Sapna Ki Madmast Jawani – Antarvasna Hindi Sex Kahani
सपना की मदमस्त जवानी – Antarvasna Hindi Sex Kahani
“कम ऑन, व्हेर ईज़ माइ किस?”
सपना को मैं पिच्छले 3 साल से जानता था. 12त स्टॅंडर्ड में वो और मैं एक ही क्लास में थे जिसके बाद हम दोनो ने अलग अलग कॉलेजस जाय्न कर लिया थे. क्लास में एक बार उसने मुझसे शर्त लगाई थी जिसके हारने पर उसने मुझे किस करना था. किस वाली बात मैने मज़ाक में कही थी और मुझे पता था के वो मुझे किस नही करेगी इसलिए जब वो शर्त हार गयी तो मैने उसे छेड़ना शुरू कर दिया के आइ आम स्टिल वेटिंग फॉर माइ किस.
इस बात को 3 साल गुज़र चुके थे. हम दोनो के कॉलेज बदल गये और मिलना जुलना बहुत कम हो गया. कुच्छ दिन पहले उसने मुझे फोन किया था के वो और उसकी फॅमिली एक दूसरे शहर में शिफ्ट हो रहे हैं और वो मेरे साथ कुच्छ वक़्त गुज़ारना चाहती है. हम दोनो शहर के एक बड़े से पार्क में बैठे थे.
दिन के कोई 12 बज रहे थे और उस वक़्त पार्क में कोई नही था. हम दोनो एक कोने में कुच्छ पेड़ों की आड़ में बैठे थे.
मैं हमेशा से जानता था और उसने मुझे खुद भी बताया था के उसे मुझपर स्कूल प्यार था पर कभी कह नही सकी. उसके बाद कॉलेज में उसका किसी और लड़के से चक्कर चल निकला था जिससे फिलहाल कुच्छ दिन पहले ही उसका ब्रेक अप हुआ था.
आने से पहले उसने मुझे फोन पर बताया था के अगले हफ्ते वो दूसरे शहर शिफ्ट कर लेगी इसलिए बहुत मुमकिन है के शायद ये हमारी आखरी मुलाक़ात हो. हस्ते हुए उसने ये भी कहा था के शायद आज मुझे मेरा किस भी मिल जाए पर फिर हम दोनो ही उस बात पर हस पड़े थे.
सपना की मदमस्त जवानी – Antarvasna Hindi Sex Kahani
स्कूल के दिनो में हम दोनो बहुत क्लोज़ फ्रेंड्स हुआ करते थे इसलिए पार्क में मैं आराम से नीचे घास पर लेटा हुआ था और सर को उसकी टाँग पर रखा था. वो मेरे बालों में हाथ फिरा रही थी और हम गुज़रे दिनो और अपनी दोस्ती के किस्से एक दूसरे से डिसकस कर रहे थे.
नीचे लेटे हुए मुँह पर पेड़ के पत्तो के बीच से धूप पड़ने लगी तो मैं उठकर बैठ गया.
“क्या हुआ” मुझे उठता देख वो बोली “लेटे रहो”
“धूप पड़ रही है मुँह पर” मैने कहा और पेड़ से टेक लगा कर बैठ गया. और फिर मुझे जाने क्या सूझी के मैने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसे अपनी टाँगो के बीच कर लिया.
3 साल पहले हम दोनो ही एक दूसरे को बेहद पसंद करते थे और दोनो के दिल में दोस्ती के अलावा और भी कई बातें थी जो कभी सामने आ नही पाई थी. ये शायद उसकी का नतीजा था के जब मैने उसे यूँ अपने करीब खींचा तो वो भी चुप चाप सिमट कर मेरी बाहों में आ गयी और मेरी टाँगो के बीच अपनी कमर
मेरी छाती पर टीका कर आराम से बैठ गयी.
कुच्छ पल तक हम दोनो यूँ ही खामोश बैठे रहे. उस एक पल में यूँ करीब होकर बैठ ने से हमने पहली बार दोस्ती से आगे कदम उठाया था इसलिए शायद झिझक रहे थे के अब क्या कहें?
और फिर उसने वो किया जिसकी मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नही थी. आगे बढ़कर उसने मेरा गाल चूम लिया और धीरे से मेरे कान में बोली
“आइ लव यू”
मैं एक पल के लिए उसकी इस हरकत पर चौंक सा पड़ा. वो ऐसा करेगी इसका मुझे दूर दूर तक कोई अंदेशा नही था. मैने गर्दन घूमकर उसकी आँखों में आँखें डालकर देखा और आगे बढ़कर अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिए.
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वो एक छ्होटा सा किस था. हमारे होंठ आपस में मिले और कुच्छ पल साथ रहकर अलग हो गये.
पर जैसे उस एक किस ने चिंगारी का काम किया. कुच्छ पल बाद ही हमारे होंठ फिर आपस में मिले और इस बार जैसे एक दूसरे से चिपक कर रह गये. मैं उसके दोनो होंठों को अपने होंठों में पकड़ कर चूस रहा था और वो भी मेरा बराबर का साथ देते हुए पलटकर मेरे होंठ चूसने लगी.
“ओह साहिल !!!!”
मेरे होंठ थोड़ी देर बाद उसके होंठों से हटे और फिर उसके गाल और गर्दन को चूमने लगे. उसका हाथ मेरे बालों पर आ गया और पल भर को भी उसने मुझे रोकने की कोशिश नही की. मैं बारी बारी से कभी उसकी गर्दन, कभी गाल और कभी होंठों को चूमता रहा.
“साहिल कोई देख लेगा” कुच्छ पल बाद वो बोली
“कोई नही देखेगा. हम पेड़ की आड़ में हैं और इस वक़्त यहाँ कोई है भी नही” कहते हुए मैने अपना चूमने का काम जारी रखा.
थोड़ी देर के लिए वो फिर मेरा साथ देने लगी.
“साहिल हटो. मेरा पूरा मुँह गीला कर दिया तुमने”
“थोड़ा आयेज बढ़ जाऊं?”जवाब मैने पुछा
“क्या?” उसको शायद मेरी बात समझ नही आई पर मैने जवाब का इंतेज़ार किए बिना अपना एक हाथ उसकी एक छाती पर रख दिया.
“ओह साहिल” उसने मेरे जिस्म को अपने हाथों में ऐसे जाकड़ लिया जैसे करेंट का झटका लगा गो “मैं जानती थी तुम यही करोगे. तुम सब एक जैसे होते हो”
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पर उसने उस वक़्त मेरा हाथ हटाने की कोई कोशिश नही की. मैं धीरे धीरे उसके होंठ चूमता हुआ अपने हाथ से उसकी चूचिया कमीज़ के उपेर से ही सहलाने लगा.
“बस अब हटो” उसने मेरा हाथ थोड़ी देर बाद अपनी छाती से हटा दिया.
पर मेरे अंदर वासना का तूफान जैसे जाग उठा था. मैं थोड़ी देर के लिए तो अलग हुआ पर कुच्छ पल बाद ही फिर उसके होंठ चूमने लगा और इस बार बिना झिझके अपना हाथ सीधा उसकी छाती पर रख दिया.
मेरे हाथ को अपने सीने पर महसूस करते ही उसने एक गहरी साँस ली और फ़ौरन हटा दिया.
मैने अगले ही पल फिर अपना हाथ उसके सीने पर रख दिया और वो फिर ऐसे काँपी जैसे बिजली का झटका लगा हो. उसने फिर मेरा हाथ हटाया और मैने फिर उसकी एक छाती पकड़ ली.
“बस करो साहिल. कोई देख लेगा”
“कोई नही है. अकेले हैं इस वक़्त हम यहाँ” मैने कहा और इस बार मैं और आगे बढ़ा.
मेरा हाथ इस बार उसके पेट पर आया और उसकी कमीज़ के एक छ्होर से होता हुआ अंदर जाकर सीधा उसके नंगे पेट को च्छू गया.
“ओह्ह्ह्ह साहिल” मेरा हाथ को अपने नंगे जिस्म पर महसूस करते ही उसने फिर एक गहरी साँस ली और कमीज़ के उपेर से मेरे हाथ को पकड़ लिया, जैसे कोशिश कर रही हो के मेरा हाथ उसके जिस्म के किसी और हिस्से को ना च्छुने पाए.
“हाथ हटाओ” मैने उससे मेरा हाथ छ्चोड़ने को कहा.
“सूट बहुत टाइट है साहिल”
“हाथ हटाओ ना प्लीज़”
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“कमीज़ बहुत टाइट है मेरी”
“हाथ हटाओ सपना”
और उसने अपना हाथ हटा लिया और मेरा हाथ उसकी कमीज़ के अंदर उसके जिस्म को महसूस करने के लिए आज़ाद हो गया.
उसके चिकने पेट और पीठ पर फिसलता हुआ मेरा हाथ सीधा ब्रा के उपेर से उसकी एक चूची पर आ टीका.
उसकी चूचियाँ ना तो बहुत बड़ी थी और ना ही बहुत छ्होटी. जिस तरह से उसकी एक चूची पूरी मेरी एक मुट्ठी में समा गयी, उससे मैने उसके ब्रा का साइज़ 32 होने का अंदाज़ा लगाया.
“साहिल क्या कर रहे हो तुम” उसने ठंडी आह भरी पर मुझे रोकने या मेरा हाथ हटाने की कोई कोशिश नही की.
कभी मैं कमीज़ के अंदर हाथ डाले ब्रा के उपेर से उसकी चूचियाँ सहलाता, कभी उसके पेट पर हाथ फिराता तो कभी हाथ थोडा अंदर करके उसके नंगी पीठ को छुता.
क्रमशः………..
“ओह साहिल !!!!” वो बराबर लंबी साँसें लेते हुए आहें भर रही थी और मुझे लिपटी जा रही थी. मेरे होंठ अब भी कभी उसके गालों पर होते तो कभी उसके होंठ और गले पर.
और इसी बीच मेरे हाथ एक बार फिर कमीज़ के अंदर उसके पेट को सहलाता उसकी चूची पर आया पर इस बार ब्रा के उपेर से आने के बजाय सीधा ब्रा के अंदर घुसा और उसकी नंगी चूची मेरे एक हाथ में आ गयी.
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“साहिल !!!!!!” वो मेरी बाहों में ऐसे मचल रही थी पानी के बिना मच्चली.
मैने बारी बारी ब्रा के अंदर हाथ घुसा कर उसकी दोनो चूचियो को महसूस किया, सहलाया. मेरे खुद के जिस्म में जैसे एक आग सी लगी हुई थी और मुझे खुद को समझ नही आ रहा था के मैं कैसे इस पार्क में उस आग को ठंडी करूँ.
“चलो कहीं और चलते हैं” उसकी चूचियाँ सहलाते हुए मैने कहा
“कहाँ?” वो आहें भरती हुई बोली
मैने चारों तरफ देखा. हमसे थोड़ी देर एक फुलवारी लगी हुई थी और हम उसके पिछे आराम से छिप कर बैठ सकते थे.
“उधर चलते हैं” मैने इशारे से कहा
“नही मुझे नही जाना” उसने फ़ौरन मना कर दिया
“चलो ना”
“नही”
उसने फिर मना किया और इस बार वो संभाल कर बैठ गयी. मेरा हाथ उसने अपनी कमीज़ के अंदर से निकाल दिया और अपना दुपट्टा सही करने लगी.
“उधर एक फॅमिली आकर बैठी है. वो देख लेंगे हमें. अब प्लीज़ कुच्छ मत करो”
उसने पार्क के एक तरफ इशारा किया जहाँ एक परिवार चादर बिच्छा कर बैठने की तैय्यारि कर रहा था. पर उनका ध्यान हमारी तरफ बिल्कुल नही था और बहुत मुश्किल था के उनकी नज़र हम पर पड़ती या वो हमें नोटीस करते.
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“नही देखेंगे” मैने फिर उसे अपनी तरफ खींचा और हाथ सीधा उसकी कमीज़ के अंदर घुसा कर उसकी नंगी चूचियों को पकड़ लिया.
“ओह साहिल तुम क्या कर रहे हो” वो आह भर कर बोली और फिर चुप चाप मेरे किस का जवाब देने लगी.
हम कुच्छ देर तक खामोशी से काम लीला में लगे रहे.
“सपना” कुच्छ देर बाद मैने कहा
“हां” वो मुझसे लिपटी हुई बोली
“कुच्छ मांगू?”
“क्या?”
“एक बार अपने ये दिखा दो ना” मैने उसकी चूचियो पर हल्के से दबाव डाला
मेरी बात ने जैसे 1000 वॉट के झटके का काम किया. वो फ़ौरन छितक कर मुझसे अलग हो गयी.
“बिल्कुल नही” मेरा हाथ अपनी कमीज़ से निकालते हुए वो अपना दुपट्टा ठीक करने लगी
“प्लीज़”
“नही”
“एक बार”
“तुमने टच कर लिया यही बहुत बड़ी बात है”
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“एक बार देखने दो ना”
“नही” वो अपने कपड़े ठीक करने लगी “और अब चलो यहाँ से. बहुत देर हो गयी है”
“थोड़ी देर तो रुक जाओ”
“रुकूंगी तो तुम फिर शुरू हो जाओगे”
“अच्छा नही करूँगा कुच्छ”
“पक्का?”
“एक आखरी किस दे दो फिर कुच्छ नही करूँगा” मैने कहा
“नही” उसने मना किया पर उसकी आँखों में भी वासना के डोरे सॉफ नज़र आ रहे थे. मैं जानता था के उस लम्हे को जितना मैं एंजाय कर रहा हूँ उतना वो भी कर रही है.
“अच्छा बैठ तो जाओ” वो खड़ी हुई तो मैने फिर उसका हाथ खींच कर नीचे बैठा लिया.
थोड़ी देर तक हम दोनो खामोशी से बैठे रहे.
“एक आखरी किस के बारे में क्या ख्याल है?”
मैने कहा तो वो तड़प कर ऐसे मेरी तरफ पलटी जैसे मेरे पुच्छने का इंतेज़ार ही कर रही थी. अपने होंठ उसने सीधा मेरे होंठो पर रख दिए और एक बार फिर चूमने लगी.
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और मेरा हाथ जैसे अपने आप उसकी कमीज़ के अंदर घुस कर उसकी ब्रा से होता हुआ उसकी नंगी चूचियो पर आ टीका.
“एक बार दिखा दो ना प्लीज़” मैने फिर इलतेजा की
“बिल्कुल नही”
“प्लीज़”
“अपनी बेगम के देख लेना शादी के बाद”
उसकी बात सुन कर मेरी हसी छूट पड़ी.
“अब बस करो” कहकर वो अलग हुई और फिर संभाल कर बैठ गयी.
“बहुत फास्ट हो तुम” कुच्छ देर बाद वो बोली
“क्या?” मैने पुछा
“इतनी सी देर में कहाँ से कहाँ पहुँच गये. एक्सपर्ट हो. कितनी लड़कियों की ले चुके हो ऐसे?”
मैं सिर्फ़ हल्के से मुस्कुरा कर रह गया.
“सीरियस्ली साहिल. ज़रा सी देर में कितना कुच्छ कर डाला तुमने”
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थोड़ी देर के लिए फिर खामोशी च्छा गयी. वो बैठी अपनी तेज़ हो चली साँसों को शांत करने की कोशिश करने लगी और मैं अपनी तेज़ हो चली धड़कन को नॉर्मल करने की कोशिश. पर मेरा दिल तो कर रहा था के एक बार फिर उसको पकड़ कर चूम लूम और उससे लिपट जाऊं.
और शायद यही हाल उसके दिल का भी था. इससे पहले के मैं कुच्छ करता, वो खुद ही घूम कर मेरी तरफ पलटी और मुझे सिमट गयी.
“क्या हुआ?”
“किस करो मुझे”
“अभी तो किया था”
“तब तुम्हें करना था. अब मुझे करना है”
मैं भला मना क्यूँ करता. मेरे लिए तो प्यासे को पानी मिलने जैसे बात हो गयी थी. एक बार फिर से वही सिलसिला शुरू हो गया. मैं उसे चूमने लगा और मेरा हाथ उसकी कमीज़ के अंदर घुस कर कभी उसकी नंगी चूचियो सहलाता तो कभी पेट तो कभी पीठ.
वो भी बराबर मेरा साथ दे रही थी पर शायद उसकी हद यहीं तक थी. इससे आगे वो कुच्छ करना चाहती नही थी. मैने भी जो मिले सो अच्छा सोचते हुए जितना मिल रहा था उसी का भरपूर फयडा उठाने की सोची.
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इस बार जब मेरे होंठ उसके होंठों से होते उसके गले तक आए तो वहीं आ कर रुके नही. उसके गले से नीचे होते हुए मैने कमीज़ के उपेर से ही उसके गले पर किस किया और थोड़ा नीचे होकर उसकी दोनो चूचियो को चूम लिया.
“साहिल ….” उसने मेरे बाल अपनी मुट्ठी में पकड़ लिए.
मैं उम्मीद कर रहा था के वो मना करेगी पर जब उसने कुच्छ नही कहा तो मैं बिना रुके अपने होंठ कमीज़ के उपेर से ही उसकी दोनो चूचियो पर फिराने लगा.
“देख लो”
अचानक मेरे कानो में आवाज़ आई तो मैं चौंक पड़ा.
“क्या?” मैने उसकी तरफ देखते हुए पुछा
“देख लो” उसने फिर वही बात दोहराई.
मैं तो जैसे कब्से इसके इंतेज़ार में ही बैठा था. मैने फ़ौरन उसकी कमीज़ का पल्लू पकड़ा.
“साहिल प्लीज़” उसने फ़ौरन अपने कमीज़ को पकड़ लिया “तुम्हें कसम है. कमीज़ उपेर मत करना प्लीज़”
“फिर कैसे?”
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“उपेर से देख लो” उसने खुद ही रास्ता सूझा दिया.
मैं उसकी बगल से हटकर थोड़ा सा उसके पिछे होकर बैठ गया और उसकी कमीज़ के गले को थोड़ा आगे करते हुए अंदर निगाह दौड़ाई.
उसकी छ्होटी छ्होटी चूचियाँ वाइट ब्रा के अंदर क़ैद थी. उपेर से मुझे कुच्छ ख़ास नही, सिर्फ़ उसका क्लीवेज ही दिखाई दे रहा था.
मैने एक हाथ से उसकी कमीज़ के गले को पकड़ कर आगे को खींचा और दूसरा हाथ उपेर से ही कमीज़ के अंदर डाला.
“कैसा लगा?” उसने मुझसे पुछा. वो आँखें बंद किए बैठी थी.
“अमेज़िंग” मैने कहा और उसकी एक चूची को पकड़ कर उपेर से ही बाहर निकालने की कोशिश की पर शायद ऐसा करते हुए मैने कुच्छ ज़्यादा ही ज़ोर से दबा दिए.
“आआहह” वो फ़ौरन दर्द से बिलबिलाई और मेरा हाथ हटाते हुए आगे को सरक गयी “क्या कर रहे हो? हमें दर्द नही होता क्या?”
“आइ आम सॉरी” मैने कहा
“पता है कितनी ज़ोर से दबाया तुमने?” कहकर वो फ़ौरन उठ खड़ी हुई
“अच्छा अच्छा ग़लती हो गयी. बेध्यानी में इतनी ज़ोर से दबा दिया”
“चलो अब” वो खड़ी हुई अपने कपड़े ठीक करने लगी.
मैं भी उसके साथ उठकर खड़ा हुआ और उसको अपने गले से लगा लिया. हम दोनो एक दूसरे से लिपटे चुप चाप खड़े हो गये.
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वो मेरे सीने से सर लगाए चुप चाप खड़ी थी और उसकी दोनो चूचियाँ मेरे जिस्म से दब रही थी. उसकी साँस अब भी भारी थी जिसको वो कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी पर मेरा अभी रुकने का कोई इरादा नही था. खड़े खड़े ही मेरे हाथ जो उसकी पीठ पर थे फिसलते हुए उसकी गांद पर आ टीके.
“साहिल प्लीज़ नीचे कुच्छ मत करना” वो फ़ौरन बोली पर मेरा हाथ हटाने या मुझसे अलग होने की कोई कोशिश नही की.
“ओके”
मैने कहा और कुच्छ देर तक यूँ ही उसकी गांद पर हाथ टिकाए खड़ा रहा. पेंट के अंदर मेरा लंड एकदम टाइट खड़ा हुआ था और क्यूंकी वो मुझसे लिपटी हुई थी, इसलिए उसके जिस्म को च्छू रहा था.
“एक बार दबाओ” उसकी आवाज़ मेरे कान में पड़ी. वो किस बारे में बात कर रही थी मैं नही जानता पर उसकी बात सुनते ही मैने वो काम किया जो मैं करना चाह रहा था.
उसकी गांद को थोड़ा और मज़बूती से पकड़ कर मैने अपने लंड को उसके जिस्म के साथ दबाया.
“आआहह” उसके मुँह से आवाज़ आई और मेरे गले में बाहें डाले वो मेरे गले को चूमने लगी. मेरे लिए ये जैसे ग्रीन सिग्नल जैसा था. अब सारे पर्दे उठ चुके थे, हर मर्यादा ख़तम हो चुकी थी. मैने उसकी गांद को अच्छे से पकड़ा, अपने घुटने थोड़ा नीचे किए और अपने लंड को सीधा कपड़ो के उपेर से उसकी चूत
पर दबाने लगा.
इस सारे दौरान उसने एक बार भी मुझे रोकने या कुच्छ कहने की कोशिश नही की. वो चुप चाप मुझसे लिपटी खड़ी रही और मैने अपना लंड उसकी चूत पर दबाता रहा, घिसता रहा.
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“साहिल मैं गिर जाऊंगी” उसने कहा तो मैने ध्यान दिया के जोश जोश में मैं उसकी गांद पकड़ कर उसको हल्का सा हवा में उठा दे रहा था.
“नही गिरगी. तुम मेरी बाहों में हो” कहते हुए मैने उसे पेड़ से लगाया और फिर लंड को उसकी चूत पर घिसने लगा.
“साहिल, कुच्छ चुभ रहा है” वो बोली पर मैने ध्यान नही दिया
जब उसने फिर से यही बात कही तो मैं रुका. मुझे लगा वो कह रही है के पीठ पर पेड़ से लगे हुए कुच्छ चुभ रहा है.
“यहाँ नही. नीचे कुच्छ चुभ रहा है” उसका इशारा मेरे लंड की तरफ था
मैने कोई जवाब नही दिया और इस बार उसको घुमा दिया. अब वो पेड़ की तरफ मुँह किए खड़ी थी और मैं उसकी जाँघो को पकड़े अपना लंड उसकी गांद पर रगड़ रहा था.
मेरे हाथ उसकी चूत के काफ़ी करीब थे और अब तक सिर्फ़ यही हिस्सा रह गया था जो मैने च्छुआ नही था.
मैने अपना हाथ धीरे से उपेर करते हुए उसकी टाँगो के बीच सलवार के उपेर से उसकी चूत पकड़ ली.
वो ऐसे उच्छली के हम दोनो ही गिरते गिरते बचे.
“नही प्लीज़. यहाँ हाथ मत लगाओ” कहते हुए वो फिर से नीचे बैठ गयी.
मैने कुच्छ कहना या सुनना ज़रूरी नही समझा. उसके साथ नीचे बैठे हुए मैने उसके गले में पड़ा दुपट्टा हटा कर साइड में रख दिया.
“क्या कर रहे हो?” वो बोली
मैं खिसक कर उसके करीब हुआ और एक हाथ उसके कमीज़ के गले में डालते हुए उसकी एक चूची पकड़ कर उपेर से ही बाहर निकाल ली.
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“साहिल” उसने फ़ौरन अपनी चूची अंदर घुसा ली.
“प्लीज़” मैने कहा “देख तो ली ही है मैने. एक बार अच्छे से देखने दो”
मैने फिर उसकी चूची पकड़ कर कमीज़ के गले से बाहर निकाल ली.
“साहिल दोनो बाहर नही आएँगे. कमीज़ टाइट है.” जब मैने दूसरी चूची बाहर निकालने की कोशिश की तो वो धीरे से बोली.
उसकी बात अनसुनी करते हुए मैने उसकी दोनो चूचियाँ जितनी हो सकी कमीज़ से बाहर निकाल ली. वो भी शायद जानती थी के अब मैने क्या करूँगा इसलिए अपनी कोहनियाँ टिकाते हुए घास पर हल्की से लेट सी गयी.
और तब मुझे वो निशान नज़र आया.
उसके निपल के चारो तरफ बने हुए ब्राउन कलर के एरोला से थोड़ा सा परे काले रंग का निशान. एक गोल निशान जो पूरा काला था पर एक तिहाई लाल.
“ये क्या है?” मैने पुछा
“बचपन से है” वो बोली
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मुझे समझ नही आया के क्या करूँ या क्या कहूँ. मेरे कानो में अपने पापा की आवाज़ गूँज उठी.”हमने जहाँ से तुम्हें गोद लिया था उन्ही लोगों ने हमें बताया था के यू वर ट्विन्स पर तुम दोनो में से एक को किसी ने गोद ले लिया था. लड़की थी शायद. दूसरे बचे थे तुम तो तुम्हें हम ले आए थे. ये निशान तुम्हारी छाती पर तबसे ही है और आश्रम वालो ने बताया था के ऐसा निशान तुम्हारे ट्विन की छाती पर भी था.”
दोस्तो जिंदगी मे ऐसा भी हो जाता है आपको कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा