गांड की फटफटी – गरम सेक्स कहानी

Gand Ki Fatfati – Hindi Sex Kahani

गांड की फटफटी – गरम सेक्स कहानी Hindi Sex Kahani

दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ से मेरी नींद खुल गयी

अनीता चाची रूम साफ़ करने आई थी. मैं यूँही ऑंखें बंद कर के पड़ा रहा. रात को पोर्न देखते देखते दो बार मूठ मार चूका था इस लिए थक गया था.

चाची मेरे कंप्यूटर टेबल को साफ़ कर रही थी. तभी मुझे याद आया की मैंने जिस न्यूज़ पेपर मैं मूठ मारी थी उसको वही पर छोड़ दिया था.

चची ने वो कागज़ उठाया और नीचे फ़ेंक दिया. मेरी जान मैं जान आई तभी चची पीछे मुड़ी और उन्होंने कागज़ फिर से उठा लिया

सारा माल तो सुख चूका था मगर सूखे माल के दाग और उसमे से आती नमकीन खुशबू ये बताने के लिए काफी थे की वो क्या है. चची ने एक दम से उसे फ़ेंक दिया अचानक मुझे देखा और कमरे से बाहर निकल गयी. मेरी गांड भी फट रही थी और हंसी भी आ रही थी

मेरा नाम शील है, फर्स्ट इयर मैं हूँ और अपनी उम्र के सब लडको जैसे महा ठरकी हूँ. आज तक सिर्फ कंप्यूटर पर पोर्न देख देख कर मूठ ही मरी है और कुछ किया नहीं था. शुरू से ही थोडा गांड फट हूँ और स्कूल मैं भी चुप चाप ही रहा करता था क्योकि मैं हकलाता हूँ. कही किसी लड़की से बात ही नहीं कर पाया. स्कूल मैं रिया जो मेरी क्लास मैं थी, उसे पसंद करता था मगर कभी बात भी नहीं की.

मैंने भी ढीली बाल देख के बल्ला घुमाया, “अब चाची इसमें इसका क्या दोष, बेचारे को इसकी साथीन दिखी तो यह खड़ा हो गया, हाल चाल पूछने के लिए”

चाची ने वो तिरछी नज़र मारी की दिल से लेकर मेरे गोटों तक सनसनी मच गयी.

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चाची मंद मंद मुस्कुराते हुए देख रही थी. बड़ी अदा से इतरा कर बोली, ” हाय राम….लल्ला……बहुत बदमाश हो गया है, तेरे लिए तो लड़की मैं ही ढूंढ़ कर लाऊंगी”

मैंने ने कहा, “हाँ चाची, अपने जैसी ही ढूंढ़ कर लाना”, बेचारी का एकदम से चेहरा उतर गया. ठंडी सांस लेकर बोली, ” मेरे जैसी ला कर क्या करेगा लल्ला, न मैं तेरे चाचा को बच्चा दे पाई ना तेरी माँ जैसा खूब दहेज़ लायी, मुझे तो लगता है की तेरे चाचा भी मुझसे प्यार नहीं करते……ऐसी लड़की का क्या करेगा रे….”

माहोल एक दम बदल गया. उनका चेहरा ही उतर गया था. अचानक मेरे मन में इस दुखियारी के लिए दया आ गयी. मैंने उनको खुश करने के लिए कहा,

” नहीं चाची, आप जैसी ही लाना, इतना सब होने के बाद भी आप कितनी हंसमुख हो, घर के सारे काम संभालती हो, आपके यहाँ आने के बाद से माँ को तो बस मंदिर दीखता है मगर आप फिर भी उनको इतनी इज्ज्ज़त देती हो….. चाचा अगर आपका ख्याल नही रखता और अगर बच्चा ना हुआ तो इसमें आपका क्या दोष ?

खराबी तो चाचा में है.” वो एकदम आँखों गोल करके बोली, ” क्या बोल रहा है रे लल्ला….” . मैंने और हिम्मत करते हुए कहा, ” मुझे पता है की चाचा में शुक्राणु की कमी है, वो रिपोर्ट मैंने पढ़ ली थी”

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चाची ने एक ठंडी गहरी सांस ली……उनका ब्लाउस ऐसा तना की लगा आज सारे हुक टूट जायेंगे. फिर बोली, ” इसीलिए कहती हूँ लल्ला कि बुरी आदतों से दूर रह, कल तेरी बीवी को भी येही दुःख भोगना पड़ेगा. ना मन में शांति रहेगी ना ….तन में.”

मैंने बात काटी, “नहीं चाची ऐसा नहीं हैं, मैं भी कोई रोज़ रोज़ नहीं करता, वो तो आजकल… , और वैसे भी डाक्टर चाचा ने बताया हैं कि कभी कभी करने से कुछ नहीं होता.”

“आज कल क्या रे लल्ला……”, चाची ने ऑंखें सिकोड़ के पूछा. मैंने हिम्मत जुटाई और पाँसा फेका, “न न न नहीं क क कुछ नहीं….. “

चाची ने आवाज़ कड़क कर के बोला, “बता ना ….आज कल क्या ? “

“वो च च चाची …..आप मजाक करती हो ना…तो मुझे करना पड़ता है”

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“हाय राम……बेशरम. तो तू क्या मेरे बारे में सोच सोच कर……..हाय राम….उठ यहाँ से………खड़ा हो जा “

मेरी गांड फटी……”न न नहीं च च चाची…..म म मेरा मतलब है कि मुझे सपने आते है अजीब से……और वो सोचने से ये ऐसा हो जाता हैं, इ इ इस लिए करना पड़ता है”

चाची मुझे घुर रही थी और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करू ? फिर वो बोली, “देख लल्ला….मैं तुझ से बड़ी हु….तेरी चाची हूँ, ये गन्दा गन्दा मत सोचा कर, मैं तो समझ भी जाउंगी कि तू अभी बच्चा है मगर दुनिया क्या कहेगी…..”

साली को ये दिक्कत नहीं कि मैं उसके बारे में सोच सोच कर लंड हिलाता हूँ, उसकी तो इज्ज्ज़त के नाम फटी है. मैंने कहा, ” चाची मैं कभी किसी से कुछ नहीं बोलूँगा,

माँ की कसम, आप ही तो है घर में जो मुझको समझती है, बात करती हैं, इतना ध्यान रखती हैं, माँ को तो भगवान् और भजन से फुर्सत नहीं और पापा को तो ये भी नहीं पता होगा की मैं कौन सी क्लास में और कौन से कॉलेज में हूँ. चाचा तो यूँही काम में इतना बिजी रहते हैं.

इतनी भारी सेंटी मारी की चाची एकदम पसीज गयी और बोली, “नहीं रे लल्ला…..ऐसा मत बोल रे …मैं हूँ ना…..तेरा पूरा ख्याल रखूंगी……तेरा मेरा दर्द एक जैसा ही है रे……” कह कर उन्होंने मुझे गले लगा लिया. उनकी हाईट तो कम थी मगर वो बैठी थी सोफे पर और मैं था निचे. मेरा सर सीधा उनके मम्मो के तकिये पर टिका.

एक पसीने और साबुन की खुशबु का मिला जुला झोंका मेरी नाक में आया और मेरा लंड जो उनके पैरों से चिपका था, सर उठाने लगा.

मैं उस गद्देदार तकिये के मज़े ले रहा था, ऐसा लग रहा था की बस यहीं पर समय रुक जाये. चाची ने मुझे धीरे से पीछे किया, और बोली, ” लल्ला….तेरी लुगाई बहुत खुश रहेगी रे….तू अब समझदार हो गया हैं. तभी मैंने कहा, “और जवान भी”. हम दोनों हंसने लगे…..तभी उनकी नज़र मेरी पेंट के उभर पर गयी जहाँ पर मेरा बाबुराव कसमसा रहा था. मुंह पर हाथ रख पर बोली,” राम राम …..लड़का है की सांड है रे ?”

मैंने अनजान बनकर पूछा, “क्यों चाची, सांड क्यों ?”

चाची ने अपना निचला होंट मुंह में दबाया और बोली, “क्योकि सांड भी ऐसे ही होते हैं” . मैंने फिर कुरेदा, ” मैं समझा नहीं”

“अरे लल्ला…..वो गाँव में अपने घर एक सांड पाला था…..6 -7 फुट ऊँचा और ऐसा भारी था की 100 गाँव तक उसकी बातें होती थी, वो तेरे चाचा ने उसको गाय गाभिन करने के काम पर ही लगा दिया था, लोग अपनी अपनी गाये लाते, गाय को स्टैंड में खड़ा करते और अपने सांड को उसके पीछे खड़ा कर के कुलहो पर एक लट्ठ मारते.

लठ खाते ही उसका ……..वो……. तलवार जैसे बाहर निकलता और वो गाय पर चढ़ जाता. ऐसे वो एक दिन में 6 -7 बार कर लेता था. गाय गाभिन हो जाती, किसानों को अच्छे नस्ल के बछड़े मिल जाते और तेरे चाचा को हर बार के 500 रूपये. तेरे चाचा उस सांड से ही कुछ सीख लेते……..”

चाची की आँखों में लाल लाल डोरे दिखने लगे थे, शायद सांड के तलवार जैसे लंड की याद आ गयी थी. मैंने कल्पना की की चाची घोड़ी बनी हुयी हैं और पीछे से मैं उनकी मार रहा हूँ . शायद इसलिए चाची मुझे सांड बोल रही थी…….

मतलब क्या चाची ……………….

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तभी मेरा मोबाइल बजा, मैं और चाची जैसे नींद से जागे. इतनी रात को कौन उंगली कर रहा था ? मैंने फ़ोन देखा…..

पिया का था. मेरी गांड फटी की अगर चाची ने पूछा की कौन है तो क्या बोलूँगा.

मैंने फ़ोन उठाया , “हाँ बोल..”. मेरे ऐसे उत्तर से शायद को सकपका गयी, “ह ह ह हेलो, शील ?”

वाह रे ऊपर वाले, कभी मैं इस लड़की से बात करने समय हकलाता था, और आज यह मुझसे बात करने में हकला रही हैं.

मैंने कहा, “क्या हुआ भाई, सोया नहीं क्या अभी तक”.

थी तो पिया भी शातिर, एक सेकंड में माजरा समझ गयी, ” अरे कोई बैठा है क्या तुम्हारे पास ?”. मैंने कहा, “हाँ यार, बस चाची के साथ बैठा था, गप्पे मार रहा था”

ऐसी गप्पे ही मारने को मिल जाये तो इंसान “दूसरी चीज़े मारने की क्यों सोचे ?? “

चाची ने इशारो से पूछा की कौन है, मैंने ऐसे ही चुतिया बनाया और पिया से बोला, “और बोल, पढाई वगेरह ठीक चल रही है”

“अरे मत पूछो, तुम्हारे जाने के बाद से फिर वोही हालत हो गयी, कुछ समझ नहीं आ रहा. मेरा मन आज तो पढ़ने का भी नहीं हो रहा.”, वो बोली.

उसका यह कहना हुआ और मुझे उसका नरम और गरम हाथ का स्पर्श याद आ गया, हाय रे……वो सांड नवजोत नहीं आता तो क्या पता कुछ और होता.

यह सोचते ही ठरक जगी और सिग्नल खड़ा हो गया. साली जींस इतनी टाईट होती है की कोई ध्यान से देखे तो लंड क्या गोटे भी नाप ले. और वो ही काम चाची कर रही थी. मैंने सर उठाया और चाची को देखा तो उनकी टेडी नज़ारे मेरे तने हुए तम्बू पर ही थी. पहले ही पिया की हरकत याद करके मेरा हाल बुरा था उसके ऊपर से चाची की टेडी नज़ारे क़यामत ढा रही थी. धीरे धीरे उनके चेहरे पर वो ही मंद मंद मुस्कान आ गयी. उधर पिया जाने क्या बोले जा रही थी. मैंने कहा, “क्या ? क्या बोला ?”

वो एक दम चुप हो गयी.

मैंने कहा, “हेल्लो ….? आर यु देयर ? “

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वो धीरे से बोली, “मैं तुम से बात कर रहू हूँ और तुम्हारा ध्यान ही नहीं हैं, अगर बिजी हो तो कोई बात नहीं”

“अ अ अरे ….क क कुछ नहीं यार…तू बोल ना”

“नहीं, मुझे बात नहीं करनी”

“अरे क्या हुआ” मैंने पूछा. उसका जवाब आये उसके पहले चाची मुझे घुर रही थी.

मैंने सोचा की पहले इसको कल्टी कर दू . नहीं तो चाची को शक हो जायेगा.

” …..अच्छा सुन, मैं तुझे कॉल करता हूँ…थोड़ी देर में.”, मैंने उसको पुचकारने की कोशिश की.

“नहीं मत करना, फोन भाई के पास रहेगा…….”.

जैसे किसी ने भरे बाज़ार में मेरी पेंट उतार ली हो. मेरी आवाज़ एक दम बंद हो गयी.

फिर मैंने कहा, “अ अ अच्छा…..त त त तो….. ठ ठ ठीक है नहीं क क करूँगा.”

अचानक फ़ोन उसके खिलखिलाने की आवाज़ से गूंज उठा, वो जोर जोर से हंस रही थी और मुझे समझ ही नहीं आ रहा था की हुआ क्या ????

” अरे बुद्धू……फोन मेरे पास ही रहेगा, बिलकुल दिल से लगा के रख्खा है ….तुम फ्री हो कर फोन कर लेना……….तुम कितना डरते हो भाई से ……”, और फिर जोर जोर से हंसने लगी.

साली …….इसको तो मैं रगड़ रगड़ के……….

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मैंने बाय बाय करके फोन रखा

“कौन था लल्ला…..”

“कोई नहीं चाची……दोस्त है”

“दोस्त या दोस्तनी ?”

“न न न नहीं चाची दोस्त है…….”

“अच्छा …….आवाज़ तो लड़की की लग रही थी”

“न न नहीं चाची व् वो उसकी आवाज़ पतली है”

“लल्ला……पतली आवाज़ वाले दोस्तों से यारी करने से अच्छा हैं की लड़कियों से ही कर ले”, कहकर वो भी खिलखिलाने लगी.

मैं भी हंसने लगा…..मैंने कहा, “क्या चाची आप भी………आप को लगता है की मैं वैसे लडको से दोस्ती करूँगा ? “

“नहीं रे लल्ला….क्या पता……..ज़माना ख़राब है, वैसे तू ऐसा करने का सोचता भी तो उसको पहले ही मैं तुझे सुधार देती”

मैंने भोला बन के पूछा….”कैसे चाची…….”

“वो तो लल्ला अगर ऐसा कुछ होता तो तुझे पता लग ही जाता”, चाची ऑंखें नचाती हुयी बोली.

“बताओं ना चाची…..देखो आप और मैं दोनों दोस्त जैसे ही तो है.” मैंने जिद की.

“अरे लल्ला….क्या बताऊ तुझे…….औरत त्रिया चरित्र से हर मर्द से मनचाहा काम करा सकती हैं”

“त्रिया चरित्र ???? ये क्या है…..कोई दवाई है क्या ?”, मैंने भोला बन के पूछा…….

ऐडा बन के पेड़ा खाने में तो अपन भी उस्ताद है.

“अरे लल्ला……त्रिया चरित्र मतलब……..मतलब ……..औरत जो अपने रूप और नखरो से किसी से कुछ भी करा लेती है ना…….उसको कहते हैं त्रिया चरित्र”, चाची ने समझाया.

फास्ट बोलर के ओवर ख़तम………स्पिन चालू. अपना बल्ला भी तैयार हो गया.

मैंने फिर कुरेदा, “चाची ……रूप और नखरे से क्या ? मतलब की…क्या करा ले ?

“अरे लल्ला, कुछ भी करवा सकती है औरत…..आदमी को ज़रा सा इशारा करते है उसके दिमाग का सारा खून वहां से, नीचे चला जाता है, औरत की बातों के आगे अच्छे अच्छे हर मान लेते है”, चाची ने गुगली मारी.

“अच्छा चाची….अगर मैं ऐसे लडको से दोस्ती कर लेता, जो लडको को ही पसंद करते हैं तो क्या करती आप ?” , मैंने भी पूछ लिया.

चाची ने अपनी टांगो के बीच में खुजाते खुजाते कहा.

“अरे लल्ला……जो भी करती बस तुझे यह समझा देती की लडको के साथ वो बात नहीं जो एक औरत के साथ है”,

अब मैंने भी अपनी नज़रे चाची की टांगो के बीच लगा दी. “चाची……अ अ आप ने वो साफ़ किया की नहीं…….”

“क्या रे लल्ला…….”, चाची ने ऑंखें तरेरी.

“व व व वोही……वो …..बाल……”

चाची ने धीमे से मुस्कुरा कर ऑंखें सिकोड़ कर सर हिला दिया.

हाय रे…..साला इतने में तो अपने पुरे बदन में सन सनन साय साय होने लगी.

“त त त तो च च चाची……..फिर आपकी य य यह ख ख ख खुजली…….की दवाई कैसे काम करेगी…….?

चाची ने ठंडी सांस भरी, “अरे तो अब मैं क्या करू……मुझे बहुत डर लगता है…..ऐसे कैसे साफ़ करू……साफ़ करने के चक्कर में ब्लेड से कट लग गया तो….?”

तभी चाची के खेत के चारो तरफ, उजाड़ बंगले के बगीचे जैसे झाड़-झुरमुट उगा हुआ था. चाची ने कभी नीचे के बाल साफ़ किये ही नहीं थे.

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“अरे क्या चाची…..आप भी…….रेज़र से थोड़ी साफ़ करते हैं. हेयर रिमूविंग क्रीम आती है, वो लगा लो. १० मिनट में सब साफ़.”

“हे भगवान…..क्या क्या चीज़े आने लगी हैं………बिलकुल साफ़ हो जायेगा ???”

“हाँ चाची……एकदम साफ हो जाता है….और एक दम चिकनी स्किन हो जाएगी……….आपके गाल जैसी”

“चल हट बदमाश………”

मगर उन्होंने हलके से अपने गालो को सहलाया और जायजा लिया की बाल साफ़ होने के बाद उनकी मुनिया कैसी चिकनी लगेगी.

चाची की आँखों में देखकर ऐसा लग रहा था मानो उन्होंने पी रखी हो.

ठंडी सांस ले कर बोली, “ठीक है लल्ला…..कल क्रीम ला देना…..अभी तो बहुत रात हो गयी…..”

“च च चाची अ अ आप बोलो तो मेरे पास रखी हैं……..वो क्रीम…”, मैंने कहा.

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“हाय राम……तुझे क्या काम उसका ? “, ऑंखें गोल गोल कर के उन्होंने पूछा.

“च च चाची……..म म म मुझे वहां पर बाल पसंद नहीं……साफ़ रखो तो ख ख ख खुजली भी नहीं होती…….इ इ इसलिए”

चाची उठी और बोली, “चल …..दे दे….”

मैं अपने रूम में गया…….बाथरूम में जाके ट्यूब उठाई…..चाची मेरे पीछे पीछे वहां तक आ गयी थी…..मैं पलटा तो एकदम से हम टकरा गए……

मेरा सीना सीधा चाची के बिने ब्रा में कैद मम्मो से जा टकराया…….साली ये ब्रा क्यों नहीं पहनती. मेरा टी शर्त का कपडा भी पतला था. मुझे उनके खड़े हुए निप्पल महसूस हो गए थे. साली ……..मस्ती इसको भी चढ़ रही थी.

 

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अभी चची के जाने के बात मेरी गांड फटने लगी की कहीं चची मोम, पापा या चाचा को बोल न दे. रूम से बाहर आया तो कोई भी नहीं था. चाचा और पापा दुकान जा चुके थे.

मोम मंदिर गयी होगी और चची शायद नहा रही थी.

मैंने सोचा की बात दबा ही लेते है. तभी चची आ गयी

चची : अरे शील चाय पिएगा क्या ?

मैं : ह ह हा च च चची

चची : क्या हुआ तुझे ? ( मैं जब भी गुस्से में या नर्वस होता हूँ तो हकलाने लगता हूँ )

में : न न नहीं क क कुछ नहीं

में : वो च च चची …..म म मेरे रूम में ……व व वो कागज़ थ थ था ना …….व व वो स स सॉरी.

शायद वो कुछ समझी नहीं. तभी उनको क्लिक हुआ की में मूठ वाले कागज़ की बात कर रहा हूँ

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चची : (माथे पर सल लाकर बोली ) देख शील यह गंदे गलत काम मत किया कर. पड़ने लिखने की उम्र है. पढ़ ले नहीं तो तेरे चाचा जैसे दुकान की गुलामी ही करता रह जायेगा

मैंने चैन की ठंडी सांस ली और सर झुका के बोला की अब नहीं करूँगा चची. चची ने स्वीट से स्माइल दी और कहा की चल में चाय बना देती हूँ .

तभी मोम आ गयी और बोली की चची भतीजे में सुबह सुबह क्या खिचड़ी पक रही है. चची ने कुछ नहीं कहा और मुझे चाय दे दी.

कॉलेज में मेरे ज्यादा दोस्त नहीं थे. सब भेन्चोद मेरे हकले पन का मजाक बनाते थे इस लिए में थोडा रिसेर्वे ही रहता था. आज कॉलेज के लिए निकला तो बस छुट गयी और मुझे पैदल जाना पड़ा. लेट तो हो ही गया था सोचा कैंटीन में कुछ खा लूँ. में घुसा और मुझे नवजोत और उसका गेंग दिख गया. में चुप चाप साइड में जाके बैठ गया और सर झुका के बुक देखने लगा. तभी

नवजोत : ए हकले ………अबे ओ हकले ……..इधर आ

में ( नर्वस होके ) : क क क्या हुआ ?

नवजोत : इधर आ लोडू

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में गया और उनकी टेबल के पास खड़ा हो गया:

नवजोत : चल गाना सुना

हुआ यूँ था की कॉलेज में मेरे फर्स्ट डे को जब हम सब की रेगिंग ली गयी थी तो मुझे कहा गया की “सलामे इश्क मेरी जान” गाना गाऊ. उस दिन नर्वस होने की वजह से में बहुत हकलाया था और नवजोत जो की मेरे से २ साल सीनियर था उन सब का लीडर था . उस ने मेरी इज्ज़त धुल में मिला दी थी और सब जान गए थे की में हकला हूँ

में : सॉरी मेरा गला ख़राब है

नवजोत : साले लोडू गाता है या दू गांड पे लात.

और उस ने मेरे छोटे मगज पर हाथ मार दिया, चटाक की आवाज़ आई. दिल तो ऐसा किया की साले का खून कर दूँ. उस ने दुबारा हाथ उठाया ही था.

तभी कैंटीन में कुछ लड़किया आई. उनमे से एक लड़की जो पिंक कलर के सुट में थी, खुले हुए सुनहरे बाल, सोने और दूध की मिलावट का रंग. एक हाथ में चूड़िया और गांड में बला की लचक. वो सीधी हमारी टेबल के पास आई और नवजोत से बोली

भैया, मेरी गाड़ी पंक्चर हो गयी है. क्या आप मुझे साथ में घर ले चलेंगे

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नवजोत : अरे पिया कहां हुई पंक्चर ? गाड़ी कहां है ?

(ओ तो इसका नाम पिया है और ये अप्सरा इस मादरचोद की बहन है )

पिया : कॉलेज में ही है भैया. ये लो चाबी

नवजोत : अरे विक्की , ये ले चाबी और घर छोड़ देना

नवजोत जाने लगा अचानक मुड़ा और मुझसे बोले की फिर सुनेगे तेरा गाना तानसेन……पिया ने भी मेरी तरफ देखा. हमारी नज़रे मिली और उस ने माफ़ी से भरी एक हाफ स्माइल दी. और चली गयी

रात को सपने मैं मैंने देखा की चाची मेरे रूम को साफ़ कर रही है मगर उन्होंने साडी नहीं पहनी हुयी है. ब्लाउस मैंने उनके बूब्स हिल रहे है और पेटीकोट में उनकी गांड का शेप साफ नज़र आ रहा है. फिर वो मेरे पास आई और मेरे जांघों पर हाथ फिराने लगी और धीरे धीरे मेरे लंड पर हाथ फेरने लगी. तभी मेरी नींद खुली और पजामे में ही मेरा माल निकलने लगा. ओ गोड….मैंने फटाफट मेरी कॉपी में से एक पेज फाड़ा और अंडरविअर और लंड को साफ़ कर लिया और वापस सो गया.

सुबह किसी के हिलाने से मेरी नींद खुली. देखा तो चाची थी और काफी गुस्से में लग रही थी.

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मैं : क क क्या हुआ चाची ??

चाची : कल ही समझाया था ना ? क्या है ये ? उस कागज़ की तरफ इशारा कर के उन्होंने पुछा

मैं : व व वो मेरा नहीं है.

चाची : मतलब कोई और आके रख गया है क्या ?

मैं : न न न नहीं वो अपने आप हो गया था

चाची : मतलब ?

मैं : न न न नींद में हो गया था चाची मैंने नहीं किया

चाची : ऐसा कोई होता है क्या ? झूट मत बोल.

मैं : न न नहीं चाची मैंने स स सपना देखा और अपने आप हो गया. म म मैंने तो इस से सिर्फ साफ़ क क किया था

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चाची : ऐसा क्या सपना देखा ?

अब मेरी बोलती पूरी तरह से बंद.

मैं फटाफट रेडी हुआ और घर से निकल लिया. चाची को फेस नहीं कर सकता था.

कॉलेज मैं घुसा और गार्डन में बैठा था तभी मैंने देखा की नवतोज की बहन, अप्सरा सी सुंदर पिया एक लड़के से बातें कर रही है. मेरी गांड सुलगने लगी कि भेन्चोद ऐसा माल मुझे क्यों नहीं मिलता.

अकाउंट की क्लास में मैंने देखा की वो भी बैठी थी. मैंने अपने पास वाले से पुचा भाई ये अभी न्यू एडमिशन कहाँ से आया. वो बोला अबे सरदार प्रताप सिंह की बेटी है.

फायनल एक्साम के पहले भी आती तो एडमिशन मिल जाता. मैं अकाउंट में होशियार था और जो सर हमे अकाउंट पड़ते थे, वो न जाने क्यों मुझसे नरमी से पेश आते थे

शायद मेरे मार्क्स अच्छे आते थे और फिर मैं उनकी नज़र मैं सीधा सादा हकला था.

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क्लास ख़तम हुई और सब निकल लिए. मगर पिया रुक के सर से बातें करने लगी. मैं जा ही रहा था की सर ने मुझे आवाज़ दी और बुला लिया.

सर : शील, ये पिया है. लेट एडमिशन है इसलिए स्टार्टिंग के तीनो चेप्टर मिस कर चुकी है. तुम्हारे नोट्स वगेरह इसे दे देना.

मैंने कुछ बोला नहीं सिर्फ सर हिला दिया. फिर सर के जाने के बाद थोडा धीरे धीरे बिना हकलाये उस से बोला की कल देता हूँ ताकि उसके सामने इज्ज़त बच जाये. वो भी थैंक्स बोल के निकल ली.

घर पे गया तो आँखों में पिया का ही चेहरा घूम रहा था. डायनिंग टेबल पर बैठा था और टीवी देखा रहा था तभी चाची वहां पर झाड़ू मरने लगी. मैं चाची को बोलने ही वाला था की मेरी नज़र चाची के ब्लाउस पर गयी. उनका आंचल नीचे आ गया था और सावले सलोने दोनो बूब्स जोर जोर से हिल रहे थे. शादी के ५ साल बाद भी उन्हें बच्चा नहीं हुआ था इस लिए आज भी कड़क थी. अभी तक मैंने उन्हें उस नज़र से देखा नहीं था पर सपने में माल निकल देने के बाद से मेरी नज़रे बदल गयी थी.

तभी वो सीधी हुई. मैंने तुरंत नज़रे टीवी की तरफ कर ली. चाची ने अपने आंचल से गले का पसीना पोचा और अचानक अपनी चूत की साइड में खुजाने लगी.

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ओ shit . मेरा माहोल बनने लगा. अचानक उन्होंने मुझे देखा और अपना हाथ हटा लिया. चाची को शायद गुस्सा आ गया था क्योकि उनके माथे पर फिर से सल आ गया था. मै वहा से चुपचाप सरक लिया.

अगले दिन कालेज में अकाउंट के लेक्चर के बाद पिया मेरे पास आई और बोली

पिया : हाय

मैं : ह ह हाय

पिया : नोट्स लाये हो आप

माँ की चूत…..मैं नोट्स घर पर भूल आया था.

मैं : स स सोरी …..क क कल देता हूँ

उसका चेहरा थोडा उतर गया. कसम से इतनी क्यूट और सेक्सी लग रही थी की बस पकड़ो और……….मैंने अपने सर झटका और उसको बाय बोल के निकल आया.

रात तो घर लेट पहुंचा. सब सो चुके थे मेरे पास मैं घर के डोर की चाबी रहती है. बिना आवाज़ किये डोर खोला और अपने रूम में जाने लगा तभी चाची के रूम से कुछ आवाज़ आई. उनका रूम और मेरा रूम पास पास है और उनके बीच में एक दूर था जो अब बंद कर दिया है, मैं मेरे रूम में गया और कान लगा के सुनने लगा

चाची : ममम सुनो न …..ऐ जी …. सो गए क्या ?

चाचा : हम्म क्या है ?

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चाची : यहाँ आओ ना

चाचा : क्या है नीलू ?

चाची : देखो ना मुझे यहाँ पर आजकल बहुत खुजली होती है

चाची : नीलू गर्मी में रेश आ जाते है. क्रीम लगा ले.

मैं समझ गया था की चाची को कहाँ खुजली हो रही है. मैंने डोर की दरारों में देखने की कोशिश की और एक दरार से उनका बेड दिखने लगा. चाची ने सामने से ओपन होने वाला गाउन पहना था और मेरा चाचा पट्टे वाली चड्डी में था.

चाची : अरे देखो तो सही की मुझे हुआ क्या है ? इतनी खुजली क्यों होती है ?

चाचा : नीलू सो जा यार. दिन भर दुकान में गांड मराने के बाद मुझ में इतनी शक्ति नहीं की तेरा चेकअप करू.

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चाची : मम्म देखो ना जी. ऐसी खुजली होगी तो नींद नहीं आयगी

साली मुझे बोलती है की गंदे गलत कम मत किया कर और यहाँ पर …..

चाचा : नीलू प्लीज़ यार

चाची गोउन खोलते हुए : देखो ना जी…….क्या हुआ हे. दिन भर खुजली मचती रहती है. क्या आप को भी वहां पर खुजली होती हे.

ये बोलकर चाची ने चाचा के चड्डे में हाथ ड़ाल दिया और चाचा के लुंड को सहलाने लगी. साली चाची तो बहुत गरम है.

चाचा ने हुन्कार भरी और चाची को किस करने लगा. चाची के मुह से मम मम की आवाज़ साफ़ आ रही थी. चाचा ने उसके गाउन को खोल दिया और चाची के गोल संतरों की दर्शन करा दिए. बच्चा भले ही ना हुआ मगर मेरी चाची के मम्मे इतने शानदार होगे इसका मुझे अंदाज़ा भी नहीं था.

साली लेटी हुई थी फिर भी उसके बादाम जैसे निप्प्ले अलग ही दिख रहे थे. अचानक मेरे चाचा ने चड्डी खोली चाची का गाउन खोला. मैं तो चाची की चूत भी नहीं देख पाया और मेरा चाचा उसकी टांगों के बिच में बैठ गया. बस चाची की मोटी मोटी जांघें दिख रही थी. मैंने अपना लैंड बहार निकल लिया और हिलाने लगा.

चाची : मम्म मुझे और किस करो ना . इन का ख्याल कोन रखेगा ( अपने मम्मे अपने हाथों में लेकर बोली)

गांड की फटफटी – गरम सेक्स कहानी Hindi Sex Kahani

चाचा ने अपना थुक लंड पे लगाया और सीधा ही चाची की चूत में ठोक दिया. चाची के मुह से आह निकल गयी. चाचा की बाल भरी गांड जोर जोर से हिलने लगी.

दस पंद्रह धक्के मारे और चाचा सांड जैसा हुन्कारने लगा.

चाची : नहीं अभी नहीं. डौगी करो. पीछे से डालो आ आअह. नहीं ना ना आह

चाचा तो अनसुनी कर के धक्के मरता गया और एक दम उसका शरीर अकड़ा और भेन्चोड ने अपने माल छोड़ दिया.

चाची : ये क्या किया आपने ? ऊह मुझे हर बार ऐसे ही छोड़ देते हो. मुझे और जोर से खुजली हो रही 

चाचा ने चड्डी से अपने लंड पोछा और चाची की तरफ पीठ करके सो गया. चाची के साथ तो चोट हो गयी. कहाँ तो डौगी में चोदने का बोल रही थी और कहाँ दस धक्के मैं कहानी ख़तम.

मेरा लंड मेरे हाथ में ही था. मैं कभी अपने लंड को देखता और कभी बेचारी चाची को.

चाची की चूत दिख नहीं रही थी. मगर मैंने देखा की उनका हाथ धीरे धीरे अपनी चूत की तरफ गया और वो उसे रगड़ने लगी. उनके मुह से फिर सिसकारी छुटी और मेरा लंड फिर तनने लगा. चाची का एक हाथ अपने बूब्स को दबा रहा था, उनके निप्प्लेस उनकी उँगलियों के बीच थे. वाव क्या सीन था.

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मैंने अभी अपना लंड जोर से हिलाना शुरू कर दिया. चाची की सिस्कारियां तेज़ होती गयी और मेरे हाथ की स्पीड और उनकी उँगलियों का मोशन फास्ट होता गया.

अचानक उन्होंने जोर जोर से सांस लेना शुरू कर दिया और मादक स्वर में आह आह उहुहू ……उहुह….आह…करने लगी. चाची का ओर्गेस्म हो रहा था

मेरे गोटे भी कड़क होने लगे. मैंने इधर उधर देखा और टेबल पे पड़ा हुआ कागज़ उठाया और उसमे अपने लंड हिलाने लगा. अचानक एक सुरसुरी और गुदगुदी का मिला जूला एहसास हुआ और मेरे लंड ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया. मगर ये क्या …….पहली धार जोर से निकली और हवा में उड़ के डोर पे जा गिरी. फच फच करके पानी निकलता ही रहा. मेरा सर पीछे हो गया ऑंखें बंद हो गयी…..ओ गोड…..यस.

मैंने कागज़ फोल्ड कर के वही रखा और बिस्तर पे पड़ गया. वाव इतना मज़ा आज तक नहीं आया था.

सुबह नींद खुली तो दस बज चुके थे. 10.30 पर तो कॉलेज ही था. फटाफट तैयार हुआ बुक्स उठाई और पुराने नोट्स भी उठा लिए. पिया के लिए

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चाची नाश्ता लगा रही थी. पर मैं जाने लगा तो बोली

चाची : शील, नाश्ता कर ले.

मैं : नहीं चाची लेट हो गया हूँ.

चाची पास आके मुझे बिठाते हुए : नाश्ता नहीं करेगा तो ताक़त कैसे आएगी. अब तू जवान हो गया है

मेरी समझ में कुछ आया नहीं. ओह god कल रात की रास लीला देखके जो माल निकला था वो तो कागज़ फिर से कंप्यूटर टेबल पर ही छोड़ दिया था.

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कहीं फिर से चाची ने वो कागज़ तो नहीं देख लिया. मेरी फटी.

मैं : च च चाची ……वो …….म म मेरा मतलब है की वो कागज़ ……आई ऍम सॉरी ……अब नहीं होगा

टेड़ी मुस्कान के साथ बोली : कोन सा कागज़…अच्छा वो वाला…..

मैंने सर नीचे झुका लिया.

चाची: अब तू कॉलेज जाने लगा हे, जवान हो गया है….चलता है मगर थोडा कन्ट्रोल रखा कर…..रोज़ रोज़ कोई करता है क्या ?

मैंने झटके से सर उठाया, चाची कुटिल तरीके से मुस्कुरा रही थी. तभी उन्होंने वो किया जिस से मेरे दिमाग में हतोड़े पड़ने लगे

अचानक वो अपनी टांगों के बीच खुजली करने लगी ये करते हुए तो बेशरमी से मुझ से बातें भी कर रही थी. मुझे तो यह भी नहीं पता की वो क्या बोल रही है. मेरा सारा ध्यान उनकी उंगिलयों के खेल पर था.

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चाची : शील तू सुन रहा है न ? शाम को जल्दी आ जाना

में : ह ह हाँ च च चाची

चाची :अच्छा तू लेट हो रहा है. जल्दी कर नहीं तो बस नहीं मिलेगी.

और झुक कर मेरी प्लेट उठाई. हाय क्या नज़ारा दिखा. उनके दोनों संतरे ब्लैक ब्रा में कैद थे और हमेशा की तरह उन्होंने काफी टाईट ब्लाउस पहना था जिसके कारण उनके बूब्स उभर के बहार निकल रहे थे. बूब्स के बीच के घाटी पूरी अन्दर तक दिख रही थी . मेरे बदन की नसे गरम हो गयी और वही मेरा माहोल बन गया. जींस में जैसे तैसे अड्जेस्ट किया. चाची मुझे वो ही बेशरमी भरी मुस्कान से देखे जा रही थी. बड़ी मुश्किल से मैंने बुक्स समेटी और कॉलेज के लिए भागा.

चाची के झटके से मेरा दिमाग घूम गया था.

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अनीता चाची जिनका प्यार का नाम नीलू है. मेरे चाचा की बीवी. पिछले साल ही गाँव से आई थी. जब गाँव में बाड़ आने से सब तबाह हो गया और चाचा सड़क पे आ गया, तो मेरे पापा ने उनको शहर बुला लिया और अपने साथ दुकान पे लगा लिया. मेरा बनिया बाप बहुत शाना है. दूकान के दो नोकरों की छुट्टी करके उनका पूरा काम मेरे चाचा से ही कराता था, शायद इसी लिए मेरा चाचा इतना थका रहता था की नीलू की खुजली नहीं मिटा पा रहा था. बेचारी को शादी के ५ साल बाद भी बच्चा नहीं था.

सांवले रंग में ढली उसकी चिकनी काया में अजंता की मूर्तियों जैसे घुमाव और उठाव थे. तीखा नाक जैसे चोंच हो, कंटीली भंवे, थोड़े भरे भरे होंठ और उसके ऊपर एक तिल.

गाँव से आई चाची को डौगी पोसिशन में करना पसंद है यह सोच सोच के मेरा सांप फिर फन उठाने लगा.

अपनों अरमानो की गाड़ी को ब्रेक लगा कर कॉलेज में घुसा. अकाउंट का लेक्चर ख़तम हो चूका था. तभी सामने से आती पिया दिखी. उसने सफ़ेद शर्ट और ब्लू जींस पहनी थी, बाल खुले थे, क़यामत दिख रही थी. वो आई और

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पिया : हाय …मेरे नोट्स लाये हो ना

मैं : ह ह हाय (साला ये हकलापन). हाँ यह लो.

पिया : थेंक्स. तुम्हे जल्दी तो नहीं चाहिए.

मैं : न न नहीं. अ अ आप आराम से कॉपी कर लो.

पिया : यह आप आप क्या लगा रखा है. अरे हम दोस्त है. इतने फोर्मल मत बनो

मैं : थ थ ठीक है…..अ अ आप….मेरा मतलब है की तुम को अब तुम कहूँगा

वो हंसी और उसके गुलाबी होटों के बीच में उसके मोती जैसे दांत चमक उठे. तभी मैं नोटिस किया किया की उसके होटों के ऊपर एक तिल है. ऐसा ही एक तिल चाची के होटों पर भी है. चाची की याद आते ही मेरा दिमाग उनकी रात की और सुबह की बातें याद करने लगा. तभी पिया बोली

पिया : अरे कहाँ खो गए. आज लेट कैसे हो गए. क्लास में तो दिखे ही नहीं आज.

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मैं : ह ह हाँ म म मैं वो …..

पिया (शरारती मुस्कराहट के साथ बोली) : पार्क में GF के साथ थे क्या ?

मैं तो एक दम घबरा गया और मेरा मुह लाल हो गया

मैं : म म मेरी कोई gf नहीं हैं.

पिया : अच्छा पुरे कोलेज में ऐसा कोई लड़का या लड़की नहीं जिसका कोई सीन नहीं है

मैं : स स सच में नहीं है. क क कसम से.

पिया : इट्स ओके यार. वैसे तो मेरा भी नहीं पर बोलना येही पड़ता हैं, की कोई है. भाई के डर से सब दूर ही रहते है.

अच्छा चलो मुझे जाना है बाय

आज मुझे अपने हकले होने पर जितना गुस्सा और शर्म आई की क्या बोलू.

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घर पे पहुंचा तो पूरा घर खाली था. अपनी चाबी से दरवाजा खोल के जब अन्दर गया और आवाज़ लगायी तो चाची के कमरे से

आवाज़ आई.

चाची : कोन हैं ? शील ?

मैं : हाँ चाची……सब कहाँ गए ?

चाची : अरे सुबह बोला तो था की सब मंदिर में जायेंगे. रणछोड़ दास जी के भजन हैं.

अब मैं क्या बोलू की सुबह मेरा ध्यान कहा था.

चाची : मैं कपडे धो कर आती हूँ. खाना रेडी है.

मैं : अरे चाची…मेरे कपडे भी धो दिए क्या ?

चाची : नहीं….ला दे… जल्दी.

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मैं रूम में गया और अपनी जींस, टी शर्ट और अंडरवियर उठाई. जैसे ही बाथरूम में घुसा मेरी साँसे रुक गयी.

चाची गाँव वालो की तरह उकडू बैठ कर कपडे धो रही थी, उनको वाशिंग मशीन में कपडे धोना नहीं आता था. उनका आचल गिरा हुआ था और ऐसे बैठने की वजह से उनके बूब्स मचल मचल के बाहर आ रहे थे. उन्होंने साड़ी घुटनों के ऊपर तक उठा रखी थी जिससे उनकी पानी से भीगी चिकनी जाघें चमक रही थी.

मैं : ये लो च च चाची

चाची : सारे कपडे ले आया ना ?

मैं : हाँ ..जींस …टी शर्ट ….और ये ……..(कहकर मेने अंडरवीयर भी रख दी)

चाची : यहाँ रख दे……( फिर वो ही कुटिल मुस्कान के साथ बोली) ….अंडरवियर की हालत तो कागज़ जैसे नहीं कर रखी ?

मेरे तो कान गरम हो गए.

मैं : न न नहीं चाची

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चाची : सुन……ये साड़ी सही कर दे ना.

वो अपने ढलके हुए आंचल की तरफ इशारा कर रही थी. मैंने कांपते हुए हाथों से उनका आंचल जो उनके कंधे से गिर गया था उसे फिर से कंधे पर रखने लगा तभी वो थोडा सा मुड़ी और मेरा हाथ उनके सोफ्ट मम्मो से टकरा गया.

चाची धीरे धीरे मुस्कुरा रही थी. फिर बोली

चाची : लल्ला….ये बाल्टी भी खाली कर के दे दे ना.

मैंने बाल्टी उठाई और मुड़ा. फर्श चिकना होने से मेरा बैलेंस बिगड़ा और बाल्टी मेरे हाथ से छुट कर ठीक चाची के पीछे गिर गयी. उनका पूरा पिछवाडा गीला हो गया.

चाची : हाय राम यह क्या किया. मेरी पूरी साड़ी गीली हो गयी.

और वो खड़ी होकर साड़ी को झटकने लगी.

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चाची : क्या करता है लल्ला……अन्दर तक पानी चला गया …..सारे कपडे धो रखे है…मेरे पास तो अलमारी में दूसरा पेटीकोट भी नहीं है.

कह कर उन्होंने साड़ी खोलना शुरू कर दी. मेरे सामने मेरी खुजली वाली चाची बिना आंचल के .. और ….भीगी हुई…….साड़ी खोल रही थी. मेरी जींस में तम्बू तन चूका था. तभी जैसे उसे होश आया बोली

चाची : शील ..बाहर जा. देखता नहीं में कपडे बदल रही हूँ

मैं हकलाता हुआ सॉरी बोलता हुआ बाहर आके खड़ा हो गया.

चाची : मेरे सारे कपडे गीले कर दिए लल्ला. अब मैं क्या पहनू ? जा जाके मेरे रूम में कोई पेटीकोट, ब्लाउस मिले तो ले आ.

मैंने जाके देखा मगर कुछ नहीं था. तभी मुझे चाची का नाईट गाउन दिखा. पूरा पारदर्शी था.

मैं : ये लो चाची.

चाची : अन्दर मत आ. बाहर से ही दे दे.

मैंने दिया और चाची अन्दर से ही चिल्लाई

चाची : लल्ला और कुछ ना मिला क्या ?

मैं : चाची मुझे और कुछ नहीं दिखा…..आप ही तो बोली की सारे ही कपडे धो दिए.

चाची : हाय राम यह तो बहुत झीना हैं. अरे बाहर का दरवाजा बंद है ना ? ऐसे में भाभी और भाई साहब आ गए तो.

मैं : चाची मैं कुण्डी लगा देता हूँ .

मैं जैसे ही मुड़ा चाची बाथरूम से बाहर आई और अपने रूम की तरफ भागी. गाउन सामने से खुला था और अन्दर वो सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी. भीगने से उनका गाउन पूरा ही पारदर्शी हो गया था. काली ब्रा और फूल की प्रिंट वाली पेंटी साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी.

उनके मम्मे भागने की वजह से जोर जोर से हिल रहे थे और उनके भरे भरे गोल गोल नितम्ब पेंटी के अन्दर बाहर आने के लिए मचल रहे थे. उन्होंने से अपने रूम में घुस कर दरवाजा बंद कर लिया और जोर जोर से हसने लगी. मेरा दिमाग ख़राब हो गया.

चाची : लल्ला ….अब लगा लो कुण्डी ….हा हा हा ……बुद्धू बन गए भोले लल्ला….

मेरा सांप फुफकारे मार रहा था, मुझसे रहा नहीं गया मैं फटाफट रूम में गया और सुबह के न्यूज़पेपर को खोल कर टेबल पार रखा , जींस उतारी और अपना लंड हिलाने लगा. उत्तेजना की वजह से मेरी ऑंखें बंद हो गयी थी. आज सुबह से ही चाची ने मुझे इतना गरम कर दिया था कि रुकना मुश्किल था. बार बार चाची के भीगे बदन का चित्र मेरी आँखों के सामने आ रहा था.

मुझे वो ही सुरसुरी फिर होने लगी मेरा निकलने वाला था. तभी भड़ाक से मेरे रूम का दरवाजा खुला और चाची अन्दर आ गयी.

चाची : चल लल्ला ..साड़ी मिल गयी और खाना लगा दिया है…..आज दाल……हाय राम ये क्या …..

मेरा माल निकलना शुरू हो गया…..मैंने अपने लंड हाथ में छुपाने कि कोशिश कि मगर उसमे से फच ….फच…..धार छुटती

ही जा रही थी. कुछ उड़ कर चाची के पैरों के पास भी गिरी. चाची की आँखों गोल गोल हो गयी थी और वो कभी मुझे और कभी धार पे धार मारते मेरे लंड को देख रही थी. अचानक जैसे उन्हें होश आया और वो बाहर चली गयी.

मैने उसी कागज़ से लंड को पोछा. मेरी गांड फटफटी की तरह फट रही थी. बेटा आज तो गए. बाप जल्लाद है….मार मार के गांड सुजा देगा और माँ मारे शर्म के मार जाएगी. मैं सर झुका के बाहर गया.

मैं : च च च चाची……..

चाची मेरी तरफ मुड़ी. उनका चेहरा लाल हो गया था. उनकी वो तीखी नाक कोनो से फूली हुई थी. या तो वो गुस्से में थी या उनको भी मस्ती आ गयी थी.

चाची : लल्ला……हद होती है…..तू बहुत बिगड़ गया हैं……भाभी और भाई साहब को पता चला की तू पढाई छोड़ कर ये सब

हरकते करता है तो उन कर क्या गुजरेगी ? ऐसे आदतों की वजह से ही तेरे चाचा का ये हाल हैं. जो आज तक बाप नहीं बन पाए

मैं : च च चाची प प प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो. म म माँ और प प पापा को मत बोलना. मैं अब कभी मूठ नहीं मारूंगा.

प प प्लीज़ चाची प्लीज़

चाची एक दम से शांत हो गयी. फिर से उनके चेहरे पे वो ही टेड़ी मुस्कान हलके हलके आई.

चाची : लल्ला…….मैं ये नहीं कहती की बिलकुल मत कर. पर रोज़ रोज़ करना तो गलत है. कमजोरी आ जाएगी. कल तेरी शादी होगी, फिर क्या करेगा. बहु को खुश नहीं रखेगा तो इधर उधर झाँकेगी. मर्द बनेगा कि ग्वाला ?

मैं : ठ ठ ठीक है चाची ……ध्यान रखूँगा…..

चाची : ये ले खाना खा ले….

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मैं : चाची ….ये रोटी पर कितना घी लगाया है ? ? मुझे इतना घी मत दो.

चाची टेड़ी मुस्कान के साथ बोली : अरे लल्ला……घी नहीं खायेगा तो ताक़त कैसे आएगी. घी से ही तो धातु बनती है.

मैं : धातु ? धातु क्या ?

चाची : वो ही जो तुम रोज़ इधर उधर …..कागजों में उड़ाया करते हो.

माँ कसम……अभी मूठ मरी थी और चाची की टेड़ी मुस्कान और ऐसी बातें सुन कर सांप ने फन उठा ही लिया. मैंने अडजस्ट करने के लिए चे हाथ लगाया और चाची बोली

चाची : लो अभी घी खाया भी नहीं और फिर निकालने चले ?

मैने घबरा के हाथ ऊपर कर लिया और चाची जोर जोर से हसने लगी. उन्होंने फिर वहीँ पर खड़े खड़े मेरे सामने ही अपनी टांगो के बीच खुजाना शुरू कर दिया. मैं इधर उधर देखने लगा. तभी चाची बोली

चाची : अरे लल्ला….बहुत परेशान हो गयी रे…..मरी इस खुजली के मारे……कोई क्रीम व्रिम ला दे ना…..खुजली मिटती ही नहीं.

मेरे सर में हथोड़े चलने लगे. सारा शरीर सुन्न हो गया बस लंड धड़क रहा था. चाची अभी भी मुझे देख कर मंद मंद मुस्कुरा रही थी. तभी बेल की आवाज़ आई. माँ – पापा आ चुके थे.

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मैं खाना खा के सीधा रूम में घुस गया. सर चकरा रहा था की ये आज कल हो क्या रहा हैं…..चाची ने कभी ऐसे नहीं किया था….और न ही मैंने उन्हें इस नज़र से देखा था.

मगर आज कल जब भी मैं उनको देखता तो वो मुझे ही देख रही होती और मंद मंद मुस्कुरा रही होती. साले चाचा से इसकी खुजाल मिट नहीं रही इसी लिए चाची दूसरा रास्ता देख रही थी. ये सोच कर मुझे थोडा कांफिडेंस आ गया. चलो देखते है क्या होता है……

सोचते सोचते कब नींद लग गयी पता ही नहीं चला. अचानक मेरा सेल बजने लगा और मैं झटके से उठा. घडी मैं १२ बजे थे. मैंने नंबर देखा. अनजाना नंबर था.

मैं : ह ह हेल्लो….

फ़ोन पर : हेल्लो…..इज इट शील ?

मैं : य य येस …….ह ह हु इस इट ?

फ़ोन पर : इसका मतलब तुम नहीं पहचाने….

मैं : न न नहीं ?

फ़ोन पर : भूल गए……रोज़ बस स्टॉप पर मिलते हो…….उस दिन मुझे स्मायल भी दी थी ….मेरा नंबर माँगा था और अपना नंबर दिया था

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मैं कनफ्युस हो गया. कौन है ये ? डॉली शर्मा से आज तक बात नहीं की वो भेन्चोद तो नकचड़ी है…….ये हैं कौन ? ?

मैं : द द देखिये…..मैं अ अ आप को नहीं जानता…….और न ही मैंने मेरा नंबर आप को दिया था.

फ़ोन पर : फिर आप ……तुमसे कहा था न आप नहीं बोलना……

मैं : प प प पिया…..तुम हो ?

पिया : खिल खिला के हँसते हुए : हाँ यार…..क्या तुम भी…..लगता है सच मुच में कोई GF नहीं है तुम्हारी…..ये फ़ॉर्मूला तो हमेशा काम करता है. पर तुम भी न..

मेरी तो उड़ के लग गयी. स्वयं अप्सरा इस मिटटी के माधव को फ़ोन करे………

मैं : प प प पर तुम्हे मेरा नंबर दिया किस ने ?

पिया : कहीं से भी मिला …..तुमसे मतलब…….अरे वो लायब्रेरी के कार्ड पर लिखा था. मैंने सेव कर लिया था की कभी काम पड़ा तो……

मैं : इतनी रात को कैसे फ़ोन किया…..

पिया : इतनी रात को मतलब……अरे मिस्टर अभी तो १२ ही बजे है…कोनसा तुमको नींद में से उठा दिया. अरे तुम सोये थे क्या ?

मैं : ह ह हाँ …न न नहीं वो ….

पिया : यार सॉरी …मुझे लगा की मैं लेट सोती हूँ तो सब लेट सोते होंगे….

मैं : अरे नहीं नहीं…..बोलो न….क्या हुआ ?

पिया : यार…..वो नोट्स न……मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा हैं…….नेक्स्ट मंथ तो सेम की एक्साम ही हैं……अब मैं क्या करू ?

मैं : क क क्या समझ नहीं आ रहा ?

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पिया : देखो…..मैंने बेलेंस शीट बना ली……..ट्रेडिंग अकाउंट बना लिया….मगर प्रोफिट अन लोस बनाया तो टोटल नहीं मिलती

मैंने सर ठोक लिया. इस पागल को जब येही नहीं पता तो घंटा अकाउंट में पास होगी. मैंने थोड़ी देर उसको समझाया मगर वो सब उसके सर के ऊपर से चला गया.

आखिर मैंने उसको बोला.

मैं : प प पिया…..तुम्हारे तो बेसिक ही क्लिअर नहीं हैं,

पिया : हाँ यार…..मैंने साईंस से कॉमर्स में स्विच किया था ना …..अब क्या होगा…..१५ दिन के लिए कोई ट्यूशन भी नहीं मिलेगी और मिली भी तो बेसिक कहाँ से आएगी.

मैं चुप था…..मगर मेरे दिमाग में कीड़ा कुलबुलाने लगा था.

मैं : प प पिया…तुम घर पर किसी प्रायवेट ट्यूटर से पढ़ लो ?

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पिया : अरे पर अभी मिलेगा कौन यार ??? एक मिनिट ……..तुम भी तो पढ़ा सकते हो….

मेरा दिल हाई जम्प मार रहा था. पहले तो मैंने नाटक किया फिर धीरे से मान गया.

मैं : ठीक हैं तुम कल शाम को मेरे घर आ जाओ……..पांच बजे ठीक हैं ?

पिया : यार…वो क्या है की भाई को तुम जानते हो…….वो आने नहीं देगा…..क्या तुम मेरे घर पर आके नहीं पढ़ा सकते ?

अगर गांड फटने से आवाज़ आती होती तो बोफोर्स से तेज आवाज़ मेरी गांड फटने की आती. मैं उस सांड नवजोत के सामने तो फटकता नहीं था…..उसके घर जाना तो मौत को गले लगाने जैसा था…..पिया मुझे मनाने लगी और मैं चूतिया उस की बातों में आ गया.

सन्डे था. इस लिए आराम से उठा. चाय पी कर टीवी देख रहा था की चाची आई और बोली

चाची : लल्ला वो क्रीम लाया क्या ?

मैं : कौन सी क्रीम ? अच्छा वो…..हाँ वो वाली. सामने ही रखी है……चाची वो दवाई वाले ने कहा है की इसको लगाने के बाद ….

और मैं झिझकने की एक्टिंग करने लगा……

चाची : लगाने के बाद क्या ? बोल ना…

मैं : व व वो….आप वो मत पहनना..

चाची : क्या ? साड़ी ? बोल ना लल्ला ?

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मैं : व वो पैंटी….म म मत पहनना…..ऐसा बोला दवाई वाले ने.

चाची : ओफ़ फ़ो……..अरे लल्ला वो तो मैं दो दिन से उन्ही नहीं पहन रही…..इतनी खुजली चलती है. पैंटी पहनती तो अब तक छील जाती मेरी……….

आप को तो पढ़ के मज़ा आ रहा हैं. मगर मेरी वहां पर हालत ख़राब हो गयी…….चाची मुझे मुस्कुरा कर देख रही थी और मैं कालिदास उनकी आधे ढलके आँचल में मचलते मम्म्मे और साड़ी की साइड से दिखती उनकी नाभि को देखे जा रहा था. मेरी सांसें तेज़ हो गयी थी……….तभी वो बोली

चाची : लल्ला….क्या बैठे बैठे सोफा तोड़ रहा है, चल मेरी मदद करवा दे. पानी की टंकी साफ़ करनी है. तेरी छुट्टी है और आज

नल भी नहीं आये टंकी पूरी खाली है.

अब चाची बोले और मैं मना कर दूँ ये संभव है क्या…….मैं चुप चाप चाची के साथ छत पर गया और सीधा टंकी में उतरने लगा.

चाची : अरे…ये कपडे गंदे नहीं हो जायेंगे क्या ? फिर मुझे ही धोना पड़ेंगे……ये पजामा और टी शर्त खोल और फिर अन्दर जा.

गांड की फटफटी – गरम सेक्स कहानी Hindi Sex Kahani

ये कह कर वो फिर वो ही मंद मंद मुस्कुराने लगी.

मैंने चाची से नज़ारे मिलते हुए अपना टी शर्ट खोला….अन्दर कुछ भी नहीं पहना था……मेरे सीने पर बाल ऊग चुके थे……

रोज़ दंड लगाने से कंधे और सीना भी मांसल और कसरती हो चला था. चाची बोली

चाची : हाय राम ……लल्ला तू तो पूरा गबरू जवान हो गया है रे……जब शादी हो कर आई थी तब तो लड़कियों जैसी आवाज़ थी

तेरी और वैसे ही दीखता था. एक दम चिकना…….मगर अब तो पहलवान दिखने लगा है.

मेरा सांप फुफकारी मारने लगा था. सुबह सुबह की ठंडी हवा…….मेरा नंगा सीना और चाची की गरमा गरम बातें.

मैंने उनको थोडा छेड़ा…

मैं : तो क्या चाची …..तब तो आप की लड़की जैसी दिखती थी….. अब तो आंटी हो गयी हो

चाची : राम…..राम……आंटी ? क्यों रे लल्ला ? मैं आंटी जैसी कहाँ से लगने लगी ?

मैंने हिम्मत जुटाई और उनकी उभरे हुए नितम्बो की तरफ इशारा कर दिया……

चाची ऑंखें तरेर कर बोली : हैं…….इतने भी मोटे नहीं हुए की आंटी बोलो…….

गांड की फटफटी – गरम सेक्स कहानी Hindi Sex Kahani

यह कहकर वो अपने ही नितम्ब दबा दबा कर देखने लगी…..जैसे जताना चाह रही हो की उनके नितम्ब आज भी सुडोल है. कौन कमबख्त कह सकता था की चाची के नितम्ब सुडोल नहीं…….कोई भी उनको देखता तो सबसे पहले उनके होटों के ऊपर का वो तिल ही देखता और फिर सीधी नज़र उनके गोल गोल उभरे हुए नितम्बो पर ही जाती……..चाची अच्छी खासी गदराई हुयी थी…….मम्मे भी ऐसे थे की ब्लाउस से बाहर ही झाँका करते……कमर का घुमाव इस कदर नशीला था की नज़र उस पर रुक नहीं पाती और उन की नाभि पर ही जाके कर रूकती.

मैं : चाची……आपको पीछे से दीखता नहीं…..मगर सच्ची बहुत बढ गए है ये ….

चाची : तू तो यूँही कहता है लल्ला…..मुझे चिड़ा रहा है ना ? मैं कोई मोती थोड़ी ना हुई हूँ ?

कहकर थोड़ी मायूस सी शकल बना ली.

मैंने हिम्मर जुटाई और आगे बढ कर उनके नितम्बो पर हाथ रक्खा और दबाते हुए बोला……

मैं : य य ये देखो….. य य ये जो है ना……यहाँ पर थोडा सा मोटापा दीखता है. इतना मांस होने से अ अ अ अप म म मोटी दिखती हो.

मैं लगातार उनके नितम्बो को अपने हाथो से नाप रहा था. वो एकटक मेरी तरफ ही देख रही थी……उनकी ऑंखें थोड़ी से नशीली हो गयी थी…..मैं हाथ उनकी कमर पर लगाया और बोला

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मैं : अ अ अब ज ज जैसे यहाँ पर…….क क कम मांस है……..पर आप के पिछवाड़े और (फिर हाथ उनकी मोटी मोटी जांघों पर फिरा कर बोला ) और आप के यहाँ पर थोडा मोटापा आ गया है………और…..ये जो है ना…..(कहकर उनकी गांड मसकाने लगा)

यहाँ पर ही आप को देख कर कोई ब ब ब बोल सकता है की …..

तभी……………..

माँ नीचे से आवाज़ लगा रही थी.

माँ : नीलू अरे ओ नीलू

मैंने तो माँ की आवाज़ सुनते ही घबरा कर हाथ चाची के नितम्बो से हटा दिया. मगर चाची के चेहरे पर शिकन तक नहीं आई. उन्होंने ऊपर खड़े खड़े ही माँ को बताया की वो टंकी धुलवा रही है और आधे घंटे मैं नीचे आएगी. यह बोल कर मेरी तरफ मुड़ी और बोली

चाची : चल लल्ला….मुझे तो तुने आंटी बना ही दिया….अब तो टंकी धो ले……

मैं टंकी में उतरने लगा और चाची फिर से मेरे पजामे की तरफ इशारा कर के बोली

गांड की फटफटी – गरम सेक्स कहानी Hindi Sex Kahani

चाची : अरे….इसको तो खोल लल्ला…..

मैंने सकपकाते हुए पजामा का नाडा खीचा और उसको नीचे उतार कर खड़ा हो गया. मैंने जौकी का अंडरवियर पहना था. चाची के बदन का मोटापा बताने के चक्कर में सांप खड़ा हो गया था….. चाची के माँ से बात करने के दौरान वो तो फिर से बैठ गया था मगर कुछ precum की बूंदें मेरे अंडरवियर के अगले हिस्से पर साफ़ दिख रही थी. एक गोल गोल गीला धब्बा आ गया था.

चाची ने सीधा वही पर देखा.मैं उसे हाथों से छुपाने लगा मगर वो निर्लज्ज औरत तो ऐसे घुर घुर कर देख रही थी जैसे बिल्ली चूहे को घूरती है. उनके चेहरे पर वो ही टेडी मुस्कराहट थी. मैं चुप चाप टंकी में उतार गया. हमारी टंकी बहुत बड़ी है, उसे साफ़ तो करना ही था मगर कुछ दिन पहले टंकी में पानी देखने के चक्कर में माँ की एक सोने की चूड़ी भी उस में गिर गयी थी.

टंकी में पानी तो ज़रा सा था मगर नीचे गंदगी होने से कुछ दिख नहीं रहा था, मैंने चाची से टार्च मांगी, वो तो सब सामान साथ लायी थी. मैंने टोर्च ली और उसे नीचे घुमा घुमा कर ढूँढना शुरू कर दिया, तभी चाची ने कुछ कहा और मैंने टंकी में से ऊपर देखा.

टंकी का मुंह ज़रा सा था, और चाची उसके दोनों और पैर कर के खड़ी थी. दोनों पैर खुल जाने से साड़ी झूल गयी थी. मैंने उनकी टांगो के बीच देखा, चिकनी चिकनी टंगे घुटनों तक दिख रही थी. मैंने टोर्च ऊपर की और उसका फोकस चाची की टांगो के बीच कर दिया और नज़ारे का मज़ा लेने लगा. मेरी नज़र एक कीड़े के तरह उनके पैरों पर चद्ती चली गयी.

जैसे की मैंने बताया उनकी टांगे बहुत ही चिकनी थी……उनकी जांघें साफ़ साफ़ नज़र आ रही थी…..चाची सांवली थी मगर उनकी टांगे चिकनी होने के वजह से गोरी गोरी लग रही थी. तभी मैंने ध्यान से देखा….उनकी दांई जांघ पर कुछ लिखा था…..मैंने ध्यान से देखने की कोशिश की तो दिखा की वो गोदना थे. चाची ने जांघ पर कुछ लिखवा रखा था. मैंने गाँव के लोगो को अक्सर हाथों पर अपना या भगवन का नाम गुदवाये हुए देखा था मगर जांघ पर …… ??? क्या लिखा है सोचते सोचते मेरी नज़र और ऊपर उठी और मेरी नस नस सनसनाने लगी.

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चाची की वो चूत, जो मैं न ही दरवाजे की आड़ से जब वो चाचा से ठुकवा रही थी और न ही जब वो कपडे धो रही थी, नहीं देखा पाया था. वो चूत मेरी नज़र के सामने थी.

उन्होंने सही में पेंटी नहीं पहनी थी.

चाची मस्ती में अपनी दोनों टाँगें चौड़ी कर के टंकी के मुंह पर खड़ी थी और मैं टंकी के अंदर से टोर्च उनकी साड़ी के अंदर मार कर वो नज़ारा देख रहा था जो किसी सन्यासी को भी भोगी बना देता. भले चाची सांवली थी मगर उनकी चूत का सांवलापन मदहोश कर देने वाला था. चूत बालों से भरी हुयी थी ………

चारो तरह झांटे इस तरह उगी हुयी थी जैसे खेत की सुरक्षा में बागड़ लगी हो. उनकी चूत के दोनों होंट थोड़े थोड़े से खुले और बाहर आये हुए थे. जैसे ही टोर्च की रौशनी उस पर पड़ी वो चमकने लगी पहले तो मैंने सोचा की ये क्या है ? फिर मुझे समझ में आया की चाची की मोटी मोटी गांड दबाने से उनकी चूत पनिया गयी है और कामरस निकलने लगी है. मेरे मन में आया की हाथ बड़ा कर चूत को छू लूँ……मगर मैं ठहरा गांडफट …..बड़ी मुश्किल से अपने आप को रोका, मगर लंड महाराज अपना सर उठा चुके थे.

मैं अंडरविअर में था. कहाँ छुपाता ? तभी चूड़ी मेरे पांव से टकराई और मैंने चाची की चूड़ी पकड़ा दी…….वो झुकी और मुझे उनके कसे हुए मम्मे मेरे चेहरे के ठीक ऊपर झूलते हुए दिखे. साली ने खुजली की वजह से पेंटी नहीं पहनी थी मगर ब्रा क्यों नहीं पहनी ये मेरी समझ से बाहर था….

चाची के झूलते मम्मे मेरे चेहरे से मुश्किल से २ फीट की दुरी पर थे. उनकी मीठी साँसें मेरे चेहरे से टकरा रही थी. उन्होंने चूड़ी ली और खुश होके बोली.

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चाची : लल्ला……ये तो मानना पड़ेगा की नज़र तो तेरी तेज़ है. भाभी जी खुश हो जायेंगे. चल अब बहार आ जा.

मैं क्या बोलता और क्या बाहर आता. इतनी सी देर में इतना नज़ारा देख कर बाबुराव इतना कड़क हो गया था की अंडरविअर में तम्बू बन चूका था. एक बड़ा सा धब्बा सामने की तरफ आ गया था जो मेरे लार टपकाते लंड की कारस्तानी थी. मैंने चाची की टाला की आप जाओ मैं आ रहा हूँ. पर वो तो जिद्दी नंबर वन थी. मानी नहीं और मुझे ऊपर खिंच लिया. मैं बाहर आ के उनके सामने सर झुका के खड़ा हो गया. वो मुंह पर हाथ रख कर बोली :

चाची : हाय राम…..लल्ला टंकी साफ़ कर रहा था कि गन्दी ??

मैं : न न नहीं चाची…….व व वो …..मैं

मैं अपने खड़े लंड को हाथ से छुपा रहा था और वो ऑंखें सिकोड़ कर कभी मेरा चेहरा तो कभी मेरा लौड़ा देख रही थी. तभी फिर से माँ की आवाज़ आई. चाची ने मेरे लंड से बगैर नज़रे हटाये माँ से कहाँ कि वो आ रही है और मुझे मंद मंद मुस्कान देती हुयी गांड हिलाते हिलाते नीचे चली गयी. मुझे ऐसा लगा कि शायद आज उनकी गांड ज्यादा ही लचक खा रही है. मैं जानना चाहता था की उनकी जांघ पर क्या नाम गुदा हुआ है.

दिन में गरम गरम कहानिया पढ़ रहा था की मोबाईल की घंटी बजी. मैंने देखा तो दिल ने झटका खाया……पिया का फ़ोन था.

मैं : ह ह हेल्लो…

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पिया : हाईइ ….क्या कर रहे हो ?

मैं एक दम हडबडा गया.

मैं : म म म कहानी …..पढ़ …..म म म मतलब की……कहानी मूवी देख रहा हूँ…

पिया : क्या…घर पर ? अरे मुविस तो मल्टीप्लेक्स में देखते है.

मैं : हुह ? मतलब ?

पिया : अरे क्या तुम भी….आई मीन की घर पर मूवी क्या मूवी देख रहे हो….फ्रेंडस के साथ देखना चाहिए समझे

मुझे लगा की वो शायद चाहती है की मैं उसे ही साथ में चलने के लिए पूछ लूँ. तभी मुझे उस सांड नवजोत की शकल याद आ गयी और मेरे अरमानो की हवा निकल गयी. वो अब भी कुछ बोले जा रही थी

मैं : क्या ? क्या कह रही हो ?

पिया : अरे मैं पूछ रही हूँ की तुम आ रहे हो न घर पर ? कहाँ खोये रहते हो मिस्टर ? GF को मिस कर रहे हो क्या ?

मैं : न न नहीं ….म म मेरा मतलब है की ह ह हाँ मैं तुम्हारे घर आ रहा हूँ……व व वो तुम्हारे भैया को कोई ओब्जेक्शन तो नहीं है न ?

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पिया : नहीं यार…..पहले तो उसने साफ़ मना कर दिया पर फिर मैंने पापा को बोला तो पापा ने उसको डांट दिया. मेरा साल ख़राब हो जायेगा तो ?

मुझे समझ नहीं आ रहा था की हँसु या रोऊ….उस सांड को मेरे उसकी बहन को पढ़ाने में दिक्कत थी, पर इस शाणी ने अपने बाप के थ्रू गेम जमा लिया था…….जितनी सीधी दिखती हैं उतनी सीधी तो नहीं हैं. मैंने उसको शाम 6 बजे आने का बोल दिया.

शाम को ६ बजे पता ढूंढता हुआ मैं सरदार प्रताप सिंह के घर पहुंचा. घर तो क्या था…..हवेली थी …..आगे जो लॉन बना था वो ही मेरे घर से बड़ा था. सरदार प्रताप सिंह, दारू और govt का बहुत बड़ा ठेकेदार था. येही समझो की सफ़ेद कपड़ो में डोन.

पुलिस हो या नेता…..सब उसकी जेब में रहते थे. इसीलिए तो नवजोत इतनी माँ चुदाता था.

मैंने बेल बजाई…….दरवाजा खुला और उसके साथ मेरा मुंह ही खुल गया ….

जिसने दरवाजा खोला था……हाईट करीब 5 फुट 8 इंच. दूध में मिले गुलाब के जैसा रंग. काला सलवार सूट बदन पर ऐसा कसा हुआ था की एक एक उभार चीख चीख के बुला रहा था. मस्त गदराया हुआ बदन था यार……….

आँखों में गहरा काजल था…….और बिलकुल गुलाबी होंट……..और गले पर चिपके दुप्पट्टे के नीचे एक खाई…जी हाँ….खाई….

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दो पहाड़ों के बीच की घाटी……उसके मम्मे इतने बड़े थे की उनको मम्मे नहीं थन कहना चाहिए था……..

एक दुधारू भैंस के थन. पर अजीब बात यह थी की इतने बड़े मम्मे भी उस पर फब रहे थे क्योकि वो लम्बी भी थी और चौड़ी भी. डनलप का गद्दा थी साली…..सेक्सी आँखों से वो भी मुझे ऊपर से नीचे तक नाप रही थी और मैं तो उसको कभी से नाप चूका था. बल्कि अब तो मेरा सेकंड रिविजन चालू हो गया था.

उसकी शक्ल नवजोत और पिया से मिलती थी, शायद उनकी बड़ी बहन थी. मैं बोला

मैं : न न नमस्ते जी……म म म शील हूँ….व व

वो मेरी बात बीच में ही काट कर बोली, ” हाँ हाँ शील बेटा……आओ आओ, पिया भी अभी आई हैं”

बेटा ??? अबे ये है कोन ? तभी अन्दर से पिया की आवाज़ आई.

पिया : कौन हैं मम्मा ?

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मम्मा ? ये पटाखा पिया की माँ ? तभी मुझे समझ में आ गया की जब खेत इतना उपजाऊ है तो फसल तो हरी हरी ही आनी हैं.

उन दोनों ने मुझे ले जा कर सोफे पर बिठा दिया. पिया की माँ मेरे सामने बैठी थी और पिया उसके पीछे सोफे का सहारा लेकर खड़ी थी. दोनों की आँखों में वो चमक थी जिसे मैं न सिर्फ देख रहा था बल्कि अपने रोम रोम पर महसूस भी कर रहा था. पिया की माँ खनकती हुयी आवाज़ में बोली, “कहाँ रहते हो शील ? “, मैं जैसे नींद से जगा मैंने कहा, ” गुलमोहर में, आंटी”.

वो मुंह बनाती हुयी बोली, “आंटी नहीं, पम्मी नाम हैं मेरा, आंटी वांटी मत कहा करो, यु नो अजीब लगता है”.

एक मैंने चाची को आंटी बोल दिया था तो पूरा शरीर नापने को मिल गया था. इसको तो आंटी – आंटी बोल कर चोद ही दूंगा.

वो इधर उधर की बातें करती रही और मैं उसको थनों और बैठने से फैली हुयी गांड की साइज़ नापने में लग गया. उनकी बातों से साफ़ था की सरदार प्रताप सिंह के रुतबे और डर की वजह से दोनों माँ बेटी का कोई सामाजिक जीवन नहीं था. सरदार जी को अपने काले कामो से फुर्सत नहीं थी और यहाँ पर इस दुधारू भैंस को कोई पूछने वाला नहीं था. काफी देर बाद पिया बोली, “ओफ्फो मम्मा, वो मुझे पढ़ाने आया है की आप की गोसिप सुनने, आप को भी गोसिप के अलावा कोई काम नहीं. चलो शील स्टडी करना है.” मैंने कहा “ठीक हैं तुम बुक्स ले आओ”.

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“बुक्स ले आओ मतलब”, पिया ने माथे पर सल लाके कहा, “मिस्टर, मेरे रूम में स्टडी टेबल हैं”

यह हसीना मुझे, अपने रूम में ले जा रही थी. और इधर उसकी माँ मुझे ऐसा देख रही थी जैसे मैं कोई दिल्ली दरबार में लटका चिकन हूँ. कसम से, मुझे ऐसा लगने लगा था की मेरी ग्रह दशा में कोई बहुत ही बड़ा बदलाव हुआ है. इतना सब कुछ इतने कम समय में हो रहा था की कुछ समझ नहीं आ रहा था.

रूम में जाते ही पिया ने दरवाजा बंद कर दिया, फिर मुझे देखकर बोली, “अरे यार, सब लोग इतना डिसटर्ब करते की पूछो मत.

इसी लिए डोर बंद कर दिया. अब कोई नहीं आएगा क्योकि अगर मेरे रूम का डोर बंद है तो फिर पापा भी पहले नोक करते है.”

मैंने मन ही मन सोचा मेडम ये ज्ञान हमे क्यों दे रही हो. फिर मैंने थोडा सिरियस होके उसे पढने के लिया कहा. उसकी टेबल पर मैगज़ीन का अम्बार लगा हुआ था. वो उन्हें हटाने लगी मैंने उसकी स्टडी टेबल की चेयर खिंची और बैठ गया. बैठते ही मुझे लगा की चेयर पर कुछ रखा था, मैं उठा और मैं उस कपडे को उठा कर उसे देने लगा, “ये लो” और तभी मेरी नज़र उस कपडे पर पड़ी और मेरे कान गरम हो गए. वो एक डिज़ाइनर लेस वाली ब्रा थी, जिसका मटेरियल नेट का था. मतलब पूरा पारदर्शी.

उसने लपक के मेरे हाथो से ब्रा छीन ली और ड्रावर में रख ली. वो शर्म से हौले हौले मुस्कुरा रही थी और मुझे उस से भी ज्यादा शर्म आ रही थी.

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थोड़ी ही देर में मुझे समझ आ गया की पिया को पढाई में कोई इंटरेस्ट नहीं हैं. मैं जैसे ही कुछ भी एक्सप्लेन करता और वो इधर उधर का टोपिक निकाल लेती. वो बस बातें करना चाहती थी. मुझे समझ आ रहा था की इस के सांड भाई की वजह से ये कभी भी लौन्डों से दोस्ती नहीं कर पाई हैं और अपने माँ बाप को पढाई के नाम पर चुतिया बना कर इस को सिर्फ गप्पे मारनी है.

सिर्फ गप्पे मारनी है या…….

कीड़ा……कुलबुलाने लगा था.

उसने व्हाइट टी शर्ट पहनी थी और उसके नीचे सोफ्ट सा पजामा. जहाँ टी शर्ट ख़तम होती थी और जहा से पजामा शुरू होता था उसके बीच थोड़ी सी जगह थी जहाँ से उसकी संगमरमर जैसे कमर दिख रही थी. वो जैसे ही झुकती, दीदार हो जाता. मैं बैठा बैठा आनंद ले रहा था. उसने अचानक मुझे ताड़ते हुए देख लिया और मैं सकपका कर इधर उधर देखने लगा. वो मुझे देखने लगी और कुछ सोचने लगी. अचानक वो बोली, ” शील, तुमसे कुछ पुछु ? बुरा तो नहीं मानोगे ?”. मैंने कहा पूछो ना.

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वो पूछ पड़ी “तुम्हारी हेल्थ-हाईट अच्छी है, दिखने में बुरे नहीं हो, तुम में तमीज़ है…….तुम ये हकलाने की बीमारी का इलाज क्यों नहीं कराते ?” मैंने ठंडी सांस ली और कहा, ” पिया, दरअसल डॉक्टर का कहना है की मेरे गले में कोई दिक्कत नहीं है, मैं सिर्फ गुस्से में या नर्वस होने पर ही हकलाता हूँ” . “हम्म……..गुस्से का तो समझ आया……मगर तुम नर्वस कब होते हो ? “

उसने पुछा. मैंने उसे बताया, “जब कोई गलती कर दू या कोई लड़की मुझसे बात कर रही हो या…….”

“या मतलब क्या ? मैं तो तुमसे बात कर रही हूँ तो क्या मैं लड़की नहीं हूँ ? “, उसने माथे पर सल लाके पुछा .

यह कहकर उसने मेरे जांघ पर अपने हाथ रख दिया और सीधा मेरी आँखों में देखकर बोली, ” ऐसे होते तो क्या नर्वस ?”

यह सुनकर मेरा लंड नींद में से जगा और उसने अपना पूरा फन फैला लिया. मुझे दिक्कत होने लगी मगर पिया का हाथ इतना गरम आनंद दे रहा था की हिलने की इच्छा भी नहीं हो रही थी. ज्यादा प्रोब्लम हुयी तो मैं एकदम हिला और अपने लंड को

एडजस्ट किया. पिया की निगाहे मेरे लंड पे टिक गयी और उसने मेरी पेंट के उभर की तरफ इशारा करके पुछा, ” नर्वस होते हो तो ऐसा भी होता है क्या ?” कसम से इच्छा हुयी की इस को यहीं पटक कर अपना लंड पेल दू, मैंने उसकी तरफ हाथ बढाया और तभी किसी ने दरवाजा जोर से खटखटाया.

नवजोत की आवाज़ आई, “पिया…..दरवाजा खोल”. पिया का चेहरा एकदम तमतमा गया, वो उठी और पैर पटकती हुयी दरवाजे पर गयी. उसने जोर से दरवाजा खोला, “क्या है भाई ?, आप तो पढ़ते नहीं मुझे तो पढने दो.”

नवजोत ने कहा, “हाँ हाँ …पढ़ ले…,.मैं तो तेरे माट साब से नमस्ते करने आया हूँ. नमस्ते माट साब.”

मेरी गांड की फटफटी चल निकली थी. साला मादर चोद…..इसको अभी ही आना था. मैंने कुछ नहीं कहा और घडी देखते हुए उठा और पिया से कहा, “अच्छा मैं चलता हूँ, आप रिवायिस कर लेना.”

नीचे आया तो पम्मी आंटी बैठी थी, वो बोली, “जा रहे हो शील, (बेटा लगाना भूल गयी). ध्यान रखना पिया का. अकाउंट में बहुत वीक हैं. कल भी ६ बजे ही आओगे ? ” मैंने हाँ कहा और चुप चाप सुमड़ी में निकाल लिया. अचानक पीछे से आवाज़ आई,

” ओये हकले……अबे रुक…..”, साला सांड मेरा पीछा नहीं छोड़ेगा.

मैं रुक गया. नवजोत आया और मुझे घूरने लगा…….मैं उस से नज़रे नहीं मिला रहा था…..उसने कहा ,” देख बेटा, पढ़ाने आता है, सिर्फ पढ़ाइयो……कुछ इधर उधर किया तो समझ लियो …..”

मैं हाँ हूँ बुदबुदाते हुए चुप चाप निकाल लिया.

इधर उधर घूम कर घर पहुंचा तो 11 बज गए थे. चाची बैठी बैठी टीवी देख रही थी. मुझे देखकर बोली,

“आ गया लल्ला….चल खाना खा ले.”. मेरा सर भारी हो रहा था मैंने मना कर दिया. वो उठ कर मेरे पास आई, “क्या हुआ लल्ला, तबियत ठीक नहीं क्या ? “. मैंने कहा, “चाची सर भारी हो रहा है”. वो बोली, “चल सर में तेल मालिश कर दूँ. मैंने मना कर दिया और उनको कहा की वो सो जाए.

तो वो बोली,” क्या सो जाऊं लल्ला, आज ३ ट्रक माल आया है, तेरे चाचा खाली करवा कर आयेंगे. फिर उनको खाना देने उठना पड़ेगा और तुझे पता है की मैं एक बार सो गयी तो बम फूट जाये तो भी नहीं उठती. चल तू इधर आ”

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कहकर उन्होंने मुझे बैठा दिया. वो सोफे पर बैठी थी और मैं उनके आगे ज़मीं पर. उन्होंने अपने दोनों पेरों को थोडा थोडा खोल कर फैला लिया और मुझे पीछे खिंच कर बैठा लीया. वो ठंडा तेल लगा रही थी, उनके नर्म नर्म उंगलियों से छुने से ही मेरा सर हल्का होने लगा. वो टीवी भी देख रही थी. गोविंदा की मूवी आ रही थी जो उनका फेवरेट हीरो था. अचानक एक कॉमेडी का सीन आया और चाची जोर जोर से हंसने लगी. हँसते हँसते वो आगे झुक गयी और उनके दोनों मम्मे मेरे सर से टकराने लगे.

लंड तुरंत खड़ा हो गया. मैंने थोडा सर घुमाया तो छोटे से ब्लाउस में फंसे बेचारे मम्मे उन्हें बाहर निकालने की फरियाद कर रहे थे. चाची के सोफ्ट मम्मे मेरे मुंह से सिर्फ कुछ इंच दूर थे. लंड ऐसा तना की लगा पैंट में ही छेद कर देगा.चाची ने अपनी टांगो से भी मुझे जकड लिया था. मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाला.

कीड़ा……..कुलबुलाने लगा.

मैंने समझ गया की चाचा २-३ घंटे नहीं आएगा और माँ – पापा तो कब के सो चुके होंगे . मैंने चाची से पुछा.

“चाची वो…….आप की खुजली अब ठीक है ?”

एक सेकंड में चाची के हाव भाव बदल गए. उन्होंने एक पल मुझे टेडी नज़र से देखा और फिर बोली,

” नहीं रे लल्ला, थोडा तो आराम है मगर अभी भी हो जाती है. देख ना तुने याद दिला दिया और शुरू हो गयी”.

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उन्होंने तुरंत अपनी साड़ी के ऊपर से अपनी मुनिया को खुजाना शुरू कर दिया. वो बिंदास मेरी आँखों में ऑंखें डाल कर अपनी चूत खुजाले जा रही थी. मेरा सांप ऐसा लहराने लगा जैसे कोई सपेरा बीन बजा रहा हो. मैंने पुछा,

“चाची…..आप पेंटी तो नहीं पहन रही हो ना ?”. चाची से एक ठंडी सांस ली, अपने मम्मे और उभारे और बोली, “अरे लल्ला….पेंटी तो कब से ही नहीं पहनी. दिन भर ऐसे ही घुमती हूँ……कभी हवा तेज़ चलती है ना तो वहां तक झोंके आते है”

चाची की ऐसी बातें सुन सुन कर लंड लार टपकाने लगा. मैंने झोंक झोंक में उनसे पुछा….

“चाची, मैं आपको बोलना भूल गया वो दवाई वाले ने ये भी कहा था की ये दवा बाल साफ़ कर के लगानी है, पर आप ने तो साफ़ किये ही नहीं”

ये बोलते ही चाची ने एक दम पलट के मुझे देखा. एक सेकंड तो वो मुझे देखती रही और फिर उन्होंने पुछा…

“क्यों रे लल्ला….तुझे क्या पता की मैंने………..वहां के बाल साफ़ नहीं किये”

मेरी गांड की फटफटी फिर चल निकली.

मुझे काटो तो खून नहीं. मेरा दिल सीने से उतर के गांड में चला गया था. जैसे दिल धड़कता है वैसे मेरी गांड धड़क रही थी. शायद इसी को गांड फटना कहते हैं.

चाची ने आज मुझे दूसरी बार रंगे हाथों पकड़ लिया था. मैंने कुछ नहीं कहा और सर नीचे कर लिया.

चाची ने मेरे यह हाव भाव देखे तो आवाज कड़क कर के बोली, “बोल लल्ला, तुझे क्या पता की मैंने बाल साफ़ नहीं किये”

मैंने चाची को घुमाने के लिए बोल दिया, “न न न नहीं च च च चाची…..व व वो ….म म म मैं ……म म मैंने ऐसे ही बोल दिया”

उन्होंने फिर से कड़क आवाज़ में पूछा,”बताता हैं की मैं……..तेरे चाचा को बोल दूँ”

भाई साहब अपनी तो सांस ही रुक गयी…….सारी गांड मस्ती निकल गयी. मैं चूतिये जैसे मुंह नीचे कर के खड़ा था और वो मेरे सामने अपने दोनों हाथ कमर पर रख कर खड़ी थी. जैसे कोई दरोगा किसी चोर को चोरी करते पकड़ ले. मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था. उन्होंने फिर पूछा,

“बता लल्ला……कहीं तू मेरे कमरे और बाथरूम में ताक झांक तो नहीं करता ? अरे कहीं तू हिरसू तो नहीं है रे ???”

“न न नहीं च च चाची…….म म मैं ताक झांक नहीं करता. वो आज सुबह टंकी में था न……ज ज जब आप टंकी के ऊपर दोनों टाँगें चौड़ी कर के खड़ी थी……..तो दिख गया था……..मम्मी की कसम चाची……मैं ताक झांक नहीं करता. प प प प्लीज़ आ आ आ आप किसी को म म म मत बोलना…..”, मैं रुवांसा हो गया.

उस कमीनी ने फिर पलटा खाया और धीरे धीरे मुस्कुराने लगी…….बोली,

” हाय राम……ये मरी खुजली……न ये होती…..न मैं ऐसी नंगी घुमती……न मेरी फूल कुंवर ज़माने को दिखती”

सीन चेंज हो गया था. चाची के मुंह से उनकी चुत का नाम सुन के मेरे लौड़े ने तुरंत सलामी दी. मैंने हिम्मत की……

“च च चाची…..आप चिंता मत करो. ज़माने ने थोड़ी ही देखा, वो तो मुझे दिख गयी गलती से…..”

“अरे लल्ला मैं सब जानती हूँ, मैं तभी सोची थी की ये लल्ला टोर्च की रौशनी मेरी साड़ी में क्यों मार रहा है”, चाची ने आखें तरेर के कहा.

“और तभी तू टंकी से बाहर नहीं आ रहा था, क्योकि ये खड़ा हो गया था.” वो मेरे लंड की तरफ इशारा कर के बोली.

मैंने भी ढीली बाल देख के बल्ला घुमाया, “अब चाची इसमें इसका क्या दोष, बेचारे को इसकी साथीन दिखी तो यह खड़ा हो गया, हाल चाल पूछने के लिए”

चाची ने वो तिरछी नज़र मारी की दिल से लेकर मेरे गोटों तक सनसनी मच गयी.

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चाची मंद मंद मुस्कुराते हुए देख रही थी. बड़ी अदा से इतरा कर बोली, ” हाय राम….लल्ला……बहुत बदमाश हो गया है, तेरे लिए तो लड़की मैं ही ढूंढ़ कर लाऊंगी”

मैंने ने कहा, “हाँ चाची, अपने जैसी ही ढूंढ़ कर लाना”, बेचारी का एकदम से चेहरा उतर गया. ठंडी सांस लेकर बोली, ” मेरे जैसी ला कर क्या करेगा लल्ला, न मैं तेरे चाचा को बच्चा दे पाई ना तेरी माँ जैसा खूब दहेज़ लायी, मुझे तो लगता है की तेरे चाचा भी मुझसे प्यार नहीं करते……ऐसी लड़की का क्या करेगा रे….”

माहोल एक दम बदल गया. उनका चेहरा ही उतर गया था. अचानक मेरे मन में इस दुखियारी के लिए दया आ गयी. मैंने उनको खुश करने के लिए कहा,

” नहीं चाची, आप जैसी ही लाना, इतना सब होने के बाद भी आप कितनी हंसमुख हो, घर के सारे काम संभालती हो, आपके यहाँ आने के बाद से माँ को तो बस मंदिर दीखता है मगर आप फिर भी उनको इतनी इज्ज्ज़त देती हो….. चाचा अगर आपका ख्याल नही रखता और अगर बच्चा ना हुआ तो इसमें आपका क्या दोष ?

खराबी तो चाचा में है.” वो एकदम आँखों गोल करके बोली, ” क्या बोल रहा है रे लल्ला….” . मैंने और हिम्मत करते हुए कहा, ” मुझे पता है की चाचा में शुक्राणु की कमी है, वो रिपोर्ट मैंने पढ़ ली थी”

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चाची ने एक ठंडी गहरी सांस ली……उनका ब्लाउस ऐसा तना की लगा आज सारे हुक टूट जायेंगे. फिर बोली, ” इसीलिए कहती हूँ लल्ला कि बुरी आदतों से दूर रह, कल तेरी बीवी को भी येही दुःख भोगना पड़ेगा. ना मन में शांति रहेगी ना ….तन में.”

मैंने बात काटी, “नहीं चाची ऐसा नहीं हैं, मैं भी कोई रोज़ रोज़ नहीं करता, वो तो आजकल… , और वैसे भी डाक्टर चाचा ने बताया हैं कि कभी कभी करने से कुछ नहीं होता.”

“आज कल क्या रे लल्ला……”, चाची ने ऑंखें सिकोड़ के पूछा. मैंने हिम्मत जुटाई और पाँसा फेका, “न न न नहीं क क कुछ नहीं….. “

चाची ने आवाज़ कड़क कर के बोला, “बता ना ….आज कल क्या ? “

“वो च च चाची …..आप मजाक करती हो ना…तो मुझे करना पड़ता है”

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“हाय राम……बेशरम. तो तू क्या मेरे बारे में सोच सोच कर……..हाय राम….उठ यहाँ से………खड़ा हो जा “

मेरी गांड फटी……”न न नहीं च च चाची…..म म मेरा मतलब है कि मुझे सपने आते है अजीब से……और वो सोचने से ये ऐसा हो जाता हैं, इ इ इस लिए करना पड़ता है”

चाची मुझे घुर रही थी और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करू ? फिर वो बोली, “देख लल्ला….मैं तुझ से बड़ी हु….तेरी चाची हूँ, ये गन्दा गन्दा मत सोचा कर, मैं तो समझ भी जाउंगी कि तू अभी बच्चा है मगर दुनिया क्या कहेगी…..”

साली को ये दिक्कत नहीं कि मैं उसके बारे में सोच सोच कर लंड हिलाता हूँ, उसकी तो इज्ज्ज़त के नाम फटी है. मैंने कहा, ” चाची मैं कभी किसी से कुछ नहीं बोलूँगा,

माँ की कसम, आप ही तो है घर में जो मुझको समझती है, बात करती हैं, इतना ध्यान रखती हैं, माँ को तो भगवान् और भजन से फुर्सत नहीं और पापा को तो ये भी नहीं पता होगा की मैं कौन सी क्लास में और कौन से कॉलेज में हूँ. चाचा तो यूँही काम में इतना बिजी रहते हैं.

इतनी भारी सेंटी मारी की चाची एकदम पसीज गयी और बोली, “नहीं रे लल्ला…..ऐसा मत बोल रे …मैं हूँ ना…..तेरा पूरा ख्याल रखूंगी……तेरा मेरा दर्द एक जैसा ही है रे……” कह कर उन्होंने मुझे गले लगा लिया. उनकी हाईट तो कम थी मगर वो बैठी थी सोफे पर और मैं था निचे. मेरा सर सीधा उनके मम्मो के तकिये पर टिका.

एक पसीने और साबुन की खुशबु का मिला जुला झोंका मेरी नाक में आया और मेरा लंड जो उनके पैरों से चिपका था, सर उठाने लगा.

मैं उस गद्देदार तकिये के मज़े ले रहा था, ऐसा लग रहा था की बस यहीं पर समय रुक जाये. चाची ने मुझे धीरे से पीछे किया, और बोली, ” लल्ला….तेरी लुगाई बहुत खुश रहेगी रे….तू अब समझदार हो गया हैं. तभी मैंने कहा, “और जवान भी”. हम दोनों हंसने लगे…..तभी उनकी नज़र मेरी पेंट के उभर पर गयी जहाँ पर मेरा बाबुराव कसमसा रहा था. मुंह पर हाथ रख पर बोली,” राम राम …..लड़का है की सांड है रे ?”

मैंने अनजान बनकर पूछा, “क्यों चाची, सांड क्यों ?”

चाची ने अपना निचला होंट मुंह में दबाया और बोली, “क्योकि सांड भी ऐसे ही होते हैं” . मैंने फिर कुरेदा, ” मैं समझा नहीं”

“अरे लल्ला…..वो गाँव में अपने घर एक सांड पाला था…..6 -7 फुट ऊँचा और ऐसा भारी था की 100 गाँव तक उसकी बातें होती थी, वो तेरे चाचा ने उसको गाय गाभिन करने के काम पर ही लगा दिया था, लोग अपनी अपनी गाये लाते, गाय को स्टैंड में खड़ा करते और अपने सांड को उसके पीछे खड़ा कर के कुलहो पर एक लट्ठ मारते.

लठ खाते ही उसका ……..वो……. तलवार जैसे बाहर निकलता और वो गाय पर चढ़ जाता. ऐसे वो एक दिन में 6 -7 बार कर लेता था. गाय गाभिन हो जाती, किसानों को अच्छे नस्ल के बछड़े मिल जाते और तेरे चाचा को हर बार के 500 रूपये. तेरे चाचा उस सांड से ही कुछ सीख लेते……..”

चाची की आँखों में लाल लाल डोरे दिखने लगे थे, शायद सांड के तलवार जैसे लंड की याद आ गयी थी. मैंने कल्पना की की चाची घोड़ी बनी हुयी हैं और पीछे से मैं उनकी मार रहा हूँ . शायद इसलिए चाची मुझे सांड बोल रही थी…….

मतलब क्या चाची ……………….

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तभी मेरा मोबाइल बजा, मैं और चाची जैसे नींद से जागे. इतनी रात को कौन उंगली कर रहा था ? मैंने फ़ोन देखा…..

पिया का था. मेरी गांड फटी की अगर चाची ने पूछा की कौन है तो क्या बोलूँगा.

मैंने फ़ोन उठाया , “हाँ बोल..”. मेरे ऐसे उत्तर से शायद को सकपका गयी, “ह ह ह हेलो, शील ?”

वाह रे ऊपर वाले, कभी मैं इस लड़की से बात करने समय हकलाता था, और आज यह मुझसे बात करने में हकला रही हैं.

मैंने कहा, “क्या हुआ भाई, सोया नहीं क्या अभी तक”.

थी तो पिया भी शातिर, एक सेकंड में माजरा समझ गयी, ” अरे कोई बैठा है क्या तुम्हारे पास ?”. मैंने कहा, “हाँ यार, बस चाची के साथ बैठा था, गप्पे मार रहा था”

ऐसी गप्पे ही मारने को मिल जाये तो इंसान “दूसरी चीज़े मारने की क्यों सोचे ?? “

चाची ने इशारो से पूछा की कौन है, मैंने ऐसे ही चुतिया बनाया और पिया से बोला, “और बोल, पढाई वगेरह ठीक चल रही है”

“अरे मत पूछो, तुम्हारे जाने के बाद से फिर वोही हालत हो गयी, कुछ समझ नहीं आ रहा. मेरा मन आज तो पढ़ने का भी नहीं हो रहा.”, वो बोली.

उसका यह कहना हुआ और मुझे उसका नरम और गरम हाथ का स्पर्श याद आ गया, हाय रे……वो सांड नवजोत नहीं आता तो क्या पता कुछ और होता.

यह सोचते ही ठरक जगी और सिग्नल खड़ा हो गया. साली जींस इतनी टाईट होती है की कोई ध्यान से देखे तो लंड क्या गोटे भी नाप ले. और वो ही काम चाची कर रही थी. मैंने सर उठाया और चाची को देखा तो उनकी टेडी नज़ारे मेरे तने हुए तम्बू पर ही थी. पहले ही पिया की हरकत याद करके मेरा हाल बुरा था उसके ऊपर से चाची की टेडी नज़ारे क़यामत ढा रही थी. धीरे धीरे उनके चेहरे पर वो ही मंद मंद मुस्कान आ गयी. उधर पिया जाने क्या बोले जा रही थी. मैंने कहा, “क्या ? क्या बोला ?”

वो एक दम चुप हो गयी.

मैंने कहा, “हेल्लो ….? आर यु देयर ? “

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वो धीरे से बोली, “मैं तुम से बात कर रहू हूँ और तुम्हारा ध्यान ही नहीं हैं, अगर बिजी हो तो कोई बात नहीं”

“अ अ अरे ….क क कुछ नहीं यार…तू बोल ना”

“नहीं, मुझे बात नहीं करनी”

“अरे क्या हुआ” मैंने पूछा. उसका जवाब आये उसके पहले चाची मुझे घुर रही थी.

मैंने सोचा की पहले इसको कल्टी कर दू . नहीं तो चाची को शक हो जायेगा.

” …..अच्छा सुन, मैं तुझे कॉल करता हूँ…थोड़ी देर में.”, मैंने उसको पुचकारने की कोशिश की.

“नहीं मत करना, फोन भाई के पास रहेगा…….”.

जैसे किसी ने भरे बाज़ार में मेरी पेंट उतार ली हो. मेरी आवाज़ एक दम बंद हो गयी.

फिर मैंने कहा, “अ अ अच्छा…..त त त तो….. ठ ठ ठीक है नहीं क क करूँगा.”

अचानक फ़ोन उसके खिलखिलाने की आवाज़ से गूंज उठा, वो जोर जोर से हंस रही थी और मुझे समझ ही नहीं आ रहा था की हुआ क्या ????

” अरे बुद्धू……फोन मेरे पास ही रहेगा, बिलकुल दिल से लगा के रख्खा है ….तुम फ्री हो कर फोन कर लेना……….तुम कितना डरते हो भाई से ……”, और फिर जोर जोर से हंसने लगी.

साली …….इसको तो मैं रगड़ रगड़ के……….

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मैंने बाय बाय करके फोन रखा

“कौन था लल्ला…..”

“कोई नहीं चाची……दोस्त है”

“दोस्त या दोस्तनी ?”

“न न न नहीं चाची दोस्त है…….”

“अच्छा …….आवाज़ तो लड़की की लग रही थी”

“न न नहीं चाची व् वो उसकी आवाज़ पतली है”

“लल्ला……पतली आवाज़ वाले दोस्तों से यारी करने से अच्छा हैं की लड़कियों से ही कर ले”, कहकर वो भी खिलखिलाने लगी.

मैं भी हंसने लगा…..मैंने कहा, “क्या चाची आप भी………आप को लगता है की मैं वैसे लडको से दोस्ती करूँगा ? “

“नहीं रे लल्ला….क्या पता……..ज़माना ख़राब है, वैसे तू ऐसा करने का सोचता भी तो उसको पहले ही मैं तुझे सुधार देती”

मैंने भोला बन के पूछा….”कैसे चाची…….”

“वो तो लल्ला अगर ऐसा कुछ होता तो तुझे पता लग ही जाता”, चाची ऑंखें नचाती हुयी बोली.

“बताओं ना चाची…..देखो आप और मैं दोनों दोस्त जैसे ही तो है.” मैंने जिद की.

“अरे लल्ला….क्या बताऊ तुझे…….औरत त्रिया चरित्र से हर मर्द से मनचाहा काम करा सकती हैं”

“त्रिया चरित्र ???? ये क्या है…..कोई दवाई है क्या ?”, मैंने भोला बन के पूछा…….

ऐडा बन के पेड़ा खाने में तो अपन भी उस्ताद है.

“अरे लल्ला……त्रिया चरित्र मतलब……..मतलब ……..औरत जो अपने रूप और नखरो से किसी से कुछ भी करा लेती है ना…….उसको कहते हैं त्रिया चरित्र”, चाची ने समझाया.

फास्ट बोलर के ओवर ख़तम………स्पिन चालू. अपना बल्ला भी तैयार हो गया.

मैंने फिर कुरेदा, “चाची ……रूप और नखरे से क्या ? मतलब की…क्या करा ले ?

“अरे लल्ला, कुछ भी करवा सकती है औरत…..आदमी को ज़रा सा इशारा करते है उसके दिमाग का सारा खून वहां से, नीचे चला जाता है, औरत की बातों के आगे अच्छे अच्छे हर मान लेते है”, चाची ने गुगली मारी.

“अच्छा चाची….अगर मैं ऐसे लडको से दोस्ती कर लेता, जो लडको को ही पसंद करते हैं तो क्या करती आप ?” , मैंने भी पूछ लिया.

चाची ने अपनी टांगो के बीच में खुजाते खुजाते कहा.

“अरे लल्ला……जो भी करती बस तुझे यह समझा देती की लडको के साथ वो बात नहीं जो एक औरत के साथ है”,

अब मैंने भी अपनी नज़रे चाची की टांगो के बीच लगा दी. “चाची……अ अ आप ने वो साफ़ किया की नहीं…….”

“क्या रे लल्ला…….”, चाची ने ऑंखें तरेरी.

“व व व वोही……वो …..बाल……”

चाची ने धीमे से मुस्कुरा कर ऑंखें सिकोड़ कर सर हिला दिया.

हाय रे…..साला इतने में तो अपने पुरे बदन में सन सनन साय साय होने लगी.

“त त त तो च च चाची……..फिर आपकी य य यह ख ख ख खुजली…….की दवाई कैसे काम करेगी…….?

चाची ने ठंडी सांस भरी, “अरे तो अब मैं क्या करू……मुझे बहुत डर लगता है…..ऐसे कैसे साफ़ करू……साफ़ करने के चक्कर में ब्लेड से कट लग गया तो….?”

तभी चाची के खेत के चारो तरफ, उजाड़ बंगले के बगीचे जैसे झाड़-झुरमुट उगा हुआ था. चाची ने कभी नीचे के बाल साफ़ किये ही नहीं थे.

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“अरे क्या चाची…..आप भी…….रेज़र से थोड़ी साफ़ करते हैं. हेयर रिमूविंग क्रीम आती है, वो लगा लो. १० मिनट में सब साफ़.”

“हे भगवान…..क्या क्या चीज़े आने लगी हैं………बिलकुल साफ़ हो जायेगा ???”

“हाँ चाची……एकदम साफ हो जाता है….और एक दम चिकनी स्किन हो जाएगी……….आपके गाल जैसी”

“चल हट बदमाश………”

मगर उन्होंने हलके से अपने गालो को सहलाया और जायजा लिया की बाल साफ़ होने के बाद उनकी मुनिया कैसी चिकनी लगेगी.

चाची की आँखों में देखकर ऐसा लग रहा था मानो उन्होंने पी रखी हो.

ठंडी सांस ले कर बोली, “ठीक है लल्ला…..कल क्रीम ला देना…..अभी तो बहुत रात हो गयी…..”

“च च चाची अ अ आप बोलो तो मेरे पास रखी हैं……..वो क्रीम…”, मैंने कहा.

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“हाय राम……तुझे क्या काम उसका ? “, ऑंखें गोल गोल कर के उन्होंने पूछा.

“च च चाची……..म म म मुझे वहां पर बाल पसंद नहीं……साफ़ रखो तो ख ख ख खुजली भी नहीं होती…….इ इ इसलिए”

चाची उठी और बोली, “चल …..दे दे….”

मैं अपने रूम में गया…….बाथरूम में जाके ट्यूब उठाई…..चाची मेरे पीछे पीछे वहां तक आ गयी थी…..मैं पलटा तो एकदम से हम टकरा गए……

मेरा सीना सीधा चाची के बिने ब्रा में कैद मम्मो से जा टकराया…….साली ये ब्रा क्यों नहीं पहनती. मेरा टी शर्त का कपडा भी पतला था. मुझे उनके खड़े हुए निप्पल महसूस हो गए थे. साली ……..मस्ती इसको भी चढ़ रही थी.

 

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