ननद का जोबन – Incest Hindi Sex Kahani
छोट छोट जोबना दाबे में मजा देय,
ननदी हमारी, अरे बहना तुम्हारी चोदै में मजा देय।
मैं अपने सैयां के सामने अपनी ननद डाली के लिये ली, पिंक टीन-ब्रा लहराकर उन्हें छेड़ रही थी। वो ड्राईव कर रहे थे। उनके पैन्ट में उभरते बल्ज को सहलाते हुए मैं बोली- “अरे उसकी ब्रा देखकर ये हाल हो रहा है, तो अन्दर का माल देखोगे तो क्या हाल होगा?”
“अरे वो अभी छोटी है…” प्रोटेस्ट करते हुए वो बोले।
“छोटी है या तुम्हारा मतलब है कि उसका छोटा है। अरे पन्द्रह दिन रहोगे ना अबकी तो मसल-मसलकर मींज-मींज कर बड़ा कर देना। मेरा भी तो तुमने शादी के एक साल के अंदर ही 34सी से बढ़ाकर 36डी कर दिया था…” अदा से अपना जोबन उभारकर उन्हें ललचाते हुए, उनसे और सटकर मैं बोली।
हम लोग उनकी कजिन सिस्टर नीता (जो डाली की मझली बहन थी) की शादी के लिये शापिंग करके लौट रहे थे। हमें कल सुबह ही उनके ‘मायके’ शादी के लिये जाना था। मैंने अपनी ननद डाली के लिये, शादी के लिये कुछ बहुत सेक्सी रिवीलिंग ड्रेसेज़ ली थीं, उसी के साथ एक पुश-अप, स्किन टाईट लगभग पारदर्शी लेसी ब्रा भी ली थी और उन्हें दिखाकर पूछा- क्यों पसंद है?
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वह बेचारे, उन्होंने समझा कि मेरे लिये है तो हँसकर कहा- “बहुत सेक्सी लगेगी…”
“और क्या गुड्डी के (डाली का घर का नाम गुड्डी था) उभार उभरकर सामने आएंगें…” मैंने उन्हें छेड़ा। और तब से मैं उन्हें छेड़ रही थी- “क्यों क्या याद आ रही है उसकी, सोचने से इत्ता तन्ना रहा है तो कल देखने पे क्या होगा? पर इसका दोष नहीं है, वह साली माल ही इत्ती मस्त है…” उनके जीन्स पे उभरे बल्ज को मैंने अपने लंबें नाखून से कसकर रगड़ते हुए, गाल से गाल सहलाकर बोला।
राजीव से अब नहीं रहा गया। उसने कसकर मेरे टाईट कुर्ते के ऊपर से मेरे निपल्स को पकड़कर खूब कसकर मसल दिया।
“उई आईई…” मैं चिल्लाई- “गलती करे कोई, भरे कोई। याद तुम्हें मेरी ननद के जोबन की आ रही है और मसले मेरे जा रहे हैं। पर कोई बात नहीं, कल पहुंच रहे हैं ना… मैं तुमसे अपनी ननद की चुदाई करवा के रहूंगी…”
तब तक गाड़ी ड्राईव-वे के अंदर घुस गयी थी। गाड़ी रोकते हुये राजीव ने मुझे कसकर पकड़ते हुए कहा- “अभी देखो ननद की चुदाई होती है या भाभी की?”
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अभी रूम के अन्दर पहुंचकर मैंने सामान के पैकेट रखे भी नहीं थे की राजीव ने पीछे से कुर्ते के ऊपर से मेरे मस्त मम्मे कसकर पकड़ लिये।
मैं- “हे हे… बेडरूम में चलते हैं ना, क्यों बेसबरे हो रहे हो। माना अपने माल की याद आ रही है…”
पर राजीव को कहां सबर थी। एक हाथ से मेरे मम्मे कस-कस के मसल रहे थे और दूसरे से वह मेरी तंग शलवार का नाड़ा खोल रहे थे। पल भर में मेरी शलवार खुलकर मेरे घुटनों में फँस गयी थी और मेरा कुर्ता भी ब्रा के ऊपर उठ गया था। मैंने झुक कर अपने दोनों हाथ सोफे पे रख दिये थे, और मेरे कसे भारी नितंब उसकी जीन्स से बल्कि उसके खुंटे से रगड़ खा रहे थे। लग रहा था कि उसका बेताब हथियार उसकी जींस और मेरी पैंटी फाड़कर अंदर घुस जायेगा। उसका एक हाथ कस-कस के मेरी लेसी हाफ-ब्रा के ऊपर से ही मेरे मम्मे खूब कस-कस के मसल रहा था और दूसरा मेरी थांग पैंटी के ऊपर से, मेरे लव होंठों को सहला रहा था।
राजीव की यह बात मुझे बहुत पसंद थी। हमारी शादी के साल भर से थोड़ा ज्यादा ही हो गये थे, पर अभी भी वह कभी भी कहीं भी, ड्राईंग रूम, बाथरूम, किचेन, पोर्च में, कार में, सुबह, शाम, दिन दहाड़े, एकदम से मेरा दिवाना था। एक बार तो हम लोग उसके एक दोस्त के यहां गये थे, दो चार पेग ज्यादा लगा लिया और… उसी के यहां बाथरूम में मैं लाख ना नुकुर करती रही पर वह कहां छोड़ने वाला था। सप्ताहांत में तो अक्सर दो-दो दिन हम दोनों कपड़े ही नहीं पहनते थे, खाना बनाते, खाते, नहाते।
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मेरी फ्रांट ओपेन ब्रा उसने खोल दी थी और मेरे कड़े खड़े गुलाबी निपल कसकर मसले जा रहे थे और अब मेरी पैंटी के अंदर उँगली मेरी गीली योनि के अंदर रगड़-रगड़ के जा रही थी। मैंने अपने मस्त नितंब उसके खूंटे पे रगड़ते हुये, छेड़ा- “अभी तो अपने माल के बारे में सोच के इसका ये हाल है। कल जब वह सामने पड़ेगी तो इसका क्या हाल होगा?”
राजीव- “कल की कल देखी जायेगी, अभी तो अपनी बचाओ…”
उसकी जींस और ब्रीफ अब नीचे उतर चुकी थी और एक झटके में उसने मेरी लेसी पैंटी भी नीचे सरका दी। अब उसका मोटा लण्ड सीधे मेरी गुलाबी फुदफुदाती बुर को रगड़ रहा था। उसने मेरे नीचे वाले दोनों गीले होंठों को फैलाकर, अपने पहाड़ी आलू ऐसे मोटे सुपाड़े को, सीधे फंसा दिया और कसकर एक बार मेरे निपल और क्लिट दोनों पिंच कर लिये।
“ऊईई…ई…ई…ई…” कुछ दर्द और कुछ मजे से मैं चिल्ला पड़ी।
पर उसे कुछ फर्क नहीं पड़ना था। उसने मेरी पतली कमर अब कसकर पकड़ी और एक बार में अपना पूरा मूसल कसकर ढकेल दिया।
उइई… मैं फिर चीख पड़ी। बिना वैसलीन के अभी भी लगता था। पर मुझे अब अपने चिढ़ाने की पूरी सजा मिलनी थी। उसने मेरा चेहरा खींचकर अपनी ओर किया और कसकर मेरे गुलाबी रसीले होंठ अपने होंठों में भींच लिये और एक बार फिर दोनों हाथों से कमर को पकड़कर कसकर धक्का मारा। चार पांच जबर्दस्त धक्कों के बाद अब पूरा अंदर था।
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थोड़ी ही देर में मैंने महसूस किया कि मेरी जुबान, उनकी जीभ से लड़ कर मजे ले रही है, और मेरे चूतड़ धीमे-धीमे आगे पीछे हो रहे हैं। मुझे भी अब खूब रस आने लगा था। मेरी चूत उनके लण्ड को हल्के-हल्के भींच रही थी।
उन्होंने अपना लण्ड सुपाड़े तक बाहर निकालकर फिर धीमे-धीमे, रस लेते हुये, मेरी कसी बुर में कसकर रगड़ते हुए, अन्दर पेलना शुरू किया। मजे में मेरी चूचियां कड़ी होकर पत्थर की तरह हो गयी थीं। एक हाथ से उन्होंने मेरे रसीले जोबन का रस लेना शुरू किया और दूसरे से मेरी मस्त होती क्लिट को कसकर छेड़ना शुरू किया।
उह्ह… उह्ह… उह्ह्ह… रस में मैं सिसक रही थी। अब मैं भी रह-रह के उनके लण्ड को अपनी चूत में कसकर सिकोड़ ले रही थी, और उनके हर धक्के का जवाब मेरे चूतड़ धक्के से दे रहे थे।
उनके धक्कों की रफ्तार भी धीरे-धीरे बढ़ रही थी, और थोड़ी ही देर में धका पेल चुदाई चालू हो गयी। ओह्ह… आह्ह… उफ्फ सटासट सटासट कभी वह जोर-जोर से आल्मोस्ट बाहर तक निकाल के पूरा एक झटके में अन्दर डाल देते और कभी पूरा अंदर घुसेड़कर वह सिर्फ धक्के देते कभी थोड़ा लण्ड बाहर निकालकर, मुठठी में पकड़कर कसकर मेरी बुर में गोल-गोल घुमाते।
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मेरी दोनों चूचियां कस-कस के अब रगड़ी, मसली जा रही थीं। कभी मस्ती में आकर मेरे भरे-भरे गुलाबी गालों को काट भी लेते। मैंने भी कसकर सोफे को पकड़ रखा था और खूब कस-कस के पीछे की ओर उनके धक्के के साथ धक्का लगाती। आधे घन्टे से भी ज्यादा फुल स्पीड में इस तरह चोदने के बाद जाकर वो कहीं झड़े।
मेरी हालत खराब थी। मैंने कुर्ते को ठीक करने की कोशिश की पर उन्होंने मुझे कपड़े पहनने नहीं दिया और उसी हालत में अपनी गोद में उठाकर बेडरूम में लेजाकर बेड पर लिटा दिया। खुद वो वहीं पेग बनाने लगे- “छोटा चाहिये या बड़ा?” मुझसे उन्होंने पूछा।
“मेरे लिये पटियाला बनाना…” शरारत से गोल-गोल आँखें नचाकर मैं बोली। और हां कल अपने मायके के लिये दो बड़ी बोतल, ओल्ड मांक और जिन की रख लेना।
“वहां किसके लिये?”
“तुम्हारी बहनों और मेरी छिनाल ननदों के लिये, उन्हें रमोला बनाकर और लिम्का में मिलाकर पिलाऊँगी और चूतड़ मटका मटकाकर नचवाऊँगी…”
“तुम्हारी गुड्डी के रसीले उभारों के नाम पर…” कहकर मैंने जाम टकरा कर चियर्स किया, और पेग खतम होते ही राजीव को अपने बगल में लिटा लिया। मैं उठकर उसकी टांगों के बीच में आधे खड़े लण्ड के पास गयी।
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ओह्ह… मैंने अपने बारे में तो बताया ही नहीं, मैं 5’6” लम्बी, एकहरे बदन की पर गदरायी, गुदाज मांसल, गोरी हूं। मेरे काले लम्बे बाल मेरे नितम्बों तक आते हैं। मेरी फिगर 36डी-30-38 है और मेरे उभार बिना ब्रा के भी उसी तरह तने रहते है, और… वहां मैं कभी उसे ट्रिम रखती हूं और कभी सफाचट। और हां… वह अभी भी इत्ती कसी है ना कि ‘उन्हें’ उत्ती ही मेहनत करनी पड़ती है, जित्ती हनीमून में करनी पड़ती थी।
मैंने अपने घने लंबे काले बालों से उनके शिश्न को सहलाया और फिर उसे, अपने रेशमी जुल्फों में बांध कर प्यार से हल्के से सहलाया। थोड़ी ही देर में वह उत्तेजित हो उठा। पर मैं इत्ती आसानी से थोड़े ही छोड़ने वाली थी। मैंने अपने रसीले गुलाबी होंठों से धीरे-धीरे, उनके सुपाड़े से चमड़े को हटाया। सुपाड़ा, खूब मोटा, गुस्से से लाल कड़ा, लग रहा था। मैंने उसे पहले तो प्यार से एक छोटी सी चुम्मी दी और फिर जीभ से उसे हल्के-हल्के चाटना शुरू कर दिया।
उत्तेजना से राजीव की हालत खराब थी।
पर मैं कहां रुकने वाली थी। मैंने थोड़ी देर उसे अपने मस्त होंठों के बीच लेके लाली पाप की तरह चूसा और फिर जीभ की नोक उनके सुपाड़े के ‘पी-होल’ में घुसाकर उन्हें और तंग करना शुरू कर दिया। मैं जैसे उनके उत्तेजित लण्ड से बात कर रही होंऊँ, वैसे कहने लगी- “हे, बहुत मस्त हो रहे हो ना, कल तुम्हें एक नया माल दिलवाऊँगी, एकदम सेक्सी टीन माल है…”
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“क्या बोल रही हो?” राजीव ने पूछा।
“तुम चुपचाप पड़े रहो, मैं अपने ‘इससे’ बात कर रही हूं, तुम्हारे मायके पहुंच कर इसे क्या मिलेगा, ये बता रही हूं…” मैं मुश्कुराकर बोली।
“अरे तुम गुड्डी के पीछे पड़ी रहती हो, वह अभी छोटी है, भोली है अभी तो इंटर में पहुंची है।
“चोर की दाढ़ी में तिनका, अरे मैंने उसका नाम तो लिया नहीं तुमने खुद कबूल कर लिया की वह माल वही है, और फिर ‘इंटर में पहुँची है’ इसका मतलब? इंटरकोर्स के लायक हो गयी है…”
उत्तेजना से मेरे दोनों जोबन और निपल्ल भी एकदम कड़े हो गये थे। उनके लण्ड को अपने रसीले जोबन के बीच करके दबाते हुये मैंने कहा। मस्ती से वह एकदम लोहे का खंभा हो रहा था। एक बार फिर मैंने अपने निपल से उनके सुपाड़े को छेड़ा और जैसे मैं चोद रही हूं, उनके थरथराते, पी-होल पे अपने निपल को डालकर रगड़ना शुरू कर दिया।
राजीव की हालत देखने लायक थी। उत्तेजना से वो कांप रहे थे और अपने चूतड़ ऊपर की ओर उछाल रहे थे।
मैं उनके ऊपर आ गयी और उनके दोनों हाथ कसकर पकड़कर, मैंने अपने निचले गुलाबी होंठ उनके मोटे सुपाड़े पर रगड़ना शुरू कर दिया। तभी, मुझे एक शरारत सूझी। मैंने उनके सुपाड़े का उपरी हिस्सा अपनी कसी योनि में लेकर हल्के से दबाया और अपने उभारों से उनके गाल को सहलाते हुए कहा- “मेरी एक शर्त है, अगर मैं शर्त जीत गयी…”
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“हां हां तुम्हारी जो भी शर्त हो मंजूर है पर प्लीज़ करो ना…” उत्तेजना से उनकी हालत खराब थी।
मैंने थोड़ा और दबाव बढ़ाया और अब पूरा जोश में भरा सुपाड़ा मेरी चूत के अंदर था। मैंने कसकर उसे पूरी ताकत से चूत में भींचा, और उनके होंठों पर एक हल्की सी चुम्मी लेते हुए कहा- “शर्त है ये मेरे जानू, तुम्हारी ‘वो’ बड़ी भोली है ना… हां तो अगले पंद्रह दिनों में मैं उसे पक्की छिनार बना दूंगी और अगर मैंने उसे छिनार बना दिया तो तुम्हें उसे चोदना होगा…”
“हां हां जानम, तुम्हारी हर शर्त मुंझे मंजूर है पर पहले अभी तुम मुझे चोदो…” मस्ती में राजीव पागल हो रहे थे और उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था।
उनके दोनों हाथ कसकर पकड़कर मैंने अब पूरा जोर लगाया और अब उनके कुतुबमीनार पे, मेरी कसी चूत, रगड़ते, फिसलते, उतरने लगी। कुछ ही देर में उनका पूरा मोटा बित्ते भर का मूसल मेरे अंदर था। मैंने अब उसे हल्के से अपने निचले गुलाबी होंठों से स्क्वीज़ किया। उनकी नशे से अधमुदी पलकों पर चुम्मी लेकर उसे बंद किया और उनके सीने पे लेटकर कान की ललरी को धीरे से काट लिया।
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अपनी जीभ उनके कानों में सहलाते हुये मैंने कहा- “अब अगले 10 मिनट तक जैसे मैं तुम्हारा मायके वाला ‘वो माल’ हूँ, उस तरह करो…” और मैंने अपनी कमर, बिना उनका शिश्न जरा भी निकाले, गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया और उनका हाथ पकड़कर अपने रसीले जोबन पे रख दिया।
वह भी सिर्फ मेरे स्तनाग्रों को पकड़कर इस तरह हल्के-हल्के दबा रहे थे जैसे वह किसी टीनेजर की उभरती चूचियां हों।
मैं भी अब उसी मूड में आ गयी। धीरे-धीरे, अपनी कमर ऊपर उठाते हुये, सिसकते हुये जैसे मैं डाली हूं, वैसे बोल रही थी- “हां हां अच्छा लग रहा है ओह्ह… ओह्ह… बहुत मोटा है, लगता है…”
और वो भी सिर्फ मेरे जोबन के उपरी हिस्सों को दबाते, मसलते, रगड़ते, मेरी पतली कमर पकड़कर कभी अपने मोटे लण्ड के ऊपर करते और कभी नीचे। 10 मिनट तक चुदाई का हमने ऐसे ही मज़ा लिया। फिर अचानक राजीव ने मुझे पकड़कर नीचे लिटा दिया, और मेरी दोनों लम्बी गोरी टांगें कंधे तक मोड़कर, मुझे दोहरा कर दिया और इत्ती जोर से धक्का मारा की उसका सुपाड़ा, सीधे मेरी बच्चेदानी से जा टकराया।
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“उह्ह्ह…” कुछ दर्द से कुछ मजे से मेरी चीख निकल गयी।
पर राजीव रुकने वाला नहीं था। उसने कसकर मेरी पत्थर सी कड़ी चूची के उपरी भाग में काटा।
“उउय्यी उय्यी…” मैं फिर चिल्लायी। पर उसने फिर मेरे निपल्स को मुँह में लेकर कसकर चुभलाना शुरू कर दिया। उसकी उंगलियां कभी पूरी ताकत से मेरे निपल्स को पिंच करतीं और कभी क्लिट को फ्लिक करतीं। कभी वह अपना मूसल जैसा लण्ड बाहर निकालकर एक धक्के में पूरा अंदर घुसेड़ देता और कभी जड़ तक अंदर किये मेरी खड़ी, उत्तेजित क्लिट पर रगड़ता। मैं भी कस-कसकर अपने मोटे चूतड़ पटक रही थी। मैं पता नहीं कित्ती बार झड़ी पर वह एक घंटे उसी तरह चोदने के बाद ही झड़ा। उस रात दो बार मैंने और मूसल घोंटा, एक बार पीछे भी।
सुबह उनके ‘मायके’ चलते समय मैंने बैग में देखा तो ओल्ड मांक की दो बड़ी बोतलें और दो ज़िन की बोतलें रखी थीं। मैंने राजीव की ओर देखा तो वह आंखों में मुश्कुरा पड़ा और मैं भी। तभी मुझे “कुछ और स्पेशल गिफ्ट” याद आया।
और शरारत से मैं बोली- “राजीव, वो बोतल रख ली थी, गिफ्टपैक, तुम्हारी ‘उसके’ लिये…”
राजीव- “अभी रखता हूं…”
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रात भर की थकान, कार में मैं सोती ही रही। जब मेरी ससुराल आने वाली थी, तभी मेरी नींद खुली। शहर के बाहरी हिस्से में वहां का रेड लाईट एरिया पड़ता था, कालीन गंज। वहां अभी भी कुछ रंडियां सज-धज के बैठी थीं। मैं उन्हें ध्यान से देख रही थी।
राजीव ने मुश्कुराकर कहा- “क्या, देख रही हो?”
“उसी को कहीं तुम्हारी बहन, तुम्हारा माल यहां तो नहीं है…”
राजीव कुछ जवाब देते उसके पहले हम लोग घर पहुँच गये।
जैसे ही झुक कर उन्होंने अपनी भाभी का पैर छूने की कोशिश की तो उन्होंने उन्हें चिढ़ाते हुये आशिवार्द दिया- “सदा सुहागिन रहो, दुधो नहाओ, पूतो फलो…”
और मुझसे बोलीं- “जरा अपनी उस ननद डाली का, इनके माल का कुछ इंतजाम करो…” मुझसे मुश्कुराकर मेरी जेठानी ने कहा।
“क्यों दीदी…” उनकी ओर चिढ़ाने वाली नजर डालते हुए, मैं बोली।
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“अरे उसके चक्कर में, शहर में कैंडल और बैगन के दाम बढ़ गये हैं…” भाभी ने हँसकर कहा।
थोड़ी देर घर में रहकर हम लोग शादी के घर में गये। पहले ‘वही’ मिल गयी। एकदम ‘बेबी डाल’ लग रही थी, फ़्राक मेंम गोरी, छरहरी, छोटे-छोटे उभार, पतली कमर पर गजब ढा रहे थे। टीन, चिकने गुलाबी गालों पे लुनायी छा रही थी और किशोर नितंब भी गदरा रहे थे।
आंख नचाकर वो बोली- “भाभी, हम लोग आपका ही इंतज़ार कर रहे थे…”
“मेरा, या अपने भैया का? झूठी…” और उसके नमस्ते का जवाब उसे अपनी बांहों में भर के दिया- “भाभी से नमस्ते नहीं करते, गले मिलते हैं…” और उसके भैया को दिखाते हुये उसके उभारों को कसकर दबाकर पूछा- “बड़े गदरा रहे हैं, किसी से दबवाना शुरू कर दिया क्या?”
“धत्त, भाभी…” शरमाने से उसके गाल और गुलाबी लगने लगे। फ़्राक थोड़ी छोटी थी और उसकी गोरी जांघें साफ दिख रही थीं। नीचे, उसके फ़्राक के बीच में मैंने अपने हाथ से कसकर उसकी ‘गौरैया’ को दबोचकर, राजीव को सुनाते हुये छेड़ा- “इस बु… मेरा मतलब बुलबुल ने अभी तक चारा घोंटा की नहीं?”
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“नहीं भाभी, कहां आपको मेरी तो फिकर ही नहीं…” हँसकर, अबकी उसने मजाक का जवाब देने की कोशिश की।
“चलो कोई बात नहीं, अबकी इंतज़ाम करवा दूंगी, पर तुम नखड़े मत करना…” यह कहते हुए मैंने ‘वहां’ कसकर मसल दिया। तब तक और लोग आ गये और हम लोग कमरे के अंदर पंहुच गये। हँसी मजाक चालू हो गया। मैंने जो गिफ्ट और ड्रेसेज सबके लिये ले आई थी दिखाना शुरू कर दिया।
दुल्हन के लिये ड्रेस के साथ मैचिंग लेसी ब्राइडल ब्रा सेट और डाली के लिये तो खास तौर पे सेक्सी और रिवीलिंग ड्रेसेज थीं। उसकी पुश-अप ब्रा दिखाते हुये मैंने कहा- “अरे ये तो तुम्हारे भैया की खास पसंद है…”
राजीव शरमा गये।
तभी मुझे कुछ ‘वो स्पेशल गिफ्ट’ याद आया और मैंने उनसे कहा- “हे, वो स्पेशल गिफ्ट जो आपके बैग में रखी है, निकालो ना…”
राजीव ने गिफ्ट-पैक बोतल निकाल के बढ़ायी।
“खोलो, इसको…” मैंने बोतल डाली की ओर बढ़ायी।
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“क्या है इसमें भाभी?” डाली ने बड़ी उत्सुकता से पूछा।
“अरे, खोलकर ऊपर जो लिखा है पढ़ो ना…” मैं बोली।
वह भोली, उसने खोलकर पढ़ना शुरू किया- “सुडौल स्तनों के शीघ्र विकास के लिये, उन्नत और कसे-कसे आकर्षक वक्ष, लगाकर मालिश करें…” शर्मा कर वह रुक गयी।
“अपने भैया से मालिश करवाना दुगुना असर होगा…”
उसकी बड़ी बहन, जिसकी शादी थी, बोली- “भाभी, आप तो रोज करवाती होंगी?”
“और क्या तभी तो इत्ते बड़े हो गये हैं। पर तीन दिन की बात है, उसके बाद तो तुम्हारा मियां भी रोज मालिश करेगा, लौटकर आओगी तो चेक करूंगीं…” मैं बोली।
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मैं चाहती थी की डाली के लिये जो शादी के दिन पहनने के लिये मैं ड्रेस लाई थी, वो एकदम टाईट फिट हो, इसलिये उसे उसके नाप से थोड़ा आल्टर करना पड़ेगा। मैंने उससे पूछा की वहां कोई अच्छा लेडीज टेलर है।
वह बोली- हां भाभी, एक है तो ‘बाबीज टेलर’ पर अब तो सिर्फ दो दिन ही और उसके पास कम से कम 7-8 दिन लगते हैं…”
‘बाबीज’ या बूब्ज? अरे मेरी इस प्यारी ननद के लिये तो कोई भी कुछ भी करने को तैयार हो जायेगा, तुम चलो मेरे साथ। मैं खुद कार ड्राईव करके उसके साथ निकली।
उसके घर के बाहर कुछ लड़के बैठे थे, एक ने फिकरा कसा- “रेशमा, जवान हो गयी, तीर कमान हो गयी…”
“अरे डाली, तेरे मुहल्ले के लड़कों को तेरा नाम भी नहीं मालूम, क्या बात है?” उनको सुनाते हुए मैंने उसे चिढ़ाया। रास्ते में मैंने उससे बोला की टेलर के यहां मैं जो कहूंगी वो उसे करना होगा और उसके कान में कुछ बोला।
पहले तो उसने बहुत ना नुकुर की फिर तैयार होकर कहा- “ठीक है भाभी, आप जो कहें…”
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मैंने उसके चूचियां कसकर पिंच करते हुये कहा- “अरे बन्नो, अगर इसी तरह तुम मेरी सारी बातें मान लो ना तो देखना मैं तुम्हें कैसे जिंदगी के सारे मजे दिलवाती हूं…”
तब तक हम लोग बाबी टेलर्स के सामने पहुँच गये। खलील खान टेलर, पठान, खूब कसरती बदन। सामने पहुँचते ही डाली ने अदा से एक रस भरी अंगड़ाई ली और मुश्कुराकर मुझसे परिचय कराया- “मेरी भाभी…”
उसके देखते ही मेरा आंचल अपने आप ढलक गया और मुश्कुराकर उसे ठीक करते हुये मैंने उसे अपने जोबन का भरपूर दर्शन करा दिया। मुश्काराकर मैं बोली- “आप ही बूब… माफ कीजियेगा बाबी टेलर्स हैं? जिनकी इस शहर की सारी लड़कियां दीवानी हैं…”
“हां हां आपने सही फरमाया, बाबीज की टेलरिंग में ही तो असली कमाल है…”
“और इसीलिये तो हम आपके पास आये हैं। ये मेरी सेक्सी ननद, मैं चाहती हूं आपकी स्टाइल से ये ड्रेस ऐसी टाईट फिट हो जाये की ये शहर में आग लगा दे…” मैं बोली।
खलील- “चार्ज और कब तक देना होगा…”
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“खलील भाई, चार्ज तो जो आप कहेंगें मैं उससे 100 रुपया ज्यादा दूंगीं और बाकी बातें बाद में… पहले आप इसकी नाप तो ले लीजिये। गुड्डी देख क्या रही हो जाओ चेंज रूम में…”
और गुड्डी बड़ी शोख अदा से खलील को देखते हुए चेंज रूम में चली गयी।
“आपके सिले हुए मैंने जो ड्रेसेज देखें है मैंने, क्या हाथ पाया है आपने मन करता है चूम लूं… एकदम सही फिट कटिंग परफेक्त। वैसे मैंने भी दिल्ली से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया है इसलिए मैं समझ सकती हूं, इस ड्रेस के साथ जो उसे ब्रा पहननी है ना, वह वही पहनकर आई है, और नाप ब्रा के ही ऊपर से लीजियेगा, जिससे ड्रेस खूब टाईट फिट आये, यही समझाने के लिये मैंने उसे हटा दिया है…” मैं झुक कर बात कर रही थी और मेरा आंचल पूरा अच्छी तरह से ढलक गया था और मेरे गहरे वी-कट गले वाली चाली से मेरे उभार साफ दिख रहे थे।
मैंने अपनी बात जारी रखी- “देखिये, इसके बेस से (मेरे हाथ अब मेरे उभार के बेस पे थे) सेंटर और दोनों (अब मेरे हाथ मेरे खड़े निपल्स पर थे) के बीच, जिससे उभार और गहराई दोनों… ओह सारी (अचानक मैंने आंचल को सम्हाला जैसे मेरा ध्यान उधर हो ही नहीं) आप समझ गये ना… आप तो खुद एक्स्पर्ट हैं…” और मैंने नीचे देखा तो उसका खूंटा तना था।
और मुझे वहां देखकर मुश्कुराता हुआ, खलील भी मुश्कारने लगा।
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“अरे जाइये ना, मेरी ननद बिचारी इंतज़ार कर रही होगी। ठीक से अच्छी तरह से नाप ले लीजियेगा, हर जगह की…” पांच मिनट दस मिनट मैं सोच रही थी खलील नाप ले रहा है या?
पूरे पन्द्रह मिनट बाद वह बाहर निकला और उसके पीछे डाली। बाहर निकलकर उसके सामने ही उसने शर्माते हुये अपने टाप के बटन बंद किये।
मैं खलील को समझाने लगी की गला थोड़ा और गहरा पर डाली बोल उठी- “नहीं भाभी, बहुत हो जायेगा, एकदम खुला-खुला सा…”
खलील खुद बोला- “आप सही कह रही हैं पर अगर ये मना कर रही हैं…”
मैं उस समय तो मान गयी।
उसने कहा- हां और मैंने नीचे की भी नाप ले ली है, वहां भी थोड़ा टाईट कर दिया है, पर देना कब है?
जैसे ही मैंने कहा परसों तो वह उछल पड़ा- “अरे शादी का सीज़न है, मैं…”
पर उसकी बात काटते हुये मैंने कहा- “अरे आपने इत्ती अच्छी तरह उसकी नाप ले ली है, अब वह बेचारी कहां जायेगी? आपसे अच्छा तो कोई है नहीं। फिर आपने मुझे भाभी कहा है, इत्ती सी बात…”
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तो बेचारा मान गया।
मैंने गुड्डी को चलने का इशारा किया और उसके जाते ही पर्स से ₹100 का एक पत्ता निकालकर उसको नजर करते हुये कहा- “और गहराई जैसा मैंने कहा था ना, वैसा ही बनाना। और तुम नीचे वाले के बारे में क्या कह रहे थे?”
“मैं वहां भी कह रहा था की कितना टाईट कर दूं…”
“पूरा, एकदम हिप हगिंग…”
जैसे ही मैं चलने लगी तो वो बोला- “भाभी जी आपको ब्लाउज नहीं सिलवाना?”
मैं मुड़कर बोली- “एकदम सिलवाना है, लेकिन अगर शादी में आपकी इस ड्रेस ने आग लगा दी ना तो अगले ही दिन मैं आऊँगी और हां मैं कभी-कभी ब्रा के बिना ब्लाउज़ पहनती हूं इसलिये नाप भी वैसे ही…”
बेचारा पठान का छोरा, खलील।
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गाड़ी में पहुँचते ही गुड्डी ने मुझे पकड़कर कहा- “वाकई मान गये भाभी आपको, आपने तो कमाल कर दिया…”
“अरे, कमाल मैंने नहीं, इसने किया…” फिर उसकी चूचियों को कसकर पिंच करते हुए मैं बोली- “तुम इसकी महिमा जानती नहीं, सीख लो कब उभारना चाहिये, कब छिपाने की कोशिश करते हुए भोलेपन से लोगों की निगाह उधर खींचनीं चाहिये? जो औरतें बार-बार अपना आंचल ठीक करती हैं ना…
वो वही करती हैं लोगों की निगाहों को दावत देती हैं। हाईड ऐंड सीक, थोड़ा छिपाओ, थोड़ा दिखाओ, कभी झुक के, कभी हल्के से दुपट्टा गिरा के, मुश्कुरा के, कुछ नहीं तो साईड से चूचियों का उभार दिखा के। अरे यार, जवानी आई है तो जोबन का उभार आया है, कुछ दिखा दोगी तो तुम्हारा तो कुछ घटेगा नहीं, उन बेचारों का दिन बन जायेगा…” टाप के ऊपर से उसके जोबन को हल्के से मसलते हुये मैंने कहा।
वह हल्के से मुश्कुरा दी।
“जानती हो डांस करते समय कैसे हीरोईनें इसको उभारती हैं…” अपनी मसल्स को उठाकर सीना कसकर उभारते हुए मैंने कहा- “देखो ऐसे अब तुम करो…”
ननद का जोबन – Incest Hindi Sex Kahani
उसने थोड़ा अपने किशोर उभारों को पुश किया। हम दोनों हँसने लगे।
“थोड़ा और हां… बस देखना, मैं तुम्हें ऐसे सिखा दूंगी ना कि तुम धक-धक में माधुरी दीक्षित को भी मात कर दोगी…” तब तक हम लोग घर पहुँच गये थे। गली के बाहर मैंने गाड़ी पार्क की और हम लोग बाहर निकले तो वो लड़के फिर खड़े थे और वो लंबा सा लड़का, जिसने फिकरा कसा था, ध्यान से देख रहा था।
मैंने गुड्डी से कहा- “दिखा दो आज इस बेचारे को भी उभार और तुम्हारा भी टेस्ट हो जायेगा…”
उसकी ओर देखकर गुड्डी ने अपने उभारों को पुश किया और ऐसी कटीली मुश्कान दी कि उस बेचारे को 440 वोल्ट का झटका लगा। हँसते हुए हम दोनों घर में पहुँचें। वहां शादी की रश्में शुरू होने वाली थी। हँसी मजाक गाली गाना, थोड़ी देर बाद हम दोनों ऊपर उसके कमरे में पहुँच गये, कमरे को खाली करके तैयार करने के लिये। शाम से और मेहमान आने वाले थे।
मैं उसकी किताबें हटा रही थी की एक के अंदर से एक चिट्ठी गिरी। मैंने पढ़ा तो किसी लड़के ने उसे लव लेटर लिखा था- “मेरा प्रेम पत्र पढ़ के नाराज ना होना, कि तुम मेरी जिंदगी हो, कि तुम मेरी…”
ननद का जोबन – Incest Hindi Sex Kahani
“हे भाभी प्लीज़, दे दीजिये ना चिट्ठी…” गुड्डी ने मेरे हाथ से छीनने की कोशिश की।
पर वह कहां सफल होती। उसे सुनाते हुए मैंने पूरी चिट्ठी पढ़ी और अपने ब्लाउज के अंदर छिपा लिया। और उसके शर्माते गालों पे कसकर चिकोटी काटते हुए मैंने कहा- “अरे, ये तो अच्छी बात है कि भौंरे लगने लगे। मैं तो सोच रही थी की मेरे ससुराल के सारे हिजडे या गांडू ही होते हैं जो मेरी ये प्यारी ननद अब तक अछूती बची है। कौन है बताओ ना?”
उसने बताया की ये वही लड़का है जो गली के बाहर था, और उसे देखकर बोल रहा था, 4-5 महीने से पीछे पड़ा है। पर उसने उसको कोई लिफ्ट नहीं दी है ना ही उसकी चिट्ठी का कोई जवाब दिया है, ऐसे ही है। तभी मेरी निगाह अल्मारी में लगे अखबार के नीचे पड़ी। वहां कुछ उभरा सा दिख रहा था।
मैंने उसे उठाया तो 5-6 और लेटर थे, मैंने सब कब्जे में कर लिये।
गुड्डी- “हे हे भाभी। मेरे हैं प्लीज दे दीजिये ना…” वह गिड़गिड़ाई।
ना, लेटर पढ़ते हुए मैं बोली- “चांदनी चांद से होती है सितारों से नहीं… मुहब्बत एक से होती है हजारों से नहीं… अच्छा तो जनाब शायर भी हैं, दे दो ना बिचारा इतना तड़प रहा है…”
ननद का जोबन – Incest Hindi Sex Kahani
गुड्डी- “भाभी प्लीज, दे दीजिये ना किसी को पता चल गया ना तो मैं बदनाम हो जाऊँगी…”
“पता तो चलेगा ही… मैं तुम्हारे भैया को और सबको बताती हूं, ये चक्कर…” मैं बनावटी गुस्से में बोली।
गुड्डी- “नहीं भाभी मेरा कोई चक्कर नहीं है, उसे मैंने आज तक एक लेटर भी नहीं लिखा। मैं म्यूजिक सीखने जहां जाती हूं, रास्ते में खेत पड़ता है। वहीं उसने अपनी कसम दिलाकर लेटर दिया था। मैंने उसे अपनी ओर से कोई लिफ्ट नहीं दी…” बेचारी रुंवासी हो गयी।
“अगर तुम चाहती हो की मैं किसी को ये बात न बताऊँ तो मेरी दो शर्तें हैं…” मैं उसी टोन में बाली।
गुड्डी- “क्या? मुझे मंजूर है। बस भाभी किसी को पता ना चले…”
“पहली शर्त ये है की तुम उस बेचारे के लेटर का जवाब भी दोगी और लिफ्ट भी और वह जो मांगेगा सब कुछ दोगी…” अब मेरे लिये मुश्कुराहट रोकना मुश्किल हो गया।
गुड्डी- “ठीक है और दूसरी?” बेचारी बोली।
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उसके स्कर्ट के अंदर हाथ डालकर उसकी जांघों के बीच चड्ढी पर कसकर दबोच कर रोबदार आवाज में मैंने कहा- “बहत्तर घंटे के अंदर इस चिड़िया को चारा घोंटना होगा वरना…”
गुड्डी- “जो हुकुम, पर किसके साथ?” अब मेरा मूड समझकर बेचारी के चेहरे पे मुश्कान आई।
“उं उं… कल तो तुम्हारे जीजा आ रहे हैं ना जीत और वैसे भी साली पे पहला हक तो जीजा का ही होता है…” उसकी चड्ढी के ऊपर से हल्के-हल्के मसलते हुये मैंने उसे खूब डिटेल में सुनाया कि मैं अपने कजिन की शादी में जब गयी थी, तो कैसे मेरे जीजा ने मेरे साथ आगे से, पीछे से और फिर जब दूसरे जीजा आ गये तो उन दोनों ने एक साथ आगे से, पीछे से, चूची के बीच, चेहरे पे (पूरी कहानी इट हैपेनड में पढें)। वह उत्तेजित्त हो गयी थी।
गुड्डी- “पर भाभी आप तो जानती हैं कि मैंने उन्हें होली में… तब से वह थोड़े…”
“अरे ये मुझ पे और इन पे छोड़ दो…” उसके उभारों को मैंने प्यार से सहलाते हुये कहा। तुम इनका जादू नहीं जानती। बस एक बार खुद अपने इन टीन गुलाबी गालों पे जीजा को किस्सी दे देना और उनका हाथ यहां पकड़ा देना फिर किस मर्द की हिम्मत है की मेरी इस प्यारी ननद को मना कर दे…”
ननद का जोबन – Incest Hindi Sex Kahani
उसने लेटर के लिये हाथ बढ़ाया, पर मैंने सारे लेटर अपने पर्स में रख लिये और कहा- “उंहूं… यहां ये ज्यादा सेफ हैं और जब तुम दोनों शर्तें पूरी करोगी तभी वापस मिलेंगें ये…”
गुड्डी- “भाभी, मेरी तो जान ही निकल गयी थी…” हँसकर वो बोली।
“अरे बुद्धू मैं तुम्हारी भाभी होने के साथ तुम्हारी सहेली भी हूं…” कहकर मैंने उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया, और अपनी चूचियों से उसके छोटे-छोटे जोबन दबा दिये। तब तक नीचे से राजीव की आवाज आई और मैं शाम को जल्दी आने का वादा करके घर वापस चल दी।
शाम को राजीव के साथ मेरी जेठानी और गुलाबो भी आई। गुलाबो घर में काम करने वाले रामू की बीबी थी। मजाक करने और गाली गाने में उसका कोई सानी नहीं था। और वह बहू होने के नाते भाभी का ही दर्जा पाती थी इसलिये हम लोगों का साथ देती थी। जल्दी-जल्दी काम खतम करके हम लोग गाने के लिये बैठे। मैं एक बन्नी गा रही थी।
तभी मैंने देखा की गुड्डी के साथ एक बड़ी ही खूबसूरत, गोरी चिट्ठी, शुरू के पेड़ की तरह लम्बी, जोबन उसके तो इत्ते उभरे थे कि उसका कुर्ता फाड़ रहे थे, और चूतड़ भी बस (ट्विंकल खन्ना समझ लीजिये), स्लेटी शलवार-कुर्ते में गजब की लग रही थी।
उसने परिचय कराया- “भाभी, ये मेरी सबसे पक्की सहेली है अल्पना कौर हम उसे अल्पी कहते हैं…”
ननद का जोबन – Incest Hindi Sex Kahani
मैंने उसे गले से लगा लिया। तब तक कनखियों से मैंने देखा की राजीव उसे ललचाई नजरों से देख रहे हैं। मैंने अपने बड़े-बड़े जोबन से उसके उभारों को खूब कसकर दबाते हुये, उसकी पीठ की ओर, अपनी दो उँगली से गोला बनाकर एक उँगली से अंदर-बाहर करके राजीव से इशारे में पूछा- “चोदना है, क्या?”
और उन्होंने कसकर स्वीकारोक्ति में सर हिलाया।
वह दोनों मेरे पास बैठ गयीं और बन्नी गाने में मेरा साथ देने लगीं। इत्ती सेक्सी दो-दो ननदें मेरे पास में बैठी हों और मैं… मैंने दोनों से कहा- “ये गाना तुम लोगों के लिये है…” और चालू हो गयी।
बार-बार ननदी दरवाजे दौड़ी जाये,
अरे बार-बार, गुड्डी और अल्पी दरवाजे दौड़ी जायें, कहना ना माने रे,
हलवैया का लड़का तो ननदी जी का यार रे, अरे वो तो अल्पी का यार रे,
लड़डू पे लड़डू खिलाये चला जाये, कहना ना माने रे,
अरे वो तो चमचम पे चमचम चुसाये चला जाये, कहना ना माने रे
अरे, दर्जी का लड़का, तो ननदी जी का यार रे, अरे वो तो गुड्डी जी का यार रे,
चोली पे चोली सिलवाये चली जाये, कहना ना माने रे,
ननद का जोबन – Incest Hindi Sex Kahani
अरे बाडी पे बाडी नपवाये चली जायये, कहना ना माने रे,
अरी मेरी सासू जी का लड़का सब ननदों का यार रे,
अरी मेरी अम्मा जी का लड़का सब ननदों का यार रे,
सेजों पे मौज उड़ाये चला जाये, कहना ना माने रे,
अरे गुड्डी और अल्पी टांग उठाये चली जायें, कहना ना माने रे
मैंने फिर ढोलक दूसरे की ओर बढ़ा दी।
“अरे, एक ही गाने का स्टाक था, क्या भाभी…” गुड्डी बोली।
बाहर मैंने देखा तो राजीव मुश्कुरा रहे थे। उनकी ओर देखते हुये मैंने कहा- “सुनाती हूँ, अपने सैयां की बहनों का हाल…” और मैंने फिर ढोलक थाम ली। मेरी जेठानी और गुलाबो भी मेरा साथ दे रहीं थीं। मैंने दूसरा गाना शुरू कर दिया-
ऊँचे चबुतरा पे बैठे हमारे सैयां करें अपनी बहनन का मोल,
अरे ऊँचे चबुतरा पे बैठे राजीव लाला, करें अपनी बहनन का मोल,
ननद का जोबन – Incest Hindi Sex Kahani
मेरी जेठानी ने जोड़ा-
अरे तूती बोलत है, करें अपनी बहनन का मोल, करें अपनी गुड्डी और अल्पी का मोल, अरे तूती बोलत है,
अरे गुड्डी का मांगें पांच रुप्पैया, अरे गुड्डी का मांगें पांच रुप्पैया, अरे अल्पी हमार अनमोल,
अरे तूती बोलत है,
अरे अल्पी के जोबना का मांगें पांच रुप्पैया, अरे बिलिया बड़ी अनमोल,
साफ-साफ बोलो ना, गुलाबो ने जोड़ा-
अरे बुरिया बड़ी अनमोल, तूती बोलत है,
अरे बहिनी बहिनी मत कर भड़ुये, बहिनी तो पेट रखाय
अरे बहिनी बहिनी मत कर गंड़ुये, बहिनी तो पेट रखाय, तूती बोलत है।
दुलारी, जो वहां नाईन थी पर रिश्ते में ननद ही लगती थी, अब गुड्डी और अल्पना के साथ आ गयी और बोली- “हे… तुम लोग क्या मुँह बंद करके बैठी हो, दो ना तगड़ा सा जवाब वरना हम ही देते हैं…”
ननद का जोबन – Incest Hindi Sex Kahani
“अरे मुझे मालूम है ये अपने मुँह में अपने भैया का तगड़ा सा घोंट के बैठी है। अगर हिम्मत है तो सुनाओ, तुमको भी कसकर जवाब मिलेगा…” मैं हँसकर उसको उकसाते हुये बोली।
दुलारी चालू हो गयी-
बिन बादर के बिजली कहां चमकी, बिन बादर,
अरे रीनू भाभी के गाल चमके, अरे नीलू भाभी के गाल चमके,
उनकी चोली के भीतर अनार झलके, अरे गुलाबो के दोनों जोबन झलके,
अरे बिन बादर के बिजली कहां चमकी, बिन बादर,
अरे हमरी भाभी के जांघन के बीच दरार झलके, बिन बादर।
तब तक हमारी सास लोग भी वहां आ गयीं। किसी ने कहा- “अरे जरा अपनी सास लोगों को भी तो सुनाओ…”
और मैं फिर शुरू हो गयी-
मोती झलके लाली बेसरिया में, मोती झलके,
हमरे सैंया की अम्मा ने, बुआ ने, हमारी सास ने, एक किया दो किया, साढ़े तीन किया,
हिंदू मूसलमान किया, कोइरी चमार किया, सारा पाकिस्तान किया,
अरे 900 गुंडे मथुरा के, अरे 900 पंडे बनारस के, मोती झलके
ननद का जोबन – Incest Hindi Sex Kahani
मोती झलके लाली बेसरिया में, मोती झलके,
अरे हमरी ननद रानी ने, गुड्डी साली ने, अल्पी छिनार ने,
एक किया, दो किया, साढ़े तीन किया,
हिंदू मूसलमान किया, कोइरी चमार किया, सारा पाकिस्तान किया,
900 भंड़ुए कालीन गंज के, अरे 900 गदहे अलवल के, (मेरी ननद का मुहल्ला, वहां गधे रहते थे।)
मोती झलके लाली बेसरिया में, मोती झलके।
अब गुलाबो ने मेरे हाथ से ढोलक ले ली और बोली- “अरे गाली तो असली गाली होनी चाहिये, अब मैं सुनाती हूं इन ननद छिनालों को एक…” मैं भी उसका साथ दे रही थी।
अरे खेतों में सरसों फुलाई, अरे पीली-पीली सरसों फुलाई।
अरे हमरी ननदी की, राजीव की बहना की, गुड्डी साली की हुई चुदाई।
अरे हमरी ननदी की, अल्पी छिनरौ की हुई चुदाई।
अरे हमरे सैयां से चुदवाई, हमरे भैया से चुदवाई,
अरे खेतों में सरसों फुलाई, अरे पीली-पीली, सरसों फुलाई।
ननद का जोबन – Incest Hindi Sex Kahani
“क्यों मजा आया, नान वेज गाली का?” मैंने दोनों से पूछा। मैं देख रही थी कि दोनों ननदों की हालत खराब थी।
पर तब भी हिम्मत करके वो बोली- “अरे भाभी, आपने तो नहीं सुनाया…”
“अच्छा सुनना है? चलो…” और अबकी मैं गा रही थी और गुलाबो साथ दे रही थी।
अरे क्या-क्या अमाये, क्या-क्या समाये, हमरी ननदी की बिलिया में,
अरे अल्पी छिनार, अरे गुड्डी छिनार की बिलिया में उनकी बुरिया में,
अरे क्या-क्या अमाये, क्या-क्या समाये, अरे भाभी हमरी बिलिया में, हमरी बुरिया में,
तुम्हरे सैयां समायें, तुम्हरे सैयां के सब साले समायें,
तुम्हरे मैके के सब छैला समायें, हमरी बुरिया में।
तब तक राजीव ने कहा कि चलने की लिये देरी हो रही है। दुलारी ने मेरी तारीफ की और कहा- “भाभी मजा आ गया लेकिन कल खाली असली वाली गाली होगी और नाच भी, आपको भी नचायेंगे…”
गुलाबो बोली- “अरे, आज शुरूआत मजेदार हो गयी, लेकिन कल ननद छिनारों को ऐसी गाली सुनाऊँगी और नचाऊँगी…”
ननद का जोबन – Incest Hindi Sex Kahani
मैंने और जोड़ा- “अरे दुलारी, बल्की इनको भी पेटीकोट खोलकर नचायेंगें, पूरा रात-जगा होगा…” अल्पना से मैंने कहा की कल वह रतजग्गे की तैयारी से आये।
तय यह हुआ कि राजीव मेरे साथ चलकर अल्पना को उसके घर छोड़ देंगे फिर हम लोग लौटकर गुलाबो जेठानी और सासू जी के साथ घर वापस चलेंगे।
गुड्डी भी अल्पना को छोड़ने के लिये, साथ चलने के लिये गाड़ी में आकर बैठ गयी। हम तीनों पीछे बैठे और आगे सिर्फ राजीव ड्राईव कर रहे थे। बार-बार अल्पना को राजीव ललचाई निगाहों से रियर व्यू मिरर में देख रहे थे और अल्प्ना भी उनकी मीठी निगाहों का मतलब समझकर अच्छी तरह मजा ले रही थी।
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अल्पना ने मुझसे पूछा- “भाभी, आपने तो आज जबर्दस्त गालियां सुनायीं। कल क्या होगा?”
“अरे, आज तो कुछ नहीं था, कल तो इससे भी बढ़कर खाली नान-वेज गालियां होंगी और तुम्हें नचाऊँगी भी तुम्हारी शलवार का नाड़ा खोलकर। जो ननदों के भाई रोज हम लोगों के साथ करते हैं ना, कल वह खुल्लम खुल्ला भाभियां तुम छिनाल ननदों के साथ करेंगी। कंडोम में कैंडल डालकर पूरी रात भर रात-जगा होगा, वैसलीन लगाकर आना…” उसको चिढ़ाते हुये फुसफुसाकर मैंने कहा।
अल्पना तो सिहर गयी। उसने मुझसे पूछा- “कोई रास्ता है, इससे बचने का?”
मुश्कारकर मैं बोली- “हां क्यों नहीं? तुम डिफेक्ट कर जाओ। मतलब भाभियों की ओर आ जाओ…”
अल्पना-“मतलब?”
“मतलब की तुम मेरी छोटी बहन बन जाओ…”
अल्पना- “एकदम दीदी…” मुश्कुराकर उसने मुझे पकड़ लिया और गुड्डी की ओर इशारा करती बोली- “और फिर हम लोग मिलकर इस ननद को गालियां सुनायेंगें…”
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“हां…” लेकिन राजीव की ओर देखकर मैं बोली- “तुम्हारे जीजू बन जायेंगें…”
अल्पना- “तो ठीक तो है ना…” चहक कर वो बोली।
“अरे साली के ताले में जीजा की ताली लगती है…” मैंने चिढ़ाया।
अल्पना- “अरे तो लगवा लूंगी दीदी, ये साली डरने वाली नहीं…” अल्पना हँसकर बोली।
गुड्डी ने हँसकर उसे छेड़ा- “अरे भाभी, असली बात यही है कि इसे ताली चाहिये थी। गाली से डरने की बात तो वैसे ही थी…”
“अरे तो तू क्यों जलती है? ये जीजा और साली के बीच की बात है…” अल्पना ने हँसकर कहा।
“अरे, इसे भी खुजली मचती होगी। ठीक है तुमसे और मुझसे बचेगा तो इसको भी चखा देंगें…” मैंने कहा।
तब तक अल्पना का घर आ गया था। राजीव ने कहा कि वह गाड़ी में ही रुकेंगें और हम लोग अल्पना को उसके घर छोड़कर आ जायें।
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अल्पना ने अपनी मां से मुझसे परिचय कराया और ये भी बताया कि मैंने उसे छोटी बहन बना लिया है।
मैं उनका पैर छूने के लिये झुकी तो उन्होंने मुझे रोक लिया और कहा- “अरे आज से तो तू मेरी बड़ी बेटी है…” और गले से लगा लिया।
तब तक अल्पना की छोटी बहन भी बाहर निकल आई। वह भी ये जानकर बड़ी खुश हुई। वह अभी छोटी थी, 12-13 साल की, 8वीं में पढ़ती थी लेकिन छोटी-छोटी चूचियों का उभार थोड़ा-थोड़ा दिखने लगा था। वह भी अपने जीजू से मिलने को बेताब थी। मैंने उसे समझाया कि कल तुम्हारी अल्पना दीदी को लेने आयेंगें तब मिल लेना।
घर पहुँचने तक मैंने राजीव को कुछ नहीं बताया। बेडरुम में पहुँचते ही मैंने राजीव के खड़े तम्बू की ओर इशारा करके उसे चिढ़ाना शुरू कर दिया। साड़ी उतारते हुये मैंने पूछा- “क्यों पसंद आ गयी वो पंजाबी कुड़ी?”
राजीव- “अरे सच्ची यार, क्या मस्त माल है? कैसे खड़े-खड़े मम्मे हैं और चूतड़ भी कित्ते मस्त…”
अब तक मैं साया ब्लाउज उतारकर ब्रा पैंटी में आ गयी थी और मैंने राजीव के भी सारे कपड़े उतार दिये थे।
“और गाल कैसे मस्त गुलाबी हैं कचकचा कर काटने के लायक…” राजीव मेरी ब्रा उतारते हुये बोल रहे थे।
ननद का जोबन – Incest Hindi Sex Kahani
मैं उनकी गोद में बैठी थी और मेरी पैंटी और उनकी चड्ढी पहले ही उतर चुकी थी। उनका तन्नाया हथियार मेरे चूतड़ों के बीच ठोकर मार रहा था।
मैंने और आग में घी डाला- “एकदम कच्ची कली है 16 साल की अनचुदी अभी तक उँगली भी अंदर नहीं गयी है…” मारे जोश के उनका लण्ड फौलाद का हो रहा था और मेरे निचले गुलाबी होंठों पर कसकर रगड़ रहा था। मैं अपनी गोरी जांघें पूरी तरह फैलाकर उनकी गोद में बैठी थी।
जोश में आकर उन्होंने मेरे कड़े-कड़े मम्मे कसकर मसल दिये।
“क्यों अल्पी की याद आ रही है क्या? दिलवाऊँ, लोगे उसकी…” मैंने उनके होंठों को चूमते हुए कसकर काट लिया और, पूछा।
राजीव- “नेकी और पूछ-पूछ… कैसे बताओ ना?” और उनका पहाड़ी आलू जैसा फूला मोटा सुपाड़ा मेरी बुर में घुसने के लिये बेताब था।
“आज से वो तुम्हारी साली है। तुम कहते थे ना कि तुम्हारी कोई छोटी साली नहीं है तो अब लो उसके साथ जीजा-साली का पूरा मजा…”
ननद का जोबन – Incest Hindi Sex Kahani
जवाब में, मेरी पतली कमर पकड़कर उन्होंने ऐसा करारा धक्का मारा कि एक बार में ही उनका मोटा लाल सुपाड़ा मेरी बुर में रगड़ते हुए अंदर घुस गया।
मेरी तो सिसकी निकल गयी।
राजीव- “सच्ची…” उन्होंने जोश में मेरे खड़े निपल भी काट लिये।
“हां एकदम, लेकिन उसकी एक शर्त है। साली बनने की…”
राजीव- “अरे क्या बोल ना उस साली को कि उसकी हर शर्त उसके जीजा को मंजूर है…” और अबकी उन्होंने जो कसकर धक्का लगाय तो आधा मूसल मेरी बुर में था।
मैं भी अपनी बुर को कसकर सिकोड़ के पूरा मजा ले रही थी, कहा- “पैकेज डील है। तुम्हें उसकी सहेली की भी लेनी पड़ेगी, पक्की सहेली है उसकी दोनों हर काम साथ-साथ करती हैं…”
राजीव- “अरे ले लूंगा उसकी सहेली की भी। अरे उसकी सहेली है तो वो भी तो मेरी साली ही हुई, चोद दूंगा उसको भी…” और अबकी लगातार दो धक्कों में उनका पूरा लण्ड मेरी बुर के अंदर था।
ननद का जोबन – Incest Hindi Sex Kahani
मैंने भी कसकर अपनी चूत भींची और अपनी चूची उनके सीने पे रगड़ते हुये पूछा- “तो चोदोगे ना उसकी सहेली को? है मंजूर? ऐन वक्त पे पीछे मत हट जाना…”
राजीव- “अरे यहां पीछे हटने वाला कोई नहीं, चोद-चोद के उसकी भी चूत का भोसड़ा ना बना दूं तो कहना। तुम्हारी कसम…” और उन्होंने कस-कसकर दो धक्के मारे।
“पक्का, लाक किया जाय…” मैंने भी धक्कों का जवाब धक्कों से देते हुये पूछा।
“एकदम लाक किया जाय, चोद-चोदकर चिथड़े बना दूंगा उसकी सहेली की चूत के। वैसे है कौन वो?” कसकर मुझे चिपटाते हुए उन्होंने पूछा।
“और कौन? उसकी सहेली है, तुम्हारी बहन गुड्डी। अब तो तुम्हें उसकी चूत को चोदकर भोसड़ा बनाना है अभी तुमने प्रोमिस किया है…” मैंने चिढ़ाते हुए पूरी ताकत से अपनी चूत को उनके लण्ड पे भींच लिया।
राजीव- “अच्छा साली, तेरी बहन की फुद्दी मारूं मुझे बहनचोद बनाने का पूरा प्लान है…” पूरी ताकत से कस-कसकर चोदते हुये वो बोले।
मैंने अपने हाथ उनके नितम्ब के नीचे करके, कसकर उनकी गाण्ड को भींच लिया और एक उँगली गाण्ड के छेद पे, छेड़ती मैं बोली- “अरे, मेरी बहन तो तैयार ही है फुद्दी मरवाने के लिये, अब तो तुम्हें अपनी बहन की चूत का भोसड़ा बनाना है वर्ना मैं तुम्हारी गाण्ड मार लूंगी…”
ननद का जोबन – Incest Hindi Sex Kahani
मेरी बुर मे लंड डाले डाले वो मुझे उठा कर पलंग पे ले गये और वहाँ लेटा
कर बोला,
” अरे पहले अपनी बुर का भोसडा बनवा लो, और गान्ड मरवा लो फिर मेरी बहन के चक्कर मे पड़ना.”
और मेरी टाँग मोड़ कर मुझे दुहरा कर , सुपाडे तक लंड निकाल कर उन्होने वो करारा धक्का मारा, मेरी बच्चेदानी पर वो जबरदस्त चोट पड़ी कि मैं सिहर उठी.
अब उन्होने वो धक्का पेल चुदाई शुरू की, कि मेरी ऐसी की तैसी हो गयी. कभी कसकस के वो मेरी दोनों चुचियों को एक साथ रगड़ते, कभी चूंची पकड़ के सुपाडे तक अपना मूसल जैसा लंड बाहर निकाल कर एक धक्के मे पूरा अंदरघुसेड देते. जब उन्होने मेरे एक निपल को मूह मे ले कस के चूसना शुरू किया, दूसरे कड़े उत्तेजित निपल को पूरी ताक़त से अपनी उंगलियों के बीच ले मसलना शुरू किया और दूसरे अंगूठे से मेरी क्लिट वो रगड़ने लगे तो मैं मारे मस्ती के कस कस के चूतड़ पटकने लगी.
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मैने कस कस के उनको अपनी बाहों मे भींच लिया और अपने लंबे नाख़ून उनके चौड़े कंधों पर दबाने लगी. जोश मे मैं भी अपनी बुर उनके मोटे लंड पर भीच रही थी और उनके हर धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी. अब वो भी कभी मेरी बड़ी बड़ी रसीली चूंचिया मूह मे लेकर कस के काट लेते, कभी गुलाबी गालों पर दाँतों को गढ़ाकर निशान बना देते ” उईई..क्या करते हो ये निशान शादी तक नही छूटेंगे मेरी सारी ननदे
मुझे चिढ़ाएँगी.” ” अरे यही तो मैं चाहता हू जानम, सब को मालूम हो कि सैया के साथ रजैईया मे क्या हुआ और फिर जब चुदवाने मे शरम नही तो निशान दिखाने मे कैसी शरम” और यह कह के उन्होने एक बार फिर कस के मेरी चूंची के उपरी हिस्सेपे और कस के काट लिया, जो मेरी लो कट चोली मे एकदम साफ दिखता.
फिर तो आसन बदल बदल के, कभी मुझे अपने उपर लेके, कभी गोद मे बैठा के, कभी
मेरी जांघे पूरी तरह फैला के, क्लिट को मसलते रगड़ते, उन्होने इस तरह चोदा जब हम झाडे तो थक कर चूर हो गये थे और मेरी चूत मे लंड डाले डाले ही वो सो गये.
ननद का जोबन – Incest Hindi Sex Kahani
सुबह जब भोर की पहली किरण ने मेरे गुलाबी गाल पे चिकोटी काट के मुझे जगाया,तो मैने देखा कि मेरे सैया का शिश्न एक बार फिर मेरी रात भर की चुदि गुलाबी बुर मे, कस के खड़ा हो गया है. मैने उनके होंठों पे हल्के से चुम्मि ली और धीरे से अपनी चूत को उनके तन्नाए लंड पे भींचा. बस, सोए सोए ही उन्होने अपनी कमर हिलानी चालू कर दी और बगल मे लेटे लेटे ही चुदाई शुरू कर दी.
मैने भी टाँग उठा कर उनकी कमर पे रख दी. और धक्को का जवाब धक्कों से देना चालू कर दिया. वह मेरी चूंची पकड़ कस के धक्के लगा रहे थे और मैं उनकी कमर पकड़ कस कस के जवाब दे रही थी. ” हे जल्दी करो सबेरा हो गया है, और अभी तुम्हारी नयी छोटी साली से मिलना है अरे, कुछ अपनी साली के लिए तो बचा के रखो” साली का नाम सुनते ही उन्हे दुहरा जोश आ गया
और मेरी कमर पकड़ के कस कस के मेरा योनि मंथन करने लगे. कभी पूरा लंड अंदर किए किए, गोल गोल घुमाते, कभी सुपाडे तक बाहर निकाल के पूरा एक धक्के मे अंदर पेल देते. ” साली का नाम सुन के बहुत जोश आ गया साली की सहेली मेरी ननद साली की याद” मेरी बात काट के उन्होने मुझे नीचे लिटा दिया और मेरी दोनो लंबी टाँगे अपने मजबूत मस्क्युलर कंधों पर रख ली. सुबह की सुनहरी धूप उनके चेहरे
और काले बालो मे खेल रही थी और चौड़े सीने पे फैली थी.
ननद का जोबन – Incest Hindi Sex Kahani
उन्होने मेरी कोमल कलाईयों को कस के पकड़ के इत्ति ज़ोर का धक्का मारा कि, पहले ही धक्के मे मेरी चार चूड़िया टूट गयी. सीधे उनका सुपाडा जाकर मेरी बच्चेदानी से टकराया. उनके हर धक्के के साथ मेरा जोश भी बढ़ रहा था. कुछ देर बाद उन्होने मेरी पतली कमर पकड़, सतसट, सतसट पूरी तेज़ी के साथ.जैसे कोई पिस्टन फुल स्पीड के साथ अंदर बाहर जा रहा हो मेरी चूंचिया उनके चौड़े सीने से दबी, मसली जा रही थी और मेरे नाख़ून भी उनके कंधे मे पैबस्त थे.
मेरी दोनो टाँगे उनकी कमर मे लिपटी थी और मेरे चूतड़ भी पूरी तरह उछल उछल उनके धक्के का जवाब दे रहे थे. हम दोनो कगार पे थे. मेरी एक हाथ की उंगली उनके नितंबो के बीच छेड़ छाड़ कर रही थी. मेरी चूत कस कस के उनका लंड भीच रही थी. तभी मेरी आँखे मूंदनी शुरू हो गयी और मेरा आरगेज्म चालू हो गया.
अपने आप मेरी उंगली उनकी गुदा मे घुस के लगता है उनकी किसी जगह को छू लिया और.वो भी झड़ना शुरू हो गये. एक के बाद एक लहर आ रही थी थोड़ी देर बाद जाकर वो रुके. तभी मैने ध्यान दिया कि बाहर खट खट हो रही थी.
मैने झट से साड़ी किसी तरह लपेटी, मेरी गोरी जाँघो पर उनका वीर्य बहा हुआ था, पर उस ओर ध्यान ना देकर मैने उन्हे रज़ाई मे ढका और जाकर दरवाजा खोला. दरवाजे पे मेरी जिठानी बेड टी लेकर खड़ी थी. मुझे उस हाल मे देख के चिढ़ाते हुए वो बोली, ” लगता है सुबह सुबह गुड मॉर्निंग हो गया.” उनके हाथ से टी लेते मैं बोली ” दीदी आपके देवर है ही ऐसे कही भी कभी भी” अरे बेचारे मेरे देवर को क्यो बदनाम करती हो ये तुम्हारे मस्त है ही ऐसे” साड़ी के उपर से मेरे कड़े निपल को दबाती वो बोली.
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” और फिर तुम्हे मैं चुन के शादी करा के लाई ही इसी लिए थी, इसलिए अब शिकायत क्या करना,.हाँ राजीव को बोल देना ज़रा जल्दी तैयार हो के तुम्हारे साथ निकल लेगा, जनवासे का भी इंतेजाम उसे ही पूरा देखना है.” यह कह के वो निकल गयी. अल्पना को भी लेने जाना था, इसलिए वो तो झट से नहा धो के तैयार हो गये और आज जबरदस्त आफ्टर शेव और लेडी किल्लर परफ्यूम भी लगाया था.
अल्पना घर मे अपने स्कूल ड्रेस मे, नेवी ब्लू स्कर्ट और टॉप मे बहुत सेक्सी लग रही थी. राजीव ने जैसे ही अल्पना की मा के पैर छूने की कोशिश की उन्होने रोक दिया और बोली, अरे दामाद से कैसे पैर, और उन्हे उठा दिया. मेरी ओर देख के बोली, ” लगता है बेटी दामाद से बहुत मेहनत कराती है.” उनकी निगाह मेरे लो कट ब्लाउस से सॉफ दिखते रात के निशानों पर थी और मैं उनका मतलब समझ के
शरमा गयी. पर वो बोली, लेकिन दामाद का काम ही है मेहनत करना.
तबतक अल्पना एक बड़े ग्लास मे गरम दूध ले आई और बोली, ” अरे, इसी लिए तो मैं गरमागर्म दूध ले आई कि बेटियों के साथ जो भी मेहनत
करना हो करे”
” अरे नही मैं दूध नही पीता और मैं नाश्ता कर के आया हू” राजीव ने मना किया.
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” अरे ससुराल मे तो थोड़ा नखड़ा दिखाएँगे ही ले लो साली दे रही है, पी लो.” मैं बोली और फुसफुसा कर उनसे कहा, साली दे रही है, मना मत करो.”
” अरे साली का दूध, किस की हिम्मत है मना करने की. ” अल्पी के गदराए मम्मे की ऑर बेशर्मी से देखते वो बोले.
शरमा कर अल्पी मूड गयी और कहने लगी कि मैं अभी कपड़े चेंज कर के आती हू. वो बोले अरे नही तुम इसी मे अच्छी लग रही हो.
” और क्या, और दोपहर मे तो तुम लौट ही आओगी हाँ फिर तैयार होके रात मे रुकने की तैयारी के साथ आना.” मैने भी राजीव की बात का साथ दिया. अल्पी की मा की ओर मैने देखा तो वो हल्के हल्के मुस्करा रही थी. मैने उनसे इजाज़त माँगी,
” मम्मी, आज शादी का काम बहुत है, सारी रस्में होनी है और रात मे देर तक गाना वाना अगर आप पर्मिट करे तो मैं उसको रात मे रोक लूँ”
” अरे बेटी तुम्हारी छोटी बहन है और फिर शादियों मे तो जान पहचान बढ़ती है लड़कियाँ सब कुछ सीखती है और आगे से दुबारा मुझ से मत
पूछना, मैं बुरा मान जाउन्गि.”
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” ग़लती हो गयी मम्मी और हाँ कम्मो कहाँ है?” मुस्करा कर अल्पी की छोटी बहन के बारे मे मैने पूछा, ” वो स्कूल गयी है दुपहर मे आएगी, वो भी बेताब थी अपने जीजू से मिलने के लिए.
तब तक अल्पना और राजीव बाहर निकल आए थे. कार का पिछला दरवाजा खोल कर मैने कहा तुम दोनो आज पीछे बैठो, मैं आज ड्राइव करती हू. और मैं ड्राइव करने लगी. पीछे देख कर मैने कहा, “अब जीजा साली, अच्छी तरह मुलाकात कर ले.” राजीव ने उसे अपनी ओर खींच लिया. मिरर मे देख कर, मुस्कराते हुए. मैं बोली, ” अल्पी, अपनी दीदी का नाम मत डुबोना,”.
हँसते हुए उसने अपने गुलाबी होंठ बढ़ा दिए और बोली, ” नही, एकदम नही” और अपने जीजा की गोद मे बैठ गयी. मैने सारी खिड़कियो के
ब्लॅक टींटेड शीशे, पहले ही चढ़ा दिए थे. 5 मिनिट का रास्ता मैने खूब चक्कर लगा कर आधे घंटे मे पूरा किया. और मैं रह रह कर शीशे मे देख रही थी पहले थोड़ी देर बाहर से, फिर उसकी स्कूल ड्रेस के टाइट ब्लाउज के अंदर हाथ डाल राजीव ने अच्छी तरह उसके किशोर उभारों की, नाप तौल की.
अल्पी भी बढ़ चढ़ कर अपने जीजू का साथ दे रही थी. राजीव का एक हाथ उसके मम्मे दबाता और दूसरा, स्कर्ट के अंदर जाकर उसकी गोरी गोरी जांघों को सहलाते हुए पैंटी के अंदर छेड़खानी कर रहा था. जीन्स के अंदर तना उनका बुर्ज सॉफ सॉफ दिख रहा था. पहले हम जनवासे पहुँचे और वहाँ का काम देख कर घर. वहाँ गुड्डी इंतेजार कर रही थी कि उसे शॉपिंग ले किए जाना था.
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मैं उतर कर घर मे चली गयी और राजीव दोनों को लेकर शॉपिंग के लिए. मैने अल्पी से कहा, ” शॉपिंग के ले लिए जा रहे है तो अपने जीजू की जेब अच्छी तरह से खाली करवाना उन्हे बहोत दिनों से इंतजार था छोटी साली का,” ” एकदम दीदी” हँसते हुए अल्पना बोली.
घर मे शादी का पूरा महॉल था, हँसी मज़ाक, गाने शादी के काम सब एक साथ चल रहे थे. मैं भी उस कमरे मे जा कर बैठ गयी जहाँ मेरी जेठानी, गुलाबो और बाकी औरते बैठी थी. तभी दुलारी की बुलुंद आवाज़ मे गाली गाने की आवाज़ सुनाई पड़ी, ” अरे आया बहन चोद आया, अरे नंदोई बंदुआ आया, अपनी बहन, अरे अपनी हेमा चुदाता आया ” मेरी जेठानी ने कहा लगता है जीत और लाली (गुड्डी की सबसे बड़ी बहन और उसके जीजा) आ गये.
और तब तक वो दोनो लोग कमरे मे आ गये. बड़ी ननद लाली के पैर छू कर जैसे ही मैं नंदोई जी के पैर छूने बढ़ी तो उन्होने मुझे पकड़ के गले लगा लिया, और बोले, ” अरे सलहज से तो गले मिलना चाहिए” गले लगाकर उनका एक हाथ मेरे सेक्सी बड़े बड़े नितंबों को सहला रहा था. मैं उनका मतलब अच्छी तरह समझ रही थी.
शरारत से मैने अपना आँचल थोड़ा गिरा दिया और अब मेरे गहरे लो कट ब्लाउज से उन्हे मेरी गोलाइया अच्छी तरह दिख रही थी. यही नही मैने अपने भारी उभार कस के उनके चौड़े सीने पे दबा दिए. वह क्यो चूकते, साइड से उन्होने मेरे जोबन हल्के से मसल दिए. मैने भी अपनी जाँघो के बीच उनके तन्नाटे खुन्टे को हल्के से दबा दिया. मेरी ननद लाली मुझे ध्यान से देख रही थी. मुझे छेड़ते हुए, मुस्करा के वो बोली.,
” लगे रहो.. लगे रहो”
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” नंदोई जी आप को नही लगता है कहीं कुछ सुलग रहा है.” उनको और कस के भींचते मे, मुस्करा के ननद को देखती बोली.
” अरे सॉफ सॉफ क्यों नही कहती कि ननद रानी की झान्टे सुलग रही है” गुलाबो क्यों चुप रहती?.
” मेरी ओर से खुली छूट है, आख़िर मेरी प्यारी छोटी भाभी है” हंस कर लाली बोली.
” तो ठीक है ननद जी, जब तक आप लोग है मैं आप के सैया के साथ खुल कर मज़ा लेती हू और आप मेरे सैया यानी अपने भैया के साथ मज़ा ले, दोनों का स्वाद बदल जाएगा, क्यों नंदोई जी ठीक है ना..?” छेड़ते हुए मैं बोली. अब तक मेरा आँचल पूरी तरह धलक चुका था और ननदोयि जी अपन पूरे तन्नाए खूँटे को जाँघो के बीच लगाए हुए थे.
” अरे नही मेरे सैया का भी तुम मज़ा लो और मेरे भैया का भी” घबराकर
ननद जी बोली
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” नही ननद जी आप जैसी ताक़त सब मे थोड़े ही होती है और फिर तो मेरे सैया बेचारे का उपवास हो जाएगा. कर लीजिए ना अदला बदली” मैने उन्हे और रगड़ा.
अरे इसके सैया के लंड मे कौन सा काँटा लगा है मान जाइए” गुलाबो भी मेरी तरफ़दारी मे बोली.
” अरे लाली बीबी को अच्छी तरह मालूम है कि कैसा है बचपन मे अपने भैया के साथ बहुत नर्स डॉक्टर खेला है.” मेरी जिठानी भी हंस कर उन्हे छेड़ती बोली. मैं और ननदोयि जी अब तक एक साथ रज़ाई मे बैठ चुके थे. उनका एक हाथ अभी भी मेरे कंधे पे था और मेरे उभारों के पास तक छेड़ रहा था पर मैने उसे हटाने की कोई कोशिश नही की. दुलारी तब तक गर्म चाय लेके आई. मैने चाय लेते हुए उसे उकसाया,
” अरे नंदोई जी का स्वागत तो तुमने गाली से कर दिया पर ननद जी तो बची है उनको भी तो एकाध सुना दो.” गरम हो कर वो बोली, ” अच्छा , हमसे हमारी बहन को ही गाली सुनवा रही हो
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अरे क्या भाभियों पास कुछ बचा नही है या मूह मे कुछ भरा हुआ है कल तो बहुत चहक रही है आज हम मिल के जवाब देंगे”.
” लगता है, मुझे ही सुनाना पड़ेगा,” मैं बोली
” एक दम, सुनाओ ना ये ननद रानी क्यों सूखी रह जाए” मेरी जिठानी ने चढ़ाया, और मैं चालू हो गयी.
” ननदी रानी अरे ननदी रानी स्वागत करते बार बार.
क्यो बैठी है मूह लटकाए, यार नही मिले क्या दो चार”
एक से काम नही चलेगा, कम से कम दो चार चाहिए?, मैने उन्हे और छेड़ा.
” अरे एक दो से तो काम चूत वालियों का चलता है, इनका तो पूरा भोसडा है, एक दो का क्या पता चलेगा?.” गुलाबो ने अपनी स्टाइल मे और छेड़ा.
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” अरे इनका तो मायका है, दो चार क्या, दस बीस मिल जाएँगे. कोई आगे से कोई पीछे से” जेठानी जी भी उन्हे तंग करने मे शामिल हो गयी. उन लोगों का आपस मे कस के शुद्ध देसी भाषा मे मज़ाक चालू हो गया और मैं जीत, मेरे नंदोई से धीमे धीमे बाते करने लगी.
” क्यों नंदोई जी आप को तो गम ही होगा, परसों साली चल जाएगी साजन के हवाले.”
” सही कहती है भाभी और छोटी वाली तो लिफ्ट ही नही देती.” वो बोले
” अरे क्यो चिंतन करते है सलहज के रहते. अगर मैं उससे लिफ्ट क्या जो आप
चाहिए वो सब दिलवा दू तो पर मेरी भी दो शर्ते है”
“अरे नेकी और पूछ पूछ, अरे दो क्या दो सौ शर्तें मानने को मैं तैयार हू पर बताइए क्या करना होगा,” वो खुश होके बोले.
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” अरे वही करना होगा जो एक जीजा को अपनी साली के साथ करना चाहिए और जो आप को बहुत पहले उस साली के साथ कर देना चाहिए था. मेरी पहली शर्त है कि 48 घंटे मे उस साली गुड्डी का भरतपुर लुट जाए, मझली के पहले छोटी की सुहागरात हो जाय.”
“मंजूर, और दूसरी” रज़ाई के अंदर मेरा हाथ उनके बुर्ज पर ही था और अब तंबू पूरी तरह तन गया था. मैने एक हाथ से उसे दबाया और दूसरे हाथ से उनका हाथ थोड़ा और खीच कर ठीक से खुल कर अपने जोबन पे रख के प्रेस कर दिया और धीमी आवाज़ मे बोली, ” दूसरी यही कि जिस तरह मेरे सीने पे हाथ रखे है ना, खुल कर उस से भी बढ़ के,
अपनी साली का सबके सामने खिल के जोबन मर्दन कीजिए, ख़ास कर उनके भाई के, गोरे गालों का रस लूटिये, एक दम खुल कर अपने माल की तरह, पक्की छीनाल बना देना साली को”