होली में खोली चोली – रिश्तो में चुदाई – Incest Sex

Holi me Kholi Choli – Hindi Sex Kahani 

होली में खोली चोली – रिश्तो में चुदाई – Hindi Sex Kahani

 

मुझे त्यौहार में बहोत मजा आता है, खास तौर से होली में. पर कुछ चीजें त्योहारों में गडबड हैं. जैसे, मेरे मायके में मेरी मम्मी और उनसे भी बढ़के छोटी बहनें कह रहीं थीं की मैं अपनी पहली होली मायके में मनाऊ, मेरी बहनों की असली दिलचस्पी तो अपने जीजा के साथ होली खेलने में थी. पर मेरे ससुराल के लोग कह रहे थे की बहू की पहली होली ससुराल में ही होनी चाहीये.

मैं बड़ी दुविधा में थी. पर त्योहारों में गडबड से कयी बार परेशानीयां सुलझ भी जाती है. इस बार होली दो दिन पडी, मेरी ससुराल में १४ मार्च को और मायके में १५ को. मायके में जबरदस्त होली होती है और वो भी दो दिन. तय ये हुआ की मेरे घर से कोयी आके मुझे होली वाले दिन ले जाय और ‘ये’ होली वाले दिन सुबह पहुंच जायेंगे.

मेरे मायके में तो मेरी दो छोटी बहनों नीता और रीतू के सिवाय कोयी था नहीं . मम्मी ने फिर ये प्लान बनाया की मेरा ममेरा भाई, चुन्नू, जो ११ मे पढ़ता था, वही होली के एक दिन पहले आ के ले जायेगा.

होली में खोली चोली – रिश्तो में चुदाई – Hindi Sex Kahani

* चुन्नू की चुन्नी…” मेरी ननद गीता ने छेडा. वैसे बात उसकी सही थी. वह बहुत कोमल,खूब गोरा, लड्कीयों की तरह शर्मीला …बस यों समझ लीजीये कि जबसे वो क्लास ८ में पहुंचा लड्के उसके पीछे पड़े रहते थे ,यूं कहिये की ‘नमकीन और हाईस्कूल में उसकी टाईटिल थी, है शुकर की तू है लडका.” पर मैने भी गीता को जवाब दिया.

* अरे आयेगा तो खोल के देख लेना क्या है अंदर अगर हिम्मत हो तो.”

* हां पता चल जायेगा की …नूनी है या लंड.” मेरी जेठानी ने मेरा साथ दिया.

“ अरे भाभी उसका तो मूंगफली होगा…उससे क्या होगा हमारा.” मेरी बडी ननद ने चिढाया.

* अरे मूंगफली है या केला ये तो पकडोगी तो पता चलेगा. पर मुझे अच्छी तरह मालूम है। की तुम लोगों ने मुझे ले जाने के लिये उसे बुलाने की शर्त इसलीये रखी है की तुम लोगो उससे मजा लेना चाहती हो.” हंस के मैं बोली.

* भाभी उससे मजा तो लोग लेना चाहते हैं, पर हम या कोयी और ये तो होली में ही पता चलेगा, आपको अब तक तो पता चल ही गया होगा की यहां के लोग पिछवाडे के कितने शौकीन होते हैं. मेरी बडी ननद रानू जो शादी शुदा थी, खूब मुंह फट्ट थी और खूल के मजाक करती थी

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बात उसकी सही थी.मैं फ्लैश बैक में चली गयी. सुहाग रात के चार, पांच दिन के अंदर ही,मेरे पिछवाड़े का… शुरुआत तो उन्होने दो दिन के अंदर ही कर दी थी. मुझे अब तक याद है, उस दिन मैने शलवार सूट पहन रखा था, जो थोडा टाईट था और मेरे मम्मे और नितंब खूब उभर के दिख रहे थे. रानू ने मेरे चूतड पे चिकोटी काटके चिढाया,
* भाभी लगता है, आपके पिछवाडे काफी खुजली मच रही है. आज आपकी गांड बचने वाली नहीं है, अगर आपको इस ड्रेस में भैया ने देख लिया.”

* डरती हूं क्या तुम्हारे भैया से, जब से आयी हूं लगातार तो चालू रहते हैं बाकी और कुछ तो बचा नहीं अब ये भी कब तक बचेगी.” चूतड मटका के मैने जवाब दिया.और तब तक वो आ भी गये. उन्होने एक हाथ से खूब कस के मेरे चूतड़ को दबोच लिया और उनकी । एक उंगली मेरे कसी शलवार में, गांड के कैक में घुस गयी.

उनसे बचने के लिये मैं रजायी में घुस गयी अपनी सास की बगल में. उनकी बगल में मेरी जेठानी और छोटी ननद बैठी थीं. वह भी रजायी में मेरी बगल में घुस के बैठ गये और अपना एक हाथ मेरे कंधे पे रख दिया.

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छेड छाड सिर्फ कोयी उनकी जागीर तो थी नहीं. सासू के बगल में मैं थोडा सेफ भी महसूस कर रही थी. और रजायी के अंदर हाथ भी थोडा बोल्ड हो जाता है. मैने पाजामे के उपर हाथ रखा तो उनका खूटा पूरी तरह खडा था. मैने शरारत से उसे हल्के से दबा दिया,

और उनकी ओर मुस्करा के देखा.बेचारे, चाह के भी…अब मैने और बोल्ड होके हाथ उनके पाजामें में डाल के सुपाडे को खोल लिया. पूरी तरह फूला और गरम था. उसे सहलाते । सहलाते, मैने अपने लम्बे नाखून से उनके पीहोल को छेड दिया. जोश में आके उन्होंने मेरे मम्मे कस के दबा दिये. उनके चेहरे से उत्तेजना साफ दिख रही थी. वह उठ के बगल के कमरे में चले गये जो मेरी छोटी ननद का रीडींग रूम था. बड़ी मुश्किल से मेरी ननद और जेठानी ने अपनी मुस्कान दबायी.

* जाइये , जाइये भाभी, अभी आपका बुलावा आ रहा होगा.” शैतानी से मेरी छोटी ननद बोली. हम लोगों का दिन दहाडे का ये काम तो सुहाग रात के अगले दिन से ही चालू हो गया था. पहली बार तो मेरी जेठानी जबरदस्ती मुझे कमरों में दिन में कर आयी, और उसके बाद से तो वो मेरी ननदें और यहां की सासू जी भी…बड़ा खुला मामला था मेरी ससुराल में..एक बार तो मुझसे जरा सी देर हो गयी तो सासु मेरी बोली, बहू जाओ ना बेचारा इंतजार कर रहा होगा.

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जरा, पानी ले आना.” तुरंत ही उनकी आवाज सुनायी दी.

* जाओ, प्यासे की प्यास बुझाओ.” मेरी जेठानी ने छेडा.

कमरे में पहुंचते ही मैने दरवाजा बंद कर लिया. उनको छेडते हुये, दरवाजा बंद करते समय, मैने उनको दिखा के शल्वार से छलकते अपने भारी चूतड मटका दिये. फिर क्या था. पीछे आके उन्होने मुझे कस के पकड़ लिया और दोनों हाथों से कस कस के मेरे मम्मे दबाने लगे और उनका पूरी तरह उत्तेजित हथियार भी मेरी गांड के दरार पे कस के रगड़ रहा था. लग रहा था, शलवार फाड के घुस जायेगा.

मैने चारों ओर नजर दौड़ायी. कमरे में कुरसी मेज के अलावा कुछ भी नहीं था, कोयी गद्दा भी नहीं की जमीन पे लेट के.

मैं अपने घुटनों के बल पे बैठ गयी और पाजामा के नाडा खोल दिया. फन फ्न कर उनका लंड बाहर आ गया. सुपाड़ा अभी भी खुला था, पहाडी आलू की तरह बड़ा और लाल. मैने पहले तो उसे चूमा और फिर बिना हाथ लगाये, अपने गुलाबी होंठों के बीच ले चूसना शुरू कर दिया धीरे धीरे मैं लाली पाप की तरह उसे चूस रही थी और कुछ ही देर में मेरी जीभ उनके पी होल को छेड रही थी.

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उन्होने कस के मेरे सर को पकड़ लिया. अब मेरा एक मेंहदी लगा हाथ उनके लंड के बेस को पकड के हल्के से दबा रहा था और दूसरा उनके बाल्स या अंडकोष को पकड के सहला और दबा रहा था. जोश में आके मेरा सर पकड के वह अपना मोटा लंड अंदर बाहर कर रहे थे. उनका आधे से ज्यादा लंड अब मेरे मुंह में था, सुपाडा हलक पे धक्के मार रहा था.

जब मेरी जीभ उनके मोट कडे लंड को सहलाती और मेरे गुलाबी होठों को रगडते, घिसते वो अंदर जाता…खूब मजा आ रहा था मुझे. मैं खूब कस कस के चूस रही थी,
चाट रही थी.

उस कमरे में मुझे चुदायी का कोयी रास्ता तो दिख नहीं रहा था, इसलिये मैने सोचा कि मुख मैथुन कर के ही काम चला लें.
पर उनका इरादा कुछ और ही था.

“ कुर्सी पकड के झुक जाओ” वो बोले.

मैं झुक गयी. पीछे से आके उन्होने शलवार का नाडा खोल के उसे घुटनों के नीचे सरका दिया और कुर्ते को उपर उठा के ब्रा खोल दी और अब मेरे मम्मे आजाद थे. मैं शल्वार से बाहर निकलना चाहती थी पर उन्होंने मना कर दिया की ऐसे झट से कपडे फिर से पहन सकते हैं अगर कोयी बुला ले.

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इस आसन में मुझे वो पहले भी चोद चुके थे पर शलवार पैर में फंसी होने के कारण मैं टांगें ठीक से फैला नहीं पा रही थी और चूत मेरी और कसी कसी हो रही थी.
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एक हाथ से वो मेरा जोबन मसल रहे थे और दूसरे से उन्होंने मेरी चूत में उंगली करनी शुरु कर दी. चूत तो मेरी पहले ही गीली हो रही थी, थोडी देर में ही वो पानी पानी हो गयी. उन्होने अपनी उंगली से मेरी चूत को फैलाया और सुपाडा वहां सेंटर कर दिया. फिर जो मेरी पतली कमर को पकड के उन्होने कस के एक करारा धक्का मारा तो मेरी चूत को रगडता, पूरा सुपाडा अंदर चला गया.

दर्द से मैं तिलमिला उठी. पर जब वो चूत को अंदर घिसता तो मजा भी बहोत आ रहा था. दो चार धक्के ऐसे मारने के बाद उन्होंने मेरी चूचीयों को कस कस के रगडते मसल्ते, चुदायी शुरु कर दी.जल्द ही मैं भी मस्ती में आ कभी अपनी चूत से उनके मोटे हलब्बी लंड पे सिकोड देती, कभी अपनी गांड मटका के उनके धक्के का जवाब देती.

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साथ साथ कभी वो मेरी क्लीट कभी निपल्स, पिंच करते और मैं मस्ती में गिन्गिना उठती. तभी उन्होने अपनी वो उंगली, जो मेरी चूत में अंदर बाहर हो रही थी और मेरी चूत के रस से अच्छी तरह गीली थी, को मेरी गांड के छेद पे लगाया और कस के दबा के उसकी टिप अंदर घुसा दी.

* हे उधर नही…उंगली निकाल लो प्लीज.” मैं मना करते बोली.

पर वो कहां सुनने वाले थे. धीरे धीरे उन्होने पूरी उंगली अंदर कर दी.
अब उन्होने चुदायी भी फुल स्पीड से शुरु कर दी थी. उनका बित्ते भर लंबा मुसल पूरा बाहर आता और एक झट्के में उसे वो पूरा अंदर पेल देते. कभी मेरी चूत के अंदर उसे गोल गोल घुमाते. मेरी सिसकियां कस कस के निकल रही थी. उंगली भी लंड के साथ मेरी गांड में अंदर बाहर हो रही थी. लंड जब बुर से बाहर निकलता तो वो उसे टिप तक बाहर निकालते और फिर उंगली लंड के साथ ही पूरी तरह अंदर घुस जाती.

पर उस धका पेल चुदायी में मैं गांड में उंगली भूल ही चुकी थी.
जब उन्होने गांड से गप्प से उंगली बाहर निकाली तो मुझे पता चला. सामने मेरी ननद की टेबल पे फेयर एंड लवली की ट्यूब रखी थी. उन्होने उसे उठा के उसका नोज़ल सीधे मेरी गांड में घुसा दिया और थोड़ी सी क्रीम दबा के अंदर घुसा दी. और जब तक मैं कुछ समझती उन्होने अबकी दो उंगलीया मेरी गांड में घुसा दीं. दर्द से मैं चीख उठी.

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पर अबकी बिन रुके पूरी ताकत से उन्होने उसे अंदर घुसा के ही दम लिया.
* हे निकालो ना, क्या करते हो उधर नहीं प्लीज चूत चाहे जित्ती बार चोद लो…ओह.” मैं चीखी. लेकिन थोड़ी देर में चुदाइ उन्होने इत्ती तेज कर दी की मेरी हालत खराब हो गयी.
और खास तौर से जब वो मेरी क्लीट मसलते…, मैं जल्द ही झडने के कगार पे पहुंच गयी तो उन्होने चुदाइ रोक दी.

मैं भूल ही चुकी थी कि जिस रफ्तार से लंड मेरी बुर में अंदर बाहर हो रहा था, उसी तरह मेरी गांड में उंगली अंदर बाहर हो रही थी.

लंड तो रुका हुआ था पर गांड में उंगली अभी भी अंदर बाहर हो रही थी.
एक मीठा मीठा दर्द हो रहा था पर एक नये किस्म का मजा भी मिल रहा था.

उन्होंने कुछ देर बाद फिर चुदायी चालू कर दी. दो तीन बार वो मुझे झड़ने के कगार पे ले जाके रोक देते पर गांड में दोनो उंगली करते रहते, और अब मैं भी गांड उंगली के धक्के के साथ आगे पीछे कर रही थी.

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और जब कुछ देर बाद उंगली निकाली तो क्रीम के टयूब का नोजल लगा के पूरी की पूरी ट्यूब मेरी गांड में खाली कर दी. अपने लंड में भी तेल लगा के उसे मेरी गांड के छेद पे लगा दिया और अपने दोनो ताकतवर हाथों से मेरे चूतड पकड, कस के मेरी गांड का छेद फैला दिया. उनका मोटा सुपारा मेरी गांड के दुब्दुबाते छेद से सटा था. और जब तक मैं सम्हलती, उन्होंने मेरी पतली कमर पकड के कस के पूरी ताकत से तीन चार धक्के लगाये.

* उईईईई ….मैं दर्द से बडे जोर से चिल्लायी. मैने अपने होंठ कस के काट लिये पर लग रहा था मैं दर्द से बेहोश हो जाउंगी. बिना रुके उन्होने फिर कस के दो तीन धक्के लगाये और मैं दर्द से बिलबिलाते हुए फिर चीखने लगी.मैने अपनी गांड सिकोडने की कोशिश की और गांड पटकने लगी पर तब तक उनक सुपाडा पूरी तरह मेरी गांड में घुस चुका था, और गांड के छल्ले ने उसे कस के पकड़ रखा था.मैं खूब अपने चूतड हिला, पटक रही थी पर जल्द ही मैने समझ लिया की वो अब मेरे गांड से निकलने वाला नहीं.

और उन्होने भी अब कमर छौड मेरी चूचीयां पकड़ ली थीं और उसे कस कस के मसल रहे थे. दर्द के मारे मेरी हालत खराब थी. पर थोड़ी देर में चूचीयों के दर्द के आगे गांड का दर्द मैं भूल गयी.

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अब बिना लंड को और ढकेले, अब वो प्यार से कभी मेरी चूत सहलाते कभी क्लीट छेडते. थोड़ी देर में मस्ती से मेरी हालत खराब हो गयी. अब उन्होने अपनी दो उंगलीयां मेरी चूत में डाल दीं और कस कस के लंड की तरह उससे चोदने लगे.जब मैं झड़ने के कगार पे आ जाती तो वो रुक जाते. मैं तड़प रही थी. मैने उनसे कहा प्लीज मुझे झडने दो तो वो बोले तुम मुझे अपनी ये मस्त गांड मार लेने दो. मैं पागल हो रही थी, मैं बोली हां राजा चहे गांड मार लो पर…वो मुस्करा के बोले जोर से बोल.

और ,मैं खूब कस के बोली,
• मेरे राजा, मार लो मेरी गांड चाहे आज फट जाय पर मुझे झाड दो और उन्होंने मेरी चूत के भीतर अपनी उंगली इस तरह से रगडी जैसे मेरे जी प्वाईंट को छेड दिया हो और मैं पागल हो गयी. मेरि चूत कस कस के कांप रही थी और मैं झड रही थी, रस छोड रही थी.

और मौके का फायदा उठा के उन्होंने मेरी चूचीयां पकडे पकडे कस कस के धक्के लगाये और पूरा लंड मेरी कोरी गांड में घुसेड दिया. दर्द से मारे मेरी गांड फटी जा रही थी. कुछ ए देर रुक के उन्का लंड पूरा बाहर आके मेरी गांड मार रहा था. आधे घंटे से भी ज्यादा । गांड मारने के बाड हि वो झडे. और उन्की उंगलियां मेरा चूत मंथन कर रही थीं और मैं भी साथ साथ झडी.

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उनका वीर्य मेरी गांड केअंदर से निकल के मेरे चूतड पे आ रहा था. उन्होने अपना लंड निकाला भी नहीं था की मेरी ननद की आवाज आयी,
* भाभी आपका फोन.”

* जल्दी से मैने शलवार चढायी, कुर्ता सीधा किया और बाहर निकली . दर्द से चला नही जा रहा था. किसी तरह सासू जी के बगल में पलंग पे बैठ के बात की. मेरी छोटी ननद ने छेडा,

* क्यों भाभी बहुत दर्द हो रहा है.”

मैने उसे खा जाने वली नजरों से देखा. सासू बोलीं, बहू लेट जाओ. लेटते ही जैसे मेरे चूतड गद्दे पे लगे फिर दर्द शुरु हो गया. उन्होने समझाया, करवट हो के लेट जाओ मेरी ओर मुंह कर के. और मेरी जेठानी से बोलीं,
* तेरा देवर बहुत बदमाश है, मैं फूल सी बहू इस लिये थोडी ले आयी थी…”

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« अरी मां अपनी बहू को दोष नहीं देतीं, मेरी प्यारी भाभी हैं ही इत्ती प्यारी और फिर ये भी तो मटका मटका कर…” उनकी बात काट के मेरी ननद बोली.

लेकीन इस दर्द का एक ही इलाज है, थोडा और दर्द हो तो कुछ देर के बाद आदत पड़ जाती है” मेरा सर प्यार से सहलाते हुए मेरी सासू जी धीरे से मेरे कान में बोलीं.

* लेकीन भाभी भैया को क्यों दोष दें, आपने ही तो उनसे कहा था मारने के लिये, खुजली तो आप को ही हो रही थी.” सब लोग मुस्कराने लगे और मैं भी अपनी गांड में हो रही टीस के बाजूद मुस्करा उठी. सुहाग रात के दिन से ही मुझे पता चल गया था की यहां सब कुछ काफी खुला है.

तब तक वो आके मेरे बगल में रजायी में घुस गये. शलवार तो मैने ऐसे ही चढा ली थी, इस्लिए आसानी से उसे उन्होंने मेरे घुटने तक सरका दी और मेरे चूतड सहलाने लगे. मेरी जेठानी उनसे मुस्कराकर छेडते हुये,बोलीं,
* देवर जी, आप मेरी देवरानी को बहोत तंग करते हैं,

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और तुम्हारी सजा ये है की,आज रात तक अब तुम्हारे पास ये दुबारा नहीं जायेगी.” मेरी सासू जी ने उनका साथ दिया.

जैसे उसके जवाब में उन्होंने मेरे गांड के बीच में छेडती उंगली को पूरी ताकत से एक ही झट्के में मेरी गांड में पेल दिया. गांड के अंदर उनका वीर्य लोशन कीतरह काम कर रहा । था, फिर भी मेरी चीख निकल गयी.

मुस्कराहट दबाती हुयी सासू जी किसी काम का बहाना बना बाहर निकल गयीं लेकीन मेरी ननद कहां चुप रहने वाली थी. वो बोली,
* भाभी क्या किसी चींटे ने काट लिया…”

* अरे नहीं लगता है, चीटां अंदर घुस गया है.” छोटी वाली बोली.

* अरे मीठी चीज होगी तो चींटा लगेगा ही.भाभी आप ही ठीक से ढंक कर नहीं रखती.” बड़ी वाली ने फिर छेडा, तब तक उन्होने रजायी के अंदर मेरा कुरता भी पूरी तरह से उपर उठा के मेरी चूची दबानी शुरु कर दी थी और उनकी उंगली मेरी गांड में गोल गोल घूम रही थी.

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“ अरे, चलो बिचारी को आराम करने दो, तुम लोगों को चींटे से कटवाउंगी तो पता चलेगा.” ये कहके मेरी जेठानी दोनो ननदों को हांक के बाहर ले गयीं. लेकिन वो भी कम नहीं थी. ननदों को बाहर करके वो आयीं और सरसों के तेल की एक शीशी रखती बोलीं,

* ये लगाओ, एंटी सेप्टीक भी है.” तब तक उनका हथियार खुल के मेरी गांड के बीच धक्का मार रहा था. निकल कर बाहर से उन्होने दरवाजा बंद कर दिया. फिर क्या था, उन्होने मुझे पेट ले बल लिटा दिया और पेट के नीचे दो तकीया लगा के मेरे चूतड उपर उठा दिये. सर्मों का तेल अपने लंड पे लगा के सीधे शीशी से ही उन्होंने मेरी गांड के अंदर डाल दिया.

वो एक बार झड ही चुके थे इसलिये आप सोच सकते हैं, इस बार पूरा एक घंटा गांड मारने के बाद ही वो झडे. और जब मेरी जेठानी शाम की चाय ले आयीं तो बी उनका मोटा लंड मेरी गांड मे ही घुसा था.

उस रात फिर उन्होने दो बार मेरी गांड मारी और उसके बाद से हर हफ्ते दो तीन बार मेरे पिछवाडे का बाजा तो बज ही जाता है.
मेरी बडी ननद रानू मुझे वापस लाते हुए , बोली

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* क्या भाभी क्या सोच रही हैं अपने भाई के बारे में.”

“ अरे नही तुम्हारे भाई के बारे में तब तक मुझे लगा मैं क्या बोल गयी, और मैं चुप हो गयी,

“ अरे भाई नही अब मेरे भाईयों के बारे में सोचीये…फागुन लग गया है और अब आपके सारे देवर आपके पीछे पड़े हैं कोयी नहीं छोड़ने वाला आपको और नंदोयी हैं सो अलग.” वो बोली.

“ अरे तेरे भाई को देख लिया है तो देवर और नंदोई को भी देख लूंगी. गाल पे चिकोटी काटती मैं बोली.

होली के पहले वाली शाम को को वो आया. पतला, गोरा, छरहरा किशोर, अभी रेख आयी नहीं थी. सबसे पहले मेरी छोटी ननद मिली और उसे देखते ही वो चालू हो गयी, ‘चिकना वो भी बोला, “ चिकनी..” और उसके उभरते उभारों को देख के बोला, “ बड़ी हो गयी है मुझे लग गया की जो ‘होने वाला है वो ‘होगा. दोनों में छेड छाड चालू हो गयी.

वो उसे ले के जहां उसे रुकना था, उस कमरे में ले गयी. मेरे बेड रूम से एकदम सटा, प्लाइ का पार्टीशन कर के एक कमरा था उसी में उस के रुकने का इंतजाम किया गया था. उसका बेड भी, जिस साइड हम लोगों का बेड लगा था, उसी से सटा था.

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मैने अपनी ननद से कहा अरे कुछ पानी वानी भी पिलाओगी बेचारे को या, छेडती ही रहेगी. वो हंस के बोली अब भाभी इस की चिंता मेरे उपर छोड़ दीजिये और ग्लास दिखाते हुये कहा, देखिये इस साले के लिये खास पानी है. जब मेरे भाई ने हाथ बढ़ाया तो उसने हंस के ग्लास का सारा पानी, जो गाढा लाल रंग था, उसके उपर उडेल दिया.

बेचारे की सफेद शर्ट…पर वो भी छोडने वाला नहीं था. उसने उसे पकड के अपन कपडे पे लगा रंग उसकी फ्राक पे रगडने लगा और बोला, “ अभी जब मैं डालूंगा ना अपनी पिचकारी से रंग तो चिल्लाओगी.”

वो । छुड़ाते हुए बोली,” एक दम नहीं चिल्लाउंगी, लेकिन तुम्हारी पिचकारी मेंकुछ रंग है भी की सब अपनी बहनों के साथ खर्च कर के आ गये हो.”

वो बोला की सारा रंग तेरे लिये बचा के लाया हूँ, एक दम गाढा सफेद.

उन दोनों को वहीं छोड के मैं गयी किचेन में जहां होली के लिये गुझिया बन रही थी और मेरी सास, बडी ननद और जेठानी थीं. गुझिया बनाने के साथ साथ आज खुब खुल के मजाक, गालियां चल रही थीं. बाहर से भी कबीर गाने, गालियों की आवाजें, फागुनी बयार में घुल घुल के आ रही थीं.

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ठंडाई बनाने के लिये भांग रखी थी और कुछ बर्फी में डालने के लिये. मैने कहा, हे कुछ गुझिया में भी डाल के बना देते हैं, लोगों को पता नहीं चलेगा, और फिर खूब मजा आयेगा.

मेरी ननद बोली, हां और फिर हम लोग वो आप को खिला के नंगे नचायेंगे. मैं बोली, मैं इतनी भी बेवकूफ नहीं हूं, भांग वाली और बिना भांग वाली गुझिया अलग अलग डब्बे में रखेंगें. हम लोगो ने तीन डब्बों में, एक में डबुल डोज वाली, एक में नार्मल भांग की और तीसरे में बिना भांग वाली रखी. फिर मैं सब लोगों को खाना खाने के लिये बुलाने चल दी.

मेरा भाई भी उनके साथ बैठा था. साथ में बडी ननद के हसबेंड मेरे नन्दोयी भी…उनकी बात सुन के मैं दरवाजे पे ही एक मिनट के लिये ठिठक के रुक गयी और उनकी बात । सुनने लगी. मेरे भाई को उन्होने सटा के, आल्मोस्ट अपने गोद में ( खींच के गोद में ही बिठा लिया ), सामने नन्दोयी जी एक बोतल ( दारू की ) खोल रहे थे. मेरे भाई के गालों पे हाथ लगा के बोले,
* यार तेरा साला तो बडा मुलायम है.”

* और क्या एक दम मक्खन मलायी.” दूसरे गाल को प्यार से सहलाते वो बोले.

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* गाल ऐसा है तो फिर तो गांड तो…क्यों साल्ले कभी मरायी है क्या” बोतल से सीधे घंट लगाते मेरे नन्दोयी बोले और फिर बोतल उनकी ओर बढा दी

मेरा भाइ मचल गया और मुंह फुला के बोला, और अपने जीजा से बोला, “ देखिये जीजा अगर ये ऐसी बात करेंगे तो…”

उन्होने बोतल से दो बडी घूट लीं और बोतल ननदोयी को लौटा के बोले,
* जीजा ऐसे थोड़े ही पूछते है, अभी कच्चा है, मैं पूछता हूँ…” फिर मेरे भाई के गाल पे प्यार से एक चपत मार के बोले, अरे ये तेरे जीजा के भी जीजा हैं, मजाक तो करेंगे ही

क्या बुरा मानना. फिर होली का मौका है. तू लेकिन साफ साफ बता, तू इत्ता गोरा चिकना है, लौंडियों से भी ज्यादा नमकीन तो मैं ये मान नहीं सकता की तेरे पीछे लड़के ना पड़े हों. तेरे शहर में तो लोग कहते हैं की अभी तक इसी लिये बडी लाइन नहीं बनी की लोग इतने छोटी लाइन के शौकीन है. लोग कहते हैं की वहां बाबी में डिम्पल से ज्यादा लोग …”

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और उन्होने बोतल ननदोयी को दे दी. ना नुकुर कर के उसने बताया की कयी लडके उसके पीछे पड़े तो थे…और कुछ ही दिन पहले वो साइकिल से जब घर आ रहा हा था तो कुछ लडकों ने उसे रोक लिया और जबरन स्कूल के सामने एक बांध है, उसके नीचे गन्ने के खेत में ले गये. उन लोगों ने तो उस की पैंट भी सरका केउसे झुका दिया था

लेकिन बगल से एक टीचर की आवाज सुनायी पड़ी तो वो लोग भागे.

* तो तेरी कोरी है अभी… चल हम लोगों की किस्मत. कोरी मारने का मजा ही और है.” ननदोयी बोले और अबकी बोतल उसके मुंह से लगा दिया. वो लगा छटपटाने. उन्होने उसके मुंह से बोतल हटाते हुए कहा, “ अरे जीजा अभी से क्यों इसको पिला रहे हैं.” ( लेकिन मुझको लग गया था की बोतल हटाने के पहले जिस तरह से उन्होने झटका दिया था, दो चार घूट तो उसके मुंह में चला ही गया ) और खुद पीने लगे.

* क्यो बात नहीं कल जब इसे पेलेंगे तो …पिलायेंगें, संतोष कर नन्दोयी बोले

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“ अरे डरता क्यों है…” दो घूट ले उसके गाल पे हाथ फेरते वो बोले, “ तेरी बहना की भी तो कोरी थी…एकदम कसी….लेकिन मैंने छोडी क्या. पहले उंगली से जगह बनायी, फिर क्रीम लगा के प्यार से सहला के, धीरे धीरे…और एक बार जब सुपाडा घुस गया…वो चीखी चिल्लाई लेकिन अब…हर हफ्ते उसकी पीछे वाली दो तीन बार तो कम से कम…”

और उन्होने उसको फिर से खींच के अपनी गोद में सेट कर के बैठाया.
दरवाजे की फांक से साफ दिख रहा था. उनका पाजामा जिस तरह से तना था…मैं समझ गयी की उन्होने सेंटर कर के सीधे वहीं लगा के बैठा लिया उसको. वो थोडा कुन्मुनाया, पर उनकी पकड कितनी तगडी थी, ये मुझसे अच्छा कौन जानता था. उन्होने बोतल अब नन्दोयी को बढा दी.

* यार तेरी…मेरी सलहज का पीछा…उसके गोल गोल गुदाज चूतड इतने मस्त हैं देख के खड़ा हो जाता है, और उपर से गदरायी उभरी उभरी चूचीया, बड़ा मजा आता होगा तुझे । उसकी चूची पकड के गांड मारने में. है ना.” बोतल फिर नन्दोयी जी ने वापस कर दी . घूट लगा केवो बोले,
* एक दम सही कहते हैं आप उसके दोनो बडे कडक हैं,बहोत मजा आता है उसकी गांड मारने में

* अरे बडे किस्मत वाले हो साले जी तुम…बस एक अगर मिल जाय ना …बस जीवन धन्य हो जाय. मजा आ जाय यार.” नन्दोयी जी ने बोतल उठा के कस के घूट लगायी. अपनी तारीफ सुन के मैं भी खुश हो गई थी. मेरी भी गीली हो रही थी.

होली में खोली चोली – रिश्तो में चुदाई – Hindi Sex Kahani

* अरे तो इसमें क्या कल होली भी है और रिश्ता भी…” बोतल अब उनके पास थी. मुझे भी कोयी एतराज नहीं था. मेरा कोयी सगा देवर था नहीं, फिर नन्दोयी जी भी बहोत रसीले थे.

* तेरे तो मजे हैं यार कल यहां होली और परसों ससुराल में…किस उमर की हैं तेरी सालियां’ नन्दोयी जी पूरे रंग में थे. उन्होने बोला की बड़ी वाली १६ की है और दूसरी थोडी छोटी है, ( मेरी छोटी ननद का नाम ले के बोले) …उसके बराबर होगी.

अरे तब तो चोदने लायक वो भी हो गयी है.” हंस के नन्दोयी जी बोले.

“ अरे उससे भी चार पांच महीने छोटी है…छुटकी.” मेरा भाई जल्दी से बोला. अबतक । उन्होने उअर नन्दोयी ने मिल के उसे भी ८-१० घूट पिला ही दिया था, वो भी सरम लिहाज खो चुका था.

अरे साले साहब से ही पूछिये ना उनकी बहनों का हाल, इनसे अच्छा कौन बतायेगा. ५ वो बोले.

” बोल साल्ले…बडी वाली की चूचीयां कितनी बड़ी हैं।

* वो ..वो उमर में मुझसे एक साल बडी है और उसकी ….उसकी अच्छी हैं. थोडी….दीदी इतनी तो नहीं…दीदी से थोडी छोटी…” हाथ के इशारे से उसने बताया.

मैं शरमा गयी लेकिन अच्छा भी लगा तो मेरा ममेरा भाई मेरे उभारों पे नजर रखता है.

अरे तब तो बड़ा मजा आयेगा तुझे उसके जोबन दबा दबा के रंग लगाने में…’ ननदोयी उनसे बोले और फिर मेरे भाई से पूछा, “ और छूटकी की….”

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* वो उसकी …उसकी अभी…” ननदोयी बेताब हो रहे थे. वो बोले अरे साफ साफ बता, उसकी चूचीयां अभी आयीं हैं की नहीं,

* आयीं तो हैं बस अभी लेकिन उभर रहीं हैं,छोटी है बहुत.” वो बेचारा बोला.

अरे उसी में तो असली मजा है चूंचियां उठान में…मीजने में पकड के पेलने में. चूतड कैसे हैं.

* चूतड तो दोनो सालियों के बड़े सेक्सी है, बडी के उभरे उभरे और छुटकी के कमसिन लौंडों जैसे…मैने पहले तय कर लिया है की होली में अगर दोनो साल्लीयों की कच्कचा के गांड ना मारी

हे तुम जब होली से लौट के आओगे तो अपनी एक साली को साथ ले आना ना…उसी छुटकी को…फिर यहां तो रंग पंचमी को और जबरदस्त होली होती है. उस में जम के होली खेलेंगें साल्ली के साथ.”

आधी से ज्यादा बोतल खाली हो गयी थी और दोनो नशे के शुरुर में थे. थोडा बहोत मेरे भाई को भी

* एकदम जीजा …ये अच्छा आइडिया दिया आपने. बडी वाली का तो बोर्ड का इम्तहान है, लेकिन ये तो अभी ९ वें में है. पंद्रह दिन के लिये ले आयेंगे उस को.”

* अभी वो छोटी है…. वो फिर जिसए किसी रिकार्ड की सुई अटक गयी हो बोला.

* अरे क्या छोटी छोटी लगा रखी है. उस कच्ची कली की कसी फुद्दी को पूरा भोंसडा बना के पंद्रह दिन बाद भेजेंगें यहां से…चाहे तो तुम फ्राक उठा के खुद देख लेना.” बोतल मेज पे रखते वो बोले.

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* और क्या जो अभी शर्मा रही होगी ना…जब जायेगी तो मुंह से फूल की तरह गालियां झडेगीं, रंडी को भी मात कर देगी वो साल्ली. “ ननदोयी बोले.

मैं समझ गयी अब ज्यादा चढ गयी है दोनों को, फिर उन लोगों की बातें सुन सुन के मेरा भी मन करने लगा था. मैं अंदर गई और बोली, चलिये खाने के लिये देर हो रही है.

नन्दोयी उस के गाल पे हाथ फेर के बोले, अरे इतना मस्त भोजन तो हमारे पास ही है.

वो तीनो खाना खा रहे थे लेकिन खाने के साथ साथ…ननदों ने जम के मेरे भाई को गालीयां सुनाई खास कर छोटी ननद ने. मैने ने भी ननदोयी को नहीं बख्शा. और खाना परसने के साथ मैं जान बुझ के उनके सामने आंचल ठूलका देती कभी कस के झुक के दोनो जोबन लो कट चोली से…नन्दोयी की हालत खराब थी.

जब मैं हाथ धुलाने के लिये उन्हे ले गई तो मेरे चूतड कुछ ज्यादा ही मटक रहे थे, मैं आगे आगे वो पीछे…मुझे पता थी उनकी हालत. और जब वो झुके तो मैने उनकी मांग में चुटकी से गुलाल सिंदूर की। तरह डाल दिया और बोली, सदा सुहागन रखे, बुरा ना मानो होली है. उन्होने मुझे कस के भींच लिया. उनके हाथ सीधे मेरे आंचल के उपर से गदराये जोबन पे और उनका पजामा सीधे मेरे पीछे दरारों के बीच…

मैं समझ गयी की उनका “ खूटा” भी उनके साले से कम नहीं है. मैं किसी तरह छुडाते बोली, समझ गयी मैं जाइये ननद जी इंतजार कर रही होंगी. चलिये कल होली के दिन देख लूंगी आपकी ताकत भी,चाहे जैसे जितनी बार डालियेगा, पीछे नहीं भागूंगीं.

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जब मैं किचेन में गयी तो वहां मेरी छोटी ननद, कडाही की काल्खि निकाल रही थी और दूसरे हाथ में बिंदी और टिकुली थी. मैने पूछा तो बोली, आपके भाई के श्रिंगार के लिये लेकिन भाभी…उसे बताइयेगा नहीं. ये मेरे उसके बीच की बात है. हंस के मैं बोली, एक दम नहीं, लेकिन अगर कहीं पलट के उसने डाल दिया तो ननद रानी बुरा मत मानना. वो हंस के बोली, अरे भाभी.

साल्ले की बात का क्या बुरा मानना. एक दम नहीं और फिर होली तो है डालने डलवाने का त्योहार. लेकिन आप भी समझ जाइये ये भी गांव की होली है, वो भी हमारे गांव की होली. यहां कोयी भी चीज छोडी नहीं जाती होली में.

उसकी बात पे मैं सोचती मुस्कराती कमरे में बैठी तो ते तैयार बैठे थे. बची खुची बोतल भी उन्होने खाली कर दी थी. साडी उतारते उतारते उन्होने पलंग पे खींच लिया और चालू हो गये.

सारी रात चोदा उन्होने, लेकिन मुझे झडने नहीं दिया. जब से मैं आयी थी ये पहली रात थी जब मैं झड़ नहीं पायी वरना हर रात…कम से कम ५-६ बार. इतनी चुदवासी कर दिया मुझे की…वो कस कस के मेरी पनियाई चूत चूसते और जैसे ही मैं झड़ने के करीब होती, कच कचा के मेरी चूचीयां काट लेते. दर्द से मैं बिल बिला पडती, मेरी चीख निकल उठती.

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मेरे मन में आया भी की…बगल के कमरे में मेरा भाई लेटा है और वो मेरी हर चीख सुन रहा होगा पर तब तक उन्होने निपल को भी कस के काट लिया, नाखून से नोच लिया. उनकी ये नोच खसोट काटना मुझे और मस्त कर देता था. सब कुछ भूल के मैं फिर चीख पडी. मेरी चीखें उनको भी जोश से पागल बना देती थीं. एक बार में ही उन्होने बालिश्त भर लम्बा, लोहे के राड ऐसा सख्त लंड मेरे चूत में जड तक पेल दिया.

जैसे ही वो मेरी बच्चेदानी से टकराया,मस्ती से मैं चिल्ला उठी हां राजा हां चोद चोद मुझे ऐसे ही. कस कस के पेल दे अपना मूसल मेरी चूत में. और वो भी मेरी चूचीयां मसलते हुए बोलने लगे, ले ले रानी ले. बहूत प्यासी है तेरी चूत ना…घोंट मेरा लौंडा…मेरी सिस्कियां भी बगल के कमरे में सुनायी पड़ रही होंगी, इसक मुझे पूरा अंदाज था, लेकिन उस समय तो बस यही मन कर रहा था की वो चोद चोद कर के बस झाड दें…मेरी चूत. जैसे ही मैं झड़ने के कगार पे पहुंची, उन्होने लंड निकाल लिया.

मैं चिल्लाती रही राजा बस एक बार मुझे झाड दो, बस एक मिनट. लेकिन आज उनके सर पे दूसरा ही भूत सवार हो गया. उन्होने मुझे निहुरा के कुतिया ऐसा बना दिया और बोले चल साल्ली पहले गांड मरा. एक धक्के में ही आधा लंड अंदर…ओह ओह फटी …फट गयी मेरी गांड मैं चिखी कस के. पर उन्होंने मेरे मस्त चूतडों पे दो हाथ कस के जमाये और बोले यार क्या मस्त गांड है तेरी.

साथ साथ पूछा, होली में चल तो रहा हूँ ससुराल पर ये बोल की साल्लीयां चुदवायेंगी की नही. मैं चूतड मटकाते बोली, अरे साल्लीयां है तेरी न माने तो जबरदस्ती चोद देना. खूश होके जब उन्होने अगला धक्का दिया तो पूरा लंड गांड के अंदर. वो मजे में मेरी क्लिट सहलाते हुए गांड मारने लगे.अब मुझे भी मस्ती चढने लगी. मैं सिस्कियां भरती बोलने लगी हे मुझे उंगली से ही झाड दो …ओह्ह ओह्ह …मजा आ रहा है ओहहह.

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उन्होने कस के लिट को पिंच करते हुए पूछा, हे पर बोल पहले तेरी बहनो की गांड भी मारूगा मंजूर. हां हां ओह ओह…जो चाहो बोला तो तेरी सालियां है जो चाहो करो जैसे चाहो करो. पर अबकी फिर जैसे मैं कगार पे पहुंची उन्होने हाथ हटा लिया. इसी तरह सारी रात ७-८ बार मुझे कगार पे पहूचा के वो रोक देते…मेरी देह में कपन चालू हो जाता लेकिन फिर वो कच कचा के काट लेते.

झडे वो जरूर लेकिन वो भी सिर्फ दो बार , पहली बार मेरी गांड मे जब लंड ने झडना शुर किया तो उसे निकाल के सीधे मेरी चूची, चेहरे और बालों पे…बोले अपनी पिचकारी से होली खेल रहा हूं और दूसरी बार एक दम सुबह मेरी गांड में, जब मेरी ननद दरवाजा खटखटा रही थी. उस समय तक रात भर के बाद उनका लंड पत्थर की तरह सख्त हो चुका था.

झुका के कुतिया की तरह कर के पहले तो उन्होने अपना लंड मेरी गांड खूब अच्छी तरह फैला के, कस के पेल दिया. फिर जब वो जड तक अंदर तक घुस गया तो मेरे दोनो पैर सिकोड के अच्छी तरह चिपका के, खचाखच खचाखच पेलना शुरु कर दिया. पहले मेरे दोनो पैर फैले थे,उसके बीच में उनका पैर और अब उन्होने जबरन कस के अपने पैरों के बीच में मेरे पैर सिकोड रखे थे. मेरी कसी गांड और सकरी हो गयी थी. मुक्के की तरह मोटा उनका लंड…जब मेरी ननद ने दरवाजा खटखटाया, वो एक दम झडने के कगार पे थे

और मैं भी. उनकी तीन उंगलियां मेरी बुर में और अगूंठा क्लिट पे रगड़ रहा था. लेकिन खट खट की आवाज के साथ उन्होंने मेरी बुर के रस में सनी अपनी उंगलिया निकाल के कस के मेरे मुंह में ठूस दी, दूसरे हाथ से मेरी कमर उठा के सीधे मेरी गांड में झडने लगे. उधर ननद बार बार दरवाजा खट खट…और इधर ये मेरी गांड में झड़ते जा रहे थे.

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मेरी गीली प्यासी चूत भी…बार बार फुदक रही थी. जब उन्होने गांड से लंड निकाला तो गाढे थक्केदार वीर्य की धार, मेरे चूतडों से होते हुए मेरे जांघ पर भी..पर इस की परवाह किये। बिना, मैने जल्दी से सिर्फ ब्लाउज पहना साडी लपेटी और दरवाजा खोल दिया