कहानी चुड़क्कड़ लण्ड की- ग़ैर मर्द / औरत

Kahani Chuddakkad Land Ki – Hindi Sex Kahani  

कहानी चुड़क्कड़ लण्ड की- ग़ैर मर्द / औरत Hindi Sex Kahani

मेरा नाम मीनाक्षी माथुर है। मेरे पति शरद माथुर ठेकेदारी का काम करते थे। उनका ठेकेदारी का काम बहुत ही लंबा चौड़ा था। उनका एक मैनेजर था जिसका नाम राजेंद्र प्रताप था। वो उनका दोस्त भी था और उनका सारा काम देखता था। वो हमारे घर सुबह के ८ बजे आ जाता था और नाश्ता करने के बाद मेरे पति के साथ साईट पर निकल जाता था।

मैं उसे राज कह कर बुलाती थी और वो मुझे मीना कह कर बुलाता था। उस समय उसकी उम्र लगभग २३ साल की थी और वो दिखने में बहुत ही हैंडसम था। वो मुझसे कभी कभी मज़ाक भी कर लेता था। शादी के ५ साल बाद मेरे पति की एक कार दुर्घटना में मौत हो गयी। अब उनका सार काम मैं ही सम्भालती हूँ और राज मेरी मदद करता है। मेरे पति बहुत ही सैक्सी थे और मैं भी।

उनके गुजर जाने के बाद लगभग ६ महीने तक मुझे सैक्स का बिल्कुल भी मज़ा नहीं मिला तो मैं उदास रहने लगी। एक दिन राज ने कहा, “क्या बात है मीना, आज कल तुम बहुत उदास रहती हो।”

मैंने कहा, “बस ऐसे ही

वो बोला, “मुझे अपनी उदासी की वजह नहीं बताओगी? शायद मैं तुम्हारी उदासी दूर करने में कुछ मदद कर सकें।

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मैंने कहा, “अगर तुम चाहो तो मेरी उदासी दूर कर सकते हो। आज पूरे दिन बहुत काम है। मैं शाम को तुम्हें अपनी उदासी की वजह जरूर बताऊगी। मेरी उदासी की वजह जान लेने के बाद शायद तुम मेरी उदासी दूर कर सको। मेरी उदासी दूर करने में शायद तुम्हें बहुत ज्यादा वक्त लग जाये, हो सकता है पूरी रात ही गुजर जाये… इसलिए आज तुम अपने घर बता देना कि कल तुम सुबह को आओगे। मैं शाम को तुम्हें सब कुछ बता दूंगी।”

वो बोला, “ठीक है।”

हम दोनों सारा दिन काम में लगे रहे। एक मिनट की भी फुर्सत नहीं मिली। घर वापस आते आते रात के ८ बज गये। घर पहुँचने के बाद मैंने राज से कहा, “मैं एक दम थक गयी हूँ। पहले मैं थोड़ा गरम पानी से नहा लँ… उसके बाद बात करेंगे… तब तक तुम हम दोनों के लिए एक-एक पैग बना लो।”

वो बोला, “नहाना तो मैं भी चाहता हूँ। पहले तुम नहा लो उसके बाद मैं नहा लँगा।” मैं नहाने चली गयी और राज पैग बनाने के बाद बैठ कर टी.वी देखने लगा। १५ मिनट बाद मैं नहा कर बाथरूम से बाहर आयी तो राज नहाने चला गया। मैंने केवल गाऊन पहन रखा था। गाऊन के बाहर से ही मेरे सारे बदन की झलक एक दम साफ़ दिख रही थी।

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राज मुझे देखकर मुस्कुराया और बोला, “आज तो तुम बहुत सुंदर दिख रही हो।” मैं केवल मुस्कुरा कर रह गयी। उसके बाद राज नहाने चला गया। मैं सोफे पर बैठ कर टी.वी देखते हुए अपना पैग पीने लगी। थोड़ी देर बाद राज ने मुझे बाथरूम से ही पुकारा तो मैं बाथरूम के पास गयी और पूछा, “क्या बात है?

वो अंदर से ही बोला, “मीना, मैं अपने कपड़े तो लाया नहीं था और नहाने लगा। अब मैं क्या पहनूंगा।”

मैंने कहा, “तुम टॉवल लपेट कर बाहर आ जाओ। मैं अभी तुम्हारे लिए कपड़ों का इंतज़ाम कर देंगी।” राज एक टॉवल लपेट कर बाहर आ गया। मैंने कहा, “तुम बैठ कर टी.वी देखो, मैं एक-एक पैग और बना कर लाती हैं। उसके बाद मैं तुम्हारे लिए कपड़ों का इंतज़ाम भी कर देंगी।” वो सोफे पर बैठ कर टी.वी देखने लगा। मैंने व्हिस्की के दो तगड़े पैग बनाए और मैंने राज को एक पैग दिया। वो चुप चाप सिप करने लगा। मैं भी सोफे पर बैठ कर पैग पीने लगी।

राज ने मुझसे पूछा, “अब तुम अपनी उदासी की वजह बताओ। मैं तुम्हारी उदासी दूर करने की कोशिश करूनँगा।” मैं उठ कर राज की बगल में बैठ गयी। फिर मैंने उसके लंड पर हाथ रख दिया और कहा, “मेरी उदासी की वजह ये है। मेरे पति को गुजरे हुए ६ महीने हो गये हैं और तब से ही मैं एकदम प्यासी हूँ। वो रोज ही जम कर मेरी चुदाई करते थे। ६ महीने से मुझे चुदाई का मज़ा बिल्कुल नहीं मिला है और ये कमी तुम पूरी कर सकते हो।” वो कुछ नहीं बोला। मैंने राज के लंड पर से टॉवल हटा दिया। राज का लंड एक दम ढीला था लेकिन था बहुत ही लंबा और मोटा।

मैंने कहा, “तुम्हारा लंड तो उनके लंड से ज्यादा लंबा और मोटा लग रहा है। मुझे तुमसे चुदवाने में बहुत मज़ा आयेगा।”

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वो बोला, “मैं तुम्हें नहीं चोद सकता।”

मैंने पूछा, “क्यों?” राज ने अपना सिर झुका लिया और बोला, “मेरा लंड खड़ा नहीं होता।” उसकी बात सुन कर मैं सन्न रह गयी। मैंने कहा, “तुम्हारी शादी भी तो २ महीने पहले हुयी है।”

वो बोला, “मेरा लंड खड़ा नहीं होता इसलिए वो अभी तक कुँवारी ही है। मेरी बीवी मुझसे इसी वजह से बहुत नाराज़ रहती है। वो कहती है कि जब तुम्हारा लंड खड़ा नहीं होता था तो तुमने मुझसे शादी क्यों की।”

मैंने राज से कहा, “ठीक है, जब मैं अपने लिये कोई अच्छा सा मर्द खोज लँगी जिसका लंड खूब लंबा और मोटा हो और जो खूब देर तक मेरी चुदाई कर सके… उसके बाद तुम एक दिन अपनी बीवी को भी यहाँ बुला लाना, मैं तुम्हारी बीवी को भी उससे चुदवा देंगी। इस तरह तुम्हारी बीवी सुहागरात भी मना लेगी और उसे चुदवाने का पूरा मज़ा आ जायेगा। उसके बाद वो तुमसे कभी नाराज़ नहीं रहेगी। क्यों ठीक है ना?”

राज बोला, “क्या तुम सही कह रही हो कि वो फिर मुझसे नाराज़ नहीं रहेगी?”

मैंने कहा, “हाँ… मैं एक दम सच कह रही हैं लेकिन जब तुम अपनी बीवी को यहाँ लाना तो उसे कुछ भी मत बताना।”

राज बोला, “ठीक है।”

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दूसरे दिन मैं राज के साथ एक साईट पर गयी। वो साईट मेरे घर से लगभग ८०-८५ कि.मी. दूर थी। उस साईट पर लगभग ४० मज़दूर काम करते थे। उस साईट का मैनेजर उन सब को पैसे दे रहा था। सारे मज़दूर लाईन में खड़े थे। मैं मैनेजर की बगल में एक कुर्सी पर बैठ गयी। सभी ने निक्कर और बनियान पहन रखा था। मैं निक्कर के ऊपर से ही उन सबके लंड का अंदाज़ लगाने लगी।

जब मैनेजर लगभग २०-२५ मज़दूर को पैसे दे चुका तो मेरी नज़र एक मज़दूर के लंड पर पड़ी। मैंने निक्कर के बाहर से ही अंदाज़ लगा लिया कि उसका लंड कम से कम ८-१० इंच लंबा और खूब मोटा होगा। उसकी उम्र लगभग २२-२३ साल की रही होगी और बदन एक दम गठीला था। मैंने उस मज़दूर से पूछा, “क्या नाम है तुम्हारा।”

वो बोला, “मेरा नाम मोनू है।”

मैंने पूछा, “तुम्हारे कितने बच्चे हैं?”

वो शर्माते हुए बोला, “मालकिन, अभी तक मेरी शादी नहीं हुयी है।”

मैंने कहा, “मुझे अपने घर के लिए एक आदमी की ज़रूरत है। मेरे घर पर काम करोगे?”

वो बोला, “आप कहेंगी तो जरूर करूगा।”

मैंने राज से कहा, “इसे घर का काम करने के लिए रख लो।”

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राज समझ गया और बोला, “ठीक है।” राज ने उस मज़दूर से कहा, “मोनू तुम घर जा कर बता दो और अपना सामान ले आओ। आज से तुम मैडम के घर पर काम करोगे।”

वो बोला, “जी साहब।” वो अपने घर चला गया। लगभग १ घंटे के बाद वो वापस आ गया। उसके बाद हम सब कार से घर वापस चल पड़े। रात के आठ बजे हम सब घर पहुँचे। मैंने मोनू को घर का सारा काम समझा दिया और उसे ड्राईंग रूम में सोने के लिये कह दिया। घर में केवल एक ही बाथरूम था इसलिए मैंने मोनू से कहा, “घर में केवल एक ही बाथरूम है। तुम इसी बाथरूम से काम चला लेना।”

वो बोला, “ठीक है मालकिन।”

मैंने कहा, “घर पर मुझे मालकिन कहलाना पसंद नहीं है। तुम मुझे मेरे नाम से ही बुलाया करो।”

वो बोला, “ठीक है मालकिन।”

मैंने उसे डाँटा और कहा, “मालकिन नहीं… मीना कह कर बुलाओ।”

वो बोला, “ठीक है मीना जी।”

मैंने कहा, “मीना जी नहीं, केवल मीना।”

वो शरमाते हुए बोला, “ठीक है मीना।”

मैंने कहा, “लग रहा है कि तुमने बहुत दिनों से नहाया नहीं है। मैं तुम्हें एक साबुन दे देती हूँ, तुम बाथरूम में जा कर ठीक से नहा लो।”
मोनू बोला, “ठीक है।”

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मैंने मोनू को एक खुशबूदार साबुन दे दिया तो वो नहाने चला गया। थोड़ी देर बाद मोनू नहा कर बाहर आया। अब उसका सारा बदन एक दम खिल उठा था और महक भी रहा था। वो पैंट और शर्ट पहनने लगा तो मैंने कहा, “घर में पैंट शर्ट पहनने की कोई जरूरत नहीं है। तुम निक्कर और बनियान में ही रह सकते हो।”

राज बोला, “मैं घर जा रहा हूँ।”

मैंने कहा, “ठीक है। मुझे भी एक पार्टी में जाना है अभी… पर कल मैं कहीं नहीं जाऊगी। अब तुम परसों सुबह आना।”

राज ने मुस्कुराते हुए कहा, “ठीक है। मैं कल नहीं आऊँगा।”

उसके बाद राज चल गया और मैं भी तैयार होके पार्टी में चली गयी। रात के दस बजे मैं पार्टी से वापस लौटी। मैंने पार्टी में डिंक की थी इसलिए मैं कुछ नशे में थी। मैंने बेडरूम में जा कर झटपट पैंटी और ब्रा छोड़ कर सारे कपड़े उतार दिए और नशे की हालत में सैंडल पहने ही बेड पर पसर गयी। उसके बाद मैंने मोनू को पुकारा। वो मेरे पास आय और बोला, “क्या है।”

मैंने कहा, “मैंने पार्टी में कुछ ज्यादा ही पी ली और मेरा सारा बदन टूट रहा है। तुम थोड़ा स तेल लगा कर मेरे सारे बदन की मालिश कर दो।”

वो बोला, “आप मुझसे मालिश करवायेंगी।”

मैंने कहा, “शहर में ये सब आम बात है। गाँव की तरह यहाँ की औरतें शरम नहीं करतीं। तुम ड्रेसिंग टेबल से तेल की शीशी ले आओ और मेरे बदन की मालिश करो।” वो ड्रेसिंग टेबल से तेल की शीशी ले आया तो पेट के बल लेट गयी। वो घूर घूर कर मेरे गोरे बदन को देखने लगा। उसकी निगाहों में भी सैक्स की भूख साफ़ दिख रही थी।

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मैंने कहा, “क्या देख रहे हो। चलो मालिश करो।” वो शर्माते हुए मेरी बगल में बेड पर बैठ गया। मैंने कहा, “पहले मेरी पीठ और कमर की मालिश करो।” वो मेरी पीठ की मालिश करने लगा। उसका हाथ बार बार मेरी ब्रा में फँस जाता था। मैंने कहा, “तुम्हारा हाथ बार बार मेरी ब्रा में फँस रहा है। तुम इसे खोल दो और ठीक से मालिश करो।” उसने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मालिश करने लगा। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मैंने कहा, “और नीचे तक मालिश करो।” वो और ज्यादा नीचे तक मालिश करने लगा। अभी उसका हाथ मेरे चूतड़ पर नहीं लग रहा था।
मैंने कहा, “थोड़ा और नीचे तक मालिश करो।” वो शर्माते हुए और नीचे तक मालिश करने लगा। जब उसका हाथ मेरी पैंटी को छूने लगा तो मैंने कहा, “पैंटी को भी थोड़ा नीचे कर दो फिर मालिश करो।” उसने मेरी पैंटी को भी थोड़ा सा नीचे कर दिया। अब मेरा आधा चूत्तड़ उसे दिखने लगा। वो बड़े प्यार से मेरे चूतड़ों की मालिश करने लगा।

थोड़ी देर बाद वो मेरे दोनों चूत्तड़ों को हल्का-हल्का सा दबाने लगा। मुझे बहुत मज़ा आने लगा। थोड़ी देर तक मालिश करवाने के बाद मैंने कहा, “अब तुम मेरे हाथों की मालिश करो।” मैंने जानबूझ कर अपनी ब्रा को नहीं पकड़ा और पलट कर पीठ के बल लेट गयी। मेरी ब्रा सरक गयी और उसने मेरी दोनों चूचियों को साफ़ साफ़ देख लिया।

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वो मुस्कुराने लगा तो मैंने तुरंत ही अपनी ब्रा से अपनी चूचियों को ढक लिया लेकिन उसका हुक बंद नहीं किया। वो मेरे हाथों की मालिश करने लगा। मेरी ब्रा बार-बार सरक जा रही थी और मैं बार बार उसे अपनी चूचियों पर रख लेती थी। जब वो मेरे हाथ की मलिश कर चुका तो मैंने कहा, “अब तुम मेरी टाँगों की मालिश कर दो।”

वो घुटने के बल बैठ कर मेरी टाँगों की मालिश करने लगा। उसने मेरे सैंडल उतारने की कोशिश नहीं की। मैंने देखा कि मोनू का लंड एक दम खड़ा हो चुका था और उसका निक्कर तम्बू की तरह हो गया था। वो केवल घुटने तक ही मालिश कर रहा था तो मैंने कहा, “क्या कर रहे हो, मोनू। मेरी जाँघों की भी मालिश करो।” वो मेरी जाँघों तक मालिश करने लगा।

थोड़ी देर बाद वो मालिश करते करते अपनी अंगुली मेरी चूत पर छूने लगा तो मैं कुछ नहीं बोली। उसकी हिम्मत और बढ़ गयी और वो अपने एक हाथ से मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से ही सहलाते हुए टाँगों की मालिश करने लगा। मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा था। मैं मन ही मन खुश हो रही थी कि अब बस थोड़ी ही देर में मेरा काम होने वाला है।

थोड़ी ही देर बाद मोनू जोश से एक दम बेकाबू हो गया और उसने मेरी पैंटी नीचे सरका दी और एक हाथ से मेरी चूत को सहलाने लगा। मैं फिर भी कुछ नहीं बोली तो उसकी हिम्मत और बढ़ गयी। उसने मेरी टाँगों की मालिश बंद कर दी और अपनी बीच की अंगुली मेरी चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा।

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मैं मन ही मन एक दम खुश हो गयी की अब मेरा काम बन गया। वो दूसरे हाथ से मेरी चूचियों को मसलने लगा। थोड़ी ही देर में मैं एक दम जोश में आ गयी और आहें भरने लगी। वो मेरी चूचियों को मसलते हुए अपनी अंगुली बहुत तेजी के साथ मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगा तो दो मिनट में ही मैं झड़ गयी और मेरी चूत एक दम गीली हो गयी।

मैंने उसका सिर पकड़ कर अपनी चूत की तरफ़ खींच लिया। वो मेरा इशारा समझ गया और मेरी चूत को चाटने लगा। उसने अपने निक्कर का नाड़ा खोल कर अपना निक्कर नीचे सरका दिया और मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया। उसका लंड तो लगभग ८ इंच ही लंबा था लेकिन मेरे पति के लंड से बहुत ज्यादा मोटा था। मैं उसके लंड को सहलाने लगी तो थोड़ी ही देर में उसका लंड एक दम लोहे जैसा हो गया। वो मेरी चूत को बहुत तेजी से चाट रहा था। मैं जोश से पागल सी होने लगी तो मैंने मोनू से कहा, मोनू, अब देर मत करो। मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है।”

मेरे इतना कहते ही उसने एक झटके से मेरी पैंटी जो की पहले से ही नीचे थी, उतार दी और मेरी ब्रा को भी खींच कर फेंक दिया। अब मैं बिल्कुल नंगी, सिर्फ अपने सैंडल पहने उस के सामने पड़ी थी। उसके बाद उसने अपना निक्कर भी उतार कर फेंक दिया। उसके बाद वो मेरी टाँगों के बीच आ गया। उसने मेरी टाँगों को पकड़ कर दूर दूर फैला दिया और अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत की फाँकों के बीच रख दिया।

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उसके बाद उसने अपना लंड धीरे धीरे मेरी चूत के अंदर दबाना शुरू कर दिया। उसका लंड बहुत ज्यादा मोटा था इसलिए मुझे थोड़ा दर्द होने लगा। मैंने दर्द के मारे अपने होठों को जोर से जकड़ लिया जिससे मेरे मुँह से आवाज़ ना निकल पाये। मेरी धड़कनें तेज होने लगी। लग रहा था कि जैसे कोई गरम लोहा मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस रहा हो।

धीरे-धीरे उसका लंड मेरी चूत के अंदर घुसने लगा। दर्द के मारे मेरी टाँगें थर-थर काँपने लगीं। मेरी धड़कने बहुत तेज चलने लगी। मेरा सारा बदन पसीने से नहा गया। उसका लंड फिसलता हुआ धीरे धीरे मेरी चूत के अंदर लगभग पाँच इंच तक घुसा चुका था। दर्द के मारे मेरा बुरा हाल हो रहा था। मैंने सोचा कि अगर मैंने मोनू को रोका नहीं तो मेरी चूत फट जायेगी। मैंने मोनू से रुक जाने को कहा तो वो रुक गया। उसने मेरी टाँगों को छोड़ दिया। उसने मेरी दोनों चूचियों के निप्पलों को पकड़ कर धीरे-धीरे मसलना शुरू कर दिया और मुझे चूमने लगा। मैं भी उसके होठों को चूमने लगी।

थोड़ी देर बाद वोह मेरी चूचियों को मसलते हुए अपना लंड धीरे-धीरे मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगा। उसका लंड इतना ज्यादा मोटा था कि मेरी चूत ने उसके लंड को बुरी तरह से जकड़ रखा था। २ मिनट में जब मेरा दर्द कुछ कम हो गया तो मैंने जोश में आकर अपने चूतड़ों को उठाना शुरू कर दिया। मुझे चूत्तड़ उठाता हुआ देखकर मोनू ने अपनी गति थोड़ी सी बढ़ा दी।

मुझे अब ज्यादा मज़ा आने लगा। मैं जोश के मारे पागल सी हुई ज रही थी। जोश में आ कर मैंने “और तेज… और तेज…” कहना शुरू कर दिया तो मोनू ने अपनी गति और तेज कर दी। ५ मिनट चुदवाने के बाद मैं झड़ गयी तो मोनू ने बिना मेरे कुछ कहे ही जोर-जोर के धक्के लगाने शुरू कर दिए।

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हर धक्के के साथ ही मोनू का लंड मेरी चूत के अंदर और ज्यादा गहरायी तक घुसने लगा। मुझे बहुत दर्द हो रहा था लेकिन मैं पूरे जोश में आ चुकी थी। उस जोश के आगे मुझे दर्द का ज्यादा एहसास नहीं हो रहा था। धीरे धीरे मोनू ने अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया। पूर लंड मेरी चूत में घुसा देने के बाद मोनू रुक गया। उसका लंड जड़ के पास बहुत ज्यादा मोटा था।

मेरी चूत ने उसके लंड को बुरी तरह से जकड़ रखा था। थोड़ी देर बाद जब उसने धक्के लगाना शुरू किया तो वो असानी से अपना लंड मेरी चूत के अंदर बाहर नहीं कर पा रहा था। मुझे एक दम जन्नत का मज़ा मिल रहा था। मैं एक दम मस्त हो चुकी थी। आज मुझे बहुत ही अच्छे लंड से चुदवाने का मौका मिल रहा था। मोनू मेरी चूचियों को मसलते हुए मुझे धीरे धीरे चोद रहा था। ५ मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गयी।

झड़ जाने की वजह से मेरी चूत एक दम गीली हो गयी तो मोनू ने तेजी के साथ धक्के लगाने शुरू कर दिए। अब मेरी चूत ने मोनू के लंड को थोड़ा सा रास्ता दे दिया था। वो जोर जोर के धक्के लगाते हुए मेरी चुदाई कर रहा था। हर धक्के के साथ ही उसका लंड मेरी बच्चेदानी के मुँह का चुंबन ले रहा था। मैं जोश से एक दम पागल सी हुई जा रही थी

और खूब जोर जोर से “चोदो मुझे, फाड़ दो मेरी चूत को,” की आवाजें मेरे मुँह से निकल रही थी। मोनू भी पूरे जोश और ताकत के साथ मेरी चुदाई कर रहा था। उसकी गति धीरे धीरे और ज्यादा तेज होने लगी तो मैं पूरी तरह से मस्त हो गयी। अब तक मेरा दर्द एक दम कम हो चुका था। मैंने अपने चूत्तड़ उठा-उठा कर मोनू का साथ देना शुरू कर दिया तो उसने भी मेरी चूचियों को मसलते हुए मुझे बहुत ही अच्छी तरह से चोदना शुरू कर दिया।

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मोनू का लंड अब मेरी चूत में आसानी के साथ अंदर बाहर होने लगा। मोनू ने मेरी चूचियों को छोड़ कर मेरी कमर को जोर से पकड़ लिया और अपनी गति और ज्यादा तेज कर दी। अब वो मुझे एक दम आधी की तरह से चोदने लगा था। मैं जोर जोर के हिचकोले खा रही थी। मेरी चूचियाँ उसके हर धक्के के साथ गोल गोल घूम रही थी।

लग रहा था कि जैसे मेरी चूचियाँ गोल गोल घूम कर नाच रही हों और मेरी चुदाई का जश्न मना रही हो। मुझे ये देख कर बहुत अच्छा लग रहा था। मैं भी पूरी मस्ती में थी। जब मोनू धक्का लगाता तो मैं अपने चूत्तड़ ऊपर उठा देती थी जिस से उसका लंड एक दम जड़ तक मेरी चूत के अंदर समा जाता था।

इसी तरह मोनू ने मुझे लगभग ३० मिनट तक चोदा और उसके बाद मेरी चूत में ही झड़ गया। उसके लंड से इतना ज्यादा रस निकला जैसे वो बहुत दिनो से झड़ा ही ना हो। मेरी चूत उसके वीर्य से पूरी तरह भर गयी थी। मेरी चूत ने अभी भी उसके लंड को बुरी तरह से जकड़ रखा था इसलिए उसके वीर्य की एक बूंद भी बाहर नहीं निकल पायी। मैं भी इस चुदाई के दौरान तीन बार झड़ चुकी थी। वो अपना लंड मेरी चूत में डाले हुए ही मेरे ऊपर लेटा रहा और मुझे चूमता रहा। मैं भी उसकी पीठ को सहलाते हुए बड़े प्यार से उसे चूमने लगी। हम दोनों इसी तरह लगभग १०-१५ मिनट तक लेटे रहे।

मोनू का लंड अभी तक मेरी चूत के अंदर ही था। वो अपना लंड मेरी चूत में डाले हुए ही अपनी कमर को इधर उधर करने लगा तो दो मिनट में उसका लंड फिर से मेरी चूत के अंदर ही सख्त होने लगा। मैं अभी तक जोश में थी। मैंने भी उसके साथ ही साथ अपने चूत्तड़ इधर उधर करना शुरू कर दिया। पाँच मिनट में ही मोनू का लंड मेरी चूत के अंदर ही एक दम सख्त हो कर लोहे जैसा हो गया तो मोनू ने मुझे फिर से चोदना शुरू कर दिया। पाँच मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गयी तो मैंने मोनू से कहा, “मुझे डॉगी स्टाईल में चुदवाना ज्यादा पसंद है।”

वो इंग्लिश नहीं जानता था। वो बोला, “ये कौन सी स्टाईल है।”

मैंने कहा, “तुमने कुत्तिया को कुत्ते से करते हुए देखा है?”

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वो बोला, “मैं समझ गया। तुम घोड़ी बन कर चुदवाना चाहती हो।”

मैंने कहा, “हाँ।”

उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया तो मैं डॉगी स्टाईल में हो गयी। मोनू मेरे पीछे आ गया और उसने अपना पूरा का पूरा लंड एक झटके से मेरी चूत में डाल दिया। मुझे थोड़ा दर्द महसूस हुआ तो मेरे मुँह से हल्की सी चींख निकल गयी। पूरा लंड मेरी चूत में घुसा देने के बाद मोनू ने मेरी कमर को पकड़ लिया और मुझे बहुत ही तेजी के साथ चोदने लगा। थोड़ी देर तक तो मैं दर्द से तड़पती रही लेकिन फिर बाद में मैं भी अपने चूत्तड़ आगे पीछे करते हुई मोनू का साथ देने लगी।

मुझे साथ देते हुए देख कर मोनू ने अपनी गति बहुत तेज कर दी। दस मिनट की चुदाई के बाद ही मैं फिर से झड़ गयी। मेरे झड़ जाने के बाद मोनू ने मुझे बहुत ही बुरी तरह से चोदना शुरू कर दिया। वो इतनी जोर जोर के धक्के लगा रहा था कि मैं हर धक्के के साथ आगे की तरफ़ खिसक जा रही थी। मोनू ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और मुझसे ज़मीन पर चलने को कहा। मैं ज़मीन पर आ गयी तो उसने मेरा सिर दीवार से सटा कर मुझे कुत्तिया की तरह बना दिया। उसके बाद उसने बहुत ही बुरी तरह से मेरी चुदाई शुरू कर दी। मेरा सिर दीवर से सटा हुआ था। मैं अब आगे नहीं खिसक पा रही थी इसलिए अब उसका हर धक्का मुझ पर भारी पड़ रहा था।

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मैं भी पूरे जोश में आ चुकी थी और अपने चूत्तड़ आगे पीछे करते हुए उससे चुदवा रही थी। वो भी पूरी ताकत के साथ जोर जोर के धक्के लगाते हुए मेरी चुदाई कर रहा था। कमरे में धपधप और चप-चप की आवाज़ हो रही थी। मैं जोश में आ कर जोर जोर की सिसकारियाँ भर रही थी। सारा कमरा मेरी जोश भरी सिसकरियों से गूंज रहा था।

मैं और तेज… और तेज…” करती हुई एक दम मस्त हो कर मोनू से चुदवा रही थी। आज मुझे मोनू से चुदवाने में जो मज़ा आ रहा था वो मज़ा मुझे शादी के बाद कुछ दिनों तक ही अपने पति से चुदवाने में मिला था। आज मैं अपनी जिंदगी में दूसरी बार सुहागरात का मज़ा ले रही थी क्योंकि मेरी चूत मोनू के लंड के लिए किसी कुंवारी चूत से कम नहीं थी।

मोनू ने मुझे इस बार लगभग ४५-५० मिनट तक बहुत ही बुरी तरह से चोदा। इस बार की चुदाई के दौरान मैं तीन बार झड़ चुकी थी। सारा वीर्य मेरी चूत में निकाल देने के बाद जब मोनू ने अपना लंड बाहर निकाला तो मैं अपने आप को रोक ना सकी और मैंने उसका लंड चाटना शुरू कर दिया।

वो मुझसे अपना लंड चटवा कर बहुत खुश हो रहा था। मैंने मोनू से पूरी मस्ती के साथ सारी रात खूब चुदवाया। सुबह हम दोनों नहाने के लिए एक साथ बाथरूम में गये। मोनू ने बाथरूम में भी बुरी तरह से मेरी चुदाई की। उसके बाद सारा दिन उसने मुझे कई तरह के स्टाईल में खूब चोदा।

रात के आठ बजे मैं मोनू के साथ डीनर के लिए एक होटल में गयी। होटल से लौट कर आने के बाद मोनू ने सारी रात मुझे बहुत ही अच्छी तरह से चोदा। उसने मुझे पूरी तरह से मस्त कर दिया था। तीसरे दिन सुबह के ८ बजे काल-बेल बजी तो मैंने मोनू से कहा, “जा कर देखो। शायद राज आया है।” मोनू ने एक टॉवल लपेट लिया और जा कर दरवाजा खोला तो राज ही था। मोनू राज के साथ मेरे पास आया। राज ने मोनू के सामने ही मुझसे पूछा, “कैसी रही चुदाई” तो मोनू समझ गया था कि राज को सब कुछ मालूम है।

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मैंने कहा, “इतनी अच्छी कि मैं बता नहीं सकती।”

राज बोला, “मोनू का लंड पसंद आया?” तो मैंने कहा, “हाँ, बहुत पसंद आया।”

राज बोला, “कितनी बार चोदा मोनू ने।”

मैंने कहा, ‘मैंने तो केवल पूरी मस्ती के साथ मोनू से खूब चुदवाया। मैं नहीं बता सकती कि इसने कितनी बार मेरी चुदाई की। तुम मोनू से पूछ लो, शायद ये बता सके।”

राज ने मोनू से पूछा तो उसने कहा, “बारह बार।”

राज ने कहा, “शाबाश मोनू, बस तुम इसी तरह मीना की चुदाई करते रहो। अभी तो तुम्हें मेरी बीवी की चुदाई भी करनी है। उसके बाद राज ने मुझसे पूछा, “मैं अपनी बीवी को कब ले आऊ?”
मैंने कहा, “मुझे कल तक खूब जम कर चुदवा लेने दो। कल शाम को तुम अपनी बीवी को ले आना।”
राज ने मुझसे कहा, “मैं भी तुम्हारी चुदाई देखना चाहता हूँ। एक बार तुम मोनू से मेरे सामने चुदवा लो।”

मैंने कहा, “ठीक है।” मैंने मोनू को अपने पास बुलाया। जब वो मेरे पास आया तो मैंने उसका टॉवल एक झटके से खींच लिया। मोनू का आठ इंच का खूब मोटा लंड फनफनाता हुआ बाहर आ गया। राज उसके लंड को देखता ही रह गया। वो बोला, “मेरी बीवी तो अभी कुँवारी है। इसका इतना मोटा लंड उसकी चूत में कैसे घुसेगा।”

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मैंने कहा, “जैसे पहली-पहली बार किसी मर्द का लंड किसी औरत की कुँवारी चूत में घुसता है।”

राज बोला, “उसे बहुत तकलीफ होगी।

मैंने कहा, “वो तो हर औरत को पहली पहली बार होती है।”

राज बोला, “उसे बहुत ज्यादा दर्द होगा और वो खूब चिल्लायेगी।”

मैंने कहा, “चिल्लाने दो उसे, उसके बाद उसको मज़ा भी तो खूब आयेगा।”

राज चुप हो गया और मेरे पास बैठ गया। मोनू ने अपना लंड मेरे मुँह के पास कर दिया तो मैं उसका लंड चूसने लगी। दस मिनट में ही मोनू का लंड एक दम लोहे के जैसा हो गया। मैं अपने चूत्तड़ राज की तरफ़ कर के डॉगी स्टाईल में हो गयी। मोनू ने अपना लंड एक झटके से मेरी चूत में घुसेड़ दिया तो मेरे मुँह से जोर की आह निकली।

पूरा लंड मेरी चूत में घुसा देने के बाद मोनू मुझे चोदने लगा। राज बड़े ध्यान से मुझे मोनू से चुदवाते हुए देखता रहा। मोनू ने मुझे लगभग ४५ मिनट तक चोदा और फिर झड़ गया। मैं भी दो बार झड़ चुकी थी। मोनू ने जब अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला तो मैं मोनू के लंड को चाट चाट कर साफ़ करने लगी।

उसके बाद मैंने राज से कहा, “आज तुम अकेले ही साईट पर चले जाओ और मुझे चुदाई का मज़ा लेने दो।”

राज बोला, “ठीक है। उसके बाद वो चल गया।

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मैंने दूसरे दिन सुबह तक मोनू से खूब चुदवाया। दूसरे दिन सुबह आठ बजे राज आ गया। मैंने मोनू को कुछ पैसे दिए और कहा, “तुम बाज़ार जा कर खूब अच्छी तरह से खा लेना। आज सारी रात तुम्हें राज की कुंवारी बीवी की चुदाई करनी है।”

वो मुस्कुराते हुए बोला, “ठीक है।” मैं राज के साथ साईट पर चली गयी। शाम को वापस आते हुए मैं राज के घर रुकी। उसकी बीवी एक दम दुबली-पतली, छरहरे बदन की थी और वो मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत और गोरी थी। राज ने मुझसे कहा, “ये मेरी बीवी सीमा है।” सीमा ने मुझे बिठाया और चाय बनाने जाने लगी तो राज बोला, “मीना शाम के बाद चाय-कॉफी नहीं पीती… तू किचन से ग्लास और बर्फ ले आ… मैं पैग बना देता हूँ।”

थोड़ी देर बाद सीमा ग्लास, बर्फ और सोडा ले आयी और राज ने व्हिस्की की बोतल निकाल कर दो पैग बनाये। मेरे जोर देने पर सीमा ने भी पैग ले लिया और हम इधर-उधर की बातें करते हुए पीने लगे। दिन भर की थकान के बाद व्हिस्की बहुत अच्छी लग रही थी और मैंने जल्दी ही दो पैग पी लिए और जब राज तेरे लिए तीसरा पैग बनाने लगा तो मैंने इंकार नहीं किया। सीमा तो पहला पग ही अभी तक पी रही थी।

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उसके बाद मैंने सीमा से कहा, “आज तुम मेरे साथ मेरे घर चलो। आज रात को हम सब एक ही साथ डिनर करेंगे।” सीमा तैयार होने लगी। जब वो तैयार हो कर मेरे पास आयी तो वो मेक-अप में और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी। मैं उन दोनों के साथ कार से घर आ गयी। घर पहुँचने पर मैं सीमा को अपने बेडरूम में ले गयी और उस से बैठने को कहा। वो मेरे बेड पर बैठ गयी। राज भी सीमा की बगल में बैठ गया। मैंने राज के सामने ही अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए तो सीमा कभी राज को और कभी मुझे देखने लगी। मैंने ब्रा, पैंटी और हाई हील सैंडलों को छोड़ कर सारे कपड़े उतार दिए। ।

सीमा बोली, “दीदी, आप को राज के सामने कपड़े उतारने में शरम नहीं आती?”

मैंने कहा, “मेरे पति को गुजरे हुए छः महीने से ज्यादा हो चुके हैं। मैंने इन छः महिनों में कभी भी सैक्स का मज़ा नहीं लिया था। एक दिन मैंने राज से कहा तो मुझे मालूम हुआ कि इसका तो लंड ही नहीं खड़ा होता। मैं राज के सामने पहले भी एक दम नंगी हो चुकी हैं। इसलिए मुझे शरम नहीं आती। मैंने अपनी सैक्स की भूख मिटाने के लिए एक नौकर रख लिया है। उसका नाम मोनू है। उसका लंड बहुत ही लंबा और मोटा है।

और वो बहुत ही अच्छी तरह से मेरी चुदाई करता है। मैं अपने कपड़े उतार कर मोनू से चुदवाने जा रही हूँ। मुझे ये भी मालूम है कि तुम अभी तक कुँवारी हो। तुम बैठ कर मेरी चुदाई का मज़ा लो। उसके बाद अगर तुम्हारा मन करे तो तुम भी उससे चुदवा लेना। आखिर तुम चुदवाने के लिए कब तक तड़पती रहोगी। इसी लिए आज मैं तुमको यहाँ ले आयी हूँ।”

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सीमा बोली, “मुझे शरम आयेगी।”

मैंने कहा, “काहे की शरम। जब मुझे तुम्हारे सामने चुदवाने में शरम नहीं आ रही है तो तुम क्यों शरमा रही हो। तुम बैठ कर मेरी चुदाई का मज़ा लो। शायद तुम्हारा मन भी चुदवाने का करे। आखिर अब तुम्हें सारी जिंदगी राज के साथ ही गुजारनी है। राज को मैंने पहले ही समझा दिया है और उसे कोई ऐतराज़ नहीं है।” सीमा चुप हो गयी।

मैंने एक ग्लास में व्हिस्की डाल कर एक तगड़ा सा पैग बना कर उसे दिया। “लो सीमा… ये पीयो… तुम्हें अच्छा लगेगा और शरम भी चली जायेगी।” मैंने मोनू से पहले ही कह रखा था की जब मैं उसे बुलाऊगी तो वो एक दम नंगा ही मेरे पास आये। मैंने मोनू को पुकारा तो वो मेरे कमरे में आ गया। वो एक दम नंगा था। सीमा ने जैसे ही उसका लंड देखा तो उसने अपना सिर झुका लिया।

मैंने सीमा से कहा, “अब क्यों शरमा रही हो। अब तो मोनू तुम्हरे सामने एक दम नंगा ही आ गया है। तुम देखो तो सही कि इसका लंड कैसा है।” सीमा ने अपना सिर ऊपर उठा लिया। वो मोनू का लंड देखने लगी। मोनू सीमा के पास आया और बोला, “कैसा लगा मेरा लंड?”

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सीमा कुछ नहीं बोली और अपना ड्रिंक पीने लगी। मैंने मोनू का लंड चूसना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में मोनू का लंड एक दम सख्त हो गया तो मैं मोनू से चुदवाने लगी। सीमा चुपचाप बैठ कर देखते हुए व्हिस्की पीती रही। मोनू ने मुझे लगभग ३५ मिनट तक चोदा और झड़ गया। जोश और नशे के मारे सीमा की आखें एक दम गुलाबी हो चुकी थीं।

जब मोनू ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला तो मैंने सीमा को अपनी चूत दिखाते हुए कहा, “देखो, मेरी चूत ने मोनू का लंबा और मोटा लंड कैसे अपने अंदर ले लिया।” सीमा मेरी चूत को देखने लगी। मैंने कहा, “अब तुम भी एक बार मोनू से चुदवा लो। अगर तुम्हें इससे चुदवाना पसंद नहीं आयेगा तो तुम फिर मोनू से कभी मत चुदवाना।”

सीमा ने शरमाते हुए कहा, “इसका लंड तो बहुत मोटा है। मुझे बहुत तकलीफ होगी।”

मैंने कहा, “तुम अभी कुँवारी हो इसलिए तुम चाहे जिस भी लंड से पहली बार चुदवाओगी… तकलीफ तो तुम्हें होगी ही। उसके बाद मज़ा भी खूब आयेगा।” वो कुछ नहीं बोली। मैंने मोनू से कहा, “तुम अपना लंड सीमा के हाथ में दे दो जिससे ये तुम्हारा लंड ठीक से देख ले।” मोनू सीमा के पास आ गया।

उसने सीमा के हाथ से खाली ग्लास ले कर एक तरफ रख दिया और उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया। सीमा ने शरमाते हुए उसके लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया और देखने लगी। थोड़ी देर बाद मैंने कहा, “अगर तुम्हें इसको लंड अच्छा लग रहा हो तो चुदवा लो।” वो कुछ नहीं बोली।

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मैंने कहा, “क्या हुआ? कुछ बोलती क्यों नही? अगर तुम्हें इसका लंड अच्छा नहीं लग रहा है तो छोड़ दो इसका लंड।” उसके बाद मैंने मोनू से कहा, “मोनू तुम रहने दो और जा कर कपड़े पहन लो। सीमा को तुम्हारा लंड पसंद नहीं आ रहा है।” मोनू जैसे ही अपने लंड से सीमा का हाथ हटाने लगा तो सीमा ने उसके लंड को जोर से पकड़ लिया। मैं समझ गयी कि सीमा चुदवाने के लिए राजी है।

मैंने मोनू से कहा, “मोनू सीमा तुमसे चुदवाने के लिए राजी है। तुम सीमा के कपड़े उतार दो और इसकी अच्छी तरह से चुदाई कर के इसे एक दम खुश कर दो।” मोनू ने सीमा के कपड़े उतारने शुरू कर दिए तो सीमा शरमाने लगी लेकिन उसने मोनू को रोका नहीं। मोनू ने धीरे धीरे सीमा के सारे कपड़े उतार दिए। अब सीमा ने सिर्फ हाई हील के सैंडल पहने हुए थे और सीमा का गोरा बदन अजंता की मूरत जैसा लग रहा था। उसे देख कर मोनू खुश हो गया। मोनू ने सीमा को बेड पर लिटा दिया।

मोनू ने अपने होंठ सीमा के होंठों पर रख दिए और उसके होंठों को चूमने लगा। थोड़ी ही देर में सीमा को भी जोश आने लगा तो वो भी मोनू के होंठों को चूमने लगी। मोनू सीमा के पीठ पर अपना हाथ फिराते हुए उसे चूमने लगा तो सीमा भी मोनू की पीठ पर अपना हाथ फिराने लगी।
सीमा की आँखें धीरे धीरे गुलाबी सी होने लगी। मोनू ने सीमा को चूमते हुए उसके निप्पलों को मसलना शुरू कर दिया।

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सीमा सिसकरियाँ भरने लगी। राज बड़े ध्यान से देख रहा था। फिर मोनू ने सीमा की चूचियों को, फिर पेट को और फिर उसकी नाभी को चूमना शुरू कर दिया। सीमा धीरे धीरे जोश में आ रही थी और सिसकरियाँ भर रही थी। थोड़ी देर तक सीमा की नाभी और उसके आसपास चूमने के बाद मोनू ने सीमा की चूत को चूमना शुरू कर दिया तो सीमा जोर-जोर से आहें भरने लगी। मोनू एक हाथ से सीमा के निप्पलों को मसल रहा था और दूसरे हाथ से सीमा की जाँघ को सहला रहा था। सीमा ने जोश के मारे अपनी दोनों जाँघों को एक दम सटा लिया।

मोनू ने सीमा की दोनों जाँघों को एक दूसरे से अलग किया। सीमा की चूत पर एक भी बाल नहीं था और उसकी चूत एक दम गोरी और चिकनी थी। मोनू ने अपनी जीभ सीमा की चूत के दोनों फाँकों पर फिरानी शुरू कर दी तो सीमा जैसे पागल सी होने लगी। उसने मोनू के सिर को जोर से पकड़ लिया लेकिन मोनू रुका नहीं। वो अपनी जीभ को सीमा की चूत की फाँकों पर तेजी से फिराने लगा। दो मिनट में ही सीमा झड़ गयी और उसकी चूत एक दम गीली हो गयी। मोनू ने सीमा की चूत का सारा रस चाट लिया और फिर अपनी जीभ सीमा की क्लिट पर गोल गोल घुमाने लगा। सीमा ने जोश के मारे जोर की सिसकी ली।

मैंने सीमा से पूछा, “क्या हुआ?

वो बोली, “दीदी, मेरे सारे बदन में आग सी लग गयी है। तुम मोनू से कह दो अब देर ना करे नहीं तो मैं पागल हो जाऊगी। मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है।”

मैंने मोनू से कहा तो वो बोला, “मीना, मेरा लंड बहुत मोटा और लंबा है। अगर मैंने सीमा को अभी चोद दिया तो इसे बहुत दर्द होगा। अभी सीमा को एक बार और झड़ जाने दो। तब ये जोश से एक दम पागल हो चुकी होगी और मेरा पूरा का पूरा लंड आरम से अपनी चूत के अंदर ले लेगी।”

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मैंने कहा, “ठीक है, जैसा तुम ठीक समझो, करो।”
मोनू सीमा के ऊपर ६९ की स्थिति में लेट गया और उसकी चूत को तेजी से चाटने लगा। सीमा अब तक बहुत ज्यादा जोश में आ चुकी थी। उसने बिना कुछ कहे ही मोनू का लंड अपने मुँह में ले लिया और तेजी के साथ चूसने लगी। सीमा का दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था और उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी। वो जोर-जोर की सिसकारियाँ भरते हुए मोनू का लंड चूस रही थी। थोड़ी देर बाद सीमा ने मुझसे कहा, दीदी, मोनू से कह दो अब देर न करे। मैं एक दम पागल सी हुई जा रही हूँ।”

मैंने कहा, “मैं क्यों कहूँ, तुम ही मोनू से कहो कि वो तुम्हारी चुदाई करे।”

सीमा इतनी ज्यादा जोश में आ चुकी थी कि वो रोने लगी। लेकिन उसने मोनू से कुछ भी नहीं कहा। पाँच मिनट में ही सीमा फिर से झड़ गयी तो उसने मोनू का सिर जोर से पकड़ लिया और बोली, “अब तो मैं फिर से झड़ गयी हैं। अब तो देर ना करो। जल्दी से चोद दो मुझे।”

मोनू ने कहा, “मेरा लंड बहुत लंबा और मोटा है। तुम इसे अपनी चूत के अंदर ले पाओगी? बहुत दर्द होगा।” ।

सीमा बोली, “मैं कुछ नहीं जानती। बस तुम अब देर मत करो। डाल दो अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में और खूब जोर-जोर से चोदो मुझे।”

मोनू बोला, “ठीक है। मैं लेट जाता हूँ। तुम खुद ही मेरा लंड अपनी चूत के अंदर ज्यादा से ज्यादा घुसाने की कोशिश करो।”

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मोनू सीमा के ऊपर से हट कर लेट गया तो सीमा तुरंत ही मोनू के ऊपर चढ़ गयी। सीमा जोश में एक दम पागल हो रही थी। उसने मोनू के लंड का सुपाड़ा अपनी चूत के बीच रखा और जोर से दबा दिया। मोनू के लंड का सुपाड़ा सीमा की चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया। उसे इतनी तेज दर्द हुआ कि वो तड़पते हुए तुरंत ही मोनू के ऊपर से हट गयी और लेट गयी। सीमा को बिल्कुल भी नहीं मालूम था कि इतना दर्द होगा।

आखिर मोनू का लंड भी तो बहुत मोटा था। सीमा दर्द के मारे तड़प रही थी। मोनू सीमा के होंठों को चूमने लगा। थोड़ी देर बाद सीमा शाँत हुई तो मोनू ने कहा, “मेरे ऊपर आ जाओ और मेरा लंड अपनी चूत में और ज्यादा घुसाने की कोशिश करो।”

सीमा बोली, “मैं तुम्हारा लंड अपनी चूत में नहीं घुसा पाऊँगी। मुझे बहुत जोर से दर्द हो रहा है। अब तुम ही अपना लंड मेरी चूत में घुसाओ।”

मोनू बोला, “बहुत दर्द होगा।”

सीमा बोली, “तुम तो मर्द हो। तुम ही अपना लंड मेरी चूत में जबरदस्ती घुसा सकते हो।”

मोनू बोला, “ठीक है।”
मोनू सीमा की टाँगों के बीच आ गया। उसने सीमा की टाँगों को घुटनों से मोड़ कर उसके कॅधे के पास सटा कर दबा दिया। सीमा एक दम दोहरी हो गयी और उसकी चूत उपर की तरफ उठ गयी।

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मोनू ने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के बीच रखा। मोनू ने जोर लगाते हुए अपना लंड सीमा की चूत के अंदर दबाना शुरू किया। जैसे ही मोनू का लंड सीमा की चूत में दो इंच घुसा तो सीमा जोर-जोर से चीखने लगी। लेकिन मोनू रुका नहीं और उसने थोड़ा जोर और लगा दिया। सीमा दर्द के मारे तड़पने लगी। उसकी आँखों में आंसू आ गये। उसका सारा बदन पसीने से नहा गया।

उसकी टाँगें थरथर काँपने लगी। मोनू का लंड सीमा की चूत में तीन इंच तक घुस चुका था। मैं सीमा के पास बैठ गयी और मैंने उसकी चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया। सीमा ने मुझे जोर से पकड़ लिया और रोने लगी। वो बोली, “दीदी, बहुत दर्द हो रहा है। मैं मोनू का पूरा लंड अपनी चूत के अंदर कैसे ले पाऊगी।”

मैंने कहा, “पहली पहली बार दर्द तो होता ही है। तुम घबड़ाओ मत, मोनू जब धीरे-धीरे पूरा का पूरा लंड तुम्हारी चूत में घुसा कर तुम्हें चोदेगा तब तुम्हें खूब मज़ा आयेगा और तुम सारा दर्द भूल जाओगी। उसके बाद तुम्हें मोनू से चुदवाने में कभी दर्द नहीं होगा और तुम चुदाई का पूरा मज़ा ले पाओगी।”

मोनू अपना लंड सीमा की चूत में डाले हुए रुका रहा। थोड़ी देर बाद सीमा शाँत हो गयी। मोनू ने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए। मोनू का लंड अभी भी सीमा की चूत में चार इंच तक ही अंदर बाहर हो रहा था। थोड़ी देर बाद सीमा को मज़ा आने लगा

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और वो पाँच मिनट की चुदाई के बाद झड़ गयी। मोनू ने अपनी गति थोड़ा बढ़ा दी। मोनू हर १५-२० धक्कों के बाद एक जोर का धक्का लगाते हुए सीमा की चुदाई करने लगा। जब वो जोर का धक्का लगा देता तो उसका लंड सीमा की चूत के अंदर और ज्यादा गहरायी तक घुस जाता। जब मोनू जोर का धक्का लगा देता तो सीमा दर्द के मारे तड़प उठती थी। सीमा बहुत ज्यादा जोश में थी इसलिए उसे दर्द का ज्यादा एहसास नहीं हो रहा था। मोनू इसी तरह सीमा की चुदाई करता रहा। वो अभी सीमा को ज्यादा तेजी के साथ नहीं चोद रहा था। दस मिनट की चुदाई के बाद सीमा फिर से झड़ गयी तो मैंने पूछा, “अब कैसा लग रहा है?”

सीमा बोली, “मज़ा तो आ रहा है लेकिन दर्द भी बहुत हो रहा है।

मैंने कहा, “अभी मोनू का पूरा लंड तुम्हारी चूत में नहीं घुसा है इसलिए वो तुम्हें धीरे धीरे चोद रहा है। जब वो अपना पूरा का पूरा लंड तुम्हारी चूत में घुसा देगा तब वो तुम्हारी बहुत तेजी के साथ चुदाई करेगा। उसके बाद तुम्हें चुदवाने में खूब मज़ा आयेगा।”

सीमा ने पूछा, “अभी कितना बाकी है?”

मैंने कहा, “अभी तक तो मोनू का लंड तुम्हारी चूत में केवल पाँच इंच ही घुसा है।”

सीमा बोली, “मोनू से कह दो कि वो अपना पूरा लंड मेरी चूत में जल्दी से घुसा दे। मैं जल्दी से जल्दी चुदवाने का पूरा मज़ा लेना चाहती हूँ।”

मैंने कहा, “दर्द बहुत होगा।”

वो बोली, “दर्द तो धीरे धीरे घुसाने में भी हो रहा है।”

मैंने कहा, “ठीक है।” फिर मैंने मोनू से कहा, “अब तुम पूरी ताकत लगा कर अपना पूरा का पूरा लंड इसकी चूत में घुसा दो।”

साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,

मोनू बोला, “मैं अभी घुसा देता हूँ।” मोनू ने पूरी ताकत के साथ बहुत जोर-जोर के धक्के लगाने शुरू कर दिए। सीमा दर्द के मारे चीखने लगी। सारा कमरा उसकी चींखों से गूंजने लगा। सीमा ने दर्द के मारे अपने सिर के बाल नोचने शुरू कर दिए। ८-१० जोरदार धक्कों के बाद मोनू का लंड पूरा का पूरा सीमा की चूत में घुस गया। सीमा दर्द के मारे तड़प रही थी। मोनू ने पूरा लंड घुसा देने के बाद बहुत तेजी के साथ सीमा की चुदाई शुरू कर दी। सीमा दर्द के मारे चीखती रही लेकिन मोनू रुका नहीं। वो बहुत तेजी के साथ सीमा को चोद रहा था।

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दस मिनट तक तो सीमा बुरी तरह से चीखती रही और फिर धीरे धीरे शाँत होने लगी। अब तक सीमा की चूत ने अपना पूरा मुँह खोल कर मोनू के लंड को अंदर जाने का रास्ता दे दिया था। मोनू भी पूरे जोश के साथ सीमा को चोद रहा था। पाँच मिनट और चुदवाने के बाद सीमा शाँत हो गयी। उसकी दर्द भरी चींखें अब जोश भरी सिसकरियों में बदल रही थी।

पाँच मिनट और चुदवाने के बाद वो झड़ गयी तो उसे और ज्यादा मज़ा आने लगा। अब मोनू का लंड सीमा की चूत में कुछ आराम से अंदर बाहर होने लगा था। सीमा भी अब अपने चूत्तड़ उठा उठा कर चुदवाने लगी थी। मैंने सीमा से पूछा, “अब मज़ा आ रहा है।?”

वो बोली, “हाँ दीदी, अब तो बहुत मज़ा आ रहा है।

मैंने पूछा, “अब दर्द नहीं हो रहा है?”

वो बोली, “दर्द तो हो रहा है लेकिन बहुत कम।”

मैंने मोनू से कहा, “अब तुम पूरी ताकत के साथ तेजी से सीमा की चुदाई शुरू कर दो।”

मोनू ने पूरी ताकत लगाते हुए बहुत तेजी के साथ सीमा की चुदाई शुरू कर दी। अब वो सीमा को एक दम आधी की तरह चोद रहा था। पाँच मिनट की चुदाई के बाद ही सीमा ने “और तेज… और तेज…” कहना शुरू कर दिया तो मोनू ने उसे बुरी तरह से चोदना शुरू कर दिया। सारे कमरे में धपधप और फच फच की आवाज़ गूंज रही थी।

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साथ ही साथ सीमा की जोश भरी किल्कारियाँ भी पूँज रही थी। वो “और तेज… और तेज… खूब जोर जोर से चोदो मेरे राजा… फाड़ दो आज अपनी रानी की चूत को…” कहते हुए चुदवा रही थी। राज आँखें फाड़े हुए सीमा को पूरे जोश के साथ चुदवाते हुए देख रहा था। सीमा अपने चूत्तड़ उठा उठा कर मोनू से चुदवा रही थी। मोनू को अब तक सीमा की चुदाई करते हुए लगभग ४५ मिनट हो चुके थे। उसने सीमा को चोदने के तुरंत पहले ही मुझे चोदा था इसलिए वो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।

दस मिनट तक चुदवाने के बाद सीमा फिर से झड़ गयी।
मोनू अभी भी सीमा को बुरी तरह से चोद रहा था और सीमा एक दम मस्त हो कर मोनू से चुदवा रही थी। दस मिनट और चोदने के बाद मोनू रुक-रुक कर बहुत जोर-जोर के धक्के लगाने लगा तो मैं समझ गयी कि वो अब झड़ने वाला है। सीमा भी अपने चूत्तड़ बहुत तेजी के साथ ऊपर उठा रही थी। दो मिनट बाद ही मोनू सीमा की चूत में झड़ने लगा तो सीमा भी उसके साथ ही साथ फिर से झड़ गयी।

सारा वीर्य सीमा की चूत में निकाल देने के बाद मोनू सीमा के ऊपर ही लेट गया और उसे चूमने लगा। सीमा भी उसकी पीठ को सहलाते हुए उसे चूमने लगी। मैंने सीमा से पूछा, “मज़ा आया?”

सीमा बोली, “हाँ दीदी, बहुत मज़ा आया। मैं इसी मज़े के लिए शादी के बाद से ही तड़प रही थी।”

मैंने कहा, “अब तो तुम राज से नाराज़ नहीं रहोगी?”

वो बोली, “अगर राज मुझे मोनू से चुदवाने से मना नहीं करेगा तो मैं उससे कभी भी नाराज़ नहीं रहूँगी।” वो दोनों थोड़ी देर तक एक दूसरे को चूमते हुए लेटे रहे। दस मिनट बाद मोनू सीमा के उपर से हट गया और उसकी बगल में ही लेट गया। मैंने देखा कि सीमा की चूत का मुँह एक दम चौड़ा हो चुका था। उसकी चूत एक दम गुलाबी हो गयी थी और कई जगह से एक दम कट फट गयी थी। एक घंटे तक आराम करने के बाद सीमा बाथरूम जाना चाहती थी लेकिन वो उठ नहीं पा रही थी। मोनू उसे गोद में उठा कर बाथरूम ले जाने लगा तो मैंने देखा कि मोनू का लंड फिर से खड़ा होने लगा था। मोनू सीमा को लेकर बाथरूम में चला गया।

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जब १०-१५ मिनट तक मोनू वापस नहीं आया तो मैं राज के साथ बाथरूम में गयी। मैंने देखा कि मोनू बाथरूम में ही सीमा की डॉगी स्टाईल में बुरी तरह से चुदाई कर रहा था। सीमा भी एक दम मस्त हो कर उससे चुदवा रही थी। मैंने मोनू से कहा, “तुम इसे बेडरूम में ला कर इसकी चुदाई करते तो क्या मैं तुम्हें मना कर देती?” ।

मोनू ने कहा, “ऐसी बात नहीं है। सीमा जब पेशाब कर चुकी तो मुझसे रहा नहीं गया। मैंने सीमा से कहा कि मैं फिर से चोदना चाहता हूँ तो इसने कहा कि यहीं चोद दो ना और मैंने इसे चोदना शुरू कर दिया।”

मैंने कहा, “ठीक है।” उसके बाद मैं राज के साथ बेडरूम में आ गयी। लगभग ४५ मिनट के बाद मोनू सीमा को गोद में उठा कर ले आया और उसे बेड पर लिटा दिया। सीमा की चूत एक दम सूज चुकी थी। मैंने सीमा से पूछा, “इस बार कैसा लेगा?”

वो बोली, “इस बार चुदवाने में इतना मज़ा आया कि मैं बता नहीं सकती। मोनू ने इतनी बुरी तरह से मेरी चुदाई की है कि मैं इसका धक्का बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। इस बार की चुदाई ने मेरे बदन का सारा जोड़ हिला कर रख दिया।

मैंने कहा, “अब तो खुश हो।”

वो बोली, “हाँ, अब मैं बहुत खुश हूँ।”
अगले दो दिनों तक राज साईट पर नहीं गया। वो केवल सीमा को मोनू से चुदवाता हुआ देखता रहा। मोनू ने दो दिनो में १६ बार सीमा की चुदाई की। सीमा की चूत का मुँह एक दम खुल चुका था। लेकिन उसे अब भी चलने फिरने में दिक्कत हो रही थी। उसकी चूत मोनू से चुदवा-चुदवा कर एक दम सूज गयी थी और किसी डबल-रोटी की तरह फूल चुकी थी। उन दो दिनों में मैंने मोनू से एक बार भी नहीं चुदवाया, केवल सीमा ही चुदवाती रही। मैं चुदवाने का खूब मज़ा लेना चाहती थी।

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मेरे मन में ख्याल आया कि मुझे किसी दूसरे मर्द का इंतज़ाम कर लेना चाहिए। तभी हम दोनों चुदाई का खूब मज़ा ले पायेंगी। तीसरे दिन मैं राज के साथ दूसरी साईट पर गयी। वो साईट एक आदिवासी इलाके में थी। सीमा और मोनू घर पर ही थे। मैंने उस साईट पर भी एक आदमी देखा। वो आदिवासी था और उसका रंग एक दम साँवला था लेकिन था बहुत ही हट्टा कट्टा। उसका लंड मुझे मोनू के लंड से भी मोटा और लंबा लगा।

मैंने राज से उसे भी घर पर काम करने के लिए रखने को कहा। राज ने उससे बात की तो वो राजी हो गया। उसका नाम झबरू था। वो हमारे साथ घर आ गया। जब उसे मालूम हुआ कि उसे मेरी और सीमा की चुदाई करनी है तो उसने इनकार कर दिया। मैंने उस से वजह पूछी तो उसने कहा, “मेरा लंड बहुत ही लंबा और मोटा है।

मैं एक घंटे के पहले नहीं झड़ पाता। मैं पहले भी दो लड़कियों को चोद चुका हूँ। एक बार की चुदाई में ही उनकी चूत बुरी तरह से फट गयी थी और कुछ दिनों के बाद वो दोनों ही इस दुनिया में नहीं रही। उसके बाद मैंने कसम खायी कि अब मैं किसी की चुदाई नहीं करूंगा।”

मैंने कहा, “ठीक है, तुम मोनू का लंड देख लो। हम दोनों ने बड़े आराम से इसके लंड से खूब चुदवाया है।”

मैंने मोनू से कहा, “तुम झबरू को अपना लंड दिखा दो।

मोनू ने झबरू को अपना लंड दिखाया तो झाबरू ने कहा, “इसका लंड तो मेरे लंड से बहुत पतला और छोटा है।”

मैंने झबरू से कहा, “जरा मैं भी तो देखें कि तुम्हारा लंड कैसा है?”

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वो बोला, “हाँ, मैं अपना लंड जरूर दिखा सकता हूँ लेकिन मैं तुम दोनों को चुइँगा नहीं।” झबरू ने अपना निक्कर उतार दिया। उसका लंड देख कर मैं घबड़ा गयी। उसका लंड वाकय बहुत लंबा और मोटा था।

मैंने कहा, “अभी तुम्हारा लंड ढीला है। पहले इसे खड़ा करो। उसके बाद ही तुम्हारे लंड के सही साईज़ का पता चलेगा।”

उसने कहा, “मैं अपने लंड को अपने हाथ से कभी नहीं खड़ा करता। इसे तुम दोनों को ही खड़ा करना पड़ेगा।” झबरू के लंड को देख कर सीमा बहुत जोश में थी और वो उसके लंड को लालच भरी निगाहों से देख रही थी। मैंने सीमा को इशारा किया तो उसने झबरू का लंड सहलाना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में झबरू का लंड खड़ा होने लगा। उसका लंड खड़ा होने के बाद किसी मूसल की तरह दिख रहा था। झबरू का लंड लगभग नौ इंच लंबा और तीन इंच चौड़ा था।

मैंने थोड़ा सोचते हुए कहा, “हम दोनों तुम्हारे लंड से चुदवाने के लिए तैयार हैं।”

सीमा ने तुरंत ही कहा, “दीदी, मैं झबरू से नहीं चुदवाऊगी। केवल तुम ही चुदवा लो।”
वो बोला, “लगभग सात इंच घुस चुका है और अभी तीन इंच बाकी है। तुम घबड़ाओ मत… मैं धीरे धीरे अपना बाकी का लंड भी तुम्हारी चूत में घुसा दूंगा।” वो उसी स्टाईल में मेरी चुदाई करता रहा। सीमा बैठ कर व्हिस्की के पैग की चुस्कियाँ लेती हुई आँखें फाड़े उसके लंड को मेरी चूत के अंदर घुसता हुआ देखती रही। झबरू अभी मुझे तेजी के साथ नहीं चोद रहा था।

कहानी चुड़क्कड़ लण्ड की- ग़ैर मर्द / औरत Hindi Sex Kahani

उसके हर धक्के के साथ दर्द के मारे मेरे मुँह से आह की आवाज़ निकल रही थी। लगभग दस मिनट की चुदाई के बाद उसने अपनी गति और बढ़ा दी। मेरे मुँह से अब बहुत जोर जोर की चीखें निकलने लगीं। मैंने झबरू से कहा, थोड़ा धीरे-धीरे चोदो, दर्द हो रहा है।

वो बोला, “अब मैं अपनी गति धीरे-धीरे बढ़ाता रहूँगा क्योंकि अब तुम मेरा पूरा का पूरा लंड अपनी चूत के अंदर ले चुकी हो।”

मैंने चौंक कर कहा, “क्या?”

वो बोला, “मैं सही कह रहा हूँ। तुम सीमा से पूछ लो।”

मैंने सीमा की तरफ़ देखा तो सीमा ने कहा, “दीदी, ये ठीक कह रहा है। इसका पूरा का पूरा लंड तुम्हारी चूत के अंदर घुस चुका है। झबरू ने इतनी अच्छी तरह से अपना पूरा का पूरा लंड तुम्हारी चूत में घुसा दिया है कि मैं भी अब इससे चुदवाने के लिए तैयार

झबरू की गति अब धीरे-धीरे बढ़ती ही जा रही थी। मुझे अभी भी दर्द हो रहा था। दस मिनट की चुदाई के बाद मेरा दर्द एक दम कम हो गया और मुझे मज़ा आने लगा। मैंने धीरे धीरे अपने चूत्तड़ उठा-उठा कर झबरू का साथ देना शुरू कर दिया तो उसने अपनी गति और तेज कर दी। दो मिनट के बाद मैं फिर से झड़ गयी तो झबरू ने अपनी गति और बढ़ा दी।

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अब वो मुझे बहुत तेजी के साथ चोद रहा था। मैं भी एक दम मस्त हो चुकी थी। उसका लंड मेरी चूत के लिए अभी भी बहुत ही ज्यादा बड़ा था। जब वो अपना लंड बाहर खींचता तो मुझे लगता कि मेरी चूत उसके लंड के साथ ही बाहर निकल जायेगी। धीरे-धीरे झबरू की गति बहुत तेज हो गयी। अब वो मुझे एक दम पागलों की तरह से चोदने लगा था।

अब तक मुझे चुदवाते हुए लगभग चालिस मिनट हो चुके थे। मेरी चूत ने झबरू के लंड को रास्ता दे दिया था और मुझे अब ज्यादा मज़ा आने लगा था। वो मुझे चोदता रहा और मैं एक दम मस्त हो कर चुदवाती रही। लगभग एक घंटे की चुदाई के बाद झबरू झड़ गया और मैं भी उसके साथ ही साथ एक बार फिर से झड़ गयी। मैं इस चुदाई के दौरान चार बार झड़ चुकी थी।

झबरू ने अपना सारा वीर्य मेरी चूत में निकालने के बाद अपना लंड बाहर निकाला तो मुझे लगा कि मेरी चूत भी उसके लंड के साथ ही बाहर निकल जायेगी। उसने अपना लंड मेरे मुँह के पास कर दिया तो सीमा बोली, “दीदी, तुम रहने दो। इसका लंड मैं चाट कर साफ़ करूगी।” सीमा ने अपना पैग खतम किया और झबरू के लंड को चाट-चाट कर साफ़ करना शुरू कर दिया। उसके बाद झबरू बेड पर लेट गया और आराम करने लगा। अब वो एक दम संतुष्ट दिख रहा था।
तीस मिनट के बाद सीमा ने झबरू से कहा, “मुझे भी चोद दो।” सीमा भी काफी पी चुकी थी और नशे में झूम रही थी।

झबरू बोला, “अभी थोड़ी देर मुझे और आराम कर लेने दो, उसके बाद मैं तुम्हें भी चोद दूंगा। जब मैं तुम्हारी चुदाई करूगा तो तुम्हें ज्यादा तकलीफ़ होगी।”

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सीमा ने पूछा, “क्यों?”

झबरू ने कहा, “तुमने अभी तक मोनू से ज्यादा से ज्यादा बीस बार चुदवाया होगा। अभी तुम्हारी चूत मीना की चूत से बहुत ज्यादा तंग होगी।”

सीमा बोली, “कुछ भी हो, मैं तो बस तुम्हारा लंड अपनी चूत के अंदर लेना चाहती हूँ।”

झबरू बोला, “ठीक है.. थोड़ी देर के बाद मैं तुम्हें चोदूंगा।”

सीमा तो नशे में मस्त थी और उसकी चूत दहक रही थी। उसने अपने कपड़े उतार दिए
और सिर्फ अपने सैंडल पहने ही मेरे पास आ कर बैठ गयी और मेरा हाथ अपनी चूत पे रख दिया। मैं थोड़ी देर उसकी चूत सहलाती रही पर मेरी अंगुलियों से उसकी चूत को कहाँ ठंडक मिलती। कुछ देर बाद झबरू ने सीमा से अपना लंड चूसने को कहा तो सीमा झबरू का लंड चूसने लगी। जब उसका लंड खड़ा हो गया तो उसने सीमा की चुदाई शुरू की।

उसने मुझे जिस तरह आरम से चोदा था, ठीक उसी तरह सीमा को भी चोद रहा था। लेकिन सीमा की चूत अभी भी बहुत ज्यादा तंग थी। वो बहुत चिल्लायी और उसे दर्द भी बहुत हुआ लेकिन आखिर में झबरू ने अपना पूरा का पूरा लंड सीमा की चूत में डाल ही दिया। सीमा की चूत में झबरू को अपना लंड आरम से घुसाने में लगभग बीस मिनट लगे और फिर उसके बाद उसने बहुत ही बुरी तरह से सीमा की चुदाई शुरू कर दी और उसे लगभग सवा घंटे तक चोदा।

सीमा उससे चुदवाने में तीन बार झड़ गयी थी। झबरू से चुदवाने के बाद सीमा की चूत में इतना ज्यादा दर्द हो रहा था कि वो बिल्कुल भी हिलडुल नहीं पा रही थी।

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झबरू ने कहा, “मैं अभी एक बार तुम्हारी चुदाई और करूगा… उसके बाद तुम हिलडुल सकोगी और चल भी सकोगी।” सीमा ने झबरू से चुदवाने से मना कर दिया लेकिन झबरू माना नहीं। लगभग तीस मिनट के बाद झबरू ने फिर से सीमा की चुदाई शुरू कर दी। इस बार उसने सीमा को एक दम पागलों की तरह बहुत ही बुरी तरह से चोदा।

इस बार पूरी चुदाई के दौरान सीमा जोर-जोर से चीखती ही रही। करीब तीस मिनट चोदने के बाद झबरू ने सीमा को ज़मीन पर खड़ा कर दिया और खड़े-खड़े ही उसकी चुदाई की। थोड़ी देर खड़े हो कर चोदने के बाद झबरू ने उसे डॉगी स्टाईल में चोदना शुरू कर दिया। उसके बाद झबरू ने सीमा को कईं स्टाईल में बुरी तरह चोदा और उसकी चूत में ही झड़ गया।

सीमा बहुत तड़पी लेकिन झबरू ने उसकी एक ना सुनी। झड़ जाने के बाद जब झबरू ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल तो सीमा की चूत कई जगह से कट-फट गयी थी और बुरी तरह से सूज भी चुकी थी।

झबरू ने सीमा से कहा, “अब मैंने तुम्हारी चूत को एक दम चौड़ा कर दिया है। अब तुम मुझे चल कर दिखाओ।” सीमा ने चलने की कोशिश की लेकिन वो ठीक से चल नहीं पा रही थी। झबरू ने कहा, “अभी थोड़ी देर बाद मैं फिर से तुम्हारी चुदाई करूनँगा। उसके बाद तुम चलने फिरने लगोगी।”

सीमा बोली, “अब मैं तुमसे नहीं चुदवाऊँगी। तुमने मेरी चूत की हालत खराब कर दी है।”

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लेकिन झबरू माना नहीं। एक घंटे के बाद झबरू ने फिर से सीमा को बहुत ही बुरी तरह से चोदना शुरू कर दिया। वो मना करती रही लेकिन झबरू माना नहीं। उसने इस बार भी सीमा को बहुत ही बुरी तरह से लगभग डेढ़ घंटे तक चोदा।

उसके बाद झबरू ने सीमा से कहा, “अब मुझे फिर से चल कर दिखाओ, तो सीमा डर के मारे ठीक से चलने को कोशिश करने लगी।”

झबरू ने कहा, “शाबाश! देखा तीन बार चुदवाने के बाद तुम थोड़ा ठीक से चलने लगी हो।”

वो बोली, “साले हरामी! वो तो मैं ही जानती हूँ कि मैं कैसे चल रही हूँ।”

झबरू बोला, “अभी मैं फिर से तुम्हारी चुदाई करूगा।” एक घंटे के बाद झबरू ने फिर से सीमा की बहुत ही बुरी तरह से चुदाई की। झबरू से चुदवाने के बाद मैं भी बिना सहारे के नहीं चल पा रही थी। मैंने कहा, “मैं भी तो ठीक से नहीं चल पा रही हूँ।”

वो बोला, “पहले मुझे सीमा की चाल ठीक कर लेने दो। उसके बाद मैं तुम्हारी भी बहुत बुरी तरह से चुदाई कर दूंगा उसके बाद तुम भी ठीक से चलने लगोगी।”

॥ समाप्त ॥

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