Kaachi Umar ki Kamukta – Antarvasna Virgin Sex Kahani
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
‘क्या बात हैं, आज बड़ी बेचैन दिख रही हो‚…रिया ने पास बैठी नीलू से पूछा
‘नही रे ऐसी कोई बात नही‚….नीलू ने बात टलने के नियत से कहा
‘हमेशा तेरी बकबक से, सर मे दर्द पैदा कर देती हो….आज एटानी खामोश हो, ज़रूर कोई बात हैं‚
‘भरोसा रख ऐसी कोई बात नही‚..नीलू ने ज़ल्ला कर कहा
‘ठीक हैं मत बता , मैं तो समाज़ ती थी हम पक्की सहेलिया हैं, एक दूसरे से कोई बात नही चुपाती, मगर तू नही बठाना चाहती है तो मैं फोर्स नही करूँगी‚……..रिया ने ब्रम्हस्त्रा छोडा, जोकि बिल्कुल सही निशाने पे लगा.
‘क्लास च्छुतने के बाद बताउँगी‚….आख़िर नीलू ने मन लिया
‘ठीक हैं‚
रिया और नीलू पक्की सहेलिया थी, शहर के एक नामी कॉनवेंट स्कूल मे पढ़ती थी,दोनो ही स्स्क की स्टूडेंट थी, उनकी दोस्ती एटानी गहरी थी,की बाकी लड़किया उनसे जलती थी. रिया एक उप्पर मिडलेक्लस फॅमिली से थी, तो नीलू का परिवार शहर का प्रातिष्ठित,आमिर था. लेकिन एससे उनकी दोस्ती पर कोई फ़र्क नही पड़ता था. सिर्फ़ रिया के परिवार वाले थोड़े चिंतित रहते थे, उनके बीच सोशियल स्टेटस का फ़र्क जो था.
क्लास ख़ात्मा होने के बाद दोनो स्कूल के पीछे बने गर्दन मे बैठ गयी.
‘चल अब बता क्या हुआ हैं‚….रिया जाने के लिए उतावली थी
और नीलू सोच मे पड़ गयी थी शुरूवात कैसे करे
‘देख मैं तुज़े सब बताती हू, पर पहले मेरे कुच्छ सवालो के सही सही जवाब देने होगे‚….नीलू अपनी भूमिका बाँध रही थी
‘क्या पुचचाना चाहती हैं तू‚
‘उूुुुुुउउंम..‚
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
अरे पुच्छ ना..ये उूुुुुुुउउंम्म क्या हैं‚…रिया जाने के लिए अधीर हो रही थी.
‘तूने कभी सेक्स किया हैं‚…..नीलू ने बम फोड़ा.
‘क्या….??? तेरा दिमाग़ तो नही खराब हुआ, अगर ऐसा कुच्छ किया होता तो क्या तुज़से चुपाती.?”
‘मैं जानती हू की तू मुज़ासे कुच्छ नही चुपाती,लेकिन कुच्छ ऐसा हुआ हैं,मुझे पुचचाना ज़रूरी लगा‚
‘क्या हुआ हैं.? कही तूने एकेलेहि कुच्छ,मेरा मतलब हैं..‚
‘नही मैने कुच्छ नही किया हैं‚
‘तो.. ?‚…रिया से जिग्गयासा चुप नही रही थी.
‘तू मेरे घर का डिज़ाइन जानती हैं,मेरे बेडरूम से किचन के लिए जाना हो तो भईया के बेडरूम के सामने से गुजर ना पड़ता हैं‚
‘हाँ जानती हू,तेरे घर पर कई बार आ चुकी हू, तू आगे बोल.‚….रिया अभिभि कुच्छ समाज़ पाने मे असमर्थ थी.
‘कल रात अचानक मेरी नींद खुली,12.30 से ऊपर का समय हुआ होगा,मुझे भूख सी महसूस हुई, मैने थोड़ी देर वैसे ही सोने की कोशिश की, पर नींद नही आई, तो मैने सोचा किचन मे जाकर दूध वग़ैरा कुच्छ पे लू,मैं उठाकर किचन की तरफ चल दी,मगर…..‚
‘मगर क्या..अरे बोल ना‚…रिया सुस्पेंसे को बर्दाशस्त नही कर पा रही थी.
‘मुझे भईया,भाभी के बेडरूम से कुच्छ आवाज़े सुनाई दी‚
‘क्या आवाज़े सुनाई दी‚…रिया का सुस्पेंसे बढ़ता ही जा रहा था
‘वो.वो..भाभी.भईया से…कहा रही .थी.,वो.वो.‚
‘अरे वो.वो.क्या कहा रही हैं, अब बक भी‚…रिया अब एक्शिटे हो रही थी ,उसे कुच्छ कुच्छ समाज़ मे आ रहा था.
‘एमेम..एम्म.मुझे शर्म आती हैं.‚….नीलू सचमुच शर्मा रही थी
‘ओये होये मेरी शर्मीली कबूतरी, अब ये शरमाना छोड और बता भाभी क्या कह रही थी.
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‘वो..वो कहा रही थी…है मेरे राजा बड़ा मज़ा आ रहा हैं,, और जम के, है और ज़ोर से. आप के जैसा पती पकड़ तो मैं धन्य हो गयी…पूरे मर्द हैं आप तो ..एक बात पुच्छू..?……एतना कह कर नीलू चुप हो गयी.
‘तो.आगे बठाना,भाभी ने क्या पूछा,और भईया ने क्या कहा‚…..रिया को अब रहा नही जा रहा था
‘ वो ..भईया ने कहा पुच्च्ो मेरी जान..मैं भी तो तुम्हारी जैसी मदमस्त,सेक्सी पत्नी को पकड़ धन्य हो गया हू, हाए क्या बॉल हैं तुम्हारे, पुच्च्ो जो पुच्छना हैं‚
‘फिर.भाभी ने क्या कहा.‚….रिया अब बहुत ही गर्म हो चुकी थी, पूरी बात एकदम से सुनना चाहती थी
‘भाभी ने पूछा.आप पिच्छाले जन्म मे घोड़े थे क्या..?.ये आपका एतना बड़ा कैसे हैं..?
फिर.अरे पूरी बात एकदम से बठाना, क्यो हिन्दी सीरियल की तरह एपिसोड्स मे बता रही हैं?….रिया अब ज़ल्ला उठी थी.
‘आगे कुच्छ सुन नही पाइए, मुझे मम्मी,पापा के बेडरूम का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई, तो मैं भाग कर अपने बेडरूम मे चली गयी, दूध भी नाही पिय.
जैसे ही नीलू की बात ख़ात्मा हुई, दोनो सहेलिया,अपने चेहरे पे अजीब से एक्सप्रेशन्स लिए एक दूसरी की तरफ देखती रही, दोनो ने एकदम नज़ारे ज़ुकाली..दोनो की ही पँतिया गीली हो चुकी थी
रिया और नीलू, सही मायने मे आज के जमाने की लड़कियो को रेप्रेज़ेंट कराती थी……इसे मॉडर्न जमाने के आज़ाद ख्याल मा,बाप की उतनीही आज़ाद ख्याल लड़किया. अपनी ही बेटियो को शॉर्ट स्कर्ट्स मे देखने से उनके माथे पे शिकन तक नही आती थी,….उनकी स्कर्ट्स से ज़नकती भारी भारी गुदज जंघाओ,और टी-शर्ट से ज़नकती उनकी ठोस चुचिया, उनके दिमाग़ मे कोई ख़तरे की घंटी नही बजाते थे.
आम तौर पर, सभी परिवरो मे मॅमी,डॅडी, भाय्ी,भाभी, बड़ी या छोटी बहाने,अपने अपने बिजनेस मीटिंग्स, क्लब्स,किटी पार्टिया, स्पोर्ट्स इवेंट्स,कॉलेज की गॅदरैंग्स एतने व्यस्त रहते थे की, किसिको किसी के बड़े मे ज़ायदा जाने,या बात करने की फुरसाद माई नही मिलती थी. एक ही परिवार के सदस्या एक ही घर मे ऐसे रहते थे मानो, रूम पार्ट्नर्स हो, या एक ही होटल मे रुके मुसाफिर हो, जिनका एक दूसरे की जिंदगी से कोई वास्ता ना हो…..ऐसी स्थिति मैं अगर ये कच्ची उमर की कालिया, उनके आसपास के माहौल से, टीवी,फ़िल्मो मे दिखाई देने उत्तेजक,सेक्सी दृश्यो से,क्लब,पार्टी,पब्स के माहौल से, वक़ुआत से पहले ही खिल कर फूल बनाने की कोशिश करे तो एज़्म कोई हैरानी बात नही थी
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रिया और नीलू भी अपनी उमर के ऐसे ही नाज़ुक मोड पर खड़ी थी.
“चलो घर चलते हैं”….नीलू ने कहा
“उउउँ….क्या?…हाँ चलो….रिया अभी भी उत्तेजना से बाहर नही निकली
थी.
दोनो ने अपने अपने स्कूल बॅग्स उठाए और स्कूल दरवाजा की तारक चल दी.
दोनो ही खामोश थी,उपारसे, दिल मे तूफान उठा हुआ था
“क्या सोच रही हो “….नीलू ने खामोशी थोड़ा
‘कुच्छ भी तो नही‚
‘अब तुम ज़ूथ बोल रही हो‚
‘नही नही,ऐसी कोई बात नही‚
इसे पर नीलू ने ज़ायदा कुरेदना उचित नही सम्ज़ा……थोड़ा वक़ुआत और खामोशी मे बिठा.
“क्या तुमने उन्हे करते हुए देखा था”….अचानक रिया ने पूछा.
कुच्छ पल के लिए नीलू कुच्छ समाज़ी ही नही, लेकिन जैसे ही उसके समाज़ मे आया, वो शर्मा से लाल हो गयी.
“धत्त,.कुच्छ भी बोलती हो”
“अब ये शरमाना छोड,और सच सच बता..!”
“मुझे इच्छा तो हुई थी…पर डर भी लग रहा था”
‘हुउऊुुुउउंम्म…”
नीलू और भी कुच्छ कहना छाती थी, पर हिम्मत नही जुटा पा रही थी
“रिया.”……नीलू ने हलकीसी आवाज़ मे पुकारा
“क्या हैं..?”
“मैने भईया भाभी को तो नही देखा था …मगर.”
रिया के कोन एकदम खड़े हो गये, आँखे चमक उठी.
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“मगर क्या ..साफ साफ बोल ना”
“तू किसी से कुच्छ कहोगी तो नही”….नीलू ने डराते,हिचकते पूछा
“पागल हो गयी हो..!मैने आज तक,हमारे मेरे बीच जो भी बाते हुई हैं क्या किसिको बताई हैं”
“मैने..मैने.एक बार ब्लू फिल्म देखी थी,चोरी से,अचानक ही”….नीलू अभी भी हिचकिचा रही थी
“क्या..!!!!!!!!!!!!!!…तूने ये बात मुज़ासे च्छुपके रखही,अपनी पक्की सहेलिसे..!मैंटो समाज़ ती थी तेरे मेरे बीच कुच्छ भी छुपा नही हैं.”
नीलू खामोश रही
“कब देखी थी, कहा और कैसे देखी थी”…रिया अब फिरसे उत्तेजित हो रही थी. ब्लू फिल्म्स के बड़े मे उसने भी सुन रखा था,देखना भी चाहती थी, सिर्फ़ जिग्गयासा वॉश.
एक बार जब घर मे कोई नही था, मैने भईया के कमरे से एक सीडी उठा लाई त,मुझे लगा था वो कोई कॉंमान हिन्दी फिल्म की होगी,उसपर कोई कवर भी नही था,….लेकिन जैसे ही मैने सीडी प्लेयर मे डाली…..उसमे एकदम नंगी लड़किया और लड़के थे,एक बार मैने सोच सीडी निकल कर वापिस भईया के कमरे मे रख दु, ….लेकिन वो .वो..मुझे उत्सुकता हो रही थी इसे लिए पूरी देख ली.
नीलू ने एक सांस मे पूरी बात कह डाली, बात करते करते ही उसकी साँसे तेज़ चलाने लगी थी….जैसे वो खुद उस फिल्म की हेरोइन थी
“अब कहा हैं वो सीडी‚….रिया एक्सिटमेंट की हद पर कर रही थी.
“मेरे पास ही हैं”
“क्या अभी भी तेरे पास ही हैं..?‚ रिया के आँखोकी चमक फिर बढ़ने लगी.
“हाँ बाद मे रख दूँगी, सोच कर मैने अपने पास ही रख ली”
“मुझे भी देखनी हैं”….रिया की आवाज़ थरथरा रही थी, उत्तेजना से जिस्म कांप रहा था.
“कल दोपहर को मेरे बेडरूम मे देखेंगे,उस वक़ुआत घर पर कोई नही होता”
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तभी नीलू की कार उसे लेने आगयी,दोनो ही कार पे सॉवॅर हो गयी,
दोनो ही खामोश थी,दोनो का मन कल आने वाले आनंद की कल्पना से मस्त,मस्त हो रहा था
रिया जब घर पहुँची, तब भी वो अपने आप मे नही थी.
बात सिर्फ़ ये नही थी के नीलू की बतो ने उसे आंदोलित कर दिया था, बात कुच्छ और भी थी, अगर नीलू ने ब्लू फिल्म देखने की बात उससे च्छुपाई थी,तो उसने भी एक बात नीलू से च्छुपाई थी….एक बहुत ही बड़ी बात.!
रिया कुवारी नही थी..! वो पहले ही चुद चुकी थी..! उसकी सील टूट चुकी थी..और यही वजह थी की सेक्स, रोमॅन्स की बात निकलते ही वो बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो जाती थी….उसने वो वर्जित फल ख्या था, जिसे खाने की उसे मनाही थी,शादी होने तक.
लेकिन वो तो कहा चुकी थी,चख चुकी थी,मज़ा लूट चुकी थी…अपने दीपक अंकल से.
रिया घर मे पहुचते ही सीधी घुस गयी बाथरूम मे,फ्रेश होने के लिए,..गीली पैंटी बदल ने के लिए….बाथरूम से निकल कर वो सीधी अपने बेड रूम मे पहुँची, स्कूल की ड्रेस बदल कर उसने एक ढीला सा गऊन्न पहन लिया,और बेड पर लेट गयी…नीलू की बतो ने उसे उत्तेजित कर दिया था, जिन भावनाओ को उसने बड़े मुश्किल से काबू मे रखा, था वोही भवन्ये अब उस पर हावी होनी लगी थी, अपनी पहली चुदाई की यादे ताज़ा होने लगी थी…..अपने आप उसका एक हाथ उसकी कमसिन,मगर टाइट चुचियो को सहलाने लगा…और दूसरा हाथ पैंटी मे राहत तलाश रहा था.
दीपक अंकल, तकरीबन साल भर पहलर तक उनके पड़ोसी थे,..35 साल की उमर मे भी किसी 25,26 साल के नौजवानो जैसे दिखाते थे, रिया को हमेशा अचरज होता था, की उनके फॅमिली मे , उसके साथ वो यू घुलमिल गये थे, जैसे ुआंके परिवार का एक हिस्सा हो, उनकी पत्नी, शीतल, सिर्फ़ नमकी शीतल थी,वास्तव मे बड़ी चिड़चिड़ी और खुंदकि थी, सबका ध्यान अपने तरफ आकर्षित करने की कोशिश मे लगी रहती, (हमेशा कोई ना कोई बीमारी का बहाना बना कर,) वैसे उन्हे एक बेटा भी था जो दीपक अंकल के मॅमी,दादी के साथ रहता था.रिया के दिमाग़ मे हमेशा ये बात कुलबुलाती रहती की एतने अच्छे अंकल को ऐसी नकचाढ़ि पत्नी कैसी मिली.
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दीपक अंकल उसे हमेशा पढ़ाई मे मदद करते, उसे इंग्लीश स्पीकिंग की तैय्यरी करते. कुलमिलाकर उसे और उसकी फॅमिली को दीपक अंकल बेहद पसंद थे
लेकिन कुच्छ बाते ऐसी भी थी जिसका मतलब रिया उस वक़ुआत नही समाज़ ती थी,दीपक अंकल जब भी उससे बात करते थे,उनकी नज़ारे हमेशा उसकी विकसित हो रही ककचे आँो की भट्टी चुचियो पर टिकी रहती,बात करते समय वो हमेशा उसकी पीठ पर हाथ फेराते थे, गालो पे चुटकी भराते थे, हाथ फेराते थे,कभी कभी अंजाने (..?) मे वो उसकी गुदज मांसल जंघाओ पर हाथ रखते थे, तो रिया के टॅंगो के बीच गीलापन महसूस होता था, लेकिन वो उनका विरोध नही कराती थी,क्यो की वो तो “बेचारे” दीपक अंकल थे…..और उसे पता नही क्यो अच्छा भी लगता था.
एक दिन जब वो स्कूल से वापस आई, तो उसे पता लगा की शीतल आंटी हमेशा की तरह बीमार हो गयी हैं, अंकल उन्हे हॉस्पिटल मे भाराती करने गये हैं
श्याम को जब अंकल वापस आए तो रिया दौड़ कर उनके फ्लत पर पहुँची, तो देखा दीपक अंकल सिर्फ़ बरमूडा पहने सोफे पर बैठे थे,ुआंके हाथ मे एक ग्लास था जिसमे कोई लाल रंग का तरल प़ड़ार्थ था
“आंटी को क्या हुआ अंकल”…..रिया ने धदम से सोफे पर बैठते हुए पूछा.
‘कुच्छ नही य्ाआआआर वोही हमेश का नाटक”…अंकल उदास स्वर मे बोले….वो छोड तू बता तेरी पढ़ाई कैसे चल रही हैं.
कुच्छ प्राब्लम आपको पुच्छनी थी….पर”…रिया अंकल का उखाड़ा हुआ मूड देखा कर हिचक रही थी
“पर क्या…?”..अंकल ने उसकी पीठ पर हाथ फेरा….हमेशा की तरह
“आंटी बीमार हैं तो मैने सोचा”
“छोड इसे बात को तू जानती हैं, उसकी बीमारी के बड़े मे”…..अंकल का हाथ उसके ब्रा स्त्रेप्स पर रुक गया…( हाँ रिया 9त स्ट्ड से ही ब्रा पहनने लगी थी, सवाल ुआस्की चुचियो को सम्हल ने का नही था, पर उसके निप्पल दिख जाते थे,पतली शर्ट से)
रिया आज कुच्छ अजग सा महसूस कर रही थी
“रिया..एक बात काहु,तुम बुरा तो नही मनोगी”
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
“नही अंकल…मैं आपकी किसी अबत का बुरा नही मानूँगी”….रिया को दीपक अंकल बहुत अच्छे लगते थे.
अंकल का हाथ अब पीठ पर रिया के ब्रा स्त्रेप से खेल रहा था,और दूसरा हाथ उसकी चिकनी मुलायम जाँघो पर फिर रहा था.
रिया सांस अब भारी हो रही थी
‘अंकल आप कुच्छ कह रहे थे”…..रिया ने जैसे तैसे पूछा.
“अगर तुम और थोड़ी बड़ी होती…..उूुुुुउउम्म्म्ममममम 25,26 साल की होती तो मैं तुमसे शादी कर लेता….अंकल का हाथ जंघाओ पे काश गया
रिया नादान थी,कमसिन थी, नासमाज़ थी, कक़ची उमर की काली थी, लेकिन उमर के ऐसे म्ाओड़े पर थी, जहाँ मर्द का स्पर्श दीवाना बना देता हैं वो समाज़ ही नही पाई की जो आज सिर्फ़ 15 साल की हैं,वो थोड़ी सी बड़ी 25,26 साल की कैसे हो सकती हैं. लेकिन एटानी भी छोटी नही थी की कुच्छ भी ना समाज़ पाए
“ये ..ये आप क्या कह रहे हैं अंकल”……रिया महसूस कर रही थी की अंकल का हाथ अब धीरे धीरे स्कर्ट के अंदर पहुँच रहा हैं,…उसकी कोमल जंघाओ पर दीपक अंकल के मर्दा ने हाथ का स्पर्श, उसके होश उसाए जा रहा था.
“तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो रिया”…दीपक अंकल का हाथ पीठ पर से फिसल ता हुआ, बगलो से गुज़राता हुआ, चुचियो तक पहुच गया था, दूसरा हाथ जंघाओ के अंदर अपना सफ़र तय कर रहा था पैंटी की तरफ, और अंकल के होंठ रिया के गुलाबी गालो को लाल बनाए के लिए हल्के से छू रहे थे.
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
दीपक अंकल द्वारा ये त्रीप्प्ले अटॅक, रिया के लिए बर्दाश्त से बाहर हो गया. कच्ची काली पूरी तरह से खिलाने को बेठाब हो गयी.
उसने अपना चेहरा घुमाया, और, पतले,गुलाबी,अधखुले,थरथराते होंठ अंकल के होंठों पर गड़ दिए
अपने प्यारे दीपक अंकल के होंठों पर
जो उसे अपनी बीवी बनाना चाहते थे
अगर वो सिर्फ़ 25,26 साल की होती तो…!
रिया का मन डोलेमान था,तराजू के दो पलड़ो मे ज़ुल रहा था,एक पलड़े मे था उसका मान, उसका कॉशन,तो दूसरे पलड़े मे था उसका,नाज़ुक,कमसिन,बदन, जो 16 वे साल की दहलीज पर खड़ा था….उसका मन उसे प्रवृत्त कर रहा था,रोक रहा था,ये सब करने के लिए,….और तन चाह रहा था और कुच्छ पाना, सब कुच्छ पाना, मर्द का स्पर्श उसे उकसा रहा था, अपन सब कुच्छ नौचचवर करने के लिए.
मान कहा रहा था..रिया ये ठीक नही हैं,ग़लत हैं,…ग़लत वक़ुआत पर ,ग़लत उमर मे, ग़लत बात हैं,इसे रोको,…….उधर तन कहा रहा था …..रिया एस्सामे बहुत मज़ा हैं,स्वर्ग का सुख हैं, ये सभी करते हैं……तन और मन की इसे कशमा काश मे जीत आख़िर तन की हुई…जैसा हमेशा होता हैं
रिया अपना आपा खो कर अपने दीपक अंकल से लिपट गयी, किसी बेली की तरह,जो हमेशा पेड़ से लिपटी रहती हैं….उसके नाज़ुक हॉट दीपक के होंठों से मसले जा रहे थे…..अत्यधिक उत्तेजना से आँखे बंद थी….दीपक का हाथ उसके रेशमी जांगज्ाओ से ऊपर सरकने की कोशिश मे बार बार फिसल जाता….एटानी मुलायम जाँघ….उउउफ़फ्फ़
“रिया..”….दीपक का हाथ अब उसकी भारी भारी, सकत,लेकिन तनी हुई चुचि पर था…उसने चुचि को हल्के से दबाया
“उूुुुुुउउन्न्ञननननणणन्..” रिया के होंठ दीपक के होंठों की जुदाई सह नही पाए,ऊपर से चुचियो पर हमला हो रहा था, वो कसमसाई.
“क्या मैं तुम्हे अच्छा लगता हू”…..काफ़ी कोशिशो के बाद दीपक का हाथ रिया की पैंटी पर पहुच गया,जब पहुच गया तो फिर वही रुक गया, ुआस्की उंगलिया रिया की बंद चुत की दवाजे पे दस्तक देने लगी
“हाँ..अंकल आप बहुत अच्छे हैं”….चुत पे पड़ने वाली दस्तक ने रिया के पूरे शरीर मे आग लगा दी थी, जिसे वो ना बर्दाश्त कर सकती थी, ना,ही बुज़ा सकती थी….सिर्फ़ तड़प सकती थी…उसने टाँगे फैला दी,अंजाने मे.
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
” क्या मैं तुम्हे जी भर के प्यार कर सकता हू”….चुचियो पर दबाव बढ़ता जा रहा था, दीपक अब खुलके चुचि यो को मसल रहा था, कभी डाई,कभी भाई….रिया अब बेकाबू हो रही थी, अच्छ,बुरा कुच्छ भी समाज़ ने की स्थिति मे नही थी…अब उसे सिर्फ़ आग बुज़ानी थी, जो उसके पूरे शरीर को जला रही थी.
“हाँ..हाँ..अंकल कीजिए ना..बहुत प्यार कीजिए‚…आआअहह,..आआहह..ुआस्की तड़प बढ़ती ही जा रही थी…..चुत गीली हो गयी थी….लेकिन ये गीलापन आग बुज़ाने के लिए काफ़ी नही था.
अब दीपक ने सीधी चोट करने की सोची, उसने उसे अपने बाँहो मे काश लिया, रिया के होंठों को एक बार फिर मसल दिया अपने होंठों से….फिर उसे पूछा
“रस्मी तुम शरमाओगी तो नही….अगर मैं तुम्हा ये टॉप उतार दु.?”
पहले ही वासना की आग मे जलती, बदहवास हो चुकी,सही ग़लत का फ़र्क भूल चुकी रस्मी ने अपने ‘प्यारे‚ दीपक अंकल को जवाब दिया……खुद ही अपना टॉप उतार कर.!
दीपक ने अब देर नही की,दोपहर का वक़ुआत था, दोनो के ही फ्लॅट मे कई नही था, और रिया भी बेहद गर्म हो चुकी थी, तड़प रही थी, मचल रही थी,…..उसने रिया को अपने हाथो मे उठा लिया, बड़ी ही सावधानी से,.आख़िर कच्ची काली थी, नज़ाकत ज्रूरी थी.
बेडरूम मे पहुच ते ही दीपक ने रिया को बिस्तर पर लिटा दिया,उसकी आँखे बंद थी,..मस्ती से…दीपक ने अपने सारे कपड़े उतार दिए,सिर्फ़ आंडरवेयर छोड के,
क्यो क्की वो इसे नाज़ुक काली को बराना नही चाहता था,..वक़ुआत से पहले..!
“रिया .!”
“ऊऊन्न्ननणणंह”
“क्या तुहमे पता तुम कितनी खूब सूरात हो”….दीपक के हाथ स्कर्ट नीचे करने मे जुटे थे.नज़ारे ब्रा मैं क़ैद उन यौवन भरो का जायज़ा ले रही थी, जो अब गहरी सांसो के साथ उठ बैठ रहे थे.
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
“न्न्नननणणन्.नही..आआहह”…रिया की कामुक सास्कारिया बढ़ने लगी थी…स्कृत अब उतार चुका था….दीपक पागला गया उस आनच्छुई काली को देख कर…सिर्फ़ ब्रा, पैंटी मे, जनन्त की हूर लग रही थी…मस्सों खूबसूरात चेहरा,सुतवा नाक, गुलाब की पंखुड़ी समान होंठ, सुरहिदार गर्दन,उनके नीचे बसी यौवन घटिया,सीधी तनी हुई,नुकीली,….पतली,घटदार कमर,कमर के नीचे दो लंबी पतली टॅंगो के बीच वो जन्नत का द्वार..दीपक मंत्रमुग्धा हो कर उसे देख रहा था, जैसे वो एक शापित अप्सरा थी और अपने उद्धार होने का इंतज़ार करी थी.
दीपक उसके पास लेट गया, उसे अपनी मजबूत बाँहो मे भरकर, उसके कानो मे कहा “तुम बहुत सुंदर हो,बहुत ही खूबसूरात हो”…और वो रिया के जिस्म का हर हिस्सा चूमने लगा, चातने लगा, सहलाने लगा,मसलने लगा,….रिया भी पूरे जोशो ख़रोश से रेस्पोन्स देने लगी,अपने प्यारे दीपक अंकल की बाँहो मे समय जा रही थी…दीपक के हाथो ने अब रिया के बाकी बचे कपड़ो को उतार दिया और अपने भी…..रिया की आँखे अभी भी अबन्द थी,…उत्तेजनसे, शर्म से….लेकिन वो इसे आनंद डाई मज़े से उबरना भी चाहती थी.
वासन का ज्वर बढ़ता ही जा रहा था,रिया की चुचिया मसली जा रही थी, दीपक के तजुर्बेकार हाथ उसके शरीर को जैसे वीना की तरह छेद रहे थे, रिया के मूह से करहो का ,सिसकारी यो का, मधुर संगीत गूँज रहा था.आनंद की लहरो पर सॉवॅर वो आसमान मे उस रही थी.
दीपक उसकी कमसिन चुत को डेकः कर एक बार सोच मे पड़ गया…क्या ये सह पाएगी उसके मेट्यूर्ड,तगड़े लंड को..?….लेकिन ये सोच कुच्छ ही पल टिकी..उसने धीरे धीरे रिया को काली से फूल बनाने की रही पर डाल दिया..प्यार से, सहलाते हुए, चुचियो को चुसते हुए…वो उसकी टॅंगो के बीच मे आया ….रिया समाज़ रही थी अब क्या होने वाला हैं …एक पल के लिए ही सही उसकमान जगह उठा, लेकिन टूरंत वासना ने उसपर काबू पा लिया …अब वो हमला ज़ेलने के लिए तैयार थी…..दीपक के शुरुआती हालाए ज़टके,कुच्छ मसलन,कुच्छ चूमा छाती के बीच लंड अहदा अंदर घुस गया ,…आनंद और दर्द के लहरो पर ज़ुअलते हुए रिया ने सब सहन कर किया…चुत का बहता हुआ रस लुब्रकांत का कम कर रहा था…..अकीहर मे लंड ने चुत पर फ़तह हासिल कर ही ली……अब तो आनंद ही आनंद था, मज़ा ही मज़ा था, नशा ही नशा था…..रिया संज़ो बादलो पर उस रही थी…..दीपक का लंड अब पिस्तन की तरह आ जा रहा था .
और वो वक़ुआत भी आया लंड की तेज बौच्हर ने रिया के अंदर भड़की आग को बुज़ा दिया.
काली अब खिल कर फूल बन गयी थी
दोनो निढल हो कर काफ़ी देर वैसे ही पड़े रहे, एक दूसरे की बाँहो मे.
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
“रिया…!” मा की आवाज़ सुनते ही, रिया अपने दीपक अंकल के ख्वाबो से निकल कर वास्तविक दुनिया मे आई.उसने तुरंत पैंटी मे से हाथ निकल लिया.दीपक के साथ बिठाए रंगीन पॅलो ने उसकी चुत को पैंटी मे ही रुला दिया था. वो उठा कर बात रूम की तरफ भागी.
“मैं बाथरूम मे हू मम्मी.!”….बाथरूम मे घुसते ही वो चिल्ला कर मम्मी को बोली…अपनी पहली चुदाई के बाद,वो दीपक से काफ़ी खुल गयी थी,लेकिन दीपक एक सुलज़े हुए व्यक्तित्वा का मलिक था, वो जनता था, कक़ची उमर मे मिला सेक्स का अनुभव रिया को बहका सकता था. उस दिन तो वो अपनी बीवी के कारण फ्रस्त्टेड था,और रिया की खिलती हुई जवानी ने उसके अंदर च्चिपी हुई वासना को जगा दिया था,रिया तो थी ही अल्हड़,वो भी बहक गयी,लेकिन बाद मे दोनो को ही अहसास हुआ, अपनी ग़लती का….रिया अभी भी दीपक के ही ख़यालो मे दुबई हुई थी…..उस घतना के बाद दीपक ने उसे संज़ाया था, जो भी हुआ था एक, अचानक आया तूफान था,जिसमे वो दोनो ही लापते मे आ गये थे.अपना काबू खो दाएँ,लेकिन अब आगे उःने अपने आप पर काबू रखना होगा,……दीपक तो मेट्यूर्ड था,वो बात की नज़ाकत को समाज़ सकता था, लर्किन रिया….उसकी उमर, नादान थी…और ग़लत वक़ुआत पे गजट फल कहा चुकी थी,….तीर चुत चुका था, आग लग चुकी थी……लेकिन तभी दीपक का ट्रान्स्फर हो गया, दूसरे शहर मे….बहुत दूर.
बाथरूम मे अपने गीली पैंटी और चुत को साफ करचूकी रिया ने एक अया सी भी दीपक की याद मे….दीपक के जाने बाद, रिया की भी हिम्मत नही हुए किसी और से संबंध बनाने की….कई बाते थी, बदनामी का डर तो त ही,लेकिन दीपक उसे अच्छा लगता था,उसके प्राति एक सॉफ्ट कॉर्नर था, उसकी बीवी की वजह से,……वैसा किसी और के लिए दिल धड़क नही सका था….धीरे धीरे रिया सामान्य हो गयी.
लेकिन आज नीलू की बतो ने उसकी सोई हुई सेक्स की बवानाओ को जगा दिया था…..उसे एक बेचैनी सी महसूस होने लगी…..पूरे शरीर मे सनसनी फैल रही थी….पहला सेक्स का अनुभव उस पर हावी हो रहा था…अब उसे वो सब चाहिए था…वो मसलाना, सहलाना….होंठों को चूसना कातना….सबसे ज़्यादा उसे चाहिए था वो मीतसा,.हसीन सा दर्द…जो उसे उसकी टाँगे फैला कर, चुत के होंठ खोलकर, उसके अधपके अनरो को दबाते दबाते. अंदर बाहर होने वाला लंड देता था…..हहययययई..एक सिसकारी निकल गयी.
“क्या हुआ बेटी…”…उसकी सिसकारी सुनकर मम्मी ने पूछा.
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” कुच्छ नही मम्मी…बस पैर थोड़ा फिसल गया ..”……..सचमुच पैर फिसल ही तो गया था उसका
अभी और फिसल ने वाला था….वो गिरने वाली थी…पता नही…कहा तक.कब तक.
उदहर् नीलू जब अपने घर पहुँची, तो उसने पाया रिंकू उसके घर से बाहर निकल रही थी.
रिंकू एक बहुत बड़े घर की बिगड़ी हुई,अययश किस्म की लड़की थी, जो नीलू और रिया से एक साल सीनियर थी, हमेशा बाय्फरेंड्स बदलते रहती, शहर के नाइट लाइफ की जानीमानी हँसती थी,….कपड़ो की तो उसे आईईएरगी थी….जीतने पहनना ज़रूरी हो, उठने भी बड़ी मुश्किल से पहन ती थी….कपड़े ुअतरने की कॉम्पीटीटिओन लगाई जाए, तो रिंकू के जीतने की गॅरेंटी थी…नीलू ने सुन रखा था की रिंकू ड्रग्स भी लेती हैं…..!.
ये लड़की मेरे यहा क्या कर रही हैं….?
“ही डार्लिंग….मैं तुमसे ही मिलने आई थी.”….रिंकू ने चहकते हुए कहा…खिच कर ज़बरदस्ती नीलू को बाँहो मे भर लिया, और उसके गालो पर एक किस झड़ दिया….ये था रिंकू का लड़कियो से मिलने का तरीका….अब ल्दाको से कैसे मिलती होगी…?…जस्ट इमॅजिन.
‘क्या बात आज मेरी याद कैसी आई.?‚…नीलू को पता था ये नकचाढ़ि लड़की, उसकी और रिया की दोस्ती से जलती हैं.
‘आज मैने एक पार्टी रखी हैं,सभी दोस्त आएँगे. तुम्हे भी इन्वाइट करने आई हू..और हाँ रिया को भी साथ ले आना, मैं उसे फोन कर दूँगी”
“किस खुशी मैं पार्टी हो रही हैं..?….नीलू ने उत्सुकता वॉश पूछा.
“मेरी जान पार्टी के लिए कोई बहाना चाहिए क्या..?.सोचा दोस्तो के साथ थोड़ी मस्ती की जाए.तुम ज़रूर आना, और रिया को भी याद से लाना…शाम 7.30 मेरे घर पर….ओके, मैं चलतिहू.”
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रिंकू जैसे आँधी की तरह आई और तूफान की अत्रह चली गयी
नीलू सोच मे दुबई हुई सोचने लगी….उसे पार्टी मे जाना चाहिए या नही….रिया से बात करके देखूँगी…नीलू ने सोचा
नीलू खुद एक आमिर परिवार से ताल्लुक रखती थी, पार्टिया उसके लिए नयी नही थी. लेकिन रिंकू के घर पार्टी का मतलब था, मौज मस्ती, डांस और बहुत कुच्छ.
नीलू और रिंकू के परिवार काफ़ी मिले हुए थे, बिजनेस रिलेशन्स की वजह से इसे लिए घर मनाही की कोई वजह भी नही थी.
और वैसे भी नीलू के घरवालो को इसे बात से लो मतलब नही था की उनकी जवान बेटी क्या कराती हैं , कहा जाती हैं…..वो तो बस अपने बिजनेस मीटिंग,टूर्स, पड़तेइयो मे मसरूफ़ थे.
नीलू ने रिया को फोन लगाया.
“ही रिया…क्या कर रही हो.?”
“कुच्छ खास नही,..तुंबताओ कैसे फोन किया.?…..रिया अपना बाथरूम एपिसोड ख़त्म करके टीवी के सामने बैठी थी.
“अभी अभी रिंकू आई थी,मेरे यहा….आज शाम उसने पार्टी रखी हैं, अपने दोस्तो के साथ,हमे भी बुलाया हैं,..बहुत फोर्स कर रही थी…”…..नीलू ने एक ही बार मे पूरी बात बता दी
“हमे से मतलब..”…रिया जानती थी रिंकू सिर्फ़ अपने लेवाले के लोगो से ही संबंध रखती थी.
“अरे वो तुम्हे लाने को कह रही थी….बहुत ज़ोर दे कर.”
रिया भी रिंकू की पेरटियो के बड़े मे जानती थी….नीलू ही बताया कराती थी, और उत्सुकता वो एक बार ऐसी पार्टी मे जाना भी चाहती थी
“यार लेकिन..वो बहुत आमिर हैं, मैं उस माहौल मे ऑड लगूंगी”
“तू चिंता मत कर….मैं हू ना तेरे साथ”
“फिर मेरे घर वाले भी नही मानेंगे”…..रिया की बात सही थी
“वो सब तू मूज़ पे छोड दे, मैं मना लूँगी तेरे मम्मी पापा को”
“ठीक हैं, अगर तू पर्मिशन निकल लेगी, तो मुझे कोई ऐतराज़ नही”
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“तो फिर मैं तुम्हे लेने आऊँगी,शाम को…7.30 बजे, तैयार रहना.”……कहकर नीलू ने फोन काट दिया
रिया मन ही मन उधेड़बुन मे फँसी हुई थी,.पार्टी का अट्रॅक्षन भी था,और थोड़ा डर भी….वाहा क्या होगा.?
जो होगा देखा जाएगा….सर को झटका दे कर, दिमाग़ मे चल रही उधेड़बुन को ज़तक दिया.
रिया और नीलू जब रिंकू के घर पहुँची, तो 8.00 बज चुके थे, कॉंपाउंड मे कई आलीशान गाडिया खड़ी थी, जो साहबित कराती थी समाज की ‘करीम‚ वाहा मौजूद थी.रिया और नीलू ने बंगलो मे प्रवेश किया, वाहा उन्हे बताया गया, की पार्टी पीछे लॉन मे चल रही हैं
रिया ब्लू डेनिम जीन्स पर ब्लॅक स्लीवलेशस टॉप पहने हुए थी, जिसमे ुआके सभी अंग उभरकर दिख रहे थे, भारी भारी कातिली चुचिया, सुघड़ कमर, चलते वक़ुआत देखने वालो की धड़कने तेज़ करने वाले कूल्हे, सब कुच्छ उसकी 5‚4” की हाईट के अनुपात मे ढले थे. नीलू बड़े घर की थी, सो उसका ड्रेस भी उसकी ‘लेवाले का था, वो शॉर्ट स्कर्ट पे खुले गले का टॉप पहने हुए थी, लो कट टॉप से उसकी चुचियो का नज़ारा देखा जा सकता था, जो किसी के भी मूह से लार टपका सकता था, हाइ हील्स की जुटी,चलते वक़ुआत उसके कुल्हो मे जो थिरकन पैदा करते थे, वो दिलो को आंदोलित करने के लिए काफ़ी थे
दोनो जैसे ही पेरटी मे दाखिल हुए, रिंकू तेज़ीसे उनकी तरफ दौड़ी चली आई, जैसे वो दोनो कोई बड़ी हस्तिया हो और पार्टी मे उनही का इंतज़ार हो रहा हो.
“वालेकम…डार्लिंग,…वालेकम रिया, तुम्हे देखा कर मुझे ख़्श्ी हुई, मुझे डर था तुम आओगी भी या नही….आओ मेरे साथ…लेट्स एंजाय थे नाइट”….रिंकू के इस वॉर्म वालेकम ने रिया के दिल मे बसी हिचक को दूर कर दिया…..( लेकिन उस बेचारी को क्या पता था, रिंकू के इस “वॉर्म” वालेकम पीछे क्या था)
वो उन दोनो के हाथ पकड़ कर अपने खास ग्रूप के पास ले आई
“फ्रेंड्स प्ल मीट & वालेकम और स्पेशल गेस्ट टुडे, ये नीलू हैं, और ये रिया, और स्वीट एंजल्ज़….और ये मेरे ख़ास्स दोस्त हैं..ये हैं रोमी, ये लक्की, ये मॉंटी, ये रूचि, ये प्रिया…”…रिंकू उन दोनो को ही बड़ी स्पेशल ट्रीटमेंट दे रही थी, उसकी आँखे एक ख़ास्स अंदाज मे चमक रही थी.
सब ने एक दूसरे से ही,हाला की….वैसे तो पार्टी मे मौजूद सभी की ( ख़ास्स तौर से लड़ाकोकी ) नज़ारे उनही पर टिकी हुई थी…नया माल एडख कर सभी के मन मे एक ही सवाल था….. ‘मेरा नुंबर कब आएगा”
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रिंकू के ख़ास्स दोस्त रोमी, लक्की, और मॉंटी उन दोनो को ऐसे घूर रहे थे जैसे कसाई बकरे को घुराता हैं ये सोचते हुए की इसे कातने पर कितना माँस निकलेगा
रिया उस माहौल मे कुच्छ बेचैन सी होने लगी, उसे कुच्छ बुरा होने की आशंका होने लगी…जबकि नीलू नॉर्मल थी, ये बात नही की नीलू हमेशा ऐसी पार्टियो मे जाती थी..लेकिन जानती थी, ये पार्टिया ऐसे ही होती हैं. रिया के चेहरे पर च्चएे चिंता के भाव को रिंकू की एक्सपर्ट नॅज़ारो ने ताड़ लिया, उसने आँखो से एशारा किया..तुरंत एक वेट्रेस ट्रे मे ड्रिंक्स ले आई
” अरे रिया, नीलू तुमने अभी तक कुच्छ लिया नही, हे बेबी.डोंट भी शे याअर…लेट्स एंजाय..हॅव सेम ड्रिंक”…रिंकू अपने स्पेशल गेस्ट को ‘एंटरटेन कर रही थी.
“मैं शराब नही पीती.”…रिया
“मी लव,.. ये शराब नही हैं…वाइन हैं.इसे “बच्चे” भी पीते हैं”….रिंकू ने बच्चे शब्द पर ज़ायदा ज़ोर दिया..शायद रिया को टीज़ करना चाहती थी.
” हे रिया. ले लो यार,.हमारी दोस्ती के नाम”…..रोमी ने अपनी उस दोस्ती का वास्ता दिया जो अभी हुई ही नही थी, सिर्फ़ पहचान हुई थी.
रिया कुच्छ देर सोचती रही..पर नीलू ने भी कहा की पार्टी मे सॉफ्ट ड्रिंक लेना, या कुछ्छ भी ना लेना ‘पार्टी मॅनर्स‚ के खिलाफ होता हैं, और फिर उसे घर वापस तो जाना ही नही हैं ( नीलू ने रिया के घर वालो को, रिया को एक रात के लिए अपने घर पर ले जाने की इज़्जज्त् माँगी थी….ग्रूप स्टडी के लिए..!) तब रिया ने एक ग्लास उठाया, और एक नीलू ने. एक हल्कासा घूँट भरा…टेस्ट बुरी नही थी…रिया और नीलू के घूँट भराते ही सबकी आँखोमे मे वही चमक आई..कसाई वाली.
“चियर्स…..!!!!!!!!!”….सभी एक साथ चिल्ला उठे.
पार्टी अब पूरे यौवन पर थी.पार्टी मे दिल बहलाने के लिए ख़ास्स तौर से कुच्छ लड़कियो को लाया गया था मोटी कीमत चुकाकर, उन्हे सिर्फ़ यही करना था, की उन्हे कुच्छ भी नही करना था, अन तो बस करने देना था, जो चाहे, जैसे चाहे, जहा चाहे उनके शरीर खेल सकता, जो चाहे वो कर सकता था,
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और उन लड़कियो को कोई आपत्ति नही थी…..वाइन से आहूरू हुआ ड्रिंक का दोड अब स्कॉच पर पहुच गया था….हाँसी मज़ाक की जगह अब कामुक हरकतों ने ले ली थी, लड़को के हाथ अब लड़कियो के बदन पर फिसल रहे थे, लड़कियो की कामुक सिसकारियो से पार्टी का माहौल गरमा रहा था.
और इसे बदलते माहौल को रिया भी नोट कर चुकी थी, महसूस कर रही थी, एक बार लंड का स्वाद चख चुकी, उसकी चुत, अब उत्तेजित हो कर सिशकरही थी, पैंटी मे गीला पान बढ़ने लगा था.
यही हाल नीलू का भी था, हलकी अब तक उसकी चुत कोरी थी, पर अनुकूल माहौल के चलते उसने भी, रोना शुरू कर दिया था, अब नीलू की पैंटी भी गीली हो रही थी
नीलू और रिया एक सोफे पर बैठी हुई, पार्टी मे हर तरफ नज़ारे घुमा रहै थी. दोनो के हाथ मे वही पहले वाला वाइन का ग्लास था, जो लगभग ख़त्म होने को था….पार्टी की रंगिनिया बढ़ती ही जा रही थी, ड्ज की धुन पर तिरकते जोड़े, डांस कम और कामुक हरकते ज़ायदा कर रहे थे. एक तो वाइन का असर, ऊपर से ये रंगीन माहौल…उूउउफफफ्फ़…रिया बेचैनी से बार बार पहलू बदल रही थी…तभी
“मे ई डांस विद यू…?”….
दो आवाज़े एक साथ आई, पुचचाने वाले रोमी और मॉंटी थे…कौन किसे पुच्छ रहा था, पता नही चला.
दोनो ने ही कुच्छ पल के लिए सोचा…दोनो ही उत्तेजित हो चुकी थी,कुच्छ वाइन का सुरूर, कुच्छ पार्टी के महुअल का असर,…रिया फिर हुच्छ हिचकिचा रही थी,उसे एक अंजना एहसास बेचैन कर रहा था.
“कम ऑन रिया..शरमाने की ज़रूरात नही, ये सिर्फ़ डांस कर लिए ही तो कह रहा हैं”……रिंकू नेआग को हवा दी.
दोनो ही उठा खड़ी हुई ….रिया ने मॉंटी के अपने तरफ बढ़े हुए हाथ मे अपना हाथ दिया, तो नीलू ने रोमी के हाथ मे…मॉंटी रिया को लेकर डांस फ्लोर की तरफ बढ़ा, एक हाथ रिया की घटदार कमर पर तो दूसरा हाथ उसके कंधे पर था,…डांस तो एक बहाना था ज़ेंप मिटाने का,शर्म कम करने का…मकसद था लड़की को बहलाने का, गर्म करने का, फिर आराम से चोदने का..
और इसे प्लान पर कम कर रहे थे रोमी और उसके साथी…जिनकी लीडर थी रिंकू. रोमी और उसके दोस्त कई दीनो से नीलू और रिया को चोदने के लिए, उनके कमसिन, मखमली, मुलायम जिस्म का मज़ा लूतने के लिए उतावले थे, लेकिन इंडीविसुअल तौर पर जब उन्हे कामयाबी नही मिली, तो उन्होने रिंकू की मदद ली.
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
और आज वो दिन आया था…आज दोनो बालाए उनकी बाँहो मे थी..डांस फ्लोर पर…जिनके दिमाग़ पर वाइन की खुमारी थी, तो बदन पर सेक्स की….बहुत बार इंसान का दिल,दिमाग़ किसी बात को स्वीकृत नही कराता…लेकिन जिस्म की डिमॅंड, उन सब पर हावी हो गति हैं….शराब के रसिया लोगो को पुच्हिए…वो बताएँगे..उनका दिल मानता हैं, दिमाग़ मानता हैं की शराब बुरी चीज़ हैं, लेकिन जिस्म नही मानता….उसे तो आदत पड़ चुकी होती हैं, शराब की…ऐसे ही कुच्छ बात थी हमारी इन कमसिन, कच्ची उमर की बाल्ओ के साथ.
रिया जो मॉंटी के साथ डांस कर रही थी….मॉंटी के मर्दा ने जिस्म की खुशबू उसे उत्तेजित कर रही थी, ऊपर से उसके बदन पर फिसलते हाथ….ओहमाआआअ..एक हाथ अब तक, जीन्स के ऊपर से कुल्हो को सहला रहा था,…दूसरा हाथ चुचि पर कयामत ढा रहा था…दिल कह रहा था, दिमाग़ वॉर्निंग दे रहा था, जो हो रहा हैं, ठीक नही हैं,..लेकिन जिस्म..?..वो तो और माँग रहा था..!
रिया ने एधर उधर देख..माहौल अब और ज़ायदा बदल चुका था..कई लड़कियो के कपड़े पहले से कम हो गये थे, जो लड़किया किराए पर बुलाई गयी थी, वो तो लगभग नंगी थी..कोई किसी का नही था…वाहा थे तो सिर्फ़…मर्द और औरात,…सिर्फ़ माले और फीमेल..और सिर्फ़ एक ही रिश्ता था…सेक्स का, संभोग का.
कोई किसी की चुचियो से खेल रहा था, तो कोई होंठों को चूस रहा था…कोई साथ वाली लड़की की चुत को सहला रहा था, तो कोई कुल्हो को…..पार्टी अब ऑर्जी की तरफ तरफ रही थी.
अचानक रिया चोंक उठी..कब मॉंटी का हाथ उसके टी-शर्ट के अंदर घुसा,कब उसने उसकी चुचियो को मसलाना शुरू किया, कब उसने अपनी उंगलियो मे उसके निपल्स दबाए….रिया को पताही नही चला
“क्या हुआ मेरी जान..तकलीफ़ हो रही हैं क्या”…मॉंटी ने बड़े ही अश्लील अंदाज़ मे कहा…..”डार्लिंग ज़रा अपनी उस सहेलिको तो देखो, जिसकी तुम आज मेहमान हो…देखो कैसे दो, दो को ले रही हैं.
रिया ने नज़ारे घुमा कर देखा….तो वो दंग रही गयी…उसे अपनी आँखो पर विश्वास नही हो रहा था….रिंकू के कपड़े तो जिस्म पर मौजूद थे पर अपनी सही जगह पर नही थे….उसका टॉप ऊपर खिशकचुका था…उसकी बड़ी बड़ी चुचियो को दो लड़के चूस रहे थे ….रिंकू के चेहरे पर परमानंद के भाव थे, वो एंजाय कर रही थी…. उसकी स्कर्ट अपनी जगह पर नही थी….कमर तक ऊपर उठ चुकी थी…,उसके हाथ दोनो लड़को के पेंट पर, उभरे हुए हिस्से को सहला रहे थे.
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
रिया अत्यधिक गरम हो चुकी थी, मॉंटी की आक्टिविटीस उसे तड़पा रही थी , सेक्स डर पर हावी होता जा रहा था.
रिया की चुत से एकदम बौच्हर सी होने लगी
नीलू की हालत भी रिया से जुड़ा नही थी. रोमी ने उसे पीछे से जकड़ लिया था, हाथ टी-शर्ट के अंदर थे, और नीलू के नाज़ुक,कमसिन चुचियो को आते की तरह गूँथ रहे थे,नीलू ही ही कर रही थी,उत्तेजित हो रही थी, उसकी आँखे बंद थी.शायद उसे लगता हो,उसके आँख बंद करलेने से दुनिया भी नही देख पाएगी, उशाए साथ क्या हो रहा हैं. रोमी के होंठ नीलू के गुलबो से भी नाज़ुक होंठों को कुचल रहे, मसल रहे थे.
हर तरफ माहौल कामुक हो गया था, कोई अपने होश मे नही था,….कौन किसके साथ हैं एसससे किसी को कोई लेना देना नही था, था तो सिर्फ़ तन की प्यसस बुज़ाने से, अपनी खुजली मिटाने से,…शराब की नादिया बह रही थी..जिस्म एक दूसरे से टकरा कर गरमी पैदा कर रहे थे.
कुच्छ जोड़े अब धीरे धीरे रिंकू के बुंगलोव मे गायब हो रहे थे…अगली कार्यवाही के लिए….सिर्फ़ कुच्छ ख़ास्स जोड़े…सबको ये सुविधा हासिल नही थी
रिया अब वासना के तूफान मे पूरी तरह फस चुकी थी….वो मॉंटी का कोई विरोध नही कर रही थी, बल्कि साथ दे रही थी…मॉंटी के पेंट मे बढ़ता हुआ उसका पौरुष, उसके नितंबो पर ठुमके लगा रहा था…रिया के अंदर की आग को भड़का रहा था…उसकी चुत के होंठ खुल, बंद हो रहे थे..मसले जा रहे निप्पल, चूसे जाने को तड़प रहे थे….और होंठ, वो तड़प रहे थे, किसी और चीज़ के लिए, जो उनकी साइज़ से भी बड़ी हो, लंबी हो
“क्यो ना हम अंदर चल कर, एक दूसरे को अच्छी तरह जान ले,…इन कपड़ो के बिना हम कैसे दिखाते हैं, ये जाने की कोशिश करे”…मॉंटी रिया के कानो मे बुदबुडाया….रिया तर्रा उठी, शर्म से, कामुकता से, कँपने लगी…मूह से बोल नही फुट रहे थे.
उसकी खामोशी को ही स्वीकृति मन कर, मॉंटी ने उसे उठा लिया, और चल पड़ा,…एक ख़ास्स कमरे की तरफ..जहा से शुरू होने वाला था रिया की बर्बादी का सफ़र
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कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
रिंकू के बुंगलोव के शानदार कमरे मे मॉंटी रिया को ले आया. आते ही उसे बेड पर लिटा दिया, रिया आँखे बंद थी, उसका अचेतन मन उसे सतर्क कर रहा था, लेकिन बदन मे लगी आग उसपर ज़ायदा हावी हो रही थी,….मॉंटी उसके पास बैठ गया, पहले उसके खूबसूरात चेहरे को देखता रहा, रिया के गुलाबी अधखुले होंठ थरथरा रहे थे, मॉंटी की नज़र अब रिया की हर सांस के साथ ऊपर नीचे हो रही च्चातियो पर पड़ी…पूरी तरह से पके हुए अनार के साइज़ की चुचिया उसे निमंत्रित कर रही थी, खेलने के लिए, चखने के लिए…टॉप ऊपर खींचा जाने से पेट नंगा हो गया था, खूबसूरात नाभी ुआस्को पुकार रही थी,…सुडौल लंबी टाँगे, उसके कमर पर कसने के लिए बेठाब थी…आंटीत्यजदा देर तक देखता नही रहा पाया…उसने फटाफट अपने कप़ड़े उतार फीके, और वो रिया के ऊपर ज़ुक गया.
उसके होठोका स्पर्श अपने होंठों पर होते ही रिया ने आँखे खोल दी, सिर्फ़ एक पल के लिए,..फिर बंद हो गयी,..शर्म से, या वासना से वो नही जानती थी, उसके हाथ अपने आप मॉंटी की पीठ पर कसते चले गये…किसी भी बात पर कोई विरोध नही हो रहा था…रिया को सहयोग कराता पकड़, मॉंटी का जोश तरफ गया…..मान ही मन रिंकू को धनयवाद दे रहा था…उसकी बदौलत, ये कच्ची काली आज उसे भोगने को, कुचलने को मिल रही थी, और वो भी पूरे सहयोग के साथ.
मॉंटी रिया के चेहरे पर हर जगह पर किस कर रहा था, चाट रहता, उसके हाथ चुचियो से खेल रहे थे, धीरे से उसने रिया का टॉप ऊपर उठाया, गले तक, अब ब्लॅक ब्रा मे कसे पके अनार उसके सामने थ्र…क्या नज़ारा था…मॉंटी का लंड बेकाबू होने लगा, उसने ब्रा से ज़नकती चुचियो को चूमा, हल्केसे अपनी जीभ उसकी चुचियो पर घूमने लगा…रिया की कामुक सिसकारिया बढ़ने लगी,.वो अपने आप को कंट्रोल मे रखने के लिए,टाँगे कसने लगी….मॉंटी के सर को ज़ोर से अपनी कड़ी चुचियो पर दबाते हुए बड़बड़ाने लगी…आहह..आहह.मॉंटी, चूसो और ज़ोर से चूसो..आ..अच्छा लग रहा हैं.मुझे प्यार करो, ..खूब प्यार करो..आअहह ..मेरे अंदर आग लगी हैं…उसे बुज़ादो प्लीईआअसए.
अंधे को क्या चाहिए..मॉंटी को भी क्या चाहिए था..
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
लेकिन अब उसके शैठानी दिमाग़ मे एक नया आइडिया आया.अब वो इसे कमसिन काली को तड़पा, तड़पा कर, अपने एशारे पर नाचा, नाचा कर चोदना चाहता था…वो रिया के शरीर से हाथ गया…उन उसके अलग होने से रिया तड़प गयी, मचल गयी, मच्हली की तरह च्चटपटाने लगी….”क्या हुआ मॉंटी…त..तू..तुम..दूर क्यू हाथ गये..?
मॉंटी के होंठों पर कुटिल मुस्कान तैयार गयी.
“रिया डार्लिंग, अगर तुम सचमुच पूरा मज़ा लेना चाहती हो तो, तुम्हे मेरी हर बात माननी होगी..वितऊथ हेसिटेशन….नही तो तुम जा सकती हो..!”
रिया का तो मानो कतो तो खून नही, जैसा हाल हो रहा था. वो वासना के आग मे जल रही थी, ज़ुलास रही थी,.इसे आग को बुज़ाने के लिए तड़प रही थी, पागल हो रही थी..बेशर्मी की हर हद लाँघ सकती थी….”क्या चाहते हो तुम”…यसने थरथराती आवाज़ मे पूछा….मॉंटी समाज़ गया ये चिड़िया अब उसके एशारे पर नाचेगी, फुदकेगी.
“यहाँ मेरे सामने खड़ी हो जाओ..ना..ना..ना..टॉप नीचे लेने की ज़रूरात नही.”…मॉंटी का पहला आदेश था
रिया उसी अवस्था मे, उसके सामने खड़ी हो गयी,.टॉप गले तक उठा हुआ..कमर से लेकर, ब्रा मे कसी चुचियो तक सब खुला था, सेक्स की देवी लग र्है थी रिया.
“अब टॉप उतार दो..”…..टॉप तुरंत उतार गया.
“अब जीन्स खोलो..थोड़ा नीचे सरकाओ..पूरा नही.मुझे पैंटी की ज़लाक दिखाओ..!”
ये होती हैं कच्ची उमर की कामुकता
एक बार बदन मे वासना के शोले भड़क उठे..तो सोचने समाज़ ने की तकड़ चली जाती हैं, घर परिवार, समाज़, सेल्फ़ रेस्पेक्ट,अपनी नाबालिग,कच्ची उमर, कुच्छ भी नही बचाता, सब जल जाता हैं सेक्स की उस आग मे.
उस वक़ुआत ज़रूरात होती हैं एक मोटे, लंबे, तगड़े लंड की जो चुत की दीवारो को रगड़ कर,फैला कर, अंदर तक जाए और बुज़ाए उस आग को अपनी तेज़ बौच्हर से
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
रिया इन सब भावनाओ से काफ़ी दूर जा चुकी थी, उसे महसूस हो रही थी सिर्फ़, पूरे जिस्म को ज़ुलसने वाली आग, उसे शांत करने के लिए वो कुच्छ भी करने के लिए तैयार थी, उसने मॉंटी की एच्छा के अनुसार, अपनी जीन्स के उपारले हिस्से को खोला, थोड़ा नीचे खिसक्या…अब उसके कुल्हो को, और चुत को चुपाती पैंटी साफ नज़र आ रही थी.
“अब अपने जीन्स को पूरी तरह से उतार दो”…मॉंटी का अगला आदेश
पानी के बाहर निकली हुए मच्हली की तरह च्चटपटती हुई रिया ने अब पेंट भी उतार दी,..अब वो सिर्फ़ ब्रा पैंटी मे थी….अपने हाथ से अपने ही कपड़े उतरना..अपने अधनंगे जिस्म की नुमएीश करना…वो भी एक अंजान नौजवान के सामने…रिया पर अब शर्म कम और एक्सिटमेंट ज़ायदा हावी थी…वो जल्द से जल्द अपने अंदर की आग बुज़ाने की कोशिश मे थी.
“रिया डार्लिंग अब ज़रा यहा, मेरे पास आओ….तुम्हारी ये गदराईए जवानी देख कर मेरा लंड बहुत टाइट हो गया हैं…इसे प्लीज़ मेरी पेंट से आज़ाद कर दो.”
रिया पर फिर से शर्म और एक्सिटमेंट हावी हो गयी, उसने धीरे धीरे चल कर, मॉंटी के पेंट तक का फासला तय किया, और अपनी नाज़ुक उंगलियो से मॉंटी के पेंट की ज़िप खोलने लगी….इसे मिशन मे वो उकड़ू बैठी हुई थी, उसके कूल्हे बाहर निकले हुए थे, उसने मॉंटी का लंड जैसेही छुआ,..उसे दीपक के लंड की याद आई…मॉंटी का लंड दीपक से भी ज़्यादा मोटा और लंबा था.
“अब इसे अपने मूह मे लेकर चूसना हैं तुम्हे…… लेकिन डार्लिंग तुम्हारे जिस्म पर ये ब्रा,पैंटी अच्छी नही लग रही हैं मुझे, मैं तो तुम्हे मदरजात नंगी देखना चाहता हू…मॉंटी का शैठानी दिमाग़ एक से तरफ कर एक ह्युमाइलियेशन की आइडिया पैदा कर रहा था.
रिया तो पहले से ही बेकाबू हो गयी थी…उसने तुरंत मॉंटी जैसे गिरे हुए शाकस के सामने अपने जिस्म को नंगा करना शुरू किया…जबकि वो आम हालत मे कभी नही कराती…लेकिन आज हालत कुच्छ और थे.
रिया ने मॉंटी का लंड मूह मे लिया, और चूसने लगी, उसके प्यारे नाज़ुक होंठों मे वो ठीक से अड्जस्ट नही हो पा रहा था, फिर भी जैसे तैसे ुआसने आधा लंड तो मूह मे ले ही लिया. मॉंटी खुश था, उत्तेजित था, उसने रिया के तरफ देखा, वासना मे घिरी होने के बावजूद उसकी मासूमियत मे कोई कमी नही आई थी.
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
मॉंटी ने अब अपने पैर का अंगूठा धीरे से लंड चुसती हुए रिया की चुत पर टीका दिया. और दोनो हाथो को रिया के कंधो पर रख कर उसे नीचे दबा दिया, अंगूठा अब गीली हो चुकी, कमसिन चुत मे घुस गया..रिया लंड मूह मे होने की वजह से चीख भी ना सकी, सिर्फ़…उूउउन्न्ं..कर बैठी. अब मॉंटी ने अंगूठे को अंदर बाहर करना शुरू किया…हलकी अंगूठा कोई लंड का मज़ा तो नही दे सकता था पर, रिया को और बहका सकता था, पूरा लंड खाने के लिए…अब रिया भी, इसे दोहरे हमले से जोश आ गयी थी..एक र्हिदम पैदा होगया था लंड चूसने मे और अंगूत लेने मे.
तकरीबन 20 मिनिट तक ये सिलसिला चलता रहा, मॉंटी का लंड अब झड़ने की कगार पर था, उसने रिया के बाल पकड़ कर, उसके चेहरे को लंड से दूर हटाया, अपना अंगूठा भी निकल लिया, रिया का चेहरा देखने लायक था, जैसे बच्चे का फेवोवरिट चोकोबार उससे छिन लिया हो , वो सवालिया नॅज़ारो से मॉंटी को देखने लगी, उसकी हालत देख कर मॉंटी का दिल बागबाग हो गया
“मेरा लंड झड़ने वाला हैं,,,,बोल चुत मे लेगी की मूह मे..?….मॉंटी ने रिया को दो चाय्स दिए, दोनो ही नशीले थे, सेक्शिले थे.
लंड का चुत मे झडना ख़तरनाक साहबित होगा ये तो कच्ची काली भी जानती थी, लिहाजा
“मूह मे..”
“चल मूह खोल.पूरा माल पेट मे जाना चाहिए, ज़मीन पे गिराया तो, फर्श चत्वौनगा”
गौर तलब बात ये है की, वैसे तो रिया पर कोई दबाव नही था,की वो मॉंटी की ये ह्युमाइलियेशन बर्दाश्त करे…पर वो वासना की गर्त मे इस कदर दुबई हुए थी के जब तक, उसके शरीर मे भड़की हवस की आग बुज़ ना जाए, वो कुच्छ भी करने को तैयार थी, मॉंटी की हर गंदी बात मनाए पर मजबूर थी.
उसने फिर से मूह खोल दिया, मॉंटी ने अब अपने हाथो से लंड को हिलना शुरू किया, रिया मूह खोले इंतज़ार कर रही थी..आख़िर इंतज़ार ख़त्म हुआ, मॉंटी ने अपना लंड फ़ौरन रिया के मूह मे डाल दिया आखड़ी 3,4 ज़टके मारे और ..एक के बाद एक वीर्या के फ़ौव्वारे च्छुतने लगे, सीधे रिया के गले से होकर पेट मे चले गये.
जब गोलिया पूरी तरह से कहली हो गयी, मॉंटी ने लंड बाहर खिच लिया
मॉंटी ने रिया को उठा कर अपनी गोद मे बिठा लिया,उसके नर्म नाज़ुक मुलायम बदन को सहलने लगा, होंठों को कुचल ने लगा, अधखिले स्ठानो को चूसने लगा,निपल्स तो एतने बड़े नही थी नूः मे लेकर चूसे जाए, वो पूरे स्ठानो को ही मूह मे भरने की कॉिश करने लगा….इस वाइल्ड अटॅक से रिया फिर से झड़ने की कगार पर थी,….वो पहले कितनी बार झड चुकी थी, उसे भी याद नही था.
मॉंटी का लंड अब फिर से अपनी औकात मे आने लगा..ुआसने रिया को बेड पर लिटा दिया…उसकी आँखो मे ज़नकता हुआ बोला
“क्या चाहती हो रिया..खुल के बोलो..!”
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
“चोदा मुझे..जम के चोदा..मैं पागल हो रही हू..प्ल..अभी और मत तड़पाव.जल्दी से डाल दो अपना लंड…ये आग बुज़ादो..मैने तुम्हारी हर बात मानी हैं.प्ल अब शुरू हो जाओ”…अत्यधिक उत्तेजना,सेक्स की आग,हवस के तूफान मे घिरी रिया लाज,शर्म छोड कर गिड़गिदा रही थी.
अब मॉंटी भी उसे और तड़पने के मूड मे नही था, खुद को भी रहा नही जा रहा था, उसने रिया की टाँगे फैलाई, चुत पहले से ही गर्म और गीली थी, पहले भी चुद चुकी थी, ल्यूब्रिकेशन की कोई ज़रूरात नही थी, मॉंटी ने लंड निशाने पे लगाया एर एक ज़ोर का झटका लगाया…रिया की च्चीख निकल गयी, वो च्चटपटाने लगी, होंठ भिचने लगी, गर्दन एधर उधर हिलने लगी….दूसरे ज़टके ने लंड को पूरी तरह से उस 16 साल की कमसिन चुत मे दाखिला दिला दिया.
रिया की चीखे, लंड के हर ज़टके के साथ कम होती गयी, मॉंटी का मोटा लंड, चुत की दीवारो को फैला रहा था, ये रगड़ान, ये फैलाव…पिस्तन से चलता लंड, उसे अजीब सी खुशी, संतुष्टि का अहसास दिला रहे थे, धीरे धीरे वो मंज़िल के करीब पहुच रही थी, मॉंटी को भी अहसास हो रहा था, उसकी भी मंज़िल आने का,..रिया के बदन मे अकड़न पैदा होने लगी, चुत की दीवारे लंड पर कसने लगी..आहह..आहह..की कामुक सिसकारियो के साथ रिया ने मॉंटी के लंड को नहला दिया….वो निढल सी पड़ी रही
मॉंटी ने अब अपना लंड बाहर खिच लिया, वो रियाकी छाती पर जा बैठा, धीरे से ज़ायदा दबाव ना डालते हुए, लंड को रिया की गडारी चुचियो के बीच ले गया..रिया उसका एशारा समाज़ गयी, उसने अपने हाथो से अपनी चुचियो को लंड के एर्दगिर्द काश दिया,..मॉंटी ने आखड़ी धाकी मरने शुरू किए…थोड़ी ही देर मे उसके लंड ने ढेर सारा वीर्या उगल दिया, रिया के चेहरे पर, बालो मे, हर जगह वीर्या ही वीर्या था.
और चेहरे पर थे परमसंतुष्टि के भाव.
उस रात रिया लूटती रही बार बार, उसका वासना का खुमार उतार चुका था, अपने आप को धिक्कार रही थी….दीपक की बात और थी, वो शादी शुदा, घर गृहस्थी वाला शरीफ इसान था,.जो वक़ुआती तौर पर भावनाओ मे बहा गया था..लेकिन उसीने रिया को संज़ाया भी था…पर ये लोग..ये शरीफ कतई नही थे..लड़कियो को फसाना…ऐश करना, उनका पसंदीदा खेल था..रिया का जिस्म कांप उठा…ये क्या कर बैठी थी वो…क्यू रोक नही पाई, अपने आप को…क्यो सेक्स की इसे हद तक दीवानी हो गयी थी वो..अब अगर घर वालो को किसी तरह से पता चला तो..वो सिहर उठी..पासचताप से उसके अनको मे आँसू आए….और ऊए याद आई नीलू की…पूरी रात वो कहा थी.?…उसके साथ क्या बीती थी.?
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
सुबह हो रही थी, रिया ने जैसे तैसे कपड़े पहने,वो कमरे से बाहर निकली, और एक एक कमरा देखने लगी, लद्भाग हर कमरा खुला ही पड़ा था, हर कमरे की कहानी एक जैसी ही थी, नंगी पड़ी लड़किया, उनके ऊपर या आसपास्स आधे तिरछे पड़े लड़के, अस्तव्यस्त फैले कपड़े, खाली पड़ी शबर की बोटले, ड्रग्स लेनेकी नीदल्स….रिया को अपने आप से घृणा होने लगी,.पूरी रात वो भी तो इसे माहौल का हिस्सा थी,…एक कमरे मे उसे नीलू दिखाई दी….उसकी हालत देख कर रिया एक दम से डर गयी….नीलू बेहोश सी लगा रही थी..जाँघो के बीच मे खून दिखाई दे रहा था, हॉट खून से साने हुए थे,…उसका सर के तरफ से आधा शरीर बेड से नीचे लटक रहा था..बदन पर कई खरोनछे थी, बेड शीट एक तरफ गठरी की शकला मे जमा हुई थी….रोमी, लक्की,मॉंटी…और रिंकू भी वही पड़े हुए थे…रिंकू का सर नीलू के पेट पर था, एक हाथ अभी भी नीलू की चुचि पर था…सबसे बड़ी बात, रिंकू का मूह भी खून से साना था…नीचे रोमी,लक्की, मॉंटी नंगे पड़े थे..उनके लंड भी खून से साने थे…शाबर की बोटले, नशे का समान सब बिखरा पड़ा था…सितूतत्िओं …गंभीर लग रही थी…रिया का दिल जोरो से धड़क रहा था..किसी अंजनी अशनका से.
वो धीरे धीरे नीलू के पास पहुँची..बिना कोई आवाज़ किए…उसने सबसे पहले नीलू की छाती से कोन सटाए, और राहत की सास ली..धड़कन चल रही थी,..लेकिन बहुत ही धीरे धीरे…उसने फिर रिंकू का सर नीलू के पेट से हटाया..रिंकू गहरी नींद (या नशे मे..?) मे थी..फिर वो क्ोआहिश करने लगी नीलू को जगाने की..पहले तो उसने नेलु को बेड पर सीधा लिटा दिया..फिर उसके गालो को थपथपाकर, हल्के हल्के पुकारने लगी.
“नीलू.नीलू.जगह जाओ,..चलो घर चल ते हैं”..लेकिन नीलू पर कोई असर नही हुआ, वो थोड़ी और ज़ोर से पुकाराने लगी, साथ साथ कंधे पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी..‚उठो नीलू,.जगह जाओ नीलू.प्लीज़ आँखे खोलो नीलू..जल्दी जगह जाओ.हमे घर जाना हैं”…लेकिन नीलू तस से मास नही हुई, तो वो घबरा गयी..क्या हुआ हैं इसे..साँसे तो चल रही हैं, फिर ये उठती क्यो नही हैं..होश मे क्यो नही आ आ रही हैं..उसने एधर उधर देखा, कोने मे फ्रीज दिखाई दिया..भाग कर रिया ने पानी की बोतल बरामद की, और पूरी उंड़ेल दी नीलू के चेहरे पर..फ्रीज का चाइल्ड पानी डालने के बावजूद जब नीलू को होश नही आया तो…रिया की सांस फूलने लगी, पैर जवाब देने लगे, किसी अधन्यत आशंका से दिल लरजने लगा…आँखो से बरबस आँसू बहाने लगे.
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
वो अब ज़पात पड़ी रिंकू की तरफ..उसे जगाने की कोशिश किए बगैर, उसने सीधे रिंकू पर ठंडा पानी डाल दिया..तुरंत असर हुआ…रिंकू हड़बड़ा कर उठ गयी.कुच्छ पल तो उसे कुच्छ समाज़ ही नही आया…फिर धीरे से उसे समाज़ मे आने लगा.उसने रिया की तरफ देखा…वो गुस्से से और डर से कांप रही थी…!
“क्या किया हैं तुम लोगो ने नीलू के साथ….उसकी हालत देखो..पूरी खून से लथपथ हैं…होश मे नही आ रही हैं..क्या किया हैं उसके साथ .बोलो..?
रिया बेकाबू सी हो रही थी, रिंकू के कंधे पकड़ कर झड़ झड़ से ज़ंज़ोड रही थी.
और रिंकू फ़टीफटी आँखो से नीलू को देख रही थी, उसका दिमाग़ सुनना हो गया था, वो तरीके से सोच भी नही पा रही थी, ड्रग्स,शराब और रात भर के सेक्स का नशा, अब भी उस पर हावी था….वो कभी नीलू को देखती तो कभी रिया को, तो कभी फर्श पर नंगे पड़े अपने उन ‘खास‚ दोस्तों को.
रिंकू अब पूरी तरह से होश मे आगये थी, स्थिति की गंघिराता उसके समाज़ मे आने लगी थी. वो तुरंत उठी, फटाफट कपड़े पहन लिए, ठंडे पानी से मूह धो कर, सबसे पहले अपने लिए एक लार्ज पेग बनाया विस्की का, दो बड़े बड़े घूँट पेट मे जाते ही, उसका दिमाग़ तेज़ी से कम करने लगा.
कल रात का पूरा ट्रैलोर उसकी नज़ारो के आगे गुजरने लगा, वो नीलू की हालत की वजह कुच्छ कुच्छ समाज़ रही थी, सिचुयेशन बहुत गंभीर थी, दोनो परिवरो की इज़्ज़त का सवाल था, अगर रिया वाहा नही होती तो वो, इस सारे सिलसिले को आराम से निपट सकती थी, दोनो परिवरो की सहायता से.
उसने तुरंत फर्श पर पसारे पड़े दोस्तो को जैसे तैसे जगाया, और सबसे पहले कपड़े पहनने को कहा….थोड़ी सी ख़ुसरफुसर के बाद सब के सनाज़ मे स्थिति की गंभीराता आ गयी, वो रही रही कर कभी बेहोश पड़ी नीलू की तरफ तो कभी सुबक्ती हुई रिया की तरफ देख रहे थे…फिर तीनो ने अपने लिए पेग बना लिए, ताकि उनके भी दिमाग़ कम करने लगे.
अब रिंकू ने रिया की तरफ रुख़ किया
“देखो रिया, जो हुआ वो बहुत बुरा हुआ, हम सभी सिर्फ़ मौज मस्ती करना चाहते थे, ..और तुम भी तो यही चाहती थी, रात को मॉंटी के सामने गिड़गिदा रही थी….अपनी खुजली मिटाने के लिए..क्यो क्या मैं ज़ूथ बोल रही हू.बोलो..?
रिया कुच्छ नही बोली..क्या बोलती वो..बहक तो गयी थी, लाज शर्म तक पर रख कर गिड़गिदई थी वो….लेकिन ये बात रिंकू को कैसे पता चली…वो पुचचाने का साहस नही कर सकी
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
“देखो रिया, तुम अच्छे से जानती हो मेरे और नीलू के परिवार मे गहरे रिलेशन्स हैं, दोनो ही परिवार नही चाहेंगे, की यहा जो भी हुआ उसकी खबर बाहर, लोगो तक, मेडिया तक, या पुलिस तक पहुचे, इस मे सब की बदनामी होगी, दोनो ही परिवरो के बूससिनेस पर बुरा असर होगा, इस लिए और तुम्हारी भी भलाई इसी मे हैं की तुम अपनी ज़बान बंद रखो, हम सब सम्हल लेंगे, मैं तुम्हे गौरनटी देती हू, नीलू को कुच्छ नही होगा”….
रिंकू की आवाज़ मे एक ऐसा ठण्दपन था, एक ऐसी खुश्की थी, एक बार के लिए रिया सिहर उठी,.उसे ओआटा था रिंकू के परिवार के हाथ बहुत ऊपर तक पहुचे थे, वो सच मे कुच्छ भी कर सकते थे…लेकिन क्या उनकी ये पहुच नीलू की जान बच्चा सकते थे, क्या पैसा और पवर होने से ही सारी समस्या सुलाज़ जाती हैं…उसकी आँखे फिर बरस पड़ी…अपनी प्यारी सहेली के किए.
रिंकू के दोस्तो ने तबतक हॉस्पिटल मे फोन किया था, सभी बेचैनी से आंब्युलेन्स की रही देख रहे थे…मॉंटी, रोमी, और लक्की, एंमेसए कोई भी रिंकू जैसे बड़े बाप के बेटे नही थी..वो तो सिर्फ़ रिंकू का पैसा और उसका जसाम देख कर उससे चिपके हुए थे…अब तीनो की चेहरे पर हवैया उसाने लगी थी
एतने मे आंब्युलेन्स भी आ गयी…हॉस्पिटल के कर्मचारियो ने कोई सवाल नही पूछा…उन्होने नीलू को स्ट्रातुरे पर रखा और आंब्युलेन्स मे डाल कर खामिषी से हॉस्पिटल की तरफ निकल पड़े.
“तुम हमारे साथ हॉस्पिटल चलॉगी या हम तुम्हे घर पर ड्रॉप कर दे”..रिंकू ने रिया को बड़े ठंडे स्वर मे पूछा
“मैं हॉस्पिटल चलूंगी”
चाहती तो जल्द से जल्द घर पहुचना, .लेकिन ना जाने क्यू उसे लग रहा था, नीलू को इन दरिंदो के साथ अकेला छोड़ना ठीक नही होगा.
दोपहर के 2.00 बजे थे, ‘डेंजर ज़ोन‚ मे ग्राहक कम ही थे, ज़ायदा तार टेबल्स खाली पड़े थे, बार टेंडर उंघ रहा था, एक्का दुक्का टेबल्स पर जो ग्राहक बैठे थे, उन्हे कोई जल्दी नही लगती थी, बाहर धूप कड़क रही थी.
आमिर उनही गिने छूने ग्राहको मे से एक था. अपने लगभग खाली हुए बियर की बोतल को बड़े ध्यान से, मगर आनमने ढंग से देख रहा था, उस बॉयल के जैसे ही उसकी जेब की स्थिति थी,..लगभग खाली,.वो मन ही मन हंस पड़ा. उसके बाप ने उसका नाम ‘आमिर‚ ये सोच के रखा था की वो एक दिन अपने नाम की तरह आमिर बन जाएगा…लेकिन बेचारे को क्या मालूम, अगर सिर्फ़ नाम रखने से आदमी वैसा बन जाए, तो हर कोई अपनी बेटी का नाम, ऐश्वर्या, या मधुरी रखेगा, और बेटे का नाम र्हितिक, शाहरुख, या सलमान रखेगा.
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
आमिर ख़ान देखने मे एक आकर्षक पर्सनॅलिटी का तंदुरुस्त युवक था, जिसके बड़े मे आम धरना ये थी की वो एक मस्त कलंदर टाइप का आदमी था, बेफिकिरी उसके चेहरे पर हमेशा च्चाय र्हती थी, खाओ,पियो ऐश करो वाले नियत का लगता था लेकिन, सच्चाई ये थी की…आमिर ख़ान एक खोजी पत्रकार था,.. इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट,… उसकी खबर सूंघने की शक्ति, कुत्ते को भी मत देती थी,.. सूंघने के मामले मे, एक बार खबर की सूंघ लगजाए तो आमिर उसे दो नज़रिए से देखता था.
एक तो,..क्या इसे मे रोकडा निकल सकता हैं..? यदि हाँ तो वो उसके पीछे ही पड़ जाता था,.दूसरा.अगर उस खबर से रोकडा नही निकल सकता, तो वो उसे च्चापने के लिए दे देता था.!..बिल्कुल सफसूतरा गणित था उसका.
ये बात अलग थी की उसके लाख प्रयातनो के बावजूद, वो पैसा कभी जमा कर के नही रख पाया था, जितना भी कमाता था, वो पूरे खर्च कर डालता था,….उसकी जेब मे पैइदाएशी छेद था, रकड़ा उसके पास टिकता ही नही था,..आज भी वो ऐसे ही खाली जेब को लेकर.‚डेंजर ज़ोन‚ मे बैठा था.
अचानक वो चौंक गया, उसके पूरे शरीर पे जैसे कोन निकल आए हो.वो सतर्क होगया,उसके अंदर का खोजी पत्रकार जगह उठा…..उसके पीछे कुछ लोग आके बैठे थे, जो शकला सूरात से डॉक्टर्स लगते थे,.उनकी बातचीत के जो अंश आमिर के कानो मे पड़े, वो उसे किसी ‘पेज 3‚ की खबर होने का अहसास दिला रहे थे…उसने अब अपना पूरा ध्यान उनकी बतो पर लगाया.
“अरे यार ये बड़े लोगो की बाते हैं,..एतना सब होने के बाद भी पुलिसे को खबर भी नही की गयी,…हाँ यार क्या खूबसूरात, कमसिन लड़की हैं…बहुत बुरा हुआ,.अरे ये ऐसी ही होती हैं..कोमा मे हैं..नही कोई चान्स नही..अपने को क्या.वगिरा,वगिरा…
‘मामला बड़े लोगो का हैं मतलब..आमिर ने अपनी खाली जेब हाप्थपाई, जेब की गोद फिर से हरी हो गाएगी..!…इसे बार ‘अबॉर्षन‚ नही होने दूँगा….उसने मन ही मन फ़ैसला किया.
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
बार काउंटर पे जाके उसने खाली जेब से ही, एक और बियर का ऑर्डर दिया….जेब भरने से पहले ही खाली करने की तैय्यारिया शुरू..! आदत से मजबरू थे हमारे आमिर भाई.
उसने तुरंत ‘इनस्पेक्टर राजपूत‚ को मोबाइल खडक्या
इनस्पेक्टर राजपूत और आमिर की दोस्ती “तुम मेरी पीठ खुजाओ, मैं तुम्हारी खुजाता हू” टाइप की थी. कई केस मे उन दोनो ने साथ साथ कम किया था, ढेर सारा रोकडा भी कमाया था…जिसे राजपूत ने तो बड़ी एहतियात से संभाल कर रखा था, लेकिन आमिर भाई हमेशा की तरह कड़ाके ही रही गये थे.
“हाला आमिर..क्या भाई, क्या चल रहा हैं…”….जैसे ही दूसरी तरफ से राजपूत की आवाज़ सुनाई दी, आमिर ने बीरकी एक चुस्की ली.
“राजपूत साहब, मेरी पीठ मे खुजली हो रही हैं,…खुजा दोगे क्या..?”..वो बार टेंडर की तरफ एक आँख दबाता बोला…बार टेंडर की समाज़ मे कुच्छ नही आया.
“ये भी कोई पुचचाने की बात हैं..आमिर ख़ान साहब…और वैसे तो मेरी भी पीठ मे खुजली हो ने लगी हैं…बस अभी,अभी”…‚पीठ मे खुजली‚ का मतलब रोकडा, ये राजपूत को समाज़ ते देर नही लगी.
“तो यहा आ जाओ..‚डेंजर ज़ोन‚ मे तुरंत…दोनो मिला के एक दूसरे की पीठ खुज़ाएँगे”….बार टेंडर आमिर को ऐसे घूर रहा था, जैसे एक ही बियर मे ये हाल हैं, जनाब तो दूसरी भी माँगा चुके हैं.
“जब तक आमिर अपनी दूसरी बियर ख़त्म कर चुका था, इनस्पेक्टर राजपूत वाहा पहुच गया, सदा कपड़ो मे.
दोनो फिर एक कोने का टेबल चुन कर, बैठ गये, वो डॉक्टर्स अब अभी वही थे, आमिर ने राजपूत को सब बता दिया..और अंत मे कहा.
“जहा तक मेरा ख्याल हैं, ये पेज-3 मामला हैं, पुलिसे को खबर नही, मतलब तुम अधिकारिक तौर पर कुच्छ नही कर सकते, तुम मुझे इसे मामले की इन्फो जुटा कर दो,.मसलन, लड़की कौन हैं, किस हादसे का शिकार हैं.और ये बड़ी पार्टी कौन हैं….बाकी मूज़ पर छोड दो, तुम जानते हो, मैं बुरे के घर तक पहुच जाता हू..बाकी फिर आधा आधा हो है ही.
राजपूत तुरंत मंडी हिलने लगा
हाँ मे
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
रिया घर मे गुमसूँ सी बैठी हुए थी, रही रही कर उसकी नॅज़ारो के सामने नीलू तैयार जाती, क्या हालत हो गयी थी उसकी, पूरे शरीर से एक सिहरन सी दौड़ गयी…उसके साथ तो कुच्छ नही हुआ था, वो भी मॉंटी के सामने गिड़गिदई थी, बाद मे फिर,..2,3 तो आए ही होगे, उसे नोचने…वो अपने आपको किसी वेश्या से भी गिरा चुकी थी….हादसा बड़े लोगो के घर मे हुआ था, इसे लिए बात अभी पब्लिक मे, उसके घर तक नही पहुँची थी…अगर पहुच जाती तो…वो कांप उठी.
जाने कितनी ही देर वो इसे तरह शून्या मे देख रही थी, की एका एक टेलिफोन की घंटी बजाने की आवाज़ ने उसे, होश मे लाया…उसने अस्स्पास देखा कोई नही हां, तो उसने खुद ही फोन उठाया
“हाला..”
“मैं रिंकू बोल रही हूँ,..रिया..कैसी हो तुम.?”
“मैं ठीक ही हूँ.तुमने घर पर कैसे फोन किया”…रिया का दिल फिर से अंजनी आशंका से लरजने जगा.
“घबराव मत…मुझे तुमसे कुच्छ बात करनी हैं..तुम मेरे घर आ सकती हो क्या.?…..रिया के दिल की धड़कन फिर से तेज़ हो गयी, वो कुच्छ बोलने की बजे, सिर्फ़ गर्दन हिलने लगी, मना करने के अंदाज़ मे.
“कुच्छ बोलो भी”….रिंकू ज़ल्लई.उसे रिया की ना मे हिलने वाली गर्दन कैसे दिखाई देती.
“नही,. मैं नही आ सकती..मुझे डर लगता हैं”
“अरे डर ने की क्या बात हैं..अब क्या बार बार तुम्हारे साथ वही सब कुच्छ थोड़े ही होने वला हैं…डारो नही आ जाओ…मुझे तुम्हारे ही फ़ायदे की बात करनी हैं…या फिर मैं तुम्हारे पास आ जाओ”
रिया किसी भी हालत मे, रिंकू जैसी हँसती को घर मे नही आने दे सकती थी.
“नही नही,..मैं ही आजाती हूँ, कब आना हैं”
“अभी तुरंत आजओ”
“ठीक हैं”
रिया उलज़ान मे थी, क्या करे,..क्या फ़ायदे की बात करने वाली थी वो..?
उधर रिंकू ने फोन रखते ही, मॉंटी और रोमी, जो ऐसे ख़तरनाक हादसे के बाद भी, नही सुधरे थे, रिंकू की चुचियो से खेल रहे थे, चूस रहे थे,..पूछा ने लगे
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
“क्या कहती हैं वो ..आ रही हैं क्या.?”..रोमी एक हाथ से चुचि दबाता, एक हाथ स्कर्ट के अंदर डालता हुआ, पुचचाने लगा.
” हाँ आ रही हैं, ..देखो उसे दारण हैं सिर्फ़…कोई जड़ती नही होनी चाहिए..समझ़े”…रिंकू दोनो के लंड अपने हाथ मे पकड़ कर हिलाते हुए बोली.
मॉंटी, रोमी और लक्की तीनो रिंकू के गुलाम थे, उशाए सेक्स स्लेव्स, सेक्स तॉइएस, इसे वक़ुआत लक्की तो वाहा नही था..मॉंटी और रोमी ने तुरंत सहमति जताई.
“तो फिर ठीक हैं, उसे आने मे अभी आधा घंटा बाकी हैं तब तक तुम भी अपने आप को ‘खाली‚ करो आर मुझे भी ‘खाली‚ करो”….रिंकू ने तुरंत, अपने कपड़े उतार फीके, उनके सामने घोड़ी बांगाई, मूह खोलकर
रिया अपने घर से निकली, फिर से एक बार…
रिंकू का बाप अग्रवाल शहर का सब से बड़ा बूससिनएस्स्मन था,.और नीलू का बाप, मिस्टर मल्होत्रा, उतना बड़ा ना सही लेकिन उससे भी बड़े मकाम पर पहुचने की ख्वाहिश रखता था, .दोनो के लिए, अपने बिजनेस के अलावा, ज़ायदा महेत्व पूर्णा कुच्छ नही था,..आम तौर पे लोग मानते हैं,..”एवरी थिंग इस फेयर इन वॉर & लव”…लेकिन हमारे दोनो ही बड़े बाप मानते थे..”एवेरी थिंग इस फेयर इन वॉर, लव & बिजनेस..फॅमिली का रोल सिर्फ़ समाज़ मे अपनी साफ च्चबी को बनाए रखने के लिए होता था,..और यही वजह थी, जब उन्हे , अपनी औलादो की करातूत की खबर लगी,..तो उनके माथे पर बाल पड़ गये…इसे लिए नही की वो नीलू की तबीयत को लेकर चिंतित थे, या रिंकू के बहके कदमो को लेकर चिंतित थे….ुआनकी चिंता का विषय था…अगर मेडिया या पुलिसे द्वारा बात फैल गयी, तो उनकी साफ सुथरी च्चबी ख़तरे मे पड़ जाएगी, और साथ ही ख़तरे मे पड़ जाएगा उनका बिजनेस.
मिस्टर अगरवाल के पॅलेस नुमा बुंगलोव मे उनकी इसे टॉपिक पर चर्चा हो रही थी जब,. अपने बेड रूम मे रिंकू, अपने दोस्तो से, ‘खाली‚ हो रही थी, और उन्हे ‘खाली‚ कर रही थी…और जहा,सिगरेट देर मे, रिया पहुचने वाली थी.
क्या यही हैं जिंदगी, हमारे आधुनिक समाज़ की..!
“मिस्टर मल्होत्रा..जो हुआ, ठीक नही हुआ.नीलू की मुझे चिंता हो रही हैं”….मिस्टर अग्रवाल ने अपनी नकली चिंता जताई.
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
“मुझे तो उसकी नही..किसी और बात की चिंता हो रही हैं..डॉक्टरो का कहना हैं,..वो जल्दी ठीक हो जाएगी.लेकिन मुझे बात फैलने का डर हैं”…ये थे “एवेरी थिंग इस…वाले मल्होत्रा साहब…जिनकी औलाद, कोमा मे.जिंदगी और मौत से ज़ुज़ रही थी.!
“उसकी आप चिंता ना करे..मल्होत्रा साहब..वो आप मूज़ पर छोड डिगिए गा,.इस शहर मे किसी की मज़ाल नही जो मेरे खिलाफ जाए…पैसे का सेमेंट हर छेद बड़ी सफाई से बंद कर देता हैं”….अग्रवाल भी सही था…कम कम से कम तब तक.!
“मुझे मेडिया या पुलिसे की चिंता नही हैं…वो लड़की..क्या नाम हैं उसका..आर..राशमी.वो भी इसमे शामिल थी.और वो नीलू की ख़ास्स सहेली हैं…उसने मूह फाड़ दिया तो..?
“उसकी चिंता भी मूज़ पर छोड दो…मैने रिंकू से बात की हैं…वो उसे ‘अच्छेसे संभाल ‘ लेगी.”
“ठीक हैं फिर,. मैं ज़रा हॉस्पिटल का चक्कर लगा लू..फिर मुझे एक अर्जेंट मीटिंग मे जाना हैं”
दोनो ही डॅडी यो ने बोत्टंस उप किया और उनकी मीटिंग बरखास्त हुई
मिस्टर मल्होत्रा की कार बाहर निकली, और रिया ने बुंगलोव मे कदम रखा..
आमिर का फोन बज उठा, वो उस वक़ुआत हॉस्पिटल के बाहर एक कोल्ड्रींक के स्टॉल पे खड़ा सिगरेट के हल्के हल्के काश लगा रहा था, हाथ मे ताजी खुली मिरींद की बोतल थी, उसने फोन उठाया…दूसरी तरफ इनस्पेक्टर राजपूत था,
“हाँ राजपूत साहब बोलो.क्या बात हैं, कुच्छ हाथ लगा..?”….आमिर की आवाज़ मे बेसब्री थी.
‘हाँ,.कुच्छ तो लगा.लेकिन मुकम्मल नही,..बात बड़े लोगो की हैं.कोई खुल कर कुच्छ नही कहना चाहता…कुच्छ पैसो का लालच, कुच्छ बड़े लोगो की बड़ी पहुच…लेकिन जो कुच्छ पता लगा,वो ये की..लड़की का नाम नीलू हैं,और वो शहर के नामी बिज़्नेसमॅन मिस्टर मल्होत्रा की बेटी हैं..लड़की को किसी हादसे का शिकार बताया जाता हैं…ये हादसा कोई आक्सिडेंट हैं या फिर कुच्छ और बात हैं, ये कोई नही जनता, या बठाना नही चाहता..डिपार्टमेंट मे भी सभी के मूह पर ताले लगा दिए गये हैं…लड़की इसे वक़ुआत कोमा मे हैं…जिस तरह से सब चुप्पी साढ़े हैं, जाहिर हैं डाल मे कुच्छ काला हैं…या पूरी डाल ही काली हो..मैं और कुरेदने की कोशिश कर रहा हूँ…अब तुम बताओ..!”….राजपूत ने अपनी जानकारी एक ही सास मे कह डाली.
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“मुझे भी ऐसा लग रहा हैं, पूरी डाल ही काली हैं..सिर्फ़ आक्सिडेंट हो तो कोई एटानी एहतियात नही बरातता..मैं इसे वक़ुआत हॉस्पिटा के बाहर हूँ.और मेरी एक जानकार इसे हॉस्पिटल मे नर्स हैं,.उससे कुच्छ उगलवाने की फिराक मे हूँ..बाकी बाद मे बतऊन्गा..एक बात तो तय हैं.जेब मे से रोकडे की खुशबू आ रही हैं..!…फिर आमिर ने फोन काट दिया.
जिस नर्स का आमिर जिक्कर कर रहा था..उसका नाम तरुणया था, लेकिन करीबी लोग उसे टानू कहते थे…एक बार, एक मरीज के मौत के केस मे, वो फसगाई थी, तो आमिर ने अपने अख़बार मे ुआसकी तरफ़दारी मे ऐसा कुच्छ लिखा था,..की वो उस लफदे मे से सहिसलामत बाहर निकली थी,…तब से वो आमिर का ‘शुकरिया अदा करानेका कोई मौका‚ नही गावती थी…और आज आमिर की उम्मीदे उसी पर टिकी थी…वो उसी की रही देख रहा था…उसने आधे घंटे मे उसे बाहर मिलने को कहा था
तरुणया जवान, खूबसूरात और सेक्सी तो थी ही, लेकिन सचमुच एक दक्षा नर्स थी, पिच्छाले केस मे वो बेमतलब ही फस गयी थी, जब आमिर ने उसे अर्जेंट मिलने को कहा तो, उसकी बच्चे खिल गयी थी,..आमिर का ‘खुकरिया अदा करना‚ उसे हमेशा अच्छा लगता था..आमिर एक अच्छा ‘घुड़सवार‚ था, और उसे ‘घुड़सवारी‚ बेहद पसंद थी.
थोड़ी देर मे आमिर और वो दोनो, तरुणया के फ्लॅट मे घुड़सवारी कर रहे थे, उस शानदार घोड़ी की सवारी आमिर का पसीना बहा रही थी,…एक पल ऐसा भी आया की घोड़ी और घुड़सवार दोनो ही पसीने से लथपथ, हाफ़ रहे थे.
“मज़ा आ गया…तुम तो दीनबादीं जवान होते जा रहे हो..क्या खाते हो..?”…टानू ने अपनी मसल,तनी हुई च्चातियो को आमिर के सिने पर रगड़ा ते हुए कहा.
“तो क्या मैं तुम्हे, बूढ़ा लगता था…साली.?”…आमिर ने उसके निपल्स को चुटकी मे पकड़ कर खिचाते हुए कहा.
“ओह नो माई लव..तुम पहले भी जावा मर्द थे,.और आज कल जदाही जोशीले हो गये हो”..टानू ने आमिर के नाक को डटो से हल्के से कटा.
“अच्छा सुन…मुझे कुच्छ जानकारी चाहिए..”
“तो ये बात हैं..इसे लिए जनाब आज कई दीनो बाद मेहरबान हो गये हैं”
“देख मामला गंभीर हैं..और तू ही मेरी मदद कर सकती हो”
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“क्या मामला हैं…कोई गड़बड़ तो नही हैं ना.?”
“कोई गड़बड़ नही हैं…अगर हुई भी,.तो मैं हू ना”
“कहो क्या जानना चाहते हो..वैसे क्या तुम.हे भगवान..कही तुम, उस लड़की,.नीलू की फिराक मे तो नही हो”
“हाँ यही बात हैं..ही कितनी समाज़ डर हैं मेरी टानू”..आमिर ने उसे बाँहो मे लपेट लिया
‘आमिर सुनो..प्ल इस मामले से दूर ही रहो, वो बड़े लोग हैं, और ख़तरनाक भी,.अगर तुम उनके मामले मे तंग अड़ाओगे तो,वो तुम्हे भारी नुकसान पहुचा सकते हैं.
“कुच्छ नही होगा मेरी जान..तुम चिंता मत करो,..अपने आप को बचना मुझे आता हैं…ना मुझे कुच्छ होगा और ना मैं तुम्हे कुच्छ होने दूँगा.ओके.नाउ कम ऑन..तेल मे वेट्स थे स्टोरी.”
टानू फिर कुच्छ पल सोचती रही,.आमिर पर उसे भरोसा था, इस मस्त कलंदर ने उसे बचाया था, बड़ा ‘गुणी‚ लड़का था, कुच्छ भी कर गुजर सकता था…उसने कुच्छ निस्चे किया..और .
“ये लड़की नीलू..ड्रग्स की ओवर डोस और लगातार नृशंस बलात्कार की शिकार हुई हैं,.जिन्होने उसका रेप किया वो भी, ड्रग्स के नशे मे थे, उसके बदन पर जो खरोचो के निशान मिले हैं, उसकी ब्लड रिपोर्ट साफ जाहिर कराती हैं, की वो लोग ड्रग्स लिए हुए थे.कम से कम चार अलग अलग लोगो का खून पाया गया हैं…वो अभी कोमा मे हैं.लेकिन डॉक्टर्स का कहना हैं वो ख़तरे से बाहर हैं.और कभी भी कोमा से बाहर आ सकती हैं..क्यो की ये शॉक लगाने की वजह से आई टेम्परोरी कोमा की केस हैं…मैं बस एतना ही जानती हू…आमिर मैं फिर कहती हू, इसे ज़मेले मे मत प़ड़ो.प्ल”
“डोंट वरी डार्लिंग..मैं सावधानी बरातुंगा..कोई और बात..जो तुम शायद भूल गयी हो..?”
“नही ऐसा तो कुच्छ न…रूको रूको.एक बात सबको हैरात मे डाल रही हैं.!”
“क्या हैं वो बात..टानू..प्ल.जल्दी बताओ..” आमिर की आँखो मे चमक आने लगी थी
“वो मिस्टर अग्रवाल..शहर के जानेमाने बिज़्नेसमॅन..इसे केस मे कुच्छ ज़ायदा ही रूचि दिखा रहे हैं.पता नही क्यो..मेरी तो कुच्छ समाज़ मे नही आ रहा हैं”
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लेकिन आमिर के समाज़ मे बहुत कुच्छ आ रहा था.
उसने टानू को होंठों पर किस किया,..अलविदा कहा.अगले घुड़सवारी के सेशन तक…कपड़े पहने…और टानू के फ्लॅट से निकल गया.
उसके चेहरे पर परम संतुष्टि के भाव थे…दोनो वजह से..और दोनो ही वजह आप तो जानते ही हैं.
रिया रिंकू के कमरे मे, उसके पास सोफे पर बैठी थी, मॉंटी और रोमी उस वक़ुआत, वाहा मौजूद नही थे, रिंकू ने उन्हे दूसरे कमरे मे भेज दिया था, ताकि रिया उन्हे देख कर तेनतीओं मे आजये.
“क्या तुम कुच्छ पियोगी.?”..रिंकू ने रिया को नर्माल फील करने के एरदे से पूछा.
“नही.मेरी एच्छा नही हैं‚…रिया वाकई अनीज़ी महसूस कर रही थी.
“अरे घबराव मत…सिर्फ़ कोल्डद्रिंक्स ले लो.मैं उसमे कुच्छ मिलौंगी नही”…रिंकू ने जबरन पेप्सी रिया को थमा दी.
“तुम कुच्छ कहना चाहती थी…कोई मेरे फ़ायदे की बात”..रिया से रहा नही गया
“हाँ.इसे लिए तो तुम्हे यहा बुलाया हैं…देखो रिया मैं जानती हू, तुम नीलू को लेकर बहुत चिंतित हो…डरी हुए भी हो..लेकिन क्या तुम्हे पता हैं..नीलू अब ख़तरे से बाहर हैं…सिर्फ़ कोमा मे हैं…और कोमा से भी बाहर आना महज वक़ुआत की बात हैं”…रिंकू रिया के चेहरे को ध्यान से देख रही थी.
रिया के चेहरे से तनाव काफ़ी कम हुआ था, वो पेप्सी के हल्के हल्के घुट ले रही थी
“अब मेरी बात ध्यान से सुनो…उस रात जो हुआ.उस बड़े मे बाहर लोगो से कोई भी बात नही करेगा…जीतने भी लड़के, लड़किया उस रात हमारे साथ थे, उनमे से किसी को भी नही पता की नीलू के साथ क्या हुआ हैं…वो सिर्फ़ एतना जानते हैं की उसके साथ कोई हादसा हुआ हैं.और वो कोमा मे हैं…सिर्फ़ तू ही ऐसी लड़की है…जो जानती हैं, नीलू के कोमा मे जाने की असली वजह क्या हैं.और ये ही हमारे लिए सबसे बड़ी चिंता की बात हैं..अब तुम ही बताओ हम तेरे साथ कैसा सलूक करे.?”…..रिंकू की बात सुनकर रिया एकदम सकते मे आगये,…वो समाज़ नही पा रही थी, की रिंकू उसे समझ़ा रही हैं की धमाका रही हैं.
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“एमेम.म..मैं कुच्छ समाज़ी नही.तुम कहना क्या चाहती हो..?”
“मुझे डर हैं की तुम, अपना मूह बंद नही रखोगी…जजबातो मे बहकर..कही ना कही, मूह फदोगी..और हमारे लिए मुसिबत खड़ी करदोगी….अगर मैं चाहू तो तुम्हारा मूह हमेशा के लिए बंद करवा सकती हू…
“नही नही प्ल ये तुम क्या कह रही हो,…अगर मैं मूह खोलूँगी तो मेरी, और मेरे साथ साथ मेरे परिवार की भी बदनामी होगी..मेरा विश्वास करो मैं किसी से कुच्छा नही कहूँगी”..रिया काँपाती हुई आवाज़ मे बोली…सिर्फ़ आवाज़ ही नही, वो पूरी तरह कांप रही थी.
“नही डार्लिंग…मैं नही मानती की तुम सिर्फ़ बदनामी के डर से खामोश बैतोगी…नीलू की हालत, और उसकी दस्ती, तुम्हे मूह खोलनने पर मजबूर कर सकती हैं…मैं पक्का यकीन करना चाहती हू…तुम्हे कुच्छ दखाना चाहती हू.”..रिंकू सोफे से उठाकर दीवार मे लगी एक सेफ खोलने लगी…रिया नेर्वौसे हो कर उसे देखती रही
रिंकू ने सेफ मे से एक सीडी निकालकर, वही पड़े एक प्लेयर मे डाल दी और टीवी ऑन कर दिया, कुच्छ ही पॅलो मे जो टीवी पर दिखाई देने लगा, वो ड़खाने के बाद तो रिया के होश उस गये, उसकी आँखे फटी की फटी रही गयी,.गनीमत थी की वो बेहोश नही हुए..सीडी मे वो और मॉंटी दिखाई दे रहे थे, उस रात का पूरा शटैंग था उस सीडी मे, रिया का चेहरा ऐसा लग रहा था मानो उसके जिस्म से पूरा खून निचोड़ लिया हो…एकदम सफेद,..रख सा सफेद….”ये .ये बंद करो.प्ल.मैं देख नही सकती.प्ल बंद करो इसे”…रिया ज़ोर से चिल्ला पड़ी.
“क्यू रिया डार्लिंग…सिर्फ़ शुरुआत देखकर ही होश उस गये…अभी आगे और हैं…रोमी, लक्की.और भी ल्ड़ाके..पूरी रंडी बन गयी थी तुम…जम के ले रही थी ..वो भी बड़े प्यार से…कोई ज़बरदस्ती नही…..अगर ये सीडी मैं पूरे शहर मे बात दु तो क्या होगा..?
“”मैं तुम्हारे पॅव पड़ती हू, भीख मांगती हू..प्ल ये सीडी मुझे दे दो..मेरा यकीन करो मैं किसी से कुच्छा नही कहूँगी..मैं अपने माबप की कसम खाती हू…प्ल रिंकू.ये सीडी मुझे दे दो…प्ल.”…रिया ने सचमुच रिंकू के पैर पकड़ लिए थे, वो रो रही थी, गिड़गिदा रही थी…लेकिन रिंकू पर ना कोई असर होना था ना हुआ,..उसने रिया के बाल पकड़ कर उसे उठाया, अपने पास बिठया, और कहा..
” देख रिया, अब रोने ढोने से कुच्छ नही होगा,..जब तक नीलू ठीक होकर घर नही आती,.जब तक ये मामला ठंडा नही पड़ जाता,…जब तक मुझे यकीन नही हो जाता, की तुमसे मुझे कोई ख़तरा नही, तब तक ये सीडी मेरे पास ही रहेगी,..और तब तक तू मेरी गुलाम बन कर रहेगी..मेरी पालतू कुतीया बनकर रहेगी,..जो मैं काहु वो तुम्हे करना पड़ेगा..कोई नखरे नही, कोई ना नुकुर नही..बोल मंजूर हैं..?”
रिया के पास और दूसरा क्या ऑप्षन था, हाँ कहने के सिवा..उसने गर्दन नीचे करदी और हाँ कर दी.
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
रिंकू ने बड़े ही संतुष्टि पूर्ण तरीके से होंठ चटकाए, और इंटरकम उठा के मॉंटी, रोमी को कमरे मे बुललिया.
मॉंटी और रोमी के कमरे मे आते ही रिया समाज़ गयी, “पालतू कुतीया‚ से रिंकू का क्या मतलब था, वो और घबरा गयी, सेक्स का बुखार उसका कब का उतार चुका था, अपनी ग़लती का उसे अहसास हो चुका था, लेकिन अब देर हो चुकी थी..उस सीडी का रिंकू के पास होना, जाहिर कराता था अब उसे, रिंकू के एशारे पर नाचना था, चाहे मर्ज़ी से, चाहे मजबूरी से..अब उसे इस अधपटान से कोई नही रोक सकता था.
कमरे मे आते ही मॉंटी और रोमी उसके दोनो तरफ बैठ गये,
“क्या कहती हैं हमारी रिया डार्लिंग..उस रात तो बड़ी उच्छल कूद कर रही थी, आज मूड क्यू उखाड़ा हैं, जानेमन…?”..मॉंटी ने उसके गले मे हाथ डाल कर अपने पास खींचा
“लगता हैं उस रात की चुदाई से हमारी रिया डार्लिंग का मन नही भरा..इस लिए नाराज़ हैं हमसे..कोई बात नही मेरी जान.चलो आज तुम्हारी प्यास बुज़ा देते हैं”..ये रोमी था, उसका हाथ सीधे रिया के स्कर्ट के अंदर घुस चुका था
“नही.प्ल ऐसा मत करो.मुझे बक्ष दो…मैं बिल्कुल चुप रहूंगी..प्ल मुझे जाने दो”…रिया ने आखड़ी बार कोशिश की, उसकी आँखे लगातार बरस रही थी.
“नखरे मत दिखा कुतीया…चुछप जैसा ये चाहते हैं, वैसा कर.वरना..!”…रिंकू पूरी तरह से रिया पर हावी हो रही थी.
“अरे नही नही,..ऐसा जुलूम मत करो , हमारी रिया तो बड़े प्यार से चुदेगी.ये कोई पहली बार थोड़ेही चुद रही हैं..?”…मॉंटी का हाथ अब रिया की चुचियो की गोलाई नाप रहा था.
“मेरे दोस्तो को तकलीफ़ हो रही हैं तेरे इसे मदमस्त जवानी से खेलने मे..साली रंडी..टॉप उतार दे अपना.‚ रिंकू तो जैसे आज रिया को पूरी तरह से तोड़ना चाहती थी…उसे एतना ह्युमिलियेट करना चाहती थी, की आगे कभी भी वो उसके खिलाफ कुच्छ भी कहा, सुनाने से डरे
“मराती क्या ना कराती‚ रिया ने टॉप उतार दिया, पिंक ब्रा मे कसे यौवन भर, च्चिपाए नही छीप रहे थे…दोनो बेसबरो ने ब्रा उतरने की भी रही नही देखी.दोनो भीड़ गये निप्पलेस चूसने मे, .ब्रा के ऊपर से ही..रिया कसमसने लगी, आज उसे मज़ा नही आ रहा था, बल्कि तकलीफ़ हो रही थी…अब दोनो ने ही अपंनी पॅंट्स की ज़िप खोल ली..रिया के दोनो हाथो को पेंट के अंदर घुसा दिया…
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“रूको अब मेरी डाइरेक्षन मे होगा ये चुदाई का प्रोग्राम…सबसे पहले इसे नंगी करो.और तुम दोनो भी, अपने अपने कपड़े उतार दो..!
अगले ही पल दोनो ही रिया पर टूट पड़े..रोमी ने ज़टके से ुआस्की स्कृत और पैंटी ुआतर दिए, और मॉंटी ने ब्रा नोच डाली.एक मजबूर लड़की को नंगा करने मे वक़ुआत ही कितना लगाना था…रिया एक हाथ से, छुपाए ना छुपाने वाली चुचिया छुपाने की कोशिश कर रही थी, तो दूसरे हाथ से, अपनी नर्म,नाज़ुक,मुलायम बालो से ढाकी चुत छुपाने की चेस्टा कर रही थी..मॉंटी, और रोमी भी नगञा हो गये.
“रिया तुम कुतीया हो.है ना .चलो कुतीया बन के दिखाओ..”..डेरएक्टोर रिंकू ने आदेश दंडनाया.
अपने आँसू पोच्चती, किस्मत पर रोती रिया ने आदेश का पालन किया, इस पोज़िशन मे उसके, चिकनी, गुदज भारी, मसल कूल्हे ऊपर उठ गये, हवा मे…चुत की दोनो पंखुड़िया फैल गयी..गांड का छेद खुलबन्द हो रहा था….तनी हुई चुचिया लटक रही थी..मॉंटी और रोमी के लंड अपने आप तन गये थे, अपनी पूरी लंबाई और मोटाई मे..माहौल मे बढ़ती उत्तेजना अब रिंकू पर भी असर कर रही थी… उसने भी अपने कपड़े उतरने शुरू किए…अगले ही पल उस कमरे मे सभी नंगे थे.
“रोमी इसके होंठ देखो कितने प्यारे हैं,बिल्कुल गुलाब की तरह.क्या तुम देखना नही चाहते ऐसे होंठों मे तुम्हारा लंड कैसा दिखता हैं..और मॉंटी तुम, ज़रा इसे खूबसूरात चुत को देखो, क्या तुम इसे सूंघ कर, चाट कर नही देखना चाहते हो..आख़िर हमारी प्यारी सहेली हैं, एस्साकी खूबसूराती का मज़ा हम नही लूटेंगे, तो कौन लूटेगा”….कहते कहते रिंकू के हाथ खुद अपनी चुत को कुरादाने लगे.
रिंकू का कहना था की दोनो ने अपनी अपनी पोज़िशन सम्हल ली, रोमी का लंड रिया के होंठों के बीच फसा था, तो मॉंटी की जीभ चुत की गहराई नाप रही थी.रिंकू रिया के चारो पैरो(?) मे लेट कर, उसकी चुचियो को मसल रही थी, खिच रही थी…..काफ़ी देर तक रिया की चुत चातने के बाद,मॉंटी से रहा नही गया, और उसने, अपना खड़ा टाइट लंड उसकी चुत मे एक ही ज़टके मे घुसा दिया…रोमी का लंड मूह मे होने से रिया चीख भी ना सकी….अब उसकी दोनो तरफ से चुदाई हो रही थी
रोमी तो पहले से ही एतना गर्म हो चुका की रिया के मूह मे 15 मिनट से ज़ायदा नही टिक पाया, वही झड गया. लेकिन उसने तब तक लंड बाहर नही निकाला जब तक पूरा माल रिया के पेट ना जा पहुचे
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रोमी के झड़ने के बाद रिंकू का अगला आदेश…..
मॉंटी तुम अपना लंड निकल लो और सोफे पर जा बैठो.घबराव नही मैं तुम्हारे साथ कलप़ड़ नही करूँगी….अब मॉंटी सोफे पर जा बैठा…”रिया तुम अब मॉंटी के लंड पर बैठो…अपने हाथ से मॉंटी का लंड लेलो अपनी चुत मे…और उच्छल कूद शुरू करो”..डाइरेक्टर का आदेश था, मना तो था ही..अपमान से जलती रिया ने,अपनी भवनो पर काबू करके वैसा ही किया.मॉंटी का दिल बागबाग हो उठा…उसने रिया की चुचिया काश के पकड़ ली, और पूरी ताक़त से मसल ने लगा, निप्पल्स उमेटाने लगा…रिया के मुलायम जिस्म का घर्षण उसमे और जोश भर रहा था….अब रिया को और जलील करने की नियत से रिंकू अपनी क्लीन शेव्ड, बहुत ज़ायदा चोदे जाने से फैली हुए चुत लेकर, रिया के सामने खड़ी हो गयी..रिया के बालो को पकड़ कर, उसका मूह अपनी चुत से सटाती, बोल पड़ी.”चल चाट इसे.अच्छे से साफ कर‚.जैसे ही रिया की जीभ का स्पर्श रिंकू की चुत पे हुआ…उसके मूह से कामुक सिसकारिया निकल ने लगी
अब झड़ने की बड़ी मॉंटी की थी..जैसे ही राशमी ने महसूस किया, की मॉंटी झड़ने वाला हैं, वो फिर से गिड़गिदने लगी…”प्ल मॉंटी अंदर मत गिरना, मैं प्रेग्नेंट हो जाउगी…रिंकू प्ल संज़व इसे.मैं तुम्हारी हर बात मन रही हू.तुम मेरी एटानी बात मानो प्ल..वरना मुझे ख़ुदकुशी के अलावा कोई रास्ता नही बचेगा.प्ल”
रिया के मूह से ख़ुदकुशी शब्द निकलना था की रिंकू ने मॉंटी को एशारा किया,..मॉंटी ने बड़ी ही अनिच्छा से रिया को लंड पर से उठाया,..गुस्से से उसके मूह को चोदने लगा..रिया के पेट मे वीर्या की दूसरी किश्त पहुच गयी
अगले दो घंटे तक मॉंटी और रोमी पोज़िशन बदल बदल के उसे चोदते रहे, रिया के शरीर पे एक भी ऐसा छेद बाकी नही रहा जहा लंड जा सकता हो लेकिन डाला ना गया हो…वो चीखती रही कराहती रही, रहम की भीख मांगती रही..लेकिन ना किसी को रहम आना था ना आया
इनस्पेक्टर राजपूत और आमिर एक बार फिर, ‘डेंजर ज़ोन‚ मे बैठे थे, राजपूत के सामने, कोई सॉफ्ट ड्रिंक था, तो आमिर के सामने बियर की बोतल. आमिर ने राजपूत को उसके और तरुणया के बीच हुई बातचीत के बड़े मे डीटेल मे बता दिया था,…जिसे सुनकर राजपूत के माथे पर गहन चिंता की सलवते उभर आई थी.
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
“यार आमिर ये बता..ये अग्रवाल का…एतने बड़े बिजनेस तयकूं का..नेल्लु की केस मे, एतना गहरा इंटेरेस्ट लेना समाज़ मे नही आ रहा..मना की वो मल्होत्रा परिवार से काफ़ी जुड़ा हैं…लेकिन फिर भी…कुच्छ तो गड़बड़ हैं”….राजपूत को अग्रवाल की इसे केस मे दिलचस्पी काफ़ी उलज़ान मे डाले हुए थी,..आख़िर जब एतने बड़े लोग किसी केस मे उलाज़ जाते हैं, तो सबसे बड़ी कसौटी, पुलिसे वालो की होती हैं..उनपर हर तरफ से दबाव जो डाला जाता हैं.
“हाँ यार.कुच्छ तो लफ़दा ज़रूर हैं,..ड्रग्स का पाया जाना…नीलू के बदन पर खरोनछे, जखम पाए जाना.. एशारा तो किसी गान्ड रेप की तरफ करते हैं…और ऐसे मे अग्रवाल की दिलचस्पी, सिर्फ़ परिवारिक रिलेशन्स की बदौलत नही हो सकती”..आमिर भी कुच्छ विचलित था.
“देखो तुम एक कम करो, तुम नीलू के स्कूल मे जाकर जानकारी हासिल करने की कोशिश करो,.मैं हॉस्पिटल मे अपने आदमी लगा देता हू,.जो वाहा घुलमिल कर जानकारी हासिल करेंगे…डरो मत, मैं डेप्ट के आदमी नही भेजूँगा….हमारे पास ऐसे कामो के लिए अलग आदमी होते हैं…लेकिन तुम भी सावधानी से कम लेना…बात उँचे रसुख वाले लोगो की हैं..कही लेने के देने ना पड़ जाए.”….राजपूत ने आमिर को एक्शन प्लान संज़ाया, आमिर ने बची हुए बियर गले मे उतार दी, और राजपूत से हाथ मीया कर वो बाहर निकल गया.
राजपूत थोड़ी देर वही बैठा रहा, मोबाइल से उलज़ा हुआ, उसने वाहा बैठे बैठे ही अपने ‘खास‚ आदमी कम पर लगा दिए.
एधर रिंकू के घर से रोती, बिलखती, अपमान मे जलती, रिया बाहर निकली तो उसका चेहरा पत्थर सा सख़्त हो चुका था, एक एक करातूत, जो रिंकू और उसके दोस्त ने उसके साथ की थी,..उसके नाज़ुक दिल पर, उसके दिमाग़ पर, जिस्म पर, नासूर बन कर रही गयी थी…आँखो से करोध की ज्वाला निकल रही थी…उसका रोम रोम तड़प रहा था., सुलग रहा था…रिंकू और उसके दोस्तो को सबक सीखने के लिए….लेकिन कैसे…वो किसी से कुच्छ कह नही सकती थी, किसी को अपने नासूर दिखा नही सकती थी…किसी से मदद नही माँग सकती थी, ना घर वालो से, ना पुलिसे से, ना और किसी से..वो करे तो क्या करे…इसे उधेड़बुन मे वो कब ऑटो को रोक कर, उसमे बैठी, कब घर पहुँची, उसे पता ही नही चला.
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घर पहुचते ही, जब उसकी मा ने पूछा, वो एटानी देर कहा थी, तो उसने तबीयत ठीक ना होने का बहाना बना दिया, और अपने कमरे मे जाके सोने की चेष्टा करने लगी, लेकिन जब तकदीर ने साथ चोद दिया हो, तो नींद भी कहा साथ देने वाली थी…एक ग़लती,..वासना के जल मे फसाने की, अपने आप पर काबू ना पाने की..एक पल का मो, शारीरिक संतुष्टि का…उसे अखा ले आया था.
उधर आमिर नीलू के स्कूल पहुचा, हरफ़नमौला होने की वजह से, कोई दिक्कत नही आई, अपने आप को सीनियर स्टूडेंट ष्टपित करने मे, वो स्कूल मे एधर उधर घूमता रहा, कभी नोटीस बोर्ड के पास, तो कभी लाइब्ररी मे, कभी लड़के लड़कियो के जमघट के पास, कोन को मोबाइल लगाके खड़ा रहता, पूरे दो घंटे वो स्कूल मे घूमता रहा, लेकिन किसी ने उसे टोका नही….क्यो की नीलू का स्कूल एक कॉलेज था, और सीनियर कॉलेज भी उसी कॅंपस मे था.
पूरे स्कूल मे नीलू की ही चर्चा थी, उसके कोमा मे होने से, हर कोई अपनी अपनी बुद्धि के अनुसार, अटकले लगा रहा था, अपने अपने तर्क दे रहा था…कुलमिला कर नीलू के साथ सिंपती का माहौल था, हर किसी को दुख था…..दो घंटे बाद जब आमिर स्कूल से बाहर निकाला तो, उसके पास एक नाम था…नीलू की बेस्ट फ्रेंड,….रिया
आमिर उलज़ान मे था, रिया को वो नही जनता था , सीधे से किसी को पुच्छ भी नही सकता था, ख्वंख़्वाह शक पैदा हो जाता, क्यू की मामला सेन्सिटिव था,..कुच्छ देर वो उही सोचता रहा..फिर अचानक उसकी दिमाग़ की बत्ती जाली.
वो दौड़ता हुआ, नज़िक के एक बूकस्तल मे गया, कुच्छ कितबे खड़ीदी, उन्हे अच्छे से पॅक करवाया,…उसपर रिया का नाम लिखा, और पता लिखा स्कूल का…फिर उसने एक कपड़े की दुकान से एक टी-शर्ट और एक साधारण सी जीन्स खड़ीदी…(ये सब खर्चा, राजपूत से मिले उन पैसो से हो रहा था, जो आमिर ने बताउर उधर लिए थे, ‘फाइनल सएतटेल्मेंट ‘ से कातने की शर्त पर)…अपने बालो का स्टाइल बदल कर, उसने काफ़ी हद तक अपना हुलिया चेंज कर लिया, अब वो आसानी से नही पहचाना जा सकता था.
किताबो का वो पॅकेट ले कर वो फिर से रिया के स्कूल मे गया,..सीधा प्रिन्सिपल के कमरे मे
‘ मे ई कम इन मेडम”
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
“इसे प्ल…आप..?”…प्रिन्सिपल, जो एक अधेड़ उमर की महिला थी, उसने प्रश्नार्तक नज़ारो से पूछा
“मैं एक पार्सल लाया हूँ, मिस रिया शर्मा के नाम, स्कूल मे पता चला की वो, आज आई नही हैं, तो सोचा ुआनके घर डिलीवेरी दे दु..क्या आप मुझे उनके घर का पता बता सकती हैं.?‚….आमिर ने बड़ी विनम्राता से पूछा.
“क्या हैं पार्सल मे, कहा से आया हैं.?”…
” मुझे पता नही मेडम, लेकिन छूने से लगता हैं, कितबे होनी चाहिए, देल्ही के किसी पब्लिशर ने भेजी हैं, ज़ायदा कुच्छ तो मैं नही जनता”…आमिर ने उसी नाम्राता से कहा.
प्रिन्सिपल कुच्छ देर सोचती रही,…शायद सोच रही थी पता बठाना चाहिए या नही,.कुच्छ सोच कर..उन्होने घंटी बजाई..चपरासी दौड़ता हुआ आया.
“एन्हे,..नायडू के पास ले जाओ…उसे कहो एन्हे रिया शर्मा का पता देना हैं..मैने कहा हैं”…शायद आमिर की अच्छी शकला का उनपर अच्छा प्रभाव पड़ा था.
आमिर का कम बन गया, उसने नायडू के पास से रिया के घर का अड्रेस्स लिया, और फ़ौरन स्कूल के बाहर निकल गया….वापस उसी कपड़े की दुकान मे जाकर उसने अपने कपड़े चेंज किए…पूरेाने कपड़े उसने वही छोड दिए थे.बालो को फिर से सेट किया….अब उसे मिलना था रिया से…और उससे जानकारी हासिल करना उसे टेढ़ी खीर लग रही थी….वो रिया के घर के सामने एक चाय की तापरी पे जम गया..वो पहले रिया को देखना, परखना चाहता था…ता की अंदाज़ा हो जाए, बात कैसे च्छेड़नी हैं.
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उधर नीलू का बाप, मिस्टर. मल्होत्रा,.अपने आलीशान ऑफीस मे बैठा कुच्छ सोच रहा था….उसके माथे पर चिंता की घनी लकीरे थी….वो बेहद नर्वस नज़र आ रहा था…उसके सामने एक नया सुलगा हुआ सिगार पड़ा था, जिसका उसने अभी सिर्फ़ एक ही काश लगाया था…मल्होत्रा आजकल परेशानी मे था…उसके कुच्छ दाव उलटे पड़ गये थे..कुच्छ डील्स खटाई मे पड़ गयी थी..अब उसकी उम्मीदे अग्रवाल पर टिकी थी.
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मल्होत्रा चाहता था, अग्रवाल खुद उसकी तरफ पार्ट्नर शिप का हाथ बढ़ाए..ता की मल्होत्रा अपनी शर्तो पर, अग्रवाल से पार्ट्नरशिप डीड बनवाए…लेकिन अग्रवाल था की, कुच्छ खास रेस्पोन्स नही दे रहा था…क्या उसका एतना बड़ा “दाव” उनही बेकार जाएगा…यही सोच मल्होत्रा को बेचैन कर रही थी.
शाम के 5 बज रहे थे, आमिर को रिया के घर के सामने बैठे 2 घंटे गुजर गये थे, मुसीबत ये थी की वो एक ही जगह पर ज़ायदा देर बैठ नही सकता था,..लोगो को शक हो सकता था, इसे लिए वो कभी, चाय की दुकान, तो कभी डेली नींद की, कभी बुक स्टॉल पे टाइम पास कर रहा था, लेकिन नज़ारे रिया के घर पर टिकी हुए थी.
तभी उसकी नज़र रिया के घर से निकल ने वाली एक अधेड़ उमर की महिला, और उसके साथ एक जवान लड़की पर टिकी…लड़की वाकई बहुत खूबसूरात थी, इसे वक़ुआत सलवार कमीज़ पहने थी, दुपट्टा ओढ़ा होने के बावजूद, नीचे च्चिपी गोलाया साफ नज़र आती थी, लचकदार कमर और एक ले मे हिलाते कूल्हे, नज़रो को बाँध ले ने सक्षम थे…क्या यही रिया होगी..यही हो तो अच्छा हैं…आमिर की अवस्था ऐसी थी, जैसे बिल्ली को ख्वाब मे भी च्छिच्छड़े नज़र आते हैं…वो तुरंत उनके पीछे लपका..एक बार कोई, या उसकी मा उसे रिया कहा कर पुकारे, तो ये बात पक्की हो जाती थी की वो ही रिया हैं.
वो दोनो एक सब्जी वाले के पास रुक गयी,..आमिर थोड़ी दूर से ही लड़की का मुआएना कर रहा था,..खूबसूरात मुखड़े पर च्चाय उदासी की परात वो साफ देख सकता था…आँखे कुच्छ भारी सी लग रही थी, कुच्छ बेचैन सी….शायद रात मे थी से सोई ना हो…या नीलू की वजह से..आख़िर उसकी बेस्ट फ्रेंड जो थी…आमिर मन ही मन उसे परख रहा था…तभी..
“रिया,.कहा खोई हो, तुम्हारा मोबाइल बज रहा हैं…!”…बस आमिर का कम बन गया..ये तय था की लड़की रिया ही हैं…..अब वो नयी नज़र से उसे घूर ने लगा.
रिया मा से थोड़ा दूर हटके, लेकिन तकदीर से आमिर के पास आ के फोन पे बात करने लगी
“हाँ रिया ही बोल रही हू.!”
“…….” दूसरी तरफ से क्या कहा गया, आमिर नही जान पाया,लेकिन रिया के चेहरे के बदल ते रंग, साफ बता रहे थे, वो हद से ज़्यादा घबराई हुए, और साथ साथ गुस्से मे भी लग रही थी.
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“मैं नही आ सकती…रिंकू प्ल यकीन करो, मेरे “पीरियड्स” चल रहे हैं…मैं मजबूर हू..!” रिया चोरी से अपनी मा को देख रही थी, लेकिन उसकी मा, सब्जी परख ने मे व्यस्त थी.
“रिंकू.प्ल मेरी बात सुनो..मैं 5 दिन तक कुच्छ नही कर सकती..नही नही मैं सच कह रही हू…मेरा यकीन करो, तुम जानती हो मैं तुम्हारे से बाहर नही जा सकती..हाँ हाँ पक्का,..मैं आ जाउगी..तांकष रिंकू.”…और रिया ने फोन काट दिया, और अपनी मा के पास चली गयी.
लेकिन आमिर के दिमाग़ मे कई सवाल पैदा कर गयी…ये क्या माजरा हैं..?.ये रिंकू कौन हैं..?.और रिया उससे एटानी डरी हुई क्यो हैं,..?.”पीरियड्स” चल रहे होने से किसी से मिलने पे क्या पाबंदी आ सकती हैं..?..वो ये भी कह रही थी..मैं तुमसे बाहर नही जा सकती…मतलब..?.ब्लॅकमेल.?
सोच सोच कर आमिर का दिमाग़ भिन्ना गया….अब उसे अकेले मे बैठ कर, रिया की बतो को सिलसिलेवार सोच कर, कोई नतीजा निकल ना था..सही और सटीक नतीजा…तभी वो रिया से रूबरू मिलकर, कुच्छ और जानकारी हासिल कर सकता था.
और ऐसे कम के लिए सही जगह एक ही थी…‚
डॅंजर ज़ोन‚
‘डेंजर ज़ोन‚ मे बैठा आमिर , जितना गुत्थी सूलज़ने की कोशिश कराता गुत्थी सुलज़ने के बजे और उलाज़ जाती, वो समाज़ नही पा रहा था, ये रिंकू आख़िर कौन हो सकती हैं..उसका रिया के साथ क्या चक्कर हैं…उसका नीलू वाले केस से कोई ताल्लुक हैं, भी या नही.या रिया का और उसका कोई और ही च्चकर हैं..रिंकू का पता लगाए बगैर, वो इसे गुत्थी को नही सुलज़ा पाएगा…जब काफ़ी मशक्कत के बाद भी कुच्छ हाथ नही लगा तो उसने, राजपूत को फोन लगाया…उही, बेध्यानी मे…
“कहो भाई राजपूत, क्या हलचल हैं..कुच्छ लगा हाथ…तुम्हारे जो आदमी हॉस्पिटल मे तैनात थे, उनसे …कोई कम की बात..?”
“यार आमिर.कुच्छ तो लगा, कितना महत्वपूर्ण हैं.बता नही सकता..नीलू के साथ जो हादसा हुआ.लगता हैं..अग्रवाल की कोठी पे हुआ..कोई साफ कुच्छ नही कहता, लेकिन.दबी ज़बान मे कहा रहे हैं, ..जिस दिन सुबह नीलू को अस्पताल मे दाखिल किया गया था.कहते हैं.उसी सुबह, अग्रवाल की कोठी से तड़के ही फोन आया था..
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अब अग्रवाल जैसे नामी हँसती की कोठी से फोन आया तो.आंब्युलेन्स तुरंत भेजी गयी..यहा कुच्छ लोगो का मना हैं.वाहा कोई पार्टी ज़रूर हुए थी…जो शायद रात भर चली थी..कई लड़के, लड़किया देखी, जो नशे की हालत मे ध्त्त थी..अब बड़े लोगो की बड़ी बाते जान कर, कोई कुच्छ बोला नही.बस नीलू को आंब्युलेन्स मे डाल कर लेअए.”
“लेकिन ये पार्टी दी किसने थी…क्या खुद अग्रवाल ने.?
“नही यार…अग्रवाल की पार्टी मे ‘बच्चो‚ का क्या कम..ये पार्टी तो उसकी बेटी.रिंकू अग्रवाल ने दी थी..ऐसा…
“क्या.क्या कहा.किसने दी थी..फिर से बोल..!”…आमिर की आँखे हज़ार वॉट के बल्ब की तरह चमकाने लगी…उसे विश्वास नही हो रहा था, उसकी परेशानी, एटानी जल्दी हाल हो जाएगी.
“कहा ना रिंकू अग्रवाल ने…क्यू ये नाम सुन कर तू एतना एग्ज़िट क्यू होगया.!”
“अभी नही मेरे शेयर,.बाद मे, …बाद मे आकर तुज़े बतऊन्गा, की हम रोकडे के कितने नझडीक हैं..फिलहाल तेरे मूह मे बियर की बोतल.बाये..!”…और आमिर ने फोन काट दिया
हहुऊन्न्ञन्..तो ये बात हैं..अग्रवाल की कोठी पर रात भर पार्टी चली,…जो रिंकू ने दी थी…जसमे नीलू और रिया भी शामिल थी..जहा रात भर, शराब, कबाब, और शबाब, लूटते रहे.रात भर मौजमेला जारी रहा,,,और उसी दौरान, कुच्छ हुआ…शायद नीलू को नशा करा के बलात्कार..?…या उसके कोई बाय्फ्रेंड ने गद्दारी की हो…नीलू को लूटवाया हो…लेकिन जो भी हुआ हो,.. हुआ तो नशा और सेक्स का अतिरेक से ही…जिससे नीलू इसे हालत मे पहुँची….लेकिन रिया के साथ क्या हुआ.वो तो भली चांगी हैं..वो क्यू रिंकू से डर रही हैं….क्या छिछड़ी पाक रही हैं, उन दोनो मे….रिया की ऐसी कौन सी दुखती राग लग गयी रिंकू के हाथ मे, जो वो रिया को अपने एशारो पे नाचा रही हैं..,अब ये बात, या तो रिंकू बता सकती हैं, या रिया….रिंकू को पुचचाने का तो कोई सवाल ही नही पैदा होता..अब बाकी बची रिया…
उसने अब तुरंत रिया से मिलने का फ़ैसला किया..उससे किस तरह बात करनी हैं, ये वो अच्छी तरह जान गया था.
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“कुकु‚स गुआरगे पब” ये वो जगह थी, जो टीनेज, यंग गेँरात्िओं का तीर्थक्षेत्रा थी,. जहा जाना जिनकी जैइंदगी का अहम कम था…कुच्छ का तो ख्वाब था, कम से कम एक बार.”कुकु‚स गुआरगे पब” मे जाए, वाहा के माहौल मे, कुच्छ पल बिठाए, और अपनी जिंदगी को धन्य बनाए…लेकिन ये हर किसी के लिए संभव नही था….वाहा एंट्री सिर्फ़, सदस्यो के लिए सुरक्षित थी, सदस्या अपने साथ सिर्फ़ एक या दो गेस्ट ला सकते थे…वो भी बड़ी तगड़ी फीस भरकर….अंदर का माहौल, अपने नाम को सार्थक कराता था…हर तरफ बिखरे पड़े..गाडियो के अवशेष,.दीवारो पर टाँगे तैयार, ट्यूब्स, स्टेआरिंग वील्स, हॉर्न्ज़…जहा वाहा लिखा था…ओके.टाटा.बाये बाये..फिर मिलेंगे..दिलरुबा देल्ही वाली..हॉर्न प्लीज़…जो कुच्छ भी ट्रक, कार, बस, टेंपो से संभँढित था, उसीका एस्टेमाल वाहा इंटीरियर डेकोरेशन के लिए किया गया था…एक जगह पे तो ये भी लिखा था…‚मेरा भारात महान‚
हर तरफ, सिगरेट्स का धुआ च्चाया रहता था…ड्रग्स की, नशे की हर किस्म वाहा मिलती थी….सिर्फ़ जेब भारी, और सामने वाला किसी बड़े बाप की, या ‘पवरफुल‚ हँसती की औलाद हो..और वो जीने के लिए ओक्षिगें नही कार्बन-दी-ऑक्साइड लेता हो.!
इसे पब की सम्मानित सदस्या थी हमारी रिंकू..!
उसके लिए एक खास कॉर्नर हमेशा रिज़र्व्ड रहता था, उसे सर्विस देने वाले, बड़ी फुर्ती से ुआस्का ऑर्डर पूरा करते थे..और उसे अपने साथ, कितने भी गेस्ट लाने की चुत थी,…लेकिन आज रिंकू का मूड ठीक नही था..वो काफ़ी पे चुकी थी..मूह से रिया को गलिया बक रही थी…
“स्साली हरामी,…उसके ‘पीरियड्स‚ चल रहे हैं..तो क्या उसकी गांड से भी खून निकलता हैं…आ नही सकती…5 दीनो तक नही आ सकती…मुझे डाल मे कुच्छ काला नज़र आ रहा हैं….उसकी हिम्मत एटानी तरफ गयी…वो मुझे सीखा रही हैं..मैं उसे बर्बाद कर दूँगी” रिंकू ना जाने क्या क्या अनापशनाप बेक जा रही थी.
उसके पालतू कुत्ते, मॉंटी,रोमी,और लक्की..अपनी ‘मालकिन‚ के सामने कोन गिराए, पुच्छ दबाए, बैठे थे.
“मैं उसकी सीडी नेट पर डाल दूँगी..पूरे शहर मे बात दूँगी…उसे छोड़ूँगी नही..!”..रिंकू की बकबक कम होने का नाम नही ले रही थी
कहने को तो वो अपने रिज़र्व्ड टेबल पर बैठी थी….लेकिन कोई था…जिसके कोन खड़े हुए
“लेकिन रिंकू…क्या तुमने सोचा हैं…उस सीडी मे सिर्फ़, रिया ही नही, हम सब भी हैं…और तो और..नीलू वाला वाक़्या…
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“चुप साले हरामी मॉंटी..अपना मूह बंद रख…मैने उस सीडी मे से, हमारा पार्ट एडिट करा दिया हैं..ओरिजिनल सीडी कही महफूज रखी हैं”
मॉंटी को मूह बंद रख ने को कहने वाली….अपना मूह बंद नही रख सकी..
ये उसकी भूल अब उसे बहुत ही महँगी पड़ने वाली थी
शायद रिया से भी महँगी.
रिया स्कूल जाने के लिए बुस्स्टोप पे खड़ी थी, उसे बस से स्कूल जाने की नौबत बहुत कम बार आती थी, आम तौर पर वो नीलू के साथ उसकी कार मे जाती,आती थी…लेकिन उस हादसे के बाद, आज पहली बार रिया स्कूल जा रही थी, और नीलू, जाहिर था की उसे लेने नही आ सकती थी….बस स्टॉप पर ज़ायदा भीड़ नही थी, उस रूट पर वैसे भी बस की फ्रीक्वेन्सी कुच्छ ज़ायदा थी…सो वाहा भीड़ बढ़ने के चान्सस बहुत कम थे..तभी एक हॅंडसम, युवक उसके पास आ खड़ा हुआ, उसके कंधे एक बेग लटका हुआ था, जो फोटोग्राफर्स एस्टेमाल करते हैं, आँखो पे धूप का गॉज्गाले चढ़ाया हुआ, वो युवक काफ़ी प्रभावशाली दिखाए दे रहा था,…चुकी रिया का मूड आज कल वैसे भी ठीक नही रहने के कारण, उसने उस युवक पर कुच्छ खास ध्यान नही दिया…वो बस घड़ी देखती हुए, बस का इंतजार कर रही थी.
“एक्सक्यूस मे..आप शायद रिया शर्मा हैं..!”
रशहामी चौंक गयी…वो हैरानी से उस युवक को घुराने लगी..ये मुझे कैसे जनता हैं ?..कौन हैं ये.?.क्या मैं भी इसे जानती हू..लगता तो नही…
“कौन हैं आप..लड़की से पहचान बढ़ने का ये तरीका बहुत पूरेाना हो चुका हैं..अब आप या तो खामोश रहिए, या मुझे पुलिसे को बुलाना पड़ेगा..!”….रशहामी के मन मे शक था, कही ये रिंकू का भेजा हुआ तो नही..?
“आप को ग़लतफहमी हो रही हैं.मिस रिया..मैं आप पर लाइन नही मर रहा. ना ही मेरा कोई और ग़लत एरदा हैं..मैं तो सिर्फ़ आपकी थोड़ी मदद करना चाहता हू..”
“मेरी मदद.?,,,कैसी मदद.?..आपको किसने कहा मुझे किसी मदद की ज़रूरात हैं.?…और आप हैं क्या चीज़, जो गले ही पड़े जा रहे हैं..?”…रिया अब बौखला गयी थी, वो समाज़ अँहि पा रही थी, इसे हॅंडसम और शरीफ दिखाने वाले अंजान युवक से कैसे पेश आए.
“मिस रिया,.मैं बड़ी ही नायाब चीज़ हू,..बहुत ही चमत्कारी..!…मेरे पास एक अल्लादीन का चिराग हैं.जिसाए घिसने पर, एक जिन्न प्रकट होता हैं…और वो हर समस्या का समाधान ढूंढता हैं..आपकी भी समस्या का हाल डुँदा जा सकता हैं..!”….वो रहस्यमयी युवक, क्या बोल रहा था रिया के कुच्छ समाज़ नही आया…समाज़ मे आई तो सिर्फ़ एक बात…क्या ये आदमी उसकी प्राब्लम सच मे जनता हैं.?.लेकिन कैसे.?..और क्या वो
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उसकी मदद करने के बहाने, फिर ये उसे एक्शप्लोइटे तो नही करेगा.?
तभी स्कूल की तरफ जाने वाली बस आई,.रिया बस मे चढ़ गयी..पीछे पीछे वो युवक भी चढ़ गया..अब रिया का डर बढ़ने लगा…वो एकदम सामने जा खड़ी हुए…वो युवक भी उसके पीछे पीछे उसके एक दम करीब जा खड़ा हुआ..रिया उसे गुस्से मे कुच्छ कहने ही वाली थी, के उसके कानो मे युवक की धीमी आवाज़ पड़ी..
“मैं तुम्हे रिंकू के चंगुल से छुड़ा सकता हू,.रिया..!.और बदले मे तुमसे कुच्छ भी नही माँगूंगा.मेरा विश्वास करो..अब तुम्हारी मर्ज़ी..अगर मेरा विश्वास करोगी तो फ़ायदे मे रहोगी..वरना मैं चला.!‚
रिया अब सोच मे गिर गयी, लगता हैं ये बहुत कुच्छ जनता हैं..और बहुत कुच्छ कर सकता हैं…क्या उसे विश्वास करना चाहिए..?..वो किसी नतीजे पर पहुच नही पा रही थी.
“अगर मुज़ासे बात करना चाहती हो तो, अगले स्टॉप पे उतार जाओ..मैं नही चाहता हम दोनो स्कूल के पास एकसाथ देखे जाए..!
अब रिया को जल्दी फ़ैसला लेना था..उसने लिया…वो अगले स्टॉप पर उतार गयी..पीछे पीछे वो युवक भी.
उतरने के बाद उसने रिया की तरफ मुस्कुराके देखा..”घबराव नही, रिया, मेरी वजह से तुम्हे कोई नुकसान नही होगा, उल्टा फ़ायदा ही होगा..!”
“लेकिन आप हैं कौन..?”
“बताया तो था बड़ी नायाब चीज़ हू…बहुत कम की चीज़ हू..वो अल्लादीन…!”
“मज़ाक मत करो…तुम मुझे कसे जानते हो.?”..रिया अब आप से तुम पर ुअतर आई.
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“क्या रास्ते मा खड़े खड़े ही बात करने का एरदा हैं..वो सामने को फ्फी शॉप हैं..बैठ कर बाते करते हैं, साथ मे को फ्फी भी होज़ाये.!”
रिया कुच्छ नही बोली, सिर्फ़ को फ्फी शॉप की तरफ चल दी, वो दोनो एक कॉर्नर सीट देख कर बैठ गये, वेटर को को फ्फी का ऑर्डर दिया गया.
रिया को आपने तरफ सवालिया नज़ारो से देखता पा कर, वो युवक मुस्कुराया..
“मेरा नाम आमिर हैं..आमिर ख़ान..फ़िल्मो वाला नही…प्रेस रिपोर्टर..!”
उसके मूह से प्रेस रिपोर्टर सुनते ही, रिया के च्चाक्के चुत गये..वो एकदम घबरा गयी…आमिर जनता था ऐसा ही कुच्छ रियेक्शन होगा…उसने रिया का हाथ थपथपाया, तस्सली देने के लिए.
“डरो नही,.अगर प्रेस रिपोर्टर होने का फ़ायदा ही उठना था, तो मैं तुम्हे इसे तरह नही मिलता,..फोन पे धमकता, डराता, और तुमसे अपनी मनमानी कराता…नही रिया तुम्हे परेशन करने का मेरा कोई एरदा नही हैं”….आमिर के एतने कहने पर वो कुछ रिलॅक्स हुए.
“तो क्या चाहते हो तुम..और तुम्हे रिंकू के बड़े मे कैसे पता लगा.?”
“मैं नीलू के केस पर कम कर रहा हू…रूको, मैं तुम्हे सब शुरू से बताता हू..लेकिन रिया मेरी एक रिकवेस्ट हैं.!”
“क्या..!”…रिया अब काफ़ी उत्सुक हो गयी थी.
“तुम मुझे कुच्छ सवालो के सच सच जवाब दोगी….तभी मैं तुम्हे रिंकू के चंगुल से आज़ाद करवा सकता हू, और नीलू को भी न्याय दिला सकता हू…मुमकिन हो गुनहगारो को सज़ा भी दिलवा सकता हू.”
“ठीक हैं.पहले तुम आपनी बात पूरी करो, फिर मैं तुम्हारे सवालो के जवाब भी दूँगी.
आमिर ने रिया को वो सब बताया, जो अब तक की उसकी तफ़तीश से उसने जनता..और ये भी की वो रिया तक कैसे पहुचा..कैसे उसने रिया की मोबाइल पर, रिंकू से हुए बाते सुनी.
रिया उसे ऐसे घूर रही थी, जैसे वो इंसान नही वाकई मे जिन्न हो.
“तुम प्रेस रिपोर्टर हो या प्राइवेट डिटेक्टिवे.?…रिया उसके तफ़तीश और नतीजे निकल ने के तरीके से बेहद प्रभावित नज़र आ रही थी.
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“मैं सिर्फ़ प्रेस रेपॉर्टर ही हू..लेकिन जासूसी हमे भी करनी पड़ती हैं…उसे कहते हैं इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट…खोजी पत्रकार.समाज़ी.?”…आमिर ने उसे संज़ाया…”अब तुम मुझे उस रात पार्टी मे जो कुच्छ भी हुआ पूरा सच सच बताओ..और ये भी की रनकु तुम्हे किस बिना पर ब्लॅकमेल कर रही हैं.”
रिया ज़ोर ज़ोर से अपना सर एंकर मे हिलने लगी.
“नही…मैं नही बता सकती..किसी भी कीमत पर नही..वो लड़की बेहद ख़तरनाक हैं..और फिर..”
वो कहते कहते रुक गयी
“और फिर क्या रिया प्ल मुझे बताओ…अगर तुम नही बताओ गी.तो ना मैं तुम्हारी मदद कर पाऊँगा, ना नीलू की…एस्सलिए प्ल बताओ..!‚
रिया फिर भी चुप रही..वो बताती भी तो क्या बताती..कैसे वो सेक्स की दीवानी हुए थी..कैसे मॉंटी और उसके दोस्त ने उसे लूटा था..और नीलू के साथ एग्ज़ॅक्ट्ली क्या हुआ था,.ये तो उसे भी पता नही था..फिर रिंकू की धमकी का ख्याल भी उसे बतने से रोक रहा था…वो खामोश रही.
हाँ लेकिन उसकी दबदबाई आँखो ने आमिर को ये अहसास ज़रूर दिलाया की रिया से उस रात के बड़े मे कुच्छ उगलवाना, बेहद मुश्किल हैं…इसे पूरे सिलसिले पर ुआसकी अपनी एक सोच थी,..कुच्छ कॅल्क्युलेशन्स थी…वाहा क्या हुआ होगा..कुच्छ हद तक वो गेस कर सकता था..रिया अगर उसकी पुष्टि भी कर दे, तो भी उसका कम चल सकता था.
“देखो रिया, मैं तुम्हारी उलज़ान समाज़ ता हू..वाहा उस रात पार्टी के बाद, या दौरान..कुच्छ हुआ था..जो ग़लत था…नही होना चाहिए था…क्या मैं सच कह रहा हू.?”
रिया ने हाँ मे सर हिलाया.
“क्या तुमने और नीलू ने पार्टी मे शराब पे थी..?”
रिया की आँखो से दो बूंदे लुढ़की…आमिर समाज़ गया
“क्या वाहा ड्रग्स का भी एस्टेमाल हुआ था..?”..इसे सवाल का जवाब बहुत ज़रूरी था.
“मैने नही ली थी..बाकियो का मुझे पता नही…मैने तो सिर्फ़ थोड़ी सी…”
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“लेकिन तुम्हे पता तो होगा…रिंकू की पार्टी मे ड्रग्स ली जाती हैं या नही”
“शायद..लेकिन मुझे पक्का यकीन नही”
“तुम्हे पता हैं.नीलू के खून मे बहुत ज़ायदा मात्रा मे ड्रग्स पाई गयी थी..?”
रिया की आँखे हैरानी से फट पड़ी…उसके लिए ये शॉक था
“नीलू और मैं, एक दूसरी की बेस्ट फ्रेंड हैं…कोई भी बात हम एक दूसरी से नही चुपाती थी…अगर नीलू ने कभी भी ड्रग लिया होता, तो वो मुझे ज़रूर बताती….उसने खुद हो कर ड्रग्स ली होगी ये नामुमकिन हैं…शायद उन लोगो ने उसे ज़बरदस्ती दी होगी.”
अब हैरान होने की बड़ी आमिर की थी….इसका मतलब नीलू को धोखे से या ज़बरदस्ती ड्रग्स दी गयी थी..फिर उसका बलात्कार किया गया होगा..आमिर मन ही मन सोच रहा था.
“अच्छा ये बताओ, क्या तुमने वाहा सेक्स एंजाय किया था…?”….आमिर के इसे सीधे हमले से रिया एकबारगी कांप उठी..फिर उसने गर्दन ज़ुका दी..आमिर समाज़ गया.
“ठीक हैं मैं समाज़ गया..अब ये बताओ…क्या रिंकू के पास इसे बात का कोई सबूत हैं…तुम्हारे उस सेक्स….!”…आमिर ने बात जांबूज़कर अधूरी छोड दी.
रिया अब और अपने आप पर काबू नही रख सकी, उसने अपने हाथो मे मूह छुपा लिया…और रोने लगी….ामिे एकदम हड़बड़ा गया..रिया का रोना लोगो का ध्यान उनकी तरफ खींच सकता था. उसने रिया के कंधो पर हाथ रख कर कहा
“रो मत रिया.इसे उमर मे ग़लती हो जाती हैं..तुम रोना बंद करो…वरना हम लोगो की नज़र मे अजाएँगे…ख्वंख़्वाह हम पे शक किया जाएगा..लो आँखे पोच्च लो…चाहो तो फ्रेश होकर आओ”…आमिर ने अपना रुमाल उसे दिया.
“आमिर…क्या तुम सच मे मुझे रिंकू के चंगुल से आज़ाद कर सकते हो..?”
“बिल्कुल कर सकता हू…और तुम भरोसा रखो मैं, तुम्हारी किसी भी ग़लती को, तुम्हारे खिलाफ एस्टेमाल नही करूँगा.”
“जिस कमरे मे मुझे ले जाया गया, उसमे छुपे कमेरे फिट थे…उस रात मेरे साथ जो भी हुआ..उसकी रेकॉर्डिंग रिंकू के पास हैं…उसी के दम पर वो मुझे ब्लॅकमेल कर रही हैं”
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“ये तुमने पाते की बात कही…अब ज़रा अपने दिमाग़ पर ज़ोर डालके बताओ…क्या बाकी कमरो मे भी छुपे कमेरे हो सकते हैं..क्या तुम्हे किसी खास कमरे मे लाया गया था..या यूही जो खाली दिखा उसमे लाया गया था.
” कमरे का कोई ऐसा खास सेलेक्षन नही हुआ, बस जो खाली दिखा उसमे घुस गये,…अब बाकी के कमरो मे भी कमेरे लगे हैं या नही, मुझे नही पता.”
“लेकिन मुझे पता हैं”..आमिर का चेहरा अब खिल उठा था…आँखे चमक ने लगी थी.
“क्या हुआ तुम एतने खुश क्यू हो गये…?”..रिया कुच्छ समाज़ नही पाई.
“रिया डार्लिंग..मैं दावे के साथ कहा सकता हू..उस फ्लोर के हर कमरे मे छुपे कमरे लगे होंगे…जैसे तुम्हारे करातूत की रेकॉर्डिंग हुए वैसे, ही नेल्लु की भी हुए होगी…एक बार मुझे वो सीडी मिल जाए…फिर देखना..अगर इसे रिंकू नाम की घोड़ी को कुतीया बनाया तो मेरा नाम भी आमिर ख़ान नही”
जाने पहले आमिर ने रिया से उसका मोबाइल नो. लिया और अपना भी उसे दिया…इसे हिदायत के साथ…की वो अब एक दूसरे से संपर्क बनाए रखेंगे.
तरुणया अपनी ड्यूटी समाप्त करके अभी अभी लौटी थी, फ्रेश हो कर वो अभी कपड़े बदल ने के लिए अपने वॉर्डरोब के पास खड़ी थी, अपना साँचे मे ढाला जिस्म देख कर उसे, खुद ही अपने आप पर लाइन मरने को जी चाहा…वो हर एंगल से अपने खूबसूरात जिस्म को निहार रही थी, उसने दोनो हाथ अपने स्ठानो के नीचे लेजकर, उन्हे छुउआ, हलके से उठाया..अभी भी काफ़ी कसे हुए थे..कसावट मे ज़रा भी फ़र्क नही आया था..पेट अभी भी पतला था, नाभी की गहराई उसमे चार चाँद लगा रही थी…कमर की लचक, कुल्हो का उभर, सुडौल लंबी टाँगे….उसको और सेक्सी बना रही थी…हूंम्म..‚मैं अभी भी क्यमत ढा सकती हू‚..उसने मन ही मन सोचा..धीरे धीरे उसने ब्रा पैंटी को छोड कर सारे कपड़े उतार दिए..दोनो हाथ ऊपर उठा कर, वो किसी मॉडेल की तरह पोज़स देने लगी…अचानक कल्लबेल की आवाज़ ने उसके ‘मॉडलिंग‚ को डिस्टर्ब लिया.
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
“इसे वक़ुआत कओन होगा.?”..मान ही मन सोचते हुए उसने अपना गाउन पहना, और दरवाजे के कीहोल से देखने लगी..बाहर आमिर खड़ा था…तरुणया खुश हो गयी…उसने तुरंत गाउन उतार फेका…और सिर्फ़ ब्रा पैंटी मे ही आमिर के लिए दरवाजा खोला.
दरवाज़े पे खड़ी कयामत देख कर, आमिर भूचक्का सा रहा गया..वो आज से पहले कई बार टानू के यहा आया था,.उसे बेड मे बगैर कपड़ो के देख चुका था, लेकिन आज के जैसा स्वागत उसका कभी नही हुआ था.
“क्या बात हैं, टानू डार्लिंग…दरवाजे पर ही कथला कर देने का एरदा हैं क्या.?”..टानू को बाँहो मे भराते हुए आमिर ने पूछा…टानू ने भी उच्छल कर, अपनी दोनो टॅंगो से आमिर की कमर को काश लिया…आमिर उसे कुल्हो से पकड़ कर, होंठों को किस करने लगा..और ओसी हालत मे हाथ पीछे की तरफ बढ़ा कर फ्लॅट का दरवाजा बंद कर दिया.
“तुम्हारे लिए मेरे पास एक अच्छी खबर हैं…!..बताओ मुझे बदले मे क्या मिलेगा.?”..टानू आमिर की गोद मे ही एथलाते हुए बोली.
“तुम्हे क्या चाहिए बोलो…मैं तो हू ही तुम्हारा..!..लेकिन खबर क्या हैं..?”
“पहले मुझे खूब प्यार करो..मेरा रेप करो.लूट लो मुझे…नोच डालो मुझे..!”…टानू का ये वाइल्ड रूप देख कर आमिर भी जोश से भरा जा रहा था…टानू जैसी हाहकारी कयामत उसे खुला निमंत्रण दे रही थी, ललकार रही थी, वाइल्ड सेक्स के लिए.! आमिर जैसे आदमी को और क्या चाहिए था.
उसने उसे अपनी गोद से खिच कर दूर किया और बिस्तर पर पटक दिया.
“टानू की बच्ची.अगर तेरी यही एच्छा हैं तो, ठीक हैं…अब भुगत ले,…फिर मत कहना …हे मैं लूट गयी, बर्बाद हो गयी.!”…आमिर ने फटाफट अपने कपड़े उतार फीके..टानू के ब्रा का हुक खोलने की बजे, उसने चुचियो मे हाथ डाल कर, ब्रा को पकड़ा और एक ही ज़टके मे, ब्रा को नोच कर उतार फेका…टानू को एक मीठा सा हसीन सा दर्द हुआ…वो रोमांचित होने लगी…आमिर ने उसे पेट के बाल उलट दिया, …अब टानू के पूरी गोलाई मे फैले कूल्हे, उसका मूह चिढ़ा रहे थे..उसकी चिकनी, लंबी टाँगे, कुल्हो की दरार मे फँसी पैंटी..पीठ के दबाओ से बाहर को निकली चुचिया..नंगी संगेमरमर सी चिकनी पीठ..कई बार देखा होने के बावजूद…आमिर पागल हुआ जा रहा था..ये शायद टानू की बोल्ड डिमॅंड का नतीजा था…
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
अपने प्रेमी को हर बार अपने जिसम का नया तजुर्बा दिलाना, ये तो टानू की ख़ासियत थी.
आमिर ने बड़े ही ब्रूट, रफ तरीके से टानू की पैंटी के एलास्टिक मे उंगलिया फसाई..एलास्टिक को कुच्छ खींचा,.और छोड दिया..एलास्टिक साआताअक से टानू की नाज़ुक पतली कमर से जा टकराया..आअहहाअ..टानू की मादक दर्द भारी आ निकली…वो अपनी कमर को सहलाने लगी..तब तक आमिर अपने आखड़ी कपड़े को अभी उतार चुका था…उसने अब टानू के बदन पर मौजूद पैंटी को अभी, टॅंगो से खिच्छ कर लिकल दिया…टानू का जिस्म एतना मुलायम था की पैंटी जैसे अपने आप उतराती चली गयी..अब दोनो ही निर्वस्त्रा थे…टानू आँखे बंद कर के आमिर के अगले हमले की रही देख रही थी…और हमला हुआ..आमिर ने उल्टी लेती टानू के जिस्म पर अपने आप को ज़ोंक दिया…उसके मजबूत जिस्म के नीचे टानू पीस गयी..आमिर ने दोनो हाथो से उसकी चुचिया पकड़ ली…
उसका बढ़ता जा रहा हथियार अब टानू के कुहलो पर अपना रास्ता बना रहा था…टानू तो इसे ब्रूटाल आक्ट से ऐसी उत्तेजित हो रही थी, की खुद ही अपने कुल्हो को उठा उठा कर, आमिर को एशारा कर रही थी, …बता रही थी उसे क्या चाहिए…आमिर भी नासमाज़ नही था,..उसने टानू की दोनो टाँगे और फैलाई..दोनो हाथो से चुचियो पर कहर बरपना शुरू रखते हुए, अपना, अब तक पूरे औकात मे आ चुका हथियार टानू की प्रेमरस से भीग चुकी चुत के होंठों पर टीका दिया…टानू ने गांड और ऊपर उठाई…उससे रहा नही जा रहा था…ऊपर उठाते ही, चुत के होंठ और खुल गये..लंड अब आसानी से आधा अंदर चला गया..टानू की मादक, उत्तेजना से सराबोर सिसकारियो मे एजफा होने लगा…आमिर की उंगलिया अब निप्पल्स को मसल रही थी..टानू अब और नही बर्दाश्त कर पाई…उसने अपने आप को डॉगी स्टाइल मे ऊपर उठा लिया..आमिर ने पोज़िशन अड्जस्ट की…और शुरू हुआ, एक लगातार पंपिंग का सिलसिला..
दोनो ही मंजे हुए खिलाड़ी थे..इसे कम मे माहिर थे..चुचिया मसली जा रही थी, चुत पे दनादन स्ट्रोख्क्स लग रहे थे…दीवारे रगड़ी जा रही थी…तभी अचानक आमिर को नज़ाने क्या सूज़ा…उसने अपना लंड कीच्छ लिया.टानू सोचती रही..बिना कुच्छ कहे, बिना कोई एशारा भी दिए, आमिर ने लंड, टानू की गांड मे डाल दिया..एक ही ज़टके मे..कुच्छ समाज़ पाने के पहले ही, टानू की भयंकर चीख दीवारो को तर्रा गयी..लेकिन आमिर रुका नही..वो बेदर्दी से ठोकता रहा..टानू चीखती रही, दर्द सहने की कोशिश मे अपने ही होंठ चबाने लगी…
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
आमिर ने कई बार उसे रिकवेस्ट की थी, एक बार टानू उसे पीछे का मज़ा लेने दे..लेकिन टानू हर बार, बड़े प्यार से, उसे अगली बार का प्रॉमिस कराती रही..लेकिन आज टानू का वाइल्ड मूड देखा कर आमिर ने अपनी एच्छा पूरी कर ली..टानू का दर्द अब काफ़ी कम हो गया था…वो रिलॅक्स हो रही थी…अब एंजाय भी करने लगी थी
एक लंबे, पसीना छोड़ने वाले फक्किंग एपिसोड के बाद, आमिर और टान्या अब एक दूसरे की बाँहो मे सुअस्ता रहे थे…टानू प्यार से आमिर को निहार रही थी…कैसा मस्त कलंदर हैं ये..कभी लगता हैं,वो उसे अपने प्यार से बँधे हुए हैं, तो कभी लगता हैं,वो उसे आज ही मिली हैं..”ये शायद कभी किसी एक का हो कर नही रही सकता”…टानू मन मे सोच रही थी, और उसे इसे बात की कोई शिकायत भी नही थी…वो आमिर से और ज़ोर से लिपट गयी.
“टानू ..तुम कुच्छ खास खबर के बड़े मे बतने वाली थी.क्या हैं वो.?”..आमिर के अंदर का पत्रकार अब जगह गया था.
“अरे हाँ..वो तो मैं भूल ही गयी..!”..टानू एक दम से बिस्तर पे उठकर बैठ गयी,..उसकी तनी तनी चुचिया बड़े ही मादक ढंग से हिल गयी…आमिर ने हाथ बढ़ा कर उन्हे थाम लिया.
“आक्च्युयली आमिर, कल मैं डॉक्टर सिन्हा के साथ, ‘कुकु‚स गुआरगे पब‚ मे गयी थी, वो वाहा के काफ़ी पूरेाने मेंबर हैं,..मेरी भी काफ़ी दीनो से एच्छा थी, उस पब को अंदर से देखने की, सो डॉक्टर सिन्हा के साथ चली गयी”….
“तुम वाहा डॉक्टर सिन्हा के साथ क्यू गयी..मुझे कहती तो मैं ले जाता..उसने तुम्हे कुच्छ किया तो नही…पक्का औरात्खोर हैं साला.!”..आमिर ने उसे खींच के अपने गोद मे बिठा लिया.
“उसने मुझे कुच्छ नही किया…मैं कोई छोटी बच्ची हू क्या.?‚…टानू ने अपनी चुचिया आमिर के मूह की तरफ बढ़ा दी…मानो कहा रही हो..बच्चियो के एतने बड़े बड़े होते हैं क्या..?
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
“अच्छा तो फिर.अब आगे भी तो बताओ..!”..आमिर ने अपने मूह के पास आया टोफ़हा बड़े प्यार से कबूला,.वो चुचियो को चूसने लगा.
“आहह.धीरे धीरे आमिर..वो वाहा हमारे पास वाले टेबल पर…आहह.हां.एक लड़की बैठी थी.वो.उउहह.उउउहह..कहा रही थी.उसके पास किसी रिया नाम की लड़की की…डटो से काटते क्यू हो..अच्छे से चूसो ना…एक सीडी हैं..और …क्या हुआ.रुक क्यू गये.?”..टानू बात बता भी रही थी, और ामिे को एंजाय भी कर रही थी.लेकिन अचानक आमिर ने चूसना बंद किया तो वो बौखला गयी.
“क्या..! क्या कहा तुमने.वो लड़की रिया के बड़े मे बोल रही थी..मुझे पूरी बात बताओ…बाद मे मैं तुम्हे रुला के छोड़ूँगा”
टानू ने फिर उसे रिंकू और उसके दोस्तो के बीच हुई बातचीत सुनाई….आमिर शक सही निकाला…रिंकू के पास उसके, उसके दोस्तो की करातूत दिखती एक सीडी और थी जो उसने किसी ‘महफूज ठिकाने पर छुपा रखी थी..आमिर का कम था अब उस सीडी का पता लगाना.
“टानू ई लव यू…यू आर आ डार्लिंग..यू आर सो ग्रेट.!”…अब आमिर उसे पूरी रात भर छोड़ने वाला नही था….
रिया अभी स्कूल से निकली ही थी की उसे आमिर का फोन आया…
“हाला…क्या तुम बोल रहे हो आमिर..?”
“हाँ रिया…मुझे तुमसे कुच्छ ज़रूरी कम हैं,.इसे वक़ुआत कहा हो..?”
“मैं अभी अभी स्कूल से निकली हू.”
“क्या तुम मुझे.‚ग़जाला‚ मे मिल सकती हो..ये वही रेस्टोरंत हैं जहा हम परसो मिले थे..”
“लेकिन मैं तो घर के निकली हू..देर हो गयी तो घरवाले नाराज़ हो जाएँगे”
“तुम फिकर मत करो, मैं तुम्हारा ज़ायदा वक़ुआत नही लूँगा”
“ठीक हैं, मैं ऑटो पकड़ कर आती हू…किराया तुम दे दे ना..”
“ठीक हैं आ जाओ”
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
रिया मन ही मन सोच रही थी अब इसे क्या कम निकाला होगा…कोई टेन्षन की बात तो नही…अपने सोचो मे खोई थी, उसे पता ना चला की वो कब ‘ग़जाला‚ पहुच गयी…आमिर बाहर ही उसका एनटजार कर रहा था…उसने ऑटो का किराया चुक्या..और दोनो अंदर एक खाली टेबल देख कर बैठ गये…आमिर आज उसे पहली बार स्कूल यूनिफॉर्म मे देख रहा था…बिल्कुल ही अलग लग रही थी, बिल्कुल एक अबोध बच्ची की तरह, मासूम, कमसिन, अल्हड़ और खूबसूरात…एस्साके साथ ‘वो‚ सब हुआ..!…विश्वास नही होता..आमिर अपने आप मे सोच रहा था.
“क्या बात करनी हैं…और ऐसे क्यू घूर रहे हो.?”…रिया ने तुनक कर पूछा…आमिर हंस पड़ा.
” तुम्हे स्कूल यूनिफॉर्म मे पहली बार देख रहा हू…बहुत खूब सूरात लग रही हो…बताओ क्या लॉगी..!”
“कोई भी सॉफ्ट ड्रिंक…!‚
आमिर ने दो लिम्का का ऑर्डर दिया
“रिया, तुम रिंकू को कितना जानती हो.?”
“मैने तुम्हे पहले ही बताया हैं..ज़ायदा नही..बस हाला, ही…वो भी नीलू की वजह से”….आमिर कुच्छ पल सोचता रहा.
“मैं पहले तुम्हे कुच्छ बताता हू…तुम यहा मेरे करीब बैठो.”
लेकिन रिया उतने की बजे, उसे घुराने लगी…कुच्छ शक की निगहोसे.
“ओह कम ऑन रिया..जहा फुक फुक कर कदम रखने चाहिए थे..वाहा फिसल गयी, और मूज़ पर भरोसा करने की बजे शक कर रही हो….मैं क्या तुम्हे, इसे पब्लिक प्लेस मे कहा ज़ाऊगा…कुच्छ बाते ऐसी हैं जो मैं नही चाहता की तुम्हारे अलावा किसी और के कानो मे पड़े..समाज़ी…!”
अब रिया उठ कर उसके बगल मे जा बैठी.
“अब जो कुच्छ मैं बता रहा हू गौर से सुनो….रिंकू के घर मे हर कमरे मे छुपे कमेरे लगे हुए थे…वो हमेशा नही होते, उस दिन खास लगाए गये थे…ये बात शायद रिंकू नही जानती थी…!”
“ये तुम एतने यकीन से कैसे कह सकते हो…!”
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
“मैने तुम्हे बताया तो था, मैं एक इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट हू…तफ़तीश करना, गाड़े मुर्दे उखड़ना मेरा कम हैं..मैने अपने ‘खास‚ आदमी यो से, तहकीकात कराए हैं…इसलिए कहता हू..तुम सिर्फ़ सुनो, संज़ो.और मेरे कुच्छ सवालो के जवाब दो”
“तुम सवाल बहुत पूचेटे हो..!”
“और मुझे आता ही क्या हैं..?..चलो अब ध्यान से सुनो,.रिंकू को जब पता चला की नीलू के साथ की गयी हरकते भी रेकॉर्ड हो चुकी हैं.तो उसने उस रेकॉर्डिंग्स मे से सिर्फ़ तुम्हारी वाली, छोड कर बाकी की रेकॉर्डिंग मिटा दी.!”….आमिर अब रुक कर रिया के चेहरे को पढ़ने की कोशिश करने लगा.
रिया भी भारी उत्सुकता से उसकी बाते सुन रही थी.
“तो उसके पास अब सिर्फ़ मेरी ही सीडी हैं…उसे वापस पा भी लिया तो, तुम सिर्फ़ मुझे बच्चा पाओगे..नीलू का क्या..उसके साथ इंसाफ़ कैसे होगा..उससे जनवरो जैसा सुलूक करने वालो को सज़ा कैसे मिलेगी.?”…आमिर उसका ये गुस्सा देख कर खुश हुआ…और उन दोनो की दोस्ती देख कर हैरान भी हुआ..लड़की को ‘कच्ची उमर की कामुकता‚ ने बहका ज़रूर दिया था, लेकिन लड़की आदतन बुरी नही थी.
“जो मेरी तहकीकात कहती है, रिया, तुम सुनो गी तो दंग रही जाओगी….कोई बड़ी बात नही की तुम खुशी के मारे, मुझे चूम लो…!..होंठों पर..!”…आमिर अब कबूतरी को दाने डाल रहा था…रिया शरमाई…बोली कुच्छ नही.
“क्या ख्याल हैं….जानना नही चाहोगी..मेरी तहकीकात क्या कहती हैं.?”…आमिर अब उसे चिढ़ा रहा था.
“जानना चाहती तो हू..लेकिन वो चूमनाए वाली बात …
“अरे चोदा भी…मैं मज़ाक कर रहा था….अब दिल थाम कर सुनो….रिंकू को लगता हैं…ओरिजिनल, उसे फसाने वाली रेकॉर्डिंग मिट चुकी हैं..लेकिन वो अभी भी मौजूद हैं….!”
“क्या.क्या कहा रहे हो तुम.?”…रिया एटानी ज़ोर से चिल्लई की सभी उसकी तरफ हैरानी से देखने लगे…आमिर ने उसे हाथ पकड़ कर शांत किया.
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
“ऐसे ज़ोर से च्ििलाओगी तो ..रिंकू तक ये बात उही पहुच जाएगी…किसिको बतने की भी ज़रूरात नही पड़ेगी….अपने आप पर काबू रखो”
“लेकिन ये कैसे मुमकिन हैं..?”…रिया की हैरानी और खुशी का कोई ठिकाना नही था..बस उसने आमिर को चूमा नही था.
“उसके ही कुत्तो मे से किसी ने उसकी एक कॉपी अपने पास रखी थी..फिर रिंकू की आँखो के सामने, एडिट करके, तुम्हारे वाला रेकॉर्डिंग रख कर….बाकी का मिटा दिया था…रिंकू इसे बात से अंजान हैं.”
“तो अब हमे क्या करना चाहिए..वो कौन हैं..किसके पास हैं वो ओरिजिनल सीडी…हमे कैसे मिलेगी.?”…रिया की एक्सिटमेंट अब कंट्रोल नही हो रही थी.
“मैने एक प्लान बनाया हैं..उसका पूरा होना तुम पर निर्भर हैं….क्यू की तुम्हे, शायद फिर एक बार…अपने आप को …कुत्तो से नुचवाना पड़ सकता हैं..!”
आमिर की बात सुन कर पहले तो रिया गुस्सा होने लगी थी, लेकिन फिर कुच्छ सोच कर , उसने हाँ कर दी.
उसका कोमल चेहरा अब फिर से पत्थर सा सकत हो गया था.”मैं तुम्हारे प्लान मे मदद करूँगी..लेकिन मैं किसी भी हालत मे उस चुद़ैल रिंकू के सामने, कुच्छ भी नही करूँगी, जिसके पास वो सीडी हैं मैं उसके पास जा सकती हू….और कोशिश कर सकती हू, उस सीडी का पता लगाने की, या उसे चुराने की…लेकिन क्या तुंहे पता हैं, वो कौन हैं.?”..रिया का चेहरा अभी भी सकत था, उसकी आँखे अंगर उगल रही थी, उसने तन लिया था, नीलू की हालत और अपने ह्युमाइलियेशन का बदला चुकाने के लिए वो कुछ्छ भी करेगी.
“रिया मैं तुम्हारी भावनाओ को समाज़ सकता हू….ठीक हैं मैं कुच्छ ऐसा करूँगा की तुम्हे रिंकू और उसके कुत्तो के सामने नही जाना पड़ेगा..सिर्फ़ विकी नाम के उस लड़के के पास जाना होगा, उसको, अपने जल मे फसाना होगा..जैसे भी मुमकिन हो..अगर वो तुम्हारा दीवाना बना…तो उससे वो सीडी हासिल करना कोई बड़ी बात नही होगी”
“क्या तुम मुझे इसे विकी के बड़े बता सकते हो.?…और ये भी की तुम एतने यकीन से कैसे कह सकते हो की वो सीडी विकी के पास ही हैं.?”
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
“देखो अभी इसे वक़ुआत मैं तुम्हे ये नही बता सकता की, मुझे कैसे पता हैं की सीडी विकी के पास हैं..लेकिन यकीन जानो मैं तुम्हे सही वक़ुआत आने पर ज़रूर बतऊन्गा…रही बात विकी के बड़े मे बतने की तो, वो एक 22 साल का हॅंडसम लड़का हैं..अच्छे घर का हैं…हाइयर मिड्ल क्लास फॅमिली से ताल्लुक रखता हैं…वो रिंकू को तबसे जनता हैं जब वो दोनो ही बच्चे थे..विकी का बाप और रिंकू के डॅडी अच्छे दोस्त थे, और साथ साथ कम करते थे…ये तब की बात हैं जब अग्रवाल (रिंकू का बाप) नया नया बिजनेस फैला रहा था, और विकी का बाप उसे मदद कराता था…फिर एक दिन अचानक विकी के पिता, एक रोड आक्सिडेंट मे चल बसे…और अग्रवाल ने भी धीरे धीरे उस परिवार से मूह मोड़ लिया..बड़ा होने पर, जब विकी समझ़दार हो गया तो महसूस हुआ की, उसके पिता की मौत का ज़िम्मेदार, अग्रवाल हो सकता हैं..सही बात का पता लगाने के लिए उसने, पहले रिंकू से दोस्ती बधाई..फॅमिली रिलेशन्स तो थे ही.लिहाजा वो आसानी से अग्रवाल परिवार से चिपक गया..अब उशाए क्या पता लगा.क्या वो जान पाया की उसके पिता की मौत का ज़िम्मेदार, अग्रवाल हैं, या फिर सचमुच वो एक हादसा था…ये मुझे नही पता…लेकिन अगर उसने रिंकू को अंधेरे मे रख कर, उस रात वाली घतना की सीडी अपने पास रखी हैं तो, जररूर उसने ये बदले की भावना से ही किया होगा..!”…आमिर ने शॉर्ट मे रिया को विकी की पूरी दास्ठान सुनाई, और वो उम्मीद से रिया को घुराने लगा.
“एटानी सारी बाते तुमने, एतने कम समय मे जान ली…कैसे कर लेते हो ये सब.?”
“रिया डार्लिंग मैने तुम्हे पहले ही बताया था, की मैं बहुत ही नायाब चीज़ हू,..बड़ा ही खुराफाती इंसान हू…और हो सकता हैं, मेरे पास सचमुच जिन्न भी हो…?….आमिर उसे टीज़ करते हुए बोला, रिया समाज़ गयी, वो कुच्छ नही बतने वाला.
“तो अब मुझे क्या करना होगा..मैं तो विकी को जानती तक नही.?”
“तुम उसकी फ़िकर मत करो, हम तुम्हे उशाए तकराएँगे..तुम्हे एक दूसरे के करीब लाने की कोशिश करेंगे..तुम सिर्फ़ मेरा कहना मानो.ओ.के..!”
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
रिया ने सहमति मे सर हिलाया..वो अब वक़्की के बड़े मे सोच रही थी.
आमिर से मिल कर जब रिया घर पहुँची, तो अंधेरा हो चुका था, और उसे अपने मा बाप को जवाब देना था की, उसे एटानी देर क्यू हुए….लेकिन कम उमर मे ही सब कुच्छ जान चुकी रिया के लिए, ये कोई बहुत बड़ी बात साहबित नही हुए…उसने बड़ी ही सहजता से बहाना बना दिया, की वो अपनी एक सहेली के साथ पढ़ाई.और एग्ज़ॅम्स के बड़े मे कुच्छ डिसकस कर रही थी, एस्साकी वजह से कुच्छ देरी हुए.
खाना खाने के बाद वो पूरी एमंदारी से पढ़ाई करने की कोशिश करने लगी, लेकिन आमिर से हुए बाते, उसके दिमाग़ मे घूम रही थी…क्या उसके पीछे लगा वो सेक्स की आग मे ज़ुलसने का, श्राप अभी भी ख़त्म नही हुआ था…कब तक जिंदगी उसे, ये कम करवाती रहेगी..एक बार हुए ग़लती की सज़ा उसे कब तक मिलती रहेगी..?
रिया की उधेड़बुन उसे सोने नही दे रही थी…और अब तो उसे, आमिर के कहने पर विकी को रीज़ाना था.ताकि उससे वो सीडी हासिल कर सके, या फिर उस सीडी का पता लग सके…
इनही ख़यालो मे खोई रिया को ना जाने कब नींद ने आ घेरा
अगले दिन सुबह जब वो तैयार होकर, स्कूल के लिए रवाना हुई..तो वो नही जानती थी की, आज का दिन उसकी जैइंदगी मे एक नया, एक ऐसा मोड़ आने वाला हैं, जो उसकी पूरी जिंदगी ही बदल देगा…..वो हमेशा की तरह स्कूल के लिए रवाना हुए.
स्कूल के पास बस से उतराते वक़ुआत भी रिया अपने आप मे खोई हुए थी..अपनी ही धुन मे चली जा रही थी, की अचानक उसे किसी का ज़ोर से धक्का लगा…
वो कुच्छ समाज़ पती एसससे पहले ही वो सामने से आने वाले एक नौजवान से टकरा गयी, टक्कर एटानी ज़ोर की नही थी फिर भी दोनो ही एकदुसरे मे उलाज़ कर गिरने लगे..लेकिन उस नौजवान ने फुर्ती से, रिया की कमर मे हाथ डाल कर उसे और अपने आप को भी संभाल लिया…ये सब एटानी तेज़ी से घटा था की रिया कुच्छ समाज़ पाने से पहले ही, ये सब हुआ था…वो अपने आप को , अपने कपड़ो को ठीक करने लगी…उसने नज़र उठा कर सामने खड़े, नौजवान को देखा, जो चेहरे पर हलकीसी मुस्कुराहट लिए उसे ही निहार रहा था…
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
आसपास के, आते जाते लोग भी तमशाई बन कर उन्हे घूर रहे थे..इन सब से रिया की हड़बड़ाहट और शर्मिंदगी बढ़ने लगी, उसने जल्दी से निकल जाने की सोचते हुए, उस नौजवान को ‘तांकष‚ कहा…और नीचे गिरी अपनी कितबे उतने के लिए ज़ुकी.लेकिन ज़ुक ना सकी…उसके गले को एक झटका लगा…उसने हैरानी से देखा तो वो और भी शर्मिंदगी से भर गयी…उसके गले की गोल्ड चैन, उस नौजवान के चैन से उलाज़ गयी थी…और ऐसी उलज़ी थी की आसानी से निकलती मालूम नही हो रही थी…अब क्या करे.?.तमाशबीनो की भीड़ बढ़ती ही जराही थी,.लोग बड़े ही चाव से एक जवान लड़का और लड़की की ये ‘प्यारी सी मुसीबत‚ को एंजाय कर रहे थे…रिया की चैन मे कोई हुक नही था जिसे खोल कर वो अपने आप को आज़ाद कर ले….और चैन फँसी थी, लड़के की चैन के हुक मे…!अब चैन फँसी होने के कारण दोनो ही “मजबूरन” एक दूसरे से लगभग चिपक कर खड़े थे..रिया की हालत पल पल बुरी होती जा रही थी, लोगो का घुराना अब कॉमेंट्स मे बदल रहा था..और लड़का था की खामोश खड़ा मुस्कुरा रहा था..अब रिया की शर्म गुस्से मे बदलने लगी,….
“सिर्फ़ खड़े खड़े हंस क्या रहे हो..?…निकालो अपनी चैन को…मुझे स्कूल जाना हैं”…रिया ने उसे डाट दिया.
” ई आम सॉरी…बस अभी निकलता हू…वैसे सच तो ये हैं की आप मुज़ासे टकराई हैं, मैं नही…फिर भी आप मुझे ही डाट रही हैं”…लड़का चैन निकालने की कोशिश कराता हुआ बोला.
“ई आम ऑल्सो सॉरी, लेकिन पता नही किसका धक्का लगा की मैं आप से टकरा गयी…लेकिन प्ल ज़रा जल्दी से चैन को सूलज़ए, सब हमे घूर रहे हैं..!”…रिया भी फील कर रही थी की वाकई उस नौजवान की क्या ग़लती थी, लेकिन उसे टक्कर किसने मारी..?
चैन को सुलज़ने की कोशिश मे कई बार लड़के की उंगलिया, रिया की शर्ट से ज़कती चुचियो पर रगड़ जाती…जिससे रिया के बदन मे करेंट दौड़ने लगता…चेहरे पर हया की लाली बिखर जाती..वो अब लड़के को निहार रही थी..काफ़ी हॅंडसम और शरीफ लगता था…चेहरे पर बुद्धिमत्ता साफ छलक रही थी….आँखो मे एक अजीब सी कशिश थी.
काफ़ी देर कोशिश कर चुकाने के बाद भी जब चैन की गुत्थी नही सुलज़ी, तो मजबूरन लड़के ने, अपनी चैन को गले से ुअतरा, उसी उलज़ी हुए स्थिति मे उसे रिया के गले मे लटकाने दिया…
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
“..ये उलज़ान लगता हैं आसानी से नही सुलज़ने वाली..आप ऐसा कीजिए मेरी चैन को भी साथ ले जाइए, घर जाकर आराम से सुलज़ाईए, और कल जब आप फिर से स्कूल आएगी, तब अपने साथ ले आइए..ठीक हैं.?”
लड़के के सुज़व पर रिया दंग रही गयी..एटानी भारी सोने की चैन वो उसे देकर जा रहा हैं..जब की वो दोनो एक दूसरे को जानते भी नही..
“लेकिन..ये मैं…एटानी भारी चैन…कैसे…हम दोनो ही एक दूसरे से अंजान हैं..
उसकी बात को समाज़ कर लड़के ने कहा..
“डोंट वरी मिस रिया…मैं आप को जनता हू…हाँ शायद आप मुझे नही जानती..मेरा नाम विकी हैं…विकी माथुर..अब तो हमारी जनपहचान भी हो गयी…अब आप निश्चिंत हो कर जाइए…कल फिर मिलेंगे..एसससी वक़ुआत, एसीई जगह..ठीक हैं..?”…और वो चला भी गया.
अपने पीछे हैरान, परेशन रिया को छोड कर
तो ये विकी हैं..जिसाए फसाना हैं.! लेकिन वो उसे कैसा जनता हैं..? पहले कभी मिले हो ऐसा तो नही लगता.!
अच्छा लड़का हैं..!रिया मन ही मन सोच रही थी
विकी को फसाने का अरमान संजोए हुए रिया, शायद खुद ही फँसी जा रही थी.रिया के मन मे एक तूफान सा उठा था, विकी के बड़े मे जो कुच्छ आमिर ने बताया था, उसे याद करके वो पेशोपेश मे घिरी थी. आमिर के मुताबिक, विकी अपने बाप की मौत की वजह तलाशने के लिए, अग्रवाल परिवार से घुलमिल गया था, और रिंकू से ख़ासी नझडीकिया बढ़ा रहा था….तो क्या विकी भी, बाकी लड़को की तरह, रिंकू के साथ सेक्स की सभी आक्टिविटीस मे शामिल था.? क्या वो भी औरो की तरह, रिंकू के एशारे पर मासूम लड़कियो पर टूट पड़ता था..जैसे मॉंटी, रोमी, और लक्की उस रात उस पर टूट पड़े थे….विकी देखने मे, बातचीत के तरीके से तो अच्छा लड़का लगता था….
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
क्या वो विकी को चाहने लगी हैं.?..क्यू उसके बड़े मे एतना सोच रही हैं..?.उसका कम था सिर्फ़ विकी को अपनी जवानी के जलवे दिखा कर, ज़रूरात पड़ने पर, अपने साँचे मे ढले जिस्म से खेलने की एजाजत देकर, वो सीडी हासिल करना, जिसमे उसका भविष्या क़ैद हैं, नीलू का इंसाफ़ क़ैद हैं…वो क्यू उसके तरफ यू ज़ुकी जा रही हैं….और फिर विकी उसके बड़े मे कैसे और क्या जनता हैं..?..उस रात रिंकू के यहा पार्टी मे क्या विकी भी मौजूद था..?.था तो दिखाई क्यू नही दिया…ये भी तो एक नयी गुत्थी थी जो रिया से सुलाज़ नही रही थी.
जब काफ़ी देर तक सर खपाने के बावजूद रिया किसी नतीजे पे नही पहुँची, तो उसने हॉस्पिटल जाके नीलू को देख आने का मन बनाया.
मल्होत्रा (नीलू का बाप) अपने आलीशान ऑफीस मे बैठा, कुच्छ फाइल्स देख रहा था,…देखने वाले को तो यही महसूस होना था की मल्होत्रा बहुत बूससी हैं, लेकिन असल बात ये थी की उसका मन कम मे बिल्कुल नही था. असल मे वो एक फोन का बड़ी बेसब्री से एनटजार कर रहा था. उसकी टेबल पर कई फोन लगे थे लेकिन उसका ध्या सिर्फ़ अपने मोबाइल पर लगा था…तभी मोबाइल बजा…मल्होत्रा ने ज़पत्ता मर कर मोबाइल उठाया…
“हाला..”
“गूदफ़तेर्नून सर…मैं..”
“मैं जनता हू..कम की बात बोलो.कम हुआ की नही.?”..मल्होत्रा बेहद सावधानी बारात रहा था.
“कुच्छ हद तक होगया हैं सर…हम जान गये हैं..उस रात की पूरे घतनाकरम की सीडी तैयार की गयी हैं…उसकी एक कॉपी रिंकू के पास हैं, लेकिन हमे पता चला हैं की वो सीडी एडिटेड हैं…उसमे से काफ़ी सारा रेकॉर्डिंग मिटा दिया गया हैं…पर एक शाकस हैं जिसके पास लगता हैं ओरिजिनल अनेडिटेड सीडी मौजूद हैं.
“कौन हैं वो…उसके पास कैसे मौजूद हैं वो सीडी..उसे ढुंढ़ो, उससे सीडी हासिल करो..सीडी चेक करो…अगर ज़रूरात लगे तो उस शाकस को ख़त्म करो…मैं नही चाहता उस सीडी का, या उस जैसे किसी भी शकसा का वजूद भी रहे..जो आगे हमारे लिए ख़तरनाक साहबित हो…और अग्रवाल की गतिविधियो पर नज़र रखना..तुम्हारी पेमेंट, तुम्हारे खाते मे ट्रान्स्फर की जाएगी..मुझे प्रोग्रेस की खबर देते रहना.”….एतना कह कर मल्होत्रा ने फोन काट दिया
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उसने अपनी एग्ज़िक्युटिव चेयर पे बैठ कर, टेबल के दराज से एक स्कॉच विस्की की बोतल बरामद की, अपने लिए एक बड़ा सा पेग बनाया और कुर्सी की पुष्ट से सर टीका कर, आनहके मूंद ली, और फोन पर कही गयी बतो पर सोचने लगा..
उसे ये पता था की, पार्टी की रात, रिंकू के दोस्त जिन कमरो का प्रयोग बेडरूम के रूप मे करने वाले थे, उनमे छुपे कमेरे लगा दिए गये हैं..लेकिन बदक़िस्मती से ये बात उसे पार्टी के बाद पता चली….उन लोगो से जो पार्टी मे मौजूद थे रिंकू के दोस्त बनकर, लेकिन वो एक खास मकसद के लिए मल्होत्रा के लिए कम कर रहे थे..वो ऐसे लड़के, लड़किया थे, जिन्हे पैसो की सकत ज़रूरात थी, अपनी शराब और ड्रग्स के शौक पूरे करने के लिए..और मल्होत्रा ने उनकी इसे ज़रूरात को अपना हथियार बनाया था..आग्रवाल को अपनी बात पर राज़ी करने के लिए.
सब कुच्छ प्लान के मुताबिक हो रहा था…लेकिन नीलू का कोमा मे चले जाना..और उन कमरो मे छुपे कमेरो का होना..इन दो बतो ने उसे परेशन कर दिया था…अगर उस सीडी मे “वो” सब भी रेकॉर्ड हुआ था, जो उसके प्लान के मुताबिक किया गया था..तो वो निश्चित रूप से बहुत बड़े ज़मेले मे फस सकता था..अब उसके लिए, उस सीडी और उस शाकस का मिलना बहुत ज़रूरी हो गया था.
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रिया जब हॉस्पिटल मे पहुँची तो शाम के करीब 5.30 बजे थे, वो सीधे नीलू के कमरे मे पहुँची..बड़े आदमी की बेटी थी.लिहाजा कमरा शाही था..बीमार आदमी की तिमरदारी के लिए पूरी तरह से सुसज्जित था…नीलू के पास उस वक़ुआत सिर्फ़ एक नर्स मौजूद थी, लेकिन उस वक़ुआत सोई पड़ी थी….रिया का मन भर आया…एतने बड़े घर की बेटी..एतने साधनसंपन्ना लोग थे..क्या नही था उनके पास, दुनिया की हर खुशी, जो पैसो से खड़ीदी जा सकती थी, वो सब नीलू के घर वालो के पास मौजूद थी…अगर कुच्छ नही था तो बस अपनी बेटी के लिए वक़ुआत, प्यार अपनापन, ममता..फूल जैसी बेटी यहा, अस्पताल के एक कमरे मे बेहोश पड़ी हुए थी, और घर का कोई भी मेंबर वाहा मौजूद नही था…सब अपने अपने “निहायत ज़रूरी” कामो मे उलज़े हुए थे…और बेटी को छोड दिया था, एक सोती हुए नर्स के भरोसे…कमाल के लोग, और उनके कमाल के फॅमिली रिलेशन्स….रिया की आँखे भर आई…वो धीरे से चलते हुए, नीलू के बेड पर बैठ गयी..उसने गौर से नीलू को देखा..वो कोमा मे थी, लेकिन लगता था शांति से सो रही हो…चेहरे पर मासूमियत अभी भी बरकरार थी, शरीर पर जो जखम हुए थे, वो अब भर चुके थे..लेकिन आत्मा पर लगे जखम शायद ही भरे जाए….रिया की भारी आँखे अब बहाने लगी….कच्ची उमर की कामुकता का बड़ा ही घिनौना नतीजा उसके सामने था.
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पता नही कितनी ही देर वो नीलू को देख रही थी…अचानक उसे लगा की नीलू की बंद आँखो के पीछे कुच्छ हलचल हुए हैं..वो एकदम हड़बड़ा गयी..ये कैसे हो सकता हैं..? नीलू तो कोमा मे हैं..फिर ये हलचल.?..क्या नईएलू होश मे आ रही हैं..क्या उसे नर्स को जगा कर बठाना चाहिए..नही नही…शायद ये उसका वहाँ हैं..वो लगातार नीलू को देख रही थी, इसलिए उसे ऐसा भ्रम हुआ हो सकता हैं….वो फिर से काफ़ी देर तक नीलू को देखती रही, लेकिन इसे बार उसे कोई हलचल नही दिखाई दी….तक कर वो वाहा से चली गयी.
लेकिन नीलू की आँखो मे हुए हलचल को सिर्फ़ रिया ने ही नही, किसी और ने भी नोट किया था, जिसने तुरंत मोबाइल पे नंबर मिलना शुरू किया….कौयं था वो…?…किसे बता रहा था..?
अगले दिन रिया, अपने साथ विकी की उलज़ी हुए, जो अब सुलाज़ चुकी थी, चैन लेकर बस से उतार कर ुआसकी रही देख रही थी, वो मन ही मन आंदोलित थी…विकी उसे कैसे जनता हैं..यही वो सवाल था जिसे पाने के लिए वो बेसब्री से विकी का रास्ता देख रही थी….”ही रिया…क्या उलज़ान सुलाज़ गयी”…विकी ना जाने कब आया, उसके पुचचाने के दो अर्थ निकल ते थे….एक तो चैन की उलज़ान, या फिर विकी के बड़े मे चल रही उलज़ान.
“हाँ चैन की तो सुलाज़ गयी..लेकिन..आप मुझे कैसे जानते हैं.?”
“यहा काफ़ी भीड़भाड़ हैं…क्या हम कही चल कर बैठ सकते हैं”
“मुझे स्कूल जाना हैं”
” तो क्या तुम ये नही जानना चाहती की मैं तुम्हे कैसे जनता हू..?”
“चाहती तो हू…दरअसल कल से ही सोच सोच कर परेशन हू..लेकिन.इसे वक़ुआत…ठीक हैं चलो चलते हैं”….रिया के लिए अपनी उत्सुकता बदाना मुश्किल हो रहा था.
“किसी रेस्टोरंत मे जाने के बजे, क्यू ना हम किसी पार्क मे चले, जहा हमारी बाते कोई सुन ना सके”…विकी सब कुच्छ बड़ी विनम्राता से कहा रहा था…जिसका बड़ा ही अनुकूल प्रभाव रिया पर पड़ रहा था.
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रिया ने सहमति मे गर्दन हिलाई….विकी के पास बाएक थी, सो दोनो बाएक पे सॉवॅर हो गये
शहर के थोड़ा बाहर एक तलब था, जिसके पास ही एक गार्डेन डेवालेप किया गया था, काफ़ी बढ़िया पार्क था, कहा तौर से प्रेमी जोड़ो के लिए…वाहा पहुच कर विकी ने बाएक पार्क की, कुच्छ चिप्स एट्सेटरा के पॅकेट्स, कोल्ड्रींक्स, मिनरल वॉटर एक बड़े से प्लास्टिक बेग मे उठा लाया..वो सब देख कर रिया हंस कर बोली.
” ये सब क्या हैं…पूरा दिन यही बितने का एरदा हैं क्या.?”
“अरे नही…बात ये हैं की पार्क के अंदर कुच्छ नही मिलता, हर चीज़ के लिए यहा वापिस लौतना पड़ता हैं..एससलिए ये सब ले लिया…चलो चलते हैं”…दोनो ही पार्क के अंदर घूमाओदार रास्ते से गुजरने लगे….उँचे उँचे पेड़ों के साए मन को आनंद दे रहे थे, एक बड़ा सा च्चयादार पेड़ देख कर दोनो ही बैठ गये…
“रिया पहले मुझे तुम ये बताओ..तुम रिंकू को काबसे, कैसे और कितना जानती हो..?”..रिंकू का नाम सुनते ही रिया का गला सूखने लगा, दिल बैठने लगा ना जाने ये अब क्या पुचचेटा हैं…और ना जाने क्या क्या जनता हैं..उसका दिल लरजने लगा…उसने विकी को पानी माँगा.
“डरो मत रिया…एसमे डरने की क्या बात हैं..मैं तो उही पुच्छ रहा था..!”…रिया के चेहरे पर बदलते रंग देख कर विकी ने रिया की हिम्मत बढ़ने की नियत से कहा.
“मैं उसे ज़ायदा नही जानती,…बहुत कम बार मिली हू..उसके और नीलू के परिवारिक रिश्ते की वजह से उसका नीलू से ज़ायदा मेलजोल था..और मैं और नीलू अच्छी दोस्त होने के नाते.मेरी भी पहचान रिंकू से हुए …बस एससे ज़ायदा मेरा उससे कोई लेना देना नही हैं”..रिया की हालत अभी भी वैसी ही थी…कितनी दहशत मे थी वो.!
“फिर तुम उसकी, उस खास पार्टी मे कैसे पहुच गयी..?”….विकी के इसे सवाल ने तो रिया के सब्र के बाँध को तोड़ दिया..वो दोनो हाथो मे मूह छुपा कर रोने लगी…विकी तुरंत उसके पास जा बैठा और उसके कंधे पर हाथ रख कर बोला…
“डरो नही रिया मैं तुम्हे जलील नही करना चाहता..ना ही मेरा तुम्हे कोई नुकसान पहुचने का एरदा हैं..मैं तो सिर्फ़ जानना चाहता हू, तुम वाहा पहुँची कैसे..प्ल रोना बंद करो, कोई देख लेगा तो ख्वंख़्वाह हमे परेशानी होगी”….विकी की बतो मे या, उसके स्पर्श मे ज़रूर कोई जादू थी की रिया ने रोना बंद किया…हाँ सबक वो फिर भी रही थी.
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फिर वैसे ही सबक ते हुए उसने विकी को बताया, कैसे रिंकू ने ज़ोर देकर रिया को वाहा बुलाया था, और कैसे वो भी,..बड़े लोगो की पार्टी का मज़ा लेने का मो नही त्याग सकी….अब उसे अंदाज़ा हो रहा था की कैसे विकी उसे नाम से जनता हैं
“तुमने ठीक कहा मेरा भी यही ख्याल था,…वरना तुम जैसी अच्छे घर की लड़की, उस पार्टी मे जा ही नही सकती…उस पार्टी मे मैं भी था..लेकिन सब के साथ, सबके सामने नही था..मैं एक प्रोफ़्फेसिओनल फोटोग्राफर और एडिटेर हू, अब तक कई छोटी मोटी लो बजेट फ़िल्मो मे फोटोग्रफी और एडिटिंग कर चुका हू..और उस रात भी मैं वाहा उस पार्टी मे इसे कम के लिए मौजूद था”..रिया की आँखे अब चमकाने लगी..वो विकी के और करीब हो के बैठ गयी..ये ज़रूर उसकी मदद कर सकता हैं..वो सोचने लगी.
“लेकिन तुम मेरा नाम कैसे जानते हो..तुमसे तो किसी ने नही मिलवाया मुझे…!”..रिया की आवाज़ मे अब भी थरथराहट थी
“मुझे रिंकू ने खास तुम्हे दिखा कर कहा था, की वो खास तुम्हारी सभी आक्टिविटीस की रेकॉर्डिंग चाहती हैं…जिस कमरे मे तुम्हे ले जाया गया था…सिर्फ़ उसी कमरे के कमेरे शुरू रखने थे मुझे..मुझे सख्ती से कहा गया था की मैं, बाकी कमरो के वीडियो कमेरे बंद रखू”….विकी की बात सुनते ही रिया की आँखो के आगे अंधेरा चड़ने लगा…वो एक तरफ गिरने लगी…लेकिन विकी ने उसे थाम लिया..अपनी बाँहो मे.
विकी ने दो तीन बार रिया को पुकारा, उसके गालो को थपथपाया, फिर कही जाकर रिया सामान्य हुए..
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लेकि नुसका चेहरा रख सा सफेद पड़ चुका था..वो जान चुकी थी, की वो एक शड्यंत्रा का शिकार हुए हैं…उसे जांबुज़ कर, खास ज़ोर दे कर, पार्टी मे बुलाया गया था,..वाहा भी उसे एक खास रूम मे ही ले जाया गया,…सिर्फ़ उसी रूम के कमेरे ऑपरेट होने थे, सिर्फ़ उसीकि रेकॉर्डिंग होनी थी…लेकिन क्यू.? क्यू सिर्फ़ उसकी.?” ऐसी क्या खास बात थी उसमे..?”..उसका दिमाग़ कम नही कर रहा था…असहाय होकर उसने विकी के कंधे पर अपना सर रख दिया…विकी ने उसे गौर से देखा..उस वक़ुआत रिया की हालत…
शिकारी के जल मे फँसी, घायल हिरानी जैसी लग रही थी, जो अब हिम्मत हर के बेबसी से अपनी जान किस्मत के हवाले कर चुकी हो…विकी को उस मासूम, भोली लड़की पर दया आ रही थी, जो अपनी कच्ची उमर के भौक मोड़ पर, अपने आप को सम्हल नही पाई और, रिंकू जैसी नीच लड़की के जल मे फस गयी थी….उसका हाथ अपने आप उसकी पीठ पर फिरने लगा….उसका स्पर्श होते ही एक बार के लिए रिया सिहर उठी, कही ये भी तो उसे उसी दलदल मे नही घसीट ने वाला….लेकिन अगले ही पल उसने महसूस किया, इसे स्पर्श मे वासना नही थी..थी तो सिर्फ़ तसल्ली देने की भावना…रिया ने अपने आप को विकी के आगोश मे छिपा लिया.
काफ़ी देर वो ऐसे ही बैठे रहे..जब विकी को लगा की अब रिया सम्हल चुकी हैं तो उसने हलके से रिया को पुकारा.
“रिया..उठो…अपने आप को सम्हलो, यू हिम्मत हराने से कम नही चलेगा..हमे कुच्छ बाते और करनी हैं…कुच्छ और सोचना हैं.मुझे तुम्हारी मदद की ज़रूरात हैं..मैं भी किसी खास मकसद से रिंकू के, पूरे अग्रवाल परिवार के पीछे पड़ा हू..अगर तुम मजबूती से मेरा साथ दोगी तो हम, यक़ीनन तुम्हे इसे मुसीबत से च्छुतकारा दिला सकते हैं, साथ साथ अग्रवाल फॅमिली को सज़ा भी दिला सकते हैं.”..विकी की बात सुन कर रिया की जान मे जान आई, लेकिन साथ मे उसे ये भी याद आया की उसे तो आमिर ने भेजा था, विकी से वो सीडी हासिल करने, जैसे भी हो उसे हासिल करने या पता लगाने की वो रखी कहा हैं….लेकिन यहा तो मामला उल्टा ही पड़ गया था…विकी से मिली हमदर्दी और प्यार ने उसे सोचने पर मजबूर कर दिया था….उसने हिचकते हुए विकी को पूछा..
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“क्या तुमने सिर्फ़ उसी कमरे के कमेरे शुरू किए थे , जिसमे मैं थी, या फिर सारे कमरो के.?”..इसे सवाल के जवाब पर सब कुच्छ निर्भर कराता था…अगर विकी ईमानदारी से काबुल कराता हैं की उसने सारे कमरो मे हो रही गतिविधियो की रेकॉर्डिंग की थी, तो वो मन सकती हैं, की विकी उसकी वाकई मदद लेना चाहता हैं और मदद करना भी चाहता हैं…फिर वो भी उस पर पूरी तरह से भरोसा कर सकती हैं,
“हाँ, रिंकू के मना करने के बावजूद मैने…पूरे कमरो के कमेरे शुरू रखे थे…हर चीज़ रेकॉर्ड की थी…तुम्हारी भी और नीलू की भी..आज मेरे पास रिंकू को सज़ा दिलाने लायक सबूत हैं…लेकिन मेरा मकसद सिर्फ़ रिंकू को सज़ा दिला कर नही पूरा होगा,..मुझे अपने पापा की मौत के ज़िम्मेदार उस अग्रवाल को भी सलाखो के पीछे देखना हैं.!”….विकी की आँखो से अँगारे बरस रहे थे….चेहरा बिल्कुल पत्थर की मानिंद सकत..होंठ भिच गये थे, और उंगलिया मुट्ठी की शकला मे कसी गयी थी..उसकी ये अवस्था देख कर रिया की हिम्मत ही नही हुए उसे कुच्छ पुचचाने की..कुच्छ देर खामोश रहने के बाद उसने हिम्मत करके पूछा…
“लेकिन मेरे रेकॉर्डिंग वाली सीडी उसके पास हैं उसाका क्या..?”..रिया के सवाल पर विकी अपना गुस्सा भूल कर प्यार से मुस्कुराया…उसने बिना कुच्छ कहे रिया को अपने तरफ खींचा….सीने से लगाया…माथे पर चूमा,,,,,,,उसकी आँखो मे ज़नकता हुआ बोला…
“मूज़ पर भरोसा रखो रिया..वो सीडी तुम्हे वापिस मिल जाएगी, खुद रिंकू तुम्हे अपने हटो से सौप देगी…तुम उसे अपने हाथो से नष्ट कर देना…ये मेरा वादा रहा.!”
रिया ने फिर अपने आप को विकी के आगोश मे छिपा लिया.कुकु‚स गुआरगे पब अपनी पूरी जवानी पे था, डांस फ्लोर पर जवान जोड़े थिरक रहे थे, पूरा माहौल ड्रग्स, सिगरेत्ट्स के कसाले धुए से भर गया था, रंगबिरंगी लाइट्स के फोकस, म्यूज़िक की ले पर नाच रहे थे, हर एक के हाथ मे या तो नशे का समान था, या किसी की लचकती कमर, शोर एतना की कोई किसी बात सुन नही सकता था, वैसे किसी को कुच्छ कहने सुनाने की ज़रूरात ही कहा थी, जड़तर होंठ बूससी थे, किस करने मे, या काश लगाने मे. लगभग सभी लड़किया अधनंगी हालत मे थी, ऐसे बिभात्सा तरीके से अपने बदन को ज़टके दे रही थी, मानो चुद रही हो…
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पब की उपरली मंज़िल पर कई आलीशान कमरे बने थे, जो हाइ राते पर किराए पर दिए जाते थे..मौजमस्ती के लिए…ऐसे ही एक कमरे मे मौजूद थी रिंकू.! लेकिन आज उसके साथ उसके हमेशा के पालतू कुत्ते मॉंटी, रोमी, और लक्की नही थे…एक नया ही लड़का था, जो उसे अभी थोड़ी देर पहले, नीचे पब मे डांस करते मिला था..उँचा कद, मजबूत गाथा हुआ बदन, आकर्षक चेहरे के साथ काफ़ी प्रभावी पर्सनॅलिटी का स्वामी था…उसके मुताबिक वो एक मस्त हरफन मौला था, जिसका कम अपने बाप की कमाई को जल्द से जल्द ख़त्म करना था…उसकी बतो का अंदाज ही कुच्छ ऐसा था की रिंकू जैसी, खेली खाई लड़की भी उसकी तरफ आकर्षित हुए थी…नतिजन वो दोनो इसे वक़ुआत पब के इसे आलीशान कमरे मे मौजूद थे..और बिस्तर मे ज़ोर आज़माइश कर रहे…अब ये बठाना क्या ज़रूरी हैं, की दोनो ही नंगे थे.!
समीर, यही नाम बताया था उस लड़के ने रिंकू को, बिस्तर के इसे खेल का बड़ा काबिल खिलाड़ी साहबित हुआ था..रिंकू हाफ़ रही थी….गहरी गहरी साँसे ले रही थी..
“समीर..!”….समीर के अब शिथिल पड़ चुके लंड को उठा कर उसकी लंबाई जाँचते हुए, रिंकू ने कहा.
“क्या बात हैं रिंकू डार्लिंग…क्या अभी मन नही भरा जो, सोए हुए लंड को जगा रही हो.!”…समीर ने उसकी चुचियो को दोनो हाथो से मसलते हुए कहा.
“मान तो नही भरा, लेकिन थोड़ी तक ज़रूर गयी हू..आज तक मुझे एतना किसी ने नही थक्या….तुम तो सही मायने मे मर्द हो”….रिंकू ने अपने आप को समीर के ऊपर चढ़ते हुए कहा,…समीर के सीने पर अब उसकी चुचिया दब कर फैल गयी थी…चुत पे उगा जंगल, समीर के लंड मे गुदगुदी पैदा कर रहा था.
“तुम भी कुच्छ कम नही हो, रिंकू…आज मुझे भी कई दीनो बाद टक्कर की लड़की मिली..मज़ा आगेया.!”..रिंकू के गुदज कुल्हो को ज़ोर से दबाता एआमीर बोला.
“तुम यहा के नही हो, फिर भी तुमने पब मे एंट्री कैसे हासिल की…क्या तुम किसी के गेस्ट बन कर आए हो..?”..रिंकू अब थोड़ा नीचे सरक कर समीर के सीने पर डटो से काट रही थी, ज़ायदा तार निपल्स पर…समीर अब फिर से एक्शिटे हो रहा था,…उसने रिंकू को एक ही ज़टके मे पलटा दिया, अब रिंकू के ऊपर वो सॉवॅर था.
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
“नही डार्लिंग, मुझे यहा आने के लिए किसी की सिफारिस की ज़रूरात नही,..बस कही से एक कॉल करवाया कुकु को…बस कुकु, हाथ जोड़ कर दरवाजे पर खड़ा था, हाथ जोड़ कर…स्वागत करने के लिए”..समीर अब फिर से उसकी चुचियो को आता समाज़ कर गूत रहा था..रिंकू भी अब जोश मे आने लगी.
“मतलब तुम कोई बहुत बड़ी पहुँची हुए चीज़ हो….तुम तो कह रहे थे, की तुम कुच्छ भी कम नही करते..पैसे खर्च करने के अलावा.!”…रिंकू ने उसकी पीठ पर अपनी उंगलिया काश ली, और समीर को अपने खींचा..समीर की उंगलिया रिंकू की चुत का जायज़ा ले रही थी..गीलापन जाँच कर..रिंकू ने अपने आप पैर फैला दिए, ता की समीर को ज़ायदा दिक्कत ना हो, चुत की जाँच करने मे.
“बिल्कुल सही कहा,…आजनबी यो को मैं, ऐसा ही कहता हू…क्यू की कई कम ऐसे होते हैं, जो सब को बता के नही किए जाते..चुपचाप किए जाते हैं, बिना शोर शराबे के”…समीर अब और नीचे सरक गया..उसके होंठ अब रिंकू की नाभी की गहराई नाप रहे थे..एक हाथ अभी भी चुचियो की खीचाई कर रहा था,.तो दूसरा हाथ की अब तीन उंगलिया रिंकू की होंठ मे दाखिल हुए थी, और दो गांड के छेद की कसावट आजमा रही थी..रिंकू इसे हर तरफ से होने वाले हमले से उत्तेजना मे थरथरा रही थी..वासना से भरपूर, मादक सिसकिया निकल रही थी..
“तो क्या कम करते हो तुम…अब तो हम अजनबी नही रहे..प्ल बताओ ना..आअहह ..उूऊउईई…होहोहोहो”…पता नही कैसी कैसी अजीब आवाज़े निकल रही थी रिंकू…हवस की मारी कुतीया तो वो थी ही..आज समीर जैसा मंजा हुआ खिलाड़ी मिलने से वो सातवे आसमान मे उस रही थी.
“जानेमन..अभी सिर्फ़ लंड देखो और लंड की लंबाई देखो…अगर तुमने मूह बंद नही रखा तो, तुम्हारे मूह मे लंड डाल दूँगा”…समीर के होंठ अब उसकी चुत के मादक रस को पे रहे थे.
“ही डालो ना…मना किसने किया हैं…जहा चाहो डाल सकते हो…कई दीनो बाद असली मर्द से पाला पड़ा हैं…आज जो चाहे करो, समीर डार्लिंग”….कमतूर कुतीया अब पूरी तरह से अपना कंट्रोल खो चुकी थी….लोहे को गर्म देख समीर ने हथौड़ा मरने की सोची.
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
“अगर तुम मुझे, अपनी कोई राज की बात बताओ, जिससे मुझे भरोसा होज़ाये की, तुम वाकई मेरे असली कम को जाने के लायक हो…और मेरे बड़े मे किसी से कुच्छ नही कहोगी….तभी मैं तुम्हे अपने बड़े मे बतऊन्गा”..एतना कह कर समीर ने अपना विशाल लंड रिंकू की चुत मे थोक दिया, किसी किल की तरह,.और फिर शुरू हुआ एक घनघोर चुदाई का सिलसिला…अंत मे जब दोनो ठंडे पड़ गये..तो रिंकू ने कहा…
“मेरी जिंदगी मे ऐसी कोई बात नही, जिसे राज कहा जाए,…मैं एक राइस बाप की औलाद हू, खुले विचारो की लड़की हू,… सेक्स, ड्रग्स मेरे जिंदगी का अहम हिस्सा हैं, जो किसी से नही छुपा हैं…अब और क्या हो सकती हैं राज की बात…?”..रिंकू ने पूछा.
“ये तो मैं नही जनता..लेकिन जो मैं कराता हू, वो भी बहुत ख़तरनाक हैं…मैं उही नही बता सकता”…समीर अब रिंकू की पतंग को खिच कर ढील दे रहा था…रिंकू, क्यू की थी तो लड़की ही, नारी सुलभ उत्सुकता उसे सटाए जा रही थी, समीर का ख़तरनाक कम जाने के लिए.
“एक बात हुए थी, अभी कुच्छ दिन पहले..लेकिन जो हुआ, वो कैसे हुआ, ये मेरी भी समाज़ के बाहर हैं,..लेकिन कुआ था मेरे ही कहने पर,…फिर भी जो हुआ, मुझे लगता हैं, उसमे कोई और भी अपना खेल खेलगेया..!”…काफ़ी देर सोचने के बाद रिंकू के मूह से निकल ही गया…वैसे भी स्त्री जाती को कोई बात ज़ायदा देर तक पेट मे रखने की आदत नही होती.
“क्या हुआ था..बताओ तो.!”…समीर की आवाज़ बिल्कुल नॉर्मल थी..जैसे वो कोई राज की बात नही, बकली कोई जॉक सुनाने को कह रहा हो.
रिंकू ने पार्टी वाली पूरी घतना के बड़े मे बता दिया….समीर ने उसी शांतता से, बीच बीच मे ‘मामूली‚ सवाल पुच्छ कर, उससे वीडियो रेकॉर्डिंग, रिया का ह्युमाइलियेशन,..च्छुपाई हुए सीडी एट्सेटरा सब कुच्छ उगलवा लिया….फिर उसने अपना वो ‘ख़तरनाक कम बताया…”मैं भी छुउपे कमेरे से ओरिजिनल सेक्स के सीन रेकॉर्ड कराता हू, और उसे महँगे दमो मे बेचता हू…आजकल बाजार मे ओरिजिनल सेक्स की डिमॅंड हैं,..एससलिए मैं मिडलेक्लस होटेल्स मे जाकर, बेडरूम्स और बाथरूम्स मे छुपे कमेरे लगता हू..और फिर वो रेकॉर्डिंग बेच देता हू….तुमने अभी अभी जो बताया.उसमे काफ़ी मजेदार सीन होगे,…क्या मैं वो सीडी देख सकता हू…सिर्फ़ देखूँगा..ले नही ज़ाऊगा…!”
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“मेरे पास पूरी रेकॉर्डिंग नही हैं..बस एक ही बड़ा सा सीन हैं…बाकी मैने नष्ट कर दिया”
“कोई बात नही..जो हैं वही बता दो..उससे मुझे अंदाज़ा हो जाएगा..ये आइडिया शायद मेरे कम आजाए”
अपने ही टाइप के असली मर्द की रिकवेस्ट रिंकू नकार ना सकी, राज को राज रखने का ‘वादा‚ लेकर उसने समीर को अगले दिन दोपहर अपने बुंगलोव पे बुला लिया.
फिर वो दोनो तैय्यरी करने लगे तीसरे राउंड की.समीर अगले दिन जैसे ही रिंकू के घर पहुचा, उसने रिंकू को अपना इंतजार कराता पाया…दोनो उसके बेडरूम मे पहुचे..जैसे ही वो अंदर पहुचे, समीर ने उशाए अपनी बाँहो मे भर लिया, और चुंबनो की झडी लगा दी..
“अरे अरे ये क्या तुम तो आते से ही शुरू हो गये..थोड़ा साहबरे करो”..रिंकू ने उसे नकली ज़िदकी देते ही कहा..हलकी वो उसे खुद ही लिपटी जा रही थी..समीर ने सीधे उसके चुचियो पर धावा बोला…काश काश के मसलते हुए कहा..
“मेरी जान, तुम्हारी ये फड़कती जवानी…मर्डू के भी लंड खड़े कर देगी..मैं तो जिंदा इंसान हू, वो जवामर्द..मुज़ासे सब्र की उम्मीद मत रखो”….बतो ही बतो मे समीर ने उसका छ्होटसा टॉप ुअतर फेका…काली ब्रा मे कसी उसकी चुचिया गजब ढा रही थी, उसके उभरे हुए निप्पल्स, ब्रा की ज़ाइन दीवार फाड़ कर बाहर आना चाहते थे.
“फिर भी..थोड़ा रूको मैं कही भागी जा रही हू क्या..?..पहले बताओ.क्या पियोगे.?”….रिंकू समीर का ये उतावला पान देख कर अपने आप पर एतरा रही थी…मादक ढंग से, अपनी कमर मटका ते उसने, अपनी जीन्स की ज़िप नीचे कर दी…खुद ही.!
“अगर पिलाना ही हैं तो ये पीला…!”…समीर ने उसकी खुली ज़िप मे हाथ डाल कर, उसकी चुत को सहलाते कहा…रिंकू ने तुरंत जीन्स उतार दी.अब वो काली ब्रा पैंटी मे, किसी भी‚ग्रीड फिल्म की हेरोइन लग रही थी
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
“अभ पियोगे…या.वो.सीडी..देखते देखते पियोगे”…रिंकू अपनी चुत को एक खास तरह से उभराती हुए बोली…कमतूर ता की हद पर कर चुकी रिंकू, खुद ही वो सीडी समीर को दिखना चाहती थी…शायद ये सोच कर, की उसमे के रिया के हॉट सीन्स समीर को और उत्तेजित कर देंगे..उसे आज फिर एक बार, धुआधार सेक्स का मज़ा मिलेगा…और समीर तो .अंधे को क्या चाहिए..वाली कहावत पे खुश हो रहा था.
“अगर तुम्हे लगता हैं..उस सीडी के साथ, तुम्हारी चुत से रसटा रस पीने का मज़ा और तरफ जाएगा…तो चलो ऐसे ही सही”..समीर अभी भी अपर निरलप्तता का प्रदर्शन कर रहा था….
“तो तुम तैयार रहो…मैं अभी आती हू”….कहा कर वासना की आग मे जलती रिंकू, कूल्हे मटकती हुए, अंदर के कमरे मे चली गयी…उसकी छोटी सी पैंटी, गांड की दरार मे ड्गाज़ कर, दोनो गोलैयो को, और उभर रही थी…लेकिन समीर को उससे कोई लेना देना नही था..उसने तुरंत, साथ लाए बेग (पहुच नुमा) से कई तरह की सीडी‚स निकल कर उसे सोफे के नीचे छुपा दिया…और तुरंत अपने कपड़े उतरने लगा..कुच्छ ही पॅलो मे वो ‘तैयार‚ था..जैसे ही रिंकू ने अंदर कदम रखा.सिर्फ़ ब्रीफ मे, अपने तने हुए लंड के साथ ‘तैयार‚ समीर को देख कर उसकी बच्चे खिल गयी..वो दौड़ कर समीर से लिपट गयी.
“मुझे एक बात बताओ, हम दोनो ही तुम्हारे घर मे, तुम्हारे बेडरूम मे इसे तरह नंगे खड़े हैं..क्या एसससे किसी को कोई फ़र्क नही पड़ता.?”..समीर दोनो हाथो को उसकी पैंटी मे फसा कर, उसके कुल्हो को मसलता बोला…ब्रा के स्त्रेपपस तो वो पहले ही नीचे खिच चुका था.
“मेरे घर मे, किसी को कोई परवाह नही की मैं किस के सटा हू, क्या कर रही हू, सभी अपने अपने कामो मे व्यस्त हैं….तुम बेफ़िकर रहो”….रिंकू अपनी नंगी चुचिया, समीर के सीने पर हूँ हुए बोली..समीर का खड़ा, ठाना लंड रिंकू की चुत पर दस्तक दे रहा था..उसके अंदर आग अब एटानी भड़क चुकी थी की, उसने समीर के लंड को ब्रीफ की क़ैद से आज़ाद कर दिया…और खुद की पैंटी भी उतार दी.ब्रा तो पहले ही ुअतर चुकी थी..दोनो ही अब मदरजात नंगे थे.
कच्ची उम्र की कामुकता – Antarvasna Virgin Sex kahani
रिंकू ने सीडी प्लेयर मे सीडी डाल दी…और जैसे ही वो समीर की तरफ मूडी…उसने समीर को सोफे पर बैठा पाया…लंड को हाथ मे पकड़ कर हिलता हुआ…वो उसका एशारा समाज़ गयी..तुरंत घुतने के बाल बैठ कर उसने, समीर के लंड को मूह मे भर लिया…और चूसने लगी…वो तो वासना मे एटानी डूब गयी थी की, उसके समाज़ मे नही आया की समीर खेल मे ज़ायदा रूचि नही दिखा रहा….दिखता भी कैसे, उसे तो सीडी उसानी थी,.जितनी जल्दी हो सके…
लेकिन ये कुतीया, एटानी गर्म हो चुकी थी की, उसकी प्यास बुज़ाए बगैर, वो अपना कमाल नही दिखा सकता था.उसने रिंकू को जल्दी खलास करने की नियत से, सोफे पर ही 69 की पोज़िशन मे लाया…उसके एरदे से बेख़बर रिंकू..तुरंत उसके मुताबिक 69 मे आगये.और बड़े चाव से समीर के लंड को फिर से चूसने लगी..समीर ने भी, रिंकू की टाँगे फैलाए, चुत के बड़े बड़े मसल होंठ खोले, अपनी पूरी जीभ, जो किसी छोटे लंड से कम नही थी…उसके ‘दाने‚ पर फिरने लगा..ये सीधा अटॅक था.हमेशा कामयाब साहबित होने वाला हथियार..
जैसे जैसे समीर की जीभ, रिंकू की चुत मे ड्रिल करने लगी..रिंकू के होश उसाने लगे..वो अपने चूतड़ ज़ोर ज़ोर से समीर के मूह पर मरने लगी…उसकी कामुक सिसकारिया एटानी बेग गयी थी, कोई सुनता तो उसे लगता, रिंकू चीख रही हैं..अत्यधिक उत्तेजना से वो कभी लभर समीर के लंड को कातने लगती…और वो पल भी आया, रिंकू की चुत से ज़राना फूटा…समीर के मूह को नहला दिया…और निढल हो कर समीर के ऊपर गिर गयी..लेकिन समीर के पास वक़ुआत नही था…उसे भी अपना माल ‘खाली‚ करना था..सीडी उसाने का जुगाड़ भी लगाना था…उसने रिंकू को सीधा किया..फिर से उसकी टाँगे फैलाई…लंड को चुत के मूह पर रखा…हाथो को चुचियो पर…और बड़ी निर्दयता से रिंकू की चुदाई करने लगा.
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करीब दस मिनट बाद…दोनो ही सुस्त पड़े रहे..जिस सीडी को देखते हुए चुदाई करनी थी वो, कब की ख़त्म हो चुकी थी..समीर की नज़ारे उसी पर थी…वो सही वक़ुआत का, सही चान्स मिलने का एनटजार कर रहा था…उसने सीडी किस कोमनी की हैं देख लिया था….उसके ऊपर कुच्छ भी लिखा, या च्चपा नही था..उसे अब एनटजार था…रिंकू के बाथरूम जाने का…वो जनता था.लड़किया, चुदाई के बद्रोंम ज़रूर जाती हैं….और उसका अंदाज़ा सही निकाला..
“समीर डार्लिंग, मैं दो मिनट मे बाथरूम होकर आती हू, तुम तब तक कुच्छ ड्रिंक लेना चाहो तो, इसे केबिनेट मे हैं…प्ल डोंट माइंड डार्लिंग”..एतना कह कर वो बाथरूम मे चली गयी…अब समीर के लिए यही चान्स था…उसने तुरंत अपना पहुच निकाला..उसमे से आईं वैसी ही दिखाने वाली सीडी निकली..कुच्छ ही पॅलो मे वो सीडी बदल चुका था…रिंकू की सीडी अब उसके पास थी…उसका कम हो चुका था..लेकिन जब तक वो सहिसलामत बाहर नही निकल जाता, उसे एहतियात बारात नही थी..उसने बार केबिनेट से अपने लिए एक पेग बनाया…कपड़े पहने..फिर वही पड़े लंडलिने फोन से अपने ही मोबाइल पे कॉल लगाया…थोड़ी देर तक रिंग बजाने दी,..जब उसे यकीन हो गया की रिंकू ने वो रिंग सुनी होगी, तो उसने फोन काट दिया, और उही मोबाइल कुच्छ बाते करने लगा..जैसे कोई बड़ी इंपॉर्टेंट कॉल आई हो…और रिंकू ने बाथरूम से बाहर कदम रखा…
“समीर डार्लिंग किसका फोन हैं..क्या बात हैं कुच्छ परेशन लग रहे हो..?”…समीर की आक्टिंग का भी जवाब नही था..रिंकू मत कहा गयी थी.
“डार्लिंग चिंता की कोई बात नही हैं..लेकिन मुझे अब तुरंत निकलना पड़ा…एक ज़रूरी कम आ गया हैं”…समीर अपर व्यग्राता का प्रदर्शन कराता बोला
“लेकिन तुमने तो…ये सीडी देखी ही नही..कम से कम देखते तो जाओ”….रिंकू को पता, जिस सीडी की वो बात कर रही हैं…वो अब उसके समीर डार्लिंग के पास हैं.
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“अभी नही डार्लिंग..अभी मेरा जाना ज़रूरी हैं…फिर किसी दिन .आऊगा..अब तो आना जाना लगा रहेगा…!”…रिंकू के गालो पर एक किस दाग कर वो बाहर निकल गया…
अपने पीछे रिंकू नाम की एक बेवकूफ़, हवस की मारी, अभी तक नंगी खड़ी कुतीया को छोड कर.
बाहर आते ही उसने चैन की गहरी सास ली.बाहर आते ही समीर ने एक ऑटो पकड़ा…मोबाइल पर एक नंबर दयाल किया.थोड़ी देर बाद दूसरी तरफ से आवाज़ आई…
“हाला समीर..कम हो गया..?”
“हाँ सर हो गया..सीडी मेरे पास हैं.!”
“उस बेवकूफ़ लड़की को कोई शक तो नही हुआ.?”
“नही सर..वो जब संज़ेगी…तब शायद अपने आप को गोली मर लेगी…!”..सामीएर हसटा हुआ बोला.
“ठीक हैं आ जाओ.मिलने पर बात करेंगे”
“इसे सर…बस दस मिनट मे पहुचता हू.”….और उसने मोबाइल खिसे मे रख लिया.
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उधर समीर के जाते ही, मायूस रिंकू कुच्छ देर, वैसे ही नंगी अवस्था मे सोफे पर बैठी रही…उसे कुच्छ अजीब सा लग रहा था…उसने अपने लिए एक ड्रिंक बनाया…कपड़े पहने ..धीरे धीरे ड्रिंक चुसक्ती वो सोचने लगी.क्या अजीब सा महसूस हो रहा था..समीर का बर्ताओ कुच्छ अजीब था…उसके दिल ने कहा..चुदाई भी उसने बहुत जल्दी जल्दी की…उसके बाथरूम पहुचते ही, कपड़े पहने वो तैयार था..जैसे भागने को तत्पर था..अचानक उसका बदन काँपने लगा.एक आशंका ने उसे हिला कर रख दिया….
उसने दौड़ कर सीडी प्लेयर खोला…देखा तो अंदर सीडी मौजूद थी..उसने राहत की सास ली..वो बेवजह घबरा रही थी..उसने सीडी निकली, वापिस अंदर सेफ मे रखने के लिए…लेकिन सीडी को च्छुटे ही उसे फिर आशंका हुए…फिर कुच्छ गड़बड़ी का अहसास हुआ..उसने सीडी को फिर से प्लेयर मे डाला ऑन किया…कुच्छ ही पॅलो मे जो तस्वीरे दिखयी देने लगी, उन्हे देख कर वो पागल हो गयी….वो हिन्दी फिल्म हेराफेरी की सीडी थी..और हेराफेरी तो उसके साथ हुए थी…वो गुस्से मे अपने बाल नोचने लगी…
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समीर जैसे ही ‘डेंजर ज़ोन‚ पहुचा.इनस्पेक्टर राजपूत ने उसका स्वागत किया..वो उसे लेकर अंदर गया..जहा आमिर बड़े एटमीनान से बाहर पे रहा था…जैसे ही दोनो वाहा पहुचे…समीर ने आमिर का अभिवादन किया.
“आओ भाई बैठो समीर..बढ़िया कम किया हैं तुमने…लो बाहर पियो.!”….आमिर ने कहा
“नही सर, मैं अभी अभी विस्की पे कर आया हू…ये रही आपकी सीडी.!”…समीर ने सीडी राजपूत की तरफ बधाई.
“तुमने देखी हैं ये सीडी.मेरा मतलब हैं कही तुम कोई ग़लत सीडी तो नही उठा लाए हो..?”..आमिर ने पूछा.
“नही सर मैने देखी हैं,..ये वही सीडी हैं..सर अब तो मुझे छोड दोगे ना…आपने कहा था, की अगर मैं आपका ये कम कर दु, तो आप मेरे खिलाफ लगाए सारे चार्जस हटा लेंगे, और मुझे आज़ाद कर देंगे..?”…समीर की आवाज़ मे याचना थी.
“हाँ भाई, हमे याद हैं…लेकिन पहले हमे ये सीडी देख कर कन्फर्म करना होगा..की यही वो सीडी हैं…फिर तुम आज़ाद हो जाओगे..सिर्फ़ तब तक, जब तक तुम फिरसे गुनाह करते नही पकड़े जाते.समझ़े.?”…राजपूत ने खास अपने पुलिसिया अंदाज मे कहा….सभी हंस पड़े..आमिर और राजपूत, खुल के, ठहाके लगाकर..तो समीर खिसियानी हाँसी हसा.
वास्तव समीर एक पोलिसे रीड मे उसे वक़ुआत रंगे हाथ पकड़ा गया था, जब वो , वाकई मे एक ब्लूएफील्म की शूटिंग मे हिस्सा ले रहा था..उस वक़ुआत आमिर भी राजपूत के साथ था..समीर की पर्सनॅलिटी, और उसका “हथियार” देख कर आमिर के मन मे ये प्लान आया था..रिंकू की सेक्स मे अत्यधिक रूचि को काश करने का.उन्होने समीर से ये वादा लिया की वो रिंकू को शक हुए बिना, वो सीडी लाकर देगा..बदले मे पुलिसे उसे छोड देगी….और समीर ने अपना कम कर दिया था….रिया की जान अब आमिर के पास क़ैद थी.
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