पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

Pandit or Sheela Part 2 – Aashram Me Chudai

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

उसके घर के पास पहुंचकर पंडित ने इधर उधर देखा और अन्दर कूद गया ..और पीछे की तरफ से घूमकर गिरधर के कमरे की खिड़की के पास जाकर खड़ा हो गया ..जो खुली हुई थी और वहां काफी अँधेरा भी था ..इसलिए उसे कोई देख भी नहीं सकता था ..

गिरधर थोड़ी देर पहले ही आया था इसलिए अपने कपडे बदल रहा था ..

बाहर से माधवी की आवाज आई : “भूख लगी है तो खाना लगाऊ ?…”

गिरधर : “भूख तो लगी है पर खाने की नहीं …किसी और चीज की ..जल्दी से अन्दर आ जा अब …”

पंडित समझ गया की शो शुरू होने वाला है ..

माधवी अन्दर आई, उसके चेहरे की लाली बता रही थी की चुदने की इच्छा उसके अन्दर भी कुलबुला रही है ..पंडित ने उसकी चूत को चाटकर उसके अन्दर की वासना को काफी भड़का दिया था, अब उसे किसी भी कीमत पर अपने अन्दर लंड चाहिए था ..

जैसे ही माधवी ने दरवाजे की चिटखनी लगाई, गिरधर ने पीछे से उसके मुम्मे पकड़ कर जोर से दबा दियी …माधवी की सिसकारी निकल गयी ..

“अह्ह्ह्ह्ह्ह ….धीरे …..रितु साथ वाले कमरे में ही है ….वो ना जाग जाए …”

रितु का नाम सुनते ही पंडित के साथ -२ गिरधर का हाथ भी अपने लंड के ऊपर चला गया …और उन दोनों ने लगभग एक ही अंदाज में रितु के नाम से अपने लंड महाराज को मसल दिया ..

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

गिरधर के सामने तो माधवी की फेली हुई गांड थी सो उसने अपने लंड का भाला उसके गुदाज चूतडों में घोंप दिया ..पर पंडित बेचारा अपने खड़े हुए लंड को अपने ही हाथों से सहलाकर दिल मसोस कर रह गया …

माधवी ने अपना चेहरा पीछे करके गिरधर के चेहरे को पकड़ा और उसे चूसने लगी …

उन्हें चूसते हुए देखकर पंडित का मन हुआ की अन्दर चलकर उनके साथ ही खेल में शामिल हो जाए ..क्योंकि दोनों ही उसे नहीं रोकेंगे …पर ये समय सही नहीं है ..ये सोचकर वो बस उनका खेल देखने में ही लगा रहा ..

गिरधर ने अपने कपडे जल्दी से उतार दिये और माधवी को अपनी तरफ घुमा कर उसके गाऊन को पकड़कर ऊपर से निकाल दिया और उसे नंगी करके अपने सीने से लगा कर चूमने लगा ..

माधवी उसकी में मचल सी गयी : “अह्ह्ह्ह …..धीरे ….आज मैं कुछ भी करने से मना नहीं करुँगी ….जो भी करना है …जैसे भी करना है ..कर लो …और मुझसे भी करवा लो ..”

उसकी बात सुनकर गिरधर के साथ -२ पंडित भी उत्तेजित हो गया …काश हमारे देश की हर औरत अपने पति या बॉय फ्रेंड को ऐसे ही बोले तो कोई भी उनके साथ चीटिंग ना करे और बाहर मुंह ना मारे ..

गिरधर ने उसके सर के ऊपर हाथ रखकर उसे नीचे की तरफ दबा दिया ..और माधवी भी पालतू कुतिया की तरह अपने मालिक की आज्ञा का पालन करती हुई अपने पंजो पर बैठ गयी और गिरधर के लंड को अपने मुंह में लेकर जोरों से चूसने लगी …

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अचानक चूसते – २ उसने लंड बाहर निकाल दिया और गिरधर की तरफ देखकर गुस्से से बोली : ” ये किसकी चूत का रस लगा हुआ है तेरे लंड पर …बोल किसके साथ मजे लेकर आ रहा है ..”

पंडित और गिरधर ने अपना -२ सर पीट लिया ..

शीला की चूत मारकर उसने अपना लंड धोया नहीं था ..और जैसे उसने पंडित के लंड को चूसते हुए बोल दिया था वैसे ही उसने अपने पति को भी रंगे हाथों पकड़ लिया ..

गिरधर : “अरे पागल हो गयी है क्या …मैंने कहाँ जाना है …”

बेचारा हकलाता हुआ उसे जवाब दे रहा था ..उसकी समझ में नहीं आ रहा था की क्या बोले और क्या नहीं …

माधवी : “मैं समझ गयी …तुम जरुर पंडित के घर पर किसी के साथ मजे कर रहे थे ..क्योंकि यही गंध मैंने पंडित के ल …….”

इतना कहते -२ वो रुक गयी …अपनी गलती पर उसे अब पछतावा हो रहा था ..की आवेश में आकर वो क्या कह गयी ..

तीर कमान से निकल चुका था ..अब कुछ नहीं हो सकता था ..जो माधवी थोड़ी देर पहले गुस्से में पागल होकर गिरधर के ऊपर बरस रही थी अब वो भीगी बिल्ली बनकर उसके पैरों के पास बैठी हुई अपनी नजरें चुरा रही थी ..

गिरधर : “मुझे पता है की तुम पंडित जी के साथ क्या -२ मस्ती लेकर आई हो ..”

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उसकी बातें सुनते ही उसने चोंक कर अपना सर ऊपर उठाया ..

गिरधर आगे बोल : “पंडित जी को मैंने अपनी समस्या बताई थी और उन्होंने ही मेरे कहने पर तुम्हे वो सब सिखाने के उदेश्ये से किया था ..कल भी और अभी थोड़ी देर पहले भी जो तुमने पंडित जी के साथ किया, मुझे सब पता है उसके बारे में ..”

वो चुपचाप बैठी उसकी बातें सुनती रही ..

वो आगे बोला : “और तुम भी सही हो अपनी जगह ..पंडित जी और मैंने मिलकर एक औरत के साथ आज काफी मजे लिए …उसका नाम शीला है ..तुम शायद जानती हो उसे ..”

माधवी को ध्यान आ गया की पंडित जी ने उसी से रितु को पढ़ाने के लिए बोला है ..उसने हाँ में सर हिला दिया ..

गिरधर : “तुमने पिछले २ महीनो से जो व्यवहार मेरे साथ किया है , उसकी वजह से मेरे अन्दर काफी उत्तेजना भर चुकी थी ..जिस्म की प्यास एक ऐसी चीज है जो इंसान से क्या से क्या करवा देती है ..इसलिए जब पंडित जी ने शीला के साथ सेक्स करने का मौका दिया तो मैं मना नहीं कर पाया .. और हमने मिलकर उसके साथ …चुदाई की …”

एक साथ २-२ लंडो से शीला की चुदाई की बात सुनकर माधवी के रोंगटे खड़े हो गए ..उसके निप्पल भी अपने 1 इंच के आकार में आकर सामने की तरफ निकल आये ..जिसे पंडित की पेनी नजरों ने दूर से ही देख लिया ..और वो समझ गया की ये बात सुनकर वो उत्तेजित हो रही है ..

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गिरधर : “और हम वो सब कर ही रहे थे की तू वहां आ गयी, इसलिए मैं उस शीला के नंगे जिस्म के साथ वहीँ बाथरूम में छुप गया, और मैंने वहां से बैठकर तुझे पंडित के साथ वो सब करते हुए देखा ..”

बेचारी ने अपना सर शर्म से फिर से झुका लिया .

गिरधर : “और सच कहु ..तुम्हे पंडित जी का लंड चूसते हुए देखकर मुझे गुस्सा तो बहुत आया था ..पर एक अजीब सा उत्साह और उत्तेजना भी आ गयी थी ..और जिस शीला को थोड़ी देर पहले पंडित जी ने बुरी तरह से चोदा था उसे मैंने वहीँ बाथरूम में फिर से चोदना शरू कर दिया ..इसलिए तुम्हे उस वक़्त पंडित जी के लंड से वही गंध आई जो अब मेरे लंड से आ रही है ..क्योंकि दोनों एक ही जगह से होकर आये हैं ..”

गिरधर ने सब सच -२ बोलकर पूरी पिक्चर साफ़ कर दी ..

गिरधर तो आदमी था और आदमी तो ऐसे अवेध संबंधों के बाद नहा धोकर साफ़ हो जाता है पर औरत अगर वही काम करे तो समाज या उसके सगे सम्बन्धी उसे जीने नहीं देते ..ये ना जाने कैसा सामाजिक कानून है हमारे देश का ..

माधवी : “इसका मतलब तुम्हे मेरे और पंडित जी के संबंधों से कोई परेशानी नहीं है ..?”

गिरधर : “नहीं ..अगर तुम इसमें खुश हो और तुम्हे मजा आ रहा है तो इसमें मुझे कोई आपत्ति नहीं है ..”

पंडित ने मन ही मन सोचा ‘हाँ बेटा ..तुझे क्या परेशानी हो सकती है ..एक तो तेरी पोल पट्टी खुलने के बाद भी तू बच गया ..और ये सब अभी भी इसलिए कह रहा है की आगे के लिए भी तेरा रास्ता साफ़ हो जाए और माधवी भी दोबारा कुछ करने से ना टोके …’

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अपने पति की तरफ से से खुली छूट मिलने की ख़ुशी में माधवी ने एक जोरदार झटके से गिरधर के लंड को दोबारा अपने मुंह में दबोचा और उसे सड़प -२ करके चूसना शुरू कर दिया ..

गिरधर के लंड पर शायद उसके दांत लग गए थे …वो बिलबिला उठा ..

‘अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ……साssssssss लीssssssssss कुतिया …….धीरे ……उन्न्न्न्ह्ह्ह ‘

अचानक पंडित के कानों में साथ वाले कमरे से कुछ आवाज आई ..वो साथ वाली खिड़की से अन्दर झाँकने लगा ..वहां रितु सोयी हुई थी ..और गिरधर के चिल्लाने की वजह से उसकी नींद एकदम से खुल गयी और वो उठ खड़ी हुई ..और हडबडाहट में वो अपने बेड के साथ पड़े टेबल से जा टकराई ..आवाज धीरे थी जो माधवी और गिरधर तक नहीं पहुंची पर पंडित ने सुन ली थी ..

रितु ने हमेशा की तरह वही लम्बी फ्राक पहनी हुई थी ..वो नींद के आलम में खड़ी हुई सोच रही थी की आवाज कहाँ से आई, तभी गिरधर के मुंह से एक और सिसकारी निकल गयी ..

आज माधवी कुछ ज्यादा ही मेहरबान थी अपने पति पर ..और वो पंडित से सीखी हुई लंड चुसाई की कला का पूरा उपयोग अपने पति के लंड पर कर रही थी ..

गिरधर : “अह्ह्ह …..धीरे ….चूस ……ऐसी खुन्कार तो तू आजतक नहीं दिखी …”

अब उसे क्या पता था की ये तो माधवी का ख़ुशी जाहिर करने का तरीका था, गिरधर ने उसे पंडित के साथ मजे करने की पूरी छूट जो दे दी थी ..उसके बदले अपने पति को पूरी ख़ुशी देना तो बनता ही था ना …

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गिरधर के कमरे और रितु के कमरे के बीच एक दरवाजा भी था, जो हमेशा बंद ही रहता था ..दोनों कमरों में जाने के लिए बाहर से ही एक – २ दरवाजा था ..और कभी भी बीच का दरवाजा खोलने की जरुरत नहीं पड़ी ..

रितु अब तक समझ चुकी थी की उसकी माँ और पिताजी के बीच चुदाई का महासंग्राम हो रहा है ..और उसे भी अब तक इन सब बातों का ज्ञान होने लग गया था ..पहले तो उसके पिताजी ने ही उसके कुंवारे होंठों को पीकर उसे जीवन में पहली बार स्वर्ग के मजे दिलाये थे और उसके उरोजों को मसलकर उसकी भावनाओं को भी भड़काया था ..और उसके बाद पंडित जी ने भी अपनी ज्ञान भरी बातों से उसके मन से अज्ञानी बादल हटाये थे ..

वो दबे पाँव दरवाजे के पास पहुंची और इधर – उधर देखकर उसने एक छेद ढून्ढ ही लिया और उसमे आँखे लगा कर दुसरे कमरे में अपने माँ बाप के बीच हो रहे प्यार भरे लम्हों को देखने लगी ..

पंडित ने पहले तो शुक्र मनाया की उसकी आँख पहले नहीं खुली और उसने गिरधर और माधवी के बीच होने वाली बातें नहीं सुनी ..वर्ना आगे के लिए उसे पटाने में प्रोब्लम हो सकती थी ..

दुसरे कमरे में देखते ही उसकी सिट्टी पिट्टी गम हो गयी …उसके पिताजी का लम्बा खूंटा उसकी माँ चूस चूसकर मरी सी जा रही थी …ऐसा लग रहा था की जिन्दगी की सबसे बड़ी ख़ुशी माधवी को सिर्फ लंड चूसने में ही मिलती है ..उसका उत्साह और उत्तेजना देखते ही बनती थी ..

रितु के नन्हे -२ निप्पल खड़े हो गए और उसका एक हाथ अपने आप उनपर जाकर उनके अकार का जायजा लेने लगा ..

पंडित का लंड भी धोती में तम्बू बना कर खडा था , उसने अपनी धोती खोल कर जमीन पर गिरा दी और अपने लंड को हाथ में लेकर मसलने लगा ..

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पंडित ऐसी जगह पर खड़ा था की एक कदम इधर खिसकने से उसे गिरधर और माधवी के कमरे का नंगा नजारा देखने को मिल रहा था और दूसरी तरफ कदम खिसकाने से रितु अपने छोटे-२ अमरुद मसलती हुई, अपने ही माँ बाप को मजे लेते हुए देखकर, दिखाई दे रही थी ..

गिरधर ने माधवी को ऊपर खींचा उसकी एक टांग उठाकर अपने हाथ में रख ली और अपना थूक से भीगा हुआ लंड उसकी चूत में लगाकर नीचे से एक जोरदार शॉट मारकर अपने अपोलो को उसकी गेलेक्सी में धकेल दिया ..

‘अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …..उम्म्म्म्म …..ओह्ह्ह ..तरस गयी थी ….मैं …इसे अन्दर लेने के लिए …अह्ह्ह्ह …. उम्म्म्म्म …पुरे दो महीने बाद प्यास बुझी है इसकी …आज तो इतना चोदो मुझे …..की सारी कसर निकल जाए …अह्ह्ह्ह …’

गिरधर को उसकी बातों से ये भी पता चल गया की उसने पंडित के साफ़ सिर्फ चुसम चुसाई ही की है …चुदाई नहीं . पर पंडित का लंड जब उसकी पत्नी की चूत में जाएगा तो कैसे मचलेगी वो …ये सोचते हुए उसने अपने धक्कों की स्पीड और तेज कर दी ..

माधवी के मुम्मे गिरधर के लंड के हर झटके से आसमान की तरफ उछल जाते …और फिर उतनी ही तेजी से दोबारा नीचे आते ..ऐसे झटके जिन्दगी में पहली बार मिल रहे थे माधवी को …उसने अपनी बातों और हरकतों से गिरधर को इतना उत्तेजित कर दिया था की वो आज उत्तेजना के एक नए आयाम को छुने को आतुर था ..

पंडित ने मन में सोचा ‘अगर कुछ गलत काम करने से ऐसे मजे मिले तो वो काम करना गलत नहीं है ..आज उसकी वजह से ही उनके रूखे सूखे दम्पंत्य जीवन में एक नए रक्त का संचार हो पाया है ..’

पंडित मन ही मन अपने किये हुए कार्य पर गर्व महसूस करके मुस्कुराने लगा ..

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उसने खिसककर रितु के कमरे में झाँका तो उसकी बांछे खिल उठी …अपने माँ बाप को बुरी तरह से चुदाई करते हुए देखकर वो भी पूरी तरह से उत्तेजित हो गयी थी …उसने अपने स्तनों को बुरी तरह से मसलकर अपने अन्दर मचल रही उत्तेजना को शांत करने की कोशिश की और जब वो नाकाम रही तो उसने एक ही झटके में अपनी फ्रोक को अपने सर के ऊपर से उतार कर एक तरफ फेंक दिया ..और अब था पंडित की लार टपकाती हुई आँखों के सामने कमसिन रितु का नंगा जिस्म ..

अह्ह्ह्ह्ह्ह …..रितु …..म्मम्मम .

पंडित ने अपना लंड मसलते हुए एक दबी हुई सी सिसकारी मारकर अपने लंड को तेजी से हिलाना शुरू कर दिया ..

रितु के छोटे-२ स्तन जो करीब छोटे संतरों के अकार के होंगे उसके सामने थे, और नीचे उसकी पतली कमर और पीछे भरवां गांड ..उसने सोचा ‘कसम से एक बार ये मेरे नीचे आ जाए इसको तो बिना टिकट के आसमान की सेर करवा दू ..’

पंडित ने अपने लंड को और तेजी से मसलना शुरू कर दिया ..

अचानक गिरधर के कमरे से माधवी की आवाजें और तेजी से आनी शुरू हो गयी …

“अह्ह्ह्ह्ह्ह ……ऐसे ही …..चोद ….साले ….अह्ह्ह्ह ……भेन चोद …….डाल अपना लंबा लंड …..और अन्दर ….तक …अह्ह्ह्ह ……अह्ह्ह्ह …ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ …”

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गिरधर ने उसे अपनी गोद में उठाकर अपना लंड उसकी फुद्दी में जोर – २ से पेलना शुरू कर दिया था …

और लगभग एक साथ ही दोनों का रस माधवी की ओखली में निकला और दोनों वहीँ बेड के ऊपर लेटकर गहरी साँसे लेने लगे ..

और दूसरी तरफ बेचारी रितु सिर्फ अपने संतरों को मसलकर ही रह गयी …उसे शायद अभी तक मुठ मारना भी नहीं आता था ..वो अपने हाथों को बस अपनी चूत पर रगड़कर ही रह गयी ..वहां और क्या करने से कैसे मजे मिलेंगे, उसे नहीं पता था ..और उसकी नादानी को देखकर पंडित उसकी कुंवारी चूत को देखते हुए जोरों से बडबडाने लगा ..

‘अह्ह्ह्ह …सा ली …तुझे तो पूरा तराशना पडेगा ….अह्ह्ह्ह तेरी कमसिन जवानी को तो मैं अपने लंड के पानी से नहलाऊगा …अह्ह्ह्ह्ह्ह ….ये ले ….नहा ले ..’

और ये कहते हुए उसके लंड ने अपने पानी का त्याग कर दिया रितु की खिड़की पर …और गाड़े और सफ़ेद रस से खिड़की के नीचे की दीवारें रंग गयी ..

पंडित को पता था की अगले दिन रितु को क्या सिखाना है अब ..वो अपने कपडे समेट कर चुपके से जहाँ से आया था वहीँ से वापिस चला गया ..

अब तो उसे अगले दिन का इन्तजार था …

वो रात बड़ी ही मुश्किल से कटी थी पंडित की ..

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सुबह उठकर हमेशा की तरह पंडित ने मंदिर के सारे कार्य निपटाए, भक्तों को प्रसाद दिया, पूजा अर्चना की और वापिस अपने कमरे में आ गया और थकान दूर करने के लिए चाय पीने की सोची पर चाय पत्ती नहीं थी, कल भी जब वो सामान लेने के लिए इरफ़ान की दूकान पर गया था तो उसे याद नहीं रहा था ..वैसे तो इरफ़ान ने उसे शाम को आने के लिए कहा था पर अभी चाय पत्ती लाना भी जरुरी था, इसलिए वो वहां चल दिया ..

दूकान पर पहुंचकर देखा तो पाया की दूकान तो बंद है ..सुबह के 9 बजने वाले थे, इतनी देर तक तो वो दूकान खुल ही जाती है ..वो कुछ देर तक वहां खड़ा हुआ सोचता रहा की ऊपर उसके घर जाए या नहीं ..पर फिर कुछ सोचकर वो ऊपर चल दिया ..

अन्दर जाने का दरवाजा खुला हुआ था, उसने दरवाजा खोल कर आवाज लगायी : “इरफ़ान भाई …घर पर ही हो …”

पर कोई आवाज नहीं आई, वो थोडा अन्दर गया तो बाथरूम से पानी गिरने की आवाज आई, पंडित ने फिर से पुकारा ..

‘इरफ़ान भाई …ओ इरफ़ान भाई …’

अन्दर से नूरी की नशीली सी आवाज आई ‘कोन है …’

उसकी आवाज सुनते ही पंडित के शरीर में करंट सा दौड़ गया, पंडित ने अपने आप को संभाला और बोला : “मैं हु ..मंदिर वाला पंडित ..”

नूरी : ” अरे वाह …पंडित जी ..रुकिए जरा …मैं अभी आई …”

पंडित वहीँ सोफे पर बैठ गया ..और फिर से तेज आवाज में बोला : “इरफ़ान भाई कहाँ चले गए ..आज दूकान भी नहीं खुली …”

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अन्दर से नूरी ने जवाब दिया : “वो आज सुबह -२ हिना खाला का फ़ोन आया था, उनका छोटा बेटा हॉस्पिटल में है ..उन्हें कुछ पैसों की जरुरत थी ..वही देने गए हैं ..२ घंटे में आयेंगे वो ..”

इतना कहते-२ वो बाहर निकल आई …पंडित उसे देखते हुए जैसे सपनों की दुनिया में खो सा गया …

वो बिलकुल बदल गयी थी …जिस्म पूरा भर सा गया था ..गोरा चिट्टा रंग ..चमकता हुआ चेहरा, गुलाबी आँखें , पतले और लाल सुर्ख होंठ , और नीचे का माल देखकर तो पंडित की जीभ कुत्ते की तरह से बाहर निकल आई,

उसके दोनों मुम्मे जो पहले 34 के साईज के थे, अब 38 के हो चुके थे , कमर का कटाव उसके कसे हुए सूट में से साफ़ नजर आ रहा था , और उसकी मोटी टांगों का गोश्त तंग पायजामी को फाड़कर बाहर आने को अमादा था ..उसके बाल भीगे हुए थे, जिनमे से पानी की बूंदे अभी तक टपक रही थी ..

पंडित : “मैं तो दूकान से कुछ सामान लेने के लिए आया था ..पर दूकान बंद थी, इसलिए मैंने सोचा की ऊपर आकर देखू की सब ठीक तो है न, वरना इरफ़ान भाई की दूकान कभी बंद तो नहीं होती ..ऊपर आकर देखा तो दरवाजा भी खुला हुआ था ..इसलिए सीधा अन्दर आ गया ..”

वो नूरी के जिस्म को घूरने में लगा हुआ था और बोलता भी जा रहा था .

नूरी बोली : “वो अब्बा जान जब गए तो बाहर का दरवाजा बंद करना भूल गयी मैं …वैसे भी कोई आता ही कहाँ है हमारे घर ..कल रात को अब्बा ने बताया था की आप आयेंगे शाम को ..कुछ बात करने के लिए ..”

पंडित : “हाँ …वो …दरअसल …” पंडित को सूझ ही नहीं रहा था की क्या बोले और क्या नहीं ..

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

नूरी : “मुझे पता है की अब्बा ने आपको सब कुछ बता दिया है मेरे बारे में ..और शायद आपसे बोला भी है की मुझे कुछ समझाए ..इसलिए आपने शाम को आने को कहा था न ..”

पंडित ने हाँ में सर हिलाया ..और नूरी की तरफ देखता रहा , वो सब बोलते – २ उसकी आँखों से पानी निकलने लगा था ..वो रोने लगी ..पंडित को सूझ ही नहीं रहा था की वो करे तो करे क्या ..

नूरी रोते -२ उनके पास आई और अपने घुटने पंडित के सामने टिका कर उनके पैरों पर अपने हाथ रखकर बैठ गयी ..और बोली : “पंडित जी …अब्बा तो समझते ही नहीं है ..जिस तकलीफ से मैं गुजर रही हु वो सिर्फ मैं ही जानती हु ..मैं तो अपनी परेशानी उन्हें बता भी नहीं सकती ..”

पंडित के सामने बैठने की वजह से नूरी के दोनों उरोज किसी पकवान से सजी प्लेट की तरह पंडित के सामने थे ..उनके बीच की लकीर (क्लीवेज) लगभग २ इंच तक बाहर दिखाई दे रही थी ..और सूट के अन्दर दोनों मुम्मों को जैसे जबरदस्ती ठूंसा गया था ..वहां का गोरापन भी कुछ ज्यादा ही था ..और पानी की बूंदे वहां भी फिसल कर नीचे की घाटी में छलांग लगा रही थी ..उसकी बातों से ज्यादा पंडित का उसके भीगे हुए हुस्न पर ध्यान था ..

पंडित : “तुम ..अगर चाहो तो मुझे अपनी परेशानी बता सकती हो ..”

नूरी कुछ देर तक अपनी नजरें झुका कर बैठी रही ..जैसे सोच रही हो की पंडित को बोले या नहीं .. ..फिर धीरे से बोली : “वो दरअसल …जब से मेरा निकाह हुआ है, मेरा शोहर और घर के दुसरे लोग चाहते हैं की मैं जल्द से जल्द माँ बन जाऊ , और इसके लिए हमने पहले दिन से ही कोशिश करनी भी शुरू कर दी थी ..”

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पंडित ने सोचा ‘साली साफ़ -२ क्यों नहीं बोलती की बिना कंडोम के चुदाई करनी शुरू कर दी थी तेरे शोहर ने पहली रात को ही ..’

वो आगे बोली : “पर २ महीने के बाद भी कोई रिसल्ट नहीं निकला तो घर वालों ने और मेरे शोहर ने भी मुझे भला बुरा कहना शुरू कर दिया ..घर में लडाई झगडे भी होने लगे , और जब ज्यादा हो जाती तो मैं घर भी आ जाती, पर थोड़े समय के बाद सब कुछ भूलकर लौट भी जाती थी …पर इस बार तो मैंने सोच लिया है ..मैं वापिस जाने वाली नहीं हु ..”

पंडित : “क्यों ..ऐसा क्या हुआ है ..”

नूरी : “उन्होंने मेरे सारे टेस्ट करवा लिए, मुझमे कोई कमी नहीं है ..और जब मैंने अपने शोहर को टेस्ट करवाने के लिए कहा तो उन्होंने साफ़ मना कर दिया ..और बोले की उन्हें ये सब करने की कोई जरुरत नहीं है ..कमी मेरे अन्दर ही है ..और वो दूसरी शादी करके दिखा भी देंगे की वो बच्चा पैदा करने की काबलियत रखते हैं ..पर मुझे मालुम है की दूसरी शादी करने के बाद भी कुछ नहीं होने वाला ..कमी उनके अन्दर ही है ..ये बात मानने को वो तैयार ही नहीं है ..”

पंडित : “देखो नूरी ..तुम्हारी बात सही है ..पर हमारा समाज मर्द प्रधान है ..और उसे ही प्राथमिकता देता है ..इन सब बातों के लिए हमेशा से ही औरत को दोषी माना जाता है ..तुम अपनी जगह सही हो ..तुमने सही किया, अगर उसे तुम्हारी कदर होगी तो अपने आप ही आएगा तुम्हे लेने ..”

नूरी पंडित की बातें सुनकर मुस्कुरा दी ..उसने सोचा , चलो कोई तो है जिसे उसके निर्णय की कदर है ..

पंडित : “पर तुमने अपने अब्बा के बारे में भी सोचा है कभी …वो कितने चिंतित रहते हैं ..तुम उन्हें ये सब कुछ बता क्यों नहीं देती ..”

नूरी : “नहीं …नहीं ..मैं उनसे ये सब कभी नहीं बोल सकती ..उन्हें काफी तकलीफ होगी ..उन्हें बी पी की प्रॉब्लम है, ये सब सुनकर और अपनी बेटी का घर उजड़ता हुआ देखकर वो और भी टेंशन ले लेंगे ..नहीं …मैं उन्हें ये सब नहीं बता सकती ..”

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पंडित : “फिर एक ही उपाय है इसका …तुम वापिस अपने घर जाओ ..ताकि तुम्हारे अब्बा की परेशानी कम हो जाए ..”

नूरी : “पर वहां जाकर मेरी परेशानी शुरू हो जायेगी, उसका क्या ..उन्हें तो बस मेरी कोख में बच्चा चाहिए, ताकि अपने समाज में वो गर्व से कह सके की उनका लड़का नामर्द नहीं है …”

उसने अपने दांत पीस कर ये बात बोली ..

फिर कुछ सोचकर वो बोली : “पर एक तरीका है …जिससे मैं वहां वापिस भी जा सकती हु और उन्हें सबक भी सिखा सकती हु ..”

पंडित : “क्या …??”

नूरी : “मैं किसी और के साथ सम्बन्ध बना लू ..और अपनी कोख से उन्हें अलाद नसीब करवाऊ …और ये सब जानते हुए की मेरी औलाद मेरे नामर्द पति की निशानी नहीं है, मुझे उन्हें सबक सिखाने का मौका भी मिल जाएगा …”

पंडित उसकी बातें सुनकर भोचक्का रह गया …वैसे पंडित के मन में सबसे पहले यही बात आई थी की उसे बोले की तू बाहर से चुद ले और उन्हें बच्चा दे दे ..उन्हें क्या पता चलेगा …पर यही बात नूरी ने इतनी आसानी से कह डाली, इसका उन्हें विशवास ही नहीं हो रहा था ..और अब पंडित को अपना नंबर लगता हुआ दिखाई दे रहा था ..

पंडित : “देखो… जो भी तुमने सोचा है ..वो गलत तो है ..पर तुम अपनी जगह सही हो ..अपनी ग्रहस्त जिन्दगी बचाने के लिए तुम्हारा इस तरह से सोचना बिलकुल सही है ..मुझे तुम्हारा ये सुझाव पसंद है ..पर क्या …तुमने …सोचा है की …किसके साथ ..मेरा मतलब है ..”

नूरी की आँखों में भी गुलाबी डोरे तेरने लगे ..वो धीरे से फुसफुसाई : “वो मैं सोच रही थी …की ..अपने …अब्बा को ही …मतलब ..उनके साथ …ही कर लू …”

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

नूरी की बातें सुनते ही पंडित के सपनों का महल एक ही पल में चूर चूर हो गया …

नूरी : “आप ही बताइए पंडित जी ..उनसे बेहतर और कौन होगा …इस काम के लिए ..घर की बात घर पर ही रह जायेगी …और वैसे भी, अम्मी के इंतकाल के बाद अब्बा की हालत देखि है मैंने …रात -२ भर जागते रहते हैं ..तड़पते रहते हैं अपने बिस्तर पर …और …और …अपने हाथों से ..खुद ही ..वो भी करते हैं …”

पंडित उसकी बात सुनकर चोंक गया : “क्या …क्या करते हैं ..”

नूरी : “अपने पेनिस को रगड़ते हैं …मूठ मारते हैं …मैंने देखा है ..उन्हें ..”

पंडित समझ गया की नूरी का मन शुरू से ही अपने अब्बा यानी इरफ़ान के ऊपर आया हुआ है ..इसलिए वो चुप कर उसकी हर बात पर नजर रखती है ..

नूरी : “पंडित जी ..आपको मैंने ये सब इसलिए बताया की आप मेरी मदद करो ..आप को मैं अपना सच्चा हितेषी मानती हु ..और आप अब्बा को भी अच्छी तरह से जानते हैं ..आप ही कोई रास्ता निकाले जिससे मैं वो सब कर सकू जो मैंने सोच रखा है ..”

पंडित समझ तो गया था की वो अपनी बात पर अडीग है .अपने बाप से चुदवा कर और प्रेग्नेंट होकर ही मानेगी ..पर पंडित ने भी कच्ची गोलियां नहीं खेली थी ..वो अपने हाथ आये हुए इतने अच्छे अवसर को नहीं जाने दे सकता था ..उसके मन में प्लान बनने शुरू हो गए …

पंडित को काफी देर तक चुप रहते और कुछ सोचता हुआ देखकर नूरी बोली : “पंडित जी ..क्या सोचने लगे ..बताइए न, कैसे होगा ये सब ..जो मैंने सोचा है ..”

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

पंडित : “देखो नूरी ..तुम मेरी बात का गलत मतलब नहीं निकालना ..पर जो भी तुम सोच रही हो, वो इतना आसान भी नहीं है ..मैं इरफ़ान भाई को अच्छी तरह से जानता हु ..दरअसल ..हमारी दोस्ती है ही इतनी गहरी की वो अपने दिल की हर बात मुझसे शेयर कर लेते है ..और उन्हें जो प्रोब्लम है वो मुझे भी पता है ..”

नूरी (आश्चर्य से ..) : “उन्हें ..उन्हें क्या प्रोब्लम है …”

पंडित : “वो दरअसल ..इरफ़ान भाई के लिंग में कुछ प्रोब्लम है ..बढती उम्र के साथ वो उनका साथ नहीं दे रहा है ..और मैंने उन्हें कुछ ख़ास किस्म की ओषधि लगाकर अपने लिंग की मालिश करने को कहा है ताकि वो पहले जैसा ताकतवर हो जाए ..और जब तक वो नहीं होगा उनके लिंग से निकले वीर्य में भी कोई शुक्राणु अपना कमाल नहीं दिखा पायेंगे …और तुम्हारीसारी प्लानिंग धरी की धरी रह जायेगी .”

पंडित ने जल्दबाजी में अपने मन की बनायी हुई झूटी कहानी सुना दी नूरी को ..

पंडित की बाते सुनकर नूरी का मुंह खुला का खुला रह गया …

नूरी : “पर …पर पंडित जी …आप ये सब ..कैसे ..क्यों कर रहे है ..”

पंडित : “दरअसल मैंने ओषधि विज्ञान को पड़ा हुआ है और इस बात का तुम्हारे अब्बा को भली भाँती पता है ..इसलिए उन्होंने मुझे अपनी व्यथा बताई थी ..और वही ओषधि का लेप वो अपने लिंग पर रोज करते हैं जिसे तुमने समझा की वो अपने अन्दर की उत्तेजना शांत कर रहे है …उन्हें पहली जैसी अवस्था में आने के लिए कम से कम 6 महीने का समय लगेगा ..”

नूरी : “या अल्लाह …इतने समय में तो क्या से क्या हो जाएगा …अब मैं क्या करू ..अच्छा हुआ मैंने अपने मन की मानकर अब्बा को अपने बस में करने की पहले नहीं सोची …वर्ना सब कुछ करने के बाद भी कुछ ना हो पाता तो मैं उनसे पूरी उम्र नजरें न मिला पाती …अब क्या होगा मेरा …”

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

पंडित अपनी कुटलता पर मन ही मन मुस्कुरा रहा था ..

पंडित : “पर तुम परेशान मत हो .कोई न कोई हल निकल ही आएगा ..तुम्हारे अब्बा के अलावा कोई और भी तो होगा तुम्हारे जहन में जो तुम्हारी ऐसी मदद कर पाए ..”

नूरी लगभग टूटी हुई सी आवाज में बोली : “नहीं पंडित जी …और कोई नहीं है ..मैंने ऐसा कभी सोचा नहीं था ..पर मेरे साथ जो खेल जिन्दगी मेरे साथ खेल रही है , उसकी वजह से मैंने ये कदम उठाने की सोची ..और कोन है जो मेरी मदद करे ..”

पंडित का मन कह रहा था की चिल्ला कर बोले ‘भेन की लोड़ी , तेरे सामने एक जवान और हस्त पुष्ट इंसान खड़ा है …मुझे बोल न ..’

तभी जैसे पंडित के मन की बात समझकर नूरी कुछ सोचते-२ पंडित को देखकर दबी आवाज में बोली : “पंडित जी ..अब आप ही है जो मेरी मदद कर सकते हैं …”

पंडित (अनजान बनते हुए ) : “मैं …कैसे …”

नूरी (अपनी नजरें नीची करते हुए ) : “आप मुझे गलत मत समझिएगा ..पर मैं किसी और को कहने से अच्छा आपसे अपनी मदद करने की उम्मीद रखती हु …अगर आपको कोई प्रॉब्लम न हो तो …क्या आप… मुझे …मुझे …”

वो आगे ना बोल पायी ..

पंडित : “ये क्या कह रही हो तुम नूरी …मैं कैसे तुम्हारे साथ वो सब ….”

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

नूरी एकदम से तेष में आते हुए : “क्यों ..क्या कमी है मुझमे ..मैं सुन्दर नहीं हु ..आपको पसंद नहीं हु क्या ..मुझे सब पता है पंडित जी ..आप मुझे किस नजर से देखते हैं ..लड़की को कोनसा इंसान कैसी नजर से देख रहा है और उसके बारे में क्या सोच रहा है उसे सब पता रहता है , फिर चाहे वो लड़की का भाई या बाप हो या फिर रिश्तेदार या कोई और मिलने वाला ..मैंने देखा है आपकी नजरों में भी, वही लालसा , वही प्यास , वही ललक जो मुझे पाना तो चाहती है पर सीधा कहने से डरती है ..है न पंडित जी ..बोलिए …”

पंडित ने अपना सर झुक लिया, नूरी उनकी समझ से कही ज्यादा चतुर निकली ..

उनका झुक हुआ चेहरा देखकर नूरी बोली : “पंडित जी ..देखिये ..मेरा मकसद आपको ठेस पहुंचाने का नहीं था …मैं तो सिर्फ .आपसे मदद मांग रही थी …बोलिए …आप मेरी मदद करेंगे ना ..”

कहते -२ नूरी के हाथ पंडित की जांघो पर चलने लगे ..उसकी साँसे तेज होने लगी …उसके उभार ऊपर नीचे होने लगे ..और आँखे और भी गुलाबीपन पर उतर आई ..और ये सब पंडित जी से सिर्फ एक फुट की दुरी पर हो रहा था ..

वो पंडित से चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार थी, पंडित के लंड से चुदकर वो प्रेग्नेंट होना चाहती थी … अब पंडित के लिए भी अपने आप को संभालना मुश्किल हो गया ..उसने नूरी के नूर टपकाते हुए चेहरे को अपने हाथों में पकड़ा और धीरे से बोले : “ठीक है ..जैसा तुम चाहो ..मैं तैयार हु तुम्हारी मदद करने के लिए …”

पंडित का इतना कहना था की नूरी की आँखों से आंसू निकल गए और उसने आगे बढकर पंडित के गले में अपनी बाहें डाल दी ..उसके दोनों खरबूजे पंडित की छाती से पीसकर अपना गुदा वहां महसूस करवाने लगे ..

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

पंडित ने भी उसकी पीठ पर अपनी जकड बनाते हुए उसे अपने ऊपर खींच लिया ..और पीछे की तरफ लेट गया ..नूरी का गदराया हुआ जिस्म पंडित के ऊपर पड़ा हुआ था ..उसके रेशमी बालों ने दोनों तरफ से गिरकर उसके और पंडित के चेहरे को किसी जंगले की तरह से ढक लिया ..नूरी ने अपना चेहरा ऊपर उठाया और पंडित की आँखों में बड़े प्यार से देखा ..और फिर अपनी आँखे बंद करते हुए वो नीचे झुकी और पंडित के होंठों को अपने अन्दर समेट कर उसे जोर से चूम लिया ..

अह्ह्ह्ह्ह …क्या एहसास था ..उसके गुलाब की पंखड़ियों का ..ऐसा लग रहा था की गुलाब की पत्तियां उसके होंठों को चूस रही है ..इतना कोमल एहसास पंडित को आज तक नहीं हुआ था …

पंडित ने दुगने जोश के साथ अपनी पकड़ बडाई और उसके होंठों को चूसने लगा …

‘उम्म्म्म ….पंडित जी ….धीरे …अहह …आप तो काफी जालिम लगते हैं इस मामले में …’

नूरी की कम्प्लेंन सुनकर पंडित ने अपना उत्तेजना पर लगाम लगायी ..और अपने हाथ नीचे करके हमेशा से आँखों के आकर्षण का केंद्र रहे उसके उरोजों को पकड़ा और उन्हें सहलाने लगा …मगर प्यार से.

उसकी ब्रेस्ट पर चमक रहे निप्पल पंडित को साफ़ महसूस हो रहे थे ..वो अभी -२ नहा कर आई थी इसलिए उसके शरीर की ठंडक पंडित को काफी सुखद लग रही थी ..

पंडित ने उसके सूट को नीचे से पकड़ा और ऊपर करके निकाल दिया …उसने नीचे ब्लू कलर की ब्रा पहनी हुई थी ..पंडित ने उसकी ब्रा भी खोल दी ..और जैसे ही वो खुली, उसमे से पके हुए फलों की तरह उसके दोनों आम बाहर निकल कर पंडित के चेहरे पर आ गिरे ..और पंडित के होंठ और जीभ जोर -२ से उनपर चलने लगे …नूरी ने सोचा भी नहीं था की धार्मिक काम काज करने वाला ये पंडित सेक्स के ऐसे दांव पेंच भी जानता होगा जिसे देखकर लड़की के मुंह से तो क्या चूत से भी चीखे निकल जाए …

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

‘अह्ह्ह्ह ….पंडित जी …..उम्म्म्म ….क्या करते हो …अह्ह्ह …बहुत मजा आ रहा है …अह्ह्ह …’

पंडित उसे ये सब मजे देने के लिए ही तो सब कर रहा था …

पंडित के हाथ उसकी पायजामी की तरफ चले, उसने तो जैसे सोच लिया था की आज ही इसे प्रेग्नेंट करके रहेगा …

पर तभी बाहर का दरवाजा खडका ..दोनों चोंक गए ..

नूरी ने जोर से पुछा : “कोन है …बाहर ”

“बेटा …मैं …हु ..खोलो …” वो इरफ़ान की आवाज थी , कमीना दो घंटे में आने वाला था , पंडित ने मन ही मन सोचा …

दोनों घबरा गए, नूरी ने जल्दी से अपने कपडे पहने और पंडित को अपने कमरे में लेजाकर बेड के नीचे छुपा दिया और जाकर दरवाजा खोल दिया ..

दोनों की आवाजें पंडित साफ़ सुन पा रहा था ..

नूरी : “अब्बा जान …आप काफी जल्दी आ गए …”

इरफ़ान : “हाँ ..मैंने वो पैसे सीधा उसके खाते में जमा करवा दिए ..वो ए टी एम से निकलवा लेगी ..वहां जाने और आने में काफी समय लगता ..शाम को उसे देखने चला जाऊंगा ..अभी दूकान भी तो खोलनी है ..तू मेरे लिए जल्दी से नाश्ता बना, मैं नहा कर आता हु ..”

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

वो नहाने के लिए जल्दी से गुसलखाने में घुस गए, नूरी ने भागकर पंडित को बाहर निकाल और उसे चुपचाप बाहर निकाल दिया …पंडित को अपनी हालत आजकल के नोजवान आशिक जैसी लग रही थी जो लड़की के घर से उसके बाप के डर से छुप कर भाग रहा था ..पर जो भी हो, नूरी के जलते हुए बदन के आधे अधूरे एहसास ने पंडित के अन्दर की ज्वाला को और भी ज्यादा जला दिया था ..उसे अब जल्द से जल्द उसके साथ चुदाई करनी थी और उसे बच्चा देना था …वो शाम को आने का वादा करके जल्दी से नीचे उतर गया ..

और वैसे भी , रितु के आने का टाईम भी होने वाला था ..

पंडित अपने कमरे में भागकर पहुंचा, चलते हुए उसका एक हाथ अपनी धोती के ऊपर था, वैसे धोती का तो एक बहाना ही था, असल में वो अपने खड़े हुए लंड को पकड़ कर चल रहा था, उसे डर था की उसका खड़ा हुआ लंड कोई देखा ना ले ..

दरवाजा बंद करके वो अपनी उखड़ी हुई साँसों पर काबू पाते हुए आँखे बंद करके अपने खड़े हुए लंड को मसलने लगा और नूरी के बेपनाह हुस्न को याद करते हुए उसकी धोती कब नीचे गिर गयी, उसे भी पता नहीं चला …

उसके लम्बे लंड के ऊपर चमक रहे सुपाडे पर नूरी के नाम का पसीना उभर आया ..उसने वो प्रिकम अपने पुरे लंड पर मलकर एक दबी हुई सी सिसकारी मारी …नूरी के नाम की .

‘अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …..नूरी ……क्या माल है ….उम्म्म्म्म ….क्या मुम्मे थे तेरे …..इतने मीठे ….इतने कड़क निप्पल ….अह्ह्ह्ह्ह्ह …..ओह्ह्ह्ह्ह नूरी ….’

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

पंडित अपने दरवाजे की ओट लेकर खड़ा हुआ अपना लंड मसल रहा था …तभी दरवाजे पर धीरे से किसी ने खडकाया ..

पंडित ने आनन् फानन में अपनी धोती ऊपर उठाई और अपने लंड को छुपाने की असफल कोशिश करते हुए जैसे ही पूछना चाहा की कौन है …बाहर से आवाज माधवी की आवाज आई “पंडित जी …खोलिए तो जरा …”

माधवी की रसीली आवाज सुनते ही पंडित के हाथों से धोती छुट गयी और उसने जल्दी से दरवाजा खोलकर माधवी का हाथ पकड़ कर अन्दर खींचा और दरवाजा फिर से बंद कर दिया ..

माधवी को पंडित जी से ऐसे बर्ताव की उम्मीद नहीं थी ..पर अन्दर आकर जैसे ही उसकी नजर पंडित के खुन्कार लंड के ऊपर गयी उसका शरीर कांप सा गया …उसकी आँखे बोजिल सी हो गयी और वो बेजान सी होकर वहीँ जमीन पर बैठकर पंडित ने नोने से लंड को निहारने लगी …

पंडित की हालत पहले से ही खराब थी, माधवी की मर्जी जाने बिना ही वो हरकत में आ गया और आगे बढकर अपने श्रीखंड को उसके मुंह में धकेल दिया …

उम्म्म्म्म …..

पंडित जी का मीठा उपहार पाकर वो गदगद हो उठी …और उसका मीठा रस पीकर वो अपने मुंह और जीभ को उसपर जोरों से चलाने लगी …

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

वैसे भी अपने पति की तरफ से खुल्ली छूट मिल जाने की वजह से वो पंडित से सब कुछ खुलकर करवाने को बेताब थी, और वो ये नहीं जानती थी की पंडित को ये सब पहले से ही पता है ..

पंडित ने अपने फैले हुए हाथों से उसके सर को जोर से पकड़ा हुआ था …और अपनी हथेलियों से उसके कानों को रगड़ कर उसे और भी गरम कर रहा था …

आज माधवी ने साडी पहनी हुई थी ..उसका पल्लू कर खिसक कर नीचे ढलक गया, उसे भी पता नहीं चला ..उसके दूध से भरे हुए थन बाहर निकलकर अपना दूध निकलवाने को मचलने लगे ..

पंडित के हाथ खिसकते हुए आगे आये और एक एक करके उसने माधवी के ब्लाऊस के बटन खोलने शुरू कर दिये.

माधवी ने भी पंडित जी की मदद करते हुए अपना ब्लाउस खोल दिया और अपनी ब्रा के कप नीचे खिसका कर अपने उरोज उनके समक्ष उपस्थित कर दिए ..

पंडित ने झुक कर उसके निप्पल अपने दोनों हाथों की उँगलियों में पकडे और उन्हें ऊपर की तरफ खींच दिया …

माधवी दर्द और आनंद के मिले जुले मिश्रण के साथ सिसक उठी ..

‘अह्ह्ह्ह्ह्ह …….ओह्ह्ह्ह्ह …पंडित जी …..उफ्फ्फ दर्द होता है …’

पर पंडित को उसपर कोई रहम नहीं आया, वो उसे ऊपर की तरफ खींचता चला गया, माधवी के मुंह से पंडित का डंडा बाहर निकल गया और उसके पुरे शरीर पर रगड़ खाता हुआ ठीक उसकी चूत के ६ इंच ऊपर आकर रुक गया ..

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

उत्तेजना के मारे माधवी के मुंह से लार निकल कर उसकी ठोडी और गर्दन को गीला कर रही थी ..पंडित ने अपनी लम्बी जीभ निकाली और उसके होंठों से निकल रहे अमृत को चाटना शुरू कर दिया …

माधवी के होंठों के ऊपर पंडित की जीभ ऐसे चल रही थी मानो वो कोई आइसक्रीम हो ..गर्दन पर पहुंचकर पंडित के हाथों के पंजे उसके मुम्मों को जोरों से मसलने लगे …अब माधवी ने पंडित के सर को पकड़कर उसे अपने सीने से लगा लिया और आनंद सागर में गोते लगाते हुए पंडित से मुम्मे चुस्वाने का सुख भोगने लगी ..

माधवी ने सिसकारी मारते हुए कहा : “स्स्स्स पंडित जी …आज मैं कितने सही समय पर आई आपके पास …अह्ह्ह्ह्ह …आई तो कुछ और काम से थी …पर मुझे क्या मालुम था की मेरी किस्मत में आज सुबह -२ आपका प्रसाद लिखा होगा …आअह्ह्ह्ह्ह ”

कहते -२ उसने एक बार जोर से पंडित के लंड को पकड़ कर मसल दिया …

पंडित का लंड उसकी चूत में अभी तक एक बार भी नहीं गया था ….और आज वो ये काम किसी भी कीमत पर करना ही चाहती थी ..पंडित की भी हालत खराब थी, नूरी की चूत मारने से वो आज वंचित रह गया था जिसकी वजह से उसके अन्दर काफी गुबार भर गया था .उसने घडी की तरफ देखा, रितु और शीला के आने का समय भी होने वाला था ..और उनके आने से पहले जैसी परिस्थिति हो जाती, जिसमे उसे बिना चूत मारे ही रहना पड़ा था, उसने आनन् फानन में माधवी को अपने बेड पर पटका और उसकी साडी और पेटीकोट ऊपर करके उसकी गीली कच्छी को साईड में किया और अपना दनदनाता हुआ लंड एक ही बार में उसकी गर्म और रसीली चूत में पेल दिया …

“अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …..ओह्ह्ह्ह पंडित जी ……उम्म्म्म्म …..मैं तो धन्य हो गयी ….अह्ह्ह्ह ….आपसे चुदवाकर उम्म्म्म्म ……क्या लंड है आपका …..मोटा ….और लम्बा …..उम्म्म्म …..”

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

वो पंडित के लंड को गिरधर के लंड से कम्पेयर कर रही थी …इसलिए उसको आज काफी मजा भी आ रहा था ….उसकी साड़ी मोटी जाँघों के ऊपर सिमटी पड़ी थी …और धक्के लगने की वजह से बुरी तरह से अस्त व्यस्त हो चुकी थी …ऊपर के दोनों कबूतर भी हर झटके से ऊपर उड़ जाते पर बंधे होने की वजह से वापिस नीचे आ जाते ..

पंडित खड़े-२ झटके मार रहा था …उसका पसीने से भीगा हुआ शरीर अपने अन्दर की गर्मी को लंड के जरिये माधवी की चूत में ट्रांसफर करने में लगा हुआ था …

माधवी के पैर भी नीचे थे और उसने अपने पैरों को दोनों तरफ फ़ेल कर पंडित को बीच में आदर सहित खड़ा किया हुआ था, और उतने ही आदर के साथ उनके खड़े हुए लंड को अपने अन्दर लिया हुआ था ..

अचानक पंडित के झटके तेज होने लगे …

‘अह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ माधवी …उम्म्म ….क्या टाईट चूत है तेरी …अह्ह्ह …लगता है गिरधर ने पूरा इस्तेमाल नहीं किया …अह्ह्ह …जवान बेटी हो गयी है तेरी …अह्ह्ह्ह्ह ..फिर भी ….इतनी गरम चूत है तेरी …’

माधवी के अन्दर की भट्टी भी आग उगलने लगी ..और एक भीषण गर्जन के साथ पंडित के लंड से पानी निकल कर माधवी की भट्टी की आग बुझाने लगा …माधवी को भी ओर्गास्म के झटके अन्दर से लगने महसूस हुए और उसका पूरा शरीर अकड़ गया …उसके पैर सामने हवा में सीधे हो गए …पंडित ने अपने पुरे शरीर को माधवी के ऊपर लिटा दिया ..और बाकी के बचे हुए झटके दोनों ने एक साथ खाए …एक दुसरे से लिपटे हुए .

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

‘ओह्ह्ह्ह्ह पंडित जी …..आज जैसी चुदाई तो किसी ने नहीं की मेरी ….कितना शक्तिशाली है आपका लंड …..मुझे तो जन्नत की सैर करवा दी आपने आज …मैं तो आपके लंड की मुरीद हो गयी …कसम से ..’

पंडित ने उसकी बाते सुनते हुए अपने कपडे पहनने शुरू कर दिए और माधवी को भी सही अवस्था में आने को कहा ..थोड़ी ही देर में दोनों सही तरीके से अपने आपको दरुस्त करके बैठ गए ..

पंडित ने दोनों दरवाजे खोल दिए और एक अगरबत्ती जला दी ताकि कमरे से सेक्स की महक निकल जाए …

पंडित : “हां …माधवी …अब बोलो …किस काम से आई थी तुम ..”

माधवी शर्माते हुए बोली : “वो ..मैं ..आपको धन्यवाद देने आई थी …की आपकी वजह से मेरे और गिरधर के बीच फिर से पहले जैसा अपनापन आ गया है .. ”

पंडित : “मैं जानता हु …”

माधवी चोंक कर बोली : “कैसे ????”

पंडित : “भूल गयी …मैं अंतर्यामी हु …मुझे सब पता चल जाता है …तुम्हारे चेहरे को देखते ही मैं समझ गया था की तुम यहाँ किसलिए आई हो …”

माधवी शरमाने लगी …और धीरे से बोली : “अच्छा …तभी आपने बिना कुछ पूछे मुझे अन्दर खींच लिया और ये सब कर डाला …मुझे तो ऐसा लग रहा था की आप जैसे मेरी ही प्रतीक्षा कर रहे थे की कब मैं आऊ और कब आप मुझे चो …चोद डाले …”

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

पंडित मुस्कुराने लगा …और सोचने लगा ‘अब इस अज्ञानी को कैसे समझाऊ ‘

तभी बाहर से रितु अन्दर आ गयी …और अपनी माँ को पंडित के साथ बैठ देखकर बोली : “अरे माँ …तुम यहाँ हो …मैं तुम्हे घर पर देख रही थी …वहां कोई नहीं था, मैं स्कूल से आकर कपडे भी बदल आई और खाना भी खा लिया … ”

माधवी : “अरे …पंडित जी से बातें करते-२ मुझे समय का ध्यान ही नहीं रहा …अच्छा पंडित जी ..मैं चलती हु …आप बस मेरी बच्ची की पढाई पर ध्यान दीजिये …अगर हो सके तो अपनी तरफ से भी कोई शिक्षा इसे दे दिया करिए ..शीला जी तो स्कूल का पाठ्यकर्म पढाती है …जीवन और ज्ञान से सम्बंधित बातें तो आपही बता सकते हैं न …”

पंडित : “इसमें कहने वाली क्या बात है माधवी ..तुम चिंता मत करो ..रितु को हर तरह की शिक्षा मिलेगी …तुम जाओ ..”

माधवी पंडित जी को प्रणाम करके वहां से निकल गयी …पंडित का ध्यान अब रितु के ऊपर गया …वो आज पिंक कलर की लम्बी सी फ्रोक पहन कर आई थी …स्लीवलेस थी वो …और उसके दांये कंधे पर पंडित को उसकी ब्लेक ब्रा का स्ट्रेप भी नजर आ रहा था …

पंडित बुदबुदाया ‘ओह्ह्ह्ह रितु ….क्यों आग लगाती हो …ऐसे अपने अंगों के दर्शन करवाकर …’

आज वो रितु को सच में कुछ स्पेशल ज्ञान देने के मूड में था .

रितु के चेहरे पर भी आज एक अलग सी रौनक थी , कुछ नया सीखने की, नया देखने की , जीवन के रहस्यों को समझने की और उन्हें अपनाने की . वो सब कुछ सोचकर मंद -२ मुस्कुरा भी रही थी .

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

पंडित : ” क्या बात है रितु , आज तुम काफी खुश नजर आ रही हो ..”

रितु (अल्हड़पन और शोखी भरे स्वर में बोली ) : “आप तो सब चेहरा देखकर ही जान लेते है न ..आप ही बताइए मैं क्या सोच कर खुश हो रही हु ..”

पंडित के ज्ञान को उसने सीधे शब्दों में चुनोती दे डाली .

पंडित भी मुस्कुराते हुए उसके पास खिसक आया और धीरे से बोला : “मुझे तो पता है की तुम क्या सोचकर मुस्कुरा रही हो ..पर ऐसा ना हो की मैं तुम्हे बताऊँ और तुम शरमा कर यहाँ से भाग जाओ …”

रितु (सकुचाते हुए) : “नहीं …ऐसा नहीं होगा …आप बताइए तो सही ..”

पंडित : “तो सुनो …तुमने कल रात को अपने माँ पिताजी को वो सब करते हुए देखा जिसके विषय में सोचकर तुम २ दिनों से परेशान हो ..यानी सम्भोग ..है न ..”

पंडित की बात सुनकर रितु का मुंह खुला का खुला रह गया ..उसे शायद ये आशा भी नहीं थी की पंडित इतनी आसानी से उसके सामने उसकी पोल पट्टी खोल कर रख देगा ..और शायद ये भी अंदाजा नहीं था की पंडित सच में कल रात वाली बात जानता होगा ..मतलब, उसे ये तो पता था की पंडित मन की बात जान लेता है पर ये बात भी वो जान लेगा उसे उम्मीद नहीं थी ..

अब उस बेचारी को कौन समझाए की पंडित वो सब कैसे जानता है .

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

पंडित : “और मुझे ये भी पता है की तुम उन्हें देखते -२ क्या कर रही थी ..कैसे तुमने अपनी फ्रोक को उतार फेंका और …”

“बस पंडित जी ….प्लीस …और कुछ ना बोलिए …मुझे शर्म आ रही है …प्लीस …” वो गहरी साँसे लेते हुए पंडित जी के पैरों में गिर पड़ी ..जैसे उनके ज्ञान से रूबरू होकर अपनी अज्ञानता की माफ़ी मांग रही हो ..

पंडित ने उसकी गोरी-२ बाजुओं से पकड़ कर उसे ऊपर उठाया और बोले : “इसमें शर्माने वाली कोनसी बात है रितु …वो सब स्वाभाविक था, तुमने जो देखा उसके परिणामस्वरूप वो सब तो होना ही था …बस तुम्हे अपनी भावनाओं को व्यक्त करना नहीं आया …..”

पंडित उसकी आधी अधूरी जानकारी के बारे में जानता था ..इसलिए ये सब बोला ..

रितु : “पंडित जी ..मुझे सच में इन सब चीजों के बारे में कुछ नहीं मालुम ..घर पर भी और स्कूल में भी कोई ऐसा नहीं है जो ये सब बताये ..आपने भी कल मुझे जो बात बतायी थी वो मेरे लिए बिलकुल नयी थी ..वरना आज तक तो मैं यही समझती थी की शायद किस्स करने से …ही बच्चा …हो जाता है …”

पंडित : “ह्म्म्म …पर तुम चिंता ना करो ..अब मेरे पास आकर तुम्हारा अज्ञानता का अँधेरा दूर हो जाएगा …मैं रोज तुम्हे जीवन के हर पहलु से अवगत करवाऊंगा …”

रितु ने हाँ में सर हिला दिया ..

वो ये सब बातें कर ही रहे थे की बाहर से शीला अन्दर आ गयी और पंडित जी के पैर छु कर वहीँ उनके पास जमीन पर बैठ गयी ..

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

पंडित ने शीला से कहा : “शीला …आज हम दोनों मिलकर रितु के कुछ सवालों का निवारण करेंगी ..जो काम क्रीडा यानी सेक्स के बारे में हैं ..”

पंडित की बात सुनकर रितु के साथ-२ शीला भी आश्चर्य से उन्हें देखने लगी ..

रितु इसलिए की वो शायद किसी और के सामने या साथ में अपने सवालों का जवाब नहीं चाहती थी ..और पंडित जी शीला के साथ ये सब बातें कैसे करेंगे उसे ये समझने में काफी परेशानी हो रही थी ..

और दूसरी तरफ शीला को इसलिए की पंडित की प्लानिंग वो भी नहीं जानती थी , पंडित के कहने पर उसने गिरधर के साथ डबल मजा किया था जिसमे उसे बहुत मजा भी आया था और अब पंडित जी शायद उसका इस्तेमाल करके उनकी बेटी के साथ भी वही सब करना चाहते हैं ..

पर पंडित जी की हर बात को आँख मूँद कर मानने कर वचन वो दे चुकी थी इसलिए उसकी हिम्मत नहीं हुई की उनसे कोई सवाल करे ..वैसे भी, वो जानती थी की पंडित जी कुछ भी करें , उसे मजा तो आना ही आना है ..और वैसे भी, रितु को स्कूल की पढाई कराने से ज्यादा उसे सेक्स की पढाई कराने में ज्यादा मजा आएगा ये सोचते हुए वो पंडित जी से बोली : “ठीक है पंडित जी …आप जैसा कहें ..”

पंडित : “शीला …तुम दोनों दरवाजे बंद कर दो और अपने सारे कपडे उतार दो ..”

पंडित की बात सुनकर शीला किसी रोबोट की तरह से उठी और पहले मंदिर की तरफ का और फिर पीछे वाली गली का दरवाजा बंद कर दिया और बीच में खड़ी होकर अपनी साडी खोलने लगी ..

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

साडी उतारने के बाद ब्लाउस और फिर ब्रा भी ..और नीचे से पेटीकोट उतार कर वो पूर्ण रूप से नग्न अवस्था में आ गयी ..पिछले २-३ दिनों की तरह आज भी उसने पेंटी नहीं पहनी हुई थी ..

पंडित के नाग ने विराट रूप लेना शुरू कर दिया ..

अपने सामने शीला को पूरा नंगा देखकर रितु पलके झपकाना भी भूल गयी ..कल तक एक अध्यापिका बनकर उसे ज्ञान देने वाली शीला आज पूरी नंगी होकर उसके सामने खड़ी थी ..एक अलग तरह का ज्ञान देने के लिये .

पंडित : “देखो रितु , तुम शायद ये सोच रही होगी की मेरे कहने से शीला इस तरह से क्यों तैयार हो गयी ..सुनो, शीला को भी ऐसे कई ज्ञान और खुशियाँ मैंने प्रदान की है जिसकी वजह से इसका जीवन आज पूरी तरह से बदल चूका है ..इसलिए मेरे साथ किसी भी प्रकार की क्रिया करने से इसे कोई आपत्ति नहीं होती बल्कि ख़ुशी ही मिलती है ..”

पंडित की बात सुनकर उसे विशवास ही नहीं हो रहा था की पंडित जी का शीला के साथ कोई सम्बन्ध हो सकता है ..

उसकी दुविधा का निवारण करने हेतु पंडित जी उठे और शीला के सामने जाकर उसके चेहरे को पकड़ा और अपने होंठों को उसके अधरों पर रखकर उनका पान करने लगे .

शीला के हाथों का हार अपने आप पंडित जी के गले में आ गया और वो भी उचक उचक कर उनका साथ देने लगी …

पंडित जी ने शीला के ऊपर वाले होंठ को अपने दांतों में दबाया और ऊपर की तरफ खीचकर चुभलाने लगे ..और अपने हाथों की उँगलियों से उसके निप्पलस को मसल मसलकर लाल करने लगे .

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

‘अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म ……उफ़ पंडित जी …..आपकी उँगलियों में तो जादू है …अह्ह्ह्ह …ह्म्म्म्म ऐसे ही …दबाइए इन्हें …रात भर दर्द करते रहते हैं ..अह्ह्ह्ह …’

शीला की करुण पुकार सुनकर पंडित ने और तेजी से उनका मर्दन करना शुरू कर दिया ..

पंडित का ध्यान रितु की तरफ था, वो ये सब करते हुए रितु को एक -एक एक्शन साफ़ दिखाना और समझाना चाहते थे ..

पंडित : “देखो रितु …एक औरत के जिस्म के सबसे कामुक और उत्तेजना का संचार करने वाले हिस्से होते हैं ये ..उसके होंठ …उसके उरोज ..और ये ..उसकी चूत …इनका सेवन और मंथन करना अति आवश्यक होता है …तभी उसे मजे आते हैं ..ये देखो …”

इतना कहकर उसने शीला की साफ़ और चिकनी चूत पर अपनी उँगलियाँ फेराई और एक झटके से अपनी एक ऊँगली अन्दर खिसका दी …

“अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ….ओह्ह्ह्ह पंडित ……जी ….उम्म्म्म्म ….मजा आ गया …”

पंडित : “देखा …सिर्फ एक ऊँगली अन्दर डालने से इतना मजा आ गया इसे …सोचो जब वो अन्दर जाएगा तो क्या होगा …”

‘वो’ मतलब लंड …इतना तो वो अच्छी तरह से जानती थी, रात को अपने माँ बाप की पूरी फिल्म जो देख चुकी थी …

पंडित : “रितु …तुम शायद नहीं जानती की आदमी और औरत जब सम्भोग करते हैं तो वो सिर्फ बच्चा पैदा करने का माध्यम नहीं होता, बल्कि एक दुसरे को उत्तेजना का वो एहसास दिलाने का माध्यम भी होता है जिसके लिए स्त्री और पुरुष का मिलन होता है …और वो आनंद स्त्री को देने के लिए पुरुष कई प्रकार की प्रक्रियाएं करते हैं ..जैसे चूत में ऊँगली डाल देना …या उसे अपने मुंह से चूसना ..और अंत में अपना लंड अन्दर डाल देना ..जिसके घर्षण से दोनों को काफी मजा आता है …”

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

और रितु को प्रेक्टिकल दिखाने के लिए पंडित ने शीला को बिस्तर पर लेटने को कहा ..और खुद उसके सामने आकर बैठ गया ..उसकी टांगो को चोडा करके बीच में जगह बनायी और झुककर अपनी एक ऊँगली फिर से शीला की चूत में डाल दी …वो चिहुंक उठी ..और फिर दूसरी ऊँगली भी ..और फिर तीसरी …और उन्हें एक लय में लाकर अन्दर बाहर करने लगे ..

रितु भी आज्ञाकारी स्टूडेंट की तरह उनके पास खड़ी होकर उनका प्रेक्टिकल बड़े ही गौर से देख रही थी ..

पंडित की तीनों उँगलियाँ शीला की चूत में थी , शीला की चूत पंडित की लगातार चुदाई की वजह से खुल गयी थी इसलिए खुली हुई चूत अपने सामने देखकर रितु येही सोचने में लगी हुई थी की कैसे पंडित की तीन -२ उँगलियाँ बड़ी आसानी से अन्दर बाहर हो रही है , पर उसकी चूत तो बड़ी टाईट है, उसमे तो एक ऊँगली डालने से भी इतना दर्द होता है ..कैसे हो पायेगा ये सब उसके साथ ..

पंडित ने उसकी दुविधा पड़ ली और बोले : “चूत की कसावट जल्दी ही चली जाती है …क्योंकि पुरुष इसके अन्दर अपनी उँगलियाँ और लिंग डालता है …शुरू में थोडा दर्द या परेशानी भी होती है पर बाद में मजा भी बहुत आता है …देखो तो जरा इसके चेहरे को …”

पंडित ने रितु को शीला के चेहरे की तरफ देखने को कहा …जो अपनी आँखें बंद करके पंडित के बिस्तर पर नंगी पड़ी हुई जल बिन मछली की तरह मचल रही थी …आनंद सागर में गोते लगाती हुई वो सब कुछ भूलकर अपनी चूत में पंडित की उँगलियों का मजा ले रही थी ..

पंडित ने तीन उँगलियों के साथ-२ अपना अंगूठा भी अन्दर दाल दिया और उसकी क्लिट को उँगलियों और अंगूठे के बीच में दबोच कर उसकी मसाज करने लगे …

अब तो उसकी कसमसाहट और मजा और भी बड़ गए …उसने अपनी गांड वाला हिस्सा हवा में उठा लिया ..और पंडित की उँगलियों के बदले अपने शरीर को धक्के देकर उनकी उँगलियों को अन्दर बाहर करने लगी ..

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

उसकी हालत देखकर रितु को साफ़ पता चल रहा था की शीला को कितने मजे आ रहे हैं ..

पंडित : “ये जो दाना होता है न ..इसका घर्षण करने से या मसलने से ही स्त्री को असली मजे आते हैं और उसके अन्दर का पानी बाहर निकलता है …और ये घर्षण ऊँगली , मुंह और लंड तीनो से हो सकता है …”

पंडित की बात सुनकर रितु को अक्ल आई, वो समझ गयी की क्यों कल रात को भी वो सिर्फ सुलग कर रह गयी, काश वो अपनी ऊँगली को अन्दर डालकर मसलती तो उसे तड़पते हुए सोना नहीं पड़ता ..

पंडित : “लिंग से निकले रस और स्त्री के अन्दर से निकले पानी के मिश्रण से ही बच्चा बनता है ..”
ये बात तो पंडित जी पहले भी बता चुके थे, पर आज अपने समक्ष प्रेक्टिकल होते देखकर उसे सब आसानी से समझ में आ रहा था ..

पंडित जी की पारखी नजरें रितु के शरीर की हर हरकत पर थी …उसके छोटे-२ चुचुक खड़े हो चुके थे ..और टाँगे भी कांप रही थी ..उसके हाथ की उँगलियाँ अपनी चूत की तरफ जाने को मचल रही थी पर शरम के मारे वो पंडित के सामने कुछ कर नहीं पा रही थी …

पंडित भी जानता था की स्त्री के बदन की आग कैसी होती है . और वो हमेशा की तरह अपनी तरफ से कोई भी पहल नहीं करना चाहता था ..वो तो उसे तडपा कर उसे उस हालत में लाना चाहता था जहाँ आकर वो मजबूर हो जाए और पंडित के साथ अपनी मर्जी से सब कुछ करे ..

और इसके लिए अभी पंडित को काफी मेहनत भी करनी थी …

पंडित ने देखा की रितु की नजरें बार बार उनके लंड की तरफ जा रही है ..उनका धोती में खड़ा हुआ लंड उसे काफी आकर्षक लग रहा था ..

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

जवान लड़कियों की सबसे पहली पसंद अपने सामने नंगा लंड देखने की रहती है ..वो अपने जीवन के 16 -18 साल गुजारने के बाद उस चीज को देखने की लालसा रखने लगती है जिसकी वजह से उन्हें सबसे ज्यादा मजा आने वाला होता है, मूवीज में देखकर या अपनी करीबी सहेली से उनकी रूपरेखा सुनकर उसे देखने की इच्छा और भी प्रबल होती चली जाती है ..वैसे तो रितु भी अपने पिता यानी गिरधर का लंड देख ही चुकी थी, पर वो काफी दूर था, अपने समक्ष खड़ा हुआ लंड देखने का लालच रितु के चेहरे पास साफ़ देख पा रहा था पंडित ..

पर वो उसे अभी और भी तडपाना चाहता था ..

और इसके लिए उसने रितु को दुसरे आसन यानी मुख चुदाई के बारे में बताना शुरू किया ..

पंडित : “देखो रितु …अब मैं तुम्हे वो क्रिया दिखाने जा रहा हु जिसे अपने ऊपर महसूस करके औरत को सबसे ज्यादा मजा आता है ..”

इतना कहकर पंडित ने शीला की टांगो को पकड़कर दोनों तरफ फेला दिया और खुद उसकी चूत के ऊपर मुंह रखकर सामने लेट गया …पंडित ने अपनी उँगलियों से शीला की जाँघों को जोर से पकड़ा हुआ था ..
और पंडित के होंठ बिलकुल शीला की चूत के होंठों के ऊपर थे ..दोनों तरफ से गर्मी निकल कर एक दुसरे के होंठों को झुलसा रही थी ..पंडित ने एक गहरी सांस लेकर अपना मुंह शीला की चूत के ऊपर लगा दिया ..वो आनंद से चीत्कार उठी …

“अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …..उम्म्म्म्म्म्म …पंडित ….जी …..अह्ह्ह्ह्ह्ह …”

शीला में चेहरे पर आ रहे मादक एहसास को देखकर रितु उसके मजे को नाप रही थी ..कितना अलग और मीठा एहसास हो रहा होगा शीला को , अपनी चूत पर पंडित के होंठों को पाकर ..उसने आँखे मूँद कर वो एहसास अपने शरीर पर महसूस करने की सोची पर जो काम असल में हो वही सही में मजा देता है, सिर्फ सोचकर कुछ नहीं मिलता ..रितु का मन भी विचलित होना शुरू हो चूका था, वो भी अपने ऊपर वो सब कुछ करवाना चाहती थी जो शीला करवा रही थी ..पर पंडित के सामने इतनी जल्दी अपने आप को अर्पित करके रितु भी जल्दबाजी नहीं करना चाहती थी, वो ज्यादा से ज्यादा देर तक अपने आप पर संयम रखकर अपने आप को बचाकर रखना चाहती थी और इसी बीच ज्यादा से ज्यादा ज्ञान भी लेना चाहती थी .

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

पंडित के होंठों ने शीला की चूत की फेली हुई परतों को अपने मुंह में दबा कर उसका रस चूसना शुरू कर दिया ..

शीला के हाथ पंडित के चोटी वाले सर को पकड़ कर उसे और जोर से अपनी चूत पर दबा कर उत्साहित कर रही थी की और जोर से चूस …इतने से कुछ नहीं होने वाला ..

रितु अपने सामने इतना कामुक कार्य देखकर खुद को ना रोक पायी और घुटनों के बल नीचे जमीन पर बैठकर वो और करीब से पंडित के द्वारा की जा रही मुख चुसाई देखने लगी ..इसका दोहरा फायेदा था, एक तो वो और करीब से उन्हें देख पा रही थी, दूसरा उसकी कमर से नीचे वाला हिस्सा पंडित और शीला की नजरों से दूर होने की वजह से वो अपनी चूत के ऊपर हाथ फेरा कर अपनी कसक को दबा सकती थी ..और उसने किया भी ऐसा ही ..बैठने के साथ ही उसका हाथ सीधा अपनी रसीली और कसी हुई चूत के ऊपर गया और उसने अपनी फ्रोक के ऊपर से ही अपनी चूत को जोर से मसल दिया …

उम्म्म्म्म्म …..अह्ह्ह ..

एक दबी हुई सी सिसकी उसके मुंह से भी फुट ही गयी, जिसे पंडित के तेज कानो ने सुन लिया ..

और वो मंद ही मंद मुस्कुरा कर शीला के शहद को और तेजी से पीने लगा ..

वो अपनी जीभ से शीला की क्लिट को चुभला भी रहा था ताकि उसे और भी ज्यादा मजे मिल सके ..और उसका मजा देखकर रितु भी और ज्यादा उत्तेजित हो पाए और अपनी शर्म हया छोड़कर पंडित के सामने अपनी इच्छा का इजहार खुल कर कर दे .

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

अचानक शीला ने अवीश में आकर अपने बांये हाथ से रितु के चेहरे पर अपनी उँगलियाँ फेराई और उन्हें घुमा फिरा कर उसके होंठों पर लेजाकर उसके मुंह में घुसेड दी ..

पहले तो रितु को समझ में नहीं आया की शीला की उगलियों का क्या करे ..पर अन्दर से आ रही आवाज को पहचान कर उसने शीला की उँगलियों को धीरे – २ चूसना शुरू कर दिया …

अपनी चूत और उँगलियाँ एक साथ चुसवा कर शीला की हालत और भी पतली होने लगी ..और वो और जोर से चिल्ला कर अपनी ख़ुशी का इजहार करने लगी ..

”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म घ्ह्ह्ह्ह्ह …..उम्म्म्म .. और तेज …. चॊओस्स ऒऒओ ….. उम्म्म्म्म …

पंडित और रितु दोनों ने उसकी आज्ञा का पालन करते हुए चूत और ऊँगली और तेजी से चूसनी शुरू कर दी ..रितु की उँगलियाँ और तेजी से अपनी चूत की फांकों पर चलने लगी ..उसके हाथों की थिरकन देखकर पंडित को साफ़ महसूस हो रहा था की वो क्या कर रही है ..

शीला ने अपनी उँगलियों को रितु के दांतों में फंसा कर उसे अपनी तरफ खींचा ..और अपने चेहरे पर लाकर अपना हाथ बाहर खींच लिया …और उसके कच्चे और कोमल होंठों को अपने मुंह में दबोचकर खुन्कार लोमड़ी की तरह उसे चूसने लगी ..

अपने ऊपर हुए ऐसे हमले की उम्मीद रितु को बिलकुल भी नहीं थी …वो तो बस शीला की तरफ खींचती चली गयी और उसके परिपक्व होंठों के बीच अपने गुलाबी होंठों की पंखुड़ियों को मसलते पाकर अपनी आँखे बंद कर ली ..

रितु के मुंह से निकली शीला की उँगलियों को पंडित ने अपनी तरफ खींचा और उन्हें चूसने लगा …

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

अह्ह्ह्ह ….क्या मीठा एहसास था …रितु के मुंह से निकली उँगलियों की नमीं का ..कितनी मीठी लग रही थी वो …अगर उसके होंठों को चूस लिया जाए तो कितनी मिठास निकलेगी उनमे से …येही सोचकर पंडित काफी उत्तेजित हो गया और उसने एक झटके से अपनी धोती उतार फेंकी और उठकर अपने लंड को शीला की चूत के ऊपर रख दिया …

अपने चूत द्वार पर लंड महाराज को आया देखकर उसने रितु को समुच करना छोड़ दिया ..और अपना पूरा ध्यान पंडित के लंड के ऊपर लगा दिया ..

रितु तो जैसे किसी सुखद सपने से जागी शीला के कोमल होंठों ने उसे पूरी तरह से चूस डाला था ..और जैसे ही उसने उसे छोड़ा उसने अपनी आँखे खोल दी और शीला की आँखों की तरफ देखा जो पंडित जी के लंड घूर रही थी …

और जैसे ही शीला की आँखों का पीछा करते हुए रितु की नजरें पंडित के लंड पर गयी उसका मुंह खुला का खुला रह गया …

”इतना ….बड़ा …….ल …..लंड …….ओह्ह ….माय गॉड …..”

उसने इतनी पास से और इतने बड़े लंड को नहीं देखा था …गिरधर का ही तो देखा था उसने और वो भी दूर से …और दूर से देखने पर तो अच्छी खासी चीज भी छोटी ही लगती है …

पर पंडित के मोटे और लम्बे लंड को देखकर वो पलकें झपकाना भूल गयी और उसे घूर कर देखने लगी ..

पंडित ने बड़े आराम से अपने लंड को मसला और बोले : “रितु …अब मैं तुम्हे मानव जीवन के सबसे बड़े अध्याय से अवगत करवा रहा हु …जिसे काम क्रीडा यानी चुदाई कहते हैं …चुदाई के लिए आदमी अपने लंड को स्त्री की चूत के अन्दर डालता है ….ऐसे …और अन्दर बाहर धक्के लगता है …”

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

और इतना कहकर पंडित ने शीला के अन्दर अपना लंड एक ही झटके में पेलकर जोरों से धक्के मारने शुरू कर दिए ..

शीला की आनंदमयी चीखे उसे मिल रहे मजे को बयान कर रही थी …

”अह्ह्ह्ह ….उम्म्म्म्म ….पंडित …..जोर से …चोदो ओ …अह्ह्ह्ह्ह …उम्म्म उ ह्ह्ह्ह ,,,,अह्ह्ह …अह्ह्ह्ह …ओफ्फ्फ ओम्म्म्म ……. अह्ह्ह्ह …अग्ग्ग्घ्ह्ह्ह …मैं तो गयी ……”

और इतना कहकर वो निढाल हो गयी …

रितु से सहन करना मुश्किल हो गया …और उसने अपनी फ्रोक को ऊपर उठाया और कच्छी को साईड में करके अपनी एक ऊँगली अपनी चूत में डाल दी और अन्दर बाहर करने लगी …जैसा की गुरूजी यानी पंडित ने बताया था ..

पंडित अपने झटके मारता रहा ..और अंत में आकर उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया …और
रितु के मासूम और कामुक हो चुके चेहरे को देखकर उसने अपने लंड की पिचकारियाँ शीला के पेट पर छोड़नी शुरू कर दी …

इतना सारा रस निकलता हुआ देखकर रितु ने भी उँगलियों की तेजी बड़ा दी और एक जोरदार विस्फोट के साथ उसकी चूत में से भी ढेर सारा रस पहली बार कोमार्य की कच्ची धानी से निकल कर बाहर आ गया ..

उसकी साँसे फूल गयी …

उसका सर चकरा गया …और वो वहीँ शीला की बगल में ढेर हो गयी …

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

पंडित ने अपना लंड साफ़ किया ..और समझ गया की अब रितु उसके जाल में पूरी तरह से फंस चुकी है …

थोड़ी देर तक आराम करने के बाद शीला अपने कपडे पहन कर तैयार हो गयी और जाने लगी …जाते हुए पंडित ने उसे धीरे से कहा की कल आने की कोई जरुरत नहीं है …वो समझ गयी की कल पंडित जी रितु का उदघाटन करेंगे …

थोड़ी देर बाद रितु भी बिना कुछ कहे चली गयी …
अब पंडित को कल का इन्तजार था …

पंडित ने उनके जाने के बाद नहा धोकर थोडा आराम किया ..वो काफी थक चुका था ..जब उसकी नींद खुली तो शाम के 4 बजने वाले थे ..अभी मंदिर खुलने में टाइम था, उसे नूरी का ध्यान आया, इरफ़ान भाई को उसने शाम को आने के लिए बोला था ..वो जल्दी से तैयार हुआ और बाजार की तरफ चल दिया ..

इरफ़ान भाई ने दूर से ही पंडित जी को आते हुए देख लिया और अपनी दूकान से बाहर निकल आया ..

इरफ़ान : “नमस्ते पंडित जी …मुझे तो लगा की आप भूल गए हैं की आपने आज आने का वादा किया था ..”

पंडित : “अरे नहीं इरफ़ान भाई, ऐसा कैसे हो सकता है ..बल्कि मैं तो आज सुबह भी आया था पर आपकी दूकान बंद थी इसलिए मैं वापिस चला गया ..”

इरफ़ान : “ओह्ह …दरअसल मुझे सुबह अस्पताल जाना था, मेरी बहन का बेटा दाखिल है वहां ..पर पंडित जी …मैं नहीं था तो आप ऊपर जाकर नूरी से तो मिल ही सकते थे ना ..इसमें तक्कल्लुफ़ कैसा था ..”

अब बेचारे इरफ़ान को कौन समझाए की पंडित सुबह आकर क्या नहीं कर गया उसकी बेटी नूरी के साथ …

पंडित कुछ ना बोला …इरफ़ान ने पंडित जी से कहा : “पंडित जी …आप ऊपर जाइए …नूरी ऊपर ही है ..मैं जरा अपनी दुकानदारी देख लेता हु तब तक ..और अपनी तरफ से पूरी कोशिश कीजियेगा उसे समझाने की ..मेरी तो सुनती ही नहीं है वो ..”

पंडित : “आप फिकर मत करो इरफ़ान भाई ..मैं सब संभाल लूंगा ..आप अपनी दूकान संभालिये ..मैं ऊपर देखता हु ..”

इतना कहकर पंडित दूकान के साईड से जा रही सीड़ियों पर चड़ता हुआ ऊपर आ गया ..

ऊपर जाते हुए पंडित नूरी के भरे हुए जिस्म के बारे में सोचता जा रहा था ..और जैसे ही वो ऊपर पहुंचा नूरी बिलकुल सामने खड़ी हुई दिखाई दे गयी ..वो तार पर धुले हुए कपडे डाल रही थी ..उसने पीले रंग का सूट पहना हुआ था ..और कपडे धोने की वजह वजह से वो लगभग पूरी गीली थी ..पंडित जी के क़दमों की आहट सुनकर वो पलटी और भागकर उनसे आकर लिपट गयी ..जैसे जन्मो से उनका इन्तजार कर रही हो ..

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

नूरी : “ओह्ह्ह …पंडित जी …आप तो मुझमे आग लगा कर चले गए ..सुबह से आपका इन्तजार कर रही हु ..अब सहन नहीं होता …”

और इतना कहते हुए उसने उचक कर फ़िल्मी स्टाईल में पंडित जी के होंठों को अपने मुंह में दबोचा और उन्हें चुसना शुरू कर दिया ..

पंडित : “उम्म्म्म ….दरवाजा तो बंद कर लो …”

नूरी ने दरवाजा बंद किया ..और पंडित को घसीटते हुए अन्दर ले गयी ..उन्हें बिस्तर पर पटका ..और एक झटके से अपना सूट उतार फेंका ..उसकी काली ब्रा में कैद गोरे मुम्मे पंडित जी को ललचा रहे थे ..नूरी ने बिना देरी किये अपनी ब्रा भी खोल डाली और उछल कर बेड पर आई और पंडित के ऊपर अपने फल लटका कर उन्हें तडपाने लगी ..

अपने चेहरे के 2 इंच की दुरी पर गीले और रसीले फल लटकते पाकर पंडित जी की जीभ बाहर निकल आई और उन्होंने ऊपर मुंह करके नूरी के दांये मुम्मे का लाल निप्पल अपने मुंह में दबोच लिया …

”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …….स्स्स्स्स्स्स्स ….उम्म्म्म्म्म्म ….ओह्ह्ह्ह्ह पंडित ……उम्म्म्म्म …सुबह से झुलस रही हु मैं ….आग में तेल डालकर चले गए तुम तो ….अह्ह्ह्ह ….अब जल्दी से मेरी आग बुझा डालो …जल्दीईईईइ इ …….”

पंडित के सर के नीचे हाथ डालकर उसने उनके सर को पकड़कर अपनी छाती से दबा डाला …पंडित के मुंह पर उसका पूरा मुम्म पिचक गया मुम्मे का मांस पुरे चेहरे को कवर करता हुआ फेल गया …पंडित की आँखे भी ढक गयी नूरी के मुम्मे से ..उन्होंने अपने दुसरे हाथ से बांये स्तन को पकड़ा और उसे मसलकर उसका रस निकालने लगे ..

नूरी तड़प उठी ..

”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्यीई …….उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पंडित जी …..आपके मुंह के साथ – २ हाथों में भी जादू है …ऊपर इतना कमाल है तो नीचे क्या धमाल होगा ….हूँ ….”

और इतना कहकर वो नीचे सरक गयी और पंडित के धोती से ढके हुए लंड के ऊपर आकर रुक गयी .

पंडित की धोती के नीचे उनका नाग पूरी तरह से खडा होकर फुंफकार रहा था ..नूरी का चेहरा कामुकता से भरकर बड़ा ही नशीला लग रहा था …उसके मुंह से गीली जीभ निकल कर बाहर लटक रही थी ..और उसमे से लार निकल कर पंडित जी की धोती पर गिर रही थी .

उसने भूखी कुतिया की तरह अपना मुंह सीधा पंडित के लंड के ऊपर लगा दिया और धोती के कपडे समेत उसे दबोच लिया …

कपडा होने के बावजूद पंडित को नूरी के दांतों की चुभन अपने हथियार पर महसूस हुई और वो दर्द से बिलबिला उठे …

”अह्ह्ह्ह्ह्ह ……धीरे नूरी …धीरे …ये प्यार से इस्तेमाल करने वाली चीज है …हिंसक तरीके से करोगी तो तुम्हारा ही घाटा है ..”

वो उनकी बात समझ गयी और फिर बड़े ही प्यार से उसने पंडित जी की धोती में से प्यारे – सलोने लंड को बाहर निकाला और उसे देखकर उसकी आँखों में चमक आ गयी ..

पंडित जी का लम्बा लंड था ही इतना मस्त की हर किसी की आँखे चमक उठती थी ..

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

उसने धीरे- २ पंडित जी की धोती को फेला डाला और उन्हें पूरा नंगा कर दिया …

उनका गठीला शरीर और नीचे उतना ही गठीला लंड देखकर वो पंडित जी की कायल हो गयी ..

नूरी ने अपनी पेनी जीभ बाहर निकाली और पंडित जी के लंड के ऊपर फेरानी शुरू की और फिर धीरे-२ वो उसे चूसने लगी …और फिर तो वो रुकी ही नहीं ..पंडित को ऐसा लग रहा था की उनका लंड किसी सकिंग मशीन के अन्दर फंस गया है …और उसकी शक्ति सारा रस निकालने की कोशिश कर रही है …

”अह्ह्ह्ह्ह पंडित जी …..क्या खूबसूरत चीज है आपके पास ….इतना लम्बा तो मैंने आज तक नहीं लिया …आज तो मजा आ जाएगा ..मुझे ख़ुशी है की आपके जानदार लंड की वजह से मैं प्रेग्नेंट हो सकुंगी ….”

पर प्रेग्नेंट होने के साथ -2 वो पुरे मजे लेने के मूड में भी थी .. उसने अपने मुम्मे पकडे और पंडित जी के लम्बे लंड को उनके बीच में फंसा कर खुद ऊपर नीचे होने लगी …वो अपने आप टिट फकिंग करवा रही थी ..पंडित के लिए ये नया अनुभव था …वो अपनी कोहनियों के बल बैठकर उसके हिलते हुए जेली से भरे मुम्मे को अपने लंड के चारों तरफ फिसलता हुआ देखने लगे ..

बीच -२ में वो अपनी जीभ भी उनके सिरे पर टच कर देती जिसकी वजह से उनके मुंह से सिसकारी निकल जाती ..

आज तो पंडित पुरे मूड में था … नूरी की चूत का तीया पांचा करने के …

नूरी के चेहरे पर बिखरी जुल्फों की वजह से पंडित जी को कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था ..लंड चूसते हुए लड़की किस अंदाज से उसे देखती है, ये देखना हमेशा से आदमी का सबसे प्रिय दृश्य रहा है ..

पंडित ने हाथ आगे किये और उसकी लटों को साईड में करके उसके चेहरे को देखने लगे ..

पंडित जी ने अपनी लम्बी टांगो का इस्तेमाल किया और नूरी की पायेजामी के ऊपर से ही उसकी चूत को रगड़ने लगे ..अपने पैर के अंगूठे से उसकी चिकनी चूत के ऊपर खुजली करके उसे और मचलने पर मजबूर करने लगे .

और फिर उन्होंने अपनी दोनों टांगो के अंगूठे से उसकी पायेजामी के किनारों को पकड़ा और उसे नीचे खिसका दिया …साथ में कच्छी भी उतर आई ..और पुरे कमरे में नूरी की चूत से निकल रहे रस की गीली – २ सी खुशबू तैर गयी …पंडित से भी अब सहन करना मुश्किल होता जा रहा था ..उन्होंने नूरी की फेली हुई चूत के द्वार पर अपने अंगूठे को दोबारा लगाया और एक हलके झटके के साथ उसे चूत के अन्दर उतार दिया …और अंगूठे के साथ वाली उँगलियों को नीचे की तरफ मोड़ दिया ताकि वो ज्यादा से ज्यादा अन्दर जा सके ..

”अह्ह्ह्ह्ह ……..अह्ह्ह्ह ….पंडित जी ….आपका तो अंगूठा भी बहुत बड़ा है …उम्म्म्म्म ….”

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

और फिर वो उनके अंगूठे के ऊपर अपनी चूत वाले हिस्से से उछल कूद मचाने लगी ..

पंडित जी उसकी क्लिट को अपने अंगूठे के सिरे पर साफ़ महसूस कर पा रहे थे ..नूरी ने भी पंडित के लंड को और जोरों से चूसना शुरू कर दिया ..

कहते हैं, औरत को जितना मजा बिस्तर पर आदमी देगा, उसके बदले में उसे दुगना मजा वो देगी ..बस देर इस बात की होती है की आदमी कितने उत्तेजित और गंदे तरीके से वो सब मजे औरत को दे जिसके बदले में वो भी बिना सोचे समझे उसे ऊपर से नीचे तक चाट कर रख दे .

और यही हाल आज नूरी का था ..पंडित के अंगूठे ने जो धमाल उसकी चूत के तहखाने में मचा रखा था उसका बदले वो पंडित के लंड को बुरी तरह से चूसकर उनके गोडाउन में हंगामा कर रही थी .

आज जैसा मजा शायद ही नूरी को अपने शोहर से आया होगा ..

पंडित ने उसके कन्धों को पकड़ा और उसे ऊपर की तरफ खींच लिया ..उनका अंगूठा भी बाहर आ गया ..अपने चेहरे के ऊपर लाकर उन्होंने उसके स्ट्रोबेरी जैसे होंठों को अपने मुंह में दबोचा और जोरों से उन्हें पीना शुरू कर दिया …नूरी की कसमसाहट उनके मुंह में ही दब कर रह गयी ..

उन्होंने उसे और ऊपर खींचा और उसके मुम्मों को अपने होंठों से किस्स करते हुए उसके पेट तक आये और फिर थोडा और ऊपर करके उसकी सुगन्धित चूत को ठीक अपने चेहरे के ऊपर लाकर थोडा रुक गए …

नूरी भी दम साधे पंडित के द्वारा अपनी चूत के निगले जाने की प्रतीक्षा कर रही थी …उसकी चूत की परतें पूरी तरह से अपने ही रस में डूब कर गीली हो चुकी थी ..जैसे फूल के ऊपर ओस की बूंदे .

उन्होंने अपनी लम्बी सी जीभ बाहर निकाली और ऊपर से ही एक लम्बी चटाई करके डिस्प्ले में आया हुआ सारा पानी पी गए ..

पंडित की गर्म जीभ अपने सबसे कीमती अंग पर लगता देखकर वो जोर से चीत्कार उठी …

”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …..उम्म्म्म्म्म ….और करो …..ना …पंडित जी ….और चाटो ….इसे …”

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

पंडित जी को ज्यादा कहने की जरुरत नहीं थी ..वो अपने काम में माहिर थे ..पर अपनी आदत से मजबूर वो लड़की को तदपा कर उसे और ललचाना चाहते थे ..इसलिए उन्होंने उसकी चूत को छोड़कर उसकी अंदरूनी जाँघों के ऊपर अपने दांत गाड़ दिए …जो औरत के शरीर का सबसे संवेदलशील अंग होता है ..पर चूत से ज्यादा नहीं …इसलिए नूरी को इसमें उतना मजा नहीं आया जितना पहले आया था ..उसने अपनी चूत वाला हिस्सा उनके मुंह पर रखा और उसे चूसने को कहा ..

”पंडित जी ….यहाँ अपनी कृपा बरसो …यहाँ ज्यादा जरुरत है ….उम्म्म्म …..”

पर जैसे ही पंडित ने उसकी बात को अनसुना करते हुए वापिस जाँघों को चाटा वो बिदक सी गयी …और पंडित के सर को अपनी टांगो के बीच दबोच कर सीधा उनके मुंह के ऊपर बैठ गयी …

”पंडित …..सुनता नहीं ….मैंने कहा ना ..की यहाँ चूस साले ….समझ नहीं आता तुझे भेन चोद ……”

उसका उग्र रूप देखकर पंडित भी सहम गया …पर वो कुछ ना बोला ..उसकी जरुरत से ज्यादा समझदारी की वजह से ही उसे गालियाँ पड़ रही थी ..पर बिस्तर पर पड़ने वाली गालियों का भी अपना अलग ही मजा है ..उन्होंने भी आखिर उसकी बात मानते हुए अपनी उँगलियों से उसकी चूत की परतों को फेलाया और अपनी लम्बी जीभ रोकेट की तरह उसके अन्दर उतार दी ..

”उम्म्म्म्म्म्म ….अह्ह्ह्ह्ह …..यही ….तो …..अह्ह्ह …मैं …..उम्म्म …कह ….रही थी ….उम्म्म्म्म्म ……हानsssssss …. ..ऐसे ही ….ओह्ह्ह पंडित जी ….आप तो कमाल है ….उम्म्म्म्म ….जितना लम्बा आपका पैर का अंगूठा ….उम्म्म्म्म उतनी ही लम्बी जीभ भी ….अह्ह्ह्ह ….आपका लंड जब अन्दर जाएगा तो …..क्या होगा …अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ….ओह्ह्ह्ह …माआआआआ …. .”

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

पंडित ने अपनी जीभ एकदम से बाहर खींच ली …और बोले : “भेन की लोड़ी …..तेरी चूत की आग है ही इतनी खतरनाक की मुझे अपने सारे सिपाही इसे बुझाने में लगाने पड़ रहे हैं ….अग्ग्ग्घ्ह्ह …..अभी तुझे बताता हु …की मेरे लंड में कितनी काबिलियत है …”

और इतना कहकर उन्होंने उसके मखमली जिस्म को वापिस नीचे की तरफ धकेला और तब तक धकेलते रहे जब तक वो अपनी मंजिल यानी पंडित के लंड तक नहीं पहुँच गयी …और वो कुछ बोल पाती इससे पहले ही उन्होंने उसकी गांड के चारों तरफ अपने पंजे रखे और उसकी चूत की फांकों को फेलाया और एक जोरदार झटका मारकर अपना बम्बू उसकी शहद की पिटारी में उतार दिया …

”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …….उम्म्म्म्म्म ……ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पंडित जी …….उम्म्म्म्म्म ……क्या बात है …..अह्ह्ह्ह्ह …..इतना भरा हुआ तो मैंने आज तक फील नहीं किया अपने आप को ….उम्म्म्म्म ….ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ……”

उसने अपने मुम्मे पंडित की छाती पर फेला दिए सुखाने के लिए जो उनके चूसने से गीले हो गए थे …और पंडित के झटकों का इन्तजार करने लगी ..

और वो आये भी …

मगर धीरे धीरे …

और वो भी पुरे वाले …यानी पंडित हर बार धीरे से अपना पूरा लंड बाहर खींच लेता …और फिर वापिस अन्दर डालता …उनके सुपाड़े को हर बार अन्दर जाते हुए जो जद्दो जहत करनी पड़ती उसकी वजह से वो तड़प कर रह जाती …

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

”उम्म्म्म ..पंडित जी ….क्यों तड़पा रहे हैं ….जोर से करो ना …लगातार ….लम्बे …शॉट्स मारो …ना प्लीस …प्लीस ना ..”

पंडित माँ दिल पसीज गया …और उन्होंने उसकी बात मानते हुए अपने धक्के तेजी से मारने शुरू कर दिये ..उन्होंने अपने पैरों को बिस्तर पर जमाया और उसकी गांड को पकड़ कर नीचे से इतने धक्के पे धक्के मारे की नूरी के शरीर की सारी नसें खुल गयी …और वो सिवाए अपनी ब्रेस्ट को उनके सीने से रगड़कर , अपने दांतों से उनके कन्धों पर कट्टी मारने के सिवाए कुछ ना कर पायी …

और अंत में एक जोरदार घोषणा के साथ पंडित जी ने अपने लंड का रसीला …नशीला …खुशबोदार …मसालेदार …रस नूरी की चूत के अन्दर निकाल दिया …

”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ……ओह्ह्ह्ह्ह्ह नूरी …..उम्म्म्म्म ….सच मे. ……तेरी चूत भी बड़ी मजेदार है ….उम्म्म्म …बड़ी टाईट है ….ओह्ह्ह्ह्ह ….ये ले …..ले मेरा रस ….और हो जा प्रेग्नेंट ….”

पंडित ने जैसे अपना आशीर्वाद दिया उसे ..

वो तो पता नहीं कितनी बार झड चुकी थी …पंडित के पाईप से निकल रहे जूस की सप्लाई काफी देर तक होती रही ..और वो जरुरी भी थी …आखिर उसे प्रेग्नेंट भी तो होना ही था ..

पंडित ने उसे नीचे उतार दिया ..और वो काफी देर तक बिस्तर पर ऐसे ही पड़ी रही …ताकि उनका रस अन्दर तक असर करे .

पंडित ने अपने कपडे पहने और बाहर जाने लगे ..

नूरी ने पुकारा : “पंडित जी …एक ही बार में प्रेग्नेंट नहीं होते …कम से कम 8 – 1 0 बार करना पड़ेगा …”

पंडित जी मुस्कुरा दिए ..वो भी तो दुबारा आना चाहते थे इस गरम चूत को चोदने के लिए ..

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

शाम को मंदिर के काम निपटा कर पंडित आराम से अपने कमरे में बैठ गया ..और गिरधर का इन्तजार करने लगा ..शराब के साथ उसकी बीबी और बेटी के बारे में बाते करने के लिए पंडित मचला जा रहा था ..पर लगभग 10 बजे तक इन्तजार करने के बाद भी जब गिरधर नहीं आया तो वो समझ गए की आज वो नहीं आएगा, इसलिए वो खाना वगेरह खा कर सो गया .

अगली सुबह पंडित ने सारे काम निपटाए और रितु के आने की प्रतीक्षा करने लगे ..आज तो उन्होंने शीला को भी आने के लिए मना कर दिया था ताकि वो आराम से रितु का भोग लगा सके ..

रितु के बारे में सोचते हुए उनके लंड ने अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी ..वो सोचने लगे की उसकी कुंवारी चूत को मारने में कितना मजा आएगा , वो चिल्लाएगी भी ..उसे थोडा आराम से करना पड़ेगा ..वो झट से उठे और बाथरूम से सरसों के तेल की शीशी उठा कर अपने बेड के पास लाकर रख दी ..ताकि रितु की चूत मारते वक़्त उसका इस्तेमाल कर सके ..

अब तो पंडित का लंड भी तैयार था ..उनका बिस्तर भी और उसके किनारे पड़ा हुआ तेल भी …बस इन्तजार था तो रितु के आने का ..

और जैसे ही घडी में 2 बजे, पंडित के कान दरवाजे पर आती हुई आहट की तरफ चले गए …

बाहर से रितु की सुरीली सी और दबी हुई सी आवाज आई : “पंडित जी ..खोलिए …मैं हु रितु ..”

पंडित तो सुबह से ही उसका इन्तजार कर रहा था ..वो झट से उठा और भागकर दरवाजा खोल दिया ..

सामने रितु हमेशा की तरह लम्बी फ्रोक में खड़ी मुस्कुरा रही थी ..वो कुछ बोल पाते तभी रितु के पीछे से एक लड़की निकल कर सामने आई ..पंडित उसे देखकर चोंक गया ..

रितु : “पंडित जी ..ये …ये मेरी सहेली है ..संगीता …और संगीता येही है वो पंडित जी …जिनके बारे में मैंने तुझे बताया था ..”

पंडित जी हेरानी से कभी रितु और कभी संगीता को देखे जा रहे थे ..और सोच रहे थे की आखिर रितु उसे अपने साथ क्यों लेकर आई है और क्या बताया है उसने उनके बारे में संगीता को .

वैसे संगीता देखने में बुरी नहीं थी ..छोटे कद की ..बाल अजीब ढंग से बंधे हुए थे ..काली आँखे थी, सांवला चेहरा , उसने अभी तक स्कूल की ड्रेस यानी सफ़ेद शर्ट और ग्रे स्कर्ट पहनी हुई थी ….

पर सबसे आकर्षक चीज जो पंडित जी की नजरों में आई वो थे उसके मुम्मे ..जो उसकी उम्र और शरीर के हिसाब से काफी बड़े थे ..

पंडित ने उन दोनों को अन्दर बुलाया और दरवाजा बंद कर दिया ताकि कोई उन दोनों लड़कियों को एक साथ उनसे बातें करते हुए ना देख सके .

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

अन्दर आते ही संगीता ने बोलना शुरू कर दिया : “ओह्ह्ह वाव …रितु …जैसा तूने बताया था ठीक वैसे ही हैं पंडित जी …ही इज लाईक सलमान खान …आई लाईक हिम ..”

वो देखने में जितनी भोंदू लग रही थी वैसी थी नहीं …अंग्रेजी में चपर चपर करने में लगी हुई थी ..

पर पंडित यही सोचने में लगा हुआ था की आखिर रितु उसे अपने साथ क्यों लेकर आई है ..

रितु : “मैंने तुझसे पहले ही कहा था की पंडित जी कमाल के है ..तू ही नहीं मान रही थी की मंदिर में पूजा पाठ करने वाले ऐसे नहीं होते …और तू पूछ रही थी ना की कैसा होता है आदमियों का ..रुक तुझे अभी दिखाती हु ..”

इतना कहकर वो आगे आई और पंडित जी की धोती की तरफ हाथ बढाया …अब पंडित जी की सहनशीलता की हद पार हो गयी ..

पंडित : “ये क्या है रितु …कौन है ये …और किसलिए लायी हो तुम इसे मेरे पास ….क्या देखना चाहती है ये ..”

रितु (सकुचाते हुए ) : “वो …वो …पंडित जी …दरअसल …ये मेरी बेस्ट फ्रेंड है … ..मैं इससे कोई भी बात नहीं छुपाती ..और ना ही ये मुझसे ..आज तक जो भी यहाँ हुआ मैंने सब बता रखा है इसे …पिताजी वाली बात भी बता दी थी मैंने …. और जब कल वाली बात बताई तो ये कहने लगी की वो भी आपको देखना चाहती है ..दरअसल ये भी मेरी तरह ही है ..आज तक इसने कुछ भी नहीं देखा ..और मैंने जो भी पिछले दो दिनों में देखा यानी माँ-पिताजी को करते हुए और फिर कल आपको भी शीला आंटी के साथ सब कुछ करते हुए तो ये जिद्द करने लगी की इसे भी वो सब देखना है ..मेरी जिदगी तो आपने बदल ही डाली है ..आपकी वजह से ही मैं आज स्कूल में रेगुलर जा पा रही हु, सही ढंग से पढाई हो पा रही है ..और सेक्स से रिलेटिड सभी बातों की जानकारी जिस तरह से आप देते हैं वो तो काबिले तारीफ है ..इसलिए ये मेरे साथ ही स्कूल से सीधा मेरे घर आ गयी और वो भी इसलिए की आप इसे भी वो सब समझाए और दिखाए ताकि इसका भी उद्धार हो सके ..”

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

पंडित अपना मुंह फाड़े उसकी बातें सुनता जा रहा था ..उसे तो अपनी किस्मत पर विशवास ही नहीं हो रहा था की उसकी झोली में बिना कुछ मांगे एक और कुंवारी चूत आ गिरेगी ..

उसके मुंह से सिर्फ यही निकला : “क …क्या ..क्या देखना चाहती है ये ..”

रितु ने धीरे से कहा : “जी ..जी ..वो ..वो ..आपका …ल …लंड ”

पंडित के पुरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गयी ..जिस अंदाज से रितु ने उनके लंड के बारे में बोला था उसे सुनकर वो सुरसुरा कर रह गए ..

वो कुछ बोल पाते इससे पहले ही संगीता बोल पड़ी : “पंडित जी …प्लीस …प्लीस प्लीस …मुझे भी दिखाओ ना ..जब से इस बिच ने मुझे आपके बारे में बताया है मुझसे तो रहा नहीं जा रहा ..आप बुरा मत मानना पर हमारे लिए ये सब देखना और महसूस करना बहुत बड़ी बात है ..इन्फेक्ट हर लड़की यही चाहती है ..पर सड़क पर खड़ी होकर तो ये बोल नहीं सकती न की मेरे बॉय फ्रेंड बन जाओ ..मुझे अपना पेनिस दिखाओ …आप मानो या ना मानो, लड़कियों में लड़कों से ज्यादा सेक्स के प्रति लगाव होता है ..बस उनका शर्मीला स्वभाव ही उन्हें मार जाता है, पर रितु ने जब से मुझे आपके और शीला आंटी के बारे में बताया है वो सब सोच सोचकर मेरी पेंटी कई बार गीली हो चुकी है ..आपको विशवास नहीं होता तो ये देखो …”

और उसने एक ही झटके से अपनी स्कर्ट को ऊपर उठा कर अपनी गीली पेंटी पंडित जी की भूखी आँखों के सामने परोस दी ..

ब्लेक कलर की पेंटी पर उसकी चूत से निकले पानी के धब्बे साफ़ चमक रहे थे ..

उसकी कच्छी और मोटी टांगो को देखकर पंडित का घोड़ा अपने अस्तबल से बाहर निकलने को हिनहिनाने लगा ..

और अपनी कच्छी दिखाते हुए कमला के चेहरे पर कोई शिकन या शर्म के भाव भी नहीं थे ..वो बिलकुल नार्मल थी ..पंडित समझ गया की जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी इस कुंवारी चूत का उद्धार भी उपरवाला उसके हाथों से करवाना चाहता है ..

पंडित बस मंत्रमुग्ध सा होकर उसकी कुंवारी चूत को परदे के पीछे से देखता रहा ..इसी बीच रितु आगे आई और पंडित जी की धोती को साईड में करके उनके लंड महाराज को बाहर निकालने की एक और कोशिश की ..इस बार पंडित ने कोई ऐतराज नहीं जताया ..वो भी पहली बार किसी का लंड अपने हाथों में लेने जा रही थी ..इसलिए वो कांप रही थी .पंडित जी की धोती की गाँठ खोलकर उसने उसे नीचे गिरा दिया ..और अब पंडित जी सिर्फ एक धारियों वाले कच्छे में उन दोनों के सामने खड़े हुए थे ..और उनका लंड किसी तोप की तरह सामने की तरफ तना हुआ खड़ा था ..

”ओह्ह्ह्ह्ह वाव …..रितु देखो जरा …कितना लम्बा दिख रहा है पंडित जी का पेनिस …उम्म्म उतारो न इसको भी …मुझे साफ़ -२ देखना है ..”

संगीता तो पंडित जी का नंगा लंड देखने को मचल सी उठी ..

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

पंडित जी ने भी अपने आप को उन दोनों के प्रयोग में आने वाली चीज की तरह अपने आपको उनके हाथों सपुर्द कर दिया …..और रितु की तरफ देखने लगे ..जिसकी कांपती हुई उँगलियों ने जैसे ही पंडित जी के कच्छे के नाड़े को पकड़कर खींचा, उसके हाथ की ठंडक से पंडित का पूरा शरीर झनझना उठा ..और इसी झनझनाहट में उनका कच्छा उनका साथ छोड़कर नीचे जमीन पर जा गिरा ..

अब वो बिलकुल नंगे खड़े थे ..रितु तो कल भी उनको नंगा देख चुकी थी ..

पर संगीता, जिसे उन्होंने अपनी जिन्दगी में आज पहली बार देखा था ..वो भी उन्हें नंगा देख रही थी ..

पंडित बेचारा तो उनके कोतुहल को शांत करने की वस्तु बनकर रह गया था ..पर ऐसी वस्तु बनना किसे पसन्द नहीं होगा ..

रितु ने अपने हाथ आगे किये और पंडित जी के खड़े हुए घोड़े पर अपनी उँगलियों की नकेल कस दी .

और उसे पकड़ते ही रितु की आँखे मूंदती चली गयी …उसके होंठ सूख कर सख्त हो गए …उसकी साँसे तेज चलने लगी …उसके सीने पर रखे हुए छोटे – २ स्तन ऊपर नीचे होने लगे ..पंडित का मन किया की आगे बढकर उसे अपनी बाहों में दबोच ले और उसे पी जाए ..

पर तभी सामने खड़ी हुई संगीता आगे बड़ी और अपने हाथ आगे करके उसने पंडित के लंड को रितु के हाथों से खींच कर अपने कब्जे में ले लिया ..

”ओह्ह्ह माय गॉड …..मुझे तो विशवास ही नहीं हो रहा है की मैंने अपने हाथ में एक जीता जागता पेनिस पकड़ा हुआ है …वाव ….आई एम् सो लक्की टुडे ….”

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

वो तो उनके लंड को अपने हाथो में पकड़ कर ऐसे उलट पलट कर देख रही थी मानो कोई एलियन का बच्चा देख लिया हो उसने …

और दूसरी तरफ रितु उसको गुस्से से भरी हुई नजरों से देख रही थी ..उसने भी तो अपनी जिन्दगी में पहली बार किसी के लंड को पकड कर देखा था ..पर शायद उसने अपनी सहेली को कुछ ज्यादा ही उत्साहित कर दिया था इसलिए वो अब उसके सामने मजे ले रही थी और वो खुद खड़ी होकर उसे वो सब करते हुए देख रही थी …आखर लायी भी तो वही थी उसे अपने साथ ..

पंडित ने देखा की रितु ललचाई हुई नजरों से कमला को उनके लंड से खिलवाड़ करते हुए देख रही है …वो कभी उनके सुपाड़े की स्किन को आगे करती और कभी पीछे ..कभी नीचे लटक रही गोटियों को पकडती और कभी बीच में से उनके लंड को …

पंडित का मन किया की संगीता को बोले की पहले रितु को उनके लंड को छूने और देखने दे ..पर वो कुछ बोल पाते इससे पहले ही संगीता ने उन्हें और रितु को चोंकाते हुए उनके लंड को अपने मुंह में भर लिया ..

”उम्म्म्म्म …….पुच्च्च्छ्ह्ह ….उम्म्म्माअ ह्ह्ह्ह ….”

वो उनके लंड को अपने मुंह में ठूसकर बस निगले जा रही थी ..उसका करना क्या है उसे पता ही नहीं था …

पंडित ने ना चाहते हुए भी अपनी आँखे बंद कर ली ..संगीता के सर को उन्होंने दबोचा और उसके शरीर को नीचे धक्का देकर घुटनों के बल बिठा दिया ..और खुद खड़े होकर उसका मुख चोदन करने लगे .

संगीता के मुंह के अन्दर अब पंडित जी का पूरा लंड आ जा रहा था ..और अन्दर जाते हुए उसके रसीले होंठों से रगड़ खाता हुआ जब उनका लंड अन्दर जाता तो अपनी जीभ से निकल रही लार से वो उसे नेहला देती और वापिस जाते हुए उसे सुखा कर बाहर भेजती ..

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

लंड चूसना कितना आसान है ..संगीता ने मन ही मन सोचा ..और कितना मजेदार भी ..

उसने आज तक इन्टरनेट और मोबाइल पर कई सीन देखे थे जिसमे लड़की लंड चूसते हुए अपनी चूत और मुम्मों को मसलती है …ये सोचते हुए उसने अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए …और अन्दर हाथ डाल कर अपना एक मोटा ताजा मुम्मा बाहर निकाल लिया ..और उसे दबाने लगी ..

पंडित अपनी फटी हुई आँखों से अपना चेहरा नीचे किये हुए उसके तरबूज को देखे जा रहा था ..इतना बड़ा ..इतना सख्त और कसावट वाला स्तन तो उसने आज तक नहीं देखा था ..उत्तेजना से मिलने वाली ख़ुशी के मारे उसके लंड से प्रीकम निकल कर संगीता के मुंह में चला गया ..

उसने उम् आअम्म्म …करते हुए वो प्रीकम पी लिया ..और उनके लंड को बाहर निकाल दिया …

”वाव ….पंडित जी …ये क्या था …इतना मीठा …इतना टेस्टी ….क्या यही ‘कम’ होता है ”

वो कुछ बोलते इससे पहले ही किसी मेघावी छात्र की तरह रितु बीच में बोल पड़ी …”अरे नहीं पगली …ये तो सिर्फ ट्रेलर है …पूरी पिक्चर तो लास्ट में दिखाई देगी …ही ही …है न पंडित जी …”

पंडित बेचारा सर हिला कर रह गया ..

रितु : “और वो पिक्चर देखने के लिए तुझे काफी मेहनत करनी पड़ेगी …ऐसे कपड़ों में बैठे रहने से कुछ नहीं होने वाला ..”

संगीता उसकी बात समझ गयी …कपडे उतारने का समय आ चुका था ..वो बड़े ही मादक तरीके से उठी और पंडित के लंड को अपनी गिरफ्त से निकाल कर उनके सामने खड़ी हो गयी ..

संगीता का भी ये पहला टाइम था किसी के सामने नंगा होने का ..पर फिर भी काफी हिम्मत करते हुए उसने अपनी शर्ट के बचे हुए बटन खोलने शुरू किये और सारे बटन खुलने के बाद उसने अपनी शर्ट को अपने जिस्म से जुदा कर दिया …उसने मेचिंग ब्लेक ब्रा पहनी हुई थी ..जिसमे से एक मुम्मा पहले से ही बाहर निकल कर पंडित जी को दर्शन दे रहा था ..उसने अपने हाथ पीछे किये और एक ही पल में अपनी ब्रा भी खोल कर नीचे गिरा दी ..

अब संगीता टोपलेस होकर सिर्फ स्कर्ट में पंडित और रितु के सामने खड़ी थी ..उसके दोनों जग्स को देखकर पंडित जी की आँखे उबल कर बाहर आ रही थी …इतने बड़े …इतने अल्हड ..इतने सख्त ..इतने मादक स्तन उन्होंने आज तक नहीं देखे थे …उनके हाथ में खुजली सी होने लगी उन्हें दबोचने के लिए …

रितु भी संगीता की ब्रेस्ट की बनावट देखकर दंग रह गयी …

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

रितु : “पंडित जी ..आपको पता है ..हमारे पुरे स्कूल में संगीता की ब्रेस्ट सबसे बड़ी और परफेक्ट है …सभी लड़कियां इसकी ब्रेस्ट की तारीफ करती है …”

“और सारे ठरकी टीचर्स भी …हा हा हा …” संगीता ने उसकी बात पूरी की और दोनों जोरदार हंसी के साथ एक दुसरे के हाथ पर हाथ मारकर हंसने लगे ..

इसके जैसी ब्रेस्ट देखकर तो हर किसी को लालच आएगा ही ..

और बातें करते-२ अचानक संगीता ने अपनी स्कर्ट भी खोलकर नीचे गिरा दी ..पंडित के लंड ने उसके बदन की बनावट को देखकर एक जोरदार सलाम ठोंका ..

और फिर मचलते हुए ..धीरे-२ डांस करते हुए ..उसने अपनी कमर से वो पेंटी भी निकाल कर नीचे फेंक दी ..

पंडित तो अपनी आँखे झपकाना भी भूल गया ..

पंडित ने इतनी कमसिन और इतनी मादक जिस्म वाली लड़की आज तक नहीं देखि थी …उनके लंड ने ना जाने कितनी बार झटके मार मारकर अपने ही पेट पर चोट पहुंचा डाली ..

संगीता धीरे -२ चेलते हुए पंडित के पास आई और अपनी बाहों को उसने पंडित के गले में डाल दिया ..और धीरे से बोली : “अब बोलिए पंडित जी …मुझे भी वो सब ज्ञान ..वो सब शिक्षा मिलेगी ना जो आपने रितु को दी है ..”

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

पंडित के मुंह से तो कुछ निकला नहीं ..बस गर्दन हिला कर हाँ बोल दिया ..

उसने ख़ुशी में आकर पंडित जी को चूम लिया …

दुसरे कोने में खड़ी हुई रितु जल भुन रही थी ..पर पंडित का पूरा ध्यान अब संगीता पर था ..

उन्होंने संगीता को अपने बेड पर लिटा दिया ..वो किसी जलपरी की तरह अपने शरीर को समेट कर पंडित के बेड पर जाकर लेट गयी …उसकी आँखे बंद सी होने लगी …ये सोचकर की पंडित अब उसके साथ क्या करेंगे ..

पंडित ने अपने लंड को मसलते हुए उसकी तरफ देखा …और बेड के किनारे आकर वो नीचे बैठ गए …उसके पैरों को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसके दोनों पैरों को अपने कन्धों पर रखकर उसकी सुगन्धित और अनछुई चूत के ऊपर अपने होंठों को ले आये …

आगे क्या होने वाला है ये संगीता अच्छी तरह से जानती थी ..पर फिर भी पंडित से उसने धीरे से पुछा : “प ….पंडित …जी …ये …ये क्या करने वाले है …आप …”

पंडित (मुस्कुराते हुए ) : “तुम्हारी सेक्स शिक्षा शुरू करने से पहले तुम्हारे शरीर के सबसे गर्म भाग को शांत करना आवश्यक है ..और मुझे पता है ..वो येही है ..है ना …”

और इतना कहते हुए पंडित ने अपने ठन्डे होंठ उसकी गर्म चूत के ऊपर रख दिए ..

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

संगीता भनभना उठी ..और उसने आगे बढकर पंडित के सर को पीछे की तरफ धकेलते हुए चीखना शुरू कर दिया …

”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह पंडित जी ……ये…ये क्या …..अह्ह्ह्ह ….गुदगुदी हो री है …..अह्ह्ह्ह्ह …..नाआअ करो प्लीस …….”

पर पंडित जानता था की वो क्या और क्यों कर रहा है …

लड़की की चूत चाटने के बाद आदमी उससे कुछ भी करवा सकता है ..अपना लंड चुसवा सकता है, उसकी चूत मार सकता है और उसकी गांड भी …पहले से ही उसे अपने बोझ के तले दबा दो ताकि वो किसी भी बात के लिए मना ही ना कर पाए …इसलिए पंडित अपनी लम्बी और तजुर्बेदार जीभ से उसकी कुंवारी चूत को खंगालने में लगा हुआ था …वो इतनी टाईट थी की पंडित को अपनी उँगलियों से उसकी परतें हटा कर अपनी जीभ अन्दर धकेलनी पड़ रही थी …

अब संगीता को भी मजा आने लगा था …उसने अभी तक मूवीज में ही ऐसा होते हुए देखा था ..पर अपने ऊपर करवाने में जो मजा है वो देखने में कहाँ ..

इसलिए संगीता अब बिना चिल्लाये हुए पंडित के होंठों और जीभ का मजा ले रही थी ..फर्क सिर्फ ये था की अब उसकी चीखें सिस्कारियों में बदल चुकी थी ..

पंडित के अचानक उसकी क्लिट को अपने होंठों के बीच फंसा लिया और वो किसी जाल में फंसी चिड़िया की तरह फडफडाते हुए पंडित के मुंह पर झड गयी …

“अह्ह्ह्ह्ह्ह ……ओह्ह्ह्ह्ह ……पंडित जि ….. अह्ह्ह्ह्ह …उम्म्म्म ……ये…ये क्या ….अह्ह्ह्ह ….आई थिंक ….आई …..एम् …..कमिंग …..अह्ह्ह्ह्ह्ह ….ओह्ह्ह्ह्ह गोश ……”

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

उसका पूरा शरीर ऎठ सा गया …और उसे ऐसा लगा वो अन्तरिक्ष की सेर कर रही है ..

इसी बीच पंडित ने उसकी मिठाई की दूकान में बनी पहली मिठाई यानी रसमलाई पूरी तरह से चट कर डाली …

और बुरी तरह से हांफती हुई संगीता का बेजान शरीर बिस्तर रूपी धरातल पर आ गिरा …

”ओह्ह्ह पंडित जी …..ये क्या था ….आई एम् स्पीच्लेस ….तूने देखा ना रितु …ओह्ह माय गॉड …इट वास माय फर्स्ट ओर्गास्म …एंड आई लव्ड इट …”

वो तो पंडित का बखान करते हुए थक ही नहीं रही थी ..

पंडित उठ खड़ा हुआ और अपना खड़ा हुआ लंड उसके चेहरे के आगे लहरा दिया …

अब टाईम था पे बेक का …उसने ख़ुशी -२ उनके लंड को अपने मुंह में भरा और जोरों से चूसने लगी ..इस बार उसकी चूसने की स्पीड काफी तेज थी ..पंडित ने जिस तरह से उसकी चूत को चूसा था उसका बदला वो ऐसे ही उतार सकती थी ..

अचानक पंडित ने अपने लंड को उसके मुंह से वापिस खींच लिया ..क्योंकि वो झड़ने वाले थे ..और अपना रस ऐसे ही व्यर्थ करना तो उन्होंने कभी सीखा ही नहीं था ..

उन्होंने संगीता को वापिस बेड पर लेटने को कहा ..वो समझ गयी की चुदने की वो घडी आ गयी है जिसका हर लड़की इन्तजार करती है ..पर वो इतनी जल्दी ही आ जायेगी उसे ये अंदाजा नहीं था ..

पर वो कुछ ना बोली और पीठ के बल बेड पर लेट गयी ..अपनी टाँगे फेला दी …और अपनी बाहें भी ..

रितु भी हेरान सी होकर उसे देखी जा रही थी ..की कितनी आसानी से वो पंडित के एक ही इशारे पर चुदवाने को तैयार हो गयी …उन्होंने कई बार चुदाई के बारे में डिस्कस किया था ..और ये भी सोचा था की अपनी शादी की रात को अपने पति को ही वो अपनी कुंवारी चूत उपहार में देंगी ..पर पंडित के जादू के आगे रितु और संगीता का जैसे ब्रेन वाश हो गया था ..पंडित ने जिस तरह उन्हें मजे दिए थे उसके बदले में अपनी चूत उन्हें भेंट करने के सिवा उन्हें कुछ और सूझ ही नहीं रहा था ..

वैसे वो सब अगर रितु के साथ हुआ होता तो वो भी शायद आज पंडित से चुद रही होती ..पर इस समय संगीता थी पंडित जी के नीचे और रितु को सबसे ज्यादा जलन इसी बात की हो रही थी और अपने आप को कोस भी रही थी की क्यों वो आज संगीता को अपने साथ लेकर आई, उसके हिस्से की चुदाई कितनी आसानी से उसने हड़प ली ..

पर अब कुछ नहीं हो सकता था ..

पंडित ने जैसे ही अपने लंड का सुपाड़ा संगीता की चूत के ऊपर लगाया वो मचल उठी ..जिस चूत के अन्दर जीभ को जाने का रास्ता नहीं मिल पा रहा था वहां भला पंडित का मोटा लंड कैसे चला जाता ..

पंडित को तेल का ध्यान आया …उन्होंने रितु को इशारा करके तेल उठाने को कहा ..

वो बुदबुदाती हुई तेल उठा लायी …पंडित मन ही मन मुस्कुरा उठा ..वो समझ चुका था की रितु के मन में किस तरह की भावनाएं उठ रही है ..और इन्ही भावनाओ को भड़काकर वो उसकी चुदाई करना चाहता था ..

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

पंडित ने तेल की धार सीधा संगीता की चूत पर दे मारी ..

तेल की ठंडी बारिश से वो तड़प उठी ..और फिर थोडा सा तेल अपने लंड के सिरे पर लगाकर वो उसे मसलने लगे ..और जब पंडित को लगा की भाला भेदने के लिए तैयार है तो उन्होंने अपने लंड को संगीता की चूत पर दोबारा लगाया और धीरे से दबाव डाला …और तेल की चिकनाहट का कमाल देखिये …वो एक ही बार में सुर्सुराता हुआ अन्दर चला गया ..

”अह्ह्ह्ह्ह्ह ……उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ……पंडित जी ….दर्द हो रा है ……उफ्फ्फ्फ़ मा ……मरररर गयी …..”

पंडित थोड़ी देर तक रुका ..और उसके मोटे मुम्मो को चूसने लगा …उत्तेजना के मारे उसके दोनों निप्पल फेलकर अंगूर के दाने जैसे बड़े हो गए थे ..उनमे से मीठास की लहर निकल कर पंडित के मुंह में जाने लगी …और अपनी चूची चुस्वायी से संगीता को भी मज़ा आने लगा …

”अह्ह्ह्ह्ह ….उम्म्म्म ..स्स्स्स …वह …पंडित जी …….अह्ह्ह्ह ….कितना मजा आ रहा है ….अह्ह्ह्ह्ह्ह …..ऐसे ही चुसॊऒऒऒऒओ …अह्ह्ह्ह्ह ”

वो बोल ही रही थी की पंडित के लंड का एक और प्रहार उसकी चूत के ऊपर पडा और वो चारों खाने चित्त हो गयी …

लंड पूरी तरह से अन्दर जा चुका था …

पंडित : “बस …बस …हो गया ….अब और दर्द नहीं होगा …..उम्म्म …”

पंडित की बात को मरहम समझ कर उसने सर हिलाया …और जब पंडित ने धीरे -२ धक्के मारने शुरू किये तो उनकी बात उसे सच होती दिखाई देने लगी …

और अगले २ मिनट तक चुदने के बाद उसके मुंह से सिस्कारियों की लाईन लग गयी …

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

”उम्म्म उग्ग्ग्ग अग्ग्ग्ग अफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह अम्म्म्म्म ,,…. अह्ह्ह्ह ….पंडित जी ….और तेज ….और तेज करो ….अह्ह्ह्ह अब…ऽब …मज़ा आ रहा है ….हाँ ऐसे ही ….और तेज ….और तेज ….चोदो मुझे ….अह्ह्ह्ह ….ओघ्ह्ह्ह पंडित जी …..मैं तो गयी …..मैं तो …….”

वो कुछ और ना बोल पायी …क्योंकि पंडित के लंड से निकल रहे गर्म लावे ने उसकी कुंवारी चूत को भरना शुरू कर दिया था …और उसकी चूत ने भी काउंटर अटेक करते हुए अपना रस निकाल कर पंडित के लंड पर दे मारा …और वो बेचारा छोटा होकर वहां से बाहर निकल गया …

संगीता की चूत से पंडित का सफ़ेद और गाड़ा रस निकल कर बाहर आने लगा ..

पंडित वहीँ उसकी बगल में लेटकर अपनी साँसों को नियंत्रित करते हुए उसकी ब्रेस्ट को मसलने लगा ..

और दुसरे कोने में खड़ी हुई रितु तो उनकी गरम चुदाई देखकर बिना हाथ लगाए ही झड चुकी थी …

पुरे कमरे में एक अजीब सी गीली – २ सी महक तेर रही थी .

अपनी पहली चुदाई के बाद आई सुस्ती की वजह से संगीता का उठने का मन ही नहीं कर रहा था , उसकी आँखे बोझिल सी हो रही थी उसका मन कर रहा था की थोड़ी देर सो जाए ..

पंडित ने उसकी हालत देखि और उसे बोले : “लगता है तुम्हे नींद आ रही है ..एक काम करो ..थोड़ी देर सो जाओ ..तुम्हे अच्छा लगेगा …”

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

वो नींद और सेक्स की मदहोशी में मुस्कुराते हुए नंगी ही आँखे बंद करके सो गयी ..

रितु बेचारी एक कोने में खड़ी हुई थी ..उसकी लम्बी फ्रोक के नीचे की चड्डी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और उसके रस की धार निकल कर उसकी जांघो से होती हुई नीचे तक जा रही थी ..

पंडित ने जैसे ही उसकी तरफ देखकर कुछ बोलना चाहा वो भागकर बाथरूम की तरफ चली गयी …अपनी गीली और चिपचिपी टाँगे धोने के लिए ..

पंडित की तेज निगाहों ने उसकी चूत से निकली बूंदों को जमीन पर गिरते देख लिया था और समझ गए थे की वो एकदम से भागकर अन्दर क्यों गयी है ..

उन्हें मस्ती करने की सूझी ..वैसे भी वो नंगे ही थे ..वो भी रितु के पीछे -२ बाथरूम के अन्दर चले गए ..

अन्दर जाते ही उनकी ऊपर की सांस ऊपर और नीचे की नीचे रह गयी .

रितु ने अपनी फ्रोक को कमर तक चड़ा रखा था और अपनी कच्छी भी उतार दी थी ..और एक लोटे में पानी लेकर अपनी चूत पर पानी डाल रही थी और हाथ से रगड़ कर अपनी टाँगे भी धो रही थी ..

हालांकि सिर्फ 1 0 मिनट पहले ही पंडित का लंड झड़ा था पर इतनी चिकनी गांड देखकर उसमे फिर से जान आने लगी ..

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

रितु को भी एहसास हो चूका था का पंडित बाथरूम के अन्दर आ चूका है ..उसकी दिल की धड़कने तेजी से चलने लगी …उसके हाथों की फिसलन अपनी चिकनी टांगो पर कम होने लगी ..उसका चेहरा शर्म से अपने आप आगे की तरफ झुक गया ..और उसके हाथों से फ्रोक का कपडा भी निकल कर नीचे लहरा गया ..

पंडित के दिल पर जैसे छुरी सी चल गयी ..इतनी नशीली और सफाचट गांड उन्होंने आज तक नहीं देखि थी ..वो -धीरे २ चलते हुए आगे आये और रितु के पीछे आकर खड़े हो गए ..और अपने दोनों हाथ पीछे से उसके कन्धों पर रख दिये ..रितु सिहर उठी ..उसकी साँसे और तेजी से चलने लगी ..पंडित जी अपना चेहरा उसके दांये कान के पास लाये और धीरे से उसके कान में फुसफुसाए : “कैसा लगा तुम्हे ..आज का प्रेक्टिकल …..”

रितु भी उसी आवाज में फुसफुसाई : “मैंने थोड़े ही किया वो प्रेक्टिकल ….मुझे क्या पता …”

पंडित मुस्कुराने लगा ..

पंडित : “अब कर लो ..अपने ऊपर ..बोलो तेयार हो ….”

वो कुछ ना बोली …बस अपनी गांड का हिस्सा पीछे करके पंडित के लंड से सटा दिया …

इससे ज्यादा बड़ी हाँ और क्या हो सकती थी …

पंडित ने रितु के कान को अपने मुंह में लेकर जोर से चूस लिया …

अपने शरीर पर पंडित के होंठों का पहला स्पर्श पाकर रितु के शरीर की थिरकन और तेज हो उठी .

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

पंडित ने उसकी फ्रोक के किनारों को पकड़ कर ऊपर उठाना शुरू कर दिया ..फ्रोक के कपडे को धीरे-२ ऊपर करते हुए अपने हाथों में समेटा ..और उसे उसके मदमस्त चूतड़ों के ऊपर तक लाकर वो रुक गए ..

अब पंडित जी का खुन्कार लंड रितु की चिकनी गांड पर दस्तक दे रहा था …इतनी गुदाज थी उसकी गांड जैसे उसमे हलवा भर रखा हो ..पंडित ने एक हाथ आगे किया और उसकी चूत और नाभि के बीच वाले हिस्से को जोर से दबा कर उसके पुरे शरीर को अपने लंड के ऊपर जोर से दबा दिया ..

”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ………उम्म्म्म्म ….स्स्स्स …..पंडित जी ………जल रहा है …सब कुछ ….बुझा दो …ये आग ….मेरे अन्दर से ….”

रितु ने अपना पूरा बदन अपने पंजों पर उठा लिया और पंडित के साथ पीछे की तरफ खिसकती चली गयी …जब तक पंडित अपने बाथरूम की दिवार से नहीं जा टकराया ..

वो अपना पूरा जोर लगाकर अपनी जूसी गांड पंडित के लंड वाले हिस्से पर रगड़ रही थी ..उसपर जैसे कोई भूत चढ़ गया था ..उसके मुंह से जोर-२ से आवाजें निकल रही थी ..सिसक रही थी वो ..और झटके मार मारकर वो पंडित के कड़क लंड को अपनी गद्देदार गांड पर फुद्कवा रही थी ..

अचानक एक जोरदार झटके की वजह से रितु की गांड के छेद पर पंडित का लंड जा लगा और वहां फंस सा गया …

रितु की सांस अटक सी गयी …उसकी चूत अभी तक चुदी नहीं थी और वो गांड मरवाने चली है ..ये उलटी गिनती उसकी समझ से बाहर थी ..पर पंडित के लंड को अपने शरीर के किसी भी भाग से अन्दर लेने की ललक उसे पागल किये जा रही थी ..वो जोरों से चिल्ला उठी …

”ओह्ह्ह्ह पंडित जी ……….ये क्या ……..कहाँ ….डाल दिया …अह्ह्ह्ह ….पीछे से शुरू करोगे क्या ….”

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

रितु तो किसी रंडी की तरह बातें कर रही थी …संगीता की चुदाई देखकर वो चुदने को तो कब से तेयार थी …पंडित ने पीछे से घिस्से लगाकर उसकी अगन को और भड़का दिया था ..

साली को चूत मरवाने की अक्ल नहीं और बात करती है गांड मरवाने की …पंडित ने मन ही मन सोचा ..

पर उन्हें भी उसके मचलते हुए शरीर को अपने हाथों से सहला कर मजा आ रहा था ..उन्होंने अपने हाथ ऊपर किये और उसकी ब्रेस्ट को पकड़ लिया …

एक पल के लिए पंडित को ऐसे लगाकि उसने रितु के दिल को अपने हाथों में ले लिया है ..इतनी तेज आवाज आ रही थी उसके धड़कते हुए दिल की …उसका बांया मुम्मा धड़कन की आवाज से वाईब्रेट हो रहा था ..

पंडित ने अपने हाथ आई मुर्गी के दाने को अपनी उँगलियों के बीच रखकर मसल दिया …और वो चरमरा कर जोर से सीत्कार उठी ..

”अयीईईइ …….उम्म्म्म्म्म …पंडित जी ……उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ……माआअर्र्र्र …..गयी …..”

उसकी आँखों में भी नशा उतर आया …और वो पलटी और पंडित के होंठों को अपने होंठों से लगाकर उन्हें जोरों से चूसने लगी …

”पुच्छ्ह्ह ….पुच ….उम्म्म्म …..म्मम्म ..अह्ह्ह्ह …पंडित ज ….उम्म्म्म …”

अपनी पानी और रस से भीगी हुई चूत को उसने जोरदार झटका मारकर पंडित के लंड से मिलनी करवा दी ..
पंडित का लंड उसकी चूत की दरारों में फंसकर फुला नहीं समा रहा था ..

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

पर तभी ..
पंडित के कमरे का पिछली गली वाला दरवाजा किसी ने जोर से पीटा …

दोनों सहम से गए ..

इस समय कौन हो सकता है ..

और तभी दोबारा दरवाजा पीटने की आवाज आई और पीछे से गिरधर की आवाज भी ”पंडित जी …सो रहे हो क्या …खोलो …मैं हु गिरधर …”

गिरधर और इस समय …पंडित की समझ में कुछ नहीं आया ..

पर रितु की हालत खराब हो गयी ..उसके पिताजी ..इस समय क्या करने आये हैं …कहीं उन्हें शक तो नहीं हो गया ..हे भगवन …अब क्या होगा …और …और …वो संगीता ही तो है बाहर …और वो भी नंगी … अब या होगा …उसके सामने से लगातार दूसरी बार चुदने का मौका निकलता हुआ दिखाई दे रहा था ..

पंडित ने रितु को चुप करने का इशारा किया और अन्दर से दरवाजा बंद रखने को कहकर बाहर आ गए ..

उन्होंने एक चादर निकाल कर नंगी पड़ी हुई संगीता के बदन पर डाल दी और खुद भी धोती पहन कर दरवाजा खोलने चले गए ..

दरवाजा खोलते ही पंडित ने गिरधर से पूछा : “अरे गिरधर ..तुम ..इस समय …बोलो क्या काम है ….”

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

गिरधर : “अरे पंडित जी …अन्दर तो आने दो …”

वो अन्दर आने लगा तो पंडित ने उसका रास्ता रोक कर कहा : “नहीं पहले तुम बताओ ..बात क्या है ..और इस समय तुम क्या करने आये हो ..”

गिरधर को पंडित के इस बर्ताव पर आश्चर्य हुआ ..क्योंकि पंडित ने उसे आज तक अन्दर आने से ऐसे नहीं रोका था ..उसका माथा ठनका ..जरुर पंडित ने अन्दर कोई माल बुला रखा है ..पर वो कुछ ना बोला क्योंकि पंडित जी का वो काफी आदर भी करता था .

गिरधर : “अरे पंडित जी ..ये बात बाहर खड़े होकर बताने वाली नहीं है ..चलिए अन्दर चलकर बात करते हैं ..माधवी के बारे में बात करनी है आपसे ..”

माधवी का नाम सुनकर पंडित को लगा की शायद उसे माधवी के साथ हुई चुदाई के बारे में पता चल चूका है और वो ये सोच ही रहा था इतनी देर में गिरधर उनकी बगल से होते हुए अन्दर आ गया ..

और अन्दर आते ही गिरधर की नजर जैसे ही चादर में लिपटी संगीता पर गयी वो अवाक सा रह गया ..

गिरधर : “वह पंडित जी …आप तो छुपे रुस्तम निकले …क्या माल छुपा रखा है आपने ..”

इतना कहते हुए उसने वो चादर निकाल कर फेंक दी ..और बेड पर पूरी नंगी होकर सो रही संगीता का गदराया हुआ बदन देखते ही गिरधर की हालत खराब हो गयी ..

अब पंडित उसे क्या बताते की ये कौन है ..उसकी बेटी की सहेली ..और उसकी बेटी भी तो है अन्दर बाथरूम में ..अगर आधा घंटा और ना आता ये गिरधर का बच्चा तो इस बेड पर उसकी बेटी का जिस्म भी पड़ा होता …और वो भी पूरा नंगा .

पंडित ने खिसियाते हुए उससे पूछा : “पर तुम करने क्या आये हो इस समय ..”

गिरधर : “अरे पंडित जी ..मैं तो ऐसे ही इधर से गुजर रहा था तो सोचा की आपसे कुछ बातें कर लू ..कल रात भी नहीं आ पाया था ..दरअसल मैं कल रात जल्दी घर चला गया था ..और ..और मैंने जमकर माधवी को चोदा …और उसके बात जो बातें हुई हमारे बीच में ..उसी के बारे में बताने के लिए …मैं आया था ..पर मुझे क्या मालुम था की आप रात के साथ -२ दिन में भी मजे लेते हैं ..”

अभी दो दिन पहले ही उसने और पंडित ने मिलकर शीला की चूत और गांड बुरी तरह से मारी थी ..गिरधर उसी बात का उल्लेख कर रहा था .

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

गिरधर : “मैंने और माधवी ने मिलकर एक प्लान बनाया है जो आपके और मेरे लिए कामगार साबित होगा ..”

“क्या ….” पंडित ने पूछा ..

पंडित ये भूल चुका था की उनकी प्लानिंग बाथरूम में छुपी हुई रितु भी सुन रही है ..

गिरधर : “अरे पंडित जी ..मैं तो ऐसे ही इधर से गुजर रहा था तो सोचा की आपसे कुछ बातें कर लू ..कल रात भी नहीं आ पाया था ..दरअसल मैं कल रात जल्दी घर चला गया था ..और ..और मैंने जमकर माधवी को चोदा …और उसके बात जो बातें हुई हमारे बीच में ..उसी के बारे में बताने के लिए …मैं आया था ..पर मुझे क्या मालुम था की आप रात के साथ -२ दिन में भी मजे लेते हैं ..”

अभी दो दिन पहले ही उसने और पंडित ने मिलकर शीला की चूत और गांड बुरी तरह से मारी थी ..गिरधर उसी बात का उल्लेख कर रहा था .

गिरधर : “मैंने और माधवी ने मिलकर एक प्लान बनाया है जो आपके और मेरे लिए कामगार साबित होगा ..”

“क्या ….” पंडित ने पूछा ..

पंडित ये भूल चुका था की उनकी प्लानिंग बाथरूम में छुपी हुई रितु भी सुन रही है ..

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

गिरधर के अन्दर आने की वजह से अब जो भी बात होनी थी वो बाथरूम में छुपी हुई रितु आसानी से सुन सकती थी …और पंडित को इसी बात का डर था ..वो नहीं चाहते थे की गिरधर कोई ऐसी बात कह दे जिसकी वजह से रितु को माधवी के बारे में भी पता चल जाए ..अभी तक जो माधवी से चुदाई की बात पंडित से गिरधर ने कही थी वो रितु नहीं सुन पायी थी पर अब जो भी वो कहेगा वो सुन लेगी …उनके दिमाग ने तेजी से काम करना शुरू कर दिया ..

गिरधर आगे कुछ बोलने ही वाला था की पंडित ने उससे कहा : “अरे वो बातें तो होती ही रहेंगी …अभी तुम्हे इस लड़की को देखकर कुछ नहीं हो रहा क्या …”

गिरधर : “अरे पंडित जी …आप भी कैसी बातें करते हैं ..इस कमसिन सी लड़की को देखकर तो मुझे सच में रितु की याद आ गयी …उसी की उम्र की लगती है ..है ना …”

पंडित ने मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिलाया …

गिरधर का लंड उसकी धोती में खड़ा होकर बाहर निकलने को आतुर था ..

उसने एक नजर पंडित पर डाली और उन्होंने स्वीकृति में सर हिला दिया ..

अगले ही पल गिरधर की धोती जमीन पर थी और उसने अपना कच्छा भी उतार कर नीचे सरका दिया ..

पंडित ने एक नजर बाथरूम की तरफ डाली उन्हें पूरी आशा थी की वहां छिपी हुई रितु छेद में से सार खेल देख रही होगी …अपने बाप की रंगरेलियां .

और ये सच भी था ..पहले तो रितु को लगा था की पंडित जी उसके पिताजी को किसी भी तरह बाहर से ही टरका देंगे ..पर उन्हें अन्दर आते पाकर और उनकी बातें सुनकर रितु को विशवास हो गया की जिस तरह उसके पिताजी संगीता के बारे में पूछ रहे हैं वो दोनों काफी अच्छी तरह से एक दुसरे को जानते हैं और जब उसके पिताजी ने संगीता के ऊपर से चादर निकाल कर फेंकी तो वो सकते में आ गयी ..

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

और ना चाहते हुए भी उसकी चूत में से पानी की एक बूँद ये सोचते हुए निकल गयी की अगर वो संगीता के बदले में वहां पर होती तो आज अपने बाप के सामने वो नंगी लेटी होती और शायद उसका ठरकी बाप उसे बुरी तरह से चोद डालता जैसे अब वो तैयार हो रहा था संगीता को चोदने के लिए ..

अपनी पिताजी का लंड तो वो पहले महसूस भी कर चुकी थी जब उन्होंने उसे अपनी गोद में बिठाकर उसकी चूचियां मसली थी ..और उसने देखा भी था जब वो उसकी माँ को बुरी तरह से चोद रहे थे ..पर जार बार पिछली बार से ज्यादा क्लेरिटी मिल रही थी ..आज दिन के समय जब उसने अपने पिताजी का उफनता हुआ लंड देखा तो वो बूँद निकल कर बाहर टपक ही गयी ..जिसे वो अपनी उँगलियों में लेकर चूसने की सोच रही थी .

और दूसरी तरफ अपनी बेटी के अन्दर होने से अनभिज्ञ गिरधर पूरा नंगा होकर संगीता को चोदने को तैयार था ..

पर पंडित के मन में कुछ और ही चल रहा था ..उन्होंने कुछ सोचा और धीरे से गिरधर से बोले : “मैं देख रहा हु तुम इस लड़की को कैसी नजरों से देख रहे हो …रितु की उम्र की लड़की है तो इसे कहीं रितु समझ के चोदने के मूड में तो नहीं हो ना …”

पंडित ने जैसे उसे कुछ याद दिलाया ..

और अगले ही पल गिरधर ने अपना देहाती लंड मसलते हुए दबी आवाज में रितु का नाम लिया …”ओह्ह्ह्ह्ह रितु ….उम्म्म्म …”

अपने बाप को ऐसी हरकत करता देखकर अंदर घोड़ी बनकर सारा खेल देख रही रितु का मुंह खुला का खुला रह गया ..उसे अपने पिताजी से तो ये उम्मीद थी पर पंडित से ऐसी आशा कतई नहीं थी की वो भी उसके पिताजी का साथ देंगे ..

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

खेर आगे क्या होता है वो ये देखने के लिए और ज्यादा छेद के अन्दर घुस सी गयी ..

गिरधर बिस्तर के कोने पर बैठा और आगे बढकर संगीता की चिकनी टांगो को पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया ..वो नींद में सोती हुई कुनमुना उठी …गिरधर की नजरों में संगीता के मोटे मुम्मे खटक से रहे थे ..वो ऊपर खिसका और उसके एक मुम्मे को पकड़ कर अपने मुंह में डाल लिया और जोरों से चूसने लगा …

थोड़ी देर तक चूसने के बाद संगीता के जिस्म में से भी लहरें उठने लगी …उसकी टाँगे अपने आप एक दुसरे को घिसने लगी …वो पगली शायद नींद की मदहोशी में अभी तक यही सोच रही थी की पंडित जी दोबारा उसका उद्धार करने आये हैं ..पर वो ये नहीं जानती थी की ये पंडित नहीं उनका दूत है जो उसे एक और लंड का मजा देने के लिए आया है .

संगीता ने गिरधर के सर को पकड़ कर ऊपर खींचा और उसके होंठों को अपने मुंह में लेकर जोर से चूम लिया …

बस यही गिरधर पकड़ा गया ..क्योंकि पंडित जी का मुंह सफाचट था और गिरधर के चेहरे पर घनी मूंछे थी ..अपने मुंह में गिरधर की मूंछों के बाल आने से वो एकदम से हडबडा कर उठ बैठी और गिरधर को सामने देखते ही वो जोर से चिल्ला पड़ी …

”कौन …कौन हो तुम …”

और इधर उधर नजर घुमा कर जैसे ही उसे पंडित जी दिखाई दिए वो भागकर उनसे लिपट गयी ..नंगी .

और धीरे से पंडित जी के कान में फुसफुसाई …”पंडित जी …ये ये कौन है …और …और रितु कहाँ है …”

पंडित ने भी धीरे से उसके कानो में कहा : “रितु अन्दर है …बाथरूम में …और ये उसके पिताजी है ..इसलिए वो वहां जाकर छुप गयी है …तुम्हे मेरा साथ देना होगा वर्ना वो बेचारी पकड़ी जायेगी …अपने पिताजी के सामने वो अगर ऐसी हालत में आई तो वो उसे स्कूल से निकलवा कर घर बिठा देंगे …इसलिए मैंने ही गिरधर को तुम्हारे साथ सब कुछ करने की छूट दे दी ..यही तरीका है जिससे तुम अपनी सहेली को बचा सकती हो ..और वैसे भी ..एक नए लंड से चुदने का अनुभव भी तो मिल रहा है ना तुम्हे …”

पंडित की आखिरी बात सुनकर वो शर्म से झेंप गयी ..वैसे जो भी पंडित ने कहा था उसका कोई मतलब तो नहीं बनता था पर उनकी आखिरी बात उसकी समझ में आ गयी थी ..इसलिए वो धीरे से पंडित से अलग हुई और गिरधर की तरफ मुड़ गयी ..और धीरे-२ उसकी तरफ चल दी ..

पंडित ने उसके कान में क्या कहा ये ना तो रितु को सुनाई दिया और ना ही गिरधर को …पर संगीता को अपनी तरफ आता हुआ देखकर गिरधर समझ गया की पंडित ने उसे सब समझा दिया है …वो पंडित जी का ऋणी हो गया …अपनी बेटी की उम्र की नंगी और मदमस्त लड़की को अपने सामने पाकर और वो भी चुदने को तैयार , वो फूला नहीं समाया ..वो अपनी जगह से उठा और एक ही झटके में संगीता को पकड़कर वापिस बेड पर पटक दिया और जानवरों की तरह उसके मुम्मों और होंठों को अपने मुंह से नोच खसोट कर चूसने लगा ..

संगीता ने ऐसा शायद एक दो ब्लू फिल्मों में देखा था की आदमी ज्यादा उत्तेजित होकर बुरी तरह से लड़की को चूमता और चोदता है …उसी को याद करते हुए वो भी उत्तेजित हो गयी और गिरधर का साथ देते हुए उसने एक पलटी खाकर उसे नीचे लिटा दिया और जोरदार आवाज करते हुए अपना दांया मुम्मा पकड़कर उसके मुंह में ठूस दिया …

”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ……उम्म्म्म्म ….चूस इसे …साले …..चूस …”

संगीता को ऐसा करता देखकर गिरधर के अन्दर का भी आदमी जाग उठा ..उसने अपनी बलिष्ट बाजुओं का प्रयोग करते हुए संगीता को वापिस नीचे पटका और उसके दोनों हाथों को अपने पंजों से दबा कर उसे चित्त कर दिया …संगीता किसी पागल बिल्ली की तरह अपनी लम्बी जीभ निकाल कर अपना मुंह ऊपर करके गिरधर के होंठों को चूसने का प्रयत्न कर रही थी …पर गिरधर उसकी टांगो को अपने पैरों से फेला कर उसे सही आसन में लाने की कोशिश कर रहा था …और जैसे ही उसे लगा की वो निशाने पर है ..उसने गोली चला दी और उसका लंड रूपी गोला सीधा संगीता की कच्ची चूत को फाड़ता हुआ अन्दर दाखिल हो गया …

”अय्य्यीईईइ ……मरररर गयी …….अह्ह्ह्ह्ह्ह ………..मार डाला ….”

दरअसल उसकी चूत के चारों तरफ फेले हुए होंठ भी लंड के इस प्रहार के साथ अन्दर चले गए थे ..इसलिए उसे ज्यादा तकलीफ हो रही थी …उसने किसी तरह से अपने हाथ छुडवाये और हाथ नीचे लेजाकर गिरधर का लंड बाहर निकाला …और फिर अपने हाथों से अपनी चूत की पंखुड़ियों को फेलाकर उसे वापिस अन्दर आने को कहा ..और जैसे ही उसके लंड का सुपाड़ा अन्दर घुसा संगीता ने गिरधर की गांड पर अपने पंजे जमा कर और अपनी टाँगे उसके चारों तरफ लपेट कर उसे पूरा अन्दर निगल लिया …

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

और उसके मुंह से एक एजीब सी हुंकार निकल गयी ..

पूरा लंड अन्दर महसूस करने की हुंकार …

”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ………उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ …….क्या लंड है आपका …..अंकल …..उम्म्म्म ……”

गिरधर : ”अह्ह्ह्ह ….अंकल नहीं ….पिताजी कहो …पिताजी ….और तू है मेरी रितु ….समझी …”

गिरधर ने उसे रोल प्ले करने को कहा ..

और गिरधर की ये बात सुनकर संगीता भी समझ गयी की उसके मन में उसकी सहेली याहि अपनी ही बेटी रितु के लिए क्या भाव है …पर या सब जानते हुए भी पंडित जी ने उसे ऐसा करने को क्यों कहा …सीधा ही रितु को बाहर निकलवा कर उसे उसके बाप से चुदवा देते ..

पर इस समय इन बातों को सोचकर कोई फायेदा नहीं था ..उसे तो बस अभी मजा आना शुरू ही हुआ था ..

और इस मजे को वो ज्यादा देर तक लेना चाहती थी ..

उसने नीचे से तेजी से धक्के मारकर गिरधर के झटकों से लय मिलानी शुरू कर दी …और अपना रोल प्ले करना भी शुरू कर दिया ..

”अह्ह्ह .अह्ह्ह्ह …ओह्ह्ह्ह … पिताजी ….अह्ह्ह ….क्या लंड है आपका ….इतना मोटा …इतना लंबा …अह्ह्ह …..चोदो …चोदो अपनी बेटी को ….अह्ह्ह्ह जोर से चोदो अपनी रितु को …अह्ह्ह्ह्ह …हाँ …ऐसे ही ….अह्ह्ह्ह्ह .इताजी ….उम्म्म्म …..चुसो मेरी ब्रेस्ट ….अयीई ..धीरे ….अह्ह्ह्ह …उम्म्म्म …..हां ….ऐसे ही ….ओह्ह्ह पिताजी ….उम्म्म्म्म्म ….अह्ह्ह्ह ….आई …..एम् ….कमिंग ….”

और अपनी चूत से निकलने वाले बाँध का एलान करते ही उसके अन्दर से एक ज्वालामुखी फुट गया ..और वो निढाल सी होकर बेहोशी की हालत में पहुँच गयी …इतना जोरदार ओर्गास्म हुआ था उसके अन्दर की उसका होश ही चला गया …

और उसे बेहोश सा होता देखकर गिरधर ने अपने धक्के और तेज कर दिये ..और जैसे ही उसके लंड का गर्म पानी संगीता की चूत में निकला वो जाग उठी ..उसे लगा उसकी चूत में आग लग गयी है …इतना ज्यादा और गर्म था गिरधर के लंड का पानी ..वो चिल्ला रहा था …

”अह्ह्ह्ह्ह्ह …मेरी बेटी ….मेरी प्यारी रितु ….अह्ह्ह्ह …….ले …ले अपने पिताजी का रस ….अपनी चूत के अन्दर ले ….अह्ह्ह्ह …..”

और वो भी उसके ऊपर निढाल सा होकर गिर गया ..

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

पंडित का मिशन सफल हो चुका था ..

रितु को ये सब दिखाकर उसने उसके मन में भी गिरधर के लिए एक चुदाई का रास्ता खोल दिया था ..और उससे भी ज्यादा उसे चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार कर दिया था …

पंडित ने गिरधर और रितु को धीरे से कहा ..

”सुनो …अब तुम दोनों जल्दी से जाओ …भक्तों के आने का समय हो गया है …”

दोनों समझ गए और जल्दी -२ कपडे पहन कर पहले गिरधर और फिर संगीता भी पीछे के दरवाजे से निकल गए ..

और जाते -२ संगीता ने पंडित से धीरे से कहा ..”पंडित जी …आल द बेस्ट ..प्लीस धीरे से करना रितु के साथ …पहली बार है न उसका ..”

वो शायद जानती थी की पंडित अब रितु की बुरी तरह से चुदाई करने वाले हैं ..

पंडित : “मुझे पता है ..तुम्हे तकलीफ हुई क्या …जो उसे होने दूंगा …”

और इतना कहकर उन्होंने दरवाजा बंद कर लिया …

अब उनके घर में रितु और पंडित के सिवाए कोई नहीं था ..
पंडित ने होले से मुस्कुराते हुए जैसे ही दरवाजा बंद किया ..पीछे से रितु भागकर आई और उनसे लिपट गयी …पंडित जी की बगलों से हाथ निकाल कर उसने उनके कंधे अपने हाथों से दबोच लिए और अपने ठन्डे और गीले होंठ उनकी कमर से लगा दिये ..

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

पहले पंडित के हाथों से अपने बदन की मालिश और फिर अपने ही बाप को संगीता की चुदाई करते हुए देखने के बाद तो इतना गर्म होना स्वाभाविक ही था ..और सबसे बड़ी बात पंडित की दी हुई विद्या यानी काम ज्ञान को अपने ऊपर महसूस करने की चाहत अब रितु से ये सब करवा रही थी ..और शायद यही पंडित जी भी चाहते थे …उन्होंने अपनी चालाकी से रितु के अन्दर काम की अग्नि इतनी भड़का दी थी की वो अपने आप ही चुदने के लिए मरी जा रही थी ..

पंडित जी ने रितु के हाथों को पकड़ कर आगे किया और अपनी पीठ से और जोर से दबा दिया …तब पंडित को महसूस हुआ की वो ऊपर से नंगी है …सालि… …नंगी होकर आई और लिपट गयी मुझसे ….ये सोचते हुए जैसे ही पंडित ने पीछे मुड़कर उसे देखना चाहा वो शरमा गयी और पंडित जी से अपनी ब्रेस्ट को छुपाते हुए उनकी छाती से लिपट गयी …

लड़कियां चाहे जितनी भी एडवांस हो जाएँ पहली बार किसी मर्द के सामने नंगे होने पर शरम जरुर आती है …

उत्तेजना के आवेग में आकर वो बाथरूम में अपनी फ़्रोक को उतार फेंक तो आई पर पंडित जी से लिपटने के बाद उसे अपने नंगे होने पर काफी शरम आई …पर अब काफी देर हो चुकी थी …वो सिर्फ एक सफ़ेद कच्छी पहने हुए पंडित जी के गले लगकर खड़ी थी ..पंडित जी ने भी उसकी भावनाओ को समझा और उसकी चिकनी कमर को सहलाते हुए उसे चुदाई के लिए तैयार करने लगे …

पंडित : “लगता है अब तुम पूरी तरह से तेयार हो …”

वो कुछ ना बोली ..

पंडित ने उसके चेहरे को पकड़ कर ऊपर उठाया ..उसकी आँखे बंद थी ..पंडित जी ने अपने होंठों पर जीभ फेराई और उन्हें गीला किया ..और फिर नीचे झुककर उन्होंने धीरे से अपने तपते हुए होंठ रितु के होंठों पर रख दिए …

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

उफ्फ्फ्फ़ …क्या होंठ थे उसके …इतने मुलायम ..इतने मीठे …जैसे शहद लगाकर आई हो वो उनपर …पंडित ने धीरे से अपनी जीभ निकाल कर उसके मुंह में धकेल दी ..और तब तक रितु भी अपनी तरफ से हरकत करने लगी थी …उसने जैसे ही पंडित जी की जीभ को अपने मुंह में आते देखा वो बुरी तरह से उसपर टूट पड़ी ..और अपने पैने दांतों और रसीली जीभ की मिलीभगत से उनके होंठों और जीभ की पूरी तरह से सेवा करने लगी …

तब तक पंडित जी के हाथ उसके छोटे -२ स्तनों पर आ चुके थे ..जितने छोटे थे वो उतने ही सख्त ..जैसे अमरुद छोटे होने पर ज्यादा सख्त होते हैं ठीक वैसे ही ..वो उन्हें बुरी तरह से मसलने लगे …उसके निप्पलस को कचोट कर बाहर निकालने लगे …

इसी बीच रितु ने होसला दिखाते हुए पंडित जी की धोती की गाँठ खोल दी और उन्हें नीचे से भी नंगा कर दिया …और अपना हाथ नीचे करके उसने पंडित जी के लंड को अपने हाथ में लिया तो उसका पूरा शरीर झनझना उठा …

पंडित ने मौका देखकर उसे नीचे धकेल दिया और अपना हुआ लंड उसके चेहरे के सामने परोस दिया …अब पंडित जी से इतनी शिक्षा लेकर वो इतना तो समझ ही चुकी थी की आगे करना क्या है …उसने अपने हाथों से उनके मस्ताने लंड को पकड़ा और अपनी पूरी जीभ निकाल कर उसे चाट लिया …पंडित जी के मुख से एक तीखी सी सिसकारी निकल गयी और वो अपने पंजों के बल पर ऊपर हवा में उठ से गए …

और फिर पंडित जी की आँखों में देखते हुए उसने धीरे से अपना मुंह खोल और उनके बलिष्ट और बलशाली पट्ठे को निगल लिया …और ऐसा करते हुए उसकी आँखे बंद होती चली गयी …

”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ……रितु …..उम्म्म्म ……बहुत अच्छे …..से ….सीखा है ….तुमने सब …कुछ …अह्ह्ह्ह ….अब उन्हें आजमाने का वक़्त आ गया है ….दिखाओ मुझे ….आज …सब कुछ … क्या सीखा है …तुमने इतने दिनों में …”

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

किसी अच्छे मोटिवेटर की तरह पंडित जी ने उसे जैसे कोई चुनोती दी …और रितु ने उनकी चुनोती को स्वीकार भी कर लिया और किसी खरगोश की तरह से उनकी गाजर को वो अपने पंजों में दबाकर अपने दांतों और जीभ से कुतरने लगी …

पंडित जी की हालत खराब कर दी उसने अगले पांच मिनट में …कभी उनके लंड का अगला हिस्सा लेकर चूसती कभी उनके लंड को बीच में से अपने मुंह में लेकर चाटती और कभी उनकी गोटियों से खेलती और फिर उन्हें भी चूस लेती …आज पंडित जी को वो सब भी महसुसू हो रहा था जो उन्होंने उसे सिखाया भी नहीं था ..पर जो भी था उन्हें इन सबमे काफी मजा आ रहा था ..

अचानक उन्हें लगा की वो झड़ने वाले हैं …तो उन्होंने जल्दी से अपना हथेयार युद्ध छेत्र से बाहर निकाला और रितु को ऊपर उठा कर उसके होंठों को फिर से चूसने लगे ….

रितु के स्तनों पर जैसे कोई खारिश हो रही थी …उसने पंडित जी के सर को पकड़ कर नीचे धकेल और अपनि बांयी ब्रेस्ट उनके मुंह में डाल दी …और खुद उचक कर उनकी गोद में चढ़ गयी …और जोर से चिल्ला पड़ी …

“अह्ह्ह्ह्ह्ह …..पंडित जी ……उम्म्म्म्म ….मार ही डालोगे आप तो मुझे ….अह्ह्ह्ह्ह …….कितना तद्पाया है आपने मुझे ….कितनी रातें बितादी आपके बारे में सोचते हुए …की क्या करोगे आप मेरे साथ …ऐसा करोगे ….वो करोगे …अह्ह्ह्ह …आज ..मुझे तृप्त कर दो …पंडित जी ….चुसो इन्हें …खा जाओ मेरी ब्रेस्ट को ….बड़ी तरसी हैं ये आपसे मिलने के लिए …अह्ह्ह ….”
और पंडित जी सच में उसकी ब्रेस्ट से बुरी तरह से मिलने में लगे हुए थे …वो उनके मुंह में पूरी समा गयी थी …इसलिए कभी वो उसे चूसते …कभी बाहर निकाल कर सिर्फ निप्पल मुंह में लगाते और उसे पीते …और कभी दूसरी ब्रेस्ट को मुह्ह में लेकर पहली वाली से ज्यादा मसलते ….रितु को गोद में उठा कर उन्होंने जन्नत की सेर करवा दी थी 2 मिनट के अन्दर ही …

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

पंडित जी से अब और बर्दाश नहीं हो पा रहा था …उन्होंने अपने बिस्तर का रुख किया और रितु को आराम से लेजाकर वहां लिटा दिया …और फिर नीचे झुककर उन्होंने उसकी पेंटी को पकड़ा और नीचे खिसका दिया …

वा ह…क्या नजारा था …अनछुई सी चूत थी उसकी …बिलकुल सफाचट ….चिकनी ….सफ़ेद ….रस निकालती हुई …जैसे संतरे की नारंगी फांको के बीच चीरा लगा कर उसे सजा दिया हो ..

पंडित ने अपनी जीभ निकाली और कूद पड़े उसकी चूत की मालिश करने …

”अह्ह्ह्ह ….पंडित जी …उम्म्म्म्म ….”

ऋतू ने पंडित जी के चोटी वाले सर को पकड़ कर अपनी चूत पर जोरों से दबा दिया …आज तक जैसा उसने सोचा था ठीक वैसा ही एहसास था पंडित जी की जीभ का वहां पर. …

पंडित जी ने अपने मुंह के गीलेपन और उसकी चूत से निकले रस को मिलाकर ऐसा रसायन तेयार किया जिसका उपयोग करके वो आसानी से अपने लंड को उसकी कुंवारी चूत में प्रवेश दिला सकते थे …

वो उठे और उसकी टांगो को चोडा करके उसे फेला दिया …वो भी समझ गयी की अब वो हसीं पल आ चुका है जिसके बारे में सोचकर उसने ना जाने कितनी रातें बिता दी थी …पर वो भी अब तेयार थी पूरी तरह से …

पंडित जी नीचे झुके और उन्होंने अपना फनफनाता हुआ सा लंड उसकी सफ़ेद बिल्ली के मुंह पर लेजाकर रख दिया और थोडा सा दबा कर कर अपना भार उसपर डाल दिया …

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ….पंडित जी …..धीरे ….दर्द हो रहा है …”

पंडित : “वो तो होगा ही …बस अब तुम अपनी आँखे बंद करो …और कुछ ऐसा सोचो जिसे सोचकर आज तक तुम सबसे ज्यादा उत्तेजित हुई थी …”

पंडित जी की बात सुनकर उसने अपनी आँखे बंद कर ली और अगले एक मिनट में ही उसकी पूरी जिन्दगी के वो सारे इरोटिक पल उसकी आँखों के सामने किसी पिक्चर की तरह से घूम गए जिनमे उसे सबसे ज्यादा मजा आया था …और अंत में एक सीन उसकी आँखों में आकर ठहर सा गया …जिसमे उसके पिताजी ने उसे अपनी गोद में बिठा रखा था …और उसके अमरूदों को वो बुरी तरह से मसल रहे थे ….

”अह्ह्ह्ह्ह …….पिताजी …….धीरे ……करो …”

उसके मुंह से निकल गया …पंडित समझ गया की वो क्युआ सोच रही होगी ….पर जो भी सोच रही थी …उसकी वजह से उन्हें उसकी चूत मारने में ज्यादा तकलीफ नहीं होने वाली थी …

और ऐसा सोचते हुए उसकी चूत के अन्दर से गाड़े रस की एक ताजा लहर बाहर की तरफ चल दी …

और ऐसा सोचते हुए उन्होंने अपनी पूरी शक्ति का प्रयोग किया और एक ही बार में उन्होंने अपना पूरा का पूरा लंड उसकी कमसिन सी चूत के अन्दर धकेल दिया …

”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …अय्य्यीईई …….मरररर …..गयी ……अह्ह्ह्ह्ह्ह ….पंडित जी ……ये क्याआअ ……..किया …..मर गयी रे ….दर्द हो रहा है …पंडित जी ….बहुत ज्यादा …..अह्ह्ह्ह ….”

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

पर पंडत अब कहाँ रुकने वाला था …उसने दे दना दन धक्के मारकर उसकी चूत के परखच्चे उड़ा दिए …और थोड़ी देर में ही रितु को भी मजा आने लगा …वो मजा जिसके लिए वो कब से तरस रही थी …ऐसा लग रहा था जैसे उसकी चूत को उसकी खुराक मिल गयी हो …वो अन्दर तक खुश हो चुकी थी …

”अह्ह्ह्ह्ह …पंडित जी ……अह्ह्ह्ह …सच में ….आप महान हो …..क्या मजा आ रहा है ….अह्ह्ह्ह्ह ……अह्ह्ह्ह्ह . …उम्म्म्म … जोर से करो …..पंडित जी ….और तेज ….जैसे आपने …..संगीता के साथ किया ……अह्ह्ह्ह्ह …जैसे पिताजी ने माँ के साथ किया ….अह्ह्ह्ह्ह ….जैसे पिताजी ने संगीता की मारि…. … अह्ह्ह्ह्ह …..हाँ ….ऐसे ही ….उफ्फ्फ मा ……मैं तो गयी ….पंडित जी …”

और इतना कहकर उसने अपनी चूत की खान से निकाल कर सोने जैसा रस पंडित जी के लंड के नाम कुर्बान कर दिया …

और पंडित जी ने भी काफी देर से दबा कर रखा हुआ ज्वालामुखी अपने अन्दर से निकाला और उसकी चूत के अन्दर अपना लावा निकाल कर वहीं ढेर हो गए …

अब दोनों के गर्म जिस्म एक दुसरे को सहला रहे थे …

पंडित ने सोचा की उसके दिल की बात जानी जाए इसलिए उन्होंने रितु से बात करनी शुरू की …

पंडित : “अच्छा एक बात तो बताओ …तुम्हे अपने पिताजी के इरादे तो शुरू से मालुम है ..वो तुम्हारे साथ घर पर भी वो छेड़ छाड़ कर ही चूका है …और आज तो उसने तुम्हारी सहेली को भी चोद डाला ये सोचते हुए की वो तुम हो …तुम ये सब जानने के बाद उनके बारे में क्या सोचती हो …”

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

पहले तो वो चुप रही पर फिर धीरे से उसने बोलना शुरू किया ..: “मुझे पता है की ऐसा सोचना और करना गलत है ..उनकी हरकतें मुझे शुरू में बुरी लगती थी ..पर अब …अब …मुझे भी वो सब अच्छा लगने लगा है …पिताजी को जब उस दिन माँ के साथ सेक्स करते हुए देखा और आज अपनी सहेली के साथ भी …तो मुझे ऐसा लगा की उनकी जगह पर मुझे होना चाहिए था …वो मेरा हक़ था जो वो लूट रही थी …”

पंडित समझ गया की आगे का काम करने में उन्हें ज्यादा मुश्किल नहीं होने वाली …उनके दिमाग में नयी – २ योजनायें बननी शुरू हो गयी ..
पंडित ने सोचा की उसके दिल की बात जानी जाए इसलिए उन्होंने रितु से बात करनी शुरू की …

पंडित : “अच्छा एक बात तो बताओ …तुम्हे अपने पिताजी के इरादे तो शुरू से मालुम है ..वो तुम्हारे साथ घर पर भी वो छेड़ छाड़ कर ही चूका है …और आज तो उसने तुम्हारी सहेली को भी चोद डाला ये सोचते हुए की वो तुम हो …तुम ये सब जानने के बाद उनके बारे में क्या सोचती हो …”

पहले तो वो चुप रही पर फिर धीरे से उसने बोलना शुरू किया ..: “मुझे पता है की ऐसा सोचना और करना गलत है ..उनकी हरकतें मुझे शुरू में बुरी लगती थी ..पर अब …अब …मुझे भी वो सब अच्छा लगने लगा है …पिताजी को जब उस दिन माँ के साथ सेक्स करते हुए देखा और आज अपनी सहेली के साथ भी …तो मुझे ऐसा लगा की उनकी जगह पर मुझे होना चाहिए था …वो मेरा हक़ था जो वो लूट रही थी …”

पंडित समझ गया की आगे का काम करने में उन्हें ज्यादा मुश्किल नहीं होने वाली …उनके दिमाग में नयी – २ योजनायें बननी शुरू हो गयी ..

समय काफी हो चूका था इसलिए पंडित जी ने रितु को घर जाने को कहा ..शाम को मंदिर के कार्यों से निपट कर पंडित जी को नूरी का ख़याल आया …वैसे तो पंडित जी में चोदने की हिम्मत नहीं बची थी ..पर फिर भी नूरी के बारे में सोचते ही उनके लंड की नसों ने फड़कना शुरू कर दिया …

पंडित और शीला पार्ट २ – Aashram Me Chudai

उन्होंने अपना कुरता और धोती पहना और बाहर निकल गए .

और चल दिए नूरी के घर की तरफ .

वहां पहुंचकर पंडित जी ने इरफ़ान भाई को दूकान पर बैठे देखा ..वो काफी परेशान से थे .

पंडित : “इरफ़ान भाई ..क्या हुआ ..आप इतने परेशान से क्यों लग रहे हैं ..”

इरफ़ान : “अरे पंडित जी …अच्छा हुआ आप आ गए …मैं अभी आपके बारे में ही सोच रहा था …दरअसल आज सुबह ही नूरी के ससुराल से फ़ोन आया था ..वो पूछ रहे थे की आगे का क्या इरादा है ..मैंने जब नूरी से पुछा तो उसने मुझसे लडाई करनी शुरू कर दी …अब आप ही बताइए पंडित जी ..भला इस तरह कोई लड़की अपने पति का घर छोड़कर बैठ सकती है क्या ..दुनिया वाले भी बातें बनाने लगते हैं ..उसके ससुराल वालों पर भी आस पास के लोग इल्जाम लगा रहे है ..मुझे तो लगा था की आपने समझा दिया है ..और वो जल्दी ही मान कर वापिस चली जायेगी ..पर वो अपनी जिद्द लेकर बैठी है की उसकी जब मर्जी होगी तभी वापिस जायेगी ..”

पंडित : “और उसकी मर्जी कब होगी वापिस जाने की …?”

पंडित ने जैसे जानते हुए भी ये सवाल इरफ़ान भाई से पुछा ..

इरफ़ान : “अब ये तो वही जाने …पर कह रही थी की कम से कम एक हफ्ता और उन्हें मजा चखना चाहती है वो …अब आप ही बताइए पंडित जी ..एक हफ्ते में ऐसा क्या कर लेगी वो ..”

पंडित मन ही मन मुस्कुरा दिया ..वो जानता था की एक हफ्ता और वो उनसे चुदना चाहती है …और प्रेग्नेंट होकर ही वापिस जाना चाहती है .

पंडित जी : “आप चिंता मत करो …मैं बात करता हु उस से ….”

इतना कहकर वो ऊपर जाने लगे तो इरफ़ान भाई ने रोक दिया : “वो ऊपर नहीं है पंडित जी ..मुझे लडाई करके अभी बाहर निकली है ..मैं तो इसके ऐसे रव्वैय्ये से परेशान हो चूका हु ..वो बाहर जो बड़ा पार्क है वहीँ गयी होगी ..”

इरफ़ान भाई बडबडाने लगे ..पंडित ने एक बार तो सोचा की वापिस अपने कमरे में चला जाए पर फिर ना जाने क्या सोचकर वो पार्क की तरफ चल दिए ..शायद वो नूरी को इस तरह परेशान नहीं देख सकते थे .

रात का अँधेरा हो चूका था ..ये पार्क उनके इलाके का सबसे बड़ा पार्क था, जहाँ आस पास के लोग सुबह और शाम को सैर करने आते थे ..

पंडित जी पार्क के अन्दर आ गए, वो काफी बड़ा था और वहां काफी लोग भी थे , कुछ लोग सैर कर रहे थे, कहीं पर बच्चे फूटबाल खेल रहे थे ..और कहीं दूर अँधेरे में पेड़ ने नीचे कुछ जवान जोड़े एक दुसरे की गोद में बैठे हुए , दुनिया से बेखबर प्यार की चोंच लड़ा रहे थे ..

पर अभी पंडित जी की नजरें नूरी को ढूंढ रही थी ..

तभी उन्हें पीछे से किसी ने पुकारा : “अरे पंडित जी …आप और यहाँ ..”

उन्होंने पीछे मूढ़ कर देखा तो वहां निर्मल भाभी खड़ी थी ..वो उनके मंदिर में सुबह शाम आया करती थी और उनकी एक कीर्तन मण्डली भी थी ..जो घर-२ जाकर कीर्तन करती थी, वैसे उनकी उम्र ज्यादा नहीं थी …लगभग 40 के आस पास थी वो ..उनके पति अक्सर बाहर रहा करते थे ..इसलिए अपना ज्यादातर समय वो भगवान के भजन गाने में निकाल देती थी ..वो शायद पार्क में घूमने आई थी .
पंडित : “अरे निर्मल भाभी ..नमस्कार ..मैं तो बस आज ऐसे ही चला आया यहाँ …आज काफी गर्मी थी ना ..सोचा थोड़ी देर पार्क में आकर ताजा और ठंडी हवा का आनद ले लू ..”

निर्मल भाभी : “हा हा .ये तो आपने अच्छा सोचा …वर्ना हम लोगों को तो आज तक यही लगता था की आप सिर्फ मंदिर के अन्दर ही रहा करते हैं ..बाहर जाने का आपका मन ही नहीं करता ..आ जाया कीजिये रोज शाम को पार्क में ..मैं भी आती हु ..”

उसने जैसे पंडित जी को लालच दिया ..

पंडित बेचारा मुस्कुरा कर रह गया ..

पंडित की निगाहें अभी भी नूरी को ढूंढ रही थी ..वैसे निर्मल भाभी उनसे थोड़ी देर तक और बातें करना चाहती थी ..पर पंडित उन्हें अनदेखा सा करता हुआ आगे चल दिया ..

और आखिर में उन्हें एक बड़े से पेड़ के नीचे बैठी हुई नूरी दिखाई दे गयी .

पंडित उसकी तरफ चल दिया ..वो दूर खेलते हुए छोटे – २ बच्चों को देख रही थी ..पंडित जी उसके सामने आकर खड़े हो गए .

नूरी : “पंडित जी …आप …और यहाँ …”

पंडित : “हाँ ..मैं ..दरअसल मैं तुम्हारे घर गया था ..और तुम्हारे अब्बा ने बताया की तुम यहाँ पार्क में आई हो ..और परेशान भी हो ..इसलिए मैंने सोचा की … ”

नूरी : “यानी ..आप मेरे लिए यहाँ आये हैं …ओह्ह पंडित जी …आपका बहुत -२ धन्यवाद …वैसे मैं अक्सर शाम को यहाँ आती हु ..पर आज अब्बू के साथ कुछ कहा सुनी हो गयी तो मन खराब सा हो गया इसलिए यहाँ आ गयी …”

पंडित : “मैं समझ सकता हु ..उन्होंने मुझे सब बता दिया है ..मेरे हिसाब से तो तुम्हे उनकी बात मान लेनी चाहिए ..”

नूरी : “पर पंडित जी ..अभी तो ..मैं ..प्रेग्नेंट हुई भी नहीं हु ..और वैसे भी …मेरा मन अभी नहीं भरा है आपसे …”

उसने बेशर्मी से अपने दिल की बात उगल दी .

पंडित भी बेशर्मी से बोला : “तभी तो मैं आया था तुम्हारे घर …अगर इस वक़्त तुम घर पर होती तो शायद मेरे लंड से चुद रही होती ..”

पंडित ने अपनी धोती की तरफ इशारा करते हुए उससे कहा ..

नूरी की आँखों में जैसे आग उतर आई हो ..पंडित के लंड की तरफ उसने भूखी नजरों से देखा और अपने होंठों पर जीभ फेराई ..

नूरी : “तो देर किस बात की है पंडित जी ..शुरू हो जाओ ..मैंने कब मना किया है आपको ..”

पंडित (हेरानी से ) : “यहाँ …इस जगह …”

नूरी : “हाँ ..और कहाँ …डर गए क्या ..उन्हें देखो जरा ..”

उसने दूसरी तरफ इशारा किया ..जहाँ एक जवान लड़का लड़की अँधेरे वाली जगह पर पेड़ के नीचे बैठे हुए एक दुसरे को स्मूच कर रहे थे ..लड़के के हाथ लड़की की टी शर्ट के अन्दर थे और वो उसके स्तनों को बुरी तरह से मसल रहा था ..

पंडित : “ये सब उनके लिए ठीक है …मेरा एक ओहदा है ..समाज में पहचान है ..अगर किसी ने देख लिया, पहचान लिया तो ..”

पंडित ने अपनी बेचारगी उसे सुनाई .

नूरी : “उसकी चिंता आप मत करो ..हम सब कुछ छुप कर ही करेंगे उनकी तरह खुले आम नहीं ..आप बस करने वाले बनो ..जब लड़की होते हुए मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है तो आप क्यों डर रहे हैं ..”

नूरी ने जैसे उनकी मर्दानगी को ललकारा ..

अब तो पंडित के सामने अजीब दुविधा खड़ी हो गयी थी ..पर नूरी की बातें सुनते हुए और उसके तेवर देखते हुए उनका भी मन करने लगा था ..

पंडित को गहरी सोच में डूबा देखकर नूरी बोली : “क्या हुआ पंडित जी …मूड नहीं बन रहा है क्या …”
और इतना कहते हुए उसने अपनी टी शर्ट के गले को पकड़कर नीचे खींच दिया ..और तब तक खींचती रही जब तक उसके उभार पंडित की आँखों के सामने पूरी तरह से दिखाई नहीं दिए ..पंडित उसकी इस बेशरम हरकत को देखकर हैरान रह गया ..वो तब भी नहीं रुकी ..उसने एक दो बार इधर उधर देखा और जब लगा की कोई उसकी तरफ नहीं देख रहा है तो उसने अपनी टी शर्ट को ब्रा समेत और नीचे खिसका दिया और उसकी दांयी ब्रेस्ट का खड़ा हुआ निप्पल पंडित जी को सलाम ठोकने लगा .

पंडित जी की दोनों आँखों में उसके निप्पल की परछाई जैसे छप कर रह गयी …उनकी धोती में से उनका लंड किसी क्रेन की तरह उठ खड़ा हुआ ….उन्होंने अपने हाथ से उसे मसल कर वापिस नीचे दबा दिया ..

नूरी की इस हरकत ने पंडित का रहा सहा मूड भी पूरी तरह से बना दिया था.

नूरी (अपना निचला होंठ दांतों में दबाते हुए ) : “क्यों उसका गला दबाकर उसकी क्रांति को ख़त्म कर रहे हैं पंडित जी …आजाद कर दो इसे और कर लेने दो उसे अपनी मनमानी …”

नूरी अब किसी धंधे वाली की तरह व्यवहार कर रही थी ..

पंडित ने पहले आस पास का जायजा लिया ..कोई उन्हें और नूरी को देख तो नहीं रहा है ना …और फिर वो धीरे से नूरी से बोले : “अच्छा ठीक है …लेकिन सिर्फ ऊपर -२ से ही हो पायेगा …”

नूरी : “आप आओ तो सही …”

उसे भी मालुम था की वहां ज्यादा कुछ संभव नहीं है …इतने लोगों के बीच ज्यादा से ज्यादा चुसम चुसाई ही हो पाएगी …और कुछ नहीं ..पर अभी उनके लिए वही बहुत था …और ऐसा नहीं था की नूरी अपने घर जाकर पंडित जी से चुदाई नहीं करवा सकती थी …पर ऐसे खुले में कुछ करने की चाहत उसके मन में कई सालों से थी …और अक्सर उसने पार्क में दुसरे जोड़ों को जिस तरह से मस्ती करते हुए देखा था उसका भी मन करता था की वो भी ये सब कर पाती …पर घर की बंदिशे और फिर कम उम्र में शादी होने की वजह से उसकी ऐसी ख्वाहिशें मन में ही रह गयी थी …और आज वो पंडित के जरिये अपने मन की हर मुराद पूरी कर लेना चाह रही थी ..और दूसरी तरफ पंडित था जो अपनी मान मर्यादा को ताक पर रखकर उसके साथ खुलेआम मस्ती करने को तैयार हो गया था …क्योंकि खड़े लंड वालों के पास दिमाग की कमी होती है ..एक बार जब लंड खड़ा हो जाए तो ऊपर वाला दिमाग काम करना बंद कर देता है और उसके बाद जो भी होता है वो नीचे वाले खड़े लंड की मर्जी से ही होता है .

पंडित जी उसकी बगल में जाकर बैठ गए ..

उन्होंने एक बार फिर से दूसरी तरफ बैठे हुए जोड़े को देखा ..इतनी दूर से और अँधेरे की वजह से उनके चेहरे तो दिखाई नहीं दे रहे थे पर उनकी हरकतें साफ दिख रही थी .

लड़के ने अपना चेहरा अब लड़की की टी शर्ट के अन्दर डाल दिया था …और वो उसके रसीले आमों को जोर जोर से चूस रहा था …और लड़की उसके सर को अपनी छाती पर दबाकर जोर से साँसे ले रही थी ..

पंडित ने भी हिम्मत करके नूरी की कमर में हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींच लिया …

दोनों के जिस्म आग की तरह जल रहे थे ..

दोनों के लिए इस तरह खुले में प्यार की मस्ती करने का ये पहला मौका जो था …
पंडित ने ऐसा कभी सोचा भी नहीं था की वो किसी युगल जोड़े की तरह इस तरह पार्क में बैठकर खुले आम रास लीला करेगा ..पर हालात ही ऐसे बन गए थे की वो चाह कर भी मना नहीं कर पा रहा था ..

पंडित ने एक बार फिर से दूर बैठे हुए जोड़े की तरफ गया ..लड़की ने अब अपना सर लड़के की गोद में रख दिया था और पैर सामने की तरफ फेला दिए थे ..लड़के ने अपना सर नीचे झुकाया और लड़की के चेहरे को स्पाईडर मेन वाले स्टाईल में उलटी किस्स करी ..और लड़के के दोनों हाथ आगे की तरफ जा कर उसके मुम्मों का बुरी तरह से मर्दन कर रहे थे ..और वो भी टी शर्ट के अन्दर से ..उनके जिस्मो में लगी हुई आग की तपिश पंडित और नूरी तक पहुँच कर उन्हें भी गरम कर रही थी .

पंडित ने आखिरकार पहल करी और इधर उधर देखने के बाद एकदम से नूरी के होंठों पर एक पप्पी दे डाली ..और फिर अपनी नजरें इधर उधर करके वो देखने लगा की किसी ने देखा तो नहीं ..

नूरी उनकी इस हरकत को देखकर हंसने लगी ..और बोली : “पंडित जी ..आप भी कमाल के हैं ..इतना एक्सपेरिएंस होने के बावजूद ऐसे डर रहे हैं जैसे पहली बार कर रहे हो …रुको मैं दिखाती हु किस तरह की किस्स पसंद है मुझे …”

और इतना कहकर उसने पंडित की गर्दन के ऊपर हाथ रखा और उसे अपनी तरफ खींच लिया ..और खुद पीछे होती हुई घांस पर लेट गयी ..और पंडित को अपने बांये मुम्मे के ऊपर लिटा सा लिया ..और अगले ही पल उनके होंठों को अपने मुंह में दबोच कर उन्हें अपने होंठों की चाशनी से भिगोने लगी ..

‘उम्म्म्म्म्म ……पंडित जी ….’

नूरी की मदहोश होती हुई नजरों ने पंडित के दिमाग पर भी पर्दा डाल दिया ..वो भूल गया की वो कौन है और कहाँ पर बैठकर ऐसे कर्म कर रहा है ..पर अब कुछ नहीं हो सकता था ..उसने अपने बांये हाथ को उसके दांये मुम्मे पर रखा और गाडी के भोंपू की तरह उसे बजाने लगा ..और नूरी के मुंह से संगीत निकलने लगा ..

अब पंडित भी जोश में आ चुका था ..उसने भी नूरी के जिस्म पर लेते हुए उसके गुलाबी होंठों को चूस चूसकर उन्हें लाल सुर्ख कर दिया .

पंडित की धोती के अस्तबल में बंधा हुआ उनका लंड रूपी घोड़ा ऐसी अवस्था में आकर बुरी तरह से हिनहिना रहा था ..

नूरी की टी शर्ट के गले को नीचे खिसका कर पंडित ने उसकी एक ब्रेस्ट को नंगा कर दिया और उसपर लगी हुई चेरी को चूसकर उसका मीठापन पीने लगा ..नूरी ने भी कोई विरोध नहीं किया ..पंडित की हरकतों को महसूस करते हुए उसकी दक्षिण दिशा में स्थित फेक्ट्री में से गर्म पानी निकल कर पार्क की घांस में सिंचाई कर रहा था ..

पंडित ने उसके दुसरे मुम्मे को भी घोंसले से बाहर निकाला और दोनों गुब्बारों के ऊपर अपने चेहरे को रगड़ कर उनकी नरमी को महसूस करने लगा… उसने नूरी के मुम्मों को अपने दोनों हाथों में दबोचा तो उसके दोनों निप्पल किसी भाले की तरह से बाहर निकल आये और फिर उन ताने हुए निप्पलों को अपने होंठों , गालों , नाक और आँखों में चुभा – २ कर उनका आनंद लेने लगा …

पंडित की ऐसी हरकत करता देखकर वो बेचारी जमीन पर किसी मछली की तरह से तड़प रही थी ..उसकी आँखे जब खुलती तो सिंदूरी आसमान पर नींद से जाग रहे सितारों की टिमटिमाहट ही दिखाई देती …पर पंडित जी के होंठों की पकड़ अपने स्तनों पर पाकर वो आँखे फिर से बंद हो जाती .

उसने मचलते हुए अपने हाथ से टटोल कर पंडित की धोती में प्रवेश किया ..और अपनी पतली – २ उँगलियों से उनके मोटे रेसलर को पकड़ लिया ..पंडित के दांतों ने एक जोरदार कट मार उसके बांये स्तन पर ..और वो सिहर कर धीरे से चिल्ला पड़ी ..

”अयीईई ….उफ्फ्फ पंडित जी ….काटो मत …दर्द होता है ..प्यार से चुसो इन्हें ..सिर्फ ..चुसो ..”

पंडित ने उसकी बात मान ली और अपने होंठ और जीभ से ही उसकी ब्रेस्ट की मसाज करने लगा ..

इसी बीच नूरी की जादुई उँगलियों ने पंडित के कच्छे का नाड़ा खोल दिया और अन्दर जाकर उसपर अपनी उँगलियों की पकड़ बना दी .

आज पंडित कुछ ज्यादा ही उत्तेजित था ..उसके लंड की मोटी -२ नसें नूरी को अपने हाथ पर साफ़ महसुस हो रही थी ..वो उन नसों की थरथराहट अपने होंठों पर महसुसू करना चाहती थी ..वो उठी और पंडित के होंठों के चुंगल से अपने नन्हे निप्पलों को छुड़ाया और पंडित जी को पेड़ का सहारा लेकर बिठा दिया …और खुद उनकी गोद में सर रखकर धीरे -२ उनकी धोती की परतों को हटाने लगी …और फिर उनके नीचे खिसक रहे कच्छे को भी नीचे करके उनके उफान खा रहे लंड को अपनी आँखों के सामने ले आई ..

और फिर एक लम्बी सांस लेकर उनके लहराते हुए लंड को अपने होंठों की सरहद के पार ले गयी .

”उम्म्म्म्म …..पुच्च्छ्ह …… …अह्ह्ह्ह्ह ……. उम्म्म्म्म ……”

उसने एक मिनट के अन्दर ही उसे अपनी लार से नेहला डाला …इतना प्यार आ रहा था उसे इस वक़्त पंडित जी के लंड पर की उसे कच्चा खा जाने का मन कर रहा था उसका ..
उसने सड़प -२ कर उनके लंड की हालत ऐसे कर दी मानो गन्ने की मशीन में डला हुआ कोई गन्ना हो वो …उसके जूस को अन्दर से बाहर निकालने के लिए नूरी ने अपनी पूरी जान लगा दी ..

इसी बीच पंडित जी के हाथ उसकी गांड को सहला रहे थे ..जींस में कैद उसका पिछवाड़ा काफी मोहक और गुदाज लग रहा था ..पंडित अपने हाथों से उसके कूल्हों को मसल कर उनका लुत्फ़ उठा रहे थे .

और फिर उन्होंने उसकी जींस के बटन खोल दिए ..और पीछे से हाथ अन्दर डाल कर उसकी गरमा गरम गांड को अपने नंगे हाथों में समेट लिया ..और अपनी उँगलियों को अन्दर धंसा कर उसके गुदाजपन का जाएजा लेने लगे ..

ऐसी हालत में किसी भी लड़की या औरत की गांड की मालिश की जाए तो वो पूर्ण रूप से उत्तेजित हो जाती है …ये पंडित को अच्छी तरह से मालुम था …और इसी के परिणाम स्वरुप नूरी की लंड चूसने की स्पीड और भी तेज हो गयी ..और वो हुंकारते हुए पंडित की गोद में पड़ी हुई किसी पागल कुतिया की तरह उनका लंड चूस रही थी .

अँधेरा काफी गहरा हो चुका था ..इसलिए पार्क में खेल रहे बच्चे और उनके साथ आये हुए उनके पेरेंट्स भी अब घर जाने लगे थे ..कुछ ही लोग रह गए थे वहां अब ..वैसे भी आई पी एल के मैच का टाईम हो चुका था ..इसलिए पार्क अब लगभग पूरा सुनसान हो गया था ..

पंडित ने पहले सोच रखा था की सिर्फ ऊपर -२ का ही मजा ले पायेगा यहाँ तो ..पर नूरी ने उसके जज्बातों को इस कदर भड़का दिया था की वो अब वहां पर चुदाई के विकल्प पर भी विचार करने लगा था ..

उसकी नजरें फिर से दूर बैठे हुए जोड़े की तरफ गयी ..वो अब उठकर उनकी तरफ ही आ रहे थे …पंडित ये देखकर एक दम से घबरा गया और नूरी के मुंह से बड़ी मुश्किल से अपने लंड को निकाल कर उसे वापिस अपनी धोती में छुपा दिया और उसे भी सीधा होकर कपडे सही करके बैठने को कहा ..

वो जोड़ा उनसे थोड़ी दूर पहले ही रुक गया ..वहां पर एक घनी सी दो फुट ऊँची झाडी थी और उसके ठीक पीछे एक घांस का टीला था ..जिसपर घनी और मुलायम घांस की चादर बिछी हुई थी . वो दोनों वहां जाकर बैठ गए ..इस तरह से वो बाहर दिख रही दुनिया से तो छुप गए पर पंडित और नूरी के और करीब आकर उन्हें पूर्ण रूप से दर्शन देने लगे ..पर उनकी हालत देखकर पंडित को पता चल गया की उन्हें भी अब चुदाई का भूत चढ़ चूका है ..जो उनकी बर्दाश्त की सीमा से परे है ..

और उस टीले पर बैठने के साथ ही उन्होंने पंडित और नूरी की परवाह किये बिना अपनी जींस उतारनी शुरू कर दी ..

और दोनों नीचे से नंगे होकर एक दुसरे से बुरी तरह से लिपट गए ..

पंडित और नूरी अवाक से होकर अपने से सिर्फ दस गज के फांसले पर हो रही गुथम गुत्था को देख रहे थे ..लड़के ने अपना मुंह नीचे लेजाकर लड़की की चूत पर रख दिया और लड़की ने भी अपनी टांगो से उसकी गर्दन को बुरी तरह से जकड लिया ..और जोर से सिसकारी मार कर अपने प्रेमी को पुकारा ..

”अह्ह्ह्ह्ह …..बद्री…..मेरे राजा ….अह्ह्ह ……..खा जा मुझे …मेरे राजा …खा जा मुझे …”

वो लड़की अपनी मिठाई की दूकान खोलकर अपने प्रेमी बद्री को अपने मिष्ठान खिला रही थी .

बद्री के दोनों हाथ ऊपर जाकर उसकी टी शर्ट और ब्रा को ऊपर कर चुके थे और अन्दर बैठे हुए कबूतरों को मसल कर उनका मजा ले रहे थे .

उन्हें पास बैठे हुए पंडित और नूरी की जैसे कोई चिंता थी ही नहीं ..शायद उन्होंने भी दूर से उन्हें आपस में चूमा चाटी करते हुए देख लिया था इसलिए उन्हें भी अपनी ही केटागीरी का मान कर बेशर्मों की तरह उनके सामने ही शुरू हो गए थे .

उन्हें ऐसा करते हुए देखकर नूरी धीरे से फुसफुसाई : ”जब उन्हें कोई शर्म नहीं है तो हम क्यों करे ..”

और इतना कहकर वो फिर से पंडित की टांगो के बीच घुस गयी और खोद कर उनके लंड को फिर से बाहर निकाल लिया ..वो अब तक मुरझा चुका था ..पर मर्द के लंड को खडा करने में देर ही कितनी लगती है ..नूरी ने उनके मुरझाये हुए लंड को मुंह में लेकर जब चूसना शुरू किया तो वो फिर से अपनी रंगत में आने लगा और सिर्फ तीस मिनट में ही वो फिर से पुरो तरह खडा होकर पहले जैसा हष्ट पुष्ट हो गया ..

पंडित की नजरें अब उस लड़की पर थी ..जो जमीन पर पड़ी हुई अपने आशिक से चूत चुसवा रही थी ..

उसकी उम्र करीब बीस साल के आस पास थी ..और लड़का भी लगभग हम उम्र ही था ..

उसकी टी शर्ट ऊपर होने की वजह से वो लगभग पूरी नंगी थी पंडित की आँखों के सामने ..उसकी ब्रेस्ट और थाई दोनों ही गजब की थी ..एकदम सफ़ेद और चिकनी ..36 की ब्रेस्ट होगी उसकी ..उन्हें लड़का बुरी तरह से मसल रहा था ..पर उसके मसलने से उस ब्रेस्ट के करारेपन पर कोई असर नहीं हो रहा था ..वो चट्टान की तरह तन कर खड़ी थी ..

पीछे की तरफ से आ रही हलकी लाईट अब उन चारों पर पड़ रही थी जिसकी वजह से वो लोग एक दुसरे को और साफ़ तरीके से देख पा रहे थे ..

पंडित ने उन दोनों के चेहरों को गौर से देखा ..उन दोनों को उसने पहले कभी नहीं देखा था ..शायद कहीं दूर से आये थे दोनों ..इस बड़े से पार्क में चुदाई करने ..पर उन्हें इतनी इतने करीब नंगा सा देखकर उनकी उत्तेजना में चार चाँद लग गए थे .नूरी भी लगभग बूखी डायन की तरह उनके लंड के मांस को नोचने में लगी हुई थी ..

और पंडित के मुंह से भी अब अह्ह्ह उन्नह निकल रही थी ..

”अह्ह्ह्ह नूरी ….उम्म्म्म …..धीरे कर …..अह्ह्ह्ह …उफ़्फ़्फ़्फ़… ”

पंडित जी उसके सर को अपने लंड पर दबा कर और कभी बाहर खींच कर उसे हिदायत दे रहे थे ..
उनकी सिस्कारियां सुनकर वो लड़की भी उस तरफ देख रही थी ..पंडित और उस लड़की की नजरें मिली तो उसने पंडित जी को एक स्माईल पास कर दी ..नूरी उनका लंड चूस रहीथी और वो लड़का उस लड़की की चूत ..इसलिए उन दोनों को एक दुसरे से आँखे लड़ाने का मौका मिल गया था ..

पंडित की नजरें उसकी ब्रेस्ट को घूर रही थी ..लड़की को इसका आभास हो गया ..उसने अपनी बेशर्मी का परिचय देते हुए अपनी टी शर्ट को सर से घुमा कर पूरा उतार दिया ..और पूरी नंगी हो गयी ..उसे ना तो किसी के आने का कोई डर था और ना ही पंडित के घूरने का ..सच में कितनी आगे निकल चुकी है ये दुनिया ..पंडित ने मन ही मन सोचा ..

और अब वो अपनी उँगलियों से अपने निप्पल पकड़ कर उन्हें मसल रही थी ..अपने आशिक से अपनी चूत चुसवा रही थी और पंडित की आँखों में देखकर उसे भी लाईन मार रही थी .

अब पंडित से भी रुकना मुश्किल हो रहा था ..उसने नूरी की जींस घुटनों तक उतार दी ..और नीचे झुक कर उसकी चूत से निकल रही खुशबू को सूंघा ..और अगले ही पल वहां पर मुंह लगाकर जोरों से चूसने लगा ..

नूरी चिल्ला पड़ी ..”ओह्ह्ह्ह पंडित जी …..येस्स्स्स …..चुसो इसे …अह्ह्ह्ह …चुसो मेरी चूत को पंडित जी …अह्ह्ह्ह …”

पंडित ने एकदम से बाहर निकल कर उसका मुंह बंद किया ..आवेश में आकर उसने जिस तरह से पंडित जी कहा था उन्हें डर लगने लगा था की वो लड़की या लड़का कहीं वो सुन ना ले ..और उन्हें कोई पहचान ना ले ..पर शायद उन्होंने सूना नहीं था या फिर अपनी मस्ती में होने की वजह से उनका ध्यान नहीं गया था नूरी की बात पर ..

पंडित जी को अब लगने लगा था की वो झड़ने वाले हैं ..इसलिए उन्होंने अब सीधा चूत पर हमला करने की सोची ..

दूसरी तरफ वो लड़का भी ऊपर आ गया था और उसने अपनी जींस उतार कर अपना लंड बाहर निकाल लिया था ..

पंडित ने भी अपनी धोती गिरा दी और अपने लंड को सबके सामने उजागर कर दिया ..

पंडित और नूरी की नजरें उस लड़के के लंड को और उन दोनों लड़का लड़की की नजरें पंडित के लंड की लम्बाई को नाप रही थी ..

और दोनों तरफ की पार्टियों को मालुम था की किसका लंड बड़ा है .

पंडित जी के आठ इंच लम्बे और मोटे लंड के सामने भला उस चूजे जैसे लंड की क्या बिसात थी ..उस लड़के ने लड़की को घोड़ी बनाया और उसके पीछे से अपना 5 इंच का लंड डाल कर धक्के मारने लगा ..

और सिस्कारियां मारने लगा ..

”अह्ह्ह्ह्ह ……प्रियंका …..माय डार्लिंग ……यु आर सो टाईट …..ओह्ह्ह फक्क बेबी ….”

ओहो तो इसका नाम प्रियंका है …पंडित ने मन ही मन सोचा

प्रियंका की नजरें भी अब मदहोशी में आकर मस्त होने लगी थी ..

पंडित ने भी प्रियंका की नजरों में देखते हुए नूरी को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत का दरवाजा अपनी उँगलियों से खोलकर उसमे अपना लंड पेल दिया ..और एक जोरदार झटका मारा ..

”अयीईई …पंडित जी ….अह्ह्ह्ह …धीरे …आप तो जान ही निकाल देते हो …”

और फिर शुरू हुआ एक उत्तेजना से भरा हुआ खेल …धक्कों वाला …मुम्मे हिलाने वाला ..सिस्कारियों से भरा हुआ …

नूरी और प्रियंका के चेहरे एक दुसरे की तरफ थे ..और पंडित और बद्री दोनों पीछे से धक्के मारकर उनका बुरा हाल करने में लगे हुए थे ..
अचानक बद्री जोर से चिल्लाया ..”अह्ह्ह्ह्ह …पप्रिया डार्लिंग …आई एम् कमिंग …अह्ह्ह …”

और अगले ही पल उसने अपना सार रस प्रियंका के नाम कुर्बान कर दिया ..उसकी चूत के अन्दर ही ..

पर पंडित का स्टेमिना उस से कही ज्यादा था ..वो तो जैसे अभी शुरू ही हुए थे ..

शायद प्रियंका भी झड चुकी थी ..उसने एक रुमाल निकाल कर अपनी चूत साफ़ की और दोनों ने अपने -२ कपडे पहन लिए ..और आराम से बैठ कर पंडित और नूरी की चुदाई को देखने लगे .

और अगले दस मिनट के बाद आखिर पंडित जी के लंड से गर्म पानी की बोछारें निकल कर नूरी के अन्दर जाने लगी ..

और नूरी नीचे पड़ी हुई ना जाने कितनी बार झड चुकी थी ..शायद तीन या चार बार ..

और आखिर में पंडित ने अपना लंड बाहर निकाला और साफ़ सफाई के लिए उसे नूरी ने अपने कब्जे यानी मुंह में ले लिया ..और साफ़ सुथरा करके वापिस कर दिया ..पंडित आँखे बंद किये हुए उसके गर्म मुंह का मजा ले रहे थे ..

उसके बाद दोनों ने अपने -२ कपडे ठीक किये ..

पंडित ने देखा की बद्री और प्रियंका तब तक जा चुके थे .

वो भी वापिस चल दिए ..

पंडित अपने घर और नूरी अपने ..

वो तो चल दिए अपने घर की तरफ पर वहीँ एक दुसरे पेड़ के पीछे छुपी हुई निर्मल भाभी बाहर निकल कर आई …
उसने सब देख लिया था ..
उसका चेहरा लाल सुर्ख था ..उसके कानों से धुंवा निकल रहा था ..इतनी मस्त और वो भी डबल चुदाई देख कर ..
और सबसे बड़ी बात … पंडित जी को ऐसी हरकत करते देखकर …और वो भी खुले पार्क में ..उसे ये उम्मीद तो बिलकुल नहीं थी ..पंडित जी को उसने आज तक इस नजरिये से नहीं देखा था ..की ऐसे धरम करम करने वाले बन्दे का ऐसी चीजों से क्या लेना देना होगा ..मंदिर में भी उनके स्वभाव को देखकर आज तक उसे ऐसा कभी नहीं लगा था ..पर आज जो भी उसने देखा वो देखकर उसकी विचारधारा के साथ साथ चूत से भी अविरल धारा बह कर उसके हर विचार को नकार रही थी ..
उन्हें चुदाई करते देखकर ना जाने कितनी बार उसने अपनी मोटी चूत को मसला होगा और कितनी बार वो झड़ी होगी उसे भी पता नहीं चला ..
पर अब उसके धार्मिक विचारों को मानने वाले दिमाग में शेतानी विचार आने लगे थे …उसने सोच लिया था की चाहे जो भी हो जाए वो पंडित के लंड से चुद कर ही रहेगी ..
और दूसरी तरफ पंडित अपने कमरे में जाकर लेट गया …
वो आज काफी थक चुका था ..पुरे दिन की बातें सोचकर वो यकीं नहीं कर पा रहा था की चुदाई का खेल खेलते हुए वो इतना आगे निकल जाएगा की समाज और लोगों के डर के बिना इस तरह खुल्ले में चुदाई करेगा …पर अच्छा हुआ किसी ने ऐसा करते हुए देखा नहीं उन्हें …वो दुसरे जोड़े ने जो भी देखा उसका डर नहीं था ..क्योंकि वो उन्हें जानते नहीं थे ..
ऐसा सोचते हुए पंडित जी थोड़ी देर के लिए सो गए ..
पर उन्हें क्या मालुम था की उस जोड़े के अलावा निर्मल भाभी ने उन्हें सब कुछ करते हुए देख लिया है ..और वो आगे क्या करेंगी वो शायद पंडित भी नहीं जानता था ..
पंडित को सपने में भी नूरी दिखाई दे रही थी ..और वो भी उसके घर पर ..अपने बाप के सामने वो बेशर्मी से पंडित जी का लंड चूस रही थी ..और उसका बाप कुछ भी नहीं कर पा रहा था .. वो पूरी नंगी थी और पंडित जी के सामने बैठ कर उनका लम्बा और जानदार लंड चूस रही थी ..पंडित जी को बहुत मजा आ रहा था ..अचानक उन्हें लगा की उनका निकलने वाला है ..और उनकी नींद खुल गयी ..और वो ये देखकर दंग रह गए की उनका लंड सच में चूसा जा रहा था ..
और चूसने वाली और कोई नहीं ..
शीला थी .
पंडित जी ने कांपती हुई आवाज में उससे पूछा : “अरे ….श ..शीला ..त .. त. ..तुम …और इस वक़्त …अहह ..”
शीला ने उनका लंड बाहर निकाला और बोली : “पंडित जी …मुझसे कोई अपराध हुआ है क्या ..जो आप मुझे भूल ही चुके हैं ..आपने मेरे नीरस जीवन में काम की अग्नि तो भड़का दी ..पर समय -२ पर उसपर पानी डालकर उसे बुझाना भूल जाते हैं ..और मैं जलती रहती हु ..आप ही बताइए मैं क्या करू ..आज सुबह से मेरी हालत ऐसी हो रही है ..जैसे जल बिन मछली ..और आप हैं की आराम से सो रहे हैं ..और ना जाने किसके बारे में सोचकर आपका ..ये ..ल ..लंड हुंकार रहा था ..मैं तो आपसे शिकायत करने आई थी ..पर आपकी धोती में इसे इस हालत में देखकर मेरे अन्दर की अग्नि और भड़क उठी और इसलिए मैंने ये सब किया …”
पंडित शायद दरवाजा खुला छोड़कर सो गया था ..उसका ध्यान सीधा दरवाजे की तरफ गया .
शीला : “बंद कर दिया है मैंने दरवाजा अब ..पहले खुला था ..”
वो निश्चिन्त हो गया ..और शीला से बोला : “ऐसी बात नहीं है शीला ..मैं तुम्हे कैसे भूल सकता हु ..तुम्हारी वजह से ही तो मेरे भी नीरस जीवन में इतनी बहारें आई है ..”
पंडित का इशारा समझ कर शीला तुनक कर बोली : “हाँ ..हाँ ..पता है ..कौनसी बहारों के मजे लूट रहे हो आप ..मैं उसके लिए तो आपको मना नहीं कर रही पंडित जी ..आप तो मेरे लिए सब कुछ है. ..आप जो चाहे करें ..मुझे कोई आपत्ति नहीं है …बस मैं यही चाहती हु की मेरा भी ध्यान रखा कीजिये ..”
पंडित ने प्यार से उसके गालों पर हाथ रखा और उसे अपनी तरफ खींच लिया ..और अपने ऊपर लिटा कर उसके चेहरे को अपनी हथेलियों से थाम लिया ..और बोले : “ठीक है ..शीला ..अब से ऐसा नहीं होगा ..मैं इस बात का ध्यान रखूंगा …”
और इतना कहकर उन्होंने उसके होंठों को अपने होंठो से जोड़ कर एक दुसरे के मुंह में वाटर सप्लाई करनी शुरू कर दी ..
उसने साडी पहनी हुई थी ..
पंडित ने उसकी जाँघों पर हाथ रखकर उसकी साडी को ऊपर उठाना शुरू कर दिया ..और तब तक उठाता रहा जब तक उसकी नंगी गांड पर पंडित जी के हाथ नहीं फिसलने लगे ..
वो हमेशा की तरह आज भी पेंटी पहन कर नहीं आई थी ..
वैसे इस बात से याद आया ..अमेरिका में एक सर्वे हुआ था ..जिसमे ये पता चला था की जो महिलायें कभी कभार पेंटी पहने बिना ही अपने पति के साथ सोने चली आती है ..वो चुदने के लिए 99.9 परसेंट तेयार होती हैं ..यकीं नहीं होता तो कभी ट्राई करके देख लेना ..
खेर ..
पंडित जी को भी अपने ट्रांसफोर्मर को बाहर निकालने में ज्यादा टाईम नहीं लगा ..ट्रांसफोर्मर इसलिए की थोड़ी देर पहले वो मरे हुए चूहे की तरह पड़ा हुआ था ..पर शीला के गुदाज जिस्म को देखकर उसने ट्रांसफॉर्म होकर एक जानदार और शानदार खीरे का रूप धारण कर लिया ..जो उसकी चूत में जाकर कोहराम मचाने को तैयार था ..
पंडित जी का कुर्ता और शीला की साडी और ब्लाउस अभी तक अपनी जगह पर ही थे ..
पर शीला की चूत में आग इतनी भयंकर लगी हुई थी की उसकी अरजेंसी में चुदाई करना जरुरी था ..इसलिए उसने पंडित जी के लंड को अपनी चूत के ऊपर रखा और माखन से भीगी हुई चूत की चिकनाई का उपयोग करते हुए उसे पूरा निगल गयी ..
एक ही बार में ..
पूरा अन्दर ..
”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ……पंडित जी ….उम्म्म्म ….तरस गयी थी मैं …इसे अन्दर लेने के लिए …अह्ह्ह्ह्ह …मारो मेरी …चूत …आज ….जोरों से …हिला डालो …मुझे …बुझा दो मेरी सारी प्यास … अह्ह्ह्ह्ह …”
पंडित तो अपनी जगह पर पडा रहा पर शीला ने अपने कुल्हे उठा कर पंडित के लंड के ऊपर मारने शुरू कर दिये ..
और लगभग दस मिनट की चूत मरवाई के बाद जैसे ही शीला को लगा की वो झड़ने वाली है ..उसने पंडित जी का लंड निकाल लिया …और सीधा उसे अपने मुंह में लेकर चूसने लगी ..
इतना गीला लंड और वो भी उसकी चूत के रस में नहाया हुआ ..ऐसा लगा उसने कोई स्क्वेश पी लिया है ..पंडित को उसकी हरकत पर प्यार आ रहा था ..पर वो अपने हाथों को सर के नीछे रखकर बस तमाशा देखता रहा ..
शीला बेड पर खड़ी हो गयी ..और आनन फानन में उसने अपनी साडी निकाल कर नीचे फेंक दी ..और पंडित के शरीर के दोनों तरफ पैर रखकर खड़ी हो गयी ..और फिर अपना ब्लाउस और ब्रा भी निकाल कर नीचे फेंक दिया ..

जहाँ पंडित लेटा था उसे शीला के संगमरमर जैसे बदन का हर कटाव दिखाई दे रहा था ..उसकी मोटी जांघे ..उनके बीच उसकी सफाचट चूत से निकलता गाड़े शहद का झरना …और उसके ऊपर उसकी पतली कमर और सबसे ऊपर दो विशाल पर्वत …इतना उत्तेजना से भरपूर दृश्य देखकर पंडित से रहा नहीं गया …उसने अपने कुर्ते को लेटे हुए ही उतार दिया ..और नीचे से अपनी धोती और कच्छे को भी निकाल फेंका ..वो भी अब नंगा हो चुका था …

उसने ऊपर हाथ शीला की जांघे पकड़ ली और उसे नीचे खींचा ..वो नीचे आई और झुक कर अपने मोटे मुम्मे पंडित जी के मुंह के आगे अंगूरों की तरह लहरा दिए ..पंडित उसके खरबूजों के ऊपर लगे अंगूरों को अपने दांतों से पकड़ने की कोशिश करने लगा ..

इसी बीच शीला ने अपनी गांड की लेंडिंग पंडित जी के एयरपोर्ट पर करनी शुरू कर दी …और जैसे जी उनके खड़े हुए राडार ने उसकी उड़नतश्तरी को छुआ वो बिदक सी गयी …और एकदम घूम कर पंडित जी के पैरों की तरफ हो गयी ..और सीधा उनके लंड को पकड़ कर अपनी गांड के छेद पर लगा दिया ..और बैठ गयी .

”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ……ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ …”

पंडित और शीला के मुंह से एक साथ सिस्कारियां फुट पड़ी ..

शीला शायद सोच कर आई थी की आज वो अपनी चूत और गांड दोनों मरवाकर रहेगी …ऐसे ही तो उसके अन्दर की आग भड़क नहीं रही थी ..

पंडित ने उसकी लहराती हुई कमर को पकड़ा और उसे ऊपर नीचे करके उसकी गांड के पेंच ढीले करने लगे अपने स्क्रू ड्राईवर से ..

”अह्ह्ह ओफ़्फ़्फ़्फ़ अह्ह्ह शीला …अह्ह्ह्ह म्मम्मम ….क्या ….टाईट छेद ….है तेरा ..अह्ह्ह्ह … उफ्फ्फ्फ़ उम्म्म्म्म ….हा न…. …..अह्ह्ह ..जोर से …कूद …और जोर से ..”

और पंडित का कहना मानकर वो जोरों से कूदने लगी उनके लंड पर …और जल्दी ही दोनों तरफ से झड़ने की ख़बरें आने लगी ..

‘अह्ह्ह पंडित जी ….अह्ह्ह …मैं तो गयी ….अह्ह्ह्ह ….’

‘ओह्ह्ह शीला ….अह्ह्ह्ह …..मैं भी आया …अह्ह्ह्ह्ह …ले …अह्ह्ह ..’

और दोनों एक दुसरे के ऊपर गिरकर हांफने लगे ..

और जब साफ़ सफाई करके शीला पंडित जी की बाहों में आकर लेटी तो उसने धीरे से उनके कान में कहा : “आज की पूरी रात मैं आपके पास रहूंगी ..मम्मी पापा गाँव गए हैं शादी में …कल दोपहर तक ही आयेंगे ..”

उसकी बात सुनकर पंडित के पुरे शरीर में एक लहर सी दौड़ गयी ..

और उसके मुम्मों को अपने हाथों में दबाता हुआ वो सो गया ..

रात के नौ बजने वाले थे ..पंडित जी की नींद खुली ..उन्हें भूख भी लगी थी ..पर खाना बनाने का समय नहीं था उनके पास ..शीला अभी तक गहरी नींद में सो रही थी .

वो सोच ही रहे थे की क्या करे, तभी पिछले दरवाजे पर किसी की आहट हुई ..उन्होंने धीरे से पुछा : ”कौन है ..”

”मैं हु पंडित जी ..माधवी ..”

‘इसको भी चुदवाने का शौंक चढ़ गया है लगता है’ ..पंडित ने मन ही मन सोचा और दरवाजा खोल दिया ..

सामने माधवी खड़ी थी ..हाथ में एक बड़ा सा बर्तन लिए हुए …

वो सीधा अन्दर आ गयी ..और बोली : “वो ..आज मैंने कुछ ख़ास बनाया था, सोचा आपके लिए ले आऊं ..”

इतना कहकर उसने वो बर्तन टेबल पर रख दिया ..

आज तो पंडित जी कुछ और भी मांगते तो वो इच्छा भी पूरी हो जाती इतनी भूख लगी थी उन्हें की मना करने की कोशिश भी नहीं की उन्होंने और बर्तन का ढक्कन खोल दिया ..

उसमे चावल और राजमा थे ..और साथ में हरी मिर्च और सलाद ..पूरी तरह से तैयार करके लायी थी वो पंडित जी का खाना ..

उन्होंने जल्दी से एक बड़ी सी प्लेट निकाली और नीचे चटाई पर बैठकर राजमा चावल डाल कर घपा घप खाने लगे ..

और माधवी वहीँ नीचे बैठकर उन्हें बड़े प्यार से खाता हुआ देखने लगी . जैसे वो उसका खुद का पति हो ..

पेट भर कर खाना खाने के बाद वो हाथ धोने के लिए बाथरूम में गए .

तभी बाहर से माधवी की हलकी सी चीख सुनाई दी ..

”पंडित जी …..ये… …ये …कौन है ..”

पंडित भागकर बाहर निकला ..माधवी आँखे फाड़े बेड पर नंगी पड़ी हुई शीला को देखे जा रही थी ..

उसपर माधवी का ध्यान अभी -२ गया था ..वो गहरी नींद में सो रही थी ..अपने पेट के बल ..इसलिए उसकी नंगी पीठ थी सिर्फ बाहर ..और चेहरा नहीं दिख रहा था ..और नीचे का हिस्सा चादर से ढका हुआ था .

पंडित जी ने धीरे से कहा : “ओह ..ये . ..ये तो शीला है ..तुम मिली थी न इनसे ..”

वो हेरानी से कभी पंडित को और कभी बेड पर लेटी हुई नंगी शीला को देख रही थी ..जैसे उसे विशवास ही नहीं हो रहा हो की पंडित जी का शीला के साथ भी सम्बन्ध हो सकता है ..पर पंडित जी ऐसे बीहेव कर रहे थे जैसे उनपर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है ..

पर पंडित जी की आँखे माधवी के बदन को चोदने में लगी हुई थी ..उसने सलवार सूट पहना हुआ था ..और हेरत की वजह से और शायद जलन के मारे उसका सीना ऊपर नीचे हो रहा था ..

पंडित जी उसके पीछे गए और उसके गले में बाहें डालकर उसे अपने बदन से लगा लिया ..

पंडित : ”खाना तो तुमने खिला दिया अब कुछ मीठा हो जाए …”

”छोड़िये मुझे पंडित जी …आपके पास ये मिठाई है ना ..इसे ही खाइए ..” माधवी ने अपनी बातों से विरोध जताया पर पंडित जी की बाजुओं से छूटने की कोई कोशिश नहीं की .

पंडित : “ओहो …तो तुम इसे यहाँ पर देखकर नाराज हो रही हो ..देखो …समझने की कोशिश करो ..जैसे तुम्हे मजा आता है मेरे साथ, इसे भी आता है ..और देखा जाए तो तुम्हारे पास तो गिरधर है जो तुम्हे चोदकर तुम्हे मजे दे देता है, पर इस विधवा के पास कोई नहीं है ..इसलिए इसको शारीरिक सुख देकर मैं बस समाज सेवा ही कर रहा हु ..और मेरी इसी समाज सेवा के बदले ही ये रितु को फ्री में टयूशन पढ़ाती है …तुम्हे तो इसका एहसानमंद होना चाहिए …”

पंडित ने अपनी चाशनी जैसी जबान से उसे कान में धीरे -२ समझाया ..

और वो समझ भी गयी, उसने सोचा, पंडित जी ठीक ही तो कह रहे हैं ..और वैसे भी, वो जो कुछ भी करे, जिसके साथ मर्जी सम्बन्ध रखे, उसे क्या ..जब तक उनका लम्बा लंड उसे मजा दे रहा है, उसे इन बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए ..

ये सोचते हुए उसने अपनी मोटी गांड को पीछे की तरफ दबा कर पंडित जी की धोती में छुपे हुए सांप को जगाने की कोशिश की, पर वो तो पहले से ही जाग रहा था ..और माधवी की गोल मटोल गांड का दबाव अपने ऊपर पाकर वो और जोर से फुफकारने लगा ..पंडित जी के दोनों हाथ माधवी के स्तनों पर आ गए और वो उन्हें गुब्बारों की तरह दबाने लगे ..

माधवी के मुंह से हलकी – २ सिस्कारियां निकलने लगी ..

”अह्ह्ह्ह्ह ….उम्म्म्म ….पंडित जी …..आप जो चाहे करो …जिसे चाहे चोदो …मुझे क्या …बस मेरी चूत का ध्यान रखा करो …रोज ….अह्ह्ह्ह्ह …”

उसने पंडित का एक हाथ पकड़ कर अपनी चूत वाले हिस्से पर रख दिया ..पंडित ने उसकी पूरी चूत और आस पास के हिस्से का मांस अपनी हथेली में भर कर जोर से दबा दिया ..वो जोर से सिसकारी मारकर उचक गयी और अपनी गांड के बीच में पंडित जी के लंड को पकड़कर जोर से दबा दिया ..

पंडित जी के मुंह से भी हलकी सी चीख निकल गयी ..
पंडित जी ने उसके सूट को नीचे से पकड़कर ऊपर उठा दिया ..और गले से निकाल कर नीचे फेंक दिया ..माधवी ने क्रीम कलर की ब्रा पहनी हुई थी ..

पंडित जी ने अपना चेहरा नीचे किया और अपने गीले होंठ उसके कंधे पर चिपका दिए ..और जोर – २ से सक करते हुए उसके बदन का नमक पीने लगे ..

”उम्म्म …पंडित जी ….अह्ह्ह ……” उसने अपना एक हाथ ऊपर किया और पंडित जी के सर को पकड़ कर अपने कंधे पर और जोर से दबा दिया …

पंडित जी ने जब अपने होंठ वहां से हटाये तो देखा की उसके कंधे पर एक गहरा लाल निशान बन चुका है ..वो अपने होंठों को उसके बदन से चिपकाए हुए ही उसकी पीठ पर आये और अपनी जीभ से वहां का पसीना साफ़ करते हुए उसकी ब्रा के हुक तक पहुँच गए ..और अपनी मुंह में फंसाकर उन्होंने उसकी ब्रा को खोल दिया ..

माधवी को ऐसा लग रहा था की उसकी पीठ पर कोई गरम और गीली चीज घूम रही है ..जिसकी तपिश से वो जल कर भस्म हो जायेगी ..

ब्रा के खुलते ही उसके मोटे मुम्मे छिटक कर बाहर निकल आये ..और पंडित ने एक ही झटके में उसे अपनी तरफ घुमा कर अपने होंठों में उसका दांया निप्पल दबोच लिया और उसका दूध पीने लगे ..

माधवी के होंठ कांपने लगे ..उसके बदन पर चीटियाँ सी रेंगने लगी ..आज पंडित जी कुछ ख़ास ही मूड में थे ..

पंडित जी ने कुछ देर तक उसका दांया स्तन चूसा जिसकी वजह से माधवी का निप्पल पूरी तरह से खडा होकर चमकने लगा फिर बांये की बारी आई और उसे चूसने लगे ..और फिर उसे भी खड़ा छोड़कर वो नीचे की तरफ खिसक गए …माधवी ने भी अपने हाथों का जोर लगाकर उन्हें नीचे जाने में मदद की ..

पंडित जी का मुंह सीधा जाकर उसकी रसीली, नशीली, गीली सी चूत पर गया और उन्होंने कपडे समेत उसे मुंह में भर कर जोर से चूस लिया …

उसने नीचे पेंटी नहीं पहनी हुई थी ..शायद चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार होकर आई थी वो भी ..

सिर्फ हल्का सा कॉटन का कपडा बीच में होने की वजह से माधवी की चूत का सारा रस उनके मुंह में चला गया …उन्होंने सलवार का महीन कपड़ा चूस चूसकर वहां पर अटका हुआ सार रस पी लिया …

फिर उन्होंने अपने दांतों का प्रयोग करते हुए उसकी सलवार का नाड़ा भी खोल दिया ..इतना हुनर पता नहीं पंडित जी ने कहाँ से सीखा था ..

नाड़ा खुलते ही उसकी सलवार सीधा नीचे गिर गयी ..और पंडित जी की आँखों के सामने अब उसका ताजमहल पूरा नंगा खडा था ..भीगा हुआ सा ..अपने ही रस में नहाया हुआ ..

पंडित ने अपने हाथ की बीच वाली ऊँगली उसकी चूत की दरार में फंसाई और एकदम से एक नयी धार निकल कर बाहर आ गयी और पंडित जी की हथेली पर आकर ठहर गयी ..पंडित जी ने वो रस अपने मुंह से लगा कर चाट लिया ..उसे चाटते ही उनके अन्दर का शैतान जैसे जाग गया ..उन्होंने उसे धक्का देकर अपने बेड पर लिटाया और उसकी दोनों टाँगे ऊपर हवा में उठाकर उसकी चूत से खीर निकाल निकाल कर खाने लगे ..

माधवी का सर सीधा शीला की कमर के ऊपर जा लगा जैसे कोई तकिया हो ..पर गहरी नींद में होने की वजह से शीला को इस बात का कोई एहसास नहीं हुआ ..

”अयीईईइ …..अह्ह्ह्ह्ह ….पंडित जी ……उम्म्म्म्म …….चूसिये ना ….और जोर से …अह्ह्ह ….यही है …मीठा मेरे पास …खा लो …सारी मिठाई आपकी है ….उम्म्म्म …”

पंडित ने अगले दो मिनट के अन्दर ही उसका असली दूध निकल कर बाहर आने लगा जिसे पंडित ने चपर -२ करके पूरा पी लिया ..

ओर्गास्म के वक़्त माधवी के हाथ ऊपर चले गए ..और एक हाथ से शीला के बाल और दुसरे से उसकी गांड के मांस को दबाते हुए जोर से चिल्लाती रही …और अंत में नीचे आकर वो बेहाल सी होकर गहरी साँसे लेने लगी .

शीला के बदन की चादर उतर चुकी थी ..और उसकी नंगी गांड उभर कर चाँद की तरह चमकने लगी .

उसकी ठंडी -२ गांड को मसलने में माधवी को बड़ा मजा आ रहा था ..उसकी गांड के छेद से निकल कर पंडित का रस अभी भी बह रहा था, जिसपर ऊँगली लगते ही माधवी को भी पता चल गया की वो क्या है ..उसने अपनी ऊँगली को अपने मुंह में डालकर चूसा और वो रस चाट गयी ..उसे मजा आया ..वो उठी और दूसरी तरफ जाकर उसने शीला की टांगों को फेला दिया ..और अपना मुंह नीचे करके उसकी गांड के छेद पर लगा दिया ..और वहां से डायरेक्ट पंडित जी का जूस पीने लगी ..गहरी नींद में होने के बावजूद शीला के शरीर से हलकी हलकी तरंगे उठने लगी ..

इसी बीच पंडित जी पुरे नंगे हो गए ..और माधवी के पीछे आकर उसके दिल की आकृति वाली मोटी गांड को अपने कब्जे में ले लिया ..पीछे खड़े होने की वजह से उसकी गांड और चूत दोनों के छेद उन्हें साफ़ नजर आ रहे थे

उन्होंने अपना लंड उसकी चूत में लगाकर होले से धक्का मारा ..उसकी चूत से निकल रहा ताजा और मीठा गन्ने का रस इतनी चिकनाई वाला था की एक ही झटके में उनका पहलवान माधवी के अखाड़े में पूरा पहुँच गया ..और कुश्ती करने लगा उसकी क्लिट के साथ ..कभी उसके मुंह पर घूँसा मारता और कभी उसकी कमर पर …

इसी दौरान शीला जो अभी तक शायद सपने में थी और उसे लग रहा था की पंडित जी उसकी गांड चूस रहे हैं ..उसे माधवी के दांत जोर से अपनी गांड के छेद पर चुभ से गए ..और उसकी नींद एक ही झटके में टूट गयी ..

और जैसे ही उसने पलट कर पीछे देखा वहां का नजारा देखकर वो दंग रह गयी ..उसे सारा माजरा समझते हुए देर नहीं लगी ..

पंडित जी जमीन पर खड़े हुए माधवी को घोड़ी बनाकर उसकी चूत मार रहे थे ..और माधवी उसकी गांड के छेद से रस निकाल कर पी रही थी ..वो दृश्य इतना उत्तेजक था की उसने भी इसका विरोध नहीं किया और उनके साथ ही उनके खेल में कूद पड़ी ..

अब उसने अपना पासा पलट लिया था और वो पीठ के बल लेट गयी …इस तरह से उसकी चूत अब माधवी के चेहरे के बिलकुल ऊपर थी ..माधवी ने अपना मुंह अब उसके आगे वाले छेद पर लगा दिया ..और वहां से निकल रहे झरने से अपनी प्यास बुझाने लगी ..

शीला की चूत के अन्दर कैद उसकी क्लिट काफी बड़ी थी ..जिसे मसलकर पंडित ने कई बार मजे लिए थे ..माधवी ने उसकी क्लिट को अपने हाथों से पकड़ कर बाहर निकाल और उसे छोटे लंड की तरह चूसने लगी ..

शीला से रहा नहीं गया और उसने माधवी को अपने ऊपर खींच लिया ..और उसके होंठों को अपने मुंह में लेकर किसी जोंक की तरह उसका मुंह चूसने लगी ..

माधवी के आगे खिसक कर शीला के ऊपर लेटने की वजह से पंडित का लंड उसकी चूत से बाहर निकल आया था ..

माधवी की चूत अब सीधा शीला की चूत के ऊपर विराजमान थी ..दोनों एक दुसरे की चूत को रगड़ कर मजे ले रही थी ..

पंडित की आँखों के सामने वो नजारा था ..उन्होंने अपना लंड अपने हाथ में पकड़ा और दोनों के बीच में धकेल दिया ..अब दोनों की चूतों के बीच में उनका लम्बा लंड था ..जिसके एक तरफ शीला की चूत थी और दूसरी तरफ माधवी की ..दोनों चूतें अपनी रगड़ देकर पंडित जी के लंड की मसाज कर रही थी .. पंडित ने थोड़ा एंगल बदला और झुक कर अपना लंड नीचे लेती हुई शीला की चूत में डाल दिया ..दूर जोरों से धक्के मारने लगे ..

शीला ने माधवी के मुम्मे पकडे और उन्हें अपने नुकीले नाखूनों से दबाते हुए जोरों से दबाने लगी ..

”अह्ह्ह्ह्ह्ह ….पंडित जी …..क्या मजा आ रहा है आज …आपकी कृपा ऐसी ही बरसती रही ….अह्ह्ह ..तो मुझे परम आनद की प्राप्ति जल्दी ही मिल जायेगी …अह्ह्ह्ह …और तेज चोदो मुझे …अह्ह्ह्ह …पंडित जी …उम्म्म्म्म ..अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ओ उम्म्म्म ….अह्ह्ह ..”

पर वो झड पाती इससे पहले ही पंडित जी ने अपना लंड बाहर खींच लिया और वापिस माधवी की चूत में डाल दिया और धक्के मारने लगे …

अब चिल्लाने की बारी माधवी की थी …

”अयीईइ ….उम्म्म्म्म …पंडित जी ……अह्ह्ह्ह्ह …पेलो मेरे अन्दर ….अह्ह्ह्ह्ह ….और अन्दर ….अपना मुसल …जैसा लंड ….अह्ह्ह्ह्ह …”

और अगले बीस मिनट तक पंडित का यही खेल चलता रहा ..कभी वो शीला की मारते और कभी माधवी कि. ..

वो दोनों तो काफी देर पहले ही झड चुकीं थी ..

और अंत में थक हारकर उनके लंड ने जवाब दे दिया …और दोनों को अपने सामने लिटा कर उन्होंने उनके ऊपर रसीले जूस की बारिश कर दी ..

जिसमे नहाकर और एक दुसरे के जिस्मों से चाटकर दोनों ने सच में परम आनंद की प्राप्ति कर ली .

पर वो तीनों ये नहीं जानते थे की दरवाजे के बाहर एक और इंसान उन्हें छेद से देख रहा है और उनकी चुदाई देखकर और चीखे सुनकर उत्तेजित हो रहा है ..

वो था गिरधर ..

माधवी का पति .

गिरधर ने थोडा वेट करने के बाद पंडित जी कर दरवाजा खडकाया .. वो समझ गए की ये गिरधर ही है ..उसी के आने का टाईम था ये तो ..

उन्होंने दरवाजा खोल दिया ..बाहर गिरधर खड़ा था ..

उसने पंडित जी के सामने हाथ जोड़े ..और बिलकुल धीमी आवाज में कहा : ”पंडित जी ..प्लीस मेरा साथ देना …एक बहुत अच्छा आईडिया आया है अभी ..”

पंडित जी की समझ में कुछ ना आया, पर उन्होंने सर हिला कर अपनी हामी भरी ..और इसके साथ ही गिरधर अन्दर आ गया ..

माधवी और शीला अपनी चुदाई के बाद मुर्छित सी होकर गहरी साँसे ले रही थी …उन्हें तो दरवाजे की आहट भी नहीं सुनाई दी थी ..

गिरधर ने अन्दर आते ही चिल्ला कर माधवी से कहा : ”माधवी ….बेहया …..कमीनी ….हरामखोर ..ये क्या गुल खिल रही है तू …”

माधवी एक दम से सकपका कर उठ बैठी ..वो अपने सामने गिरधर को देख कर एकदम से घबरा गयी ….उसने तो सोचा था की गिरधर को उसके और पंडित जी के संबंधो से कोई परेशानी नहीं है …और खुद गिरधर ने ही उसे कुछ भी करने की छूट दे दी थी …पर आज ये ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ..जैसे उसे पंडित के साथ ये सब करना अच्छा नहीं लगा ..

उसने हकलाते हुए जवाब दिया …: “जी …जी …आ. ..आप …पर …पर …आपने ही …तो …कहा था मुझे की …”

गिरधर ने आगे बढकर एक झन्नाटेदार थप्पड़ मार दिया माधवी के चेहरे पर : “साली कुतिया …मैंने मजाक में कहा था वो सब …और तूने सच मान लिया …मुझे शक तो पहले से था तुझपर …पर आज यकीन हो गया है …की तू धंधे वाली है ..रंडी है तू साली …और तेरे साथ मैं अब एक दिन भी नहीं रह सकता …मेरे घर में रहने की कोई जरुरत नहीं है तुझे आज के बाद ..”

इतना कहकर गिरधर पैर पटकते हुए बाहर जाने लगा ..

माधवी के पैरों की तो जमीन ही निकल गयी ..उसने तो सोचा था की गिरधर भी शायद यही चाहता है ..इसलिए वो पंडित के साथ चल रहे संबंधो को इतनी लापरवाही से निभा रही थी की अगर किसी को पता चल भी जाए तो कोई बात नहीं, उसके पति की रजामंदी तो है न उसके साथ ..पर आज गिरधर का ये रूप देखकर उसे अपने आप पर शर्म आ रही थी ..कल तक जिस पति को वो गालियाँ दे रही थी की उसकी नजर अपनी खुद की बेटी पर है, आज उसी ने रंगे हाथों पकड़ लिया था उसे और पंडित को ..नंगी अवस्था में ..उसका तो अपने पति के अलावा कोई भी नहीं है ..वो कहाँ जायेगी ..क्या करेगी …ये सोचते हुए उसकी आँखों से आंसुओं की धारा निकल पड़ी …

उसने रोते हुए अपने पति के पैर पकड़ लिए : “सुनिए …मुझे माफ़ कर दीजिये …मुझे बहुत बड़ी गलती हो गयी …मुझे माफ़ कर दो …आज के बाद ऐसा नहीं होगा …सुनिए …सुनिए तो ..”

पर गिरधर अपनी हंसी पर बड़ी मुश्किल से कंट्रोल करता हुआ बाहर निकला जा रहा था .

और दूसरी तरफ पंडित और नंगी शीला आराम से उन दोनों का ये तमाशा देख रहे थे ..

पंडित तो समझ गया था की गिरधर आखिर ये किसलिए कर रहा है ..पर शीला अनजान थी इन सबसे ..पर फिर भी वो तमाशा देखने में उसे मजा आ रहा था ..

माधवी बदहवास सी होकर नग्न अवस्था में अपने पति की टांगो से लिपटी हुई थी ..

गिरधर ने गुस्से से उसकी तरफ देखा और उसके बाल पकड़ बड़ी बेदर्दी से उसे ऊपर खींचा , वो चिल्ला पड़ी ..

”अह्ह्ह्ह्ह्ह …….उफ्फ्फ्फ़ दर्द होता है ….छोड़ो मेरे बाल …..”

पर गिरधर के चेहरे पर शिकन का कोई भाव नहीं था ..उसने उसके बालों को पीछे खींचा और उसके स्तनों को बुरी तरह से दबा दिया ..

”आय्य्यीईईइ …….यॆऎए ………क्या ….अह्ह्ह्ह्ह …..दर्द होता है ….”

गिरधर : “भेन की लोड़ी …..साली रांड ….चुदाई करवाते हुए दर्द नहीं होता ….बोल साली …लंड घुसवाती है जब अपनी चूत में पंडित जी का …यहाँ ….तब दर्द नहीं होता …”

उसने माधवी की चूत अपने हाथ की तीन उंगलियाँ डालकर उसे ऊपर उठा दिया …दर्द के मारे बेचारी की हवा निकल गयी …उसने अपने आपको अपने पंजो के बल पर उठा लिया …और अपने हाथ से गिरधर के हाथों को पकड़ लिया और बड़ी मुश्किल से उसके हाथ को खींचकर बाहर निकाला …

उसकी आँखे लाल हो चुकी थी ..उसने सोचा भी नहीं था की उसका पति इतना हिंसक भी हो सकता है ..पर गलती उसी की थी ..इसलिए शायद वो उसकी सजा दे रहा है उसे ..

माधवी की चूत से हाथ निकालने के बाद गिरधर ने देखा की उसपर पंडित जी का वीर्य लगा हुआ है ..जिसे माधवी ने अभी -२ अपनी चूत के अन्दर लिया था ..

ये देखकर गिरधर और भड़क गया ..

”साली ….बेशरम ….पंडित जी का माल अपनी चूत में डाल रखा है …इनका बच्चा पैदा करना है क्या तुझे …बोल हरामजादी …”

इतना कहकर उसने वो सार वीर्य उसके मुंह में दाल कर अपनी उँगलियाँ साफ़ कर ली …और उस बेचारी ने उसे मुंह में ही रख लिया ..कुछ न बोली वो ..

वो आगे बोला : ”मुझे तो लगता है की तेरी ये आदत शादी से पहले की है ..ना जाने कितनी बार चुदवा चुकी होगी तू ..मुझे तो लगता है की रितु भी मेरी बेटी नहीं है …वो तेरे किसी यार की अय्याशी का नतीजा है …है ना …बोल कुतिया …बोल ”

माधवी गिडगिडा उठी : “नहीं जी ….ऐसा मत कहिये …वो आप ही का खून है ..आपकी ही बेटी है …मेरा कोई सम्बन्ध नहीं था किसी के साथ …”

गिरधर : “अच्छा तो ये क्या है …मैं अगर अभी ना आता तो मुझे कभी पता ही नहीं चलता की तू ये गुल भी खिला रही है …भेन चोद …मुझे रितु को हाथ लगाने भर से रोक रही थी ..और पुरे दो महीने तक हाथ नहीं लगाने दिया मुझे खुद को भी …और खुद यहाँ रंगरेलिया मना रही है …चूत के अन्दर पंडित जी का प्रसाद ले रही है ..रांड कहीं की …चुद्दकड़ …अब तू मेरे घर नहीं रहेगी ..और अब रितु पर भी तेरा कोई अधिकार नहीं है ..वो मेरे घर रहेगी …पर मेरी बेटी बनकर नहीं ..”

उसकी बात का मतलब समझकर माधवी की आँखे फेल सी गयी ..उसके दिमाग ने जैसे काम करना बंद कर दिया ..अगर वो अपनी बेटी के साथ नहीं रहेगी तो गिरधर पता नहीं उसकी फूल सी बेटी के साथ क्या सलूक करेगा ..हे भगवान् …ये क्या कर दिया मैंने …”

माधवी : “नहीं …आप ऐसा मत कहिये …मुझे घर से मत निकालिए ..मुझे जो सजा देनी है…वो दीजिये …आप जो कहेंगे मैं करने के लिए तैयार हु ..पर मुझे घर से मत निकालिए ..”

और इतना कहकर वो फफक-फफक कर रोने लगी ..

गिरधर भी शायद यही सुनना चाहता था …उसके चेहरे पर एक कुटिल सी विजयी मुस्कान आ गयी ..

उसने उसके दोनों मुम्मों के निप्पल अपने हाथो में पकडे और उसे ऊपर की तरफ खींचने लगा और बोला : “ठीक है …पर तुझे वही करना होगा जो मैं कहूँगा ..जो मैं चाहूँगा …समझी कुतिया …”

उसने दर्द को बर्दाश करते हुए हाँ में सर हिलाया ..

गिरधर पंडित जी के बेड पर आकर बैठ गया जहाँ शीला नंगी लेटी हुई थी ..और उसने अपने सारे कपडे उतार दिए ..और माधवी से कहा …: ”चल यहाँ आ ..और अपने हाथों का उपयोग किये बिना मेरे पैरों को चाटती हुई मेरे लंड तक आ और उसे चूस …”

उसने हेरानी से अपने पति की तरफ देखा, जैसे उसे विशवास ही नहीं हुआ हो अपने कानो पर ..इतनी गालियाँ और बेइज्जती करने के बाद गिरधर उसे पंडित जी और शीला के सामने और जलील करना चाहता है ..पर उसके सामने कोई और चारा नहीं था ..उसने रोते -२ अपने हाथ पीछे किये और उन्हें एक दुसरे से बाँध लिया …और अपनी जीभ निकाल कर उसके पैरों पर रख दी और चाटने लगी ..

इस समय उसे अपनी हालत सच में एक कुतिया की तरह लग रही थी ..

वो चाटती हुई ऊपर तक आई ..उसकी जांघे चाटती हुई और ऊपर आई ..गिरधर के पुरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ रही थी ..उसने बड़ी मुश्किल से अपनी सिस्कारियों पर काबू किया हुआ था …और जैसे ही माधवी की गीली जीभ ने उसके टटों को छुआ गिरधर के हाथ उसके सर के पीछे आ लगे …और उसने एक ही झटके में अपना पूरा जंगली लंड उसके मुंह में पेल दिया …

वो सोच रहा था की जो औरत कल तक उसके लंड को मुंह लगाने से कतराती थी वो आज उसके पैरों को भी चाट रही है ..और लंड को भी ..

माधवी के गले तक जा पहुंचा था उसके पति का लंड एक ही बार में …उसे ऐसा लगा जैसे उसे उल्टी आ जायेगी ….वो फडफडा उठी ..पर गिरधर ने उसकी इतनी से पकड़ी हुई थी की वो कुछ ना कर पायी …

पंडित को भी गिरधर का ये खेल पसंद आ रहा था ..वो आज काफी चुदाई कर चुके थे ..इसलिए उसके साथ इस खेल में कूदने का उनका कोई विचार नहीं था …पर लंड कब खड़ा हो जाए ये तो वो भी नहीं जानते थे ..

और दूसरी तरफ शीला को ये सब काफी पसंद आ रहा था ..उसकी भी एक दबी हुई सी इच्छा थी की कोई उसे भी ऐसे ही डोमिनेट करे ..गालियाँ दे …मारे ..पर हर इच्छा तो पूरी नहीं होती ना ..पर ये सब देखते हुए उसकी चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी ..

वो सरक कर गिरधर के पीछे पहुंची और उसकी पीठ से अपने मोटे मुम्मे चिपका दिए ..और उसकी गर्दन पर गीली – २ पप्पियाँ करने लगी …

गिरधर को भी उसका ये बर्ताव पसंद आया उसने अपना हाथ पीछे किया और उसके बालों से पकड़कर उसे उतनी ही बेदर्दी से आगे की तरफ खींचा जितनी बेदर्दी से उसने माधवी को पकड़ा था ..
वो दोनों के साथ एक ही तरह का बर्ताव कर रहा था ..

वो दोनों के साथ एक ही तरह का बर्ताव कर रहा था ..

”अय्यीईई ……उम्म्म्म ……गिरधर …..अह्ह्ह्ह्ह ….धीरे …..”

शीला की दर्द भरी सिसकारी सुनकर माधवी ने ऊपर की तरफ देखा ..उसका पति उसके ही सामने शीला को आगे खींचकर उसके मुम्मे दबा रहा था और उसके होंठों को जोर से चबा रहा था ..

उसने गिरधर का लंड बाहर निकाल कर कुछ कहना चाहा पर उसका एक और झन्नाटेदार थप्पड़ आ पड़ा उसके चेहरे पर …और वो किसी कुतिया की तरह बिलबिलाती उठी और उसने फिर से उसके लंड को अपने मुंह में भरा और जोर से चूसने लगी ..

वो समझ चुकी थी की आज उसे वो सब करना होगा जो उसका पति चाहता है और वो सब सहना होगा जो वो उसके साथ कर रहा है ..वो पूरी तरह से असहाय थी ..किसी गुलाम की तरह से अपने हाथ पीछे किये हुए वो उसका लंड चूस रही थी .

जिस तरह से झुक कर माधवी अपने पति का केला खा रही थी, पंडित को उसके पिछवाड़े की रूपरेखा साफ़ दिखाई दे रही थी, उसने आज तक जब भी किसी की गांड या चूत मारी थी, इतना साफ़ और क्लीयर द्रश्य उसने आज तक नहीं देखा था ..किसी बड़े से दिल की आकृति लग रही थी उसकी गांड की, दोनों छेद एक साथ नजर आ रहे थे ..जैसे गोलकुंडा और ताजमहल अड़ोस – पड़ोस में रख दिए हो …

उसकी पारखी नजरों ने देख लिया की ऐसे बर्ताव के बावजूद उसकी चूत का गीलापन और भी ज्यादा हो चूका था ..

गिरधर के स्वभाव में कोई कमी नहीं आ रही थी ..वो और भी हिंसक सा हो चूका था ..

अब उसका हिंसकपन शीला पर उतर रहा था ..उसने शीला को अपनी गोद में लिटा लिया और झुक कर उसकी नाभि वाले हिस्से पर अपने तेज दांत गाड़ दिए ..

”ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …….माआ ……….अह्ह्ह्ह्ह्ह ………”

वो दर्द से दोहरी होकर उसके चेहरे से पूरी लिपट गयी …शीला के पुरे शरीर ने उसके चेहरे को अपने अन्दर छिपा सा लिया .

गिरधर ने अपने दांये हाथ की चार उँगलियाँ एक साथ उसकी गीली चूत में घुसा दी ..

वो और भी बुरी तरह से छटपटाने लगी …और नीचे फिसलकर लंड चूस रही माधवी के मुंह पर जा गिरी ..

गिरधर का लंड उसके मुंह से बाहर आ गया ..

उसने माधवी के बाल पकड़ कर उसे ऊपर उठाया और दुसरे हाथ से शीला को उठा कर दोनों को एकदूसरे के सामने घुटनों पर खड़ा कर दिया ..और बोल : “चलो …चुसो एक दुसरे को …”

दोनों ने एक दुसरे को देखा और फिर गिरधर को …और फिर शीला ने पहल करते हुए अपने होंठ आगे किये और माधवी को स्मूच कर लिया ..कुछ देर में ही माधवी भी रंग में आने लगी और दोनों एक दुसरे के बालों में हाथ फिराते हुए जोर – २ से एक दुसरे को चूमने चाटने लगी ..

इसी बीच गिरधर खड़ा हुआ और अपने लंड को जोर – २ से हिलाने लगा …और एक दम से ही उन दोनों के चेहरे के पास अपने पाईप को लाकर उसमे से तेज धार निकालकर उनके चेहरे को भिगोने लगा ..

पंडित ने ध्यान से देखा …ये उसका वीर्य नहीं था …बल्कि पेशाब था ..जो वो उनके चेहरे पर कर रहा था ..

पंडित के साथ -२ वो दोनों भी गिरधर की ऐसी जलील हरकत से चोंक गयी …अपने चेहरे पर गिर रही पेशाब की धार से बचने के लिए जैसे ही माधवी पीछे होने लगी, गिरधर का एक और चांटा उसके सर के ऊपर पडा ..और वो रोती हुई अपनी आँखे बंद करके वहीँ पर बैठ गयी …

दूसरी तरफ शीला को शायद ये भी मजेदार लग रहा था ..वो खुलकर उस धार को अपनी छाती , मुंह , आँख और चूत वाले हिस्से पर गिरवा रही थी ..और गर्म धार के साथ वो भी गर्म होती जा रही थी ..

उसने आगे बढकर गिरधर के लंड को पकड़ा और अपने मुंह में धकेल दिया …और बाकी का बचा हुआ पानी सीधा अपने अन्दर ले लिया ..

माधवी उसकी ऐसी हरकत को देखकर हेरान रह गयी ..और पंडित भी ..

दोनों ने शायद नहीं सोचा था की शीला को ये सब चीजें भी पसंद है .

गिरधर ने उन दोनों के चेहरे के बीच अपना लंड लटका दिया ..और बोला : “चलो …चुसो दोनों इसे मिलकर …”

उन दोनों ने अपनी -२ तरफ वाले हिस्से पर अपने होंठ लगाए और उसे बर्फ वाली आइसक्रीम की तरह चूसने और चाटने लगी ..

बीच – २ में उन दोनों के होंठ आपस में भी टच हो रहे थे …और गिरधर भी कभी अपना पूरा लंड माधवी और कभी शीला के मुंह में डालकर उनसे चूसवाने लगा .

पंडित के लंड की नसें भी दौड़ने लगी इतना कामुक सीन देखकर ..

वो अपने लंड पर हाथ रखकर उसे मसलने लगे .

गिरधर से भी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था ..उसने दोनों को डोगी स्टाईल में खड़े होने को कहा …

दोनों एक दुसरे की बगल में कुतिया बनकर खड़ी हो गयी ..गिरधर पीछे से आया …और अपना हुंकारता हुआ सिपाही सीधा लेजाकर शीला की फुद्दी में पेल दिया …वो घोड़ी की तरह हिनहिना उठी और अपने आगे वाले हाथों को ऊपर करके खड़ी सी हो गयी …और उसने अपनी चूत मार रहे गिरधर के गले में अपने हाथ डाल दिए …और पीछे मुंह करके उसे चूम लिया …

आसन थोडा मुश्किल था इसलिए धक्के बहुत धीरे लग रहे थे ..पर मजा दोनों को बहुत आ रहा था ..

थोड़ी देर की ठुकाई के बाद गिरधर ने उसे आगे धक्का दे दिया और फिर से कुतिया वाले आसन में लाकर उसे पेलने लगा …

”अह्ह्ह्ह्ह्ह ….ओह्ह्ह्ह …गिरधर …..उम्म्म्म …चोदो ….मुझे ….अह्ह्ह हाँ ..ऐसे ही ….ऐसी चुदाई चाहती थी मैं …..हाँ ….आज मेरी इच्छा पूरी हो गयी ….उम्म्म्म्म्म्म ….अह्ह्ह्ह …”

वो झड पाती इससे पहले ही गिरधर ने उसकी चूत से लंड वापिस खींच लिया ..और ललचाई नजरों से उनकी चुदाई देख रही माधवी की चूत में पेल दिया ..

वो कसमसा उठी …पर कुछ बोली नहीं ..उसकी चूत पहले से ही चिकनी हुई पड़ी थी ..

गिरधर ने एक जोरदार हाथ मारकर उसकी चाँद सी गांड पर अपने हाथ के पंजे का निशान छोड़ दिया ..

वो बिलबिला उठी ..

”अय्य्यीईइ …….मर्र्र गयी …….क्या कर रहे हो जी ….”

गिरधर : “भेन चोद ….तेरी करनी की सजा दे रहा हु तुझे रंडी …एक तो तू गलती करे ऊपर से चुदाई भी मिले …ऐसा तो हो नहीं सकता न …ये ले …”

इतना कहकर उसने एक और जोरदार पंजा मारकर दूसरी तरफ भी अपनी उँगलियों का टेटू बना दिया ..

फिर उसने वहां से भी अपना लंड खींच लिया और माधवी को पीठ के बल नीचे लेटने को कहा ..

और शीला को उसके मुंह पर बैठने को बोला ..अब शीला की रंगीन चूत बिलकुल माधवी के होंठो पर थी …गिरधर के कहने पर माधवी ने उसे चूसना शुरू कर दिया .

शीला अपनी चूत चुसवाते हुए खड़ी हुई फसल की तरह लहराने लगी ..

तभी गिरधर शीला के सामने की तरफ आया और उसने शीला को पीछे की तरफ होकर अपनी पीठ पर लेटने को कहा ..वो माधवी के शरीर के ऊपर लेट गयी ..गिरधर ने अपना लंड लेजाकर शीला की चूत के दरवाजे पर रखा और अन्दर धकेल दिया ..

एक मजेदार आह की आवाज निकालकर गिरधर के लौड़े को कबूल किया अपनी चूत के अन्दर .

”उम्म्म्म्म्म ….अह्ह्ह्ह …क्या बात है …..कितना सख्त है तुम्हारा लंड ….उम्म्म… ”

गिरधर ने अपना लंड तो शीला को भेंट कर दिया ..पर नीचे लटक रही उसकी गोटियाँ माधवी के होंठों पर नाच रही थी ..वो अपना मुंह इधर उधर करके उनसे बचने की कोशिश कर रही थी ..

पर गिरधर के दिमाग में उसे जलील करने का एक और विचार घूम रहा था ..उसने अपनी गोटियाँ पकड़कर माधवी के मुंह में डाल दी और चिल्ला कर उन्हें चूसने को कहा ..

और शीला की कमर पर हाथ रखकर उसके शरीर को आगे पीछे करने लगा ..और उसका लंड अब वहीँ खड़ा होकर उसके हिलते हुए जिस्म के नीचे चिपकी हुई चूत के मजे लेने लगा ..

शीला काफी देर से झड़ने के करीब थी ..इसलिए गिरधर के आठ-दस झटकों के बाद उसकी चूत से गर्म रस की रिसायीं होने लगी …और वो जोर -२ से चिल्लाती हुई झड़ने लगी ..

”अह्ह्ह्ह्ह्ह …….उम्म्म्म्म …मैं तो गयी …..अह्ह्ह्ह्ह्ह …….म्म्म्म्म्म्म्म ……”

गिरधर ने झटके से अपना लंड पीछे खींच लिया …और शीला की चूत से निकल रहा सारा रस सीधा माधवी के खुले हुए मुंह के अन्दर जाने लगा ..वो बेचारी बिना किसी विरोध के उसे पी गयी …

अपनी खाली हो चुकी चूत के साथ शीला एक तरफ लुडक गयी …और गहरी साँसे लेकर अपने आप को नियंत्रित करने लगी ..

गिरधर अब बिस्तर पर जाकर लेट गया और माधवी के बाल पकड़कर उसे भी ऊपर ले गया ..

और उसे अपने ऊपर लाकर लिटा लिया …और एक ही झटके में उसकी चूत के दरवाजे तोड़ता हुआ अपना शाही लंड फिर से उसके दरबार में पहुंचा दिया ..

तो तड़प उठी ..दर्द से ..जंगलीपन से …जिल्लत से ..

पर गिरधर पर तो जैसे आज कोई भूत सवार था ..उसने पंडित जी की तरफ देखा ..वो भी तैयार हो चुके थे ..उनका स्टेमिना देखकर गिरधर को भी रश्क सा होने लगा उनसे ..

उसने पंडित जी को इशारा करके ऊपर आने को कहा ..वो समझ गए की गिरधर क्या चाहता है …वो बेड पर चडे और नीचे झुककर अपने लंड को माधवी की गांड पर लगा दिया ..

अपने पीछे एक दुसरे लंड का एहसास होते ही माधवी का शरीर सिहर उठा ..वो कुछ कहना चाहती थी ..पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी ..पंडित जी के करारे प्रहार से उनका दूत उसकी गांड के अन्दर जाकर अपना सन्देश पड़ चुका था …अब वो सिर्फ चिल्लाने और सिस्कारियां मारने के अलावा कुछ और नहीं कर सकती थी .

दोनों ने अगले बीस मिनट में उसकी चूत का बेन्ड बजा दिया ..पर उस बेन्ड की आवाज सुनकर दोनों पर कोई असर नहीं पड़ा …वो तो बस उस धुन पर अपने – २ लंड को नचाते रहे …

और लगभग आधे घंटे के बाद दोनों ने अपना-२ रस उसकी चूत और गांड में निकाल दिया …माधवी तो जैसे बेहोश हो चुकी थी ..वो निर्जीव सी होकर नीचे फिसल गयी ..और दोनों उठकर अपने-२ कपडे पहनने लगे …
शीला ने तो वहीँ रहना था, इसलिए वो नंगी पड़ी रही कोने में …

माधवी ने जैसे तैसे कपडे पहने और फिर गिरधर उसे अपने साथ वापिस ले गया ..

आज जैसी चुदाई उसकी आज तक नहीं हुई थी …डबल पेनेट्रेशन सहना हर किसी के बस की बात नहीं है ..इसलिए चलते हुए उसकी टाँगे कांप रही थी .

पंडित ने दरवाजा बंद कर लिया ..और नंगा ही आकर अपने बेड पर आकर लेट गया ..अपनी फेक्ट्री की सफाई करके शीला भी उनके साथ आकर सो गयी …दोनों थक चुके थे ..रात के बारह बजने वाले थे ..इसलिए वो जल्दी ही सो गए ..इतनी चुदाई के बाद दोनों थक चुके थे ..पर पंडित और शीला ने सहमति से ये डिसाइड किया की तीन बजे उठ कर एक बार और चुदाई करेंगे ..

दूसरी तरफ, माधवी और गिरधर अपने घर की तरफ जा रहे थे ..और जाते – २ भी गिरधर माधवी को परेशान करता हुआ , उसकी गांड पर हाथ मारता हुआ, उसे गन्दी-गन्दी गालियाँ देता हुआ चल रहा था ..उसने अपनी जेब से एक पव्वा निकाला और पीने लगा ..उसकी गालियाँ नशे के साथ बढती चली जा रही थी ..

गिरधर : “भेन की लोडी …आज तूने अपना रंग दिखा ही दिया ..किसी के भी आगे अपनी टाँगे खोल कर लेट जाती है भूतनीकी ..भेन चोद ..ये बता तुझे मेरा लंड कम पड़ता है क्या …जो पंडित के सामने अपना भोसड़ा खोल कर बैठ गयी …बोल हरामजादी …”

कहते हुए गिरधर ने उसकी गांड पर एक करारा हाथ दे मारा …माधवी दर्द से तिलमिला उठी .

”आयीईई …बस करो ….अब और कितना जलील करोगे …मुझे तो लगा था की तुम भी यही चाहते हो ..इसलिए …इसलिए ..”

एक और चांटा आकर उसके गाल पर पड़ा :”भेन चोद …जबान लड़ातीहै ..उल्लू की पट्ठी ..कौन सा पति ये चाहता है की उसकी बीबी का किसी और के साथ सम्बन्ध हो ..पर तुझे तो इन सब बातों का कोई असर ही नहीं है ..तेरी चूत में तो खुजली हो रही थी ..लंड चाहिए था तुझे तो ..मेरी बातें समझने की इतनी ही अकल है तुझमे तो ये नहीं समझी की मैं रितु के साथ क्या करना चाहता हु ..”

माधवी : “पर …वो आपकी बेटी है ..”

गिरधर : “बेटी गयी तेल लेने …जैसी रंडी तू है ..वैसी ही वो भी बनती जा रही है ..आजकल उसके तेवर देखे हैं तूने ..कैसे गांड मटका कर चलती है ..ऐसे कपडे पहनती है की मन करता है बीच चोराहे पर उसे घोड़ी बना कर चोद डालू …साली …रंडी की औलाद रंडी ..”

माधवी (रोते हुए ) : “भगवान् के लिए ऐसा मत बोलिए ..अपनी बेटी के लिए ..उसे इन सब बातों की समझ नहीं है ..”

गिरधर : “वो तो तुझे मैं दिखा दूंगा ..किन बातों की समझ है उसमे और किन बातों की नहीं ..”

माधवी बेचारी असहाय सी होकर उसकी बातें सुनती रही और वो दोनों चलते रहे ..

रात काफी हो चुकी थी ..अँधेरा भी काफी था .

एक बड़े से चोराहे पर पहुंचकर जब वो दोनों सड़क क्रॉस कर रहे थे तो पीछे से एक आवाज आई : “क्या भाव है इसका …”

गिरधर को तो एक पल लगा कोई उससे सब्जी का भाव पूछ रहा है ..वो नशे में था ..पर तभी उसे ध्यान आया की उसके पास ठेला तो है नहीं ..फिर किस चीज का भाव पूछ रहा है कोई ..

उसने मुड कर देखा ..एक पचास साल का मुसलमान (उसकी बिना मूंछ की लम्बी दाड़ी थी) खड़ा था ..उसने फिर से पूछा : “क्या रेट है तेरी आइटम का ..बोल साले भड़वे ”

ओह तेरी की …अब गिरधर की समझ में आया ..दरअसल वो जिस चोराहे से गुजर रहे थे वो वहां का रेड लाइट एरिया था ..जहाँ सड़क पर रंडियां और उनके दलाल घूमते रहते थे ..पर रात काफी होने की वजह से वहां अब लगभग सन्नाटा था ..पर इस मुल्ले को लगा होगा की माधवी कोई रंडी है और गिरधर उसका दल्ला .

माधवी ने उसकी बात को नरन्दाज किया और आगे चल दी ..पर गिरधर वहीँ खड़ा हुआ कुछ सोचने लगा ..उसके शेतानी दिमाग ने काम करना शुरू कर दिया ..

वो उस मुल्ले से बोला : “ये कोई ऐसा वैसा माल नहीं है साब ..एकदम कड़क है ये ..”

और ये मुसलमान कोई और नहीं ..इरफ़ान था ..नूरी का पिता . जो अपनी बीबी के मरने के बाद अक्सर इस इलाके में आता और अपनी संतुष्टि करके वापिस चला जाता ..

पर इरफ़ान और गिरधर / माधवी एक दुसरे को नहीं जानते थे .

इरफ़ान : “वो तो लग ही रहा है ..इसे आजतक मैंने पहले नहीं देखा यहाँ ..और तो और ऐसा माल ही नहीं देखा आज तक इस इलाके में ..”

वो अपने पायजामे में खड़े हुए लंड को मसलने लगा ..

गिरधर को ऐसी बातें करता देखकर माधवी के पैरों के नीचे से जमीन ही निकल गयी …उसने गिरधर को अपने पास बुलाया और बोली : “ये क्या कर रहे हो आप …मुझे रंडी समझ कर वो भाव पूछ रहा है और आप भी उसका साथ दे रहे हैं …चलो जल्दी से यहाँ से ..ये इलाका इन्ही बातों के लिए बदनाम है ..”

गिरधर गुर्राया : “चुप कर भेन की लोडी …तू मुझे न समझा की मैं क्या करू और क्या नहीं ..जब अपने यार पंडित से अपनी माँ चुदवा रही थी तब तुझे इन सब बातों का पता नहीं था क्या ..वो भी तो रंडीपन ही था …और ये भी वही है ..तू उसे फ्री में अपनी चूत बांटती फिर रही थी ..अब वही चूत के पैसे मिलेंगे तो तुझे अखर रहे हैं ..चुप चाप खड़ी रह और वही कर जैसा मैं कहता हु ..वरना कल ही तुझे तलाक दे दूंगा और सभी को तेरी और पंडित की करतूत के बारे में बता दूंगा ..”

गिरधर की धमकी सुनकर बेचारी माधवी सिसक – २ कर रोने लगी ..वो समझ चुकी थी की वो गिरधर के सामने पूरी तरह से असहाय है ..”

गिरधर वापिस इरफ़ान भाई के पास गया .

इरफ़ान : “क्या हुआ मियां …कोई परेशानी है क्या ..”

गिरधर : ”अरे नही साब …नयी है न इस धंधे में …अभी एक कस्टमर बैठ कर गया है … इसलिए मना कर रही है ..”

इरफ़ान : ”एक दिन में सिर्फ एक बार …साली की टाईट होगी तब तो …”

उसकी आँखों से हवस टपक रही थी ..

गिरधर बोल : “आप बताओ साहब ….कैसी लगी आपको ..”

इरफ़ान : “तभी तो पुछा था ..क्या रेट है ..जल्दी बोल ..”

गिरधर समझ गया की वो उसकी बीबी के जिस्म को देखकर मस्त हो चूका है ..

वो बोला : “पुरे पांच हजार ”

इरफ़ान : “भाई ये तो बहुत ज्यादा है …कुछ तो कम करो ..”

गिरधर : “साब …ऐसा माल आपको दोबारा नहीं मिलेगा …सोच लो ..”

इरफ़ान : “यार बात तो तू सही कह रहा है …चल ठीक है ..तू भी क्या याद रखेगा ..”

इतना कहकर उसने अपनी जेब से हजार के पांच नोट निकाल कर उसके हाथ में रख दिए ..

गलियों में सब्जी बेचने वाले गिरधर ने एक साथ इतने पैसे नहीं देखे थे ..वो फटी हुई आँखों से उन नोटों को देखता रह गया ..

इरफ़ान : “पर तुम्हारा अड्डा कहाँ है …कहाँ लेकर जाऊ इसको ”

गिरधर : “साब …अब तो सरे अड्डे बंद हो चुके हैं ..हम भी बस वापिस ही जा रहे थे ..इसलिए आपको यहीं कहीं झाड़ियों में ..या फिर सडक किनारे करना पड़ेगा ..”

इरफ़ान : “तेरी आइटम के बदले और कोई होता न तो अभी मना कर देता ..पर अब रुका नहीं जा रहा ..चल उधर चल ..वहां काफी घनी झाड़ियाँ है ..”

गिरधर ने हक्की बक्की होकर खड़ी हुई माधवी का हाथ पकड़ा और इरफ़ान के पीछे चल दिया ..

वो जानती थी की उसके पति ने एक रात के लिए उसका सौदा कर दिया है ..और वो भी 50 साल के एक मुसलमान के साथ ..पर वो गिरधर की धमकी से सहम चुकी थी ..इसलिए कुछ नहीं बोल पा रही थी .

वहीँ मेन रोड के बीचो बीच एक सरकारी नर्सरी थी ..जहाँ काफी पेड़ पोंधे रखे हुए थे …उसके दोनों तरफ पांच फुट ऊँची झाड़ियाँ थी ..
और अँधेरा भी था ..

वहां जाकर इरफ़ान बोला : “ये जगह सही है …किसी को कुछ दिखाई भी नहीं देगा ..”

माधवी उसकी बात सुनकर भोचक्की रह गयी ..वो उसे बीच सड़क पर चोदना चाहता था ..एक तो पहले से ही उसकी हालत खराब थी और ऊपर से बीच चोराहे पर चुदने के ख़याल से ही वो भयभीत होकर वापिस गिरधर के पास पहुंची और धीरे से बोली : “सुनिए …ये …ये ..क्या कर रहे हैं आप. ..ये इंसान आपकी पत्नी को एक रंडी समझ रहा है ..और उसे बीच रास्ते में चोदना चाहता है ..आपको इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है ..”

गिरधर चिल्लाया : “चुप कर हरामखोर ..ये देख रही है न क्या है …पैसा ..पैसा है ये ..पुरे पांच हजार ..और वो भी तेरी फटी हुई चूत के बदले ..जिसमे तूने मेरे और पंडित के अलावा और ना जाने कितने लंड लिए हैं ..वही समझ के एक और ले ले ..मजे तो तुझे आते ही हैं ..मेरी खातिर एक बार और मजे कर ..”

उसने पैसे जेब में वापिस डाल लिए .

दूसरी तरफ इरफ़ान अपना पायजामा खोलकर खड़ा हो चुका था ..और अपने लंड को हथेली के बीच दबा कर मसल रहा था ..

माधवी कुछ और भी कहना चाहती थी ..पर तभी उसकी नजर इरफ़ान की तरफ चली गयी ..और उसके लंड का साईज देखकर वो पलकें झपकाना भी भूल गयी ..इतना लम्बा …इतना मोटा लंड उसने आज तक नहीं देखा था ..उसकी चूत में कंपकंपी सी छूट गयी ..मुल्ले की उम्र को देखकर लग नहीं रहा था की उसके पायजामे में तोप बंद होगी, जो किसी की भी चूत के परखच्चे उड़ा सकती है ..एक गीले रस की लहर माधवी की चूत को भिगोती हुई बाहर छलक पड़ी .

इरफ़ान ने उसे अपनी तरफ आने का इशारा किया ..वो किसी रोबोट की तरह चलती हुई उसके पास जाकर खड़ी हो गयी ..

इरफ़ान : “वाह …क्या माल है तू ..साली ..कहाँ थी पहले ..”

उसने अपना दांया हाथ उसके बांये मुम्मे पर रखकर जोर से दबा दिया ..उसकी पकड़ इतनी तेज थी की वो चिल्ला पड़ी …”आअयीईई ….ये …क्या ….कर रे हो …धीरे …”

इरफ़ान : “साली …पुरे पांच हजार दिए हैं तेरे दल्ले को ..धीरे करने के लिए नहीं दिए ..समझी ..”

और उसने अपना दूसरा हाथ रखकर उसकी दूसरी ब्रेस्ट को भी दबा डाला .

वो बेचारी दर्द के मारे अपने पंजों पर खड़ी होकर सिसकने लगी ..उसके चेहरे को अपने करीब पाकर इरफ़ान ने अपने पान से भीगे होंठ उसके गुलाबी होंठों पर रख दिए ..और उन्हें पीने लगा ..

माधवी को घिन्न सी आ गयी ..पान की खुशबू उसे काफी पसंद थी ..पर उसके साथ ही तम्बाकू और सुपारी के टुकड़े जब उसके मुलायम होंठो से टकराए तो उसे उलटी सी आने को हुई …

वो छटपटा कर इरफ़ान से अलग हो गयी ..और गिरधर की तरफ दयनीय दृष्टि से देखा ..पर वो हरामी आराम से एक पत्थर पर बैठकर अपने मोबाइल से उन दोनों की मूवी बना रहा था ..और माधवी को अपनी तरफ देखता पाकर चिल्ला कर उससे बोला : “देख क्या रही है कुतिया …चल वापिस जा ..”

वो खून का घूंट पीकर रह गयी ..

इरफ़ान ने पीछे से आकर उसके कुर्ते को पकड़कर उसकी गर्दन से निकाल दिया ..और पीछे से ब्रा भी खोलकर नीचे गिरा दी ..

माधवी एक पत्थर की मूर्ति की तरह खड़ी हुई अपने पति को घूर रही थी ..

इरफ़ान ने उसके कंधे पकड़कर नीचे धकेला …और सीधा अपने लंड के सामने लाकर पटक दिया ..और अपना चाशनी से भीगा हुआ क्रीम रोल उसके मुंह में डालकर धक्के मारने लगा और उसका मुंह चोदने लगा ..

माधवी के होंठ उसके लंड के चरों तरफ ऐसे फंस गए थे मानो इरफ़ान उसका मुंह नहीं गांड मार रहा हो ..

उनकी सारी हरकतें गिरधर रिकॉर्ड कर रहा था ..

अब इरफ़ान से भी सब्र नहीं हो पा रहा था ..उसने माधवी के मुंह को पांच मिनट तक चोदने के बाद उसे खड़ा किया और उसकी कमर में बंधा हुआ सलवार का नाड़ा खोलकर उसे नीचे से भी नंगा कर दिया ..उसने पेंटी नहीं पहनी हुई थी ..

उसकी सफाचट चूत देखकर उसके मुंह में पानी आ गया ..और उसने झुककर उसकी चूत से मुंह लगा दिया …वो तड़प उठी ..

”अह्ह्ह्ह्ह्ह …….ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ….”

उसकी जगह पंडित होता तो वो उसे अब तक चबा जाती …पर अपनी तरफ से सेक्स के लिए वो कोई पहल नहीं करना चाहती थी ..

पर उसके हाव भाव और उसकी सिस्कारियां सब बयां कर रही थी ..

उसने मुल्लाजी के सर के बाल पकड़ लिए और उसके मुंह पर अपनी चूत को रगड़ – २ कर मूली की तरह से घिसने लगी ..

उसकी चूत के अन्दर उसका और पंडित का मिला जुला रस था ..जो सीधा इरफ़ान के मुंह में जाने लगा ..पर उसे शायद उसका एहसास भी नहीं हुआ ..

माधवी हवा में थी और इरफ़ान के मुंह के ऊपर अपने पंजो के बल बड़ी मुश्किल से खड़ी थी .. उसने इधर उधर देखा की कोई पकड़ने का साधन मिल जाए पर कुछ न था वहां …उसने ऊपर देखा तो एक झुके हुए पेड़ की टहनी थी ऊपर ..उसने उचक कर उसे पकड़ लिया और अब वो अपने दोनों हाथ ऊपर करके इरफ़ान के मुंह पर नाच रही थी ..अब उसे भी मजा आने लगा था ..उसने सोचा जब चूत को लंड मिल ही रहा है तो रोते हुए क्यों करवाए ..वो भी अब खुलकर इरफ़ान का साथ देने लगी थी …

अचानक वो डाली टूट गयी और माधवी लडखडाती हुई नीचे मिटटी पर जा गिरी …वहां की जमीन गीली थी ..इसलिए उसे कोई चोट नहीं लगी ..उसका सर अब गिरधर की टांगो के बीच में था ..वो आराम से उसके चेहरे के एक्सप्रेशन अपने मोबाइल में कैद कर पा रहा था ..

इरफ़ान अब उसकी टांगो के बीच लेट सा गया ..उन दोनों को गन्दी और गीली जमीन से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था ..दोनों पर हवस बुरी तरह से चढ़ चुकी थी .

इरफ़ान ने उसकी टांगों को अपने कंधे पर रखा और उसकी चिकनी चूत के अन्दर अपनी तनी हुई जीभ किसी लंड की तरह से पेल दी ..माधवी ने एक जोरदार चीख मारते हुए उसके सर के बाल फिर से पकड़ लिए ..

”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ……ओफ़्फ़्फ़्फ़ ……उम्म्म्म …..चुसो …..अह्ह्ह …हां न… …ऐसे ही ..चुसो …मेरी फुद्दी ….उम्म्म्म ….आअय्य्य्य …..मैं …तो गयी …..”

और उसकी चूत से गर्म पानी का फव्वारा सा निकल पड़ा …और गीली जमीन और गीली हो गयी ..

अपने ओर्गास्म तक पहुंचकर माधवी ने उत्तेजनावश इरफ़ान का चेहरा पकड़ कर उसे अपने ऊपर खींच लिया …और उसके होंठों को अपने होंठों से सटाकर जोर जोर से चूसने लगी …अब उसे ना तो पान वाले मुंह से कोई घिन्न आ रही थी और ना ही कोई शर्म ..वो उन्हें तब तक चूसती रही जब तक उसकी चूत से एक – २ बूँद निकल कर बाहर ना आ गयी …

फिर उसने अपनी नशीली आँखे खोली ..और बड़े ही प्यार से मुल्लाजी की आँखों में देखा ..और अपना हाथ नीचे करके उसने उनके लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर लगा लिया और धीरे से बोली : “कमाल करते है आप तो मुल्लाजी ..क्या चूसते हो ..अब जरा इस लंड का भी कमाल दिखाओ मुझे …”

और इतना कहकर उसने ऊपर बढकर फिर से उनके होंठों को चूम लिया और इरफ़ान की गांड पर दबाव डालकर उसके लंड को अपनी चूत पर जोर से दबा दिया …

इतना मोटा लंड उसकी चूत में पहली बार जा रहा था ..इसलिए दर्द होना स्वाभाविक था ..दर्द के मारे उसका मुंह पूरा खुल गया ..और इरफ़ान को उसके मुंह के अन्दर के टोंसिल तक दिखाई दे गए ..उसने नीचे झुककर अपना बचा खुचा मुसल भी उसकी ओखली में उतार दिया और उसके खुले हुए मुंह में अन्दर अपनी जीभ डालकर उसके अंदरूनी गालों को चाटने लगा ..

थोड़ी देर तक रुकने के बाद उसने धक्के मारने शुरू किये …

”अह्ह्ह्ह्ह …ओफ़्फ़्फ़्फ़ उम्म्म्म्म …मुल्लाजी ……..अह्ह्ह्ह …क्या कमाल का लंड है आपका …उम्म्म्म ……इतना मोटा …मैंने कभी नहीं लिया …अह्ह्ह …और तेज ….और तेज करो ..फाड़ दो मेरी चूत ….अह्ह्ह्ह …अह्ह्ह्ह ….”

उसने अपने हाथ ऊपर किये और गिरधर के पैर पकड़ लिए ..ताकि वो इरफ़ान के धक्कों से ऊपर न खिसक जाए …

इरफ़ान भी अब अपने हाथों को उसके मुम्मों पर रखकर उसे बुरी तरह से पेल रहा था ..

फिर जैसे ही इरफ़ान को लगा की वो झड़ने वाला है ..उसने अपना मुसल बाहर खींच लिया ..

और माधवी को खड़ा होने को कहा ..वो बुरी तरह से मिटटी में सन चुकी थी …

उसे अपनी हालत का एहसास हुआ …वो बीच चोराहे पर नंगी होकर एक अनजान आदमी से रंडियों की तरह से चुद रही थी ..और उसका खुद का पति ये सब देख भी रहा था और रिकॉर्ड भी कर रहा था ..

झाड़ियों की वजह से उन्हें कोई देख तो नहीं पा रहा था ..पर सड़क से निकल रही गाड़ियों की रौशनी कभी कभार उनके जिस्म पर पड़ रही थी .जिसका उनपर कोई असर ही नहीं था .

वो खड़ी हुई तो इरफ़ान ने उसे नर्सरी की दिवार की तरफ मुंह करके खड़े होने को कहा ..और खुद पीछे से आकर उसकी गांड के छेद पर लंड लगाकर खडा हो गया ..

गांड मारना उसे सबसे अच्छा लगता था ..

माधवी ने भी मना नहीं किया …उसे इतना मजा जो मिल रहा था …

जैसे ही उसका लंड गांड की सीमा में दाखिल हुआ वो जोर से चीख लड़ी …उसे लगा की आज उसकी गांड जरुर फट जाएगी …

पर ऐसा कुछ नहीं हुआ ..औरतों की जादुई गांड होती ही ऐसी है …जितना भी मोटा लंड अन्दर चला जाए ..कोई असर नहीं होता उनपर ..

पर अभी इरफ़ान ने दो चार धक्के ही लगाये थे की तभी बाहर से एक पुलिस हवलदार अन्दर आ गया ..उसके हाथ में एक डंडा था और हाथ में टोर्च …

पुलिस को देखकर गिरधर और माधवी की हालत पतली हो गयी ..

पर इरफ़ान निश्चिंत होकर उसकी गांड पेलता रहा ..

इरफ़ान को देखकर वो हवलदार बोला : “अरे मुल्लाजी …आज बीच चोराहे पर ही शुरू हो गए …”

वो दोनों शायद एक दुसरे को जानते थे ..

इरफ़ान ने गिरधर की तरफ इशारा करके उससे बात करने को कहा ..वो अपना रिधम खराब नहीं करना चाहता था ..

फिर वो हवलदार गिरधर की तरफ बड़ा ..और बोला : “क्यों बे दल्ले …तुझे पहले तो कभी नहीं देखा इस इलाके में …कौन है तू …”

उसकी कड़क आवाज सुनकर वो सकपका सा गया ..और बोला : “साहब …मैं बस अभी आया हु ..दो दिन पहले ..”

उसने इरफ़ान की तरफ देखा तो उसने उंगलियाँ मसलकर पैसे देने को कहा हवलदार को ..

गिरधर ने अपनी जेब से एक हजार का नोट निकालकर हवलदार को दे दिया ..वो भी हजार का नोट देखकर हक्का बक्का रह गया ..उसे दल्लों से शायद सौ दोसो रूपए ही मिलते थे ..आज पहली बार किसी ने इतने पैसे दिए थे उसको ..

उसने पैसे जेब में रख लिए और पलटकर फिर से इरफ़ान और माधवी की चुदाई देखने लगा ..

हवलदार को अपनी तरफ घूरते हुए देखकर माधवी का चेहरा शर्म से झुक गया ..पर एक अजीब सा रोमांच भी हुआ …की एक बीच सड़क पर नंगी चुद रही है वो ..एक अनजान आदमी से ..और एक दूसरा आदमी उसे देख भी रहा है …

उसने अब अपना चेहरा वापिस ऊपर उठा लिया ..उसके पपीते जैसे मुम्मे हर झटके से बुरी तरह हिल रहे थे …जिन्हें देखकर हवलदार की पेंट में भी उभार आने लगा ..पर तभी बाहर से पुलिस जिप्सी की आवाज आई जिसे सुनकर वो भागकर बाहर निकल गया …शायद उसके किसी सीनियर की थी जो राउंड लगा रही थी ..

उसके जाते ही इरफ़ान ने और तेजी से धक्के मारकर उसकी गांड के पेंच ढीले करने शुरू कर दिए ..

और अगले पांच मिनट के बाद जैसे ही वो झड़ने लगा उसने फिर से अपना लंड बाहर निकाल लिया …और माधवी को नीचे बेठा कर उसके चेहरे के आगे जाकर अपने लंड की पिचकारियों से उसके चेहरे को पूरा सफ़ेद कर दिया ..

वो रस की बोछार किसी गर्म पानी की तरह महसुसू हो रही थी माधवी को ..

और जब वो पूरा झड गया तो हांफता हुआ वो साईड में जाकर बैठ गया ..और फिर थोड़ी देर बाद दिवार पर लगे नल से अपने हाथ और पैरों को साफ़ किया ..और फिर अपने कपडे पहनकर खड़ा हो गया ..

वो गिरधर के पास आया ..और अपनी जेब से एक हजार का नोट और निकाला और उसे दे दिया ..और बोला : “मुझे पता है ये कोई रोज के धन्दे वाली नहीं है ..जब भी अगली बार इसे चुदवाने के लिए निकले तो मुझे फ़ोन पर दियो ..”

इतना कहकर उसने उसके हाथ से मोबाइल लेकर उसमे अपना नंबर सेव कर दिया ..मुल्लाजी के नाम से ..और बाहर निकल गया ..

और दूसरी तरफ माधवी नंगी पुंगी सी अपनी चूत और गांड पिलवाकर किसी रंडी की तरह से मिटटी में लिपि पुती सी जमीन पर बैठी थी ..

गिरधर ने उसे जल्दी से खड़ा होकर चलने के लिए कहा …उसने बिना अपना जिस्म साफ़ किये कपडे पहने और बाहर निकल आये ..रात में उन्हें देखने वाला कोई नहीं था ..वो वापिस घर जाकर आराम से नहाना चाहती थी ..

घर पहुंचकर माधवी धम्म से बेंत वाली चेयर पर जाकर बैठ गयी ..रात भी काफी हो चुकी थी . रितु तो कब की सो चुकी थी .

गिरधर : “चल अब नहा ले …चूत और गांड में माल भरकर लायी है आज तो ..साली रंडी ..”

कहकर गिरधर हंसने लगा ..

माधवी का मन तो किया की उसका मुंह तोड़ दे ..पर वो लाचार थी . उसने गिरधर की बात को अनदेखा किया और वैसे ही पड़ी रही …गिरधर अन्दर चला गया और कपडे बदल कर वापिस आ गया .

वापिस आकर उसने देखा की माधवी अभी तक वैसे ही बेठी है ..और शुन्य में ताक रही है . जैसे अपने साथ हुई घटनाओ को लेकर सोच रही थी की ये मेरे साथ ही क्यों हुआ ..क्यों उसके पति ने उसे रंडी की तरह किसी और से चुदवा दिया ..

गिरधर उसके पास आया और उसका हाथ पकड़ कर उठाया और बाथरूम की तरफ ले गया ..वो बेजान सी होकर उसके साथ चल दी .

गिरधर ने उसके कपडे उतारने शुरू किये ..वो कुछ न बोली ..और जब वो पूरी नंगी हो गयी तो गिरधर ने उसे गौर से देखा ..उसका भरा हुआ शरीर उसे शुरू से ही पसंद था ..शादी के इतने सालों के बाद भी उसका हुस्न अभी तक कायम था ..और आजकल हो रही भयंकर चुदाई की वजह से उसमे चार चाँद लग गए थे ..

कहते हैं जब औरत सेक्स करती है तो उसका रूप निखर आता है ..जितना ज्यादा सेक्स, उतनि ज्यादा सुन्दरता ..इसलिए कोई भी खूबसूरत औरत देखो तो समझ जाओ की वो अपनी जवानी के पुरे मजे ले रही है ..

खेर , गिरधर जब उसे टकटकी लगा के देख रहा था तो उसकी लुंगी में उसका हथियार जंग की तेयारी करने लगा ..और धीरे -२ अंगडाई लेता हुआ पूरा खड़ा हो गया .

माधवी आज काफी चुद चुकी थी ..उसमे शायद और चुदने की हिम्मत नहीं बची थी ..पर दुसरो से चुदवाओ और पति को अंगूठा दिखाओ ये वो साबित नहीं करना चाहती थी ..

इसलिए जब गिरधर ने उसके स्तनों को पकड़ कर दबाना शुरू किया तो उसने भी आगे हाथ करके उसके लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया ..उसका मन तो नहीं था , पर अपने पति को नाराज करके वो और मुसीबत नहीं लेना चाहती थी .

उसके मुम्मे मिटटी में सने हुए थे . गिरधर ने उन्हें दबा कर मजे लेने शुरू कर दियी ..मिटटी के कण उसकी ब्रेस्ट पर चुभ रहे थे और निशान भी बना रहे थे ..उसने बाल्टी से एक मग्गा पानी लेकर अपने स्तनों के ऊपर डाल लिया ताकि मिटटी साफ़ हो जाए ..

इसी बीच गिरधर ने अपनी लुंगी उतार डाली और नंगा हो गया ..वो माधवी के मुम्मो के ऊपर झुका और उन्हें अपने मुंह में लेकर बच्चे की तरह उसका दूध पीने लगा .

”ईइय्य्याआअ …….उम्म्म्म्म्म …..अह्ह्ह्ह्ह ”

‘साली कितनी गर्म औरत है …इतनी चुदाई होने के बाद भी झट से गर्म हो गयी ..’ गिरधर ने मन ही मन सोचा ..

गिरधर उसके पीछे आया और अपने लंड को उसकी फेली हुई गांड के बीच फंसा कर हाथ आगे करके उसके मुम्मोम को पकड़ कर दबाने लगा ..

उनका बाथरूम उनके कमरों के पीछे की तरफ था ..वहीँ पर जहाँ उस दिन पंडित खड़ा होकर सारा नजारा देख रहा था ..गिरधर ने बाथरूम का दरवाजा बंद नहीं किया था , जैसे उन्हें किसी बात का डर ही नहीं था ..

गिरधर जब पीछे खड़ा होकर माधवी की गांड की सिकाई कर रहा था तो आगे खड़ी हुई माधवी की नजरें अचानक ही रितु के कमरे पर चली गयी ..वहां काफी अँधेरा था पर उसे लगा की उसने जैसे किसी को खड़े हुए देखा है वहां ..उसने ध्यान से देखने की कोशिश की तो उसका शक पक्का हो गया ..वहां रितु ही थी ..वो ना जाने कब से उन दोनों का नंगा खेल देख रही थी ..छुप कर .

उसे अपने आप पर बड़ी शरम आई ..उनकी जवान हो रही बेटी उनकी चुदाई बड़े आराम से देख रही थी ..उसने सोचा की गिरधर को बता दे पर अगले ही पल ये सोचकर डर गयी की अगर गिरधर ने सोचा की उनकी चुदाई देखकर रितु को भी मजा आ रहा है तो वो कहीं अपनी बेटी की ही चुदायी ना कर डाले ..वैसे भी उसकी बुरी नजर काफी दिनों से थी अपनी बेटी पर ..

इसलिए वो चुप हो गयी ..पर उसने पलटकर गिरधर के कान में धीरे से कहा ..”सुनिए ..अन्दर चलिए ना ..यहाँ मुझे शर्म आ रही है ..”

गिरधर : “भेन की लोड़ी …वहां बीच चोराहे पर चुदते हुए तो तुझे शर्म ना आई ..अब यहाँ शरमा रही है तू ..साली रंडी ..यहाँ कौन सा तेरा बाप खड़ा होकर देख रहा है तुझे ..चल नीचे बैठ ..”

पर रितु को उनकी बाते सुनाई नहीं दे रही थी ..

उसने माधवी को नीचे धकेला और अपना फनफनाता हुआ लंड उसके मुंह में पेल कर उसका मुंह चोदने लगा ..

गिरधर ने ऊपर लगा हुआ पानी का फव्वारा (शावर) खोल दिया और ठंडा पानी उनके जिस्मों पर गिरने लगा .

और दूसरी तरफ रितु , जो घर का दरवाजा खुलने की आवाज सुनकर जाग गयी थी और अपनी माँ और बाप को इतनी रात में नहाते और चुदाई करते हुए देखकर सोच रही थी की कितने ठरकी हैं उसके माँ बाप जो टाईम की परवाह किये बिना ही कहीं भी शुरू हो जाते हैं , जैसे आज बाथरूम में जाकर चुदाई करने का मूड हुआ है दोनों का ..

हमेशा की तरह उसने वही लम्बी फ्रोक पहनी हुई थी रात को सोते हुए ..और जब उसने अपने माँ बाप को नंगा होकर एक साथ नहाते हुए देखा तो उसकी फ्रोक के फीते खुल गए और उसने सरका कर उसे नीचे गिरा दिया ..अन्दर उसने सिर्फ ब्रा पहनी हुई थी ..कच्छी तो उसने कभी पहनी ही नहीं थी रात को सोते हुए ..

वो अपनी माँ के मोटे मुम्मों को अपने बाप के हाथों में मसलते हुए देख रही थी ..और उसके हाथ खुद ब खुद अपने मुम्मों पर जा पहुंचे और उन्हें बेपर्दा करते हुए वो खुद ही उन्हें मसलने लगी ..दुसरे हाथ से अपनी चूत को ..और सोचने लगी की काश वो भी ऐसे बाथरूम में सेक्स कर पाती ..

और सेक्स का नाम दिमाग में आते ही उसके सामने पंडित का चेहरा आ गया ..

उसकी नजरों ने अपनी माँ की जगह खुद को और अपने बाप की जगह पंडित को देखना शुरू कर दिया ..

अब तो जैसे वो कोई मूवी देख रही थी ..जिसमे वो और पंडित जी बाथरूम में खड़े होकर सेक्स कर रहे हैं ..और वो खुद अपने हाथों का प्रयोग करके अपनी ब्रेस्ट और चूत को मसल रही थी .

उधर जैसे ही माधवी ने नीचे बैठ कर गिरधर के लंड को चूसना शुरू किया, वो मस्ती में आकर उसे गालियाँ देने लगा ..जो थोडा तेज थी ..और जिन्हें रितु भी सुन पा रही थी ..उसके लिए गालियाँ नयी नहीं थी ..उसने रास्ते में आते जाते और स्कूल में भी कई लड़कों के मुंह से एक दुसरे को गालियाँ देते सूना था ..पर अपने ही बाप के मुंह से गालियाँ सुनते देखकर वो हेरान रह गयी ..पर उसने नोट किया की उन गालियों को सुनकर माधवी और उत्तेजक तरीके से गिरधर का लंड चूस रही है ..यानी गालियाँ सुनकर उसे मजा आ रहा है ..

”चूस भेन चोद ……अह्ह्ह्ह ……..साली ……भोंसड़ीकी …….चूस मेरा लंड ….अह्ह्ह्ह्ह ….खा जा ….अह्ह्ह्ह्ह ….साली ….कुतिया …रंडी कहीं की …चूस और तेज चूस ..”

रितु के अन्दर भी एक अजीब सी लहर उठने लगी ..उन गालियों को सुनकर …यानी जैसा उसकी माँ को फील हो रहा था वो उसे भी होने लगा ..वो भी बुदबुदाने लगी ..और अपनी चूत की मालिश और तेजी से करने लगी ..

”अह्ह्ह …हाँ …मैं हु रंडी ……..अह्ह्ह्ह … मैं चुसुंगी …आपका लंड ….अह्ह्ह्ह ….मेरे मुंह में डालो ..उम्म्म्म्म ……..मैं हु आपकी कुतिया पापा …..अह्ह्ह्ह …”

खिड़की से हलकी फुलकी सिस्कारियों की आवाज आते सुनकर गिरधर की नजरें वहां चली गयी ..और अब हेरान होने की बारी उसकी थी …उसने देखा की उसकी बेटी रितु नंगी सी होकर खिड़की पर बैठी है ..और आँखे बंद करके बडबडा रही है ..और सिस्कारियां ले रही है ..उसके हिलते हुए हाथ देखकर उसे पता चल गया की वो अपनी चूत मसल रही है …और उसके छोटे – २ स्तन भी उसे दिखाई दिए ..जिन्हें अपने हाथों में लेकर दबाने की उसे कब से चाह थी ..

वो जान गया की उसकी बेटी अपने माँ बाप की चुदाई को छुप कर देखते हुए उत्तेजित हो गयी है ..यानी अब उसे चोदना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा ..पर माधवी के सामने वो ये नहीं जताना चाहता था की उसने रितु को देख लिया है ..

इसके दो घाटे थे , एक तो वो उसकी चूत नहीं मार पायेगा अभी ..और दूसरा माधवी भी अपनी बेटी को बचाना चाहेगी और गिरधर को उसके साथ कुछ नहीं करने देगी ..इसलिए उसने सोच लिया की वो रितु के बारे में बाद में सोचेगा ..अभी तो माधवी की ही मार लि जाये ..और रितु को ज्यादा से ज्यादा दिखाया जाए ताकि वो उसके लंड के लिए मचल उठे .

उसने दिवार पर लगा हुआ बटन दबाकर बाथरूम की लाइट जला दी ..बल्ब की रौशनी में दोनों के जिस्म पूरी तरह से जगमगा उठे ..

माधवी : “ये।ये क्यों जला दिया ..बंद करो इसे … मुझसे नहीं होगा कुछ भी इतनी रौशनी में …”

वो जानती थी की रितु उन्हें देख रही है ..और रौशनी होने की वजह से तो पूरी तरह से दिखाई देंगे दोनों ..इसलिए वो नहीं चाहती थी की रौशनी हो वहां ..पर बेचारी माधवी ये नहीं जानती थी की गिरधर भी रितु को देख चूका है …पर दोनों अनजान बनकर एक दुसरे से इस बात को छुपाने की कोशिश कर रहे थे ..

पर गिरधर ने तो ये सब जान बूझकर किया था रितु ज्यादा रौशनी में उन दोनों की चुदाई देखे और उत्तेजित हो जाए ..वो उसे अपने हथियार के दर्शन भी करवाना चाहता था ..क्योंकि वो जानता था की लंड देखकर लड़की का पचास परसेंट मन तो बन ही जाता है ..बाकी का वो बना देगा बाद में .

उसने अपना लंड माधवी के मुंह से बाहर निकाला ..वो पूरा खड़ा हुआ था इस समय ..और उसे डंडे की तरह से पकड़कर माधवी के चेहरे को पीटने लगा ..

रितु ने जब अपने बाप का लंड पूरा तन हुआ अपनी आँखों से देखा तो उसके होंठ बड़ी तेजी से फडफडाने लगे ..और उसकी उँगलियाँ अपनी घी से डूबी हुई चूत में किसी पिस्टन की तरह अन्दर बाहर होने लगी ..

”अह्ह्ह्ह्ह ……..क्या लंड है …..उम्म्म्म्म ….मेरे मुंह में डाल लो ना ..पापा ….अह्ह्ह्ह …मुझे दो ..इसे चुसुंगी मैं …उम्म्म्म ..”

उसने पास पड़ी हुई एक केंडल उठाई और घप्प से उसे अपनी चूत में उतार दिया …उसने एक हाथ से खिड़की का सरिया पकड़ा और दुसरे में केंडल ..और अपनी एक टांग उठा कर खिड़की तक पहुंचा दी ..और लगी पेलने केंडल को अपने अन्दर एक लंड समझकर …

”अह्ह्ह्ह्ह्ह ……काश ….मेरी चूत में होता पापा का लंड अह्ह्ह्ह ….उम्म्म्म …क्या चीज है ….”

उसकी चूत में फिसल रही केंडल से इतना घर्षण हो रहा था की उसे लगा की कहीं वहां आग न लग जाए ..और केंडल जलने लगे .

दूसरी तरफ माधवी का बुरा हाल था ..वो जानती थी की रितु अब बचा खुचा सब देख पा रही होगी ..अपनी माँ को चुदते हुए देखकर वो पता नहीं क्या कर रही होगी ..

इतना सोचते ही उसके दिमाग में अपने बचपन की एक बात ताजा हो गयी ..उसने भी कई बार अपने माँ पिताजी की चुदाई देखि थी ..छुप – २ कर ..और वो भी अपनी चूत को मसलकर या मुली डालकर शांत करती थी ..और संतुष्ट हो जाती थी ..और एक बार जब उसके माँ पिताजी को शक हो गया की उनकी बेटी शायद छुप कर उनका खेल देखती है तो उन्होंने अपनी खिड़कियाँ और दरवाजे पुरे बंद करके चुदाई करनी शुरू कर दी ..ताकि उनकी बेटी यानी माधवी उन्हें ना देख पाए और वो बिगड़े नहीं ..पर उसका असर उल्टा हुआ था ..माधवी ने पड़ोस में रहने वाले एक लड़के को पटाया और उसके लंड को अपनी चूत में पिलवा डाला ..

उसे आज भी याद है, वो उत्तेजना थी ही ऐसी ..

और कहीं रितु भी तो ऐसा नहीं करेगी ..हमारी चुदाई ना देख पाने के बाद कहीं वो भी तो कोई गलत काम नहीं कर बैठेगी ..नहीं – नहीं ..हमारी बेटी ऐसा हरगिज नहीं कर सकती ..वो बाहर जाकर मुंह मारे , इस से अच्छा है की वो उनकी चुदाई देखकर ही तृप्त हो जाए ..

इतना सोचकर उसने अपने शरीर को और उत्तेजक तरीके से खिड़की के पीछे खड़ी अपनी बेटी को दिखाना शुरू कर दिया ..

वो खड़ी हुई और गिरधर का हाथ पकड़ कर थोडा और बाहर आ गयी ..ताकि उनकी राजदुलारी चुदाई को और करीब से देख सके ..

गिरधर ने भी मना नहीं किया ..वो भी अपने लंड को और करीब से रितु के सामने परोसना चाहता था ..

माधवी ने पीछे पड़े हुए फोल्डिंग पलंग की तरफ इशारा किया तो गिरधर भागकर उसे उठा लाया और बाथरूम के बाहर बिछा दिया ..माधवी जाकर उसके ऊपर लेट गयी ..और अपनी टाँगे फेला दी ..

गिरधर ने उन टांगो को अपने कंधे पर रखा और अपना लंड माधवी की चूत में पेलकर एक जोरदार शॉट मारा ..

”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …….उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ …म्मम्मम्म ”

एक साथ दो सिस्कारियां निकली …

एक माधवी की ..और दूसरी रितु की .

रितु को तो ऐसा लगा की जैसे वो लंड उसकी माँ की नहीं , उसकी खुद की चूत में उतर गया है ..उसने वो केंडल भी अपने बाप का लंड समझ कर अपने अन्दर पूरी डाल ली ..आज शायद उसने अपने अन्दर की नयी गहराईयों को छुआ था ..इसलिए उसकी सिस्कारियों में एक सिसक भी थी ..

”ओह्ह्ह्ह्ह …पापा …..उम्म्म्म्म …….और अन्दर ….डालो …उम्म्म्म्म …”

अब चुद तो उसकी माँ रही थी पर पुरे मजे वो ले रही थी ..

पर दोनों के लिए लंड एक ही था ..

गिरधर का ..

और जल्दी ही दोनों झड़ने लगी …एक साथ ..लंड से ..और केंडल से ..

माधवी चीखी : “अह्ह्ह्ह्ह ……ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ….और तेज …चोदो ….मुझे ….अह्ह्ह्ह ……उम्म्म्म्म …और तेज ….हाँ न्नन्न ………ऐसे ही …औत जोर से ….जोर से …”

गिरधर : “अह्ह्ह्ह ले और अन्दर ले …साली …..उम्म्म्म …अह्ह्ह्ह्ह ….रितु .”

ओह्ह्ह तेरी माँ की चूत ….ये क्या हो गया ..गिरधर ने अपना सर पीट लिया ..ये क्या निकल गया उसके मुंह से ..रितु का नाम ..और वो भी उसके सामने ..और वो भी माधवी को चोदते हुए .

तीनो झड चुके थे .

पर रितु और माधवी दोनों हेरान थे ..रितु इसलिए की उसने शायद सोचा भी नहीं था की गिरधर भी चोदते हुए उसके बारे में सोच रहा होगा ..पर मन ही मन वो खुश भी थी ..की उसके पिताजी भी उसके बारे में सोच रहे हैं, जैसे वो सोच रही है उनके बारे में ..

और माधवी बेचारी ये जानने की कोशिश कर रही थी की गिरधर ने ऐसा जान बूझकर बोला या गलती से ..

उसके बाद गिरधर काफी देर तक अपना लंड मसलता हुआ वहीँ घूमता रहा …अपनी बेटी को और ज्यादा मजा देने के लिए

माधवी की हालत खराब हो रही थी ..आज पहले पंडित और अब गिरधर ने मिलकर उसके अन्दर का अस्थि पिंजर तक हिला डाला था ..वो बोजिल सी आँखे लिए अन्दर चली गयी , उसे बहुत तेज नींद आ रही थी , वो नंगी ही अन्दर गयी और सो गयी ..

गिरधर ने अपनी धोती पहन ली थी और वो ऊपर से ही अपने लंड को मसल कर मजे ले रहा था ..उसका पूरा ध्यान अब रितु पर था .

रितु भी अभी तक गहरी साँसे लेती हुई खिड़की पर ही खड़ी थी ..उसका एक हाथ खिड़की के सरिये पर था और दूसरा अभी तक उसकी चूत पर ..जिसपर लगा हुआ चिपचिपा और नमकीन मक्खन वो अपनी उँगलियों से फेला – २ कर अपनी चूत का मेकअप कर रही थी .

वो जैसे ही अन्दर जाने के लिए मुड़ी, उसके हाथ के ऊपर गिरधर का हाथ आ लगा. गिरधर ने दूसरी तरफ से आकर उसके हाथ के ऊपर अपना हाथ रखकर उसे जकड लिया था .

रितु सकपका सी गयी …वो अपनी फेली हुई आँखों से बाहर खड़े हुए गिरधर को देखकर हक्लाती हुई बोली : “पप पप पापा …आप …छोड़ो मेरा हाथ …प्लीस ..”

गिरधर ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया था ..और उसके दिमाग में एक योजना भी आ चुकी थी .

गिरधर (गुर्राते हुए ) : “तू यहाँ क्या कर रही है …”

वो और भी ज्यादा डर गयी .

गिरधर : “तूने देखा न सब …मुझे और अपनी माँ को ..वो सब करते हुए ..”

रितु : “क क …क्या ?”

गिरधर : “चुदाई ….भेनचोद ….चुदाई …जो अभी मैं तेरी माँ की कर रहा था ..”

गिरधर अपने दांत पीस कर बोल रहा था .

चुदाई का नाम सुनते ही उसकी चूत में सुरसुरी सी होने लगी ..उसके सामने एक दम से पंडित जी का चेहरा घूम गया ..

गिरधर : “बोल …कब से देख रही है ये सब …पहले भी देखा है न तूने ..बोल जल्दी ..वरना अन्दर आकर तुझे नंगा करके पिटूँगा ..”

उसकी धमकी सुनकर वो डर गयी ..वो जानती थी की गुस्से में आकर उसका बाप वो सब कर भी सकता है ..अभी जिस तरह से गालियाँ देकर वो माधवी से बात कर रहा था अब वही तरीके से वो रितु को धमका रहा था ..

गिरधर जानता था की माधवी के घर में रहते वो रितु की चुदाई नहीं कर सकता ..वर्ना फिर से वही लडाई झगडे ..और गुस्से में आकर उसने उसे घर से निकाल दिया तो हो सकता है वो पुलिस के पास चली जाए और शायद रितु को भी पुलिस की मदद से अपने साथ ले जाए ..

वो इन सब लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता था ..इसलिए माधवी से छुप कर ही उसे रितु पर काबू पाना होगा .

रितु की आँखों में आंसू आने लगे ..पर गिरधर पर उनका कोई प्रभाव नहीं पड़ा .उसके हाथों का दबाव रितु के हाथों पर और तेज हो गया ..और आखिर वो कसमसाकर बोल ही पड़ी : “हा न्न्न… ….. .देख रही थी मैं …आप दोनों को छुप कर …और .. एक बार पहले भी देखा था ..”

गिरधर : “क्यों …तेरी चूत में खुजली हो रही थी क्या …बोल …”

वो कुछ ना बोली ..बस अपनी हिरन जैसी आँखों से उसे घूरती रही ..

गिरधर थोडा और करीब आ गया ..दोनों के बीच लोहे की खिड़की थी ..अन्दर घुप्प अँधेरा था जिस वजह से गिरधर शायद अभी तक देख नहीं पाया था की वो अन्दर किस हाल में खड़ी है ..पर जैसे ही वो खिड़की के करीब आया , हलकी रौशनी में उसने रितु के जिस्म को देखा ..वो ऊपर से नंगी थी ..उसकी फ्रोक कमर तक फंसी हुई थी ..जिसे उसने अपने दुसरे हाथ से पकड़ रखा था ..अगर वो भी गिर जाती तो वो पूरी नंगी खड़ी होती उसके सामने ..

गिरधर की गिद्ध जैसी आँखें उसके चुचियों पर लगे मोतियों की चमक को देखकर चुंधिया रही थी ..उसके मुंह से उसकी जीभ निकल कर ऐसे बाहर आ गयी, मानो वो रितु के निप्पलों पर फेरा रहा हो .

गिरधर ने धीमी और दबाव वाली आवाज में रितु से कहा : “इधर आ …आगे ..”

रितु ने ना में सर हिलाकर मना कर दिया ..

गिरधर : “साली ….आती है के नहीं …या मैं अन्दर आऊ ..”

रितु और भी डर गयी …वो भी शायद यही चाहती थी की जैसे पंडित ने उसे मजे दियें हैं वैसे ही उसके पापा भी दें ..पर वो ये सब इतनी जल्दी और ऐसे हालात में करना नहीं चाहती थी . और उसे अपनी माँ का भी डर था ..जो अन्दर सो रही थी ..पर उनके आने का डर तो बना ही हुआ था ..फिर ये सोचकर की खिड़की से वो कर ही क्या लेंगे वो थोडा आगे खिसक आई ..

ऊपर से आ रही चाँद की रौशनी जैसे ही उसके मोतियों पर पड़ी गिरधर तो जैसे पागल ही हो गया ..उसने रितु का हाथ छोड़ दिया और अपने हाथ अन्दर लेजाकर उसके संतरों पर रख कर जोरों से दबा दिया ..

”आअह्ह्ह्ह्ह्ह ……….उम्म्म्म्म्म …..”

उसके मुंह से घुटी हुई सी आवाज निकल गयी ..और आँखें बंद सी होने लगी .

खिड़की के सरियों में सिर्फ चार इंच का फांसला था ..जिसमे हाथ डालकर गिरधर बड़ी मुश्किल से उन्हें दबा रहा था .

गिरधर ने अंगूठे और उसके साथ वाली ऊँगली से उसके दोनों निप्पलस को पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया ..

रितु का बाकी शरीर अपने आप निप्पलस के पीछे -२ सरियों से आ लगा ..

अब गिरधर के हाथ बाहर थे और रितु के दोनों निप्पल और उसके मुम्मों का थोडा हिस्सा सरियों से बाहर ..

गिरधर ने अपनी प्यासी जीभ को बाहर निकाला और उसे सीधा लेजाकर अपनी बेटी के चमचम जैसे निप्पल पर रख दी ..

”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ….पापा ……उम्म्म्म्म्म्म्म ………..अह्ह्ह्ह ..उफ़ …”

अब तक रितु अपना आपा खो चुकी थी ..उसने अपने पतले – २ हाथ बाहर निकाले और अपना दूध पी रहे गिरधर के सर के पीछे लगाकर उसे और जोर से अपनी ब्रेस्ट पर दबा दिया ..

”लो ……पापा ……अह्ह्ह्ह्ह …..और चुसो ….जोर से ….चुसो ….मुझे …..अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …..आप इतना तडपे हो मेरे लिए ….आज अपनी प्यास मिटा लो ….अह्ह्ह्ह्ह्ह ….उम्म्म्म्म्म्म …..येस्सस्सस्स …… ओह्ह्ह्ह पापा ……यूऊ …..आर …….बेस्ट ……”

अब वो गंवार क्या समझता की उसकी बेटी अंग्रेजी में उसे क्या कह रही है …पर हिंदी में जो भी बोली वो,उसे सुनकर उसे भी पता चल गया की वो भी वही चाहती है जो वो खुद चाहता है …चुदाई.

पर वहां घर में अभी वो पोसिबल नहीं था ..माधवी के होते हुए वो रिस्क नहीं लेना चाहता था .

रितु की फ्रोक भी अब खिसककर नीचे जा चुकी थी ..और अब वो सिर्फ अपनी पेंटी में खड़ी थी खिड़की में ..अपने बाप से अपनी ब्रेस्ट चुसवाती हुई . रितु की दांयी ब्रेस्ट चूसने के बाद गिरधर ने उसकी बांयी तरफ रुख किया ..और थोड़ी देर तक उसे चूसने के बाद उसने उसे भी छोड़ दिया ..और धीरे – 2 अपना चेहरा ऊपर किया ..रितु के हाथों का दबाव अभी भी उसके सर के पीछे था ..रितु ने अपने पापा के चेहरे को ऊपर किया और अपने चेहरे के सामने लाकर अपने होंठ आगे कर दिए और उसे फ्रेंच किस्स कर दी ..

”उम्म्म्म्म्मा …..अह्ह्ह्ह्ह …पुचस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स sssssssssssss ……..अह्ह्ह्ह …..म्मम्मम्म ….ओह्ह्ह पापा …….म्म्मूउन्न्न ….. ”

जगह छोटी थी मगर एक दुसरे के होंठों का स्वाद वो ले पा रहे थे ..

गिरधर तो जैसे पागल ही हो गया ..इतने नर्म और मीठे होंठ उसने आज तक नहीं चूसे थे ..और शायद इसलिए उसकी बुरी नजर हमेशा से रितु ने रसीले होंठों पर रहती थी ..जिनपर अपनी जीभ फेरा – २ कर वो सबसे बातें करती थी ..पर उसे क्या मालुम था की उन्ही गीले होंठों को देखकर कितने ही लोग उसके बारे में गन्दा सोचने लग गए हैं …जैसे की उसका खुद का बाप भी .

रितु का हाथ खिसकता हुआ नीचे गया , गिरधर की धोती तक ..और उसने उसे खोल दिया . उसने अपनी किस्स तोड़ी और नीचे देखा और जैसे ही उसकी नजर अपने बाप के लंड पर पड़ी वो बावली सी होकर नीचे झुक गयी ..ठीक गिरधर के लंड के सामने , और उसे अपने हाथों से पकड़ लिया …और उसे मसलने लगी ..आज वो पहली बार अपने पापा के लंड को छु रही थी ..जितना सुन्दर वो दूर से दिख रहा था उससे भी ज्यादा वो पास से दिखाई दे रहा था ..

रितु ने अपनी आदत के अनुसार अपने होंठों पर जीभ फेराई और उन्हें पूरी तरह से अपनी लार से गीला कर लिया ..और गिरधर के लंड को अपनी तरफ खींचकर अपने मुंह तक ले आई ..और उन्हें गीले होंठों की सरहद के पार धकेल दिया …

अब सिस्कारियां मारने की बारी गिरधर की थी .

”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …….उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ……म्मम्म ….बेटी …..अह्ह्ह्ह्ह …..रितु …मेरी जान …मेरी प्यारी … बेटी ….अह्ह्ह्ह …. चूस …..अह्ह्ह्ह …हाँ ऐसे ……ही …..अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ….उम्म्म्म ….”

रितु ने एक हाथ से गिरधर का लंड पकड़ा हुआ था और उसे चूस रही थी और दुसरे से वो उसकी बाल्स को रगड़ रही थी ..

रितु को ऐसे चूसते हुए देखकर पहले तो गिरधर थोडा हेरान हुआ की इतना बढ़िया लंड चूसना उसने आखिर सीखा कहाँ से ..पर फिर मजे लेने के लिए वो बात एक ही पल में भूल गया ..

पर वो बेचारा क्या जानता था की पंडित जी की कृपा से वो लंड चूसना तो क्या चुदाई करवाना भी सीख चुकी है .

गिरधर ने अपना पूरा शरीर खिड़की से सटा दिया था …पर फिर भी बीच में सरिया होने की वजह से वो अपना पूरा बम्बू उसके मुंह में नहीं धकेल पा रहा था ..वो बेचारा तो किसी असहाय कैदी की तरह सलाखें पकड़ कर अपना मुंह ऊपर किये ठंडी सिसकियाँ मार रहा था .

अचानक रितु ने अपना दूसरा हाथ, जिसमे उसने अपने पापा की बाल्स को पकड़ा हुआ था, उसे नीचे से लेजाकर गिरधर की गांड के छेद पर लगा दिया ..और अपनी बीच वाली ऊँगली वहां डाल दी ..

गिरधर, जो अभी तक हवा में उड़ रहा था, गांड में ऊँगली का स्पर्श पाते ही सीधा स्वर्ग में पहुँच गया …और उसने किसी जाल में फंसे हुए कबूतर की तरह से फड़फडाते हुए अपने लंड से गाड़ा और सफ़ेद रस निकाल कर अपनी बेटी के मुंह में दान कर दिया ..

”अग्ग्ग्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह …….अह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म …..अह्ह्ह्ह्ह ……गया ….आया …मैं तो आया ……अह्ह्ह्ह .”

वो सारा रस वो किसी कुशल रंडी की तरह से पी गयी …कुछ उसके होंठों से छलक कर बाहर भी आया और उसके गले और ब्रेस्ट को छूता हुआ नीचे जा गिरा ..वो तब तक गिरधर के लंड को चूसती रही जब तक खुद गिरधर ने उसे धक्का देकर पीछे नहीं किया ..

उसने हाँफते हुए रितु के चेहरे को देखा …वो किसी प्यासी चुडेल की तरह दिखाई दे रही थी …जिसे बहुत प्यास थी …सेक्स की …लंड की …वीर्य की ..

उसके बिखरे हुए बाल, गहरी और लाल आँखे , फड़कते हुए होंठ , उनपर लगा हुआ गाडा रस, देखकर गिरधर के तो जैसे होश उड़ गए …वो सोचने लगा की लंड चुसाई में ही ये इतनी उत्तेजना के साथ उसका साथ दे रही है तो चुदाई के समय तो उसकी बेटी उसे कच्चा ही खा जायेगी ..

पर अभी तो कच्चा खाने का टाइम उसका था ..और वो भी रितु की चूत को .

उसने रितु को उठने का इशारा किया ..और खुद नीचे झुक गया ..उसकी चूत के सामने ..और अन्दर हाथ डालकर उसने रितु की पेंटी को निकाल दिया ..उसकी कच्छी इतनी गीली थी जैसे अभी पानी से निकाली हो ..उसमे फंसा हुआ रस गिरधर ने अपने लंड पर निचोड़ लिया और अपने लंड को रितु की चूत के रस से नहलाकर मसल दिया ..

रितु की चूत टप -2 कर रही थी ..जिसे रोकना बहुत जरुरी था ..गिरधर ने उसकी डबल रोटी पर हाथ रखा और उसे जोर से भींच दिया ..

वो जोर से चीख ही पड़ी ..”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …..पापा …….उम्म्म्म्म ….धीरे …..अह्ह्ह्ह …”

गिरधर को एक पल के लिए तो लगा की कहीं उसकी आवाज सुनकर माधवी जाग न जाए ..इसलिए उसने रितु की चूत को छोड़ दिया ..और दूसरी तरफ मुंह करके देखने लगा की कहीं माधवी के पैरों की आहट तो नहीं आ रही ..

और इसी बीच रितु जो किसी मछली की तरह से मचल रही थी, उसने अपने पापा का हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर फिर से दबा दिया ..और खुद ही उनके हाथ की बीच वाली ऊँगली को अपनी मानसून में भीगी चूत के अन्दर धकेल दिया ..

”अह्ह्ह्ह्ह्ह ……पापा …”

आज उसके पापा का कोई अंग पहली बार उसकी चूत में गया था ..वो सोचने लगी की अगर ऊँगली के जाने से इतना मजा आ रहा है तो इनका लंड लेने में कितना मजा आएगा ..

गिरधर का भी अब पूरा ध्यान वापिस अपनी बेटी की सेवा करने पर आ गया ..वो अपनी ऊँगली से उसकी चूत की मालिश करने लगा ..और बीच में आ रही क्लिट को भी मसलने लगा ..

रितु अपना पूरा शरीर हवा में लहरा कर मजा ले रही थी ..जैसे वो कोई पतंग और उसके पापा के हाथ में उसकी डोर ..

रितु की रसीली चूत में उँगलियाँ डालते हुए गिरधर के मन में उसे चूसने का भी ख़याल आया ..उसने रितु को खिड़की पर चड़ने के लिए कहा ..वो खिड़की जमीन से तीन फुट के बाद शुरू हो रही थी और ऊपर पांच फुट की ऊँचाई तक जा रही थी ..रितु ने सरियों को पकड़ा और ऊपर चढ़ गयी, और अपना चूत वाला हिस्सा आगे करके खिड़की से सटा दिया ..अब उसकी चूत की फूली हुई गोलाई सरियों के बीचों बीच थी ..जिसपर गिरधर ने जैसे ही अपनी जीभ रखी , रितु ने ऊपर मुंह करके सियार की भाँती एक लम्बी और दूर तक गूंजने वाली सिसकारी मारी …

”स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्मम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ”

गिरधर ने अपनी लम्बी और खुरदुरी जीभ बाहर निकाली और रितु की चिकनी चूत को नीचे से लेकर ऊपर तक चाटने लगा ..जैसे कोई दूध वाली कुल्फी हो जिसमे से दूध बह कर नीचे न गिर जाए .

दो चार बार चूसने के बाद गिरधर ने रितु की गांड पर अपने हाथ रखे और उसे और जोर से अपने मुंह की तरफ दबा लिया ..और एक लज्जतदार झटके के साथ अपनी बिना हड्डी वाली जीभ उसकी मक्खन जैसी चूत में उतार दी ..

अब तो उत्तेजना के मारे रितु में मुंह से कुछ निकल ही नहीं रहा था …बस खुले होंठों से गर्म साँसे और साथ में गीली लार …जो सीधा उसके पापा के मुंह पर गिर रही थी ..

गिरधर ने रितु की चूत को अपनी जीभ से किसी लंड की तरह चोदना शुरू कर दिया ..रितु ने दोनों हाथों से सरिया पकड़ा हुआ था और अपनी चूत को हर झटके से आगे पीछे कर रही थी ..और अंत में जैसे ही उसे लगा की वो झडने वाली है, उसने अपना एक हाथ नीचे किया और अपने बाप के बाल पकड़ कर अपनी चूत पर जोरों से मारने लगी ..

और बड़बड़ाने लगी …

”आह्ह्ह्ह्ह्ह ….और तेज …..और अन्दर …..अह्ह्ह ..हां न…। उम्म्म्म …..येस्स ….एस ..पापा …..और अन्दर घुसेड़ो …अह्ह्ह्ह्ह ….अपनी जीभ से मुझे चोदो …..अह्ह्ह …ओह पापा ……मेरे प्यारे पापा ….. उम्म्म्म्म्म ………. मजा आ रहा है …यहाँ और चुसो ….हां न…. यहीं पर ….ओह्ह्ह्ह …येस्स …पापा …उम्म्म्म …अह्ह्ह्ह …..मैं तो गयी …..अह्ह्ह्ह ….आई एम् कमिंग पापा …..”

और गिरधर के मुंह पर उसने अपनी चूत के रस की पिचकारियाँ निकालनी शुरू कर दी …और वो भी ऐसे जैसे वो मूत रही हो …इतना तेज प्रेशर था उसके झड़ने का ..उसने अपना सारा रस तोहफे के रूप में गिरधर को दे दिया .

गिरधर तो धन्य हो गया अपनी बेटी से ऐसा उपहार पाकर ..

रितु भी बोझिल आँखों से नीचे उतरी और आगे झुककर अपने पापा के होंठों को चूम लिया और धीरे से बोली .

”हैप्पी फ़ादर्स डे पापा ”

अगले दिन सुबह पंडित जी अपने सारे काम निपटा कर फिर से नूरी के घर की तरफ चल दिए .. उन्होंने वादा किया था नूरी से की उसके वापिस जाने से पहले वो रोज उसकी चुदाई करेंगे ..नूरी ने सुबह ही उन्हें फ़ोन करके बता दिया था की उसके अब्बा इरफ़ान आज सुबह किसी काम से बाहर जा रहे हैं और बारह बजे तक ही वापिस आयेंगे ..

पंडित जी वैसे भी पूरी रात नहीं सो पाए थे ..शीला जो थी उनके पहलु में और वो भी पूरी नंगी ..माधवी और गिरधर के जाने के बाद उन्होंने दो बार और चुदाई की थी ..पर नूरी को चोदने का लालच उन्हें दोबारा सोने भी नहीं दे रहा था इसलिए फ्री होते ही वो उसके घर की तरफ लगभग भागते हुए नजर आये .

वहां पहुंचकर देखा की नूरी तो अपने बाप की दूकान पर बैठी है और ग्राहकों को सामान दे रही है ..वैसे ठीक भी था , अब रोज- २ कोई दुकानदार अपनी दूकान बंद भी नहीं कर सकता , उसके ग्राहक टूट जाते हैं , इसलिए शायद इरफ़ान ने नूरी को दूकान पर बिठा दिया था और खुद अपना काम निपटाने के लिए बाहर चला गया था .

पंडित जी को देखते ही नूरी का चेहरा खिल उठा ..वहां उस वक़्त 4 लोग और भी खड़े थे ..इसलिए अपनी ख़ुशी वो खुल कर प्रकट नहीं कर पा रही थी ..

नूरी : “आइये पंडित जी ..प्रणाम ..कहिये क्या लेंगे ..”

पंडित : “च ….चावल ….”

नूरी मुस्कुरायी और :बोली “थोडा रुकिए …अभी देती हु ..”

और इतना कहकर दुसरे ग्राहकों को निपटाने लगी ..

पंडित जी उसे गोर से देख रहे थे ..उसने एक लम्बी सी टी शर्ट और लोअर पहना हुआ था ..पड़ी ही मस्त लग रही थी वो उस ड्रेस में ..

थोड़ी ही देर में वो फ्री हो गयी तो पंडित जी ने कहा : “तुम जब दूकान संभाल रही हो तो मुझे बुलाने की क्या जरुरत थी …”

नूरी : “आप क्यों नाराज हो रहे हैं पंडित जी ..आप जल्दी से अन्दर आइये ..”

इतना कहकर उसने काउंटर के साईड का फट्टा ऊपर उठाया और अन्दर जाने का रास्ता खोल दिया ..पंडित जी बेचारे कुछ सोचने लगे फिर नूरी के चेहरे को देखकर अपना मन पक्का किया और अन्दर आ गए नूरी ने वो रास्ता फिर से बंद कर दिया ..

नूरी ने उनका हाथ पकड़ा और अन्दर की तरफ ले गयी, दूकान के पीछे की तरफ एक और कमरा था, जिसे इरफ़ान ने गोडाउन बना रखा था , चावल, दाल , आटे की बोरियां रखी थी वहां ..

अन्दर जाते ही नूरी पंडित जी से लिपट गयी ..और उन्हें चूमने लगी ..

पंडित जी ने बड़ी मुश्किल से अपने आप को उससे छुड़ाया : “यहाँ सही नहीं होगा …कोई बाहर आ गया तो मुश्किल हो जायेगी ..”

पर नूरी नहीं मानी .. वो उन्हें चूमती रही ..आखिरकार लंड वाला कब तक अपने आप को संभाले ..पंडित जी ने भी विरोध करना छोड़ दिया और टी शर्ट के ऊपर से ही उसके खरबूजों को दबाने लगे ..

नूरी का दांया हाथ सीधा पंडित जी के खड़े हुए लंड पर गया और उसने एक झटके में अन्दर हाथ डालकर उसे पकड़ लिया ..

”अह्ह्ह्ह्ह ……नूरी …..”

समय कम था इसलिए वो सब जल्दी – 2 कर रही थी ..उसने नीचे बैठ कर पंडित जी के लंड का एक चुप्पा लिया ही था की बाहर से आवाज आई : “इरफ़ान भाई …ओ इरफ़ान भाई ..कहाँ हो ..”

बाहर कोई ग्राहक आया था ..नूरी जल्दी से उठी, अपना चेहरा ठीक किया और पंडित जी को चुप रहने का इशारा करके बाहर निकल गयी ..

पंडित जी भी सोचने लगे की वो भी ना जाने किस मुसीबत में फंस गए हैं ..उन्हें अन्दर आना ही नहीं चाहिए था ..

नूरी के बाहर जाते ही ग्राहक खुश होते हुए बोला : “अरे वाह …आज तो नूरी खुद सामान देगी अपने हाथों से ..”

वो शायद उसे जानता था ..

नूरी : “आप सामान बताइए सुलेमान भाई ..मखन मत लगाइए ..”

सुलेमान : “मक्खन तो तुझपर लगा हुआ है ..बातें सुनकर भी फिसली चली जाती है ..”

कुछ देर रूककर वो बोला : “अच्छा , मुझे दस किलो चावल देना ”

अगले ही पल नूरी वापिस अन्दर आ गयी ..उसके हाथ में एक बड़ी सी पोलिथिन थी ..पंडित जी जल्दी से चावल वाली बोरी में से दस किलो चावल निकाल कर उसके अन्दर डाल दिए ..नूरी जाने लगी तो कुछ सोचकर वो पलटी और पंडित जी का हाथ पकड़ कर सीधा अपने लोअर के अन्दर डाल दिया ..उसने अन्दर पेंटी नहीं पहनी थी और उसकी चूत बिलकुल चिकनी थी ..उसकी सोंधी सी महक पंडित जी को बाहर तक आ रही थी ..उसकी तपिश से उनके लंड का पारा ऊपर चढ़ गया और उसने उसे जोर से दबा दिया ..

और फिर उनका हाथ बाहर निकलवाकर वो बाहर चल दी ..

सुलेमान : “अरे नूरी …तू तो हांफ रही है ..मुझे बोल दिया होता मैं अन्दर आ जाता चावल उठाने ..”

पर शायद नूरी उसे ज्यादा मुंह नहीं लगाना चाहती थी ..उसने जल्दी से पैसे लिए और उसे चलता किया ..

उसके जाते ही वो भागकर वापिस अन्दर आई ..और पंडित जी से लिपट गयी …

पंडित जी ने आनन् फानन में उसका लोअर नीचे किया ..और अपनी धोती भी खोल कर नीचे गिरा दी ..नूरी ने उनका कच्छा भी खोल दिया ..पंडित जी भी जान गए थे की उन दोनों के पास ज्यादा समय नहीं है ..उन्होंने चावल की बोरियों के ऊपर नूरी को पीठ के बल लिटाया और धप्प से एक ही झटके में उसकी चूत के अन्दर अपना पहलवान उतार दिया ..

दोनों ने अभी तक अपने पुरे कपडे नहीं उतारे थे ..पर उत्तेजना इतनी थी दोनों में की उसके बिना भी उन्हें आज तक का सबसे ज्यादा मजा आ रहा था ..

पंडित जी ने उसकी टी शर्ट ऊपर की और झुक कर उसके अंगूर अपने मुंह में भर लिये .

नूरी ने पंडित जी के सर को पकड़ कर अपनी छाती पर रगड़ सा दिया

”अह्ह्ह्ह्ह …..पंडित जी …..चोदो ….अपनी रांड को …..अह्ह्ह्ह …..चूस …..और जोर से चूस ….अन्न्न्न ……”

पंडित जी के लंड का इंजन बड़ी तेजी से उसकी चूत की पटरी पर दौड़ रहा था ..पंडित जी का हर झटका नूरी को चावल की बोरी के और अन्दर धकेल रहा था ..

पर वो अभी और आगे चल पायें तभी बाहर से इरफ़ान की आवाज आ गयी : “अरे नूरी …कहाँ चली गयी ..दूकान खुली छोड़ के ..”

नूरी ने जल्दी से पंडित जी को पीछे किया, अपना लोअर ऊपर किया और अपना हुलिया ठीक करके बाहर भागी ..

पंडित जी की तो जान ही निकल गयी, वो समझ गए की आज तो वो गए काम से .

बाहर जाते ही नूरी बोली : “अरे अब्बा ….मैं तो अन्दर की सफाई कर रही थी ..कोने में कितनी गंदगी है ..एक बोरी भी फटी हुई है, उसमे से चावल गिर रहे हैं ..बस वही समेट रही थी ..”

इरफ़ान : “अरे बेटा …वो तो सब चलता रहता है ..कभी समय ही नहीं मिलता मुझे अन्दर की सफाई करने का ..तू कर रही है तो अच्छा है ..पर ऐसे गल्ला खुला छोड़कर अन्दर मत जाया कर ..ग्राहक वापिस चले जाते हैं ..चल अब तू ऊपर चली जा और खाना बनाकर रख ..मैं आ गया हु अब तो ”

उसकी बातें अन्दर छुपा हुआ पंडित सुन रहा था ..वो सोचने लगा की अगर नूरी ऊपर चली गयी तो इरफ़ान कभी भी अन्दर आकर उसे पकड़ लेगा ..

नूरी : “चली जाती हु ..पर अभी अन्दर वाला काम तो निपटा लू ..”

इतना कहकर वो वापिस अन्दर आ गयी ..पंडित का चेहरा और लंड दोनों लटके हुए थे ..पर नूरी के मन में कुछ और ही चल रहा था ..उसने अन्दर आते ही पंडित के लंड को अपने मुंह में ठूसा और उसे फिर से जगाने के काम में लग गयी ..

बाहर उसका बाप बैठा था, उसके बावजूद वो पंडित के साथ वही सब करने में लगी थी, कितनी हिम्मत थी इस लड़की में ..

पंडित का लंड जल्द ही फिर से जोश में आ गया ..नूरी फिर से नीचे से नंगी हुई और अब चावल की बोरी पर लेटने की बारी पंडित जी की थी …वो उछल कर पंडित जी के ऊपर चढ़ गयी और उनके लंड महाराज को अपने अन्दर लेकर उनके ऊपर उछलने लगी …

और इस बार वो रुकी नहीं …तब तक उछलती रही जब तक उसकी चूत से बारिश की बूंदे निकलकर बाहर छिटकने नहीं लग गयी ..

” आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म …….ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह येस्सस्सस्स ………”

उसने पंडित जी के लंड को अपनी चूत में पकड़कर बुरी तरह से निचोड़ डाला …

पंडित भी जल्दी से उठा …वो जानता था की रोज की तरह उसके पास ज्यादा समय नहीं है …बाद में चाहे वो पकड़ा जाए या बच जाए, पर अभी उसे नूरी की चूत मारकर अपने लंड का गुस्सा भी शांत करना था ..

उसने नूरी को अपनी जगह पर लिटाया और पेल दिया वापिस अपना मूसल उसके अन्दर ..

”अझ्ह्ह्ह्ह्ह …….धीरे …..पंडित जी ……उम्म्म्म ….”

पंडित जी के धक्के लगने लगे उसके अन्दर …

तभी फिर से बाहर से इरफ़ान की आवाज आई

“नूरी ….अन्दर से दो किलो चावल लेकर आ ”

शायद कोई ग्राहक आया था ..

पर अब नूरी के पास समय नहीं था ….वो चुद रही थी ..और ना ही पंडित उसे छोड़ना चाहता था ..

वो उसे चोदता रहा …और पांच मिनट तक धक्के देने के बाद उसने अपना सारा रस निकाल कर उसके अन्दर डाल दिया ..

नूरी जल्दी से उठी ..कपडे पहने और चावल लेकर बाहर चल दी .

इरफ़ान : “इतनी देर लगा दी …”

और ग्राहक को दे दिए ..और उसके जाने के बाद वो बोला : “मुझे तो भूख लगी है बहुत ..तू जाकर खाना बना, मैं आता हु ..”

नूरी : “खाना तो बना पड़ा है …आप जाकर खा आओ ..फिर मैं चली जाउंगी ..”

इरफ़ान : “पहले तो नहीं बोली तू की खाना बना पड़ा है ..चल ठीक है ..मैं जाता हु ..”

और वो ऊपर चला गया …उसके जाते ही नूरी अन्दर आई, पंडित जी तब तक तैयार हो चुके थे ..

नूरी ने जल्दी से उन्हें बाहर निकाला और अगली बार जल्दी ही मिलने का वादा करके वो बाहर निकल गए ..

पंडित जी रास्ते में ही थे तो उन्हें नूरी का फ़ोन फिर से आया .

नूरी : “पंडित जी …कहाँ तक पहुंचे ..”

पंडित : “अभी तो रास्ते में ही हु ..मंदिर ही जा रहा हु ..पर तुमने तो आज मरवाने के पुरे इंतजाम कर लिए थे ..”

नूरी : “ही ही …आप कब से डरने लग गए पंडित जी ..आपके पास तो हर मुसीबत का हल होता है ..आप तो अंतर्यामी है ..फिर आप क्यों डर रहे थे .. उस दिन पार्क में जब आपने मेरी चुदाई की थी तब भी आप इतना नहीं डरे थे, जितना आज डर गए ..”

पंडित : “उस दिन की बात और थी ..पर आज इरफ़ान भाई बैठे थे बाहर ..जब तुम दोबारा आकर मेरे ऊपर चढ़ गयी थी ..तुम्हे अपने अब्बा का भी डर नहीं लगा ये सब करते हुए ..”

वो कुछ देर तक चुप रही ..और फिर धीरे से बोली : “आपको तो पता है पंडित जी ..मेरे मन में अपने अब्बा को लेकर कैसे विचार थे ..वो तो मुझे आपने समझा दिया और आपकी कृपा से मेरी चूत की प्यास बुझने लगी ..वर्ना मैंने तो पूरा मन बना लिया था की मैं अब्बा को किसी भी तरह से अपने जाल में फंसा कर रहूंगी ..उसके बाद चाहे मैं पूरी जिन्दगी उनकी रखेल बनकर ही क्यों न रहू घर पर …लेकिन आपसे चुदाई करवाकर मुझे एक अलग ही तरह का मजा आया ..और मैं अपने अब्बा के बारे में सब कुछ भूल सी गयी …पर आज जब हम वो सब कर रहे थे और अब्बा आ गए तो मेरे मन में एक अजीब सा ख्याल आया …वो दूकान में बैठे थे और अन्दर मैं आपके लंड को अपनी चूत में ले रही थी ..पता है क्या सोचकर ..की वो लंड आपका नहीं , अब्बा का है ..”

पंडित उसकी बातें सुनकर हक्का बक्का रह गया ..

नूरी ने आगे कहा : “और जब मुझे ये एहसास हुआ की अब्बा मुझे चोद रहे हैं तो मुझे एक अजीब से नशे का एहसास हुआ, ऐसा नशा जिसमे डूबकर मैं पूरी जिन्दगी उभरना नहीं चाहती ..जरा सोचिये पंडित जी , अपने अब्बा के बारे में सोचकर ही मेरी ऐसी हालत थी की मैंने उनसे डरे बिना आपसे चुदवा लिया , जरा सोचिये, अगर वो सब मेरे साथ करेंगे तो मेरा क्या हाल होगा …”

नूरी की साँसे तेज हो गयी ये सब बोलते हुए, शायद वो अपने अब्बा के बारे में सोचकर उत्तेजना फील कर रही थी .

पंडित अभी तक वेट कर रहा था उस बात का जिसके लिए नूरी ने फोन किया था ..

आखिरकार नूरी बोल ही पड़ी : “पंडित जी …आपने मेरे लिए इतना किया है …प्लीस पंडित जी ..आप ही कुछ रास्ता निकालिए ..मुझे किसी भी तरह से चुदवाना है अपने अब्बा से …नहीं तो मैं पागल हो जाउंगी ..मैं अपने कपडे फाड़कर उनके सामने पहुँच जाउंगी …फिर चाहे कुछ भी हो, मुझे नहीं पता ..”

पंडित समझ गया की वो अपने अब्बा के लंड को निगलने के लिए अब कुछ भी कर सकती है ..

पंडित : “पर तुमने तो कहा था की प्रेग्नेंट होने तक तुम मेरे अलावा कुछ और नहीं सोचोगी ..”

पंडित ने आखिरी कोशिश की ..

नूरी (शर्माते हुए) : “वो तो मैं हो चुकी हु पंडित जी …आपकी कृपा से मेरे पेट में आपका बच्चा पहुँच चूका है ..मैंने कल ही चेक किया था प्रेगाकिट्ट से ..और ये बात मैं आपको आज बताना भी चाहती थी ..पर अब्बा के आ जाने से सब गड़बड़ हो गया …”

पंडित उसकी बात सुनकर बहुत खुश हुआ ..उसे अपने ऊपर गर्व सा हुआ ..अपने लंड को धीरे से मसलकर उसने उसकी पीठ थपथपाई ..

पंडित : “अरे वाह …ये तो बहुत अच्छा हुआ ..अब तुम जल्दी से घर जाने कि तय्यारी करो ..”

नूरी : “वो तो मुझे जाना ही है ..पर उससे पहले मुझे अब्बा से चुदवाना भी है ..इसलिए मैंने अभी फ़ोन किया है ..आप जल्दी से इसके बारे में कुछ सोचिये और मुझे बताइए ..”

इतना कहकर उसने फोन रख दिया .

पंडित सोचने लगे की किस तरह से वो नूरी और इरफ़ान की चुदाई करवाए .

ये सोचते हुए वो मंदिर पहुँच गए, दोपहर का समय था इसलिए मंदिर में कोई नहीं था ..वो सीधा अपने कमरे में चले गए ..

वहां पहुंचकर देखा की गिरधर उनका इन्तजार कर रहा है ..

पंडित जी : “अरे गिरधर …तुम इस वक़्त यहाँ क्या कर रहे हो ..”

दरअसल वो समय रितु के आने का भी था ..इसलिए पंडित जी घबरा रहे थे की कहीं गिरधर को उनके बारे में पता न चल जाए ..

गिरधर : “प्रणाम पंडित जी …बात ही कुछ ऐसी थी की मैं रात का इन्तजार ही नहीं कर सकता था ..”

पंडित : “बोलो ..ऐसी क्या बात है ..”

गिरधर ने बताना शुरू किया ..की कल रात को उनके घर से निकलने के बाद कैसे घर जाते हुए उसने अपनी पत्नी को गालियाँ निकाली और उसको रंडी की तरह किसी और से चुदवा भी डाला ..

रंडी की तरह चुदवाने की बात सुनकर पंडित भी हेरान रह गया ..उसे गिरधर की मानसिकता का अंदाजा भी नहीं था की वो अपनी खुद की पत्नी के साथ ऐसा भी कर सकता है ..

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