Mausi or Uski Beti Meenu – Antarvasna Incest Sex Kahani
मौसी और उसकी बेटी मीनू – Antarvasna Incest Sex Kahani
मेरा नाम तरुण है और मेरी उमर 20 साल है . मेरे माँ बाप की मृत्यु हो चुकी है । मैं अपनी मौसी के साथ रेहता हूँ । मौसा जी की भी मृत्यु हो चुकी है। मेरी मौसी की एक बेटी है जिसका नाम मीनू है. वह अभी सिर्फ़ पन्द्रह साल है और स्कूल मे है. मौसी अब 35 की हैं. मौसी स्कूल मे टीचर हैं और मैं यूनिवर्सिटी मे हूँ. हमलोग लुधियाना में रहते हैं. मौसा का 2 साल पहले इंतक़ाल हो गया था. अब घर मे सिर्फ़ हम तीन लोग ही हैं.
यह अब से 6 महीने पहले हुआ था. एक रात मौसी बहुत उदास लग रही थी. मे समझ गया वह मौसा को याद कर रही हैं. मैंने उनको बहलाया और खुश करने की कोशिश की. मौसी मेरे गले लग रोने लगी. तब मैंने कहा, “मौसी हम दोनो आपको बहुत प्यार करते हैं, हमलोग मिलकर मौसा की कमी महसूस नही होने देंगे.”
मीनू भी वहाँ आ गयी थी, वह भी मौसी से बोली, “हां मम्मी प्लीज़ आप दिल छोटा ना करिए. भैया हैं ना हम दोनो की देखभाल के लिए. भैया हम लोगो का कितना ख्याल रखते हैं.”
“हां बेटी पर कुछ ख्याल सिर्फ़ तेरे पापा ही रख सकते थे.”
“नही मम्मी आप भैया से कह कर तो देखिए.”
खैर फिर बात धीरे धीरे नॉर्मल हो गई. उसी रात मीनू अपने रूम मे थी. मे रात को टॉइलेट के लिए उठा तो टॉइलेट जाते हुए मौसी के रूम से कुछ आवाज़ आई. 12 बज चुके थे और मौसी अभी तक जाग रही हैं, यह सोचकर उनके रूम की तरफ गया. मौसी के रूम का दरवाज़ा खुला था. मे खोलकर अंदर गया तो चौंक गया.
मौसी और उसकी बेटी मीनू – Antarvasna Incest Sex Kahani
मौसी अपनी शलवार उतारे अपनी चूत मे एक मोमबत्ती डाल रही थी. दरवाज़े के खुलने की आवाज़ पर उन्होने मूड कर देखा. मुझे देख वह घबरा सी गयी. मे भी शरमा गया कि बिना नॉक किए आ गया. मे वापस मुड़ा तो मौसी ने कहा, “बेटा तरुण प्लीज़ किसी से कहना नही.”
“नही मौसी मे किसी से नही कहूँगा?”
“बेटा जब से तेरे मौसा इस दुनिया से गये हैं तब से आज तक मैं..”
“ओह्ह मौसी मैं भी अब समझता हूँ. यह आपकी ज़रूरत है पर क्या करूँ अब मौसा तो हैं नही.”
फिर मैं मौसी के पास गया और उनके हाथो को पकड़ बोला, “मौसी दरवाज़ा बंद कर लिया करिए.”
“बेटा आज भूल गयी.”
फिर मैं वापस आ गया.
अगले दिन सब नॉर्मल रहा. शाम को मैं वापस आया तो हमलोगो ने साथ ही चाय पी.
चाय के बाद मीनू बोली, “भैया बाज़ार से रात के लिए सब्ज़ी ले आओ जो खाना हो .”
मैं जाने लगा तो मौसी ने कहा, “बेटा किचन मे आओ तो कुछ और समान बता दूँगी लेते आना.”
मैं किचन मे जा बोला, “क्या लाना है मौसी?”
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मौसी ने बाहर झाँका और मीनू को देखते धीरे से बोली, “बेटा 5- 6 बैगन लेते आना लंबे वाले.”
मैं मौसी की बात सुन पता नही कैसे बोल पड़ा, “मौसी अंदर करने के लिए?”
मौसी शरमा गयी और मैं भी अपनी इस बात पर झेंप गया और सॉरी बोलता बाहर चला गया. सब्ज़ी लाकर मीनू को दी और 4 बैगन लाया था जिनको अपने पास रख लिया. मीनू ने खाना बनाया फिर रात को खा पीकर सब लोग सोने चले गये. तब करीब 11 बजे मौसी मेरे रूम मे आ बोली, “बेटा बैगन लाए थे?”
“हां मौसी पर बहुत लंबे नही मिले और मोटे भी कम है.”
“कोई बात नही बेटे अब जो है सही हैं .”
“बहुत ढूँढा मौसी पर कोई भी मुझसे लंबे नही मिले.”
“क्या मतलब बेटा.”
मैं बोला, “मौसी मतलब यह कि इनसे लंबा और मोटा तो मेरा है.”
तब मौसी ने कुछ सोचा फिर कहा, “क्या करें बेटा अब तो जो किस्मत मे है वही सही.” फिर मेरी पॅंट के उभार को देखते बोली, “बेटा तेरा क्या बहुत बड़ा है?”
“हां मौसी 8 इंच है.”
“ओह्ह बेटा तेरे मौसा का भी इतना ही था. बेटा अपना दिखा दो तो तेरे मौसा की याद ताज़ी हो जाए.”
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“लेकिन मौसी मैं तो आपका भाँजा हूँ.”
“हां बेटा तभी तो कह रही हूँ. तू मेरा भाँजा है और अपनी मौसी से क्या शरम. तू एकदम अपने मौसा पे गया है . देखूं तेरा वह भी तेरे मौसा के जैसा है या नही?”
तब मैंने अपनी पॅंट उतारी और अंडरवियर उतारा तो मेरे लंबे तगड़े लंड को देख मौसी एकदम से खुश हो गयी. वह मेरे लंड को देख नीचे बैठी और मेरा लंड पकड़ लिया और बोली, “हाये तरुण बेटा तेरे मौसा का भी एकदम ऐसा ही था. हाये बेटा यह तो मुझे तेरे मौसा का ही लग रहा है. बेटा क्या मैं इसे थोड़ा सा प्यार कर लूँ?”
“मौसी अगर आपको इससे मौसा की याद आती है और आपको अच्छा लगे तो कर लीजिए.”
“बेटा मुझे तो लग रहा है कि मैं तेरा नही बल्कि तेरे मौसा का पकड़े हूँ.”
फिर मौसी ने मेरे लंड को मुँह मे लिया और चाटने लगी. यह मेरे साथ पहली बार हो रहा था इसलिए मेरे लिए संभालना मुश्किल था. 6-7 मिनेट मे ही मैं उनके मुँह मे झर गया. 1 मिनट बाद मौसी ने लंड मुँह से बाहर किया और मेरे पास बैठ गयी.
मैं बोला, “सॉरी मौसी आपका मुँह गंदा कर दिया.”
“आहह बेटा तेरे मौसा भी रोज़ रात मेरे मुँह को पहले ऐसे ही गंदा करते थे फिर मेरी च..” मौसी इतना कह चुप हो गयी.
मैं उनके चेहरे को देखते बोला, “फिर क्या क्या करते थे मौसा? मौसी जो मौसा इसके बाद करते थे वह मुझे बता दो तो मैं भी कर दूं. आपको मौसा की कमी नही महसूस होगी.”
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मौसी मेरे चेहरे को पकड़ बोली, “बेटा यह जो हुआ है एक मौसी भांजे मे नही होता. लेकिन बेटा इस वक़्त तुम मेरे भांजे नही बल्कि मेरे पति हो. अब तुम मेरे पति की तरह ही करो. वह मेरे मुँह मे अपना झाड़कर अपने मुँह से मेरी झाड़ते थे फिर मुझे..”
“मौसी अब जब आप मुझे अपना पति कह रही है तो शरमा क्यों रही हैं. सब कुछ खुलकर कहिए ना.”
“बेटा तू सच कहता है, चल अब मेरी चूत चाट और फिर मुझे चोद जैसे तेरे मौसा चोदते थे.”
“ठीक है मौसी आओ बिस्तर पर चलो.”
फिर मौसी को अपने बेड पर लिटाया और उनको पूरा नंगा कर दिया. मौसी के मुम्में अभी भी सख़्त थी. 2-3 साल से किसी ने टच नही किया था. मैंने चूत को देखा तो मस्त हो गया. मौसी की चूत कसी लग रही थी. 35 की उमर मे मौसी 25 की ही लग रही थी. मौसी को बेड पर लिटा अपने कपड़े अलग किए फिर मौसी के मुम्में पकड़ उनकी चूत पर मुँह रख दिया. मुम्मों को दबा दबा… चूत चाट… अपने झड़े लंड को कसने लगा.
8-10 मिनट बाद मौसी मेरे मुँह पर ही झड़ गयी. वह अपनी गाँड तेज़ी से उचका झड़ रही थी. मैं मौसी की झड़ती चूत मे 1 मिनट तक जीभ पेले रहा फिर उठ कर ऊपर गया और मुम्मों को मुँह से चूसने लगा.
“हाअ आहह बेटा चूस अपनी मौसी के मुम्मों को. हाये पियो इनको हाये कितना मज़ा आ रहा है तेरे साथ.”
मेरा लंड अब फिर खड़ा था. 4-5 मिनट बाद मौसी ने मुझे अलग किया और फिर मेरे लंड को मुँह से चूस कर खड़ा करने के बाद बोली, “बेटा अब चढ़ जा अपनी मौसी पर और चोद डाल.”
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मैंने मौसी को बेड पर लिटाया और लंड को मौसी के छेद पर लगा गॅप से अंदर कर दिया.
अब मैं तेज़ी से चुदाई कर रहा था और दोनो मुम्मों को दबा दबा चूस भी रहा था. मौसी भी नीचे से गाँड उछाल रही थी.
मे धक्के लगाता बोला, “मौसी शाम को जब आपने बैगन लाने को कहा था तभी से दिल कर रहा था कि काश अपनी मौसी को मैं कुछ आराम दे सकूँ. मेरी आरज़ू पूरी हुई.”
“बेटा अगर तू मुझे चोदना चाहता था तो कोई गोली लेता आता. अब तू मेरे अंदर मत झड़ना. आज बाहर झड़ना फिर कल मैं गोली ले लूँगी तो ख़तरा नही होगा तब अंदर डालना पानी. चूत मे गरम पानी बहुत मज़ा देता है.”
करीब 10 मिनट बाद मेरा लंड झड़ने वाला हुआ तो मैंने उसे बाहर किया और मौसी से कहा, “आह मौसी अब मेरा निकलने वाला है.”
“हाये बेटा ला अपने पानी से अपनी मौसी के मुम्मों को भिगो दे.”
फिर मैं मौसी के मुम्मों पर पानी निकाला. झारकर अलग हुआ तो मौसी अपने मुम्मों पर मेरे लंड का पानी लगाती बोली, “बेटा तू एकदम अपने मौसा की तरह चोद्ता है. वह भी ऐसा ही मज़ा देते थे. आहह बेटा अब तू सो जा.”
फिर मौसी अपने रूम मे चली गयी और मैं भी सो गया.
अगले दिन मौसी बहुत खुश लग रही थी. मीनू भी मौसी को देख रही थी. नाश्ते पर उसने पूछ ही लिया, “मम्मी आप बहुत खुश लग रही हो?”
“हां बेटी अब मैं हमेशा खुश रहूंगी.”
“क्यों मम्मी क्या हो गया?” वह भी मुस्कराती बोली.
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“कुछ नही बेटी तुम्हारा भैया मेरा खूब ख्याल रखता है ना इसलिए.”
“हां मम्मी भैया बहुत अच्छे हैं.”
फिर वह कॉलेज चली गयी और मैं यूनिवर्सिटी.
उस रात मौसी ने गोली ले ली थी और अपनी चूत मे ही मेरा पानी लिया था. हम दोनो 1 महीने इसी तरह मज़ा लेते रहे.
एक रात जब मैं मौसी को चोद रहा था तो मौसी ने मुझसे पूछा , “तरुण बेटा एक बात तो बता.”
“क्या मौसी”
बेटा अब मीनू बड़ी हो रही है उसकी शादी करनी है. इस उम्र में लड़कियों की शादी कर देनी चाहिये वरना अगर वो कुछ उल्टा सीधा कर ले तो बहुत बदनामी होती है.
मौसी आप सही कह रही हो. अब उसके लिये कोई लड़का देखना होगा.
हाँ बेटा, अच्छा एक बात तो बता तुमको मीनू कैसी लगती है?
क्या मतलब मौसी?
मतलब तुझे अच्छी लगती है तो इसका मतलब वो किसी और को भी अच्छी लगेगी और उसे कोई लड़का पसंद कर लेगा तो उसकी शादी कर देंगे.
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हाँ मौसी मीनू बहुत खूबसूरत है.
तू उसे कभी कभी अजीब सी नज़रो से देखता है?
मैं अपनी चोरी पकड़े जाने पर घबरा कर बोला, नही नही मौसी ऐसी बात नही है?”
कल तो तू उसके मुम्मों को घूर रहा था.
नही मौसी.
पगले मुझसे झूठ बोलता है. सच बता.
मैं शरमाते हुये बोला, मौसी कल वो बहुत अच्छी लग रही थी. कल वो छोटा सा कसा कुर्ता पहने थी. जिसमें उसके मुम्में बहुत अच्छे लग रहे थे.
तुझे पसंद है मीनू के मुम्में ?
मैं चुप रहा तो मौसी ने मेरे लंड को अपनी चूत से जकड़ कर कहा, “बताओ ना वो थोड़े ना सुन रही है?”
हाँ मौसी. उसके मुम्मों को कभी देखा है?
नही मौसी.
”देखेगा?”
कैसे?”
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पगले कोशिश किया कर उसे देखने की जब वो कपड़े बदले तब या जब वो नहाने जाये तब.”
”ठीक है मौसी पर वो दरवाज़ा बंद करके सब करती है.
हाँ पर तू जब भी घर पर रहे तब पजामा पहना करो और नीचे अंडरवेयर मत पहना कर. अपने लंड को पजामे मैं खड़ा कर उसे दिखाया करो. सोते समय मैं लंड को पजामे से बाहर निकाल कर रखना मैं उसको तुम्हारे रूम मैं झाड़ू लगाने भेजू तो उसे अपना लंड दिखाया करो और तुम अब उसके मुम्मों को घूरा करो और उसे छुने की कोशिश किया करो.
मैं मौसी की बात सुन कर मस्त हो गया उसे तेज़ी से चोदने लगा. वो तेज़ी से चुदती हुई हाए हाए करते हुये बोली, हाँ बहन को देखने की बात सुन कर इतना मस्त हो गया की मौसी की चूत की धज्जीयां उड़ा रहा है. फिर मेरी कमर को अपने पैरो से कस कर बोली, चोद अपनी मौसी को हाअआआआ आज मुझे चोद कल से अपनी बहन पर लाइन मारो और उसे पटा कर चोदो.
फिर 4-5 धक्के लगा कर मैं झड़ने लगा. झड़ने के बाद मैं मौसी से चिपक कर बोला, मौसी मीनू तो मेरी छोटी बहन है, भला मैं उसके साथ ऐसा कैसे….?
जब तू अपनी मौसी के साथ चुदाई कर सकता है तो अपनी बहन के साथ क्यों नही?
मौसी आपकी बात और है.
”क्यों?”
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मौसी आप मौसा के साथ सब कर चुकी हैं और अब उनके ना रहने पर मैं तो उनकी कमी पूरी कर रहा हूँ. लेकिन मीनू तो अभी नासमझ और अनजान है, यही कहना चाह रहा हूँ?
मौसी- बेटा अब तेरी बहन 15 की हो गई है. इस उम्र मैं लड़कियों को बहुत मस्ती आती है. आजकल वो कॉलेज भी जा रही है. मुझे लगता है की उसके कॉलेज के कुछ लड़के उसको फँसाने की कोशिश कर रहे हैं. पड़ोस के भी कुछ लड़के तेरी बहन पर नज़रे जमाये हैं. अगर तू उसे घर पर ही उसकी जवानी का मज़ा उसे दे देगा तो वो बाहर के लड़कों के चक्कर मैं नही पड़ेगी और अपनी बदनामी भी नही होगी.
मौसी आप सही कह रही हो मैं अपनी बहन को बाहर नही चुदने दूँगा. सच मौसी मीनू के मुम्में बहुत मस्त दिखते हैं. मौसी अब तो उसे तैयार करो.
करूँगी बेटा, मैं उसे भी यह सब धीरे धीरे समझा दूँगी.
फिर अगले दिन जब मैं सुबह सुबह उठा तो देखा की वो मेरे रूम मैं झाड़ू लगा रही थी. मैं उसे देखने लगा. वो कसी हुई कमीज़ पहने थी और झुककर झाड़ू लगाने से उसकी लटक रहे मुम्में हिलने से बहुत प्यारे लग रहे थे. तभी उसकी नज़र मुझ पर पड़ी. मुझे अपने मुम्मों को घूरता पा वो मूड गई और जल्दी से झाड़ू लगा कर चली गई.
मैं उठा और फ्रेश होकर नाश्ता कर टी.वी देखने लगा. उस दिन छुटी थी इसलिये किसी को कही नही जाना था. मौसी भी टी.वी देख रही थी. मीनू भी आ गई और मैने उसे अपने पास बिठा लिया. मैं उसकी कसी कमीज़ से झाँक रहे मुम्मों को ही देख रहा था. मौसी ने मुझे देखा तो चुपके से मुस्कुराते हुये इशारा करते कहा की ठीक जा रहे हो. मीनू कभी कभी मुझे देखती तो अपने मुम्मों को घूरता पा वो सिमट जाती. आख़िर वो उठकर मौसी के पास चली गई.
मौसी ने उसे अपने गले से लगाते हुये पूछा, क्या हुआ बेटी?
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कुछ नही मम्मी. वो बोली.
तू यहाँ क्यों आ गई बेटी जा भाई के पास बेठ.
मम्मी ववववाह भैया. वो फुसफुसाते हुये बोली.
मौसी भी उसी की तरह फुसफुसाई, क्या भैया.
मम्मी भैया आज कुछ अजीब हरकत कर रहे हैं. वो धीरे से बोली
तो मौसी ने कहा, “क्या कर रहा तेरा भाई?
मम्मी यहाँ से चलो तो बताऊ.
मौसी उसे ले कर अपने रूम की तरफ गई और मुझे पीछे आने का इशारा किया. मैं उन दोनो के रूम के अंदर जाते ही जल्दी से मौसी के रूम के पास गया. मौसी ने दरवाज़ा पूरा बंद नही किया था और पर्दे के पीछे छुपकर मैं दोनो को देखने लगा.
मौसी ने मीनू को अपनी गोद मैं बिठाया और बोली, क्या बात है बेटी जो तू मुझे यहाँ लाई है?
मम्मी आज भैया मुझे अजीब सी नज़रों से देख रहे जैसे कॉलेज के..
क्या कॉलेज के… पूरी बात बता मीनू बेटी.
मम्मी आज भैया मेरे इनको बहुत घूर रहे है, जैसे कॉलेज मैं लड़के घूरते हैं.” इनको.
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मौसी ने उसके मुम्मों को पकड़ा तो वो शरमाते हुये बोली, “सच मम्मी.
अरे बेटी अब तू जवान हो गई है और तेरी यह मुम्में बहुत प्यारे हो गए हैं इसीलिये कॉलेज मैं लड़के इनको घूरते हैं. तेरा भाई भी इसीलिये देख रहा होगा की उसकी बहन कितनी खूबसूरत है और उसके मुम्में कितने जवान हैं.
मम्मी आप भी..वो शरमाई.
अरे बेटी मुझसे क्या शर्म. बेटी कॉलेज के लड़कों के चक्कर मैं मत आना वरना बदनामी होगी. अगर तू अपनी जवानी का मज़ा लेना चाहती है तो मुझको बताना.
मम्मी आप तो जाइये हटिये.
अच्छा बेटी एक बात तो बता, जब भैया तेरी मस्त जवानीयों को घूरते हैं तो तुझे कैसा लगता है?
मम्मी हटिये मैं जा रही हूँ.
अरे पगली फिर शरमाई, चल बता कैसा लगता है जब तुम्हारे भैया इनको देखते हैं?
अच्छा तो लगता है पर..
पर वर कुछ नही बेटी, जानती है बाहर के लड़के तेरे यह देखकर क्या सोचते हैं?
क्या मम्मी?
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यही की हाये तेरे दोनो अनार कितने कड़क और रसीले हैं. वो सब तेरे इन अनारो का रस पीना चाहते हैं.
मम्मी चुप रहिये मुझे शर्म आती है.
अरे बेटी यही एक बात है इनको लड़के के मुँह मैं देकर चूसने मैं बहुत मज़ा आता है. जानती हो लड़के इनको चूस कर बहुत मज़ा देते हैं. अगर एक बार कोई लड़का तेरे अनार चूस ले तो तेरा मन रोज़ रोज़ चूसाने को करेगा और अगर कोई तेरी नीचे वाली चूत को चाट कर तुझे चोद दे तब तू बिना लड़के के रह ही नही पायेगी.
अब मैं जा रही हूँ मम्मी मुझे नही करवाना यह सब.
हाँ बेटा कभी किसी बाहर के लड़के से कुछ भी नही करवाना वरना बहुत दर्द और बदनामी होती है. हाँ अगर तेरा मन हो तो मुझे बताना.”
मम्मी..
अच्छा बेटी चल अब कुछ खाना खा लिया जाये तेरा भाई भूखा होगा. जा तू उससे पूछ क्या खायेगा, जो खाने को कहे बना देना.
फिर मैं भाग कर टी.वी देखने आ गया.
थोड़ी देर बाद मीनू आई और मुझसे बोली, भैया. जो खाना हो बता दीजिये मैं बना देती हूँ. मम्मी आराम कर रही हैं.
मैं उसके मुम्मों को घूरते हुये अपने होठों पर जुबान फेरते हुये बोला, क्या क्या खिलाओगी?
वो मेरी इस हरक़त से शरमाई और नज़रे झुका कर बोली, जो भी आप कहें.
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मैने उसका हाथ पकड़ कर अपने पास बिठाया और मुम्मों को घूरता हुआ बोला, खाऊगा तो बहुत कुछ पर पहले इनका रस पीला दो.
क्या भैया किसका रस? वो घबराते हुये बोली.
मैं बात बदलता हुआ बोला, मेरा मतलब है पहले एक चाय ला दे फिर जो चाहे बना लो.
वो चली गई. मैं उसको जाते देखता रहा. 5 मिनिट बाद वो चाय लेकर आई तो मैने उससे कहा अपने लिये नही लाई.
मैं नही पीऊगी.
पीओं ना लो इसी मैं पी लो. एक साथ पीने से आपस मैं प्यार बढ़ता है.
वो मेरी बात सुन कर शरमाई फिर कुछ सोच कर मेरे पास बैठ गई तो मैने कप उसके होठों से लगाया तो उसने एक सिप लिया फिर मैंने एक सिप लिया. इस तरह से पूरी चाय ख़त्म हुई तो वो बोली, अब खाने का इंतज़ाम करती हूँ.
मैने उसका हाथ पकड़ कर खींचते हुये कहा, अभी क्या जल्दी है थोड़ी देर रूको बहुत अच्छा प्रोग्राम आ रहा है देखो.
मेरे खींचने पर वो मेरे उपर आ गिरी थी. वो हटने की कोशिश कर रही थी पर मैने उसे हटने नही दिया तो वो बोली, हाय भैया हटिये क्या कर रहे हैं?
कुछ भी तो नही टी.वी देखो मैं भी देखता हूँ.
ठीक है पर छोड़िये तो ठीक से बैठकर देखूं.
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ठीक से बैठी हो, मीनू मेरी छोटी बहन अपने बड़े भाई की गोद मैं बैठकर देखो ना टी.वी. वो चुप रही और हम टी.वी देखने लगे.
थोड़ी देर बाद मैने उसके हाथो को अपने हाथो से इस तरह दबाया की उसकी कमीज़ सिकुड कर आगे को हुई और उसकी दोनो मुम्में दिखने लगे. उसकी नज़र अपने मुम्मों पर पड़ी तो वो जल्दी से मेरी गोद से ऊतर गई और तभी मौसी ने उसे आवाज़ दी तो वो उठकर चली गयी.
मैं भी पहले की तरह पर्दे के पीछे छुप कर देखने लगा. वो अंदर गई तो मौसी ने पूछा, क्या हुआ बेटी तरुण ने बताया नही क्या खायेगा?
वो मम्मी भैया ने.. क्या भैया ने, बताओ ना बेटी क्या किया तेरे भाई ने?
वो भैया ने मुझे अपनी गोद मैं बिठा लिया था और फिर ओर फिर..
और फिर क्या?
और और कुछ नही. अरे अगर तेरे भाई ने तुझे अपनी गोद मै बिठा लिया तो क्या हुआ, आख़िर वो तेरा बड़ा भाई है. अच्छा यह बता उसने गोद मैं ही बिठाया था या कुछ और भी किया था?
और तो कुछ नही मम्मी भैया ने फिर मेरे इन दोनो को देख लिया था.
मुझे लग रहा है मेरे भांजे को अपनी बहन के दोनो रसीले मुम्में पसंद आ गए हैं तभी वो बार बार इनको देख रहा है. बेचारा मेरा भांजा, अपनी ही बहन की मुम्मों को पसंद करता है. अगर बाहर की कोई लड़की होती तो देख लेता जी भर कर पर साथ में वो डरता होगा. अच्छा बेटी यह बता जब तुम्हारे भैया तेरे मुम्मों को घूरता है तो तुमको कैसा लगता है?
ज्जज्ज जी मम्मी वो लगता तो अच्छा है पर…
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पर क्या बेटी. अरे तुझे तो खुश होना चाहिये की तुम्हारा अपना भाई ही तुम्हारे मुम्मों का दीवाना हो गया है.
अगर मैं तेरी जगह होती तो मैं तो बहाने बहाने से अपने भाई को दिखाती.
“मम्मी.”
हाँ बेटी सच कह रही हूँ. क्या तुझे अच्छा नही लगता की कोई तेरा दीवाना हो और हर वक़्त बस तेरे बारे मैं सोचे और तुझे देखना चाहे. तुझे चोदना चाहे.
मम्मी आप भी.
अरे बेटी कोई बात नही जा अपने भाई को बेचारे को दो चार बार अपनी दोनो मस्त जवानीयों की झलक दिखा दिया कर. वैसे उस बेचारे की ग़लती नही, तू है ही इतनी कड़क जवान की वो क्या करे. देख ना अपनी दोनो मुम्मों को लग रहा है अभी कमीज़ फाड़कर बाहर आ जाएंगे. जा तू भाई के पास जाकर टी.वी देख और बेचारे को अपनी झलक दे मैं खाने का इंतज़ांम करती हूँ. खाना तैयार होने पर में तुम दोनो को बुला लूँगी.”
मैं मौसी की बात सुन वापस आ टीवी देखने लगा. थोड़ी देर बाद मीनू आई तो मैंने कहा, “क्या हुआ मीनू खाना रेडी है?”
“जी भैया खाना मम्मी बना रही हैं.”
“अच्छा तो आ तू टीवी देख.”
वह मेरे पास आ गयी तो मैंने उसे अपनी बगल मे बिठा लिया. इस बार मैं चुप बैठा टीवी देखता रहा. 5 मिनट बाद वह बार बार पहलू बदलती और मुझे देखती. मैं समझ गया कि अब सही मौका है. तब मैंने उसके गले मे हाथ डाला और बोला, “बहुत अच्छी मूवी है.”
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“जी भैया.”
फिर उसे अपनी गोद मे धीरे से झुकाया तो वह मेरी गोद की तरफ झुक गयी. तब मैंने उसे अपनी गोद पर ठीक से झुकाते कहा, “मीनू आराम से देखो टीवी मौसी तो किचन मे होगी?”
“जी भैया ठीक से बैठी हूँ.” मीनू यह कहते हुए मेरी गोद मे सर रख लेट गयी.
वह टीवी देख रही थी और मैं उसके मुम्में. तभी उसने मुझे देखा तो मैं ललचाई नज़रों से उसके मुम्मों को देखता रहा. वह मुस्काई और फिर टीवी की तरफ देखने लगी. अब वह शरमा नही रही थी. तब मैंने उसकी कमीज़ को नीचे से पकड़ा और नीचे की तरफ खींचा. वह कुछ ना बोली. मैं थोड़ा सा और खींचा तो उसके मुम्में ऊपर से झाँकने लगी. अब मैं उसकी गदराए कसे मुम्मों को देखता एक हाथ को उसके पेट पर रख चुका था. हमलोग 3-4 मिनट तक इसी तरह रहे.
फिर वह मेरा हाथ अपने पेट से हटाती उठी तो मैंने कहा, “क्या हुआ मीनू?”
“कुछ नही भैया अभी आती हूँ.”
“कहाँ जा रही हो?’
“भैया पेशाब लग आई है अभी आती हूँ करके.”
वह चली गयी और मैं उसकी पेशाब करती चूत के बारे मे सोचने लगा.
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तबी वह वापस आई तो उसे देख मैं खुश हो गया. उसने अपनी कमीज़ का ऊपर का बटन खोल दिया था. मैं समझ गया कि अब वह मेरी किसी हरकत का बुरा नही मानेगी. वह आई और पहले की तरह मेरी गोद मे सर रख टीवी देखने लगी. मैंने फिर चुपके से हाथ से उसकी कमीज़ नीचे करी और फिर धीरे से उसके खुले बटन के पास हाथ लगा कमीज़ को दोनो ओर फैला दिया. मैं जानता था कि वह सब समझ रही है पर वह अंजान बनी लेटी रही. जब कमीज़ को इधर उधर किया तो उसकी आधे मुम्में दिखने लगे. वह अंदर बहुत छोटी सी ब्रा पहने थी जिससे उसके निपल ढके थे.
मैं समझ गया कि मैं अब कुछ भी कर सकता हूँ वह बुरा नही मानेगी. फिर भी मैंने पहली बार की वजह से एकदम से कुछ भी करने के बजाए धीरे धीरे ही शुरुआत करना ठीक समझा. फिर एक हाथ को उसकी रान पर रखा और 4-5 बार सहलाया. वह चुप रही तब मैंने उसकी कमीज़ के दो बटन और खोल दिए और अब उसकी ब्रा मे कसे पूरे मुम्में मेरी आँखों के सामने थी. अब मेरी गोद मे मेरी 15 साल की बहन मीनू लेटी थी और मैं उसके मुम्मों को ब्रा मे देख रहा था. ब्रा का हुक नीचे था जिसे अब मैं खोलना चाह रहा था.
मैंने दो तीन बार उसकी पीठ पर हाथ ले जाकर टटोला तो मेरे मंन की बात समझ गयी और उसने करवट ले ली. तब मैंने उसकी ब्रा का हुक अलग किया. फिर उसका कंधा पकड़ हल्का सा दबाया तो वह फिर सीधी हो गयी और टीवी की तरफ देखती रही. मैं कुछ देर उसे देखता रहा फिर ब्रा को उसके मुम्मों से हटाया तो उसने शरमा कर अपनी आँखे बंद कर ली.
उसके दोनो मुम्मों को देखा तो देखता ही रह गया. गुलाबी रंग के बहुत टाइट थे दोनो मुम्में और निपल एकदम लाल लाल बहुत प्यारा लग रहा था. मैं उसके मुम्मों को देख सोच रहा था कि सच इतने प्यारे और खूबसूरत मुम्में शायद कभी और नही देख पाउन्गा. वह आँखें बंद किए तेज़ी से साँसे ले रही थी. मैंने अभी उसके मुम्मों को छुआ नही था केवल उनका ऊपर नीचे होना देख रहा था. मुम्मों का साइज़ बहुत अच्छा था, आराम से पूरे हाथ मे आ सकते थे. मौसी की मुम्मों के लिए तो दोनो हाथो को लगाना पड़ता था.
मैंने उससे कहा, “मीनू.”
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वह चुप रही तो फिर बोला, “मीनू ए मीनू क्या हुआ? तू टीवी नही देख रही. देखो ना कितना प्यारा सीन है.”
वह फिर भी चुप आँखें बंद किए रही तो मैं फिर बोला, “मीनू देखो ना.”
“ज्ज्ज्ज्ज ज्ज जी भैया देख तो रही हूँ.”
“कहाँ देख रही हो. देखो कितनी अच्छी फिल्म है.”
तब उसने धीरे से ज़रा सी आँखे खोली और टीवी की तरफ देखने लगी. कुछ देर मे उसने फिर आँखे बंद कर ली तो मैंने उसके गालों को पकड़ उसके चेहरे को अपनी ओर करते कहा, “क्या हुआ मीनू तुम टीवी नही देखोगी क्या?”
वह चुप रही तो उसके गालों को दो तीन बार सहला कर बोला, “कोई बात नही अगर तुम नही देखना चाहती तो जाओ किचन मे मौसी की हेल्प करो जाकर.”
उसने मेरी बात सुन अपनी आँखे खोल मुझे देखा फिर टीवी की ओर देखते बोली, “देख तो रही हूँ भैया.”
इस बार उसने आँखें बंद नही की और टीवी देखती रही. थोड़ी देर बाद मैंने एक हाथ को धीरे से उसके एक मुम्में पर रखा तो वह सिमट सी गयी पर टीवी की ओर ही देखती रही. हाथ को उसके मुम्में पर रखे थोड़ी देर उसके चेहरे को देखता रहा फिर दूसरे हाथ को दूसरे मुम्में पर रख हल्का सा दबाया तो उसने फिर आँखे बंद कर ली.
मैंने दो तीन बार दोनो मुम्मों को धीरे से दबाया और फिर उसके निपल को पकड़ मसला तो वह मज़े से सिसक गयी. दोनो निपल को चुटकी से मसल बोला, “मीनू, लगता है तुमको फिल्म अच्छी नही लग रही, जाओ तुम किचन मे मैं अकेला देखता हूँ.”
इतना कह उसके मुम्मों को छोड़ दिया और उसे अपनी गोद से हटाने की कोशिश की तो वह जल्दी आँखे खोल मुझे देखती घबराती सी बोली, “हाये न्न्न नही तो भैया बहुत अच्छी फिल्म है, हाये भैया देख तो रही हूँ. आप भी देखिए ना मैं भी देखूँगी.”
मौसी और उसकी बेटी मीनू – Antarvasna Incest Sex Kahani
वह फिर लेट गयी और सर मोड़ कर टीवी देखने लगी. मैंने उसका चेहरा अपनी ओर करते कहा, “मीनू.”
“जी भैया देखूँगी फिल्म मुझे भी अच्छी लग रही है.”
“हाये मीनू तू कितनी खूबसूरत है. हाये तेरे यह कितने प्यारे हैं.”
“क्या भैया?”
“तेरे मुम्में ?”
वह अपने मुम्मों को देखती बोली, “हाये भैया आपने इनको नंगा कर दिया हाये मुझे शरम आ रही है.”
“कोई नही आएगा. तुझे बहुत मज़ा आएगा.” और दोनो मुम्मों को पकड़ लिया और दबा दबा उसे मस्त करने लगा.
वह मेरे हाथो पर अपने हाथ रख बोली, “भैया मम्मी हैं.”
“वह तो किचन मे है. तू डर मत उनको अभी बहुत देर लगेगी खाना बनाने मे.”
फिर उसके दोनो मुम्मों को मसलता रहा और वह टीवी की ओर देखती रही. वह बहुत खुश लग रही थी. 10 मिनट तक उसके मुम्मों को मसल्ने के बाद झुककर दोनो मुम्मों को बारी बारी से चूमा तो उसके मुँह से एक सिसकारी निकल गयी.
“क्या हुआ मीनू?’
“कुछ नही भैया हाआहह भैया.”
“क्या है मीनू?”
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“भैया.”
“क्या है बता ना?”
“भैया मम्मी तो नही आएँगी?”
“अभी नही आएँगी, अभी उनको आधा घंटा और लगेगा खाना बनाने मे.”
“भैया इनको..”
“क्या बताओ ना तुम तो शरमा रही हो.”
और मैने झुककर उसके होंठो को चूमा. होंठो को चूमने पर वह और मस्त हुई तो मैंने उसके होंठो को अपने मुँह मे लेकर खूब कसकर चूसा. 3-4 मिनट होंठ चूसने के बाद अलग हुआ तो वह हाँफती हुई बोली, “ऊऊहह आआहह स भैया आहह बहुत अच्छा लगा हाये भैया इनको मुँह से करो.”
“क्या करें?”
“भैया मेरे मुम्मों को मुँह से चूस चूस कर पियो.”
मे खुश होता बोला, “लाओ पिलाओ अपने मुम्मों को.”
फिर मैं उसको अलग कर लेट गया तो वह उठी और मेरे ऊपर झुक अपना एक मुम्मा अपने हाथ से पकड़ मेरे मुँह मे लगा बोली, “लो भैया पियो इनका रस्स.”
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मैं उसके मुम्में को होंठो से दबा दबा कसकर चूस रहा था. वह अपने हाथ से दबा पूरा मुम्मा को मेरे मुँह मे घुसाने की कोशिश कर रही थी. 3-4 मिनट बाद उसने इसी तरह दूसरा मुम्मा भी मेरे मुँह मे दे दिया. दोनो को करीब दस मिनट तक चुसाती रही और मैं उसकी गाँड पर हाथ लगा उसके चूतड़ सहलाता रहा और मुम्मा पीता रहा.
फिर वह मुझे उठा मेरी गोद मे पहले की तरह लेट गयी और फिर मेरे हाथ को अपनी एक मुम्में पर लगा दबाने का इशारा किया. मैं दबाने लगा तो उसने मेरे चेहरे को पकड़ अपनी दूसरा मुम्मा झुकाया. मैं उसका मतलब समझ उसकी एक मुम्में को मसलने लगा और दूसरे को पीने लगा. वह अब मुझे ही देख रही थी. वह मेरे सर पर हाथ फेर रही थी.
वह मेरे कान मे फुसफुसा भी रही थी, “हहाअ आहह हाये भैया बहुत अच्छा लग रहा है हाउ आप कितने अच्छे हैं.”
“तू भी बहुत अच्छी है.”
“भैया एक बात तो बताओ? अभी जब आपसे खाने को पूछा था तो आप किनका रस पीने को कह रहे थे?”
“जिनका रस पी रहा हूँ, तेरे मुम्मों का.”
“हाये भैया आप कितने वो है.”
तभी किचन से मौसी की आवाज़ आई वह मीनू को बुला रही थी.
मीनू हड़बड़ाकर उठा बैठी और अपने कपड़े ठीक करती बोली, “जी मम्मी.”
“बेटी क्या कर रही हो?”
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“कुछ नही मम्मी आ रही हूँ.” वह बहुत घबरा गयी थी और मुझसे बोली, “हाये भैया दरवाज़ा खुला था कहीं मम्मी ने देख तो नही लिया?”
“नही यार वह तो किसी काम से बुला रही हैं?”
“बेटी अगर फ्री हो तो यहाँ आओ.”
“आई मम्मी.” और वह चली गयी तो मैं भी साँसे दुरुस्त करने लगा.
अपनी बहन के मुम्मों का रस पीकर तो मज़ा ही आ गया था. मैं फिर जल्दी से किचन के पास गया. मौसी रोटी सेक रही थी. मीनू उनके पास खड़ी हुई. वह अभी भी तेज़ी से साँसे ले रही थी.
मौसी उसे देखकर बोली, “क्या हुआ बेटी, तू थकी लग रही है?”
“नही तो मम्मी मैं ठीक हूँ.”
“क्या देख रहे थे तुम लोग?”
“फिल्म मम्मी, मम्मी बहुत अच्छी फिल्म थी.”
“अच्छा अच्छा बेटी तुम्हारे भैया कहाँ हैं?”
“वह तो अभी टीवी ही देख रहे हैं. मम्मी कुछ काम है क्या?”
“नही बेटी क्यों?”
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“मे जाऊँ टीवी देखने भैया अकेले बोर हो जाते हैं.”
“बहुत ख्याल रखती है अपने भैया का. जा देख जाके भाई के साथ. मुझे अभी 10 मिनट और लगेगें.”
वह खुश हो जल्दी से बाहर निकली तो मैंने उसे पकड़ अपनी गोद मे उठाया और टीवी रूम मे ले आया. वह मेरे गले मे बाँहें डाले मुझे ही देखे जा रही थी. अंदर आ मैं बैठा और उसे अपनी गोद मे बिठा उसके होंठो को चूम उसकी दोनो मुम्मों को दबाने लगा. दो मिनट बाद उसके बटन खोलना चाहा तो वह बोली, “नही भैया बटन ना खोलो ऐसे ही कर . मम्मी आ सकती हैं.”
मैं उसके मुम्मों को मसल उसे मज़ा देते बोला, “यार नंगे पकड़ने मे ज़्यादा मज़ा आता है.”
“ओह्ह भैया अभी नही खाने के बाद मम्मी तो 2 घंटे के लिए सो जाती हैं तब आपको जी भरके अपने नंगे मुम्में पिलाऊँगी. भैया ब्रा अलग कर दीजिए फिर कमीज़ के अंदर हाथ डालकर पकडिए.”
“तू कितनी समझदार है.”
फिर मैंने उसकी ब्रा खोलकर अलग कर दी तो उसने ब्रा को कुशन के नीचे छुपा दिया फिर अपनी कमीज़ को ऊपर उठाया और मेरे हाथों को अंदर किया. मैंने उसके दोनो मुम्मों को पकड़ लिया और दबा कर उसके होंठ, गाल गले पर चूमने लगा.. वह अपने हाथ पिछे कर मेरे गले मे डाले अपने मुम्मों को देख रही थी.
तभी किचन मे कुछ आहट हुई तो वह मेरे हाथ हटाती बोली, “अब रहने दो भैया मम्मी आने वाली हैं.”
मे जानता था मौसी कुछ नही कहेंगी लेकिन फिर भी मैंने उसे छोड़ दिया तो उसने अपने कपड़े ठीक किए और अलग होकर बैठ गयी. एक मिनट बाद मौसी आई और मीनू के पास बैठ गयी. वह मुझे देख मुस्काराई तो मैं भी मुस्काराया और इशारा किया कि काम बन गया.
तभी मौसी ने कहा, “बेटा तुम लोग खाना खाओगे?”
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“खा लेते है मम्मी आपको आराम भी करना होगा.” मीनू बोली.
“चलो फिर खाना खा लिया जाए.”
तब मीनू उठकर गयी तो मौसी मुझसे बोली, “क्या किया बेटा?”
“मौसी बहुत मस्त है मीनू के दोनो मुम्में, हाये मौसी दोनो का खूब रस पिया.”
“ठीक है खाना खा लो फिर मैं सोने का बहाना कर अपने रूम मे चली जाऊँगी तब तुम यही फिर करना लेकिन बेटा नीचे हाथ लगाया या नही?”
“अभी नही मौसी.”
“ठीक किया, नीचे वाला माल रात मे ही चूना. आज रात तुम्हारी और मीनू की है. अभी एक दो घंटे उसके मुम्मों का मज़ा ही लो. रात मे नीचे का. अगर अभी नीचे वाली को कुछ किया तो वह बेचैन हो जाएगी और चुदाई का असली मज़ा रात मे ही है. उसे अपना दिखाया या नही?”
“अभी नही मौसी.”
“अब उसे अपना दिखाना और मान जाए तो उसके मुँह मे भी देना. अगर ना माने तो कोई बात नही मे सीखा दूँगी मुँह मे लेना.”
फिर हम सब खाना खाने लगे. खाने पर वह मुझे देख रही थी. खैर खाने के बाद वह बर्तन साफ करने लगी. मैं टीवी देखने जाता बोला, “मीनू मैं टीवी देखने जा रहा हूँ अगर तुमको देखना हो तो आ जाना.”
“ठीक है भैया आप चलिए मैं अभी आती हूँ. बर्तन धोकर कपड़े बदल लूँ फिर आती हूँ. इन कपड़ो मे परेशानी होती है.”
“हां बेटी जाओ बर्तन साफ करके भैया के साथ टीवी देखना और मुझे डिस्टर्ब ना करना. मैं दो घंटे सोउंगी. और मीनू बेटी घर मे इतने कसे कपड़े ना पहना करो. जाओ कोई ढीला सा स्कर्ट और टी-शर्ट पह्न लो.” मौसी तो सोने की बात कह चली गयी.
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मैं टीवी देखने लगा. 10 मिनट बाद मीनू आई तो उसे देख मैं दंग रह गया. लाल रंग का स्कर्ट और वाइट टी-शर्ट मे उसने मेक-अप किया हुआ था. होंठो पर स्किन कलर की लिपस्टिक थी और पर्फ्यूम से उसका बदन महक रहा था. मैं उसे देखता रहा तो वह मुस्कराते हुए बोली, “भैया क्या देख रहे हो?”
“देख रहा हूँ कि मेरी बहन कितनी खूबसूरत है.”
“जाइए भैया आप भी, मुझे टीवी देखना है.”
फिर वह आकर मेरे पास बैठी. उसके बैठने पर मैंने उसे देखा और मुस्कराते हुए उसके हाथो को पकड़ा तो वह अपना हाथ छुड़ा उठकर आगे सिंगल बेड पर लेट गयी. मैं सोफा पर बैठा उसे देखता रहा. उसके मुम्में ऊपर को ताने हुए थे. टी-शर्ट छोटी थी जिससे उसका पेट दिख रहा था. स्कर्ट भी घुटनो से ऊपर था. वह टीवी की तरफ देख रही थी. तभी उसने अपने पैर घुटनो से मोड़े तो उसका स्कर्ट उसकी कमर पर आ गया और उसकी चिकनी गोरी गोरी राने दिखने लगी. वह अपनी चिकनी राने दिखाती अपने हाथों को अपने मुम्मों पर बाँधे थी. 8-10 मिनट तक वह ऐसे ही रही.
फिर वह मेरी ओर देख बोली, “भैया यह अच्छी फिल्म नही है, मैं बोर हो रही हूँ.”
मे उठकर उसके पास जाकर बैठा और उसकी कमर पर हाथ रख बोला, “मीनू इस वक़्त कोई अच्छा प्रोग्राम नही आता.” और कमर पर हल्का सा दबाव डालता बोला, “एक घंटे बाद एक अच्छा प्रोग्राम आता है.”
“ओह्ह भैया तो एक घंटे तक क्या करें?”
“अरे यही प्रोग्राम देखते हैं ना, आओ सोफे पर चलो ना वही बैठकर देखते हैं दोनो लोग.” मैंने उसका हाथ पकड़ उसकी नशीली हो रही आँखों मे झाँकते कहा.
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वह मुझे रोकती बोली, “भैया मैं यही लेटकर देखूँगी, थक गयी हूँ ना आप भी यही बैठिए ना.”
मैंने उसे मुस्करा कर देखा और कहा, “ठीक है मीनू तुम सच मे थक गयी होगी बर्तन धोकर.” और उसकी कमर के पास ही बैठ गया.
अभी मैं चुप बैठा था. वह टीवी देखते देखते एक दो बार मुझे भी देख लेती थी. 4-5 मिनट बाद उसने करवट ले ली तो उसकी पीठ और चूतड़ मेरी तरफ हो गये. अब मैं भी आगे कुछ करने की सोच धीरे से उसके साथ ही लेट गया और अपना हाथ उसके ऊपर रखा. हाथ उसके ऊपर रखा तो उसने चेहरा मोड़ मुझे देखा और मुझे अपनी बगल मे लेटा देख मुस्काराकार बोली, “क्या हुआ भैया आप भी थक गये हैं?”
“हां मीनू सोच रहा था थोडा लेटकर आराम कर लूँ.”
“ठीक है भैया लेटीये ना, आज तो वैसे भी कोई काम नही है.”
कुछ देर लेटा रहा फिर धीरे धीरे उसकी स्कर्ट को ऊपर खिसकाने लगा. वह चुप रही और थोड़ी ही देर मे उसका स्कर्ट ऊपर कर दिया और उसकी पैंटी दिखने लगी. कुछ देर बाद जब उसकी पैंटी को खिसकाना चाहा तो उसने मेरे हाथो को पकड़ लिया और टीवी देखती रही. मैं समझ गया कि वह शरमा रही है. मैंने सोचा ठीक है रात मे देखूँगा नीचे वाली, अभी मुम्मों का ही मज़ा लिया जाए.
फिर हाथ को उसकी टी-शर्ट के पास लाया और आगे कर उसके एक मुम्में को पकड़ा. वह चुप रही तो फिर मैं धीरे धीरे दबाने लगा. दोनो मुम्मों को 4-5 मिनट तक दबाया फिर उसकी टी-शर्ट को ऊपर करने लगा तो उसने मेरी हेल्प की. दोनो मुम्मों को टी-शर्ट से बाहर कर दिया था. वह ब्रा पहले ही उतार चुकी थी. मुम्मों को नंगा करने के बाद उसका कंधा पकड़ अपनी तरफ किया तो वह चुप चाप सीधी होकर लेट गयी. उसकी आँखें बंद थी और मैं उसकी ताने हुए मुम्मों को देखता ना रह सका और झुककर एक को मुँह मे ले लिया.
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अब मैं दोनो मुम्मों पर जीभ चला चला चाट रहा था. मैं अपनी बहन के दोनो मुम्मों को चूस नही रहा था बल्कि चाट रहा था. जब 6-7 मिनट तक चाट्ता रहा तब वह भी मस्ती से भर गयी और अपने एक मुम्में को अपने हाथ से पकड़ मेरे मुँह मे घुसेड़ती फुसफुसाकर बोली, “भैया.”
“क्या है मीनू?”
“ववव आह इनको….”
“क्या बताओ ना तुम तो बहुत शरमाती हो.”
“भैया इनको मुँह से चूस कर पियो जैसे खाने से पहले कर रहे थे.” वह शरमाते हुए बोली.
“तुमको अच्छा लगा था अपने मुम्मों को अपने भाई को चूसाने मे?”
“हां भैया बहुत मज़ा आया था, और पियो इनको.”
“पगली, शरमाया मत कर. अगर तुझे अपनी इस मस्त जवानी का मज़ा लेना हो तो शरमाना नही. चलो खुलकर इनका नाम लेका कहो जो कहना है.”
“भैया हाये पियो हाये पियो अपनी बहन के मुम्मों को.” और शरमाते हुए बोली, “ठीक है ना भैया?”
“बहुत अच्छे चलो एक काम करो यह सब कपड़े अलग करो अड़चन होती है.”
“नही भैया पूरी नंगी नही.”
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“अरे देख तेरी मस्त मुम्में मेरे सामने है ही फिर क्या?”
“नही भाई नीचे नही उतारूंगी.”
“अच्छा चलो पैंटी पहने रहो और सब उतार दो.”
“मम्मी ना आ जाएँ दरवाज़ा बंद कर लो.”
“अरे अगर दरवाज़ा बंद कर लिया तो मौसी कुछ ग़लत समझेंगी. डरो नही मौसी कम से कम 2 घंटे बाद ही उठेंगी.”
तब उसने अपनी टी-शर्ट और स्कर्ट अलग कर दिया और केवल पैंटी मे ही लेट गयी. फिर मैं उसका एक मुम्मा मसलते हुए दूसरे को चूसने लगा. 20-25 मिनट मे ही वह एकदम मस्त हो चुकी थी तब मैंने कुछ आगे ट्राइ करने की सोचा.
“मीनू.”
“जी भैया.”
“मज़ा आया ना.”
“जी बहुत आहह, आप कितने अच्छे हैं.”
“और चूसू कि बस?”
“अब बस भैया अब कल फिर.”
“क्यों रात मे नही पिलाओगी अपने मुम्मों को?”
“रात मे कैसे?”
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“मे चुपके से तुम्हारे रूम मे आ जाउन्गा.”
“ओह्ह भैया फिर तो मज़ा आ जाएगा, हाये मे तो रात भर आपको पिलाऊँगी.”
“पर मेरा भी तो एक काम करो.”
“क्या भैया?”
“देखो मैंने तुमको इतना मज़ा दिया है ना इससे मेरा यह बहुत परेशान हो गया है. तुम अपने हाथ से इसे थोड़ा प्यार करो तो इसे भी क़रार आ जाए.” और अपने लंड पर हाथ लगाया.
वह यह देख शरमाने लगी तो मैंने उसके हाथ को पकड़ अपने लंड पर रखते कहा, “अरे यार तू शरमाती क्यों है.”
“नही भैया नही मैं इसे नही पकडूँगी.” और उसने अपना हाथ हटा लिया.
“क्या हुआ जान?”
“भैया आपको जो करना हो कर लो मैं इसे नही पाकडूँगी मुझे डर लगता है.”
“अच्छ ठीक है चल तू ज़रा अपने मुम्मों को मेरे मुँह मे दे.”
फिर मैं सीधा लेट गया और वह मेरे पास आ अपने मुम्मों को पकड़ मेरे मुँह मे देने लगी. मैंने उसके मुम्मों को चूस्ते हुए अपनी पॅंट को अलग किया फिर अंडरवियर को खिसका लंड बाहर किया. लंड बाहर कर अपने हाथ से लंड सहलाने लगा. मैंने देखा कि मीनू की आँखें मेरे लंड पर थी. 2-3 मिनट बाद मीनू से कहा, “मीनू मेरी बहन हाये मेरा लंड सूखा है ठीक से हो नही रहा प्लीज़ इस पर अपना थूक लगा दो तो यह चिकना हो जाएगा और आराम से कर लूँगा.”
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वह कुछ देर सोचती रही फिर धीरे से मेरे पैरों के पास गयी और झुककर मेरे लंड पर खूब सा थूक उंड़ेल दिया. थूक लगा वह फिर मेरे पास आई तो मैं लंड सहलाते बोला, “हां मीनू अब सही है तुम्हारा थूक बहुत चिकना है. आहह चुसाओ अपनी हाये तुम्हारे मुम्मों को पीकर मूठ मारने का मज़ा ही कुछ और है.”
मे उसके मुम्मों को चूस अपनी मूठ मारता रहा फिर थोड़ी देर बाद बोला, “मीनू हाये ऐसे नही निकलेगा प्लीज़ एक काम करो”
“जी बताएँ भैया.”
“यार अपने हाथ से नही होता और तू करेगी नही, तुम प्लीज़ अपनी पैंटी उतारकर मुझे दे दो ना.”
“नही नही हाये नही भैया.”
“पगली मैं तुमको देखूँगा नही बस अपनी पैंटी दे दो. क्या मेरे लिए इतना भी नही करोगी.”
तब उसने कुछ सोचते हुए अपने स्कर्ट के अंदर हाथ डाला और फिर पैंटी उतारी और मेरी ओर कर दी. मैंने पैंटी पकड़ी और उसे सूंघते हुए उसे मस्त करने के लिए कहा, “हाये मीनू मेरी बहन कितनी मस्त और नशीली खुश्बू आ रही है तुम्हारी पैंटी से हह आह अब तुम्हारी पैंटी को प्यार करूँगा तो मेरा निकलेगा.
फिर उसकी पैंटी को दो-चार बार नाक पर लगा सूँघा और फिर उसे दिखाते हुए उस जगह को खोला जहाँ पर उसकी चूत होती है. उस जगह को देखा तो वह कुछ पीली सी थी. मैंने उस पीली जगह को उसे दिखाते कहा, “मीनू देखो तुम्हारी पैंटी यहाँ पीली है, शायद यहाँ पर तुम्हारा पेशाब लग जाता होगा.”
वह शर्मकार नीचे देखने लगी तो मैंने आगे कहा, “सच मीनू तुम्हारी चूत की खुश्बू इस पैंटी से कितनी प्यारी आ रही है. हाये इसे चाटने मे बहुत मज़ा आएगा.”
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फिर मैं उसकी पैंटी को मुँह मे ले चूसने और चाटने लगा तो वह हैरानी से मुझे देखने लगी. कुछ देर चाट कर बोला, “मीनू लग रहा है जैसे सच मे तुम्हारी चूत चाट रहा हूँ.”
वह और ज़्यादा शरमा गयी तब मैंने दो टीन बार और पैंटी को चाटा फिर उसकी पैंटी से अपने लंड को रगड़ते हुए कहने लगा, “ले हाये ले मीनू की पैंटी पर ही निकल जा हाये यह तो मेरी छोटी बहन है यह तुमको अपनी चूत नही देगी. हाये जब यह मेरा पकड़ नही रही है और मुझे अपनी चटा नही रही है तो तुझे कैसे देगी.”
और फिर मैं तेज़ी से झड़ने लगा. खूब पानी निकला था जिसे वह देख भी रही थी और शरमा भी रही थी. जब मैं झड़ गया तो उसे पकड़ उसके होंठ चूमकर बोला, “थॅंक यू मीनू अगर तुम अपनी पैंटी ना देती तो मेरा निकलता नही और मुझे मज़ा नही आता. प्लीज़ अब तुम अपनी सभी गंदी पैंटी मुझे दे दिया करना.”
वह कुछ बोल्ड हो बोली, “भैया गंदी क्यों?”
“अरे जो पहनी हुई होगी उसी मे तो तुम्हारी चूत की मस्त खुश्बू होगी ना.”
वह फिर शरमा गयी और धीरे से बोली, “हाय चलिए, भैया थोड़ा सा और चूस दीजिए ना.”
तब मैंने फिर उसके मुम्मों को 10 मिनट तक और चूसा फिर उससे बोला, “जा देखकर आ मौसी सो रही हैं ना.”
वह गयी और थोड़ी देर बाद आ बोली, “हां भैया सो रही हैं मम्मी.”
“मीनू मेरी जान तुम्हारी मुम्में बहुत अच्छे हैं, इनको चूस कर मज़ा आ गया यार ज़रा सा अपनी नीचे वाली भी चटा दो ना.”
“हाये भैया नही नही यह ठीक नही है.”
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“अरे यार तुम डरो नही बस केवल देखूँगा और एक बार चाटूँगा फिर कुछ नही करूँगा. प्लीज़ मीनू.”
“भैया आप नही मानते तो मैं आपको केवल दिखा सकती हूँ लेकिन छूने नही दूँगी, बोलिए?”
“ओके, ठीक है, दिखाओ हाये देखें तो मेरी बहन की चूत कैसी है हाये जिस चूत की खुश्बू इतनी प्यारी है वह देखने मे कितनी खूबसूरत होगी?”
वह मेरी बात सुन शरमा गयी और फिर धीरे से अपने स्कर्ट को पकड़ा और मेरे सामने खड़ी हो स्कर्ट ऊपर उठाने लगी. मैं उसकी चूत देख मस्त हो गया और लंड तेज़ी से झटके लेने लगा. मैं उसकी खूबसूरत चूत देख अपने होंठो पर जीभ फेरता बोला, “आह मीनू मेरी जान मेरी प्यारी बहन तुम्हारी चूत बहुत खूबसूरत है, हाये कितनी प्यारी सी छोटी छोटी फाँक और कितनी गुलाबी सी एकदम गुलाब की कली सी चूत है. हाये मीनू वह कितना खुशनसीब होगा जो इस कली को फूल बनाएगा. आअह उसे कितना मज़ा आएगा जब वह मेरी बहन की प्यारी सी चूत पर अपनी जीभ लगा चाटेगा.”
वह मेरी इस तरह की बात सुन मस्त हो और कुछ शरमाते हुए बोली, “ओह्ह भैया आप कैसी बातें कर रहे हैं? अब देख लिया अब बस अब चलिए आराम से टीवी देखते हैं.”
फिर वह स्कर्ट नीचे कर सामने बेड पर करवट के बल लेट गयी तो मैं भी उसके पिछे लेट उसकी गाँड पर लंड सटा उसे अपनी बाँहो मे दबोच लिया. वह कसमसाई तो मैंने उसके मुम्मों को पकड़ लिया और दबाते हुए उसे मस्त करने के लिए उसके कान मे फुसफुसाने लगा.
“मीनू मेरी बहन तुम बहुत खूबसूरत हो, तुम्हारी मुम्में बहुत कड़क है और तुम्हारी चूत का तो जवाब ही नही.”
वह शरमाती सी बोली, “भैया टीवी देखिए ना?”
“ओह्ह देख तो रहा हूँ, हाये मीनू अगर तुम इज़ाज़त दो तो तुम्हारी चूत को हाथ से छू कर देख लूँ.”
“ओह्ह भैया आप भी.”
“प्लीज़ मीनू.”
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“भैया देखिए आप ……ओके भैया लेकिन भैया अभी नही प्लीज़ अभी टीवी देखिए रात को जब मम्मी सो जाए तब आप आ जाइएएगा मेरे रूम मे तब आप देखिएगा भी और छू भी लीजिएगा.”
“हाये ठीक है मीनू, ऊहह हाये रात तक इंतेज़ार करना होगा इस प्यारी चूत के लिए.”
फिर मैंने उसके मुम्मों को पकड़ लिया और उसको मसलता रहा और टीवी देखता रहा. 15-20 मिनट बाद वह अलग होते बोली, “भैया अब हटिए मम्मी उठने वाली होंगी.”
फिर वह उठकर टॉइलेट गयी और वापस आ ठीक से बैठ गयी. फिर मैंने भी अपने कपड़े सही किए और थोड़ी देर बाद मौसी आ गयी.
मौसी भी हमारे साथ टीवी देखने लगी. 10 मिनट बाद मौसी बोली, “मीनू बेटी जा चाय बना ला.”
वह गयी तो मौसी ने मुझसे कहा, “तरुण बेटे कुछ काम बना तुम्हारा?”
“मौसी बहुत काम बन गया.”
“अच्छा क्या क्या हुआ?”
“मौसी आज तो मीनू की दोनो मुम्मों को चूस चूस कर खूब मज़ा लेकर झाड़ा और उसकी चूत को भी देखा लेकिन उसने छूने नही दिया.”
“अरे तो केवल मुम्मों का ही मज़ा लिया अपनी बहन की.”
“हां मौसी वैसे उसने कहा है कि रात को अपने रूम मे बुलाएगी.”
“अच्छा ठीक है बेटा तुम उसके कमरे मे जाकर ही मज़ा देना. कोशिश करना कि तुम उसे आज ही चोद लो, और अगर ना चोद पाओ तो एक काम ज़रूर करना.”
“क्या मौसी?”
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“तुम अपनी अंडरवियर उसके रूम मे ही छोड़ देना और अपनी कोई और आइटम भी वही छोड़ देना बाकी मैं देख लूँगी.”
“ठीक है मौसी.”
फिर मीनू चाय लेकर आ गयी. हम सब चाय पीने लगे. फिर सब कुछ नॉर्मल हो गया. मैं बाहर चला गया. रात को वापस आया फिर सबलोगो ने खाना खाया और फिर मीनू बर्तन धोने लगी तो मौसी ने मुझसे कहा, “बेटा आज तू अपनी बहन की लेगा, तुझे उसके सामने अपनी मौसी तो अच्छी नही लगेगी.”
“ओह्ह मौसी आप कैसी बात करती हो, आप तो पहले हैं और मीनू बाद मे. आज आप अकेले सो जाओ आज मीनू को कोशिश करके चोद लूँ तो फिर कल आपको.”
“ठीक है बेटा अगर वह ना माने तो ज़बरदस्ती मत करना, अगर वह डर गयी तो तुम्हारा काम बिगड़ जाएगा, जितना करवाए उतना करना बाकी मैं कल तुम्हारा पूरा काम बनवा दूँगी.”
फिर मौसी मीनू से बोली, “बेटी मैं सोने जा रही हूँ, तुम बर्तन धोकर सोना, तरुण बेटा जाओ तुम भी सोओ जाकर.”
“आप चलिए मम्मी मैं ज़रा टीवी देखूँगा.”
फिर मौसी चली गयी तो मैं किचन मे घुस गया और मीनू के पिछे खड़ा हो उसकी गाँड मे लंड लगाया. वह अपनी गाँड को मेरे लंड पर दबाती मुझे देख मुस्करती बोली, “ओह्ह भैया क्या है, जाइए आप टीवी देखिए मैं काम कर रही हूँ.”
“तुमको रोका किसने है हाये आज तो मेरी ज़िंदगी का सबसे अच्छा दिन था और अब रात भी सबसे हसीन होगी.”
“क्यों भैया?”
“हा आहह आज रात मेरी खूबसूरत जवान बहन मेरे साथ बिस्तर पर होगी ना इसलिए.” और उसके मुम्मों को पकड़ा.
“ओह्ह भैया चलिए हटिए, आप चलिए मैं आती हूँ.”
“मेरे साथ ही चलना हाये यार जल्दी धो बर्तन और चलो देख ना यह कितना तड़प रहा है.” और अपने लंड पर हाथ लगाया.
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वा मेरी पॅंट को देखते बोली, “ओह्ह भैया आप चलिए फिर मेरी चूस कर इसे सही कर लीजिएगा.”
“तुम तो बस अपने मुम्मों को ही चुस्वाति हो मीनू यार अब बहुत चूसी है तुम्हारी मुम्में अब अपनी चूत चटवाना.” और उसकी चूत छूने की कोशिश की तो वह मेरा हाथ हटाने लगी.
“भैया मुझे अपनी चुसवाने मे बहुत मज़ा आया था.” वह मेरा हाथ अपने मुम्मों पर रखती बोली.
“अरे यार तुम एक बार अपनी चूत को अपने भाई से चटवाकर तो देखो मुम्मों से ज़्यादा मज़ा चूत मे होता है.” मैंने कसकर मुम्मों को मसला.
“भैया आप कहते है तो सच होगा लेकिन मुझे बहुत डर लगता है.” वह अपने मुम्मों को देखते बोली.
“अच्छा तू एक बात बता, तुझे अपनी चूत चट्वाने मे क्या डर लगता है?”
“व्व वह वो भैया….”
“हां हां बताओ ना.”
“ज्ज्ज्जई भैया वा मुझे मेरा मतलब है मुझे शरम आती है.” उसने सर झुकाया.
“पगली शरम क्यों लगती है?” मैंने उसके चेहरे को हाथो से पकड़ अपनी ओर किया.
“आप मेरे भाई है ना.” उसने यह कहते हुए मुझे देखा और सर फिर झुका लिया.
मे उसके गालो को पकड़ उसके होंठो को चूम बोला, “अरे यार शरमाने की क्या बात जब मुम्मों को चुस्वा चुकी हो और चूत दिखा चुकी हो तो क्या शरम. चल पगली अब मुझसे शरमाने की कोई ज़रूरत नही. चलो अब चलते है.”
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फिर मैने उसे गोद मे उठाया तो वह मेरी गोद से उतरते हुए बोली, “ओके भैया ठीक है आप जैसे चाहे वैसे मज़ा लीजिएगा अपनी प्यारी छोटी बहन का पर आप छोड़िए तो.”
“अब क्या है?”
“आप अपने रूम मे चलिए मैं वही आती हूँ.”
“मीनू तुम्हारे रूम मे चलते हैं ना?”
“भैया मेरे रूम मे टॉइलेट नही है, आपके रूम मे टॉइलेट है ना, वरना टॉइलेट के लिए बाहर आना पड़ेगा.”
“अच्छा ठीक है जल्दी आना.”
फिर मैं अपने रूम मे आया और बेड पर लेट गया और अपनी बहन के आने का इंतेज़ार करने लगा. मैं लेटा हुआ अपनी मौसी के बारे मे सोच रहा था कि बेचारी मौसी आज अकेले तड़प रही होगी. तभी दरवाज़े पर आहट हुई तो मैंने देखा और देखता ही रह गया.
दरवाज़े पर मीनू खड़ी थी. उफ्फ कितनी हसीन लग रही थी वह. उसके बदन पर एक सफेद झीना सा छोटा कुर्ता था जो उसकी कमर तक ही था और अंदर काली ब्रा पहने थी. नीचे भी वह केवल काली पैंटी पहने थी और कुछ नही. उसने मेक-अप भी किया था. होंठो पर लाल लिपस्टिक थी और आँखों मे काजल और पर्फ्यूम भी लगी थी. मैं उसे पागलों की तरह देखता रहा. अपनी छोटी बहन को तीन सेक्सी कपड़ो मे देख सबकुछ भूल गया.
जब मैं उसे देखता रहा तो वह मुस्काराकार बोली, “भैया अब देखते ही रहिएगा या अंदर आने को भी कहिएगा.”
मे उसकी बात सुन बेड से उतर उसके पास गया और दरवाज़ा बंद कर उसे गोद मे उठाया और फिर बेड पर लिटाया और उसके पास बैठ उसे देखने लगा. वह इस तरह अपने आपको देखता पा मुस्कराती हुई बोली, “क्या बात है भैया अब देख भी चुको.”
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“मीनू मेरी जान क्या बात है यार इस वक़्त तू बहुत प्यारी लग रही है मन कर रहा है कि देखता ही रहूं.”
“भैया अब देखना बंद करिए, कल पूरा दिन देख लीजिएगा, अब जो करना हो करिए मुझे सोना है और सुबह कॉलेज जाना है.”
तब मैंने उसके होंठो को कुछ देर तक चूसा. वह भी मेरे होंठो को चूसती रही फिर मैंने उसके कुर्ते को उतारा और ब्रा को अलग किया तो दिन मे जी भरकर चूसे गए दोनो मुम्में ऊपर को तने तने मुझे ललचाने लगे. मैंने दोनो हाथो से मीनू के दोनो मुम्मों को पकड़ा फिर धीरे धीरे सहलाने लगा. मैं मुम्मों को सहलाते हुए मीनू को देख रहा था. वह भी मुझे ही देख रही थी और मुस्करा भी रही थी.
मैंने उसके मुम्मों को धीरे धीरे सहलाते हुए उसके होंठो को चूमा बोला, “मीनू तुम्हारी मुम्में बहुत प्यारे है.”
वह मुस्काराई और मेरे हाथो पर अपना हाथ रख दबाव ज़्यादा करते हुए बोली, “भैया मेरे मुम्में आपके लिए है. लीजिए मज़ा अपनी बहन के मुम्मों का, दबा दबाकर भैया.”
मैंने उसके मुम्मों को 6-7 मिनट तक दबाया और वह बराबर मुझे देखती रही. फिर वह मेरा हाथ पकड़ बोली, “भैया अब बस भी करिए.”
“हाये बहुत अच्छा लग रहा है.”
“अब फिर दबा लीजिएगा, अब ज़रा इनको मुँह मे लेकर चूसिए ना.”
“तुमको चुसवाना अच्छा लगता है?”
“हां भैया बहुत मज़ा आया था दिन मे.”
“ठीक है जब मन हो तब चुस्वा लिया करना.”
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फिर झुककर उसका एक मुम्मा को जीभ से चाटने लगा. कुछ देर बाद दूसरी को भी चाटा और फिर एक को मुँह मे लेकर चूसने लगा. 4-5 मिनट बाद दूसरी को भी खूब चूसा. वह अब आँखें बंद कर सिसकते हुए मेरा सर अपने मुम्मों पर दबा रही थी. कुछ देर बाद उसके निपल को मुँह मे लेकर जब पीना शुरू किया तो वह एकदम मस्त हो हाये हाये करने लगी. अब वह अपने मुम्मों को अपने हाथ से दबा दबा मुझे पिला रही थी.
“हाये भैया हाये मेरे प्यारे भैया और और हाये बहुत मज़ा है पिलाने मे, पियो सारा रस पी जाओ.”
10 मिनट तक दोनो निपल चूसे फिर मुँह अलग कर उसकी बगल मे लेट गया. थोड़ी देर मस्ती की लौ मे रहने के बाद उसने आँखे खोल मुझे देखा और मुस्कराते हुए बोली, “शुक्रिया भैया.”
“मज़ा आया ना?”
“बहुत हाये आपको मज़ा आया मेरे मुम्मों का रस पीने मे?”
“अरे यार तुझे मालूम नही कि जब बच्चा होता है तभी इनमे रस होता है.”
“ओह्ह भैया मुझे नही पता था. तो क्या आपको मज़ा नही आया?”
“अरे यार मुझे तो बहुत मज़ा आया, मैं तो रस के बारे मे बता रहा था, हां अभी तुम्हारी चूत मे रस ज़रूर होता है, अगर तुम मुझे अपनी चूत का रस पिला दो तो मुझे मज़ा आ जाए.”
वह मुझे देखने लगी फिर चुप हो गयी और कुछ सोचने लगी. कुछ देर बाद उसने मुझे देखा और मुस्काराकार बोली, “ठीक है भैया आप आज अपनी बहन की चूत चाट कर दिखाइए उसमे कितना मज़ा है.”
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मैं खुश हो गया और उसे चूम नीचे उसकी कमर के पास गया. फिर धीरे धीरे उसकी पैंटी को उतारने लगा. उसने चूतड़ उठा पैंटी अलग करवाई तो उसकी चूत देख मस्त हो गया. एकदम चिकनी लग रही थी. शायद अभी क्रीम से थोड़े बहुत रोएँ भी साफ कर आई थी. मैंने उसे बेड पर टेक लगा बिठाया और उसकी गाँड के नीचे तकिया रख दिया जिससे उसकी चूत उभर आई. फिर उसकी टाँगो के बीच लेटा और उसकी चूत के दोनो फाँक उंगली से खोल देख कर मुस्काराया तो वह भी मुस्करा दी.
“भैया क्या देख रहे हो?”
“देख रहा हूँ कितनी प्यारी है हाये इसको तो बस चाटने का मन कर रहा है.” “तो चाटिये ना भैया अब किस बात की देर है? लो चाटो.”
उसने अपनी कमर उचकाई तो मैंने उसकी चूत पर हाथ फिराया. चूत पर हाथ रखते ही मेरे बदन मे सनसनी दौड़ गयी. वह भी मचल सी गयी. उसके मुँह से एक आह निकल गयी. मैं उसकी चूत को हाथ लगा मस्त हो गया. मौसी की चूत से कहीं ज़्यादा खूबसूरत चूत थी मीनू की. मन तो कर रहा था कि हाथ रखे चूत को देखता रहूं.
मीनू की चूत को 4-5 बार सहलाया तो वह बोली, “भैया अच्छा लग रहा है.”
“हाये बहुत प्यारी चूत है, हाये छोटी सी फाँक वाली गुलाबी गुलाबी.” और फिर उंगली से दोनो फाँक खोलकर देखा तो छेद देख बोला, “और दोनो फाँक कितने मस्त है और हाये कितना प्यारा छेद है, हाये मीनू मेरी जान ऐसी चूत तो बस रात भर चाटने के लिए होती है.”
“भैया हाये आपकी बहन आपके सामने ऐसे ही चूत खोले लेटी है और आप चाट क्यों नही रहे?”
“चाटूंगा चाटूंगा यार हाये देखने से ही इतना मज़ा आ रहा है.”
फिर चेहरे को उसकी चूत पर झुकाया और नाक को उसकी चूत पर सूँघता हुआ बोला, “हाये आहह कितनी प्यारी, नशीली खुश्बू आ रही है तेरी चूत से, आहह हाये तुम्हारी पैंटी की खुश्बू से ज़्यादा मस्त खुश्बू चूत मे है.”
वह मुझे अपनी चूत की खुश्बू सूंघते देख खुश हो गयी और मेरे सर पर हाथ लगा धीरे से बोली, “ओह भैया हाये आप कितने अच्छे हैं, आप अपनी बहन को कितना प्यार करते हैं हाये और प्यार करिए अपनी बहन को आपकी बहन अब आपकी दीवानी हो गयी है.”
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कुछ देर तक चूत की खुश्बू लेने के बाद उसकी चूत को चूमा तो वह एकदम से फडक गयी और उसकी गाँड तकिये से उछल गयी और वह मेरा सर अपनी चूत पर दबाते हाये हाये करती बोली, “ओह्ह हाये आहह ब्ब्भ्ह्ह्हाऐज्जाआन उुउऊहह भैया हां हां और और ऐसे ही करिए हाये बहुत अच्छा.” फिर दो तीन बार चूमने के बाद जीभ निकाली और उसकी रानो को चाटा फिर जीभ को उसके दोनो फांको पर ऊपर नीचे तक चला चला 4-5 मिनट चाटा. वह इतने मे ही एकदम पागल सी हो गयी थी. दोनो फांकों को चाट चाट्कर थूक से भिगोने के बाद उसको देखने लगा. चूत से ज़ुबान हटी तो उसने आँखे खोल मुझे देखा फिर मुस्कराती बोली, “भैया बहुत अच्छा लगा.”
“अभी चाटूँगा तो और अच्छा लगेगा.”
“हाये भैया अभी चाटा नही क्या?”
“कहाँ मेरी जान अभी तो ऊपर से मज़ा लिया है.” और चूत की फाँक मे उंगली चलाई.
वह अपने पैर कसकर फैलाती बोली, “हाये आह आज तो मज़े से पागल हो जाऊँगी, भैया इसमे तो मुम्में चुसवाने से ज़्यादा मज़ा है.”
फिर मैंने उसकी फांको मे अपनी ज़ुबान ऊपर से नीचे चलाई और उसके क्लिट को ज़ुबान से चाटा. क्लिट को ज़बान लगते ही वह एकदम बेहोश सी हो गयी थी. क्लिट को चाटने के साथ ही उसके छेद मे ज़ुबान डाल डाल पूरी चूत को चूस कर चाटने लगा. अब वह मज़े से भारी चुतड़ को ऊपर की ओर उछाल सिसकती हुई हाये हाये कर रही थी.
फिर हाथ ऊपर कर उसकी दोनो मुम्मों को पकड़ दबा दबा चाटने लगा. 8-10 मिनट इसी तरह चाटा कि वह एक तेज़ सिसकारी ले हाये भैया बोलती झडने लगी. मुँह पर उसकी चूत का नमकीन पानी लगा तो मुँह चूत से हटा उसकी चूत को देखने लगा. चूत से धीरे धीरे नमकीन पानी रिस रहा था. झड़ती चूत बहुत प्यारी लग रही थी. मैं अभी भी उसके मुम्मों को पकड़े था और उसकी चूत को भी होंठो से कभी कभी मसल देता था.
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कुछ देर बाद वह जब नॉर्मल हुई तो मुझे देख मुस्काराई और मेरे चेहरे को पकड़ ऊपर की ओर किया. मैं उसके पास गया तो वह मेरे होंठो को चूम कर बोली, “भैया यह कैसा मज़ा दिया आपने, मैं तो आसमान पर उड़ रही हूँ.”
“मज़ा आया ना चट्वाने मे?”
“हां भैया यह तो सबसे हसीन मज़ा था. मुम्मों से ज़्यादा मज़ा चूत मे है.”
“हां मीनू इसीलिए तो कह रहा था, मुझे भी बहुत मज़ा आया, देखो मेरा लंड कैसा कड़क हो रहा है, हाये अब इसका पानी भी निकालना पड़ेगा वरना यह मुझे सारी रात सोने नही देगा.”
वह यह सुन मुझे देखने लगी. फिर धीरे से मुस्कराई और बोली, “भैया जैसे दिन मे आपका पानी निकला था वैसे ही मेरा भी पानी निकला था अभी.”
“हां जब मज़ा आता है तो पानी निकलता है और यही पानी निकलने पर ही असली मज़ा आता है, मैंने तुम्हारा पानी चाट कर निकाला है अब अपना पानी निकालूँगा तो मुझे भी मज़ा आएगा.”
“आप अपना पानी कैसे निकलेंगे?”
“कई तरीके होते है. जैसे मैं अपने हाथ से अपना पानी निकालु या तुम अपने हाथ से निकाल दो या तुम अपने मुँह मे लेकर चाटकर भी निकाल सकती हो और सबसे प्यारा तरीका है कि तुम्हारी चूत मे इसे डालकर निकालु. सबसे ज़्यादा मज़ा इसी मे आता है.”
“हाये भैया कैसे?”
“इसमे तुम्हारा पानी भी निकल जाएगा और मेरा पानी तुम्हारी चूत मे निकलेगा तो तुमको बहुत मज़ा आएगा. बोलो निकालें इस तरह से?”
“हाये नही भैया मुझे डर लगता है.”
“ओह्ह तो कोई बात नही मैं अपना पानी खुद निकालूँगा.”
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फिर अपना अंडरवियर उतार उसकी बगल मे लेटा और उसे देखते हुए मूठ मारने लगा. वह कुछ देर बाद बोली, “भैया मैं कर दूं?”
“हाये करो ना बहुत मज़ा आएगा तुम्हारे हाथ से.”
तब वह उठी और मेरे लंड को पकड़ लिया फिर धीरे धीरे हाथ ऊपर नीचे करने लगी. उसके हाथ मे लंड जाते ही मज़ा बढ़ा. 5-6 बार सहलाया तो मैं बोला, “हाये मीनू अगर तुम इसे अपने मुँह मे लेकर देखो तो मज़ा आ जाएगा तुमको. लंड चाटने मे लड़कियों को बहुत मज़ा आता है.”
मेरी बात सुन उसने मुझे देखा. वह हिचकिचा रही थी. फिर उसने मुस्काराकार अपने चेहरे को मेरे लंड पर झुकाया और होंठो को सुपाड़े के पास लाई. कुछ देर तक रुकी फिर अपनी गरम ज़बान निकाल सुपाड़े पर लगाया और फिर मुझे देखा. वह कुछ शरमाने सी लगी तो मैं उसकी हिम्मत बढ़ाता बोला, “क्या हुआ मीनू लो ना मुँह मे. लो बहुत मज़ा आता है चाटने मे. अगर अच्छा ना लगे तो मत चाटना. अरे कोई ज़बरदस्ती नही है मैं तो तुम्हारा भाई ही हूँ कोई बाहर वाला या तुम्हारा पति नही जो बुरा मानूं.”
तब उसने मुँह खोला और सुपाडे को अंदर लिया. फिर उसने केवल सुपाडे को तीन चार बाद अंदर बाहर किया और शायद उसे अच्छा लगा था क्योंकि उसके बाद उसने अपनी ज़बान बाहर निकाली और पुर लंड को चारो ओर से ज़बान लगा लगा चाटने लगी.मे मस्त हो गया और आहह हाये करने लगा. कुछ देर तक उसने लंड को ज़बान से ही चाटा.
फिर उसने लंड को अपने मुँह मे लिया और कसकर चूसने लगी. अब तो मैं समझ गया कि अब घर मे जन्नत हो गयी है. वह अपना मुँह तेज़ी से लंड पर ऊपर नीचे चलाती चाट रही थी. मैंने उसके सर को पकड़ा और अपनी गाँड उछाल उछाल उसके मुँह को ही चोद्ने लगा. वह भी तेज़ी से चाट रही थी.
10 मिनट बाद मे हांफता सा बोला, “हाहह बस… बस कर मीनू अब निकाल दे अपने मुँह से बाहर अब झडने वाला है. आहह हाये मैं गया.”
फिर उसने लंड को मुँह से बाहर किया और देखने लगी. मेरे लंड ने दो चार झटके लिए और फ़च से झड़ने लगा. वह बहुत गौर से देख रही थी. मैं लेटा था इसलिए सारा पानी मेरे ऊपर ही गिर गया. दो मिनट बाद लंड एकदम लूज हो गया और वह भी नॉर्मल हुई. तब मैंने उसकी पैंटी से अपना लंड और पानी को पोंछा और पैंटी को अपने बेड के नीचे डाल दिया. मैं मौसी की बात सोच रहा था कि मीनू का कोई कपड़ा अपने रूम मे मौसी को मिले तो वह उसे फँसाए.
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फिर मीनू को अपनी बाँहों मे भर लिया और अपने ऊपर लिटा लिया. वह मेरे ऊपर थी और उसके मुम्में मेरे सीने से दब रही थी और चूत लंड के ज़रा ऊपर पेट पर थी. मैं उसके दोनो गुदाज़ चूतड़ पर हाथ लगा सहलाता हुआ उससे बातें कर रहा था.
“मीनू मेरी बहन कैसा लगा लंड चाटने?”
“भैया….”
“आए शरमा मत बता ना अपने भैया का लंड कैसा लगा? अगर अच्छा नही लगा तो फिर नही कहूँगा चाटने को.”
“नही नही भैया.”
“क्या नही नही?”
“व्व वो मेरा मतलब है भैया बहुत अच्छा लगा चाटने मे. भैया प्लीज़ अब मैं रोज़ रात को आपके साथ ही लेटुंगी. आप प्लीज़ रोज़ मेरी चूत को चाटियेगा और मैं आपका लंड.”
“ठीक है जान तुम्हारा हर तरह से मैं ख्याल रखूँगा. अब बताओ क्या इरादा है?”
“भैया जो आप चाहें.”
“मैं तो तुमको अभी खूब मज़ा देना चाहता हूँ. बोलो लोगी मज़ा?”
“जी भैया बिल्कुल बोलिए क्या करेंगे?”
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“अब तुम्हारी चूत को अपनी उंगली से चोद्कर तुमको मज़ा दूँगा.”
“हाये भैया उंगली से कैसा लगता है?”
“उंगली से भी मज़ा आता है. तुमको लगेगा कि कोई तुम्हारी चूत को चोद रहा है.”
“हाये भैया कोई कौन, मेरे भैया क्यों नही?”
“हाये तुम मेरा लंड अपने अंदर लो तो ऐसा ही कहता.”
“मुझे डर लगता है भैया प्लीज़ आप उंगली से करिए.”
तब उसे एक कुर्सी पर बिठाया और उसके सामने बैठ उसकी चूत को खोल ज़ुबान लगा चाटने लगा. वह अपने पैरों को मेरे कंधों पर रखे थी. मैंने कुछ देर तक चूत को चाटा फिर एक उंगली को उसकी चूत मे कच से पेल दिया. उसके मुँह से हाये निकला. फिर उंगली को अंदर बाहर कर मीनू की चूत को फिंगर फक करने लगा. उसे मज़ा मिला और वह चूत को उचका उंगली से चुद्वाती रही. मैं एक हाथ से उसके मुम्मों को दबा दबा उसे फिंगर फक कर रहा था.
इस बार वह पहले से भी ज़्यादा झड़ी. जब वह झड़ रही थी तो उसने मेरी उंगली को अपनी चूत मे ही दबा लिया और होंठो को कसे झड़ती रही. उसने टाँगो को मेरी गर्देन पर कस रखा था और मैं उसकी रानो को चाट रहा था. उसकी गाँड बहुत तेज़ी से झटके ले रही थी.
जब वह झड़ कर नॉर्मल हुई तो उसने आँखे खोल मुझे देखा. मैं भी उसे ही देख रहा था. उसने मुस्कराते हुए अपने पैर मेरे कंधे से हटाए और रानो को चौड़ा किया तो मैंने अपनी उंगली उसकी चूत से बाहर निकाली. वह उसकी चूत के रस से सराबोर थी. मैंने उंगली उसे दिखाई फिर अपने मुँह मे ले अपनी उंगली चाट ली और बोला, “हम्म क्या मज़ेदार रस है मेरी बहन का.”
वह यह देख मुस्काराई और बोली, “भैया मुझे भी चटाओ रस.”
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तब मैंने उसकी चूत मे उंगली डाल घुमाया और फिर उंगली निकाल उसके मुँह के पास कि तो उसने मेरी उंगली मुँह मे ले चूसी और बोली, “हां भैया बहुत प्यारा टेस्ट है.”
फिर मैंने उसे गोद मे उठाया और बाथरूम मे गया. फिर उसकी चूत और अपना लंड धोकर साफ किया और वापस आया. मैं बेड पर लेटा तो वह मेरी बगल मे लेट मुझसे चिपकती मेरे होंठो को चूम बोली, “भैया आप बहुत अच्छे हैं.”
“तू भी बहुत अच्छी है मेरी जान.”
“भैया अब मैं अपने रूम मे जाती हूँ.”
“हाये अभी तो 2 बजे है अभी और रूको ना.”
“भैया आज नही. कल फिर आऊँगी.”
“कल दिन मे तो तुम कॉलेज जाओगी ना?”
“जी तभी तो अभी जा रही हूँ. भैया कल पूरी रात अपने भैया के पास रहूंगी.”
“सच?”
“और क्या मैं अपने भैया से झूठ बोलूँगी? भैया कल आपकी बहन रात भर आपके बेड पर आपकी बाँहों मे रहेगी.”
“रात भर बिना कड़ों के पूरी नंगी अपने नंगे भैया की बाँहों मे रहना होगा और लंड को चाट कर चूत चटवानी होगी?”
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“जी भैया जो जी मे आए करिएगा पर अब आज नही, कल.”
“ओके.”
फिर उसे अपने से अलग किया तो उसने अपना कुर्ता पहना और ब्रा लेकर पैंटी उठाने लगी तो मैं बोला, “इसे छोड़ दो यही हाये रात भर यह तुम्हारी याद दिलाएगी.”
वह मुस्काराई फिर बिना पैंटी पहने नीचे से नंगी अपनी गाँड मुझे दिखाती दरवाज़े तक गयी और पलट कर मुझे देखा और मुस्काराकार मुझे देखा और दरवाज़ा खोला और फिर बाहर देखा फिर चुपके से निकल गयी.
अगले दिन सुबह मैं देर से उठा. मीनू कॉलेज जा चुकी थी. मैंने फ्रेश होकर नाश्ता किया. कुछ देर बाद मौसी आई और मुस्कराकर बोली, “क्यों बेटा खूब मज़ा लिया रात भर नये माल का?”
“मौसी आप भी.”
“मैंने उसे तुम्हारे रूम मे जाते और वापस आते देखा था.”
“जी मौसी पर चोदा नही है.”
“क्या क्या किया?”
“अभी मुम्मों को चूस कर चूत को चाटा और उंगली से चोदा है.”
“अपना माल दिखाया या नही?”
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“दिखाया अरे मौसी अपना उसके मुँह मे दे दिया है.”
“अरे तुम दोनो तो एक दिन मे ही बहुत आगे तक जा चुके हो.”
“हां मौसी अब आप उसे चुद्वा दीजिए. वह चुद जाएगी, कह रही थी कि उसे शरम आती है. ओह्ह मौसी उसकी चूत इतनी प्यारी है कि क्या बताऊ.”
“अरे बेटा 15 साल का कसा माल है, अनछुआ भी है. मज़ा तो आएगा ही. आज ही कोशिश करूँगी तेरा काम बनाने की.”
“मौसी उसकी पैंटी मेरे रूम मे है.”
“बस बन गया काम, तू पैंटी मेरे रूम मे रख दे.”
मैंने पैंटी मौसी के रूम मे रख दी और यूनिवर्सिटी चला गया.
दिन मे जब मीनू वापस आई तो मौसी ने उसे बुलाया और उसे घूरने लगी. वह डर गयी और चुप रही. मौसी ने उसे घूरने के बाद कहा, “मीनू.”
“ज्जजई मम्मी.”
“यह तुम्हारी है ना?” मम्मी ने उसकी काली पैंटी उसे दिखाते कहा.
वह पैंटी देख घबरा गयी और हकलाने लगी. तब मौसी ने उसका हाथ पकड़ा और अपने रूम मे ला उसे बैठा खुद उसके पास बैठती बोली, “बेटी यह तेरे भाई के रूम से मिली है.”
“मम्मी मुझे नही पता वहाँ कैसे गयी.”
“ऐसा तो नही तुम गयी हो भाई के रूम मे?”
“न्न्न नही मम्मी.”
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“ओह्ह मुझे लगता है तुम्हारा भाई ही इसे ले गया होगा अपने रूम मे. मुझे लगता है वह छुप छुप कर तुमको देखता भी है.”
“ज्ज्ज मम्मी.”
“बेचारा वह भी क्या करे तू है ही इतनी खूबसूरत की कोई भी लड़का तुमको देखना चाहेगा.”
वह शरमाई तो मम्मी ने आगे कहा, “क्यों बेटी कॉलेज मे लड़के तुमको देखते होंगे.” वह फिर शरमाई तो मौसी ने उसका चेहरा पकड़ कहा, “अरे बेटी शरमा नही, मैं तुम्हारी सहेली भी हूँ, मैं ही तुमको सब कुछ समझाउंगी बताओ?”
“ज्जई मम्मी लड़के देखते तो है.”
“कुछ कहते या करते तो नही?”
“नही मम्मी मैं किसी से बात नही करती और ना ही देखती हूँ पर..”
“पर क्या?”
“वह लड़के उल्टा सीधा बोलते रहते हैं.”
“क्या कहते हैं?”
“जी यही कि कितनी खोबसूरत है और इसका माल कितना कसा है.”
“बहुत बुरे होते हैं वह लड़के, बेटी तुम कभी उनके चक्कर मे मत आना, जानती हो ऐसे लड़के लड़कियों को अपने जाल मे फँसाकर उनकी इज़्ज़त से खेलते हैं.”
“जी मम्मी.”
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“बेटी तुम जवान हो और जवानी मे हर लड़की चाहती है कि कोई उसे खूब प्यार करे. अगर तुम्हारा मन करे तो तुम मुझे बताना.”
“ज्जजई.”
“हां बेटी, इस उमर मे ऐसा होता है यह कोई ग़लत बात नही. लेकिन बाहर के लड़के लड़कियों को बर्बाद कर देते है. बेटा तुम्हारा भाई तुमको बहुत प्यार करता है. वह तुमको छुप कर देखता भी है. तुम उसे ही दिखाओ ना अपना कसा माल.”
“मम्मी.”
“हां बेटी मैं सही कह रही हूँ, इस उमर मे अगर कोई लड़का लड़की को प्यार करता है तो उसे बहुत मज़ा आता है. अगर इस वक़्त कोई लड़का तुमको प्यार करे तो तुमको लगेगा कि तुम जन्नत मे हो. तुम रात मे अकेले सोती हो अगर कोई लड़का तुम्हारे साथ सोए तो तुम बहुत खुश होगी. इसीलिए कह रही हूँ कि बाहर के लड़को के साथ कभी मत मिलना जुलना.”
“जी मम्मी नही मिलूंगी.”
“तुम्हारा मन करता हो कि कोई लड़का तुम्हारे साथ सोए तो तुम अपने भाई को अपना कसा माल दिखाओ और अगर वह तुमको प्यार करेगा तो कोई डर नही होगा. इसमे बदनामी भी नही होती और कोई जान भी नही पाता.”
मीनू मन मे बहुत खुश थी. मौसी तो उसके मन की बात कर रही थी. वह शरमाने की एक्टिंग करती बोली,
“मम्मी हाये नही.”
“जा अपनी कोई पुरानी छोटी कुरती पहन आ जिससे तुम्हारे ये दोनो कम से कम आधे बाहर निकल आए और अंदर ब्रा नही पहनना और नीचे मियानी फटी रखना जिससे तुम्हारे भाई को सब कुछ दिखे.”
“मम्मी! हाये नही भाई क्या सोचेगा?”
“पगली देख तू अगर घर से बाहर किसी के चक्कर मे पड़ी तो तेरे भाई की कितनी बदनामी होगी, इसीलिए कह रही हूँ. कोई बात नही देखो बेटी मुझसे मत शरमाओ. अगर तुम्हारा मन करता है कि कोई लड़का तुमको प्यार करे तुमको चाहे तो मुझे बताओ मैं घर पर ही तुम्हारे लिए लड़के का इंतज़ाम कर दूँगी. बोलो?”
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“ज्जज्ज मम्मी ववव वह मन…”
“हां हां बोलो बेटी शरमाओ मत.”
“जी मम्मी मन तो करता है…”
“क्या मन करता है खुलकर पूरी बात बताओ.”
“जी मम्मी मन करता है कोई लड़का मुझे पकड़कर खूब चूमे और इनको..”
“हां बेटी बोलो.” मौसी ने हौसला दिया.
“मम्म मन करता है कोई इनको पकड़ कर दबाए और चूसे.” मीनू ने अपने मुम्मों को पकड़ कर शरमाते हुए कहा.
“पगली तो इसमे इतना शरमाने की क्या बात है. इस उमर मे तो यह मन करता ही है. तुम्हारे भले के लिए कह रही हूँ. तुम अपने भाई को अपने खूबसूरत बदन को दिखाओ तो अगर वह फँस गया तो तुमको कहीं बाहर जाने की ज़रूरत नही होगी.”
“जी मम्मी क्या करना होगा?”
“पहले तो तुम जाओ और कोई छोटे कपड़े पहनो जिसमे कुछ दिखे.”
फिर वह अपने रूम मे जा पुराने कपड़े पहन आई. सफेद शलवार जंपर था. शलवार कसी थी और जंपर भी कसी थी और दोनो मुम्में कसकर बाहर को आ रहे थे और ऊपर से दिख रहे थे. वह पास गयी तो मौसी ने उसे पकड़ कहा, “हां अब ठीक है, जब भाई आए तो उसके सामने ही बैठना और पैरों को फैलाना जिससे उसे तुम्हारी चूत की झलक दिखे और मुम्मों को ज़रा और बाहर निकाल लेना जा.”
फिर जब शाम को मैं पहुँचा तो मीनू ने मुझे देखा और पास आई तो मैंने उसके मुम्मों को पकड़ कहा, “हाये मीनू कितनी प्यारी लग रही हो इन कपड़ों में हाये सब दिख रहा है.”
मौसी और उसकी बेटी मीनू – Antarvasna Incest Sex Kahani
“भैया मम्मी ने पहनाए है ये कपड़े, कहा है अपने भाई को दिखाओ अपना माल.”
“हाये तेरा माल तो देख भी चुका हूँ और चख भी चुका हूँ, रानी आज तो तुम्हारा पूरा मज़ा लूँगा, आज अपनी बहन की जवानी को खुलकर चोदूँगा.”
“भैया हटो भी आप तो मुझे चोदे बिना नही मनोगे?”
“अरे यार मौसी भी चाहती है कि तुम अपनी चुदवाओ मुझसे तो क्यों शरमाती है?”
“जी नही भैया मम्मी तो बस इतना चाहती हैं कि मैं आपको दिखाऊ और थोड़ा बहुत दबवाकर मज़ा लूँ. आई बात समझ मे अब जाइए और रात को मेरे रूम मे आना हो तो मुझे इनकार नही.”
फिर वह इठलाती हुई चली गयी. मैं मौसी के पास गया और पूछा तो मौसी बोली, “काम बन रहा है, जल्दी मत करो आज रात चोद लेना अपनी बहन को.”
फिर सब नॉर्मल होने लगा. वह मुझे देख देख इठला रही थी. खैर रात के 11 बजे मे उसके रूम मे गया तो वा बेड पर लेटी कोई बुक देख रही थी. मैं उसके पास गया तो वह बुक रख मुझे देखने लगी. मैं पास गया और उसको पकड़ कहा, “आज क्या करवाएगी?”
फिर जब मैं उसके पास गया तो वह मुझे देख मुस्कराने लगी. मैंने उससे कहा, “मीनू बोल क्या करवाएगी?”
“भैया जो चाहो करो, अब तो मैं आपकी हूँ.”
“तुम झूठ बोलती हो.”
“नही भैया सच कह रही हूँ, मैं अब सिर्फ़ आपकी हूँ.”
मौसी और उसकी बेटी मीनू – Antarvasna Incest Sex Kahani
“तो ठीक है पहले तो मैं तुम्हारी चूत को चाट कर मज़ा लूँगा फिर आज तुमको चोदूँगा भी.”
“नही भैया प्लीज़ चाट लो पर चोद्ना नही.”
“क्यों? तुम तो कहती हो कि तुम सिर्फ़ मेरी हो तो क्या बात है?”
“मुझे डर लगता है.”
मे अभी कुछ कहने ही वाला था कि बाहर से आहट की आवाज़ आई और फिर मौसी की आवाज़ आई, “तरुण बेटा तुम कहाँ हो?”
“मौसी मैं यहा हूँ मीनू के पास.”
मौसी अंदर आई. हम दोनो ठीक से बैठे थे. मौसी पास आ मीनू के पास बैठी और बोली, “तरुण बेटा तुम इतनी रात को यहाँ क्या कर रहे हो?”
मीनू कुछ घबरा रही थी. मैं मीनू को देखते बोला, “मौसी नींद नही आ रही थी सोचा मीनू से बातें ही करूँ कुछ देर.”
“हां हां बेटा ठीक है, तुम दोनो लोग बातें करलो मैं तो सोने जा रही हूँ. वैसे तुमलोग भी जल्दी सो जाना बाते करने के बाद.”
“पर मौसी यह मुझसे बात नही कर रही.”
“अरे क्यों?”
“जो मैं इससे कह रहा हूँ वह नही मान रही.”
“अरे मीनू बेटी क्या बात है. अपने बड़े भाई की बात मानलो, जो कह रहा वह करो. बेटा मानेगी तुम्हारी बात.”
मीनू सब सुन घबरा सी रही थी. तभी मौसी ने उसके गालों को पकड़ कहा, “बेटी क्या कह रहा था यह?”
“ज्ज्ज…”
“क्यों तुम क्या कह रहे थे इससे?”
“मौसी मैं कह रहा था कि तुम मेरी छोटी और प्यारी बहन हो और मैं तुमको बहुत प्यार करता हूँ और मैं इस वक़्त इससे कुछ प्यारी बातें करने आया हूँ.”
मौसी और उसकी बेटी मीनू – Antarvasna Incest Sex Kahani
“अरे बेटी तुम अपने भाई को बहुत परेशान करती हो. तुमको समझाइया था दिन मे. चलो अपने भाई को अपना माल दिखाओ.”
वह मौसी की खुली खुली बात सुन शरमा गयी. मैं खुश था. तभी मौसी मुझसे बोली, “बेटा तुम अपनी बहन का माल देख लो और इसे थोड़ा प्यार भी करना, बेचारी को किसी के प्यार की बहुत ज़रूरत है.”
फिर मौसी ने उसका हाथ पकड़ कहा, “आओ बेटी मैं तुमको प्यार करवा दूं भाई से.”
मीनू घबराती और शरमाती सी बोली, “ज्ज्ज.. म्म्ममी आप जाइए मे….मे..”
“क्या मैं मे कर रही है?”
“जी मैं करवा लूँगी.”
“क्या करवा लेगी, बोल अपने भाई को अपना माल दिखाई?”
“ज्जजई…”
“और उसे प्यार भी करने देना.”
“ज्ज्ज..”
“ठीक है मैं जा रही हूँ.”
फिर मौसी जैसे ही बाहर गयी मैंने उसे पकड़ लिया और उसके होंठो को चूमते कहा, “दिखाओ अपना माल.”
“भैया दरवाज़ा तो बंद कर लो.”
“पगली दरवाज़ा क्या बंद करना मौसी तो खुद ही कह गयी हैं.”
तब उसने मुस्कराते हुए अपने कपड़ो को अलग किया और फिर नंगी हो अपने मुम्मों को पकड़ बोली, “लो भैया देखो अपनी बहन का माल.”
मे उसके मुम्मों को पकड़ दबा दबा चूसने लगा. वह मुस्करती हुई मुझे देखने लगी. कुछ देर बाद वह मेरे बालों मे हाथ फेरते बोली, “भैया पहले मेरी चाट कर झड़वा दो फिर चूसना.”
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तब मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसकी चूत के पास जा चूत को देखते कहा, “हाये कितनी प्यारी चूत है, मज़ा आ जाएगा इसको चाट कर.”
“तू चाटो ना इसे भाई आपकी ही है.”
फिर मैंने ज़ुबान निकाल उसकी चूत को 8-10 चाटा फिर अंदर तक जीभ पेल चाटने लगा 50-55 बार चाटा तब उसकी चूत ने फुच से पानी फेंका. नमकीन पानी निकलते ही मैं अलग हुआ तो वह हाये हाये करती बोली, “मज़ा आ गया भैया.”
फिर मैंने कुछ देर उसके मुम्मों को मुँह मे लेकर चूसा और फिर जब वह एकदम मस्त हो गयी तो अपनी पॅंट खोल लंड को निकाल उसे दिया. उसने मेरे लंड को पकड़ा और फ़ौरन मुँह मे ले लिया. वह मेरे लंड को होंठो से दबा दबा कसकर चूस रही थी. 30-35 बार चूसा था कि मैंने लंड बाहर निकाल लिया.
“क्या हुआ भैया?”
“अब चुद्वाओ अपनी.”
“नही नही भैया प्लीज़..”
“अरे यार डरती क्यों है.”
“नही नही मुझे नही चुद्वाना. चुस्वाकर झडवालूँगी पर चुद्वाउंगी नही.”
“तब मैंने उसके मुँह को ही चोद्कर अपना झाड़ा.”
फिर मैं गुस्सा दिखाते अपने रूम मे चला गया.
अगले दिन सुबह नाश्ते पर मौसी ने पूछा, “बेटी रात मे भाई ने तुमको प्यार किया था?”
वह शरमाई तो मौसी ने मुझसे कहा, “क्यों बेटा रात मे अपनी बहन को प्यार किया था?”
“हां मौसी थोड़ा सा किया था.”
“थोड़ा सा क्या मतलब?”
“यह कुछ करने ही नही देती.”
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“क्यों बेटी अरे मैंने कहा था जो भाई करे करने देना, चलो कोई बात नही नाश्ता हो गया चलो अब मेरे रूम मे दोनो लोग देखते हैं तुम लोग क्या करते हो.”
फिर मौसी हम दोनो को अपने रूम मे ला खुद बेड पर बैठी और मुझे एक ओर बिठा मीनू का हाथ पकड़ उसे अपने पास बिठा उसके गालो को सहलाती प्यार से बोली, “बेटी क्या हुआ बोलो भाई तुमको परेशान करता है क्या?”
वह चुप रही तो मौसी ने फिर कहा, “बेटी कल रात मैंने देखा था कि तुम अपने भाई की गोद मे बैठी हो.”
“ज्ज्ज्जई…”
“हां हां बोलो, तुम अपने भाई की गोद मे बैठती हो कि नही?”
वह शरमाई तो मौसी ने कहा, “अरे बेटी शरमाओ नही अपने भाई की ही गोद मे बैठी थी ना कोई बाहर वाले की गोद मे तो नही, कोई बात नही तुम लोग जो मन करे किया करो.”
फिर मौसी मुझसे बोली, “क्यों बेटा तुम अपनी बहन को अपनी गोद मे बिठाते हो.”
“जी मौसी मुझे बहुत अच्छा लगता है जब यह मेरी गोद मे बैठती है. और…”
“और क्या बेटा?”
“और मैं इसे अपनी गोद मे बिठाकर इसके दोनो पकड़कर…”
“क्या तुम तो ना शरमाओ अपनी बहन की तरह.”
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“और मे इसके दोनो मुम्मों को पकड़ कर दबा दबा इसको चूमता हूँ.”
मीनू तो मेरी बात सुन शरमा कर घबराने सी लगी पर मौसी ने कहा, “और क्या क्या किया है तुमने मेरी बेटी के साथ?”
“मौसी मैंने अपनी प्यारी बहन को अपना लंड पिलाया है और इसकी मुम्मों का रस पिया है और इसकी चूत को खूब चाटा है.”
“अरे तुम दोनो इतना सब कर चुके हो. क्यों बेटी तुमने अपने भाई का लंड मुँह से चूसा है और अपनी मुम्में चुसवाये हैं?”
“ज्जज्ज…” मीनू हिचकिचाई.
“हाँ मौसी तेरी यह बेटी लंड को खूब कसकर चूसती है और सारा पानी मुँह मे ही लेती है और मौसी अपने मुम्मों को खूब दबा दबाकर पिलाती है सारा रस मेरे मुँह मे निचोड़ देती है.”
मौसी मीनू के चेहरे को पकड़ बोली, “मे तो कह रही थी कि थोड़ा बहुत भाई को दिखा दिया करो पर तुमने तो खूब मज़े लिए अपने भैया से, चलो कोई बात नही बेटी आज तुम लोग और मज़ा लो.”
“मौसी प्लीज़ आज मैं इसको चोदूँगा.”
“अरे तो चोदो ना कोई मना करता है क्या? बेटी अपने भाई का लंड चूत मे लो बहुत मज़ा आएगा.”
यह बात सुन मीनू खुल कर बोली, “मम्मी मैं भैया का लंड मुँह मे तो रोज़ ही लेती हूँ पर चूत मे आज पहली बार लूँगी इसलिए प्लीज़ आप भी साथ रहिएगा.”
“ठीक है बेटी तरुण बेटा चलो आज पहले मुझे चोद्कर अपनी बहन को दिखाओ फिर इसको चोद्ना.”
“अब उपर आओ ना बेड पर यूँही खड़े रहो गे क्या? यहाँ आओ बेटा.” मौसी ने मेरा हाथ पकड़ मुझे बिठा लिया.
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“यहाँ नही हमारे दरमियाँ आओ, आज यहाँ ही केरते हैं जो केरना है. मीनू वैसे भी घबरा रही है, मुझे ही कुछ करना पड़ेगा.” मौसी ने नकली गुस्सा देखते हुए मुस्कुरा कर कहा और मुझे अपने और मीनू के बीच बिठा लिया.
“अच्छा अब जो कहती जाऊं वैसे केरते जाओ तुम दोनो! ओके!”
हम दोनो ने खामोशी से सिर हिला दिया.
“पहले तो तुम दोनो रिलैक्स हो जाओ कुछ नही हो गा किसी को ओके! और ये तो उतारो.” मौसी मेरी शर्ट उतारने लगी उस ने बाज़ू उपर करके शर्ट उतरवा ली, फिर मौसी ने मेरी चेस्ट पे हाथ फेरा.
“देखो मीनू तेरे भाई के जिस्म पे कैसे प्यारे कट्स हैं.” मौसी ने मीनू का हाथ पकड़ के मेरे चेस्ट पे रख दिया. मीनू का दिल एक बार ज़ोर से धड़का लेकिन उस ने हिम्मत नही छोड़ी और हल्के हल्के अपना गर्म गर्म हाथ मेरे चेस्ट पे फैरने लगी. मैं अब रिलैक्स था मेरा लंड आहिस्ता आहिस्ता फूलने लगा था. तभी मौसी ने मेरे पैट पे हाथ फेरते हुए मेरे सेमी एरेक्टेड कॉक को ट्राउज़र के उपर से ही पकड़ लिया और बोली, “अररे क्या केरते हो!! जवान बनो, चलो ये भी उतारो.”
और मौसी ने मेरा ट्राउज़र भी उतार दिया. मैंने हल्का सा खुद को उठा कर ट्राउज़र उतारने मे मौसी की मदद की. अब मैं दोनो के दरमियाँ बिल्कुल नंगा बैठा था. मीनू की नज़ारे मेरे सेमी एरेक्टेड लंड पर थीं जो कि मौसी के हाथ मे था. उस का दिल अब और भी ज़ोर से धरकने लगा था.
“तरुण बेटा इस को बड़ा करो.” मौसी ने कहा.
“मौसी आप खुद ही कर लो ना, आप को तो आता है ना.” मैंने मौसी की तरफ देखते हुए जवाब दिया.
“बड़ा होशयार हो गया है मेरा बेटा. चल तू लेट जा हम खुद ही कर लेते हैं इस को बड़ा.” मौसी ने मुझे कंधे से पकड़ कर लिटा दिया और खुद मेरी टाँगो की तरफ आ गई और मीनू का हाथ जो अभी तक मेरे सीने पे था पकड़ कर मेरे लंड पे रख दिया.
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“पकड़ो इसे!!! आज से ये तुम्हारा है.”
और मीनू ने मेरा लंड हाथ मे ले कर मुट्ठी बंद कर ली. उसे लगा के जैसे उस ने कोई गर्म गर्म रोड पकड़ लिया है वो काफ़ी सख़्त हो रहा था और झटके ले रहा था. मैं मीनू के हाथ की नर्मी और गर्मी अपने रोड पे महसूस कर के और भी हार्ड होने लगा.
“ऐसे करो जान.” मौसी ने मीनू का हाथ पकड़ के मेरे लंड पे ऊपर नीचे किया और मीनू अपने हाथ को हल्के हल्के अप्पर नीचे केरने लगी और मेरे लंड की रगो को अपने हथेली मे महसूस केरने लगी.
“मम्मी ये तो बहुत बड़ा है.” मीनू ने आहिस्ता से सरगोशी की.
“हां, और मज़े का भी.” मौसी ने मीनू की आँखो मे देखा और थोड़ा सा झुक कर मेरे हार्ड राक लंड के हेड पे किस की और मेरे पूरे बदन मे करेंट सा दौड़ गया.
“चलो बेटी अब तुम्हारी बारी.” मौसी ने मीनू को कहा और मीनू ने एक नज़र मेरी तरफ देखा. मैं सिर उठा कर उस की तरफ ही देख रहा था.
मीनू बहुत अच्छी एक्टिंग कर रही थी शरमाने की. साली कई दिन से मेरा लंड चूस रही थी पर आज मौसी के सामने बेचारी शरमा भी रही थी इसलिए लग रहा था जैसे सबकुछ आज पहली बार हो रहा है. मीनू ने शरमाते हुए जल्दी से मेरे तने हुए लंड के सिर पे किस कर दी.
“शाबाश.” मौसी ने कहा. “अब तो तुम दोनो की शरम उतर गई ना.”
“मौसी मैं अकेला ही नंगा रहूंगा क्या?” मैंने मौसी से पूछा.
“नही हम भी उतारने लगे हैं कपड़े तुम परेशान क्यों होते हो, ये लो बाबा.” और मौसी ने अपनी कमीज़ एक झटके से उतार दी और उनकी बड़े बड़े मुम्में उछल कर बाहर आ गए.
“चलो बेटी उतारो इसे.” मौसी ने मीनू की कमीज़ पकड़ कर कहा.
“मुझे शर्म आती है आप ही उतारो.” मीनू ने नज़रे झुकाते हुए कहा.
“ओह! हो अभी भी शर्म, लाओ इधर आओ ज़रा.” और मौसी ने मीनू की कमीज़ भी उतार दी. मीनू ने बाज़ू उपर कर के मौसी की हेल्प की.
“गुड!” मौसी ने कहा और उस की कमर पे हाथ लेजा कर उस की ब्रा भी खोल दी.
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अब मीनू की गोल गोल पर्फेक्ट ताने हुए 32 साइज़ के मुम्में बाहर आ गए. मौसी ने दोनो पे हाथ फेरा और कहा, “लो ज़रा मेरी ब्रा तो खोलना.” मौसी ने अपनी कमर मीनू की तरफ की.
और उस ने मौसी की ब्रा खोल दी. अब दोनो के जिस्मो पे सिर्फ़ शलवार थीं. मैं कमरे की ब्लू रोशनी मे दोनो के चमकते हुए मुम्में देख रहा था.
“लो मेरे राजा तुम इन से खेलो हम इस से खैलते हैं.” मौसी ने मीनू की एक चूची को पकड़ कर मेरे सामने कर दिया और मैंने हाथ बढ़ा कर मीनू की चूची को पकड़ लिया और दबाने लगा. मीनू को मैं आज मौसी के सामने छू रहा था. उसे बेहद मज़ा आने लगा और मौसी ने मेरे हार्ड लंड को अपने हाथो मे ले लिया और फिर थोड़ा सा झुक कर लंड पे किस्सिंग करनी शुरू कर दी.
मुझे मौसी की गर्म गर्म साँसे पागल कर रही थीं और मेरी आँखे बंद हो गईं. उधर मीनू मेरे और नज़दीक हो कर मेरे दोनो हाथो से अपने मुम्मों को मसलवा रही थी और आँखे बंद कर के लंबी लंबी साँसे ले रही थी. उस का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था. तभी मौसी ने मुँह खोल कर मेरा आधे से ज़्यादा लंड अपने अंदर ले लिया और चूसने लगी. मेरा बदन अकड़ने लगा. मौसी ने दो तीन बार ही चूसा कि फॉरन ही मेरा फोव्वारा मौसी के मुँह मे ही छूट गया. मौसी को मेरा नमकीन पानी अपने मुँह मे आते महसूस हुआ लेकिन मौसी ने मेरा लंड बाहर नही निकाला. वो वैसे ही उसे चूसती रही, अंदर बाहर करती रही और मेरे कम का फुल लोड मौसी मुँह मे भर गया.
“आह्ह्ह्ह! गंदे! इतनी जल्दी.” मौसी ने अपने दुपट्टे से अपना मुँह साफ करते हुए कहा तो मीनू ने भी आँखे खोल कर मौसी की तरफ देखा. उसे नही पता चल सका कि ये क्या हुआ है.
“मौसी आज पता नही क्या हुआ.” मैने धीरे से कहा.
“हां मुझे पता है. आज तेरे हाथों मे बहन के मुम्में जो हैं. कैसा लगा?” मौसी ने कहा.
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“बहुत ही अच्छा मौसी बड़ा मज़ा आया.” मैंने मस्ती से भरी आवाज़ मे कहा और ज़ोर मीनू के मुम्में को दबा दिया.
मीनू ने बड़ी मुश्किल से अपनी चीख रोकी और बोली, “क्या केरते हो भैया दर्द होता है यहाँ, आहिस्ता पकडो ना.” मीनू ने मेरे चेहरे पे हाथ फेरते हुए कहा.
“ओह! सॉरी मीनू मैं दरअसल झड़ गया था ना पता ही नही चला.”
“चलो अब तुम ज़रा मीनू को भी वो मज़ा दो मैं तुम्हे दोबारा हार्ड केरती हूँ.” मौसी ने कहा तो मैंने मीनू को बेड पे सीधा लिटा दिया और उस की टाँगे ज़रा सी खोल कर करवट के बल उस के ऊपर आ गया और मीनू के होंठो पे किस्सिंग केरने लगा तो मौसी मेरे सेमी एरेक्टेड लंड के पास लेट गई और मेरे लंड पे ज़ुबान फेरने लगी जिस से लंड फिर से हार्ड होने लगा.
मीनू ने पहले तो अपने होंठ कस के बंद किए हुए थे लेकिन उसे जब मज़ा आने लगा मेरे चूमने का तो वो भी रेस्पॉन्स देने लगी उस ने अपने होंठ खोल दिए. अब मेरे और मीनू की ज़ुबाने एक दूसरे से खेलने लगीं. ऐसी किस्सिंग का मीनू को बहुत मज़ा आता था. मौसी ने चूम के चाट के चूस के मेरा लंड फिर से हार्ड कर दिया था और वो मुसलसल मेरा लंड उपर से नीचे तक चाट रही थी और फिर वो मेरे लंड के नीचे थैली मे बंद बॉल्स को ज़ुबान से चाटने लगी. मेरे साथ ये पहली बार हो रहा था.
मेरे बदन मे लहरे सी उठने लगीं और एक नया सा सरूर आने लगा और मेरी किस्सिंग मे जोश सा आ गया और मैंने मीनू के पूरे चहरे को चूमना शुरू कर दिया. फिर उस के कानो पे आया और गर्दन पे और फिर दोनो हाथ मे मीनू के मुम्में पकड़ लीं और उस के लेफ्ट निपल को मुँह मे ले कर चूसने लगा और ज़ुबान उस पे फैरने लगा. मीनू के दोनो निपल्स हार्ड हो कर खड़े हो गये थे. मेरी ज़ुबान उस के निपल के गिर्द गोल गोल घूम रही थी और वो मज़े की दुनियाँ मे आँखे बंद किए उड़ रही थी. मैं दीवानो की तरह अब उस की मुम्मों को चूस रहा था, काट रहा था और दोनो हाथो से ज़ोर ज़ोर से सहला भी रहा था.
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तभी मीनू को महसूस हुआ कि उस की टाँगो के दरमियाँ फँसी हुई छोटी सी चूत से पानी का सैलाब आ गया है. और वो झडने लगी. उस ने अपनी टाँगे और भी फैला लीं और अपने कुल्हो को ज़रा सा उठा कर अपनी चूत को अपने अप्पर लेते हुए अपने भाई की पसलियो से लगाया और अच्छी तरह ज़ोर से रगड़ा. मैंने ये हरकत महसूस की और मीनू की मुम्मों से हाथ हटाया और उस की शलवार उतारने लगा. मीनू ने गाँड को उठा कर मुझे अपनी शलवार उतरने दी. इस हरकत से मेरा लंड मौसी क मुँह से निकल गया और वो उठ कर बैठ गई और देखने लगी क़ि मैं मीनू की शलवार उतार रहा हूँ.
“गुड! अब आए हो ना दोनो तुम पूरे मज़े मे! शाबाश बेटा आज इस को वो मज़ा देना कि सारी ज़िंदगी याद रखे.” मौसी ने जोश से भरी आवाज़ मे कहा और मुझे भी जोश आ गया और मैंने मीनू की शलवार उतार कर उस की टांगे ज़रा सी और फैला दीं और झुक गया मीनू की छोटी सी चूत पर मुँह रखा.
मैंने जैसे ही मीनू की चूत को चूमा मीनू की तो जैसे जान ही निकल गई उस ने गाँड उठा कर अपनी चूत को मेरे मुँह पे और दबा दिया. मौसी इतने मे मीनू के पहलू मे आ गई और मीनू के मुम्में चूसने लगी. मैंने ज़ुबान निकाल कर मीनू की चूत के लबो पर फैरनी शुरू कर दी मीनू की चूत का ज़ायक़ा मेरी ज़ुबान पे आने लगा और मैं भी दीवाना हो गया. आज तो बहुत मज़ा आ रहा था. अकेले मे तो खूब चाटा था पर आज मौसी के सामने ही मज़ा ज़्यादा आ रहा था. मौसी उसके मुम्मों को चूस रही थी. मीनू तड़प रही थी मस्ती से. मैं और ज़ोर से मीनू की चूत चाटने लगा. मीनू भी अपनी गाँड उठा उठा कर मेरी ज़ुबान को अपनी चूत के और अंदर लेने की कोशिश कर रही थी. उस के मुँह से हल्की हल्की आवाज़ मे तेज़ तेज़ सिसकियाँ निकालने लगीं.
मौसी ने मीनू को बुरी तरह कसमसाते हुए महसूस कर के कहा, “तरुण बेटा बस करो तेरी बहन मज़े से मर जाएगी. उठो अब मैं बताती हूँ क्या करना है.” मौसी ने मेरे सिर मे हाथ फेरते हुए मुझे मीनू की चूत से उठाया.
मे मौसी की तरफ देखने लगा. मेरे गालो पे मीनू की चूत का सारा पानी लगा हुआ था. मैंने उसकी चूत से मुँह हटाया तो मीनू ने कसमसाना बंद कर दिया लेकिन उस की आँखूं मे से आँसू निकलने लगे थे.
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“ऊपर आओ, इस की टाँगो के दरमियाँ और मीनू की चूत पे अपना लंड रखो.” मौसी के मुँह से ये सुन कर एक बार तो मुझे यकीन नही हुआ कि आज दिल की मुराद पूरी होगी. मैं बहुत खुश था कि आज बहन को चोद्ने का मौका मौसी दे रही हैं. फिर मैं अपने घुटनो के बल उपर आ गया. अब मेरा लंड मीनू की चूत के बिल्कुल सामने था. मौसी ने हाथ बढ़ा के मेरा लंड पकड़ा और मीनू की चूत के लबो पे फैरने लगी. मीनू की चूत पे मेरा गरम गरम लंड जैसे ही लगा उस ने एक झरजरी सी ली. मुझे भी इस मे बहुत मज़ा आ रहा था. मौसी को तो कई बार चोदा था पर मीनू की कुँवारी चूत चोद्ने का पहला मौका था. मैं थोड़ा और झुक गया अब मौसी मेरा लंड मीनू की चूत की फांको के बीच ऊपर से नीचे फेरने लगी. मीनू की गीली गीली चूत मे गुदगुदी करने लगी.
“अया ह आअहह आ ह्म्म्म्मम.” मीनू के मुँह से बाक़ायदा सिसकियाँ निकलने लगी.
“अरे बेटी मज़ा आने पर ऐसे ही होता है. अभी तू आहिस्ता आहिस्ता सिसक रही है जब भाई का लंड अंदर जाकर तुझे चोदेगा तो मज़े से चिल्लाने लगेगी तू. मज़ा आ रहा है ना तुम दोनो को?” मौसी ने मीनू की तरफ मुँह कर के कहा.
मैंने हां किया और मीनू ने भी सर हिला दिया.
मे और मीनू दोनो ही सरूर की दुनियाँ मे डूब चुके थे. मैं ज़रा सा अनबॅलेन्स हुआ और मेरा हार्ड लंड मीनू की चूत के छेद मे घुस गया. मीनू ने बड़ी ही मुश्किल से अपनी चीख अपने होंठो मे दबाई लेकिन फिर भी ज़रा सी निकल ही गई. मौसी का हाथ भी मेरे लंड के साथ मीनू की चूत को जा लगा था.
“बस इतनी सी बात थी बेटी. तरुण आहिस्ता आहिस्ता अब और नीचे जाओ, और अंदर करो अपना लंड अपनी बहन की चूत मे. लेकिन देखो आहिस्ता करना पहली बार है. क्यों बेटी आज पहली बार चुद्वा रही हो ना?” मौसी ने हाथ दोनो के बीच से हटा कर मेरे सिर पे फेरते हुए कहा.
“जी मम्मी आज पहली बार भैया का अंदर जा रहा है.” मीनू ने अब खुलकर बिना शरम के कहा.
अब मैं आहिस्ता आहिस्ता अपने मोटे लंबे लंड को मीनू की चूत मे अंदर केरने लगा. मीनू अपना सिर इधेर उधेर मारने लगी. उस ने आँखे ज़ोर से बंद कर लीं थीं और टाँगो को बंद केरने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसकी टाँगों के बीच मे था.
“बाअस्स्स!!! अया आह अह्ह्ह्ह!!!” मीनू के मुँह से निकला वो दर्द से मरी जा रही थी.
“रूको.” मौसी ने मुझ से कहा.
मे मौसी की बात सुन वहीं रुक गया. मीनू तेज़ तेज़ साँसे ले रही थीं. उस के मुम्में उस के सीने पे पूरी तरहा फूल और पिचक रहे थे. मौसी उस के सिर मे हाथ फेरने लगी.
“मम्मी भैया से कहो अपना लंड मेरी चूत से निकाले नही तो मैं मर जाऊं गी. आ आ.” मीनू ने मौसी की तरफ देखते हुए कहा.
मौसी और उसकी बेटी मीनू – Antarvasna Incest Sex Kahani
“बेटी यही दर्द तो लड़कियों को वह मज़ा देता है जिसके लिए लड़कियाँ कुछ भी कर सकती हैं. तुम बहुत खुशनसीब हो जो तुमको तुम्हारा भाई ही तुम्हे यह पहला दर्द दे रहा है. अभी मज़ा आएगा. अब कुछ नही होगा. पहली बार होता है मुझे भी हुआ था. ये बर्दाश्त कर लो तो समझो बहुत मज़ा आए गा, ज़रा सी देर और.” मौसी ने मीनू के बालो मे हाथ फेरते हुए उस समझाइया.
“नही, नही!!! बाकी फिर कभी इसे कहो निकाल ले,आह आह आहह!!” मीनू ने सिर हिलाते हुए कहा.
“अरे बेटी क्या कर रही है. अभी जब मज़ा आएगा तब देखना.” मौसी ने उसके मुम्मों को सहलाते कहा.
“नही मम्मी आपने कहा था कि आप भैया से चुदवाकर मुझे दिखाइंगी. अब आप ही चुद्वाइये भैया से, मुझे छोड़ो.” मीनू तड़पते हुए बोली.
“अच्छा मैं कुछ केरती हूँ!” ये कहती हुई मौसी मेरे पास आई. मैं आधा लंड मीनू की टाइट चूत मे फँसाए हुए वहीं झुका हुया था. मेरा अपना वज़न मेरे हाथो पर था जो मीनू की साइड मे बेड पे रखे थे.
“बेटा जब मैं इस की किस्सिंग करने लगूँ तो तुम एक ही झटके से पूरा अंदर कर देना और वहीं रुके रहना समझे.” मौसी ने मेरे कान मे सरगोशी की और खुद जा कर मीनू के होंठो को चूमने लगी.
इतने मे मीनू का दर्द कुछ कम हो गया. उसे मम्मी की किस्सिंग का मज़ा आने लगा और अपनी चूत मे फँसे हुए मेरे लंड का भी मज़ा लेते उसने ज़रा सा अपनी गाँड को उठाया. मैं समझ गया कि यही टाइम है और मैंने ज़ोर का झटका दिया कि मेरा पूरा लंड मीनू की चूत मे घुस गया और मेरी हल्की हल्की झांटें मीनू के साफ सुथरे प्यूबिक एरिया से जा लगीं और मैं वहीं रुक गया. मुझे महसूस हो रहा था कि मेरा लंड किसी टाइट से शिकंजे मे फँस गया है. मीनू के मुँह से निकली हुई चीख मौसी के मुँह मे ही रह गई. वह अपना सर ज़ोर से दाई बाईं करने लगी. उस की आँखों से आँसू निकलने लगे. उसे महसूस हो रहा था कि जैसे उस की चूत मे आग लग गई हो कोई दहकता हुआ लोहे का रोड उसकी चूत के अंदर घुसा दिया गया हो. मौसी उस को चूमे जा रही थी और हाथो से मीनू के मुम्मों को दबा भी रही थी
मौसी और उसकी बेटी मीनू – Antarvasna Incest Sex Kahani
कुछ देर मे मीनू का दर्द कम हुआ और वह कुछ संभल गई. उस ने एक ज़ोर की साँस ली और बोली, “आअहह मम्मी मुझे तो भैया ने मार ही डाला था.”
“बेटी अब दर्द कम हुआ ना?”
“हां अब ठीक है.” मीनू अब खुश थी. “बेटा अब तुम अपना लंड हल्के हल्के अपनी बहन की चूत मे अंदर बाहर करो.” मौसी ने मुझसे कहा और मैं अपने लंड को मीनू की चूत मे आहिस्ता आहिस्ता अंदर बाहर केरने लगा.
इससे मुझे और मीनू को मज़ा आने लगा. मीनू की सिसकियाँ फिर से गूंजने लगी. उस ने आँखे बंद कर लीं. मैंने भी आँखे बंद कर लीं. मैं आज बहुत मस्त था. मौसी की चूत चुदी और फैली थी पर मीनू की तो कुँवारी थी और बहुत ही कसी और गरम थी. मेरे लंड से मेरी बहन की चूत मे मेरी ज़ुबान और उंगली ही गयी थी. जाने कब मेरे धक्को मे तेज़ी आ गई. हम दोनो को ही पता ना चला लेकिन अब दर्द नही केवल मज़ा और सरूर था.
“हां हां हाआअँ और तेज़ तेज़ हा हा हा आ आ, हहाायी ऊओ आह भैया हहान और तेज़.” हर झटके के साथ
मीनू के मुँह से एक लफ्ज़ निकल रहा था.
मौसी मीनू के पास से हट गई और साथ लेट कर दोनो की चुदाई देखने लगी. मौसी के होंठो पे मुस्कान थी. मैंने हाथ बेड से हटा लिए और मैं मीनू पे गिर गया और उसके होंठ चूसने लगा. अब धक्कों मे काफ़ी तेज़ी आ गयी थी. मेरा लंड मीनू की गीली चूत मे आराम से आ जा रहा था. मेरे हर झटके मे मेरे बाल मीनू की चूत को छू जाते थे. मेरे टेस्टिकल्स मीनू के कूल्हों को छू जाते. दोनो पसीने मे नहा गये थे जिस से कमरे मे फूच फूच की आवाज़े आ रही थीं. दोनो मस्ती मे चूर एक दूसरे को खूब जोश से चोद रहे थे और मौसी हमारे पास लेटी हमारी चुदाई देख खुश हो रही थी. वह आज बहुत खुश थी बेटी को भांजे से चुदवाकर. मैं भी अपनी बहन को चोद बहुत मस्त था.
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“तरुण बेटा अंदर ही मत झड़ जाना. झड़ने से पहले अपना लंड बाहर निकाल लेना.” मौसी ने मुझे देखते हुए कहा.
“ओके!” मैंने ने तेज़ी से झटके लगाते हुए कहा और फिर कुछ देर बाद मैंने अपने लंड मीनू की चूत से निकाल लिया और साथ मे मीनू की चूत पर झड़ने लगा.
“आआआअ!!!!!!!!!!!!!” मेरे मुँह से एक तेज़ सिसकारी निकली और मेरा गर्म गर्म पानी मीनू की चूत पे और फव्वारे की तरह उसके पेट और मुम्मों पे भी गिरा. मैं तो झड़ा ही साथ ही मीनू की चूत ने भी मेरा लंड बाहर आते ही बहुत सा पानी छोड़ दिया. वह भी एक बार फिर झड़ने लगी और उस ने अपनी टांगे जो काफ़ी देर से हवा मे थीं बेड पे रख लीं और मैं झड़ने के बाद उसके उपर ही लेट गया. मीनू मेरे होंठो को चूमने लगी.
“आअहह भैया बहुत शुक्रिया.” वह मुझसे बोली.
“मीनू तुम्हारा भी शुक्रिया.” मैंने आँखे बंद केरते हुए कहा और दोनो अपनी साँसे हल्की करने लगे.
काफ़ी देर यूँ ही लेटे रहने के बाद मैंने करवट ली और फिर दोनो के दरमियाँ लेट गया तो मौसी ने मेरा चेहरा अपनी ओर करते कहा “अब खुश है मेरा राजा बेटा?”
मैंने मौसी के होंठो को जोश से चूम लिया तो मौसी मुझसे बोली, “ये था तुम्हारे इतने दिनो का इनाम. अपनी मौसी की चुदी पुरानी चूत और गाँड मारने के बदले तुमको अपनी बहन की ताज़ी कसी अनचुदी चूत मिली है.” फिर हाथ बढ़ा मीनू की एक चूची को पकड़ हल्के से सहलाते कहा, “हाये मीनू तुम ठीक तो हो ना?”
“हां! मम्मी भैया ने तो मेरी फाड़ ही डाली.” मीनू ने हस्ते हुए कहा तो हम तीनो हसने लगे.
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“लेकिन मम्मी मज़ा बहुत आया.” मीनू ने छत की तरफ देखते हुए कहा और उस ने हाथ बढ़ा कर मेरा लंड पकड़ लिया.
मेरा लंड फिर से खड़ा हो चुका था. लंड पकड़ते ही उसके मुँह से निकला, “हाये माँ! ये तो फिर से खड़ा हो रहा है.” और फिर तीनो की हँसी निकल गई.
“बेटी इसीलिए तो कह रही थी कि बाहर के लड़के से ख़तरा तो रहता ही है मज़ा भी पूरा नही आता. घर पर जब तक चाहो चुदवाती रहो. बाहर वक़्त नही मिलता और घर पर भाई के साथ ही रात भर लेटो. अब ये तुम्हारा है अब इस से खूब मज़े करो क्यों बेटा?” मौसी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा.
“हां मौसी अब यह जब चाहे मेरा लंड अपनी चूत मे ले सकती है.” कहते हुए करवट ले कर मौसी की मुम्मों को चूमा और दोनो मुम्मों को दोनो हाथो मे पकड़ लिया.
“मौसी अब आप को चोदूँगा.” मैंने मौसी की तरफ देखते हुए कहा.
“हां बाबा करेंगे लेकिन अभी मेरे यहाँ का दरवाज़ा बंद है.” मौसी ने शलवार के ऊपर से अपनी चूत पे हाथ लगाते हुए कहा.
“क्या मतलब? मैं समझा नही यहाँ दरवाज़ा भी होता है क्या?” मैंने हैरान होते हुए पूछा और दोनो लोग हसणे लगीं.
“अररे बुद्धू! लड़कियो को हर महीने मे यहाँ से ब्लड आता है जोकि गंदा होता है और इस दौरान चुदाई नही केरते ये और 6/7 दिन आता रहता है. समझे!” मौसी ने उसे समझाइया.
“क्या ब्लड! लेकिन इस से कुछ होता नही क्या हर लड़की को आता है?” मैंने परेशान होते हुए पूछा.
“हां हर लड़की को आता है, थोड़ा दर्द होता है कमर मे लेकिन और कुछ नही होता ये कुदरत का नियम है. आजकल मेरे आ रहा है. जब तक मेरे आए तू अपनी बहन को चोद कुछ दिनो के बाद तेरी बहन को आएगा तब तू मेरी चोद्ना.” मौसी ने जवाब दिया.
“सब लड़कियो को एक साथ नही आता है ये! सब के अपने हिसाब से दिन होते हैं.” मौसी ने मेरे गाल पे हल्की सी चपत लगाते हुए कहा.
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“तुम्हारे कब आएगा मीनू?” मैंने कुछ सोचते हुए मीनू से पूछा.
“आएगा तो बता दूँगी! बेशरम कहीं के.” मीनू ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया और करवट ले कर मुँह हम दोनो की तरफ कर लिया.
“अच्छा चलो अब जाओ अपने अपने कमरे मे और मुझे सोने दो.” मौसी ने मुझसे कहा. “हां अब तो तुम दोनो को चुदाई का पहला मज़ा मिल गया ना अब तो मीनू नही शरमाएगी तू अपने भाई का लंड लेने मे.” मौसी ने पूछा.
“मज़ा! मम्मी भैया ने तो मेरी फाड़ दी है.” मीनू ने मुस्कुराते हुए कहा.
“हे मीनू क्या फाड़ दी है?” मैंने मीनू की तरफ झुकते हुए पूछा.
“वोही मेरी शरम और क्या बेशरम कहीं के” मीनू ने प्यार से कहा.
“क्या कहते हैं इस को बताओ ना मीनू?” मैंने फिर कहा.
“चलो भैया तुम तो पक्के बेशरम हो गये हो.” मीनू ने कहा.
“अच्छा अभी तो खूब बोल रही थी जब चुद रही थी. अब शरमा रही है. प्लीज़ एक बार.”
“चल अब जाता है अपने कमरे मे या नही?” मौसी ने नकली गुस्सा दिखाया.
“मौसी आप जाओ ना अपने कमरे मे मैं मीनू के साथ ही सोउँगा.” मैंने मीनू की मुम्मों को पकड़ते कहा.
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“हां मम्मी अब मैं रोज़ रात को भैया के साथ ही सोया करूँगी. भैया अब आप रोज़ाना मेरे रूम मे ही सोया करिएगा.”
“नही मैं तुम्हारे रूम मे नही बल्कि तुम मेरे रूम मे सोओगी.”
“क्यों भैया.” मीनू ने अपने मुम्मों को देखते कहा.
“क्योंकि जैसे शादी के बाद लड़की अपने पति के घर जाती है वैसे ही तू अब मेरे कमरे मे आया करेगी.
“ठीक है बेटा तुम लोग जैसे चाहे रहो पर मुझे ना भूल जाना.” मौसी ने कहा.
“ओह्ह नही मम्मी भैया पहले आपको चोदेंगे फिर मेरी लेंगे. और जब चाहे आप हमलोगो के साथ रात भर मज़ा लीजिएगा.” मीनू ने खुश होते कहा.
“ठीक है बेटा अब मैं जा रही हूँ और तुम दोनो भी जल्दी सोना, एक दिन मे ही सारा मज़ा ना ले लेना.”
“ओह्ह मम्मी बस एक बार और चुदवाऊंगी भैया से.”
“ठीक है बेटी.” और मौसी चली गयी.
मौसी के जाते ही मीनू मेरे ऊपर गिरती बोली, “भैया हाय आज तो आपने बहुत मज़ा दिया. सच चुदवाने का मज़ा सबसे ज़्यादा हसीन है. भैया अब पहले मेरी चूत को चाटो और अपना मस्त लंड भी पिलाओ और फिर खूब कसकर चोदो. हाये आज रात भर मज़ा लूँगी भैया.”
“हां यार मैं भी तेरी चाटना चाहता था. सच तेरी चूत का टेस्ट बहुत जायकेदार है. चल आ बैठ मेरे मुँह पर.”
फिर वह मेरे ऊपर अपनी चूत रख बैठ गयी.