होली आयी चुदाई लायी – Holi me Chudai Ki Kahani

Holi Aayi Chudai Layi – Holi Me Chudai Ki Kahani

 

होली आयी चुदाई लायी – Holi Chudai Ki Kahani

मेरे देवर कम नंदोई,सदा सुहागन रहो, दूधो नहाओ पूतो फलो,तुमने बोला था की इस बार होली पे जरुर आओगे और हफ्ते भर रहोगे तो क्या हुआ. देवर भाभी की होली तो पूरे फागुन भर चलती है और इस बार तो मैंने अपने लिए एक देवरानी का भी इंतजाम कर लिया है वही तुम्हारा पुराना माल…न सतरह से ज्यादा न सोला से कम …क्या उभार हो रहे हैं उसके …

मैंने बोला था उससे की अरे हाई स्कुल कर लिया इंटर में जा रही तो अब तो इंटर कोर्स करवाना ही होगा तो फिस्स से हंस के बोली…अरे भाभी आप ही कोई इंतजाम नहीं करवाती अपने तो सैयां , देवर, ननदोइयों के साथ दिन रात और …तो उसकी बात काट के मैं बोली अच्छा चल आरहा है होली पे एक .और कौन तेरा पुराना यार , लम्बी मोटी पिचकारी है उसकी और सिर्फ सफेद रंग डालेगा एकदम गाढा बहोत दिन तक असर रहता है. तो वो हँस के बोली अरे भाभी आजकल उसका भी इलाज आगया है चाहे पहले खा लो चाहे अगले दिन …

वो बाद के असर का खतरा नहीं रहता. और हां तुम मेरे लिए होली की साडी के साथ चड्ढी बनयान तो लेही आओगे उसके लिए भी ले आना और अपने हाथ से पहना देना. मेरी साइज़ तो तुम्हे याद ही होगी मेरी तुम्हारी तो एक ही है…३४ सी और मालुम तो तुम्हे उसकी भी होगी…लेकिन चल मैं बता देती हूँ …३० बी. हां होली के बाद जरूर ३२ हो जायेगी.”

मैं समझ गया भाभी चिट्ठी मैं किसका जीकर कर रही थीं …मेरी कजिन … हाईस्कूल का इम्तहान दिया था उसने. जबसे भाभी की शादी हुयी थी तभी से उसका नाम लेके छेडती थीं आखिर उनकी इकलौती ननद जो थी . शादी में सारी गालियां उसी का बाकायदा नाम ले के और भाभी तो बाद में भी प्योर नान वेज गालियां पहले तो वो थोड़ा चिढ़ती लेकिन बाद में वो भी …कम चुलबुली नहीं थी . कई बार तो उसके सामने ही भाभी मुझसे बोलतीं, हे हो गयी है ना लेने लायक …कब तक तडपाओगे बिचारी को कर दो एक दिन..आखिर तुम भी ६१-६२ करते हो और वो भी कैंडल करके…आखिर घर का माल घर में …

होली में चुदाई का दंगल – Holi me Chudai Ki Kahani

पूरी चिट्ठी में होली की पिचकारियाँ चल रही थीं. छेड छाड़ थी मान मनुहार थी और कहीं कहीं धमकी भी थी.
” माना तुम बहोत बचपन से मरवाते डलवाते हो और जिसे लेने में चार बच्चों की मां को पसीना आता है वो तुम हंस हंस के घोंट लेते हो…लेकिन अबकी होली में मैं ऐसा डालूंगी ना की तुम्हारी भी फट जायेगी, इसलिए चिट्ठी के साथ १० रुपये का नोट भी रख रही हूं, एक शीशी वैसलीन की खरीद लेना और अपने पिछवाडे जरूर लगाना… सुबह शाम दोनों टाइम वरना कहोगे की भाभी ने वार्निंग नहीं दी…” लेकिन मेरा मन मयूर आखिरी लाइनें पढ़ कर नाच उठा,

” अच्छा सुनो, एक काम करना. आओगे तो तुम बनारस के ही रास्ते…रुक कर भाभी के यहाँ चले जाना. गुड्डी का हाईस्कूल का बोर्ड का इम्तहान ख़तम हो गया है. वो होली में आने को कह रही थी, उसे भी अपने साथ ले आना. जब तुम लौटोगे तो तुम्हारे साथ लौट जायेगी.”
चिठ्ठी के साथ में १० रुपये का नोट तो था ही एक पुडिया में सिंदूर भी था और साथ में ये हिदायत भी की मैं रात में मांग में लगा लूं और बाकी का सिंगार वो होली में घर पहंचने पे करेंगी.

आखिरी दो लाइनें मैंने १० बार पढ़ीं और सोच सोच के मेरा तम्बू तन गया. …

गुड्डी …देख के कोई कहता बच्ची है मैं भी यही समझता था लेकिन दो बातें…एक तो असल में वो देखने से ऐसी बच्ची भी नहीं लगती थी…सिवाय चेहरे को छोडके…एक दम भोला . लम्बी तो थी ही, ५-३ रही होगी असली चीज उसके जवानी के फूल, एकदम गदरा रहे थे. ३० सी .. और दूसरी .मेरे सामने पिछले साल का दृश्य नाच उठा. मेरा सेलेक्शन हो गया था और मेरा मन भी …पूरे घर में मेरी पूछ भी बढ़ी हुयी थी. गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थीं और गुड्डी भी आई थी.

कातिल जवानी का रस – दोस्त की बीवी को चोदा (Holi me Chudai Ki Kahani)

सब लोग पिक्चर देखने गए…डिलाईट टाकिज …अभी भी मुझे याद है.कोई पुरानी सी पिक्चर थी…रोमांटिक ..हाल करीब खाली सा था. घर के करीब सभी लोग थे. गुड्डी मेरे बगल में ही बैठी थी. हम लोग मूंग फली खारहे थे…सामने एक रोमांटिक गाना चल रहा था. उसने मेरा हाथ पकड़ के अपने सीने पे रख लिया. मैं कुछ समझा नहीं और वहीँ हाथ रहने दिया. थोड़ी देर रह के उसने दूसरे हाथ से मेरा हाथ हलके से दबा दिया. अब मैं इत्ता बुद्धू तो था नहीं…हाँ ये बात जरूर थी की अब तक न तो मेरी कोई गर्ल फ्रेंड थी ना मैंने किसी को छुआ वुआ था. मैंने दोनों और देखा सब लोग पिक्चर देखने में मशगूल थे यहाँ तक की गुड्डी भी सबसे ज्यादा ध्यान से देख रही थी.

अब मैने हलके से उसके उभार दबा दिए. उसके ऊपर कोई असर नहीं पडा और वो सामने पिक्चर देखती रही और मुझसे बोली , हे ज़रा मूंगफली बगल में पास कर दो सब तुम ही खाए जा रहो और मैंने बगल में जो मेरी कजिन बैठी थी उसे दे दिया. थोड़ी देर में गुड्डी ने फिर मेरा हाथ दबा दिया अब इससे ज्यादा

सिगनल क्या मिलता. मैंने उसके छोटे छोटे बूब्स हलके से सहलाए फिर दबा दिए और अबकी कस के दबा दिया. वो कुछ नहीं बोली लेकिन थोड़ी देर बाद उसने अपना हाथ मेरे जींस के ऊपर रख दिया. लेकिन तभी इंटरवल हो गया.

हम सब बाहर निकले. वो कोर्नेटो के लिए जिद्द करने लगी और मेरी कजिन ने भी उसका साथ दिया. मैंने लाख समझाया की बहोत भीड़ है स्टाल पे लेकिन वो दोनों …कूद काद के मैं ले आया. लेकिन दो ही मिलीं. उन दोनों को पकडाते हुए मैंने कहा लो दो ही थीं मेरे लिए नहीं मिली…तब तक पिक्चर शुरू होगई थी और मेरी कजिन आगे चली गई थी, कोरेनेटो ले के…लेकिन गुड्डी रुक गई और अपनी बड़ी बड़ी आंखे नचा के बोली, तुम मेरी ले लेना ना. मैंने उसी टोन में जवाब दिया. लूँगा तो मना मत करना. उसने भी उसी अंदाज में जवाब दिया, मना कौन करता है हाँ तुम्ही घबडा जाते हो …

मेरा चोदू परिवार-रिश्तो में चुदाई – Incest Sex ( Holi me Chudai Ki Kahani)

बुद्धू और वो हाल में घुस गयी. मैं सीट पे बैठ गया तो वो मेरी कजिन को सूना के बोली , कुछ लोग एक दम बुद्धू होते हैं है ना…और उसने भी उसकी हामी में हामी भरी और खीस से हंस दी…मैं बिचारा बीच में. कोरेनेटो की एक बाईट ले के उसने मुझे पास की और बोला…देखा मैं वादे की पक्की हूं, ले लो लेकिन थोड़ा सा लेना. मैंने कस के एक बाईट ली उसी जगह से जहां उसने होंठ लगाए थे और हलके से उसके कान में फुसफुसाया…मजा तो पूरा लेने में है. जवाब उसने दिया कस के मेरी जांघ पे एक कस के चिकोटी काट के…ठीक ‘उस के ‘ बगल में और मुझसे कार्नेटो वापस लेके. बजाय बाईट लेने के उसने हलके से लिक किया और फिर अपने होंठों के बीच लगा के मुझे दिखा के पूरा गप्प कर लिया.
अगले दिन रात तो हद हो गई. गरमी के दिन थे.

भैया भाभी ऊपर सोते और हम सब नीचे की मंजिल पे. एक दिन रात में बिजली चली गई. उमस के मारे हालत ख़राब थी. मैंने अपने चारपायी बरामदे में मेरी cनिकाल ली. थोड़ी देर में मेरी नींद खुली तो देखा तो बगल में एक और चारपाई …मेरी चारपाई से सटी…और उसपे वो सर से पैर तक चद्दर ओढ़े…हलकी हलकी खर्राटे की आवाजें…मैंने दूसरी ओर नजर दौड़ाई तो एक दो और लोग थे लेकिन सब गहरी नींद में…

मैंने हिम्मत की और चारपाई के एक दम किनारे सट के उसकी ओर करवट ले के लेट गया और सर से पैर तक चद्दर ओढ़े…थोड़ी देर बाद हिम्मत कर के मैं उसके चद्दर के अंदर हाथ डाला..पहले तो उसके हाथ पे हाथ रखा और फिर सीने पे …वो टस से मस नहीं हुयी. मुझे लगा शायद गहरी नींद में है. लेकिन तभी उसके हाथ ने पकड़ के मेरा हाथ टाप के अंदर खींच लिया पहले ब्रा के ऊपर से फिर ब्रा के अंदर…पहली बार मैंने जवानी के उभार छुए थे. समझ में ना आये की क्या करूँ .

हाय!! मेरे भाई का लण्ड – भाई बहन सेक्स कहानी (Holi me Chudai Ki Kahani)

तभी उसने टाप के ऊपर से अपने दूसरे हाथ से मेरा हाथ दबाया…फिर तो…कभी मैं सहलाता कभी हलके से दाबता कभी दबोच लेता. दो दिन बाद फिर पावर कट हुआ…अब मैं बल्कि पावर कट का इंतजार करता था…और उस दिन वो शलवार कुरते में थी .थोड़ी देर ऊपर का मजा लेने के बाद मैंने जब हाथ नीचे किया तो पता चला की शलवार का नाडा पहले से खुला था. पहली बार मैंने जब ‘वहां’ छुआ तो बता नहीं सकता कैसा लगा बस जो कहाए है ना गूंगे का गुड बस वही. सात दिन कैसे गुजर गए पता नहीं चला. दिन भर तो वो खिलंदड़ी की तरह कभी हम कैरम खेलते कभी लूडो …भाभी भी साथ होतीं और`वो मुझे छेड़ने में पूरी तरह भाभी का साथ देती.

यहाँ तक की जब भाभी मेरी कजिन का नाम लगा के खुल के मजाक करतीं या गालियां सुनाती तो भी . ताश मुझे ना के बराबर आता था लेकिन वो भाभी के साथ मिल के गर्मी की लम्बी दुपहरियों में …और जब मैं कुछ गड़बड़ करता और भाभी बोलतीं क्यों देवर जी पढ़ाई के अलावा आपने लगता है कुछ नहीं सिखा लगता है मुझे ही ट्रेन करना पडेगा वरना मेरी देवरानी आके मुझे ही दोष देगी तो वो भी हंस के तुरपन लगाती…हाँ एक दम अनाडी हैं..

उस सारंग नयनी की आंखे कह देतीं की वो मेरे किस खेल में अनाडी होने की शिकायत कर रही है.जिस दिन वो जाने वाली थी, वो उपर छत पर, अलगनी पर से कपडे उतारने गई. पीछे पीछे मैं भी चुपके से …हे हेल्प कर दूं मैं उतारने में मैंने बोला. ना हंस के वो बोली. फिर हंस के दारे पर से अपनी शलवार हटाती बोली, मैं खुद उतार दूंगी . अब मुझसे नहीं रहा गया.मैंने उसे कस के दबोच लिया और बोला…हे दे दो ना बस एक बार …और कह के मैंने उसे किस कर लिया ये मेरा पहला किस था.

लेकिन वो मछली की तरह फिसल के निकल गयी और थोड़ी दूर खड़ी होके हंसते हुए बोलने लगी..इंतजार बस थोडा सा इंतजार . एक दो महीने पहले फिर वो मिली थी एक शादी में धानी शलवार सुइट मन जवानी की आहट एक दम तेज हो गयी थी. मैंने उससे पूछा हे पिछ.ली बार तुमने कहा था ना इंतज़ार तो कब तक…बस थोडा सा और. मैं शायद उदास हो गया था . वो मेरे पास आई और मेरे चेहरे को प्यार से सहलाते हुए बोली पक्का…बहोत जल्द और अगली बार जो तुम चाहते हो वो सब मिलेगा प्रामिस . मेरे चेहरे पे तो वो ख़ुशी थी की…मैंने फिर कहा सब कुछ तो वो

ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट २ – Incest Hindi Sex Kahani (Holi me Chudai Ki Kahani)

हंस के बोली एक दम लेकिन तब तक बारात आगई और वो अपनी सहेलियों के साथ बाहर.
भाभी की चिट्ठी ने मुझे वो सब याद दिला दिया और अब उस ने खुद कहा है की वो होली में आना चाहती है और …उसे तो मालूम ही था की मैं बनारस हो के ही जाउंगा…मैंने तुरंत सारी तैयारियां शुरू कर दीं.

ओह्ह कहानी तो मैंने शुरू कर दी लेकिन पात्रों से तो परिचय करवाया ही नहीं. तो चलिए शुरू करते हैं सबसे पहले मैं यानी आनंद. उम्र जब की बात बता रहा हूँ..२३वां लगा था. लम्बाई ५-११. कोई जिम टोंड बदन वदन नहीं लेकिन छरहरा कह सकते हैं. गोरा..चिढाने के लिए खास तौर से भाभी, चिकना नमकीन कह देती थीं पर आप जानते हैं भाभी तो भाभी हैं.

हाँ ये बात सही थी की मैं जरा शर्मीला था. और शायद इसलिए मैं अब तक ‘कुवांरा’ था. मेरी इमेज एक सीधे साधे लडके की थी. चलिए बहूत हो गयी अपनी तारीफ़. हां अगर आप ‘ उस’ चीज के बार मैं जानना चाते हैं हैं की …तो वो इस तरह की कहानियों के नायक की तरह तो नहीं था लेकिन उन्नीस भी नहीं था. मेरी भाभी …बहोत अच्छी थीं…शायद वो पहली महिला लड़की जो चाहे कह लीजिये जो मुझसे खुल के बात कट करती थीं. और इसका एक कारण भी था.. उम्र में मुझसे शायद दो साल ही बड़ी थीं.

घर में उनकी उम्र के आस पास का मैं ही था. फिर फिल्मी गानों से लेके हर चीज़ तक यहाँ तक की मेरे लिए मस्तराम किराए पे लाने की फंडिंग भी वही करती थीं. और उनका भी हर काम बाजार से कुछ लाना हो, उन्हें मायके ले जाना और वहां से लाना बस चिढाती बहोत थीं और खास तौर पर मेरी कजिन का नाम लेके, मजाक करने में तो एक नम्बर की…मेरी कजिन पास के ही मोहल्ले में रहती थी और भाभी की एकलौती ननद थी. जैसा की भाभी ने अपनी चिठ्ठी में लिखा था की उसने अभी १०वें का इम्तहान दिया था.

और गुड्डी जो बनारस में रहती थी, भाभी की भतीजी थी लेकिन भाभी को दीदी कहती थी..शायद इस लिए की भाभी के परिवार में सभी उन्हें दीदी कहते थे. हाँ और उंसे दोस्ती भी उसकी वैसे ही थी. कहानी में और भी लोग आयेंगे लेकिन उनकी मुलाक़ात हो जायेगी. तो शुरू करते हैं बात जहां छोड़ा था…यानी भाभी की चिट्ठी की बात जिसमें मुझे बनारस से गुड्डी को साथ लाना था.

घरेलू चुदाई समारोह – House Sex Kahani (Holi me Sex Ki Kahani)

तो मैंने जल्दी से जल्दी साड़ी तयारी कर डाली. पहले तो भाभी के लिए साडी और साथ में जैसा उन्होंने कहा था चड्ढी बनयान एक गुलाबी और दूसरी स्किन कलर की लेसी, और भी फिर मैंने सोचा की कुछ चीजें बनारस से भी ले सकते हैं. बनारस के लिए कोई सीधी गाडी नहीं थी इसलिए अगस्त क्रान्ति से मथुरा वहां से एक दूसरी ट्रेन से आगरा वहांसे बस और फिर ट्रेन से मुगलसराय और ऑटो से बनारस. वहां मैंने एक रेस्ट हाउस पहले से बुक करा रखा था. सामान वहां रख के मैं फिर से नहा धो के फ्रेश शेव करके तैयार हुआ.

क्रीम आफ्टर शेव लोशन , परफ्यूम फ्रेश प्रेस की हुयी सफेद शर्ट…आखिर मैं सिर्फ भाभी के मायके ही नहीं बल्कि …शाम हो गयी थी. मैंने सोचा की अब इस समय रात में तो हम जा नहीं सकते तो बस एक बार आज जाके मिल लेंगे और भाभी की भाभी के घर बस बता दूंगा की मैं आ गया हूँ गुड्डी से मिल लूंगा और कल एक दम सुबह जाके उस के साथ घर चला जाउंगा. बस से २-३ घंटे लगते थे. बस से २-३ घंटे लगते थे. रास्ते, में मैंने मिठाई भी ले ली. मुझे मालूम था की गुड्डी को गुलाब जामुन बहोत पसंद हैं.

लेकिन वहां पहुंच कर तो मेरी फूँक सरक गयी. वहां सारा सामान पैक हो रहा था. भाभी की भाभी या गुड्डी की मां ( उन्हें मैं भाभी ही कहूंगा) ने बताया की रात साढ़े आठ बजे की ट्रेन से सभी लोग कानपुर जा रहे हैं. अचानक प्रोग्राम बन गया . अब मैं उन्हें कैसे बताऊँ की भाभी ने चिठ्ठी में क्या लिखा था और मैं क्या प्लान बना के आया था. मैंने मन ही अपने को गालियाँ दी और प्लानिंग कर बच्चू.

गुड्डी भी तभी कहीं बाहर से आई. फ्राक में वो कैसी लग रही थी क्या बताऊँ. मुझे देखते ही उसका चेहरा खिल गया. लेकिन मेरे चेहरे पे तो बारा बजे थे. बिना मेरे पूछे वो कहने लगी की अचानक ये प्रोग्राम बन गया की सब लोग होली में कानपुर जायेंगे इसलिए सब जल्दी जल्दी तयारी करनी पड़ गयी लेकिन अब सब पैकिंग हो गयी है.मेरा चेहरा और लटक गया था. हम लोग बगल के कमरे में थे. भाभी और बाकी लोग किचेन के साथ वाले कमरे में थे. गुड्डी एक बैग में अपने कपडे पैक कर चुकी थी. वो बिना मेरी और देखे हलके हलके बोलने लगी, जानते हो कुछ लोग बुध्धू होते हैं और हमेशा बुध्धू ही रहते हैं है ना.

कुंवारी बहन की पहली बरसात – रिश्तो में चुदाई (Holi me Chudai Ki Kahani)

वो उठ के मेरे सामने आ गयी और मेरे गाल पे एक हलकी सी चिकौटी काट के बोलने लगी,” अरे बुध्धू …सब लोग जा रहे हैं कानपुर मैं नहीं. मैं तुम्हारे साथ ही जाउंगी. पूरे सात दिन के लिए, होली में तुम्हारे साथ ही रहूंगी…और तुम्हारी रगड़ाई करुँगी. ” मेरे चेहरे पे तो १२०० वाट की रोशनी जगमग हो गयी. ” सच्ची'” मैं ख़ुशी से फूला नहीं समा रहा था. ” सच्ची ‘ और उस सारंग नयनी ने इधर उधर देखा और झट से मुझे बाहों में भर के एक किस्सी मेरे गालों पे ले लिया और हाथ पकड़ के उधर ले गयी जहां बाकी लोग थे.

मेरे कान में वो बोली, ” मम्मी को पटाने में जो मेहनत लगी है उसकी पूरी फीस लूंगी तुमसे. एकदम मैंने भी हलके से कहा. किचेन में भाभी होली के लिए सामान बना रहीं थीं. मैं उनसे कहने लगा की मैं अभी चला जाउंगा रेस्ट हाउस में रुका हूँ. कल सुबह आके गुड्डी को ले जाउंगा. वो बोलीं अरे ये कैसे हो सकता. अभी तो आप रुको खाना वाना खा के जाओ. मैं लेकिन तकल्लुफ करने लगा की नहीं भाभी आप लोगों से मुलाक़ात तो हो ही गयी. आप लोग भी बीजी हैं. थोड़ी देर में ट्रेन भी है. तब तक वहां एक महिला आयीं क्या चीज थीं.

गुड्डी ने बताय की वो चन्दा भाभी हैं. बहभी यानी गुड्डी की मम्मी की ही उम्र की होंगी…लेकिन दीर्घ नितंबा, सीना भी ३८ डी से तो किसी हालत में कम नहीं होगा लेकिन एक दम कसा कडा…मैं तो देखता ही रह गया. मस्त माल और ऊपर से भी ब्लाउज भी उन्होंने एक दम लो कट पहन रखा था.

मेरी और उन्होंने सवाल भरी निगाहों से देखा. भाभी ने हंस के कहा अरे बिन्नो के देवर …अभी आयें हैं और अभी कह रहे हैं जायेंगे. मजाक में भाभी की भाभी सच में उनकी भाभी थी और जब भी मैं भैया की ससुराल जाता था जिस तरह से गालियों से मेरा स्वागत होता था…और मैं थोड़ा शर्माता था इसलिए और ज्यादा..लेकिन चन्दा भाभी ने और जोड़ा,

बीवी का मायके में मेरी कामलीला – Lambi sex stories (Holi me Chudai Ki Kahani)

” अरे तब तो हम लोगों के डबल देवर हुए तो फिर होली में देवर ऐसे सूखे सखे चले जाएँ ससुराल से ये तो सख्त नाइंसाफी है. लेकिन देवर ही हैं बिन्नो के या कुछ और तो नहीं हैं…”

” अब ये आप इन्ही से पूछ लो ना…वैसे तो बिन्नो कहती है की ये तो उसके देवर तो हैं हीं..उसके ननद के यार भी हैं इसलिए ननदोई का भी तो…” भाभी को एक साथी मिल गया था.

” तो क्या बुरा है घर का माल घर में …वैसे कित्ती बड़ी है तेरी वो बहना बिन्नो की शादी में भी तो आई थी…सारे गावं के लडके ..” चंदा भाभी ने छेड़ा.

गुड्डी ने भी मौक़ा देख के पाला बदल लिया और उन लोगों के साथ हो गयी.

” मेरे साथ की ही है…अभी दसवें का इम्तहान दिया है”

…” अरे तब तो एकदम लेने लायक हो गयी होगी…भैया….जल्दी ही उसका नेवान कर लो वरना जल्द ही कोई ना कोई हाथ साफ कर देगा…दबवाने वग्वाने तो लगी होगी…hay न हम लोगों से क्या शर्माना…”

” अरे तब तो एकदम लेने लायक हो गयी होगी…भैया….जल्दी ही उसका नेवान कर लो वरना जल्द ही कोई ना कोई हाथ साफ कर देगा…दबवाने वग्वाने तो लगी होगी…hay न हम लोगों से क्या शर्माना…”

…” अरे तब तो एकदम लेने लायक हो गयी होगी…भैया….जल्दी ही उसका नेवान कर लो वरना जल्द ही कोई ना कोई हाथ साफ कर देगा…दबवाने वग्वाने तो लगी होगी…है न हम लोगों से क्या शर्माना…”

चुदाई का संसार – Kamukta Hindi Sex Kahani (Holi me Chudai Ki Kahani)

लेकिन मैं शरमा गया. मेरा चेहरा जैसे किसी ने इंगुर पोत दिया हो. और चंदा भाभी और चढ़ गयीं.
” अरे तुम तो लौंडियो की तरह शरमा रहे हो. इसका तो पैंट खोल के देखना पड़ेगा की ये बिन्नो की ननद है या देवर.”
भाभी हंसने लगी और गुड्डी भी मुस्करा रही थी.
मैंने फिर वही रट लगाई , ” मैं जा रहा हूँ …सुबह आ के गुड्डी को ले जाऊँगा.”
” अरे कहाँ जा रहे हो रुको ना और हम लोगों की पैकिंग वेकिंग हो गयी है ट्रेन में अभी ३ घंटे का टाइम है और वहां रेस्ट हाउस में जा के करोगे क्या अकेले या कोई है वहां.” भाभी बोलीं.
” अरे कोई बहन वहन होंगी इनकी यहाँ भी. क्यों …साफ साफ बताओ ना अच्छा मैं समझी …दालमंडी ( बनारस का उस समय का रेड लाईट एरिया जो उन लोगों के मोहल्ले के पास ही था) जा रहे हो अपनी उस बहन कम माल के लिए इंतजाम करने…इम्तहान तो हो ही गया है उसका…ला के बैठा देना ..मजा भी मिलेगा और पैसा भी…लेकिन तुम खुद इत्ते चिकने हो होली का मौसम  ये बनारस है. किसी लौंडे बाज ने पकड़ लिया ना तो निहुरा के ठोंक देगा. और फिर एक जाएगा दूसरा आएगा रात भर लाइन लगी रहेगी. सुबह आओगे तो गौने की दुल्हिन की तरह टाँगे फैली रहेंगी. ” चंदा भाभी अब खुल के चालू हो गयी थीं.
” और क्या हम लोग बिन्नो को क्या मुंह दिखायेंगे …” भाभी भी उन्ही की भाषा बोल रहीं थीं. वो उठ के किसी काम से दूसरे कमरे में गयीं तो अब गुड्डी ने मोर्चा खोल लिया.
” अरे क्या एक बात की रट लगा के बैठे हो…जाना है जाना है. तो जाओ ना …मैं भी मम्मी के साथ कानपुर जा रही हूँ. थोड़ी देर नहीं रुक सकते बहोत भाव दिखा रहे हो…सब लोग इत्ता कह रहे हैं…”
” नहीं…वैसा कुछ ख़ास काम नहीं …मैंने सोचा की थोड़ा शौपिंग वापिंग ..और कुछ ख़ास नहीं…तुम कहती हो तो…” मैंने पैंतरा बदला.
” नहीं नहीं मेरे कहने वहने की बात नहीं है…जाना है तो जाओ …और शौपिंग तुम्हे क्या मालूम कहाँ क्या मिलता है यहाँ कल चलेंगे ना दोपहर में निकलेंगे यहाँ से फिर तुम्हारे साथ सब शौपिंग करवा देंगे. अभी तो तुम्हे सैलरी भी मिल गयीं होगी ना सारी जेब खाली करवा लूँगी” ये कह. के वो

अनाड़ी पति और खिलाडी ससुर – ससुर ने चोदा (Holi me Chudai Ki Kahani)

थोड़ा मुस्कराई तो मेरी जान में जान आई.
चन्दा भाभी कभी मुझे तो कभी उसे देखतीं.
” ठीक है बाद में सब लोगों के जाने के बाद …” मैंने इरादा बदल दिया और धीरे से बोला.
” तुम्हे मालूम है कैसे कस के मुट्ठी में पकड़ना चाहिए…” चन्दा भाभी ने मुस्कराते हुए गुड्डी से कहा.
” और क्या ढीली छोड़ दूं तो पता नहीं क्या…” और मैं भी उन दोनों के साथ मुस्करा रहा था. तब तक भाभी आ गयीं और गुड्डी ने मुझे आँख से इशारा किया. मैं खुद ही बोला..
“.भाभी ठीक ही है…आप लोग चली जाएँगी तभी जाउंगा..वैसे भी वहां पहुँचने में भी टाइम लगेगा और फिर आप लोगों से कब मुलाकात होगी…”
चन्दा भाभी तो समझ ही रही थीं की …और मंद मंद मुस्करा रही थीं..लेकिन भाभी मजाक के मूड में ही थीं वो बोलीं,
” अरे साफ साफ ये क्यों नहीं कहते की पिछवाड़े के खतरे का ख़याल आ गया…ठीक है बचा के रखना चाहिए..सावधानी हटी दुर्घटना घटी.”
” अरे इसमें ऐसे डरने की क्या बात है देवर जी, ऐसा तो नहीं है की अब तक आपकी कुँवारी बची होगी…ऐसे चिकने नमकीन लौंडे को तो …वैसे भी ये कहा है ना की मजा मिले पैसा मिले और …” गुड्डी मैदान में आ गयी मेरी ओर से, ” इसलिए तो बिचारे रुक नहीं रहे थे…आप लोग भी ना…”
” बड़ा बिचारे की ओर से बोल रही हो. अरे होली में ससुराल आये हैं और बिना डलवाए गए तो नाक ना कट जायेगी…अरे हम लोग तो आज जा ही रहे हैं वरना…लेकिन आप लोग ना…” गुड्डी की मम्मी बोलीं. .
” एकदम,” चन्दा भाभी बोलीं. ” आप की ओर से भी और अपनी ओर से भी इनके तो इत्ते रिश्ते हो गए हैं …देवर भी हैं बिन्नो के नंदोई भी…इसलए डलवाने से तो बच नहीं सकते अरे आये ही इसलिये हैं की …क्यों भैया वेसेलिन लगा के आये हो या वरना मैं तो सूखे ही डाल दूँगी. और तू किसका साथ देगी अपनी सहेली के यार का …या…” चन्दा भाभी अब गुड्डी से पूछ रही थीं.

ससुर ठरकी बहु घर की पार्ट 3 – Incest Sex Kahani (Holi me Chudai Ki Kahani)

गुड्डी खिलखिला के हंस रही थी. और मैं उसी में खो गया था. भाभी किचेन में चली गयी थीं लेकिन बातचीत में शामिल थीं.
” अरे ये भी कोई पूछने की बात है आप लोगों का साथ दूँगी…मैं भी तो ससुराल वाली ही हूँ कोई इनके मायके की थोड़ी…और वैसे भी शर्ट देखिये कीत्ती सफेद पहन के आये हैं इसपे गुलाबी रंग कित्ता खिलेगा. एकदम कोरी है…”

” इनकी बहन की तरह …” चंदा भाभी जोर से हंसी और मुझसे बोलीं, ” लेकिन डरिये मत हम लोग देवर से होली खेलते हैं उसके कपड़ों से थोड़े ही…”

तब तक भाभी की आवाज आई ” अरे मैं थोड़ी गरम गरम पूडियां निकाल दे रहीं हूँ भैया को खिला दो ना…जबसे आये हैं तुम लोग पीछे ही पड़ गयी हो..” चंदा भाभी अंदर किचेन में चली गयीं लेकिन जाने के पहले गुड्डी से बोला..

” हे सुन मैंने अभी गरम गरम गुझिया बनायी है …वो वाली ( और फिर उन्होंने कुछ गुड्डी के कान में कहा और वो खिलखिला के हंस पड़ी), गुंजा से पूछ लेना अलग डब्बे में रखी है..जा.”

वो मुझे बगल के कमरे में ले गयी और उसने बैठा दिया.

हे कहाँ जा रही हो…” मैं फुसफुसा के बोला.

” तुम ना एकदम बेसबरे हो …पागल…अभी तो खुद भागे जा रहे थे और अभी ..अरे बाबा बस अभी गयी अभी आई. बस यहीं बैठो. उसे मेरी नाक पकड़ के हिला दिया और हिरणी की तरह उछलती ९-२-११ हो गयी.

मेरे तो पल काटे नहीं कट रहे थे. मैं दीवाल घडी के सेकेंड गिन रहा था. पूरे चार मिनट बाद वो आई. एक बड़ी सी प्लेट में गुझिया लेके. गरम गरम ताज़ी और खूब बड़ी बड़ी गदराई सी. अबकी सोफे पे वो मुझसे एकदम सट के बैठ गयी. उसकी निगाहें दरवाजे पे लगी थीं.
लो,,

बेटी ने माँ को चुदवाया – माँ बेटी सेक्स (Holi me Chudai Ki Kahani)

मैंने हाथ बढाया तो उसने मेरा हाथ रोक दिया..और अपनी बड़ी बड़ी आँखे नचा के बोली,
” मेरे रहते तुम्हे हाथों का इस्तेमाल करना पड़े…” उसका द्विअर्थी डायलाग मैं समझ तो रहा था लेकिन मैंने भी मजे लेके कहा,
” एकदम और वैसे भी इन हाथों के पास बहोत काम है
…” और मैंने उससे बाहों में भर लिया. बिना अपने को छुडाये वो मुस्करा के बोली…लालची बेसबरे ..और अपने हाथ से एक गुझिया मेरे होंठों से लगा दिया. मैंने जोर से सर हिलाया.
वो समझ गयी और बोली तुम ना नहीं सुधरने वाले और गुझिया अपने रसीले होंठों में लगा के मेरे मुंह में डाल दिया. मैंने आधा खाने की कोशिश की लेकिन उसकी जीभ ने पूरी की पूरी मुंह में धकेल दी.
” हे आधे की नहीं होती …पूरा अन्दर लेना होता है.” मुस्कारा के वो बोली.
मेरा मुंह भरा था लेकिन मैं बोला “हे अपनी बार मत भूल जाना मना मत करने लगना.”
” जैसा मेरे मना करने से मान ही जाओगे और जब पूरा मेरा है तो आधा क्यों लुंगी..”उसकी अंगुलिया अब मेरे पैम्ट के बल्ज पे थीं. तम्बू पूरी तरह तन गया था.
मेरे हाथ भी हिम्मत कर के उसके उभारों की नाप जोख कर रहे थे.
” हे एक मेरी ओर से भी खिला देना…”किचेन से चन्दा भाभी की आवाज आई.
एक दम गुड्डी बोली और दूसरी गुझिया भी मेरे मुंह में थी…
गुड्डी ने बताया की चन्दा भाभी एक दम बिंदास हैं और उसकी सहेली की तरह भी. उनके पति दुबई में रहते हैं कभी २-३ साल में एक बार आते हैं लेकिन पैसा बहोत है . इनकी एक लड़की है गुंजा ९थ में पढ़ती है. गुड्डी के ही स्कूल में ही..
“हे गुड्डी खाना ले जाओ या बातों से ही इनका पेट भर दोगी…” किचेन से उसकी मम्मी की आवाज आई.
‘ प्लानिंग तो इसकी यही लगती है…” हंस के मैं भी बोला.
गुड्डी जब खाना ले के आई तो पीछे से चन्दा भाभी की आवाज आई.
” अरे पाहून खाना खा रहें हो और वो भी सूखे सूखे …ये कैसे …”मैं समझ गया और बोला की अरे उसके बिना तो मैं खाना शुरू भी नहीं कर सकता.
” अरे इनकी बहनों का हाल ज़रा सूना दो कस के…” भाभी बोली.
” क्या नाम है इनके माल का. ” चन्दा भाभी ने पूछा. बिना नाम के गारी का मजा ही क्या.
गुड्डी मेरे पास ही बैठी थी. उसने वहीँ से हंकार लगाई,
” मेरा ही नाम है …गुड्डी.”
” आनंद की बहना बिकी कोई लेलो…” गाना शुरू हो गया था और इधर गुड्डी मुझे अपने हाथ से खिला रही थी.

” आनंद की बहाना बिकी कोई लेलो…” गाना शुरू हो गया था और इधर गुड्डी मुझे अपने हाथ से खिला रही थी.
अरे आनंद की बहिनी बिके कोई ले लौ …अरे रुपये में ले लौ अठन्नी में ले लौ,
अरे गुड्डी रानी बिके कोई ले लौ अरे अठन्नी में ले लौ चवन्नी में ले लौ
जियरा जर जाय मुफ्त में ले लौ अरे आनंद की बहिनी बिकाई कोई ले लौ.
और अगला गाना चन्दा भाभी ने शुरू किया..
मंदिर में घी के दिए जलें मंदिर में ..
मैं तुमसे पूछूं हे देवर राजा, हे नंदोई भडुए.. हे आनंद भडुए….तुम्हरी बहिनी का रोजगार कैसे चले
अरे तुम्हारी बहिनी का गुड्डी साल्ली का कारोबार कैसे चले ..
अरे उसके जोबना का ब्योय्पार कैसे चले, मैं तुमसे पूछूं हे आनंद भडुए..
“क्यों मजा आ रहा है अपनी बहिन का हाल चाल सुनने में” गुड्डी ने आँखे नचा
के मुझे छेड़ा.
” एक दम लेकिन घर चलो सूद समेत वसुलुन्गा तुमसे..”
” वो तो मुझे मालूम है लेकिन डरती थोड़ी ना hon ..” हंस के मेरी बाहों से अपने को छुडा के वो किचेन में चली गयी.
” वो तो मुझे मालूम है लेकिन डरती थोड़ी ना हूँ ..” हंस के मेरी बाहों से अपने को छुडा के वो किचेन में चली गयी.
गरमागरम पूडियां वो ले आई और बोली कैसा लगा मम्मी पूछ रही थी.
मैं समझ गया वो किसके बारे में पूछ रहीहैं. हंस के मैंने कहा “नमक थोड़ा कम था. मुझे थोड़ा और तीखा अच्छा लगता है. ”
” अच्छा ज्यादा नमक पसंद है ना ऐसी मिर्चे लगेंगी की परपाराते फिरोगे. ” चन्दा भाभी ne सुन लिया था और वहीँ से उन्होंने जवाब दिया. और अगली गाली वास्तव में जबर्दस्त थी.
” ,मैं तुमसे पूछूँ आनंद साले. अरे तुम्हरी बहिनी के कित्ते द्वार…
आरी तुम्हरी बहिनी गुड्डी साल्ली है पक्की छिनार…
एक जाय आगे दूसर पिछवाडे बचा नहीं कोई नौअवा कहांर ,
क्यों साथ दोनों ओर से गुड्डी ने मुस्कारा के मुझसे पूछा. उधर भाभी ने वहीँ से आवाज लगाईं…
” अरे मैं तो समझती थी की बिन्नो के सिर्फ देवरों को ही पिछवाड़े का शौक है तो क्या उसकी ननदों को भी… ”
” एक दम साल्ली नम्बरी छिनार हैं ….” चन्दा भाभी ने जवाब दिया ओर अगला गाना, भाभी ने शुरू किया. मैंने खान धीमे कर दिया था..गालियाँ वो भी भाभियों के मुंह से खूब मस्त लग रहीं थीं.
कामदानी दुपट्टा हमारा है कामदानी ..आनंद की बहिना ने एक किया दू किया ….तुरक पठान किया पूरा हिन्दुस्तान किया
९०० भडुए कालिनगंज ( मेरे घर का रेड लाईट एरिया) के अरे ९०० गदहे…
अरे गुड्डी रानी ने गुड्डी साल्ली ने एक किया दो किया …हमारो भतार किया भतरो के सार किया .
उन्होंने गाना ख़तम भी नहीं किया था की चन्दा भाभी शुरू हो गयीं…
मैं तुमसे पूछी हे गुड्डी बहना रात की कमाई का मिललई,
अरे भैया चार आना गाल चुमाई का आठ आना जुबना मिस्वाई का
ओर एक रुपिया टांग उठवाई का…
तब तक गुड्डी माल पुआ ले के आई.

एक दम तुम्हारे बहन के गाल जैसा है…चन्दा भाभी वहीँ से बोलीं..कचकचोवा…
मैंने गुड्डी से कहा ऐसे नहीं तो वो नासमझ पूछ बैठी कैसे..तो मैंने खीच के उसे गोद में बैठा लिया ओर उसके होंठ पे हाथ लगा के बोला ऐसे.
वो ठसके से मेरी गोद में बैठ के मालपुआ अपने होंठों के बीच लेके मुझे दे रही थी ओर जब मिअने उसके होंठों से होंठ सटाए तो वो नदीदी खुद गड़प कर गयी.
चल तुझे अभी घोंटाता हूँ कह के मैंने उसके होंठ काट लिए.
उय्यीई ,,,उसने हलकी सी सिसकी ली ओर मुझे छेड़ा,” हे है ना मेरी नामवाली के गाल जैसा..कभी काटा तो होगा.”
” ना” मैंने खाते हुए बोला.
” झूठे..चूमा चाटा तो होगा…” ” ना”
” ये तो बहोत नाइंसाफी है. चल अबकी मैं होली में तो रहोंगी ना…उसका हाथ पैर बाँध के सब कुछ कटवाउन्गि..” ओर अबकी उसने मालपुआ अपने होंठों से पास करते, मेरे होंठ काट लिए.
मुझे कुछ कुछ हो रहा था इत्ती मस्ती खुमारी सी लग रही थी…तभी चन्दा भाभी की आवाज आई
“अरे गुड्डी और मालपुआ ले जाओ ओर हाँ अपनी नामवाली के यार से पूचना की अब नमक तो ठीक है ना…”
” भाभी नमक तो ठीक है लेकिन मिर्ची थोड़ी कम है…” मैंने खुद जवाब दिया.
‘ तुमने अच्छे घर दावत दी..” गुड्डी मुझसे बोलते , मुस्कारते , मुझे दिखा के अपने चूतड मटकाते किचेन की ओर गई ओर सच…अबकी चन्दा भाभी की आवाज खूब ठसके से जोर दार ..
” चल मेरे घोड़े चने के खेत में …चने के खेत में…
चने के खेत में बोई थी घूंची …आनंद की बहना को गुड्डी छिनार को ले गया मोची
दबावे दोनों चूंची चने के खेत में….चने के खेत में ……
चने के खेत में पड़ी थी राई ..चने के खेत में…
आनंद साल्ले की बहना को गुड्डी छिनार को ले गया मेरा भाई
कस के करे चुदाई चने के खेत में …चने के खेत में.
अरे चने के खेत में ( अबकी भाभी ने ये लाइन जोड़ी) चने के खेत में पडा था रोड़ा
गुड्डी रंडी को ले गया घोड़ा …चने के खेत में..चने के खेत में…
घोंट रहीं लौंडा…चने के खेत में..
” तो क्या घोड़े से भी चन्दा भाभी ने वहीँ से मुझसे पुछा…बड़ी ताकत है उस साल्ली में”
ओर यहाँ गुड्डी पूरी तरह पाला पार कर गयी थी. बैठी मेरे पास थी लेकिन साथ …वहीँ से उसने ओर आग लगाईं.
” अरे उसकी गली के बाहर दस बारह गदहे हरदम बंधे रहते हैं ना विश्वास हो तो उनके भैया बैठे हैं पूछ लीजिये ..”
” क्यों, चन्दा भाभी ने हंस के पूछा. ” तब तो तुम्हारा प्लान सही था उसको दाल मंडी लाने का…दिन रात चलती उसको मजा मिलाता ओर तुमको पैसा…क्यों है ना.”
तब तक उस दुष्ट ने दही बड़े में ढेर सारी मिर्चे डाल के मेरी मुंह में डाल दी.
मैं चन्दा भाभी की बात सुनने में लागा था. इत्ती जोर की मिर्च लगी मैं बड़ी जोर से चिल्लाया पानी.

‘ अरे एक गाने में ही मिर्च लग गई क्या…हंस के चंदा भाभी ने पूछा.
” ऊपर लगी की नीचे…” भाभी क्यों पीछे रहतीं.
” अरे साफ साफ क्यों नहीं पूछती की गांड में मिर्च तो नहीं लग गई. ” चन्दा भाभी भी ना…
पानी तो था लेकिन उस रस नयनी के हाथ में ओर वह कभी उसे अपने गोरे गालों पे लगा के मुझे ललचाती कभी अपने किशोर उभारों पे ..मुझसे दूर खड़ी.
” ” चाहिए क्या…” आँखे नचा के हलके से वो बोली
” ऐसे मत देना सब कुछ कबूल करवा लेना पहले.” चन्दा भाभी वहीँ से बोलीं.
” ज़रा गंगा जी वाला तो सूना दो इनको…” भाभी ने चंदा भाभी से कहा..
गुड्डी अब पास आके बैठ गयी थी लेकिन ग्लास वाला हाथ अभी भी दूर था…
” बड़े प्यासे हो…” वो ललचा रही थी तड़पा रही थी.
” हाँ…” मैंने उसी तरह हलके से कहा.
” किस चीज की प्यास लगी है …”
” तुम्हारी”
उसने ग्लास से एक बड़ा सा घूँट लिया…ओर ग्लास अपने हाथ से मेरे होंठों से लगा दिया. हंस के वो बोली, जूठा पीने से प्यारा बढ़ता है. ओर मेरे हाथ से ग्लास लेके बाकी बचा पानी पी गयी.
‘ कब बुझेगी प्यास….’ मैंने बेसब्रे होके उसके कानों में हलके से पूछा.
” बहोत जल्द…कल…अभी मेरी पांच दिन की छुट्टी चल रही है..कल आखिरी दिन है…” और वो ग्लास लेके बाहर चली गयी.
” गंगा जी तुम्हारा भला करें गंगा जी…” चन्दा भाभी ने अगली गारी शुरू कर दी थी..
गंगा जी तुम्हारा भला करें गंगा जी…
अरे तुम्हरी बहनी की बुरिया पोखरवा जैसी इनरवा जैसी
ओहमें ९०० गुंडे कूदा करें मजा लूटा करें ,
बुर चोदा करें गंगा जी…
आरे गुड्डी की बुरिया पतैलिया जैसी भगोनावा जैसी….
९ मन चावल पका करे ….”
और एक के बाद एक नान स्टाप ….
आनंद साल्ला पूछे अपनी बहना से अपनी गुड्डी से…
बहिनी तुम्हारी बिलिया में , क्या क्या समाय,
अरे भैया तुम समाओ भाभी के सब भैया समाया
बनारस के सब यार समाय
हाथी जाय घोड़ा जाय…ऊंट बिचारा गोता खाय..हमारी बुरिया में ..
सब एक से बढ़ कर एक …
बिछी काट गयी सब के तो काटे अरिया अरिया
अरे गुड्डी छिनार के काटे बुरिया में, दौड़ा हो हमारे नंदोई साल्ले
दौड़ा आन्नद साल्ले मरहम लग्गावा भोसडिया में
और..
हमारे अंगना में चली आनंद की बहिनी , अरे गुड्डी रानी
गिरी पड़ीं बिछलाईं जी , अरे उनकी भोंसड़ी में घुस गए लकडिया जी
अअरे लकड़ी निकालें चलें आनंद भैया अरे उनके गाड़ियों में घुस गई लकडिया जी…
मैं खांना ख़तम कर कर चुका था लेकिन मुझे कुछ अलग सा लगा रहा था…एक दम एक मस्ती सी छाई थी और मैंने खाया भी कितना ..तब तक गुड्डी आई मैंने उससे पुछा.
” हे सच बतलाना खाने में कुछ था क्या…गुझिया में… मुझे कैसे लगा रहा है…”
वो हंसने लगी कस के, ” क्यों कैसा लग रहा है…”
” बस मस्ती छा रही है. मन करता है की…तुम पास आओ तो बताऊँ…था न कुछ गुझिया मैं ..”
” ना बाबा ना तुमसे तो दूर ही रहूंगी …और गुझिया मैंने थोड़ी बनाई थी आपकी प्यारी चंदा भाभी ने बनाइ थी उन्ही से पूछिए ना…मैंने तो सिर्फ दिया था…सच
कहिये तो इत्ती देर से जो आप अपनी बहाना का हाल सुन रहे थे इसलिए मस्ती छा रही है …”
और तब तक चन्दा भाभी आ गयीं एक प्लेट में चावल ले के….
” ये कह रहें है की गुझिया में कुछ था क्या…” गुड्डी ने मुड के चंदा भाभी से पूछा..
” मुझे क्या मालूम…मुस्करा के वो बोलीं. ” खाया इन्होने खिलाया तुमने …क्यों कैसा लग रहा है…”
” एकदम मस्ती सी लग रही है कोई कंट्रोल नहीं लगता है पता नहीं क्या कर बैठूंगा…और मैंने खाया भी कितना इसलिए जरूर गुझिया में…” मैं मुस्करा के बोला.
” साफ साफ क्यों नहीं कहते…अरे मान लिया रही भी हो ..तो होली है ससुराल में आए हो…साल्ली सलहज…यहाँ नहीं नशा होगा तो कहाँ होगा. ये तो कंट्रोल के बाहर होने का मौका ही है…” और वो झुक के चावल देने लगीं.
उनका आँचल गिर गया…पता नहीं जानबूझ के या अनजाने में..और उनके लो कट लाल ब्लाउज से दोनों गदराये, गोरे गुद्दाज उभार साफ दिखने लगे.
मेरी नीचे की सांस नीचे…उपर की उपर .
लेकिन बड़ी मुश्किल से मैं बोला नहीं भाभी नहीं ..
” क्या नहीं नहीं बोल रहे हो लौंडियों की तरह…तेरा तो सच में पैंट खोल के चेक करना पड़ेगा. अरे अभी वो दे रही थी तो लेते गए लेते गए और अब मैं दे रही हूँ तो…”
गुड्डी खड़ी मुस्करा रही थी. ताबा तक नीचे से उसकी मम्मी की आवाज आई और वो नीचे चली गयी… हे सच बतलाना खाने में कुछ था क्या…गुझिया में… मुझे कैसे लगा रहा है…”
वो हंसने लगी कस के, ” क्यों कैसा लग रहा है…”
” बस मस्ती छा रही है. मन करता है की…तुम पास आओ तो बताऊँ…था न कुछ गुझिया मैं ..”
” ना बाबा ना तुमसे तो दूर ही रहूंगी …और गुझिया मैंने थोड़ी बनाई थी आपकी प्यारी चंदा भाभी ने बनाइ थी उन्ही से पूछिए ना…मैंने तो सिर्फ दिया था…सच
कहिये तो इत्ती देर से जो आप अपनी बहना का हाल सुन रहे थे इसलिए मस्ती छा रही है …”
और तब तक चन्दा भाभी आ गयीं एक प्लेट में चावल ले के….
” ये कह रहें है की गुझिया में कुछ था क्या…” गुड्डी ने मुड के चंदा भाभी से पूछा..
” मुझे क्या मालूम…मुस्करा के वो बोलीं. ” खाया इन्होने खिलाया तुमने …क्यों कैसा लग रहा है…”
” एकदम मस्ती सी लग रही है कोई कंट्रोल नहीं लगता है पता नहीं क्या कर बैठूंगा…और मैंने खाया भी कितना… इसलिए जरूर गुझिया में…” मैं मुस्करा के बोला.
” साफ साफ क्यों नहीं कहते…अरे मान लिया रही भी हो ..तो… होली है ससुराल में आए हो…साल्ली सलहज…यहाँ नहीं नशा होगा तो कहाँ होगा. ये तो कंट्रोल के बाहर होने का मौका ही है…” और वो झुक के चावल देने लगीं.
उनका आँचल गिर गया…पता नहीं जानबूझ के या अनजाने में..और उनके लो कट लाल ब्लाउज से दोनों गदराये, गोरे गुद्दाज उभार साफ दिखने लगे.
मेरी नीचे की सांस नीचे…उपर की उपर .
लेकिन बड़ी मुश्किल से मैं बोला नहीं भाभी नहीं ..
” क्या नहीं नहीं बोल रहे हो लौंडियों की तरह…तेरा तो सच में पैंट खोल के चेक करना पड़ेगा. अरे अभी वो दे रही थी तो लेते गए लेते गए और अब मैं दे रही हूँ तो…”
गुड्डी खड़ी मुस्करा रही थी. तब तक नीचे से उसकी मम्मी की आवाज आई और वो नीचे चली गयी…
चन्दा भाभी उसी तरह मुस्करा रही थीं. उन्होंने आँचल ठीक नहीं किया.
” क्या देख रहे हो…” मुस्करा के वो बोलीं.
” नहीं…हाँ … कुछ नहीं…. भाभी.” मैं कुछ घबडा के शरमा के सर नीचे झुका के बोला… फिर हिम्मत कर के थूक घोंटते हुए …मैंने कहा…
” भाभी ….देखने की चीज़ हो तो आदमी देखेगा ही.”
” अच्छा चलो तुम्हारे बोल तो फूटे…लेकिन क्या सिर्फ देखने की चीज है …” ये कहते हुए उन्होंने अपना आँचल ठीक कर लिया. लेकिन अब तो ये और कातिल हो गया था. एक उभार साफ साडी से बाहर दिख रहा था और एक दम टाईट ब्लाउज खूब लो कटा हुआ…
मेरा वो तनतना गया था. तम्बू पूरी तरह तन गया था. किसी तरह मैं दोनों पैरों को सिकोड़ के उसे छुपाने की कोशिश कर रहा था.
लेकिन चन्दा भाभी ना…वो आके ठीक मेरे बगल में बैठ गयीं. एक उंगली से मेरे गालों को छूते हुए वो बोलीं…
” हाँ तो तुम क्या कह रहे थे..देखने की चीज है या …कुछ और भी…देखूं तुम्हारी छिनार मायके वालियों ने क्या सिखाया है…” तब तक मैंने देखा की उनकी आँखे मेरे तम्बू पे गडी हैं.
कुछ गुझिया का असर कुछ गालियों का …हिम्मत कर के मैं बोल ही गया…
” नहीं भाभी …मन तो बहूत कुछ करने का होता है है…अब ऐसी हो…तो लालच लगेगा है ना…” अब मैं भी उनके रसीले जोबन को खुल के देख रहा था.

” सिर्फ ललचाते रह जाओगे…” अब वो खुल के हंस के बोलीं. ” देवर जी ज़रा हिम्मत करो…ससुराल में हो हिम्मत करो…ललचाते क्यों हों…मांग लो खुल के …बल्कि ले लो,,,एक दम अनाडी हो.” और फिर जैसे अपने से बोल रही हों..एक रात मेरी पकड़ में आ जाओ..ना…तो अनाड़ी से पूरा खिलाड़ी बना दूँगी. और ये कहते हुए उन्होंने चावल की पूरी प्लेट मेरी थाली में उड़ेल दी.
” अरे नहीं भाभी मैं इत्ता नहीं ले पाऊंगा….” मैं घबडा के बोला.
“झूठे देख के तो लगता है की…” उनकी निगाहें साफ साफ मेरे ‘तम्बू’ पे थीं. फिर मुस्करा के बोलीं,
” पहली बार ये हो रहा है की मैं दे रही हूँ और कोई लेने से मना कर रहा है…”
” नहीं ये बात नहीं है ज़रा भी जगह नहीं हैं…”.
वो जाने के लिए उठ गयी थीं लेकिन मुड़ीं और बोलीं,
” अच्छा जी …कोई लड़की बोलेगी और नहीं अब बस तो क्या मान जाओगे..पूरा खाना है…एक एक दाना…और ऊपर के छेद से ना जाए ना तो मैं हूँ ना…पीछे वाले छेद से डाल दूँगी.”

तब तक दरवाजा खुला और भाभी ( गुड्डी की मम्मी) और गुड्डी अंदर आ गए..भाभी भी चन्दा भाभी का साथ देती हुयीं बोलीं..
” एक दम और जायगा तो दोनों ओर से पेट में ही ना…”
वो दोनों तो हंस ही रही थीं …वो दुष्ट गुड्डी भी मुस्करा के उन लोगों का साथ दे रही थी…
पता चला की क्राइसिस ये थी की …रेल इन्क्वायरी से बात नहीं हो पा रही थी की गाडी की क्या हालत है ओर दो लोगों की बर्थ भी कन्फर्म नहीं हुयी थी. नीचे कोई थे जिन की एक टी टी से जान पहचान थी लेकिन उन से बात नहीं हो पा रही थी.
मैं डरा की कहीं इन लोगों का जाने का प्रोग्राम गड़बड़ हुआ तो मेरी तो सारी प्लानिंग फेल हो जायेगी.
“अरे इत्ती सी बात भाभी आप मुझसे कहतीं.” मैंने हिम्मत बंधाते हुए कहा ओर एक दो लोगों को फ़ोन लगाया.
” बस दस मिनट में पता चल जाएगा…भाभी आप चिंता ना करें.”
” चलो मैं तो इतना घबडा रही थी…” चैन की साँस लेते हुए वो चली गयी लेकिन साथ में गुड्डी को भी ले गयीं. “चल पैकिंग जल्दी ख़तम कर ओर अपना सामान भी पैक कर ले कहीं कुछ रह ना जाय..”
मैंने खाना खतम किया ही था की फ़ोन आ गया.
मैंने जाके भाभी को बता दिया. गुड्डी अपने छोटे भाई बहनों को तैयार कर रही थी ओर चन्दा भाभी भी वहीँ बैठी थीं.
” गाडी पंद्रह मिनट लेट है तो अभी चालीस मिनट है…स्टेशन पहुँचने में २० मिनट लगेगा. तो आप लोग आराम से तैयार हो सकते हैं…ओर…
” नहीं हम सब लोग तैयार हैं…गब्बू तुम जाके रिक्शा ले आ.” अपने छोटे लडके से वो बोलीं.
” ओर …रहा आपकी बर्थ का ..तो पिछले स्टेशन को इन लोगों ने खबर कर दिया था …तो १९ ओर २१ नंबर की २ बर्थें मिल गई हैं. आप सब लोगों को वो एक केबिन में एडजस्ट भी कर देंगे. स्टेशन पे वो लोग आ जायेंगे …मैं भी साथ चलूँगा तो सब हो जाएगा..”
” अरे भैया ये ना…बताओ अब ये सीधे स्टेशन पे मिलेंगे …अगर तुम ना होते ना…लेकिन मान गए बड़ी पावर है तुम्हारी. मैं तो सोच रही थी की…ज़रा मैं नीचे से सब से मिल के आती हूँ.” ओर वो नीचे चली गईं.
चन्दा भाभी ने गुड्डी को छेड़ते हुए कहा “अरे असली पावर वाली तो तू है…जो इत्ते पावर वाले को अपने पावर में किये हुए है..”
वो शंरमाई मुस्कराई ओर बोली हाँ ऐसे सीधे जरूर हैं ये जो…
मैंने चंदा भाभी से कहा अच्छा भाभी चलता हूँ.
” मतलब …” गुड्डी ने घूर के पूछा.
” अरी यार ९ बज रहा है…इन लोगों को छोड़ के मैं रेस्ट हाउस जाउंगा…ओर फिर सुबह तुम्हे लेने के लिए…हाजिर…”.
” जी नहीं …”गुर्राते हुए वो बोली.” क्या करोगे तुम रेस्ट हाउस जाके…पहले आधा शहर जाओ फिर सुबह आओ..कोई जरुरत नहीं…फिर सुबह लेट हो जाओगे…कहोगे देर तक सोता रह गया…तुम कहीं नहीं जाओगे बल्कि मैं भी तुहारे साथ स्टेशन चल रही हूँ. दो मिनट में तैयार हो के आई.”
ओर ये जा वो जा…
चंदा भाभी मुस्कराते हुए बोलीं, अच्छा है तुम्हे कंट्रोल में रखती है…”
मेरे मुंह से निकल गया लेकिन मेरे कंट्रोल में नहीं आती. तब तक वो तैयार हो के आ भी गयी. गुलाबी शलवार सूट में गजब की लग रही थी. आके मेरे बगल में खड़ी हो गयी.

क्या मस्त लग रही हो…मैंने हलके से बोला…लेकिन दोनों नें सुन लिया. गुड्डी ने घूर के देखा ओर चन्दा भाभी हलके से मुस्करा रही थीं. मुझे लगा की फिर डांट पड़ेगी. लेकिन गुड्डी ने सिर्फ अपने सीने पे दुपट्टे को हलके से ठीक कर लिया ओर चंदा भाभी ने बात बदल कर गुड्डी से बोला,
” हे तू लौटते हुए मेरा कुछ सामान लेती आना, ठीक है. ”
” एकदम..क्या लाना है…”
” बताती हूँ लेकिन पहले पैसा तो लेले …” ” अरे आप भी ना…खिलखिलाती हुयी, मेरी और इशारा करके वो बोली, ‘ये चलता फिरता एटीएम् तो है ना मेरे पास.’ ओर मुझे हड़काते हुए उसने कहा,
” हे स्टेशन चल रहे हैं कहीं भीड़ भाड़ में कोई तुम्हारी पाकेट ना मार ले, पर्स निकाल के मुझे दे दो. “चन्दा भाभी भी ना…मेरे बगल में खड़ी लेकिन उनका हाथ मेरा पिछवाडा सहला रहा था. वो अपनी एक उंगली कस के दरार में रगड़ती बोलीं,
” अरे तुझे पाकेट की पड़ी है मुझे इनके सतीत्व की चिंता हैं कहीं बीच बाजार लुट गया तो…ये तो कहीं मुंह नहीं दिखाने रहेंगे..”
गुड्डी मुस्कराती हुयी मेरे पर्स में से पैसे गिन रही थी. तभी उसने कुछ देखा ओर उसका चेहरा बीर बहूटी हो गया. मैं समझ गया ओर घबडा गया की कही वो किशोरी बुरा ना मान जाए. जब वो कमरे से बाहर गयी थी तो उसके ड्रावर से मैंने एक उसकी फोटो निकाल ली थी उसके स्कूल की आई कार्ड की थी, स्कूल की यूनिफार्म में ..बहोत सेक्सी लग रही थी. मैं समझ गया की मेरी चोरी पकड़ी गई.
” क्यों क्या हुआ पैसा वैसा नहीं है क्या…” चन्दा भाभी ने छेड़ा.
मेरी पूरे महीने की तनखाह थी उसमें.
” हाँ कुछ ख़ास नहीं है लेकिन ये है ना चाभी .” मेरे पर्स से कार्ड निकाल के दिखाते हुए कहा.
” अरी उससे क्या होगा पास वर्ड चाहिए. ” चन्दा भाभी ने बोला.
” वो इनकी हर चीज का है मेरे पास…” ठसके से प्यार से मुझे देख मुस्कारते हुए वो कमल नयनी बोली.
उसकी बर्थ डेट ही मेरे हर चीज का पास वर्ड थी, मेल आईडी से ले के सारे कार्ड्स तक…
लेकिन चन्दा भाभी के मन में तो कुछ ओर था..’ अरे इनके पास तो टकसाल है…टकसाल.” वो आँख नचाते बोलीं.
” इनके मायके वाली ना…जिसका गुण गान आप लोग खाने के समय कर रही थीं. ” गुड्डी कम नहीं थी.
” और क्या एक रात बैठा दें …तो जित्ता चाहें उत्ता पैसा…रात भर लाइन लगी रहेगी. ” चंदा भाभी बोलीं.
” ओर अभी साथ नहीं है तो क्या एडवांस बुकिंग तो करी सकते हैं ना…” गुड्डी पूरे मूड में थी. फिर वो मुझे देख के बोलने लगी,
कुछ लोगों को चोरी की आदत लग जाती है, मैं समझ रहा था किस बारे में बात कर रही है फिर भी मैं मुस्करा के बोला,
” भाभी ने मुझे आज समझा दिया है, अब चोरी का ज़माना नहीं रहा सीधे डाका डाल देना चाहिए.
फिर बात बदलने के लिए मैंने पूछा ” भाभी आप कह रही थीं ना…बाजार से कुछ लाना है.”
” अरे तुम्ह क्या मालूम है यहाँ की बाजार के बारे में, गुड्डी तू सुन…”
” हाँ मुझे बताइये ..ओर वैसे भी इनके पास पैसा वैसा तो है नहीं…” हवा में मेरा पर्स लहराते गुड्डी बोली.
” वो जो एक स्पेशल पान की दूकान है ना स्टेशन से लौटते हुए पड़ेगी.”
” अरे वही जो लक्सा पे है ना ..जहां एक बार आप मुझे ले गयी थीं ना. ” गुड्डी बोली.
” वही दो जोड़ी स्पेशल पान ले लेना ओर अपने लिए एक मीठा पान…”
” लेकिन मैं पान नहीं खाता…आज तक कभी नहीं खाया.” मैंने बीच में बोला.
” तुमसे कौन पूछ रहा है…बीच में जरूर बोलेंगे…” गुड्डी गुर्रायी. ये तो बाद में देखा जाएगा की कौन खाता है कौन नहीं. हाँ ओर क्या लाना है…”
” कल तुम इनके मायके जाओगी ना… तो एक किलो स्पेशल गुलाब जामुन नत्थ्था के यहाँ से. बाकी तेरी मर्जी.”
पर्स में से गुड्डी ने मुड़ी तुड़ी एक दस की नोट निकाली ओर मुझे देती हुयी बोली, ” रख लो जेब खर्च के लिए तुम भी समझोगे की किस दिलदार से पाला पडा है.”
तब तक नीचे से बच्चोंकी आवाज आई..रिक्शा आ गया…रिक्शा आ गया.
हम लोग नीचे आ गए. मैंने सोचा की गुड्डी के साथ रिक्शे पे बैठ जाउंगा लेकिन वो दुष्ट जान बूझ के अपनी मम्मी के साथ आगे के रिक्शे पे बैठ गयी ओर मुझे मुड के अंगूठा दिखा रही थी.
मुझे बच्चों के साथ बैठना पडा.
गनीमत थी की गाडी ज्यादा लेट नहीं थी इसलिए देर तक इंतजार नहीं करना पडा. बर्थ भी मिल गयी ओर स्टेशन पे स्टाफ आ भी गया था…उसके पापा मम्मी इत्ते खुश थे की…लौटते समय मैंने उसके उभारों की और देखा. हम स्टेशन से बाहर निकल आये थे…ओर मुझे देख के मुस्करा के उसने दुपट्टा ओर ऊपर एक दम गले से चिपका लिया ओर मेरी ओर सरक आई ओर बोली खुश.
” एक दम ” ओर मैंने उसकी कमर में हाथ डाल के अपनी ओर खींच लिया.
” हटो ना ..देखो ना लोग देख रहे हैं…” वो झिझक के बोली.
” अरे लोग जलते हैं …तो जलने दो ना…जलते हैं ओर ललचाते भी हैं. ” मैंने अपनी पकड़ ओर कस के कर ली.
” किस से जलते हैं …” बिना हटे मुस्करा के वो बोली.
” मुझ से जलते हैं की कितनी सेक्सी, खूबसूरत, हसीं …”
मेरी बात काट के मुस्करा के वो बोली, : इत्ता मस्का लगाने की कोई जरूरत नहीं…
” ओर ललचाते तुम्हारे..”.मैंने उसके दुपट्टे से बाहर निकले किशोर उभारों की ओर इशारा किया…
धत …दुष्ट और उसने अपने दुपट्टे को नीचे करने की कोशिश की पर मैंने मना कर दिया…

” तुम भी ना चल्लो तुम भी क्या याद करोगे…लोग तुम्हे सीधा समझते हैं…” मुस्करा के वो बोली ओर दुपट्टा उसने ओर गले से सटा लिया.
“मुझसे पूछें तो मैं बताऊँ की कैसे जलेबी ऐसे सीधे हैं…” ओर मुझे देख के इतरा के मुस्करा दी.
” तुम्हारे मम्मी पापा तो…” मेरी बात काट के …वो बोली..’ हाँ सच में स्टेशन पे तो तुमने …मम्मी पापा दोनों ही ना…सच में कोई तुम्हारी तारीफ करता है तो मुझे बहोत अच्छा लगता है.” ओर उसने मेरा हाथ कस के दबा दिया.
” सच्ची.’
सच्ची. लेकिन रिक्शा करो या ऐसे ही घर तक ले चलोगे.” वो हंस के बोली.
चारो ओर होली का माहौल था. रंग गुलाल की दुकानें सजी थीं. खरीदने वाले पटे पद रहे थे. जगह जगह होली के गाने बज रहे थे. कहीं कहीं जोगीड़ा गाने वाले…कहीं रंग लगे कपडे पहने..तब तक हमारा रिक्शा एक मेडिकल स्टोर के सामने से गुजरा ओर वो चीखी रोको रोको…
” क्यों कया हुआ …कुछ दवा लेनी है क्या…” मैंने सोच में पड के पुछा.
” हर चीज आपको बतानी जरूरी है क्या…” वो आगे आगे मैं पीछे पीछे …
:” एक पैकेट माला डी ओर एक पैकेट आई पिल ….” मेरे पर्स से निकाल के उसने १०० की नोट पकड़ा दी.
रिक्शे पे बैठ के हिम्मत कर के मैंने पूछा…” ये…”
” तुम्हारी बहन के लिए है जिसका आज गुण गान हो रहा था…क्या पता होली में तुम्हारा मन उस पे मचल उठे…तुम ना बुद्धू ही हो बुद्धू ही रहोगे….मेरे गाल पे कस के चिकोटी काट के वो बोली.” तुमसे बताया तो था ना की….आज मेरा लास्ट डे है …तो क्या पता …कल किसी की …लाटरी निकल जाए….:”
मेरे ऊपर तो जैसे किसी ने एक बाल्टी गुलाबी रंग डाल दिया हो हजारों पिचारियां चल पड़ी हों साथ साथ
मैं कुछ बोलता उस के पहले वो रिक्शे वाले से बोल रही थी….
‘अरे भैया बाएं बाएं….हाँ वहीँ गली के सामने बस यहीं रोक दो….चलो उतरो.”
गली के अन्दर पान की दूकान …तब मुझे याद आया जो चंदा भाभी ने बोला था…
दूकान तो छोटी सी थी…लेकिन कई लोग…रंगीन मिजाज से बनारस के रसिये…
लेकिन वो आई बढ़ के सामने ..दो जोड़ी स्पेशल पान..पान वाले ने मुझे देखा ओर मुस्करा के पूछा…
सिंगल पावर या फुल पावर …मेरे कुछ समझ में नहीं आया…मैंने हडबडा के बोल दिया…फुल पावर.
वो मुस्करा रही थी ओर मुझ से बोली ” अरे मीठे पान के लिए भी तो बोल दो…एक…”
” लेकिन मैं तो खाता नहीं …” मैंने फिर फुसफुसा के बोला.
पान वाला सर हिल्ला हिला के पान लगाने में मस्त था. उस ने मेरी और देखा तो गुड्डी ने मेरा कहा अनसुना कर के बोल दिया…
” मीठा पान दो …”
” दो …मतलब..” मैंने फिर गुड्डी से बोला तो वो मुस्करा के बोली “घर पहुँच के बताउंगी की तुम खाते हो की नहीं. ”
मेरे पर्स से निकाल के उसने ५०० की नोट पकड़ा दी. जब चेंज मैंने ली तो मेरे हाथ से उसने ले लिया ओर पर्स में रख लिया. रिक्शे पे बैठ के मैंने उसे याद दिलाया की भाभी ने वो गुलाब जामुन के लिए भी बोला था.
” याद है मुझे गोदौलिया जाना पडेगा, भइया थोडा आगे मोड़ना. ”
रिक्शे वाले से वो बोली.
” हे सुन यार ये चन्दा भाभी ना…मुझे लगता है की लाइन मारती हैं मुझपे..” मैं बोला.
हंस के वो बोली…” जैसे तुम काम देव के अवतार हो…गनीमत मानो की मैंने थोड़ी सी लिफ्ट दे दी …वरना…” मेरे कंधे हाथ रख के मेरे कान में बोली…” लाइन मारती हैं तो दे दो ना..अरे यार ससुराल में आये हो तो ससुराल वालियों पे तेरा पूरा हक़ बनता है…वैसे तुम अपने मायके वाली से भी चक्कर चला चाहो तो मुझे कोई ऐतराज नहीं है..”
” लेकिन तुम …मेरा तुम्हारे सिवाय किसी ओर से….”
” मालूम है मुझे…बुद्धू राम तुम्हारे दिल में क्या है…यार हाथी घूमे गाँव गाँव जिसका हाथी उसका नाम..तो रहोगे तो तुम मेरे ही..किसी से कुछ …थोड़ा बहूत …बस दिल मत दे देना…”
” वो तो मेरे पास है नहीं कब से तुम को दे दिया…”
” ठीक किया…तुमसे कोई चीज संभलती तो है नहीं…तो मेरी चीज है मैं संभाल के रखूंगी..तुम्हारी सब चीजें अच्छी हैं सिवाय दो बातों के…”
तब तक मिठाई की दूकान आ गयी थी ओर हम रिक्शे से उतर गए.
” गुलाब जामुन एक किलो…” मैंने बोला.
” स्पेशल वाले…” मेरे कान में वो फुसफुसाई.
‘ स्पेशल वाले…’ मैं ने फिर से दुकान दार से कहा…
” तो ऐसा बोलिए ना…लेकिन रेट डबल है …” वो बोला.
” हाँ ठीक है…” फिर मैंने मुड के गुड्डी से पूछा हे एक किलो चन्दा भाभी के लिए भी ले लें कया…”
” नेकी ओर पूछ पूछ .” वो मुस्कराई.
” एक किलो ओर… अलग अलग पैकेट में.” मैं बोला.
पैकेट मैंने पकडे ओर पैसे उसने दिए. लेकिन मैं अपनी उत्सुकता रोक नहीं पा रहा था.
” हे तुमने बताया नहीं की स्पेशल क्या…क्या ख़ास बात है बताओ ना…”
‘सब चीज बताना जरुरी है तुमको..इसलिए तो कहती हूँ तुम्हारे अंदर दो बातें बस गड़बड़ हैं बुद्धू हो ओर अनाड़ी हो …अरे पागल…होली में स्पेशल का क्या मतलब होगा,..वो भी बनारस में…”
सामने जोगीरा चल रहा था…एक लड़का लड़कियों के कपडे पहने ओर उसके साथ …रास्ता रुक गया था. वो भी रुक के देखने लगी…ओर मैं भी… सामने जोगीरा चल रहा था…एक लड़का लड़कियों के कपडे पहने ओर उसके साथ …रास्ता रुक गया था. वो भी रुक के देखने लगी…ओर मैं भी…
जोगीरा सा रा सा रा ..ओर साथ में सब लोग बोल रहे थे जोगीरा सारा रा…तनी धीरे धीरे डाला होली में तानी धीरे डाला होली में…
तब तक उसने हम लोगों की और देखा ओर एक नयी तान छेड़ी…

” अरे कौन सहर में सूरज निकला कौन सहर में चन्दा…अरे कौन सहर में सूरज निकला कौन सहर में चन्दा…
अरे गुलाबी दुपट्टे वाली को किसने टांग उठा के चोदा…जोगीरा सा रा सा रा ”

गुड्डी को लगा की शायद मुझे बुरा लगा होगा तो मेरा हाथ दबा के बोली…’अरे चलता है यार होली है…” ओर मेरा हाथ पकड़ के आगेले गयी.
एक बुक स्टाल पे मैं रुक गया. कोई होली स्पेसल है क्या मैंने पूछो ना.
” हौ ना…ख़ास बनारसी होली स्पेशल अबहियें आयल कितना चाही..” मैंने गुड्डी की ओर मुड` के देखा उसने उंगली से चार का इशारा किया…ओर मैंने ले लिया. उसी के बगल में एक वाइन शाप भी थी. गुड्डी की निगाह वहीँ अटकी थी.
हे ले लूं क्या एक दो बोतल बीयर ”
” तुम्हारी मर्जी. पीते हो क्या…”
” ना लेकिन …”
” तो ले लो ना..तुम्हारे अन्दर यही गड़बड़ है सोचते बहोत हो. अरे जो मजा दे वो कर लेना चाहिए ऐसा टाइम कहाँ बार मिलता है…घर से बाहर होली के समय..”
मैंने दो बाटल बीयर ले ली
रिक्शे पे मैंने पढ़ना शुरू किया …क्या मस्त चीज थी…एक दम खुली…मस्त टाईटीलें, होली के गाने ओर सबसे मजेदार तो राशि फल थे…वो भी पढ़ रही थी साथ साथ लेकिन उसने खींच के रख दिया…
” घर चल के पढेंगे…” तब तक मुझे कुछ याद आया…
” हे तुम्हारे घर में तो ताला बंद है चाभी भी मम्मी ले गयीं तो हम रात को सोयेंगे कहा…”
” जहां मैं सोउंगी…” वो मुस्करा के बोली.
‘ सच में तब तो…’ मैं खुश हो के बोला…पर मेरी बात काट के वो बोली. इत्ती खुश होने की बात नहीं है …अरे यार एक रात की बात है…चन्दा भाभी के यहाँ…उनका घर बहोत अच्छा है….कल तो तुम्हारे साथ चल ही दूँगी.” तब तक हम लोग घर पहुँच गए थे.
वो मुझे चंदा भाभी के घर सीधे ले गयी.
वो मास्टर बेडरूम में थीं. एक आलमोस्ट ट्रांसपरेंट सी साडी पहने वो भी एक दम बदन से चिपकी, खूब लो कट ब्लाउज…उन्हें देखते ही गुड्डी चहक के बोली…
” देखिये आपके देवर को बचा के लायी हूँ इनका कोमार्य एक दम सुरक्षित है…हाँ आगे आप के हवाले वतन साथियों…मैं अभी जस्ट कपडे बदल के आती हूँ ” ओर वो मुड गई.
“हेहे…लेकिन…ये तो मैंने सोचा नहीं ..”
” क्या …” वो दोनों साथ साथ बोलीं.
” अरे यार मैं …मैं क्या कपड़ा पहनूंगा…ओर सुबह ब्रश …वो भी नहीं लाया…”
“ये कौन सी परेशानी की बात है कुछ मत पहनना…. चंदा भाभी बोलीं.
” सही बात है आपकी भाभी का घर है…जो वो कहें…ओर वैसे भी इस घर में कोई मर्द तो है नहीं…भाभी हैं मैं हूँ…गुंजा है …तो आपको तो लड़कियों के ही कपडे मिल सकते हैं. ओर मेरे ओर गुंजा के तो आपको आयेंगे नहीं हां ..” भाभी की और आँख नचा के वो कातिल अदा से बोली. और मुड के बाहर चल दी.

आइडिया तो इसने सही दिया…लेकिन आप शर्ट तो उतार ही दो …क्रश हो जायेगी ओर शाम से पहने होगे..अन्दर बनियाइन तो पहना होगा ना तो फिर…चलो…”
ओर मेरे कुछ कहने के पहले ही भाभी ने शर्ट के बटन खोल दिए. ओर खूँटी पे टांग दी.
बेड रूम में एक खूब चौड़ा डबल बेड लगा था. उस पे एक गुलाबी सी सिल्केन चादर दो तकिये, कुछ कुशन, बगल में एक मेज एक सोफा ओर ड्रेसिंग टेबल …साथ में एक लगा हुआ बाथ रूम..
” छोटा है ना..” भाभी ने मुझे कमरे की ओर देखते हुए कहा…
लेकिन मेरी निगाह तब तक उनके छलकते हुए उभारों की ओर चली गयी थी. मुस्करा के मैं बोला …” जी नहीं एक दम बड़ा है…परफेक्ट.”
” मारूंगी तुमको ..लगता है पिटाई करनी पड़ेगी.”
” हाँ मेरी ओर से भी…” ये गुड्डी थी.
उसने घर में पहनने वाली फ्राक पहन रखी थी जो छोटी भी थी ओर टाईट भी…जिस तरह उसके उभार छलक रहे थे साफ लग रहा था की उसने ब्रा नहीं पहन रखी है.
” अरे वाह आपको टॉप लेस तो कर ही दिया पूरा ना सही …आधा ही सही.” गुड्डी आते ही चालू हो गई . पर चन्दा भाभी कुछ सोच रही थीं.
” आप लुंगी तो पहन लेते हैं ना…” वो बोलीं.
” हाँ कभी कभी…है क्या ..” मैंने पूछा…मैं भी पैंट पहन के कभी सो नहीं पाता था.
” हाँ …नहीं …वो गुंजा के पापा जब आते हैं ना तो कभी मेरी…मतलब वो भी कित्ते कपडे लायें …ओर दो चार दिन के लिए तो आते हैं…तो मेरी एकाध पुरानी साडी की लुंगी बना के …रात भर की तो बात होती है…”
” अरे पहन लेंगे ..ये ..और बाकि…. साडी क्या ये जो आप पहनी हैं वही क्या बुरी है…” गुड्डी ने बोला.
मुझे भी मजाक सूझा. मैंने भी बोला…ठीक है भाभी आप जो साडी पहने हैं वही ओर आखिर मैं भी तो दो कपडे में ही रहूँगा…ओर आप फिर भी…
ठीक है चलिए पहले आप पैंट उतारिये…भाभी ने हंस के कहा.
” एक दम नहीं” गुड्डी इस समय मेरे साथ आ गयी थी. “ये सही कह रहे हैं…पहले आप की साडी उतरेगी..आखिर आप ने ही तो साडी की लुंगी बनाने का आफर दिया था. ”
हंस के वो बोलीं …” सही की बच्ची…कल तुमको ओर इनको यहीं छत पे नंगे ना नचाया तो कहना..ओर वो भी साथ साथ..”
गुड्डी ने मुझे आँख से इशारा किया मैं कौन होता था उसकी बात टालने वाला. जब तक चन्दा भाभी समझें समझें उनकीं साड़ी का आँचल मेरे हाथ में था.
वो मना करती रहीं पर मैं जानता था इनका मना करना कितना असली था कितना बनावटी.
ओर दो मिनट के अन्दर उनकी साडी मेरे हाथ में थी. लेकिन अब भाभी के हाथ में मेरी बेल्ट थी ओर थोड़ी देर में मेरी पैंट की बटन..मैंने झट से उनकी साडी लुंगी की तरह लपेट ली. तब तक मेरी पैंट उनके हाथ में थी ओर वो उन्होंने गुड्डी को पास कर दिया. उसने स्लिप पे खड़े फिल्डर की तरह मेरे देखने से पहले ही किक कर लिया ओर शर्ट के साथ वो भी खूँटी पे.
जब मैंने अपनी और देखा तब मुझे अहसास हुआ की गुड्डी ओर चंपा भाभी मुझे देख के साथ साथ क्यों मुस्करा रही थीं. साडी उनकी लगभग ट्रांसपरेंट थी ओर मैंने ब्रीफ भी एक दम छोटी वी कट …ओर स्किन कलर की …शेप तो साफ साफ दिख ही रहा था ओर भी बहोत कुछ…सब दिखता है के अंदाज़ में…
चंदा भाभी ने अपनी हंसी छुपाते हुए गुड्डी को हड़काया,
” अच्छा चल बहोत देख लिया चीर हरण…कल होली में पूरी तरह होगा…पर ये बता की तुम दोनों ने बाज़ार में खाली मस्ती ही की या जो मैंने सामान लाने को कहा था वो लायी. जरूर भूल गयी होगी. ”
” नहीं कैसे भूलती, आपके देवर जो थे साथ में थे,…अभी लाती हूँ.” जैसे ही वो मुड़ी भाभी ने कहा “अरे सुन ना…इनकी शर्ट पैंट सम्हाल के रख देना.”
” एकदम …” उसने खूँटी से खींचा ओर ले गई बछेडी की तरह. फिरदरवाजे पे खड़ी होके मेरी शर्ट मुझे दिखा के बोलने लगी…
” सम्हाल के ..मतलब यहाँ पे गुलाबी …और यहां पे गाढा नीला..”
” हे मेरी सबसे फेवरिट शर्ट है…” लेकिन वो कहाँ पकड़ में आती..ये जा वो जा…
थोड़ी देर में वो बैग ले के आई ओर भाभी को दिखाया . उसने भाभी के कान में कुछ कहा ओर भाभी ने झांक के बोला….’ अरे अब तो कल मजा आजायेगा.”
मैं समझ गया की उसने बियर की बाटल दिखाई होंगी.
पान लायी की नहीं..
लायी लेकिन एक तो यहाँ खाते नहीं ..मालुम है वहां दूकान पे बोलने लगे मैं…तो खाता नहीं…
तब तक भाभी पान के पैकेट खोल चुकी थीं..चांदी के बर्क में लिपटा स्पेशल पान …
” अरे ये किसकी पसंद है…”
” ओर किसकी…इन्ही की…” गुड्डी ने हंसते हुए कहा… ” मैं तो इनको अनाड़ी समझती थी लेकिन ये तू पूरे खिलाड़ी निकले …” भाभी हंसने लगी.
” आप ही ने तो कहा था की स्पेसल पान तो मैंने…’ मैंने रुकते रुकते बोला.
.” लेकिन उसने पूछा होगा ना की…” भाभी बोलीं…
” हाँ पूछा था की सिंगल या फुल …तो मैंने बोल दिया…फुल…” मैंने सहमते हुए कहा.
” ठीक कहा…ये पान सुहागरात के दिन दुलहन को खिलाते हैं…पलंग तोड़ पान…” वो हंसते हुए बोली.
” अरे तो खिला दीजिये ना इन्हें ये किस दुलहन से कम हैं ओर…सुहागरात भी हो जायेगी…” गुड्डी छेड़ने का कोई चांस नहीं छोड़ती थी.
” भई, अपना मीठा पान तो..मैं….क्यों खाना है…” बड़ी अदा से उसने पान पहले अपने होंठों से, फिर उभारों से लगाया और मेरे होठों के पास ले आई और आँख नचा के पुछा,
‘ लेना है…लास्ट आफर …फिर मत कहना तुम की मैंने दिया नहीं…” जिस अदा से वो कह रही थी..मेरी तो हालत ख़राब हो गयी..’वो’ ९० डिग्री का कोण बंनाने लगा.
” नहीं ..मैंने तो कहा था ना तुमसे की …मैं….” पर वो दुष्ट मेरी बात अनसुनी कर के उसने पान को मेरे होंठों से रगडा, और उसकी निगाह मेरे ‘तम्बू’ पे पड़ी थी. और फिर उसने अपने रसीले गुलाबी होंठों को धीरे से खोला और पूरा पान मुझे दिखाते हुए गडब कर गयी …जैसा मेरा ‘वो’ घोंट रही हो..
भाभी की निगाहें ‘ होली स्पेशल’ मैगजीन पे जमीं थीं.
मैंने निकाल के उन्हे दिखाया…इसमें होली के गाने, टाईटिलें, और सबसे मस्त होली के राशिफल दिए हैं.
” हे तू सूना पढ़ के …” उन्होंने गुड्डी से कहा. पर वो दुष्ट…उसने अपने मुंह में चुभलाते पान की और इशारा किया और राशिफल का पन्ना खोल के मुझे पकड़ा दिया.
” अरे तू भी तो बैठ ..मैंने उससे बोला. पर सोफे पे मुश्किल से मेरे भाभी के बैठने की जगह थी. भाभी ने हाथ पकड़ के उसे खींचा और वो सीधी मेरे गोद में…
‘ अरे ठीक से पकड़ ना लड़की को वरना बिचारी गिर जाएगी …” भाभी बोली..और मैंने उसकी पतली कमर को पकड़ लिया.
” तभी तो मैं कहती हूँ की तुम पक्के अनाडी हूँ अरे जवान लड़की को कहाँ पकड़ते हैं ये भी नहीं मालूम और उन्होंने मेरा हाथ सीधे उसके उभार पे रख दिया. मेरी तो लाटरी खुल गयी.
वो शरारती उसे कुछ नहीं फरक पड़ रहा था. उसने राशिफल के खुले पन्ने और भाभी की और इशारा करते हुए अपने उंगली कन्या राशि पे रख दी.
” भाभी सुनाऊं कन्या राशि…”
भाभी सुनाऊं कन्या राशि…”
” सुनाओ, लेकिन इसके बाद तुम दोनों का भी सुनूंगी..”
मैंने पढ़ना शुरू किया.
“कन्या राशी की भाभियाँ..आपके लिए आने वाले दिन बहूत शुभ हैं. आपका …और फिर मैं ठिठक गया..आगे जो लिखा था….
देख दोनों रही थीं क्या लिखा है…लेकिन पहल गुड्डी ने की. पान चुभलाते हुए वो बोली…अरे इता खुल कर तो भाभी ने शाम को तुम्हे तुम्हारी सो काल्ड बहन का हाल सुनाया..तो तुम उनसे शरमा रहे हो या मुझसे पढो जो लिखा है…भाभी ने भी बोला पढो ना यार…पूरा बिना सेंसर के जस का तस…
और मैंने फिर शुरू किया,

“आपके आने वाले दिन बहोत शुभ हैं..आपका ..थूक गटका मैंने और बोला..आपका लंड का अकाल ख़तम होने वाला है. इस होली में खूब मोटी मोटी पिचकारी मिलेगी. आपकी चोली फाड़ चूंचियाँ खूब मसली रगड़ी जायंगी और पिछवाड़े का बाजा बजने का भी पूरा मौका है…लेकिन न सबके लिए आपको इस फागुन में एक विशेष उपाय करना पडेगा. ध्यान से सुनें..
भाभी बोलीं, “सुनाओ ना कर लुंगी यार….”
” इस मैगजीन के आखिरी पन्ने पे दिए लंड पुराण का रोज पाठ करें सुबह और शाम जोर जोर से गा के…किसी कुवांरे देवर की नथ उतार दें भले ही ही आप को उसे रेप करना पड़े..और इस होली में होली से पहले किसी कुँवारी चूत की सिल तुडवाने में सहायता करें….फागुन में कम से कम दो चूत में उंगली करें…साल भर लंड देवता की आप पे कृपा रहेगी. कहने को तो आप कन्या राशी की हैं लेकिन आप बचपन से ही छिनाल हैं. इसलिए अगर आप अन्य कन्याओं को छिनाल बनाने में सहयाता करेंगी तो होलिका देवी की आप पे विशेष कृपा रहेगी. अपाकी होली बहोत जोर दार होगी. दिन की भी रात की भी बस देवर का दिल रख दें …” ये कह के मैंने उन की ओर देखा.
गुड्डी ने तुरंत भाभी से कहा…”अरे आपका ये कुंवारा कम कुँवारी देवर है ना…बस इसकी नथ उतार दीजिये…ओर आपका होली की भविष्यवाणी पूरी..”
” ओर वो सील तुडवाने वाली बात…” मैं क्यों पीछे रहता..गुड्डी शरमा गयी पर भाभी क्यों मौक़ा छोड़तीं. हंस के बोलीं है ना ये…
गुड्डी ने हंस के बात बदली ओर बोली…अच्छा चलो अपना सुनाओ.
नहीं पहले तुम्हारा शुरू करता हूँ मैंने बोला पर भाभी भी गुड्डी के साथ आखिर मैंने कर्क राशी का राशिफल पढ़ना शुरू किया.
” कर्क राशी के देवरों , जीजा ओर यारों के लिए..आप की पकड़ बहोत मजबूत होती है…( गुड्डी बोल पड़ी…कोई शक ..तब मैंने महसूस किया की मैंने उसके गदराये किशोर उभार बहोत कस के दबा रखे थे.) पकड़ सिर्फ हाथों की ही नहीं आगे से पीछे से आप जो भी पकड़ेगे उसे बहोत कस के घोंटेंगे…

भाभी ओर गुड्डी दोनों एक साथ कहकहा लगा के हंस पड़ीं.
” तभी तो मैं कहती थी की तुम्हारे ओर तुम्हारी बहन में कुछ ख़ास फरक नहीं है… वो आगे से लेती है तुम पीछे से लेते हो…” भाभी ने चिढाया.
” ओर क्या अच्छा हुआ हम लोगों ने इन्हें रोक लिया वरना जरोर कोई ना कोई हादसा हो जाता…” गुड्डी भी कम नहीं थी.
” अरे हादसा हो जाता या इनको मजा आ जाता. …लेकिन चलिए कोई बात नहीं…कल सूद समेत हम ओग आपके पिछवाड़े का भी हिसाब पूरा कर देंगें. ” ये चंदा भाभी थीं.
” और क्या कल आपका डलवाने का दिन होगा…और हम लोगों का डालने का…” गुड्डी बोली.
” और वैसे भी आपकी इस आदत से तो आपकी बहन की भी दूकान बढ़िया चलती होगी. जिसको जो पसंद हो..” चन्दा भाभी पूरे जोश में थीं.
” और क्या…एक के साथ एक फ्री..स्पेशल होली आफर ..” गुड्डी बड़ी जोर से खिलखिलाई.
” अरे साफ साफ क्यों नहीं कहती की…बुर के साथ गांड फ्री”
” और राशिफल में हैं की कस के …तो क्या…बहोत दिनों की प्रैकिट्स होगी. ”
” बचपन के गांडू हैं..ये…जैसे बहन इनकी बचपन की छिनार है. ”
दोनों की जुगलबंदी में मैं फँस गया था.
“अच्छा रुको ना वरना मैं आगे नहीं सुनाऊंगा..” झुंझला के मैं बोला.
” नहीं नहीं सुनाइये…अभी तो ये शुरुआत थी आग एदेखिये क्या बातें पता चलती हैं…तो चुप रह…” चन्दा भाभी ने प्यार से मेरे गाल सहलाते और गुड्डी को घुड़कते बोला.
” हाँ तो..” मैंने फिर शुरू किया…” आप की यह होली बहोत अच्छी भी होगी और बहोत खतरनाक भी. आप पहले ही किसी किशोरी के गुलाबी नयनों के रस रंग से भीग गए हैं ..इस होली में अप इस तरह रस रंग में भीगेंगे की ना आप छुडा पाएंगे ना छुड़ाना चाहेंगे…वो रंग आपके जीवन को रंग से पूरे जीवन के लिए रंग देगा. हाँ जिसने की शर्म उसके फूटे करम.इसलिए…पहल कीजिये थोड़ा बेशरम होइए उसे बेशरम बनाइये आखिर फागुन महीना ही शर्म लिहाज छोड़ने का है. ” एक पल रुक कर मैंने गुड्डी की और देखा.
वो गुलाल हो रही थी.
उसने अपनी बड़ी बड़ी पलकें उठाएँ और गिरा लीं.
हजार पिचकारियाँ एक साथ चल पड़ीं.
मैं सतरंगे रंगों में नहा उठा.
मैंने उस किशोरी की और देखा तो बस वो धीमे से बोलीं …धत्त और अपने होंठ हलके से काट लिए.
मेरी तो होली हो ली पर चन्दा भाभी बोलीं, ” अरे लाला आगे भी तो पढो ” और मैंने पढ़ना शुरू किया पर एक शरारत की, मैंने अपनी टाँगे उसकी लम्बी लम्बी टांगों के बीच में इस तरह फंसा दी की अब वो पूरी तरह ना सिर्फ मेरी गोद में थी बल्कि उसका मुंह मेरे चेहरे के पास था और वो मेरी और फेस कर के बैठी थी. मैंने आगे पढ़ना शुरू किया.
” कर्क राशि वालों के लिए विशेष चेतावनी …इस होली में अगर अप अपनी अपने भाई की या कैसी भी ससुराल की और रुख करेंगे तो …
” अब तो आही गए हैं अब क्या कर सकते हैं”…गुड्डी ने मुस्करा के मेरी बात काटते हुए कहा और चन्दा भाभी ने भी सर हिला के उस का साथ दिया. अमिएं आगे पढ़ना जारी रखा…
” …ससुराल की और रुख करेंगे तो आपका कौमार्यत्व खतरे में पड़ जाएगा. भाभिया…सालिया या आपकी चाहनेवालियाँ…अब मिल के नथ उतार देंगी. इसलिए अगर फट्नी है है चुपचाप फड़वा लीजिये
” …ससुराल की और रुख करेंगे तो आपका कौमार्यत्व खतरे में पड़ जाएगा. भाभिया…सालिया या आपकी चाहनेवालियाँ…अब मिल के नथ उतार देंगी. इसलिए अगर फट्नी है है चुपचाप फड़वा लीजिये..”
” एक दम सही बात कही है…ज्यादा उच्हल कद मत कीजिये गा चुपचाप डलवा लीजिएगा…” गुड्डी हंस के बोली.
” एक दम अपनी बहन की तरह वो भी बिचारी इन्ही की तरह सीधी हैं सब का दिल रख देती हैं…” चन्दा भाभी क्यों छोड़ती. मैं बिचारा..चुपचाप पढ़ता रहा…
” आप का आगे पीछे दोनों और का कुंवारापना उतर जाएगा. और भाभिया और उनके साथ वालियां…अबकी होली उनके नाम ही की है इसलिए जितने की कोशिश मत कीजिएगा…आपकी होली वो गत होगी जो कोई सोच भी नहीं सकता…रगडा जाएगा, हचक के डाला जाएगा इस लिए मौक़ा का फायदा उठाइये और बेशर्म हो के होली का मजा लीजिये. हाँ ये तीन उपाय कीजिएगा तो होलिका देवी आपके ऊपर खुश रहेंगी, आपकी रक्षा करेंगी और नयी पुरानी एक से एक मस्त चून्चियासी भी बात का बुरा ना मानियेगा. बल्कि उनकी हर बात बात मानियेगा…वरना जबरदस्त घाटा होगा… उनके पैरों पे सर रख के ..तभी पैरों के बीच की जन्नत मिलेगी.
दोनों ने एक साथ कहा…एक दम सही बात…याद रखियेगा…हर बात माननी होगी..
मैंने गुड्डी के सामने सर झुका के कहा एक दम मंजूर…
और तीसरी बात…मैंने पढ़ना जारी रखा…आखिरी बात…अगवाड़े पिछवाड़े दोनों ओर वैसलीन लगा के रखियेगा सटासट जाएगा और न डालने वाले को तकलीफ होगी और हाँ भाभी का फगुवा उधार मत रखियेगा …जो मांगेंगी दे दीजिएगा….
” एक दम मुझे बस तुम्हारा वो माल चाहिए..लौटना तो साथ ले आना यहाँ के लोगों की चांदी हो जायेगी और उस का भी स्वाद बदल जाएगा…” भाभी ने छेड़ा.
” ठीक है ये भूल जायेंगे तो मैं याद दिला दूंगी…लौटूंगी तो तुम्हारे साथ ही…हाँ और स्वाद तो उसका बदलेगा…ही दोनों बल्कि तीनों मुंह का…” दुष्ट गुड्डी..
अच्छा रुक अब तेरा नंबर है राशिफल है सुनाने का क्या राशी है तुम्हारी. अब मेरा नंबर था..
“नहीं चलती हूँ अभी नींद आ रही है…कल…” फर्जी जुम्हाई लेते हुए उसने जो अंगड़ाई ली की मेरी तो…वो एक दम साफ साफ तना टन टना रहा था…बिचारी साडी कम लुंगी कित्ता रोकती.
” जी नहीं ..”मैंने उसकी दोनों टांगो के बीच फँसी अपनी टाँगे फैलायीं…तो वो बिचारी वहीँ अटक गई. मैंने कास के उसे खींचा तो अपब्की वो सीधे मेरे ‘ भाले’ पे…उसकी फ्राक भी खिंच तान में उठ गयी थी और ” वो’ सीधे सेंटर पे सेट था.
” सुनाओ सुनाओ …बोलने दो इसको …अरे इसकी मानोगे तो कुछ नहीं कर पाओगे…हम दोनों की तो सुन ली रानी जी और अब…”
” तुम्हारी राशि मीन है ना…”
” जैसे की मालूम नहीं है …तुमको.” कुछ अदा से कुछ नखड़े से वो बोली. मैं चालु हो गया…
” मीन राशि वाली कन्याओं के लिए ये होली बहोत शुभ है. उन्हें अबकी अपनी मन पसंद पिचकारी होली खेलने के लिए मिलेगी. और अबकी उनकी बाल्टी में सफेद रंग की बौछार खूब होगी. बस ये ध्यान दें की पिचकारी से खेलते समय पहले उसे ध्यान से पकड़ें और ये ही ध्यान रखें की सीधे साधे ढंग से डलवा लें…वरना कहीं गलत जगह पिचकारी और रंग दोनों जा सकता है.

“नहीं चलती हूँ अभी नींद आ रही है…कल…” फर्जी जुम्हाई लेते हुए उसने जो अंगड़ाई ली की मेरी तो…वो एक दम साफ साफ तना टन टना रहा था…बिचारी साडी कम लुंगी कित्ता रोकती.
” जी नहीं ..”मैंने उसकी दोनों टांगो के बीच फँसी अपनी टाँगे फैलायीं…तो वो बिचारी वहीँ अटक गई. मैंने कास के उसे खींचा तो अपब्की वो सीधे मेरे ‘ भाले’ पे…उसकी फ्राक भी खिंच तान में उठ गयी थी और ” वो’ सीधे सेंटर पे सेट था.
” सुनाओ सुनाओ …बोलने दो इसको …अरे इसकी मानोगे तो कुछ नहीं कर पाओगे…हम दोनों की तो सुन ली रानी जी और अब…”
” तुम्हारी राशि मीन है ना…”
” जैसे की मालूम नहीं है …तुमको.” कुछ अदा से कुछ नखड़े से वो बोली. मैं चालु हो गया…
” मीन राशि वाली कन्याओं के लिए ये होली बहोत शुभ है. उन्हें अबकी अपनी मन पसंद पिचकारी होली खेलने के लिए मिलेगी. और अबकी उनकी बाल्टी में सफेद रंग की बौछार खूब होगी. बस ये ध्यान दें की पिचकारी से खेलते समय पहले उसे ध्यान से पकड़ें और ये ही ध्यान रखें की सीधे साधे ढंग से डलवा लें…वरना कहीं गलत जगह पिचकारी और रंग दोनों जा सकता है.
हाँ लेकिन एक बात का ख्याल रखें जिसने आपको दिल दिया हो उसे आप अपनी बिल जल्द से जल्द दे दें वर्ना बिन पानी की मचली की तरह तड़पना हो सकता है. . इस फागुन में आपके लिए एक परमानेंट पिचकारी का इंतजाम हो सकता है. वो मोटी भी है, मस्त भी और रंग से भरपूर भी…उसे देख कर आपकी सारी सहेलियां जलेंगी…लेकिन आपस में बाँट कर लें. मीन तो पानी में ही रहती है तो आप प्यासी क्यों तड़प रही हैं . इस फागुन में लंड योग है बस थोड़ी सी हिम्मत कीजिये . एक पल का दर्द और जीवन भर का मजा…होली में और होली के पहले भी आप जोबन दान करें, आपके उभार सबसे मस्त हो जायेंगे…देखकर सारे लड़कों का खडा हो जाएगा और सारे शहर के लौंडे आप का नाम लेके मुठ मारेंगे.
हाँ उंगली करना बंद करिए और रोज सुबह चौथे पन्ने पे दिए गए लंड महिमा का गान अपने छाने वाले के हथियार के बारे में सोच कर करें. जल्द मिलेगा. और एक श्योर शोट तरीका…आपका वो थोड़ा शर्मीला हो थोड़ा बुद्धू हो तो बस…फागुन का मौसम है…आप खुद उसे एक जबर्दस्त किस्सी ले लें ..”
गुड्डी मेरी गोद में मेरी और फेस कर के बैठी थी. उसने दोनों हाथों से मुझे पकड़ रखा था और मैंने भी…मेरा एक हाथ हाथ उसकी कमर पे और दूसरा उसके किशोर कबूतर पे..बड़ी अदा से उस कातिल ने चन्दा भाभी की और मुस्करा के देखा और भाभी ने हंस के ग्रीन सिग्नल दे दिया. जब तक मैं समझूँ …उसने दोनों हाथों से मेरे सर को कास के पकड़ कर अपनी और खिंच लिया था और उस के दहकते मदमाते रसीले होंठ मेरे होंठों पे…पीछे से हंसती खिलखिलाती चंदा भाभी ने भी मेरा सर कस के पकड़ रखा था… उसके गुलाबी होंठों के बीच मेरे होंठ फंसे थे. मेरी पूरी होली तो उसी समय हो गयी. साथ साथ मेरे बेशर्म हाथों की भी चांदी हो गयी. वो क्यों पीछे रहते…दोनों उभार मेरी हथेलियों में ..पल भर के लिए होंठ हटे…
” हे भाभी खिला दूं …” पान चुभलाते उस सारंग नयनी ने पूछा.
” नेकी और पुछा पूछ …” हंस के भाभी बोलीं और कस के मेरा मुंह दबा दिया…मेरे होंठ खुल गए और अब किस्सी के साथ साथ…
मैं भी कस कस के चूम रहा था चूस रहा था…जैसे किसे भूखे नदीदे को मिठाई मिल गयी हो …मेरे लिए मिठाई ही तो थी. थोड़ा पान मेरे मुंह में गया लेकिन जब उस रसीली किशोरी ने मेरे मुंह में अपनी जीभ डाली तो साथ में उसका अधखाया, चूसा. उसके रस से लिथड़ा…मैं अपनी जीभ से उसकी जीभ छु रहा था चूस रहा था…
और जब थोड़ी देर में तूफान थोड़ा हल्का हुआ तो वो अचानक शर्मा गयी लेकिन हिम्मत कर के चिढाते हुए उसने चन्दा भाभी को देख के कहा…
” कुछ लोग कहते हैं मैं ये नहीं खाता …वो नहीं खाता…”
” एकदम…लेकिन ऐसे लोगों का यही इलाज है ..जबरदस्ती…” चन्दा भाभी ने उसकी बात में बात जोड़ी.
मैं मुंह में पान चुभला रहा था.
” चलती हूँ …बहोत नींद आ रही है…” उसने इस तरह अंगडाई ली की लगा उसके दोनों किशोर कबूतर उड़ के बाहर आ जायेंगे.
मेरा वो पहले ही सर उठाये हुआ था. अब साडी कम लुंगी से सर बाहर निकाल के झांकने लगा.
तिरछी निगाह से उसने ‘उसे’ देखा और शरमा गयी. लेकिन उसके उठने के पहले ही चन्दा भाभी बोलीं..
” अरे सुन तूने इनकी शर्ट और पैंट तो पहले ही सम्हाल के रख दी है…ये ब्रा और पैंटी कौन उतारेगा…ये भी उतार दे ना…”
” एकदम …” और जबतक मैं सम्हलूँ सम्हलूँ…मेरी बनियाइन उस के हाथ में. अगले पल मेरी साडी कम लुंगी में हाथ डाल के चड्ढी भी…
जैसे म्यान से कोई तलवार चमक के बाहर आ जाए वैसे …” वो’ …पतली सी भाभी की साडी कितना उसे छुपा पाती.
एक कातिल तिरछी सी निगाह उस पे डाल के वो छम से बाहर…
” अरी सुन …अभी आके तुझे और गुंजा को दूध देती हूँ सोने के पहले दूध जरुर पीना…”
वो देहरी पे रुक गयी. बात वो चन्दा भाभी से कर रही थी लेकिन बिजलियाँ मुझे पे गिया रही थी.
” नहीं …” मुंह बना के वो बोली. ” मैं बच्ची थोड़े ही हूँ. हाँ अपने इन देवर को जरुर पिला दीजिएगा…”
वो हंसी तो लगता है हजारों चांदी की घंटियाँ एक साथ बज गयीं.
” अरी दूध नहीं पीयेगी तो …दूध देने लायक कैसे बनेगी..” चन्दा भाभी भी ना…उसके उभारों पे हंस के हाथ फेरते हुए वो बोलीं और मुझे देख के कहा…
” और जहां तक इस का सवाल है…..इस को तो मैं दूध भी पिलाऊंगी और मलाई भी चखाउंगी.”
गुड्डी दूसरे बेडरूम में चली गयी और भाभी किचेन में …
किचेन से दूध के दो गिलास लेके वापस चन्दा भाभी मेरे बेडरूम में आयीं. मैं आराम से सोफे से हट के अब डबल बेड पे बैठा था. उन्होंने कमरे में आलमारी खोल के कोई बाटल खोली और कुछ दवा सी निकाल के दूध में डाली.
” हे भाभी ये…” मैंने पूछने की कोशिश की पर उन्होंने अपने होंठों पे उंगली रख के मुझे चुप रहने का इशारा किया. और दूध ले के बाहर चली गयीं.
थोड़े इतराने की…ना ना की आवाज आ रही थी. पर जब वो लौटीं तो उनके हाथ में दो खाली गिलास उनके मिशन के पूरे होने के संकेत दे रहे थे.
किचेन से अबकी वो लौटीं तो उनके हाथ में एक बड़ा गिलास था…दूध के साथ साथ मोटी मलाई की लेयर. और ऊपर से जैसे कुछ हर्ब सी पड़ी हों ..मस्त महक आ रही थी. बगल के टेबल पे रख के पहले तो उन्होंने दरवाजा बंद किया और फिर मेरे बगल में आ के बैठ गयीं.
साडी तो उनकी लुंगी बनके मेरी देह पे थी. वो सिर्फ साए ब्लाउज में…और ब्लाउज भी एक दम लो कट …भरे भरे रसीले गोरे गुदाज गदराये जोबन छलकनें को बेताब ..
और अब तो चड्ढी का कवच भी नहीं था.. ‘वो’ एक दम फन फना के खडा हो गया.
भाभी एक दम सट के बैठी थीं

” दोनों को दूध दे दिया …पांच मिनट में एक दम अंटा गाफिल…सुबह तक की छुट्टी… ” भाभी का एक हाथ मेरे कंधे पे था और दूसरा मेरी जांघ पे…’ उसके ‘ एकदम पास. मेरे कान में वो फुसफुसा के बोल रही थीं. उनके होंठ मेरे इयर लोब्स को आलमोस्ट टच कर रहे थे. मस्ती के मारे मेरी हालत खराब थी.
” दोनों को सुलाने का दूध दिया…और मुझे.” दूध के भरे ग्लास की और इशारा कर के मैंने पूछा.
” जगाने का…” मेरी प्यासी निगाहें ब्लाउज से झांकते उनके क्लीवेज से चिपकीं थीं. और वो भी जान बूझ के अपने उभारों को और उभार रही थीं.
उन्होंने एक हल्का सा धक्का दिया और मैं पलंग पे लेट गया. साथ में वो भी और उन्होंने हलकी रजाई भी ओढ़ ली. हम दोनों रजाई के अंदर थे.
” तुम्हे मैं जितना अनादी समझती थी…तुम उतने अनाडी नहीं हो…” मेरे कान में वो फुसफुसायीं.
“तो कितना हूँ.” मैंने भी उन्हें पकड़ के कहा.
” उससे भी ज्यादा ..बहोत ज्यादा…अरे गुड्डी जब तुम्हारी चड्ढी पकड़ रही थी तो तुम्हे कुछ पकड़ धकड़ करनी चाहिए थी…उससे अपना हथियार पकड़वाना चाहिए था…उसकी झिझक भी खुलती शर्म भी खुलती और …मजा मिलता सो अलग…तुम्हें तो पटी पटाई लड़की के साथ भी ना…एक बार लड़की के पटने से कुछ नहीं होता…उसकी शर्म दूर करो…झिझक दूर करो…खुल के जितना बेशर्म बनाओगे उसे, उतना खुल के मजा मजा देगी.”
तो भाभी बना दो ना अनाडी से खिलाड़ी. ”
” अरे लाला ये तो तुम्हारे हाथ में है…फागुन का मौक़ा है…खुल के रगडो…एक बार झिझक चली जायेगी थोड़ी बेशरम बना दो. बस…मजे ही मजे तेरे भी उसके भी…तलवार तो बहोत मस्त है तुम्हारी तलवार बाजी भी जानते हो की नहीं. कभी किसी के साथ किया विया है या नहीं? ”
” नहीं, कभी नहीं…” मैंने धीरे से बोला.
” कोरे हो…तब तो तेरी नथ आज उतारनी ही पड़ेगी. ” चन्दा भाभी ने मुस्कराते हुए कहा. उनकी एक उंगली मेरे सीने पे टहल रही थी और मेरे निपल के पास आके रुक गयी. वहीँ थोड़ा जोर देके उसके चारों ओर घुमाने लगी. मजे के मारे मेरी हालत खराब थी. कुछ रुक के मैं बोला…
” आपने मुझे तो टापलेस कर दिया और खुद…”
” तो कर दो ना…मना किसने किया है. ” मुस्करा के वो बोलीं.
मेरी नौसिखिया उंगलियां कभी आगे कभी पीछे ब्लाउज के बटन ढूंढ रही थीं. लेकिन साथ साथ वो क्लीवेज के गहराईयों का भी रस ले रही थीं.
” क्यों लाला साड़ी रात तो तुम हुक ढूँढने में ही लगा दोगे…” भाभी ने छेड़ा. लेकिन मेरी उंगलियाँ भी उन्होंने ढूंढ ही लिया और चट..चट..चट..सारे हुक एक के बाद एक खुल गए.
” मान गए तुम्हारी बहनों ने कुछ तो सिखाया…” वो बोलीं.
कुछ झिझकते कुछ शर्माते कुछ घबराते …पहली बार मेरी उँगलियों ने उनके उरोजों को छुआ.
जैसे दहकते तवे पे किसी ने पानी की बूँदें छिड़क दी हों…मेरी उँगलियों के पोर दहक गए.
” इत्ते अनाड़ी भी नहीं हो..” हंस के बोली और मचली की तरह सरक के मेरी पकड़ से निकल गयीं. अब उनकी पीठ मेरी ओर थी. मैंने पीछे से ही उनके मदमाते गदराये उभार कास के ब्रा के ऊपर पकड़ लिया. मैं सोच रहा था शायद फ्रंट ओपन ब्रा होगी…लेकिन…तबतक उन्होंने मेरे दोनों हाथों को अपने हाथों से पकड़ के कैसे हैं..
” बहोत मस्त भाभी…” मैं दबा रहा था वो दबवा रहीं थीं. लेकिन मैं समझ गया था की इसमें भी उनकी चाल है. ब्रा का हुक पीछे था और वहां मेरा हाथ पहुँच नहीं सकता था. वो उनकी गिरफ्त में था.
कहतें है ना की शादी नहीं हुयी तो क्या बारात तो गए हैं….तो मैं अनाडी तो था…लेकिन इतनी किताबें पढ़ी थीं…फिल्में देखी थीं. मस्त राम के स्कूल का मैं मास्टर था.
मैंने होंठों से ही उनकी ब्रा का हुक खोल दिया…

मैंने होंठों से ही उनकी ब्रा का हुक खोल दिया…
और आगे मेरे दोनों हाथों ने कस के ब्रा के अन्दर हाथ डाल के उनके मस्त गदराये उभार दबोच लिए.
” लल्ला, तुम इत्ते अनाडी भी नहीं हो.” मुस्करा के वो बोलीं.
मेरी तो बोलने की हालत भी नहीं थी.
मेरे होंठ उनके केले के पत्ते ऐसे चिकनी पीठ पे टहल रहे थे. और दोनों हाथ मस्त जोबन का रस लूट रहे थे.
क्या उभार थे. एक दम कड़े कड़े, मेरी एक उंगली निपल के बेस पे पहुंची तभी मछली की तरह फिसल के वो मेरी बाँहों से निकल गयी.
और अगले ही पल वो ३६ डी डी उभार मेरे सीने से रगड़ खा रहे थे. चन्दा भाभी का एक हाथ मेरे सर को पकडे बालों में उंगली कर रहा था और दूसरा कस के मेरे नितम्बो को कस के पकडे था. मेरे कानों से रसीले होंठों को सटा के वो बोलीं, ” मेरा बस चले तो तुम्हे कच्चा खा जाऊं.”
” तो खा जाइए ना…” मैं भी सीने को उनके रसीले उभारों पे कस के रगड़ते बोला, ” तो खा जाओ ना. ”
मेरे होंठों पे एक हल्का सा चुम्बन लेती हुयी वो बोलीं… ” चलो एक किस ले के दिखाओ.”
मैंने हलके से एक किस ले ली.

” धत क्या लौंडिया की तरह किस कर रहे हो.” वो बोलीं फिर कहा, वैसे शर्मीली लडकी को पहली बार पटा रहे तो ऐसे ठीक है वरना थोड़ी हिम्मत से कस के …” और अगली बार और कस के उन्होंने मेरे होंठो पे होंठ रगड़े. जवाब में मैंने भी उन्हे उसी तरह किस किया. . भाभी ने मेरे लिप्स के बीच अपनी जुबान घुसा दी. मैं हलके से चूसने लगा.
थोड़ी देर में होंठों को छुडा के उन्होंने हल्के मेरे गाल को काट लिया और बोली..” क्यों देवर जी अब तो हो गयी ना मैं भी आप की तरह टापलेस…लेकिन किसी नए माल को करना हो तो इत्ती आसानी से चिड़िया जोबन पे हाथ नहीं रखने देगी. ”
” तो क्या करना चाहिए…” मैंने पूछा.
” थोड़ी देर उसका टॉप उठाने या ब्लाउज खोलने की कोशिश करो, और पूरी तरह से तुम्हे रोकने में लगी हो तो… उसी समय अचानक अपने बाएं हाथ से उसका नाडा खोलना शुरु कर दो. सब कुछ छोड़ के वो दोनों हाथों से तुम्हारा बायाँ हाथ पकड़ने की कोशश करेगी. बस तुरंत बिजली की तेजी से उसका टॉप या ब्लाउज खोल दो. जबतक वो सम्हले तुम्हारा हाथ उसके उभारों पे. और एक बार लडके का हाथ चूंची पे पड़ गया तो किस की औकात है जो मना कर दे …और ना यकीं हो तो इसी होली में वो जो तेरी बहन कम छिनार माल है उसके साथ ट्राई कर लो. ” भाभी ने कहा.
” अरे उसके साथ तो बाद में ट्राई करूंगा…लेकिन…” ये बोलते हुए मैंने उनके पेटी कोट का नाडा खींच लिया. वो क्यों पीछे रहतीं. मेरी साडी कम लुंगी भी उनके साए के साथ पलंग के नीचे थी.
” लेकिन तुम ट्राई करोगे उसे …ये तो मान गए.” हंसते हुए वो बोलीं. रजाई भी इस खीच तान में हम लोगों के ऊपर से हट चुकी थी. मेरे दोनों हाथ पकड़ के उन्होंने मेरे सर के नीचे रख दिया और मेरे ऊपर आ के बोलीं,
” अब तुम ऐसे ही रहना, चुपचाप. कुछ करने की उठाने की हाथ लगाने की कोशिश मत करना.”
मेरे तो वैसे ही होश उड़े थे. उनके दोनों उरोज मेरे होंठो से बस कुछ ही दूरी पे थे. मैंने उठने की कोशिश की तो उन्होंने मुझे धक्का देके नीचे कर दिया. हाथ लगाने की तो मनाही ही थी. सर उठाके मेनन अपने होंठो से उन रसभरी गोलाइयों को छुना चाहता था…लेकिन जैसे ही मैं सर उठाता वो उसे थोडा और ऊपर उठा लेतीं, बस मुश्किल से एक इंच दूर. और जैसे ही मैं सर नीचे ले आता वो पास आ जातीं. जैसे कोई पेड़ खुद अपनी शाखें झुका के …एक बार वो हटा ही रही थीं की मैंने जीभ निकाल के उनके निपल्स को चूम लिया. कम से कम एक इंच के कड़े कड़े निपल..
” ये है पहला पाठ..तुम्हारे पास तुम्हारे तलवार के अलावा …तुम्हारी उंगलियाँ हैं, जीभ है, बहोत कुछ है जिससे तुम लड़की को पिघला सकते हो. बस अन्दर घुसाने के पहले ही उसे ही उसे पागल बना दो…वो खुद ही कहे डाल दो. डाल दो .” भाभी बोलीं
और इसके साथ ही थोडा और नीचे फिसल के…अब उनके उरोज मेरे सीने पे रगड़ रहे थे, कस कस के दबा रहे थे. बालिश्त भर की मेरी कुतुबमीनार उनके पेट से लड़ रही थी. वो जोबन जो ब्लाउज के अन्दर से आग लगा रहे थे…मेरी देह पे …जांघ पे…और जो मैं सोच नहीं सकता था…मेरे तानातानाये हथियार को उन्होंने अपनी चून्चियों के बीच दबा दिया और आगे पीछे करने लगी. मुझे लगा की मैं अब गया तब गया तब तक भाभी की आवाज ने मेरा ध्यान तोड़ा…
” हे खबरदार जो झडे…ना मैं मिलूंगी ना वो…” मैं बिचारा क्या करता. भाभी ने एक हाथ से मेरे चरम दंड को पकड़ने की कोशिश की…लेकिन वो मुस्टंडा…बहोत मोटा था..उन्होंने पकड़ के उसे खींचा तो मेरा लाल गुलाबी मोटा सुपाडा…खूब मोटा …बाहर निकल आया. मस्त …गुस्स्सैल..मेरा मन का रहा था भाभी इसे बस अपने अंदर ले लें. लेकिन वो तो…उन्होंने अपना कडा निपल पहले तो सुपाडे पे रगडा और फिर मेरे सीधे पी होल पे…मुझे लगा जोर का झटका जोर से लगा. उनका निपल थोड़ी देर उसे छेड़ता रहा फिर उनकी जीभ के टिप ने वो जगह ले ली. मैं कमर उछाल रहा था…जोर जोर से पलंग पे चूतड पटक रहा था और भाभी ने फिर एक झटके में पूरा सुपाडा गप्प कर लिया. पहली बार मुलायम रसीले होंठों का वहां छुवन…लग रहा था बस जान गई…
” भाभी मुझे भी तो अपने वहां …”
” लो देवर जी तुम भी क्या कहोगे…” और थोड़ी देर में हम लोग ६९ की पोज में थे.
लेकिन मैं नौसिखिया. पहली बार मुझे लगा किताब और असल में जमीं आसमान का अन्तर है…

लेकिन मैं नौसिखिया. पहली बार मुझे लगा किताब और असल में जमीं आसमान का अन्तर है…
मेरे समझ में ही नहीं आ रहा था की कहाँ होंठ लगाऊं,कहाँ जीभ. पहली बार योनी देवी से मुलाक़ात का मौका था. कितना सोचता था की…
लेकिन चन्दा भाभी भी कुछ बिना बताये…खुद अपनी जांघे सरका के सीधे मेरे मुंह पे सेंटर कर के और कुछ समझा के …..क्या स्वाद था…एक बार जुबान को स्वाद लगा तो,… पहले तो मैंने छोटे छोटे किस लिए…और फिर हलके से जीभ से झुरमुट के बीच रसीले होंठों पे…चन्दा भाभी भी सिसकियाँ भरने लगी. लेकिन दूसरी ओर मेरी हालत भी कम खराब नहीं थी.
वो कभी कस के चूसतीं कभी, बस हलके हलके सारा बाहर निकाल के जुबान से सुपाडे को सहलातीं…और उनका हाथ भी खाली नहीं बैठा था…वो मेरे बाल्स को छू रहीं थीं, छेड़ रही थीं, और साथ में उनकी लम्बी उंगलियाँ शरारत से मेरे पीछे वाले छेद पे कभी सहला देतीं तो कभी दबा के बस लगता अन्दर ठेल देंगी…और जब मेरा ध्यान उधर जाता तो एक झटके में ही ३/४ अन्दर गप्प कर लेतीं, और फिर तो एक साथ, उनके होंठ कस कस के चूसते, जीभ चाटती चूमती और थोड़ी देर में जब मुझे लगता की बस मैं कगार पे पहुंच गया हूँ …भाभी अब ना रूके…तो वो रुक जातीं..और ‘उसको’ पूरी तरह से बाहर निकाल के मुझे चिढ़ाती,
“गन्ना तो तुम्हारा बहोत मीठा है किससे किससे चुसवाया. ”
जवाब मैं मैं कस कस के उनकी ‘सहेली’ को चूसने लगता और वो भी सिसकियाँ भरने लगतीं. तीन चार बार मुझे किनारे पे ले जा के वो रुक गयीं. हर बार मुझे लगता बस अब हो जाने दें लेकिन…
अचानक भाभी मुझे छोड़ के उठा गयीं और मेरे पैरों के बीच में जा के बैठ गयीं. मुझे पुश करके बेड के बोर्ड के सहारे बैठा दिया और ‘उसे’ अपनी मुट्ठी में कस के पकड़ लिया. मस्ती के मारे मैंने आँखें बंद कर लीं. आगे पीछे हिलाते हुए उन्होंने पूछा,
” क्यों ६१-६२ करते हो…”
मैं चुप रहा.
उन्होंने एक झटके में सुपाडे को खोल दिया और फिर से पूछा…बोलो ना.
” नहीं…हाँ…कभी..कभी..”
” किसका नाम ले के …कल जिसको ले जाओगे उस को…देखो तुम्हे देवर बनाया है मुझसे कुछ मत छिपाओ फायदे में रहोगे. ” भाभी बोली.
‘ नहीं …हाँ….”
आगे पीछे जोर से करते हुए उन्होंने फिर से पुछा …
” नहीं ..कभी नहीं..” फिर मेरे मुंह से सच निकल ही गया…” हाँ ..एक दो बार…”
” साल्ले..तेरी बहन की फुद्दी मारूं…तेरे अन्दर बहनचोद बनने के पूरे लक्षण हैं.” फिर कुछ रुक के मुझे देखते हुए उन्होंने कहा…
” अब आगे से ६१-६२ मत करना….अरे मैं सिखा दूंगी तुम्हे सब ट्रिक…तेरे लिए लौंडियों की क्या कमी है ..एक तो है ही जिसको तुंने पटा लिया है…फिर वो तेरा घर का माल..इत्ता मस्त हथियार तो सिर्फ…आगे पीछे…मुह में जहाँ चाहे वहां…बोलो झाड दूँ…”
” हाँ …भाभी हां,…” मस्ती से मेरी हालत ख़राब थी.
उन्होंने झुक के मेरे गुलाबी मस्त सुपाडे पे एक कस के चुम्मी ली और फिर एक झटके में उसे गप्प कर लिया. उनके दोनों हाथ भी साथ साथ…एक मेरे जांघ पे फिसलता तो दूसरा मेरे सीने को सहलाता हुआ कभी मेरे निपल को फ्लिक कर देता तो कभी वहां कस के चिकोटी काट लेता. उनकी जुबान गोल गोल मेरे सुपाडे के चारो ओर घूम रही थी, फिसल रही थी. मैं मस्ती के मारे अपनी कमर उछाल रहा था. भाभी ने फिर एक मोटा तकिया ले के मेरे चूतड के नीचे अन्दर तक सरका के रख दिया. अपने लम्बे नाखूनों से एक दो बार मेरे निपल फ्लिक करने और कस कस के पिंच कर के उन्होंने उसे छोड़ दिया और मेरे पिछवाड़े की ओर….कभी उनका मोटा अंगूठा…वहां दबाता तो कभी वो एक साथ दो उंगलिया एक साथ मेरे नितम्बों के बीच छेद पे इस तरह दबाती की पूरा घुसेड के ही मानेंगी. अब तक दो तिहाई हिस्सा उन्होंने गड़प कर लिया था और कस कस के चूस रही थीं. मैं मस्ती के मारे ना जाने क्या क्या बोल रहा था …मुझे लग रहा था अब गया तब गया…ये भी लग रहा था की कहीं भाभी के मुहं के अन्दर ही ना…तब तक उन्होंने पूरा बाहर निकाल लिया और मेरी आँखों में आँखे डाल के पूछा..
” क्यों आया मजा…”
” हाँ भाभी लेकिन …” मैं आगे बोलता की भाभी ने वो किया की मेरी चीख निकल गई.
उन्होने अपने कड़े खड़े निपल को मेरे सुपाडे के छेद पे रगड़ दिया. वो उसे मेरे पी होल के अंदर डाल रही थीं और उनकी मुस्कारती आँखे मेरे मजे से पागल चहरे को देख रही थीं. थोड़ी देर इसी तरह छेड़ कर उन्होंने साइड से मेरे खड़े चर्म दंड को चाटना शुरू कर दिया. चारो और से उनकी जीभ लप लप चाट रही थी…ये एक नए ढंग का मजा था. उन्होंने एक हाथ से मेरे बाल्स को पकड़ रखा था. उनकी जुबान जहां से मेरा शिश्नबाल से मिलता है वही से शुरू हो कर से मिलता है वही से शुरू हो कर सीधे सुपाडे तक…और फिर वहाँ से नीचे..वापस…और दो चार बार ऐसे कर के जब उनकी जीभ नीचे गयी तो बजाय ऊपर आने के …एक बार में उसने मेरी बाल गडप कर ली. मेरी तो जान निकल गयी. कुछ देर तक चूसने चुभलाने के बाद के बाद भाभी के होंठ वापस मेरे सुपाडे पे आये और आँख नचा के वो मुझे देखते हुए बोलीं,
” जरुर चुसवाना उससे…दोनों से ” और जब तक मैं कुछ बोलता समझता …उन्होंने अबकी पूरा ही गड़प कर लिया.
और अब वो पूरे जोर से चूस रही थीं. मेरा सुपाडा उनके गले के अंत तक जा के टकरा रहा था…लेकिन जैस उन्हें कोई फरक ना पड़ रहा हो. उनके रसीले भरे भरे होंठ जब रगड़ते हुए ऊपर नीचे होते..और वो कस के चूसतीं..मेरी कमर साथ साथ ऊपर नीचे हो रही थी. वो करती रहीं करती रहीं…मुझे लगा की अब मैं …निकल ही जाउंगा….लेकिन मुझे लगा की कहीं भाभी के मुंह में ही…मैं जोर से बोला…
” भाभी प्लीज छोड़ दीजिये…बाहर निकाल लीजिये…मेरा होने ही वाला… ओह्ह …”
उन्होंने अपनी दोनों बाहों से कस के मेरी जांघो को पकड़ के नीचे दबा दिया और मेरी ओर देख के आँखों ही आँखों में मुस्करायीं जैसे कह रही हों….होने वाला हो तो हो जाय..और फिर दूनी तेजी se कस कस के चूसने लगीं.
मुझे लगा की मेरी आँखों के आगे तारे नाच रहे हों…मेरी देह का सब कुछ निकल रहा हो..ओह्ह ओघ्ह आह…भाभीइ इ इ ….मेरी आवाज जोर से निकल रही थी. लेकिन वो और जोर से चूस रही थीं..और जैसे कोई जोर का फव्वारा छूटे…मेरी कमर अपने आप बार बार ऊपर नीचे हो रही थी…और भाभी बिना रुके…मेरा पूरा लिंग उनके मुंह में था…उनके होंठ मेरे बाल से चिपके थे…
मुझे पता नहीं चला मैं कित्ती देर तक झडा…लेकिन जैसे ही मैं रुका …भाभी ने पहले हलके से फिर कस के मेरी बाल दबाया और दूसरे हाथ se मेरी गांड के छेद में उगली दबाई…
ओह्ह्ह …ओह्ह…..मैं दुबारा झड रहा था. आज तक ऐसा नहीं हुआ था.

जब थोड़ी देर में तूफान ठंडा हो गया तभी भाभी ने अपना मुंह हटाया. दो चार बूँद जो बाहर गिर पड़ी थीं उसे भी समेट के उन्होंने अपने होंठों पे लगा लिया और फिर मेरे पास आके लेट गयीं. हम दोनों के सर बगल में थे. मैं कुछ बोलने की हालत में नहीं था.
चन्दा भाभी ने अपने हाथ के जोर से मेरा मुंह खुलवाया और अपने होंठ मेरे होंठ से चिपका दिए. जब तक मैं कुछ समझूँ ..थोड़ी सी मलाई मेरे मुंह में भी…उन्होंने अपनी जुबान भी मेरे मुंह में दाल दी. थोड़ी देर तक हम लोग ऐसे ही किस करते रहे. फिर अपने होंठ हटा के मेरी आँखों में झांक के बोलीं,
” अरे थोड़ी सी मलाई तुम्हे भी खिला दी वरना कहते की भाभी ने सारी अकेले अकेले गप्प कर ली. वैसे थी बहोत मजेदार. खूब गाढी, थक्केदार…”
बहोत देर तक हम दोनों एक दूसरे की बाहों में लेटे रहे. बाते करते रहे. वो मुझे बताती रही समझाती रहीं..क्या कैसे..लेकिन चंदा भाभी …उनकी …शरारते.. उनके गुदाज उभार एक बार फिर मेरे सीने से रगडने लगे ..उनकी जांघे मेरे सोये शेर को जगाने लगीं और जैसे ही वो कुन्मुनाने लगा भाभी बोलीं..
” तुम्हे दूध तो पिलाया ही नहीं….” और उठ के खडी हो गयीँ.
दूध का ग्लास ऊपर तक भरा था और कम से कम तीन अंगुल गाढी मोटी मलाई..
‘ बच्चो की तरह दूध पियोगे या बडों की तरह.”

दूध का ग्लास ऊपर तक भरा था और कम से कम तीन अंगुल गाढी मोटी मलाई..
‘ बच्चो की तरह दूध पियोगे या बडों की तरह.” भाभी ने जिस अम्दाज से पूछा, मैं समझ गया कि इसमें कुछ पेंच है.मैं कुछ बोलता उसके पहले ही वो बोल उठीँ,
” अरे मेरे लिए तो तुम बच्चे ही हो. ” उन्होंने एक उंगली से मोटी सी मलाई निकाली और मुझे ललचा के अपने निपल पर लपेट दी. ” चाहिए’ वो अपने जोबन को और उभार के अदा से बोली.
” हाँ.”
” क्या…” आँख नचा के शरारत से भाभी ने पुछा.
” वही…” मैं रुकते रुकते बोला.
” वही क्या…” भाभी की एक उंगली कड़े निपल को सहला रही थी. ” नाम बताओ…ऐसे ही थोड़े मिलेगा. ”
” मलाई …” मैं भी शरारत के मूड में था.
” सिर्फ मलाई या..” उनकी अंगुली जो निपल पर थी वो अब वहां लगी मलाई को मेरे होंठों पे उसे लिथेड़ रही थी.
” नहीं वो भी…आपका सीना…जोबन…”
” अरे साफ साफ बोलो लाला…ऐसे लौंडियों की तरह शरमाओगे तो तुम माल पटाओगे, और भरतपुर कोई और लूट के चला जाएगा. बोलो ना जैसे मैं मैं बोलती हूँ…” भाभी बोली.
” चूंची …आपकी चूंची…” मैं हकलाते हुए बोला.
” हाँ ये हुयी ना मेरे देवर वाली बात लेकिन ऐसे थोड़े ही मिलेगा…कुछ इसकी तारीफ़ करो…वो भी खुल के..” उन्होंने उकसाया. ”
” भाभी आपकी ये रसीली मस्त गदराई चूंची…जिसको देख के ही मेरा खड़ा हो जाता है…”
” क्या खड़ा हो जाता है…तुम .ना ..साफ साफ बोलो वरना तड़पते रह जाओगे…” हंस के वो बोली.
” मेरा वो…..मेरा…मेरा लिंग…लंड.”
” देखूं तो खड़ा हुआ है या वैसे ही बोल रहे हो…” झुक के देखते हुए वो बोलीं.
मुझे भी यकीं नहीं हुआ. ‘वो’ टनाटन था.
” चलो मान गयी…अब मुंह खोलो…तो खिलाती हूँ…”
मैंने खूब बड़ा सा खोल दिया.
” खोलने के मामले मैं तुम अपने मायकेवालियोन की तरह हो…लो घोंटो” मलाई से लिपटी चूंची उन्होंने मेरे मुंह में डाल दी.लो घोंटो” मलाई से लिपटी चूंची उन्होंने मेरे मुंह में डाल दी. ” ये सांडे का तेल है और वो नहीं जो तुमने मजमे वालों के पास देखा होगा…” हंस के वो बोलीं.
भाभी की बात सही थी. मैंने कित्ती बार मजमें वालों के पास देखा था बचपन में, दोस्तों से सुना भी था… लोहे की तरह कड़ा हो जाता है..खम्भे पे मारो तो बोलेगा टन्न.
तेल मलते हुए भाभी बोलीं, ” देवर जी ये असली सांडे का तेल है…अफ्रीकन..मुश्किल से मिलता है. इसका असर मैं देख चुकी हूँ..ये दुबई से लाये थे दो बाटल. केंचुए पे लगाओ तो सांप हो जाता है और तुम्हारा तो पहले से ही कडियल नाग है. ”
मैं समझ गया की भाभी के ‘उनके’ की क्या हालत है.
चन्दा भाभी ने पूरी बोतल उठाई, और एक साथ पांच छ बूँद सीधे मेरे लिंग के बेस पे डाल दिया और अपनी दो लम्बी उँगलियों से मालिश करने लगीं. जोश के मारे मेरी हालत ख़राब हो रही थी.
” भाभी करने दीजिये न…बहोत मन कर रहा है…और…कब तक असर रहेगा इस तेल का. .”
” अरे लाला थोड़ा तड़पो, वैसे भी मैंने बोला ना अनाड़ी के साथ मैं खतरा नहीं लुंगी..बस थोड़ा देर रुको…हाँ इस का असर कम से कम पांच छ: घंटे तो पूरा रहता है और रोज लगाओ तो परमानेंट असर भी होता है. मोटाई भी बढती है और कडापन भी…” भाभी बोलीं.
भाभी ने वो बोतल बंद कर के दूसरी ओर रख दी और दूसरी छोटी बोतल उठा ली. जैसे उन्होंने बोतल खोली मैं समझ गया की सरसों का तेल है. उन्होंने खोल के दो चार बूंदे सीधे मेरे सुपाडे के छेद पे पहले डालीं. मजे से मैं गिनगिना गया.
” क्यों बचपन में तो ऐसे ही पड़ता रहा होगा ना. याद आया…वैसे तो मुझे किसी चिकने की जरुरत नहीं पड़ती लेकिन तुम्हारा आदमी की जगह गधे , घोड़े का लगता है…इसलिए. मैं वैसलीन की जगह सरसों का तेल ही लगाती हूँ…लेकिन किसी लड़की के साथ ..कच्ची कली के साथ तो पहले तो गीला करना अच्छी तरह से …फिर खूब वैसलीन चुपड के उंगली करना. अपने लंड में भी खूब वैस्लीन मल लेना. हाँ एक बात और तुम एक काम करो…अपना सुपाडा कभी कवर मत करना. इसको खुला ही रखना.
क्यों भाभी, ” मैंने उत्सकुता से पूछा.
पूरे सुपाडे पे तेल लगाते हुए वो बोली, ” अरे देवर जी, आपको आम खाने से मतलब या…यही सब तो ट्रिक हैं असली मर्द बनने के…आप भी क्या याद करियेगा कि कोई सिखाने वाली मिली थी. अरे पठान के…कया ख़ास बात होती है…खुला रहने से बचपन से रगड़ खा खा के..वो ऐसा सुन्न हो जाता है कि बस.. तो जल्दी झड़ने का खतरा खत्म हो जाता है. और औरत क्या चाहती है कि मर्द खूब रगड़ के अच्छी तरह , देर तक चोदे, ये नहीं की बस .घुसेड़ा, निकाला और कहानी ख़तम. जो मरद औरत को झाड के झडे, वो असली मर्द. तो अगर इसको ढकोगे नहीं तो तुम्हारे कपडे से रगड़ खा खा के ये भी samjh गए और हाँ अगर तुम मुझ से पहले गए तो समझ लेना…”
तेल की दोनों बोतल बंद करके वो टेबल पर रख चुकी थीं…
” भाभी …प्लीज…” मेरी आँखे गुहार लगा रही थीं.
” चल ठीक है तू भी क्या याद करेगा होली का मौका है तो आज देवर भाभी की होली हो जाये…बस याद रखना की तुम बस ऐसे ही लेटे रहना उठने कि कोशिस भी मत करना. ”
मैंने वोमन ऑन टाप की कयी कहानियाँ पढी थी, फोटुये और फिल्मे भी देखी थी, लेकिन वो सीन..चंदा भाभी पर वो जोबन था…नाईट लैंप की हल्की नीली रोशनी में..लंबे लंबे बाल, सिंदूर से सजी माँग.. बड़ी बड़ी कजरारी आंखे, गले में नेकलेस जिसका पेंडेंट उनके गदराये मस्त जोबन के बीच लटकता हुआ…खूब बडे बड़े लेकिन एक दम कड़ी मस्त चूंचिया..गोरी गोरी चिकनी जांघेँ…और उस के बीच काली झुरमूट…
भाभी मेरे ऊपर आ गयी थी. उनकी फैली हुयी जांघोँ के बीच,
क्यों ले लू इसे अपने अन्दर…” हंस के अपनी नशीली आँखें मेरी आंखों में डाल के वो बोली.
” एक दम ” मैंने भी हंस के जवाब दिया. बेचैनी से मेरी हालत खराब थी.

भाभी मेरे ऊपर आ गयी थी. उनकी फैली हुयी जांघोँ के बीच,
” क्यों ले लू इसे अपने अन्दर…” हंस के अपनी नशीली आँखें मेरी आंखों में डाल के वो बोली.

” एक दम ” मैंने भी हंस के जवाब दिया. बेचैनी से मेरी हालत खराब थी.
उनका जन्नत का ख़जाना मेरे ‘उससे’ टच कर रहा था. बता नहीं सकता वो पहली बार का स्पर्श…भाभी रुक गयी थी.
मैं बेताब हो रहा था. मैंने अपनी कमर उचकायी की ..
” मना किया था ना की हिलोगे नहीं…बदमाश…” भाभी ने आँखे तरेरीं.
मैं एकदम रुक गया. भाभी मुस्कराने लगीं और उन्होंने कमर थोड़ी और नीची की. अपने हाथों से उनहोने अपने निचले होंठों को थोड़ा फैलाया..और मेरा सुपाडा उनकी चूत के अंदर…उन्होंने मेरे जंधे पकड़ के एक और धक्का दिया…और बोलीं…
” अब मैं मर्द हूँ और तुम औरत…वैसे भी कल तुम्ही होली में अच्छी तरह से ..चुदवाओ ठीक से बोल…आ रहा है मजा…”और इसके साथ उन्होंने एक जबर्दस्त धक्का मारा.
सुपाडा पूरी तरह उनकी चूत के गिरफ्त में था. दोनों कन्धों पर जो उनका हाथ था वो सरक के मेरी छाती तक आ चूका था. जैसे कोई किशोरी के नए जोबन को सहलाए…वो उसी तरह ..
मैं चाह रहा था की भाभी जल्दी से पूरा अन्दर ले लें पर वो तो…उन्होंने कस के सुपाडे को अपनी चूत से कस कस के भींचना शुरू कर दिया. साथ ही उनके एक हाथ ने मेरे एक निपल को कस के पिंच कर लिया. उनके लम्बे नाखून वहां निशाना बना रहे थे.
अब मुझ से नहीं रहा गया. मैंने कस के अपने दोनों हाथो से उनके झुके हुए मस्त रसीले जोअबं पकड़ लिए और कस कस के दबाने लगा.
जवाब में भाभी ने एक जोर का धकका मारा और आधा लंड अन्दर चला गया. लेकिन अब वो रुक गयीं.
वो गोल गोल अपनी कमर घुमा रही थीं.
अब मुझसे नहीं रहा गया. मैंने उनकी कमर कस के पकड़ी और नीचे से जोर का धक्का मारा. साथ ही मैंने अपने हाथ से उनकी कमर पकड़ के नीचे की ओर खिंचा.
अब बजी थोड़ी सी मेरे हाथ में थी. भाभी सिसकियाँ भर रही थीं. ओर मेरा लंड सरक सरक के ओर उनकी चूत में घूस रहा था.
” तुम ना …बदमाश कल अगर तुम्हारी…” लेकिन भाभी की बात बीच में रह गयी क्योंकि मैंने कस के उनकी क्लिट दबा दी ओर वो जोर से सिसकी भरने लगी..”
” साल्ले …बहन चोद..मेरी सीख मेरे ही ऊपर तेरे सारे खानदान की फुद्दी मारू. ” ओर फुल स्पीड चुदाई चालू हो गयी.
भाभी की चूंची मेरी छाती से रगड़ रही थी. मैंने कस को उनको बांहों में भींच रखा था. और उन्होंने भी कस के मुझे पकड़ रखा था. हचक के सटा सट…उपर नीचे…उपर नीचे…थोड़ी देर तक भाभी खुद पुश कर रही थीं और साथ में मैं…उनकी कमर पकड़ के…लेकिन कुछ देर बाद …उन्होंने जोर कम कर दिया और`मैं ही अपनी कमर उचका के उनकी कमर नीचे खींच के…चूतड उठा के अपना लंड उनकी चूत में सटा सट…थोड़ी देर बाद ऐसी ही जबरदस्त चुदाई के बाद ..

भाभी ने मेरे कान में कहा..
‘ सुनो …तुम अपनी टाँगें कस के मेरी पीठ पे पीछे बाँध लो. पूरी ताकत से…”
उस समय ‘मेरा’ पूरी तरह से भाभी के अन्दर पैबस्त था.
मैंने वही किया. भाभी ने भी कस के अपने हाथ मेरी पीठ के नीचे कर के बाँध लिए.
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था.तभी भाभी ने पलटी और …गाडी नाव के उपर.
” बस ऐसे ही रहो थोड़ी देर…” नीचे से भाभी बोलीं और उन्होंने कुछ ऐडजस्ट किया और मैं उनकी जाँघों के बीच..
भाभी मुझे देख के मुस्करा रही थीं. मैंने भाभी को पहले हलके से फिर पुरी ताकत से किस किया. उन्होंने भी उसी तरह जवाब दिया. मुझे भाभी की बात याद आई. थोड़ी ही देर में मेरा होंठ उनके एक निपल को कस के चूस रहा था और दूसरा निपल मेरी उँगलियों के बीच था. धक्कों की रफ्तार मैंने कम कर दी थी. भाभी मस्त सिसकियाँ भर रही थीं. कुछ देर baad ही वो चूतड उचाकने लगीं,
” करो ना देवर जी…और जोर से करो बह्होत मजा आ रहा है….ओह्ह ओह्ह
भाभी सिसक रही थीं बोल रही थीं…
मैं कौन होता था अपनी इस मस्त भाभी को मना करने वाला.मैंने पूरी तेजी से कमर चलानी शुरू कर दी. इंजन के पिस्टन की तरह…भाभी ने पाने हाथों से मेरे चूतड कस के पकड़ रखे थे…मस्त गालियाँ ..चीखे…
” साल्ले रुके तो तेरी गांड मार लुंगी…कल पूरी पिचकारी तेरी गांड फैला के पेल दूँगी. बहन छोड़…तेरी बहन को मेरे सारे देवर चोदें…बहोत्त मजा…हाँ …”
और भाभी ने फिर पोज बदल दिया. वो मेरी गोद में थीं. उनकी फैली जांघे मेरी कमर के चारो ओर…चून्चिया मेरे सीने से रगड़ती, मैं अब हलके हलके धक्के मार रहा था. साथ में हम लोग बातें भी कर रहे थे…

” सीख तो तुम ठीक रहे हो…अपने मायके जा के उस छिनाल ननद के साथ प्रेकटिस करना एक दम पक्के हो जाओगे.” भाभी ने चिढाया.
” गुरु तो आप ही हैं भाभी…”
भाभी कभी मेरे कान में अपनी जीभ डाल देती, कभी हलके से मेरे होंठ काट लेतीं और एक baar उन्होंने मेरे निपल को कस के बाईट का लिया.
मैं क्यों पीछे रहता. मैंने ध्यान से सब सुना था और पढ़ा और फिल्मने देखी थीं सो अलग. मैंने दोतरफा हमला एक साथ किया.
मैंने होंठों से पहले तो कस के उनके निपल फ्लिक करना फिर चूसना शुरू किया और निपल हलके से काट लिए. एक हाथ जोबन मर्दन में लगा था. दूसरे हाथ को मैं नीचे ले गया और पहले तो हलके हलके फिर जोर से उनके क्लिट को रगडने लगा. भाभी झाड़ने के कगार पे पहुंच गयीं लेकिन वो मेरी ट्रिक समझ गयीं. उन्होंने धक्का देके मुझे गिरा दिया और फिर मेरे उपर आ गयीं.
” बदमाश हरामी, बहनचोद…बहन के भंड्वे, तेरी बहन को कोठे पे बैठाउं…मेरी सीख मुझी पे…” और कस कस के धक्के लगाने लगी. एक हाथ उनका मेरे निपल पे तू दूसरा मेरे पीछे गांड के छेद पे…मैं भी उसी तरह जवाब दे रहा था. हम लोग धकापेल चुदाई कर रहे थे. मैं बस अब रुकना नहीं चाहता था. मेरे हाथ कभी उनकी चूंची पे कभी क्लिट पे …मेरा लंड अब बिना रुले अन्दर बहार हो रहा था…भाभी की चूत कस कस के मेरे लंड को निचोड़ने लगी…और भाभी बोल रही थीं…
‘ ओह्ह्ह आःह हाँआ …ओह्ह्ह्ह ..नहिनीईइ मैन्न्न्न…” मुझे लग रहा था की मैं अब गया तब गया…लेकिन भाभी निढाल हो गयीं…उनके धक्के रुक गए…लेकिन उनकी चूत कस कस के सिकोड़ती रही …निचोड़ती रही …और मैं भी….
लगा मेरी जान निकल जायेगी…पूरी देह से,,,आँखे बंद हो गयी मैं कमर हिला रहा था…जैसे कोई फव्वारा फूटे…मेरी देह शिथिल पड़ गयी थी. भाभी मेरे उपर लेटी थीं. थोड़ी देर तक हम दोनों लम्बी लम्बी साँसे लेते रहे. भाभी ही उठीं. और फिर मेरे बगल में लेट गयीं. थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे बाहों में भर के एक जबर्दस्त किस कर लिया.
मुझे जवाब मिल गया था की मैं इम्तेहान मैं पास हो गया,

बाहर जबर्दस्त होली के गाने चल रहे थे.
नकबेसर कागा लै भागा…मोरा सैयां अभागा ना जागा..
अरे अरे उड़ उड़ कागा चोलिया पे बैठा जुबना के… अरे जुबना के सब रस ले भागा..
थोड़ी देर हम लोग एक दूसरे को कस के पकड़ के लेते थे. मैं धीरे धीरे उनके बाल सहला रहा था. मेरी एक उंगली उनके गालों पे फिर रही थी.
चन्दा भाभी भी मेरे पीठ पे हलके हलके हाथ फिरा रही थीं.
फिर बातें शुरू हुयीं. चन्दा भाभी ने …कुछ इधर उधर की फिर कुछ और ट्रिक्स…
खोद खोद के चन्दा भाभी ने सब कुछ पूछ लिया, मैं इतना शरमीला कैसे हूँ. मैंने बता दिया की साथ के लड़कों में मैं अकेला था जिस ने आज तक ‘कुछ नहीं’ किया था. जयादातर लड़कों ने तो १८-१९ साल की उम्र में ही….और मोस्टली ने तो कम से कम पांच छ के साथ ….दो चार ने तो कजिन के साथ. ही .गर्ल फ्रेंड तो आल मोस्ट सबकी थीं.
” अरे तो तुम ने क्यों नहीं…” चंदा भाभी ने पुछा.
” पता नहीं..मन तो बहोत करता था..लेकिन कुछ शर्माता था…कुछ डर की कहीं लड़की मन ना कर दे…और कुछ बदनामी का डर..पहली बार मैंने अपने मन की बात किसी को बतायी.चंदा भाभी की उंगली मेरे पीठ के निचले हिस्से पे, मेरे नितम्बो की दरार के ठीक ऊपर सहला रही थी.
” चल कोई बात नहीं …अब तो…अरे यार यही तो उम्र होती है…पढ़ाई पूरी हो गयी…इत्ती अच्छी नौकरी मिल गई..अभी शादी नहीं हुयी…तुम इत्ते लम्बे चौड़े हो…सब कुछ एक दम…” और ये कहते हुए उनकी एक हाथ की उंगली मेरे निपल पे पहुँच गयी और पीठ वाली नितम्बो के दरार में.
‘ वो’ कुनमुनाने लगा.
फिर उन्होंने गुड्डी के बारे में सब कुछ पूछ लिया…पहली बार पिक्चर हाल में से ले के…आज तक…
” तुम ना बुद्धू हो…अरे जब पेड़ की दाल पे कोई फल पक जाय और उसे कोई ना तोड़े तो क्या होगा…” भाभी बोलीं.
” वो गिर जाएगा..और फिर कोई भी उठा के ले जाएगा…’ मैं बोला.
” एक दम वो तो एकदम तैयार थी…वो तो तुम्हारी किस्मत अच्छी थी की किसी और ने…अब तो तुम्हारी जगह होता तो कब तक का.. ” भाभी ने प्यार से समझाया.
” मैं सोच रहा था की vo अभी १०वि में पदाहती है उसे कुछ मालूम नहीं होगा. फिर कहीं वह भाभी को शिकायत कर दे तो…वैसे वो है बहोत अच्छी ” मैंने अपनी मन की बात बताई.
भाभी ने मेरे कान की लर पे एक छोटी सी किस्सी ले ली और बोलीं…
” अरे बुद्धू..उससे छोटे उसके कित्ते भाई बहन हैं…”
” चार..” मैं बिना समझे बोला.
” तो ..सोचो ना…तो क्या उसकी मम्मी के बिना चुदवाये …और तुमने तो देखा ही है पहले वह लोग एक कमरे में रहते थे.,..उसने बचपन से कितनी बार अपने मम्मी पापा को करते देखा होगा…और मैं जानती हों ना उसकी मम्मी को …कितनी बार दिन दहाड़े..फिर लड़कियाँ तो…कितनी खुली बाते सब लोग करते हैं आपस में और वो तो गावं शहर दोनों की है…गावं में तो शादी ब्याह में..गन्ने के खेत में…लड़कियां बह्होत जल्दी तैयार हो जाती हैं..लेकिन एक बात गांठ बाँध लो…”
“क्या,,,” मैं बड़ी उत्सुकता से भाभी की एक एक बात सुन रहा था.
“किसी भी कुँवारी लड़की को पहली बार मजा नहीं आता. जो तुम ने कहानियों में पढ़ा होगा . सब गलत है. मन उसका जरुर करता है, सहेली की बातें सुन के भाभी की छेड़ खानी से.. इसलिए …”
” बताइये ना फिर क्या करना चाहिए…” मैं बेताब हो रहा था.
” अरे बोलने तो दे..”भाभी बोलीं ..” पहली बार उसे दर्द होगा…लेकिन ये दर्द सबको होता है…वह पहली लड़की तो होगी नहीं जिसकी फटेगी..इसलिए उसे थोड़ा प्यार से समझाना चाहिए..मन्नना चहिये…और जब दर्द कम हो जाए तो उसे दूसरी बार जरुर चोदो…भले वह चीखे चिल्लाये ..थोड़ा गुस्सा हो…वरना पहली चुदाई का दर्द अगर उसके मन में बैठ गया…ना तो फिर उसे दुबारा राजी करना मुश्किल होगा. दुबारा करने पे ही उसे असल मजा मिलेगा. ज्यादातर लडके ही उसके बाद थक जाते हैं. थक तो वो भी जायेगी…लेकिन कुछ देर बाद अगर कोई…किसी तरह..लड़की को गरम करना उतना मुश्किल नहीं…तीसरी बार उसे चोद दे ना …फिर तो वो लड़की उसकी गुलाम हो जायेगी. जब भी उससे कहोगे खुद तैयार रहेगी. और कहीं तीन चार दिन कर दिया तो…फिर तो उसकी चूत में चींटे काटेंगे,…तुम नहीं चाहोगे…तो भी तुम्हारे पीछे पीछे आएगी…सबके सामने बिना किसी की परवाह किये…”
मैं आने वाले कल की रात के बारे में सोच रहा था…जब मैं उसे ले के अपने घर पहुंचूंगा.
” भाभी अगर किसी लड़की के वो वाले पांच दिन चल रहे हों…और जिस दिन ख़तम हो उस दिन मौका मिले तो….उस दिन करना ठीक होगा की नहीं.”मैंने भाभी से दिल की बात पूछ ही ली.
” अरे वो तो सबसे अच्छा है…उस दिन तो चूत को ऐसी भूख लगी रहती है. वो खुद राजी हो जायेगी…उस दिन तो छोड़ना…काम देव का अपमान करना है. बस पटक के चोद दो…” भाभी ने समझाया. “उस दिन तो लड़की को ऐसी खुजली मचाती है ना की बस पूछो मत…बड़ी से बड़ी शर्मीली सती साध्वी होगी वो भी खुद टांग उठा के…उस दिन तो तो कोई रह नहीं सकती लंड देव की कृपा ना हुयी तो..बैगन, मोमबत्ती…कुछ नहीं हुआ तो उंगली… उस दिन तो बस तुम्हे पूछने की देर है…” हंस के भाभी बोलीं.
हम दोनों नें एक द्दोसरे को कास क पकड़ रखा था. बाहर अभी भी होली के गाने, जोगीडा चल रहा था..
अरे कौन गावं में सूरज निकल कौन गाँव में चन्दा..
किस ने गोरी की चूंची पकड़ी किसने हचक के चोदा…
जोगीरा सा रा…
” बनारस है ये साड़ी रात चलता है…और तुम सोच रहे की लड़की को ये नहीं पता होगा वो नहीं पता होगा…” भाभी जोगीड़ा सुन के मुस्कराते हुए बोलीं. तभी अच्चानक मुझे छुडा के वो उठ खडी हुयीं.
” क्या हुआ किधर जा रही हैं आप..” मैंने पुछा .
” कहीं नहीं…” हलके से उन्होंने बोला और धीरे से दर्वाके की कुण्डी खोल के बाहर झाँका. दोनों लड़किया घोड़े बेच के सो रही थीं. उन्होंने फिर दरवाजा बंद कर दिया और मुझसे बोलीं,
” अरे वो जो पान तुम लाये थे…वो तो मैंने खाया ही नहीं…और वैसे तो तुम पान खाते नहीं… ” क्या हुआ किधर जा रही हैं आप..” मैंने पुछा .
” कहीं नहीं…” हलके से उन्होंने बोला और धीरे से दर्वाके की कुण्डी खोल के बाहर झाँका. दोनों लड़किया घोड़े बेच के सो रही थीं. उन्होंने फिर दरवाजा बंद कर दिया और मुझसे बोलीं,
” अरे वो जो पान तुम लाये थे…वो तो मैंने खाया ही नहीं…और वैसे तो तुम पान खाते नहीं…

जब तक कोई जबरदस्ती ना खिलाये…तो फागुन में तो देवर से जबरदस्ती बनती है खास
तौर वो अगर तुम्हारे ऐसा चिकना हो…है ना…” हंसते हुए बर्क में लिपटा हुआ वो ‘स्पेशल’ पान ले के भाभी आ गयीं.
फिर से उन्होंने मेरे गालों को दबाके मुंह खुलवा दिया. पान का चौड़ा वाला भाग उनके मुंह में था और नोक वाल भाग निकला था. बिना किसी ना नुकुर के मैंने ले लिया. ज्यादातर पान उनके
हिस्से में गया और थोड़ा सा मेरे में…( क्यों ये राज बाद में खुला). हम दोनों पान का रस ले रहे थे. भाभी ने हलके से मेरे होंठ पे काट लिया. मैं क्यों पीछे रहता मैंने और कस के काट लिया और अपने दांतों का निशान उनके गुलाबी होंठों पे छोड़ दिया. इस का स्वाद थोड़ा अलग सा लग रहा था. स्वाद के साथ एक मस्ती सी छा रही थी. देह में एक मरोड़ सी उठ रही थी. भाभी की आँखों में भी सुरूर नजर आ रहा था.
भाभी ने फिर मुझे चूम लिया और मुस्कराते हुए पुछा,
” जानते हो, इस पान को क्या कहते हैं और ये कब खिलाया जाता है.”
” ना…” मैंने कस के सर हिलाया और उन्हें हलके से गाल पे काट लिया. मेरी हरकतें अब मेरे कंट्रोल में नहीं थीं.
” तुम बुद्धू हो…” उन्होंने कस के अपने मस्त उरोजों को मेरे सीने पे रगडा. ” इसे पलंग तोड़ पान कहते हैं और इसे दुलहन दूल्हा खाते हैं. दूल्हा डालता है दुल्हन के मुंह में इसलिए मैंने दाल तेरे मुंह में…आज तो मैं दूल्हा तुम दुल्हन…क्योंकि मैं ऊपर तुम नीचे..मैं डाल रही हूँ और तुम डलवा…”
” नहीं नहीं भाभी…वो पिछली बार था. अबकी मैं डालूँगा और आप डलवैयेगा. ” मैं भी बोल्ड हो रहा था.
” क्या डालोगे …नाम लेने में तो तेरी साल्ले फटती है…” हंस के ‘ उसे ‘ हलके से सहलाती वो बोलीं.
‘वो ‘जोर जोर से कुनमुनाने लगा.
उनकी चूंची कस कस के दबा के मैं बोला,
” भाभी लंड डालूँगा…आपकी चूत में ..और वो भी हचक हचक कर..आपका देवर हूँ कोई मजाक नहीं…”
” अरे मेरे देवर तो हो ही लेकिन साथ में मेरी बिन्नो ( मेरी भाभी) ननद साल्ली के ननदोई भी हो..अपनी बहन कम माल के भंडवे भी हो और उस के यार भी हो…”
अब भाभी ‘उसे’ कस कस के आगे पीछे कर रही थीं और ‘वो’ पूरी तरह तन्ना गया था.
” तुमने भी ना देवर जी क्या सोच के फुल पावर का माँगा था…” भाभी ने मुझे चिढाया.
” मुझे क्या मालूम …आपने बोला था…तो मुझे लगा फुल पावर मतलब ज्यादा अच्छा होगा. ” मैं ने कुछ बहाना बनाया.
मेरे हाथ अब कस कस के उनके जोबन का मर्दन कर रहे थे क्या मस्त चूंची थीं . खूब गदराई, कड़ी कड़ी रसीली ….

मेरी उंगलियां उनके निपल को फ्लिक कर रही थीं.
” भाभी, दो ना…”
” क्या …” मेरी आंखो में आखें डाल के चंदा भाभी ने पूछा.
” यही …आपकी ए रसीली मस्त चून्चीयां, ये ..ये…चूत..” मुझे ना जाने क्या हो रहा था.
” तो ले लो ना…मेरे प्यारे देवर…मैने कब मना किया है. देवर का तो हक होता है और वैसे भी फागुन में…औ” और ये कह के वो मेरे उपर आ गयीं. उनके ३६ डी डी मेरे टीट्स को कस कस के रगड रहे थे…मेरे कानों को किस करके वो हल्के से बोलीं,
” लेकिन याद रख …अगर तू मुझसे पहले झडा, …तो तेरा उपवास हो जायेगा…मैं तो नहीं ही मिलुंगी…वो भी नहीं मिलेगी. अपनी उस मायके वाली छिनाल से काम चलाना. और तेरी गान्ड मारुन्गी सो अलग.और वो तो वैसे भी कल मारी ही जायेगी. ससुराल में वो भी फागुन में आ के बची रहे ऐसी मस्त चिकनी गांड…सख्त नाईन्साफी है.” उनकी मझली उंगली मेरे गांड के क्रैक पे रगड रही थी.
मेरे पूरे देह में सनसनी फैल गयी. जोश के मारे तो ‘उसकी’ हालत ख़राब थी. मुझे लगा शायद चन्दा भाभी ‘उसे’ पकड़ लें लेकिन कहाँ…उनकी उंगली मेरी गांड में घुसने की कोशिश कर रही थी. अचानक भाभी ने अपने हाथों से मेरे जबड़े को कस के दबा दिया. मेरा मुंह खुल गया. उनके रसीले पान से रंगे होंठ मेरे होंठों के ठीक ऊपर थे शायद बस एक इंच ऊपर…वो पान चुभला रही थी और उनकी नशीली आँखें सीधी मेरी आँखों में झाँक रही थीं. उन्होंने मेरे ऊपर से ही, अपना होंठ खोला और सीधे उनके मुंह से मेरे खुले मुंह में…चन्दा भाभी के मुख रस से घुला मिला..अधखाया कुचला पान का रस…उनके मजबूत हाथों की पकड़ में मैं अपना चेहरा हिला डुला भी नहीं पा रहा था और पान रस की धार सीधे मेरे मुंह में…थोड़ी ही देर में भाभी के होंठ मेरे होंठो पे थे…और उन्होंने उसे अच्छी तरह जकड लिया, कस के कचकचा के …कभी वो उसे चूसतीं, कभी काटतीं.
जैसे सुहागरात के वक्त कोई दुल्हा दुल्हन की नथ उतारने के पहले कस कस के उसके मीठे होंठों का रस लूटता है बिलकुल वैसे..थोड़ी देर में उन्होंने अपनी मोटी रसीली जीभ भी मेरे मुंह में घुसेड दी. वो मेरी जीभ को छेड़ रही थी, उससे लड़ रही थी.. और उसके साथ ही भाभी के खाए, कुचले, रस से लिथड़े पान के बचे खुचे टुकडे..सब के सब मेरे मुंह में और उनकी जुबान उसे मेरे मुंह के अन्दर ठेलती हुयी…पूरा पलंग तोड़ पान मेरे मुंह के घुल रहा था, उसका रस भिन रहा था. पहले धीरे धीरे फिर खुल के मेरे मुंह ने अन्दर घुसी, भाभी की जीभ को हलके हलके चूसना शुरू कर दिया. जैसे कोई शरमाती लजाती दुलहन, पहले झिझके फिर अपने मुंह में जबरन घुसे शिश्न को रस ले ले के चूसने लगे. बहोत अच्छा लग रहा था. और भाभी के शरारती हाथ भी ना…वो क्यों चुप बैठते..जो उंगली मेरे पिछवाड़े के छेड़ में घुसने की कोशिश कर रही थी…वो अब मेरे बाल्स को सहला रही थी…छेड़ रही थी. और दूसरे हाथ ने जबड़े को छोड़ कर, कस कस के मेरे निपल्स को पिंच करना, कस कस के खींचना शुरू कर दिया .
८-१० मिनट के जबर्दस्त चुम्बन …..के बाद ही भाभी ने छोडा.

लेकिन बस थोड़े देर के लिए मेरा मुंह उन्होंने फिर जबरन खुलवा दिया और अबकी सीधे उनकी चूंची…पहले इंच भर बड़े, खड़े निप्पल और उसके बाद रसीली गदराई मस्त चूंची…मेरा मुंह फिर बंद हो गया. मैं हलके हलके चूसने लगा. कभी जीभ से फ्लिक करता

कभी हलके से बाईट कर लेता…और कभी चूस लेता ..भाभी ने पहले तो एक हाथ से मेरा सर पकड़ रखा था लेकिन वो हाथ एक बार फिर मेरे टिट्स पे अबकी तो वो पहले से भी ज्यादा जोर से वहां चिकोटी काट रही थीं, उसे नोच रही थीं.दूसरे हाथ की बदमाश उंगलिया..मेरे लंड के बेस पे …हलके हलके सहला रही थीं. वो एकदम तन्नाया हुआ, खडा था जोश में पागल…बस घुसने को बेताब. अब चन्दा भाभी के होंठ खुल गए थे तो फिर तो वो ..एकदम…जोश में…क्या क्या नहीं बोल रही थीं.
” साल्ले, चूस कस कस के…बहन चोद…तेरी सारी बहनों की फुद्दी मारून , गली के कुत्तों से चुदवाऊंउन्ही की चूंची चूस चूस के ट्रेन हुआ है ना..गांडू साले “चंदा भाभी की गालियाँ भी इत्ती मस्त थीं. साथ में इतने जोर से मेरे मुंह में अपनी बड़ी बाद चूंची घुसेड रही थी जैसे कोई झिझकती शर्माती
मना करती दुल्हन के मुंह में..जबरदस्ती पहली बार लौंडा पेले…मेरा मुझ फटा जा रहा था लेकिन मैं जोर जोर से चूस रहा थ भाभी के हाथ ने अब कस के मेरा
लंड पकड़ लिया था और वो हलके हलके मुठिया रही थीं. लेकिन एक उंगली अभी भी मेरी गांड की दरार पे रगड़ खा रही थी. और अब उनकी गालियाँ भी,
” साले कहता है की तेरी …कल देखना तेरी वो हालत करुँगी ना…गांड से भोंसडा बना दूंगी…जो लंड लेने में चार चार बच्चों की मां को पसीना छूटता होगा ना …वो भी तू हंस हंस के घोंटेगा…ऐसे चींटे काटेंगे ना तेरी गांड में ..खुद चियारता फिरेगा…”.
पता नहीं भाभी की गालियों का असर था…या उनके हाथ का या मेरे मुंह में घुल रहे पलंग तोड़ पान का…बस मेरा मन कर रहा था की बस…भाभी को अब पटक के चोद दूं..भाभी ने अपनी एक चूंची निकाल के दूसरी मेरे मुंह में डाल दी. मैंने भी कस के उनका सर पकड़ के अपनी ओर खिंचा और कस कस के पहले तो निपल चूसता रहा फिर हलके हलके दांतउनके सीने पे गडा दिए.
” उई क्या करता है तेरे उस माल की चूंची नहीं है …निशान पड़ जाएगा.” वो चीखीं.
जवाब में कस के मैंने उसी जगह पे दांत और जोर से गडा दिए. दूसरी चूंची अब कस के मैं रगड़ मसल रहा था. दांत गड़ाने के साथ साथ मैंने उनके निपल को भी का के पिंच कर दिया.
वो फिर चीखीं , लेकिन वो चीख कम थी सिसकी ज्यादा थी.
मैं रुका नहीं और कस कस के उनके निपल को पिंच करता रहा चूसता रहा.
भाभी अब छटपटा रही थीं, सिसक रही थीं पलंग पे अपने भारी भारी चूतड रगड़ रही थीं.
उन्होंने मेरे मुंह से अपन चूंची निकाल ली और पलंग पे निढाल पड़ गयीं. बिना मौक़ा गवाएं मैं भी उनके ऊपर चढ़ गया और उनको कस के किस ले के बोला ,
” भाभी अबकी मेरा नंबर.. अब तो मैं उत्ता अनाड़ी भी नहीं रहा..” वो मुस्कार्यीं और मेरे कान में फुसफुसा के कहा , ” लाला, तुम अनाड़ी भले ना हो लेकिन सीधे बहोत हो…अरे अगर तुम ऐसे किसी लौंडिया से पूछोगे तो क्या हाँकहेगी ..अरे बस चढ़ जाना चाइये उसके ऊपर और जब तक वो सोचे समझे अपना खूंटा ठूंस दो उसके अन्दर…” और फिर कुछ रुक के बोली…” चलो देवर हो फागुन है…तुम्हारा हक़ बनता है लेकिन…तुम अपनी ‘ उसको ‘ समझ के करना…मैं शरमाउँगी भी मना भी करुँगी..अगर अज तुम ये बाजी जीत गए तो फिर कभी नहीं हारोगे और वो पहले झाड़ने वाली बात याद है ना…”
” हाँ याद है, कसी भूल सकता हूँ…अगर मैं पहले झडा तो आप मेरी गांड मार लेंगी…” हंस के मैं बोला.
” वो तो मैं मारूंगी ही…सुसराल आये हो तो होली मैं ऐसे कैसे सूखे सूखे जा सकते हो…ये होली तो तुम्हे याद रहेगी.” ताबा तक मैं उनके ऊपर चढ़ चुका था और मेरे होंठोने उनके होंठ सील कर दिए थे. . बात बंद काम शुरू.
अबकी मेरी जीभ उनके मुंह के अन्दर थी.
वो अपना सर इधर उधर हिला रही थीं जैसे मेरे चुम्बन से बचने की कोशिश कर रही हों. मैं समझ गया वो अब उस किशोरी की तरह हैं जिसे मुझे कल पहली बार यौवन सुख देना है. तो वो कुछ तो शर्मायेंगी, झिझकेंगी और मेरा काम होगा उसे पटाना, तैयार करना और वो लाख ना न करे उसे कच्ची कली से फूल बना देना.
मैंने कस के उनके मुंह में जीभ ठेल रखी थी. कुछ देर की ना नुकुर के बाद ..उनकी जीभ ने भी रिस्पोंड करना शुरू कर दिया, वो अब हलके से मेरे जोभ के साथ खिलवाड़ कर रही थी. उनके रसीले होंठ भी अब मेरे होंठों को धीरे धीरे कभी चूम लेती. लेकिन मैं ऐसे छोड़ने वाला थोड़े ही था. मेरे हाथ जो अब तक उनके सर को पकडे थे अब उनके उभारों की और बढे और बजाय कस के रगड़ने मसलने के एक हाथ से मैंने उनके ज़वानी के फूलों को हलके से सहलाना शुरू किया.
जैसे कोई भौंरा कभी फूल पे बैठे तो कभी हट जाय मेरी उंगलियाँ भी यही कर रही थीं. दूसरे हाथ की उनगलिया उनके जोबन के बेस पे पहले बहोत हलके से सहलाती रहीं फिर जैसे कोई शिखर पे सम्हाल सम्हाल के चढ़े वो उनके निपल तक बढ़ गयीं. उनका पूरा शरीर उत्तेजबा से गनगना रहा था.
” नहीं नहीं …छोड़ो ना …फिर कभी आज नहीमैंने लेकिन गालों को छोड़ा नहीं. हलके से उसी जगह पे फिर किस किया और उनके सपनों से लड़ी पलकों की ओर बढ़ चला. ं…हो तो गया..प्लीज .” वो बुद बुदा रही थीं. लेकिन मैं नहीं सुनाने वाला था. मेरे होंठ अब उनके होंठों को छोड़ के रसीले गालों का मजा ले रहे थे.मैंने पहले तो हलके से किस किया फिर धीरे से …बहोत धीरे
से काट लिया.

” नहीं नहीं…प्लीज कोई देख लेगा…निशान पड़ जाएगा…मेरी सहेलियां क्या कहेंगी…वैसे ही सब इत्ता चिढाती हैं…छोड़ो ना..हो तो गया…” उनकी आवाज में उस किशोरी की घबराहट, डर लेकिन इच्छा भी थी. मैंने लेकिन गालों को छोड़ा नहीं. हलके से उसी जगह पे फिर किस किया और उनके सपनों से लदी पलकों की ओर बढ़ चला.
एक बार मैंने जैसे कोई सुबह की हवा किसी कली को हलके से छेड़े ..बस उसी तरह बड़ी बड़ी आँखों को से छु भर दिया…और फिर एक जोर दार चुमबन से उन शरमाती लजाती पलकों को बंद कर दिया जिससे मैं अब मन भर उसकी देह का रस लूट सकूँ.एक बार मैंने जैसे कोई सुबह की हवा किसी कली को हलके से छेड़े ..बस उसी तरह से बड़ी बड़ी आँखों को छु भर दिया…और फिर एक जोर दार चुमबन से उन शरमाती लजाती पलकों को बंद कर दिया जिससे मैं अब मन भर उसकी देह का रस लूट सकूँ.म मेरे होंठ उन के कानों की और पहुँच गए थे और मेरे जीभ का कोना उन के कान में सुरसुरी कर रहा था जैसे ना जाने कब की प्रेम कहानियां सुना रहा हो. मेरे होंठों ने उन के इअर लोबस पे एक हलकी सी किस्सी ली और वो सिहर सी गयीं. उनके दोनों गदराये रस भरे जोबन मेरे हाथों की गिरफ्त में थे. एक हाथ उसे बस हलके हलके सहला के रस लूट रहा था और दूसरा बस धीरे से दबा रहा था. मैं भी बस उन्हें अपनी प्यारी सोन चिरैया ही मान रहा था जिसका जोबन सुख मैं पहली बार खुल के लूट रहा होऊं. एक हाथ की उंगलियाँ टहले टहलते धीरे धीरे उनके यवन शिखरों की ओर बढ़ रही थीं ओर बस निपल के पास पहुँच के ठिठक के रुक गयीं. मेरे होंठों ने उनके कानों को एक बार फिर से किस किया
ओर हलके से पुछा की उन उभारों का रस चूस सकता हूँ.
वो बस कुछ बुदबुदा सी उठीं ओर मैंने इसे इजाजत मान लिया. एक निपल मेरे उँगलियों के बीच में था. मैं उसे हलके दबा रहा था, घुमा रहा था. जोबन दोनों मारे जोश के पत्थर हो रहे थे. मेरे होंठ ने बस उनके उभार के निचले हिस्से पे एक छोटी सी किस्सी ली. पत्ते की तरह उनकी देह काँप गयीं लेकिन मैं रुका नहीं. मेरे होंठ हलके चुम्बन के पग धरते निपल के किनारे तक पहुँच गए. जीभ से मैंने बस निपल के बेस को छुआ. वो उत्तेजना से एकदम कड़ा हो गया था. मन जान रहा था की वो सोच रही थीं की अब मैं उसे गप्प कर लूंगा. लेकिन मुझे भी तडपाना आता था. जीभ की टिप से मैं बस उसे छु रहा था…छेड़ रहा था.

” छोड़ो ना …प्लीज…किया कैसा हो रहा है…क्या करतेहो…तुम बहोत बदमाश हो…नहीं …न न…बस वहां नहीं….” वो सिसक रही थीं उनकी देह इधर उधर हो रही थी बिलकुल किसी किशोरी की तरह.
मेर भी आँखे अपने आप मुंद चली थीं ओर मुझे भी लग रहा था की मेरे साथ चन्दा भाभी नहीं वो मेरे दिल की चोर, वो किशोरी सारंग नयनी हैमैंने जीभ से एक बार इसके उत्तेजित निपल को ऊपर से नीचे तक लिक किया ओर फिर उसके कानों के पास होंठ लगा के हलके से बोला..
” हे सुन ..मेरा मन कर रहा है…तुम्हारे इन जवानी के फूलों का रस लेने का….मेरे होंठ बहोत प्यासे हैं…तुम्हारे ये रस कूप…तुम्हारे ये …”
” ले तो रहे हो…ओर कया…” हलके से वो बुद्बुदायीं…
” नहीं मेरा मन कर रहा है ओर कस के इन उभारों को कस कस के…
मैंने बोला.
साथ साथ में अब कस के मेरे हाथ उस के सिने को दबा रहे थे. वो शुरू की झिझक जैसे ख़तम हो जाए. एक हाथ अब कस के उस के निपल को फ्लिक कर रहा था…

” ले तो रहे हो…ओर कया…” हलके से वो बुद्बुदायीं…
” नहीं मेरा मन कर रहा है ओर कस के इन उभारों को कस कस के…
मैंने बोला.
साथ साथ में अब कस के मेरे हाथ उस के सिने को दबा रहे थे. वो शुरू की झिझक जैसे ख़तम हो जाए. एक हाथ अब कस के उस के निपल को फ्लिक कर रहा था…
वो चुप रही. लेकिन उसके देह से लग रहा था की उसे भी मजा मिल रहा है…
” हे प्लीज किस कर लूं तुम्हारे इन रसीले उभारों पे बोलो ना. ..”
चन्दा भाभी मेरे कान में फुसफुसायीं, लाला अरे अब उससे चूंची बोलना शुरू करो नहीं तो वो भी शरमाती ही रह जायेगी….मैं समझ गया.
मैंने दोनों हाथों से अब कस क़स के उसके जोबन को मसलना शुरू कर दिया ओर फिर उसके कान में बोला…” सुनो ना…एक बार तुम्हारे रसीले जोबन को किस कर लूं…बस एक बार इन…इन ..चून्चियों का रस पान करा दो ना…”
अबकी उसने जोर से रिस्पाण्ड किया…
” क्या बोलते हो…कैसे बोलते हो…प्लीज…ऐसे नहीं …मुझे शर्म आती है…”
मुझे मेरा सिग्नल मिल गया था. अब मेरे होंठ सीधे उसके निपल पे थे. पहले मैंने एक हलके से किस किया फिर उसे मुंह में भर के हलके हलके चूसने लगा.
वो सिसक रही थी उसके हिप्स पलंग पे रगड़ रहे थे.
दूसरा निपल मेरे उँगलियों के बीच था.
मैंने हाथ को नीचे उसकी जाँघों की ओर किया. वो दोनों जांघे कस के सिकोड़े हुए थी. हाथ से वो मेरे जांघ पे रखे हाथ को हटाने की भी कोशिश कर रही थीं. लेकिन मेरी उंगलिया भी कम नहीं थीं..घुटने से ऊपर एक दम जाँघों के ऊपर तक …हलके हलके बार बार….
भाभी ने दूसरे हाथ से मुझे नीचे छुआ तो मैं इशारा समझ गया. मेरे तनाया लिंग भी बार बार उनकी जाँघों से रगड़ रहा था. मैंने उनके दायें हाथ में उसे पकड़ा दिया. उन्होंने हाथ हटा लिया जैसे कोई अंगारा छु लिया हो…
लेकिन मैंने मजबूती से फिर अपने अपने हाथ से उनके हाथ को पकड़ के रखा ओर कस के मुठी बंधवा दी. अबकी उन्होंने नहीं छोड़ा. थोड़े देर में ही उनकी उनग्लियाँ उसे हलके हलके दबाने लगीं. मेरा दूसरा हाथ उनके जांघ को प्यार से सहला रहा था. एक बार वो ऊपर आया तो सीधे मैंने उनकी योनी गुफा के पास हलके से दबा दिया. जांघे जो कस के सिकुड़ी हुयी थीं अब हलके से खुलीं. मैं तो इसी मौके के इंतज़ार में था. मैंने झट से अपना हाथ अन्दर घुसा दिया. ओर अबकी जो जांघे सिकुड़ी तो मेरा हथेली सीधे योनी के ऊपर.
वो अब अपने दोनों हाथों से मेरा हाथ वहां से हटाने की कोशिश में थी लेकिन ये कहाँ होने वाला था.
” हे छोड़ो ना…वहां से हाथ हटाओ…प्लीज…बात मानो..वहां नहीं …” वो बोल रही थीं.
” कहाँ से …हाथ हटाऊं…साफ साफ बोलो ना…’ मैं छेड़ रहा था साथ में अब योनी के ऊपर का हाथ हलके हलके उसे दबाने लगा था.
जाँघों की पकड़ अब हलकी हो रही थी.

और मेरे हाथ का दबाव मज़बूत.
हाथ अब नीचे दबाने के साथ हल्के हल्के सहलाने भी लगा था, और वो हालाँकि हल्की गीली हो रही थी. उसका असर पूरे देह पे दिख रहा था. देह हल्के हल्के काँप रही थी.आँखें बंद थी. रह रह के वो सिस्किया भर रही थी. मेरी भी आँखें मुंदी हुयी थीं. मुझे बस ये लग रहा था की ये मेरी और ‘उसकी’ मिलन की पहली रात है. मेरे होंठ अब कस कस के उसके निपल को चूस रहे थे. मैं जैसे किसी बच्चे को मिठाई मिल जाए बस उस तरह से कभी किस करता कभी चाट लेता कभी चूस लेता. एक हाथ निपल को फ्लिक कर रहा था, पुल कर रहा था और दूसरा ..उसकी योनी को अब खुल के रगड़ रहा था, और इस तिहरे हमले का जो असर होना था वही हुआ. जांघो की पकड़ अब एक ढीली हो गयी थी. देह ने पूरी तरह सरेंडर कर दिया था. और मौके का फायदा उठा के मैंने एक घुटना उसकी टांगो के बीच घुसेड दिया. उसे शायद इस बात का अहसास हो गया था इसलिए फिर से अपनी टाँगों को सिकोड़ने की कोशिश की …लेकिन अब बहोत देर हो चुकी थी. सेंध लग चुकी थी.
मेरे हाथों ने जोर लगा कर अब एक टांग को और थोडा फैला दिया और अब मेरे दोनों पैर उसके पैरों के बीच घुस चुके थे. मैंने धीरे धीरे पैर फैलाए और अब दोनों जांघे अपने आप खुल गयीं.
मेरा एक हाथ वापस प्रेम द्वार पे पहुँच गया था. लेकिन अब सीधे उसकी काम सुरंग के बाहर, दोनों पुत्तियों पे मेरा अंगूठा और तर्जनी थी. मैंने पहले उसे हलके से दबाया और फिर धीरे धीरे रगड़ने लगा. वो अब अच्छी तरह गीली हो रही थीं. मैंने एक उंगली अब लिटा के दोनों पुतीयों के बीच डाल दी, और साथ साथ रगड़ने लगा. मेरा अंगूठा और तरजनी बाहर से और बीच की उंगली अन्दर रगड़ घिस कर रही थी.
सिसकियों की आवाजें अब तेज हो गयी थीं.
नितम्ब भी अपने आप ऊपर नीचे होने लगे थे.
मेरे होंठ अब बारे बारी से दोनों निपल्स को चूसते थे कभी फ्लिक कर लेते थे. साथ में जुबान भी खड़े पूरी तरह उत्तेजित इंच भर लम्बे निपल्स को निचे से ऊपर तक तेजी से चाट रही थी. जितनी तेजी से नीचे योनी के अन्दर औअर बाहर मेरी उंगलियाँ रगड़ती उसी तेजी से से जीभ निपल लिक करती.
भाभी के होंठ सूख रहे थे.
जोबन पत्थर हो गए थे.
योनी की पुत्तियाँ काँप रही थीं और वो अच्छी तरह गीली हो गयी

मेरे होंठो ने जोबन को छोड़ के नीचे का रास्ता पकड़ा. पहले उनके कदली के पत्ते ऐसे चिकने पेट पे चुम्बनों की बारिश की और फिर जीभ की टिप उनकी गहरी नाभि में गोल गोल चक्कर लगाने लगी.
साथ ही मेरी बीच वाली उंगली अब पहली बार उनकी योनी में घुसी. मैंने बस हलके से दबाया, बिना घुसेडने की कोशिश किये. चन्दा भाभी ने इत्ती कस के सिकोड़ रखा था की किसी किशोरी कच्ची कली की ही अनछुई प्रेम गुफा लग रही थी. थोड़ी देर में टिप बल्कि टिप का भी आधा घुस पाया. वह इत्ती गीली हो रही थीं की अब मुझे रोकना उनके बस में ही नहीं था. पहले मैंने हलके हलके अन्दर बाहर किया और फिर गोल गोल घुमाने लगा. भाभी ने मुझा समझा दिया था की मजे की सारी जगह यहीं होती है. उंगली के साथ अंगूठे ने अब ऊपर कुछ ढूँढना शुरू किया और जैसे ही उसने
क्लिट को छुआ… भाभी को लगा की कोई करेंट लग गया हो और उंहोने झटके से अपने भारी भारी ३८ साइज वाले चूतड ऊपर उछाले…
ओह्ह ओह्ह्ह्ह …. उनके मुंह से आवाज निकली.
साथ ही मेरी उंगली अब एक पोर से ज्यादा अन्दर घुस गयी.
होंठ अब नाभि से बाहर निकल के उनके काले घुंघराले केसर क्यारी तक आ पहुंचे थे. वो सोच रही थीं की शायद अब मैं ‘नीचे’ चुम्बन लूं. लेकिन मैं भी …उन्होंने मुझे बहोत सताया था….
उन्होंने उसके चारो ओर किस किया और नीचे उतर आये, जांघे के एकदम उपरी भाग पे.
कभी मैं किस करता कभी लिक करता.
साथ में मेरी मझली उंगली अब कभी तेजी से अन्दर होती, कभी बाहर, कभी गोल गोल रगड़ती. और अंगूठा भी अब वो क्लिट को प्रेस नहीं कर रहा था बल्की कभी फ्लिक करता कभी पुल करता.
मस्ती के मारे भाभी की हालत खाराब थी.
एक पला के लिए मैंने उन्हें छोड़ा और झट से एक मोटी बड़ी तकिया उनके चूतडों के नीचे लगाई और कस के दोनों हाथों से उनकी जांघे पूरी तरह फैला दीं.
और अब मेरे प्यासे होंठ सीधे उनकी योनी पे थे. पहले तो मेरे होंठ उनके निचले होंठों से मिले.
हलकी सी किस …फिर एक जोर दार किस और थोड़ी ही देर में मेरे होंठ कस कस के चूम रहे थे चाट रहे थे.. योनी और पिछवाड़े वाले छेद के बीच की जगह से शुरू कर के एक दम ऊपर तक कभी छोटे छोटे और कभी कस के चुम्बन …फिर थोड़ी देर में मेरी जुबान भी चालू हो गयी. उसे पहली बार बार चूत चाटने का स्वाद मिला था..क्या मस्त स्वाद था..अन्दर से खारे कसैले अमृत का स्वाद …
लालची जीभ रस चाटते चाटते अमृत कूप में घुस गयी.
उह्ह्ह्ह आहाह्ह्हओह्ह ओह्ह्ह्ह …नहीं .यीई ई ई इ ..भाभी की सिसकियों, आवाजों से अब कमरा गूँज रहा था. लेकिन मेरी जीभ किसी लिंग से कम नहीं थी.
वो कभी अन्दर घुसती कभी बाहर आती कभी गोल गोल ..घूमती साथ साथ मेरे होंठ कस कस के उनकी चूत को चूस रहे थे जैसे कोई रसीले आम की फांक को चूसे और रस से उसका चेहरा तर बतर हो जाए लेकिन वो बेपरवाह मजे लेता रहे चूसता रहे.
.
तभी मुझे भाभी की वार्निंग याद आई…अगर तुम पहले झड़े तो…..’ वो ‘ भी नहीं मिलेगी…ये मौक़ा अच्छा था. मेरे अंगूठे और तरजनी ने एक साथ उनकी क्लिट को धर दबोचा. मस्ती के मारे वो कड़ी हो रही थी. उसका मटर के दाने ऐसा मुंह खुल गया था. कभी मैं उसे गोल गोल घुमाता, कभी दबा देता, जुबान होंठों और उंगली के इस तिहरे हमले ने….भाभी की आँखे मुंदी हुयी थीं …वो बार बार चूतड उचका रही थीं. ४-५ मिनट मैं लगातार और बार बार लगता भाभी अब झड़ी तब झड़ी…लेकिन तभी मुझे कुछ याद आया.
मेरा तन्नाया जोश में पागल मूसल अन्दर घुसाने के लिए बेताब था. वो बार बार भाभी की जाँघों से टकरा था. भाभी तो आज ‘ उसकी’ तरह हैं और मुझे…तो बिना चिकनाहट के एक कच्ची कली..बगल में सरसों के तेल की शीशी रखी थी जिससे अभी थोड़ी देर पहले भाभी ने …मैंने हथेली में तेल लेके अच्छी तारः पहले सुपाडे पे फिर पूरे लंड पे मला. वो चिकना कड़ा चमक रहा था.
भाभी सोच रही थीं की अब मैं …’उसे’ लगाउंगा…लेकीन मैं भी..
मैंने एक बार फिर कस के चूत चूसना शुरू किया. मेरे दोनों होठों के बीच उनके निचले होंठ थे. होंठ चूस रहे थे और जुबान बार बार अन्दर बाहर हो रही थी. साथ में मेरे उंगलियाँ बिना रुके उनके क्लिट को…थोड़ी देर में भाभी के नितम्ब जोरों से ऊपर नीचे होने लगे वो फिर झड़ने के कगार पे पहुँच गयी थीं लेकिन मैं रुक गया. मैंने अपने उत्थित लिंग को उनकी चूत के मुंहाने पे, क्लिट पे बार बार रगडा…वो खुद अपनी टाँगे फैला रही थीं ..जैसे कह रही हों …घुसाते क्यों नहीं अब मत तड़पाओ…लेकिन थोड़ी देर में फिर मैं ने उसे हटा लिया. और अबकी जो मेरे होंठों ने चूत रस का पान करना शुरू किया तो …बिना रुके…लेकिन थोड़ी ही देर में मेरे होंठ पहली बार उंके क्लिट पे थे. फले तो मैंने सिर्फ जीभ की टिप वहां पे लगाई फिर हलके होंठों के बीच लेके चुसना शुरू किया.
भाभी जैसे पागल हो गयी थीं.
ओह्ह्ह अहं अह्ह्ह्ह्ह अहं अह्ह्ह्ह्ह III से चूतड उठातीं मुझे अपनी और खींचती …अबकी वो कगार पे आई तो मैं रुका नहीं. मैंने हलके से उनके क्लिट पे बाईट कर ली फिर तो….
मैंने उनकी दोनों टाँगे अपने कंधे पे रख ली. जांघे पूरी तरह फैली हुयीं…दोनों अंगूठों से मैंने उनके योनी के छेद को फैला के अपने लिंग को सताया और फिर कमर पकड़ के एक जोरदार धक्का पूरी त्ताकत से…
उनकी चूत अबही भी एक कच्ची कली की तरह कसी थी उनहोने ऐसे सिकोड़ रखा था …लेकिन अब वो इत्ती गीली थी और जैसे ही मेरा लिंग अन्दर घुसा ..भाभी ने झड़ना शुरु कर दिया….

मैंने उनकी दोनों टाँगे अपने कंधे पे रख ली. जांघे पूरी तरह फैली हुयीं…दोनों अंगूठों से मैंने उनके योनी के छेद को फैला के अपने लिंग को सताया और फिर कमर पकड़ के एक जोरदार धक्का पूरी त्ताकत से…
उनकी चूत अबही भी एक कच्ची कली की तरह कसी थी उनहोने ऐसे सिकोड़ रखा था …लेकिन अब वो इत्ती गीली थी और जैसे ही मेरा लिंग अन्दर घुसा ..भाभी ने झड़ना शुरु कर दिया….

लेकिन बिना रुके कमर पकड़ के मैंने दो तीन धक्के और लगाए…आधा से ज्यादा अब मेरा लंड उनकी चूत में था.
एक पल के लिए मैं रुक गया. उनका चेहरा एक दम फ्ल्श्ड लग रहा था. हलकी सी थकान ..लेकिन एक अजीब ख़ुशी …उंके निपल तन्नाये खड़े थे…
मैं एक पल को ठहरा.
मैंने हलके हलके चुम्बन उनके चेहरे पे…फिर होंठो पे…और जब तक मेरे होंठ उनके उरोजों तक पहुंचे ….
भाभी ने मुझे कस के अपनी बाहों में भींच लिया था. उनकी लम्बी टाँगे लता बन कर मेरी पीठ पे मुझे उनके अन्दर खिंच रही थीं.
लेकिन बस मैं हलके हलके निपल पे किस करता रहा.
उन्होंने अपनी आँखे खोल दिन और मुझे देख के मुस्करायीं.
मैं भी मुस्कराया और उसी के साथ उनके उरोजों को कस के पकड़ के मैंने पूरी ताकत से एक धक्का मारा,
उयीई ,,,उनके होंठों से सिसकारी निकल गयी.
मैं कस कस के जोबन मसल रहा था साथ में धक्क्के मार आरहा था. दो तीन धक्को में मेरा पूरा लंड अन्दर था. दो पल के लिए मैं रुका. फिर मैंने सूत सूत कर के उसे बाहर खींचा. सिर्फ सुपाडा जब अन्दर रह गया तो मैं रुक गया. मैं भाभी के चेहरे की ओर देख् रहा था. वो इत्ती खुश लग रही थी. कि बस…और फिर बाँध टूट गया. उन्होंने नीचे से कस कस के धक्के लगाने शुरू कर दिए. उनकी बाहो क्ा पाश और तगडा हो गया.
भाभी अब अपने रुप में आ गयी थी, और मेरी उस किशोरी सारंग नयनी के रुप से बाहर आ गयी थी. जैसा उनहोने सिखाया था उनकी पूरी देह …सब कुछ…हाथ नाखून, उंगलिया,उरोज जुबान और सबसे बढ़ कर उनकी मस्त गालिया..उनके लम्बे नाखून मेरी पीठ में चुभ रहे थे. वो कस कस के अपनी बड़ी बड़ी गदराई चून्चिया..मेरी छाती में रगड़ रही थीं. उनके बड़े बड़े नितम्ब खूब उचक उचक के मेरे हर धक्के का जवाब दे रहे थे.
” बतलाती हूँ साल्ले अब…ये कोई तुम्हारे मायके वाले माल की तरह कुवारी कली नहीं है…हचक हचक के चोदो ना…देवर जी..देखती हूँ कितनी ताकत है तुममें. बहन चोद…बहना के भंडुये ..”
जवाब में मैं भी..मैंने उनके पैर मोड़ के दुहरे कर दिए और लंड आलमोस्ट बहार निकाल लिया. फिर जांघे एकदम सटा के अपने पैरों के बीच दबा के जब हचक के एक बार में अपना मोटा ८ इंच का लंड पेला तो भाभी की चीख निकल गयी. वो एकदम रगदते घिसटते हुए अन्दर घुसा. लेकिन मैंने अपने पैरों का जोर कम नहीं किया. इनकी जांघे मेरे पैरों के बीच सिमटी हुयीं थीं.
” साल्ले बहन चोद तेरी सारी बहनों के बुर में गदहे का लंड…साले क्या तेरे मायकैवालियों की तरह भोंसडा है क्या जो ऐसे पेल रहे हो…” और उन्होंने भी कस के एक बार एक हाथ के नाखून मेरी पीठ में और दुसरे मेरी छाती पे सीधे मेरे टिट्स पे …उनकी बुर ने कस कस के मेरे लंड को अन्दर निचोडना शुरू कर दिया. मुझे लगा की मैं अब गया तब गया.
मैंने कहीं पढ़ा था की अगर ध्यान कहीं बटा दो तो झड़ना कुछ देर के लिए टल जाता है…और मैंने मन ही मन गिनती गिननी शुरू दी.
लेकिन भाभी भी नवल नागर थीं.
” हे देवर जी ये फाउल है. कल की छोकरियों के साथ ये चलेगा मेरे साथ नहीं…” और उनहोने कस के मेरा गाल काट लिया.
चलो भाभी आप भी ये फागुन याद करोगी और मैंने जोर जोर से लंड पूरा बाहर निकाल के धक्के मारने शुरू कर दिए. साथ में तिहरा हमला भी…मेरा एक हाथ उनके निपल के साथ खेल रहा था और दोसरा उनके क्लिट को कस कस के रगड़ मसल रहा था ….साथ में मेरे होंठ उनकी चून्चियों को निपल को कस कस के चूस रहे थे…
” हाँ ओह्ह ईईइ आह्ह मान गए अरे देवर जी…ओह्ह्ह बहोत दिन बाद …क्या करते हो…हां और जोर से करो…नहिन्न्न्नन्न्न्न निकला लो..लगता है..ओह्ह्हह्ह .”
कुछ देर बाद मैंने भाभी के दोनों हाथों को अपने एक हाथ से पकड़ के उनके सर के पास दबा दिया. जिस तरह से वो अपने नाखूनों से मेरे टिट्स को खरोंच रही थीं वो तो रुका. और अब जब मेरा लंड अन्दर घुसा तो पूरी देह का जोर देकर मैंने बिना आआगे पीछे किये उसे वहीँ दबाना शुरू किया. कभी मैं गोल गोल घुमा देता, जिससे भाभी की क्लिट मेरे लंड के बेस से खूब कस कस के रगड़ खा रही थी. होंठ कभी उनक एगालों कभी होंठो और कभी रसीली चून्चियों का रस लूट रहे थे.
ओह्ह्ह आह्ह्ह थोड़ी देर में भाभी फिर कगार पे पहुँच गयीं वो बार नीचे से अपने चूतड उठातीं, लेकिन मैं लंड पूरी तरह घुसाए हुए दबाये रहता.
लेकिन अब मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था. एक बार फिर से मैंने उनकी गोरी लम्बी टांगों को अपने कंधे पे रखा और हचक हचक के…
भाभी भी कभी गोल गोल चूतड घुमातीं कभी जोर जोर से मेरे धक्के का जवाब देतीं तो कभी गाली से…साले हराम जादे…कहाँ से सिखा है…रंडियों के घर से हो…क्या….ओह्ह आह और जवाब में मैं कच कचा के कभी उनके होंठ कभी निपल काट लेता.
चन्दा भाभी ने झड़ना शुरू किया. लग रहा था कोई तूफान आ गया. हम दोनों के बदन एक दूसरे में गुथे हुए थे. सिर्फ सिसकियाँ सुनाई दे रही थीं.
साथ में मैं भी….भाभी की चूत भी…जैसे कोई ग्वाला गाय का थान दूहता है…बस उसी तरह कभी सिकुड़ती, कभी दबोचती…मेरे लंड को जैसे दुह रह थी और मैं गिर रहा था….पता नहीं कब तक…
बाहों में लिपटे लिपटे साइड में हो के हम वैसे ही सो गए. मेरा लिंग भाभी के अन्दर ही था…

ओह्ह्ह अहं अह्ह्ह्ह्ह अहं अह्ह्ह्ह्ह III से चूतड उठातीं मुझे अपनी और खींचती …अबकी वो कगार पे आई तो मैं रुका नहीं. मैंने हलके से उनके क्लिट पे बाईट कर ली फिर तो….
मैंने उनकी दोनों टाँगे अपने कंधे पे रख ली. जांघे पूरी तरह फैली हुयीं…दोनों अंगूठों से मैंने उनके योनी के छेद को फैला के अपने लिंग को सताया और फिर कमर पकड़ के एक जोरदार धक्का पूरी त्ताकत से…
उनकी चूत अबही भी एक कच्ची कली की तरह कसी थी उनहोने ऐसे सिकोड़ रखा था …लेकिन अब वो इत्ती गीली थी और जैसे ही मेरा लिंग अन्दर घुसा ..भाभी ने झड़ना शुरु कर दिया….

लेकिन बिना रुके कमर पकड़ के मैंने दो तीन धक्के और लगाए…आधा से ज्यादा अब मेरा लंड उनकी चूत में था.
एक पल के लिए मैं रुक गया. उनका चेहरा एक दम फ्ल्श्ड लग रहा था. हलकी सी थकान ..लेकिन एक अजीब ख़ुशी …उंके निपल तन्नाये खड़े थे…
मैं एक पल को ठहरा.
मैंने हलके हलके चुम्बन उनके चेहरे पे…फिर होंठो पे…और जब तक मेरे होंठ उनके उरोजों तक पहुंचे ….
भाभी ने मुझे कस के अपनी बाहों में भींच लिया था. उनकी लम्बी टाँगे लता बन कर मेरी पीठ पे मुझे उनके अन्दर खिंच रही थीं.
लेकिन बस मैं हलके हलके निपल पे किस करता रहा.
उन्होंने अपनी आँखे खोल दिन और मुझे देख के मुस्करायीं.
मैं भी मुस्कराया और उसी के साथ उनके उरोजों को कस के पकड़ के मैंने पूरी ताकत से एक धक्का मारा,
उयीई ,,,उनके होंठों से सिसकारी निकल गयी.
मैं कस कस के जोबन मसल रहा था साथ में धक्क्के मार आरहा था. दो तीन धक्को में मेरा पूरा लंड अन्दर था. दो पल के लिए मैं रुका. फिर मैंने सूत सूत कर के उसे बाहर खींचा. सिर्फ सुपाडा जब अन्दर रह गया तो मैं रुक गया.
मैं भाभी के चेहरे की ओर देख् रहा था. वो इत्ती खुश लग रही थी. कि बस…और फिर बाँध टूट गया. उन्होंने नीचे से कस कस के धक्के लगाने शुरू कर दिए. उनकी बाहो क्ा पाश और तगडा हो गया.
भाभी अब अपने रुप में आ गयी थी, और मेरी उस किशोरी सारंग नयनी के रुप से बाहर आ गयी थी. जैसा उनहोने सिखाया था उनकी पूरी देह …सब कुछ…हाथ नाखून, उंगलिया,उरोज जुबान और सबसे बढ़ कर उनकी मस्त गालिया..उनके लम्बे नाखून मेरी पीठ में चुभ रहे थे. वो कस कस के अपनी बड़ी बड़ी गदराई चून्चिया..मेरी छाती में रगड़ रही थीं. उनके बड़े बड़े नितम्ब खूब उचक उचक के मेरे हर धक्के का जवाब दे रहे थे.
” बतलाती हूँ साल्ले अब…ये कोई तुम्हारे मायके वाले माल की तरह कुवारी कली नहीं है…हचक हचक के चोदो ना…देवर जी..देखती हूँ कितनी ताकत है तुममें. बहन चोद…बहना के भंडुये ..”
जवाब में मैं भी..मैंने उनके पैर मोड़ के दुहरे कर दिए और लंड आलमोस्ट बहार निकाल लिया. फिर जांघे एकदम सटा के अपने पैरों के बीच दबा के जब हचक के एक बार में अपना मोटा ८ इंच का लंड पेला तो भाभी की चीख निकल गयी. वो एकदम रगदते घिसटते हुए अन्दर घुसा. लेकिन मैंने अपने पैरों का जोर कम नहीं किया. इनकी जांघे मेरे पैरों के बीच सिमटी हुयीं थीं.
” साल्ले बहन चोद तेरी सारी बहनों के बुर में गदहे का लंड…साले क्या तेरे मायकैवालियों की तरह भोंसडा है क्या जो ऐसे पेल रहे हो…” और उन्होंने भी कस के एक बार एक हाथ के नाखून मेरी पीठ में और दुसरे मेरी छाती पे सीधे मेरे टिट्स पे …उनकी बुर ने कस कस के मेरे लंड को अन्दर निचोडना शुरू कर दिया. मुझे लगा की मैं अब गया तब गया.
मैंने कहीं पढ़ा था की अगर ध्यान कहीं बटा दो तो झड़ना कुछ देर के लिए टल जाता है…और मैंने मन ही मन गिनती गिननी शुरू दी.
लेकिन भाभी भी नवल नागर थीं.
” हे देवर जी ये फाउल है. कल की छोकरियों के साथ ये चलेगा मेरे साथ नहीं…” और उनहोने कस के मेरा गाल काट लिया.
चलो भाभी आप भी ये फागुन याद करोगी और मैंने जोर जोर से लंड पूरा बाहर निकाल के धक्के मारने शुरू कर दिए. साथ में तिहरा हमला भी…मेरा एक हाथ उनके निपल के साथ खेल रहा था और दोसरा उनके क्लिट को कस कस के रगड़ मसल रहा था ….साथ में मेरे होंठ उनकी चून्चियों को निपल को कस कस के चूस रहे थे…
” हाँ ओह्ह ईईइ आह्ह मान गए अरे देवर जी…ओह्ह्ह बहोत दिन बाद …क्या करते हो…हां और जोर से करो…नहिन्न्न्नन्न्न्न निकला लो..लगता है..ओह्ह्हह्ह .”
कुछ देर बाद मैंने भाभी के दोनों हाथों को अपने एक हाथ से पकड़ के उनके सर के पास दबा दिया. जिस तरह से वो अपने नाखूनों से मेरे टिट्स को खरोंच रही थीं वो तो रुका. और अब जब मेरा लंड अन्दर घुसा तो पूरी देह का जोर देकर मैंने बिना आआगे पीछे किये उसे वहीँ दबाना शुरू किया. कभी मैं गोल गोल घुमा देता, जिससे भाभी की क्लिट मेरे लंड के बेस से खूब कस कस के रगड़ खा रही थी. होंठ कभी उनक एगालों कभी होंठो और कभी रसीली चून्चियों का रस लूट रहे थे.
ओह्ह्ह आह्ह्ह थोड़ी देर में भाभी फिर कगार पे पहुँच गयीं वो बार नीचे से अपने चूतड उठातीं, लेकिन मैं लंड पूरी तरह घुसाए हुए दबाये रहता.
लेकिन अब मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था. एक बार फिर से मैंने उनकी गोरी लम्बी टांगों को अपने कंधे पे रखा और हचक हचक के…
भाभी भी कभी गोल गोल चूतड घुमातीं कभी जोर जोर से मेरे धक्के का जवाब देतीं तो कभी गाली से…साले हराम जादे…कहाँ से सिखा है…रंडियों के घर से हो…क्या….ओह्ह आह और जवाब में मैं कच कचा के कभी उनके होंठ कभी निपल काट लेता.
चन्दा भाभी ने झड़ना शुरू किया. लग रहा था कोई तूफान आ गया. हम दोनों के बदन एक दूसरे में गुथे हुए थे. सिर्फ सिसकियाँ सुनाई दे रही थीं.
साथ में मैं भी….भाभी की चूत भी…जैसे कोई ग्वाला गाय का थान दूहता है…बस उसी तरह कभी सिकुड़ती, कभी दबोचती…मेरे लंड को जैसे दुह रह थी और मैं गिर रहा था….पता नहीं कब तक…
बाहों में लिपटे लिपटे साइड में हो के हम वैसे ही सो गए. मेरा लिंग भाभी के अन्दर ही था…

सुबह अभी नहीं हुयी थी. रात का अन्धेरा बस छटा ही चाहता था. कहीं कोई मुर्गा बोला और मेरी नींद खुल गयी. हम उसी तरह से थे एक दूसरे की बाहों में लिपटे …मेरा मुर्गा भी फिर से बोलने लगा था. मैंने भाभी को फिर से बाहों में भर लिया. बिना आँखे खोले, उन्होंने अपनी टांग उठा के मेरी टांग पे रख दी और अपने हाथ से ‘उसे’ अपने छेद पे सेट कर दिया. हम दोनों ने एक साथ पुश किया और वो अन्दर…उसी तरह साथ साथ लेते , साइड में….हलके हलके धक्के के साथ…पता नहीं हम कब झड़े कब सोये.
सुबह जब मेरी नींद खुली तो सूरज ऊपर तक चढ़ आया था. और नींद खुली उस आवाज से…
” हे कब तक सोओगे…कल तो बहोत नखडे दिखा रहे थे… सुबह जल्दी चलना है शापिंग पे जाना है और अब…मुझे मालूम है तुम झूठ मूठ का ..चलो…मालूम है तुम कैसे उठोगे…”
और मैंने अपने होंठो पे लरजते हुए किशोर होंठो का रसीला स्पर्श महसूस किया. मैंने तब भी आँखे नहीं खोली.
” गुड मार्निंग.’ मेरी चिड़िया चहकी.
मैंने भी उसे बाहों में भर लिया और कस के किस करके बोला…”गुड मार्निंग..”
तुम्हारे लिए चाय अपने हाथ से बना के लाइ हूँ. बेद टी…अज तुन्हारी गुड लक है.” वो मुस्करा रही थी. मैं उठ के बैठ गया.
वो भी मेरे पास बेड पे बैठ गयी.
” अरे यार अभी मंजन नहीं किया..” मैं अंगड़ाई लेते बोला और उसको पकड़ लिया. बिना मुझे छुडाये वो बोली,
” अरे यार हर काम अम्न्जन कर के ही करते हो क्या…बेड टी पी लो शुकर मनाओ मेरा.” मैंने प्याली मुंह में लगायी . इतरा के वो बोली.
” कैसी है…”
” अच्छी है लेकिन …’ मुस्करा के मैं बोला…” मीठी थोड़ी कम है..”
” वो कमी मैं अभी पूरी कर देती हूँ…” वो बोली और मेरे हाथ से कप ले के थोड़ी सी जूठी कर दी और बोली अब लो देखो मीठी हो गयी होगी.
मैंने चाय के प्याले को वहीँ मुंह लगाया जहां उसने लगाया था और मुस्कारा के बोला हाँ अब मीठी है. एक दो चुद्की ले के मैंने चाय के प्याले को किनारे रख दिया और पकड़ के सीधे अपने होंठ उसके होंठ पे रख दिए.
छुड़ाने की कोशिश करते हुए अदा से वो बोली, ” ये क्या कर रहे हो तुम…सुबह सुबह…छोड़ो ना..’
” मैंने सोचा चीनी के डिब्बे से ही चीनी ले लूँ…” हंस के मैं बोला और कस के उसके होंठ गड़प कर लिए.
तब तक चन्दा भाभी कमरे में आ गयीं.
हंसते हुए वो बोलीं ..’ अच्छा, तो सुबह सुबह कुछ लोगों की गुड मार्निग हो गयी.’
वो कुनमुनाने लगी लेकिन मैंने नहीं छोड़ा. बल्कि चंदा भाभी को दिकाते हुए हाथ से उसके उभार हलके से दबा दिए.
चन्दा भाभी के जाने के बाद वो शिकायत के अंदाज में बोली…तुम ना…

तो कपडे तुमने …” मैं गूंजा को देख रहा था और वो बस खीस निकाले….
” मुझे क्यों देख रहे हैं …आप ने मुझे थोड़ी दिए थे कपडे…जिसे दिए थे उससे मांगिये..’. गुंजा हंसी.
मैंने गुड्डी को देखा पर वो दुष्ट …गूंजा से बोली..’. दे दे ना देख बिचारे कैसे उघारे उघारे … ‘
‘अरे तो कौन इनका शील भंग कर देगा…’ गुंजा बोली, और इत्ती दया आ रही है तो अपना ही कुछ दे दे न इस बिचारे को’
‘ क्यों शलवार सूट पहनियेगा …’ गुड्डी ने हंस के कहा.
मुझे भी मौका मी रहा था छेड़खानी करने का. मैंने गूंजा से कहा, ‘ हे तूने गायब किया है तुझी को देना पडेगा. और फिर मुड के मैं चन्दा भाभी से बोला,
‘ भाभी देखिये ना इन दोनों को इत्ता तंग कर रही हैं … ‘
‘ देखो मैं तुम तीनों के बीच नहीं पड़ने वाली आपस में समझ लो …’ हंस के वो बोली.
‘ पर पर मुझे जाना है …और शापिंग उसे बाद रेस्ट हाउस ..सामान सब वहां है फिर रात होने के पहले पहुंचना भी है यों गुड्डी तुम सुबह से कह रही हो शापिंग के लिए …. ‘
‘अरे ये बनारस है तुम्हारा मायका नहीं यहाँ दुकाने रात ८-९ बजे तक बंद होती हैं…’ भाभी बोली.
और क्या गुड्डी ने हामी भरी….शापिंग तो मैं आपसे करवाउंगी ही चाहे ऐसे ही चलना पड़े लेकिन उसकी जल्दी नहीं है आज कल होली का सीजन है दूकान खूब देर तक खुली रहती है…’
हलके से गुंजा गुड्डी की ओर मुंह करके बोली, (लेकिन हम सब लोगों को साफ़ साफ़ सुनाई पड़ा )
” हे ऐसे रात में लौटने की जल्दी क्या है कोई खास प्रोग्राम है क्या…”
गुड्डी का बस चलता तो वहीँ गुंजा को एक हाथ कस के जमाती, उसका चेहरा गुलाल हो गया.
चन्दा भाभी हलके हलके मुस्कराने लगीं…
तब तक चन्दा भाभी कमरे में आ गयीं.
हंसते हुए वो बोलीं ..’ अच्छा, तो सुबह सुबह कुछ लोगों की गुड मार्निग हो गयी.’
वो कुनमुनाने लगी लेकिन मैंने नहीं छोड़ा. बल्कि चंदा भाभी को दिखाते हुए हाथ से उसके उभार हलके से दबा दिए.
चन्दा भाभी के जाने के बाद वो शिकायत के अंदाज में बोली…तुम ना…
” तुम ना क्या.. अरे गुड मार्निग ज़रा अच्छे से होने दो न…” और अबकी मैंने और कस के उसके मस्त किशोर उरोज दबा दिए.
उसकी निगाह मेरे नीचे..साडी कम लुंगी से थोडा खुले थोडा ढके.. ‘ उसपे.’
वो कुनमुनाने लगा था. और क्यों ना कुनमुनाए…जिसके लिए वो इत्ते दिनों से बेकरार था वो एक दम पास में बैठी थी. मेरा एक हाथ उस के उभार पे था.
” हे ज़रा उसको भी गुड मार्निग करा दो ना….बेचारा तड़प रहा है…” उसकी और इशारा करते हुए मैंने गुड्डी से कहा.
” तड़पने दो …तुमको करा दिया ना तो फिर सबको…” वो इतरा के बोली. लेकिन निगाह उस की निगाह अभी भी वहीँ लगी थीं.
‘वो’ तब तक पूरा खड़ा हो गया था.
मैंने झटके से गुड्डी का सर एक बार में झुका दिया. और उस के होंठ कपडे से आधे ढके आधे खुले उस के ‘ सर’ पे…
मेरा हाथ कस कस के उस के गदराये जोबन को दबा रहा था.
उस ने पहले तो एक हलकी सी फिर एक कस के चुम्मी ली वहां पे…और बड़ी अदा से आँख नचा के खड़ी हो गयी और जैसे ‘ उसी’ से बात कर रही हो बोली,
‘ क्यों हो गयी ना गुड मार्निग …नदीदे कहीं के…” और फिर मुड के मेरा हाथ खींचते हुए बोली,
” उठो ना इत्ती देर हो रही सब लोग नाश्ते के लिए इंतज़ार कर रहे हैं…”
” जानू इंतज़ार तो हम भी कर रहे हैं…” हलके से फुसफुसाते हुए मैं बोला.
जोर से मुस्करा के वो उसी तरह फुफुसाते हुए बोली….
” बेसबरे मालूम है मुझे..चल तो रही हूँ ना आज तुम्हारे साथ …बस आज की रात…थोड़ा सा ठहरो…” और फिर जोर से बोली…
” उठो ना …तुम भी…सीधे से उठते हो या…”
मैं उठा के खडा हो गया. लुंगी ठीक करने के बहाने मैंने उसको सुबह सुबह पूरा दर्शन करा दिया.
लेकिन खड़े होते ही मुझे कुछ याद आया…
” अरे यार मैंने मंजन तो किया नहीं …”
” तो कर लो ना की मैं वो भी कराऊँ…” वो हंसी और हवा में चांदी की हजार घंटियाँ बज उठीं.
” और क्या अब सब कुछ तुम को करवाना पड़ेगा और मुझे करना पड़ेगा…” मुस्करा के मैं द्विअर्थी अंदाज में बोला.
” मारूंगी…” वो बनावटी गुस्से में बोली और एक हाथ जमा भी दिया.
” अरे तुम ना तुम्हे तो बस एक बात ही सूझती है…” मैंने मुंह बना के कहा. ” तुम भूल गयी …कल तुम्हारे कहने पे मैं रुक गया था …तो मेरे पास ब्रश मंजन कुछ नहीं है….” फिर मैं बोला.
” अच्छा तो बड़ा अहसान जता रहे है…रुक गया मैं …” मुझे चिढाते हुए बोली. ” फायदा किसका हो रहा है…सुबह सुबह गुड मार्निग हो गयी…कल मेरे साथ घूमने को मिल गया..मंजन तो मिल जाएगा…हाँ ब्रश नहीं हैं तो उंगली से कर लो ना…”
” कर तो लूं पर…” मैंने कुछ सोचते हुए कहा…”तुम्ही ने कहा था ना….की मेरे रहते हुए अब तुम्हे अपने हाथ का इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं है…तो..”
” वो तो मैंने …” फिर अपनी बात का असर सोच के खुद शरमा गयी. बात बना के बोली , ” चल यार तू भी क्या याद करोगे…किसी बनारस वाली से पाला पड़ा था…मैं करा दूंगी तुम्हे अपनी उंगली से ..लेकिन काट मत खाना तुम्हारा भरोसा नहीं…’
वो जैसे ही बाहर को मुड़ी, उसके गोल गोल कसे नितम्ब देख के ‘पप्पू’ ९० डिग्री में आ गया. मैंने वहां एक हलकी सी चिकोटी काटी और झुक के उस के कान में बोला,
” काटूँगा तो जरूर लेकिन ..उंगली नहीं.”
वो बाहर निकलते निकलते चौखट पे रुकी और मुड के के मेरी ओर देख के जीभ निकाल के चिढा दिया.
बाहर जा के उस ने किसी से कुछ बात की शायद गुंजा से…चंदा भाभी की लड़की..जो उससे शायद एकाध साल छोटी थी और उसी के स्कूल में पढ़ती थी.
दोनों ने कुछ बात की फिर हलकी आवाज में हंसी.
“आइडिया ठीक है ..बन्दर छाप दन्त मंजन…..के लिए दीदी.” ये गुंजा लग रही थी.
” मारूंगी…” गुड्डी बोली लेकिन बात तुम्हारी सही है. फिर दोनों की हंसी. मैं दरवाजे से चिपका था.
” आप तो बुरा मान गयी दीदी…आखिर मेरी दीदी हैं तो मेरा तो मजाक का हक़ बनता है…वो भी फागुन में…” गूंजा ने छेडा. लेकिन गुड्डी भी कम नहीं थी.
” मजाक का क्यों तू जो चाहे सब ….मैं बुरा नहीं मानूंगी…” वो बोली.
थोड़ी देर में गुड्डी अन्दर आई. सच में उसके हाथ में बन्दर छाप दन्त मंजन था.
” कटखने लोगों के लिए स्पेशल मंजन…” हंस के वो बोली.
“पर उपर से नीचे तक हर जगह काटूँगा” मैं भी उसी के अंदाज में बोला.
” काट लेना…जैसे मेरे कहने से छोड़ ही दोगे मुझे मालूम है तुम कितने शरीफ हो…अब उठो भी बाथ रूम में तो चलो.” मुझे हाथ पकड़ के बाथ रूम में वो घसीट के ले गयी.
मैंने मंजन लेने के लिए हाथ फैला दिया बदले में जबरदस्त फटकार मिली.
” तुम ना मंगते हो…जहां देखा हाथ फैला दिया…क्या करोगे तुम्हारे मायकेवालियों का असर लगता है आ गया है तुम्हारे उपर. जैसे वो सब फैलाती रहती हैं ना सबके सामने .” ये कहते हुए गुड्डी ने अपने हाथ पे ढेर सारा लाल दन्त मंजन गिरा लिया था. वो अब जूनियर चन्दा भाभी बनती लग रही थी.
” मुंह खोलो…” वो बोली. और मैंने पूरी बत्तीसी खोल दी. उसने अपनी उंगली पे ढेर सारा मंजन लगा के सीधे मेरे दांतों पे और गिन के बत्तीस बार..और फिर दुबारा और मंजन लगा के और फिर तिबारा…स्वाद कुछ अलग लग रहा था फिर मैंने सोचा की शायद बनारस का कोई ख़ास मंजन हो…पूरा मुंह मंजन से भरा हुआ था. मैं वश बेसिन की और मुडा, तो वो बोली,
” रुको…आँखे बंद कर लो…मंजन मैंने करवाया तो मुंह भी मैं ही धुलवा देती हूँ.”
अच्छे बच्चे की तरह मैंने आँखे बंद रखी और उसने मुंह धुलवा दिया.
जब मैं बाहर निकला तो अचानक मुझे कुछ याद आया और मैं बोला…” हे मेरे कपडे….”
” दे देंगे देंगे…तुम्हारी वो घटिया शर्ट पैंट मैं तो पहनने से रही और आखिर किससे शरमा रहे हो मैंने तो तुम्हे ऐसे देख ही लिया है…चंदा भाभी ने देख ही लिया है और रहा गुंजा तो वो तो अभी बच्ची है. ” ये कहते हुए मुझे पकड़ के नाश्ते की टेबल पे वो खिंच ले गयी.
एक दम बच्ची नहीं लग रही थी वो. सफेद ब्लाउज और नीली स्कर्ट ..स्कूल यूनीफार्म में..
मेरी आँखे बस टंगी रह गयीं. चेहरा एकदम भोला भाला..रंग गोरा लेकिन बहोत गोरा नहीं …लेकिन आंखे उसकी चुगली कर रही थीं..खूब बड़ी बड़ी…चुहुल और शरारत से भरी …कजरारी…गाल भरे भरे ..एकदम चन्दा भाभी की तरह और होंठ भी, हलके गुलाबी रसीले भरे भरे उन्ही की तरह…जैसे कह रहे हों किस मी…किस मी नाट ….मुझे कल रात की बात याद आई जब गुड्डी ने उसका जिक्र किया था तो हंस के मैंने पूछा था क्यों बी एच एम् बी …( बड़ा होके माल बनेगी ) है क्या…तो पलटी के आँख नचा के उस शैतान ने कहा था…जी नहीं …बी एच काट दो ..और वैसे भी मिला दूंगी

मेरी आँखे जब थोड़ी और नीचे उतरी तो एकदम ठहर गयी.
उभार उसके …उसके स्कूल की युनिफोर्म …सफेद शर्ट को जैसे फाड़ रहे हों..और स्कूल टाई ठीक उनके बीच में …किसी का ध्यान ना जाना हो तो भी चला जाए…परफेक्ट किशोर उरोज..पता नहीं वो इत्ते बड़े थे या जान बुझ के उसने शर्ट को इत्ती कस के स्कर्ट में टाईट कर के बेल्ट बाँधी थी…
पता नहीं मैं कित्ती देर और बेशर्मों की तरह देखता रहता अगर गुड्डी ने ना टोका होता…
” हे क्या देख रहे हो…गुंजा नमस्ते कर रही है.”
मैंने ध्यान हटा के झट से उसके नमस्ते का ज़वाब दिया और टेबल पे बैठ गया.
वो दोनों सामने बैठी थीं. मुझे देख के मुस्करा रही थीं और फिर आपस में फुस्फुस्सा के कुछ बाते कर, टीनेजर्स की तरह खिलखिला रही थीं.
मेरे बगल की चेयर खाली थी.
हे चंदा भाभी कहाँ हैं. मैंने पुछा.
” अपने देवर के लिए गरमागरम ब्रेड रोल बना रही हैं…किचेन में.” आँख नचा के गुंजा बोली.
” हम लोगों के उठने से पहले से ही वो…किचेन में लगी हैं.” गुड्डी ने बात में बात जोड़ी.
मैंने चैन की सांस ली. तो इसका मतलब हम लोगों का रात का धमाल…इन दोनों को को..पता नहीं. .तब तक गुड्डी बोली.
‘ हे नाश्ता शुरू करिए ना…पेट में चूहे दौड़ रहे हैं हम लोगों के…और वैसे भी इसे स्कूल जाना है. आज लास्ट डे है होली की छुट्टी के पहले …लेट हो गयी तो मुरगा बनना पडेगा. ”
” मुरगा की मुरगी…हंसते हुए मैंने गुंजा को देख के बोला. मेरा मन उस से बात करने को कर रहा था लेकिन गुड्डी से बात करने के बहाने मैंने पुछा..
” लेकिन होली की छुट्टी के पहले वाले दिन तो स्कूल में खाली धमा चौकड़ी, रंग..ऐसी वैसी टाइटिलें…” मेरी बात काट के गुड्डी बोली…
” अरे तो इसी लिए तो जा रही है ये …आज टाइटिलें…” उसकी बात काट के गुंजा बीच में बोली, ” अच्छा दीदी, बताऊँ आपको क्या टाइटिल मिली थी.”
” मारूंगी…आप नाश्ता करिए न कहाँ इस की बात में फँस गए..अगर इस के चक्कर में पड़ गए तो…”
लेकिन मुझे तो जानना था. उसकी बात काट के मैंने गुंजा से पूछा…” हे तुम इससे मत डरो मैं हूँ ना..बताओ गुड्डी को क्या टाइटिल मिली थी. ”
हंसते हुए गूंजा बोली…बिग बी ..
पहले तो मुझे कुछ समझ नहीं आया बिग बी मतलब लेकिन जब मैंने गुड्डी की ओर देखा तो लाज से उसके गाल टेसू हो रहे थे. और मेरी निगाह जैसे ही उसके उभारों पे पड़ी एक मिनट में बात समझ में आ गयी…बिग बी…बिग बूब्स …वास्तव में उसके अपने उम्र वालियों से २० ही थे. गुड्डी ने बात बदलते हुए मुझसे कहा, ” हे खाना शुरू करों ना..ये ब्रेड रोल ना गूंजा ने स्पेसली आपके लिए बनाए हैं.”
” जिसने बनाया है वो दे….” हंस के गुंजा को घूरते हुए मैंने कहा. मेरा द्विअर्थी डायलाग गुड्डी तुरंत समझ गयी. और उसी तरह बोली,
” देगी जरुर देगी…लेने की हिम्मत होनी चाहिए क्यों गुंजा…”
” एकदम …” वो भी मुस्करा रही थी. मैं समझ गया था की सिर्फ शरीर से ही नहीं वो मन से भी बड़ी हो रही है.
गुड्डी ने फिर उसे चढ़ाया…

” हे ये अपने हाथ से नहीं खाते इनके मुंह में डालना पड़ता है अब अगर तुमने इत्ते प्यार से इनके लिए बनाया है तो…”
” एकदम ” और उसने एक किंग साइज गरम ब्रेड रोल निकाल के मेरी ओर बढ़ाया. हाथ उठने से उसके किशोर उरोज और खुल के ..
मैंने खूब बड़ा सा मुंह खोल दिया लेकिन मेरी नदीदी निगाहें उसके उरोजों से चिपकी थीं.
” इत्ता बड़ा सा खोला है …तो डाल दे पूरा…एक बार में …इनको आदत है ..” गुड्डी भी अब पूरे जोश में आ गयी थी.
” एक दम ..” और सच में उसकी उंगलिया आलमोस्ट मेरे मुंह में और सारा का सारा ब्रेड रोल एक बार में ही….
स्वाद बहोत ही अच्छा था ..लेकिन अगले ही पल में शायद मिर्चे का कोई टुकड़ा…और फिर एक ..दो….मेरे मुंह में आग लग गयी थी. पूरा मुंह भरा हुआ था इसलिए बोल नहीं निकल रहे थे.
वो दुष्ट …गुंजा…अपने दोनों हाथो से अपना भोला चेहरा पकडे मेरे चेहरे की ओर टुकुर टुकुर देख रही थी.
” क्यों कैसा लगा ..अच्छा था ना….” इतने भोलेपन से उसने पूछा की..तब तक गुड्डी भी… मेरी ओर ध्यान सेदेखते हुए वो बोली,
” अरे अच्छा तो होगा ही तूने अपने हाथ से बनाया था..इत्ती मिर्ची डाली थी…”
मेरे चेहरे से पसीना टपक रहा था.
गुंजा बोली…” आपने ही तो बोला था की इन्हें मिरेचे पसंद है तो…मुझे लगा की आपको तो इनकी पसंद नापसंद सब मालूम ही होगी…और मैंने तो सिर्फ चार मिर्चे डाली थीं बाकी तो आपने बाद में…”
इसका मतलब दोनों की मिली भगत थी ..मेरी आँखों से पानी निकल रहा था..बड़ी मुस्किल से मेरे मुंह से निकला ..
” पानी….पानी….”
” ये क्या मांग रहे हैं …” मुश्किल से मुस्कराहट दबाते हुए गुंजा बोली.
” मुझे क्या मालूम तुम से मांग रहे हैं …तुम दो…” दुष्ट गुड्डी भी अब डबल मिनीग डायलाग की एक्सपर्ट हो गयी थी. पर गुंजा भी कम नहीं थी…
” हे मैं दे दूंगी ना तो फिर आप मत बोलना की ….” उसने गुड्डी से बोला.
यहाँ मेरी लगे हुयी थी और वो दोनों ….
” दे दे ..दे दे…आखिर मेरी छोटी बहन है और फागुन है तो तेरा तो…” बड़ी दरयादिली से गुड्डी बोली.
बड़ी मुश्किल से मैंने मुंह खोला…मेरे मुंह से बात नहीं निकल रही थी…मैंने मुंह की ओर इशारा किया …
” अरे तो ब्रेड रोल और चाहिए तो लीजिये ना…” और गुंजा ने एक और ब्रेड रोल मेरी ओर बढ़ाया. ” कोई चाहिए तो साफ साफ मांग लेना चाहिए ..जैसे गुड्डी दीदी वैसे मैं…”
वो नालायक…मैंने बड़ी जोर से ना ना में सर हिलाया और दूर रखे ग्लास की ओर इशारा किया.
उसने ग्लास उठा के मुझे दे दिया लेकिन वो खाली था. एक जग रखा था…वो उसने बड़ी अदा से उठाया…
” अरे प्यासे की प्यास बुझा दे बड़ा पुण्य मिलता है…” ये गुड्डी थी.
” बुझा दूंगी … बुझा दूंगी अरे कोई प्यासा किसी कुंए के पास आया है तो…” गुंजा बोली और नाटक कर के पूरा जग उस ने ग्लास में उड़ेल दिया.
सिर्फ दो बूँद पानी था.
” अरे आप ये गुझिया खा लीजिये ना गुड्डी दीदी ने बानायी है आपके लिए…बहोत मीठी है कुछ आग कम होगी तब तक मैं जा के पानी लाती हूँ. आप खिला दो ना अपने हाथ से…” वो गुड्डी से बोली और जग लेके खड़ी हो गयी.
गुड्डी ने प्लेट में से एक खूब फूली हुयी गुझिया मेरे होंठों में डाल ली और मैंने गपक ली.
झट से मैंने पूरा खा लिया मैं सोच रहा था की कुछ तो तीता पन कम होगा…लेकिन जैसे ही मेरे दांत गड़े एक दम से….गुझिया के अन्दर बजाय खोवा सूजी के अबीर गुलाल और रंग भरा था. मेरा सारा मुंह लाल…
और वो दोनों हंसते हँसते लोटपोट …
तब तक चंदा भाभी आई एक प्लेट में गरमागरम ब्रेड रोल लेके…
लेकिन मेरी हालत देख के वो भी अपनी हंसी नहीं रोक पायीं.
क्या हुआ ये दोनों शैतान …एक ही काफी है अगर दोनों मिल गयी ना…क्या हुआ.”
मैं बड़ी मुश्किल से बोल पाया …….पानी.
उन्होंने एक जासूस की तरह पूरे टेबल पे निगाह दौडाई जैसे किसी क्राइम सीन का मुआयना कर रही हों.
वो दोनों चोर की तरह सर झुकाए बैठी थीं.
फिर अचानक उनकी निगाह केतली पे पड़ी और वो मुस्कराने लगीं. उनहोने केतली उठा के ग्लास में पोर किया …और पानी.
रेगिस्तान में प्यासे आदमी को कहीं झरना नजर आ जाए वो हालत मेरी हुयी.
मैंने झट से उठा के पूरा ग्लास खाली कर दिया. तब जाके कहीं जान में जान आई .
जब मैंने ग्लास टेबल पे रखा तब चन्दा भाभी ने मेरा चेहरा ध्यान से देखा. वो बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी रोकने की कोशिश कर रही थीं लेकिन हंसी रुकी नहीं.
और उंके हंसते ही वो दोनों जो बड़ी मुस्किल से संजीदा थीं…वो भी ..फिर तो एक बार हंसी ख़तम हो और मेरे चेहरे की और देखें तो फिर दुबारा ..और उसके बाद फिर…
” आप ने सुबह …ही ही ही ही…आपने अपना चेहरा…ही ही शीशे में…ही ही ही ही…” चन्दा भाभी बोलीं.
” नहीं वो ब्रश नहीं था तो गुड्डी ने…उनगली से मंजन …फिर…” मैंने किसी तरह समझाने की कोशिश की मेरे समझ में कुछ नहीं आ रहा था.
” जाइए जाइए…मैंने मना तो नहीं किया था शीशा देखने को…आप ही को मार नाश्ता करने की जल्दी लगी थी ..मैंने कहा भी की नाश्ता कहीं भागा तो नहीं जा रहा है..लेकिन ये ना…हर चीज़ में जल्द बाजी…” ऐसे बन के गुड्डी बोली.
” अच्छा मैं ले आती हूँ शीशा …” और मिनट भर में गुंजा दौड़ के एक बड़ा सा शीशा ले आई लग रहा था कही वाश बेसिन से उखाड़ के ला रही हो. और मेरे चेहरे के सामने कर दिया.
मेरा चेहरा फक्क हो गया. न हंसते बन रहा था ना….
तीनों मुस्करा रही थीं.
मांग तो मेरी सीधी मुंह धुलाने के बाद गुड्डी ने काढी थी …सीधी ..और मैं ने उसकी शरारत समझा था. लेकिन अब मैंने देखा…चौड़ी सीधी मांग और उसमे दमकता …सिन्दूर…
माथे पे खूब चौड़ी सी लाल बिंदी…जैसे सुहागन औरतें लगाती है…होंठों पे गाढ़ी सी लाल लिपस्टिक और …जब मैंने कुछ बोलने के लिए मुंह खोला तो दांत भी सारे लाल लाल.
अब मुझे बन्दर छाप दन्त मंजन का रहस्य मालूम हुआ और कैसे दोनों मुझे देख के मुस्करा रही थीं….ये भी समझ में आया.
चलो होली है चलता है ..चन्दा भाभी ने मुझे समझाया और गुंजा को बोला हे जाके तौलिया ले आ.
उन्होंने गुड्डी से कहा हे हलवा किचेन से लायी की नहीं…मैं तुरंत उनकी बात काट के बोला ना भाभी अब मुझे इस के हाथ का भरोसा नहीं है आप ही लाइए.
हंसते हुए वो किचेन में वापस में चली गयीं.
गुंजा तौलिया ले आई और खुद ही मेरा मुंह साफ करने लगी. वो जान बुझ के इत्ता सट के खड़ी थी की उसके उरोज मेरे सीने से रगड़ रहे थे.
मैंने भी सोच लिया चलो यार चलता है इत्ती हाट लड़कियां….मैंने गुड्डी से चिढाते हुए कहा चलो बाकी सब तो कुछ नहीं लेकिन ये बताओ…सिंदूर किसने डाला था.
गुंजा ने मेरा मुंह रगड़ते हुए पूछा….” क्यों…”
” इसलिए की सिन्दूर दान के बाद सुहागरात भी तो मनानी पड़ेगी ना… अरे सिन्दूर चाहे कोई डाले सुहागरात वाला काम किये बना तो पूरा नहीं होगा ना काम…” मैंने हंसते हुए कहा.
” इसी ने डाला था जो तुम से इतनी सट के खड़ी है…मना लो सुहागरात…” खिलखिलाते हुए गुड्डी बोली.
गुंजा छटक के दूर जा के खड़ी हुयी, एकदम गुड्डी के बगल में.
” जी नहीं ..आइडिया किसका था…बोला तो आप ने ही था और बाद में लिपस्टिक….फिर एक चुटकी सिन्दूर…तो आपने भी….” वो गुड्डी को देखते हुए बोल रही थी.
” चलो कोई बात नहीं ..दोनों के साथ मना लूँगा…” हंसते हुए मैं बोला.
‘ पहले इनके साथ …” गुड्डी की और इशारा करके वो बोली.
” नहीं मांग तो तुमने भरी है पहले इसके साथ…” अब गुड्डी बोली.
तब तक चन्दा भाभी आगई हलवे का बरतन लिए. क्या मस्त महक आरही थी.
“क्या तुम दोनों पहले आप पहले आप कर रही हो..कोई लखनऊ की थोड़े ही हो…” ये कहते हुए वो कटोरी में हलवा निकालने लग गयी.
वो बिचारी क्या समझें की किस चीज के लिए पहले आप पहले आप हो रही है. अगर समझतीं तो…
” हे भाभी इत्ता नहीं…’ वो ढेर सारा हलवा मेरी कटोरी में डाल रही थीं. हलवा भी पूरा देसी घी से तर , काजू बादाम पडा हुआ..सूजी का हलवा..
‘ अरे खा ना ..रात में तो सारी तेरी मलाई तो मैंने निकाल ली ..” मुंह दबा के फुसफुसाते हुए वो बोलीं.
मेरे मना करने पे जितना डाल रही थीं उसका भी दूना उन्होंने डाल दिया.
” जितना मना करोगे उसका दूना डालूंगी….अब तक तुम नहीं समझे…” हंस के भाभी बोलीं. भाभी भी …बिना डबल मीनिंग डायलाग बोने रह नहीं सकती थीं.
वो दोनों भी एक दूसरे को देख के मुस्करा रही थीं.
” ये ऐसे ही समझते हैं…” गुड्डी आँख नचा के भाभी से बोली. हम सब खाने लगे तो भाभी ने मुझे देख के कहा, ” हे, इन सबों की शैतानियों का बुरा तो नहीं माना.”
मैं बस उन दोनों को देख के मुस्करा दिया.
‘ अरे ससुराल में आये हो फागुन का दिन है….चलो सलहज की कमी नहीं है…” भाभी बोलीं, ‘ लेकिन यहाँ कोई छोटी साली तो है नहीं , बिन्नो की वैसे भी कोई छोटी बहन नहीं है तो चलो इन दोनों को छोटी साल्ली ही मान लो. और क्या …बिना साली सलहज के ससुराल और होली दोनोका मजा आधा है.”
” एकदम …” किसी बड़ी बूढी की तरह गुड्डी ने हाँ में हाँ मिलाई.
” लेकीन समझ लेना तुम दोनों….साली बन गयी तो मैं ..लाइसेंस मिल गया है अब मुझे डरती तो नहीं…” मैंने गुंजा और गुड्डी को देख कर कहा.
” डरूं क्यों….डरें आप आप ..अरे हम दोनों ने तो बिना लाइसेंस के होली शुरू कर दी थी….” दोनों शैतान एक साथ बोलीं.
‘ लेकिन साली का हक़ भी होता है आप की जेब खाली करा लुंगी…लेकिन आप की तो जेब ही नहीं…” हंस के गुंजा बोली.
” अरे तो इसकी चिंता मत कर, इनका पर्स मेरे पास है और कार्ड भी और पिन नंबर भी मालूम है तू मेरी चमचा गिरी कर…” गुड्डी ने मेरा पर्स दिखाते हुए कहा.
तभी मुझे याद आया मेरे कपडे …
” हे मेरे कपडे….” मैंने गुड्डी से पूछा…
भाभी मंद मंद मुस्करा रही थीं.
” वो बेच के हमने बरतन खरीद लिए …” मुस्करा के गुंजा बोली.

तभी मुझे याद आया मेरे कपडे …
” हे मेरे कपडे….” मैंने गुड्डी से पूछा…
भाभी मंद मंद मुस्करा रही थीं.
” वो बेच के हमने बरतन खरीद लिए …” मुस्करा के गुंजा बोली.
तो कपडे तुमने …” मैं गूंजा को देख रहा था और वो बस खीस निकाले….
” मुझे क्यों देख रहे हैं …आप ने मुझे थोड़ी दिए थे कपडे…जिसे दिए थे उससे मांगिये..’. गुंजा हंसी.
मैंने गुड्डी को देखा पर वो दुष्ट …गूंजा से बोली..’. दे दे ना देख बिचारे कैसे उघारे उघारे … ‘
‘अरे तो कौन इनका शील भंग कर देगा…’ गुंजा बोली, और इत्ती दया आ रही है तो अपना ही कुछ दे दे न इस बिचारे को’
‘ क्यों शलवार सूट पहनियेगा …’ गुड्डी ने हंस के कहा.
मुझे भी मौका मी रहा था छेड़खानी करने का. मैंने गूंजा से कहा, ‘ हे तूने गायब किया है तुझी को देना पडेगा. और फिर मुड के मैं चन्दा भाभी से बोला,
‘ भाभी देखिये ना इन दोनों को इत्ता तंग कर रही हैं … ‘
‘ देखो मैं तुम तीनों के बीच नहीं पड़ने वाली आपस में समझ लो …’ हंस के वो बोली.
‘ पर पर मुझे जाना है …और शापिंग उसे बाद रेस्ट हाउस ..सामान सब वहां है फिर रात होने के पहले पहुंचना भी है यों गुड्डी तुम सुबह से कह रही हो शापिंग के लिए …. ‘

‘अरे ये बनारस है तुम्हारा मायका नहीं यहाँ दुकाने रात ८-९ बजे तक बंद होती हैं…’ भाभी बोली.
और क्या गुड्डी ने हामी भरी….शापिंग तो मैं आपसे करवाउंगी ही चाहे ऐसे ही चलना पड़े लेकिन उसकी जल्दी नहीं है आज कल होली का सीजन है दूकान खूब देर तक खुली रहती है…’
हलके से गुंजा गुड्डी की ओर मुंह करके बोली, (लेकिन हम सब लोगों को साफ़ साफ़ सुनाई पड़ा )
” हे ऐसे रात में लौटने की जल्दी क्या है कोई खास प्रोग्राम है क्या…”
गुड्डी का बस चलता तो वहीँ गुंजा को एक हाथ कस के जमाती, उसका चेहरा गुलाल हो गया.
चन्दा भाभी हलके हलके मुस्कराने लगीं.
मैं इधर उधर देखने लगा फिर मैंने बात बदलने की कोशिश की, .’ हे लेकिन कपडे तो चाहिए मैं कब तक ऐसे…”
‘ सुन तू अपना बार्मुडा दे दे न, वैसे भी वो इत्ता पुराना हो गया है ” गुड्डी ने गुंजा को उकसाया.
” दे दूँ…लेकिन कहीं किसी ने इनके ऊपर रंग वंग डाल दिया तो…मेरा तो खराब हो जाएगा.” बड़ी शोख अदा मैं गुंजा बोली.
मैंने मुड़ के झट चंदा भाभी की ओर देखा, ” भाभी मतलब …रंग वंग…हमें जाना है और …”
” देखो, इसकी गारंटी मैं नहीं लेती …ससुराल है बनारस है और तुम ऐसे ..चिकने हो किसी का डालने का मन ही कर जाए”

देखो, इसकी गारंटी मैं नहीं लेती …ससुराल है बनारस है और तुम ऐसे ..चिकने हो किसी का डालने का मन ही कर जाए”
भाभी भी कोई भी हो बिना अपने अंदाज के… तब तक गुड्डी भी बोल उठी …
” और क्या दूबे भाभी भी तो आने वाई और उन के साथ जिन की नयी नयी शादी हुयी है इसी साल … ”
चम्पा भाभी ने उसे आँख तरेर कर घूरा जैसे उसने कोई स्टेट सीक्रेट लीक कर दिया हो. वो चालाक झट से बात पलट के वो गुंजा की ओर मुड़ी और कहने लगी,
” हे तू चिंता मत कर अगर ज़रा सा भी खराब हुआ तो ये तुम्हे नया दिलवाएंगे और साथ में टाप फ्री…”
” मैं इस चक्कर में नहीं पड़ती…तुम सब तो आज चे जाओगे और मैं स्कूल जा रही हूँ तो फिर… ” गुंजा ने फिर अदा दिखायी.
” अरे यार इनका तो यही रास्ता है ..होली से लौट के मुझे छोड़ने तो आयेंगे फिर उस समय…” गुड्डी फिर मेरी ओर से बोली लेकिन गुंजा चुकने वाली नहीं थी. उसने फिर गुड्डी को छेड़ा ,
” अच्छा आप बहोत इन की ओर से गारंटी ले रही हैं कोई खास बात है क्या जो मुझे पता नहीं है…”
अबकी तो चंदा भाभी ऐसे मुसकराई की बस …जो न समझने वाला हो वो भी समझ जाए.
” चलो मैं कहता हूँ शापिंग भी करूँगा और जो तुम कहोगी वो… भी. ” मैंने बात सम्हालने की कोशीश की.
“ये हुयी न बात,” मेरे प्याले में चाय उड़लते हुए गुंजा बोली मेरे बेशर्म निगाहें उसके झुके उरोजों से चिपकी थीं. बेपरवाह वो चन्दा भाभी को चाय देती हुयी बोली,
” क्यों मम्मी दे दूं ..बिचारे बहूत कह रहे हैं …”
“तुम जानो….ये जानें ..मुझे क्यों बीच में घसीट रही हो…जैसा तुम्हारा मन. ” चन्दा भाभी अपने अंदाज में बोली.
गुड्डी और गुंजा मेज समेट रही थीं. चन्दा भाभी ने उठते हुए मेरी लुंगी की गाँठ की ओर झपट कर हाथ बढ़ाया. मैंने घबडा के दोनों हाथों से उसे पकड़ लिया. उनका क्या ठिकाना कहीं खींच के मजाक मजाक में खोल ही न दें.
वो हंस के बोलीं, ” अब इसे वापस कर दीजिये मैंने सिर्फ रात भर के लिए दी थी. प्योर सिल्क की है…अगर इस पे रंग वंग पड़ गया न तो आपके उस मायके वाले माल को रात भर कोठे पे बैठाना पड़ेगा तब जाके कीमत वसूल हो पाएगी. ”
गुंजा और गुड्डी दोनों मुंह दबाये हंस रही थीं.
भाभी जाते जाते मुड के खड़ी हो गयीं और मुझसे कहने लगी..,
” हे बस १० मिनट है तुम्हारे पास चाहे जो इन्तजाम करना हो कर लो…”. और वो सीढ़ी से नीचे उतर पड़ीं .
गुंजा अपने कमरे की ओर जा रही थी..मैंने पीछे से आवाज लगाईं…हे दे दो ना…वो रुकी..मुस्काराई और बोलो चलो तुम इत्ता कहते हो तो…और आगे वो और पीछे मैं उसके कमरे में चल पड़े.
कमरे में गुंजा ने अपनी वार्ड रोब खोली. झुक कर वो नीचे की शेल्फ पे ढूंढ रही थी.
मेरी तो हालत ख़राब हो गयी.
झूकने से उसके गोरे गोरे भरे मांसल नितम्ब एक दम ऊपर को उठ आये थे. उसकी युनिफोर्म की स्कर्ट आलोमोस्ट कमर तक उठ आई थी. उसने एक बहोत ही छोटी सी सफेद काटन की पैंटी पहन रखी थी, जो एक दम स्ट्रेच हो के उसकी दरारों में घुस गयी थी. उसके भरे भरे किशोर चूतड़ों के साथ उसके बीच की दरार भी लगभग साफ दिख रही थी. मेरे जंगबहादुर से नहीं रहा गया. वो एकदम ९० डिग्री हो गए और पीछे से रगड़ खाने लगे. अब जो होना है सो हो जाय, मुझसे नहीं रहा गया. मैंने उसकी कमर पकड़ ली. उसने कुछ नहीं बोला और थोडा और झुक गयी सबसे नीचे वाली शेल्फ में देखते हुए…मैं पहले धीरे धीरे फिर कस कस के उसके नितम्बों पे अपना हथियार रगड़ने लगा. पहले तो उसने कुछ रेस्पोंड नहीं किया लेकिन फिर जैसे दायें से बाएं देख रही हो और फिर बाएं से दायें …अपनी कमर वो हिलाने लगी. इन सब में आगे से उसकी सफेद शर्ट भी थोड़ी सी स्कर्ट से बाहर निकल आई थी.
मेरा एक हाथ उसके पेट पे चला गया. …एकदम..मक्खन मलाई …
वो कुछ नहीं बोली बस उसका अपने पिछवाड़े को मेरे पीछे रगड़ना थोडा हल्का हो ग़या.
मेरी उगलियाँ ऊपर की ओर बढीं और फिर उसके ब्रा के बेस पे आके रुक गयीं. थोड़ी देर में दो उँगलियों ने और जोश दिखाया और ब्रा के अन्दर घुस गयीं.
तभी वो झाटके से खड़ी हो गयी और मेरी ओर मुड गयी.
उसके उरोज अब मेरे सीने से रगड़ खा रहे थे.
अपने आप मेरे हाथ उसके नितम्बों पे पहुच गए.
” मैं एकदम बुद्धू हूँ …तुम्हारे तरह…” मुस्करा के वो बोली.
जवाब मेरे हाथों ने दिया…कस के उसके नितम्ब दबा के.
” क्यों और मैं कैसे बुद्धू हूँ….” मैंने उसके कानों को लगभग होंठो से सहलाते पुछा.
” इसलिए ..जाने दो…गुड्डी दी कहती थीं की आप बड़े बुद्धू हो भले ही पढ़ाई में चाहे जित्ते तेज हो ..लेकिन मुझे लगता था की आप इत्ते ..ये कैसे हो सकता है की…लेकिन जब आज तुमसे मिली…मैं समझ गयी की वो जा कहती थी ना आप …” गुंजा के शब्द मिश्री घोल रहे थे.
” मेरे हाथ अब खुल के उसके चूतड दबा रहे थे.
” तो क्या समझा तुमने की मैं उतना बुद्धू नहीं हूँ बल्कि उससे कम हूँ या एकदम नहीं हूँ…” मैंने कहा. उसने कस के मेरे गाल पे चिकोटी काटी,.
मेरी दो उंगलिया. उसकी गांड की दरार पे धंस गयी.
‘वो’ तो सामने कस के रगड़ खा ही रहा था.
” जी नहीं…आप …तुम..उतने नहीं…उससे भी ज्यादा बुद्धू हो…और आपके असर से मैं भी…ये देखिये बारामुडा मैंने हुक पे टांग रखा था और नीचे ढूंढ रही थी. कल रात भर मैंने इसे पहने रही…जब स्कूल की ड्रेस पहनी तो उतार के यहीं टांग दी. और नीचे ढूंढ रही थी. ” वो बोली और उतार के उसने मुझे पकड़ा दिया.
उस के अन्दर से उसकी देह की महक आ रही थी. वो शरमा गयी और बोली, ” असल में मैं..घर में ..वो…मेरा …वो ..नहीं ..”
” अरे साफ साफ बोलो ना की पैंटी नहीं पहनती घर में …तो ठीक तो है उसको भी हवा लगनी चाहिये…तुम्हारी परी को….” और ये कह के मैंने कस के उसके बारमुडा को सूंघ लिया.
” हट बदमाश ..गंदे ..छि…कभी लगता है एकदम सीधे हो और कभी एक दम बदमाश ….” मुझे मुक्के से मारते वो बोली. ” और अगर मेरे आने से पहले गए…मैं कभी कभीइ नहीं बोलूंगी. ”
” कैसे जाउंगा…तुम मेरी छोटी साली जो हो..और तुम्हारी मम्मी ने भी बोल दिया अब तो मुझे लाइसेंस मिल ग़या है…बिना साल्ली को रगड़े रंग लागाये…होली खेले…”
” होली तो मैं खेलूंगी आप से आज को आप को पता चलेगा है कोई रंग लगाने वाली…”
मुझे से दूर हट के मुस्कराते हुए वो बोली.
तब तक नीचे से चन्दा भाभी की आवाज आई .”.हे नीना इंतजार कर रही तुम्हारा आओ बस आने वाली है. ”
” हे टाप …” मैंने याद दिलाया.
” मैं भी …आप के चक्कर में …ये भी यहीं है…” और ऊपर से से उठा के उसने दे दिया.
तब तक जैसे उसको कुछ याद आया हो…” हे और मेरी होली गिफ्ट..”
” एक दम कहो तो आज ही…” मैं बोला.
” ना आज तो मेरी शाम को एक्स्ट्रा क्लास है…आप लौट के आओगे ना होली के चार दिन बाद…तब और छोडूंगी नहीं पूरी जेब खाली करा लूंगी…” हंस के वो बोली.
“एकदम टाप भी और स्कर्ट भी ..और अन्दर वाला भी …’ ये कह के मैंने उसके उरोज और चुन्मुनिया दोनों को छु दिया. ये मौक़ा मैं कैसे जाने देता.
वो गुलाल हो गयी. लेकिन फिर बोली ठीक है…मंजूर …और बाहर निकालने के लिए बढ़ी तो मैंने आवाज देके रोक लिया.
“बस एक मिनट …ज़रा मैं ये बार्मुदा ट्राई तो कर लूं कहीं अन्दर न जाए तो…” मैं बोला.
हंसती हुयी वो बोली…”जाएगा जाएगा..पुरा अन्दर जाएगा ..बस ट्राई तो करिए. ”
मैं समझ रहा था वो क्या इशारा कर रही है लेकिन मेरा पूरा ध्यान लुंगी के के अन्दर उसे चढाने लगा था. डर ये लग रहा था की कहीं सरक के लुंगी नीचे न आ जाए और मैं उसके सामने….
वो सामने खड़ी देख रही थी.
तभी गुड्डी घुसी. एकदम जोश में…हम दोनों को देख के जोर से बोली….
” अरे १० मिनट कब के हो गए और तुमने चेंज भी नहीं किया…और ये कैसे पहन रहे हो…पहले साडी उतार दो …” और ये कह के पास में आके साड़ी कम लुंगी खींचे ने लगी. ../
मेरे दोनों हाथ तो बारमुडा ऊपर चढाने में फसे थे. मैंने बहोत रेसिस्ट किया…लेकिन तब तक गुंजा को देख के गुड्डी बोली,
” अच्छा तो इससे शरमा रहे हो…क्यों देख लेगी तो बुरा लगेगा क्या…” गुंजा से उसने पूछा.
उसने ना में कस के दायें से बाएं सर हिलाया.
गुड्डी के एक झटके से चन्दा भाभी की साडी जो मैंने लुंगी की तरह पहन रखी थी उसके हाथ में…
गुड्डी ने आधा पहना बार्मुदा भी नीचे खीन्च दिया. मेरे दोनों हाथ तो ‘वहां’ थे.
वो भी किसी तरह अपनी हँसी दबाये थी.
पलंग पे पडा एक छोटा सा तौलिया उसने मेरी ओर बढ़ा दिया और बोली.
“ये कपडे नहाने तैयार होने के बाद…”
“..मतलब…” मुश्किल से पीछे मुड के उस तौलिये को बाँध के मैंने पुछा.
अब खुल के हंसती हुई उस सारंग नयनी ने कहा…
” मतलब..ये है की…आपकी भाभी नी आदेश दिया है की आपको चिकनी चमेली बना दिया जाय. सुबह तो सिर्फ मंजन किया था ना…तो फिर..”

हाथ पकड़ के वो मुझे चंदा भाभी के कमरे में ले आई जहां मैं रात में सोया था.
” ,पर मेंरा तो कोई सामान ही नहीं रेजर, शेविंग का सामान….बाकि सब..” मैंने दुहराया.
” बुद्दू राम जी ये सब आपकी चिंता का विषय नहीं जब तक मैं हूँ आपके पास….मैं हूँ ना….” मेरे गाल कस के पकड़ के वो दुष्ट बोली. ” अरे यार मैंने भाभी से पुछा था तो उनके हसबेंड के फ्रेश रेजर ब्रश सब कुछ है और साबुन वाबुन तो लड़कियों के लगाने में कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए तुम्हे…बाकी ” भाभी के देर्सिंग टेबल की ओर इशारा करते हुए हुए वो बोली…” लिपस्टिक, नेल पालिश रूज जो भी चाहिए…लेकिन ये बताओ जब मैंने तुम्हारी लुंगी किंची तो इतना छिनछिना क्यों रहे थे क्या कभी रैगिंग में तुम्हारे कपडे वपड़े नहीं उतरवाये गए क्या..मैंने तो सूना है रैगिंग में बहोत कुछ होता है…” आँख नचा के वो बोली.

.” सही सूना है तुमने लेकिन बस मैं बच ग़या…एक तो मैं मेडिकल इंजीनयर वाला नहीं हूँ और दूसरे..” मेरी बात काट के वो बोली.
” चलो कोई बात नहीं वो सब कसर आज पूरी हो जायेगी..दूबे भाभी…साथ में ….बस देखना…” और खीन्च के उसने मुझे बात रूम में पहुंचा दिया.
” मैं नहला दूं …” शरारत से वो बोली.
” नहीं नहीं ….” मुझे सुबह का बन्दर छाप लाल दन्त मंजन याद था.
” जाने दो यार ..मेरे भी …वो पांच दिन…चल रहे हैं …वरना तुम्हारे मना करने का मेरे ऊपर क्या फरक पड़ता. अभी मैं ब्रश रेजर वेजर लेके आती हूँ…” और वो बात रूम के बाहर निकल के एक आलमारी खोलने लगी.
क्या मस्त बाथ रूम था.
हलके गुलाबी रंग की टाइल्स, इक बड़ा सा बाथ टब, शावर, एकदम माडर्न फिटिंग्स, और जब मैंने ऊपर नजर घुमाई …इम्पोर्टेड साबुन, शैम्पू, जेल,. डियो. जो आप सोच सकतें हैं वो सब कुछ ..टब के साथ बबल बाथ वाले सोप…मैंने बाथ टब का टैप आन कर दिया…और उसमें बबल बाथ वाला सोप डाल दिया. थोड़ी ही देर में टब भर गया था. मैंने सोचा था अच्छे से शेव कर, थोड़ी देर टब में नहाऊंगा. रात भर की थकान उतर जायेगी., और उसे बाद ठन्डे पानी से बढ़िया शावर …एं वो रेजर वेजर…वो गुड्डी की बच्ची पता नहीं कहाँ गायब हो गयी…
शैतान का नाम लो शैतान हाजिर…वो आगई हांफते कांपते..
” देखो मैं तुम्हारे लिए सब चीजे ले आयीं.”वो बोली.
हाँ…रेजर था…वो भी नया…बिना इस्तेमाल किया…मेरी पसंद वाला ब्रश भी था…लेकिन ..शेविंग क्रीम …
“हे क्रीम कहाँ है…उसके बिना .” मैंने उसकी ओर देखा.
” अरे कर लो ना यार …क्या फरक पड़ता है… ” उसने मुझे फुसलाया.
” अरे कर लो ना यार …क्या फरक पड़ता है… ” उसने मुझे फुसलाया.
” अच्छा थोड़े देर बाद आज रात ही को तो…मैं करूँगा …तुम्हारे साथ बिना क्रीम के बिना कुछ अगाए…तो पता चलेगा… मैंने शरारत से छेडा.
” तुम ना हरदम एक ही बात…” कुछ मुंह फुला के वो बोली Phir हंस के कहने लगी… अरे यार उसकी बात और है और इसी बात और है…”
” अच्छा जी तुम्हारी मुलायम है मलमल की और मेरे गाल है टाट के” मैंने और छेड़ा.
प्यार से मेरे गालों को सहला के बोली, ” अरे मेरे यार के गाल तो गुलाब हैं…” और तिरछी आँख कर के मुझे घूरा और बोला, ” आज क़स क़स के ना रगडा तो कहना..इन गालों को ..
और मुड गयी. फिर जाते जाते बोलने लगी…” तुम ना बाबा इक ही हो…ले आती हूँ कहीं से ढूंढ ढाढ के तुम भी क्या याद करोगे…”
फिर बाहर से उठक पटक..धडाक पडाक ड्राअर खोलने, बंद करने की आवाजें…
गुस्से में लग रही थी वो..
” मिल गयी है लेकिन कम है मैं दबा दबा के अपनी हथेली में निकाल के ले आऊं…”उसकी खिझी हुयी आवाज आई.
अब मना करना ख़तरे से खाली नहीं था. मैंने मस्का लगाया..
” हाँ ले आओ ले आओ…तू बहूत अच्छी…हो…”
” ज्यादा मक्खन लगाने की जरुरत नहीं है…..” वो बोली. थोड़ा गुस्से में अभी भी लग रही थी.
उसने हथेली में रोप कर ढेर सारी पीली पीली ,क्रीम जैसी ….मैंने लेने के लिए हाथ बढ़ाया तो उसने झट मना कर दिया…
‘ मंगते…हर जगह हाथ फैला देते हो…तुमने इधर उधर गिरा दिया तो…फिर मैं कहाँ से ढूंढ कर लाऊँगी..इत्ती मुश्किल से तो …और इसके बिना तुम्हारा काम ..लाओ अपने मुलायम मुलायम हेमा मालिनी के गाल …”
और उसने चारो ओर अच्छी तरह चुपड दिया. जरा भी जगह नहीं बची ….उसके हाथ में अभी भी थोड़ी सी क्रीम बची थी.
उसके होंठों पे शरारत भरी मुस्कान खेल रही थी.. जबतक मैं समझ पाता..उसका हाथ तौलिये के अन्दर..
” अरे यहाँ पर भी तो…यहाँ भी बाल तो बनाते होगे…क्रीम तो लगाना पडेगा ना ..कहीं कट वाट गया तो …नुक्सान तो मेरा ही होगा..”
फिर वो मुझे अदा से घूरती रही…
‘” तुम न…” मेरे समझ में नहीं आरहा था क्या बोलूं …
“मैं क्या … वो अब पूरी शरारत से मुस्करा रही थी….मैं बहूत बुरी हूँ…ना..”
मेरी समझ में नहीं आया और मैंने बाहों में पकड़ चुम्मी ले लिया.
वो बाथ टब की ओर देख रही थी.
” साथ साथ नहाते तो इतना मजा आता… वो बोली.
तो आओ ना…मैंने दावत दी.
“अरे नहीं यार मेरी वो साल्ल्ली …वो पांच दिन वाली सहेली ..ऐसे गलत समय आई है ना …वरना ये मौका मैं छोडती …लें जब हम लौट के आयेंगे ना तो एक दिन तुम्हारे साथ जरुर नहाउंगी..तुम्हे नहालाउंगी भी और…धुलाउंगी भी…”
तब तक चन्दा भाभी ने आवाज दी…और वो परी उड़ चली लेकिन उसके पहले,
” हे, तुम ये टावेल लपेटे टब में जाओगे क्या… ” और खिलखिलाते हुए उसने मेरी टावेल खींच ली और मैं…’वो’ ९० डिग्री पे था. जाते जाते वो फिर ठिठक गयी और ” उसकी” ओर देख के , वो शैतान मुस्करा के पूछने लगी..
” अच्छा जब मैंने तुम्हारी लुंगी खींची थी तो तुम उसे छिपा क्यों रहे थे ..”
‘ वो ..वहां पे…” मैं हकला रहा था..” वहां पे गूंजा ..जो थी…”
” अच्छा जी..” वो इत्ते जोर से हंसी … “तुम ना बुद्धू थे बुद्धू रहोगे…गुंजा…अरे यार…वो साल्ली तेरी साल्ली है…उसने खुद बोला ..उसकी मम्मी ने बोला, इत्ता वो आज तुम्हे छेड़ रही थी.. अरे तुम्हारी जगह कोई और होता ना…तुम दिखाने से डर रहे थे…वो उसे अब ता हाथ में पकड़ा देता..घुसेड़ने को सोचता…और तुम ना…
” असल में वो अभी… “मैं अभी भी झिझक रहा था…” वो अभी…”
वो मेरे मन की बात जान गयी..
” अरे यार वो एक क्लास में दो बार पढ़ी है ..अपने पापा के साथ दुबई गयी थी इसलिए …वरना मुझसे थोड़ी ही छोटी है…लें अब उसका नाम ले के ६१-६२ मत करने लगना …जाओ नहाओ…धोओ…” मुस्करा के वो बोली और चल दी.
मैंने शेव करनी शुरू की. क्रीम चुनचुना रही थी…झाग भी नहीं बन रहा था. मुझे लगा शायद इम्पोर्टेड है इसीलिए…मैंने दो बार शेव बनाई रेजर काफी शार्प था. फिर गुड्डी की बात याद आ गयी नीचे के बालों के बारे में..क्रीम तो उसने वहां भी खूब लिथड दी थी. कभी कभी वहां के बाल मैं साफ करता ही था.
मैंने कर लिया. इक दम साफ हो गए. फिर मैं तब में जा के बैठा. थोड़ी देर में सारी थकान .मैल सब कुछ दूर …और उस के बाद शावर शैम्पू …जब मैं तैयार हो के बाहर निकाला तो एकदम हल्का जैसे कहते हैं ना लाईट एस फेदर …बिलकुल वैसा…हाँ इक बात और जब मैं ने कैबिनेट खोली तो मुझे उसमें …वो बोतल दिख गयी जिसमें से चन्दा भाभी ने …वही सांडे के तेल वाली ..उन्होंने समझाया था ..दो बार रोज इस्तेमाल से परमानेंट फ़ायदा होता है तो मैंने बस थोडा सा.. लगा लिया… ( बाद में पता चला कल कड़ा और खड़ा करने के साथ उसमें से एक गंध निकलती है जिसका लड़कियों पे बहोत मादक और कामुक असर होता है. )मुझे अच्छा लग रहा था लें साथ में कुछ अन इजी भी…मैंने शीशा देखा लें समझ में नहीं आया. मैंने गुंजा का दिया टाप और बार्मुडा पहना और कमरे में आ गया.
बाहर गुड्डी कुछ कर रही थी.
मेरी निगाह उसी पे लगी रही.
क्या है उस जादूगरनी में ….मैं सोच रहा था.
सब कुछ …जो तुम चाहते हो…बल्कि उस से भी बहोत ज्यादा…पकड़ लो कस के अगर वो फिसला गयी ना तो पूरी जिंदगी पछताओगे. मेरे मन ने कहा.
भाभी ने एक बार मुझसे पुछा था तुम्हे कैसी लड़की पसंद है ( असल में भाभी बीइंग भाभी …उन्होंने कहा था तुम्हे कैसा माल पसंद है.)
शर्माते झिझकते, मैंने बोला…
” असल में …वो वो…जो ..दीवाल से सट कर कड़ी हो…फेस कर के उस की और तो तो…”
” अरे यार …तो तो क्या लगा रखी है…बोलो ना साफ…साफ…” भाभी बोलीं.
” वो…जो ..दीवाल से सट कर कड़ी हो…फेस कर के उस की और तो पहली चीज जो दीवाल से लगे तो वो उसकी …नाक ना हो…”. मैंने बहोत मुश्किल से कहा.
उन्हह उन्ह…एक पल में वो समाजः गयी पर मुझे छेडते हुए कहा … ” अच्छा, तो उसकी नाक छोटी हो…समझ गयी मैं…” बड़ी सीरियस हो के वो बोलीं.
” ना ना…” मैं कैसे समझाऊ उनको ..मेरी समझ में नहीं आ रहा था.
वो हंसते हंसते दुहरी हो गयीं…” अरे साफ साफ क्यों नहीं कहते की तुम्हे बिग बी पसंद है…सही तो है…मुझे भी जीरो फिगर एकदम पसंद नहीं…”
मेरी निगाह गुड्डी से चिपकी हुयी थी.
वो झुकी हुयी थी. टेबल ठीक कर थी. और उसके दोनों उरोज ..कसी कसी फ्राक से…एकदम छलकते हुए..मेरा मन कह रहा था बस जाके दबोच लूं…गुंजा कह रही थी ना की गुड्डी को स्कूल में टाइटिल मिली थी…बिग बी…एकदम सही टाइटिल थी..
उसकी चोटियाँ भी खूब मोटी घनी और सीधे नितम्बों की दरार तक…
और नितम्ब भी एकदम परफेक्ट..कसे रसीले…
लम्बाई भी उसकी उम्र की लड़कियों से एक दो इंच ज्यादा ही थी.
वो इन्नोसेंट चेहरा ..लेकिन क्या शैतानी, शरारत छिपी थी उनमें …वो दो काली काली आँखे…उन्होंने ही तो लूट लिया था मुझे…
लेकिन सबसे बढ़कर उसका एटीटयुड…
दो बातें थीं…एक तो वो हक़ से…मुझे कोई चाहिए भी था ऐसा..शायद मैं बचपन से ज्यादा पैम्पर् था इसलिए…थोड़ी डामीनेटिंग…और हक़ भी पूरे हक़ से …अगर मैं कोई चीज खाने में मना करता था तो वो जान बूझ के डाल देती थी मेरी थाली में ..और मेरी मजाल जो छोडूँ…किसी भी चीज पे…
और इसी के साथ उस का विश्वास…एक बार वो मुंडेर के सहारे झुकी थी…थोड़ी ज्यादा ही झुक रही थी…मैंने मना किया ..” हे गिर जायेगी’
वो आँख नचा के बोली….” तुम किस मर्ज की दवा हो…बचा लेना..” उस का मानना था वो भी कुछ करे मैं हूँ ना …और मैं कुछ भी करूँ सही ही होगा….
तभी मेरी निगाह फिर उस पे पड़ी. वो मुझे ही देख रही थी. उस ने एक फ्लाईंग किस दी..और मैंने भी जवाब में एक…
सर हिला के उसने मुझे बुलाया.
मैं जब पहुंचा तो बहोत बीजी थी वो..टेबल पे प्लेटें ढेर सारा सामान…
” हे मैं यहाँ, काम के मारे मरी जा रही हूँ.. और वहां तुम ..ए सी में मजे से बैठे हो चलो….काम में हेल्प करवाओ…”
टीपीकल गुड्डी..नाराज हो के वो बोली.
” अरे काम वो भी …तुम्हारे साथ…यही तो मैं चाहता हूँ. और जब करना चाहता हूँ तो तुम कहती हो…तुम बड़े कामुक हो…” मैंने मुस्करा के कहा.
” वो तो तुम हो…” वो हंसी और मैं घायल हो गया. फिर उसकी शैतान आँखों ने नीचे से ऊपर तक मुझे देखना चालु कर दिया.
मेरे चेहरे पे आके उसकी आँखे रुक गयीं और वो मुस्कराने लगी.
” चिकनी चमेली.”
उसकी एक उंगली ने मेरे गाल पे सहलाया और मैं नीचे तक सिहर गया.
और फिर गाल पे एक हलकी सी चिकोटी काट के उस ने उंगलीसे मेरी ठुड्डी उठायी और आँख में आँख डाल के बोली,
” बहोत मस्त शेव बनाया ..एकदम मक्खन…”
मैं सिर्फ मुस्करा दिया.
हाथ से गाल सहलाते एक उंगली वो मेरे नाक के ठीक नीचे ले गयी. मुझे कुछ अजब सी अलग सी फीलिंग हुयी.
उसने बिना कुछ बोले मेरी गर्दन दीवार पे लगे शीशे की ओर मोड़ दी, और मुस्करा दी.
” हे ..ये क्या…” मैं चौंक गया…
मेरी मूंछे साफ थीं ..एकदम चिकनी.
वैसे मैं एक पतली सी मूंछ रखता था…लेकिन रखता जरूर था…
” अरे किस करने के लिए ज्यादा जगह …मैंने बोला था ना की तुम्हारी भाभी ने बोला है की चिकनी चमेली…तो..” वो शैतान बोली और उसने झप्प से मेरे होंठों पे एक बड़ी सी किस्सी ले ली.
” अरे वो जो तुमने क्रीम लगाई थी ना…” आँखे नचा के …मुस्करा के वो बोली….
” हाँ …तो मतलब…” मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था…
” मतलब सीधा है..बुद्धू…” उसने मेरे गाल पे एक मीठी सी चिकोटी काटी और बोली..” वो क्रीम चन्दा भाभी अपनी झांटे साफ करने के लिए करती..हैं…और कभी कभी कभी मैं भी कर लेती हूँ…एकाध बाल शायद इसीलिए उसमें रह गया हो…”
” यानी …” अब मेरे चौकने की बारी थी.
” अरे यानी कुछ नहीं…वो भी इम्पोर्टेड थी…यार एकदम स्पेशल और बहोत इफेक्टिव …लेकिन तुमने लगा भी तो किता सारा लिया था. थोड़ी सी ही काफी होती है उसकी. मैं तो बस उनगली बराबर लगाती हूँ…लें तुमने तो ढेर सारा लिथड लिया था ..अब कम से कम पन्दरह दिन दिन तक कोई घास फूस नहीं होगा..”
उसे लगा शायद मैं थोड़ा नाराज हूँ…लेकिन अब तो मुझे उसकी शैतानियों की आदत सी लग गयी थी.

मेरे बारामुडा में हाथ डाल के अन्दर भी हाथ फिराते बोली …” अरे यहाँ भी तो एकदम चिकना हो गया है. ‘ उसे’ उसने मुट्ठी में ले लिया और आगे पीछे करते हुए छेड़ा,
” हे…गुंजा का नाम लेके ६१-६२ किया की नहीं…”
” छोड़ो ना यार …” मेरे जंग बहादुर की हालत खराब होती जारही थी. वो अब पूरे जोश में आ रहा था.
“पहले बताओ,….” अब उसकी उंगली मेरे सुपाडे के मुंह पे थी.”
” नहीं यार…मैंने बोला ना की अब…” मेरी निगाह घडी पे थीं. १० बज रहे थे…” उन्ह १२-१४ घंटे के बाद…बस अब ये तुम्हारे अन्दर घुस के ६१-६२ करेगा. ”
” तुम ना …अब उसकी शरमाने की बारी थी. लेकिन वो कितने देर चुप रहती. बोली…”असल में कल जब तुम्हे …वो गूंजा से मैं बात कर आरही थी तो वो बोली की अगर इत्ते गोरे चिकने हैं तो उन्हें सिर्फ ..प्रूरा श्रृंगार कराना चाहिए…मैंने कहा एकदम तो वो बोली…बस एक थोड़ी सी कसर है तो मैंने पूछा क्या ..वो तुम्हारी साली बोली…मूंछे हैं तो फिर…कैसे. मैंने सोच लिया और बोला की चल उसका भी कुछ इंतजाम कर देंगे…..” और वो खिलखिला के हंसने लगी…
” तुम दोनों ना…आने दो उसको स्कूल से…”
” वैसे उसकी वोटिंग लिस्ट में तुम्हारा दूसरा नंबर है…” वो बोली.
” मतलब…अभी ” मैं चकराया अभी से….
” और क्या एक यही गली के मोड़ पे है रोज उसका इन्तजार करता है ..और दूसरा स्कूल के पास….लेकिन चलो तुम्हारी साली है अब तुम कहोगे तो कुछ करना ही पडेगा..नम्बर डकवा के पहला कर दूंगी…” अदा से वो बोली.
” अभी से अभी तो वो ….” मैं चकरा के बोला.मेरी बात समझ के गुड्डी ने बात काट कर बोला…
: अरे यार, यहाँ बच्चे तो सिर्फ तुम हो…जानते हो मेरी क्लास मैं …”
तुम ना …अब उसकी शरमाने की बारी थी. लेकिन वो कितने देर चुप रहती. बोली…”असल में कल जब तुम्हे …वो गूंजा से मैं बात कर आरही थी तो वो बोली की अगर इत्ते गोरे चिकने हैं तो उन्हें सिर्फ ..प्रूरा श्रृंगार कराना चाहिए…मैंने कहा एकदम तो वो बोली…बस एक थोड़ी सी कसर है तो मैंने पूछा क्या ..वो तुम्हारी साली बोली…मूंछे हैं तो फिर…कैसे. मैंने सोच लिया और बोला की चल उसका भी कुछ इंतजाम कर देंगे…..” और वो खिलखिला के हंसने लगी…
” तुम दोनों ना…आने दो उसको स्कूल से…”
” वैसे उसकी वोटिंग लिस्ट में तुम्हारा दूसरा नंबर है…” वो बोली.
” मतलब…अभी ” मैं चकराया अभी से….
” और क्या एक यही गली के मोड़ पे है रोज उसका इन्तजार करता है ..और दूसरा स्कूल के पास….लेकिन चलो तुम्हारी साली है अब तुम कहोगे तो कुछ करना ही पडेगा..नम्बर डकवा के पहला कर दूंगी…” अदा से वो बोली.

” अभी से अभी तो वो ….” मैं चकरा के बोला.मेरी बात समझ के गुड्डी ने बात काट कर बोला…
: अरे यार, यहाँ बच्चे तो सिर्फ तुम हो…जानते हो मेरी क्लास मैं …”
अबकी बात काटने का काम मैंने किया. मैंने उसे मक्खन लगाते हुए कहा….”
” अरी मेरी सोनिये मुझे मालूम है…तू पाने क्लास में सबसे प्यारी है, सबसे सेक्सी है….और सबसे पहले तेरी बिल में सेंध लगने वाली है…”.
आँखे नचाते हुए उसने कस के मेरा कान पकड़ के खिंचा और बोली…
” यही तो पता कुछ नहीं…लेकिन बोलेंगे जरुर…वैसे आधी बात तो सच है…सबसे सेक्सी और सोनी तो मैं हूँ….लेकिन मेरे प्यारे बुद्धुराम …मेरी क्लास की मेरी आधे से जयादा सहेलियों की बिल में सेंध लग चुकी है….सिर्फ तीन चार बची हैं मेरे जैसी …और मेरे पल्ले तो तेरे जैसा बुद्धू पड़ गया है इस लिए…पता है और उनमें से आधे से ज्यादा किस से फँसी हैं….”
” ना …मुझे बात सुनने से ज्यादा उसके गुलाबी गालों को देखने में ज्यादा मजा आ रहा था. वो ईति एकसाइटेड लग रही थी…
” अरे यार …अपने कजिन्स से किसी का चहेरा भाई है तो किसी का ममेरा, फुफेरा, मौसेरा….घर में किसी को शक भी नहीं होता मौका भी मिल जाता है… अचानक उस की कजारारी आँखों में एक नयी चमक उभरी. मैं समझ गया कोई शैतानी इस के दिमाग में आयी है. वो मेरे पास सट गयी और बोली…
” सुन ना…वो जो तेरी कजिन है ना..चलवा दू उस से तेरा चक्कर …अरे वही जिसका नाम ले के कल मम्मी और चंदा भाभी तुम्हे मस्त गालिया सुना रहे थीं…तो उन की बात सच करवा दो ना इस होली मैं…अरे यार इत्ती बुरी भी नहीं है…मस्त है…हाँ थोड़ा छोटा है …ढूढते रह जाओगे टाईप…लेकिन कुछ मेहनत करोगे तो उसका भी मस्त हो जाएगा…वैसे हम दोनों का भी फायदा है उसमें….” किसी चतुर सुजान की तरह वो बोली.
” क्या …” मुझसे बिना पूछे नहीं रहा गया….
” अरे यार कभी हम लोगों को एक साथ चिपटा चिपटी करते देख लेगी तो कहीं …गाएगी तो नहीं…अगर एक बार तुम से खुद करवा लेगी तो…वैसे बुरी नहीं है वो…” मुस्करा के वो बोली. मेरी समझ में नहीं आ रहा था की वो मजाक कर रही है या सीरियस है…मैंने बात मैंने बात चेंज करने की कोशिश की….
” ये तुम कर क्या रही हो…” और अब उलटे मुझे डाट पड़ गई…
‘ तुम ना ..देखो तुम्हारी बातों में आके मैं भी ना…कित्ता टाइम निकल गया…अब मुझे ही डांट पड़ेगी और समझ में भी नहीं आ रहा है…की….” वो मुझे हड़काते हुए बोली.” बताओ न….” मैंने पूछने की कोशिश की और अबकी थोड़ा कामयाब हो गया…
” अरे यार वो तुम्हारी भाभी ना…थोड़ी देर में यहाँ दंगल शुरू होगा…”
” ” दंगल मतलब…” मेरी समझ में नहीं आया …
” अरे यार …तुम बात तो पूरी नहीं करने देते और बीच में .. अरे यहाँ कुछ स्नैक्स वैक्स का इंतजाम करना था ..दूबे भाभी ने दही बड़े बनाए हैं..अभी उनकी ननद रितू लेके आ रही होगी..तो मीठे के लिए आज सुबह…चन्दा भाभी ने गुझिया गरम गरम बनायी है…वैसी ही जिसे खा के कल तूम झूम गए थे…लेकिन होली में गुझिया खाता कौन है खा कह के लोग थक जाते हैं और लोगों को शक भी रहता है की कहीं उसमें…और वैसे तो उनहोने ठंडाई भी बनायीं है लेकिन उसमें भी….”
” पड़ी है की नहीं उसमें…” मैं मुस्करा के पुछा…
” अरे एक दम चंदा भाभी बनाए….उन्होंने मुझे कहा है की अगर नहीं चढ़ी तो वो मेरी ऐसी की तैसी कर देंगी आज …लेकिन जल्दी कोई हाथ नहीं लगाएगा…ठंडाई में ”
“बात तो तेरी सही है यार …हूँ…हूँ…ऐसा करते हैं है सुन ..कल वो नाथा हलवाई के यहाँ से वो गुलाब जामुन लाये थे ना…” मैंने आइडिया दिया…
” अरे वो..डबल डोज वाली ना स्पेशल…हाँ आइडिया तो तुम्हारा ठीक है…किसी को पता भी नहीं चलेगा…
वो खुश होके बोली.
” हाँ एक बात और कितना टाइम है सब के आने में…” मैंने पूछा.
” बस दस पंद्रह मिनट.”
” अरे तो ठीक है दो .बोतल बियर .कल लाये थे ना.”
” हाँ…” उसकी आँखों में चमक आ गयी.
” बस पांच मिनट बाद उसे फ्रिज से निकाल के …मैं सील खोल दूंगा…और` बर्फ ड़ाल के ….” मैं बोला.
” सील खोलने का बहोत मन करता है तुम्हारा…अब तक कितने की खोल चुके हो…” खी खी करके वो हंसी…
” एक की तो आज खोलने वाला हूँ…” उस के गाल पे चिकोटी काट के मैं बोला.
” धत्त …और शर्मा के वो टेसू हो गयी. यही अदा उस की जान लेती थी कभी इतना शर्माती थी और`कभी इत्ती बोल्ड
वो प्लेट में गुलाब जामुन लगाने लगी…और मैं बीयर की बोतल ले आया…लेकिन मुझे एक आइडिया और आया…मैंने भाभी के कमरे में कुछ इम्पोर्टेड दारु देखी थी. मैं पीता नहीं था लेकिन अंदाज तो था ही….बैकार्डी जिसमें ८० % अल्कोहल थी, वोदका कैनेबिस …जिसमें ८०% अल्कोहल के साथ कनेबिस भी होती है और एक बाटल …स्त्रह ओरिजिनल औस्ट्रीया की रम जो काफी स्ट्रांग होती है. मुझे भी शरारत सूझी. मैंने दो बाटल लिम्का और स्प्राईट में …बैकार्डी और वोदका और पेप्सी और कोक में रम मिला दी और उसको इस तरह बंद कर दियाजैसे सील हों. ये बात मैंने गुड्डी को भी नहीं बतायी. ७-८ ग्लास लगा के मैंने उसमें बियर निकाल दी और गुड्डी को बोला की कोई पूछे तो बोल देना की इम्पोर्टेड कोल्ड ड्रिंक है मैं लाया हूँ.
वो प्लेटों में लाल, गुलाबी, नीला, रंग गुलाल अबीर रख रही थी.
” ये रंग तुम्हारे लिए नहीं है…” मुस्करा के वो बोली.
” मुझे मालूम है मेरे ऊपर तो तुम्हारा रंग चढ़ गया है अब…किसी रंग का कोई असल नहीं होने वाला है….” हंस के मैंने बोला.
” मारूंगी.’ वो बनावटी गुस्स्से में बोली और एक हाथ में प्लेट से गुलाबी रंग ले के ..मेरे गालों पे …
” अच्छा चलो डाल..आज रात को ना बताया तो…पूरी पिचकारी अन्दर`कर दूंगा….और`पूरा सफेद रंग…” मैं बोला.
” कर देना कौन डरता है…रात की रात को देखी जायेगी अभी तो मैं …” और दूसरे हाथ में प्लेट से लाल रंग ले के…सीधे मेरे बार्मुडा में …
‘ वहां ” रगड़ रगड़ के लगाती हुयी बोली…बहोत रात की बात कर के डरा रहे थे ना …इस पिचकारी को पिचका के रख दूंगी और एक एक बूँद सफेद रंग निचोड़ लुंगी…” अब उस पे होली का रंग चढ़ गया था.
जो रंग उसने मेरे गाल पे लगाया था वो मैंने उसके गाल पे लगा दिया अपने गाल से उसके गाल को रगड़ के…
थोड़ी देर में हम लोग उबरे जब अन्दर से चन्दा भाभी की आवाज आई…

” हे प्लेट वेट लगा दिया…और वो दूबे भाभी.रीत . आई की नहीं…”

” प्लेट वेट लगा दिया…दूबे भाभी थोड़ी देर में आएँगी…हाँ रीत बस आ रही होगी..” गुड्डी ने वहीँ से हंकार लगाई. ” हे येरीत …” मैंने पूछा.
” क्यों बिना देखे दिल मचलने लगा..बोला तो था ना की दूबे भाभी की ननद है..हमारे स्कूल में ही पढ़ती थी. इसी साल इन्टर किया है…लेकिन कम से कम तुम उस की सील नहीं तोड़ सकते..”
” मतलब …” मैंने ना समझने का नाटक किया.
गुड्डी ने तीन उंगलियाँ दिखायीं.
” तीन…एक साथ या बारी बारी से…” मुस्कराते हुए मैंने पूछा.
” आ रही होंगी …तुम खुद ही पूछ लेना. ” हंसते हुए वो बोली. फिर उस की गाथा चालू हो गई.
” वो गुंजा के बराबर ही थी…या शायद और…खुद दूबे भाभी और उस की दीदी ने….उस के जीजा के साथ…पहले तो उन लोगो ने उसे भांग पिला दी थी और फिर दूबे भाभी ने उस के हाथ पकड़ के ..ये कह के की जीजा का तो साल्ली पे हक़ होता है ..सब तुम्हारे जैसे सीधे जीजा तो होते नहीं…वो तो वैसे भी खुल्लम खुला अपने ननदोई के साथ…फिर एक उनका कोई कजिन था….और एक …” अतब तक सीढ़ी पे पद चाप
सुनाई पड़ी. वो चुप हो गयी लेकिन धीरे से बोली …एक दम हिरोइन लगती हैं..कालेज में सब कैटरीना कैफ कहते थे.
तब तक वो सामने आगई.
वास्तव में कैटरीना ही लग रही थी.
पीला खूब टाईट कुरता…सफेद शलवार …गले में दुपट्टा…उसके उभारों की छुपाने की नाकमयाब कोशिश करता…सुरु के पेड़ की तरह लम्बी , खूब गोरी… लम्बी लम्बी टाँगे…
मैं उसे देखता ही रह गया.
और वो भी…मुझे…
मेरे मुह से बेसाख्ता निकला…कैटरीना….
और उसके मुंह से…………….सलमान…
मैंने झुक के अपनी और देखा. गुंजा का टाप एक तो स्लीवलेस …बस किसी तरह मुझे कवर किये हुए था….मेरी सारी मसल्स साफ साफ दिख रही थीं…जिम टोंड ना भी हों तो उनसे कम नहीं…और उस का बार्मुदा मेरे शार्ट से भी छोटा था…इसलिए…जाँघों की मसल्स भी ..थोड़ी देर पहले ही गुड्डी से जिस तरह चिपका चिपकी हुयी थी.उससे सबसे इम्पार्टेंट ‘मसल’ भी साफ दिख रही थी.
मैंने कुछ झिझकते हुए कहा, ” वो मेरे कपडे…वो…कल…”
वो मुस्कराके बोली…” मुझे मालूम है मेरे पास है मेरे पास हैं घबडाइए नहीं…बिना फटे वटे मिल जायेंगे आपको..”
मुझे याद आया कल चन्दा भाभी ने बताया तो था की दूबे भाभी का लांड्री, रंगरेज, ब्लाक प्रिंटिंग का काम चलता है.
मेरी निगाहें उसके छलकते उरोजों पे टिकी थीं…और उसकी नीचे…
हम दोनों ने एक साथ एक दूसरे को देखा. दोनों की चोरी पकड़ी गयी.
हम दोनों एक साथ जोर से हंस दिए..गुड्डी ने बोला…” उफ्फ मैं आप दोनों का इंट्रो तो करवाया ही नहीं….ये हैं रीत ये …आनंद “..मैंने एक बार फिर उसे देखा ….

पीछे लग रहा था धुन बज रही है मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त …मैं चीज बड़ी हूँ मस्त….

मुझे मालूम है,…एक बार हम दोनों फिर एक साथ बोले…
” अरे आती हुयी बहार का…खुशबु का, खिलखिलाती कलियों का…गुनगुनाती धुप का इंट्रो थोड़ी देना पड़ता है…वो अपना अहसास खुद करा देती हैं…” मैं बोला….
” मुझे आप के बारे में सब मालूम है इसने इसकी मम्मी ने…सब बताया है लेकिन मैं सोच रही थी…की…” उस कली ने बोला.
” की हम आपके हैं कौन…” मुस्कराके मैं बोला.
” इकजैक्टली…” वो हंस के बोली.
” अरे मैं बताती हूँ ना..ये बिन्नो भाभी के देवर ..तो…” गुड्डी बोली.
” चुप मुझे जोड़ने दे…”
” बिन्नो …भाभी…यानी तुम्हारो मम्मी की ननद यानि चन्दा भाभी..मेरी भाभी सबकी ननद …और मैंने भी इस सबकी ननद तो फिर आप उनके देवर … तो आप …मेरे तो देवर हुए…” और कैटरीना ने मेरी ओर हाथ मिलाने के लिए हाथ बढाया..
” एक दम सही लेकिन सिर्फ दो बातें गलत…” मैं बोला और बजाय हाथ मिलाने के लिए हाथ बढाने मैं गले मिलनेके लिए बढ़ा.
वो खुद आगे बढ़ के मेरी बाहों में आ गय

मैंने कास के उसे भींच लिया. मेरे होंठ उस के कान के पास थे. उस के इयर लोबस को हलके से होंठों से सहलाते हुए मैंने उसके कान में फुसफुसाया….
” हे भाभी से मैं हाथ नहीं मिलाता गले मिलता हूँ….’
” मंजूर…” मुस्कराते हुए वो बोली. ” और दूसरी बात ..भाभी मुझे आप नहीं तुम बोलती हैं…” मैं बोला.
” लेकिन मैं तो आप..मेरा मतलब …तुम से छोटी हूँ …” वो कुनमुनाई.
उसके उरोज अब मेरे सीने के नीचे दब रहे थे….मैंने और क़स के उसे भींचा. उसने छुड़ाने की कोई कोशिश नहीं की बल्की और उभार के अपने उरोज मेरे सीने में दबा दिए.
” तो चलो हम दोनों एक दूसरे को तुम कहेंगे…ठीक…” मैंने सुझाया.
” ठीक…” वो कुनमुनाई.
मैंने थोड़ी और हिम्मत की. मैं एक हाथ को हम दोनों के बीच उसके, दबे हुए उरोज पे ले गया और बोला…फागुन में तो भाभी से ऐसे गले मिलते हैं…”
मेरे दोनों पैर उसकी लम्बी टांगों के बीच में थे. मैंने उन्हें थोडा फैला दिया…और अपने ‘उसको’ ( वो भी अब टनटना गया था) सीधे उसके सेंटर पे लगा के हलके से दबा दिया. मेरा बदमाश लालची हाथ भी…हलके से दबाने लगा था…उसके उरोज…”
वो मुस्कराके बहोत धीमे से मेरे कान में बोली…” अच्छा जी मैं भी तुम्हारी भाभी हूँ कोई मजाक नहीं…” और बारमुडा के ऊपर से ‘उसे’ दबा दिया….
वो और तन्ना गया.
” हे भाभी डरती हो क्या…काटेगा नहीं..ऊपर से क्यों …फागुन है…तुम मेरी भाभी बनी हो तो…’ मैंने उसे और चढाया.
‘ चला तू भी क्या याद करेगा..”और उसका हाथ बारमुडा के अन्दर…हलके से उसने ‘उसे’ छुआ.
हम दोनों ऐसे चिपके थे की बगल से भी नहीं दिखा सकता था की हमारे हाथ क्या कर रहे हैं.
रीत दहीबड़े की प्लेट लायी थी और साथ में बैग में कुछ…गुड्डी उसे ही देख रही थी और बीच बीच में…हम लोगों को>
रीत ने उसे हम लोगों को देखते हुए पकड़ लिया..और मुझसे बोली…
” हे ज़रा सून्घों कहीं…कहीं….कुछ जलने की, सुलगने की महक आ रही है….”

मैंने अबकी गुड्डी को दिखाते हुए रीत के उभार हलके से दबा दिए और बोला…” शायद …थोडा थोडा आ रही है…”
गुड्डी भी…वो समझ रही थी…हम लोग क्या कह रहे हैं…वो बोली…’ लगे रहो लगे रहो…” और रित की ओर मुंह करके बोली…” हे जो सुलगने वाली चीज होती है ना मैंने पहले ही
साफ सुफ कर दी है.”तीनों हंस दिए.
” फेविकोल का जोड़ है इत्ती आसानी से नहीं छुटेगा…” रीत बोली.

फेविकोल का जोड़ है इत्ती आसानी से नहीं छुटेगा…” रीत बोली.

” अचछा नए नए देवर जी ..अपनी भाभी को सिर्फ पकड़ा पकड़ी ही करियेगा या कुछ खिलाइए..पिलाइएगा भी…” मैं गुड्डी का मतलब समझ गया. एक बार वो जो ड्रिंक्स मैंने बनाए थे और नत्था का गुलाब जामुन डबल डोज वाला…
लेकिन वो चिड़िया इतनी आसानी से चारा घोंटने वाली नहीं थी.
हम दोनों अलग हो गए. वो मुझसे पूछने लगी…
” हे आप मेरा मतलब…तुम…आप ..अभी…” उसने मुझसे बात की शूरआत की.

“तुम बोलो ना आप कहा तो….वैसे मैं अभी ट्रेनिंग…” मैं उसका सवाल समझ गया था.
” ना ना वो तो मुझे मालूम है…ये चुहिया हम सब को आप के बारे में बताती रहती है…” गुड्डी की ओर इशारा करके वो बोली. गुड्डी झेंप गयी जैसे उसकी चोरी पकड़ी गयी हो.
रीत ने फिर कहा ” नहीं मेरा मतलब था की तुम्हारी ट्रेनिंग कब तक चलेगी…”
” अभी साल डेढ़ साल और …इस चुहिया ने मुझे आप मेरा मतलब है तुम्हारे बारे में ये…” मैं बोला.
गुड्डी जोर से चिल्लाई …” हे ये मेरी दीदी हैं …चुहिया कहें या चाहे जो लेकिन आप …’
” ओके,,,बाबा…मैं अपनी बात वापस लेता हूँ…मैं बोला और फिर कहा और फिर कहा,
” मेरी गुड्डी ने ये बोला था की …आप मेरा मतलब तुम ने अभी…इंटर कोर्स किया है…”.
” इन्टर कोर्स….नहीं इंटर का कोर्स….” मुंह बना के रीत बोली.
गुड्डी मुस्करा रही थी.
” तो क्या तुमने अभी तक इन्टरकोर्स नहीं किया…चचच्च….'” मैं बड़े सीरियस अंदाज में बोला.
” कैसे करती…तुम तो अभी तक मिले नहीं थे…” वो भी उसी तरह मुंह बना के बोली.

मैं समझ गया की ये चीज बड़ी है मस्त मस्त

‘ आगे का क्या प्रोग्राम है…’ मैंने मुस्कराते हुए पुछा.
” अब तुम्हारे ऐसा देवर मिल गया है …तो हो जाएगा…” खिलखिलाते हुए वो बोली.
” तुम लोग ना …सिंगल ट्रैक माइंड….बिचारे बदनाम लडके होते हैं…अरे मेरा मतलब था की पढाई का लेकिन तुम्हारे दिमाग में तो…” चिढाते हुए मैंने कहा.
कुछ खीझ से कुछ मजे ले के मेरा कान पकड़ के वो बोली…
” फिलहाल तो आगे का प्रोग्राम तुम्हारी पिटाई करने का है….”
“:एक दम एक दम…मैं भी साथ दूंगी…कहो तो डंडा वंडा ले आऊं…” गुड्डी भी उस का साथ देते बोली.
बिना मेरा कान छोड़े वो बोली. ” अरे यार आगे का प्रोग्राम ग्रेजुएशन करने का है और क्या…”
” वही…पूछ रहा हूँ …किस साइड से करोगी…आर्ट साइंस…या…” मैंने पुछा..

.” बी. काम. बैचलर आफ कामर्स …” वो मुस्करा के बोली. मेरा कान अब फ्री हो गया था.
” ओके…तो आप काम रस में ग्रजुएशन करेंगी…सही है…सही है,,,” ऊपर से नीचे तक मैंने उसे देखा. उसके टाईट कुरते में कैद जोबन पे मेरी निगाह टिक गयीं. ” सही है…सर से पैर तक तो तुम…काम रस में डूबी हो….हे मुझे भी कुछ पढ़ा देना …काम रस…आम रस …मैं तो रसिया हूँ…रस का…” मेरी निगाहें उसके उरोजों से चिपकी थीं.

वो समझ रही थी की मैं किस आम रस की बात कर रहा हूँ…वो भी उसी अंदाज में बोली.
” अरे आम रस चाहिए तो पेड़ पे चढ़ना पड़ता है…आम पकड़ना पड़ता है….”
” अरे मैं तो चढ़ने के लिए भी तैयार हूँ और ….पकड़ने के लिए भी बस एक बार खाली मुंह लगाने का मौका मिल जाए…” मैंने कहा.
एक जबरदस्तअंगड़ाई ली कैटरीना यानी रितू ने….दोनों कबूतर लगता था छलक के बाहर आ जायेंगे..
” इंतज़ार…उम्मीद पे दुनिया कायम है क्या पता…मिल हीं जाय कभी..” वो जालिम इस अदा से बोली की मेरी जान ही निकल गयी.

” हे अपनी भाभी का बात से ही पेट भरोगे…” गुड्डी ने फिर मुझे इशारा किया.
” नहीं मैं खिलाऊँगी इन्हें…सुबह से इत्ती मेहनत से दहीबड़े बनाये हैं.”..रीत बोली और दहीबड़े की प्लेट के पास जा के खड़ी होगयी.
” नहीं..ईई …” मैं जोर से चिल्ल्लाया. ” सुबह गूंजा और इसने मेहनत से कर के अभी तक मेरे मुंह में….”
गुड्डी बड़ी जोर से हंसी. उसकी हंसी रुक ही नहीं रही थी.

” अरे मुझे भी तो बता ….”रीत बोली.
हंसते …रुकते..किसी तरह गुड्डी ने उसे सुबह की ब्रेड रोल की …किस तरह उस ने और गुंजा ने मिल के मेरी ऐसी की तैसी की….अब के रीत हंसने की बारी थी.
“बनारस में बहोत सावधान रहने की जरूरत है..” मैं बोला.
” एकदम बनारसी ठग मशहूर होते हैं…”रीत बोली.
” पर यहां तो ठगनिया हैं…वो भी तीन तीन…कैसे कोई बचे…” मैं बोला…
” हे बचाना चाहते हो क्या…” आँख नचा के वो जालिम अदा से बोली.
” ना…” मैंने कबूल किया.
” बच के रहना कहें दिल विल…कोई…” वो बोली.
मैं जा के गुड्डी के पास खडा हो गया था. मैंने हाथ उसके कन्धे पे रख के कहा…
” अब बसी यही गनीमत है ..अब उसका दर नहीं है…ना कोई ठग सकता है ना कोई चुरा सकता है….” मैंने भी बड़े अंदाज से गुड्डी की आँखों में झांकते कहा.
उस सारंग नयनी ने जैसे एक पल के लिए अपन बड़ी कजरारी आँखे झुका के गुनाह कबूल कर लिया लेकिन रीत ने फिर पूछा..
.” क्यों क्या हुआ..दिल का..”
” अरे वो पहले ही चोरी हो गया …” और अब मेरा हाथ खुल के गुड्डी के उभारों पे था…
रीत कुछ कुछ बात समझ रही थी लेकिन उसने छेड़ा…चोर को सजा क्या मिलेगी…
” अभी मुकदमा चल रहा है लेकिन आजीवन कारावास पक्का….” मैं मुस्करा के गुड्डी को देखते बोला. ” बस दर यही की मिर्चे वाली ब्रेड रोल…” मेरी बात काट के रीत बोली..
” अरे यार ..ससुराल में…ये तो तुम्हारी सीधी साल्लिया थी…ये गनीमत मनाओ की मैं इन दोनों के साथ नहीं थी….लेकिन दही बड़े के साथ डरने की कोई बात नहीं है…लो मैं खा के दिखाती हूँ..” और उसने एक छोटी सी बाईट ले कर अपनी लम्बी गोरी अँगुलियों से मेरे होंठों के पास लगाया.
मेरे मुंह की क्या बिसात मना करता. मैं खा गया.
” नदीदे …” गुड्डी बोली.
: ” अरे यार ..ऐसी सेक्सी भाभी….फागुन में कुछ दे जहर भी दे ना तो कबूल. मैं मुस्करा के बोला.
” अरे ऐसे देवर पे तो मैं बारी जाऊ ..ये कह के ने रीत अपने हाथ में लगा दही बड़े का दही मेरे गाल पे लगा दिया. और थोड़ा औ प्लेट से ले के…और
( दही बड़े में मिर्च नहीं थी…लेकिन वो सबसे खतरनाक था..दूबे भाभी के दहीबड़े मशहूर थे…वहां…उनमे टेबल पे जीतनी चीजें थी…उनमे से किसी से भी ज्यादा भांग पड़ी थी. गुड्डी को ये बात मालुम थी लेकिन उस दुष्ट ने मुझे बताया नहीं) नदीदे …” गुड्डी बोली.
: ” अरे यार ..ऐसी सेक्सी भाभी….फागुन में कुछ दे जहर भी दे ना तो कबूल. मैं मुस्करा के बोला.

” अरे ऐसे देवर पे तो मैं बारी जाऊ ..ये कह के रीत ने अपने हाथ में लगा दही बड़े का दही मेरे गाल पे लगा दिया. और थोड़ा औ प्लेट से ले के…और
( दही बड़े में मिर्च नहीं थी…लेकिन वो सबसे खतरनाक था..दूबे भाभी के दहीबड़े मशहूर थे…वहां…उनमे टेबल पे जीतनी चीजें थी…उनमे से किसी से भी ज्यादा भांग पड़ी थी. गुड्डी को ये बात मालुम थी लेकिन उस दुष्ट ने मुझे बताया नहीं)
गुड्डी बस खड़ी खी खी कर रही थी…

मैंने रितू को गुलाब जामुन खिलाने की कोशिश की तो उसने मुह बनाया…लेकिन मैंने समझाया…दिल्ली से लाया हूँ…तो वो मानी. एक बार में पूरा ही ले लिया लेकिन साथ में मेरी उंगलियाँ भी काट लीं. और जब तक मैं सम्हलता …मेरा हाथ मोड़ के शीरा मेरा हाथ का मेरे ही गाल पे लगा दिया.
” चाट के साफ करना पडेगा…” मैंने उसे चैलेन्ज दिया.
” एकदम..हर जगह चाट लुंगी…घबड़ाओ मत….” हंस के वो बोली.रीत की निगाहें टेबल पे कुछ पीने के लिए ढूंढ रही थी
” ठंडाई” मैंने आफर की …
” ना बाबा ना..चन्दा भाभी की बनायी…एक मिनट में आउट हो जाउंगी…” फिर उस की निगाह बियर के ग्लास पे पड़ी

.” बियर …पीते हो क्या..”
” कभी कभी ..अगर तुम्हारा जैसे कोई साथ देने वाला मिल जाय…” मैंने मुस्करा के कबूल किया.
” थोड़ी देर में …लेकिन सबको पिलाना तब मजा आएगा..ख़ास तौर से इसे…” मुड़ के उसने गुड्डी की और देखा.
” एक दम…लेकिन अभी..”

रीत का ध्यान कहीं और मुड़ गया था..”.हे म्यूजिक का इंतजाम है कुछ क्या..
” है तो नहीं..पर चंदा भाभी के कमरे में मैंने स्पीकर और प्लेयर देखा था…लगा सकते हैं…तुम्हे अच्छा लगता है …” मैंने पूछा…
” बहोत…” वो मुस्करा के बोली…” चल उसी से कुछ कर लेंगे …”
” और डांस…” मैंने कुछ और बात आगे बढाई
” एकदम …” उसका चेहरा खिल गया…” और ख़ास तौर से जब तुम्हारे जैसा साथ में हो…वैसे अपने कालेज में मैं डांसिंग क्वीन थी..तब तक मैंने उसका ध्यान टेबल पे रखे कोल्ड ड्रिंक्स की और खींचा.
” हे स्प्राईट चलेगा….”
गुड्डी रीत जो बैग साथ लायी थी उसे खोल के देख रही थी और मुझे देख के मुस्करा रही थी.
रीत ने गौर से बाटल की सील को देखा…वो बंद थी.
” चलेगा..” मुस्करा के रीत बोली. मैंने एक ग्लास में बर्फ के दो क्यूब डाले और स्प्राईट ढालना शुरू कर दिया..
” हे मैं चलूँ…ये बैग अन्दर दे के आती हूँ…कुछ काम वाम भी होगा…बस पांच मिनट में…” गुड्डी बैग ले के अन्दर जाते हुए बोली.

” अरे कोई जल्दी नहीं है तुम दस मिनट के बाद आना…” रीत हंसते हुए बोली.
उसे कोल्ड ड्रिंक देते हुए मैंने कहा …” स्प्राईट बुझाए प्यास…बाकी सब बकवास…”
” एक दम …चिल्ड ग्लास उसने अपने गोरे गालों पे सहलाते हुए दरवाजे की और देखा…गुड्डी ने अन्दर घुसते हुए दरवाजा बंद कर इया था और टेरेस पे हम दोनों अकेले थे.” लेकिन मेरी प्यास तो कोई और बुझा सकता है…” अब वो मेरे सीने सेसट गयी थी.
” एक दम …तुम जब कहोगी तब…और मना करोगी तब भी…भाभी पे देवर का ये हक़ तो होता ही है…” मैं बोला. मेरे हाथ उसके उरोज पे अब निधड़क पहुँच गए थे.
रीत ने एक सिप ली और होंठो में आइस क्यूब को ले के गोल गोल घुमाने लगी. वो कोमल रसीले गुलाबी लिपस्टिक लगे..प्यारे प्यारे होंठ…

चेहरा उठा के उसने क्यूब मुझे आफर की.
हामरे होंठ चिपक गए अब क्यूब मेरे मुंह के अन्दर थी. मैं सुए हलके हलके रोल कर रहा था. मैंने अपने हाथ से ग्लास अब उसके होंठो पे लगा के थोड़ा ज्यादा ही…अबकी उसे बड़ी सिप लेनी पड़ी…
” हे ये कुछ अलग सा….” वो मुंह बना के बोली…
” अरे इम्पोर्टेड है…” मैंने समझाया…
” सही कहते हो ..चन्दा भाभी के यहाँ सब कुछ इम्पोर्टेड होता है….” वो मुस्करा के बोली और एक सिप ले लिया.
मेरी बात इत्ती तो सही थी की उसमें पडा वोदका कैनिबिस इम्पोर्टेड था…और आधे से ज्यादा तो वही था.
” हे तुम भी तो लो…”
और एक सिप मैंने भी ली लेकिन छोटी सी…हाँ जहाँ उसने होंठ लगाए थे …उसे दिखा के मैंने भी वही होंठ लगाए. ग्लास पे उसकी लिपस्टिक के निशान भी थे.
उसे मैंने चूम लिया.
तुम ना….वो अब मेरे सीने से और चिपक गयी…और मैंने अपने मुंह का आइस क्यूब सीधे उसके होंठों पे रख दिया..और थोड़ी देर में क्यूब अन्दर था उसके मुंह में और हमारे होंठ चिपके थे हलके हलके किस करते…मेरा हाथ अब खुल के उसके उरोजों को मसल रहा था…
थोड़ी देर में मैं पूरी ग्लास…मैंने पिला दी.
कुछ मैंने भी पी…लेकिन रीत के अन्दर जो गयी…वो दो तीन पेग वोदका कैनेबिस के बराबर थी.
मेरा एक हाथ उसके नितम्बों पे था और दूसरा उरोज पे. तभी आइस क्यूब ..मेरे मुंह से उसके मुंह में जाते…अब वो छोटा भी हो गया था…उसके होंठों से फिसल के…खुले गले वाले कुरते के अन्दर ..
“हे हे ..प्लीज निकालो इसे…” वो बोली.
मेरे हाथ तुरंत उसके कुरते के अन्दर….अब तक उभारों का रस ऊपर से मैं ले रहा था पर अब सीधे…मैंने बर्फ के टुकड़े को शुक्रिया….सीधे लेसी ब्रा के अन्दर…उपफ जैसे बादल के दो टुकडे उसने अपनी ब्रा में कैद कर रखे हों…मेरा तो मन कर रहा था की बस दबा दूं मसल दूं रगड़ दूं लेकिन….मैंने पहले बस ज़रा सा हलके से सहलाया…

वो सिहर के काँप गयी.
फिर दबा दिया…क्या जोबन था…क्या जवानी के फूल खिले थे…बर्फ का टुकड़ा तो पकड़ में आ गया था लेकिन..मैंने उसे हथेली में दबा के …उसके उभारों पे फेरा…
वो सिसक रही थी.
मैंने दो उँगलियों के बिच बर्फ के टुकडे को दबा के उसके निपल पे….पल भर में वो कड़े हो गए थे. एक दम खड़े…फिर दूसरे निपल पे …
वो अपनी जांघे सिकोड़ रही थी..भींच रही थी…उसकी आँखे बंद हो रही थीं…
” हे निकाल लो ना प्लीज ..अभी नहीं…बाद में…प्लीज…अभी म्यूजिक सिस्टम भी तो चेक करना है….हे छोड़ो ना..”
मैंने हाथ बाहर निकाल लिया लेकिन एक बार कस के दबा दिया…वो मारे जोश के पत्थर हो रहे थे. अन्दर चलने के पहले मैंने एक बार फिर से खुल के उसके रसीले होंठो पे किस किया और एक ग्लास कोल्ड ड्रिंक ले लिया.

म्यूजिक सिस्टम की एक्सपर्ट थी वो. झट से उसने सेट कर दिया…
” कोई सी डी होती तो वो बोली ..लगा के चेक कर लेते…”
” सही कह रही हो…देखता हूँ…” मैं बोला.
कल रात मैंने देखा …..मैंने बोला
तभी मिल गयीं वहीँ मेज के नीचे….और एक मैंने उसे दे दिया…
झुक के वो लगा रही थी लेकिन मेरी निगाहें उसके नितम्बों से चिपकी थीं…गोल मटोल परफेक्ट ..लगता था उसकी पजामी को फाड के निकल जायेंगी…और उसके बीच की दरार…एक दम कसी कसी…बस मन कर रहा था ठोंक दूं ….उसी दरार में दाल दूं साली के….क्या मस्त गांड थी…
तब तक वो उठ के खड़ी हो गयी.
उस की आँखों ने नशा झलक रहा था.
झुक के उसने ग्लास उठाया और होंठों से खुद लगा के एक बड़ी सी सिप ले ली.
क्या जोबन ..रसीले.बस मन कर रहा था की दबा दूं चूस लूं..और तब तक म्यूजिक चालू हो गया….

क्या जोबन ..रसीले.बस मन कर रहा था की दबा दूं चूस लूं..और तब तक म्यूजिक चालू हो गया…. अनारकली डिस्को चली….
अरे छोड़ छाड के अपने सलीम की गली ..
अरे होए होए …. छोड़ छाड के अपने सलीम की गली

साथ साथ रीत भी थिरकने लगी..मैं खड़ा देख रहा था …
वात्सव में वो मस्त नाचती थी…क्या थिरकन ..रिदम…और जिस तरह अपने जोबन को उभारती थी….जोबन थे भी तो उसके मस्त गदराये….दुपट्टा उसने उतार के टेबल पे रख दिया था.
उसने मेरा हाथ पकड़ के खिंच लिया…बोली..
.ये दूर दूर से क्या देख रहे हो आओ ना…और साथ में टेबल से फिर वोदका मिली स्प्राईट का एक बड़ा सिप ले लिया.
साथ मैं भी थिरकने लगा.
मुझे पता भी नहीं चला कब मेरा हाथ उसके हिप्स पे पहुंचा. पहले तो हलके हलक…फिर कस के मैं उसके नितम्बों को सहला रहा था रगड़ रहा था…वो भी अपने कुल्हे मटका रही थी …कमर घुमा रही थी …कभी हम दोनों पास आ जाते कभी दूर हो जाते …उसने भी मुझे पकड़ लिया था और ललचाते हुए..अपने रसीले जोबन कभी मेरे सीने पे रगड़ देती और कभी दूर हटा लेती…
मुझसे नहीं रहा गया..मैंने उसे पास खीँच के अपना हाथ उसकी पाजामी में डाल दिया ..कुछ देर तक वो लेसी पैंटी के ऊपर और फिर सीधे उसके चूतड पे…
मेरे एक हाथ ने उसे जकड रहा था ..दूसरा उसके नितम्बों के ऊपर…सहला रहा था मसल रहा था…उसे पकड़ के ऊपर उठा रहा था,
उसे ने कुछ ना नुकुर की लेकिन मेरे होंठो ने उन्हें कस के जकड लिया और थोड़ी देर में ही मेरी जीभ उसके रसीले मुंह के अन्दर थी…
मेरे होंठ कस के उसके रसीले होंठ चूस रहे थे…फिर सिर्फ उसके मोटे मोटे रसीले निचले होंठ को मैंने अपने होंठ में जकड लिया..और हलके से काट लिया….
वो कुनुम्नाई उसे दर्द भी हुआ….लेकिन मैं भी तो अपने आपे में नहीं था…
मुझे लगा की मैं हवा में उड़ रहा हूँ…कभी लगता की बस जो कर रहा हूँ …वाही करता रहूँ …इस कैटरीना के होंठ चूसता रहूँ…
वो भी साथ दे रही थी.
उसके होंठ भी मेरे होंठ चूस रहे थे…उसकी जीभ मेरी जीभ से लड़ रही थी..और सबसे बढ़ कर …वो अपना सेंटर…योनी स्थल ..काम केंद्र…मेरे तनय हुए जंग बहादुर से खुल के रगडा रही थी…
चंदा भाभी ने मुझे रात को जो ट्रेनिग दी थी..बस मैंने उसका इस्तेमाल शुरू कर दिया…मल्टिपल अटैक …एक साथ मेरे होंठ उसके होंठ चूस रहे थे…मेरा एक हाथ उसका जोबन मसल रहा था तो दूसरा उसके नितम्बों को रगड़ रहा था…मेरे मोटा खूंटा सीधे उसके सेंटर पे…
वो पिघल रही थी ..सिसक रही थी…

म्यूजिक सिस्टम पे ममता शर्मा गा रही थीं..
मुझको हिप हाप सिखा दे..
बीट को टाप करा दे…
थोड़ा सा ट्रांस बजा दे…
मुझको भी चांस दिला दे..

और हम लोगों का डांस अब ग्राइंडिंग डांस में बदल गया था. बस हम लोग एक दूसरे को पकड़ के सीधे सेंटर पे सेंटर रगड़ रहे थे दोनों की आँखे बंद थी…मैं ने बीच में एक दो सिप और उसको लगवा दी…वो ना ना करती लेकिन मैं ग्लास उसके होंठो से लगा के अन्दर ..

हम लोग खुल के ड्राय हम्पिंग कर रहे थे..
वो दीवाल की और मुड़ी और दीवाल का सहारा लेके .मेरे तन्नाये हथियार पे सीधे अपने भरे भरे निपम्ब उसकी दरार…मैं पागल हो रहा था मेरे हाथ बस उसकी कमर को सहारा दे रहे थे…और मेरी कमर भी म्यूजिक की धुन पे …गोल गोल…एक दम उसके नितम्बों को रगड़ती हुयी..
फिर वो एक पल के लिए मुड़ी …उसने मुझे एक फ्लाइंग किस दिया..और जब तक मैं सम्हालता मेरे सर को पकड़ के एक कस के किस्सी मेरे होंठी की ले ली और फिर मुड के दीवाल के सहारे…अब वो अपने उभार दीवाल पे रगड़ रही थी..जोर जोर से चूतड मटका रही थी…फिर वो बगल में पड़े पलंग पे पे झुक गयी…
म्यूजिक के साथ उसके नितम्ब और उभार दोनों मटक रहे थे…जैसे वो डागी पोज में हो

ये वही पलंग पे था जहां कल रात मैंने चन्दा भाभी को तीन बार

मैंने झुक के उसके उभार पकड़ लिए हलके से और गाने के साथ हाथ फिराने लगा…साथ में मेरा खूंटा अब पाजामी के ऊपर से ही…
वो झुकी थी और गाना बज रहा था…
होगी मशहूर अब तो
तेरी मेरी लव स्टोरी.
तेरी ब्यूटी ने मुझको
मारा डाला छोरी….( और मैंने झुक के उसके गाल की एक कस के बाईट ले ली )
थोड़ा सा दे अटेनशन,
मिटा दे मेरी टेंशन ..( मैं अब कस कस के उसकी चूंची मसल रहा था…)
आज तेरा बदन है…
तेरी टच में जलन है..
तू कोई आइटम बाम्ब है
मेरा दिल भी गरम है

और वो फिसल के मेरी बांहों से निकल गयी. और वैसे ही मुड के पलंग पे अब पीठ के बल हो गयी. अभी भी वो धुन के साथ अपने उभार उछाल रही थी…कुल्हे मटका रही थी…मुस्करा रही थी. उसकी आँखों में एक दावत थी एक चैलेंज था…मैंने मुस्करा के उसके उभारों को टाईट कुरते के ऊपर से ही कस के चूम लिया..मेरी दोनों टाँगे उसकी पलंग से लटक रही टांगों के बीच में थीं …मेरा एक हाथ उसका कुरता ऊपर सरका रहा था और दूसरा पाजामी के नाड़े पे…
गाना बज रहा था..
वो लेटे लेटे डांस कर रही थी और मैं भी…

तू कोई आइटम बाम्ब है
मेरा दिल भी गरम है
ठंडा ठंडा कूल कर दे…
ब्यूटी फूल भूल कर दे

और मैंने एक झटके में पाजामी का नाडा खींच के नीचे कर दिया..
उसने अपनी टाँगे भींचने की कोशिश की पर मैंने अपने टाँगे पहले ही बीच में फंसा रखी थीं…मैंने उसे और पहिला दिया उअर पजामी एक झटके में कुल्हे के नीचे कर दिया..
क्या मस्त लेसी गुलाबी पैंटी थी…पैंटी क्या बस थांग थी एक दम चिपकी हुयी एक खूब पतली पट्टी सी..
मेरा हाथ सीधे उसके अन्दर …और उसकी परी के उपर …एकदम चिकनी मक्खन …मैंने हलके हलके सहलाना शूरू कर दिया..
और दूसरा हाथ कुरते को उठा के ऊपर कर चुका था…गुलाबी लेसी ब्रा में छुपे गोरे गोरे गोरे कबूतरों की झलक मिल रही थी…लेकिन जिसने मुझे पागल कर दिया वो तह उन कबूतरों के चोंच ..गुलाबी कड़े..मटर के दाने ऐसे..
कल रात भाभी ने सिखाया था…अगर एक बार परी हाथ में आ के पिघल गयी तो समझो लड़की हाथ में आ गयी.

मेरे हथेली अब रीत की परी को…प्यार से हलके हलके सहला रही थी…मसल रही..
वो अब चूतड पटक रही थी …गाने की धुन पे नहीं मेरे हाथ की धुन पे…गाना तो बंद हो चुका था..
मेरे अंगूठे ने बस हलके से उसके क्लिट को छुआ…वो थोड़ा छिपा थोडा खुला लेकिन स्पर्श पाते ही कडा होने लगा…दूसरा गाना चालू हो गया था…
शीला की जवानी माई नेम इस शीला …शीला…शीला की जवानी

मुझे बस लग रहा था की मेरे नीचे कैट ही है…

मेरे होंठों ने ब्रा के ऊपर से ही झांकते चोंच को पकड़ लिया और चुभलाने लगे…
मेरा अंगूठा और तरजनी थांग को सरका के अब उसकी खुली परी को हलके हलके मसल रहे थे….
अब मुझसे नहीं रहा गया…मैंने के झटके में उसकी पजामी घुटने के नीचे खींच दी और उसकी लम्बी लम्बी गोरी टाँगे मेरे कंधे पे…मेरा जंग बहादुर भी बस उसकी जांघो पे ठोकर मार रहा था वो खूब गीली हो रही थी..अब मुझसे नहीं रहा गया मैंने एक उंगली की टिप अन्दर घुसाने की कोशिश की…लेकिन…एकदम कसी…
मेरा दूसरा हाथ अब खुल के जोबन मर्दन कर रहा था…
मैं चौंक गया…गुड्डी ने तो कहा था की इसका तीन तीन के साथ और …कल जो चंदा भाभी ने ट्रेनिग दी थी…और जितना मैंने पढ़ा था…देखा था..
मैंने दुबारा कोशिश की…ज्यादा से ज्यादा उंगली या कभी कैंडल…गयी …होगी…और अबकी मेरी टिप घुस ही गयी..
वो अपने नितम्ब रगड़ रही थी सिसक रही थी…मुझे कस के अपने बांहों में भींचे थी…उसके लम्बे नाखून मेरी पीठ में गड़े हुए थे…

ड्राइव् मी क्रेजी..माई नेम इज शीला..
नो बड़ी हैज गाट बाड़ी लाइक मी….
एक दम मैंने अपनी कैट के ..सेक्सी रीतू के कान में कहा और कस के चूम लिया..
मेरे हाथों ने अब उसके उभारों को ब्रा से आजाद कर दिया था…

तभी आवाज आई …”कहाँ हो…आप लोग..”
गुड्डी बुला रही थी.

ड्राइव् मी क्रेजी..माई नेम इज शीला..
नो बड़ी हैज गाट बाड़ी लाइक मी…. एक दम मैंने अपनी कैट के ..सेक्सी रीत के कान में कहा और कस के चूम लिया..
मेरे हाथों ने अब उसके उभारों को ब्रा से आजाद कर दिया था…
तभी आवाज आई …”कहाँ हो…आप लोग..”
गुड्डी बुला रही थी.
मैंने तुरंत उसकी थांग सरका दी. रीत ने झट से उठ के अपनी पजामी बांध ली. मैंने ब्रा ठीक कर के वापस कुरता नीचे कर दिया.
हम दोनों उठ गए. उस के चेहरे पे कुछ खीझ, कुछ फ्रस्ट्रेशन…कुछ मजा झलक रहा था.
मुझे लगा कहीं वो गुस्सा तो नहीं..
निकलने के पहले उसके कंधे पे छु के मैं मुस्करा के बोला…
” हे …एक बार जाने के पहले…हाँ तो बोल दे …”
” ना…” वो जैसे गुस्से में बोली.
“और …फिर मेरी और मुड के मुझे कस के पकड़ के बोली …” न..एक बार नहीं…सौ बार…हाँ सिर्फ एक बार हाँ क्यों बोलूंगी…हाँ हाँ हाँ ..जब तुम चाहो..और हाँ मैं कहीं जा नहीं रही हूँ..” जब तक मैं समझता मेरे होंठों पे कस के किस लेके अपने रसीले नितम्ब मटकाते वो बाहर निकल पड़ी.
पीछे पीछे मैं….
बाहर निकलते ही गुड्डी ने पूछा…तुम लोग कर क्या रहे थे…मैंने तीन बार आवाज दी.
” अरे यार म्यूजिक सिस्टम ठीक कर रहे थे…फिर सीडी मिल गयी तो लगा के चेक कररहे थे ….तुम्ही ने तो कहा था की गाने वाने का…गाने की आवाज में ..कैसे सुनाई देता…” रीत ने ही बात सम्हाली.
” हाँ गाने की आवाज तो आ रही थी…सलीम की गली वाला…एक दम लेटेस्ट हिट..तो बाहर छत पे लगाओ न.” गुड्डी बोली.
और उन दोनों ने मिल के ५ मिनट में म्यूजिक सिस्टम बाहर सेट कर दिया.
मैं सारे सी डी का कलेक्शन ले आया.
लेकिन गुड्डी फिर पीछे पड़ गयी…
” हे तुम लोग बातें क्या कर रहे थे…”
रीत ने मुस्करा के मेरी और शरारत से देखा और फिर कस के गुड्डी की पीठ पे कस के एक धौल जमाते हुए बोली..
” अरे यार ..तेरा ये …” वो” …ना इत्ता सीधा नहीं है जीत्ता तुम कहती है वो.”
मेरा दिल धक् धक् …होने लगा कहीं ये ..
लेकिन गुड्डी ही बोली…
‘ ये मेरे…’वो’…थोड़े ही..”
लेकिन उसकी बात काट के रीत बोली…” चल दिल पे हाथ रख के कह दो,…ये तेरे …”वो” नहीं है…
गुड्डी पहले तो शरमाई फिर पैंतरा बदल के बोली…” आप भी ना.. बताइये न…”
” मैं इसको बता रहा था की देवर का मतलब क्या होता है…देवर को देवर क्यों कहते हैं…आखिर मेरी भाभी है, तो ये तो बताना पड़ेगा…”मैंने बात बदली.
” क्यों कया बताया…” अब वो रीत से पूछ रही थी.
” जाने दो तुम अभी बच्ची हो,,,,छोटी हो…” रीत उसे चिढाने में लगी थी. ” चलो अच्छा बता दो..” तिरछी मुस्कान से उसने मुझे इशारा किया.
” ना तुम बुरा मन जाओगी…” मैं ने गुड्डी से कहा.
गुड्डी मेरे सीने पे मुक्के से मार रही थी…” नहीं बताओगे…तो बहोत घाटा होगा…”
” अच्छा बाबा मुझे मरना नहीं है..मैं अपनी रीत को बता रहा था की देवर को देवर क्यों कहते है…” मैं मुसकरा के बोला.
” वो तो मैंने सुन लिया…बोलो ना क्यों कहते है…” गुड्डी बहोत जोर दे रही थी.
” ना न…बड़ी ऐसी वैसी बात है…तुम बुरा मान जाओगी…” मैंने फिर टाला
” नहीं मानूंगी…” वो बोली.
” बता दो यार…अब ये खुद कह रही है तो और वैसे भी हाईस्कूल के बाद तो इंटर कोर्स करना ही पड़ता है…” हंस के रीत बोली.
‘ सुनो..देवर मतलब…देवर अपने भाभी से बार बार ..बार बस कहता है इसलिए…” हंस के मैं बोला.
” क्या कहता…है यार बताओ न…हमीं तीनों तो हैं…” गुड्डी बोली.

“देवर मतलब…जो भाभी से बार बार बोले…दे बुर …दे बुर…इसी से पडा देवर..” हंस के मैं बोला.

एक पल के लिए गुड्डी शर्मा गयी फिर बोल्ड होके मुझ से, रीत की और इशारा कर के पूछा…
” तो इस भाभी ने दिया की नहीं….”गुड्डी मुस्कराती हुयी बोली.
” न साफ मना कर दिया…बोली तुम बुरा मान जाओगी…” मैंने बुरा सा मुंह बनाया.
” च च्च च्च …बिचारे …” गुड्डी बोली और मेरे और रीत के बीच आके खड़ी हो गयी और रीत की ओर फेस करके बोली…” न ना ..मैं कतई बुरा नहीं मानूंगी….कैसी भाभी हो आप ….”
” जी नहीं…” रीत ठसके से बोली…और मेरे कमर को हाथ से कस के पकड़ लिया और गुड्डी से कहने लगी…” भाभी का हक़ सबसे पहले होता है…और मुझे बुरा वुरा मानने का डर नहीं किसी का..आखिर देवर को ट्रेन कर..तैयार कर पक्का कर..तो भाभी ही का तो पहला हक़ हुआ देवर पे…”

तब तक चन्दा भाभी किचेन से बाहर निकल के आयीं..हंसती…और इशारे से मुझे अपने साथ अपने कमरे में चलने को कहा. उनके हाथ में एक पीतल का बड़ा सा डब्बा था. मैं चल दिया.
मुझे डब्बा दिखा के उन्हों ने अलमारी खोली.” आज सुबह से तुम्हारे लिए बना रही थी…२२ हर्ब्स पड़ती हैं इसमें.साथ में..शिलाजीत…अश्वगंधा…मूसली पाक…..स्वर्ण भस्म..केसर…शतावर…गाय के घी में बनाया है इसको ..सम्हाल के रख रही हूँ याद करके जाने के पहले ले जाना साथ और उससे भी जयादा..आज रात को एक खा लेना…”
मैंने देखा…करीब २ दर्जन लड्डू नार्मल साइज से थोड़े ही छोटे..
” एक अभी खा लूं…” मैंने पूछा.
” एकदम वैसे भी तुमने कल रात इतनी मेहनत की थी…इतना तो बनता ही है…मुझे तो लगता था की अब तुम्हारी सारी मलाई निकल गयी लेकिन..ससुराल में हो होली का मौका है क्या पता..” ये कह के उन्होंने एक लड्डू मुझे खिला दिया और डब्बा अलमारी में रख के बंद कर दिया.
“चलो बाहर चलो वरना वो सबा न जाने क्या सोच रही होंगी…” चंदा भाभी बोलीं.
वास्तव में रीत और गुड्डी की निगाहें बाहर दरवाजे पे ही लगी थीं.
” मैंने सूना है की कुछ लोगों को आज एक नया देवर और किसी को नयी सेक्सी भाभी मिल गयी…” भाभी ने पहले रीत और फिर मुझे देखते हुए हंस कर कहा.
” एक दम …” हंस के रीत बोली और कहा “मैं वही कह रही थी…की भाभी का हक़ देवर पे सबसे पहले होता है…”
” अरे वो तो है ही…उसमे कुछ पूछने की बात है….फिर अभी तो इसकी शादी नहीं हुयी है इसलिए भाभी का तो पूरा हक़ है…और तुम्हारी भी शादी नहीं हुयी है…इस लिए इसका भी हक़ बटाने वाला कोई नहीं है..लेकिन तुम्हारा इसका एक और रिश्ता है…”
रितू के चेहरे पे प्रश्नवाचक चिन्ह बन आया…
” अरे ये बिन्नो का देवर है…” चन्दा भाभी बोलीं..
” वो तो मुझे मालूम है उनसे कित्ती बार मिली हूँ..मेरी बड़ी दी की तरह है…इस लिए तो ये मेरे देवर हुए..” रितू ने कहा…
” हाँ लेकिन एक बात और मुझे कल पता चली…” चन्दा भाभी बोलीं.
मेरे भी समझ में नहीं आया…की चंदा भाभी क्या इशारा कर रही है..
“क्या ….” रीत और गुड्डी साथ साथ बोलीं… ” अरे बिन्नो की एक ननद है …गुड्डी के साथ की …समझो ..सगी नही..है” चन्दा भाभी बोलीं.
” ममेरी…” बिना सोचे समझे मैं बोला.
” देखा ..कैसे प्यार से याद कर रहे हैं उसे…ये…तुम्हारे देवर…” चंदा भाभी रीत से बोली फिर बात आगे बढाई…” कैसे बोलूं…वो इनसे…बल्कि ये उससे फंसे है…अब ये बिचारे सीधे साधे…कोई इस उम्र की ..अगर जोबन की …तो कोई कैसे मना करेगा…है न…”
दोनों समझ गयी थीं की भाभी मुझे खींच रही हैं और दोनों ने एक साथ हुंकारी भरी…एकदम सही …
चंदा भाभी ने फिर रीत से पूछा…
” तो वो अगर बिन्नो की ननद लगी तो तुम्हारी भी तो ननद लगेगी.”
” एकदम …’ वो बोली और मुझे देख के मुस्करा दी.
” और ये ..जो तुम्हारी ननद के यार…बोलो…” चंदा भाभी ने रीत को उकसाया,
” नंदोई…” वो शैतान बोली.
” और तुम क्या लगोगी इन की ….” चंदा भाभी ने फिर टेस्ट लिया. लेकिन रीत भी रिश्ते जोड़ने में एक्सपर्ट हो गयी थी.
” मैं …उस रिश्ते से तो इन की सलहज..लगूंगी…ये मेरे नंदोई और मैं इनकी सलहज …और वो रिश्ता तो भाभी से भी ज्यादा …फिर तो डबल धमाका.”
रीत हंसते हुए बोली. ….अब वो रिश्ते जोड़ने में एक्सपर्ट हो गयी थी ख़ास तौर से अगर रिश्ता रंगीन हो.
” लेकिन एक खास बात और….गुड्डी जा रही है ना इसके साथ आज …तो वो गुड्डी की भी तो अब…” बात चन्दा भाभी ने शुरू की लेकिन पूरी रितू ने की.
” हाँ…मुझे मालूम पड़ गया है…वो तो अब इसकी भी …ननद लगेगी..” रीत चिढाने का मौका क्यों चुकती.
गुड्डी कुछ शरमाई, कुछ झिझकी कुछ खुश हुयी…लेकिन बात अब भी मेरे समझ में नहीं आ रही थी..
” तो गुड्डी लौटेगी तो उस को भी साथ ले आएगी…अब उस के भैया कम यार तो ट्रेनिग पे चले जायेंगे…वहां वो बिचारी कहाँ ढूंढेगी…और मन तो करेगा ही जब उसको एक बार स्वाद लग जाएगा…” चन्दा भाभी अब फूल फार्म पे थीं.
” तभी तो..गर्मी की छुट्टी भी है..एक महीने रह लेगी नहीं होगा तो गावं भी ले चलेंगे ..उसको..” गुड्डी भी मेरे खिलाफ गैंग में ज्वाइन हो गयी थी.
” एकदम आम के बगीचे, अरहर और गन्ने के खेत का मजा…और जानती हो रीत वो बिचारी बड़ी सीधी है…किसी को मना नहीं करती …सबके सामने खोलने को तैयार..तो फिर जित्ते तुम्हारे भाई हों या और जो भी हों सबको अभी से बता दो…”
” ये तो बहोत अच्छी बात बताई आप ने भाभी…थोड़ी बिलेटेड होली मना लेंगे वो…उस का भी स्वाद बदल जाएगा..वैरायटी भी रहेगा…” रीत दुष्ट..लेकिन गुड्डी उससे भी एक हाथ आगे..
” अरे राकी भी तो है अपना वो भी तो भाई की तरह है..” गुड्डी बोली.
” और क्या चौपाया है तो क्या हुआ..है कितना तगड़ा, जोरदार..” रीत आँख नचा के मुझे देखती बोली.

तब मेरे समझ में आया दूबे भाभी का एक लाब्राडोर कुत्ता …कल शाम को भी उसका नाम लगा के चन्दा भाभी ने एक से एक जबरदस्त गालियाँ सुनाई थीं..
” लेकिन वो ना माने तो नखड़ा करे तो…” गुड्डी ने शंका जताई…

” अरे तो हम लोग किस मर्ज की दवा हैं..अपने भाई से नैन मटक्का..और हम्मरे भाइयों से छिनालपना….साल्ली को जबरदस्ती झुका देंगे घुटनों के बल …हाथ पैर बाँध देंगे और पीछे से राकी…एक दो बार हाथ पैर पटकेगी..लेकिन जहाँ तीन चार दिन लगातार …आदत पड़ जायेगी उसको …” रीत ने समझाया.
” और क्या पूरे ८ इंच का है उसका…और एक बार जब अन्दर घुसाके …मोटी गाँठ पड़ जायेगी अन्दर …हाथ पैर खोल भी दोगी…लाख चूतड पटकेगी…निकलेगा थोड़ी..जबतक…दो चार बार के बाद तो राकी को खुद ही आदत लग जायेगी…जहां उसको निहुराया…आगे वो खुद सम्हाल लेगा.” चंदा भाभी फगुना रही थीं. एक का जवाब देना मुश्किल था यहाँ तो तीनों एक साथ…मैं चुपचाप मुस्कराता रहा.

” लेकिन मैं ये कह रही थी की जब इसकी बहन पे तुम्हारे सारे भाई चढ़ेंगे …तो ये क्या लगेगा तुम्हारा..” चन्दा भाभी ने बात पूरी की.
दोनों बड़े जोर से खिल्खिलायीं… रीत मुझे देख के हंस के बोली…
” साल्ले …बहन…चो…”
बात और शायद बढ़ती लेकिन चंदा भाभी ने पहली बार मेरे चेहरे को ध्यान से देखा और बड़े जोर से मुस्करायीं…
मेरे पास आके उन्होंने अपनी ऊँगली से मेरी ठुड्डी पे रख के मेरा चेहरा उठाया और गौर से देखने लगीं.हाथ फेर के गाल पे उनकी उंगली मेरी नाक के नीचे भी गयी और मुसकरा के वो बोलीं,
” चिकनी चमेली…”

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