यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

Yaddon Ke Jharoke Se – Sex Hindi Stories

 

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

मेरे प्यारे चुदक्कड भाइयो और चुदासी बहनों ! मै आज आपसे उस वक़्त से वाकये को शेयर करता हूँ जब मुझे यह पता भी नहीं था कि लंड क्या होता है और चूत क्या …….. मै कैसे इतना चुदक्कड हुआ आज यह आप सब को बताता हूँ।

मै लंड और चूत दोनों को ही सुस्सू कहता था और अक्सर सोचता था कि मेरी और लड़कियों की सुस्सू में अंतर क्यूं है , चूचियां के लिए इतना समझ गया था कि इनमे से दूध निकलता है और लेडीज़ बच्चों को चूचियों से ही दूध पिलातीं हैं। लेकिन बाकी लंड और चूत के क्रिया – कलापों से पूरी तरह अनभिज्ञ था। सो जब मुझे कुछ पता ही नहीं था तो मेरा चूत और चूचियों में कोई इंटरेस्ट भी नहीं था क्योंकि चूत घर में नंगी खेलती छोटी बहनों की और चूचियां चाची व अम्मी की दूध पिलाते में रोज़ देखता था। परन्तु एक दिन मुझे लंड और चूत का खेल पता चल गया और फिर तो मै इस खेल का बुरी तरह दीवाना हो गया।

हुआ यूं कि मै अपने सेविन्थ के एग्जाम के बाद अपनी अम्मी के साथ चाचा के यहाँ छुट्टियां मनाने गया। मेरे चाचा के पांच बेटियाँ और तीन बेटे पहली चाची से व तीन बेटियाँ व दो बेटे दूसरी चाची से है। इस तरह से मेरे चाचा के तेरह बच्चे है जिनमे सबसे बड़ा बेटा इमरान है जिसकी शादी हो चुकी है जिसके एक डेढ़ साल की बेटी है तथा सबसे छोटी बुलबुल है जो अभी सिर्फ कुछ महीने की है। इस तरह मेरे चाचा की बेटी अपने भाई की बेटी से भी उमर में छोटी है। कुल मिला कर बड़ी ही मस्त और बिंदास फेमिली है।

शाम को जब सब इकठ्ठे होते थे तो ऐसा लगता था कि कोई छोटी मोटी बारात इकठ्ठी हो गयी हो। घर काफी लंबा चौड़ा था पर मेरे चाचा ज्यादातर छोटी चाची के कमरे में ही सोते थे और छोटे बच्चे व उनकी बेटियाँ एक अलग कमरे में सोते थे। मै जब पहुंचा तो मैंने अपनी सोने की जुगाड़ इसी बच्चों वाले कमरे में ही कर ली सिर्फ इसलिए कि इस कमरे में मेरी हम उमर बच्चे भी थे। वाकया दूसरी रात का है,हम सभी बच्चे खेल कूद कर सो गए थे अचानक रात में मुझे बड़ी तेज़ प्यास लगी।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

मै किचिन की तरफ पानी पीने चल दिया रस्ते में मेरे चाचा का कमरा पड़ता था जिसमे चाची शायद पेशाब करके लौट रहीं थीं तभी अचानक दरवाजे से ही चाचा ने उन्हें अपनी बाँहों में जकड लिया और उन्हें कमरे में खींच लिया इस धींगा मुश्ती में कमरे का दरवाजा खुला ही रह गया। मेरी कुछ भी समझ में नहीं आया सो में धीरे से अपने को छुपाते हुए कमरे में झांक कर माज़रा समझने की कोशिश करने लगा। परन्तु अन्दर का नजारा ही बिलकुल अलग था,अन्दर चाची के कमरे में नाईट बल्ब जल रहा था और चाचा चाची की चूचियों को कसके मसला मसल लगे।
“क्या करते हो जी! मेरी सारी ब्रा दूध से गीली कर दी,छोड़ो ना प्लीज़ और दरवाजा भी खुला है,कोई आ गया तो” चाची ने चाचा की बाँहों में कसमसाते हुए कहा

“छोड़ने का तो सवाल ही नहीं उठता मेरी जान,आज तो तेरी चूत में अपना लंड ज़रूर पेल के रहूँगा,कितने दिन से साले पीरियड्स के कारण साली बड़ी की चूत से काम चला रहा था पर आज तो तेरी चूत को ढंग से चोदूंगा” चाचा ने चाची की चूचियों को और कस के मसलते हुए कहा
“ठीक है चोद लेना पर दरवाजा तो बंद कर लेने दो” चाची ने अपने को छुडाते हुए कहा

मै झट से ओट में छुप गया और चाची ने दरवाजा बंद कर लिया। 

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

अचानक किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा। मैंने पलट के देखा कि आयशा यानी चाची की मंझली बेटी मेरे पीछे खडी थी। मेरी गांड फट गयी लेकिन जब आयशा ने धीरे से मुझे अपने पास खींच कर कहा,”क्या देख रहा है चूतिये,कभी देखा नहीं क्या?”मैंने सही सही बोला,”नहीं आयशा!वो बात नहीं,मै ये देख रहा था कि चाचा चाची के दूध इतनी बेरहमी से क्यूँ मसल रहे थे और वोह अपनी सुस्सू को चाची की सुस्सू में डालने की क्या बात कर रहे थे। “

“चल बुद्धू!तू नहीं जानता क्या?और ये क्या सुस्सू सुस्सू करता है,इत्ता बड़ा हो गया लंड और चूत भी नहीं सीखा,ये चूत में लंड डालने को ही तो चोदना कहते है,और एक शौहर अपनी बेगम को तो रोज़ चोदता है,चल मै तुझे सब समझाती हूँ” आयशा ने मुझे कमरे की तरफ खींचते हुए कहा

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

“लेकिन तुझे ये सारी बाते कैसे पता?” मैंने उसके साथ साथ चलते हुए कहा

“तू कमरे में चल,मै वहां तुझे सब समझातीं हूँ ” आयशा बोली

मै चुपचाप एक अजीब सी सोच में डूबा उसके साथ कमरे में आकर उसी की बगल में लेट गया। उसने मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर पूछा,”अब बता,तू क्या जानना चाहता है “

“सबसे पहले ये बता,तू इतनी सारी बातें कैसे जानती है” मैंने पूछा”चूतिये!अभी जो तूने ट्रेलर देखा है ना,मै वह फिल्म कई बार पूरी की पूरी देख चुकी हूँ”आयशा ने मेरा हाथ अपने कुर्ते के ऊपर से ही चूचियों पर रखते हुए आगे कहा,”हर शौहर अपनी बेगम की चूचियों को दबा दबा कर और चूत को चाट चाट कर चुदने के लिए तैयार करता है उसके बाद अपने लंड को चूत के छेद पर टिका कर अन्दर पेल कर खूब देर तक अन्दर बाहर करता है,इसी को चोदना कहते है”

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

मुझे पता नहीं क्यों पूरे शरीर में झनझनाहट सी महसूस हो रही थी , मुझे आयशा की निम्बू के सायज़ की चुचियों को चाचा की तरह दबाने में बड़ा अच्छा लग रहा था। चुचियों को दबाते दबाते मैंने आयशा से पूछा,”लेकिन चूत में लंड किधर से घुस जाएगा,छेद तो पीछे होता है क्या वही चूत का छेद होता है”

“चल बुद्धू!वो तो गांड होती है,लडकी के दो छेद होते है,एक पेशाब की जगह के थोड़ा सा नीचे व दूसरा पीछे,आगे वाला छेद लंड पिलवाने के लिए होता है व पीछे वाला लेट्रिन करने के लिए लेकिन कुछ बीबियाँ अपने शौहर से पीछे वाले छेद में भी लंड पिलवातीं है। ” आयशा धीमी आवाज़ में एक टीचर की तरह मुझे पढ़ा रही थी। मुझे चुचियों को दबाते हुए इन सब बातों में बहुत मज़ा आ रहा था। तभी आयशा ने मेरे हाथ को अपने कुर्ते व बनियान के अन्दर गुसा दिया।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

उसकी छोटी छोटी ठोस चुचियों के ऊपर निप्पल की जगह सिर्फ एक छोटा सा मस्सा सा था,अब मुझे समझ में आ गया था कि चाचा चाची की चुचियों को क्यों मसल रहे थे,मै भी अब खूब कस कस के आयशा की चूचियां मसल रहा था।

( माँ बाप को सम्भोग करते वक़्त बच्चों की तरफ से बहुत ही सचेत रहना चाहिए,आजकल के बच्चे पूरी तरह से कम्प्युटराइज्ड पैदा होते है व बहुत ही सेन्सटिव होते है )

“तो क्या तुम्हारे भी दो छेद है” मैंने आयशा से उसकी चूचियां मसलते हुए पूछा

“तू वाकई कुछ नहीं जानता” आयशा मुझसे और चिपकते हुए बोली

“सच्ची आयशा मुझे नहीं पता” मैंने बिना संकोच के अपनी कमी को स्वीकार करते हुए कहा। आयशा ने अपनी सलवार का नाडा खोल कर अपनी चड्डी नीचे खिसका कर मेरा हाथ अपनी चूत पर रख दिया।”ले अब तू सब अच्छी तरह से समझ ले” आयशा मेरे हाथ को अपनी चूत पे रगड़ते हुए बोली। अब तो मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।

“लेकिन तेरा आगे वाला छेद कहाँ है”

“अरे बुद्धू!ढंग से टटोल के देख ना”

मैंने उंगली से धीरे धीरे दोनों संतरे जैसी फांकों के बीच दबाना शुरू करते हए छेद को ढूँढना शुरू कर दिया,थोडा सा नीचे मुझे एक छेद का एहसास हुआ,मैंने उस पर जैसे ही उंगली रख कर दबाई, “आह धीरे से बुद्धू!दर्द होता है” आयशा अपनी टांगों को चौड़ा करके बोली और उसने मेरे नेकर का बटन खोल कर मेरी सुस्सू यानी मेरे लंड को पकड़ लिया, तब मुझे एहसास हुआ कि मेरा लंड पूरी तरह से सतर था। उसने धीरे धीरे मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया मैं भी धीरे से अपनी पहली उंगली उसकी चूत में घुसा के गहराई नापने की कोशिश में लग गया।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

“तू ऐसे ही मेरी चूत में उंगली कर और मै तेरे लंड को सहलाती हूँ” आयशा मेरे लंड से खेलती हुई बोली। मेरा लंड एक नार्मल अंगूठे जितना मोटा और तकरीबन तीन या साढ़े तीन इंच लंबा था।

“लेकिन चाचा तो लंड को चूत में पेलने की बात कर रहे थे” मैंने आयशा की चूत में अपनी उंगली अन्दर बाहर करते हुए पूछा

“हाँ हाँ वो तो है लेकिन मुझे उंगली करने में ही बहुत दर्द होता है तो तेरा ये लंड कैसे जाएगा,ना बाबा ना,मै तेरा ये लंड ना पिल्वाऊगी,तू बस ऐसे ही जल्दी जल्दी अपनी उंगली अन्दर बाहर करता रह” यह कह कर आयशा मेरे लंड की खाल को भी जल्दी जल्दी आगे पीछे करने लगी।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

मुझे पहली बार बड़ा मज़ा आ रहा था। मै जैसा उसने कहा उसी तरह से भकाभक उंगली चूत में चलाने लगा। थोड़ी देर बाद मुझे अपनी उंगली पे गरम गरम सा पानी छूटता हुआ लगा। इधर अब मेरी कमर भी उसके हाथ के साथ साथ आगे पीछे हो रही थी। अचानक मेरे लंड से भी थोडा सा गाढा गाढा कुछ निकल गया। यह महसूस करके आयशा मेरा लंड छोड़ कर मुझसे कस कर चिपट गयी।

मै तो हवा में उड़ रहा था।

“कैसा लगा रे तुझे” आयशा ने मुझसे पुछा

“तूने तो कमाल कर दिया,अच्छा एक बात बता,मुझे तो हाथों से ही बहुत मज़ा आ रहा था,क्या लंड को चूत में उंगली की तरह अन्दर बाहर करने में और मज़ा आता है?” मैंने पूछा

“मैंने कभी करवाया नहीं,मुझे तो उंगली में ही बहुत मज़ा आता है लेकिन जब अब्बू अपना लंड अम्मी की चूत में पेलते है तो अम्मी अक्सर कहतीं है …… ओ ह हा य पेल दो अपना पूरा लंड राजा …….. बड़ा मज़ा आ रहा है और अब्बू भी …. हाँ हाँ मेरी जान …. ले ले पूरा का पूरा लंड ले ले अपनी चूत में ….. बहन की लौंडी तू कहे तो मै भी घुस जाऊं”

“क्या चूत में लंड को अन्दर बाहर करने को चोदना कहते है” मैंने फिर पूछा

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

“हाँ रे,इसी को चोदना कहते है” आयशा बोली4]तभी शबनम दीदी नाराज़ होतीं हुई बोली,”रात का एक बज गया और तुम लोग अभी तक क्या यह खुसर पुसर कर रहे हो,सोते क्यों नहीं,ए मुन्ना!तू चल उठ के इधर मेरे पास आ के लेट और तू आयशा,फ़टाफ़ट चुपचाप सो जा”
मैं जल्दी से नेकर के बटन बंद करता हुआ दीदी के पास आ कर लेट गया।

लेकिन मै अभी भी आनंद के सागर में गोते लगा रहा था। मुझे पहली बार लंड और चूत के पेशाब करने के अलावा भी यूज़ अच्छी तरह से समझ में आ गए थे। अब तो मै एक ही बात सोच रहा था कि लंड को हाथ से सहलाने में जब इतना मज़ा आया तो चूत में अन्दर बाहर करने में कितना मज़ा आयेगा। तभी मेरे दिमाग में जैसे ट्यूब लाइट सी भक्क से जल गयी आखिर शब्बो दीदी भी तो चूतवाली है अगर शब्बो दीदी अपनी चूत में मुझे अपना लंड अन्दर बाहर कर लेने दें तो?

लेकिन वो मुझे क्यों अपनी चूत को चोदने देगी। मेरा लंड फिर से टाइट होने लगा था लेकिन में दीदी के डर के कारण चुपचाप लेटा था। तभी मुझे ध्यान आया कि चूत को भी तो चुदवाने में मज़ा आता है। आयशा बता तो रही थी कि चाची खूब मज़े ले ले कर चाचा से चुदवाती हैं। मेरा हाथ अब नेकर में मेरे टाइट लंड को सहला रहा था फिर मैंने धीरे से करवट लेकर सोने का नाटक करते हुए अपना एक हाथ दीदी की चूची पर रख कर अपनी एक टांग उठा कर उनकी जांघ पर रख ली।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

अब मेरा लंड उनकी जांघ से पूरी तरह टच कर रहा था। थोड़ी देर मै दीदी के डर से ऐसे ही लेटा रहा फिर जब मैंने देखा कि दीदी ने मेरी इस हरकत का कोई नोटिस नहीं लिया तो मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ गयी या ये कहिये कि मै लंड और चूत के इस मज़े के लिये धीरे धीरे रिस्क उठा रहा था।

]मैंने दीदी से और चिपकते हुए उनकी चूची को थोड़ा सा दबा दिया , दीदी की बड़े संतरे जैसी चूची को दबाने में बड़ा मज़ा आ रहा था इधर मै अपने लंड को धीरे धीरे उनकी जांघ पर भी रगड़ रहा था। अब मै अपने आप को पूरी तरह से ज़न्नत में समझ रहा था। तभी दीदी ने गहरी सी सांस लेकर पटाक से आँखे खोल कर मेरा हाथ पकड़ लिया और थोड़ा सा सर उठा कर मेरी तरफ देखा। मेरी तो ऊपर की सांस ऊपर और नीचे की सांस नीचे ही रह गयी।

मै सोने का नाटक तो पहले से ही कर रहा था अब और पूरी तरह से दिखावा करने लगा। दीदी ने मेरा हाथ धीरे से उठा कर अपने पेट पर रख दिया फिर उन्होंने हम दोनों के बीच में हाथ डाल कर मेरे लंड को नेकर के ऊपर से टटोल कर देखा। मेरी तो धक्क से जान ही निकल गयी क्योंकि में अपनी कमर को पीछे करना भूल गया था और मेरा लंड उनकी जांघ में गढ़ रहा था। अब तो जो होना था सो हो चुका यही सोच कर मै चुपचाप लेटा रहा। दीदी ने मेरे लंड को दो तीन बार दबा दबा कर हिला डुला कर देखा और थोडा सा सर उठा कर मेरी तरफ देख कर धीरे से बोली,”मुन्ना!तू अभी तक जग रहा है क्या

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

मै चुपचाप उसी पोजीशन में पडा सोने का नाटक करता रहा।जब मै कुछ नहीं बोला तो दीदी ने मेरी तरफ पीठ करली तब कहीं मेरी जान में जान आयी लेकिन तभी मै चौंक गया क्योंकि दीदीकी गांड की दरार में मेरा लंड सलवार के ऊपर से ही सेट हो गया था जो कि अभी भी पूरी तरह से खड़ा था। दीदी मुझसे चिपकी गयी और मेरा हाथ पीछे से खींच कर आगे अपने पेट पर रख लिया। अब तो मै पहले से भी मज़े में फील कर रहा था।

मैंने भी पीछे से हल्का सा धक्का देकर अपना लंड दीदी की गांड की दरार में फंसा दिया और थोड़ी देर उसी पोजीशन में पडा रहा,थोड़ी देर बाद जब मुझे लगा कि दीदी सो गयी है तो मैंने उनकी गांड पे हल्का सा धक्का देते हुए अपने हाथ को उनकी चूची की तरफ खिसका कर धीरे से उनकी चूची पकड़ ली। तभी दीदी ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा,”चुपचाप सो जा,नहीं तो मारूंगी एक चपाट खींच के,बद्तमीज़ कहीं का” दीदी को जागता हुआ देखकर मेरी तो जान ही सूख गयी।

मैंने डरते डरते दीदी से कहा,”वो दीदी!मै अम्मी की कुर्ती में हाथ डाल के सोता हूँ ना वही आदत पड़ गयी है,बिना अन्दर हाथ डाले नींद ही नहीं आती””अच्छा तो ये बात है लेकिन ये क्या है” कह कर दीदी ने नेकर के ऊपर से ही मेरा खड़ा लंड पकड़ कर पुछा

]मै सकपका गया क्योंकि दोस्तों ये बात तो आप सभी जानते है कि जब लंड खडा हो जाता है तो आप लाख कोशिश कर लो उसे एक दम से अपनी मर्जी से शांत नहीं कर सकते या तो चुदाई अथवा मुठ्ठ के बाद उसका पानी निकल जाए तब वह शांत होता है या फिर वह अपने आप ही शांत होता है। दीदी की इस बात पर मै सफाई देता मिमियाते हुए बोला , “दीदी,पता नहीं क्यों ये खडा है,ये जब मर्जी हो खडा हो जाता है जब मर्जी हो सिकुड़ जाता है …… सच्ची दीदी मुझे इसके बारे में कुछ पता नहीं”

“चल चल ठीक है,ले तू मेरे कुर्ते में हाथ डाल ले और चुपचाप सो जा लेकिन खबरदार जो तूने अपनी मुनिया मेरी जांघ या चूतड से रगडी तो” दीदी मुझे हड़काती हुई बोली

“ओ के दीदी!अब मै सावधानी से सोऊंगा” मै मन ही मन ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करता हुआ बोला। दीदी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने कुर्ते में घुसाते हुए कहा,”ले चल अब सो जा”

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

मैंने मौके का फायदा उठाते हुए उनके कुर्ते के साथ साथ ब्रा में उंगली घुसाते हुए उनकी नंगी चूचियां थाम ली,जैसे ही मैंने उनकी ब्रा में हाथ डाला वो हल्के से चौंकती हुई बोली ,”बदमाश,तू बहुत शैतान है,चल कोई बात नहीं अब बस तू सो जा

दीदी की चूचियां बड़े संतरे के साइज़ की बिलकुल ठोस रक्खीं थी व उनके निप्पल छोटे छोटे बिलकुल मेरे लंड की तरह तने खड़े थे। मैं सोने का नाटक करते हुए बीच बीच में उनकी मस्त मस्त चूचियों को हल्के हल्के मसलते हुए पूरा मज़ा ले रहा था। लेकिन मेरा लंड बिलकुल भी शांत होने को तैयार नहीं था। मेरी इच्छा हो रही थी कि मै दीदी के पास से उठ कर आयशा के पास चला जाऊ क्योंकि आयशा के साथ मुझे बहुत मज़ा आया था,वैसे मज़ा दीदी की चूचियों को सहलाने में भी बहुत आ रहा था

लेकिन मुझे अपने खड़े लंड से बहुत दिक्कत हो रही थी परन्तु मै उस वक़्त कुछ भी कर पाने की पोजीशन में नहीं था सो मैं अपने लंड को बहुत ही धीरे से दीदी की गांड में सेट करने लगा तभी दीदी हल्के से कुनमुना कर पीछे को खिसक गयी। मैंने ऊपर वाले का शुक्रिया अदा किया क्योंकि अब मेरा लंड पूरी तरह से दीदी के चूतडों में सेट हो गया था। उनके दोनों चूतडों में मेरा लंड बुरी तरह से फंस गया था। अब मुझे ज़न्नत का मज़ा आ रहा था। मैंने सोच लिया कि अब जो होगा देखा जायेगा सो मै दीदी की गांड में उनकी सलवार के ऊपर से ही अपना लंड आगे पीछे करने लगा। बीच बीच में मै खुदा का शुक्रिया भी अदा करता जा रहा था कि इतनी धक्का मुक्की के बाद भी दीदी जागी नहीं थीं

शायद अब वह गहरी नींद में सो चुकीं थीं। मेरा एक हाथ दीदी की चूचियों को मसल रहा था और कमर धकाधक आगे पीछे होती हुयी लंड को दीदी के चूतडों में रगड़ रही थी। मज़े से मेरी आँखे तक बंद हो चुकीं थीं। मै मन ही मन आयशा की चूत का ध्यान करते हुए धक्के लगा रहा था व उसका शुक्रिया भी अदा करता जा रहा था जो उसने मुझे इस नायाब मज़े से वाकिफ कराया था। अचानक मेरे शरीर में एक मीठी सी सिहरन सी दौड़ती लगी और मुझे अपने लंड से कुछ गाढी गाढ़ी बूंदे निकलतीं सी महसूस हुईं। अब मुझे कुछ अजीब तरह की शांती के साथ साथ थोड़ी सी थकान भी महसूस हो रही थी। मै उसी कंडीशन में दीदी के चूतडों में अपना लंड फंसाये ही सो गया।

सुबह आयशा के जगाने पर जैसे ही मेरी आँख खुली,रात का सीन मेरी आँखों के आगे घूम गया और मेरा हाथ तुरंत अपने लंड पर चला गया लेकिन मै तुरंत ही चौंक गया क्योंकि मेरा लंड नेकर के अन्दर था और बटन भी ठीक तरह से बंद थे। मैंने आयशा से पुछा,”क्या तूने मेरी सुस्सू को छुआ था””अरे मै तो ऐसे ही इसे खडा देख के सिर्फ सहला रही थी,रात को मज़ा आया था ना” आयशा ने मेरे लंड को फिर से पकड़ते हुए पूछा

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

“बहुत मज़ा आया,मुझे तो इन सारी बातों का पता ही नहीं था” मैंने भी आयशा के निम्बुओं जैसी चूचियों को दबाते हुए कहा

“चल अब फ़टाफ़ट फ्रेश होले फिर हम लोग बातें करेंगे,अभी सारे लोग नाश्ते के लिए इकठ्ठे होने वाले है” यह कह कर वो मेरा लंड छोड़ कर बाहर चली गयी। मै उठ कर बाथरूम में चला गया।नाश्ता करने के बाद सभी मर्द लोग अपने अपने काम पर चले गए। अम्मी, चाचियाँ, भाभियाँ व बड़ी दीदियाँ बड़े वाले होंल में आकर हंसी मज़ाक करते हुए बतियाने लगे। मुझे आयशा ऊपर वाले कमरे में ले गयी। वो कमरा अक्सर बंद रहता था व उसमे एक तख्त और कुछ टूटी हुई कुर्सियां पडीं थी जिन पर ढेर सारी धूल ज़मीं थी।

चाचा का मकान चूँकि बहुत बड़ा था और ढेर सारे कमरे ग्राउंड फ्लोर पर ही थे जिनमे दो कमरे सिर्फ मेहमानों के आने पर ही खुलते थे इसलिए ऊपर कभी कभार ही कोई आता था। ऊपर आकर आयशा ने सबसे पहले मेरी मदद से पूरे कमरे को झाड पोंछ कर साफ़ किया फिर अपने कपड़ों की तरफ देखा जो धूल में ख़राब हो गए थे। उसने अपना टॉप उतार कर अच्छी तरह झाड़ कर साफ़ करके एक कुर्सी पर लटका दिया फिर अपनी स्कर्ट उतारते हुए बोली,”तू भी अपने कपडे उतार कर साफ़ करले”

मै अपनी टी- शर्ट उतारते हुए उसकी निम्बू जैसी चूचियों को ललचाते हुए देख रहा था। टीशर्ट उतार कर मैंने बड़ी फुर्ती से अपना नेकर भी उतार दिया। मेरे कपड़ों को भी उसने ढंग से झाड कर कुर्सी पर लटका दिया। अब हम लोग सिर्फ अंडरवीयर बनियान में थे। आयशा भी बनियान ही पहनती थी।मैंने आगे बढ़ कर उसकी बनियान में हाथ डाल कर चूचियों को मसलना शुरू कर दिया। मै कल से उठते बैठते चूत और चूचियों में ही खोया रहता था व किसी भी तरह से उन्हें देखने और छूने का मौका ढूँढता रहता था। तभी आयशा ने अपनी बनियान ऊपर करके मेरे अंडरवियर की इलास्टिक में हाथ डाल कर मेरे खड़े लंड को पकड़ कर उसकी खाल को आगे पीछे करना शुरू कर दिया। मुझे इस वक़्त कितना मज़ा आ रहा था यह मै शब्दों में बयां नहीं कर सकता।

तभी आयशा ने कहा,”तू भी तो मेरी चूत सहला “मैंने कहा “ठीक है,तू चड्डी उतार कर इधर तख़्त पर आ जा”

आयशा चड्डी उतार कर नंगी तख़्त पर सीधी लेट गयी,मैं भी अपने अंडरवियर को उतार कर नंगा होकर उसके बगल में लेट कर उसकी चूत को सहलाने लगा। आयशा अब मेरे लंड को मस्ती में कस कस के ऐठ रही थी क्योंकि उसे भी फुल मज़ा आ रहा था। तभी वह बोली,”छेद में अन्दर उंगली डाल ना”

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

मैंने गप्प से अपनी पहली उंगली उसकी चूत में घुसेड़ दी।

“हाय हाय …….. धीरे धीरे डाल बुद्धू” आयशा हलके से कराहते हुए बोली

अब मेरा लंड बिल्कुल सीधा तना हुआ था। फिर आयशा मेरी तरफ करवट ले कर मेरे गले में बांहे डाल कर मुझसे चिपक गयी,उसकी आँखे इस वक़्त बिलकुल बंद थीं। उसने एक टांग उठा कर मेरी कमर पर चढ़ा ली। अब मेरे लंड का सुपाडा उसकी चूत की फांकों में था। अब हम दोनों ही अपनी अपनी कमर को आगे पीछे करके फुल मज़ा ले रहे थे। तभी आयशा मुझसे कस कर चिपक गयी और गहरी गहरी साँसे लेने लगी और कमर चलाना बंद कर दी लेकिन मुझे बहुत मज़ा आ रहा था सो मैं उसके चूतड पकड़ कर उसी पोजीशन में अपने से चिपकाते हुए कस कस के कमर चलाता रहा। थोड़ी देर बाद मुझे अपने लंड से कुछ निकलता सा लगा

और वह वक़्त मेरे मज़े का क्लाइमेक्स था। अब मै उसके बगल में लेटा गहरी गहरी सांसे लेते हुए मज़े के समुन्दर में गोते लगा रहा था। तभी आयशा उठ कर मेरे ऊपर आकर मेरे होठों को चूमते हुए बोली,”मज़ा आया ना,अब बाकी का रात को”मैंने उसे बगल में लिटा कर उसकी चूत को सहलाया तो मुझे कुछ गीला गीला लगा,मेरे लंड के सुपाडे पर भी चिपचिपा सा कुछ लगा था। मैंने उसकी चूत में उँगली घुसाई तो वह बड़े आराम से गप्प से घुस गयी। मैंने उसकी चूत में उंगली करते हुए पूछा,”रात में क्या तुम मुझे अपने छेद में सुस्सू घुसाने दोगी?”

“नहीं रे,मुझे बहुत दर्द होता है” आयशा डरते हुए बोली,”चल जल्दी से कपडे पहन, हम दोनों बहुत देर से गायब है कहीं कोई ढूँढता हुआ ऊपर ही न आ जाये”

हम दोनों ने कपडे पहन कर कमरे को जैसे ही बंद किया सीढियों पर शब्बो दीदी दिखाई पडीं। मेरी तो उन्हें देख कर जान ही निकल गयी।

“कितनी देर से ढूंढ रही हूँ तुम दोनों को,क्या कर रहे थे यहाँ?” दीदी हडकाते हुए बोलीं

“कुछ नहीं दीदी!मैं इसे घर घुमा रही थी,ऊपर के इस कमरे में बहुत धूल ज़मा थी तो हम दोनों वही साफ़ कर रहे थे।” आयशा ने नॉर्मल होकर ज़बाब दिया तो मेरी कुछ जान में जान आयी।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

“अभी क्या ज़रुरत थी साफ़ करने की,कौन सा कोई रहने आ रहा है इस कमरे में ….. सारे कपडे गंदे कर लिए,चलो नीचे चल कर हाथ पैर धोकर कपडे चेंज करो ” दीदी उसी तरह हिटलर अंदाज़ में बोली।”अच्छा दीदी” कह कर हम दोनों नीचे की तरफ भाग लिए,पीछे पीछे दीदी भी नीचे आ गयीं। हम दोनों ने हाथ मुंह घोकर कपडे चेंज कर लिए तभी भाभी लोगों ने खाना लगा दिया जिसे हम सभी बच्चे बैठ कर खाने लगे। हम लोगों के खाना खाने के बाद भाभीयों ने सभी बड़ों के लिए खाना लगा दिया। हम बच्चे अलग अलग गेम्स खेलने लगे। 

बाकी दिन में मुझे कुछ खास करने का मौका नहीं मिला,बस कभी कभी बीच में भाभियों के किसी काम से झुकने पर कुर्ते के गले से उनकी दूधिया चूचियों की झलक मिल जाती थी। मैं उन्ही को देख देख कर मज़े लेता रहा और रात का इंतजार करता रहा क्योंकि दोपहर में आयशा ने बाकी का मज़ा रात में देने को कहा था। आखिर रात भी हो गयी, हम सभी खा पीकर कमरे में चले गए। 

मैं और आयशा कल की तरह किनारे वाले बेड पर लेट गए तभी दीदी आ गयीं और बोली ,”ऐ मुन्ना!तू उठ वहाँ से …… तुम दोनों कचर कचर रात भर बातें करोगे,न सोओगे न किसी को सोने दोगे…… तू उधर मेरे बेड पर चल कर लेट,मैं अभी कपडे चेंज करके आती हूँ”

एक ही झटके में मेरे सारे मंसूबों पर पानी फिर गया। मैं मन ही मन दीदी को कोसते हुए उठा। तभी आयशा ने फुसफुसा कर कहा,”दिल छोटा मत कर मुन्ना!हम लोग आज की तरह कल मज़े करेंगे” मैं किसी तरह अपने मन को समझाता हुआ दीदी के बेड पर आ कर लेट गया। दीदी भी कपडे चेंज करके एक गाउन पहन कर आ गयीं और लाइट बंद करके मेरे पास लेट गयीं। मुझे अब उनसे बहुत चिढ हो रही थी।
तभी दीदी मुझसे धीरे से बोली ,”क्या हुआ रे मुन्ना!नींद नहीं आ रही है क्या”

“नहीं दीदी,आ रही है” मैंने ज़बाब दिया

“लेकिन तू तो कल कह रहा था कि तुझे बिना कुर्ती में हाथ डाले नींद नहीं आती,ओ हो लेकिन मैंने तो आज गाउन पहना है …. तू आज हाथ कैसे डालेगा ? चल एक काम करले मैं गाउन ऊपर खिसका देती हूँ,अब तू अपना हाथ डाल ले और जल्दी से सोजा” दीदी ने उसी तरह धीरे से कहा
मैंने सोचा कि आयशा न सही दीदी की चूचियां ही सही,आज रात इन्ही का मज़ा लेता हूँ। मैंने करवट बदल कर दीदी को टटोला,दीदी ने अपना गाउन कमर तक खींच दिया था।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

मैंने उसे थोडा और ऊपर खींचते हुए अपना हाथ घुसा कर चूचियों पर रख दिया। तभी मुझे झटका सा लगा क्योंकि दीदी ने आज ब्रा नहीं पहन रक्खी थी। उनकी चूचियां बिल्कुल ठोस और निप्पल बिलकुल सतर तने मेरी हथेली में गढ़ते से लग रहे थे। अब मैं आयशा को भूल कर दीदी की चूचियां सहलाने लगा। मेरा लंड भी मेरे नेकर में फडफडाने लगा था। दीदी चूंकि सीधी पीठ के बल लेटीं थी सो उनका एक हाथ भी मेरे लंड के नज़दीक ही था

जिसके कारण मैं अपने लंड को उनकी जांघ या कमर के नजदीक भी नहीं ले जा पा रहा था। मैं किसी तरह थोड़ी दूरी बनाये उनकी चूचियों के मज़े लेता हुआ उनके सोने का इंतज़ार करने लगा। अचानक दीदी ने दोनों के बीच से हाथ निकाल कर अपनी कमर को खुजला कर फिर से उसी जगह हाथ रखने को बढाया जो गलती से शायद मेरे लंड से सट गया। मेरी हार्ट बीटिंग बढ़ गयी क्योंकि मेरा लंड रह रह कर झटके लेता हुआ अब उनके हाथ से टकरा रहा था। तभी दीदी ने मेरी तरफ पीठ करते हुए करवट लेली और मेरा हाथ पकड़ कर अपने से चिपकाते हुए मेरे हाथों में फिर से अपनी चूची थमा दी। मैं खुश होते हुए कस कर दीदी से चिपक गया , अब मेरा लंड कल की तरह उनकी गांड की दरार पर था

,मैंने धीरे से अपना हाथ दीदी की चूची से हटाते हुए उनकी बांह के नीचे से निकाला।

“क्या हुआ” दीदी ने पुछा

“कुछ नहीं दीदी,पेशाब जा रहा हूँ” मैंने ज़बाब दिया”ठीक है पर लाइट मत जलाना,सब सो रहे हैं। धीरे धीरे जा कर जल्दी से आकर सो जा ,बहुत रात हो गयी है” दीदी बोली

मैं टॉयलेट जाकर बिना लंड को नेकर में अन्दर किये दीदी के पास उसी पोजीशन में लेट गया। दीदी फिर से मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूची पर रखते हुए बोलीं,”चल अब सो जा फ़टाफ़ट”

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

मैंने धीरे से अपने फनफनाते खड़े लंड को उनकी गांड में सेट करने के लिए कमर धीरे से आगे बढाई और अपने लंड को उनकी दरार में जैसे ही फंसाया मुझे दुबारा से एक और झटका लगा। दीदी ने चड्डी भी नहीं पहनी थी। अब मेरा लंड उनकी गांड पर झटके खा रहा था। मैं मस्ती में मदहोश हो रहा था। अचानक उसी मस्ती में दो गलत कामकाम अनजाने में ही हो गए,एक तो मेरी कमर ने कस के दीदी की गांड पर धक्का लगा दिया दूसरा मेरे हाथ ने उनकी चूची को कस के मसल दिया। मैं घबरा के उसी पोजीशन में दीदी के रिएक्शन का इंतज़ार करने लगा

परन्तु बजाय नाराज़ होने के दीदी ने गांड को थोड़ा सा ऊपर करके मेरे लंड का डायरेक्शन सही करते हुए अपने चूतडों को थोड़ा फैला दिया। अब मेरे होसले बुलंद हो गए। मेरा लंड अब दीदी की गांड के ठीक छेद पर उनके दोनों चूतड़ों के बीच टिका था। मैंने हल्का सा लंड को पीछे खींच कर एक ज़ोरदार धक्का दीदी की गांड पे मारा परन्तु मेरा लंड दीदी की गांड के छेद पर जाकर अटक गया। मैंने खीज कर दीदी की चूची छोड़ कर आगे उनकी चूत पर हाथ लगा कर फिर एक ज़ोरदार धक्का मारा परन्तु नतीजा वही ढाक के तीन पात।

अचानक दीदी करवट लेकर पीठ के बल सीधी लेट गयीं व उन्होंने अपने गाउन को उतार कर एक तरफ रख दिया फिर मेरी तरफ करवट लेकर उन्होंने मुझे पूरा नंगा करके मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होठों को चूसते हुए अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसा दी। मुझे उनकी नमकीन नमकीन जीभ चूसने में बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने दोनों हाथों से उनकी चूचियों को मसलते हुए अपनी कमर को थोड़ा सा उठा कर एक झटका सा दिया,जिससे मेरा लंड अब उनकी चूत की दोनों फांकों के बीच में था। दीदी ने भी दोनों टाँगे सिकोड़ कर पूरी तरह फैला कर मेरे कान में कहा,”अपने पैर मेरे मुंह की तरफ करके मेरी चूत चूस ना मुन्ना “

मैं फटाक से जैसा दीदी ने कहा वैसा करते हुए उनकी दोनों जाँघों को कस के पकड़ कर पूरा फैला कर कभी उनकी फांकों को तो कभी उनकी फडफडाती सी टाइट फुद्दी को चूसने लगा,उधर दीदी भी मेरे लंड को सटासट चूस रहीं थी। मुझे यहाँ वह शब्द ही नहीं मिल पा रहे जिनसे मैं उस वक़्त के मज़े को बयाँ कर सकूं। अब दीदी की चूत से खारा खारा सा पानी निकलने लगा था जिसे मैं अपनी जीभ से चाट चाट कर तुरंत साफ़ करता जा रहा था।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

उस वक़्त मैं झड़ने के बारे में कुछ नहीं जानता था बस इतना ही दो दिनों में समझा था कि जब बहुत मज़ा आता है तो लंड से कुछ गाढ़ा गाढ़ा चिपचिपा सा निकलता है। वही शायद दीदी के भी निकल रहा था। अब दीदी के चूसने के साथ साथ मैं भी कमर हिला हिला कर उनके मुंह में अपने लंड को पेल रहा था तभी मुझे एक कंपकंपी सी हुई और अपने लंड से कुछ निकलता सा लगा। मैं निढाल सा उनकी चूत में ही अपना मुंह छिपा कर लेट गया।

दीदी मेरे लंड को अभी भी चाट चाट के साफ़ कर रहीं थी। उस वक़्त मैं अपने आप को परिस्तान में किसी परी की गोद में पडा महसूस कर रहा था। मेरे लंड को पूरी तरह चाट कर साफ़ करने के बाद दीदी ने मुझे सीधा करके अपने से चिपका लिया। अब मैं पूरी तौर से दीदी का गुलाम हो चुका था,वो जैसा करने का इशारा करतीं मैं वैसा ही कर रहा था। तभी दीदी ने मेरे मुंह में अपनी निप्पल घुसेड दी। मैंने भी छोटे से बच्चे की तरह उसे चूसना शुरू कर दिया। अब मुझे अपना लंड फिर से झटके खाता सा महसूस होने लगा। अब मुझे दीदी से किसी भी तरह का डर नहीं लग रहा था।

मैं उचक कर दीदी के ऊपर चढ़ गया और एक हाथ की उंगली से दबा दबा कर उनकी चूत के छेद को टटोलने लगा। थोड़ा सा नीचे एक जगह गप्प से मेरी उंगली एक गरमा गरम भकभकाते छेद में घुस गयी, दीदी ने भी उंगली घुसते ही फटाक से अपनी टाँगे पूरी तरह से चौड़ा दीं। अब तो छेद मिलते ही मैं और मेरा लंड दोनों ही जैसे पागल हो गए। मैंने बिना कोई देर किये तड से अपने लंड का सुपाडा दीदी की चूत के छेद पर टिका कर कस के धक्का मारते हुए एक ही झटके में पूरा का पूरा लंड दीदी की चूत में ठांस दिया। मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा लंड किसी गरमागरम मांसल सी ठोस चीज़ में घुस गया हो। मैंने कमर उचका कर एक बार फिर कस के ठोकर मारी।

“पूरा घुसा दिया क्या” दीदी ने हलके से सिसकारी लेते हुए पूछा

“हाँ दीदी” मैं उनकी चूचियों को कसके मसलता हुआ ठोकरे लगाते हुए बोला।मैं अपने से पूरे साढ़े सात साल बड़ी दीदी को पूरी ताक़त से जम के चोद रहा था। दीदी ने अपनी टाँगे पूरी तरह से फैला कर मुझे अपने से कस कर चिपका रक्खा था। मैं दीदी की चूत में भकाभक अपने लंड को अन्दर बाहर कर रहा था। मुझे इस वक़्त हाथों के बजाय दीदी की टाइट चूत में ज्यादा मज़ा आ रहा था। काफी देर दीदी को चोदने के बाद मेरे लंड से पानी निकला लेकिन मुझे इतना ज्यादा मज़ा आया था की न तो मैं दीदी को छोड़ने को तैयार था और न ही सोने को,बड़ी मुश्किल से दीदी ने समझा बुझा कर मुझे कपडे पहनाये और खुद भी गाउन पहन कर मेरे बगल में लेट गयीं।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

हालाँकि इस वक़्त तकरीबन रात का दो बज गया था परन्तु मुझ पर तो जैसे चूत का नशा सा सवार था। मैंने उनका गाउन उठा कर गले तक खींच कर उन्हें फिर से नंगा कर दिया।

“मुन्ना!अब सो जा ना,तू कल कर लेना जो चाहे पर अभी सो जा” दीदी ने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा

“प्लीज दीदी एक बार और चोदने दो ना,सच्ची बहुत मज़ा आया …. ऐसा मज़ा मुझे कभी नहीं आया” मैंने दीदी से गिडगिडाते हुए कहा

“अच्छा अगर तुझे एक बार और चोदने दूं तो फिर तू सो जाएगा ना,फिर तो तंग नहीं करेगा” दीदी ने कहा

“कसम से दीदी तुम्हे चोदने के बाद फिर मैं सो जाऊंगा” मैंने वादा किया। इसी बीच मेरा लंड फिर से फनफना चुका था सो मैं बिना दीदी के ज़बाब का इंतज़ार किये उनकी टांगो को फैलाते हुए उनके ऊपर फिर से चढ़ गया और अपने लंड को उनकी चूत पर टिका कर एक धक्के में ठांस दिया।

दीदी के मुंह से आह निकल गयी व मुझे भी पिछली बार से इस बार अपना लंड दिक्कत से घुसता महसूस हुआ लेकिन मुझे इन सब बातों पर ध्यान देने का शायद टाइम नहीं था मुझे तो सिर्फ दीदी की चूत और चूचियां ही नज़र आ रहीं थी। मैं अपने पूरे शरीर की ताक़त को जैसे अपने लंड में इकठ्ठा करके दीदी को चोद रहा था। इस बार दीदी भी और ज्यादा मस्त होकर नीचे से मेरी हर ठोकर पर अपने चुतड उचका कर चुद रहीं थी,वो सारी शर्म छोड़ कर पूरी बेशर्मी से एक ट्रेंड रण्डी की तरह अपनी चूत को अपने छोटे भाई से चुदवा रहीं थी।

अचानक मुझे अपने लंड पर कुछ गरम गरम लगा और जो लंड अभी तक बड़ा टाइट जा रहा था वो अब थोडा आराम से जाने लगा लेकिन मेरा लंड तो जैसे चूत के लिए पागल हो चुका था वह इस बार रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था वो तो भकाभक दीदी की चूत को चोदने में लगा था।
थोड़ी देर बाद दीदी ने धीरे से मुझे धकेलते हुए कहा,”अब बस कर मुन्ना!तकलीफ हो रही है”

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

“बस दीदी थोड़ा सा और दीदी,सच्ची बड़ा मज़ा आ रहा है” मैंने और थोडा ताक़त लगा के दीदी को चोदते हुए कहा। हालांकि मेरे लंड में भी अब जलन सी होने लगी थी लेकिन मैं चूत की दीवानगी में जलन पूरी तरह से भूल कर सिर्फ चोदने में लगा था। दीदी की चूत अब पूरी तरह से सूख चुकी थी अब उनके मुंह से हर ठोकर पर आह ऊह हाय ओह जैसे शब्द निकल रहे थे। उनके हाथ जो थोड़ी देर पहले मुझे कस कर चिपकाये थे वही अब धकेलने लगे थे

लेकिन मैं किसी बात की चिंता न करते हुए उनकी मांसल ठोस चूचियों को मसलते हुए धकाधक चोदे जा रहा था। यह मज़ा तो मुझे पहली बार नसीब हुआ था सो मैं इसका थोडा सा भी हिस्सा बाकी नहीं छोड़ना चाहता था। अचानक मेरे शरीर में एक सनसनी सी दौड़ गयी और मैं दीदी की चूचियों में मुंह छिपा कर उनकी चूत में ही अपना लंड डाले हांफने लगा। दीदी ने प्यार से मेरे बालों को सहलाते हुए मुझे अपने बगल में लिटा लिया।

रोज़ ​की तरह आज भी आयशा ही मुझे सुबह जगाने आयी। मेरी जाँघों में पता नहीं किस कारण से बहुत दर्द हो रहा था ठीक ऐसा दर्द तो बहुत ज्यादा तादात में सीढियों के चढ़ने के बाद होता था लेकिन रात में मैंने कब सीढियां चढीं यह मुझे बिलकुल समझ नहीं आ रहा था। रात के वाकये को याद करते हुए मैंने अपने लंड को बाथरूम में पेशाब करने को बाहर निकाला तो देखा उसमे भी अभी तक दर्द हो रहा था। मैं मुस्कराते हुए दीदी की चूत और उनकी चूचियों के बारे में सोचता हुआ बाथरूम से बाहर आकर तैयार होकर नाश्ते के लिए पहुँच गया। शबनम दीदी रोज़ की तरह काम में लगीं थीं। सारे जेंट्स लोग भी फ़टाफ़ट तैयार होकर धंधे पर जाने के लिए निकल रहे थे।

अब मेरा सिर्फ एक ही काम था अपने काम लायक चूतों को छांटना, चाचा की आठ बेटियों में तीन तो अभी इस लायक हुई नहीं थी सो उन्हें निकाल के अब बचीं पांच जिनमे दो का मज़ा तो मैं ले ही रहा था लेकिन अभी भी उनकी तीन तीन मस्त लौंडियाँ बाकीं थीं। चाचा की सारी की सारी लौंडियाँ बहुत ज्यादा खूबसूरत तो नहीं थीं लेकिन उनके सामान बड़े मस्त थे। मेरी निगाह उनकी तीसरे नंबर की बेटी शमां पर टिक गयी वो रात में हम लोगों के कमरे में ही सोती थी। वह निकलते बैठते बड़ी अजीब निगाहों से देखती हुई मुस्करा रही थी जो मेरी समझ में बिलकुल नहीं आ रहा था। 

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

नाश्ता करने के बाद मैंने आयशा को अकेले में चलने का इशारा किया। वो धीरे से नज़र बचा कर ऊपर जाने वाली सीढियों की तरफ चली गयी। थोड़ी देर बाद मैंने जैसे ही सीढियों पे चढ़ने को कदम रक्खा मुझे ऊपर से आयशा हडबड़ाती नीचे आती दिखी।
वो धीरे से मेरे कान में “जल्दी भाग जा” कह कर बाथरूम में घुस गयी।

मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। मैं अभी समझने की कोशिश कर ही रहा था कि ऊपर से इमरान भाई यानी मेरी बड़ी चाची के बड़े बेटे आते दिखे व थोड़ी ही देर बाद उनके पीछे पीछे छोटी चची ऊपर से नीचे आ गयीं । मेरी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था सो मैंने आयशा से ही पूछना ठीक समझा। आयशा बाथरूम से निकल कर रूम की तरफ बढ़ गयी ,मैंने भी पीछे पीछे रूम में आकर उसकी बांह पकड़ कर थोडा गुस्सा दिखाते हुए पुछा,” आखिर कुछ बताएगी भी या नहीं बस भागे जा रही है”

“अरे मेरी तो पेशाब निकल गयी थी,देख मेरी पेंटी भी गीली हो गयी” कह कर आयशा ने स्कर्ट ऊपर उठा दी। उसकी पेंटी वाकई गीली रक्खी थी

“लेकिन यह सब हुआ कैसे,तू मूत क्यों रही?कोई भूत वूत देख लिया क्या?साफ़ साफ़ क्यूं ना बताती कि हुआ क्या?” मैंने झुंझलाते हुए पूछा

“अरे जब मैं ऊपर पहुंची तो मुझे कमरे से आवाज़े आतीं लगीं सो मैंने खिड़की से झाँक के देखा तो वो इमरान भाई ना …. मेरी अम्मी को कुर्सी के सहारे घोड़ी बनाये पीछे से भकाभक चोद रहे थे और अम्मी भी बड़े मज़े से आँखे बंद करे चुद रहीं थी” आयशा ने अटक अटक के सारी बात समझाई

इमरान भाई और छोटी चची की चुदाई की बात सुनकर मुझे बड़ा अजीब लगा। लेकिन फिर मुझे अपनी और दीदी की चुदाई ध्यान आ गयी,जब मैं अपनी चचेरी बहन चोद सकता हूँ तो क्या वो अपनी सौतेली माँ नहीं चोद सकते क्या?अरे चूत तो चूत है ज़रा सा लंड अंदर बाहर कर लिया तो क्या बिगड़ गया और फिर घर का माल भी घर में ही सुरक्षित भी है और फिर इन ढेर सारी चुदासी चूतों का क्या होगा,बेचारीं ज्यादातर उंगली से काम चला रहीं है। ऊपर से चचाजान जो दादा बन चुके थे अभी तक धकाधक अपना प्रोडक्शन चालू रक्खे थे भले ही चूत बाद में किसी और से चुद चुद के अपनी भूख मिटाए।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

मेरे दिमाग ने कहा कि कुछ भी तो गलत नहीं है,अगर घर की सारी चूतें अपनी खुजली मिटवाने मुहल्ले के दूसरे लंडो से चुदें तो क्या सही होगा?और लंड बेचारे मुठ्ठ मारते फ़िरें … अरे कम से कम घर की बात और माल दोनों घर में तो सुरक्षित है।
मैंने अपने अंगड़ाई लेते लंड को नेकर के ऊपर से ही आयशा को थमा कर मैं उसकी निम्बू सी चूचियों को अपनी उँगलियों से ऐसे खींच रहा था जैसे ये अभी शबनम दीदी की तरह मस्त व गुदाज़ बन जायेंगी। आयशा भी मेरे लंड को सहलाती हुई मुझ से कसके चिपकी थी।

“आयशा,तेरी अम्मी तो चुद के आ भी गयीं और इमरान भाई भी काम पे चले गए, चल अब हम दोनों ऊपर चलते है” मैंने आयशा से कहा

“ठीक है,पहले मैं ऊपर जाती हूँ उसके थोड़ी देर बाद तू ऊपर आना” आयशा रूम से बाहर निकलते हुए बोली

मुझे अब पूरी तरह से चूत का चस्का लग चुका था। सोते जागते मुझे अपने चारों तरफ चूत ही चूत नज़र आती थी। मैं चूत को चोदने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहता था यही कारण था कि पूरी रात दीदी को चोदने के बाद भी मैं आयशा को चोदने की इच्छा लिए उसके पीछे पीछे ऊपर आ गया। ऊपर मैंने देखा कि आयशा कमरे में खड़ी मेरा ही इंतज़ार कर रही थी। मैंने चारो तरफ सतर्कता से देखा और धीरे से दरवाज़ा बंद करके आयशा को अपनी बांहों में भर लिया। रात में दीदी को चोदने के बाद मैं पूरी तरह से चुदाई एक्सपर्ट बन गया था और अब मुझे आयशा से कुछ भी पूछने की ज़रुरत नहीं थी।

मैंने आयशा की फटाफट फ्राक उतार कर कुर्सी पर टांग दी और अपने भी कपडे उतार दिये। इसी बीच आयशा ने अपनी बनियान व चड्डी भी उतार दी। उसे भी इन सब बातों में बहुत मज़ा आ रहा था अतः वह बिना किसी शरम के खुल कर मेरा साथ दे रही थी। मुझे इस बात का भी डर था कि कहीं दीदी या कोई और ऊपर ना आ जाये सो मैं हर काम बड़ी फुर्ती से कर रहा था।

मैंने आयशा का हाथ पकड़ कर उसे तखत पर ला कर लिटा दिया। आयशा की चूत और दीदी की चूत में ज़मीन आसमान का अंतर था। जहाँ आयशा की चूत पर हमारी बांहों जैसे साधारण रोंये थे वहीं दीदी की चूत पर घनी झांटे थीं जो रात में उनकी चूत को चाटते वक़्त मैंने महसूस की थीं। मुझे आयशा की छोटी सी रोंयेदार चूत बड़ी मस्त लग रही थी। वैसे तो मैं कई बार उसकी चूत को सहला और चूस चुका था लेकिन आज मुझे उसके संतरे की फांकों जैसी बुर में अपना लंड पेलने की सोच कर ही मज़ा आ रहा था।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

मैंने उसके ऊपर लेट कर अपने लंड को उसकी चूत पर रख कर धक्का लगा दिया। आयशा बड़े जोर से सी s s s s s s करके मेरे धक्के के साथ ही छटपटा कर ऊपर खिसक कर बोली,”क्या करता है,बहुत दर्द हो रहा है। तू उँगली कर ना,शायद तेरा लंड मेरी चूत में नहीं जायेगा”

“अरे जायेगा ना,तू ऊपर क्यों खिसक गयी वरना अब तक ये तेरी चूत में होता” मैंने फिर से उसकी चूत पर अपना लंड टिकाते हुए कहा
“तू उँगली कर भाई,लंड से बहुत दर्द हो रहा है” आयशा डरते हुए बोली

“देख परसों रात जब मैंने ये बड़ी उंगली की थी तब भी तो तेरे को थोडा सा दर्द हुआ था लेकिन बाद में फिर कितना मज़ा आया था” कह कर अबकी बार मैंने उसको दोनों कन्धों से कस के पकड़ कर अपना लंड उसकी चूत में घप्प से घुसेड दिया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरे लंड में भी दर्द की एक तेज़ लहर दौड़ गयी। शायद चूत पूरी तौर से पनीली नहीं हुई थी लेकिन मुझे इन सब बातों से कोई फ़रक नहीं पड़ रहा था।

“उई अम्मी अम्मी,हाय मर गई भाई,तू ज़ल्दी से अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल ले,बहुत दर्द हो रहा है” आयशा मेरे नीचे दबी चिल्ला कर रोने लगी

“अरे चुप कर,कोई ऊपर आ गया तो ?” मैं उसकी चूत में अपना लंड अन्दर बाहर करते हुए उसे और कस के दबोचता बोला

आयशा चुदते हुए जो बराबर आंसुओ से रो रही थी अब वह चुप होकर चुदवाने लगी थी, शायद उसकीचूत अब रवां हो चुकी। मेरे लंड में अभी तक बहुत जलन सी हो रही थी लेकिन उससे ज्यादा मज़ा मुझे उसको चोदने में आ रहा था आखिर इन्हीं बहनों ने ही तो मुझे ये लंड और चूत के खेल का चस्का लगाया था तो फिर चुदना भी तो इन्हीं को था। अब आयशा ने अपनी टाँगे ऊपर को उठा लीं थी जिससे में बिना किसी रूकावट के उसकी चूत में जड़ तक अपने लंड को पेलता हुआ चोद रहा था साथ ही साथ अब में उसकी निम्बू जैसी चुचियों को भी मसल रहा था।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

अब आयशा बुरी तरह हांफ रही थी लेकिन मैं उसे उसी तरह से दबोचे हुए कस के चोद रहा था। अचानक मेरे लंड में तेज़ दर्द की लहर सी उठी और ऐसा महसूस हुआ जैसे कुछ निकलना चाह रहा है लेकिन निकल नहीं पा रहा है। मेरी साँसे बुरी तरह से फूली हुई थीं,मैं निढाल होकर आयशा के ऊपर ही लेट गया। मेरा लंड अब उसकी चूत में झटके ले ले कर जैसे अपने अन्दर कुछ फंसा सा बाहर निकालने की कोशिश कर रहा था लेकिन कामयाब नहीं हो पा रहा था। थोड़ी देर बाद वह थोडा सा ढीला होकर बाहर निकल आया। आयशा मुझे एक तरफ हटा कर बड़ी मुश्किल से उठ कर बैठ गयी और झाँक कर अपनी चूत सहला कर देखने लगी। अचानक वह फिर से रोने लगी और मुझे अपना हाथ दिखा कर बोली,”देख …. तू .. ने मेरी चूत फाड़ दी s s s s s”

मैंने देखा कि उसके हाथ पर खून लगा था। मुझे इन बातों की कोई जानकारी नहीं थी सो मैं भी सकपका गया लेकिन मैं उसे समझाते हुए बोला,”गलती हो गयी आयशा,प्लीज़ अब रो मत,नीचे चल कर मैं इस पर दवा लगा दूंगा प्ली s s s s s ज़”आयशा कुछ नहीं बोली बस चुपचाप सुबकते हुए उठ कर अपने कपडे पहनने लगी। मैंने भी उठ कर फ़टाफ़ट कपडे पहन लिए।

तभी कमरे के दरवाज़े पर दस्तक हुई और बाहर से आवाज़ आई,”मुन्ना …. आयशा …. क्या हो रहा है अन्दर और तुम लोगों ने ये दरवाजा क्यूं बंद कर रखा है”

आयशा ने तुरंत अपने चहरे से आंसुओ को पोंछते हुए दरवाज़ा खोल दिया। शबनम दीदी आंधी की तरह अन्दर दाखिल हुई और चारों तरफ निगाह दौडाते हुए गुर्राई,”क्या हो रहा था यहाँ”

“कुछ नहीं दीदी,हम दोनों तो बस खेल रहे थे”

“दरवाजा बंद करके कौन सा खेल खेल रहे थे तुम लोग,तू नीचे जा आयशा और तू बता मुन्ना क्या कर रहे थे तुम दोनों यहाँ ” दीदी ने तुगलकी फरमान सुनाया

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

आयशा धीरे धीरे नीचे चली गयी तो दीदी मेरी तरफ मुड़ीं और बोलीं,”इधर आ और ये नेकर उतार”

हालांकि रात जब से मैंने दीदी को चोदा था तब से उनसे मेरा डर बहुत कम हो गया था सो मैं चुपचाप उनके पास आ कर खड़ा हो गया। दीदी ने मेरे नेकर के बटन खोल कर अंडरवियर समेत एक झटके में नीचे कर दिया। मेरे लंड का सुपाडा सुर्ख लाल रक्खा था व अभी तक गीला था। दीदी ने जैसे ही मेरे लंड को पकड़ा मेरे मुंह से सिसकारी निकल गयी।

“हाय अल्ला,कमीने क्या तू आयशा को चोद रहा था? पूरी रात मेरी चूत में अपने लंड को पेल पेल के तेरा पेट नहीं भरा जो उस नादान को भी तूने चोद दिया,बोल चुप क्यूं है ” दीदी मेरे लंड को एंठते हुए गुर्राई

“दीदी आयशा ही रोज़ रोज़ मुझसे अपनी चूत में उंगली करवाती थी,आज मेरा लंड घुसाने को दिल किया सो मैंने घुसा दिया। प्लीज़ दीदी,किसी से कहना मत,अब में उसे छूऊँगा भी नहीं। बस आज माफ़ कर दो ” मैंने दीदी के चेहरे को अपने हाथों में लेकर मक्खन लगाते हुए कहा

“हाय हाय वो बित्ते भरे की छोरी तुझसे अपनी चूत में उंगली करवाती थी ???? ” दीदी ने उसी तरह मेरे लंड को एंठते हुए पूछा

“आह s s s s दीदी हाँ ….. प्लीज़ मेरा लंड छोड़ दो,दुखता है “

“दुखेगा नहीं,एक मिनट का भी आराम दिया तूने इसे चल मैं इस पर दवा लगती हूँ और ये बता क्या उसने आराम से चुदवा लिया था या चिल्लाई थी “”पहले तो दीदी मेरा लंड घुसा नहीं पर जब मैंने ताक़त लगा के पेला तब लंड घुसने पे वो बहुत चिल्लाई थी लेकिन दीदी बाद में फिर वो मज़े से चुदवाई थी …. सच्ची,मेरा यकीन करो”

“हाय अल्ला,इसका मतलब तूने आज उसकी ज़रूर फाड़ दी होगी,ये बता खून भी निकला था क्या ?”

“वो … दीदी ….. थोडा सा निकला तो था” मैंने डरते डरते ज़बाब दिया

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

“हाय हाय इसका मतलब तूने उस कच्ची कली को आज ढंग से चोद दिया उसकी नाज़ुक सी चूत का कबाड़ा कर दिया,पता नहीं क्या हाल होगा उस बेचारी का,चल नीचे तेरे भी दवा लगातीं हूँ और उसकी चूत को भी देखती हूँ और खबरदार जो दोबारा कभी उसकी चूत की तरफ निगाह उठा कर भी देखा” दीदी ने बड़े चिंतित होकर कहा

दीदी मुझे लेकर नीचे आ गयीं और आयशा को इशारे से बुला कर हम दोनों को कमरे में ले गयीं।आयशा के चेहरे से ही पता चल रहा था कि डर से उसकी गांड फट रही है , वह डरते डरते आ कर चुपचाप कमरे में खड़ी हो गयी।

“सुन मुन्ना,तू यहीं कमरे में रह कर ज़रा आँगन की तरफ निगाह रखना। कोई अगर इधर आता दिखे तो मुझे इशारा कर देना और तू आयशा की बच्ची,तू मेरे साथ बाथरूम में चल” दीदी के चेहरे पर बराबर गुस्सा था।

उन्होंने बाथरूम में आयशा की स्कर्ट ऊपर करके चड्डी उतार दी और नहाने के स्टूल पर बैठा कर उसकी टाँगे फैला दीं। “हाय हाय,कैसी बेदर्दी से चुदी है सूज़ के पकोड़ा हो गयी तेरी चूत। कुतिया अभी तुझे जुम्मा जुम्मा चार दिन हुए M C शुरू हुए और तेरी चूत लंड पिलवाने को मचलने लगी। हरामजादी बता कब से चूत में उंगली कर रही थी। वो तो अल्लाह का शुकर था की लंड इस नासपीटे का था तो तू अपने पैरों पे चल के आ भी गयी ,कहीं किसी भरे पूरे जवान से चुदती तो मर भी चुकी होती और जब तुझे उंगली की लत लग ही चुकी थी तो बजाय उंगली के लंड क्यूं पिलवाया। बोल चुप क्यूं है,बोलती क्यूं नहीं देख कितना खून निकल रहा है अभी तक” दीदी उसकी चूत सेवलोन से साफ़ करके ऑइंटमेंट लगातीं गुर्राई।

“वो दीदी मैंने तो इससे उंगली के लिए ही कहा था लेकिन इसने मेरी चूचियां मसलते मसलते एकदम से अपना लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया,मैंने लंड से चोदने को बहुत मना किया लेकिन इसने मुझे कस के दबोच लिया था और पूरा चोद के ही इसने मुझे छोड़ा।” आयशा ने धीरे धीरे सारी बात बताई

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

“नहीं दीदी,सच्ची मुझे तो कुछ पता भी नहीं था,वो इसी ने मुझे सब समझाया था की चूत वाले छेद में लंड को घुसेड़ कर आगे पीछे करने को चोदना कहते है और इसमे बड़ा मज़ा आता है। इसी ने मेरे लंड की खाल अपनी मुठ्ठी में आगे पीछे करके मुझे पहली बार उस दिन मज़ा दिलाया था।” मैंने बेधड़क अपनी सफाई दी

“मैं सब समझ रही हूँ,मैंने इस कुतिया को कई बार भाभीयों और अब्बू के कमरे की रात में ताक झाँक करते देखा है। तब तो मैं ना समझ पाई लेकिन अब सब समझ गयी कि ये क्या देखती थी,पता नहीं चुदासी ही पैदा हुई थी क्या ? अम्मी के पेट से ही अपनी चूत के लिए एक लंड क्यों ना साथ लेती आयी” दीदी अभी भी आयशा पर गुर्रा रहीं थीं

लेकिन पता नहीं क्या बात थी वह बराबर मेरा बचाव करते हुए सारी गलती आयशा की ही बता रहीं थी। जबकि आयशा बिलकुल सही कह रही थी कि वो तो मुझसे सिर्फ उंगली करवा कर ही मज़ा लेना चाह रही थी,वो तो मेरे ऊपर ही चुदाई का इतना नशा सवार था की बिना उसे कोई मौका दिए मैंने उसकी कच्ची चूत में अपना लंड ठांस दिया था और बिना उसके रोने चिल्लाने की परवाह किये पूरा चोदने के बाद ही छोड़ा था।

“दीदी,शमां दीदी इधर ही आ रहीं हैं” मैंने दीदी को आगाह करते बताया। दीदी आयशा को चड्डी थमाते हुए तुरंत बाथरूम से बाहर आ गयीं और आँगन की तरफ चल दीं।

तभी शमां दीदी ने आकर कहा,”दीदी,ज़रा मेरे साथ बाज़ार चलो ना,कुछ सामान लेना है “”तू इस मुन्ना को लेजा,मुन्ना!ज़रा शमां के साथ बाज़ार चला जा तब तक मैं यहां के काम निपटा लेती हूँ ” दीदी मुझसे इशारा करते हुए बोलीं

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

“ठीक है दीदी” मैं कपडे बदल कर शमां दीदी के साथ बाज़ार की तरफ चल दिया। रास्ते में शमां दीदी मुझसे बोलीं,”मैं तो तुझे अभी बच्चा ही समझ रही थी लेकिन तू तो अब लगता है जवान हो गया है”

“क्या मतलब” मैंने चौंकते हुए कहा,मैंने सोचा कि क्या आयशा को चुदते इन्होने भी देख लिया।

“अहा,अब तुझे मतलब भी बताना पड़ेगा ? रात को मैं दीदी के बाज़ू वाली चारपाई पर ही सो रही थी ” शमां दीदी अपने होठों पर बड़ी रहस्यमयी मुस्कान लाते बोलीं,” अच्छा ये बता,किस किस के संग और कितने बार अब तक कर चुका है”

“आप क्या बात कर रहीं हैं मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा” मैंने सब कुछ जानते हुए भी अनजान बन कर कहा। उस वक़्त मेरी हालत बड़ी पतली हो रही थी।”आय हाय,कैसा भोला बन रहा है जैसे कुछ जानता ही नहीं है,रात को तू और दीदी जो कर रहे थे ना,मैं सब समझ रही थी। भले ही कमरे में अँधेरा था लेकिन मुझे सब पता चल रहा था” शमां दीदी वैसे ही मुस्कराते बोलीं

“वो तो कल दिन में दीदी बहुत थक गयीं थीं ना सो मैं उनके हाथ पैर दबा रहा था” मैंने सिटपिटाते बहाना बनाया

“वाह वाह,हाथ पैर या कुछ और दबा रहे थे और कमरे में जो चुकर चुकर चूसने जैसी आवाजें आ रहीं थी वो क्या थीं,रात के अँधेरे में तुम दोनों लोलीपॉप चूस रहे थे क्या ? और फिर भच्च भच्च की आवाजें कैसी थीं,मुझे बेबकूफ समझ रखा है क्या? “

मैं चुप रहा क्योंकि उनकी इस बात का मेरे पास कोई ज़बाब नहीं था। तभी दुकान आ गयी और मैंने अल्लाह का शुक्रिया अदा किया कि चलो जान बची।दुकान में अन्दर एक 55 – 60 साल के लगभग का दुबला पतला सा आदमी काउंटर के पीछे चश्मा लगाये बैठा था। उसने हम लोगों को दुकान में चढ़ते देख अपना चश्मा ठीक करते हुएकहा,”आइये आइये,क्या दिखाऊ बहन जी”

अपनी पोती की उमर की लड़की को बहन बुलाते देख मुझे बड़ा अजीब लगा परन्तु दीदी ने कोई नोटिस नहीं लिया। वो बोली,”ज़रा चौंतीस नंबर की ब्रा दिखाइए चचा””चौंतीस ? नहीं नहीं बहनजी मेरी मानों तो आप बत्तीस नंबर की ब्रा लो” बुड्ढे ने अपना चश्मा ठीक करके दीदी की चुचियों का कुर्ते के ऊपर से ही जायजा लेते हुए कहा

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

“नहीं नहीं चचा,चौंतीस ही दिखाओ बत्तीस नंबर थोडा टाइट होता है” दीदी बोलींउस बुड्ढे से दीदी को पूरी तरह खुल के बात करते देख मुझे बहुत आश्चर्य हो रहा था परन्तु मैं चुपचाप खड़ा सिर्फ सुनता रहा।

“अरे बहन जी,मेरी बात मानों बत्तीस ही लो। ज़ब तक बच्चे पैदा ना हो जायें लेडीज को एक नंबर कम ही पहनना चाहिए नहीं तो उनका सीना लटक के ढीला ढाला बेडोल हो जाता है।तुम अगर चाहो तो उधर अन्दर ट्राई करके देख लो,अगर ज्यादा टाइट लगे तो मत लेना वैसे मेरी नज़र धोखा नहीं खा सकती,तुम्हारे इस खूबसूरत सीने के लिए बत्तीस बिलकुल फिट रहेगी” बुड्ढा अपने पान से सने लाल लाल दांत निकालते बोला
“ठीक है,लाओ एक बत्तीस नंबर की ब्रा दो। मैं अन्दर ट्राई करती हूँ।

” दीदी बिलकुल बेपरवाह होकर बात करते बोलींबुड्ढे ने एक बत्तीस नंबर की ब्रा निकाल कर दीदी को पकड़ा दी। दीदी अन्दर वाले छोटे से कमरे कम गोदाम में चेक करने घुस गयीं। आज मुझे पता चला था कि लेडीज स्टोर में ज्यादातर मर्द ही क्यूं होते हैं। साले बिना चोदे ही हर लौंडिया का पूरा मज़ा लेते रहते हैं। तभी अन्दर से दीदी की आवाज आयी,”कैसी ब्रा दे दी,इसका हुक ही नहीं लग रहा है”

“नहीं नहीं बहन जी,ब्रा तो बिलकुल आपके सामने ही नई निकाल के दी थी,शायद अभी नया होने की वजह से हुक टाइट होगा। मैं देखता हूँ” कह कर बुड्ढा अन्दर को बड़ी फुर्ती से लपका। मैं भी बुड्ढे के पीछे लपकता बोला,”लाओ मैं देखता हूँ “

“नहीं नहीं बेटा! ये बच्चों का काम नहीं है। मुझी को देखना होगा,तुम ज़रा मेरे काउंटर पर निगाह रखना,अन्दर मैं सब संभाल लूँगा” बुड्ढा मुझे पीछे धकेलता हुआ बोला।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

लेकिन मैं बुड्ढे के पीछे पीछे दरवाजे में जाकर खड़ा हो गया। अन्दर का सीन देख कर मेरा लंड अपना सिर उठाने लगा। अन्दर दीदी कुरता उतारे एक बड़े से शीशे के सामने अपनी ब्रा का हुक लगाने की कोशिश कर रहीं थी,उनकी पीठ दरवाजे की तरफ थी लेकिन शीशे में उनके फ्रंट का सीन बिलकुल क्लियर नज़र आ रहा था। ब्लैक कलर की ब्रा में उनकी दूधिया बड़ी बड़ी चूचियां बाहर को निकलीं पड़ रहीं थी और वह अपने दोनों हाथो को पीछे किये हुक लगाने की नाकाम कोशिश कर रहीं थीं और इसी चक्कर में उनकी चूचियां कुछ और बाहर को उठ गईं थीं।

“अरे बहन जी! ब्रा कोई ऐसे थोड़े ही पहनी जाती है,इसको बिना बांहों में डाले पहले हुक आगे करके लगाया जाता है फिर हुक पीछे करके इसकी स्ट्रेप्स को बांहों में चढ़ाया जाता है। अगर आप कहें तो मैं कुछ मदद करूं” बुड्ढा अपने होठों पर जीभ फिराते बोला।वह ललचाई निगाहों से दीदी की चूचियों को निहार रहा था। यह सब देख कर मुझे उस बुड्ढे पर बहुत ताव आ रहा था।

तभी मेरे सिर पर मानों बम फट गया। “नहीं नहीं,मैं करती हूँ ” कहकर दीदी ब्रा उतार कर बुड्ढे के बताये तरीके से पहनने लगीं। कहने को दीदी की पीठ हम लोगों की तरफ थी लेकिन जैसा कि मैंने बताया था,सामने के शीशे में दीदी की चूचियां पूरी तौर से साफ़ साफ़ नुमाया हो रहीं थीं। उनकी दूधिया चूचियो पर एक रुपये के नये सिक्के के बराबर गोल हलके नारंगी घेरे में उठे हुए निप्पलों को देख कर मेरा लंड गनगना उठा। मेरी इच्छा हो रही थी की बीच से इस बुड्ढे को हटा कर मैं दीदी की इन मस्त चूचियों को अपने हाथों में लेकर कस कस के मसलूं। बुड्ढा भी लुंगी के ऊपर से ही अपने लंड को मसलते हुए बड़े गौर से इस नज़ारे का मज़ा ले रहा था।

तभी दीदी ब्रा पहन कर हमारी तरफ घूमीं और बोलीं,”ये देखिये थोड़ी टाइट होने के साथ साथ छोटी भी लग रही है,मेरे ये तो पूरे ढँक भी नहीं पा रहे हैं””माशाअल्लाह,वाह वाह क्या लग रहीं हैं आप बहन जी और फिर ब्रा से कहीं चूचियों को ढंका थोड़े ही जाता है। वह तो सिर्फ उनको सपोर्ट देने के लिए होती है” बुड्ढा अब पूरी बेशर्मी से दीदी से खुल कर बात कर रहा था साथ ही साथ अपने लंड को भी मसलता जा रहा था। दीदी शायद हम दोनों की इस हालत से वाकिफ़ हो गयीं थीं सो उन्होंने बुड्ढे से कहा,”चलिए ठीक है परन्तु बत्तीस की सी कप वाली ब्रा ज़रा जल्दी दिखा दीजिये,ये तो बी कप वाली है “

“ठीक है बहन जी परन्तु आप इसको तो उतारिये” बुड्ढा शायद दीदी की चूचियों को एक बार फिर से नंगा देखना चाह रहा था

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

“आप तब तक ब्रा निकालिए,मैं चेंज करके बाहर आती हूँ” दीदी बुड्ढे को टरकाते हुए बोलीं

बुड्ढा मुंह बनाता काउंटर की तरफ चला गया लेकिन मैं अपनी जगह पर ही डटा बराबर दीदी को ही देख रहा था। दीदी ने ब्रा उतार कर एक तरफ रख दी और मेरी तरफ देख कर मुस्कराते हुए अपनी ब्रा उठा कर उसकी स्ट्रेप्स सीधीं करने लगीं। वो मेरे सामने अपनी चूचियों को खोले बड़े आराम से बिना किसी ज़ल्दबाजी के ब्रा पहन रहीं थीं । उनकी निगाह मेरी जींस के उठे हुए हिस्से पर ही टिकी थी। उन्होंने मंद मंद मुस्कराते हुए ब्रा और कुरता पहना और मेरे से हलके से रगड़ते हुए काउंटर पर आ गयीं। 

मैं जैसे नींद से जागा और उनके पीछे पीछे मैं भी काउंटर पर आ गया। इस वक़्त मेरी हालत बहुत खराब हो रही थी,दिल कर रहा था कि दीदी को वहीं पीछे वाले कमरे में ले जाकर ढंग से उनकी चूचियों को मसलते हुए उनकी चूत में अपना लंड पेल दूं। लेकिन शायद यह संभव नहीं था सो मैं चुपचाप दीदी के पीछे खड़ा उनके बड़े बड़े खरबूजों जैसे चूतड़ों को देखता हुआ अपना लंड मसलता रहा।

“ये कैसी जालीदार ब्रा दिखा रहे हो,होज़री में नहीं है क्या ?” दीदी ने बुड्ढे से कहा

“बहनजी! ये आपको मैं बिलकुल लेटेस्ट फैशन की दिखा रहा हूँ। आपकी नाज़ुक चूचियों के लिए नेट से बढ़िया और कुछ नहीं होगा” बुड्ढा बराबर अपना लंड सहलाता बोला

“नहीं नहीं,मुझे आप हौज़री में ही दिखाइए ” दीदी ने नेट वाली ब्रा एक तरफ हटाते हुए कहा

“ठीक है,जैसी आपकी मर्ज़ी” कह कर बुड्ढे ने होज़री की ब्रा दिखानी शुरू कर दीं। दीदी ने उसमे से दो ब्लैक कलर की ब्रा लेकर पेमेंट कर दिया और फिर हम दोनों दुकान से निकल कर घर की तरफ चल दिए। रस्ते में दीदी ने मुस्कराते पूछा,”कैसी लग रही थी मैं ?”

“बड़ी मस्त लग रहीं थीं आप” अनजाने में ही मेरे मुंह से निकल गया

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

“वो तो मैं तेरी इस फूली जींस को देख के ही समझ गयी थी” कहकर दीदी खिलखिला कर हंस दीं।मैं झेंप कर अपनी जींस की जेब में हाथ डाल कर पूरे रास्ते अपने टाइट लंड को छुपाने की कोशिश करता रहा लेकिन मेरी आँखों के आगे दीदी की नंगी चूचियों के नाचते नज़ारे के कारण मैं कामयाब नहीं हो पा रहा था। उसके बाद हम दोनों में से कोई कुछ नहीं बोला और हम लोग घर आ गए लेकिन दीदी की आँखों से बराबर एक शरारत सी झलक रही थी,शायद उन्हें मेरी इस हालत पर बहुत मज़ा आ रहा था।

घर पहुँच कर शबनम दीदी ने मुझे बताया की आयशा की चूत की बहुत बुरी हालत है लेकिन उन्होंने उसे फिलहाल एक कप दूध में हल्दी डाल के पिला दी है जिससे उसे जल्दी ही आराम मिल जायेगा साथ ही मुझे सख्त हिदायत दी कि मैं आयशा की तरफ आँख उठा कर भी न देखूं। अगर ज्यादा ही चुदाई की तबियत हो तो सीधा उन्ही से बात करूं। कोई देसी दवाई उन्होंने मेरे लंड पर भी लगा दी थी जिससे उसकी भी जलन बिल्कुल शांत हो चुकी थी। मैं उनकी हर बात में हामी भरता रहा

लेकिन मुझे आयशा की चूत में जो मजा आया था उसका दस परसेंट भी दीदी की चूत में नहीं आया था क्योंकि अगर आयशा अभी बहुत छोटी थी तो मैं भी तो अभी बच्चों में ही शामिल था वो एक अलग बात थी कि मेरा लंड अपने ऐज ग्रुप के लड़कों से कहीं ज्यादा लंबा व मोटा था। सेविन्थ क्लास पास करके आठवीं क्लास में आने वाला स्टूडेंट बच्चा ही होता है लेकिन चूंकि मेरा शरीर जल्दी ग्रो कर गया था इसलिए मैं दसवीं या ग्यारहवीं का स्टूडेंट लगता था।

मैंने महसूस किया था कि तीन दिन से चूतरस पी पी कर मेरा लंड काफी हद तक फूल गया था लेकिन फिर भी मैंने सोच लिया था की न कुछ से दीदी की चूत में लंड पेलना बुरा नहीं था यही कारण था कि मैं उन्हें भी नाराज़ नहीं करना चाह रहा था क्योंकि चाचा के यहाँ आकर मुझे चूत की बुरी तरह से लत लग गयी थी। मुझे हर समय चूत में अपना लंड पेलने की तबियत चलती रहती थी जिससे कोई भी लड़की या औरत देखते ही मेरा लंड अपना सिर उठाने लगता था,चाहे वह किसी भी उमर की क्यों न हो।तभी भाभी ने सभी बच्चों को आवाज़ लगाई कि खाना लग चुका है सो हम सब ने चुपचाप खाना खाया और फिर चूंकि मैं पूरी रात के जागने और मेहनत करने से बहुत थक गया था सो मैं अन्दर वाले कमरे में जाकर लेट गया और थोड़ी ही देर में सो गया।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

अचानक मेरी आँख खुली तो मैंने देखा की शबनम दीदी मेरे पास ही सो रहीं है। मैंने घडी की तरफ निगाह डाली तो साढ़े चार बज चुके थे यानी कि मैं लगभग तीन घंटे तक सोता रहा था। शबनम दीदी की चूचियां उनकी हर सांस के साथ ऊपर नीचे होतीं देख मेरा चुदक्कड लंड सिर उठाने लगा,मैंने दीदी के कुरते में हाथ डाल कर उनकी ब्रा के ऊपर से उनकी चूचियां पकड़ लीं और उन्हें मसलने लगा लेकिन दीदी ने ‘अभी दिन है कोई भी आ सकता है’ कह कर मेरा हाथ हटा दिया साथ ही रात का वायदा भी किया।

तभी कमरे में अचानक शमां दीदी आ गयीं और मैं फिर से सोने का नाटक करने लगा लेकिन शायद उन्होंने मुझे दीदी की चूचियां मसलते देख लिया था ऊपर से मेरा लंड मेरे हाफ पेंट में टाइट खडा अलग से पता चल रहा था। शमां दीदी हमारे पास धीरे से आयीं और मेरे गाल खींच कर अपने पीछे आने का इशारा करके बाहर निकल गयीं। मरता क्या न करता,मन में बुरे बुरे ख्याल लाते हुए मैं डरते डरते रूम से बाहर आया तो देखा कि वो घर के पीछे वाले अहाते की तरफ जा रहीं थी।

उस अहाते में चार पांच आम नीम व अमरुद के पेड़ लगे थे तथा वहां दो बकरे,सात बकरी,एक भैस व चार पांच उनके बच्चे बंधे रहते थे। हमने देखा कि बकरा मेरे लंड के सुपाड़े जैसा लाल लाल अपना लंड निकाले बकरियों के पीछे लगा था लेकिन कोई भी बकरी उसे अपनी चूत में पेलने नहीं दे रही थी,झट से अपनी कमर हटा कर उसके लंड की ठोकर को बेकार कर दे रहीं थीं।

( दोस्तों ! अक्सर बलात्कार की घटनाएं सुनने में आतीं है जिन्हें पढ़ या सुन कर मुझे समझ ही नहीं आता कि यह कैसे संभव हो सकता है। जब तक सुई वाले हाथ को आप स्थिर नहीं रखेंगे , आप उसके छेद में किसी भी तरह धागा डाल ही नहीं सकते हाँ एक बार धागे की नोक छेद में पहुँच जाए फिर अगर हाथ हिलता भी है तो कोई फरक नहीं पड़ता क्योंकि फिर तो दूसरा हाथ धागा घुसेड ही देगा। )

अचानक उन में से एक छोटी से बकरी पर ज़ब वो बकरा चढ़ा तो वो चुपचाप खड़ी रही। दो चार बार इधर उधर गलत जगह लंड रगड़ने पर बकरी ने थोडा सा कमर एडजस्ट कर दी और वैसे ही बकरे ने अपना पूरा लंड उसकी चूत में ठांस दिया। में s s हे s s s करके बकरी बुरी तरह से चिल्ला पड़ी शायद बकरा बहुत देर से अपना टन्नाया हुआ लंड लिए चूत के लिए तड़प रहा था इसीलिए जब इस छोटी बकरी ने उसे थोडा सा मौका दिया तो उसने बिना देर किये एक झटके में पूरा ठांस दिया था

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

और शायद उस झटके को उसकी नाज़ुक चूत झेल नहीं पाई थी यही कारण था कि वह मिमिया कर तिलमिला उठी थी लेकिन बकरा भी पुराना खिलाडी था सो उसने बकरी की कमर को अपनी दोनों आगे की टांगों से कस कर जकड रखा था और वह बकरी की कमर के साथ ही साथ खुद भी अपना लंड फंसाये पीछे पीछे,जब तक उसका पानी नहीं निकला,चलता रहा। थोड़ी देर बाद उसने अपना लंड बकरी की चूत से बाहर निकाल लिया व बकरी की पूँछ के नीचे जो पहले उसकी सिर्फ गांड ही नुमाया हो रही थी उसके साथ साथ अब उसकी चौड़ी होके चूत भी क्लिअरली दिखाई देने लगी थी।बकरी की चुदाई देख के मेरा लंड बुरी तरह से तन कर मेरे हाफ पेंट में रह रह कर झटके खा रहा था। तभी मेरे दिमाग में एक आईडिया आया कि इमेरजेंसी में जब कहीं चूत न मिले तो बकरी की चूत ही क्या बुरी है।

मैंने दीदी की तरफ देखा,वो एक हाथ से अपनी चूत सहलातीं हुईं अपनी उँगली मुंह में डाले चूस रहीं थीं। मुझे देख कर वह मुस्करा के बोलीं,”साली पता नहीं कितनी चुदासी थी अभी अभी पैदा हुई और चूत में खुजली शुरू हो गयी,फिर चुदते पे क्यूं मिमिया रही थी। ठीक किया साले बकरे ने,रख के पूरा ठांस दिया चोदी के “

यह कह कर दीदी अहाते के साइड में बने भूसे वाले कमरे में घुस गयीं और मुझे इशारा करके अन्दर बुलाया। अब मेरी समझ में कुछ कुछ बात आने लगी थी सो मैं लपक के अपने लंड को सहलाता उनके पीछे कमरे में घुस गया। अन्दर थोडा अँधेरा सा था और ज़ब तक मेरी आँखे कुछ देखने लायक होतीं तब तक दीदी ने मुझे अपनी तरफ खींच कर चिपका लिया।

“क्या रे,रात को बड़ा जोश दिखा रहा था ” दीदी ने मेरे हाथ में अपनी चूची थमाते हुए कहा

( दोस्तों चूचियां चार प्रकार की होतीं हैं – 1. लटकन झब्बू 2. मस्ती का चाका 3. मुठ्ठा बंद 4. सूखा चंड

लटकन झब्बू मतलब जिस चूची के नाप की ब्रा मार्केट में न मिले और जिसे मसलने के लिए हमें एक चूची पर ही दोनों हाथ लगाने पड़ें।
मस्ती का चाका यानी मस्त खरबूजे के साइज़ की चूची जिसे देख कर ही लंड फनफना जाये।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

मुठ्ठा बंद वो चूची जिसे हम अपनी मुठ्ठी में लेकर कस के मसल सकें।

और दोस्तों सूखा चंड वो चूची होती है जिसे हम सिर्फ अपनी उँगलियों से ही मसल सकते है। )दोनों दीदियों की चूचियां उस वक़्त मुठ्ठा बंद थीं।

मैं इस वक़्त असीम आनंद का अनुभव कर रहा था। दीदी ने मेरे नेकर को नीचे खिसका कर मेरा लंड बाहर निकाल लिया था और वह बड़े हौले हौले उसे सहला रहीं थीं।मैंने अपनी आदत के अनुसार दीदी की चूचियां छोड़ कर सलवार के ऊपर से ही उनकी चूत सहलानी शुरू कर दी।

“बदमाश,साला हर वक़्त चूत के लिए लंड खड़ा लिए घूमता रहता है। अभी ढंग से लंड ने खडा होना भी नहीं सीखा और बहनचोद चूतों को चोदना शुरू कर दिया। अब सच सच बता,कल रात तूने दीदी को चोदा था ना” दीदी टाँगे चौड़ी करके अपनी चूत सहलवाते हुए बोली
“हाँ दीदी,अभी तक मुझे पता ही नहीं था की किसी चूत को चोदने में इतना मज़ा आता है।” मैं दीदी के हाथ में ही कमर हिला हिला के अपना लंड आगे पीछे करता हुआ बोला

“तो तूने दीदी को ही पहली बार चोदा था,हाय हाय तो दीदी ने तेरे कुंवारे लंड का मज़ा ले लिया” दीदी पूरी मस्ती में आते हुए बोलीं

“बडा मज़ा आया था,मैंने पूरे दो बार उन्हें कल चोदा। दीदी,प्लीज़ आप भी मुझे चोदने दो ना” मैं दीदी से चिपकता हुआ बोला

“हूँ s s s s ठीक है चोद लेना लेकिन अभी नहीं रात में मैं तुझे बुला लूंगी,यहाँ कभी भी कोई भी आ सकता है। साले तेरा लंड आगे ज़वानी में मूसल जैसा हो जायेगा। तब तो हर चूत एक बार चुदने के बाद तेरे लंड की मुरीद हो जाया करेगी।” दीदी मेरे लंड को उसी तरह सहलाते बोलींफिर दीदी अपने घुटनों के बल बैठ गयीं और मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। अब कूपे में उनके चूसने से धीमी धीमी चुकर चुकर की आवाजें आ रहीं थीं। मेरी मस्ती के कारण आँखें बंद हो चुकीं थीं,

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

मैं दीदी के सिर को कस कर पकड़े उनके चूसने के साथ साथ अपनी कमर हिला हिला के जैसे दीदी के मुंह को ही चोद रहा था। दीदी ने भी अपने होठ गोल करके मेरे लंड पर कस दिए जिससे मुझे बिलकुल किसी चूत की चुदाई जैसा मज़ा मिल रहा था। मैं पूरी स्पीड से दीदी के मुंह को चोद रहा था अचानक मेरे शरीर ने झटका सा लिया और लंड ने दीदी की चूत में पच्च पच्च दो तीन बार पिचकारी सी चला दी। मेरी साँसे बुरी तरह से उखड़ रहीं थीं लेकिन दीदी मेरे वीर्य को बड़े मज़े के साथ चाट चाट कर लंड साफ़ कर रहीं थीं। थोड़ी देर यूं ही लंड चाटने के बाद दीदी खड़ी हो गयीं और अपनी कुर्ती व ब्रा ऊपर उठा कर मेरे मुंह में अपनी चूची घुसेड दी।

“ले बहनचोद चूस,साले दुकान में आँखे फाड़ फाड़ के ऐसे देख रहा था जैसे आँखों से ही सारा दूध पी जायेगा,ले चूस कस कस के चूस और ज़रा कस के मसल इन्हें “

दीदी पूरी मस्ती में आ चुकी थी। वह मेरे बालों को पकड़ कर मेरे मुंह में पूरी चूची ही घुसेड देना चाह रही थी। मेरी हालत यह थी कि मेरे मुंह में तो दीदी की चूची थी और मेरा एक हाथ दूसरी चूची को इतने कस के मसल रहा था कि जैसे मैं उसे उखाड़ने के चक्कर में हूँ,दूसरे हाथ से मैं अपनी आदत से मजबूर उनकी सलवार के नाड़े को खोलने में लगा था। 

अचानक नाडा खुल गया और दीदी की सलवार सरसरा के पेरों में गिर पड़ी। अपनी सलवार को उतरता देख दीदी ने अपनी टाँगे फैला दीं,मैंने उनकी पेंटी की इलास्टिक में हाथ घुसाया तो मेरा हाथ भी उनकी पेंटी की तरह पूरा चिपचिपा हो गया। दीदी की चूत बुरी तरह पानी छोड़ रही थी,मैंने उनकी चूत पर हाथ घुमाते हुए उनकी चूत में गप्प से अपनी उंगली घुसा दी।

“सी s s s s स्सी s s s हां हां ऐसे ही …… ऐसे ही करे जा” दीदी मस्ती में आँख बंद करके चुतड आगे पीछे हिलातीं बोली। मैंने उनकी एक टांग में से सलवार व पेन्टी दोनों निकाल दीं क्योंकि पेन्टी की इलास्टिक की वजह से उनकी टाँगे पूरी तौर से फ़ैल नहीं पा रहीं थीं। मेरा लंड फिर से खडा होकर बार बार झटके ले रहा था। मैंने थोड़ी देर और दीदी की चूत में उंगली आगे पीछे करके उनकी एक जांघ को पकड़ कर अपनी कमर से ऊँची करके दीदी की चूत में अपना लंड पेल दिया।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

“हाय हाय नाशपीटे मेरी चूत कहीं भागी जा रही थी क्या जो इतना हडबडी दिखा रहा है, साले हंड्रेड परसेंट तू पैदा होते ही अपनी माँ को चोदने लगा होगा,चल अब धीरे धीरे क्यूं चोद रहा है पूरा पूरा लंड ठांस के जल्दी जल्दी चोद”मैं अब पूरी ताक़त से दीदी को चोदने लगा,चोदते चोदते अचानक मुझे कमरे के दरवाजे पे आहट सी महसूस हुई लेकिन चुदाई के इस पड़ाव पर मैंने उसे अनदेखा कर दिया। दीदी की पीठ वैसे भी दरवाजे की तरफ थी सो उन्हें पता चलने का कोई मतलब ही नहीं था। चूँकि अभी अभी दीदी के मुंह को चोद के मेरे लंड ने पानी निकाला था

इसलिए बहुत देर तक चोदने पर भी जब मेरा पानी नहीं निकला तो दीदी ने मुझे अलग करते कहा,”चल मेरे पीछे से चोद,साला झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा …… मेरा तो दो बार पानी निकल गया”

और उन्होंने भूसे वाली डलिया को उलटा करके उस पर अपने हाथ टिका दिए। मैंने उनकी टाँगे फैला कर कुत्ते की तरह पीछे से उनकी चूत को उनकी पेन्टी से पोंछ कर फिर से चोदना शुरू कर दिया।

दोस्तों इस पोजीशन में चोदने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था,चाचा की चुदासी लौंडियों ने वाकई मुझे पूरी तौर से काम कला में पारंगत करने की ठान ली थी और मैं भी पूरे जोश खरोश से सौ में पूरे सौ नंबर लेता हुआ हर सेमेस्टर पास कर रहा था। मज़े से मेरी आँखे बंद हो चुकीं थीं,मैं इस पोजीशन में चुदाई का पूरा पूरा मज़ा लेते हुए दीदी को भकाभक चोद रहा था। कमरे में चुदाई के कारण कच्च कच्च की आवाज़ फ़ैल रही थी। मेरे फ़ोते लंड की तरह दीदी की चूत का मज़ा लेने हर ठोकर के साथ पीछे पीछे जाते लेकिन लंड उन बेचारों को अंगूठा दिखा कर अकेला ही गप्प से चूत में घुस जाता था और फ़ोते बेचारे बाहर ही दीदी की झांटो की चुम्मी लेकर मन मसोस कर रह जाते। थोड़ी देर और इसी तरह चोदते हुए मेरे लंड ने शायद चूत से बिछडने के गम में चंद गाढ़ी गाढ़ी बूंदें रुपी आंसू दीदी की चूत में गिरा दिए। मैं भी दीदी की पीठ पर अपना सिर टिका कर हांफने लगा।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

“जल्दी कर मुन्ना,कोई आ सकता है …. फटाफट कपडे पहन” दीदी सीधी होकर अपनी पेन्टी व सलवार पहनते बोलीं

मेरी समझ में बात आ गयी सो मैंने तुरंत अपना नेकर ऊपर चढ़ा लिया। हम दोनों ने तुरंत ही एक दूसरे के कपडे साफ़ किये और हाथ झाड़ते हुए बाहर निकल आये। बाहर आते ही दोनों एक दम सकपका गए,बाहर मुश्ताक़ चचा बैठे उसी चुदी बकरी को गोद में लिए पुचकार रहे थे।( मुश्ताक चचा घर के बाहर ही चबूतरे पर एक छोटी सी दुकान चलाते थे व रात को यहीं अहाते में सो जाते थे। वो छोटी चाची के रिलेशन में चचा लगते थे।उनकी उमर साठ के आसपास थी। चूंकि उनकी शादी नहीं हुई थी और वो चाची को ही अपनी बेटी मानते थे सो वह चाचा के बहुत ज़िद करने पर यहीं रहने लगे थे और टाइम पास करने को दुकान कर ली थी जिसमे गुटखा,सिगरेट,बच्चों की टाफियां व लोकल नमकीन वगैरह था। उन्हें चाची के साथ साथ सभी चचा बुलाते थे। )

“शमां बिटिया,ज़रा सरसों का तेल एक कटोरी में ले आ,उस नामाकूल बकरे ने इस बेचारी नन्हीं सी जान की दशा खराब कर दी और मेरे भी हाथ पैरों पर ज़रा लगा देना,बहुत खुश्की हो रही है” मुश्ताक चचा ने दीदी को बोला

“ठीक है चचा,अभी लाई” कह कर दीदी हंसतीं हुई मेरा हाथ पकड़ कर अन्दर को चल दीं ” साले चूतिये! चुदाई में इतना मस्त हो गया कि तुझे मुश्ताक चचा के आने का भी पता नहीं चला , वो तो शुकर मना कि वो जानवरों के लिए भूसा लेने कमरे में अन्दर नहीं आये वरना आज खैर नहीं थी ” दीदी मेरे साथ घर के अन्दर आतीं बोली 

” लेकिन दीदी , चचा की आप मालिश करोगी ? ” मैंने आश्चर्य से पूछा 

” अरे नहीं रे , वो तो ज़रा उनके हाथ पैरों पर मैं तेल लगा देती हूँ , कौन सी मालिश करती हूँ लेकिन बुड्ढा है बड़ा ठरकी साला इधर उधर हाथ ज़रूर चलाता है , तू तब तक अन्दर चल , मैं अभी आती हूँ ” 

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

पता नहीं क्यों मुझे यह सब कुछ अजीब लग रहा था क्योंकि दीदी ने उस बुड्ढे दुकानदार से भी कुछ नहीं कहा था जबकि वह उनकी आँखों के सामने ही अपनी लुंगी में लंड मसल रहा था और अब वो चचा के हाथ पैरों में तेल लगाने को भी तैयार हो गयीं थीं जबकि वो जानतीं थी कि चचा ठरकी है सो मैंने छुप के देखने की सोची कि आखिर माज़रा क्या है , वैसे भी उनकी चूत शब्बो दीदी की चूत से ढीली ही लगी थी। शायद ये उंगली के अलावा कुछ और भी पिलावातीं थीं या हो सकता है किसी और लंड से चुदतीं हो। चूंकि चाचा की लौंडियों को मैं अपनी जागीर समझाने लगा था इसलिए उनकी चूतों के किसी और लंड से सम्बन्ध के बारे में मुझे सोच के भी जलन होती थी। 

थोड़ी देर के बाद मैंने देखा दीदी तेल की शीशी लेकर मुश्ताक चचा की तरफ अहाते में चलीं गयीं , मैं भी उनके पीछे पीछे अपने को छुपाता अहाते में चला आया। मुश्ताक चचा का एक तखत भूसे वाले कमरे के बाजू में बरामदे में पडा था। उस बरामदे में वैसे तो कोई दरवाजा नहीं था लेकिन बाहर की तरफ आधे बरामदे में एक दीवाल खिंची थी।

अब हल्का सा झुटपुटा होने लगा था सो दीदी ने चचा के बरामदे में रखी लैंप जला दी और चचा से बोलीं ,” आओ चचा , तेल लगा दूं ” मैं भूसे वाले कमरे की तरफ अपने को छिपाए खडा सब देख रहा था। चचा दरवाजे की तरफ सिर करके अपनी लुंगी कमर की तरफ उठा कर तखत पर लेट गए। दीदी ने अपने हाथों में तेल लेकर पहले उनकी बांहों पर एक एक करके लगाया फिर उनकी टांगो पर लगाने के लिए चचा की लुंगी जांघो तक समेट दी और दोनों टांगो पर अच्छी तरह तेल लगाने लगीं। 

” तुम तेल बहुत अच्छे तरीके से लगाती हो बिटिया , इसीलिए तो मैं तुम्ही को बुलाता हूँ , ज़रा जाँघों पर भी ढंग से लगा देना ” कहकर चचा ने अपनी लुंगी जाँघों से भी थोडा ऊपर उठा दी 

उन्होंने लुंगी के अन्दर कुछ नहीं पहन रखा था। उनका लंड अब दिखाई देने लगा था जिसे देख कर मेरा मुंह खुला रह गया। वह जबकि बिलकुल सिकुड़ा पडा था उस वक़्त चार पांच इंच लंबा और उस छोटी बकरी की टांग जैसा मोटा और काला था। दीदी बिना किसी शरम के उनकी जाँघों पर तेल लगाने लगीं।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

” ज़रा ऊपर भी ढंग से तेल लगा देना ” चचा ने अपनी कमर और जांघो की तरफ इशारा किया 

” हा हा हा चिंता मत करो चचा , सब जगह लगा दूँगी ” दीदी तेल लगाते बोलीं

मुझे उस बुड्ढे पर बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन जब मेरी चुदासी बहन को ही कोई दिक्कत नहीं थी तो मैं कर भी क्या सकता था शायद उसे चचा के लंड से खेलने में मज़ा आता था।

” अच्छा ये बता , अभी तू उस भूसे वाले कमरे में मुन्ना से चुद रही थी ना “

” वो …… चचा ….. नहीं तो …. आप ये कैसी बाते कर रहे है “

” मुझसे क्या छुपाना , अरे ज़ब ऊपर वाले ने चूत दी है तो वो तो चुदेगी ही ना लेकिन बिटिया इन नौसिखियों से ज़रा सावधान रहना … इन लोगों को बिना सोचे समझे चूत पे लंड रख के बस ठांसने की जल्दी रहती है जिससे चूत का भोसड़ा बनते देर नहीं लगती। हाँ हाँ ……. ऐसे ही तेल लगा के ज़रा मालिश कर दे ………. तो समझी मैं क्या कह रहा था “

” अरे चचा ! वो तो अभी बच्चा है , मुझसे कितना तो छोटा है प्लीज़ मुझसे ऐसी बातें मत करो “

” वो बच्चा जिस तरह तुम्हे चोद रहा था वो मैंने सब देखा था “

” क्या चचा आप भी ना ……. वो तो ऐसे ही …….”

यह सुन कर कि चचा ने दीदी को चुदते देख लिया है , दीदी अब सकपका चुकीं थी और उन्हें इस कन्डीशन में देख चचा के हौसले भी बढ़ चुके थे। उनका लंड अब अपना पूरा आकार ले चुका था। इस बुढ़ापे में उनका एकदम सख्त और खडा लंड देख कर मैं तो भौचक्का रह गया था। बहुत मोटा और लंबा लंड था उनका और उसका सुपाडा नोकदार एकदम फूला हुआ था। उनके खड़े खीरे से लंड को देख कर दीदी की भी गांड शायद फट गयी थी सो वह अब वहां से खिसकने का मौका ढूंढ रहीं थीं। मुश्ताक चचा अब हाथ बढ़ा कर दीदी के चूतडों को सहलाते हुए उनकी गांड में उंगली कर रहे थे। अचानक उन्होंने दीदी को अपनी तरफ खींचकर अपने से चिपका लिया।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

अब हल्का सा झुटपुटा होने लगा था सो दीदी ने चचा के बरामदे में रखी लैंप जला दी और चचा से बोलीं ,” आओ चचा , तेल लगा दूं ” 
मैं भूसे वाले कमरे की तरफ अपने को छिपाए खडा सब देख रहा था। चचा दरवाजे की तरफ सिर करके अपनी लुंगी कमर की तरफ उठा कर तखत पर लेट गए। दीदी ने अपने हाथों में तेल लेकर पहले उनकी बांहों पर एक एक करके लगाया फिर उनकी टांगो पर लगाने के लिए चचा की लुंगी जांघो तक समेट दी और दोनों टांगो पर अच्छी तरह तेल लगाने लगीं। 

” तुम तेल बहुत अच्छे तरीके से लगाती हो बिटिया , इसीलिए तो मैं तुम्ही को बुलाता हूँ , ज़रा जाँघों पर भी ढंग से लगा देना ” कहकर चचा ने अपनी लुंगी जाँघों से भी थोडा ऊपर उठा दी 

उन्होंने लुंगी के अन्दर कुछ नहीं पहन रखा था। उनका लंड अब दिखाई देने लगा था जिसे देख कर मेरा मुंह खुला रह गया। वह जबकि बिलकुल सिकुड़ा पडा था उस वक़्त चार पांच इंच लंबा और उस छोटी बकरी की टांग जैसा मोटा और काला था। दीदी बिना किसी शरम के उनकी जाँघों पर तेल लगाने लगीं।

” ज़रा ऊपर भी ढंग से तेल लगा देना ” चचा ने अपनी कमर और जांघो की तरफ इशारा किया 

” हा हा हा चिंता मत करो चचा , सब जगह लगा दूँगी ” दीदी तेल लगाते बोलीं

मुझे उस बुड्ढे पर बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन जब मेरी चुदासी बहन को ही कोई दिक्कत नहीं थी तो मैं कर भी क्या सकता था शायद उसे चचा के लंड से खेलने में मज़ा आता था।

” अच्छा ये बता , अभी तू उस भूसे वाले कमरे में मुन्ना से चुद रही थी ना “

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

” वो …… चचा ….. नहीं तो …. आप ये कैसी बाते कर रहे है “

” मुझसे क्या छुपाना , अरे ज़ब ऊपर वाले ने चूत दी है तो वो तो चुदेगी ही ना लेकिन बिटिया इन नौसिखियों से ज़रा सावधान रहना … इन लोगों को बिना सोचे समझे चूत पे लंड रख के बस ठांसने की जल्दी रहती है जिससे चूत का भोसड़ा बनते देर नहीं लगती। हाँ हाँ ……. ऐसे ही तेल लगा के ज़रा मालिश कर दे ………. तो समझी मैं क्या कह रहा था “

” अरे चचा ! वो तो अभी बच्चा है , मुझसे कितना तो छोटा है प्लीज़ मुझसे ऐसी बातें मत करो “

” वो बच्चा जिस तरह तुम्हे चोद रहा था वो मैंने सब देखा था “

” क्या चचा आप भी ना ……. वो तो ऐसे ही …….”

यह सुन कर कि चचा ने दीदी को चुदते देख लिया है , दीदी अब सकपका चुकीं थी और उन्हें इस कन्डीशन में देख चचा के हौसले भी बढ़ चुके थे। उनका लंड अब अपना पूरा आकार ले चुका था। इस बुढ़ापे में उनका एकदम सख्त और खडा लंड देख कर मैं तो भौचक्का रह गया था। बहुत मोटा और लंबा लंड था उनका और उसका सुपाडा नोकदार एकदम फूला हुआ था। उनके खड़े खीरे से लंड को देख कर दीदी की भी गांड शायद फट गयी थी सो वह अब वहां से खिसकने का मौका ढूंढ रहीं थीं। मुश्ताक चचा अब हाथ बढ़ा कर दीदी के चूतडों को सहलाते हुए उनकी गांड में उंगली कर रहे थे। अचानक उन्होंने दीदी को अपनी तरफ खींचकर अपने से चिपका लिया।

” आ … क़ …. हाअ s s s य …. म म मर गयी अल्ला ……. चचा प्लीज़ ……. छोड़ दो ” दीदी रोते हुए चचा की पकड़ से छूटने की कोशिश करते बोलीं ,” मैं पहले ही कह रही थी कि तुम्हारा लंड मेरी चूत नहीं झेल पाएगी , मुझ पर रहम खाओ चचा “

” बस बिटिया बस ……… लंड पिलवाने के बाद जब मज़े की बारी आई तो तुम कह रही हो निकाल लो , बस थोड़ा सा और सबर करो ” कह कर चचा ने दीदी की चूचियों को बड़ी बेदर्दी से मसलते हुए और कस कर जकड लिया और अपना लंड सुपाडे तक बाहर खींच कर फिर एक जोरदार ठोकर मार के जड़ तक अन्दर ठांस दिया।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

” हाय s s s s s अल्ला छोड़ दे मुझे कमीने ………. तेरा लंड सीधा मेरी बच्चेदानी में जाके घुस गया है …… अल्ला के वास्ते मुझे छोड़ दे “

” वाह इतनी मस्त मजेदार चूत पूरी ज़िन्दगी में नहीं चोदी , ऐसे तुझे बिना पानी निकाले कैसे छोड़ दूं मेरी छम्मकछल्लो …….. कसम से मज़ा आ गया ” चचा दीदी के रोने पीटने की परवाह किये बिना उनकी चूत में अपना लंड भकाभक आगे पीछे करके चोद रहे थे लेकिन दीदी का छटपटाना बदस्तूर जारी था। वैसे तो उनकी चुदाई देखकर मेरा लंड भी बुरी तरह टन्ना रहा था परन्तु साथ ही इस मादरचोद बुड्ढे पर मुझे बहुत गुस्सा भी आ रहा था। जी कर रहा था कि चारा काटने वाले गंडासे से इसका लंड ही काट डालूँ लेकिन मैं चुपचाप खडा लंड सहलाते हुए उसे दीदी को चोदते देख रहा था। 

मेरा लंड पूरी तरह से टन्ना रहा था लेकिन मजबूरी थी कि दीदी की चूत में तो चचा का हलब्बी लंड अन्दर बाहर हो रहा था सो मैं चुपचाप उसी तरह अपने लंड को सहलाता रहा , तभी मुझे अहाते में बड़ी चाची आतीं दिखाई दीं। मुझे काटो तो खून नहीं , अन्दर तो दीदी पूरी स्पीड में चुद रहीं थी उन्हें मैं कैसे बताता। कुछ समझ में आते न देख मैं चुपचाप भूसे वाले कमरे में घुस गया।  ” हाय अल्ला ! अरे नाशपीटे तूने ये क्या कर दिया …….. मेरी फूल सी नाज़ुक बच्ची को चोद डाला, अरे हरामी खडूस ! तुझे यही कुंवारी मिली थी पूरे घर में , बाकी शादीशुदा की चूत पे क्या ढक्कन लगा था …….. अब छोड़ इसे , मैं तुझी से कह रही हूँ …. क्यूँ उस नाज़ुक सी चूत का भोसड़ा बनाने पे तुला है कमीने ” चाची अपनी चूत सहलाते हुए मुश्ताक चचा पर गुर्राते बोलीं 

” ब . . . स थोड़ी …… देर और …….. रुक जा …….. सलमा ! मेरी …….. गाडी ……. स्टेशन पर …….. पहुँचने ही वाली ………. है ” चचा ने अपनी चोदने की स्पीड बढ़ाते हुए कहा ,” साला ………. ज़माना बीत …….. गया किसी टाइट ………. चूत में ………. लंड …….. पेले हुए …….. आज ……. ज़रा ढंग ……. से चोद ……. लेने दे “

चचा बुरी तरह से कुत्ते की तरह हांफते हुए दीदी को भकाभक चोद रहे थे। दीदी का रोना तो अब बंद हो चुका था लेकिन उनकी कराहने व सिसकने की आवाज़ अभी भी आ रही थी।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

” हाय अम्मी , मुझे इससे बचा लो , मेरी चूत को तो जाने दो इसने बच्चेदानी तक फाड़ डाली ” दीदी चाची से बोलीं 

तभी चचा तिरछा हो के झटके लेने लगा और दीदी की चूत से एक अजीब सी भच्च भच्च की आवाज़ आने लगी। चचा दीदी की चूत में ही झड गया था।

” हाय हाय नाशपीटे ! चूत में क्यूं झड गया , बाहर नहीं कर सकता था क्या ? ” चाची अब अपनी चूत के साथ साथ अपनी खरबूजे सी चूचियों को सहलातीं गुर्राई 

लेकिन तब तक चचा अपना पानी दीदी की चूत में निकाल के उनके बगल में लेटा बुरी तरह हांफ रहा था , उसका लंड अभी भी रह रह कर झटके लेता हुआ बूंदें टपका रहा था। उधर दीदी की चूत बुरी तरह से फैल गयी थी मानो किसी ने संतरा को खाने के लिए बीच में उंगली घुसा कर चीर दिया हो। 

दीदी ने बमुश्किल उठ कर किसी तरह अपनी सलवार पहनी और अन्दर की तरफ चलीं गयीं। चाची ने आगे बढ़ कर चचा का लंड पकड़ कर मरोड़ दिया। 

” साले बुड्ढे खडूस , तुझे वही मिली थी …….. मैं मर गयी थी क्या? चल मुझे दिखा तेरे लंड में कितना जोर है , चल उठ ” चाची मुश्ताक चचा का लंड उसी तरह रह रह के मरोड़तीं बोलीं 

” नहीं सलमा …… अभी नहीं ……… अभी तो साँसे भी पूरी तरह से नहीं लौटीं हैं …….. फिर कभी तेरी चूत की खुजली शांत करूंगा …….. अरे तुम लोग ही हो जिन्होंने कभी मौका ही नहीं दिया , वो देखो अपने पड़ोस वाली इस्सन की जोरू ……… वो खुद तो चुदती ही है बल्कि अपनी बहू और बेटी दोनों को भी मुझे चोदने देती है। यहीं रात में वो पिछली टूटी दीवाल में से मेरे पास खुद चुदने आतीं हैं ” चचा अपनी साँसे दुरुस्त करता बोला 

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

” अरे मुझे क्या पता था कि तेरा लंड इतना मोटा और लंबा है ……… और फिर तेरी उमर देख के तो कोई सोच भी नहीं सकता कि तेरा लंड यूं फनफनाता होइगा ” चाची उसके लंड को देख कर लार टपकाते बोलीं , ” अरे ज़रा चूत पे अपनी जीभ ही चला दे ” कह कर चाची सलवार घुटनों तक खिसका कर पेशाब करने वाली स्टाइल में चचा के मुंह पे बैठ गयीं। चचा दोनों हाथों से चाची की चूत की फांके फैला कर सड़प सड़प चाटने लगा। चाची उसका लंड देख कर बुरी तरह से चुदासी हो रही थी , वो दोनों हाथ से चचा के लंड को सहला कर खडा करने की कोशिश कर रहीं थीं लेकिन अब शायद उस बुड्ढे में तुरंत ही किसी चूत को चोदने की ताक़त नहीं बची थी सो वह चाची की चूत का पानी चाट चाट के ही अपने मुंह में ले रहा था। 

मेरी हालत ये सब देख देख कर बहुत पतली हो रही थी और लंड आउट ऑफ़ कंट्रोल हो चुका था लेकिन मेरी समझ में कोई ऐसी चूत नहीं आ रही थी जिसे अभी चोद कर मैं अपने लंड को शांत कर सकूं , बड़ी दीदी की चूत भी रात में ही मिल सकती थी। मुझे थोड़ा आश्चर्य भी हो रहा था कि मात्र दो तीन दिन में ही मेरा लंड कितना चूत का दीवाना हो गया था साथ ही एक बात और भी थी वो ये कि मेरे लंड पर चूतरस पी पी कर नई नई चुदी दुल्हन की तरह अच्छी खासी रौनक भी आ गयी थी ,

वह पहले से काफी भरा भरा व हृष्ट पुष्ट महसूस हो रहा था। चाची को उसी हालत में अहाते में छोड़ कर मैं अपने लंड को सहलाता अन्दर की तरफ चला आया। अन्दर भी कोई जुगाड़ बनती न देख मैं बाथरूम में घुस गया और अपनी हाफ पेंट उतार कर लंड को मुट्ठी में लेकर जोर जोर से मुठ मारने लगा। काफी देर तक अथक प्रयास करने के बाद मेरे लंड ने दो तीन बड़े बड़े गाढे गाढे बूँद जैसे चूत न मिल पाने के गम में टपका दिए। मेरा सारा बदन पसीने से तरबतर हो चुका था और साँसे भी बहुत तेज़ चल रहीं थी। हालांकि लंड को थोड़ी तसल्ली मिल चुकी थी लेकिन जो मज़ा आयशा के सहलाने या दीदी लोगों की चूत में पेलने के बाद संतुष्टि मिली थी वो नहीं थी परन्तु मजबूरी थी क्योंकि इसके अलावा और कोई चारा भी तो नहीं था।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

मैं हाल में बैठा टी० वी० देख रहा था लेकिन स्क्रीन पर क्या चल रहा है मुझे कुछ पता नहीं था , मेरे दिमाग में तो दीदी और चचा की चुदाई चल रही थी। कैसा मोटा और लंबा काले नाग सा लंड था चचा का जिससे दीदी चुदी थीं। तो क्या बुढ़ापे में लंड बिलकुल मूसल जैसा बड़ा और मोटा हो जाता है ? इसी तरह के ढेरों सवाल मेरे माइंड में चल रहे थे जिनका मुझे कोई ज़बाब भी नहीं सूझ रहा था और चाची वो तो इतने बड़े बड़े बच्चों की माँ होने के बाद भी अभी तक चुदासी कैसे रहतीं थीं जबकि उनके बच्चे तक चुदाई एक्सपर्ट हो चुके थे। लेकिन एक बात थी कि इस उमर में भी चूत का तो मुझे पता नहीं लेकिन उनका शरीर अभी भी कसा हुआ था ,

वो अपने शरीर का बड़ा ध्यान रखतीं थीं और मेकअप तो उनका सुबह सुबह सबसे पहले होता था। उनकी गोल गोल चूचियां ब्रा में नागपुरी संतरे जैसी कसी बड़ी मस्त लगतीं थीं। उनकी पतली सी कमर के नीचे दो तरबूजों जैसी मटकती गांड किसी भी लंड को फनफनाने पर मजबूर कर सकती थी। कुल मिला कर बड़ी चाची ने अभी तक अपने को जयाप्रदा की तरह मेन्टेन करके रखा था परन्तु उस मुश्ताक चचा की भी कोई गलती नहीं थी क्योंकि चाची ने अपने को कितना भी मेन्टेन करके रखा हो , दीदी की नाज़ुक छोटे छोटे रोंयेदार मखमली चूत के आगे उनकी चूत कुछ भी नहीं थी। इस बात को शायद वह ठरकी बुड्ढा बहुत अच्छी तरह समझता था इसीलिए वह मोहल्ले की अम्मीयों की चूत की खुजली शांत करके लौंडियों की रबड़ी मलाई चूतों के मज़े लेता था। 

दोस्तों ये तो बहुत पुराना फ़ॉर्मूला है कि अगर किसी लौंडिया की चूत आपको मज़े से चोदनी है तो पहले उसकी अम्मी को किसी भी तरह खुश करना होगा। अब यहां देखना यह पड़ता है की अम्मी पटेगी कैसे वैसे यह हर इंसान का नेचर होता है कि एक ही लंड या चूत के प्रयोग से धीरे धीरे उसे सेक्स में मज़ा आना बंद हो जाता है और फिर उसके मन में कहीं न कहीं किसी दूसरे की चूत या लंड की इच्छा ज़ोर मारने लगती है। 
शायद इसी फ़ॉर्मूले को फॉलो करके चचा ज़िन्दगी के असली मज़े ले रहा था और अपने गाँव की औरतों व लौंडियों को चोदने के बाद अब यहां आकर मोहल्ले की चूतों के मज़े ले रहा था ..

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

ऊपर से उसका लंड ऐसा था कि अगर किसी भी औरत की निगाह उस पर पड़ जाए तो उसकी चूत पनीली होने में देर ना लगे व जब तक चूत में पिलवा के ढंग से चुदवा न ले उसको सुकून न मिले। यही कारण था कि वह मादरचोद नीचे केवल लुंगी ही पहनता था और इसीलिए चाची उसके लंड को देख कर अपनी लौंडिया की चुदाई भूल के अपनी चूत चुदवाने की फ़िराक में आ गयीं थीं। उन्हें इस बात का शायद कोई गम भी नहीं था कि बुड्ढे ने उनकी लौंडिया की चूत को चोद चोद के सुरंग बना दी है , वो तो बस इस जुगत में थीं कि कैसे उसका मूसल सा लंड अपनी चूत में पिलवा के चुदाई का लुत्फ़ उठायें।

 इन्ही सब बातों को सोचते हुए कब रात के साढ़े नौ बज गए पता ही नहीं चला। सब लोग घर में आकर खाने के लिए बैठ चुके थे। छोटी भाभी ने मुझे भी जब आवाज दी तब मेरे विचारों का सिलसिला टूटा और मैं आज रात में उस मादरचोद बुड्ढे की जासूसी का प्लान बना कर खाने की टेबल पर आ गया।

रात में साढ़े ग्यारह बजे के तकरीबन जब मैंने देखा कि सब सो गये है तो बहुत ही धीरे से बिना कोई आवाज किये मैं बाहर आ गया। अहाते की तरफ आकर देखा कि दरवाजे तो बंद थे लेकिन कुंडी खुली हुई थी , मैं धीरे से खोल कर पीछे अहाते में चचा के बरामदे की तरफ चल दिया।तभी मुझे कानों में बड़ी चाची की आवाज़ सुनाई पड़ी ,” अरे चचा, सो गए क्या ?” 

” नहीं नहीं ! अभी कहाँ , अभी तो वो इस्सन की लुगाई आती होगी , वैसे तो बिना चुदाई किये नींद न आने की पुरानी आदत है पर अब वो एक एक रात में पांच पांच छह छह बार चोदने की ताक़त नहीं बची सलमा बेटी वरना कितनी भी चुदक्कड लौंडिया क्यूं न हो मेरे लंड के नीचे बस हाय हाय ही करती थी ” चचा अपने लंड के कारनामे चाची को सुनाते बोले 

” वो तो चचा तेरा लंड देख के ही पता चलता है , मेरी चूत तो शाम से ही तेरे लंड के लिए आंसू बहा रही है … ससुरी रुकने का नाम ही नहीं ले रही है “

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

मैं चुपचाप ओट में खडा सारा तमाशा देख रहा था। चाची से शायद अब मेरी तरह बर्दाश्त नहीं हो रहा था सो उन्होंने आगे बढ़ कर बेशर्मो की तरह चचा की लुंगी उतार दी। उसका लंड अभी मरियल सा दोनों जांघों के बीच में लटक रहा था। चचा ने बिना वक़्त बरबाद किये चाची को चिपका कर बेसब्री से चूमना शुरू कर दिया। उसने चाची का दुपट्टा उतार कर अपने हाथ उनके कुर्ते में डाल दिए और कस कस के चूचियों को मसलने लगा।

चाची भी नीचे हाथ बढ़ा कर उसका लंड सहलाने लगीं। अब चचा एक हाथ से उनकी चूची और दूसरे हाथ से उनकी रसीली गांड मसल रहे थे। तभी चचा ने साइड की अलमारी से शीशी उठाकर उसमे से दो गोली निकाल कर निगल लीं।
” ये किस चीज़ की गोली थीं चचा “

” अरे बेटी अब वो जवानी तो रही नहीं सो इन गोलियों के सहारे ही तो तुम जैसी औरतों की चूत की खुजली शांत कर पाता हूँ , तुम बस चिंता मत करो …. आज तो तुझे ज़न्नत के नज़ारे दिखाऊंगा “

कह कर चचा ने चाची का कुरता उतार कर अलग रख दिया। चाची इतनी ज्यादा चुदासी थी कि उसने अपनी सलवार खुद ही उतार कर फेंक दी। तब तक चचा ने उनकी ब्रा के हुक खोल कर चाची को पूरा मादरजात नंगा कर दिया।

” चुदाई का असली मज़ा तो पूरे नंगे होकर ही आता है ” चचा अपने लंड को चाची के हाथ में थमाते हुए बोले 

” आज तो तुम जैसे चाहो करो बस मेरी चूत की इस आग को बुझा दो मेरे सरताज ” चाची चचा से लिपटते हुए बोलीं चचा जोर जोर से चूचियों को मसलते हुए चाची के मुंह में अपनी जीभ घुमा घुमा कर चूस रहे थे। वह वाकई काम कला का एक्सपर्ट था , उसे अच्छी तरह से पता था कि चूत को किस तरह चोद कर उसकी आग शांत होगी।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

चचा ने उनके लंबे लंबे बालों को गर्दन से हटाया और गर्दन के पिछले हिस्से पर चूमने लगा। चाची की हालत खराब हो रही थी, इसका पता उसके पैरों को देख कर लग रहा था , उनके पैर उत्तेजना में इधर उधर हो रहे थे। 

मज़े वो दोनों ले रहे थे और यहाँ मेरा हाल बुरा था। उन दोनों की रासलीला देख देख कर मेरा हाथ न जाने कब मेरे पैंट के ऊपर से मेरे लण्ड पर चला गया पता ही नहीं चला। मेरा लंड फनफना चूका था और इतना अकड़ गया था मानो अभी बाहर आ जायेगा।मैंने उसे सहलाना शुरू कर दिया। मेरे होठ सूख गए थे उनको इस हालत में देखकर। मैंने अपने होटों पर अपनी जीभ फिराई और आँखें फाड़ फाड़ कर उन दोनों को देखने लगा।मेरे हाथ मेरे लंड की लगातार मालिश कर रहे थे। 

तभी चचा ने चाची को थोड़ा सा अलग किया और उनकी ठोस हो चुकीं चूचियों के बड़े बड़े भूरे टाइट निप्पल को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। इस वक़्त मेरा दिल कर रहा था कि अभी उनके सामने चला जाऊँ और चचा को हटा कर खुद चाची की बेमिसाल चूचियों से सारा रस निचोड़ लूँपर मैंने अपने आप को सम्भाला और अपनी आँखें उनके ऊपर जमा दी।“ मादरचोद ! पूरा लौंडिया एक्सपर्ट है” मेरे मुँह से निकला।जैसे जैसे उनकी रासलीला बढ़ रही थी, मेरी धड़कन बढ़ती जा रही थी, मुझे ऐसा महसूस हो रहा था मानो मेरा दिल उछल कर बाहर आ जायेगा लेकिन मैं किसी तरह अपने ऊपर कंट्रोल किये था। 

तभी चाची घुटनों के बल ज़मीन पर बैठ गयीं तब मुझे उसका लंड दिखाई दिया जो अब काफी लंबा और मोटा होकर बिलकुल गधे के लंड जैसा हो गया था। चाची ने बड़े प्यार से उसके लंड को दोनों हाथों से पकड़ कर अपने मुंह में ले लिया और अन्दर बाहर करते हुए सटासट चूसने लगीं। चचा दोनों हाथों से चाची के सिर को पकडे मज़े से आँखे बंद करके अपना लंड चुसवा रहा था फिर उसने चाची को तखत पर चित लिटा कर टाँगे चौड़ा दीं और दोनों टांगों के बीच बैठ कर उनकी पानी के फव्वारे सी छोड़ती चूत को सलवार से पोंछ कर ढंग से साफ़ कर दिया उसके बाद अलमारी में से एक दूसरी शीशी उठा कर उसमे से सफ़ेद पाउडर सा चुटकी में लेकर उनकी लपलपाती चूत में डाल दिया। 
” आ …. ह , ये क्या था चचा ?”

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

” ये पिसी फिटकरी थी , इससे तुम्हारे जैसी पानी छोड़ती ढीली ढाली चूत भी सोलह साल की कुंवारी चूत जैसी हो जाती है जिससे लंड भी चूत में बड़ा फंस के जाकर ढंग से चोदता है “

” हाय तब ठीक है पर अब चोद ना यार …….. ” 

चचा ने चाची को उठा कर कुतिया की तरह उल्टा चौपाया कर दिया और पीछे से उनकी चूत पर अपना लौकी जैसा काला लंड टिका कर एक झटके में पूरा पेल दिया।  ” आ ……… ह …. हाय ……..मादरचोद …….. क्या लंड है ….. चूत के सारे दरवाजे खिड़कियाँ तक चरमरा गईं ……… हाय क्या फंस के गया है अन्दर ……… ऐसे ही चोद …… हाँ हाँ ……… चोद … और चोद ………. बहुत जल रही है सुसुरी ……. आज चोद चोद के ठंडा कर दे इसको ” 

” फिकर ना कर हरामिन , तेरी लौंडिया से भी ज्यादा ढंग से तुझे चोदूंगा ” कह कर चचा उनकी दोनों चूचियों को ऐसे पकड़ के मसलने लगे जैसे आज उखाड़ के ही दम लेंगे।

 “और जोर से मसलो …. मेरे राजा….और चोदो ……… चोद चोद के भोसडा बना दे मेरी चूत ….!” चाची पूरी तरह से चुदासी होकर जोर जोर से बडबडा रही थी , वो कभी गाली देतीं तो कभी प्यार जता रहीं थीं । 

चचा का लण्ड भी पूरी गहराई तक जाकर गपागप चोद रहा था। चाची भी खेली खाई औरत थी , उसकी चूत में चचा का लण्ड भी मानो कम लम्बा लग रहा था।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

“ हाय चचा …. आज ज़रा तबियत से चोदो दो मेरे राजा …. बरसों से मेरी चूत तेरे जैसे मोटे और लम्बे लंड की प्यासी थी , आज सारी प्यास बुझा दो …. ” चाची चुदाई के पूरे मज़े लेतीं बोलीं। हर ठोकर पर आगे पीछे झूला सा झूलतीं उनकी चूचियां बड़ी मस्त लग रहीं थी। दोनों मज़े में अपनी आँखें बन्द करके चुदाई का पूरा मज़ा ले रहे थे। 

” हाँ हाँ ये ले ……… और ले छिनाल …….. ले पूरा लंड ….. आया मज़ा “

” हाँ हाँ ऐसे ही ……. पूरा पूरा जड़ तक ठांस के जल्दी जल्दी चोद बुड्ढे ” 

चचा चाची की गांड में अपनी दो उंगली बार बार थूक लगा कर अन्दर बाहर करता हुआ धकाधक चोद रहा था। 

” हा ………… य ब …. स मैं ……. तो …… गयी ” और चुदाई में एक अजीब सी भच्च भच्च की आवाज आने लगी। चाची झड चुकी थी लेकिन चचा उसी तरह दनादन टोकरें मारे जा रहा था। तभी चचा ने अपना लंड बाहर निकाल कर चाची की गांड के छेद पर टिका दिया और अपने हाथ से पकड़ कर घुसाने लगा। उसका लंड तो पहले से ही चाची के चूतरस में पूरी तरह से सराबोर था और गांड भी उसने दो दो उंगली डाल कर रवां कर ली थी।

” अरे बहनचोद ! गांड में मत घुसा ….. तेरे इस गधेलंड से फट जायेगी ……….. हाय हाय चूत में ही पेल ना …… अभी और पानी निकाल ज़रा …… अभी पूरी तरह से मन नहीं भरा ” चाची अपनी गांड में चचा के लंड को महसूस करके बोलीं 

” चिंता मत कर तू ………. आज तेरी सारी ख्वाहिशे पूरी हो जायेंगी ……तू बस चुपचाप पिलवाती रह ……… कुछ बोल मत ” कह कर अपनी कमर के धक्के से आधे के करीब लंड चाची की गांड में ठांस दिया 

” हा S S S S य …. अल्ला …… मादरचोद ……. मेरी गांड फट गयी …….. जल्दी निकाल इसे ” चाची चिल्लातीं हुई तखत पर पेट के बल फ़ैल गयीं लेकिन बुड्ढा बहुत ही हरामी था उसे शायद इसका पहले से अंदेशा था सो वह भी चाची की कमर को थामे उनके ऊपर धप्प से अपना लंड फ़साये गिर गया जिससे बाकी का बचा लंड भी चाची की गांड में जड़ तक ठंस गया। चचा ने अपने दोनों पैरों से चाची की दोनों टाँगे फैला कर अपने हाथों से उनकी चूचियां कस के पकड़ लीं।

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

” आ …. क्क …….. ह ….. राम ….. जादे …….. उईऽऽ …….. मेरी अम्मी ……. मार डाला “

” काहे …. अम्मी को …… हम्फ़ हम्फ़ …….. याद कर रही … है ….. बस अब कोई …….. दर्द नहीं होगा ……. लंड पूरा अन्दर …… जगह बना चुका है ” कह कर चचा चाची की चूचियों को पकड़ कर कस कस के मसलने लगा
बुड्ढा अब हांफने लगा था लेकिन वह बिना पानी निकाले चाची को छोड़ने वाला नहीं था सो उसने अपना आधे से ज्यादा लंड बाहर खींच कर फिर से एक ठोकर में अन्दर ठांस दिया।

चाची हर ठोकर पर आ ह ……. हा य की आवाजे निकाल रहीं थीं लेकिन चचा बिना परवाह किये चाची की गांड भकाभक मार रहा था। 
मैंने पहली बार किसी को गांड मारते देखा था। उधर जितनी स्पीड से चाची चुद रही थी उतनी ही स्पीड से इधर में अपने लंड को मुठ्ठी में दबाये मुठ्ठ मारे जा रहा था लेकिन बहनचोद मेरा पानी तो बिना गोली खाये ही निकलने को राज़ी नहीं था। यहां तक कि अब मेरे लंड में हलकी हलकी जलन भी होने लगी थी। तभी चचा ने शायद चाची के कहने पर ही उन्हें चित्त लिटा लिया और उनकी सलवार से पानी छोड़ती चूत को ढंग से साफ़ करके थोड़ी फिटकरी डाल कर अपना लंड फिर से ठांस दिया। अब चाची अपनी दोनों टांगों को ऊपर उठाये चचा का ज्यादा से ज्यादा लंड अपनी चूत में लेने की कोशिश करते हुए चुद रहीं थीं। चचा भी बुरी तरह हांफता हुआ चाची को धकाधक चोद रहा था। 

” हाँ हाँ ……. और कस के चोद ……… फारि कें धर दे सुसुरी को ………… और जल्दी जल्दी चोद ” 

चचा अब जीभ निकाले बिलकुल कुत्ते की तरह हाँफते हुए अपनी पूरी ताक़त से चाची को चोद रहा था। अचानक चचा ऐंठ के तिरछा होता हुआ चाची की चूत में झड़ने लगा , चाची भी चौथी बार अपना पानी छोड़ चुकीं थीं। उनके चेहरे पर अब पूरी संतुष्टि के भाव थे।

” हाय तेरी ये गोलियां तो बड़ी मस्त थीं , इन्हें खा के तो तेरा लंड २0 साल के छोरे जैसा हो गया था ……. आज सुसुरी चूत को बड़ा सुकून मिल गया ….. लेकिन तूने उस छोरी की नाजुक सी चूत फाड़ के अच्छा नहीं किया “

” अरे क्या बताऊँ ! इधर तीन चार दिन से वो इस्सन की लौंडिया भी नहीं आ रही थी ऊपर से जब में अन्दर आया तो वो मुन्ना से यहीं चुद रही थी …………. सो मैंने भी थोड़ा अपना पानी निकालने की सोची और इस चक्कर में वो चुद गयी …….. वरना मेरे पास चूतों की कोई कमी नहीं है ” चचा अकड़ दिखाता बोला 

” क्या S S S S S ……… वो सुसुरा झांट भर का छोकरा …. मेरी लौंडिया को चोद रहा था “

यादों के झरोखे से – Sex Hindi Stories

” और क्या ” 

” मैं तो सोचती थी कि अभी तो उसकी पिद्दी सी लुल्ली खड़ी भी ना होती होगी …….. अभी उसकी उमर ही कित्ती है …… अपनी आयशा से दो साल ही तो बड़ा है “

” तो आयशा अब कौन छोटी रही है ….. निम्बू से बड़ी बड़ी चूचियां तो हो चुकीं हैं उसकी “

” हाय अल्ला …….. मरदूद तू ये ही सब नापता रहता है क्या ?”

” अब अपनी आँखे तो फोड़ ना लूँगा ……… जब दिन में दस दफा सामने से गुजरेगी तो कभी न कभी तो निगाह गांड और चूचियों पर पड़ेगी ही ना ” 

अब दोनों के दोनों बिलकुल नंगे पड़े एक दुसरे के नाज़ुक अंगों से खेलते हुए ऐसी ही बातें कर रहे थे।उस मादरचोद बुड्ढे ने चाची को दीदी की चुदाई के बारे में बताने पे वैसे तो मेरी गांड फटने लगी थी पर मैं इस चुदाई को देख कर थोडा निश्चिन्त सा था और दूसरी ओर पानी निकलने के बाद भी मुझे इस वक़्त भयंकर रूप से किसी चूत की तलब भी लग रही थी सो मैं बिना किसी बात की परवाह किये किसी चूत की जुगाड़ में उनको वहीं छोड़ अन्दर चला आया।