश में आया तो सुनीता मुझसे बोली- पहले कभी मुझे देखा नहीं, जो इस तरह से मुझे देखे जा रहा है?
मैंने सुनीता को अपनी बाँहों में लेते हुए कहा- जान, आज तो कयामत लग रही हो !
और मैं ‘हैप्पी बर्थ डे टू यू जान !’ इतना कह कर अपने होंठ उसके होंठ पर रख कर किस करने लगा, सुनीता ने मुझे धक्का देते हुए अपने आपको मुझसे अलग करते हुए कहा- क्या कर रहे हो? पागल हो गये हो, कम से कम यह तो देख लो कि बाहर का दरवाजा खुला हुआ है। कोई देख लेता तो?
मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ मैंने सुनीता को बोला- सॉरी जान, आज तुम इतनी खूबसूरत लग रही हो कि कंट्रोल ही नहीं हुआ।
सुनीता की चाहत – lambi chudai ki kahani
सुनीता ने हँसते हुए कहा– बस आज रात तक अपने आपको कंट्रोल कर लो, फिर पूरी रात तो हमारी है न ! आज रात को जो मन में आये वो कर लेना !
इतना कहते हुए वो रसोई में घुस गई और फिर वो खाना बनाने में लगी। मैंने घर का दरवाजा थोड़ा बन्द कर दिया, पूरा बन्द इसलिए नहीं किया कि किसी को शक न हो जाये, फिर मैं भी रसोई में घुस गया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
सुनीता रसोई में खड़ी होकर रोटी बनाने के लिए आटा गूँथ रही थी, मैंने उसको पीछे से पकड़ लिया और उसकी गर्दन पर किस करने लगा। मेरे दोनों हाथ उसके बूब्स पर थे, किस करते हुए उनको दबा भी रहा था।
सुनीता ने मुझे देखते हुए कहा- साजन, अगर तुम ऐसा करोगे तो मैं खाना नहीं बना पाऊँगी और देखो मेरे सूट की क्या हालत कर दी ! ऐसे में अगर में बाहर गई तो सबको पता चल जायेगा कि तुम मेरे चूचे दबा रहे थे, क्या तुम यह चाहते हो कि मैं रात को न आऊँ? मैंने कहा- नहीं यार, मैं क्यों ऐसा चाहूँगा, पर यार मुझसे कंट्रोल ही नहीं हो रहा, तुम बस एक किस दे दो तो में आराम से बैठ जाऊँगा।
सुनीता बोली- ठीक है !
उसने अपना चेहरा मेरे सामने कर दिया और अपनी आँखें बंद कर ली। उसने कहा- करो जल्दी से अब।
उसके रस भरे होंठ मुझे दावत दे रहे थे, आओ और पी लो सारा रस इन होंठों का !
पर मैंने कहा- नहीं जान, ऊपर की किस नहीं चाहिए।
सुनीता की चाहत – lambi chudai ki kahani
सुनीता ने अपनी आँखें खोली और मुझे देखती हुई बोली- तो जनाब को कहा की चाहिए?
“तुम्हारी चूत की !” मैंने चूत की तरफ उंगली करते हुए कहा।
सुनीता लगभग चीख ही पड़ी- पागल हो गए हो? अब दिन में? जो करना है रात को करना, अभी दिन में सही नहीं है।
मैंने सुनीता से कहा- बस एक ही तो किस मांग रहा हूँ, नहीं देनी तो मना कर दो, मैं तुमको दुबारा नहीं बोलूँगा !
और इतना कह कर मैं रसोई से बाहर आने लगा तो सुनीता ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- जान नाराज हो गए ! अच्छा चलो, बाहर का दरवाजा बंद करके आओ, आज के दिन मैं तुम को नाराज नहीं करना चाहती, पर ज्यादा समय मत लगाना।
सुनीता की बात सुन कर मैं खुश हो गया और फिर बाहर का दरवाजा सही से बंद करके रसोई के अन्दर आ गया।
सुनीता बोली- जो करना है जल्दी कर लो !
मैंने कहा- ठीक है, तुम अपना काम करती रहो और मैं अपना काम करता हूँ।
वो फिर से आटा गूंथने में लग गई, मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला तो उसकी सलवार नीचे गिर पड़ी, उसकी टाँगें बेहद चिकनी और मुलायम थी, मैंने उसकी टांगों पर हाथ फिराते हुए उसकी पेंटी नीचे सरका दी।
सुनीता की चाहत – lambi chudai ki kahani
क्या मस्त चूतड़ थे उसके ! अब वो नीचे से बिल्कुल नंगी हो चुकी थी।
मैंने सुनीता की सलवार और पेंटी दोनों निकल कर सही जगह पर रख दी ताकि वो गन्दी न हो जायें, फिर मैं सुनीता के पैरों के बीच मैं बैठ गया और उसकी चूत को ध्यान से देखने लगा, सुनीता की चूत पर एक भी बाल नहीं था, शायद उसने आज ही अपने बाल साफ़ किये थे।
मैंने अपना एक हाथ उसकी चूत पर फेरा तो तो उसकी चूत मुझे बहुत गर्म लगी, फिर मैंने उसकी चूत पर एक चुम्बन अंकित कर दिया। जैसे ही मेरे होंठों ने उसकी चूत को छुआ तो वो सिहर उठी, मैंने सुनीता की तरफ देखा तो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी, मेरी नजर उसकी नजर से मिली तो उसने शरमा कर अपनी आँखें बंद कर ली।
फिर मैंने उसकी चूत पर अपना मुँह लगाया और उसको चूसने लगा।
“म्म्म म्म्म्मा आ आआआ आअह्ह !’ अब उसके मुँह से सिसकियाँ निकल रही थी, सुनीता ने इस वक़्त काम करना बंद कर दिया था, वो मस्त होकर अपनी चूत चुसवा रही थी, फिर मैंने उसकी चूत के अन्दर अपनी जीभ डाल दी और उसकी चूत को अपनी जीभ से चोदने लगा, उसकी चूत मेरे थूक से और भी ज्यादा गीली हो चुकी थी और उसकी चूत भी पानी छोड़ रही थी।
सुनीता के हाथ आटे में सने हुए थे, इसलिये उसने मुझे हाथ नहीं लगाया बस उसने अपने पैरों को और थोड़ा सा खोल दिया था, अब उससे खड़े होने में दिक्कत हो रही थी तो वो दीवार से टेक लगाकर खड़ी हो गई और अपनी चूत को मेरे मुँह पर जोर जोर से रगड़ने लगी। मैं अपने दोनों हाथ उसके चूतड़ों पर रख कर उसकी चूत को चूसे जा रहा था, तभी वो अकड़ने लगी, मैं समझ गया कि अब सुनीता झड़ने वाली है, तो उसकी चूत में अपनी जीभ डाल कर मुख चोदने करने लगा।
सुनीता की चाहत – lambi chudai ki kahani
“ऊऊ ऊऊउह आह्ह्ह्ह !” और कुछ देर बाद ‘उईई ईई माँआआअ आहह्ह्ह’ करते हुए मेरे मुँह में अपना सारा रस छोड़ दिया। सुनीता मेरे मुंह पर ही झड़ गई, मैंने चाट चाट कर उसकी चूत साफ़ कर दी, उसकी चूत चूसते हुए लंड तो मेरा भी खड़ा हो गया था पर उस वक़्त चुदाई नहीं हो सकती थी।
उसके बाद मैं खड़ा हुआ और सुनीता के लबों को चूम लिया, फिर मैंने अपने हाथों से उसको पेंटी और सलवार पहना कर उसका नाड़ा बांधा, और बोला- जान, अब तुम खाना बना लो, मैं अब तुमको परेशान नहीं करूँगा।
सुनीता मेरे मुंह पर ही झड़ गई, मैंने चाट चाट कर उसकी चूत साफ़ कर दी, उसकी चूत चूसते हुए लंड तो मेरा भी खड़ा हो गया था पर उस वक़्त चुदाई नहीं हो सकती थी।
उसके बाद मैं खड़ा हुआ और सुनीता के लबों को चूम लिया, फिर मैंने अपने हाथों से उसको पेंटी और सलवार पहना कर उसका नाड़ा बांधा, और बोला- जान, अब तुम खाना बना लो, मैं अब तुमको परेशान नहीं करूँगा।
फिर मैंने उसको परेशान नहीं किया, उसने खाना बनाया और फिर हम दोनों ने मिलकर खाया।
अभी हम खाना खा कर निपटे ही थे, किसी ने मुझे बाहर से आवाज लगाई, बाहर जाकर देखा तो प्रेम था, उसने कहा- चल बाहर चलते हैं, जब देखो घर में ही घुसा रहता है, घर पर पर कोई नहीं है तेरे, फिर पता नहीं क्या करता रहता है।
तो मैंने प्रेम से कहा- बस एक मिनट में आता हूँ !
सुनीता की चाहत – lambi chudai ki kahani
मैं घर के अन्दर गया और सुनीता से बोला- मुझे कुछ काम है, मैं बाहर जा रहा हूँ।
सुनीता बोली- ठीक है, मैं भी अपने घर जा रही हूँ, और तुम रात को 8 बजे से पहले आ जाना, कही मैं इंतजार करती रहूँ !
मैंने कहा- ठीक है, मैं जल्दी ही आ जाऊंगा।
सुनीता ने मुझे मेरे होंठ पर एक चुम्बन किया और वो अपने घर चली गई, मैंने घर को बंद किया और अपने दोस्त के साथ बाहर निकल गया।
फिर उनके साथ घूमा, फिर और घर आ गया, समय देखा तो शाम के 4 बज गए थे, कुछ देर आराम करके में फिर बाजार गया और वहाँ से आधा किलो का केक लिया, घर पर लाकर फ़्रिज में रख दिया।
अब मैं इंतजार करने लगा 8 बजने का, क्योंकि 8 बजे सुनीता को जो आना था।
इंतजार करते हुए सात बज चुके थे, तो मैंने सोचा सुनीता आएगी और फिर खाना बनाएगी तो टाइम बर्बाद ही होगा, इसलिए मैं गया और रेस्टोरेंट से खाना पैक करा कर ले आया। तब तक 7:50 हो चुके थे, ठीक 8:10 सुनीता घर में आ गई उसने अब गुलाबी सूट पहन रखा था क्या मस्त लग रही थी, गाल गुलाबी, होंठ गुलाबी ऊपर से नीचे तक पूरी गुलाबी थी।
सुनीता आते ही बोली- मैं पहले खाना बना देती हूँ, तुमको भूख भी लग रही होगी।
मैंने सुनीता से कहा- नहीं रहने दो, मैं रेस्टोरेंट से खाना ले आया, तुम बस मेरे पास बैठो।
सुनीता की चाहत – lambi chudai ki kahani
“अच्छा जी, जनाब खाना बाहर से ले आये हैं, तो ठीक है, मैं अपने घर जा रही हूँ।”
जैसे ही वो मुड़ी मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और उसके उरोज पकड़ लिए।
“अरे अरे, रुको तो सही ! पहले दरवाजा तो बंद कर लो ! तुम भी न?” इतना कह कर वो मुझसे अलग हो गई।
मैंने कहा- ठीक है, पर यह बताओ, अब अपने घर तो जाना नहीं है न? तुम बोल कर आई हो न अब?
सुनीता ने कहा- हाँ बाबा। बोलकर आई हूँ, अब दरवाजा बंद कर लो !
इतनी बात सुनकर मैंने दरवाजा बंद कर दिया। दरवाजा बंद करके मैं उसके पास पहुँचा तो वो खुद ही मेरे सीने से लग गई और मेरे गालों को चूमने लगी, मैंने उसका चेहरा अपने दोनों हाथों में पकड़ा और फिर अपने होंठ उसके होंठ मिला कर उसके होंठों का रस पीने लगा।
सुनीता ने अपने हाथ मेरी कमर में डाल दिए और मुझसे ऐसे चिपक गई, जैसे कभी अलग ही नहीं होना हो। कुछ देर उसके लबों का रस पीने के बाद मैं सुनीता से बोला- आज तो बहुत ही सेक्सी लग रही हो !
सुनीता बोली- यह सब मैंने तुम्हारे लिए ही तो क्या है। आज की रात तुमको शिकायत का कोई भी मौका नहीं दूँगी।
मैंने कहा- वो सब तो ठीक है पर उससे पहले खाना तो खा लें? वो तो अब तक ठंडा भी हो गया होगा।
सुनीता की चाहत – lambi chudai ki kahani
उसने कहा- तुम बैठो, मैं अभी गर्म कर के लाई ! खाना कहाँ रखा है?
तो मैं बोला- रसोई में ही है।
इतना सुन कर वो रसोई में खाना गर्म करने चली गई, कुछ देर बाद ही वो खाना गर्म करके ले आई फिर हम दोनों ने खाना खाया उसके बाद सुनीता ने सारे बर्तन धोकर रख दिए, अब वो भी सब कामों से निबट गई थी।
मैंने फ़्रिज से केक निकाल कर मेज पर रख दिया। सुनीता ने देखा तो वो बोली- यह क्या है?
मैंने सुनीता का हाथ पकड़ कर मेज के करीब लाया और बोला- आज तुम्हारा बर्थ डे है इसलिए मैं यह छोटा सा केक ले आया।
सुनीता की आँख में आँसू आ गए, मैं बोला- अब ख़ुशी के मौके पर ये आँसू क्यों?
सुनीता मेरे सीने से लग कर बोली- मेरे घर में किसी को भी याद नहीं, आज मेरा जन्म दिन भी है, और मुझे किसी ने विश भी नहीं किया, बस एक तुम ही हो जिसने मुझे विश भी किया और मेरे लिए केक भी ले आये।
मैंने सुनीता से कहा- मुझे भी तो नहीं पता था, अगर तुम मुझे कल न बताती तो मुझे भी पता नहीं चलता, चलो अब मुस्कुरा दो और जल्दी से केक काटो या पूरी रात ऐसे ही निकलने का इरादा है।
मेरी बात सुनकर सुनीता के चेहरे पर मुस्कान आ गई, मैंने केक पर एक मोमबत्ती लगा कर उसको जला दिया।
सुनीता की चाहत – lambi chudai ki kahani
सुनीता बोली- बस एक ही मोमबत्ती? पर मैं तो आज पूरे बीस साल की हो गई हूँ, और तुम बस एक ही मोमबत्ती लेकर आये हो?
मैंने सुनीता से कहा- मुझे नहीं पता था कि तुम कितने बरस की हो गई हो, इसलिए मैं एक मोमबत्ती ही लेकर आया और फिर आज की रात हमारी पहली रात है, इसलिए एक ही मोमबत्ती ठीक है।
मेरी बात सुनकर सुनीता मुस्कुराने लगी, उसने फूंक मार कर मोमबत्ती को बुझाया और फिर उसने केक पर छुरी चला दी, मैंने सुनीता को हैप्पी बर्थ डे टू यू बोला, सुनीता बहुत खुश हुई और मुझसे बोली- जान, अब तुम मेरा मुँह तो मीठा करवाओ !
मैंने कहा- हाँ क्यों नहीं !
सुनीता के हाथ से चाक़ू लेकर केक का एक बड़ा सा पीस काट कर उसको खिलने लगा, तो उसने मना कर दिया, मैं आज केक ऐसे नहीं खाऊँगी।
मैंने पूछा- फिर कैसे खाओगी मेरी जान?
सुनीता ने कहा– तुम रहने दो मैं अपने आप ही खा लूँगी।
और वह मेरी पैंट खोलने लगी, पैंट नीचे करके अंडरवियर भी नीचे खिसका दिया, अब मेरा लंड उसके सामने था, मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या कर रही है, मैं चुपचाप खड़ा रहा।
सुनीता की चाहत – lambi chudai ki kahani
जैसे ही उसने मेरे लंड को अपने कोमल हाथों में लिया, मेरा लंड जो अभी कुछ देर पहले मुरझाया हुआ था, अब वो अपने असली आकार में आने लगा, और वो मेरे लंड को जब तक सहलाती रही जब तक वो अपने पूर्ण आकर में नहीं आ गया।
फिर सुनीता ने केक के ऊपर की बहुत सी क्रीम को मेरे लंड पे अपने हाथ से अच्छी तरह लगाई, फिर लंड को अपने मुँह में लेकर उस पर लगी क्रीम को चाट कर खाने लगी। मेरा लंड उसके चाटने से और भी पावर फुल हो गया था, मेरे लिए यह सब बिल्कुल नया और सुखद अनुभव था।
जब तक उसने लंड पर लगी सारी क्रीम चाटकर साफ नहीं कर दी, तब तक वो लंड चाटती और चूसती रही, फिर उसके बाद उसने केक का कटा हुआ पीस उठाया और मेरे मुँह में डाल दिया, फिर उसने मेरे मुँह से अपना मुँह मिला कर मेरे मुँह के अन्दर का केक अपनी जीभ से निकल कर खाने लगी और कुछ देर बाद वो सारा केक खा गई और जो बचा था उसको मैं खा गया।
हम दोनों बेड पर पहुँच गए। बेड पर पहुँचते-पहुँचते हमें रात के 11:30 बज चुके थे, हम दोनों एक दूसरे की बांहों में लेटे हुए थे, लेटे हुए मैं सुनीता के ऊपर आ गया और उसको चूमने लगा और वो मेरे गले में हाथ डाल कर मेरा साथ देने लगी। वो ऊपर उठते हुए मेरे होंठों को चूसने लगी और मैं उसके होंठों को चूस रहा था, वो थोड़ा ऊपर उठी और उसने एक तरह को करवट ले ली,
मैंने पीछे से उसकी कमर में हाथ डालकर उसके चूचों को पकड़ लिया और एक हाथ से उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया, फिर उसको थोड़ा सा सीधा करके अपने लब उसके लबों पर रख कर चूसने लगा, मैंने अपना एक हाथ उसकी सलवार में डाल दिया था।
सुनीता का एक हाथ मेरे बालों को सहला रहा था और दूसरे हाथ से मेरे हाथ को पकड़ रखा था, जो उसकी सलवार के अन्दर उसकी चूत को सहला रहा था, जैसे ही मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रखा तो मुझे एहसास हुआ, सुनीता ने अपनी चूत को बहुत ही अच्छे से साफ़ किया है, बाल रहित चूत पर हाथ फेर कर मुझे मज़ा आ रहा था, जैसे ही मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में अन्दर घुसाई, वो ‘म्म्म्मूऊऊउ आआह्ह्ह्ह’ करती हुई ऊपर को उछल गई।
सुनीता की चाहत – lambi chudai ki kahani
सुनीता ने अपने होंठ को मेरे होंठ से अलग हटाते हुए बोली- साजन, एक बात पूछूँ?
मैं बोला- हाँ पूछो ना क्या बात है?
सुनीता बोली- क्या तुमने आज से पहले किसी लड़की को चोदा है?
मैंने कहा- नहीं आज तुमको ही पहली बार चोदूँगा !
मैंने उसको झूठ बोला क्योंकि मैं एक बार सीमा को तो चोद ही चुका हूँ। यह बात आप सभी को भी पता है, जिनको नहीं पता तो वो मेरी पहली कहानी ‘चांदनी रात में’ जरूर पढ़ें कि किस तरह मैंने सीमा की चुदाई की।
सुनीता का एक हाथ मेरे बालों को सहला रहा था और दूसरे हाथ से मेरे हाथ को पकड़ रखा था, जो उसकी सलवार के अन्दर उसकी चूत को सहला रहा था, जैसे ही मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रखा तो मुझे एहसास हुआ, सुनीता ने अपनी चूत को बहुत ही अच्छे से साफ़ किया है, बाल रहित चूत पर हाथ फेर कर मुझे मज़ा आ रहा था, जैसे ही मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में अन्दर घुसाई, वो ‘म्म्म्मूऊऊउ आआह्ह्ह्ह’ करती हुई ऊपर को उछल गई।
सुनीता ने अपने होंठ को मेरे होंठ से अलग हटाते हुए बोली- साजन, एक बात पूछूँ?
मैं बोला- हाँ पूछो ना क्या बात है?
सुनीता की चाहत – lambi chudai ki kahani
सुनीता बोली- क्या तुमने आज से पहले किसी लड़की को चोदा है?
मैंने कहा- नहीं आज तुमको ही पहली बार चोदूँगा !
मैंने उसको झूठ बोला क्योंकि मैं एक बार सीमा को तो चोद ही चुका हूँ।
सुनीता से मैंने कहा- क्यों क्या हुआ?
उसने कहा- नहीं बस ऐसे ही पूछा, जिस तरह से तुम कर रहे हो उसको देख कर मैंने सोचा कि तुम पहले भी किसी कन्या को लण्ड दान कर चुके हो।
मैंने सुनीता से कहा- अच्छा जी ये बात है, असल में बात यह है जान कि मैंने बहुत बार ब्लू फ़िल्म देखी है, और एक बार तुमको भी मैंने अपनी आँखों से चुदते हुए देखा है, इनसे कुछ तो सीखा होगा न मैंने, जान चुदाई तो ऐसी है इसमें कुछ सीखने की जरूरत नहीं होती, सब अपने आप करना आ जाता है।
सुनीता से मैं बात भी करता जा रहा था और उसकी चूत को सहलाने के साथ साथ अपनी उंगली को उसकी चूत में अन्दर बाहर भी कर रहा था, जिससे उसकी चूत कुछ ज्यादा गीली हो चुकी थी, उसको मेरी बात शायद सही लगी, वो बस मुस्कुरा के मेरे गले में अपनी बाहों का हार डाल कर अपनी तरह खींच कर मेरे होंठ चूसने लगी और मैं उसके !
सुनीता की चाहत – lambi chudai ki kahani
इधर मेरा लंड की एक बार फिर हालत खराब हो रही थी, फिर मैं अपने एक हाथ से उसकी सलवार उतारने लगा, पर सुनीता बेड पर लेटी हुई थी तो उसकी सलवार उतर नहीं रही थी, वो उठकर बेड पर बैठ गई और मैं भी उठाकर बैठ गया।
मैंने उसके दोनों पैरों को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और अपनी तरफ खिसका कर उसको अपनी गोद में बिठा लिया, सुनीता भी मेरी गोद में आकर अपने दोनों हाथ मेरी गर्दन पर लपेट कर मुझे किस करने लगी। कुछ देर मुझे किस करने के बाद वो मेरी गोदी से उतर गई पर उसके दोनों पैर मेरी दोनों जांघों पर ही थे, मैं अपने हाथों से उसकी सलवार को पकड़ कर उतरने लगा, उसने अपने कूल्हे ऊपर उठा दिए, मैंने उसकी सलवार उसके घुटने तक उतार दी।
फिर मैंने उसका कमीज भी उतारने लगा तो उसने अपने दोनों हाथ ऊपर कर के उसे उतारने में मेरी मदद की। अब वो मेरे सामने ब्रा में बैठी थी, जैसे ही मैं उसकी ब्रा उतारने लगा तो उसने अपने हाथ से मेरा चेहरा पकड़ा और मेरे नीचे वाले होंठ को अपने होंठ में दबाकर चूसने लगी, मैं भी उसके ऊपर वाले होंठ को चूसने लगा और साथ ही मैं उसकी सलवार उतारने लगा पर उसके दोनों पैर मेरी दोनों जांघों पर थे, जिस कारण उसकी सलवार उतारने में मुझे दिक्कत हो रही थी इसलिए वो थोड़ा सा पीछे को खिसक गई।
फिर मैंने उसकी सलवार भी उतार दी, अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी, मैं उसके ब्रा के ऊपर से उसके बूब्स पर अपने होंठ फिराने लगा और एक हाथ उसकी पेंटी में डाल कर उसकी चूत में उंगली करने लगा, उसको बहुत मज़ा आ रहा था, इसलिए तो वो बार बार अपने कूल्हे ऊपर उठा देती थी, जब उसकी चूत की गहराई में मेरी उंगली जाती तो तड़प उठती, मुझे उसको तड़पना बहुत अच्छा लग रहा था।
कुछ देर ऐसा करने के बाद मैंने उसकी ब्रा उतार दी, ब्रा के खुलते ही उसके बूब्स मेरे हाथों में आ गए, उसकी चूचियाँ उत्तेजना के कारण बहुत सख्त हो चुकी थी, मैं उसकी नग्न हो चुकी चूचियों को अपने दोनों हाथो से पकड़ कर सहला और दबा रहा था और फिर मैं उसके निप्पलों को बारी बारी चूसने लगा, वो बैठी हुई थी और मैं उसके बूब्स चूस रहा था।
सुनीता की चाहत – lambi chudai ki kahani
सुनीता अपनी चूचियाँ चुसवाते हुये मेरी कमीज के बटन खोलने लगी, उसने मेरी कमीज और मेरी बनियान उतार दी, उसके बाद फिर से मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए, अब उसके बूब्स मेरे छाती से चिपके हुए थे, उत्तेजना के कारण उसके बूब्स की निप्पल तन गए थे, उसके तने हुए निप्पल में अपनी छाती पर महसूस कर रहा था, मैंने उसके होंठ चूसते हुए उसको बेड पर लिटा दिया और फिर उसकी पैंटी को भी उतार दिया, उसकी पेंटी को उतार कर उसकी चूत को अपने हाथ से सहलाने लगा। अब वो मेरे सामने बिना कपड़ों के बिल्कुल नंगी बेड पर पड़ी थी, अब तक वो कुछ ज्यादा ही गर्म हो गई थी।
सुनीता ने मेरे लंड को मेरे अंडरवियर से बाहर निकाला और पकड़ कर दबाने लगी, मेरा लंड जोकि पहले से ही खम्बा बना खड़ा था, फिर उसने मेरा अंडरवियर भी उतार दिया, अब हम दोनों जन्मजात नंगे थे, इतनी देर से हम दोनों चुपचाप यह सब कर रहे थे, पर अब सुनीता को बर्दाश्त नहीं हो रहा था, तो उसने ख़ामोशी को तोड़ते हुए कहा- साजन, क्यों मुझे इतना तड़पा रहा है, कुछ कर न जल्दी से, मेरी चूत अपना लंड डाल कर मुझे चोद दे, मुझसे अब नहीं रहा जा रहा।
इतना कहते हुए सुनीता ने मुझे अपने ऊपर खींचने लगी, मैंने भी अब देर करना मुनासिब नहीं समझा और मैं उसके ऊपर आते हुए बोला- जान, अभी तो पूरी रात पड़ी है।
जैसे ही मैं उसके ऊपर आया, उसने अपने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर टिकाया और नीचे से अपने चूतड़ उछाल दिए, सुनीता ने लंड को बिल्कुल सही जगह लगाया था तभी तो उसकी गांड उछालते ही मेरे लंड का सुपारा उसकी चूत में समां गया, उसके मुँह से ‘अआह्ह म्म्मम्म्म्मा’ निकल पड़ा।
सुनीता की चाहत – lambi chudai ki kahani
मैंने भी देर न करते हुए एक करारा धक्का सुनीता की चूत पे दे मारा ‘उई… माँ… आह.. ऊऊऊउईईईईईइ मेरा लंड आधे से ज्यादा उसकी चूत में चला गया था।
सुनीता ने अपने दोनों हाथों को मेरे चूतड़ों पर रखा और अपनी तरफ़ खींचते हुए बोली- जान मज़ा आ गया तेरे साथ !
इतना सुन कर मुझे और जोश आ गया और फिर एक और करारा शार्ट मारा, शायद इस बार सुनीता भी पहले से ही तैयार थी, उसने भी अपने चूतड़ ऊपर की और उछाल दिए और फिर ‘आईईइ ऊऊओह्हह्ह म्म्माआआअ’ पूरा लंड उसकी चूत में समां गया, सुनीता के चेहरे पर कुछ पीड़ा के और उससे ज्यादा ख़ुशी के मिलेजुले भाव नजर आ रहे थे।
कुछ देर मैं उसके ऊपर ऐसे ही लेटा उसके वक्ष के उभार चूसने लगा, सुनीता न जाने पहले ही कितनी बार चुद चुकी थी, पर अब भी उसकी चूत में बहुत कसावट ऐसी थी कि वो जैसे पहले कभी उसकी चुदाई ही नहीं हुई हो, इतनी कसी चूत पाकर मेरा लंड भी धन्य हो गया था।
कुछ देर बाद सुनीता अपने चूतड़ नीचे से ऊपर को उछालने लगी तो मैं समझ गया कि सुनीता अब मुझे दनादन चोदने का इशारा कर रही है, सुनीता ने अपनी टाँगें हवा में ऊपर उठा ली, उसने चुदाई के लिए पूरा मैदान साफ़ कर दिया था।
फिर मैं सुनीता की चूत पर ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगा, अपने लंड को आगे पीछे करते हुए मैंने अपनी गति बढ़ा दी, वो भी नीचे से अपनी गांड उछाल कर मेरा साथ देते हुए चिल्लाने लगी- साजन फाड़ डालो मेरी चूत को, डाल दो अपना पूरा लंड मेरी चूत में ह्ह्नाआआअ ऐसे ही म्म्म्मुह्ह्हा !
सुनीता की चाहत – lambi chudai ki kahani
मैं जोर जोर से उसकी चूत पर धक्के मारने लगा और उसकी एक चूची को मुँह में डालकर चूसता भी जा रहा था, वो मेरे बालों में हाथ फेरते हुए मेरी गर्दन और मेरे कंधे को चूम रही थी।
कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाल लिया और सुनीता को देखने लगा, सुनीता ने मुझे पकड़ कर मेरे होंठ चूमने लगी और अपनी गांड को पूरा हवा में उठा कर फिर से मेरे लंड को अपनी चूत के अन्दर ले लिया, फिर मैं भी उसके होंठ को चूमते हुए उसकी चूत पर ताबड़तोड़ धक्के मारने लगा, उसके मुँह से निकलने वाली सिसकारियों ऊऊ ऊऊऊ ऊई ईई ईम्म्म्माआआअ से पूरा कमरा संगीतमय हो चुका था।
कुछ देर बाद सुनीता मेरे ऊपर आ गई और मैं उसके नीचे, वह मेरे लंड को पकड कर अपनी चूत पर सेट कर के मेरे लण्ड पर बैठ गई और फिर वो जोर जोर से उछलने लगी, वो निरंतर मेरे होंठ चूसे जा रही थी। अभी उसको दो मिनट ही हुए थे, वो अपनी चूत से मेरा लंड निकाल कर मेरी टांगों के बीच घुटने के बल बैठ गई और फिर मेरे लंड को अपनी होंठों के बीच रख कर चूसने लगी, वो मेरा पूरा लंड अपने मुंह के अन्दर तक ले रही थी, सुनीता की इस क्रिया से मुझे असीम आ्नन्द मिल रहा था।
उसको ब्यान करने के लिए मेरे पास उस वक़्त शब्द ही नहीं थे, मैं उसको अपना लंड चूसते हुए देख बहुत ही रोमांचित हो रहा था, कुछ ही देर बाद उसने अपने मुँह से लंड निकला और वो मेरी गोदी में दोनों तरफ पैर करके मेरे खड़े लंड पर बैठ गई, मैंने अपना एक हाथ बेड पर पीछे रखा हुआ था बैलेंस के लिए, और एक हाथ से उसकी कमर को पकड़ा हुआ था, वो मेरे लंड पर ऊपर नीचे उठ बैठ रही थी और मैं नीचे से ऊपर को उसकी चूत पर आहिस्ता आहिस्ता धक्के लगा रहा था।
सुनीता की चाहत – lambi chudai ki kahani
सुनीता कभी मेरे गाल, कभी मेरा कन्धा चूम रही थी, उसने अपने हाथों से मुझे कस कर जकड़ लिया और मेरे कंधे पर अपने दांत से काटते हुए बहुत ही तेज अप्ने चूतड़ ऊपर नीचे उछालने लगी, शायद वो एक बार फिर झड़ने वाली थी, उसकी चूत से गर्म गर्म लावा बह निकला और उसने अपनी गांड भी उछालनी भी बंद कर दी थी पर मैं नीचे से निरंतर रूप से धक्के लगाता रहा और वो स्थिर हो कर झड़ने का पूरा पूरा आनन्द लेने लगी, फिर उसके बाद वो मेरे होंठ चूमते हुए बोली- साजन, अब मैं बहुत थक गई हूँ, अब तुम भी अपने लंड का पानी निकल लो जल्दी से।
मैंने सुनीता से कहा- जान, मेरा तो अभी हुआ ही नहीं है।
मैंने उसे कहा- तुम घोड़ी बन जाओ, इससे तुमको भी आराम मिलेगा और मुझे भी !
वो तुरंत घोड़ी बन गई, उसके चूचे नीचे की ओर लटक रहे थे, मैंने उसकी कमर पर हाथ फेरा और कमर को चूमते हुए अपना लंड उसकी चूत पर टिका के जोरदार धक्का मारा, मेरा आधा लंड उसकी चूत में समां गया था, फिर मैंने उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथ से पकड़ कर मसला और जोर से दबाते हुए उसकी चूत पर फिर से धक्का मारा।
‘ऊऊऊऊईई ईईम्म्म्माआआ आआआअ’ मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस चुका था।
सुनीता मुझसे कहने लगी- आज तुमने मेरी चूत का भोसड़ा बना डाला है, तुम तो मुझे ऐसे चोद रहे हो कि जैसे मैं तुम को दुबारा नहीं मिलूँगी।
मैंने कहा- यह बात नहीं है मेरी जान, जब चुदाई हो तो तरीके से हो।
और इतना कहते हुए मैंने उसकी चूची को पकड़ कर उसको ऊपर की तरफ उठा दिया, जिससे वो अब घुटने के बल बैठी हुई थी और मैं पीछे से उसको चोदे जा रहा था, चुदते हुए उसके बाल उसके चेहरे पर आ गए थे, मैंने उसके चेहरे से बाल हटाये और उसके होंठ से अपना होंठ लगा कर उसको चुमते हुए उसकी चूची दबाये जा रहा था।
सुनीता की चाहत – lambi chudai ki kahani
एक समय में तीन तीन क्रिया को अंजाम दे रहा था मैं, सच में इस स्टाइल में करने का एक अलग ही मज़ा था, मेरे लंड से अब मुझे कुछ निकलता हुआ महसूस होने लगा था, सुनीता की चूत से भी ढेर सा पानी निकल कर मेरे लंड के इर्दगिर्द बह रहा था मेरा निकलने वाला ही था तो मैंने सुनीता को बोला- मेरा होने वाला है !
तो सुनीता बोली- बस करते रहो, मेरा भी हो रहा है।
और फिर चार पांच धक्के मारते ही मेरे लंड ने अपना लावा सुनीता की चूत में उगल दिया और उसकी चूत भी अपना पानी छोड़ चुकी थी, सुनीता मुँह के बल बिस्तर पर लेट गई और मैं उसके ऊपर।
हम दोनों एक साथ झड़े, मैं अपना लंड सुनीता की चूत में डाले हुये ही उसके ऊपर लेट गया, कुछ देर हम ऐसे ही लेट रहे क्योंकि हम बहुत ज्यादा थक गए थे, फिर कुछ देर बाद हम उठे और बाथरूम गए, हमने एक दूसरे को साफ़ किया और फिर बेड पर पहुँच कर एक दूसरे की बांहों लेट गए, सुबह होने तक मैंने सुनीता को तीन बार चोदा, हमने पूरी रात बस चुदाई ही की।
जब सुबह हुई तो सुनीता और मैं साथ साथ नहाये फिर उसके बाद उसने चाय नाश्ता बनाया फिर हमने नाश्ता किया, उसके बाद सुनीता मुझसे बोली– साजन रात मुझे बहुत मज़ा आया ! जो मेरी चाहत थी वो तुमने रात पूरी कर दी और यह रात जो हमने साथ गुजारी है वो मेरे जन्मदिन का सबसे नायाब तोहफ़ा है जिसे मैं जिंदगी भर याद रखूँगी और जब भी मौका मिलेगा, हम ऐसे ही मौजमस्ती करेंगे।
मैंने भी उसके चूतड़ दबाते हुए कहा- सच जान, मुझे भी बहुत मज़ा आया !
और फिर सुनीता अपने घर चली गई।
सुनीता की चाहत – lambi chudai ki kahani
सुनीता की जब तक शादी नहीं हुई, तब तक जब भ हमें मौका मिलता तो हम दोनों चुदाई के इस हसीं खेल में डूब जाते। दो साल तक मैंने सुनीता की अनेक बार चुदाई की, हर चुदाई में कुछ न कुछ नया होता था, ये दो साल कैसे बीत गए पता ही नहीं चला, उसके बाद सुनीता की शादी हो गई, फिर उसके बाद मैंने सुनीता से सम्पर्क तोड़ दिया क्योंकि अब उसकी एक अलग दुनिया थी, सुनीता मुझे कई बार मिली और कहने लगी ‘मुझे अपने पति के साथ बिल्कुल भी मज़ा नहीं आता।’ उसने बहुत कोशिश की, मैं उसकी चुदाई करूँ
पर अब नहीं, मेरा दिल गवाही नहीं देता क्योंकि अगर किसी को जरा भी भनक लग गई हम दोनों के बारे तो उसकी जिंदगी तबाह हो जाएगी और उसका बसा बसाया जहाँ बर्बाद हो जायेगा।
मैं नहीं चाहता कि उसकी जिन्दगी तबाह हो, मेरे काफी प्रयास के बाद उसकी समझ में आ गया पर सुनीता ने मुझसे कहा- साजन, मैं तुम्हारी सारी बात मानूँगी, पर तुमको भी मुझसे एक वादा करना होगा।
मैंने सुनीता से कहा- क्या जान?
सुनीता बोली- जब कभी तुम जीवन किसी मोड़ पर अकेले रह जाओ तो तुम मेरे पास ही आना, मैं तुम्हारे साथ कल भी थी, आज भी हूँ और हमेशा रहूँगी, मुझे भूल मत जाना।
मैंने सुनीता से कहा- ठीक है, मैं वादा करता हूँ कि कभी जिन्दगी मैं ऐसा वक़्त आया तो मैं तेरे पास आ जाऊँगा।
शायद सुनीता भी मुझसे बहुत प्यार करने लगी थी पर दोस्तो, मैं तो सुधा प्यार से प्यार करता था और अब भी करता हूँ, अब सुनीता अपने पति के साथ सुखी है, अब उसके दो बच्चे भी हो गये हैं।
सुनीता की चाहत – lambi chudai ki kahani
यह थी मेरी और सुनीता की कहानी जो ‘साजन का अधूरा प्यार’ में अधूरी रह गई थी। दोस्तो, आपको आपके सभी प्रश्नों के जवाब मिल गए होंगे।